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Incest यह क्या हुआ

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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राजेश अपना सिर पकड़ कर बैठ था।
रीता उसकी बालो को सहलाते हुए बोली।
रीता _राजेश तुम चिन्ता मत करो, मैं हूं न सुजाता जाती हैं तो जाने दो मैं तुम्हे कभी उसकी कमी महसूस नहीं होने दूंगी।
अब चलो नीचे चलते है। लोग हमे ढूंढ रहे होंगे।
राजेश और रीता पार्टी हाल में आ गए।
सभी लोग डिनर करने में व्यस्त थे।
भगत _भाई कहा चले गए थे, चलो कुछ खा लेते है।
राजेश _भगत मुझे भूख नहीं है, तुम खा लो।
भगत _भाई क्या huwa तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा huwa है। कुछ बात हुई है क्या?
राजेश _नही, भगत कुछ भी तो नही।
चलो भगत अब यहां सी चलते हैं।
भगत _भाई लगता हैं कुछ बात हुई है जो आप मुझसे छिपा रहे हो। अच्छा ठीक है चलो घर चलते हैं।
राजेश ने स्वीटी के पास जाकर कहा, स्वीटी चलो अब चलते है।
रोहन _भाई इतनी जल्दी, थोड़ी देर और रुक जाते।
राजेश _नही रोहन, मां वेट कर रही होगी।
राजेश स्वीटी और भगत तीनो घर के लिए निकल गए।
राजेश ने भगत से कार अपने घर की ओर ले जाने कहा ताकि स्वीटी को घर छोड़ सके।
कुछ देर में ही वे घर पहुंच गए।
स्वीटी गाड़ी से उतरी,,
Switi _भईया आप घर नही आ रहे,,
राजेश _नही स्वीटी, जब तक मां मुझे घर आने नही कहेगी मैं नही आऊंगा, तुम जाओ। और ये मेरा कप ले जाओ मां को दे देना।
Switi _स्वीटी घर का दरवाजा खटखटाई, सुनीता दरवाजा खोली।
राजेश ने दूर से अपनी मां को देखा। वह भावुक हो गया।
स्वीटी _मां भईया घर नही आ रहे, कह रहा कि जब मां घर आने को कहेगी, तब ही आऊंगा।
मां भईया को बुलाओ न।
सुनीता ने राजेश को दूर से देखा।
कुछ देर तक वह राजेश को देखती रही।
स्वीटी _मां तुम भईया को बुला लो ना।
सुनीता ने राजेश को देखा और उसने अपना सिर हिला कर अंदर आने का इशारा किया।
भगत _राजेश, मां बुला रही है।
राजेश ने को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसे बुला रही है।
भावनाओ से उसकी आंखो में आंसू बहने लगे।
वह अपने घर की और थरथराते कदमों के साथ बढ़ने लगा।
वह जब अपनी मां के सामने पहुंचा। अपनी दोनो हाथ जोड़ लिया।
सुनीता _कैसा है re?
राजेश _, मैं ठीक हूं मां
आप ठीक तो है न,
राजेश _हूं,,
सुनीता _आओ अंदर।
भगत _नमस्ते मां जी।
सुनीता _नमस्ते बेटा।
राजेश ओर भगत दोनो अंदर गए।
उधर स्वीटी अपने पापा के कमरे में गया।
स्वीटी _पापा उठो,
शेखर _अरे स्वीटी, तुम पार्टी से आ गई,
स्वीटी _हा पापा, भईया भी आए है, चलो।
शेखर _क्या राजेश आया है,,?
शेखर का खुशी का ठिकाना न रहा,,
बेटा राजेश,,,,
पुकारते हुवे वह अपने बेड से उठकर हाल में आया, राजेश को अपने गले से लगा लिया।

शेखर _बेटा तु ठीक तो है न,।
राजेश _पापा मैं बिल्कुल ठीक हूं, आप ठीक तो है न।
शेखर _बेटा तुम्हारे जाने से घर बिलकुल सुना सुना सा लगता है, पर क्या करे? कुछ प्राप्त करने के लिए त्याग तो करना पड़ता है।
स्वीटी _मां ये लो स्टूडेंट्स ऑफ द ईयर का यह कप भाई को मिला है!
शेखर _बधाई हो बेटा, आखिर तुमने अपना यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया।
राजेश _थैंक्स पापा।
भगत _नमस्ते अंकल।
शेखर _अरे भगत बेटा तु कैसा है?
भगत _मैं भी ठीक हूं अंकल।
स्वीटी _पापा भगत भईया को बेस्ट छात्र संघ नेता का अवार्ड मिला है।
शेखर _ओह ये तो खुशी की बात है?
भगत बेटा मुझे लगता है तुम राजिनित के क्षेत्र में बहुत ऊपर तक जाओगे, मेरे ओर से शुभकामनाएं है।
भगत _धन्यवाद अंकल।
शेखर _बेटा तुम लोग पार्टी वगेरा में कुछ खाकर आए हो कि नही।
भगत _भाई तो जब से शहर आया है कुछ खाया ही नहीं मैने पार्टी में खाने के लिए कहा तो मना कर दिया।
शेखर _क्या, राजेश बेटा मैं ये क्या सुन रहा हु। पता नही तुम सुबह से कुछ खाए हो कि नही।
सुनीता तुम बच्चो के लिए खाना बना दो।

सुनीता _जी, मैं शीघ्र बनाती हूं।
सुनीता कीचन में चली गईं, वह यह जानकर दुखी हुई की राजेश सुबह से कुछ नहीं खाया है उसकी आंखो से आंसू बहने लगी।
सुनीता कीचन में खाना बनाने लगी, स्वीटी भी उसकी मदद करने लगी।
इधर शेखर राजेश से गांव का हाल चाल पूछने लगा।


करीब एक घंटे में खाना तैयार हो गया। डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दी।
शेखर _लो खाना भी तैयार हो गया, चलो बेटा तुम दोनो हाथ पाव धो लो, खाना लग गया है।
राजेश और भगत दोनो वास बेसिंग में हाथ धोकर। खाना खाने डाइनिंग टेबल में बैठ गए।
भगत _वाह बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है, खाने की।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा जो कीचन के चौखट पर खड़ी राजेश की ओर देख रही थी। ममता भरी भाव से।
राजेश और भगत दोनो भोजन करने लगे।
आज काफी दिनो बाद अपनी मां की हाथो का बना भोजन कर रहा था।
राजेश को भोजन करता देख सुनीता, खुशी का अनुभव कर रही थी।
राजेश और भगत दोनो ने पूरा खाना खतम कर दिया।
शेखर _अरे बेटा खाना तुम लोगो को कम तो नहीं पड़ गया।
भगत _अरे नही अंकल, मेरा पेट तो एकदम भर गया, वो क्या था न खाना एकदम टेस्टी बना था तो कुछ ज्यादा खा लिया।
शेखर _राजेश बेटा अब आए हो तो कुछ दिन रुक कर ही जाना।
राजेश _नही पापा मुझे कल सुबह ही निकलना है।
मैने कल सुबह की टिकट बूक करा रखी है।
शेखर _अरे बेटा टिकट कैंसिल करा दो।
राजेश _नही पापा, परसो गांव में ग्राम सभा रखा गया है। चाची ने कहा है कि तुम्हारा ग्राम सभा में होना बहुत जरुरी है इसलिए तुम कल ही लौट आना।

भोजन कर लेने के बाद, कुछ देर और रुका, फिर,
राजेश _अच्छा पापा अब मैं चलता हूं। आप लोग अपना ख्याल रखना। राजेश पैर छूकर कहा।
शेखर _बेटा आज रात यहीं रुको कल सुबह चले जाना।
मैं सुबह ही तुम्हे स्टेशन छोड़ दूंगा।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा,,,
सुनीता ने हा में सिर हिलाया,,,
राजेश _ठीक है पापा।
भगत _अच्छा भाई, मैं घर चलता हूं, कुछ काम हो तो बताना, सुबह मैं भी स्टेशन तुमसे मिलने आऊंगा।
राजेश _ठीक है भगत।
भगत चला गया।

शेखर _अच्छा बेटा राजेश रात बहुत हो चुकी है तुम भी थक चूके होगे अपने कमरे में जाकर आराम करो।

राजेश अपने कमरे में चला गया वह अपने कमरे में जाकर देखा की, कमरे का सारा सामान व्यवस्थित है।
सुनीता राजेश के न होने पर भी रोज कमरे की साफ सफाई करती थी।
राजेश अपना शर्ट पैंट उतार कर लोवर और टी शर्ट पहन लिया।
उसके बाद वह बेड में आराम करने लगा, दिन भर हुवे घटना क्रम को याद करने लगा।
कुछ देर बाद सुनीता, जग में पानी लेकर कमरे मे आई। ताकि राजेश को रात में पानी की जरूरत पड़े तो उसे कीचन में जाना न पड़े।
वह जग को टेबल पर रख कर जाने लगी।
तभी राजेश ने कहा,,
राजेश _मां आपको चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है मैं सुबह होते ही गांव के लिए निकल जाऊंगा।
सुनीता दरवाजे के पास रुक गई।
वह राजेश से बोली,,

सुनीता _तुम चाहो तो, कुछ दिन यहां रुक सकते हो।
राजेश _मां क्या तुमने मुझे माफ़ कर दिया।

सुनीता _अगर तुम स्वीटी वाली गलती न करने की मुझसे वादा करो तो यहीं रह कर अपनी आई ए एस की तैयारी कर सकते हो?

राजेश _मां अब आपके कहने पर भी मैं अपने को गांव जाने से रोक नहीं पाऊंगा। मुझे गांव जाना ही होगा मां गांव को मेरी जरूरत है।
सुनीता राजेश की ओर घूम गई और बोली,,

सुनीता _मैं समझी नहीं तुम कहना क्या चाहते हो?

राजेश _मां मुझे सब पता चल गया है की गांव में तुम्हारे साथ क्या हुआ था और क्यू तुम गांव नही जाना चाहती।
सुनीता _आखिर वही huwa जिसका डर था।

राजेश _मां, मैं उस ठाकुर के बच्चे को सबक सीखा कर रहुंगा उसने मेरी मां का अपमान किया है।

सुनीता _नही बेटा, तु ऐसा कुछ भी नहीं करेगा। वो ठाकुर बहुत kamina है वह तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
जो huwa है उसको भुल जाओ बेटा, इसी में भलाई है बेटा।

राजेश _मां, तुम नही जानती वह ठाकुर अब भी गांव वालो पर जुल्म ढा रहा है अपने पावर का गलत उपयोग कर रहा है, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है मां इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा। मां तुम मेरी चिन्ता मत करना मुझे कुछ नहीं होगा।

मां तुम मुझे माफ कर दी न।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हू, मैं तुमसे कितनी दिन नाराज रह सकती हूं।
पर बेटा तुम मुझसे वादा करो की तुम स्वीटी के साथ के साथ जो गलती किए हो उसे दोहराओगे नही।
सुनीता ने राजेश का हाथ पकड़कर कहा।

राजेश _मां मैं आपसे वादा करता हूं। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे स्वीटी की भविष्य पर बुरा असर पड़े।
सुनीता _धन्यवाद बेटा।
बेटा अब तुम सो जाओ रात बहुत हो चुकी है।
सुनीता राजेश को चादर ओढ़ा कर अपने कमरे में चली गईं।
उधर कमरे में जाने के बाद सुनीता सोचने लगी कि राजेश को सब पता चल गया है ठाकुर के साथ उलझने से उसे ठाकुर कोइ हानि न पहुंचा दे।
उसे नींद नहीं आ रही थी।
उधर राजेश बहुत खुश था उसकी मां ने उसे माफ कर दिया है। पर सुजाता के साथ जो हुआ उसके लिए दुखी भी था।
आज राजेश की आंखो से भी नींद गायब थी, वह बेड से उठ कर छत पर चला गया और आकाश मे तारो को देखने लगा।
इधर सुनीता को भी नींद नहीं आ रही थी, राजेश को लेकर। वह ठाकुर से टकराने जा रहा है।
वह राजेश को ठाकुर से न उलझने के लिए फिर से समझाने के लिए वह अपने बेड से उठी, उसने शेखर की ओर देखा तो वह नींद में खर्राटे भर रहा था।
वह अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश कमरे में नही था।
सुनीता राजेश को इधर उधर ढूंढने लगी की आखिर राजेश गया कहा।
वह छत पर जाकर देखी तो राजेश उसे दिखाई पड़ा।

सुनीता _बेटा तु छत पर क्या कर रहा है, सोया नही है अब तक।
राजेश _मां मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं छत पर चला आया।
पर आप सोई नहीं।
सुनीता _बेटा, जब से तुमने बताया है कि तुम उस ठाकुर से उलझने जा रहे मुझे तुम्हारी चिन्ता होने लगी है?
राजेश ने सुनीता को गले लगा लिया और कहा मां तुम खमोखा चिन्ता करने लगी मुझे कुछ नहीं होगा। क्या आपको मुझपर भरोसा नही।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हूं, एक मां को बेटे की चिन्ता तो होगी ही। बेटा तुम गांव मत जाओ।
राजेश _मां, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है। उन्हे मुझसे बहुत उम्मीद है। मैं उन लोगो के लिए कुछ करूंगा। वहा सरकार से मिलने वाली योजनाओं का लाभ गांव वालो को मिल सके, ठाकुर ने जो अपनी पावर के द्वारा रोक रखा है। क्या तुम चाहती हो की तुम्हारे बेटे को कोइ बुजदिल कहे। डरपोक कहे।
सुनीता _नही बेटा।
राजेश _मां फिर मुझे आशीर्वाद दो की मैं उस ठाकुर को सबक सीखा सकू।
सुनीता ने राजेश की माथे को चूमते हुवे कहा।
मेरा आशीर्वाद तो हमेशा मेरे बेटे के साथ है।
सुनीता _बेटा चलो अब अपने कमरे में जाकर सो जाओ, आखिर कब तक जगते रहोगे।

राजेश _मां आज तुम मुझे अपने गोद में सुलाओ। शायद मुझे नींद आ जाए।
सुनीता _अच्छा चलो, तुम्हारे कमरे में।
राजेश और सुनीता दोनो नीचे चले गए।
दोनो कमरे में पहुंचे।
सुनीता बेड पर अपनी पैर फैला कर बैठ गई। राजेश ने उसकी गोद पर सिर रख कर सोने की कोशिश करने लगा।
सुनीता प्यार से उसके बालो को सहलाने लगी।
राजेश _मां तुम कितनी अच्छी हो।
मुझे तुम पर गर्व है।
सुनीता _क्यू?
राजेश _, ठाकुर ने तुम्हे कितना परेशान किया फिर भी तुम हार नही मानी।
सुनीता _बेटा मैने तो वही किया जो एक पतिव्रता और संस्कारी स्त्री को करना चाहिए।
राजेश _मां वैसे उस ठाकुर का भी दोष नही।
सुनीता _क्यू।
राजेश _जब आप आज भी इतनी खुबसूरत हो तो उस समय पता नही कितनी खुबसूरत लगती होगी। ठाकुर तो क्या पता नही कितने लोग तुम पर मरते होंगे।
राजेश _चुप कर बदमाश कहीं का। मुस्कुराते हुवे बोली।
अच्छा बेटा मैं तो तुम्हे एक बात बताना भूल गईं।
राजेश _कौन सी बात मां।
सुनीता _सुमन ने एक लड़के को जन्म दिया है।
राजेश _क्या?
सुनीता _हा, मैं बच्चे को देखने गई थी। बिलकुल तुम पर गया है।
वो बहुत खुश है। वह तुमसे मिलना चाहती थी। मैंने बताया कि तुम बाहर गए हो, आई ए एस की तैयारी करने।
वह तुम्हारी शुक्रिया अदा कर रही थी।
राजेश _ये तो बड़ी खुशी की बात है मां, अभी सुमन कहा है?
सुनीता _बेटा उसके पति का ट्रांसफर दिल्ली हो गया है तो वह शहर छोड़ कर चली गई। उसे तुमसे एक बार मिलने की बड़ी ईच्छा जाहिर कर रही थी।

राजेश _ओह।
पता है न मां कि तुमने मेरी शादी कराई थी सुमन से मंदिर में। और घर में सुहागरात भी कराई थी।
सुनीता _हा बेटा उस समय मेरा एक स्वार्थ भी था।
राजेश _कैसा स्वार्थ मां, बेटा तुम्हें चोंट लगी थी न तो मैं डर गई थी की तुम कहीं नामर्द तो नही बन गए। इसलिए मैं सुमन के बहाने देखना चाहती थी की तुम बिलकुल ठीक हो।
राजेश _ओह तो ये बात थी।
मां वैसे सुमन के साथ सुहागरात मनाने में बहुत मजा आया था, सुहाग रात के बाद तुमने बादाम वाली दूध भी पिलाई थी।
सुनीता _बेटा सुहागरात नही, सुहाग दिन था। सुनीता हसने लगी।
राजेश _मां एक बात बोलूं।
सुनीता _हां बोलो।
राजेश _रहने दो, आप बुरा मान जाएंगी।
सुनीता _नही मानूंगी, बाबा बोलो।
राजेश _सुमन सी ज्यादा मजा तो आपके साथ आता है।
सुनीता _चल हट बदमाश कहीं का। सुमन शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _वैसे गांव में तुम्हारी ताई तुम्हारे खाने पीने का ख्याल तो रखती है न।
राजेश _गांव में ताई, भईया भौजी सभी मेरे अच्छे ख्याल रखते है। भाभी टू रोज मुझे सोने से पहले दूध पीने को देती है। अब तो मुझे दूध पी कर सोने की आदत हो गई है।

