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Incest ये तो सोचा न था…

rakeshhbakshi

I respect you.
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( १९ - ये तो सोचा न था…)

[(१८ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :

….इस हुस्न बानो के बारे में मैं और कुछ नहीं जानता. आप जब मुझे हुस्न बानो के बारे में बताने लगे तब मैं चुप रहा क्योंकि आप हुस्न बानो के बारे में क्या जानते हो यह मुझे पता करना था. पर अगर मुझे आपसे कोई बात छुपानी होती तो मैं आपके साथ इस आश्रम में नहीं आता...क्योंकि यहां अगर हम साथ में आते है तो डॉ. कुलकर्णी तो आपको बतायेंगे ही की हुस्न बानो को मैं इस आश्रम में ले आया था... पर मेरे पास आपसे यह बात छिपाने का कोई कारण नहीं.
मोहिते यह सब सुन कर सोच में पड़ गया.]



शादी फार्म हाउस, पूना

कुछ समय बाद जब चांदनी काम मूर्छा से जाग्रत हुई तब उसने उसके साथ अभी अभी जो हुआ था वो कोई सपना था या सत्य यह शंका करते हुए खुद को जांचा.... अपनी जांघ और योनि द्वार के आसपास बिखरे हुए कामरस के अंश और बाथरूम का दरवाजा जो उसने अंदर से लॉक किया था उसे खुला देख इस बात में कोई दो राय नहीं रही की कोई आया था कि नहीं.

प्रश्न एक ही बचता था : कौन आया था?

***
‘हुस्न बानो के बारे में और कोई जानकारी है जो गोविंद मामा या मेरी मां से उसके कोई कनेक्शन पर रोशनी डाल सके? जगदीश ने पूछा.

‘हुस्न बानो उत्तर प्रदेश के किसी अंदरूनी गांव से है. जानी अत्तरवाला कुछ साल पहले अपने दोस्त से मिलने उसके गांव गया था. दोस्त ने दोनों का परिचय करवाया था. तब हुस्न बानो बेवा और निसंतान थी, जानी अत्तरवाला को पसंद आई, शादी करके ही अत्तरवाला घर लौटा. हुस्न बानो ज्यादा पढ़ी लिखी औरत नहीं – किस तरह से यह कनेक्शन हुआ होगा यह समझ के बाहर है.’ मोहिते ने जवाब दिया.

‘सर, आप मसाज करवाएंगे?’ जूनियर डॉक्टर ने जगदीश से पूछा.

‘मसाज!’ मोहिते को आश्चर्य हुआ.

‘जी.’ जगदीश ने जूनियर डॉक्टर से कहा.

‘फाइन. मैं एरेंजमेंट करवाता हूं.’

‘अगर चन्नी काका हो तो बेस्ट वर्ना कोई और भी चलेगा.’

‘मोस्टली चन्नी काका ही होंगे. सर.’ मुस्कुराकर जूनियर डॉक्टर ने कहा और चला गया.

मोहिते की आंखों में अब तक आश्चर्य देख जगदीश ने समझाया. ‘यहां आयुर्वेदिक शैली से मसाज होता है. बदन के हर हिस्से, ख़ास कर के जहां मांस पर दबाव आता है और बदन के सारे जोड़ को बहुत अच्छे से मला जाता है. हर किसी ने छे महीने में कम से कम एक बार बोडी मसाज करवाना चाहिए.... आप भी करवा लो.’

मोहिते यह सुन सोच में पड़ गया.फिर पूछा. ‘मतलब जेंट्स को जेंट्स मसाज करते है और लेडीज़ को लेडीज़?’

‘नहीं. इस आश्रम में जेंट्स मसाज करने वाले केवल चन्नी काका ही जेंट्स है बाकी सभी मसाज करने वाली लेडीज ही है पर आप टेंशन मत लो. ये मसाज अपने स्वास्थ्य के लिए जो मसाज होता है वो ही है. मसाज के नाम पर उल्टे सीधे धंधे होते है वो सब यहां नहीं होता.’ जगदीश ने हंसते हुए कहा.

***

शादी फार्म हाउस, पूना

बारात फ़ार्म हाउस पर पहुंच चुकी थी. फ़ार्म हाउस में मौजूद सारे महेमान अच्छे से तैयार हो कर बारात का स्वागत करने विशाल पंडाल में जमा हो चुके थे. जुगल की आंखें बेसब्री से झनक को ढूंढ रही थी. जुगल को झनक बतानेवाली है की पिछली रात जुगल के साथ कौनसी लड़की थी…

पर झनक है कहां?

***

‘सर, एक अलग डेवलपमेंट है. आपका मसाज हुस्न बानो करेगी ऐसा डॉक्टर कुलकर्णी का सुझाव है...’

मोहिते और जगदीश दोनों को जैसे बिजली का झटका लगा.

‘नहीं...’ जगदीश ने खड़े होते हुए कहा. ‘कहां है डॉक्टर कुलकर्णी?’

मोहिते और जगदीश दोनों डॉक्टर कुलकर्णी से मिलने गए.

***

शादी फार्म हाउस, पूना

झनक ने दुल्हन के पिता मिस्टर सोहनलाल दीक्षित के कमरे के दरवाजे के लॉक को निहारा. फिर अगल बगल देखा. सभी लोग मुख्य पंडाल में थे. गेस्ट हाउस का सारा स्टाफ भी. बारात और दूल्हे को देखने के लिए. कम से कम पांच मिनिट तो कोई आएगा नहीं. और पांच मिनिट झनक के लिए जरूरत से ज्यादा समय था. उसने अपनी मास्टर की से दीक्षित के दरवाजे के लॉक को खोला…

***

‘नहीं मी. रस्तोगी. कोई रिस्क नहीं. जब से हुस्न बानो यहां एडमिट हुई है, शी इज कोंस्टन्ट अंडर ऑब्जर्वेशन...’

‘पर डॉक्टर वो एक मरीज़ है, आश्रम के स्टाफ का काम उससे क्यों करवा रहे हो?’

‘यह भी एक थेरेपी का ही हिस्सा है...’ डॉक्टर ने समझाया. ‘हुस्न बानो यहां आने के बाद यहां के स्टाफ के मैत्रीपूर्ण व्यवहार के कारण काफी शांत हो गई है. इतना ही नहीं उसे काम बगैर बैठे रहना अखर रहा था इसलिए शुरू में उसे बागवानी सिखाई. फिर उसने मसाज में रुचि ली तो मसाज कैसे करना यह सिखाया और पिछले एक हफ्ते से वो दुसरे मरीजो का मसाज कर रही है. उसके काम में कोई शिकायत नहीं है.’

‘पर डॉक्टर, हुस्न बानो में कुछ ज्यादा की सेक्स की भावना है ऐसा भी एक रिपोर्ट है न?’

‘इंस्पेक्टर, बोडी के रिपोर्ट हर छे महीने में बदलते है. क्योंकि शरीर में निरंतर परिवर्तन होता है.’

‘तो क्या अब हुस्न बानो सेक्स के मामले में नार्मल हो चुकी है!’ मोहिते ने आश्चर्य से पूछा.

‘कम से कम फिलहाल वो सेक्सुअल भावनाओं को लेकर काफी नॉर्मल है. वजह यह भी हो सकती है की वो अभी मानसिक आघात में है. पर उस मामले में अभी कोई खतरा नहीं.’

जगदीश अभी भी इस प्रयोग के लिए तैयार नहीं हो पा रहा था. तब मोहिते ने जगदीश से कहा. ‘मेरी राय में यह रिस्क लेना चाहिए. अगर हुस्न बानो को यह बता दिया जाय की तुमने ही साजन भाई को मारा है और बाद में वो तुम्हारा बोडी मसाज करे तो मुमकिन है की इस तरह वो ज्यादा कम्फर्टेबल हो कर कुछ बात करें...’

जगदीश ने यह मसाज हुस्न बानो से करवाने का फैसला ले लिया.

***

शादी फार्म हाउस, पूना

झनक मी. दीक्षित के कमरे से बाहर निकली. तेजी से नीचे उतर कर पीछे के रास्ते से, पंडाल से कोई देख न ले उस तरह वो बाहर निकल गई. फ़ार्म हाउस के कम्पाउंड से निकल कर उसने फोन लगाया: ‘हल्लो पापा... काम हो गया...’

‘धेट’स माय बेबी.’ सामने से उत्साहित जवाब सुनाई दिया.

झनक ने मुस्कुराकर फोन काटा और मेईन रोड की तरफ चलने लगी.

जुगल उसकी राह देख रहा होगा यह उसे याद आया. ‘सोरी जुगल...’ उसने मन ही मन में कहा.

***

जगदीश मसाज के कमरे के पलंग पर हाफ पेंट में सोया था. कमर के हिस्से पर उसने तौलिया ढांक रखा था.

