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Incest राजकुमार देव और रानी माँ रत्ना देवी

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Update 11

इधर रांझा परदे के ओट से भाई बहन की चुदाई देख कर गरम हो रही थी और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने घाघरे को उठा कर अपनी योनि को सहला रही थी और अपनी एक उंगली अपनी बुर में डाल कर चोद रही थी और वह भाई बहन की चुदाई देख कर इतनी गर्म हो जाती है कि जल्दी ही वह झड़ जाती है और उसे तब होश आता है की अभी क्या हो रहा था। वह इतनी बड़ी घटना राजमाता को इसी समय बताने का निर्णय लेती है और भागते हुए राजमाता देवकी के कक्ष की ओर जाती है।
उधर देवकी अपने कक्ष में सोने का प्रयास कर ही रही थी कि रांझा भागती हुई उसके कमरे में दाखिल हो जाती है और देवकी को जगाते हुए कहती है--

उठो देवकी उठो,,,देखो आज अनर्थ ही गया,,,

देवकी धीरे से आंखे खोलती है और बोलती है ---

क्या हो गया,,,इतनी परेशान क्यों है तू,,पहले आराम से बैठ और बता क्या हुआ है,,,,

बैठने का समय नहीं है देवकी,,,आज जो हुआ वह कभी नहीं हुआ,,,तू भी देखेगी तो मेरी तरह ही परेशान हो जाएगी,,,

अच्छा तू बता,,,बात क्या है ,,, पहेलियां मत बुझा,,,

ऐसा कहते हुए देवकी उठ कर बैठ जाती है जिससे उसके शरीर के ऊपरी हिस्से से रेशमी चादर सरक कर नीचे जांघों पर आ जाती है और देवकी ऊपर से पुनः पूरी नंगी हो जाती है,,जिसे देखकर रांझा कहती है----

जल्दी से अपनी चोली और घाघरा पहन कर अपने स्तन और योनि को ढक देवकी और मेरे साथ चल,,,

इतनी रात्रि को मै कहा चलूं,,कुछ बताएगी भी तू मुझे रांझा,,,

बताने का समय नहीं है देवकी,,, तू पहले घाघरा चोली पहन और मेरे साथ चल,,,,

रांझा के कहने पर देवकी बिस्तर से नंगी ही उठती है और देवकी उसके पैरो में घाघरा पहनाने लगती है और उसके घाघरे का नाड़ा बांधने के लिए नीचे बैठ जाती है,,,बैठते ही उसके सामने देवकी की योनि सामने आ जाती है जिसे रांझा देख कर फिर कामुक ही जाती है और कामुकता वश उसकी योनि फैलाकर चूसने लगती है जिससे देवकी की आह निकल जाती है। देवकी की योनि को चाटते हुए कहती है,,,

तुम्हारी योनि कितनी प्यारी है देवकी,,,देख लेने पर उसे चूमे बिना मन ही नहीं मानता है,,,तुम रानियों की बात ही कुछ और होती है न,,,बिल्कुल अप्सरा लगती हो तुम राजघराने की स्त्रियां,,,अब समझ में आया कि महाराज तुम्हारी योनि के इतने दीवाने क्यों थे और क्यों तुम्हे रोज चोदे बिना नहीं मानते थे,,,

अरे नहीं रांझा ऐसी बात नहीं है,,,तू भी बहुत सुंदर है और तेरी योनि भी बहुत सुंदर और प्यारी है,,,मुझे तो तुम्हारी योनि बहुत पसन्द आई और योनि तो सभी औरतों की एक ही तरह की होती है,,,चाहे मेरा हो या तेरा,,,

और ऐसा कहकर देवकी रांझा को उपर उठाती है और उसके घाघरे को उठाकर उसकी योनि को सहलाने लगती है और उसकी आंखों में देखते हुए कहती है

मुझे तेरी योनि बहुत पसन्द है,,तभी तो मैंने तुम्हारे साथ सहवास किया है,,, और तू अपने मन से ये ख्याल निकाल दे की तू सुन्दर नहीं है,,, तू तो मेरी बड़ी बहन,दोस्त , राजदार सबकुछ है,,,,

और ऐसा कहकर देवकी रांझा को गले लगा लेती है और जोर से भींच कर अपने नंगे स्तन उसके स्तन से दबा देती है जिससे रांझा की सिसकी निकाल जाती है,,,फिर देवकी बोलती है

अब बोल इतनी रात को क्या आफत आ गई थी

देवकी के कहने पर रांझा को जैसे कुछ याद आता है और वह कहती है,,,

जल्दी से अपनी चोली पहन और चल मेरे साथ

और ऐसा कहकर वह फटाफट देवकी को चोली पहनाती है और उसके हाथ पकड़ कर लगभग खींचते हुए कक्ष के बाहर ले जाती है,,,जिस पर देवकी कहती है,,,

कुछ बताएगी भी की आखिर माजरा क्या है और तू मुझे कहा लिए जा रही है,,,,

कुछ बताने का समय नहीं है देवकी,,,तू चल मेरे साथ और अपनी आंखों से ही सब देख ले,,,

और ऐसा कहते हुए रांझा खींचते हुए देवकी को लेकर राजकुमारी नंदिनी के कक्ष के बाहर पहुंच कर रुक जाती है और कहती है,,,