सुनीता _अच्छा पहले क्यू नही बताया? इसलिए शायद तुम्हे नींद नही आ रही। मैं अभी तुम्हारे लिए बादाम वाली दूध लेकर जाती हूं।
राजेश _मां रहने दो,,
सुनीता रुकी नहीं और कीचन में चली गईं, बादाम वाली दूध लाने।
वह दूध को उबालने लगी।
तभी राजेश कीचन में आ गया और अपनी मां को पीछे से बाहों में भर लिया।
सुनीता _अरे क्या कर रहा है? छोड़ो मुझे। तु बदमाशी करना नही छोड़ेगा।
राजेश _मां आप हो ही इतनी सुंदर बदमाशी करने का मन करता है।
राजेश ने अपना खड़ा लंद सुनीता की गाड़ में सटा दिया और उसकी चूची ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनीता सिसकने लगी।
सुनीता _बेटा छोड़ ना, सच में तु बड़ा बिगड़ गया है।
राजेश ने सुनीता की चूची मसलना जारी रखा अपने लंद का दबाव उसकी गाड़ में डालने लगा।
सुनीता के शरीर में रक्त संचार बढ़ने लगा।
वह सिसकने लगी।
राजेश ने उसकी ब्लाउज का बटन एक एक करके खोल दिया और सुनीता को अपनी ओर घुमा कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीने लगा।
राजेश _मां बादाम वाली दूध तो मेहनत करने के बाद पीते हैं न, पहले मेहनत तो करने दो।
राजेश के द्वारा चूची चूसने से सुनीता उत्तेजित होने लगी।
उसकी बुर में पानी भरने लगा।
राजेश सुनीता की चूची को मसल मसल कर चूसने लगा सुनीता सिसकने लगी।
राजेश की हरकतों से सुनीता भी बहुत गर्म हो गई।
राजेश ने सुनीता का मुंह अपने मुंह में भर कर जी भर कर चूसा, सुनीता हापने लगी।
सुनीता _बेटा यहां नही तुम्हारे पापा उठ गए तो गड़बड़ हो जाएगी।
राजेश ने सुनीता को अपनी बाहों में उठा लिया और अपने कमरे में ले कर बेड पे लिटा दिया।
दरवाजा बंद कर दिया।
राजेश सुनीता ऊपर आ गया। और उसकी चूची को फिर मसल मसल कर पीने लगा।
फिर धीरे धीरे उसकी नाभि की ओर बड़ा उसकी नाभी को चाटने लगा। सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
उसकी बुर से पानी बहने लगा।
राजेश ने सुनीता की पेटीकोट और साड़ी ऊपर उठाकर उसकी पेंटी निकाल दिया।
उसकी मस्त फूली हुईं चिकनी चूत देखकर राजेश का लंद झटके मारने लगा।
राजेश ने सुनीता की चूत में अपना मुंह डाल दिया और बुर को चाटना शुरू कर दिया।
सुनीता छटपटाने लगी। वह काफी अधिक उत्तेजना महसूस करने लगी।
उसके मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी, आह मां आह उन,, आह आई,, उन,,,,, मां,,,,
आह,,,
राजेश बेड से उतरा और अपना सारा कपड़ा उतार कर नंगा हो गया।
उसका लंद काफी मोटा और लंबा हो कर हवा में झटके मारने लगा।
राजेश _मां आओ ना मेरा लंद चूसो।
सुनीता बेड से नीचे उतर कर फर्श पर बैठ गई ओर राजेश की लंद को हाथ में पकड़ कर मूठ मारने लगी।
फिर लंद को मुंह में भर कर चूसने लगी।
इधर राजेश ने सुनीता की ब्लाउज को निकाल कर फर्श पर फेक दिया।
राजेश ने सुनीता की बालो को पकड़ कर उसके मुंह में लंद अंदर बाहर करने लगा।
कुछ देर तक लंद चूसने से लंद एकदम सख्त जो गया।
उसने सुनीता को ऊपर उठाया और उसकी ओंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
कुछ देर ओंठो को चूसने के बाद।
सुनीता ने खुद ही अपनी साड़ी निकाल दिया वह सिर्फ पेटीकोट में रह गई।
राजेश ने पेटीकोट का नाडा खीच दिया।
पेटीकोट सुनीता के पैरो में गिर गया।
राजेश ने एक हाथ से सुनीता की चूची मसलते, दूसरी हाथ से उसकी बुर सहलाते हुवे उसकी ओंठ चूसने लगा।
सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
सुनीता _बेटा अब बस करो मुझसे सहन नहीं हो रहा।
सुनीता बेड के किनारे लेट गई और अपनी टांगे फैला दी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर उसकी बुर के छेद में रख कर एक जोर का धक्का मारा।

लंद बुर को चीरकर एक ही बार में पूरा अंदर चला गया। क्यू की बुर एकदम गीली थी।
सुनीता सिसक उठी।
अब राजेश ने सुनीता की चूची को पकड़ लिया और उसे मसल मसल कर लंद को बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में गच गच की आवाज़, सुनीता की मादक सिसकारी उसकी चूड़ियों की खनक गूंजने लगा।
लंद सुनीता की बुर में सर सर अंदर बाहर होने लगा।
सुनीता तो जन्नत में पहुंच गई।
उसे संभोग की परम सुख प्राप्त होने लगा।
वह राजेश की कमर को पकड़ लिया।
इधर राजेश को भी बहुत मजा आ रहा था।
वह दनादन सुनीता की बुर में अपना लंद डाले जा रहा था।
इस आसन में राजेश ने तबतक चोदा जब तक वह झड़ नही गई। सुनीता चीखते हुए झड़ने लगी।
राजेश भी उससे लिपट कर सुस्ताने लगा अपना खोया ताकत प्राप्त करने लगा।
कुछ डर बाद राजेश फिर हरकत में आया और उसकी ओंठ मुंह में भर कर चूसने लगा। उसकी चुचियों को मसल मसल कर पीने लगा।
और जब राजेश फिर से उसकी योनि चाटने लगा तो सुनीता के शरीर में फिर रक्त संचार बढ़ गया। वह फिर से उत्तेजित हो गई।
सुनीता खड़ी हो गई और बेड को पकड़ कर झुक गई। राजेश उसके कूल्हे को सहलाया।
सुनीता चिहुंक उठी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर एक बार उसकी योनि में रखा और एक जोर का धक्का मारा। लंद बुर में गप से अंदर चला गया।
राजेश ने सुनीता की कमर को पकड़ कर लंद को बुर में गप गप अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में फिर से एक बार सुनीता की मादक सिसकारी आह उह, उई मां आह, आई,,, मां गूंजने लगी।
राजेश को भी बहुत मजा आने लगा।
राजेश _आह मां बहुत मजा आ रहा है। सच में बहुत मस्त मॉल है तु, तुम्हे चोदने का मजा ही कुछ और है।
राजेश और तेज़ तेज़ चोदने लगा।
सुनीता फिर से अपनी चरम अवस्था में पहुंचने वाली थी।
तभी राजेश ने अपना लंद बाहर निकाल दिया।
राजेश बेड पर लेट गया।
सुनीता को ऊपर आने का इशारा किया।
सुनीता बेड पर चढ़ गई ।
राजेश के लंद को पकड़ कर अपनी बुर के छेद में रखी और नीचे बैठ गई।
लंद फैच की आवाज़ के साथ अंदर चला गया।
सुनीता अब राजेश के लंद पर उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे अपनी लंद पर पटक पटक कर चोदने लगा।
लंद पूरे गहराई तक अंदर जा रहा था।
सुनीता जोर जोर से सिसक रही थी। चीख रही थी।
आह मां आह,, उई आह,
लंद का टोपा उसकी गर्भाशय से टकरा रहा था।
जिससे उसको दोगुना मजा आ रहा था।
वह राजेश के लंद पर उछल उछल कर chud रही थी।
दोनो संभोग के आपार सुख को प्राप्त कर रहे थे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

अब राजेश ने सुनीता को घूम कर बैठने कहा ।
सुनीता लंद उठी।
बुर से लंद fach की आवाज़ के साथ बाहर आया लंद सुनीता की बुर का पानी पीकर और ज्यादा मोटा और लंबा हो गया था।
सुनीता राजेश की ओर पीठ कर लंद को बुर में डाल कर बैठ गई।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे पटक पटक कर चोदने लगा।
दोनो काम के परम सुख का मजा लेने लगे।
उसके बाद राजेश ने सुनीता को बेड में ही घोड़ी बना दिया।
औरबुर में लंद गपा गप अंदर बाहर करने लगा।
सुनीता को राजेश तब तक चोदता रहा जब तक वह फिर से नही झड़ी।
सुनीता के झड़ने के बाद भी राजेश ने लंद बाहर नही निकाला, कुछ देर रुका फिर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
सुनीता _बेटा अंदर मत झड़ना, मेरा अभी गर्भधारण काल चल रहा है मैं फिर से पेट से हो जाऊंगी।
राजेश _तो क्या huwa मां ये तो बड़ी अच्छी बात।
सुनीता _नही बेटा एक बार मुसीबात में फस चुकी थी और नही फसना है मुझे, प्लीज अंदर मत छोड़ना।
राजेश _तब तो तुम्हारी गाड़ चोदना पड़ेगा।
तुम्हारी गाड़ तो फिर से टाइट हो गई है।
काफी दिन हो गए हैं न शायद इसलिए।
सुनीता _हा बेटा।
राजेश ने एक उंगली सुनीता की गाड़ में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
फिर दो उंगली डाल दिया।
सुनीता का पूरा बदन kapkapanne लगा।
राजेश ने बेड से नीचे उतर कर अलमारी से चिकनाई वाला क्रीम निकाल कर अपने लंद पर अच्छे से लगाया फिर क्रीम को सुनीता की बुर में डाल दिया।
अब सुनीता के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया ।

अबउसकी गाड़ में अपना लंद का टोपा सेट किया और दबाव डाला।
काफी प्रयास के बाद लंद का टोपा अंदर घुस गया।
सुनीता चीखना चाही पर चीख न पाई।
अब राजेश हल्का हल्का लंद को अंदर बाहर करने लगा।
लंद धीरे धीरे गाड़ में अपनी जगह बनाने लगा। गाड़ फैलने लगा।
और एक समय ऐसा आया जब राजेश का लंद पूरा गाड़ में समा गया।
अब राजेश ने कभी बुर में तो कभी गाड़ में अपना लंद डालकर gach gach चोदने लगा।
राजेश को टाइट गाड़ चोदने से बड़ा मजा आ रहा था जब उसका लगता की वह झड़ने वाला है तो लंद को बुर में डाल देता और बुर चोदने लगता। कुछ देर बाद फिर से गाड़ में लंद डाल कर चोदता। और अन्त में सुनीता की गाड़ में अपना पानी छोड़ दिया।
करीब दो घंटे तक दोनो के बीच chudai चला दोनो काफी थक चुके थे एक दूसरे के बांहों में लेटकर सो गए। दो गहरी नींद में सो गए।
सुनीता की नींद खुली तो सुबह के पांच बज रहे थे। वह बेड से उठी और अपने कपड़े उठा कर नंगी ही अपने कमरे में जाकर बाथरुम में घुस गई और नहाने लगी।
उसने अपनी बुर और गाड़ की हालात देखी। दोनो को राजेश ने सूजा दिया था। वह अपनी बुर की हालात देख मुस्कुरा रही थी।
इधर राजेश जब उठा तो सुबह 6बज चुका था वह अपनी मां को ढूंढा पर कमरे में नही थी।
उसे लगा मां चली गई।
वह भी बाथरुम में जाकर नहाने लगा।
और तैयार होकर अपनी मां से मिलने गया जो कीचन में काम कर रही थी।
उसे बाहों में भर लिया। उसकी गालों को चूमने हुवे कहा, गुडमॉर्निंग मां।
सुनीता _good मॉर्निंग बेटा।



_अरे तु तो नहा कर तैयार भी हो गया।
राजेश _हा मां, मुझे गांव के लिए निकलना है न इसलिए।
वैसे रात कैसे रही।
सुनीता शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _पूरा सूजा दिया है तूने और पूछता है रात कैसी रही? अब छोड़ कोइ आ जायेगा।
राजेश ने सुनीता को छोड़ दिया।
राजेश _मां नाश्ता जल्दी से बना दो मेरा ट्रैन छूट जायेगा।
सुनीता _बस तैयार होने वाला है। तुम्हारे पापा को उठा दो वह तुम्हे स्टेशन छोड़ आएगा।
राजेश _ठीक है मां।

Bahut hi shandar update he rajesh bhagat Bhai,

Rajesh ki maa ki bhi narazgi dur ho gayi...........

Aur sika jashan in dono raat bhar chudayi karke manaya..........

Ab rajesh gaanv ja raha he............apni maa ke apman ka badla thakur se lene

Keep rocking Bro
 

Ravi 23

New Member
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राजेश अपना सिर पकड़ कर बैठ था।
रीता उसकी बालो को सहलाते हुए बोली।
रीता _राजेश तुम चिन्ता मत करो, मैं हूं न सुजाता जाती हैं तो जाने दो मैं तुम्हे कभी उसकी कमी महसूस नहीं होने दूंगी।
अब चलो नीचे चलते है। लोग हमे ढूंढ रहे होंगे।
राजेश और रीता पार्टी हाल में आ गए।
सभी लोग डिनर करने में व्यस्त थे।
भगत _भाई कहा चले गए थे, चलो कुछ खा लेते है।
राजेश _भगत मुझे भूख नहीं है, तुम खा लो।
भगत _भाई क्या huwa तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा huwa है। कुछ बात हुई है क्या?
राजेश _नही, भगत कुछ भी तो नही।
चलो भगत अब यहां सी चलते हैं।
भगत _भाई लगता हैं कुछ बात हुई है जो आप मुझसे छिपा रहे हो। अच्छा ठीक है चलो घर चलते हैं।
राजेश ने स्वीटी के पास जाकर कहा, स्वीटी चलो अब चलते है।
रोहन _भाई इतनी जल्दी, थोड़ी देर और रुक जाते।
राजेश _नही रोहन, मां वेट कर रही होगी।
राजेश स्वीटी और भगत तीनो घर के लिए निकल गए।
राजेश ने भगत से कार अपने घर की ओर ले जाने कहा ताकि स्वीटी को घर छोड़ सके।
कुछ देर में ही वे घर पहुंच गए।
स्वीटी गाड़ी से उतरी,,
Switi _भईया आप घर नही आ रहे,,
राजेश _नही स्वीटी, जब तक मां मुझे घर आने नही कहेगी मैं नही आऊंगा, तुम जाओ। और ये मेरा कप ले जाओ मां को दे देना।
Switi _स्वीटी घर का दरवाजा खटखटाई, सुनीता दरवाजा खोली।
राजेश ने दूर से अपनी मां को देखा। वह भावुक हो गया।
स्वीटी _मां भईया घर नही आ रहे, कह रहा कि जब मां घर आने को कहेगी, तब ही आऊंगा।
मां भईया को बुलाओ न।
सुनीता ने राजेश को दूर से देखा।
कुछ देर तक वह राजेश को देखती रही।
स्वीटी _मां तुम भईया को बुला लो ना।
सुनीता ने राजेश को देखा और उसने अपना सिर हिला कर अंदर आने का इशारा किया।
भगत _राजेश, मां बुला रही है।
राजेश ने को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसे बुला रही है।
भावनाओ से उसकी आंखो में आंसू बहने लगे।
वह अपने घर की और थरथराते कदमों के साथ बढ़ने लगा।
वह जब अपनी मां के सामने पहुंचा। अपनी दोनो हाथ जोड़ लिया।
सुनीता _कैसा है re?
राजेश _, मैं ठीक हूं मां
आप ठीक तो है न,
राजेश _हूं,,
सुनीता _आओ अंदर।
भगत _नमस्ते मां जी।
सुनीता _नमस्ते बेटा।
राजेश ओर भगत दोनो अंदर गए।
उधर स्वीटी अपने पापा के कमरे में गया।
स्वीटी _पापा उठो,
शेखर _अरे स्वीटी, तुम पार्टी से आ गई,
स्वीटी _हा पापा, भईया भी आए है, चलो।
शेखर _क्या राजेश आया है,,?
शेखर का खुशी का ठिकाना न रहा,,
बेटा राजेश,,,,
पुकारते हुवे वह अपने बेड से उठकर हाल में आया, राजेश को अपने गले से लगा लिया।

शेखर _बेटा तु ठीक तो है न,।
राजेश _पापा मैं बिल्कुल ठीक हूं, आप ठीक तो है न।
शेखर _बेटा तुम्हारे जाने से घर बिलकुल सुना सुना सा लगता है, पर क्या करे? कुछ प्राप्त करने के लिए त्याग तो करना पड़ता है।
स्वीटी _मां ये लो स्टूडेंट्स ऑफ द ईयर का यह कप भाई को मिला है!
शेखर _बधाई हो बेटा, आखिर तुमने अपना यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया।
राजेश _थैंक्स पापा।
भगत _नमस्ते अंकल।
शेखर _अरे भगत बेटा तु कैसा है?
भगत _मैं भी ठीक हूं अंकल।
स्वीटी _पापा भगत भईया को बेस्ट छात्र संघ नेता का अवार्ड मिला है।
शेखर _ओह ये तो खुशी की बात है?
भगत बेटा मुझे लगता है तुम राजिनित के क्षेत्र में बहुत ऊपर तक जाओगे, मेरे ओर से शुभकामनाएं है।
भगत _धन्यवाद अंकल।
शेखर _बेटा तुम लोग पार्टी वगेरा में कुछ खाकर आए हो कि नही।
भगत _भाई तो जब से शहर आया है कुछ खाया ही नहीं मैने पार्टी में खाने के लिए कहा तो मना कर दिया।
शेखर _क्या, राजेश बेटा मैं ये क्या सुन रहा हु। पता नही तुम सुबह से कुछ खाए हो कि नही।
सुनीता तुम बच्चो के लिए खाना बना दो।

सुनीता _जी, मैं शीघ्र बनाती हूं।
सुनीता कीचन में चली गईं, वह यह जानकर दुखी हुई की राजेश सुबह से कुछ नहीं खाया है उसकी आंखो से आंसू बहने लगी।
सुनीता कीचन में खाना बनाने लगी, स्वीटी भी उसकी मदद करने लगी।
इधर शेखर राजेश से गांव का हाल चाल पूछने लगा।


करीब एक घंटे में खाना तैयार हो गया। डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दी।
शेखर _लो खाना भी तैयार हो गया, चलो बेटा तुम दोनो हाथ पाव धो लो, खाना लग गया है।
राजेश और भगत दोनो वास बेसिंग में हाथ धोकर। खाना खाने डाइनिंग टेबल में बैठ गए।
भगत _वाह बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है, खाने की।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा जो कीचन के चौखट पर खड़ी राजेश की ओर देख रही थी। ममता भरी भाव से।
राजेश और भगत दोनो भोजन करने लगे।
आज काफी दिनो बाद अपनी मां की हाथो का बना भोजन कर रहा था।
राजेश को भोजन करता देख सुनीता, खुशी का अनुभव कर रही थी।
राजेश और भगत दोनो ने पूरा खाना खतम कर दिया।
शेखर _अरे बेटा खाना तुम लोगो को कम तो नहीं पड़ गया।
भगत _अरे नही अंकल, मेरा पेट तो एकदम भर गया, वो क्या था न खाना एकदम टेस्टी बना था तो कुछ ज्यादा खा लिया।
शेखर _राजेश बेटा अब आए हो तो कुछ दिन रुक कर ही जाना।
राजेश _नही पापा मुझे कल सुबह ही निकलना है।
मैने कल सुबह की टिकट बूक करा रखी है।
शेखर _अरे बेटा टिकट कैंसिल करा दो।
राजेश _नही पापा, परसो गांव में ग्राम सभा रखा गया है। चाची ने कहा है कि तुम्हारा ग्राम सभा में होना बहुत जरुरी है इसलिए तुम कल ही लौट आना।

भोजन कर लेने के बाद, कुछ देर और रुका, फिर,
राजेश _अच्छा पापा अब मैं चलता हूं। आप लोग अपना ख्याल रखना। राजेश पैर छूकर कहा।
शेखर _बेटा आज रात यहीं रुको कल सुबह चले जाना।
मैं सुबह ही तुम्हे स्टेशन छोड़ दूंगा।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा,,,
सुनीता ने हा में सिर हिलाया,,,
राजेश _ठीक है पापा।
भगत _अच्छा भाई, मैं घर चलता हूं, कुछ काम हो तो बताना, सुबह मैं भी स्टेशन तुमसे मिलने आऊंगा।
राजेश _ठीक है भगत।
भगत चला गया।

शेखर _अच्छा बेटा राजेश रात बहुत हो चुकी है तुम भी थक चूके होगे अपने कमरे में जाकर आराम करो।

राजेश अपने कमरे में चला गया वह अपने कमरे में जाकर देखा की, कमरे का सारा सामान व्यवस्थित है।
सुनीता राजेश के न होने पर भी रोज कमरे की साफ सफाई करती थी।
राजेश अपना शर्ट पैंट उतार कर लोवर और टी शर्ट पहन लिया।
उसके बाद वह बेड में आराम करने लगा, दिन भर हुवे घटना क्रम को याद करने लगा।
कुछ देर बाद सुनीता, जग में पानी लेकर कमरे मे आई। ताकि राजेश को रात में पानी की जरूरत पड़े तो उसे कीचन में जाना न पड़े।
वह जग को टेबल पर रख कर जाने लगी।
तभी राजेश ने कहा,,
राजेश _मां आपको चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है मैं सुबह होते ही गांव के लिए निकल जाऊंगा।
सुनीता दरवाजे के पास रुक गई।
वह राजेश से बोली,,

सुनीता _तुम चाहो तो, कुछ दिन यहां रुक सकते हो।
राजेश _मां क्या तुमने मुझे माफ़ कर दिया।

सुनीता _अगर तुम स्वीटी वाली गलती न करने की मुझसे वादा करो तो यहीं रह कर अपनी आई ए एस की तैयारी कर सकते हो?