हुस्न बानो कमरे में दाखिल हुई. उसने साड़ी ब्लाउज पहने हुए थे. और दोनों हाथो से उसने एक बड़ा पात्र थमा हुआ था जिसमे में मसाज का तेल था. दाखिल होते हुए वो जगदीश को देख मुस्कुराई.

जगदीश भी मुस्कुराया.

हुस्न बानो ने तेल का पात्र बाजू में रख कर पलंग पर बैठ जगदीश के सर में हाथ घुमाते हुए पूछा. ‘बट्टा? मेरा बट्टा कहां है?’

जगदीश को कुछ समझ में नहीं आया. यह हुस्न बानो ‘साजन भाई’ के अलावा अब तक कुछ बोल नहीं रही थी. अचानक ‘बट्टा’ बोल रही है? पर यह बट्टा क्या है? किसी का नाम? किस का?
जगदीश ने कहना चाहा. ‘सुनो वो जो साजन भाई...’

‘श...श....श...’ मुस्कुराके हुस्न बानो ने जगदीश के होठों पर अपनी उंगली रख चुप रहने का इशारा किया और उसके बदन पर तेल मलना शुरू किया. जगदीश चुप हो गया. हुस्न बानो ने पैरों से शुरुआत की. जगदीश के तलवे में तेल मल कर मालिश शुरू की. पहले तलवे, फिर एडी के कोने, फिर घुटने और एडी के बीच की मांसल पिंडली...पिंडली में जब हुस्न बानो ने मालिश शुरू की तब जगदीश को एहसास हुआ की वहां कितनी थकान छिपकर बैठी थी जो मसाज के जरिये धीरे धीरे पिघलने लगी…

जगदीश को बहुत सुकून महसूस हुआ, ‘बट्टा याने क्या कहना चाहती होगी ये-’ ऐसा सोचते हुए कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला.

***

शालिनी का दिल बैठा जा रहा था की क्या अब जेठ जी उससे नाराज रहेंगे? इतने अजीब हालात में साथ रहने के बाद क्या वो फिर से अनजान इंसान की तरह कटे कटे रहेंगे? वो माफ़ कर दे इस के लिए क्या करना चाहिए?

उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करना चाहिए…

***
अचानक जगदीश की आंख खुली. उसे अपनी कमर के पास कुछ अलग अहसास हो रहा था. उसने देखा तो उसकी आंखें फटी रह गई. हुस्न बानो उसकी कमर पर झुक कर उसका लिंग चाट रही थी….
‘आप.....ये...क....क्या कर रही हो...; जगदीश ने हुस्न बानो को परे हटाने की कोशिश की पर हुस्न बानो बहुत द्रढ़ता से बैठी हुई थी और जगदीश सोया हुआ होने के कारण ज्यादा ताकात नहीं लगा पा रहा था. जगदीश को हुस्न बानो की साडी पल्लू दिख रहा था उसे उसने थाम कर खिंचा... ‘सुनिए हुस्न बानो...’ जगदीश ने नर्म आवाज में बोलते हुए एक हाथ से उसकी साडी का पल्लू और दुसरे हाथ को आगे बढ़ा कर हुस्न बानो की पीठ थाम कर उसे हिलाया.

हुस्न बानो ने लिंग पर से अपना मुंह उठा कर. मुड कर जगदीश की ओर देखा और मुस्कुराई.

जगदीश ने नम्रता से कहा. ‘यह ठीक नहीं कर रही आप...’

तुरंत हुस्न बानो उठ गई. मुड़ी. और जगदीश कुछ समझे उससे पहले वो जगदीश के चेहरे पर झुक कर जगदीश के होठों को चूमने लगी. जगदीश हुस्न बानो को हटाना चाहता था पर हुस्न बानो ने जगदीश के मुंह में अपनी जीभ फेरनी शुरू की और जगदीश का विरोध मंद हो गया. हुस्न बानो की जीभ जगदीश की जीभ से लिपटने लगी. जगदीश इस जीभ चुंबन में खोने लगा. उसने आंखें मूंद ली...जगदीश की जीभ से अपनी जीभ लड़ाते हुए हुस्न बानो ने जगदीश के लिंग को कोमलता से सहलाना शुरू किया. जगदीश उत्तेजित होने लगा. उसे होश था कि यह ठीक नहीं हो रहा. यह औरत दिमागी तौर पर स्वस्थ नहीं है और अनजाने में यह उसे नुकसान पहुंचा सकती है. पर उत्तेजना उसे विवश कर रही थी. हुस्न बानो की चुंबन की शैली इतनी रसिक थी की जगदीश जैसे मन मना रहा था : यह चुंबन खत्म होते ही मैं हुस्न बानो को रोक दूंगा....

पर ऐसा सोचने के बाद तुरंत जगदीश को लगता था की वो खुद को झूठी तसल्ली दे रहा है, वास्तव में वो नहीं चाहता कि हुस्न बानो रुके…

हुस्न बानो का चुंबन इतना लंबा चला की जब हुस्न बानो ने जगदीश के होठों पर से अपने होठ हटाये तब तक जगदीश यह भी भूल चुका था की इस चुंबन के बाद वो उसे रोकने वाला था. वो हुस्न बानो को देख केवल मुस्कुरा पाया. हुस्न बानो ने अपने दोनों हाथों में जगदीश का चेहरा थामा और अपना सर जगदीश के सर से रगडा. फिर अपने गाल जगदीश के गालो से रगड़े. फिर जगदीश को लिटा कर वो जगदीश की छाती चूमने लगी. तब फिर जगदीश को याद आया की उसे हुस्न बानो को रोकना चाहिए.

‘सुनिए प्लीज़....’ जगदीश ने हुस्न बानो की पीठ पर हाथ रख कर कहा. हुस्न बानो ने जगदीश की छाती पर से अपना सर उठा कर जगदीश की ओर देखा.

जगदीश पल भर उस चेहरे की मासूमियत में खो गया. कितना नेह था हुस्न बानो की आंखों में!
जैसे तैसे खुद को काबू में करते हुए जगदीश ने कहा. ‘आप प्लीज़ यह सब न करें...’

हुस्न बानो केवल मुस्कुराई और अपना पल्लू हटाकर ब्लाउज के हुक खोलने लगी…

‘नहीं ... नहीं...प्लीज़...’ जगदीश ने हुस्न बानो के हाथ थामने की कोशिश की. हुस्न बानो ब्लाउज खोल चुकी थी. जगदीश मना करता रहा और हुस्न बानो ने अपनी ब्रा ऊपर सरकाई. जगदीश चकित हो कर देखता रह गया...हुस्न बानो के स्तन एकदम भरे भरे और द्रढ़ता से तने हुए थे. हुस्न बानो की उम्र ४० से अधिक लग रही थी. इस उमर की स्त्री के स्तन इतने मांसल और कड़े कैसे हो सकते है? वो हुस्न बानो को रोकना भूल स्तन सौन्दर्य में खो गया. मन्त्र मुग्ध हो कर हुस्न बानो के दोनों आकर्षक स्तन गोलों को, उसके निपल के आसपास के काले और भूरे रंग के मिश्रण जैसे छोटे से वर्तुल और उस वर्तुल के मध्य में उगे हुए दानेदार निपलों को देखता रह गया. हुस्न बानो के समप्रमाण गोलाइओ से उभरे हुए दोनों स्तन बढ़कर परस्पर इतने सट गए थे कि उनके बीच एक उंगली तक रखने की जगह बची नहीं थी...

हुस्न बानो होले से झुकी और जगदीश की आंखों पर अपने निपल रगड़ने लगी. जगदीश की आंखें बंद हो गई. वो हुस्न बानो को कुछ कह नहीं पाया. हालात के इस मोड़ को वो शरण हो गया.
हुस्न बानो ने जगदीश को बांहों में भर कर उसके कान पर जीभ फेरनी शुरू की... जगदीश विह्वल हो उठा. पिछले कुछ दिनों से जाने अनजाने अपनी बहु शालिनी के इस तरह के संपर्क में वो बार बार आया था की उसकी कामेच्छा हर बार तंग धनुष्य की तरह टंकार बजाने लगती थी और हर बार वो किस तरह अपने आप को संयम में बांध कर रह जाता था. पर हुस्न बानो जिस तरह उसे उकसा रही थी, जगदीश के लिए काबू में रहना मुश्किल होता जा रहा था... जगदीश की उंगलियों में उसकी प्यास स्थानांतरण कर के हुस्न बानो के अंगों को सहला कर तृप्ति खोजने की कोशिश में लग गई....