खुद ही देख ले

क्या देखूं रांझा,,,तू बता तो सही,,,

नहीं, मैं बता तो नहीं सकती,,,तू खुद ही देख ले

और ऐसा बोलकर धीरे से नंदिनी के द्वार का पर्दा हल्का सा हटा देती है और कहती है

अंदर का नजारा देख ले देवकी,,,

देवकी झल्ला कर अंदर का नजारा देखती है तो वह एकदम सन्न रह जाती है
उस समय अंदर नंदिनी के कक्ष में राजा विक्रम नंदिनी की चुदाई कर अपना लन्ड उसकी योनि से निकाल रहे थे
देवकी उस समय अपने पुत्र राजा विक्रम को अपनी बहन नंदिनी की योनि से लंड निकालते हुए देखती है और राजा विक्रम नंदिनी के स्तनों पर अपना वीर्य गिरा रहे थे जिसे नंदिनी अपनी उंगलियों पर लेकर चाट रही थी,,

राजमाता देवकी अपने पुत्र पुत्री को ऐसा नीच कर्म करता देख कर आवाक रह जाती है,,,कुछ देर के लिए उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है,,,वह सोचती है की क्या कमी रह गई हमारे लालन पालन में जो मैं अपने पुत्र पुत्री को अच्छा संस्कार ना दे सकी,,,,वह कुछ सोच नहीं पा रही थी,,,उसे लग रहा था कि अभी जमीन फट जाए और वह उसमे समा जाए,,,

लेकिन थोड़ी देर में उसे होश आता है और गुस्से से उसका चेहरा तमतमा जाता है,,उस वक्त उसके क्रोध की कोई सीमा नहीं रहती है,,, और इसी क्रोध में वह राजकुमारी नंदिनी के कक्ष में प्रवेश कर जाती है और क्रोध में चिल्लाती है,,,

नंदिनी,,,,,,,

ऐसे अचानक अपनी मा की आवाज सुनने से राजा विक्रम और नंदिनी दोनो चौंक जाते है और घबराहट में कक्ष के द्वार की ओर देखते हैं तो अपनी माता को वहां खड़ा पाते हैं जो उस समय गुस्से में आग बबूला कक्ष के द्वार पर खड़ी थी,,,और गुस्से में कहती है,,,

कुत्तों,,ये क्या पाप कर रहे हो तुम दोनों,,, तुमदोनो को शर्म नहीं आती,,,भाई बहन होकर तुम दोनों यौन संबंध बना रहे हो,,,,भाई बहन के बीच यौन संबंध वर्जित है,,तुम दोनों की मती मारी गई है क्या,,,,,,, मै तुम दोनों की खाल खींच लूंगी,

और ऐसा कहकर वह अपने पुत्र राजा विक्रम को धक्का देकर अपनी पुत्री नंदिनी से अलग करती है,,,अभी राजमाता देवकी भूल जाती है कि अभी वह खुद मा होकर अपने पुत्र से यौन संबध बनाने का सोच कर झड़ी है और अभी भाषण चोद रही है,,, हो सकता है देवकी के अंदर नंदिनी से ईर्ष्या का भाव आ गया हो और वह अपने पुत्र के लंबे मोटे लौड़े का उदघाटन खुद करना चाह रही हो,,जिसके कारण वह और आग बबूला हो रही हो,,, खैर देवकी के इतना गुस्सा होने दोनो डर जाते है,,,और देवकी गुस्से में नंदिनी को एक थप्पड़ जड़ देती है और राजा विक्रम के पीठ पर एक मुक्का जड़ देती है,,,राजा विक्रम नंगे ही अपनी माता देवकी की संभालने का प्रयास करते है,,,लेकिन वो गुस्से में उसे झटक देती है,,,उसे इस बात का खयाल नहीं रहता है कि उसके दोनों जवान बच्चे पूरे नंगे है,,,इस दौरान रांझा कक्ष के बाहर ही रहती है,,,,

देवकी गुस्से में कहती है ,,,तुम दोनों को जीने का कोई हक नहीं है ,,,तुम दोनों ने घोर पाप किया है ,,,,,
और ये कहते हुए कक्ष में रखे तलवार को अपने हाथ में लेकर राजकुमारी नंदिनी की ओर टूट पड़ती है और कहती है की मै तुम दोनों को खत्म कर दूंगी,,मै एक क्षत्रानी है और मै ये पाप बर्दास्त नहीं कर सकती,,,

राजा विक्रम राजमाता कें गुस्से को देख कर कांप जाते है और उन्होंने सोचा की अगर जल्दी कुछ नहीं किया तो अनर्थ हो जायेगा,,,और वे जल्दी से राजमाता देवकी के सामने आकर घुटने टेक कर बैठ जाते हैं और सिर झुका कर कहते है,,,