राजेश _मां अब आपके कहने पर भी मैं अपने को गांव जाने से रोक नहीं पाऊंगा। मुझे गांव जाना ही होगा मां गांव को मेरी जरूरत है।
सुनीता राजेश की ओर घूम गई और बोली,,

सुनीता _मैं समझी नहीं तुम कहना क्या चाहते हो?

राजेश _मां मुझे सब पता चल गया है की गांव में तुम्हारे साथ क्या हुआ था और क्यू तुम गांव नही जाना चाहती।
सुनीता _आखिर वही huwa जिसका डर था।

राजेश _मां, मैं उस ठाकुर के बच्चे को सबक सीखा कर रहुंगा उसने मेरी मां का अपमान किया है।

सुनीता _नही बेटा, तु ऐसा कुछ भी नहीं करेगा। वो ठाकुर बहुत kamina है वह तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
जो huwa है उसको भुल जाओ बेटा, इसी में भलाई है बेटा।

राजेश _मां, तुम नही जानती वह ठाकुर अब भी गांव वालो पर जुल्म ढा रहा है अपने पावर का गलत उपयोग कर रहा है, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है मां इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा। मां तुम मेरी चिन्ता मत करना मुझे कुछ नहीं होगा।

मां तुम मुझे माफ कर दी न।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हू, मैं तुमसे कितनी दिन नाराज रह सकती हूं।
पर बेटा तुम मुझसे वादा करो की तुम स्वीटी के साथ के साथ जो गलती किए हो उसे दोहराओगे नही।
सुनीता ने राजेश का हाथ पकड़कर कहा।

राजेश _मां मैं आपसे वादा करता हूं। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे स्वीटी की भविष्य पर बुरा असर पड़े।
सुनीता _धन्यवाद बेटा।
बेटा अब तुम सो जाओ रात बहुत हो चुकी है।
सुनीता राजेश को चादर ओढ़ा कर अपने कमरे में चली गईं।
उधर कमरे में जाने के बाद सुनीता सोचने लगी कि राजेश को सब पता चल गया है ठाकुर के साथ उलझने से उसे ठाकुर कोइ हानि न पहुंचा दे।
उसे नींद नहीं आ रही थी।
उधर राजेश बहुत खुश था उसकी मां ने उसे माफ कर दिया है। पर सुजाता के साथ जो हुआ उसके लिए दुखी भी था।
आज राजेश की आंखो से भी नींद गायब थी, वह बेड से उठ कर छत पर चला गया और आकाश मे तारो को देखने लगा।
इधर सुनीता को भी नींद नहीं आ रही थी, राजेश को लेकर। वह ठाकुर से टकराने जा रहा है।
वह राजेश को ठाकुर से न उलझने के लिए फिर से समझाने के लिए वह अपने बेड से उठी, उसने शेखर की ओर देखा तो वह नींद में खर्राटे भर रहा था।
वह अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश कमरे में नही था।
सुनीता राजेश को इधर उधर ढूंढने लगी की आखिर राजेश गया कहा।
वह छत पर जाकर देखी तो राजेश उसे दिखाई पड़ा।

सुनीता _बेटा तु छत पर क्या कर रहा है, सोया नही है अब तक।
राजेश _मां मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं छत पर चला आया।
पर आप सोई नहीं।
सुनीता _बेटा, जब से तुमने बताया है कि तुम उस ठाकुर से उलझने जा रहे मुझे तुम्हारी चिन्ता होने लगी है?
राजेश ने सुनीता को गले लगा लिया और कहा मां तुम खमोखा चिन्ता करने लगी मुझे कुछ नहीं होगा। क्या आपको मुझपर भरोसा नही।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हूं, एक मां को बेटे की चिन्ता तो होगी ही। बेटा तुम गांव मत जाओ।
राजेश _मां, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है। उन्हे मुझसे बहुत उम्मीद है। मैं उन लोगो के लिए कुछ करूंगा। वहा सरकार से मिलने वाली योजनाओं का लाभ गांव वालो को मिल सके, ठाकुर ने जो अपनी पावर के द्वारा रोक रखा है। क्या तुम चाहती हो की तुम्हारे बेटे को कोइ बुजदिल कहे। डरपोक कहे।
सुनीता _नही बेटा।
राजेश _मां फिर मुझे आशीर्वाद दो की मैं उस ठाकुर को सबक सीखा सकू।
सुनीता ने राजेश की माथे को चूमते हुवे कहा।
मेरा आशीर्वाद तो हमेशा मेरे बेटे के साथ है।
सुनीता _बेटा चलो अब अपने कमरे में जाकर सो जाओ, आखिर कब तक जगते रहोगे।

राजेश _मां आज तुम मुझे अपने गोद में सुलाओ। शायद मुझे नींद आ जाए।
सुनीता _अच्छा चलो, तुम्हारे कमरे में।
राजेश और सुनीता दोनो नीचे चले गए।
दोनो कमरे में पहुंचे।
सुनीता बेड पर अपनी पैर फैला कर बैठ गई। राजेश ने उसकी गोद पर सिर रख कर सोने की कोशिश करने लगा।
सुनीता प्यार से उसके बालो को सहलाने लगी।
राजेश _मां तुम कितनी अच्छी हो।
मुझे तुम पर गर्व है।
सुनीता _क्यू?
राजेश _, ठाकुर ने तुम्हे कितना परेशान किया फिर भी तुम हार नही मानी।
सुनीता _बेटा मैने तो वही किया जो एक पतिव्रता और संस्कारी स्त्री को करना चाहिए।
राजेश _मां वैसे उस ठाकुर का भी दोष नही।
सुनीता _क्यू।
राजेश _जब आप आज भी इतनी खुबसूरत हो तो उस समय पता नही कितनी खुबसूरत लगती होगी। ठाकुर तो क्या पता नही कितने लोग तुम पर मरते होंगे।
राजेश _चुप कर बदमाश कहीं का। मुस्कुराते हुवे बोली।
अच्छा बेटा मैं तो तुम्हे एक बात बताना भूल गईं।
राजेश _कौन सी बात मां।
सुनीता _सुमन ने एक लड़के को जन्म दिया है।
राजेश _क्या?
सुनीता _हा, मैं बच्चे को देखने गई थी। बिलकुल तुम पर गया है।
वो बहुत खुश है। वह तुमसे मिलना चाहती थी। मैंने बताया कि तुम बाहर गए हो, आई ए एस की तैयारी करने।
वह तुम्हारी शुक्रिया अदा कर रही थी।
राजेश _ये तो बड़ी खुशी की बात है मां, अभी सुमन कहा है?
सुनीता _बेटा उसके पति का ट्रांसफर दिल्ली हो गया है तो वह शहर छोड़ कर चली गई। उसे तुमसे एक बार मिलने की बड़ी ईच्छा जाहिर कर रही थी।

राजेश _ओह।
पता है न मां कि तुमने मेरी शादी कराई थी सुमन से मंदिर में। और घर में सुहागरात भी कराई थी।
सुनीता _हा बेटा उस समय मेरा एक स्वार्थ भी था।
राजेश _कैसा स्वार्थ मां, बेटा तुम्हें चोंट लगी थी न तो मैं डर गई थी की तुम कहीं नामर्द तो नही बन गए। इसलिए मैं सुमन के बहाने देखना चाहती थी की तुम बिलकुल ठीक हो।
राजेश _ओह तो ये बात थी।
मां वैसे सुमन के साथ सुहागरात मनाने में बहुत मजा आया था, सुहाग रात के बाद तुमने बादाम वाली दूध भी पिलाई थी।
सुनीता _बेटा सुहागरात नही, सुहाग दिन था। सुनीता हसने लगी।
राजेश _मां एक बात बोलूं।
सुनीता _हां बोलो।
राजेश _रहने दो, आप बुरा मान जाएंगी।
सुनीता _नही मानूंगी, बाबा बोलो।
राजेश _सुमन सी ज्यादा मजा तो आपके साथ आता है।
सुनीता _चल हट बदमाश कहीं का। सुमन शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _वैसे गांव में तुम्हारी ताई तुम्हारे खाने पीने का ख्याल तो रखती है न।
राजेश _गांव में ताई, भईया भौजी सभी मेरे अच्छे ख्याल रखते है। भाभी टू रोज मुझे सोने से पहले दूध पीने को देती है। अब तो मुझे दूध पी कर सोने की आदत हो गई है।

सुनीता _अच्छा पहले क्यू नही बताया? इसलिए शायद तुम्हे नींद नही आ रही। मैं अभी तुम्हारे लिए बादाम वाली दूध लेकर जाती हूं।
राजेश _मां रहने दो,,
सुनीता रुकी नहीं और कीचन में चली गईं, बादाम वाली दूध लाने।
वह दूध को उबालने लगी।
तभी राजेश कीचन में आ गया और अपनी मां को पीछे से बाहों में भर लिया।
सुनीता _अरे क्या कर रहा है? छोड़ो मुझे। तु बदमाशी करना नही छोड़ेगा।
राजेश _मां आप हो ही इतनी सुंदर बदमाशी करने का मन करता है।
राजेश ने अपना खड़ा लंद सुनीता की गाड़ में सटा दिया और उसकी चूची ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनीता सिसकने लगी।
सुनीता _बेटा छोड़ ना, सच में तु बड़ा बिगड़ गया है।
राजेश ने सुनीता की चूची मसलना जारी रखा अपने लंद का दबाव उसकी गाड़ में डालने लगा।
सुनीता के शरीर में रक्त संचार बढ़ने लगा।
वह सिसकने लगी।
राजेश ने उसकी ब्लाउज का बटन एक एक करके खोल दिया और सुनीता को अपनी ओर घुमा कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीने लगा।
राजेश _मां बादाम वाली दूध तो मेहनत करने के बाद पीते हैं न, पहले मेहनत तो करने दो।
राजेश के द्वारा चूची चूसने से सुनीता उत्तेजित होने लगी।
उसकी बुर में पानी भरने लगा।
राजेश सुनीता की चूची को मसल मसल कर चूसने लगा सुनीता सिसकने लगी।
राजेश की हरकतों से सुनीता भी बहुत गर्म हो गई।
राजेश ने सुनीता का मुंह अपने मुंह में भर कर जी भर कर चूसा, सुनीता हापने लगी।
सुनीता _बेटा यहां नही तुम्हारे पापा उठ गए तो गड़बड़ हो जाएगी।
राजेश ने सुनीता को अपनी बाहों में उठा लिया और अपने कमरे में ले कर बेड पे लिटा दिया।
दरवाजा बंद कर दिया।
राजेश सुनीता ऊपर आ गया। और उसकी चूची को फिर मसल मसल कर पीने लगा।
फिर धीरे धीरे उसकी नाभि की ओर बड़ा उसकी नाभी को चाटने लगा। सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
उसकी बुर से पानी बहने लगा।
राजेश ने सुनीता की पेटीकोट और साड़ी ऊपर उठाकर उसकी पेंटी निकाल दिया।
उसकी मस्त फूली हुईं चिकनी चूत देखकर राजेश का लंद झटके मारने लगा।
राजेश ने सुनीता की चूत में अपना मुंह डाल दिया और बुर को चाटना शुरू कर दिया।
सुनीता छटपटाने लगी। वह काफी अधिक उत्तेजना महसूस करने लगी।
उसके मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी, आह मां आह उन,, आह आई,, उन,,,,, मां,,,,
आह,,,
राजेश बेड से उतरा और अपना सारा कपड़ा उतार कर नंगा हो गया।
उसका लंद काफी मोटा और लंबा हो कर हवा में झटके मारने लगा।
राजेश _मां आओ ना मेरा लंद चूसो।
सुनीता बेड से नीचे उतर कर फर्श पर बैठ गई ओर राजेश की लंद को हाथ में पकड़ कर मूठ मारने लगी।
फिर लंद को मुंह में भर कर चूसने लगी।
इधर राजेश ने सुनीता की ब्लाउज को निकाल कर फर्श पर फेक दिया।
राजेश ने सुनीता की बालो को पकड़ कर उसके मुंह में लंद अंदर बाहर करने लगा।
कुछ देर तक लंद चूसने से लंद एकदम सख्त जो गया।
उसने सुनीता को ऊपर उठाया और उसकी ओंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
कुछ देर ओंठो को चूसने के बाद।
सुनीता ने खुद ही अपनी साड़ी निकाल दिया वह सिर्फ पेटीकोट में रह गई।
राजेश ने पेटीकोट का नाडा खीच दिया।
पेटीकोट सुनीता के पैरो में गिर गया।
राजेश ने एक हाथ से सुनीता की चूची मसलते, दूसरी हाथ से उसकी बुर सहलाते हुवे उसकी ओंठ चूसने लगा।
सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
सुनीता _बेटा अब बस करो मुझसे सहन नहीं हो रहा।
सुनीता बेड के किनारे लेट गई और अपनी टांगे फैला दी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर उसकी बुर के छेद में रख कर एक जोर का धक्का मारा।

लंद बुर को चीरकर एक ही बार में पूरा अंदर चला गया। क्यू की बुर एकदम गीली थी।
सुनीता सिसक उठी।
अब राजेश ने सुनीता की चूची को पकड़ लिया और उसे मसल मसल कर लंद को बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में गच गच की आवाज़, सुनीता की मादक सिसकारी उसकी चूड़ियों की खनक गूंजने लगा।
लंद सुनीता की बुर में सर सर अंदर बाहर होने लगा।
सुनीता तो जन्नत में पहुंच गई।
उसे संभोग की परम सुख प्राप्त होने लगा।
वह राजेश की कमर को पकड़ लिया।
इधर राजेश को भी बहुत मजा आ रहा था।
वह दनादन सुनीता की बुर में अपना लंद डाले जा रहा था।
इस आसन में राजेश ने तबतक चोदा जब तक वह झड़ नही गई। सुनीता चीखते हुए झड़ने लगी।
राजेश भी उससे लिपट कर सुस्ताने लगा अपना खोया ताकत प्राप्त करने लगा।
कुछ डर बाद राजेश फिर हरकत में आया और उसकी ओंठ मुंह में भर कर चूसने लगा। उसकी चुचियों को मसल मसल कर पीने लगा।
और जब राजेश फिर से उसकी योनि चाटने लगा तो सुनीता के शरीर में फिर रक्त संचार बढ़ गया। वह फिर से उत्तेजित हो गई।
सुनीता खड़ी हो गई और बेड को पकड़ कर झुक गई। राजेश उसके कूल्हे को सहलाया।
सुनीता चिहुंक उठी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर एक बार उसकी योनि में रखा और एक जोर का धक्का मारा। लंद बुर में गप से अंदर चला गया।
राजेश ने सुनीता की कमर को पकड़ कर लंद को बुर में गप गप अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में फिर से एक बार सुनीता की मादक सिसकारी आह उह, उई मां आह, आई,,, मां गूंजने लगी।
राजेश को भी बहुत मजा आने लगा।
राजेश _आह मां बहुत मजा आ रहा है। सच में बहुत मस्त मॉल है तु, तुम्हे चोदने का मजा ही कुछ और है।
राजेश और तेज़ तेज़ चोदने लगा।
सुनीता फिर से अपनी चरम अवस्था में पहुंचने वाली थी।
तभी राजेश ने अपना लंद बाहर निकाल दिया।
राजेश बेड पर लेट गया।
सुनीता को ऊपर आने का इशारा किया।
सुनीता बेड पर चढ़ गई ।
राजेश के लंद को पकड़ कर अपनी बुर के छेद में रखी और नीचे बैठ गई।
लंद फैच की आवाज़ के साथ अंदर चला गया।
सुनीता अब राजेश के लंद पर उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे अपनी लंद पर पटक पटक कर चोदने लगा।
लंद पूरे गहराई तक अंदर जा रहा था।
सुनीता जोर जोर से सिसक रही थी। चीख रही थी।
आह मां आह,, उई आह,
लंद का टोपा उसकी गर्भाशय से टकरा रहा था।
जिससे उसको दोगुना मजा आ रहा था।
वह राजेश के लंद पर उछल उछल कर chud रही थी।
दोनो संभोग के आपार सुख को प्राप्त कर रहे थे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

अब राजेश ने सुनीता को घूम कर बैठने कहा ।
सुनीता लंद उठी।
बुर से लंद fach की आवाज़ के साथ बाहर आया लंद सुनीता की बुर का पानी पीकर और ज्यादा मोटा और लंबा हो गया था।
सुनीता राजेश की ओर पीठ कर लंद को बुर में डाल कर बैठ गई।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे पटक पटक कर चोदने लगा।
दोनो काम के परम सुख का मजा लेने लगे।
उसके बाद राजेश ने सुनीता को बेड में ही घोड़ी बना दिया।
औरबुर में लंद गपा गप अंदर बाहर करने लगा।
सुनीता को राजेश तब तक चोदता रहा जब तक वह फिर से नही झड़ी।
सुनीता के झड़ने के बाद भी राजेश ने लंद बाहर नही निकाला, कुछ देर रुका फिर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
सुनीता _बेटा अंदर मत झड़ना, मेरा अभी गर्भधारण काल चल रहा है मैं फिर से पेट से हो जाऊंगी।
राजेश _तो क्या huwa मां ये तो बड़ी अच्छी बात।
सुनीता _नही बेटा एक बार मुसीबात में फस चुकी थी और नही फसना है मुझे, प्लीज अंदर मत छोड़ना।
राजेश _तब तो तुम्हारी गाड़ चोदना पड़ेगा।
तुम्हारी गाड़ तो फिर से टाइट हो गई है।
काफी दिन हो गए हैं न शायद इसलिए।
सुनीता _हा बेटा।
राजेश ने एक उंगली सुनीता की गाड़ में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
फिर दो उंगली डाल दिया।
सुनीता का पूरा बदन kapkapanne लगा।
राजेश ने बेड से नीचे उतर कर अलमारी से चिकनाई वाला क्रीम निकाल कर अपने लंद पर अच्छे से लगाया फिर क्रीम को सुनीता की बुर में डाल दिया।
अब सुनीता के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया ।

