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Incest यह क्या हुआ

rajesh bhagat

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बहुत ही उम्दा अपडेट दिया है भाई ! थोड़ा देर से वापस आए लेकिन बहुत जबर्दस्त तरीके से वापसी हुई है !

अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी ! 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
Thanks
 

avi345

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जैसे की आप लोगो ने अब तक पड़ा किस तरह पुनम और पदमा दोनो सास बहू दोनो साथ में राजेश से चुदवाती है। राजेश दोनो की ऐसी chudai करता है कि वे दोनो राजेश के दीवानी हो जाती है।
क्यों कि संभोग का जो सुख राजेश ने उन्हें दिया। ऐसा सुख की परिकल्पना तक दोनो ने नही की थी।
राजेश ने तो पदमा की गाड़ मारकर उसे एक अलग ही आनंद का एहसास करा दिया। वह राजेश की गुलाम बन चुकी थी।
पदमा और पुनम दोनो तो रोज ही राजेश से अपार संभोग सुख को प्राप्त करना चाहती थी। वे नही चाहते थी की इस खेल की जानकारी आरती राजेश के ताऊ जी को हो और अब तो घर में पदमा की बड़ी बेटी ज्योति जोआठ माह के गर्भ से थी वह भी अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने अपने मायका आ गई थीं। इसलिए पदमा, और पुनम दोनो मन मसोज कर दिन काटने लगीऔर मौके के तलास में रहने लगीं की राजेश से फिर से संभोग के परम सुख को प्राप्त कर सके।
इधर ज्योति को आए 5, 6दिन हो चुके थे पर ज्योति और राजेश आमने सामने आने एवम बात चीत करने से कतरा रहे थे। क्यों की राजेश ने घर के पीछे बाड़ा में बने मूत्रालय में ज्योति को धोखे से खड़े खड़े मूत करती देख लिया था। ज्योति तो बहुत ही शर्मिंदगी महसूस कर रही थी। वो अपने को ही दोषी मान रही थी कि उसने मूत्रालय का दरवाजा बंद नही किया था।
इधर राजेश को भी बहुत खराब महसूस हो रहा था, वह भी अपने को कसूर वार समझ रहा था। वह दरवाजा धकेल कर सीधा मूत्रालय में घुस गया।
पता नही दीदी मेरे बारे में क्या सोच रही होगी।
इधर राजेश सुबह उठ कर अखाड़ा जाता और वहा कसरत करता कबड्डी प्रतियोगिता की तैयारी भी जोरो से चल रही थी।
आज ग्राम पंचायत भवन में सरपंच एवम पंचों का आवश्यक बैठक रखा गया था। इस बैठक में राजेश को भी बुलाया गया था।
राजेश निर्धारित समय में बैठक में शामिल होने के लिए पंचायत भवन पहुंचा। राजेश जब वहा पहुंचा तो सरपंच और पंचगण पहले ही पहुंच चुके थे। उसके अलावा गांव के प्राथमिक शाला के प्रधान पाठिका, आंगनबाड़ी वाली दीदी भी अपनी समस्या बताने आई हुई थी।
बैठक प्रारंभ हुआ।

पंचायत सचिव ने बैठक का एजेंडा बताया। जिस पर वहा मौजूद सभी लोगो से उनके विचार जाने गए और समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयास किया गया।