माते,,यदि आपको लगता है की हमने इतना बड़ा पाप किया है तो ये लो मैं आपके सामने गर्दन झुकाएं बैठा हूं ,,,आप काट दो मेरी गर्दन,,,

राजमाता गुस्से में तलवार लिए बढ़ती है और राजा विक्रम के सामने आकर गुस्से में तलवार चलाने के लिए ऊपर हवा में उपर उठाती है और जब नीचे गर्दन झुका कर देखती है तो अपने प्यारे लाडले पुत्र को सिर झुकाए हुए घुटनों पे बल बैठा पाती है तो,,,
अचानक से उसका गुस्सा गायब हो जाता है और उसकी आंखो में आंसू आ जाते है और उसके हाथ से तलवार छूट कर नीचे जमीन पर गिर जाती है,,,वह फुट फुट कर रोते हुए अपने लाडले पुत्र के सामने सामने बैठ जाती है और रोते हुए कहती है,,,

क्यों किया पुत्र तुमने ऐसा पुत्र,,,,क्यों किया ,,, कोई इस रिश्ते के बारे में जान जाएगा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे,,,और ये कहते हुए वह अपने पुत्र को नंगे ही गले लगा लेती है और कहती है,,,

ये ग़लत है बेटे,, और ऐसा कह कर वह फिर खुद को कोसने लगती है,,,
मैंने भी गलत किया पुत्र,,,मै अपने ही लाडले और लाडली को गुस्से में मारने चली थी,,,ये वही हाथ हैं ना जिनके हाथ में तलवार थी,,,इन्हे इसकी सजा मिलनी ही चाहिए और ऐसा कह कर वह अपने हाथ दीवार पर मारने लगती है,,, और कहती है,,,
मुझसे आज बड़ा पाप होने जा रहा था,,, मुझे माफ़ कर दो मेरे प्यारे बच्चों,,,तब तक नंदिनी भी उनके पास आ चुकी थी और अपनी मां के इस व्यवहार से आश्चर्य चकित थी,,,वह भी वही अपनी मा और भाई के सामने नंगे ही बैठ जाती है,,,
राजमाता देवकी फिर रोते हुए अपने लाडले बच्चों को गले लगाकर पूछती है,,,,

क्यों किया तुम दोनों ने ऐसा ,,क्यों किया ,,बताओ अगर कोई जान गया तो क्या हो जाता,,,,
और वह अपने दोनो बच्चों को बैठे बैठे ही गले लगा कर रोने लगती है,,,,
ये राजमाता देवकी क्या कर रही है जो अपने बेटे के लंड की कल्पना कर के अभी अभी झडी है
अपने बेटे बेटी को तलवार से मारने चली
अब तो बेटा और बेटी राजमाता के सामने नंगे ही बैठे हैं देखते हैं आगे क्या होता है
बहुत ही सुंदर और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Ravi2019

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ये राजमाता देवकी क्या कर रही है जो अपने बेटे के लंड की कल्पना कर के अभी अभी झडी है
अपने बेटे बेटी को तलवार से मारने चली
अब तो बेटा और बेटी राजमाता के सामने नंगे ही बैठे हैं देखते हैं आगे क्या होता है
बहुत ही सुंदर और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thanks bhai
 

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और ये कहते हुए कक्ष में रखे तलवार को अपने हाथ में लेकर राजकुमारी नंदिनी की ओर टूट पड़ती है और कहती है की मै तुम दोनों को खत्म कर दूंगी,,मै एक क्षत्रानी है और मै ये पाप बर्दास्त नहीं कर सकती,,,

राजा विक्रम राजमाता कें गुस्से को देख कर कांप जाते है और उन्होंने सोचा की अगर जल्दी कुछ नहीं किया तो अनर्थ हो जायेगा,,,और वे जल्दी से राजमाता देवकी के सामने आकर घुटने टेक कर बैठ जाते हैं और सिर झुका कर कहते है,,,

माते,,यदि आपको लगता है की हमने इतना बड़ा पाप किया है तो ये लो मैं आपके सामने गर्दन झुकाएं बैठा हूं ,,,आप काट दो मेरी गर्दन,,,

राजमाता गुस्से में तलवार लिए बढ़ती है और राजा विक्रम के सामने आकर गुस्से में तलवार चलाने के लिए ऊपर हवा में उपर उठाती है और जब नीचे गर्दन झुका कर देखती है तो अपने प्यारे लाडले पुत्र को सिर झुकाए हुए घुटनों पे बल बैठा पाती है तो,,,
अचानक से उसका गुस्सा गायब हो जाता है और उसकी आंखो में आंसू आ जाते है और उसके हाथ से तलवार छूट कर नीचे जमीन पर गिर जाती है,,,वह फुट फुट कर रोते हुए अपने लाडले पुत्र के सामने सामने बैठ जाती है और रोते हुए कहती है,,,

क्यों किया पुत्र तुमने ऐसा पुत्र,,,,क्यों किया ,,, कोई इस रिश्ते के बारे में जान जाएगा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे,,,और ये कहते हुए वह अपने पुत्र को नंगे ही गले लगा लेती है और कहती है,,,