अबउसकी गाड़ में अपना लंद का टोपा सेट किया और दबाव डाला।
काफी प्रयास के बाद लंद का टोपा अंदर घुस गया।
सुनीता चीखना चाही पर चीख न पाई।
अब राजेश हल्का हल्का लंद को अंदर बाहर करने लगा।
लंद धीरे धीरे गाड़ में अपनी जगह बनाने लगा। गाड़ फैलने लगा।
और एक समय ऐसा आया जब राजेश का लंद पूरा गाड़ में समा गया।
अब राजेश ने कभी बुर में तो कभी गाड़ में अपना लंद डालकर gach gach चोदने लगा।
राजेश को टाइट गाड़ चोदने से बड़ा मजा आ रहा था जब उसका लगता की वह झड़ने वाला है तो लंद को बुर में डाल देता और बुर चोदने लगता। कुछ देर बाद फिर से गाड़ में लंद डाल कर चोदता। और अन्त में सुनीता की गाड़ में अपना पानी छोड़ दिया।
करीब दो घंटे तक दोनो के बीच chudai चला दोनो काफी थक चुके थे एक दूसरे के बांहों में लेटकर सो गए। दो गहरी नींद में सो गए।
सुनीता की नींद खुली तो सुबह के पांच बज रहे थे। वह बेड से उठी और अपने कपड़े उठा कर नंगी ही अपने कमरे में जाकर बाथरुम में घुस गई और नहाने लगी।
उसने अपनी बुर और गाड़ की हालात देखी। दोनो को राजेश ने सूजा दिया था। वह अपनी बुर की हालात देख मुस्कुरा रही थी।
इधर राजेश जब उठा तो सुबह 6बज चुका था वह अपनी मां को ढूंढा पर कमरे में नही थी।
उसे लगा मां चली गई।
वह भी बाथरुम में जाकर नहाने लगा।
और तैयार होकर अपनी मां से मिलने गया जो कीचन में काम कर रही थी।
उसे बाहों में भर लिया। उसकी गालों को चूमने हुवे कहा, गुडमॉर्निंग मां।
सुनीता _good मॉर्निंग बेटा।



_अरे तु तो नहा कर तैयार भी हो गया।
राजेश _हा मां, मुझे गांव के लिए निकलना है न इसलिए।
वैसे रात कैसे रही।
सुनीता शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _पूरा सूजा दिया है तूने और पूछता है रात कैसी रही? अब छोड़ कोइ आ जायेगा।
राजेश ने सुनीता को छोड़ दिया।
राजेश _मां नाश्ता जल्दी से बना दो मेरा ट्रैन छूट जायेगा।
सुनीता _बस तैयार होने वाला है। तुम्हारे पापा को उठा दो वह तुम्हे स्टेशन छोड़ आएगा।
राजेश _ठीक है मां।
Bahut mast
 

Himanshu kumar

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राजेश अपना सिर पकड़ कर बैठ था।
रीता उसकी बालो को सहलाते हुए बोली।
रीता _राजेश तुम चिन्ता मत करो, मैं हूं न सुजाता जाती हैं तो जाने दो मैं तुम्हे कभी उसकी कमी महसूस नहीं होने दूंगी।
अब चलो नीचे चलते है। लोग हमे ढूंढ रहे होंगे।
राजेश और रीता पार्टी हाल में आ गए।
सभी लोग डिनर करने में व्यस्त थे।
भगत _भाई कहा चले गए थे, चलो कुछ खा लेते है।
राजेश _भगत मुझे भूख नहीं है, तुम खा लो।
भगत _भाई क्या huwa तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा huwa है। कुछ बात हुई है क्या?
राजेश _नही, भगत कुछ भी तो नही।
चलो भगत अब यहां सी चलते हैं।
भगत _भाई लगता हैं कुछ बात हुई है जो आप मुझसे छिपा रहे हो। अच्छा ठीक है चलो घर चलते हैं।
राजेश ने स्वीटी के पास जाकर कहा, स्वीटी चलो अब चलते है।
रोहन _भाई इतनी जल्दी, थोड़ी देर और रुक जाते।
राजेश _नही रोहन, मां वेट कर रही होगी।
राजेश स्वीटी और भगत तीनो घर के लिए निकल गए।
राजेश ने भगत से कार अपने घर की ओर ले जाने कहा ताकि स्वीटी को घर छोड़ सके।
कुछ देर में ही वे घर पहुंच गए।
स्वीटी गाड़ी से उतरी,,
Switi _भईया आप घर नही आ रहे,,
राजेश _नही स्वीटी, जब तक मां मुझे घर आने नही कहेगी मैं नही आऊंगा, तुम जाओ। और ये मेरा कप ले जाओ मां को दे देना।
Switi _स्वीटी घर का दरवाजा खटखटाई, सुनीता दरवाजा खोली।
राजेश ने दूर से अपनी मां को देखा। वह भावुक हो गया।
स्वीटी _मां भईया घर नही आ रहे, कह रहा कि जब मां घर आने को कहेगी, तब ही आऊंगा।
मां भईया को बुलाओ न।
सुनीता ने राजेश को दूर से देखा।
कुछ देर तक वह राजेश को देखती रही।
स्वीटी _मां तुम भईया को बुला लो ना।
सुनीता ने राजेश को देखा और उसने अपना सिर हिला कर अंदर आने का इशारा किया।
भगत _राजेश, मां बुला रही है।
राजेश ने को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसे बुला रही है।
भावनाओ से उसकी आंखो में आंसू बहने लगे।
वह अपने घर की और थरथराते कदमों के साथ बढ़ने लगा।
वह जब अपनी मां के सामने पहुंचा। अपनी दोनो हाथ जोड़ लिया।
सुनीता _कैसा है re?
राजेश _, मैं ठीक हूं मां
आप ठीक तो है न,
राजेश _हूं,,
सुनीता _आओ अंदर।
भगत _नमस्ते मां जी।
सुनीता _नमस्ते बेटा।
राजेश ओर भगत दोनो अंदर गए।
उधर स्वीटी अपने पापा के कमरे में गया।
स्वीटी _पापा उठो,
शेखर _अरे स्वीटी, तुम पार्टी से आ गई,
स्वीटी _हा पापा, भईया भी आए है, चलो।
शेखर _क्या राजेश आया है,,?
शेखर का खुशी का ठिकाना न रहा,,
बेटा राजेश,,,,
पुकारते हुवे वह अपने बेड से उठकर हाल में आया, राजेश को अपने गले से लगा लिया।

शेखर _बेटा तु ठीक तो है न,।
राजेश _पापा मैं बिल्कुल ठीक हूं, आप ठीक तो है न।
शेखर _बेटा तुम्हारे जाने से घर बिलकुल सुना सुना सा लगता है, पर क्या करे? कुछ प्राप्त करने के लिए त्याग तो करना पड़ता है।
स्वीटी _मां ये लो स्टूडेंट्स ऑफ द ईयर का यह कप भाई को मिला है!
शेखर _बधाई हो बेटा, आखिर तुमने अपना यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया।
राजेश _थैंक्स पापा।
भगत _नमस्ते अंकल।
शेखर _अरे भगत बेटा तु कैसा है?
भगत _मैं भी ठीक हूं अंकल।
स्वीटी _पापा भगत भईया को बेस्ट छात्र संघ नेता का अवार्ड मिला है।
शेखर _ओह ये तो खुशी की बात है?
भगत बेटा मुझे लगता है तुम राजिनित के क्षेत्र में बहुत ऊपर तक जाओगे, मेरे ओर से शुभकामनाएं है।
भगत _धन्यवाद अंकल।
शेखर _बेटा तुम लोग पार्टी वगेरा में कुछ खाकर आए हो कि नही।
भगत _भाई तो जब से शहर आया है कुछ खाया ही नहीं मैने पार्टी में खाने के लिए कहा तो मना कर दिया।
शेखर _क्या, राजेश बेटा मैं ये क्या सुन रहा हु। पता नही तुम सुबह से कुछ खाए हो कि नही।
सुनीता तुम बच्चो के लिए खाना बना दो।

सुनीता _जी, मैं शीघ्र बनाती हूं।
सुनीता कीचन में चली गईं, वह यह जानकर दुखी हुई की राजेश सुबह से कुछ नहीं खाया है उसकी आंखो से आंसू बहने लगी।
सुनीता कीचन में खाना बनाने लगी, स्वीटी भी उसकी मदद करने लगी।
इधर शेखर राजेश से गांव का हाल चाल पूछने लगा।


करीब एक घंटे में खाना तैयार हो गया। डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दी।
शेखर _लो खाना भी तैयार हो गया, चलो बेटा तुम दोनो हाथ पाव धो लो, खाना लग गया है।
राजेश और भगत दोनो वास बेसिंग में हाथ धोकर। खाना खाने डाइनिंग टेबल में बैठ गए।
भगत _वाह बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है, खाने की।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा जो कीचन के चौखट पर खड़ी राजेश की ओर देख रही थी। ममता भरी भाव से।
राजेश और भगत दोनो भोजन करने लगे।
आज काफी दिनो बाद अपनी मां की हाथो का बना भोजन कर रहा था।
राजेश को भोजन करता देख सुनीता, खुशी का अनुभव कर रही थी।
राजेश और भगत दोनो ने पूरा खाना खतम कर दिया।
शेखर _अरे बेटा खाना तुम लोगो को कम तो नहीं पड़ गया।
भगत _अरे नही अंकल, मेरा पेट तो एकदम भर गया, वो क्या था न खाना एकदम टेस्टी बना था तो कुछ ज्यादा खा लिया।
शेखर _राजेश बेटा अब आए हो तो कुछ दिन रुक कर ही जाना।
राजेश _नही पापा मुझे कल सुबह ही निकलना है।
मैने कल सुबह की टिकट बूक करा रखी है।
शेखर _अरे बेटा टिकट कैंसिल करा दो।
राजेश _नही पापा, परसो गांव में ग्राम सभा रखा गया है। चाची ने कहा है कि तुम्हारा ग्राम सभा में होना बहुत जरुरी है इसलिए तुम कल ही लौट आना।

भोजन कर लेने के बाद, कुछ देर और रुका, फिर,
राजेश _अच्छा पापा अब मैं चलता हूं। आप लोग अपना ख्याल रखना। राजेश पैर छूकर कहा।
शेखर _बेटा आज रात यहीं रुको कल सुबह चले जाना।
मैं सुबह ही तुम्हे स्टेशन छोड़ दूंगा।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा,,,
सुनीता ने हा में सिर हिलाया,,,
राजेश _ठीक है पापा।
भगत _अच्छा भाई, मैं घर चलता हूं, कुछ काम हो तो बताना, सुबह मैं भी स्टेशन तुमसे मिलने आऊंगा।
राजेश _ठीक है भगत।
भगत चला गया।

शेखर _अच्छा बेटा राजेश रात बहुत हो चुकी है तुम भी थक चूके होगे अपने कमरे में जाकर आराम करो।

राजेश अपने कमरे में चला गया वह अपने कमरे में जाकर देखा की, कमरे का सारा सामान व्यवस्थित है।
सुनीता राजेश के न होने पर भी रोज कमरे की साफ सफाई करती थी।
राजेश अपना शर्ट पैंट उतार कर लोवर और टी शर्ट पहन लिया।
उसके बाद वह बेड में आराम करने लगा, दिन भर हुवे घटना क्रम को याद करने लगा।
कुछ देर बाद सुनीता, जग में पानी लेकर कमरे मे आई। ताकि राजेश को रात में पानी की जरूरत पड़े तो उसे कीचन में जाना न पड़े।
वह जग को टेबल पर रख कर जाने लगी।
तभी राजेश ने कहा,,
राजेश _मां आपको चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है मैं सुबह होते ही गांव के लिए निकल जाऊंगा।
सुनीता दरवाजे के पास रुक गई।
वह राजेश से बोली,,

सुनीता _तुम चाहो तो, कुछ दिन यहां रुक सकते हो।
राजेश _मां क्या तुमने मुझे माफ़ कर दिया।

सुनीता _अगर तुम स्वीटी वाली गलती न करने की मुझसे वादा करो तो यहीं रह कर अपनी आई ए एस की तैयारी कर सकते हो?

राजेश _मां अब आपके कहने पर भी मैं अपने को गांव जाने से रोक नहीं पाऊंगा। मुझे गांव जाना ही होगा मां गांव को मेरी जरूरत है।
सुनीता राजेश की ओर घूम गई और बोली,,

सुनीता _मैं समझी नहीं तुम कहना क्या चाहते हो?

राजेश _मां मुझे सब पता चल गया है की गांव में तुम्हारे साथ क्या हुआ था और क्यू तुम गांव नही जाना चाहती।
सुनीता _आखिर वही huwa जिसका डर था।

राजेश _मां, मैं उस ठाकुर के बच्चे को सबक सीखा कर रहुंगा उसने मेरी मां का अपमान किया है।

सुनीता _नही बेटा, तु ऐसा कुछ भी नहीं करेगा। वो ठाकुर बहुत kamina है वह तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
जो huwa है उसको भुल जाओ बेटा, इसी में भलाई है बेटा।

राजेश _मां, तुम नही जानती वह ठाकुर अब भी गांव वालो पर जुल्म ढा रहा है अपने पावर का गलत उपयोग कर रहा है, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है मां इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा। मां तुम मेरी चिन्ता मत करना मुझे कुछ नहीं होगा।

मां तुम मुझे माफ कर दी न।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हू, मैं तुमसे कितनी दिन नाराज रह सकती हूं।
पर बेटा तुम मुझसे वादा करो की तुम स्वीटी के साथ के साथ जो गलती किए हो उसे दोहराओगे नही।
सुनीता ने राजेश का हाथ पकड़कर कहा।

राजेश _मां मैं आपसे वादा करता हूं। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे स्वीटी की भविष्य पर बुरा असर पड़े।
सुनीता _धन्यवाद बेटा।
बेटा अब तुम सो जाओ रात बहुत हो चुकी है।
सुनीता राजेश को चादर ओढ़ा कर अपने कमरे में चली गईं।
उधर कमरे में जाने के बाद सुनीता सोचने लगी कि राजेश को सब पता चल गया है ठाकुर के साथ उलझने से उसे ठाकुर कोइ हानि न पहुंचा दे।
उसे नींद नहीं आ रही थी।
उधर राजेश बहुत खुश था उसकी मां ने उसे माफ कर दिया है। पर सुजाता के साथ जो हुआ उसके लिए दुखी भी था।
आज राजेश की आंखो से भी नींद गायब थी, वह बेड से उठ कर छत पर चला गया और आकाश मे तारो को देखने लगा।
इधर सुनीता को भी नींद नहीं आ रही थी, राजेश को लेकर। वह ठाकुर से टकराने जा रहा है।
वह राजेश को ठाकुर से न उलझने के लिए फिर से समझाने के लिए वह अपने बेड से उठी, उसने शेखर की ओर देखा तो वह नींद में खर्राटे भर रहा था।
वह अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश कमरे में नही था।
सुनीता राजेश को इधर उधर ढूंढने लगी की आखिर राजेश गया कहा।
वह छत पर जाकर देखी तो राजेश उसे दिखाई पड़ा।

सुनीता _बेटा तु छत पर क्या कर रहा है, सोया नही है अब तक।
राजेश _मां मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं छत पर चला आया।
पर आप सोई नहीं।
सुनीता _बेटा, जब से तुमने बताया है कि तुम उस ठाकुर से उलझने जा रहे मुझे तुम्हारी चिन्ता होने लगी है?
राजेश ने सुनीता को गले लगा लिया और कहा मां तुम खमोखा चिन्ता करने लगी मुझे कुछ नहीं होगा। क्या आपको मुझपर भरोसा नही।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हूं, एक मां को बेटे की चिन्ता तो होगी ही। बेटा तुम गांव मत जाओ।
राजेश _मां, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है। उन्हे मुझसे बहुत उम्मीद है। मैं उन लोगो के लिए कुछ करूंगा। वहा सरकार से मिलने वाली योजनाओं का लाभ गांव वालो को मिल सके, ठाकुर ने जो अपनी पावर के द्वारा रोक रखा है। क्या तुम चाहती हो की तुम्हारे बेटे को कोइ बुजदिल कहे। डरपोक कहे।
सुनीता _नही बेटा।
राजेश _मां फिर मुझे आशीर्वाद दो की मैं उस ठाकुर को सबक सीखा सकू।
सुनीता ने राजेश की माथे को चूमते हुवे कहा।
मेरा आशीर्वाद तो हमेशा मेरे बेटे के साथ है।
सुनीता _बेटा चलो अब अपने कमरे में जाकर सो जाओ, आखिर कब तक जगते रहोगे।

राजेश _मां आज तुम मुझे अपने गोद में सुलाओ। शायद मुझे नींद आ जाए।
सुनीता _अच्छा चलो, तुम्हारे कमरे में।
राजेश और सुनीता दोनो नीचे चले गए।
दोनो कमरे में पहुंचे।
सुनीता बेड पर अपनी पैर फैला कर बैठ गई। राजेश ने उसकी गोद पर सिर रख कर सोने की कोशिश करने लगा।
सुनीता प्यार से उसके बालो को सहलाने लगी।
राजेश _मां तुम कितनी अच्छी हो।
मुझे तुम पर गर्व है।
सुनीता _क्यू?
राजेश _, ठाकुर ने तुम्हे कितना परेशान किया फिर भी तुम हार नही मानी।
सुनीता _बेटा मैने तो वही किया जो एक पतिव्रता और संस्कारी स्त्री को करना चाहिए।
राजेश _मां वैसे उस ठाकुर का भी दोष नही।
सुनीता _क्यू।
राजेश _जब आप आज भी इतनी खुबसूरत हो तो उस समय पता नही कितनी खुबसूरत लगती होगी। ठाकुर तो क्या पता नही कितने लोग तुम पर मरते होंगे।
राजेश _चुप कर बदमाश कहीं का। मुस्कुराते हुवे बोली।
अच्छा बेटा मैं तो तुम्हे एक बात बताना भूल गईं।
राजेश _कौन सी बात मां।
सुनीता _सुमन ने एक लड़के को जन्म दिया है।
राजेश _क्या?
सुनीता _हा, मैं बच्चे को देखने गई थी। बिलकुल तुम पर गया है।
वो बहुत खुश है। वह तुमसे मिलना चाहती थी। मैंने बताया कि तुम बाहर गए हो, आई ए एस की तैयारी करने।
वह तुम्हारी शुक्रिया अदा कर रही थी।
राजेश _ये तो बड़ी खुशी की बात है मां, अभी सुमन कहा है?
सुनीता _बेटा उसके पति का ट्रांसफर दिल्ली हो गया है तो वह शहर छोड़ कर चली गई। उसे तुमसे एक बार मिलने की बड़ी ईच्छा जाहिर कर रही थी।