गांव की सरपंच सविता जी ने प्राथमिक शाला की प्रधान पाठिका से उनकी समस्या बैठक में रखने को कहा।
गांव की प्रधान पाठिका जिसका नाम माधुरी उम्र 32वर्ष ने अपनी स्कूल की समस्या बताया।
माधुरी _ग्रीष्म अवकाश के बाद खुलने वाली है। स्कूल कूल की समस्या से आप सभी भली भांति परिचित है । पहले यहां दो शिक्षक पदस्थ थे, उसमें से एक का ट्रांसफर हो गया, अब सिर्फ मैं ही बची हूं।आप लोगो को पता है की स्कूल में 1से 5तक कक्षा संचालित है। शाला में लगभग 150बच्चे दर्ज है।
अब एक अकेले के भरोसे स्कूल संचालित करने में कितनी परेशानी होगी।
अध्ययन अध्यापन बुरी तरह प्रभावित होगा। ग्राम पंचायत द्वारा शिक्षक की व्यवस्था किया जावे।
सरपंच _पिछले वर्ष हमने शिक्षा मंत्री से मिलकर शिक्षक का मांग किया था। पर यहा के विधायक हमारे गांव की भलाई चाहते नही है। गांव में शिक्षक भेजने के बजाए, विधायक के कहने पर मंत्री जी ने यहां पदस्थ एक शिक्षक का और ट्रांसफर करा दिया।
मुझे तो समझ ही नही आ रहा क्या करे? पंचायत के पास इतना फंड भी नही की वह स्कूल में पढ़ाने के लिए शिक्षक रख सके।
राजेश तुम इस मसले तुम कुछ रास्ता सुझा सकते हो?
राजेश _सरपंच जी, इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
सरपंच _वो कैसे?
राजेश _, हमारी पहली प्राथमिकता बच्चो की शिक्षा होनी चाहिए। तभी गांव का विकास संभव है क्यू की बच्चो को गुणवक्ता युक्त शिक्षा मिलने पर ही वे पढ़ लिखकर आगे इंजीनियर डाक्टर या अफसर बन सकते हैं। इसके लिए प्राथमिक शिक्षा का मजबूत होना बहुत जरूरी है।
5कक्षा को एक शिक्षक के भरोसे छोड़ने से बच्चो को गुणवक्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त नही हो सकती। यहां दर्ज संख्या के हिसाब से पांच कक्षाओं के लिए पांच शिक्षक का होना बहुत जरुरी है। तभी बच्चो को गुणवक्ता पुर्ण शिक्षा मिल पाएगी।
सरपंच _वो तो हम भी समझ रहे हैं पर शिक्षक आयेंगे कहा से।
राजेश _सरकार से उम्मीद करना व्यर्थ है क्यों की पूरे राज्य में शिक्षको की कमी है, और सरकार शिक्षको की भर्ती करना नही चाह रही। इस समस्या का समाधान गांव के लोगो को ही मिलकर करना होगा।

सरपंच _पर वो कैसे?
राजेश _जनभागी दारी से,
सरपंच _हम कुछ समझे नही।
राजेश ने माधुरी मैडम से कहा,,,
राजेश _मैडम जी स्कूल में शाला विकास समिति तो गठित होगा।
माधुरी _हा गठित है पर उसके सदस्य एक्टिव नही है । समिति का बैठक आयोजित करने पर सिर्फ अध्यक्ष ही अपनी उपस्थिति देते है। बाकी सदस्य तो आते नही।
राजेश _देखिए, स्कूल के बेहतर संचालन के लिए शाला विकास समिति के सदस्यों का एक्टिव होना बहुत जरुरी है यदि शाला विकास समिति चाहे तो शिक्षको की व्यवस्था कर सकती है ।
सरपंच _पर वो कैसे!
राजेश _मैने पहले ही कहा था जनभागी दारी द्वारा। शाला विकास समिति स्कूल के विकास के लिए लोगो से फंड इकट्ठा करे, गांव के लोग अपनी क्षमता के हिसाब से शाला को फंड दान करे। समिति इस फंड का हिसाब किताब रखे। और इस फंड से,
गांव में बहुत से बहू बेटियां पढ़ी लिखी हुई है। उनमें जो योग्य एवम अपनी सेवा देने इच्छुक हो उसे शिक्षक के रूप में नियुक्त करे।
आप लोग मेरे विचार पर चिंतन कीजिए।
वहा मौजूद सभी लोग आपस में विचार विमर्श किए और एक निष्कर्ष तक पहुंचे ।
सरपंच _राजेश, हम सभी ने आपके बातो पर विचार विमर्श किया, हम सब आपके बातो से सहमत है।
पर शाला के लिए फंड इकट्ठा करना इतना आसान नहीं है।
राजेश _शाला के लिए फंड इकट्ठा करने की जवाब दारी मेरी है।
सरपंच _अगर ऐसी बात है तो शाला विकास समिति में तुमको शाला विकास सलाहकार नियुक्त किया जाता है। जो समिति को आवश्यक सलाह देगा। शाला विकास समिति का पुनर्गठन किया जावे, जिसमे एक्टिव पालकों को सदस्य बनाया जावे।
राजेश क्या तुम यह जिम्मेदारी लेने तैयार हो?
राजेश _जी सरपंच जी यहां के बच्चो को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो उसके लिए मुझसे जो भी हो सकता है मैं करूंगा?