ये ग़लत है बेटे,, और ऐसा कह कर वह फिर खुद को कोसने लगती है,,,
मैंने भी गलत किया पुत्र,,,मै अपने ही लाडले और लाडली को गुस्से में मारने चली थी,,,ये वही हाथ हैं ना जिनके हाथ में तलवार थी,,,इन्हे इसकी सजा मिलनी ही चाहिए और ऐसा कह कर वह अपने हाथ दीवार पर मारने लगती है,,, और कहती है,,,
मुझसे आज बड़ा पाप होने जा रहा था,,, मुझे माफ़ कर दो मेरे प्यारे बच्चों,,,तब तक नंदिनी भी उनके पास आ चुकी थी और अपनी मां के इस व्यवहार से आश्चर्य चकित थी,,,वह भी वही अपनी मा और भाई के सामने नंगे ही बैठ जाती है,,,
राजमाता देवकी फिर रोते हुए अपने लाडले बच्चों को गले लगाकर पूछती है,,,,

क्यों किया तुम दोनों ने ऐसा ,,क्यों किया ,,बताओ अगर कोई जान गया तो क्या हो जाता,,,,
और वह अपने दोनो बच्चों को बैठे बैठे ही गले लगा कर रोने लगती है,,,,
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देवकी तुम्हारा नंगा शरीर कितना सुन्दर है,,बिल्कुल तराशा हुआ,,,, संगमरमर की तरह स्वच्छ और सुन्दर है और उस पर तुम्हारी योनि पे हल्के बाल , उसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। काश मै पुरुष होती,, तो मै अभी तुम्हरी योनि में अपना लिंग डालकर चोद देती तुम्हें। लेकिन अफसोस, ,,,,

तब देवकी कहती है,,, अब चुप कर रांझा ,,,मै सब जानती हूं,,,तू मेरी झूठी तारीफ करती है,,,,कहां मै अब बूढ़ी हो है हूं और तू कहती है की मेरा शरीर संगमरमर सा सुन्दर है,,,झूठी कहीं की,,,

नहीं राजमाता,,ऐसी बात नहीं है,,,आज तुम्हारा शरीर और खिला हुआ दिख रहा है,,,बिल्कुल नव यौवना की तरह,,,,और आज तो एक और खास बात हो गई है,,,और ऐसा कहकर वह एक कुटिल मुस्कान मुस्कुरा देती है,,,जिसे देवकी देख लेती है।

अच्छा,,अब मुंह बन्द कर अपना,,,साली छिनार,,देवकी ने कहा,,,,हालाकि रांझा की बातों से देवकी के मन में गुदगुदी सी हो रही थी।

अच्छा जी,,,मै चुप रहूं ,,,अपने पुत्र के लिंग के बारे में सोचकर पानी तो तू ही छोड़ रही थी ना ,,,,, अब तो भलाई का जमाना ही नहीं रह गया,,,एक तो बुर की मालिश करो,,,बुर में उंगली करो और फिर गालियां भी सुनो,,,,,रांझा ने कहा

अच्छा चल तू बुरा मत मान,,, मै मानती हूं कि मुझे आज बहुत अच्छा लगा ,,,महाराज के जाने के बाद पहली बार किसी ने मेरी योनि को सहलाया था और उसमें उंगली की थी और आज मै कई सालों के बाद झड़ी हूं,,,, हां ये सच है की इस दौरान मेरे पुत्र विक्रम के लिंग की बाते मुझे और उत्तजित कर रही थी । आज विक्रम के साथ हुई घटनाओं ने मुझे उद्वेलित कर दिया था। खैर छोड़ इन बातों को,,,,एक बात आज पता चली मुझे की तू भी बुर में उंगली अच्छे से करना जानती है।

देवकी आज सुबह ही मैंने तेरी नज़रों को पढ़ लिया था,,,जैसे तू विक्रम के लंड को देख रही थी और उसे अपने हाथों से पकड़ा हुआ था,,,तू तो अपने बेटे का लंड छोड़ना ही नहीं चाह रही थी,,,

ये तू सच कह रही है रांझा,,,,मेरा मन तो अपने पुत्र के लंबे मोटे खड़े को छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था,,,कितना मनमोहक है मेरे बेटे का लन्ड,,,, वाह महाराज की याद आ गई,,,बिल्कुल अपने पिताश्री पर गया है विक्रम,,,,बिल्कुल हूबहू अपने पिता जैसा ही लौड़ा है उसका,,,,