राजेश _ओह।
पता है न मां कि तुमने मेरी शादी कराई थी सुमन से मंदिर में। और घर में सुहागरात भी कराई थी।
सुनीता _हा बेटा उस समय मेरा एक स्वार्थ भी था।
राजेश _कैसा स्वार्थ मां, बेटा तुम्हें चोंट लगी थी न तो मैं डर गई थी की तुम कहीं नामर्द तो नही बन गए। इसलिए मैं सुमन के बहाने देखना चाहती थी की तुम बिलकुल ठीक हो।
राजेश _ओह तो ये बात थी।
मां वैसे सुमन के साथ सुहागरात मनाने में बहुत मजा आया था, सुहाग रात के बाद तुमने बादाम वाली दूध भी पिलाई थी।
सुनीता _बेटा सुहागरात नही, सुहाग दिन था। सुनीता हसने लगी।
राजेश _मां एक बात बोलूं।
सुनीता _हां बोलो।
राजेश _रहने दो, आप बुरा मान जाएंगी।
सुनीता _नही मानूंगी, बाबा बोलो।
राजेश _सुमन सी ज्यादा मजा तो आपके साथ आता है।
सुनीता _चल हट बदमाश कहीं का। सुमन शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _वैसे गांव में तुम्हारी ताई तुम्हारे खाने पीने का ख्याल तो रखती है न।
राजेश _गांव में ताई, भईया भौजी सभी मेरे अच्छे ख्याल रखते है। भाभी टू रोज मुझे सोने से पहले दूध पीने को देती है। अब तो मुझे दूध पी कर सोने की आदत हो गई है।

सुनीता _अच्छा पहले क्यू नही बताया? इसलिए शायद तुम्हे नींद नही आ रही। मैं अभी तुम्हारे लिए बादाम वाली दूध लेकर जाती हूं।
राजेश _मां रहने दो,,
सुनीता रुकी नहीं और कीचन में चली गईं, बादाम वाली दूध लाने।
वह दूध को उबालने लगी।
तभी राजेश कीचन में आ गया और अपनी मां को पीछे से बाहों में भर लिया।
सुनीता _अरे क्या कर रहा है? छोड़ो मुझे। तु बदमाशी करना नही छोड़ेगा।
राजेश _मां आप हो ही इतनी सुंदर बदमाशी करने का मन करता है।
राजेश ने अपना खड़ा लंद सुनीता की गाड़ में सटा दिया और उसकी चूची ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनीता सिसकने लगी।
सुनीता _बेटा छोड़ ना, सच में तु बड़ा बिगड़ गया है।
राजेश ने सुनीता की चूची मसलना जारी रखा अपने लंद का दबाव उसकी गाड़ में डालने लगा।
सुनीता के शरीर में रक्त संचार बढ़ने लगा।
वह सिसकने लगी।
राजेश ने उसकी ब्लाउज का बटन एक एक करके खोल दिया और सुनीता को अपनी ओर घुमा कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीने लगा।
राजेश _मां बादाम वाली दूध तो मेहनत करने के बाद पीते हैं न, पहले मेहनत तो करने दो।
राजेश के द्वारा चूची चूसने से सुनीता उत्तेजित होने लगी।
उसकी बुर में पानी भरने लगा।
राजेश सुनीता की चूची को मसल मसल कर चूसने लगा सुनीता सिसकने लगी।
राजेश की हरकतों से सुनीता भी बहुत गर्म हो गई।
राजेश ने सुनीता का मुंह अपने मुंह में भर कर जी भर कर चूसा, सुनीता हापने लगी।
सुनीता _बेटा यहां नही तुम्हारे पापा उठ गए तो गड़बड़ हो जाएगी।
राजेश ने सुनीता को अपनी बाहों में उठा लिया और अपने कमरे में ले कर बेड पे लिटा दिया।
दरवाजा बंद कर दिया।
राजेश सुनीता ऊपर आ गया। और उसकी चूची को फिर मसल मसल कर पीने लगा।
फिर धीरे धीरे उसकी नाभि की ओर बड़ा उसकी नाभी को चाटने लगा। सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
उसकी बुर से पानी बहने लगा।
राजेश ने सुनीता की पेटीकोट और साड़ी ऊपर उठाकर उसकी पेंटी निकाल दिया।
उसकी मस्त फूली हुईं चिकनी चूत देखकर राजेश का लंद झटके मारने लगा।
राजेश ने सुनीता की चूत में अपना मुंह डाल दिया और बुर को चाटना शुरू कर दिया।
सुनीता छटपटाने लगी। वह काफी अधिक उत्तेजना महसूस करने लगी।
उसके मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी, आह मां आह उन,, आह आई,, उन,,,,, मां,,,,
आह,,,
राजेश बेड से उतरा और अपना सारा कपड़ा उतार कर नंगा हो गया।
उसका लंद काफी मोटा और लंबा हो कर हवा में झटके मारने लगा।
राजेश _मां आओ ना मेरा लंद चूसो।
सुनीता बेड से नीचे उतर कर फर्श पर बैठ गई ओर राजेश की लंद को हाथ में पकड़ कर मूठ मारने लगी।
फिर लंद को मुंह में भर कर चूसने लगी।
इधर राजेश ने सुनीता की ब्लाउज को निकाल कर फर्श पर फेक दिया।
राजेश ने सुनीता की बालो को पकड़ कर उसके मुंह में लंद अंदर बाहर करने लगा।
कुछ देर तक लंद चूसने से लंद एकदम सख्त जो गया।
उसने सुनीता को ऊपर उठाया और उसकी ओंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
कुछ देर ओंठो को चूसने के बाद।
सुनीता ने खुद ही अपनी साड़ी निकाल दिया वह सिर्फ पेटीकोट में रह गई।
राजेश ने पेटीकोट का नाडा खीच दिया।
पेटीकोट सुनीता के पैरो में गिर गया।
राजेश ने एक हाथ से सुनीता की चूची मसलते, दूसरी हाथ से उसकी बुर सहलाते हुवे उसकी ओंठ चूसने लगा।
सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
सुनीता _बेटा अब बस करो मुझसे सहन नहीं हो रहा।
सुनीता बेड के किनारे लेट गई और अपनी टांगे फैला दी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर उसकी बुर के छेद में रख कर एक जोर का धक्का मारा।

लंद बुर को चीरकर एक ही बार में पूरा अंदर चला गया। क्यू की बुर एकदम गीली थी।
सुनीता सिसक उठी।
अब राजेश ने सुनीता की चूची को पकड़ लिया और उसे मसल मसल कर लंद को बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में गच गच की आवाज़, सुनीता की मादक सिसकारी उसकी चूड़ियों की खनक गूंजने लगा।
लंद सुनीता की बुर में सर सर अंदर बाहर होने लगा।
सुनीता तो जन्नत में पहुंच गई।
उसे संभोग की परम सुख प्राप्त होने लगा।
वह राजेश की कमर को पकड़ लिया।
इधर राजेश को भी बहुत मजा आ रहा था।
वह दनादन सुनीता की बुर में अपना लंद डाले जा रहा था।
इस आसन में राजेश ने तबतक चोदा जब तक वह झड़ नही गई। सुनीता चीखते हुए झड़ने लगी।
राजेश भी उससे लिपट कर सुस्ताने लगा अपना खोया ताकत प्राप्त करने लगा।
कुछ डर बाद राजेश फिर हरकत में आया और उसकी ओंठ मुंह में भर कर चूसने लगा। उसकी चुचियों को मसल मसल कर पीने लगा।
और जब राजेश फिर से उसकी योनि चाटने लगा तो सुनीता के शरीर में फिर रक्त संचार बढ़ गया। वह फिर से उत्तेजित हो गई।
सुनीता खड़ी हो गई और बेड को पकड़ कर झुक गई। राजेश उसके कूल्हे को सहलाया।
सुनीता चिहुंक उठी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर एक बार उसकी योनि में रखा और एक जोर का धक्का मारा। लंद बुर में गप से अंदर चला गया।
राजेश ने सुनीता की कमर को पकड़ कर लंद को बुर में गप गप अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में फिर से एक बार सुनीता की मादक सिसकारी आह उह, उई मां आह, आई,,, मां गूंजने लगी।
राजेश को भी बहुत मजा आने लगा।
राजेश _आह मां बहुत मजा आ रहा है। सच में बहुत मस्त मॉल है तु, तुम्हे चोदने का मजा ही कुछ और है।
राजेश और तेज़ तेज़ चोदने लगा।
सुनीता फिर से अपनी चरम अवस्था में पहुंचने वाली थी।
तभी राजेश ने अपना लंद बाहर निकाल दिया।
राजेश बेड पर लेट गया।
सुनीता को ऊपर आने का इशारा किया।
सुनीता बेड पर चढ़ गई ।
राजेश के लंद को पकड़ कर अपनी बुर के छेद में रखी और नीचे बैठ गई।
लंद फैच की आवाज़ के साथ अंदर चला गया।
सुनीता अब राजेश के लंद पर उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे अपनी लंद पर पटक पटक कर चोदने लगा।
लंद पूरे गहराई तक अंदर जा रहा था।
सुनीता जोर जोर से सिसक रही थी। चीख रही थी।
आह मां आह,, उई आह,
लंद का टोपा उसकी गर्भाशय से टकरा रहा था।
जिससे उसको दोगुना मजा आ रहा था।
वह राजेश के लंद पर उछल उछल कर chud रही थी।
दोनो संभोग के आपार सुख को प्राप्त कर रहे थे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

अब राजेश ने सुनीता को घूम कर बैठने कहा ।
सुनीता लंद उठी।
बुर से लंद fach की आवाज़ के साथ बाहर आया लंद सुनीता की बुर का पानी पीकर और ज्यादा मोटा और लंबा हो गया था।
सुनीता राजेश की ओर पीठ कर लंद को बुर में डाल कर बैठ गई।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे पटक पटक कर चोदने लगा।
दोनो काम के परम सुख का मजा लेने लगे।
उसके बाद राजेश ने सुनीता को बेड में ही घोड़ी बना दिया।
औरबुर में लंद गपा गप अंदर बाहर करने लगा।
सुनीता को राजेश तब तक चोदता रहा जब तक वह फिर से नही झड़ी।
सुनीता के झड़ने के बाद भी राजेश ने लंद बाहर नही निकाला, कुछ देर रुका फिर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
सुनीता _बेटा अंदर मत झड़ना, मेरा अभी गर्भधारण काल चल रहा है मैं फिर से पेट से हो जाऊंगी।
राजेश _तो क्या huwa मां ये तो बड़ी अच्छी बात।
सुनीता _नही बेटा एक बार मुसीबात में फस चुकी थी और नही फसना है मुझे, प्लीज अंदर मत छोड़ना।
राजेश _तब तो तुम्हारी गाड़ चोदना पड़ेगा।
तुम्हारी गाड़ तो फिर से टाइट हो गई है।
काफी दिन हो गए हैं न शायद इसलिए।
सुनीता _हा बेटा।
राजेश ने एक उंगली सुनीता की गाड़ में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
फिर दो उंगली डाल दिया।
सुनीता का पूरा बदन kapkapanne लगा।
राजेश ने बेड से नीचे उतर कर अलमारी से चिकनाई वाला क्रीम निकाल कर अपने लंद पर अच्छे से लगाया फिर क्रीम को सुनीता की बुर में डाल दिया।
अब सुनीता के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया ।

अबउसकी गाड़ में अपना लंद का टोपा सेट किया और दबाव डाला।
काफी प्रयास के बाद लंद का टोपा अंदर घुस गया।
सुनीता चीखना चाही पर चीख न पाई।
अब राजेश हल्का हल्का लंद को अंदर बाहर करने लगा।
लंद धीरे धीरे गाड़ में अपनी जगह बनाने लगा। गाड़ फैलने लगा।
और एक समय ऐसा आया जब राजेश का लंद पूरा गाड़ में समा गया।
अब राजेश ने कभी बुर में तो कभी गाड़ में अपना लंद डालकर gach gach चोदने लगा।
राजेश को टाइट गाड़ चोदने से बड़ा मजा आ रहा था जब उसका लगता की वह झड़ने वाला है तो लंद को बुर में डाल देता और बुर चोदने लगता। कुछ देर बाद फिर से गाड़ में लंद डाल कर चोदता। और अन्त में सुनीता की गाड़ में अपना पानी छोड़ दिया।
करीब दो घंटे तक दोनो के बीच chudai चला दोनो काफी थक चुके थे एक दूसरे के बांहों में लेटकर सो गए। दो गहरी नींद में सो गए।
सुनीता की नींद खुली तो सुबह के पांच बज रहे थे। वह बेड से उठी और अपने कपड़े उठा कर नंगी ही अपने कमरे में जाकर बाथरुम में घुस गई और नहाने लगी।
उसने अपनी बुर और गाड़ की हालात देखी। दोनो को राजेश ने सूजा दिया था। वह अपनी बुर की हालात देख मुस्कुरा रही थी।
इधर राजेश जब उठा तो सुबह 6बज चुका था वह अपनी मां को ढूंढा पर कमरे में नही थी।
उसे लगा मां चली गई।
वह भी बाथरुम में जाकर नहाने लगा।
और तैयार होकर अपनी मां से मिलने गया जो कीचन में काम कर रही थी।
उसे बाहों में भर लिया। उसकी गालों को चूमने हुवे कहा, गुडमॉर्निंग मां।
सुनीता _good मॉर्निंग बेटा।



_अरे तु तो नहा कर तैयार भी हो गया।
राजेश _हा मां, मुझे गांव के लिए निकलना है न इसलिए।
वैसे रात कैसे रही।
सुनीता शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _पूरा सूजा दिया है तूने और पूछता है रात कैसी रही? अब छोड़ कोइ आ जायेगा।
राजेश ने सुनीता को छोड़ दिया।
राजेश _मां नाश्ता जल्दी से बना दो मेरा ट्रैन छूट जायेगा।
सुनीता _बस तैयार होने वाला है। तुम्हारे पापा को उठा दो वह तुम्हे स्टेशन छोड़ आएगा।
राजेश _ठीक है मां।
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राजेश अपना सिर पकड़ कर बैठ था।
रीता उसकी बालो को सहलाते हुए बोली।
रीता _राजेश तुम चिन्ता मत करो, मैं हूं न सुजाता जाती हैं तो जाने दो मैं तुम्हे कभी उसकी कमी महसूस नहीं होने दूंगी।
अब चलो नीचे चलते है। लोग हमे ढूंढ रहे होंगे।
राजेश और रीता पार्टी हाल में आ गए।
सभी लोग डिनर करने में व्यस्त थे।
भगत _भाई कहा चले गए थे, चलो कुछ खा लेते है।
राजेश _भगत मुझे भूख नहीं है, तुम खा लो।
भगत _भाई क्या huwa तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा huwa है। कुछ बात हुई है क्या?
राजेश _नही, भगत कुछ भी तो नही।
चलो भगत अब यहां सी चलते हैं।
भगत _भाई लगता हैं कुछ बात हुई है जो आप मुझसे छिपा रहे हो। अच्छा ठीक है चलो घर चलते हैं।
राजेश ने स्वीटी के पास जाकर कहा, स्वीटी चलो अब चलते है।
रोहन _भाई इतनी जल्दी, थोड़ी देर और रुक जाते।
राजेश _नही रोहन, मां वेट कर रही होगी।
राजेश स्वीटी और भगत तीनो घर के लिए निकल गए।
राजेश ने भगत से कार अपने घर की ओर ले जाने कहा ताकि स्वीटी को घर छोड़ सके।
कुछ देर में ही वे घर पहुंच गए।
स्वीटी गाड़ी से उतरी,,
Switi _भईया आप घर नही आ रहे,,
राजेश _नही स्वीटी, जब तक मां मुझे घर आने नही कहेगी मैं नही आऊंगा, तुम जाओ। और ये मेरा कप ले जाओ मां को दे देना।
Switi _स्वीटी घर का दरवाजा खटखटाई, सुनीता दरवाजा खोली।
राजेश ने दूर से अपनी मां को देखा। वह भावुक हो गया।
स्वीटी _मां भईया घर नही आ रहे, कह रहा कि जब मां घर आने को कहेगी, तब ही आऊंगा।
मां भईया को बुलाओ न।
सुनीता ने राजेश को दूर से देखा।
कुछ देर तक वह राजेश को देखती रही।
स्वीटी _मां तुम भईया को बुला लो ना।
सुनीता ने राजेश को देखा और उसने अपना सिर हिला कर अंदर आने का इशारा किया।
भगत _राजेश, मां बुला रही है।
राजेश ने को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसे बुला रही है।
भावनाओ से उसकी आंखो में आंसू बहने लगे।
वह अपने घर की और थरथराते कदमों के साथ बढ़ने लगा।
वह जब अपनी मां के सामने पहुंचा। अपनी दोनो हाथ जोड़ लिया।
सुनीता _कैसा है re?
राजेश _, मैं ठीक हूं मां
आप ठीक तो है न,
राजेश _हूं,,
सुनीता _आओ अंदर।
भगत _नमस्ते मां जी।
सुनीता _नमस्ते बेटा।
राजेश ओर भगत दोनो अंदर गए।
उधर स्वीटी अपने पापा के कमरे में गया।
स्वीटी _पापा उठो,
शेखर _अरे स्वीटी, तुम पार्टी से आ गई,
स्वीटी _हा पापा, भईया भी आए है, चलो।
शेखर _क्या राजेश आया है,,?
शेखर का खुशी का ठिकाना न रहा,,
बेटा राजेश,,,,
पुकारते हुवे वह अपने बेड से उठकर हाल में आया, राजेश को अपने गले से लगा लिया।

शेखर _बेटा तु ठीक तो है न,।
राजेश _पापा मैं बिल्कुल ठीक हूं, आप ठीक तो है न।
शेखर _बेटा तुम्हारे जाने से घर बिलकुल सुना सुना सा लगता है, पर क्या करे? कुछ प्राप्त करने के लिए त्याग तो करना पड़ता है।
स्वीटी _मां ये लो स्टूडेंट्स ऑफ द ईयर का यह कप भाई को मिला है!
शेखर _बधाई हो बेटा, आखिर तुमने अपना यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया।
राजेश _थैंक्स पापा।
भगत _नमस्ते अंकल।
शेखर _अरे भगत बेटा तु कैसा है?
भगत _मैं भी ठीक हूं अंकल।
स्वीटी _पापा भगत भईया को बेस्ट छात्र संघ नेता का अवार्ड मिला है।
शेखर _ओह ये तो खुशी की बात है?
भगत बेटा मुझे लगता है तुम राजिनित के क्षेत्र में बहुत ऊपर तक जाओगे, मेरे ओर से शुभकामनाएं है।
भगत _धन्यवाद अंकल।
शेखर _बेटा तुम लोग पार्टी वगेरा में कुछ खाकर आए हो कि नही।
भगत _भाई तो जब से शहर आया है कुछ खाया ही नहीं मैने पार्टी में खाने के लिए कहा तो मना कर दिया।
शेखर _क्या, राजेश बेटा मैं ये क्या सुन रहा हु। पता नही तुम सुबह से कुछ खाए हो कि नही।
सुनीता तुम बच्चो के लिए खाना बना दो।