(१९ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
 

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( १९ - ये तो सोचा न था…)

[(१८ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :

….इस हुस्न बानो के बारे में मैं और कुछ नहीं जानता. आप जब मुझे हुस्न बानो के बारे में बताने लगे तब मैं चुप रहा क्योंकि आप हुस्न बानो के बारे में क्या जानते हो यह मुझे पता करना था. पर अगर मुझे आपसे कोई बात छुपानी होती तो मैं आपके साथ इस आश्रम में नहीं आता...क्योंकि यहां अगर हम साथ में आते है तो डॉ. कुलकर्णी तो आपको बतायेंगे ही की हुस्न बानो को मैं इस आश्रम में ले आया था... पर मेरे पास आपसे यह बात छिपाने का कोई कारण नहीं.
मोहिते यह सब सुन कर सोच में पड़ गया.]



शादी फार्म हाउस, पूना

कुछ समय बाद जब चांदनी काम मूर्छा से जाग्रत हुई तब उसने उसके साथ अभी अभी जो हुआ था वो कोई सपना था या सत्य यह शंका करते हुए खुद को जांचा.... अपनी जांघ और योनि द्वार के आसपास बिखरे हुए कामरस के अंश और बाथरूम का दरवाजा जो उसने अंदर से लॉक किया था उसे खुला देख इस बात में कोई दो राय नहीं रही की कोई आया था कि नहीं.

प्रश्न एक ही बचता था : कौन आया था?

***
‘हुस्न बानो के बारे में और कोई जानकारी है जो गोविंद मामा या मेरी मां से उसके कोई कनेक्शन पर रोशनी डाल सके? जगदीश ने पूछा.

‘हुस्न बानो उत्तर प्रदेश के किसी अंदरूनी गांव से है. जानी अत्तरवाला कुछ साल पहले अपने दोस्त से मिलने उसके गांव गया था. दोस्त ने दोनों का परिचय करवाया था. तब हुस्न बानो बेवा और निसंतान थी, जानी अत्तरवाला को पसंद आई, शादी करके ही अत्तरवाला घर लौटा. हुस्न बानो ज्यादा पढ़ी लिखी औरत नहीं – किस तरह से यह कनेक्शन हुआ होगा यह समझ के बाहर है.’ मोहिते ने जवाब दिया.

‘सर, आप मसाज करवाएंगे?’ जूनियर डॉक्टर ने जगदीश से पूछा.

‘मसाज!’ मोहिते को आश्चर्य हुआ.

‘जी.’ जगदीश ने जूनियर डॉक्टर से कहा.

‘फाइन. मैं एरेंजमेंट करवाता हूं.’

‘अगर चन्नी काका हो तो बेस्ट वर्ना कोई और भी चलेगा.’

‘मोस्टली चन्नी काका ही होंगे. सर.’ मुस्कुराकर जूनियर डॉक्टर ने कहा और चला गया.

मोहिते की आंखों में अब तक आश्चर्य देख जगदीश ने समझाया. ‘यहां आयुर्वेदिक शैली से मसाज होता है. बदन के हर हिस्से, ख़ास कर के जहां मांस पर दबाव आता है और बदन के सारे जोड़ को बहुत अच्छे से मला जाता है. हर किसी ने छे महीने में कम से कम एक बार बोडी मसाज करवाना चाहिए.... आप भी करवा लो.’

मोहिते यह सुन सोच में पड़ गया.फिर पूछा. ‘मतलब जेंट्स को जेंट्स मसाज करते है और लेडीज़ को लेडीज़?’

‘नहीं. इस आश्रम में जेंट्स मसाज करने वाले केवल चन्नी काका ही जेंट्स है बाकी सभी मसाज करने वाली लेडीज ही है पर आप टेंशन मत लो. ये मसाज अपने स्वास्थ्य के लिए जो मसाज होता है वो ही है. मसाज के नाम पर उल्टे सीधे धंधे होते है वो सब यहां नहीं होता.’ जगदीश ने हंसते हुए कहा.

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शादी फार्म हाउस, पूना

बारात फ़ार्म हाउस पर पहुंच चुकी थी. फ़ार्म हाउस में मौजूद सारे महेमान अच्छे से तैयार हो कर बारात का स्वागत करने विशाल पंडाल में जमा हो चुके थे. जुगल की आंखें बेसब्री से झनक को ढूंढ रही थी. जुगल को झनक बतानेवाली है की पिछली रात जुगल के साथ कौनसी लड़की थी…

पर झनक है कहां?

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‘सर, एक अलग डेवलपमेंट है. आपका मसाज हुस्न बानो करेगी ऐसा डॉक्टर कुलकर्णी का सुझाव है...’

मोहिते और जगदीश दोनों को जैसे बिजली का झटका लगा.

‘नहीं...’ जगदीश ने खड़े होते हुए कहा. ‘कहां है डॉक्टर कुलकर्णी?’

मोहिते और जगदीश दोनों डॉक्टर कुलकर्णी से मिलने गए.

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शादी फार्म हाउस, पूना

झनक ने दुल्हन के पिता मिस्टर सोहनलाल दीक्षित के कमरे के दरवाजे के लॉक को निहारा. फिर अगल बगल देखा. सभी लोग मुख्य पंडाल में थे. गेस्ट हाउस का सारा स्टाफ भी. बारात और दूल्हे को देखने के लिए. कम से कम पांच मिनिट तो कोई आएगा नहीं. और पांच मिनिट झनक के लिए जरूरत से ज्यादा समय था. उसने अपनी मास्टर की से दीक्षित के दरवाजे के लॉक को खोला…

***

‘नहीं मी. रस्तोगी. कोई रिस्क नहीं. जब से हुस्न बानो यहां एडमिट हुई है, शी इज कोंस्टन्ट अंडर ऑब्जर्वेशन...’

‘पर डॉक्टर वो एक मरीज़ है, आश्रम के स्टाफ का काम उससे क्यों करवा रहे हो?’

‘यह भी एक थेरेपी का ही हिस्सा है...’ डॉक्टर ने समझाया. ‘हुस्न बानो यहां आने के बाद यहां के स्टाफ के मैत्रीपूर्ण व्यवहार के कारण काफी शांत हो गई है. इतना ही नहीं उसे काम बगैर बैठे रहना अखर रहा था इसलिए शुरू में उसे बागवानी सिखाई. फिर उसने मसाज में रुचि ली तो मसाज कैसे करना यह सिखाया और पिछले एक हफ्ते से वो दुसरे मरीजो का मसाज कर रही है. उसके काम में कोई शिकायत नहीं है.’

‘पर डॉक्टर, हुस्न बानो में कुछ ज्यादा की सेक्स की भावना है ऐसा भी एक रिपोर्ट है न?’

‘इंस्पेक्टर, बोडी के रिपोर्ट हर छे महीने में बदलते है. क्योंकि शरीर में निरंतर परिवर्तन होता है.’

‘तो क्या अब हुस्न बानो सेक्स के मामले में नार्मल हो चुकी है!’ मोहिते ने आश्चर्य से पूछा.

‘कम से कम फिलहाल वो सेक्सुअल भावनाओं को लेकर काफी नॉर्मल है. वजह यह भी हो सकती है की वो अभी मानसिक आघात में है. पर उस मामले में अभी कोई खतरा नहीं.’

जगदीश अभी भी इस प्रयोग के लिए तैयार नहीं हो पा रहा था. तब मोहिते ने जगदीश से कहा. ‘मेरी राय में यह रिस्क लेना चाहिए. अगर हुस्न बानो को यह बता दिया जाय की तुमने ही साजन भाई को मारा है और बाद में वो तुम्हारा बोडी मसाज करे तो मुमकिन है की इस तरह वो ज्यादा कम्फर्टेबल हो कर कुछ बात करें...’

जगदीश ने यह मसाज हुस्न बानो से करवाने का फैसला ले लिया.

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शादी फार्म हाउस, पूना

झनक मी. दीक्षित के कमरे से बाहर निकली. तेजी से नीचे उतर कर पीछे के रास्ते से, पंडाल से कोई देख न ले उस तरह वो बाहर निकल गई. फ़ार्म हाउस के कम्पाउंड से निकल कर उसने फोन लगाया: ‘हल्लो पापा... काम हो गया...’

‘धेट’स माय बेबी.’ सामने से उत्साहित जवाब सुनाई दिया.

झनक ने मुस्कुराकर फोन काटा और मेईन रोड की तरफ चलने लगी.

जुगल उसकी राह देख रहा होगा यह उसे याद आया. ‘सोरी जुगल...’ उसने मन ही मन में कहा.

***

जगदीश मसाज के कमरे के पलंग पर हाफ पेंट में सोया था. कमर के हिस्से पर उसने तौलिया ढांक रखा था.

हुस्न बानो कमरे में दाखिल हुई. उसने साड़ी ब्लाउज पहने हुए थे. और दोनों हाथो से उसने एक बड़ा पात्र थमा हुआ था जिसमे में मसाज का तेल था. दाखिल होते हुए वो जगदीश को देख मुस्कुराई.