इन कामुक बातों से दोनो उत्तेजित होने लगती हैं और उनकी सांसे तेज चलने लगती हैं,,,रांझा उत्तेजनावश अपना एक हाथ देवकी की चूची पर लेजाकर उसे दबाने लगत है और अपनी एक उंगली से उसके चूचूकों को रगड़ने लगती है जिससे देवकी ओर उत्तेजित और हो जाती है,,,देवकी खुद रांझा का दूसरा हाथ पकड़कर अपनी बुर पे रख कर रगड़ने लगती है,,,रांझा उसके भाग्नासे को अपनी उंगली से छेड़ने लगती है जिससे देवकी की उत्तेजना की कोई सीमा नहीं रहती है,,,,देवकी आहें भरने लगती है और अचानक फुर्ती से रांझा को अपनी ओर खींच कर उससे चिपक जाती है,,,उसे एक मानव शरीर की जरूरत महसूस होती है चाहे वो किसी का भी हो,,,,पुरुष का या स्त्री का,,,,देवकी रांझा को गले लगा कर अपने स्तन से उसके स्तन को रगड़ने लगती है जिसमें उसे असीम आनन्द की अनुभति होती है,,,, रांझा भी देवकी का साथ देने लगती है,,,दोनो का एक स्त्री के साथ सहवास का यह पहला अनुभव था,,,लेकिन देह की गर्मी उन्हें ऐसा करने को मजबुर कर रही थी,,, दोनों एक दूसरे से आलिंगनबद्ध होकर कााम सुख का आनंद ले रही थी। रांझा बोलती है --

देवकी, तू बहुत खूबसूरत है और तुम्हारे पुत्र और पुत्री भी तुम्हारी तरह ही अदभुत सुंदरता के मालिक है। राजा विक्रम को देख कर तो बुर में खुजली होने लगती है और राजकुमारी नंदिनी को देखकर तो अच्छों अच्छों का मन डोल जाए

कामवासना में लीन देवकी बोलती है,,,,तू सही कह रही है रांझा,,,मेरे पुत्र का लंड देखकर तो उससे नज़रे ही नहीं हटती है,,,,और आज तो ब्रह्म मुहूर्त में ही मुझे मेरे पुत्र के मोटे लंबे और तगड़े लंड का दर्शन हो गए,,,क्या शुभ दिन रहा आज,,,और एक बात बताऊं तुम्हें,,,आज रात में ही महाभोज के समय उसके स्नानागार में उसने भी मेरी योनि के दर्शन कर लिए, जब मै उसके स्नानागार में मूत्र त्याग करने गई थी,,,उसका तो मुंह खुला का खुला रह गया था,,,

सच देवकी,,,,क्या तुम्हारे पुत्र ने आज तुम्हारी बुर देख ली,,,अब तो वह भी तुम्हे चोदे बिना नहीं मानेगा,,,,लगता है आग दोनो तरफ लगी हुई है,,,,
रांझा ने कहा

हा रांझा ,,,,, स्नानागार में हम दोनों अपने अपने जननांगों को नंगे किए हुए एक दूसरे के सामने थे और मै अपने बेटे के लंड को और मेरा बेटा मेरी योनि को लगातार देखे जा रहा था,,, मैं तो अपने पुत्र के लंबे मोटे लिंग की दिवानी हो गईं हूं,,,मन करता है उसकी मालिश कर दूं,,, लेकिन क्या करूं वो मेरा बेटा है रांझा,,,

बेटा हुआ तो क्या हुआ देवकी ,,, लिंग और योनि मां और बेटा नहीं पहचानते,,, लंड को केवल बुर और बुर को केवल लंड चाहिए,,,बोल देवकी , चुदवाएगी ना तू अपने बेटे के लौड़े से,,,,

हा रांझा हा, मै अपने पुत्र के लौड़े से चुद्वाऊंगी,,,उसे मन ही मन मैंने सब कुछ सौंप दिया है,,,मै उसके लंड से अपनी बुर को चुदवा कर अपनी बुर की प्यास बुझाउंगी

और इस तरह दोनो कामुक बारे करते करते झड़ जाती है,,,

अब देखते है अगले अपडेट में क्या होता है,,,,

तुम्हारी योनि कितनी प्यारी है देवकी,,,देख लेने पर उसे चूमे बिना मन ही नहीं मानता है,,,तुम रानियों की बात ही कुछ और होती है न,,,बिल्कुल अप्सरा लगती हो तुम राजघराने की स्त्रियां,,,अब समझ में आया कि महाराज तुम्हारी योनि के इतने दीवाने क्यों थे और क्यों तुम्हे रोज चोदे बिना नहीं मानते थे,,,

अरे नहीं रांझा ऐसी बात नहीं है,,,तू भी बहुत सुंदर है और तेरी योनि भी बहुत सुंदर और प्यारी है,,,मुझे तो तुम्हारी योनि बहुत पसन्द आई और योनि तो सभी औरतों की एक ही तरह की होती है,,,चाहे मेरा हो या तेरा,,,

और ऐसा कहकर देवकी रांझा को उपर उठाती है और उसके घाघरे को उठाकर उसकी योनि को सहलाने लगती है और उसकी आंखों में देखते हुए कहती है

मुझे तेरी योनि बहुत पसन्द है,,तभी तो मैंने तुम्हारे साथ सहवास किया है,,, और तू अपने मन से ये ख्याल निकाल दे की तू सुन्दर नहीं है,,, तू तो मेरी बड़ी बहन,दोस्त , राजदार सबकुछ है,,,,

और ऐसा कहकर देवकी रांझा को गले लगा लेती है और जोर से भींच कर अपने नंगे स्तन उसके स्तन से दबा देती है जिससे रांझा की सिसकी निकाल जाती है,,,फिर देवकी बोलती है