राजेश ने माधुरी मैडम से कहा,,
मैडम जी आप शाला में पालकों का एक बैठक आयोजित कीजिए इसमें शाला विकास समिति का नया गठन कीजिए।
समिति में पंचायत का भी एक प्रतिनिधि सामिल हो।
माधुरी _ठीक है राजेश, मैं कल ही पालकों का एक बैठक आयोजित करती हूं।
अगले दिन माधुरी मैडम ने पालकों का बैठक आयोजित किया जिसमे बड़ी संख्या में पालक इकट्ठा हुवे। पंचायत की ओर से सरपंच स्वयं शामिल हुई।
शाला विकाश समिति का नया गठन किया गया। जिसमे सक्रिय पालकों को शामिल किया गया।
शाला विकास समिति के गठन के बाद राजेश ने समिति के सदस्यों को शाला की समस्या से अवगत कराया और उसके समाधान हेतु कार्ययोजना बनाया।
शाला विकाश हेतु फंड की व्यवस्था करने के लिए जनसहयोग प्राप्त करने के लिए निर्णय लिया गया कि राजेश के नेतृत्व में एक दल बनाया जाएगा जो गांव में घर घर जाकर शाला विकास हेतु लोगो से फंड इकट्ठा करेगा।

बैठक ख़त्म होने के बाद राजेश जब घर पहुंचा,,
उसे घर में कोइ नजर नही आया।
उसने भौजी कहा हो,,,,,
आवाज़ लगाया,,,
आरती के कमरे से ज्योति बाहर निकली।
ज्योति घर में अकेली थी तो न चाहते हुवे भी उसे राजेश से बात करना पड़ा,,
ज्योति _वो आरती और पुनम पड़ोस वाली काकी के घर पूजा है वहा गई हुई हैऔर मां खेत गई हुई है।
राजेश _ओह,
ज्योति _आप हाथ मुंह धो लीजिए मैं किचन में खाना लगा देती हूं। ज्योति ने राजेश से नज़रे चुराते हुवे धीरे से कहा।
राजेश भी बिना नज़रे मिलाए कहा,,,
राजेश _जी,,
राजेश पीछे बाड़ा में गया और वहा फ्रेश होकर हाथ मुंह धो कर कीचन में आया और खाने बैठ गया।
ज्योति ने राजेश के लिए भोजन की थाली लगाया।
राजेश चुपचाप भोजन करने लगा। कमरे में खामोशी था कोइ कुछ बोल नहीं रहा था।
राजेश को समझ नहीं आ रहा था कि इस स्थिति से बाहर कैसे निकले तभी उसने ज्योति से कहा,,
राजेश _दीदी, मुझे माफ कर दीजिए।
ज्योति न चाहते हुवे भी बोली,,
ज्योति _वो किसलिए?
राजेश _उस दिन के लिए, मुझे पता नही था आप बॉथरूम के अंदर है? मैं बहुत पहले ही आपसे माफी मांगना चाहता था पर हिम्मत नही हुई, पता नही आप मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी?

