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Incest ये तो सोचा न था…

AssNova

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^^^वो जो भी व्यक्ति था वह इस कहानी का बहुत अहम किरदार है. कृपया थोड़ी धीरज और थोड़ा विश्वास रखें…
Pura viswaas hai sir , par shayad dhiraj nhi hai utna !!
vaise Jugal-chandini ki relation development kariye jis tarag jagdish-shalini ka ho rha hai
Aur aab ham bhi apko itna pareshan nhi karenge sirf update mang lenge :) jaise sab mangte rhte hain !
 

asimbabu

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Best Erotic story
Waiting for nest update
 
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२३ – ये तो सोचा न था…

[(२२ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश ने देखा तो तेजी से उठ कर दोनों हाथ ऊपर करके बक्सा सम्हालने के चक्क्र में उसका पेट अंदर ककी ओर दब गया था और यूं पेट का दबाव कम हो जाने के कारण उसकी धोती खुल कर नीचे सरक गई थी और वो बिलकुल नंगा खड़ा था…

जगदीश को पलभर सुझा नहीं की उसने क्या करना चाहिए!

इतने में कमरे के दरवाजे के पास बुवा की आवाज आई. ‘शालिनी….’

क्या बुवा अंदर आ रही है?

जगदीश और शालिनी ने डर के एक दूसरे को देखा. शालिनी तेजी से जगदीश के पास दौड़ी और बुवा अंदर आये उससे पहले जगदीश की कमर पर धोती लपेटने की अफरातफरी में उसने अनजाने में जगदीश के लिंग को तेज झापड़ मार दी… जगदीश का लिंग कुछ देर पहले शालिनी के स्तनों को देखने के बाद तना हुआ ही था, जब शालनी की अनचाही झापड़ लगी तब शालिनी की उंगलियां बहुत तेजी से जगदीश के दोनों अंडकोषो को लग गई और जगदीश पीड़ा से ‘ ओह्ह्ह्ह…’ चिल्ला पड़ा.

तीन चार क्षण में यह सब हो गया.

जो किसी ने सोचा न था- ]


इस के बाद जो कुछ भी हुआ वो जगदीश के लिए जैसे कोई फिल्म का दृश्य था जो वो ऑडियंस में बैठ कर परदे पर होता हुआ देख रहा था. इस साक्षी भाव जैसी स्थिति का कारण था उसके अंडकोष में शालिनी की उंगलियों का अनजाने में हुआ वो प्रहार. उस प्रहार से जगदीश का समूचा होश कुछ समय के लिए सुन्न सा हो गया. होश के विदा होते होते जगदीश ने दिमाग की स्वयं संचालित वृत्ति से जो त्वरित गति से किया वो उस बक्से को उतार कर जमीन पर रख दिया… इसी के समांतर शालिनी ने जगदीश की कमर पर धोती ठीक से बांध दी. यह दोनों क्रिया तीन चार सेकंड में हो गई. और बुवा कमरे में दाखिल हुई. जगदीश और शालिनी ने इस आशंका के साथ की -बुवा ने हमें किस स्थिति में देखा होगा - बुवा की ओर देखा पर दोनों को इस बात से बड़ी राहत हुई की बुवा उनकी ओर अब तक देख ही नहीं रही थी. उनके पैरों में बिल्ली बारबार आड़े आ रही थी हुए वो कुछ लाड से और कुछ गुस्से से बिल्ली को देखते हुए बातें कर रही थी : ‘वेडी झाली का ? नेहमी पायात लोटवत असते… असं च कधी मरणार आहे तू माझ्या पाया खाली, सांगून ठेवते !… आता जा की…! ( तू पागल हो गई है क्या? जब देखो तब पैरों में चिपक जाती है! ऐसे ही किसी दिन मेरे पैरों तले तू मर जाएगी देखना, बोल देती हूं… अब जा यहां से…!)

ऐसा बोलते हुए जब बुवा जगदीश और शालिनी से मुखातिब हुई तब तक दोनों ‘सम्हल’ चुके थे. जगदीश पलंग पर बैठ पड़ते हुए बोला. ‘यह बक्सा ऊपर रखना रिस्की है…’ इतना बोलने पर उसे अपने अंडकोष में एक बिजली का झटका सा लगा और वो पीड़ा से आंखें मूंद कर पलंग पर गिर पड़ा. बुवा और शालिनी को शोक लगा की क्या हुआ! दोनों जगदीश के करीब जा कर पूछने लगे की क्या हो गया… ?