जगदीश भी मुस्कुराया.

हुस्न बानो ने तेल का पात्र बाजू में रख कर पलंग पर बैठ जगदीश के सर में हाथ घुमाते हुए पूछा. ‘बट्टा? मेरा बट्टा कहां है?’

जगदीश को कुछ समझ में नहीं आया. यह हुस्न बानो ‘साजन भाई’ के अलावा अब तक कुछ बोल नहीं रही थी. अचानक ‘बट्टा’ बोल रही है? पर यह बट्टा क्या है? किसी का नाम? किस का?
जगदीश ने कहना चाहा. ‘सुनो वो जो साजन भाई...’

‘श...श....श...’ मुस्कुराके हुस्न बानो ने जगदीश के होठों पर अपनी उंगली रख चुप रहने का इशारा किया और उसके बदन पर तेल मलना शुरू किया. जगदीश चुप हो गया. हुस्न बानो ने पैरों से शुरुआत की. जगदीश के तलवे में तेल मल कर मालिश शुरू की. पहले तलवे, फिर एडी के कोने, फिर घुटने और एडी के बीच की मांसल पिंडली...पिंडली में जब हुस्न बानो ने मालिश शुरू की तब जगदीश को एहसास हुआ की वहां कितनी थकान छिपकर बैठी थी जो मसाज के जरिये धीरे धीरे पिघलने लगी…

जगदीश को बहुत सुकून महसूस हुआ, ‘बट्टा याने क्या कहना चाहती होगी ये-’ ऐसा सोचते हुए कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला.

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शालिनी का दिल बैठा जा रहा था की क्या अब जेठ जी उससे नाराज रहेंगे? इतने अजीब हालात में साथ रहने के बाद क्या वो फिर से अनजान इंसान की तरह कटे कटे रहेंगे? वो माफ़ कर दे इस के लिए क्या करना चाहिए?

उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करना चाहिए…

***
अचानक जगदीश की आंख खुली. उसे अपनी कमर के पास कुछ अलग अहसास हो रहा था. उसने देखा तो उसकी आंखें फटी रह गई. हुस्न बानो उसकी कमर पर झुक कर उसका लिंग चाट रही थी….
‘आप.....ये...क....क्या कर रही हो...; जगदीश ने हुस्न बानो को परे हटाने की कोशिश की पर हुस्न बानो बहुत द्रढ़ता से बैठी हुई थी और जगदीश सोया हुआ होने के कारण ज्यादा ताकात नहीं लगा पा रहा था. जगदीश को हुस्न बानो की साडी पल्लू दिख रहा था उसे उसने थाम कर खिंचा... ‘सुनिए हुस्न बानो...’ जगदीश ने नर्म आवाज में बोलते हुए एक हाथ से उसकी साडी का पल्लू और दुसरे हाथ को आगे बढ़ा कर हुस्न बानो की पीठ थाम कर उसे हिलाया.

हुस्न बानो ने लिंग पर से अपना मुंह उठा कर. मुड कर जगदीश की ओर देखा और मुस्कुराई.

जगदीश ने नम्रता से कहा. ‘यह ठीक नहीं कर रही आप...’

तुरंत हुस्न बानो उठ गई. मुड़ी. और जगदीश कुछ समझे उससे पहले वो जगदीश के चेहरे पर झुक कर जगदीश के होठों को चूमने लगी. जगदीश हुस्न बानो को हटाना चाहता था पर हुस्न बानो ने जगदीश के मुंह में अपनी जीभ फेरनी शुरू की और जगदीश का विरोध मंद हो गया. हुस्न बानो की जीभ जगदीश की जीभ से लिपटने लगी. जगदीश इस जीभ चुंबन में खोने लगा. उसने आंखें मूंद ली...जगदीश की जीभ से अपनी जीभ लड़ाते हुए हुस्न बानो ने जगदीश के लिंग को कोमलता से सहलाना शुरू किया. जगदीश उत्तेजित होने लगा. उसे होश था कि यह ठीक नहीं हो रहा. यह औरत दिमागी तौर पर स्वस्थ नहीं है और अनजाने में यह उसे नुकसान पहुंचा सकती है. पर उत्तेजना उसे विवश कर रही थी. हुस्न बानो की चुंबन की शैली इतनी रसिक थी की जगदीश जैसे मन मना रहा था : यह चुंबन खत्म होते ही मैं हुस्न बानो को रोक दूंगा....

पर ऐसा सोचने के बाद तुरंत जगदीश को लगता था की वो खुद को झूठी तसल्ली दे रहा है, वास्तव में वो नहीं चाहता कि हुस्न बानो रुके…

हुस्न बानो का चुंबन इतना लंबा चला की जब हुस्न बानो ने जगदीश के होठों पर से अपने होठ हटाये तब तक जगदीश यह भी भूल चुका था की इस चुंबन के बाद वो उसे रोकने वाला था. वो हुस्न बानो को देख केवल मुस्कुरा पाया. हुस्न बानो ने अपने दोनों हाथों में जगदीश का चेहरा थामा और अपना सर जगदीश के सर से रगडा. फिर अपने गाल जगदीश के गालो से रगड़े. फिर जगदीश को लिटा कर वो जगदीश की छाती चूमने लगी. तब फिर जगदीश को याद आया की उसे हुस्न बानो को रोकना चाहिए.

‘सुनिए प्लीज़....’ जगदीश ने हुस्न बानो की पीठ पर हाथ रख कर कहा. हुस्न बानो ने जगदीश की छाती पर से अपना सर उठा कर जगदीश की ओर देखा.

जगदीश पल भर उस चेहरे की मासूमियत में खो गया. कितना नेह था हुस्न बानो की आंखों में!
जैसे तैसे खुद को काबू में करते हुए जगदीश ने कहा. ‘आप प्लीज़ यह सब न करें...’

हुस्न बानो केवल मुस्कुराई और अपना पल्लू हटाकर ब्लाउज के हुक खोलने लगी…

‘नहीं ... नहीं...प्लीज़...’ जगदीश ने हुस्न बानो के हाथ थामने की कोशिश की. हुस्न बानो ब्लाउज खोल चुकी थी. जगदीश मना करता रहा और हुस्न बानो ने अपनी ब्रा ऊपर सरकाई. जगदीश चकित हो कर देखता रह गया...हुस्न बानो के स्तन एकदम भरे भरे और द्रढ़ता से तने हुए थे. हुस्न बानो की उम्र ४० से अधिक लग रही थी. इस उमर की स्त्री के स्तन इतने मांसल और कड़े कैसे हो सकते है? वो हुस्न बानो को रोकना भूल स्तन सौन्दर्य में खो गया. मन्त्र मुग्ध हो कर हुस्न बानो के दोनों आकर्षक स्तन गोलों को, उसके निपल के आसपास के काले और भूरे रंग के मिश्रण जैसे छोटे से वर्तुल और उस वर्तुल के मध्य में उगे हुए दानेदार निपलों को देखता रह गया. हुस्न बानो के समप्रमाण गोलाइओ से उभरे हुए दोनों स्तन बढ़कर परस्पर इतने सट गए थे कि उनके बीच एक उंगली तक रखने की जगह बची नहीं थी...

हुस्न बानो होले से झुकी और जगदीश की आंखों पर अपने निपल रगड़ने लगी. जगदीश की आंखें बंद हो गई. वो हुस्न बानो को कुछ कह नहीं पाया. हालात के इस मोड़ को वो शरण हो गया.
हुस्न बानो ने जगदीश को बांहों में भर कर उसके कान पर जीभ फेरनी शुरू की... जगदीश विह्वल हो उठा. पिछले कुछ दिनों से जाने अनजाने अपनी बहु शालिनी के इस तरह के संपर्क में वो बार बार आया था की उसकी कामेच्छा हर बार तंग धनुष्य की तरह टंकार बजाने लगती थी और हर बार वो किस तरह अपने आप को संयम में बांध कर रह जाता था. पर हुस्न बानो जिस तरह उसे उकसा रही थी, जगदीश के लिए काबू में रहना मुश्किल होता जा रहा था... जगदीश की उंगलियों में उसकी प्यास स्थानांतरण कर के हुस्न बानो के अंगों को सहला कर तृप्ति खोजने की कोशिश में लग गई....