अब बोल इतनी रात को क्या आफत आ गई थी

देवकी के कहने पर रांझा को जैसे कुछ याद आता है और वह कहती है,,,

जल्दी से अपनी चोली पहन और चल मेरे साथ

और ऐसा कहकर वह फटाफट देवकी को चोली पहनाती है और उसके हाथ पकड़ कर लगभग खींचते हुए कक्ष के बाहर ले जाती है,,,जिस पर देवकी कहती है,,,

कुछ बताएगी भी की आखिर माजरा क्या है और तू मुझे कहा लिए जा रही है,,,,

कुछ बताने का समय नहीं है देवकी,,,तू चल मेरे साथ और अपनी आंखों से ही सब देख ले,,,

और ऐसा कहते हुए रांझा खींचते हुए देवकी को लेकर राजकुमारी नंदिनी के कक्ष के बाहर पहुंच कर रुक जाती है और कहती है,,,

खुद ही देख ले

क्या देखूं रांझा,,,तू बता तो सही,,,

नहीं, मैं बता तो नहीं सकती,,,तू खुद ही देख ले

और ऐसा बोलकर धीरे से नंदिनी के द्वार का पर्दा हल्का सा हटा देती है और कहती है

अंदर का नजारा देख ले देवकी,,,

देवकी झल्ला कर अंदर का नजारा देखती है तो वह एकदम सन्न रह जाती है
उस समय अंदर नंदिनी के कक्ष में राजा विक्रम नंदिनी की चुदाई कर अपना लन्ड उसकी योनि से निकाल रहे थे
देवकी उस समय अपने पुत्र राजा विक्रम को अपनी बहन नंदिनी की योनि से लंड निकालते हुए देखती है और राजा विक्रम नंदिनी के स्तनों पर अपना वीर्य गिरा रहे थे जिसे नंदिनी अपनी उंगलियों पर लेकर चाट रही थी,,

राजमाता देवकी अपने पुत्र पुत्री को ऐसा नीच कर्म करता देख कर आवाक रह जाती है,,,कुछ देर के लिए उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है,,,वह सोचती है की क्या कमी रह गई हमारे लालन पालन में जो मैं अपने पुत्र पुत्री को अच्छा संस्कार ना दे सकी,,,,वह कुछ सोच नहीं पा रही थी,,,उसे लग रहा था कि अभी जमीन फट जाए और वह उसमे समा जाए,,,

लेकिन थोड़ी देर में उसे होश आता है और गुस्से से उसका चेहरा तमतमा जाता है,,उस वक्त उसके क्रोध की कोई सीमा नहीं रहती है,,, और इसी क्रोध में वह राजकुमारी नंदिनी के कक्ष में प्रवेश कर जाती है और क्रोध में चिल्लाती है,,,

नंदिनी,,,,,,,

ऐसे अचानक अपनी मा की आवाज सुनने से राजा विक्रम और नंदिनी दोनो चौंक जाते है और घबराहट में कक्ष के द्वार की ओर देखते हैं तो अपनी माता को वहां खड़ा पाते हैं जो उस समय गुस्से में आग बबूला कक्ष के द्वार पर खड़ी थी,,,और गुस्से में कहती है,,,

कुत्तों,,ये क्या पाप कर रहे हो तुम दोनों,,, तुमदोनो को शर्म नहीं आती,,,भाई बहन होकर तुम दोनों यौन संबंध बना रहे हो,,,,भाई बहन के बीच यौन संबंध वर्जित है,,तुम दोनों की मती मारी गई है क्या,,,,,,, मै तुम दोनों की खाल खींच लूंगी,

और ऐसा कहकर वह अपने पुत्र राजा विक्रम को धक्का देकर अपनी पुत्री नंदिनी से अलग करती है,,,अभी राजमाता देवकी भूल जाती है कि अभी वह खुद मा होकर अपने पुत्र से यौन संबध बनाने का सोच कर झड़ी है और अभी भाषण चोद रही है,,, हो सकता है देवकी के अंदर नंदिनी से ईर्ष्या का भाव आ गया हो और वह अपने पुत्र के लंबे मोटे लौड़े का उदघाटन खुद करना चाह रही हो,,जिसके कारण वह और आग बबूला हो रही हो,,, खैर देवकी के इतना गुस्सा होने दोनो डर जाते है,,,और देवकी गुस्से में नंदिनी को एक थप्पड़ जड़ देती है और राजा विक्रम के पीठ पर एक मुक्का जड़ देती है,,,राजा विक्रम नंगे ही अपनी माता देवकी की संभालने का प्रयास करते है,,,लेकिन वो गुस्से में उसे झटक देती है,,,उसे इस बात का खयाल नहीं रहता है कि उसके दोनों जवान बच्चे पूरे नंगे है,,,इस दौरान रांझा कक्ष के बाहर ही रहती है,,,,