ज्योति शर्म से पानी पानी हो गई और न चाहते हुवे बोली,,
ज्योति _इसमें गलती मेरी भी है मुझे बाथरुम का दरवाजा बंद करना चाहिए था।
राजेश _दीदी आप मुझसे नाराज़ तो नही है न।
ज्योति _नही।
राजेश _, फिर इतने दिनो तक मुझसे बात क्यू नही की।
ज्योति शर्माते हुवे बोली।
मुझे तुमसे बात चीत करने और सामने आने में शर्मिंदगी महसूस हो रही थी।
राजेश _ओह, मैं तो समझ रहा था कि आप मुझसे नाराज़ हैं। दीदी जो huwa वो एक हादसा समझ कर भुल जाओ।
वैसे आप नही गई पूजा में।
ज्योति _ऐसी हालात में मां ने के किसी के घर जाने से मना किया है।
राजेश _ओह।
राजेश _दीदी, मां जब यहां थी तब तुम तो चार वर्ष की रही होगी। आप तो मां के बारे में बहुत कुछ जानती होगी।
ज्योति _हां, चाची जब ब्याह के यहां आई थी तब मैं चार साल के और भुवन दो साल का था। चाची हमे बहुत प्यार करती थी दोनो भाई बहन हम चाची के आगे पीछे ही घूमते रहते थे।
चाची के जाने के बाद हम दोनो भाई बहन उन्हें बहुत याद किए। हम उनसे मिलना चाहते थे। पर न तो चाची फिर गांव आई न हम वहा जा पाए। आज भी मुझे चाची से मिलने की बड़ी इच्छा है।
राजेश _दीदी देखना जब तुम नए बच्चे को जन्म दोगी न तो मैं मां को यहां आने के लिए निवेदन करूंगा, और मां से मिलने की तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी।
ज्योति _क्या सच में।
राजेश _हा, दीदी।
राजेश ने भोजन कर लिया, वह उठने लगा।
ज्योति _अरे थोड़ा और चावल तो ले लो।
राजेश _नही दीदी, मेरा खाना हो गया।
राजेश हाथ धो कर अपने कमरे में चला गया और आराम करने लगा।
कुछ देर बाद कमरे में ज्योति आई।
राजेश _अरे दीदी तुम, यहां।
ज्योति _वो क्या है न कि मुझे चाची के बारे में और जानने की इच्छा हुई, वहा चाची खुश तो है न। हम लोगो को याद करती भी है कि नही।
राजेश _दीदी, मां के साथ यहां जो कुछ भी huwa है वो नही चाहती थी की इसकी जानकारी मुझे हो इसलिए वो गांव का जिक्र हमसे नही करती थी।
वैसे मैं अपनी मां को बहुत अच्छे से जानता हूं, वह बहुत प्यारी और ममता मई है मुझे पूरा यकीन है कि वह भी तुम लोगो से मिलना चाहती होगी, पर मजबूर रही होगी।
ज्योति _तुम अपने बारे में बताओ। सुना है तुम कलेक्टर बनना चाहते हो। पर तुम्हारा यहां गांव आना कुछ समझ नहीं आया?
राजेश _दीदी, मेरा गांव आना, शायद नियति यही चाहता था। जो मुझे गांव ले आया।
ज्योति _सुना है तुम काफी बहादुर हो, ठाकुर साहब अपनी बात मानने के लिए मजबूर कर दिया। पूरे गांव वाले तुम्हारे बड़ी तारीफ कर रहे हैं? तुम्हे तो दादा जी का नया जन्म मान रहे है जो उस ठाकुर के जुल्मों से गांव को बचाने आया है?
राजेश हसने लगा,,,
राजेश _दीदी यह गांव मेरा भी है और इसके भलाई के बारे में सोचना मेरा फर्ज है। यहां के लोगो के कुछ काम आ सकू ये मेरा सौभाग्य होगा।
वैसे आप अपने बारे में बताइए आपके ससुराल वाले कैसे है?
ज्योति _मैं अपने बारे में क्या बताऊं? जब मैने १२वी कक्षा पास की तो मेरी शादी तय कर दी गई। तुम्हारे जीजा जीबड़े अच्छे है वो मुझे बहुत प्यार करते हैं। शादी के एक साल बाद ही मुन्नी को मैने जन्म दिया। उसके दो साल बाद सास गुजर गई। घर में खाने पीने की कोइ कमी नहीं है। घर में चार लोग रहते है मैं तुम्हारे जीजा जी मेरे ससुर और मुन्नी।
जब मेरा 8वा महीना शुरू huwa तो घर के काम करने में मुझे दिक्कत होने लगी। और वहा कोइ महिला भी नही जो मेरा देखभाल कर सके। उन्हे डर था कुछ ऊंच नीच हो गया तो इसलिए ससुर जी के कहने पर तुम्हारे जीजा जी ने मुझे मायका छोडा ।
राजेश _दीदी, जीजा जी जब यहां आपको छोड़ने आए मैं नही था। वैसे वो करते क्या है?
ज्योति _ससुर जी तो गांव के सरपंच है। तुम्हारे जीजा जी गांव में खेती करते है और किराने की दुकान भी चलाते है।
राजेश _दीदी आप तो बहुत सुन्दर हो जीजा जी तो आप पर एकदम लट्टू होंगे।
ज्योति हसने लगी,,,
ज्योति _वैसे तु भी बड़ा स्मार्ट है, एकदम बॉलीवुड का हीरो लगता है। शहर में तो तुम्हारे कई गर्ल फ्रेंड होगी।
राजेश _हूं ।
ज्योति _और गांव में कोइ बनाया है कि नही,,
सुना है कि,,,
राजेश _क्या सुना है दीदी?
ज्योति _यही कि ठाकुर की बेटी के साथ तुम्हारा कुछ खीचड़ी है,,,
राजेश _किसने कहा आपसे? ऐसा कुछ भी नहीं है।
ज्योति _अगर ऐसा नही है तो ठीक ही है क्यों कि ये ठाकुर तो पहले से ही गांव पे कहर ढा रहा है, जब पता चलेगा की उसकी बेटी के साथ तुम्हारा लफड़ा है तो पता नही क्या करेगा?
तभी किसी की बाहर की दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आया।
ज्योति _लगता है, पुनम और आरती घर आ गई।
ज्योति कमरे से चली गई।