(१९ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
Nice update
 
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Raja1239

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यह तो सोचा ना था कि अपडेट जल्दी खत्म हो जाएगा lप्रतिक्षा अगले अपडेट की
 
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chachajaani

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( १९ - ये तो सोचा न था…)

[(१८ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :

….इस हुस्न बानो के बारे में मैं और कुछ नहीं जानता. आप जब मुझे हुस्न बानो के बारे में बताने लगे तब मैं चुप रहा क्योंकि आप हुस्न बानो के बारे में क्या जानते हो यह मुझे पता करना था. पर अगर मुझे आपसे कोई बात छुपानी होती तो मैं आपके साथ इस आश्रम में नहीं आता...क्योंकि यहां अगर हम साथ में आते है तो डॉ. कुलकर्णी तो आपको बतायेंगे ही की हुस्न बानो को मैं इस आश्रम में ले आया था... पर मेरे पास आपसे यह बात छिपाने का कोई कारण नहीं.
मोहिते यह सब सुन कर सोच में पड़ गया.]



शादी फार्म हाउस, पूना

कुछ समय बाद जब चांदनी काम मूर्छा से जाग्रत हुई तब उसने उसके साथ अभी अभी जो हुआ था वो कोई सपना था या सत्य यह शंका करते हुए खुद को जांचा.... अपनी जांघ और योनि द्वार के आसपास बिखरे हुए कामरस के अंश और बाथरूम का दरवाजा जो उसने अंदर से लॉक किया था उसे खुला देख इस बात में कोई दो राय नहीं रही की कोई आया था कि नहीं.

प्रश्न एक ही बचता था : कौन आया था?

***
‘हुस्न बानो के बारे में और कोई जानकारी है जो गोविंद मामा या मेरी मां से उसके कोई कनेक्शन पर रोशनी डाल सके? जगदीश ने पूछा.

‘हुस्न बानो उत्तर प्रदेश के किसी अंदरूनी गांव से है. जानी अत्तरवाला कुछ साल पहले अपने दोस्त से मिलने उसके गांव गया था. दोस्त ने दोनों का परिचय करवाया था. तब हुस्न बानो बेवा और निसंतान थी, जानी अत्तरवाला को पसंद आई, शादी करके ही अत्तरवाला घर लौटा. हुस्न बानो ज्यादा पढ़ी लिखी औरत नहीं – किस तरह से यह कनेक्शन हुआ होगा यह समझ के बाहर है.’ मोहिते ने जवाब दिया.

‘सर, आप मसाज करवाएंगे?’ जूनियर डॉक्टर ने जगदीश से पूछा.

‘मसाज!’ मोहिते को आश्चर्य हुआ.

‘जी.’ जगदीश ने जूनियर डॉक्टर से कहा.

‘फाइन. मैं एरेंजमेंट करवाता हूं.’

‘अगर चन्नी काका हो तो बेस्ट वर्ना कोई और भी चलेगा.’

‘मोस्टली चन्नी काका ही होंगे. सर.’ मुस्कुराकर जूनियर डॉक्टर ने कहा और चला गया.

मोहिते की आंखों में अब तक आश्चर्य देख जगदीश ने समझाया. ‘यहां आयुर्वेदिक शैली से मसाज होता है. बदन के हर हिस्से, ख़ास कर के जहां मांस पर दबाव आता है और बदन के सारे जोड़ को बहुत अच्छे से मला जाता है. हर किसी ने छे महीने में कम से कम एक बार बोडी मसाज करवाना चाहिए.... आप भी करवा लो.’

मोहिते यह सुन सोच में पड़ गया.फिर पूछा. ‘मतलब जेंट्स को जेंट्स मसाज करते है और लेडीज़ को लेडीज़?’

‘नहीं. इस आश्रम में जेंट्स मसाज करने वाले केवल चन्नी काका ही जेंट्स है बाकी सभी मसाज करने वाली लेडीज ही है पर आप टेंशन मत लो. ये मसाज अपने स्वास्थ्य के लिए जो मसाज होता है वो ही है. मसाज के नाम पर उल्टे सीधे धंधे होते है वो सब यहां नहीं होता.’ जगदीश ने हंसते हुए कहा.

***

शादी फार्म हाउस, पूना

बारात फ़ार्म हाउस पर पहुंच चुकी थी. फ़ार्म हाउस में मौजूद सारे महेमान अच्छे से तैयार हो कर बारात का स्वागत करने विशाल पंडाल में जमा हो चुके थे. जुगल की आंखें बेसब्री से झनक को ढूंढ रही थी. जुगल को झनक बतानेवाली है की पिछली रात जुगल के साथ कौनसी लड़की थी…

पर झनक है कहां?

***

‘सर, एक अलग डेवलपमेंट है. आपका मसाज हुस्न बानो करेगी ऐसा डॉक्टर कुलकर्णी का सुझाव है...’

मोहिते और जगदीश दोनों को जैसे बिजली का झटका लगा.

‘नहीं...’ जगदीश ने खड़े होते हुए कहा. ‘कहां है डॉक्टर कुलकर्णी?’

मोहिते और जगदीश दोनों डॉक्टर कुलकर्णी से मिलने गए.

***

शादी फार्म हाउस, पूना

झनक ने दुल्हन के पिता मिस्टर सोहनलाल दीक्षित के कमरे के दरवाजे के लॉक को निहारा. फिर अगल बगल देखा. सभी लोग मुख्य पंडाल में थे. गेस्ट हाउस का सारा स्टाफ भी. बारात और दूल्हे को देखने के लिए. कम से कम पांच मिनिट तो कोई आएगा नहीं. और पांच मिनिट झनक के लिए जरूरत से ज्यादा समय था. उसने अपनी मास्टर की से दीक्षित के दरवाजे के लॉक को खोला…

***

‘नहीं मी. रस्तोगी. कोई रिस्क नहीं. जब से हुस्न बानो यहां एडमिट हुई है, शी इज कोंस्टन्ट अंडर ऑब्जर्वेशन...’

‘पर डॉक्टर वो एक मरीज़ है, आश्रम के स्टाफ का काम उससे क्यों करवा रहे हो?’

‘यह भी एक थेरेपी का ही हिस्सा है...’ डॉक्टर ने समझाया. ‘हुस्न बानो यहां आने के बाद यहां के स्टाफ के मैत्रीपूर्ण व्यवहार के कारण काफी शांत हो गई है. इतना ही नहीं उसे काम बगैर बैठे रहना अखर रहा था इसलिए शुरू में उसे बागवानी सिखाई. फिर उसने मसाज में रुचि ली तो मसाज कैसे करना यह सिखाया और पिछले एक हफ्ते से वो दुसरे मरीजो का मसाज कर रही है. उसके काम में कोई शिकायत नहीं है.’

‘पर डॉक्टर, हुस्न बानो में कुछ ज्यादा की सेक्स की भावना है ऐसा भी एक रिपोर्ट है न?’

‘इंस्पेक्टर, बोडी के रिपोर्ट हर छे महीने में बदलते है. क्योंकि शरीर में निरंतर परिवर्तन होता है.’

‘तो क्या अब हुस्न बानो सेक्स के मामले में नार्मल हो चुकी है!’ मोहिते ने आश्चर्य से पूछा.

‘कम से कम फिलहाल वो सेक्सुअल भावनाओं को लेकर काफी नॉर्मल है. वजह यह भी हो सकती है की वो अभी मानसिक आघात में है. पर उस मामले में अभी कोई खतरा नहीं.’

जगदीश अभी भी इस प्रयोग के लिए तैयार नहीं हो पा रहा था. तब मोहिते ने जगदीश से कहा. ‘मेरी राय में यह रिस्क लेना चाहिए. अगर हुस्न बानो को यह बता दिया जाय की तुमने ही साजन भाई को मारा है और बाद में वो तुम्हारा बोडी मसाज करे तो मुमकिन है की इस तरह वो ज्यादा कम्फर्टेबल हो कर कुछ बात करें...’

जगदीश ने यह मसाज हुस्न बानो से करवाने का फैसला ले लिया.

***

शादी फार्म हाउस, पूना

झनक मी. दीक्षित के कमरे से बाहर निकली. तेजी से नीचे उतर कर पीछे के रास्ते से, पंडाल से कोई देख न ले उस तरह वो बाहर निकल गई. फ़ार्म हाउस के कम्पाउंड से निकल कर उसने फोन लगाया: ‘हल्लो पापा... काम हो गया...’

‘धेट’स माय बेबी.’ सामने से उत्साहित जवाब सुनाई दिया.

झनक ने मुस्कुराकर फोन काटा और मेईन रोड की तरफ चलने लगी.

जुगल उसकी राह देख रहा होगा यह उसे याद आया. ‘सोरी जुगल...’ उसने मन ही मन में कहा.

***

जगदीश मसाज के कमरे के पलंग पर हाफ पेंट में सोया था. कमर के हिस्से पर उसने तौलिया ढांक रखा था.

हुस्न बानो कमरे में दाखिल हुई. उसने साड़ी ब्लाउज पहने हुए थे. और दोनों हाथो से उसने एक बड़ा पात्र थमा हुआ था जिसमे में मसाज का तेल था. दाखिल होते हुए वो जगदीश को देख मुस्कुराई.