झटके की असर मंद होने पर जगदीश ने बुवा से कहा. ‘बुवा मुझे दस मिनट आराम करने दो.. फिर मैं आपसे आकर मिलता हूं…’ और शालिनी से कहा. ‘प्लीज़ मुझे थोड़ा पानी पिलाना…’

बुवा टेन्स होते हुए बाहर चली गई… शालिनी पानी ले कर आई तब जगदीश को अंडकोष में दुबारा झटका लगा और वो पानी का प्याला थामे हुए फिर पीड़ा का मारा आंखें मूंद गया. शालिनी को समझ में नहीं आ रहा था की जगदीश को हो क्या रहा है ! वो हैरान हो कर जगदीश को देखती बैठी रही.

झटके का असर मंद होते जगदीश ने पानी का घूंट लिया. शालिनी ने चिंतित स्वर में पूछा. ‘आप को क्या हो रहा है?’

जगदीश ने दर्द से कराहते हुए शालिनी को अपने लिंग की और हाथ से इशारा करते हुए कहा. ‘अनजाने में मेरे टेस्टिकल को हाथ लग गया…’

इतना बोलते उसे अंडकोष में तीसरा झटका लगा और पीड़ा से वो लगभग बेहोश ही हो गया..

शालिनी को यह सुन कर समझ में आया की बुवा कहीं जेठ जी को नंगा न देख ले उस जल्दबाजी में धोती कमर में लपेटने की उसने कोशिश की तब आनन फानन में जगदीश के टेस्टिकल को हाथ लग गया था…- पर क्या इतने जोर से लग गया था !

शालिनी सहम गई. दोष भावना से मुरझाते हुए शालिनी ने बेहोश जगदीश की धोती का छोर हटा कर जगदीश के टेस्टिकल निहारे : एक गोली सूझ कर थोड़ी बड़ी हो गई थी… शालिनी ने तपाक से धोती फिर से ढांक दी और हाथों से अपनी आंखें ढंकते हुए बुदबुदाई : हे भगवान् यह मुझसे क्या हो गया !

***


अन्ना गणेशी हाउस

इडली खाने का काम निपटा. प्लेट हटाई गई. जुगल और चांदनी ने पानी पी लिया. अपने रुमाल से मुंह पोछते हुए जुगल ने अन्ना से पूछा.

‘अब बोलोगे?’

‘दीक्षित का बेटी का शादी का फ़ार्म हाउस में कल एक रेप हुआ.’ अन्ना ने जुगल को ताकते हुए कहा.

‘तो?’ जुगल को मुद्दा समझ में नहीं आया.

‘तो?’ अन्ना ने आश्चर्य से पूछा.

‘आई मीन ओके-’

‘व्हाट ओके?’ अन्ना ने दहाड़ कर कहा. ‘वो मेरा भेन था… जिसका रेप हुआ. रात से अबी तक उसको होश नहीं आया. बोलता है ओके!’

जुगल और चांदनी सख्ते में आ गये. दोनों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि अन्ना की बहन पर किसी ने बलात्कार कर दिया हो तो इस में जुगल का क्या दोष! यह आदमी जुगल पर क्यों आग बबूला हो रहा है!

जुगल ने गला ठीक करके कहा.

‘आई एम सॉरी, मैंने ओके बोला वो मेरी गलती है. यह बात ओके नहीं है- आई एम रियली वेरी सॉरी… लेकिन….’ कुछ रुक कर जुगल ने अन्ना से पूछा. ‘आप ये सब मुझे क्यों बता रहे हो? पुलिस में शिकायत करो, एक्शन लो!’

‘अच्छा? ज्यादा स्मार्ट नहीं बनने का. कन्फेस करने का. ओके?’

‘कन्फेस?’ जुगल और चांदनी चौंके.

‘रेप तुम किया. हम को मालुम.’ अन्ना ने स्थिर नजरो से जुगल को देखते हुए कहा.

***

जगदीश की आंखें खुली… उसे अपने अंडकोष में बड़ी राहत महसूस हो रही थी. उसने सर उठा कर देखा तो शालिनी उसके अंडकोष की हलके से दबाव से मालिश कर रही थी, एकदम नजाकत से… शायद किसी तेल से.. उसने शालिनी का चेहरा देखा तो आवाज किए बिना वो रोए जा रही थी.उसकी उंगलियां अंडकोष को मसाज कर रही थी और आंखें बह रही थी…

जगदीश ने कहा. ‘शालिनी…’

शालिनी ने चौंक कर जगदीश को देखा और पूछा. ‘भैया !... दर्द जरा सा भी कम हुआ क्या?’