सुनीता _जी, मैं शीघ्र बनाती हूं।
सुनीता कीचन में चली गईं, वह यह जानकर दुखी हुई की राजेश सुबह से कुछ नहीं खाया है उसकी आंखो से आंसू बहने लगी।
सुनीता कीचन में खाना बनाने लगी, स्वीटी भी उसकी मदद करने लगी।
इधर शेखर राजेश से गांव का हाल चाल पूछने लगा।


करीब एक घंटे में खाना तैयार हो गया। डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दी।
शेखर _लो खाना भी तैयार हो गया, चलो बेटा तुम दोनो हाथ पाव धो लो, खाना लग गया है।
राजेश और भगत दोनो वास बेसिंग में हाथ धोकर। खाना खाने डाइनिंग टेबल में बैठ गए।
भगत _वाह बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है, खाने की।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा जो कीचन के चौखट पर खड़ी राजेश की ओर देख रही थी। ममता भरी भाव से।
राजेश और भगत दोनो भोजन करने लगे।
आज काफी दिनो बाद अपनी मां की हाथो का बना भोजन कर रहा था।
राजेश को भोजन करता देख सुनीता, खुशी का अनुभव कर रही थी।
राजेश और भगत दोनो ने पूरा खाना खतम कर दिया।
शेखर _अरे बेटा खाना तुम लोगो को कम तो नहीं पड़ गया।
भगत _अरे नही अंकल, मेरा पेट तो एकदम भर गया, वो क्या था न खाना एकदम टेस्टी बना था तो कुछ ज्यादा खा लिया।
शेखर _राजेश बेटा अब आए हो तो कुछ दिन रुक कर ही जाना।
राजेश _नही पापा मुझे कल सुबह ही निकलना है।
मैने कल सुबह की टिकट बूक करा रखी है।
शेखर _अरे बेटा टिकट कैंसिल करा दो।
राजेश _नही पापा, परसो गांव में ग्राम सभा रखा गया है। चाची ने कहा है कि तुम्हारा ग्राम सभा में होना बहुत जरुरी है इसलिए तुम कल ही लौट आना।

भोजन कर लेने के बाद, कुछ देर और रुका, फिर,
राजेश _अच्छा पापा अब मैं चलता हूं। आप लोग अपना ख्याल रखना। राजेश पैर छूकर कहा।
शेखर _बेटा आज रात यहीं रुको कल सुबह चले जाना।
मैं सुबह ही तुम्हे स्टेशन छोड़ दूंगा।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा,,,
सुनीता ने हा में सिर हिलाया,,,
राजेश _ठीक है पापा।
भगत _अच्छा भाई, मैं घर चलता हूं, कुछ काम हो तो बताना, सुबह मैं भी स्टेशन तुमसे मिलने आऊंगा।
राजेश _ठीक है भगत।
भगत चला गया।

शेखर _अच्छा बेटा राजेश रात बहुत हो चुकी है तुम भी थक चूके होगे अपने कमरे में जाकर आराम करो।

राजेश अपने कमरे में चला गया वह अपने कमरे में जाकर देखा की, कमरे का सारा सामान व्यवस्थित है।
सुनीता राजेश के न होने पर भी रोज कमरे की साफ सफाई करती थी।
राजेश अपना शर्ट पैंट उतार कर लोवर और टी शर्ट पहन लिया।
उसके बाद वह बेड में आराम करने लगा, दिन भर हुवे घटना क्रम को याद करने लगा।
कुछ देर बाद सुनीता, जग में पानी लेकर कमरे मे आई। ताकि राजेश को रात में पानी की जरूरत पड़े तो उसे कीचन में जाना न पड़े।
वह जग को टेबल पर रख कर जाने लगी।
तभी राजेश ने कहा,,
राजेश _मां आपको चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है मैं सुबह होते ही गांव के लिए निकल जाऊंगा।
सुनीता दरवाजे के पास रुक गई।
वह राजेश से बोली,,

सुनीता _तुम चाहो तो, कुछ दिन यहां रुक सकते हो।
राजेश _मां क्या तुमने मुझे माफ़ कर दिया।

सुनीता _अगर तुम स्वीटी वाली गलती न करने की मुझसे वादा करो तो यहीं रह कर अपनी आई ए एस की तैयारी कर सकते हो?

राजेश _मां अब आपके कहने पर भी मैं अपने को गांव जाने से रोक नहीं पाऊंगा। मुझे गांव जाना ही होगा मां गांव को मेरी जरूरत है।
सुनीता राजेश की ओर घूम गई और बोली,,

सुनीता _मैं समझी नहीं तुम कहना क्या चाहते हो?

राजेश _मां मुझे सब पता चल गया है की गांव में तुम्हारे साथ क्या हुआ था और क्यू तुम गांव नही जाना चाहती।
सुनीता _आखिर वही huwa जिसका डर था।

राजेश _मां, मैं उस ठाकुर के बच्चे को सबक सीखा कर रहुंगा उसने मेरी मां का अपमान किया है।

सुनीता _नही बेटा, तु ऐसा कुछ भी नहीं करेगा। वो ठाकुर बहुत kamina है वह तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
जो huwa है उसको भुल जाओ बेटा, इसी में भलाई है बेटा।

राजेश _मां, तुम नही जानती वह ठाकुर अब भी गांव वालो पर जुल्म ढा रहा है अपने पावर का गलत उपयोग कर रहा है, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है मां इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा। मां तुम मेरी चिन्ता मत करना मुझे कुछ नहीं होगा।

मां तुम मुझे माफ कर दी न।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हू, मैं तुमसे कितनी दिन नाराज रह सकती हूं।
पर बेटा तुम मुझसे वादा करो की तुम स्वीटी के साथ के साथ जो गलती किए हो उसे दोहराओगे नही।
सुनीता ने राजेश का हाथ पकड़कर कहा।

राजेश _मां मैं आपसे वादा करता हूं। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे स्वीटी की भविष्य पर बुरा असर पड़े।
सुनीता _धन्यवाद बेटा।
बेटा अब तुम सो जाओ रात बहुत हो चुकी है।
सुनीता राजेश को चादर ओढ़ा कर अपने कमरे में चली गईं।
उधर कमरे में जाने के बाद सुनीता सोचने लगी कि राजेश को सब पता चल गया है ठाकुर के साथ उलझने से उसे ठाकुर कोइ हानि न पहुंचा दे।
उसे नींद नहीं आ रही थी।
उधर राजेश बहुत खुश था उसकी मां ने उसे माफ कर दिया है। पर सुजाता के साथ जो हुआ उसके लिए दुखी भी था।
आज राजेश की आंखो से भी नींद गायब थी, वह बेड से उठ कर छत पर चला गया और आकाश मे तारो को देखने लगा।
इधर सुनीता को भी नींद नहीं आ रही थी, राजेश को लेकर। वह ठाकुर से टकराने जा रहा है।
वह राजेश को ठाकुर से न उलझने के लिए फिर से समझाने के लिए वह अपने बेड से उठी, उसने शेखर की ओर देखा तो वह नींद में खर्राटे भर रहा था।
वह अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश कमरे में नही था।
सुनीता राजेश को इधर उधर ढूंढने लगी की आखिर राजेश गया कहा।
वह छत पर जाकर देखी तो राजेश उसे दिखाई पड़ा।

सुनीता _बेटा तु छत पर क्या कर रहा है, सोया नही है अब तक।
राजेश _मां मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं छत पर चला आया।
पर आप सोई नहीं।
सुनीता _बेटा, जब से तुमने बताया है कि तुम उस ठाकुर से उलझने जा रहे मुझे तुम्हारी चिन्ता होने लगी है?
राजेश ने सुनीता को गले लगा लिया और कहा मां तुम खमोखा चिन्ता करने लगी मुझे कुछ नहीं होगा। क्या आपको मुझपर भरोसा नही।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हूं, एक मां को बेटे की चिन्ता तो होगी ही। बेटा तुम गांव मत जाओ।
राजेश _मां, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है। उन्हे मुझसे बहुत उम्मीद है। मैं उन लोगो के लिए कुछ करूंगा। वहा सरकार से मिलने वाली योजनाओं का लाभ गांव वालो को मिल सके, ठाकुर ने जो अपनी पावर के द्वारा रोक रखा है। क्या तुम चाहती हो की तुम्हारे बेटे को कोइ बुजदिल कहे। डरपोक कहे।
सुनीता _नही बेटा।
राजेश _मां फिर मुझे आशीर्वाद दो की मैं उस ठाकुर को सबक सीखा सकू।
सुनीता ने राजेश की माथे को चूमते हुवे कहा।
मेरा आशीर्वाद तो हमेशा मेरे बेटे के साथ है।
सुनीता _बेटा चलो अब अपने कमरे में जाकर सो जाओ, आखिर कब तक जगते रहोगे।

राजेश _मां आज तुम मुझे अपने गोद में सुलाओ। शायद मुझे नींद आ जाए।
सुनीता _अच्छा चलो, तुम्हारे कमरे में।
राजेश और सुनीता दोनो नीचे चले गए।
दोनो कमरे में पहुंचे।
सुनीता बेड पर अपनी पैर फैला कर बैठ गई। राजेश ने उसकी गोद पर सिर रख कर सोने की कोशिश करने लगा।
सुनीता प्यार से उसके बालो को सहलाने लगी।
राजेश _मां तुम कितनी अच्छी हो।
मुझे तुम पर गर्व है।
सुनीता _क्यू?
राजेश _, ठाकुर ने तुम्हे कितना परेशान किया फिर भी तुम हार नही मानी।
सुनीता _बेटा मैने तो वही किया जो एक पतिव्रता और संस्कारी स्त्री को करना चाहिए।
राजेश _मां वैसे उस ठाकुर का भी दोष नही।
सुनीता _क्यू।
राजेश _जब आप आज भी इतनी खुबसूरत हो तो उस समय पता नही कितनी खुबसूरत लगती होगी। ठाकुर तो क्या पता नही कितने लोग तुम पर मरते होंगे।
राजेश _चुप कर बदमाश कहीं का। मुस्कुराते हुवे बोली।
अच्छा बेटा मैं तो तुम्हे एक बात बताना भूल गईं।
राजेश _कौन सी बात मां।
सुनीता _सुमन ने एक लड़के को जन्म दिया है।
राजेश _क्या?
सुनीता _हा, मैं बच्चे को देखने गई थी। बिलकुल तुम पर गया है।
वो बहुत खुश है। वह तुमसे मिलना चाहती थी। मैंने बताया कि तुम बाहर गए हो, आई ए एस की तैयारी करने।
वह तुम्हारी शुक्रिया अदा कर रही थी।
राजेश _ये तो बड़ी खुशी की बात है मां, अभी सुमन कहा है?
सुनीता _बेटा उसके पति का ट्रांसफर दिल्ली हो गया है तो वह शहर छोड़ कर चली गई। उसे तुमसे एक बार मिलने की बड़ी ईच्छा जाहिर कर रही थी।

राजेश _ओह।
पता है न मां कि तुमने मेरी शादी कराई थी सुमन से मंदिर में। और घर में सुहागरात भी कराई थी।
सुनीता _हा बेटा उस समय मेरा एक स्वार्थ भी था।
राजेश _कैसा स्वार्थ मां, बेटा तुम्हें चोंट लगी थी न तो मैं डर गई थी की तुम कहीं नामर्द तो नही बन गए। इसलिए मैं सुमन के बहाने देखना चाहती थी की तुम बिलकुल ठीक हो।
राजेश _ओह तो ये बात थी।
मां वैसे सुमन के साथ सुहागरात मनाने में बहुत मजा आया था, सुहाग रात के बाद तुमने बादाम वाली दूध भी पिलाई थी।
सुनीता _बेटा सुहागरात नही, सुहाग दिन था। सुनीता हसने लगी।
राजेश _मां एक बात बोलूं।
सुनीता _हां बोलो।
राजेश _रहने दो, आप बुरा मान जाएंगी।
सुनीता _नही मानूंगी, बाबा बोलो।
राजेश _सुमन सी ज्यादा मजा तो आपके साथ आता है।
सुनीता _चल हट बदमाश कहीं का। सुमन शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _वैसे गांव में तुम्हारी ताई तुम्हारे खाने पीने का ख्याल तो रखती है न।
राजेश _गांव में ताई, भईया भौजी सभी मेरे अच्छे ख्याल रखते है। भाभी टू रोज मुझे सोने से पहले दूध पीने को देती है। अब तो मुझे दूध पी कर सोने की आदत हो गई है।

सुनीता _अच्छा पहले क्यू नही बताया? इसलिए शायद तुम्हे नींद नही आ रही। मैं अभी तुम्हारे लिए बादाम वाली दूध लेकर जाती हूं।
राजेश _मां रहने दो,,
सुनीता रुकी नहीं और कीचन में चली गईं, बादाम वाली दूध लाने।
वह दूध को उबालने लगी।
तभी राजेश कीचन में आ गया और अपनी मां को पीछे से बाहों में भर लिया।
सुनीता _अरे क्या कर रहा है? छोड़ो मुझे। तु बदमाशी करना नही छोड़ेगा।
राजेश _मां आप हो ही इतनी सुंदर बदमाशी करने का मन करता है।
राजेश ने अपना खड़ा लंद सुनीता की गाड़ में सटा दिया और उसकी चूची ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनीता सिसकने लगी।
सुनीता _बेटा छोड़ ना, सच में तु बड़ा बिगड़ गया है।
राजेश ने सुनीता की चूची मसलना जारी रखा अपने लंद का दबाव उसकी गाड़ में डालने लगा।
सुनीता के शरीर में रक्त संचार बढ़ने लगा।
वह सिसकने लगी।
राजेश ने उसकी ब्लाउज का बटन एक एक करके खोल दिया और सुनीता को अपनी ओर घुमा कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीने लगा।
राजेश _मां बादाम वाली दूध तो मेहनत करने के बाद पीते हैं न, पहले मेहनत तो करने दो।
राजेश के द्वारा चूची चूसने से सुनीता उत्तेजित होने लगी।
उसकी बुर में पानी भरने लगा।
राजेश सुनीता की चूची को मसल मसल कर चूसने लगा सुनीता सिसकने लगी।
राजेश की हरकतों से सुनीता भी बहुत गर्म हो गई।
राजेश ने सुनीता का मुंह अपने मुंह में भर कर जी भर कर चूसा, सुनीता हापने लगी।
सुनीता _बेटा यहां नही तुम्हारे पापा उठ गए तो गड़बड़ हो जाएगी।
राजेश ने सुनीता को अपनी बाहों में उठा लिया और अपने कमरे में ले कर बेड पे लिटा दिया।
दरवाजा बंद कर दिया।
राजेश सुनीता ऊपर आ गया। और उसकी चूची को फिर मसल मसल कर पीने लगा।
फिर धीरे धीरे उसकी नाभि की ओर बड़ा उसकी नाभी को चाटने लगा। सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
उसकी बुर से पानी बहने लगा।
राजेश ने सुनीता की पेटीकोट और साड़ी ऊपर उठाकर उसकी पेंटी निकाल दिया।
उसकी मस्त फूली हुईं चिकनी चूत देखकर राजेश का लंद झटके मारने लगा।
राजेश ने सुनीता की चूत में अपना मुंह डाल दिया और बुर को चाटना शुरू कर दिया।
सुनीता छटपटाने लगी। वह काफी अधिक उत्तेजना महसूस करने लगी।
उसके मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी, आह मां आह उन,, आह आई,, उन,,,,, मां,,,,
आह,,,
राजेश बेड से उतरा और अपना सारा कपड़ा उतार कर नंगा हो गया।
उसका लंद काफी मोटा और लंबा हो कर हवा में झटके मारने लगा।
राजेश _मां आओ ना मेरा लंद चूसो।
सुनीता बेड से नीचे उतर कर फर्श पर बैठ गई ओर राजेश की लंद को हाथ में पकड़ कर मूठ मारने लगी।
फिर लंद को मुंह में भर कर चूसने लगी।
इधर राजेश ने सुनीता की ब्लाउज को निकाल कर फर्श पर फेक दिया।
राजेश ने सुनीता की बालो को पकड़ कर उसके मुंह में लंद अंदर बाहर करने लगा।
कुछ देर तक लंद चूसने से लंद एकदम सख्त जो गया।
उसने सुनीता को ऊपर उठाया और उसकी ओंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
कुछ देर ओंठो को चूसने के बाद।
सुनीता ने खुद ही अपनी साड़ी निकाल दिया वह सिर्फ पेटीकोट में रह गई।
राजेश ने पेटीकोट का नाडा खीच दिया।
पेटीकोट सुनीता के पैरो में गिर गया।
राजेश ने एक हाथ से सुनीता की चूची मसलते, दूसरी हाथ से उसकी बुर सहलाते हुवे उसकी ओंठ चूसने लगा।
सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
सुनीता _बेटा अब बस करो मुझसे सहन नहीं हो रहा।
सुनीता बेड के किनारे लेट गई और अपनी टांगे फैला दी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर उसकी बुर के छेद में रख कर एक जोर का धक्का मारा।