जगदीश भी मुस्कुराया.

हुस्न बानो ने तेल का पात्र बाजू में रख कर पलंग पर बैठ जगदीश के सर में हाथ घुमाते हुए पूछा. ‘बट्टा? मेरा बट्टा कहां है?’

जगदीश को कुछ समझ में नहीं आया. यह हुस्न बानो ‘साजन भाई’ के अलावा अब तक कुछ बोल नहीं रही थी. अचानक ‘बट्टा’ बोल रही है? पर यह बट्टा क्या है? किसी का नाम? किस का?
जगदीश ने कहना चाहा. ‘सुनो वो जो साजन भाई...’

‘श...श....श...’ मुस्कुराके हुस्न बानो ने जगदीश के होठों पर अपनी उंगली रख चुप रहने का इशारा किया और उसके बदन पर तेल मलना शुरू किया. जगदीश चुप हो गया. हुस्न बानो ने पैरों से शुरुआत की. जगदीश के तलवे में तेल मल कर मालिश शुरू की. पहले तलवे, फिर एडी के कोने, फिर घुटने और एडी के बीच की मांसल पिंडली...पिंडली में जब हुस्न बानो ने मालिश शुरू की तब जगदीश को एहसास हुआ की वहां कितनी थकान छिपकर बैठी थी जो मसाज के जरिये धीरे धीरे पिघलने लगी…

जगदीश को बहुत सुकून महसूस हुआ, ‘बट्टा याने क्या कहना चाहती होगी ये-’ ऐसा सोचते हुए कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला.

***

शालिनी का दिल बैठा जा रहा था की क्या अब जेठ जी उससे नाराज रहेंगे? इतने अजीब हालात में साथ रहने के बाद क्या वो फिर से अनजान इंसान की तरह कटे कटे रहेंगे? वो माफ़ कर दे इस के लिए क्या करना चाहिए?

उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करना चाहिए…

***
अचानक जगदीश की आंख खुली. उसे अपनी कमर के पास कुछ अलग अहसास हो रहा था. उसने देखा तो उसकी आंखें फटी रह गई. हुस्न बानो उसकी कमर पर झुक कर उसका लिंग चाट रही थी….
‘आप.....ये...क....क्या कर रही हो...; जगदीश ने हुस्न बानो को परे हटाने की कोशिश की पर हुस्न बानो बहुत द्रढ़ता से बैठी हुई थी और जगदीश सोया हुआ होने के कारण ज्यादा ताकात नहीं लगा पा रहा था. जगदीश को हुस्न बानो की साडी पल्लू दिख रहा था उसे उसने थाम कर खिंचा... ‘सुनिए हुस्न बानो...’ जगदीश ने नर्म आवाज में बोलते हुए एक हाथ से उसकी साडी का पल्लू और दुसरे हाथ को आगे बढ़ा कर हुस्न बानो की पीठ थाम कर उसे हिलाया.

हुस्न बानो ने लिंग पर से अपना मुंह उठा कर. मुड कर जगदीश की ओर देखा और मुस्कुराई.

जगदीश ने नम्रता से कहा. ‘यह ठीक नहीं कर रही आप...’

तुरंत हुस्न बानो उठ गई. मुड़ी. और जगदीश कुछ समझे उससे पहले वो जगदीश के चेहरे पर झुक कर जगदीश के होठों को चूमने लगी. जगदीश हुस्न बानो को हटाना चाहता था पर हुस्न बानो ने जगदीश के मुंह में अपनी जीभ फेरनी शुरू की और जगदीश का विरोध मंद हो गया. हुस्न बानो की जीभ जगदीश की जीभ से लिपटने लगी. जगदीश इस जीभ चुंबन में खोने लगा. उसने आंखें मूंद ली...जगदीश की जीभ से अपनी जीभ लड़ाते हुए हुस्न बानो ने जगदीश के लिंग को कोमलता से सहलाना शुरू किया. जगदीश उत्तेजित होने लगा. उसे होश था कि यह ठीक नहीं हो रहा. यह औरत दिमागी तौर पर स्वस्थ नहीं है और अनजाने में यह उसे नुकसान पहुंचा सकती है. पर उत्तेजना उसे विवश कर रही थी. हुस्न बानो की चुंबन की शैली इतनी रसिक थी की जगदीश जैसे मन मना रहा था : यह चुंबन खत्म होते ही मैं हुस्न बानो को रोक दूंगा....

पर ऐसा सोचने के बाद तुरंत जगदीश को लगता था की वो खुद को झूठी तसल्ली दे रहा है, वास्तव में वो नहीं चाहता कि हुस्न बानो रुके…

हुस्न बानो का चुंबन इतना लंबा चला की जब हुस्न बानो ने जगदीश के होठों पर से अपने होठ हटाये तब तक जगदीश यह भी भूल चुका था की इस चुंबन के बाद वो उसे रोकने वाला था. वो हुस्न बानो को देख केवल मुस्कुरा पाया. हुस्न बानो ने अपने दोनों हाथों में जगदीश का चेहरा थामा और अपना सर जगदीश के सर से रगडा. फिर अपने गाल जगदीश के गालो से रगड़े. फिर जगदीश को लिटा कर वो जगदीश की छाती चूमने लगी. तब फिर जगदीश को याद आया की उसे हुस्न बानो को रोकना चाहिए.

‘सुनिए प्लीज़....’ जगदीश ने हुस्न बानो की पीठ पर हाथ रख कर कहा. हुस्न बानो ने जगदीश की छाती पर से अपना सर उठा कर जगदीश की ओर देखा.

जगदीश पल भर उस चेहरे की मासूमियत में खो गया. कितना नेह था हुस्न बानो की आंखों में!
जैसे तैसे खुद को काबू में करते हुए जगदीश ने कहा. ‘आप प्लीज़ यह सब न करें...’

हुस्न बानो केवल मुस्कुराई और अपना पल्लू हटाकर ब्लाउज के हुक खोलने लगी…

‘नहीं ... नहीं...प्लीज़...’ जगदीश ने हुस्न बानो के हाथ थामने की कोशिश की. हुस्न बानो ब्लाउज खोल चुकी थी. जगदीश मना करता रहा और हुस्न बानो ने अपनी ब्रा ऊपर सरकाई. जगदीश चकित हो कर देखता रह गया...हुस्न बानो के स्तन एकदम भरे भरे और द्रढ़ता से तने हुए थे. हुस्न बानो की उम्र ४० से अधिक लग रही थी. इस उमर की स्त्री के स्तन इतने मांसल और कड़े कैसे हो सकते है? वो हुस्न बानो को रोकना भूल स्तन सौन्दर्य में खो गया. मन्त्र मुग्ध हो कर हुस्न बानो के दोनों आकर्षक स्तन गोलों को, उसके निपल के आसपास के काले और भूरे रंग के मिश्रण जैसे छोटे से वर्तुल और उस वर्तुल के मध्य में उगे हुए दानेदार निपलों को देखता रह गया. हुस्न बानो के समप्रमाण गोलाइओ से उभरे हुए दोनों स्तन बढ़कर परस्पर इतने सट गए थे कि उनके बीच एक उंगली तक रखने की जगह बची नहीं थी...

हुस्न बानो होले से झुकी और जगदीश की आंखों पर अपने निपल रगड़ने लगी. जगदीश की आंखें बंद हो गई. वो हुस्न बानो को कुछ कह नहीं पाया. हालात के इस मोड़ को वो शरण हो गया.
हुस्न बानो ने जगदीश को बांहों में भर कर उसके कान पर जीभ फेरनी शुरू की... जगदीश विह्वल हो उठा. पिछले कुछ दिनों से जाने अनजाने अपनी बहु शालिनी के इस तरह के संपर्क में वो बार बार आया था की उसकी कामेच्छा हर बार तंग धनुष्य की तरह टंकार बजाने लगती थी और हर बार वो किस तरह अपने आप को संयम में बांध कर रह जाता था. पर हुस्न बानो जिस तरह उसे उकसा रही थी, जगदीश के लिए काबू में रहना मुश्किल होता जा रहा था... जगदीश की उंगलियों में उसकी प्यास स्थानांतरण कर के हुस्न बानो के अंगों को सहला कर तृप्ति खोजने की कोशिश में लग गई....