‘दर्द तो गायब हो गया…’

शालिनी ने राहत की सांस ली और धोती से जगदीश के अंडकोष ढंकते हुए कहा. ‘मुझे माफ़ कर दो… आप को कितना परेशान करती हूं मैं. सच में मुझे नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी… पापिनी हूं मैं…’ बोल कर फफक फफक कर रोने लगी.

जगदीश उठ बैठा. शालिनी को खींच कर बांहों में लिया और कहा. ‘पगली, तेरा कोई कसूर नहीं था.’

‘आप इतने अच्छे क्यों हो?’ जगदीश की छाती में अपने हाथ से मुट्ठी मारते हुए शालिनी ने शिकायत के सुर में कहा. ‘मेरी कितनी भी गलती हो मुझे न डांटते हो न गुस्सा होते हो?’

‘अरे नादान…’ जगदीश ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा. ‘तू मेरी बच्ची है. सबसे प्यारी और सबसे मासूम.’ शालिनी जगदीश की छाती में सर दबा कर रोने लगी. जगदीश उसका सर सहलाता रहा.

***


अन्ना गणेशी हाउस

जुगल बौखला गया. शराब के नशे में उसने किसी से संभोग किया था यह तो याद है पर रेप? कब? -उसे लगा कुछ गलतफहमी हो रही है…या फिर जिससे मैंने संभोग किया था वो इसकी बहन थी? हो सकता है की इस अन्ना की वो बहन हो पर मैंने रेप तो नहीं किया था. उस लड़की ने एक बार भी न मना किया न अपनी पोझिशन से हट ने की कोशश की…

चांदनी की मन स्थिति ज्यादा खराब थी. वो सोच रही थी : जुगल ने मेरे साथ शालिनी के धोखे में संभोग कर लिया उसके बाद तो लेट गया था. तो फिर ये रेप उसने कब किया? या किसी का रेप करके वो अपने कमरे में आ रहा था ? पर एक रेप करने के बाद क्या आदमी दोबारा सेक्स कर सकता है? नहीं नहीं. अव्वल बात तो यह की जुगल रेप कर ही नहीं सकता, ऐसा उसका स्वभाव ही नहीं…

जुगल और चांदनी दोनों एक साथ बोल पड़े : ‘नहीं…’

अन्ना ने दोनों को घूरा और पूछा. ‘क्या नहीं?’

चांदनी ने कहा. ‘ये मेरा देवर है, मैं इसे बहुत अच्छे से जानती हूँ, यह ऐसा घिनौना काम कर ही नहीं सकता. आप लोगों की कुछ गलतफहमी हुई है.’

‘सब को लगता है की सब शरीफ लोग उसका घर में ही रहेनेका.’ अन्ना ने कटु आवाज में चांदनी से कहा.

‘आप को यह किसने बताया की मैंने रेप किया है ? कोई विटनेस है?’ जुगल ने पूछा.

‘तुम बोलता - तुम रेप नहीं किया बोल के?’ अन्ना ने जुगल से कन्फर्म किया.

‘मैंने रेप नहीं किया.’ जुगल ने दृढ़ आवाज में कहा.

पूरे कमरे में पिन ड्रॉप साइलेंस छा गया.


***

न जाने कब तक शालिनी का रोना चलता रहता पर कमरे के बंद दरवाजे के बाहर से बुवा की आवाज आई. ‘शालिनी? अब कैसा है जगदीश?’

‘जी बुवा अब ठीक है….’ उठ कर अपने आंसू पोछते हुए शालिनी ने तेजी से जा कर दरवाजा खोला. बुवा अंदर आई. जगदीश ने ऑड फील किया.

‘सोरी बुवा…’ जगदीश ने कहा.

‘काय सोरी? वेडा झाला की काय? ( क्या सोरी? पगला गए हो क्या?) अब ठीक है तो बाहर आओ, थोड़ा काम है…’

‘बस पांच मिनट में आते है.’ शालिनी ने कहा.

बुवा ने जगदीश के सर पर स्नेह से हाथ घुमाया और कहा. ‘आओ…’

और वो कमरे से चली गई.

जगदीश पलंग पर से खड़ा हुआ और रुका. यह चेक करने की अंडकोष में दर्द तो नहीं हो रहा. शालिनी की आंखों में भी यही सवाल था. जगदीश ने शालिनी की ओर देखा.

‘दर्द हुआ?’ शालिनी ने चिंतित स्वर में पूछा.

‘बिलकुल नहीं.’ जगदीश ने मुस्कुराकर कहा. ‘तुमने जादू कर दिया…क्या लगाया तुमने ?’