लंद बुर को चीरकर एक ही बार में पूरा अंदर चला गया। क्यू की बुर एकदम गीली थी।
सुनीता सिसक उठी।
अब राजेश ने सुनीता की चूची को पकड़ लिया और उसे मसल मसल कर लंद को बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में गच गच की आवाज़, सुनीता की मादक सिसकारी उसकी चूड़ियों की खनक गूंजने लगा।
लंद सुनीता की बुर में सर सर अंदर बाहर होने लगा।
सुनीता तो जन्नत में पहुंच गई।
उसे संभोग की परम सुख प्राप्त होने लगा।
वह राजेश की कमर को पकड़ लिया।
इधर राजेश को भी बहुत मजा आ रहा था।
वह दनादन सुनीता की बुर में अपना लंद डाले जा रहा था।
इस आसन में राजेश ने तबतक चोदा जब तक वह झड़ नही गई। सुनीता चीखते हुए झड़ने लगी।
राजेश भी उससे लिपट कर सुस्ताने लगा अपना खोया ताकत प्राप्त करने लगा।
कुछ डर बाद राजेश फिर हरकत में आया और उसकी ओंठ मुंह में भर कर चूसने लगा। उसकी चुचियों को मसल मसल कर पीने लगा।
और जब राजेश फिर से उसकी योनि चाटने लगा तो सुनीता के शरीर में फिर रक्त संचार बढ़ गया। वह फिर से उत्तेजित हो गई।
सुनीता खड़ी हो गई और बेड को पकड़ कर झुक गई। राजेश उसके कूल्हे को सहलाया।
सुनीता चिहुंक उठी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर एक बार उसकी योनि में रखा और एक जोर का धक्का मारा। लंद बुर में गप से अंदर चला गया।
राजेश ने सुनीता की कमर को पकड़ कर लंद को बुर में गप गप अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में फिर से एक बार सुनीता की मादक सिसकारी आह उह, उई मां आह, आई,,, मां गूंजने लगी।
राजेश को भी बहुत मजा आने लगा।
राजेश _आह मां बहुत मजा आ रहा है। सच में बहुत मस्त मॉल है तु, तुम्हे चोदने का मजा ही कुछ और है।
राजेश और तेज़ तेज़ चोदने लगा।
सुनीता फिर से अपनी चरम अवस्था में पहुंचने वाली थी।
तभी राजेश ने अपना लंद बाहर निकाल दिया।
राजेश बेड पर लेट गया।
सुनीता को ऊपर आने का इशारा किया।
सुनीता बेड पर चढ़ गई ।
राजेश के लंद को पकड़ कर अपनी बुर के छेद में रखी और नीचे बैठ गई।
लंद फैच की आवाज़ के साथ अंदर चला गया।
सुनीता अब राजेश के लंद पर उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे अपनी लंद पर पटक पटक कर चोदने लगा।
लंद पूरे गहराई तक अंदर जा रहा था।
सुनीता जोर जोर से सिसक रही थी। चीख रही थी।
आह मां आह,, उई आह,
लंद का टोपा उसकी गर्भाशय से टकरा रहा था।
जिससे उसको दोगुना मजा आ रहा था।
वह राजेश के लंद पर उछल उछल कर chud रही थी।
दोनो संभोग के आपार सुख को प्राप्त कर रहे थे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

अब राजेश ने सुनीता को घूम कर बैठने कहा ।
सुनीता लंद उठी।
बुर से लंद fach की आवाज़ के साथ बाहर आया लंद सुनीता की बुर का पानी पीकर और ज्यादा मोटा और लंबा हो गया था।
सुनीता राजेश की ओर पीठ कर लंद को बुर में डाल कर बैठ गई।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे पटक पटक कर चोदने लगा।
दोनो काम के परम सुख का मजा लेने लगे।
उसके बाद राजेश ने सुनीता को बेड में ही घोड़ी बना दिया।
औरबुर में लंद गपा गप अंदर बाहर करने लगा।
सुनीता को राजेश तब तक चोदता रहा जब तक वह फिर से नही झड़ी।
सुनीता के झड़ने के बाद भी राजेश ने लंद बाहर नही निकाला, कुछ देर रुका फिर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
सुनीता _बेटा अंदर मत झड़ना, मेरा अभी गर्भधारण काल चल रहा है मैं फिर से पेट से हो जाऊंगी।
राजेश _तो क्या huwa मां ये तो बड़ी अच्छी बात।
सुनीता _नही बेटा एक बार मुसीबात में फस चुकी थी और नही फसना है मुझे, प्लीज अंदर मत छोड़ना।
राजेश _तब तो तुम्हारी गाड़ चोदना पड़ेगा।
तुम्हारी गाड़ तो फिर से टाइट हो गई है।
काफी दिन हो गए हैं न शायद इसलिए।
सुनीता _हा बेटा।
राजेश ने एक उंगली सुनीता की गाड़ में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
फिर दो उंगली डाल दिया।
सुनीता का पूरा बदन kapkapanne लगा।
राजेश ने बेड से नीचे उतर कर अलमारी से चिकनाई वाला क्रीम निकाल कर अपने लंद पर अच्छे से लगाया फिर क्रीम को सुनीता की बुर में डाल दिया।
अब सुनीता के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया ।
अबउसकी गाड़ में अपना लंद का टोपा सेट किया और दबाव डाला।
काफी प्रयास के बाद लंद का टोपा अंदर घुस गया।
सुनीता चीखना चाही पर चीख न पाई।
अब राजेश हल्का हल्का लंद को अंदर बाहर करने लगा।
लंद धीरे धीरे गाड़ में अपनी जगह बनाने लगा। गाड़ फैलने लगा।
और एक समय ऐसा आया जब राजेश का लंद पूरा गाड़ में समा गया।
अब राजेश ने कभी बुर में तो कभी गाड़ में अपना लंद डालकर gach gach चोदने लगा।
राजेश को टाइट गाड़ चोदने से बड़ा मजा आ रहा था जब उसका लगता की वह झड़ने वाला है तो लंद को बुर में डाल देता और बुर चोदने लगता। कुछ देर बाद फिर से गाड़ में लंद डाल कर चोदता। और अन्त में सुनीता की गाड़ में अपना पानी छोड़ दिया।
करीब दो घंटे तक दोनो के बीच chudai चला दोनो काफी थक चुके थे एक दूसरे के बांहों में लेटकर सो गए। दो गहरी नींद में सो गए।
सुनीता की नींद खुली तो सुबह के पांच बज रहे थे। वह बेड से उठी और अपने कपड़े उठा कर नंगी ही अपने कमरे में जाकर बाथरुम में घुस गई और नहाने लगी।
उसने अपनी बुर और गाड़ की हालात देखी। दोनो को राजेश ने सूजा दिया था। वह अपनी बुर की हालात देख मुस्कुरा रही थी।
इधर राजेश जब उठा तो सुबह 6बज चुका था वह अपनी मां को ढूंढा पर कमरे में नही थी।
उसे लगा मां चली गई।
वह भी बाथरुम में जाकर नहाने लगा।
और तैयार होकर अपनी मां से मिलने गया जो कीचन में काम कर रही थी।
उसे बाहों में भर लिया। उसकी गालों को चूमने हुवे कहा, गुडमॉर्निंग मां।
सुनीता _good मॉर्निंग बेटा।


_अरे तु तो नहा कर तैयार भी हो गया।
राजेश _हा मां, मुझे गांव के लिए निकलना है न इसलिए।
वैसे रात कैसे रही।
सुनीता शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _पूरा सूजा दिया है तूने और पूछता है रात कैसी रही? अब छोड़ कोइ आ जायेगा।
राजेश ने सुनीता को छोड़ दिया।
राजेश _मां नाश्ता जल्दी से बना दो मेरा ट्रैन छूट जायेगा।
सुनीता _बस तैयार होने वाला है। तुम्हारे पापा को उठा दो वह तुम्हे स्टेशन छोड़ आएगा।
राजेश _ठीक है मां।










Shandar update brother
Asli mjja to sunita ke sath hi aata hai but sujata rooth gyi yar ye nhi hona tha,
Sweety ko bhi rajesh ke sath sex aur pyar karne ka mauka nhi mil payega jaise sunita ne rajesh se kasam dilwa di
Ydi sweety Apni mom se bole ki mai rajesh bhaiya se pyar karti hu aur karati rahungi jab tak jaungi as a brother and as a lover(husband),rohan se to shadi kewal samaj ke dikhawe ke liye kar rahi hu,maa aap ko bhai ka pyar mil sakta hai to mujhe q nhi
Rajesh ka apni maa sunita aur bahan sweety ke sath sex,story ko incest story banata
 
Last edited:

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
4,020
16,315
144
राजेश अपना सिर पकड़ कर बैठ था।
रीता उसकी बालो को सहलाते हुए बोली।
रीता _राजेश तुम चिन्ता मत करो, मैं हूं न सुजाता जाती हैं तो जाने दो मैं तुम्हे कभी उसकी कमी महसूस नहीं होने दूंगी।
अब चलो नीचे चलते है। लोग हमे ढूंढ रहे होंगे।
राजेश और रीता पार्टी हाल में आ गए।
सभी लोग डिनर करने में व्यस्त थे।
भगत _भाई कहा चले गए थे, चलो कुछ खा लेते है।
राजेश _भगत मुझे भूख नहीं है, तुम खा लो।
भगत _भाई क्या huwa तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा huwa है। कुछ बात हुई है क्या?
राजेश _नही, भगत कुछ भी तो नही।
चलो भगत अब यहां सी चलते हैं।
भगत _भाई लगता हैं कुछ बात हुई है जो आप मुझसे छिपा रहे हो। अच्छा ठीक है चलो घर चलते हैं।
राजेश ने स्वीटी के पास जाकर कहा, स्वीटी चलो अब चलते है।
रोहन _भाई इतनी जल्दी, थोड़ी देर और रुक जाते।
राजेश _नही रोहन, मां वेट कर रही होगी।
राजेश स्वीटी और भगत तीनो घर के लिए निकल गए।
राजेश ने भगत से कार अपने घर की ओर ले जाने कहा ताकि स्वीटी को घर छोड़ सके।
कुछ देर में ही वे घर पहुंच गए।
स्वीटी गाड़ी से उतरी,,
Switi _भईया आप घर नही आ रहे,,
राजेश _नही स्वीटी, जब तक मां मुझे घर आने नही कहेगी मैं नही आऊंगा, तुम जाओ। और ये मेरा कप ले जाओ मां को दे देना।
Switi _स्वीटी घर का दरवाजा खटखटाई, सुनीता दरवाजा खोली।
राजेश ने दूर से अपनी मां को देखा। वह भावुक हो गया।
स्वीटी _मां भईया घर नही आ रहे, कह रहा कि जब मां घर आने को कहेगी, तब ही आऊंगा।
मां भईया को बुलाओ न।
सुनीता ने राजेश को दूर से देखा।
कुछ देर तक वह राजेश को देखती रही।
स्वीटी _मां तुम भईया को बुला लो ना।
सुनीता ने राजेश को देखा और उसने अपना सिर हिला कर अंदर आने का इशारा किया।
भगत _राजेश, मां बुला रही है।
राजेश ने को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां उसे बुला रही है।
भावनाओ से उसकी आंखो में आंसू बहने लगे।
वह अपने घर की और थरथराते कदमों के साथ बढ़ने लगा।
वह जब अपनी मां के सामने पहुंचा। अपनी दोनो हाथ जोड़ लिया।
सुनीता _कैसा है re?
राजेश _, मैं ठीक हूं मां
आप ठीक तो है न,
राजेश _हूं,,
सुनीता _आओ अंदर।
भगत _नमस्ते मां जी।
सुनीता _नमस्ते बेटा।
राजेश ओर भगत दोनो अंदर गए।
उधर स्वीटी अपने पापा के कमरे में गया।
स्वीटी _पापा उठो,
शेखर _अरे स्वीटी, तुम पार्टी से आ गई,
स्वीटी _हा पापा, भईया भी आए है, चलो।
शेखर _क्या राजेश आया है,,?
शेखर का खुशी का ठिकाना न रहा,,
बेटा राजेश,,,,
पुकारते हुवे वह अपने बेड से उठकर हाल में आया, राजेश को अपने गले से लगा लिया।

शेखर _बेटा तु ठीक तो है न,।
राजेश _पापा मैं बिल्कुल ठीक हूं, आप ठीक तो है न।
शेखर _बेटा तुम्हारे जाने से घर बिलकुल सुना सुना सा लगता है, पर क्या करे? कुछ प्राप्त करने के लिए त्याग तो करना पड़ता है।
स्वीटी _मां ये लो स्टूडेंट्स ऑफ द ईयर का यह कप भाई को मिला है!
शेखर _बधाई हो बेटा, आखिर तुमने अपना यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया।
राजेश _थैंक्स पापा।
भगत _नमस्ते अंकल।
शेखर _अरे भगत बेटा तु कैसा है?
भगत _मैं भी ठीक हूं अंकल।
स्वीटी _पापा भगत भईया को बेस्ट छात्र संघ नेता का अवार्ड मिला है।
शेखर _ओह ये तो खुशी की बात है?
भगत बेटा मुझे लगता है तुम राजिनित के क्षेत्र में बहुत ऊपर तक जाओगे, मेरे ओर से शुभकामनाएं है।
भगत _धन्यवाद अंकल।
शेखर _बेटा तुम लोग पार्टी वगेरा में कुछ खाकर आए हो कि नही।
भगत _भाई तो जब से शहर आया है कुछ खाया ही नहीं मैने पार्टी में खाने के लिए कहा तो मना कर दिया।
शेखर _क्या, राजेश बेटा मैं ये क्या सुन रहा हु। पता नही तुम सुबह से कुछ खाए हो कि नही।
सुनीता तुम बच्चो के लिए खाना बना दो।

सुनीता _जी, मैं शीघ्र बनाती हूं।
सुनीता कीचन में चली गईं, वह यह जानकर दुखी हुई की राजेश सुबह से कुछ नहीं खाया है उसकी आंखो से आंसू बहने लगी।
सुनीता कीचन में खाना बनाने लगी, स्वीटी भी उसकी मदद करने लगी।
इधर शेखर राजेश से गांव का हाल चाल पूछने लगा।


करीब एक घंटे में खाना तैयार हो गया। डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दी।
शेखर _लो खाना भी तैयार हो गया, चलो बेटा तुम दोनो हाथ पाव धो लो, खाना लग गया है।
राजेश और भगत दोनो वास बेसिंग में हाथ धोकर। खाना खाने डाइनिंग टेबल में बैठ गए।
भगत _वाह बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है, खाने की।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा जो कीचन के चौखट पर खड़ी राजेश की ओर देख रही थी। ममता भरी भाव से।
राजेश और भगत दोनो भोजन करने लगे।
आज काफी दिनो बाद अपनी मां की हाथो का बना भोजन कर रहा था।
राजेश को भोजन करता देख सुनीता, खुशी का अनुभव कर रही थी।
राजेश और भगत दोनो ने पूरा खाना खतम कर दिया।
शेखर _अरे बेटा खाना तुम लोगो को कम तो नहीं पड़ गया।
भगत _अरे नही अंकल, मेरा पेट तो एकदम भर गया, वो क्या था न खाना एकदम टेस्टी बना था तो कुछ ज्यादा खा लिया।
शेखर _राजेश बेटा अब आए हो तो कुछ दिन रुक कर ही जाना।
राजेश _नही पापा मुझे कल सुबह ही निकलना है।
मैने कल सुबह की टिकट बूक करा रखी है।
शेखर _अरे बेटा टिकट कैंसिल करा दो।
राजेश _नही पापा, परसो गांव में ग्राम सभा रखा गया है। चाची ने कहा है कि तुम्हारा ग्राम सभा में होना बहुत जरुरी है इसलिए तुम कल ही लौट आना।

भोजन कर लेने के बाद, कुछ देर और रुका, फिर,
राजेश _अच्छा पापा अब मैं चलता हूं। आप लोग अपना ख्याल रखना। राजेश पैर छूकर कहा।
शेखर _बेटा आज रात यहीं रुको कल सुबह चले जाना।
मैं सुबह ही तुम्हे स्टेशन छोड़ दूंगा।
राजेश ने अपनी मां की ओर देखा,,,
सुनीता ने हा में सिर हिलाया,,,
राजेश _ठीक है पापा।
भगत _अच्छा भाई, मैं घर चलता हूं, कुछ काम हो तो बताना, सुबह मैं भी स्टेशन तुमसे मिलने आऊंगा।
राजेश _ठीक है भगत।
भगत चला गया।

शेखर _अच्छा बेटा राजेश रात बहुत हो चुकी है तुम भी थक चूके होगे अपने कमरे में जाकर आराम करो।

राजेश अपने कमरे में चला गया वह अपने कमरे में जाकर देखा की, कमरे का सारा सामान व्यवस्थित है।
सुनीता राजेश के न होने पर भी रोज कमरे की साफ सफाई करती थी।
राजेश अपना शर्ट पैंट उतार कर लोवर और टी शर्ट पहन लिया।
उसके बाद वह बेड में आराम करने लगा, दिन भर हुवे घटना क्रम को याद करने लगा।
कुछ देर बाद सुनीता, जग में पानी लेकर कमरे मे आई। ताकि राजेश को रात में पानी की जरूरत पड़े तो उसे कीचन में जाना न पड़े।
वह जग को टेबल पर रख कर जाने लगी।
तभी राजेश ने कहा,,
राजेश _मां आपको चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है मैं सुबह होते ही गांव के लिए निकल जाऊंगा।
सुनीता दरवाजे के पास रुक गई।
वह राजेश से बोली,,

सुनीता _तुम चाहो तो, कुछ दिन यहां रुक सकते हो।
राजेश _मां क्या तुमने मुझे माफ़ कर दिया।

सुनीता _अगर तुम स्वीटी वाली गलती न करने की मुझसे वादा करो तो यहीं रह कर अपनी आई ए एस की तैयारी कर सकते हो?

राजेश _मां अब आपके कहने पर भी मैं अपने को गांव जाने से रोक नहीं पाऊंगा। मुझे गांव जाना ही होगा मां गांव को मेरी जरूरत है।
सुनीता राजेश की ओर घूम गई और बोली,,

सुनीता _मैं समझी नहीं तुम कहना क्या चाहते हो?