(१९ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
आप एक रहस्यवाद की कहानी लिख रहे हो जो इस फ़ोरम की शायद एक नामी कहानी बनेगी
शुरू में हमने ये तो सोचा न था

आप फ़ालतू की आलोचना की चिंता ना करें और अपने हिसाब से कहानी लिखें 👌
 

Lib am

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[(१८ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :

….इस हुस्न बानो के बारे में मैं और कुछ नहीं जानता. आप जब मुझे हुस्न बानो के बारे में बताने लगे तब मैं चुप रहा क्योंकि आप हुस्न बानो के बारे में क्या जानते हो यह मुझे पता करना था. पर अगर मुझे आपसे कोई बात छुपानी होती तो मैं आपके साथ इस आश्रम में नहीं आता...क्योंकि यहां अगर हम साथ में आते है तो डॉ. कुलकर्णी तो आपको बतायेंगे ही की हुस्न बानो को मैं इस आश्रम में ले आया था... पर मेरे पास आपसे यह बात छिपाने का कोई कारण नहीं.
मोहिते यह सब सुन कर सोच में पड़ गया.]



शादी फार्म हाउस, पूना

कुछ समय बाद जब चांदनी काम मूर्छा से जाग्रत हुई तब उसने उसके साथ अभी अभी जो हुआ था वो कोई सपना था या सत्य यह शंका करते हुए खुद को जांचा.... अपनी जांघ और योनि द्वार के आसपास बिखरे हुए कामरस के अंश और बाथरूम का दरवाजा जो उसने अंदर से लॉक किया था उसे खुला देख इस बात में कोई दो राय नहीं रही की कोई आया था कि नहीं.

प्रश्न एक ही बचता था : कौन आया था?

***
‘हुस्न बानो के बारे में और कोई जानकारी है जो गोविंद मामा या मेरी मां से उसके कोई कनेक्शन पर रोशनी डाल सके? जगदीश ने पूछा.

‘हुस्न बानो उत्तर प्रदेश के किसी अंदरूनी गांव से है. जानी अत्तरवाला कुछ साल पहले अपने दोस्त से मिलने उसके गांव गया था. दोस्त ने दोनों का परिचय करवाया था. तब हुस्न बानो बेवा और निसंतान थी, जानी अत्तरवाला को पसंद आई, शादी करके ही अत्तरवाला घर लौटा. हुस्न बानो ज्यादा पढ़ी लिखी औरत नहीं – किस तरह से यह कनेक्शन हुआ होगा यह समझ के बाहर है.’ मोहिते ने जवाब दिया.

‘सर, आप मसाज करवाएंगे?’ जूनियर डॉक्टर ने जगदीश से पूछा.

‘मसाज!’ मोहिते को आश्चर्य हुआ.

‘जी.’ जगदीश ने जूनियर डॉक्टर से कहा.

‘फाइन. मैं एरेंजमेंट करवाता हूं.’

‘अगर चन्नी काका हो तो बेस्ट वर्ना कोई और भी चलेगा.’

‘मोस्टली चन्नी काका ही होंगे. सर.’ मुस्कुराकर जूनियर डॉक्टर ने कहा और चला गया.

मोहिते की आंखों में अब तक आश्चर्य देख जगदीश ने समझाया. ‘यहां आयुर्वेदिक शैली से मसाज होता है. बदन के हर हिस्से, ख़ास कर के जहां मांस पर दबाव आता है और बदन के सारे जोड़ को बहुत अच्छे से मला जाता है. हर किसी ने छे महीने में कम से कम एक बार बोडी मसाज करवाना चाहिए.... आप भी करवा लो.’

मोहिते यह सुन सोच में पड़ गया.फिर पूछा. ‘मतलब जेंट्स को जेंट्स मसाज करते है और लेडीज़ को लेडीज़?’

‘नहीं. इस आश्रम में जेंट्स मसाज करने वाले केवल चन्नी काका ही जेंट्स है बाकी सभी मसाज करने वाली लेडीज ही है पर आप टेंशन मत लो. ये मसाज अपने स्वास्थ्य के लिए जो मसाज होता है वो ही है. मसाज के नाम पर उल्टे सीधे धंधे होते है वो सब यहां नहीं होता.’ जगदीश ने हंसते हुए कहा.

***

शादी फार्म हाउस, पूना

बारात फ़ार्म हाउस पर पहुंच चुकी थी. फ़ार्म हाउस में मौजूद सारे महेमान अच्छे से तैयार हो कर बारात का स्वागत करने विशाल पंडाल में जमा हो चुके थे. जुगल की आंखें बेसब्री से झनक को ढूंढ रही थी. जुगल को झनक बतानेवाली है की पिछली रात जुगल के साथ कौनसी लड़की थी…

पर झनक है कहां?

***

‘सर, एक अलग डेवलपमेंट है. आपका मसाज हुस्न बानो करेगी ऐसा डॉक्टर कुलकर्णी का सुझाव है...’

मोहिते और जगदीश दोनों को जैसे बिजली का झटका लगा.

‘नहीं...’ जगदीश ने खड़े होते हुए कहा. ‘कहां है डॉक्टर कुलकर्णी?’

मोहिते और जगदीश दोनों डॉक्टर कुलकर्णी से मिलने गए.

***

शादी फार्म हाउस, पूना

झनक ने दुल्हन के पिता मिस्टर सोहनलाल दीक्षित के कमरे के दरवाजे के लॉक को निहारा. फिर अगल बगल देखा. सभी लोग मुख्य पंडाल में थे. गेस्ट हाउस का सारा स्टाफ भी. बारात और दूल्हे को देखने के लिए. कम से कम पांच मिनिट तो कोई आएगा नहीं. और पांच मिनिट झनक के लिए जरूरत से ज्यादा समय था. उसने अपनी मास्टर की से दीक्षित के दरवाजे के लॉक को खोला…

***

‘नहीं मी. रस्तोगी. कोई रिस्क नहीं. जब से हुस्न बानो यहां एडमिट हुई है, शी इज कोंस्टन्ट अंडर ऑब्जर्वेशन...’

‘पर डॉक्टर वो एक मरीज़ है, आश्रम के स्टाफ का काम उससे क्यों करवा रहे हो?’

‘यह भी एक थेरेपी का ही हिस्सा है...’ डॉक्टर ने समझाया. ‘हुस्न बानो यहां आने के बाद यहां के स्टाफ के मैत्रीपूर्ण व्यवहार के कारण काफी शांत हो गई है. इतना ही नहीं उसे काम बगैर बैठे रहना अखर रहा था इसलिए शुरू में उसे बागवानी सिखाई. फिर उसने मसाज में रुचि ली तो मसाज कैसे करना यह सिखाया और पिछले एक हफ्ते से वो दुसरे मरीजो का मसाज कर रही है. उसके काम में कोई शिकायत नहीं है.’

‘पर डॉक्टर, हुस्न बानो में कुछ ज्यादा की सेक्स की भावना है ऐसा भी एक रिपोर्ट है न?’

‘इंस्पेक्टर, बोडी के रिपोर्ट हर छे महीने में बदलते है. क्योंकि शरीर में निरंतर परिवर्तन होता है.’

‘तो क्या अब हुस्न बानो सेक्स के मामले में नार्मल हो चुकी है!’ मोहिते ने आश्चर्य से पूछा.

‘कम से कम फिलहाल वो सेक्सुअल भावनाओं को लेकर काफी नॉर्मल है. वजह यह भी हो सकती है की वो अभी मानसिक आघात में है. पर उस मामले में अभी कोई खतरा नहीं.’

जगदीश अभी भी इस प्रयोग के लिए तैयार नहीं हो पा रहा था. तब मोहिते ने जगदीश से कहा. ‘मेरी राय में यह रिस्क लेना चाहिए. अगर हुस्न बानो को यह बता दिया जाय की तुमने ही साजन भाई को मारा है और बाद में वो तुम्हारा बोडी मसाज करे तो मुमकिन है की इस तरह वो ज्यादा कम्फर्टेबल हो कर कुछ बात करें...’

जगदीश ने यह मसाज हुस्न बानो से करवाने का फैसला ले लिया.

***

शादी फार्म हाउस, पूना

झनक मी. दीक्षित के कमरे से बाहर निकली. तेजी से नीचे उतर कर पीछे के रास्ते से, पंडाल से कोई देख न ले उस तरह वो बाहर निकल गई. फ़ार्म हाउस के कम्पाउंड से निकल कर उसने फोन लगाया: ‘हल्लो पापा... काम हो गया...’

‘धेट’स माय बेबी.’ सामने से उत्साहित जवाब सुनाई दिया.

झनक ने मुस्कुराकर फोन काटा और मेईन रोड की तरफ चलने लगी.

जुगल उसकी राह देख रहा होगा यह उसे याद आया. ‘सोरी जुगल...’ उसने मन ही मन में कहा.

***

जगदीश मसाज के कमरे के पलंग पर हाफ पेंट में सोया था. कमर के हिस्से पर उसने तौलिया ढांक रखा था.

हुस्न बानो कमरे में दाखिल हुई. उसने साड़ी ब्लाउज पहने हुए थे. और दोनों हाथो से उसने एक बड़ा पात्र थमा हुआ था जिसमे में मसाज का तेल था. दाखिल होते हुए वो जगदीश को देख मुस्कुराई.