रात में भोजन करने के बाद सभी अपने कमरे में सोने चले गए। राजेश भी अपने कमरे में पढ़ाई करने लगा।
इधर पुनम की आज chudwane की बड़ी इच्छा हो रही थी पूरे एक सप्ताह हो चुके थे। राजेश से chudwaye जब से ज्योति आई थी chudai बंद था।
पुनम सोने की कोशिश की लेकिन आज उसे नींद नहीं आ रही थी। वह मजबूर होकर अपने कमरे से निकल कर राजेश के कमरे की ओर चली गई।
जब राजेश के कमरे मे पहुंची,,
राजेश _अरे भौजी तुम इस वक्त।
पुनम _देवर जी मुझे नींद नहीं आ रही।
राजेश _पर क्यू?
पुनम _आज मेरी बुरिया मुझे बहुत परेशान कर रही है। तुम्हे इसकी प्यास बुझाना होगा।
राजेश _भौजी ये क्या कह रही हो कहीं ज्योति दीदी उठ गई तो, और उसे पता चल गया तो, क्या होगा?
पुनम _मैं कुछ नही जानती, अगर मेरी प्यास नही बुझाई तो मैं रात भर सो नहीं पाऊंगी।
पुनम ने अपनी ब्लाउज का बटन खोल कर अपनी बड़ी बड़ी चूचियां बाहर निकाल ली।
पुनम _क्या तुम्हे मेरे दूध पीने की इच्छा नही होती अब।
राजेश _पुनम की मस्त दूध से भरी चूचियां को देखने लगा।
पुनम राजेश का हाथ पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख दिया।
पुनम _लो पी यो मेरा दूध।
पुनम की मस्त चूचियां देख कर राजेश के शरीर में सनसनाहट बड़ गया।land में तनाव आने लगा।
पुनम राजेश के गोद में बैठ गई।
राजेश दोनो चुचियों को मसल मसल कर बारी बारी से पीने लगा।
पुनम सिसकने लगी।
पुनम _देवर जी, आज तुम मेरी chut के साथ मेरी गाड़ की छेद भी खोल दो, जब से तुमने सासु मां की गाड़ मारी है मेरी भी गाड़ मरवाने की इच्छा हो रही है।
राजेश _पर भौजी तुम्हारी गाड़ की छेद सकरी है तुम्हे बहुत दर्द होगा।
पुनम _अब जो होगा देखा जाएगा मेरी इच्छा पूरी करो।
राजेश _पर भौजी ये सब कमरे में नही हो सकता, तुम्हारे चीखे सुनकर पूरा घर उठ जायेगा।
पुनम _चलो घर के पीछे बाड़े में चलते है।
राजेश _भौजी एक बार फिर सोच लो कहीं ज्योति या आरती या फिर ताऊ जग गए तो मुझे दोष न देना।
पुनम _नही दूंगी बाबा, सारा इल्जाम अपने सर ले लूंगी, बस अब चलो।
राजेश _ठीक है तुम एक चटाई, तकिया और घी का डब्बा लेकर बाड़े में पहुंचो मैं आता हूं।
पुनम राजेश के ओंठ को चूमते हुवे कहा,, ठीक है मेरे राजा।
पुनम अपने कमरे से चटाई, कंडील, तकिया और घी का डब्बा लेकर बाड़े में बने जानवरो के खाने के लिए रखे पैरे वाले कमरे में चली गई।
कुछ देर बाद राजेश वहा पहुंचा,
राजेश के पहुंचते ही, दोनो के बीच chudai का खेल शुरू हो गया।
राजेश पुनम की boor कीअलग अलग आसनों में जम कर कुटाई करने लगा। दोनो संभोग के परम सुख को प्राप्त करने लगे।
Chut की प्यास बुझाने के बाद राजेश ने अपने land में अच्छे से घी लगा लिया और पुनम की गाड़ में घी भर दिया।
पुनम के मुंह में उसका चोली ठूस दिया, ताकि चीख मत सके।
फिर काफी कोशिश के बाद land को गाड़ में आखिर उतार ही दिया। पुनम की गाड़ फट चुकी थी।
उसके मुंह से चीख निकलने लगी।
इधर ज्योति को पेशाब लगी थी। गर्भावस्था में मूत्राशय में दबाव बढ़ जाने के कारण उसे बार बार पेशाब लगता था।
चूंकि उसे बैठ कर मूतने में दिक्कत होती थी इस लिए खड़े खड़े मूत ती थी। वह रात में आंगन में बने मोरी के पास जाकर मूतने में कोइ देख न ले, वह बाड़े की ओर चली गई।
किंतु बाड़े का दरवाजा अंदर से बंद था।
ज्योति _अरे दरवाजा किसने बंद किया है?
लगता है बाड़े में कोइ गया है।
तभी उसे कुछ आवाजे उसे सुनाई पड़ी, वह दरवाजे पर कान लगा कर सुनने की कोशिश करने लगी।
उसे किसी के चीखने कराहने की आवाज़ सुनाई पड़ी।
ज्योति _ये किसकी आवाज़ है?
वह कुछ देर तक आवाज़ सुनने के बाद, पुनम के कमरे की ओर गई, वहा उसे पुनम नही मिली।
वह राजेश के कमरे में जाकर पता की राजेश भी कमरे में नही मिला।
ज्योति के होश उड़ गए? उसे बहुत गुस्सा आने लगा।
उसकी भाई की पत्नि अपने देवर के साथ छुप कर रंगरेलिया मना रहा है? भुवन को धोखा दे रहा है?
वह मोरी में खड़े खड़े मूत कर अपने कमरे में जाकर सोचने लगी?
घर में ये सब खेल चल रहा है? किसी को पता ही नही है? सुबह होने दो पुनम की खबर लेती हूं।
वह लेट कर सोने की कोशिश की पर नींद नहीं आ रही थी। वह अपने कमरे से निकल कर फिर से बाड़े के दरवाज़े के पास गई।
इस समय पुनम को गाड़ मरवाने में अब मजा आ रहा था।
मुंह से सिसकारी निकाल रही थी जिसे सुन कर, ज्योति भी गर्म हो गई।
उसे अपनी पति से chude काफी दिन हो चुके थे।
गर्भावस्था के दौरान उसकी सेक्स इच्छा ऐसे भी बड़ी हुई थी। पुनम की सिसकारी सुन कर वह भी गर्म हो गई। उसकी boor से पानी बहने लगी।
वह एक हाथ से अपनी boor रगड़ने लगी, उससे बर्दास्त नही huwa तो कमरे मे आकर उंगली boor में डालकर अंदर बाहर करने लगी, जब तक वह झड़ न गई।
इधर राजेश अपना सारा पानी पुनम की boor में छोड़ कर सुस्ताने लगा। और कुछ देर बाद दोनो अपने अपने कमरे मे आकर लेट गए।