राजेश _मां मुझे सब पता चल गया है की गांव में तुम्हारे साथ क्या हुआ था और क्यू तुम गांव नही जाना चाहती।
सुनीता _आखिर वही huwa जिसका डर था।

राजेश _मां, मैं उस ठाकुर के बच्चे को सबक सीखा कर रहुंगा उसने मेरी मां का अपमान किया है।

सुनीता _नही बेटा, तु ऐसा कुछ भी नहीं करेगा। वो ठाकुर बहुत kamina है वह तुम्हे नुकसान पहुंचा सकता है।
जो huwa है उसको भुल जाओ बेटा, इसी में भलाई है बेटा।

राजेश _मां, तुम नही जानती वह ठाकुर अब भी गांव वालो पर जुल्म ढा रहा है अपने पावर का गलत उपयोग कर रहा है, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है मां इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा। मां तुम मेरी चिन्ता मत करना मुझे कुछ नहीं होगा।

मां तुम मुझे माफ कर दी न।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हू, मैं तुमसे कितनी दिन नाराज रह सकती हूं।
पर बेटा तुम मुझसे वादा करो की तुम स्वीटी के साथ के साथ जो गलती किए हो उसे दोहराओगे नही।
सुनीता ने राजेश का हाथ पकड़कर कहा।

राजेश _मां मैं आपसे वादा करता हूं। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे स्वीटी की भविष्य पर बुरा असर पड़े।
सुनीता _धन्यवाद बेटा।
बेटा अब तुम सो जाओ रात बहुत हो चुकी है।
सुनीता राजेश को चादर ओढ़ा कर अपने कमरे में चली गईं।
उधर कमरे में जाने के बाद सुनीता सोचने लगी कि राजेश को सब पता चल गया है ठाकुर के साथ उलझने से उसे ठाकुर कोइ हानि न पहुंचा दे।
उसे नींद नहीं आ रही थी।
उधर राजेश बहुत खुश था उसकी मां ने उसे माफ कर दिया है। पर सुजाता के साथ जो हुआ उसके लिए दुखी भी था।
आज राजेश की आंखो से भी नींद गायब थी, वह बेड से उठ कर छत पर चला गया और आकाश मे तारो को देखने लगा।
इधर सुनीता को भी नींद नहीं आ रही थी, राजेश को लेकर। वह ठाकुर से टकराने जा रहा है।
वह राजेश को ठाकुर से न उलझने के लिए फिर से समझाने के लिए वह अपने बेड से उठी, उसने शेखर की ओर देखा तो वह नींद में खर्राटे भर रहा था।
वह अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे में गई।
राजेश कमरे में नही था।
सुनीता राजेश को इधर उधर ढूंढने लगी की आखिर राजेश गया कहा।
वह छत पर जाकर देखी तो राजेश उसे दिखाई पड़ा।

सुनीता _बेटा तु छत पर क्या कर रहा है, सोया नही है अब तक।
राजेश _मां मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं छत पर चला आया।
पर आप सोई नहीं।
सुनीता _बेटा, जब से तुमने बताया है कि तुम उस ठाकुर से उलझने जा रहे मुझे तुम्हारी चिन्ता होने लगी है?
राजेश ने सुनीता को गले लगा लिया और कहा मां तुम खमोखा चिन्ता करने लगी मुझे कुछ नहीं होगा। क्या आपको मुझपर भरोसा नही।
सुनीता _बेटा मैं तुम्हारी मां हूं, एक मां को बेटे की चिन्ता तो होगी ही। बेटा तुम गांव मत जाओ।
राजेश _मां, गांव वालो को मेरी मदद की जरूरत है। उन्हे मुझसे बहुत उम्मीद है। मैं उन लोगो के लिए कुछ करूंगा। वहा सरकार से मिलने वाली योजनाओं का लाभ गांव वालो को मिल सके, ठाकुर ने जो अपनी पावर के द्वारा रोक रखा है। क्या तुम चाहती हो की तुम्हारे बेटे को कोइ बुजदिल कहे। डरपोक कहे।
सुनीता _नही बेटा।
राजेश _मां फिर मुझे आशीर्वाद दो की मैं उस ठाकुर को सबक सीखा सकू।
सुनीता ने राजेश की माथे को चूमते हुवे कहा।
मेरा आशीर्वाद तो हमेशा मेरे बेटे के साथ है।
सुनीता _बेटा चलो अब अपने कमरे में जाकर सो जाओ, आखिर कब तक जगते रहोगे।

राजेश _मां आज तुम मुझे अपने गोद में सुलाओ। शायद मुझे नींद आ जाए।
सुनीता _अच्छा चलो, तुम्हारे कमरे में।
राजेश और सुनीता दोनो नीचे चले गए।
दोनो कमरे में पहुंचे।
सुनीता बेड पर अपनी पैर फैला कर बैठ गई। राजेश ने उसकी गोद पर सिर रख कर सोने की कोशिश करने लगा।
सुनीता प्यार से उसके बालो को सहलाने लगी।
राजेश _मां तुम कितनी अच्छी हो।
मुझे तुम पर गर्व है।
सुनीता _क्यू?
राजेश _, ठाकुर ने तुम्हे कितना परेशान किया फिर भी तुम हार नही मानी।
सुनीता _बेटा मैने तो वही किया जो एक पतिव्रता और संस्कारी स्त्री को करना चाहिए।
राजेश _मां वैसे उस ठाकुर का भी दोष नही।
सुनीता _क्यू।
राजेश _जब आप आज भी इतनी खुबसूरत हो तो उस समय पता नही कितनी खुबसूरत लगती होगी। ठाकुर तो क्या पता नही कितने लोग तुम पर मरते होंगे।
राजेश _चुप कर बदमाश कहीं का। मुस्कुराते हुवे बोली।
अच्छा बेटा मैं तो तुम्हे एक बात बताना भूल गईं।
राजेश _कौन सी बात मां।
सुनीता _सुमन ने एक लड़के को जन्म दिया है।
राजेश _क्या?
सुनीता _हा, मैं बच्चे को देखने गई थी। बिलकुल तुम पर गया है।
वो बहुत खुश है। वह तुमसे मिलना चाहती थी। मैंने बताया कि तुम बाहर गए हो, आई ए एस की तैयारी करने।
वह तुम्हारी शुक्रिया अदा कर रही थी।
राजेश _ये तो बड़ी खुशी की बात है मां, अभी सुमन कहा है?
सुनीता _बेटा उसके पति का ट्रांसफर दिल्ली हो गया है तो वह शहर छोड़ कर चली गई। उसे तुमसे एक बार मिलने की बड़ी ईच्छा जाहिर कर रही थी।

राजेश _ओह।
पता है न मां कि तुमने मेरी शादी कराई थी सुमन से मंदिर में। और घर में सुहागरात भी कराई थी।
सुनीता _हा बेटा उस समय मेरा एक स्वार्थ भी था।
राजेश _कैसा स्वार्थ मां, बेटा तुम्हें चोंट लगी थी न तो मैं डर गई थी की तुम कहीं नामर्द तो नही बन गए। इसलिए मैं सुमन के बहाने देखना चाहती थी की तुम बिलकुल ठीक हो।
राजेश _ओह तो ये बात थी।
मां वैसे सुमन के साथ सुहागरात मनाने में बहुत मजा आया था, सुहाग रात के बाद तुमने बादाम वाली दूध भी पिलाई थी।
सुनीता _बेटा सुहागरात नही, सुहाग दिन था। सुनीता हसने लगी।
राजेश _मां एक बात बोलूं।
सुनीता _हां बोलो।
राजेश _रहने दो, आप बुरा मान जाएंगी।
सुनीता _नही मानूंगी, बाबा बोलो।
राजेश _सुमन सी ज्यादा मजा तो आपके साथ आता है।
सुनीता _चल हट बदमाश कहीं का। सुमन शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _वैसे गांव में तुम्हारी ताई तुम्हारे खाने पीने का ख्याल तो रखती है न।
राजेश _गांव में ताई, भईया भौजी सभी मेरे अच्छे ख्याल रखते है। भाभी टू रोज मुझे सोने से पहले दूध पीने को देती है। अब तो मुझे दूध पी कर सोने की आदत हो गई है।

सुनीता _अच्छा पहले क्यू नही बताया? इसलिए शायद तुम्हे नींद नही आ रही। मैं अभी तुम्हारे लिए बादाम वाली दूध लेकर जाती हूं।
राजेश _मां रहने दो,,
सुनीता रुकी नहीं और कीचन में चली गईं, बादाम वाली दूध लाने।
वह दूध को उबालने लगी।
तभी राजेश कीचन में आ गया और अपनी मां को पीछे से बाहों में भर लिया।
सुनीता _अरे क्या कर रहा है? छोड़ो मुझे। तु बदमाशी करना नही छोड़ेगा।
राजेश _मां आप हो ही इतनी सुंदर बदमाशी करने का मन करता है।
राजेश ने अपना खड़ा लंद सुनीता की गाड़ में सटा दिया और उसकी चूची ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा।
सुनीता सिसकने लगी।
सुनीता _बेटा छोड़ ना, सच में तु बड़ा बिगड़ गया है।
राजेश ने सुनीता की चूची मसलना जारी रखा अपने लंद का दबाव उसकी गाड़ में डालने लगा।
सुनीता के शरीर में रक्त संचार बढ़ने लगा।
वह सिसकने लगी।
राजेश ने उसकी ब्लाउज का बटन एक एक करके खोल दिया और सुनीता को अपनी ओर घुमा कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीने लगा।
राजेश _मां बादाम वाली दूध तो मेहनत करने के बाद पीते हैं न, पहले मेहनत तो करने दो।
राजेश के द्वारा चूची चूसने से सुनीता उत्तेजित होने लगी।
उसकी बुर में पानी भरने लगा।
राजेश सुनीता की चूची को मसल मसल कर चूसने लगा सुनीता सिसकने लगी।
राजेश की हरकतों से सुनीता भी बहुत गर्म हो गई।
राजेश ने सुनीता का मुंह अपने मुंह में भर कर जी भर कर चूसा, सुनीता हापने लगी।
सुनीता _बेटा यहां नही तुम्हारे पापा उठ गए तो गड़बड़ हो जाएगी।
राजेश ने सुनीता को अपनी बाहों में उठा लिया और अपने कमरे में ले कर बेड पे लिटा दिया।
दरवाजा बंद कर दिया।
राजेश सुनीता ऊपर आ गया। और उसकी चूची को फिर मसल मसल कर पीने लगा।
फिर धीरे धीरे उसकी नाभि की ओर बड़ा उसकी नाभी को चाटने लगा। सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
उसकी बुर से पानी बहने लगा।
राजेश ने सुनीता की पेटीकोट और साड़ी ऊपर उठाकर उसकी पेंटी निकाल दिया।
उसकी मस्त फूली हुईं चिकनी चूत देखकर राजेश का लंद झटके मारने लगा।
राजेश ने सुनीता की चूत में अपना मुंह डाल दिया और बुर को चाटना शुरू कर दिया।
सुनीता छटपटाने लगी। वह काफी अधिक उत्तेजना महसूस करने लगी।
उसके मुंह से मादक सिसकारी निकलने लगी, आह मां आह उन,, आह आई,, उन,,,,, मां,,,,
आह,,,
राजेश बेड से उतरा और अपना सारा कपड़ा उतार कर नंगा हो गया।
उसका लंद काफी मोटा और लंबा हो कर हवा में झटके मारने लगा।
राजेश _मां आओ ना मेरा लंद चूसो।
सुनीता बेड से नीचे उतर कर फर्श पर बैठ गई ओर राजेश की लंद को हाथ में पकड़ कर मूठ मारने लगी।
फिर लंद को मुंह में भर कर चूसने लगी।
इधर राजेश ने सुनीता की ब्लाउज को निकाल कर फर्श पर फेक दिया।
राजेश ने सुनीता की बालो को पकड़ कर उसके मुंह में लंद अंदर बाहर करने लगा।
कुछ देर तक लंद चूसने से लंद एकदम सख्त जो गया।
उसने सुनीता को ऊपर उठाया और उसकी ओंठ को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।
कुछ देर ओंठो को चूसने के बाद।
सुनीता ने खुद ही अपनी साड़ी निकाल दिया वह सिर्फ पेटीकोट में रह गई।
राजेश ने पेटीकोट का नाडा खीच दिया।
पेटीकोट सुनीता के पैरो में गिर गया।
राजेश ने एक हाथ से सुनीता की चूची मसलते, दूसरी हाथ से उसकी बुर सहलाते हुवे उसकी ओंठ चूसने लगा।
सुनीता बहुत अधिक उत्तेजित हो गई।
सुनीता _बेटा अब बस करो मुझसे सहन नहीं हो रहा।
सुनीता बेड के किनारे लेट गई और अपनी टांगे फैला दी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर उसकी बुर के छेद में रख कर एक जोर का धक्का मारा।

लंद बुर को चीरकर एक ही बार में पूरा अंदर चला गया। क्यू की बुर एकदम गीली थी।
सुनीता सिसक उठी।
अब राजेश ने सुनीता की चूची को पकड़ लिया और उसे मसल मसल कर लंद को बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में गच गच की आवाज़, सुनीता की मादक सिसकारी उसकी चूड़ियों की खनक गूंजने लगा।
लंद सुनीता की बुर में सर सर अंदर बाहर होने लगा।
सुनीता तो जन्नत में पहुंच गई।
उसे संभोग की परम सुख प्राप्त होने लगा।
वह राजेश की कमर को पकड़ लिया।
इधर राजेश को भी बहुत मजा आ रहा था।
वह दनादन सुनीता की बुर में अपना लंद डाले जा रहा था।
इस आसन में राजेश ने तबतक चोदा जब तक वह झड़ नही गई। सुनीता चीखते हुए झड़ने लगी।
राजेश भी उससे लिपट कर सुस्ताने लगा अपना खोया ताकत प्राप्त करने लगा।
कुछ डर बाद राजेश फिर हरकत में आया और उसकी ओंठ मुंह में भर कर चूसने लगा। उसकी चुचियों को मसल मसल कर पीने लगा।
और जब राजेश फिर से उसकी योनि चाटने लगा तो सुनीता के शरीर में फिर रक्त संचार बढ़ गया। वह फिर से उत्तेजित हो गई।
सुनीता खड़ी हो गई और बेड को पकड़ कर झुक गई। राजेश उसके कूल्हे को सहलाया।
सुनीता चिहुंक उठी।
राजेश ने अपना लंद पकड़ कर एक बार उसकी योनि में रखा और एक जोर का धक्का मारा। लंद बुर में गप से अंदर चला गया।
राजेश ने सुनीता की कमर को पकड़ कर लंद को बुर में गप गप अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
कमरे में फिर से एक बार सुनीता की मादक सिसकारी आह उह, उई मां आह, आई,,, मां गूंजने लगी।
राजेश को भी बहुत मजा आने लगा।
राजेश _आह मां बहुत मजा आ रहा है। सच में बहुत मस्त मॉल है तु, तुम्हे चोदने का मजा ही कुछ और है।
राजेश और तेज़ तेज़ चोदने लगा।
सुनीता फिर से अपनी चरम अवस्था में पहुंचने वाली थी।
तभी राजेश ने अपना लंद बाहर निकाल दिया।
राजेश बेड पर लेट गया।
सुनीता को ऊपर आने का इशारा किया।
सुनीता बेड पर चढ़ गई ।
राजेश के लंद को पकड़ कर अपनी बुर के छेद में रखी और नीचे बैठ गई।
लंद फैच की आवाज़ के साथ अंदर चला गया।
सुनीता अब राजेश के लंद पर उछल उछल कर चुदने लगी।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे अपनी लंद पर पटक पटक कर चोदने लगा।
लंद पूरे गहराई तक अंदर जा रहा था।
सुनीता जोर जोर से सिसक रही थी। चीख रही थी।
आह मां आह,, उई आह,
लंद का टोपा उसकी गर्भाशय से टकरा रहा था।
जिससे उसको दोगुना मजा आ रहा था।
वह राजेश के लंद पर उछल उछल कर chud रही थी।
दोनो संभोग के आपार सुख को प्राप्त कर रहे थे जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

अब राजेश ने सुनीता को घूम कर बैठने कहा ।
सुनीता लंद उठी।
बुर से लंद fach की आवाज़ के साथ बाहर आया लंद सुनीता की बुर का पानी पीकर और ज्यादा मोटा और लंबा हो गया था।
सुनीता राजेश की ओर पीठ कर लंद को बुर में डाल कर बैठ गई।
राजेश ने सुनीता की कमर पकड़ लिया और उसे पटक पटक कर चोदने लगा।
दोनो काम के परम सुख का मजा लेने लगे।
उसके बाद राजेश ने सुनीता को बेड में ही घोड़ी बना दिया।
औरबुर में लंद गपा गप अंदर बाहर करने लगा।
सुनीता को राजेश तब तक चोदता रहा जब तक वह फिर से नही झड़ी।
सुनीता के झड़ने के बाद भी राजेश ने लंद बाहर नही निकाला, कुछ देर रुका फिर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
सुनीता _बेटा अंदर मत झड़ना, मेरा अभी गर्भधारण काल चल रहा है मैं फिर से पेट से हो जाऊंगी।
राजेश _तो क्या huwa मां ये तो बड़ी अच्छी बात।
सुनीता _नही बेटा एक बार मुसीबात में फस चुकी थी और नही फसना है मुझे, प्लीज अंदर मत छोड़ना।
राजेश _तब तो तुम्हारी गाड़ चोदना पड़ेगा।
तुम्हारी गाड़ तो फिर से टाइट हो गई है।
काफी दिन हो गए हैं न शायद इसलिए।
सुनीता _हा बेटा।
राजेश ने एक उंगली सुनीता की गाड़ में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
फिर दो उंगली डाल दिया।
सुनीता का पूरा बदन kapkapanne लगा।
राजेश ने बेड से नीचे उतर कर अलमारी से चिकनाई वाला क्रीम निकाल कर अपने लंद पर अच्छे से लगाया फिर क्रीम को सुनीता की बुर में डाल दिया।
अब सुनीता के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया ।

अबउसकी गाड़ में अपना लंद का टोपा सेट किया और दबाव डाला।
काफी प्रयास के बाद लंद का टोपा अंदर घुस गया।
सुनीता चीखना चाही पर चीख न पाई।
अब राजेश हल्का हल्का लंद को अंदर बाहर करने लगा।
लंद धीरे धीरे गाड़ में अपनी जगह बनाने लगा। गाड़ फैलने लगा।
और एक समय ऐसा आया जब राजेश का लंद पूरा गाड़ में समा गया।
अब राजेश ने कभी बुर में तो कभी गाड़ में अपना लंद डालकर gach gach चोदने लगा।
राजेश को टाइट गाड़ चोदने से बड़ा मजा आ रहा था जब उसका लगता की वह झड़ने वाला है तो लंद को बुर में डाल देता और बुर चोदने लगता। कुछ देर बाद फिर से गाड़ में लंद डाल कर चोदता। और अन्त में सुनीता की गाड़ में अपना पानी छोड़ दिया।
करीब दो घंटे तक दोनो के बीच chudai चला दोनो काफी थक चुके थे एक दूसरे के बांहों में लेटकर सो गए। दो गहरी नींद में सो गए।
सुनीता की नींद खुली तो सुबह के पांच बज रहे थे। वह बेड से उठी और अपने कपड़े उठा कर नंगी ही अपने कमरे में जाकर बाथरुम में घुस गई और नहाने लगी।
उसने अपनी बुर और गाड़ की हालात देखी। दोनो को राजेश ने सूजा दिया था। वह अपनी बुर की हालात देख मुस्कुरा रही थी।
इधर राजेश जब उठा तो सुबह 6बज चुका था वह अपनी मां को ढूंढा पर कमरे में नही थी।
उसे लगा मां चली गई।
वह भी बाथरुम में जाकर नहाने लगा।
और तैयार होकर अपनी मां से मिलने गया जो कीचन में काम कर रही थी।
उसे बाहों में भर लिया। उसकी गालों को चूमने हुवे कहा, गुडमॉर्निंग मां।
सुनीता _good मॉर्निंग बेटा।



_अरे तु तो नहा कर तैयार भी हो गया।
राजेश _हा मां, मुझे गांव के लिए निकलना है न इसलिए।
वैसे रात कैसे रही।
सुनीता शर्म से पानी पानी हो गई।
सुनीता _पूरा सूजा दिया है तूने और पूछता है रात कैसी रही? अब छोड़ कोइ आ जायेगा।
राजेश ने सुनीता को छोड़ दिया।
राजेश _मां नाश्ता जल्दी से बना दो मेरा ट्रैन छूट जायेगा।
सुनीता _बस तैयार होने वाला है। तुम्हारे पापा को उठा दो वह तुम्हे स्टेशन छोड़ आएगा।
राजेश _ठीक है मां।
Awesome update bhai
Ab Rajesh jayega gaon us thakur ko sabak sikhane
 
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