‘जादू?’ रुआंसी आवाज़ में शालिनी ने कहा. ‘दर्द मेरी वजह से हुआ वो भूल गए और मेरी मालिश से दर्द गया तो जादू?’

‘ओफ्फो… मैंने पूछा तुमने किस चीज से मालिश की?’

‘सरसों का तेल. बुवा ने दिया.’

‘ओह.. बुवा को क्या बताया?’ जगदीश को फिर बहुत ऑड लगा.

‘आप खामखां टेंशन मत लो, बुवा से मैंने कहा कि वो कमरे में आई उससे पहले आप को घुटने में मार लगी, तो उन्होंने देशी सरसों का तेल दे कर कहा की बिलकुल फिक्र मत करो, इससे मालिश करो, अभी ठीक हो जाएगा…’

‘ओके.’ जगदीश ने चैन की सांस लेते हुए कहा. ‘ उस वक्त जब मुझे लगी तब तो लग रहा था जैसे जान निकल जायेगी पर अब सच में मैं बिल्कुल ठीक हूं.’

‘थेंक गॉड….’ शालिनी ने अपने दिल पर हाथ रख कर, आंखें मूंद कर कहा. फिर जगदीश से पूछा.

‘अब आप के कपड़ो का क्या करेंगे? वैसे एक टी शर्ट आप के लायक मिल गया है…’

कहते हुए शालिनी ने एक लाल रंग का टीशर्ट अपनी ड्रेस की बेग से निकाला.

‘अरे वाह ! ये कहां से मिला?’ टी शर्ट देखते हुए जगदीश ने खुश होकर कहा.

‘आप ड्रेस लाये वो चेक कर रही थी, उसमें यह टी शर्ट भी था.’

‘पर मैंने तो कोई टीशर्ट नहीं खरीदा.’

‘ये शायद किसी ड्रेस के साथ फ्री गिफ्ट है.’

‘मतलब लेडीज़ टीशर्ट ?’

‘लेडीज़ है पर पहन कर देखो - साइज़ में आ जाएगा…’

‘कैसे आ सकता है शालिनी? लेडीज़ टीशर्ट है तो जाहिर है मुझे टाइट होगा..’

‘आप ट्राई तो कीजिए?’

‘बदन पर से तौलिया हटा कर जगदीश ने टी शर्ट पहन कर देखा तो उसे बराबर हो गया. शालिनी मुस्कुराई. जगदीश को आश्चर्य हुआ.

‘ये कैसे बराबर हो गया? है तो लेडीज़ टी शर्ट! फिर?’

‘आप को पहनने से मतलब है ना? लेडीज़ है पर बुरा नहीं लग रहा देखो आईने में.’

आईने में देखते हुए जगदीश ने कहा. ‘हां ये तो चलेगा क्या -दौड़ेगा. पर…’ उसने शालिनी को देख कर पूछा. ‘मुझे लगा की यह मुझे टाइट होगा…’

‘जी वो मेरे ड्रेस के हिसाब से टीशर्ट की भी साइज़ होगी ना इस लिए मुझे यकीं था की आप को आ जाएगा..’ शालिनी ने शरमाते हुए कहा.

‘मतलब ? मैं समझा नहीं - तुम्हारे ड्रेस की साइज़ ?’ जगदीश उलझ गया. शालिनी की ओर देखा.

शालिनी और शर्मा गई . जगदीश और उलझा. आखिरकार शालिनी ने लजा कर अपनी आंखों को हाथ से ढांकते हुए स्पष्ट किया : ‘वो मेरी टॉप की साइज़ थोड़ी ज्यादा है न..’

‘ओह ओके ओके…समझा.’ बोलते हुए जगदीश ने आईने में अपने बदन पर टी शर्ट को निहारा. फिर बोला. ‘और सुनो पेंट मैं मेरा ही पहन लूंगा. भले मैला हो पर चलेगा. मेईन मसला शर्ट का था. पसीने वाली शर्ट नहीं पहनी जा सकती. ‘

‘ठीक है, आप की पेंट लाती हूं.’ कह कर वो बाथरूम से जगदीश का पेंट ले आई. जगदीश ने पेंट पहनने के लिए हाथ में लिया तब शालिनी बोली. ‘एक मिनट.’

जगदीश रुक गया. शालिनी ने अपने कपड़ो की बेग से जगदीश ने ही खरीदी हुई अपनी एक नई व्हाइट कलर की पेंटी निकाल कर कहा.

‘आप यह पहनिए अंडरवियर की जगह.’