जगदीश भी मुस्कुराया.

हुस्न बानो ने तेल का पात्र बाजू में रख कर पलंग पर बैठ जगदीश के सर में हाथ घुमाते हुए पूछा. ‘बट्टा? मेरा बट्टा कहां है?’

जगदीश को कुछ समझ में नहीं आया. यह हुस्न बानो ‘साजन भाई’ के अलावा अब तक कुछ बोल नहीं रही थी. अचानक ‘बट्टा’ बोल रही है? पर यह बट्टा क्या है? किसी का नाम? किस का?
जगदीश ने कहना चाहा. ‘सुनो वो जो साजन भाई...’

‘श...श....श...’ मुस्कुराके हुस्न बानो ने जगदीश के होठों पर अपनी उंगली रख चुप रहने का इशारा किया और उसके बदन पर तेल मलना शुरू किया. जगदीश चुप हो गया. हुस्न बानो ने पैरों से शुरुआत की. जगदीश के तलवे में तेल मल कर मालिश शुरू की. पहले तलवे, फिर एडी के कोने, फिर घुटने और एडी के बीच की मांसल पिंडली...पिंडली में जब हुस्न बानो ने मालिश शुरू की तब जगदीश को एहसास हुआ की वहां कितनी थकान छिपकर बैठी थी जो मसाज के जरिये धीरे धीरे पिघलने लगी…

जगदीश को बहुत सुकून महसूस हुआ, ‘बट्टा याने क्या कहना चाहती होगी ये-’ ऐसा सोचते हुए कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला.

***

शालिनी का दिल बैठा जा रहा था की क्या अब जेठ जी उससे नाराज रहेंगे? इतने अजीब हालात में साथ रहने के बाद क्या वो फिर से अनजान इंसान की तरह कटे कटे रहेंगे? वो माफ़ कर दे इस के लिए क्या करना चाहिए?

उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करना चाहिए…

***
अचानक जगदीश की आंख खुली. उसे अपनी कमर के पास कुछ अलग अहसास हो रहा था. उसने देखा तो उसकी आंखें फटी रह गई. हुस्न बानो उसकी कमर पर झुक कर उसका लिंग चाट रही थी….
‘आप.....ये...क....क्या कर रही हो...; जगदीश ने हुस्न बानो को परे हटाने की कोशिश की पर हुस्न बानो बहुत द्रढ़ता से बैठी हुई थी और जगदीश सोया हुआ होने के कारण ज्यादा ताकात नहीं लगा पा रहा था. जगदीश को हुस्न बानो की साडी पल्लू दिख रहा था उसे उसने थाम कर खिंचा... ‘सुनिए हुस्न बानो...’ जगदीश ने नर्म आवाज में बोलते हुए एक हाथ से उसकी साडी का पल्लू और दुसरे हाथ को आगे बढ़ा कर हुस्न बानो की पीठ थाम कर उसे हिलाया.

हुस्न बानो ने लिंग पर से अपना मुंह उठा कर. मुड कर जगदीश की ओर देखा और मुस्कुराई.

जगदीश ने नम्रता से कहा. ‘यह ठीक नहीं कर रही आप...’

तुरंत हुस्न बानो उठ गई. मुड़ी. और जगदीश कुछ समझे उससे पहले वो जगदीश के चेहरे पर झुक कर जगदीश के होठों को चूमने लगी. जगदीश हुस्न बानो को हटाना चाहता था पर हुस्न बानो ने जगदीश के मुंह में अपनी जीभ फेरनी शुरू की और जगदीश का विरोध मंद हो गया. हुस्न बानो की जीभ जगदीश की जीभ से लिपटने लगी. जगदीश इस जीभ चुंबन में खोने लगा. उसने आंखें मूंद ली...जगदीश की जीभ से अपनी जीभ लड़ाते हुए हुस्न बानो ने जगदीश के लिंग को कोमलता से सहलाना शुरू किया. जगदीश उत्तेजित होने लगा. उसे होश था कि यह ठीक नहीं हो रहा. यह औरत दिमागी तौर पर स्वस्थ नहीं है और अनजाने में यह उसे नुकसान पहुंचा सकती है. पर उत्तेजना उसे विवश कर रही थी. हुस्न बानो की चुंबन की शैली इतनी रसिक थी की जगदीश जैसे मन मना रहा था : यह चुंबन खत्म होते ही मैं हुस्न बानो को रोक दूंगा....

पर ऐसा सोचने के बाद तुरंत जगदीश को लगता था की वो खुद को झूठी तसल्ली दे रहा है, वास्तव में वो नहीं चाहता कि हुस्न बानो रुके…

हुस्न बानो का चुंबन इतना लंबा चला की जब हुस्न बानो ने जगदीश के होठों पर से अपने होठ हटाये तब तक जगदीश यह भी भूल चुका था की इस चुंबन के बाद वो उसे रोकने वाला था. वो हुस्न बानो को देख केवल मुस्कुरा पाया. हुस्न बानो ने अपने दोनों हाथों में जगदीश का चेहरा थामा और अपना सर जगदीश के सर से रगडा. फिर अपने गाल जगदीश के गालो से रगड़े. फिर जगदीश को लिटा कर वो जगदीश की छाती चूमने लगी. तब फिर जगदीश को याद आया की उसे हुस्न बानो को रोकना चाहिए.

‘सुनिए प्लीज़....’ जगदीश ने हुस्न बानो की पीठ पर हाथ रख कर कहा. हुस्न बानो ने जगदीश की छाती पर से अपना सर उठा कर जगदीश की ओर देखा.

जगदीश पल भर उस चेहरे की मासूमियत में खो गया. कितना नेह था हुस्न बानो की आंखों में!
जैसे तैसे खुद को काबू में करते हुए जगदीश ने कहा. ‘आप प्लीज़ यह सब न करें...’

हुस्न बानो केवल मुस्कुराई और अपना पल्लू हटाकर ब्लाउज के हुक खोलने लगी…

‘नहीं ... नहीं...प्लीज़...’ जगदीश ने हुस्न बानो के हाथ थामने की कोशिश की. हुस्न बानो ब्लाउज खोल चुकी थी. जगदीश मना करता रहा और हुस्न बानो ने अपनी ब्रा ऊपर सरकाई. जगदीश चकित हो कर देखता रह गया...हुस्न बानो के स्तन एकदम भरे भरे और द्रढ़ता से तने हुए थे. हुस्न बानो की उम्र ४० से अधिक लग रही थी. इस उमर की स्त्री के स्तन इतने मांसल और कड़े कैसे हो सकते है? वो हुस्न बानो को रोकना भूल स्तन सौन्दर्य में खो गया. मन्त्र मुग्ध हो कर हुस्न बानो के दोनों आकर्षक स्तन गोलों को, उसके निपल के आसपास के काले और भूरे रंग के मिश्रण जैसे छोटे से वर्तुल और उस वर्तुल के मध्य में उगे हुए दानेदार निपलों को देखता रह गया. हुस्न बानो के समप्रमाण गोलाइओ से उभरे हुए दोनों स्तन बढ़कर परस्पर इतने सट गए थे कि उनके बीच एक उंगली तक रखने की जगह बची नहीं थी...

हुस्न बानो होले से झुकी और जगदीश की आंखों पर अपने निपल रगड़ने लगी. जगदीश की आंखें बंद हो गई. वो हुस्न बानो को कुछ कह नहीं पाया. हालात के इस मोड़ को वो शरण हो गया.
हुस्न बानो ने जगदीश को बांहों में भर कर उसके कान पर जीभ फेरनी शुरू की... जगदीश विह्वल हो उठा. पिछले कुछ दिनों से जाने अनजाने अपनी बहु शालिनी के इस तरह के संपर्क में वो बार बार आया था की उसकी कामेच्छा हर बार तंग धनुष्य की तरह टंकार बजाने लगती थी और हर बार वो किस तरह अपने आप को संयम में बांध कर रह जाता था. पर हुस्न बानो जिस तरह उसे उकसा रही थी, जगदीश के लिए काबू में रहना मुश्किल होता जा रहा था... जगदीश की उंगलियों में उसकी प्यास स्थानांतरण कर के हुस्न बानो के अंगों को सहला कर तृप्ति खोजने की कोशिश में लग गई....


(१९ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश:)
ये बटा कही जगदीश के बचपन का नाम तो नही है। ये झनक कोई साजिश तो नहीं कर रही है जुगल और चांदनी के खिलाफ की पारिवारिक या व्यापारिक दुश्मनी के तहत। क्या जगदीश हुस्न बानो के साथ आगे बढ़ेगा या फिर शालिनी के साथ। बहुत से ट्विस्ट थे इस अपडेट में।
 
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