देवकी गुस्से में कहती है ,,,तुम दोनों को जीने का कोई हक नहीं है ,,,तुम दोनों ने घोर पाप किया है ,,,,,
और ये कहते हुए कक्ष में रखे तलवार को अपने हाथ में लेकर राजकुमारी नंदिनी की ओर टूट पड़ती है और कहती है की मै तुम दोनों को खत्म कर दूंगी,,मै एक क्षत्रानी है और मै ये पाप बर्दास्त नहीं कर सकती,,,

राजा विक्रम राजमाता कें गुस्से को देख कर कांप जाते है और उन्होंने सोचा की अगर जल्दी कुछ नहीं किया तो अनर्थ हो जायेगा,,,और वे जल्दी से राजमाता देवकी के सामने आकर घुटने टेक कर बैठ जाते हैं और सिर झुका कर कहते है,,,

माते,,यदि आपको लगता है की हमने इतना बड़ा पाप किया है तो ये लो मैं आपके सामने गर्दन झुकाएं बैठा हूं ,,,आप काट दो मेरी गर्दन,,,

राजमाता गुस्से में तलवार लिए बढ़ती है और राजा विक्रम के सामने आकर गुस्से में तलवार चलाने के लिए ऊपर हवा में उपर उठाती है और जब नीचे गर्दन झुका कर देखती है तो अपने प्यारे लाडले पुत्र को सिर झुकाए हुए घुटनों पे बल बैठा पाती है तो,,,
अचानक से उसका गुस्सा गायब हो जाता है और उसकी आंखो में आंसू आ जाते है और उसके हाथ से तलवार छूट कर नीचे जमीन पर गिर जाती है,,,वह फुट फुट कर रोते हुए अपने लाडले पुत्र के सामने सामने बैठ जाती है और रोते हुए कहती है,,,

क्यों किया पुत्र तुमने ऐसा पुत्र,,,,क्यों किया ,,, कोई इस रिश्ते के बारे में जान जाएगा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे,,,और ये कहते हुए वह अपने पुत्र को नंगे ही गले लगा लेती है और कहती है,,,

ये ग़लत है बेटे,, और ऐसा कह कर वह फिर खुद को कोसने लगती है,,,
मैंने भी गलत किया पुत्र,,,मै अपने ही लाडले और लाडली को गुस्से में मारने चली थी,,,ये वही हाथ हैं ना जिनके हाथ में तलवार थी,,,इन्हे इसकी सजा मिलनी ही चाहिए और ऐसा कह कर वह अपने हाथ दीवार पर मारने लगती है,,, और कहती है,,,
मुझसे आज बड़ा पाप होने जा रहा था,,, मुझे माफ़ कर दो मेरे प्यारे बच्चों,,,तब तक नंदिनी भी उनके पास आ चुकी थी और अपनी मां के इस व्यवहार से आश्चर्य चकित थी,,,वह भी वही अपनी मा और भाई के सामने नंगे ही बैठ जाती है,,,
राजमाता देवकी फिर रोते हुए अपने लाडले बच्चों को गले लगाकर पूछती है,,,,

क्यों किया तुम दोनों ने ऐसा ,,क्यों किया ,,बताओ अगर कोई जान गया तो क्या हो जाता,,,,
और वह अपने दोनो बच्चों को बैठे बैठे ही गले लगा कर रोने लगती है,,,,
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राजा विक्रम अपना हाथ नीचे ले जाते है और अपनी बहन की नंगी बुर पे रखकर सहलाने लगते है और दूसरे हाथ से नंदिनी का हाथ पकड़कर अपने खड़े लौड़े पे रख देते हैं जिसे हाथ में लेकर नंदिनी रगड़ने लगती है,,, अब राजा विक्रम अपनी बहन की nangibvur सहला रहे थे तो नंदिनी अपने भाई के मोटे लौड़े को हाथ ले लेकर आगे पीछे कर रही थी,,,राजा विक्रम कहते हैं,,,,

आपकी बुर बहुत चिकनी है बहन,,, मन करता है इसे सहलाता है रहूं,,,

मेरा भी यही हाल है भाई,,,मै तो तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई हूं,,जी करता है इसे खा ही जाऊं,,, और ऐसा कहकर नंदिनी नीचे बैठ जाती है और अपने भाई के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगती है जिससे राजा विक्रम के मुंह से आह निकल जाती है,,,थोड़ी देर बाद राजा विक्रम नंदिनी को उपर उठाते हैं और उसे गोद में उठाकर शय्या पर के जाते हैं,,,इस तरह नंगी होकर अपने भाई की गोदी में देख कर नंदिनी शरमा जाती है और अपना मुंह अपने भाई की छाती में छुपा लेती है,,,राजा विक्रम अपनी बहन की नंगे ही बिस्तर पर लिटा देते हैं और फिर अपनी नंगी बहन के नंगे स्तन की छोटे बच्चे की तरह चूसने लगते है और एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी बुर सहलाने लगते हैं,,,,और फिर उसके शरीर पे नीचे जाकर उसकी दोनो टांगे फैला देते हैं और उसके दोनों पैरों के बीच में मुंह लगाकर उसकी बुर पे अपने होंठ रख देते है,,,,और अपनी जीभ से अपनी बहन की बुर चाटने लगते हैं,,,नंदिनी अपने भाई के सिर की अपने हाथ से पकड़कर अपने बुर पे दबाने लगती है,,,राजा विक्रम भी अपनी बहन की बुर की खुशबू से मदहोश हुए जा रहे थे,,,,कुछ देर बुर चटवाने के बाद नंदिनी अपने भाई को ऊपर खींचती है और अपने ऊपर गिरा कर जकड़ लेती है और फिर बहुत ही कामुक आवाज में कहती है,,,