अगले दिन सुबह जब राजेश अखाड़े से घर आया।
पदमा _राजेश बेटा एक काम करेगा?
राजेश _बोलो ताई क्या काम है?
पदमा _बेटा, ज्योति का 8वा माह चल रहा है। उसे एक बार स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर जांच कराना चाहिए ताकि पता चल सके की बच्चा ठीक तो है। खेत में अभी काम बहुत है भुवन का खेत जाना जरूरी है तुम ही ज्योति को ले स्वास्थ्य केंद्र ले जाते।
राजेश _ठीक है ताई। वैसे कब चलना है।
पदमा _बेटा, 10बजे चले जाना, ज्योति को लेकर।
राजेश _ठीक है ताई।
पदमा ने ज्योति को आवाज़ दिया,,,
पदमा _ज्योति,,,
ज्योति _क्या है मां?
पदमा _बेटी जाओ तुम नहा धोकर नाश्ता कर तैयार हो जाओ फिर आज तुम राजेश के साथ स्वास्थ्य केंद्र चली जाना, एक बार तुम्हारा जांच कराना जरूरी है।
ज्योति _ठीक है मां।
राजेश और ज्योति दोनो नहा धोकर नाश्ता करके तैयार होकर भुवन के बाइक लेकर लक्ष्मण पुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए चले गए।
आगे क्या हुआ अगले अपडेट में,,,
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