जगदीश कुछ बोलने गया पर शालिनी ने विनती करते हुए कहा कहा. ‘कोई बहस नहीं. भैया पहन लो ना! अभी आपके टेस्टिकल की जो हालत है उनको सपोर्ट की सख्त जरूरत है. बिना अंडरवियर के लूज़ नहीं रख सकते. प्लीज़?’

शालिनी की गुजारिश के तरीके से जगदीश को पल भर के लिए लगा की जैसे वो खुद के लिए मिन्नत कर रही हो!

मुस्कुराकर उसने जवाब दिया. ‘ठीक है. ठीक है. पहन लेता हूं. डोंट वरी.’

शालिनी जगदीश की बात से खुश हो कर मुस्कुराई और बोली.

‘आप पेंट पहन कर बाहर बुवा के पास आइए, वो कब से हमारी राह देख रही है…मैं चलती हूं.’

***


अन्ना गणेशी हाउस

जुगल के इस तरह बलात्कार के आरोप के साफ़ इनकार के बाद हुए पिन ड्रॉप साइलेन्स को अन्ना ने यह कह कर तोडा.

‘तुम रेप किया. हंड्रेड परसेंट. प्रूफ है.’

जुगल और चांदनी ने ताजुब्ब से एक दूसरे को देखा.

उन दोनों को लिफ्ट मांगने के बहाने यहां तक ले आई थी उस औरत को देख कर अन्ना ने कहा.

‘मकाई…’ ( बेटी… )

जुगल और चांदनी उस औरत की ओर देखने लगे….

***

बुवा ने जगदीश और शालिनी को एक आसन पर बिठाया. और दोनों को कुमकुम से तिलक किया और कहा.

‘आप दोनों मेरे घर पाहुणे (अतिथि) बन कर आये ये माझा (मेरा) सौभाग्य. ईश्वर आप दोनों के प्रेम में सदा बढ़ौती करें. सदा आप दोनों तन और मन से एक दूसरे को समर्पित रहो और हमेशा एक दूसरे को इसी तरह प्यार करते रहो इस के लिए यह छोटी सी पूजा कर रही हूं मेरे बच्चों …’

जगदीश और शालिनी एक दूसरे को देखते रह गए…


(२३ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
Ohh man.. ये शालिनी और जगदीश का सीन सेक्सुअल कम और कॉमेडी ज्यादा लगता है, मेरी तो हंसी ही निकल जाती है। ये अन्ना ने क्या गन्ना बो दिया है जुगल के खेत में, बिना कुछ किए ही पर्ची कट रही है। ये बुआ की पूजा पति पत्नी वाली है क्या इसके बाद ये दोनो पति पत्नी के रूप में एक दूसरे को देखने लगेंगे। मस्त अपडेट।
 

Lib am

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/////‘जी वो मेरे ड्रेस के हिसाब से टीशर्ट की भी साइज़ होगी ना इस लिए मुझे यकीं था की आप को आ जाएगा..’ शालिनी ने शरमाते हुए कहा.

‘मतलब ? मैं समझा नहीं - तुम्हारे ड्रेस की साइज़ ?’ जगदीश उलझ गया. शालिनी की ओर देखा.

शालिनी और शर्मा गई . जगदीश और उलझा. आखिरकार शालिनी ने लजा कर अपनी आंखों को हाथ से ढांकते हुए स्पष्ट किया : ‘वो मेरी टॉप की साइज़ थोड़ी ज्यादा है न..’////


दोस्तों
क्या यह हिस्सा इरोटिक लगता है ?
लिखते वक्त मुझे लगा था कि यह बातें उत्तेजक है…
प्लीज़ बताइयेगा-
फुल ऑन कॉमेडी लगा मुझे तो और मैं हंसा भी बहुत इस पर
 

rakesh12

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Nice update bro please fast update
 

rakeshhbakshi

I respect you.
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Pura viswaas hai sir , par shayad dhiraj nhi hai utna !!
vaise Jugal-chandini ki relation development kariye jis tarag jagdish-shalini ka ho rha hai
Aur aab ham bhi apko itna pareshan nhi karenge sirf update mang lenge :) jaise sab mangte rhte hain !
प्लीज़ ऐसा न कीजिये - आप की टिप्पणी मेरे लिए बहुत कीमती है - हो सके उतनी विस्तृत दें - प्लीज़ पक्ज़ -प्लीज़-

आप की वो बात
//// शालिनी का टी शर्ट जगदीश को छाती के पास लूज़ होना चाहिए - //// बहुत सही मुद्दा है और मैं उस हिस्से को पुन लिख कर यह सुधारणा करने वाला हूं -

अब तो आपको समझ में आया होगा की आप की टिप्पणी मेरे लिए कितनी महत्वपूर्ण है!
 
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