केवल चूत ही चटोगे अपनी बहन की या कुछ और भी करोगे भाई,,,और ऐसा कह कर अपने भाई का लंड अपने हाथ में लेकर रगड़ने लगती है,,,

अगर आपकी अनुमति हो दीदी तो मै अपना लन्ड आपकी योनि में डालकर चोदना चाहता हूं तुम्हे,,,

तो तुम्हे रोका किसने है भाई,,,आओ अपनी बहन की बुर को अपने लौड़े से चोदो,,,उसकी चोद चोद कर उसका भोसड़ा बना दो मेरे भाई,,,मेरी चूत तुम्हारे लंड की प्यासी है ,,, देखो कैसे आंसू बहा रही है और ऐसा कहकर अपने दोनो हाथों से अपने बुर को फैला कर दिखती है जिससे राजा विक्रम अपने हाथो से पकड़ लेते है,,,और अपना खड़ा लंड अपनी बहन की नंगी बुर में डाल देते हैं,,,जैसे ही राजा विक्रम का बड़ा लौड़ा नंदिनी की बुर में जाता है उसकी चीख निकल जाती है,,,फिर उसे भी मजा आने लगता है और वह अपने भाई को जोश दिलाते हुए कहने लगी,,,

और जोर से चोदो भाई,,और जोर से चोदो अपनी बहन की बुर को,,,ये तुम्हारे लंड की दीवानी है,,,इसे हर रात तुम्हारा लौड़ा चाहिए और वह ऐसे ही बड़बड़ाते रहती है,,,

फिर करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद दोनो भाई बहन पसीने से लथ पथ एक दूसरे से चिपके चुदाई ने मगन रहते है,,,फिर नंदिनी कहती है,,,

मै झड़ने वाली हूं भाई,,,
मै भी झड़ने वाला हूं बहन,,,

लेकिन तू अपना लंड बाहर निकाल भाई और माल भी बाहर निकाल,,,नहीं तो गर्भ ठहर जाएगा,,,

चुदाई से नंदिनी झड़ जाती है और राजा विक्रम अपना लन्ड अपनी बहन की योनि से बाहर निकाल कर उसके स्तन पर अपना वीर्य गिरा देता है जिसे नंदिनी अपनी उंगलियों पर लेकर चाटने लग जाती है,,
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,,इस तरह नंगी होकर अपने भाई की गोदी में देख कर नंदिनी शरमा जाती है और अपना मुंह अपने भाई की छाती में छुपा लेती है,,,राजा विक्रम अपनी बहन की नंगे ही बिस्तर पर लिटा देते हैं और फिर अपनी नंगी बहन के नंगे स्तन की छोटे बच्चे की तरह चूसने लगते है और एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी बुर सहलाने लगते हैं,,,,और फिर उसके शरीर पे नीचे जाकर उसकी दोनो टांगे फैला देते हैं और उसके दोनों पैरों के बीच में मुंह लगाकर उसकी बुर पे अपने होंठ रख देते है,,,,और अपनी जीभ से अपनी बहन की बुर चाटने लगते हैं,,,नंदिनी अपने भाई के सिर की अपने हाथ से पकड़कर अपने बुर पे दबाने लगती है,,,राजा विक्रम भी अपनी बहन की बुर की खुशबू से मदहोश हुए जा रहे थे,,,,कुछ देर बुर चटवाने के बाद नंदिनी अपने भाई को ऊपर खींचती है और अपने ऊपर गिरा कर जकड़ लेती है और फिर बहुत ही कामुक आवाज में कहती है,,,

केवल चूत ही चटोगे अपनी बहन की या कुछ और भी करोगे भाई,,,और ऐसा कह कर अपने भाई का लंड अपने हाथ में लेकर रगड़ने लगती है,,,

अगर आपकी अनुमति हो दीदी तो मै अपना लन्ड आपकी योनि में डालकर चोदना चाहता हूं तुम्हे,,,

तो तुम्हे रोका किसने है भाई,,,आओ अपनी बहन की बुर को अपने लौड़े से चोदो,,,उसकी चोद चोद कर उसका भोसड़ा बना दो मेरे भाई,,,मेरी चूत तुम्हारे लंड की प्यासी है ,,, देखो कैसे आंसू बहा रही है और ऐसा कहकर अपने दोनो हाथों से अपने बुर को फैला कर दिखती है जिससे राजा विक्रम अपने हाथो से पकड़ लेते है,,,और अपना खड़ा लंड अपनी बहन की नंगी बुर में डाल देते हैं,,,जैसे ही राजा विक्रम का बड़ा लौड़ा नंदिनी की बुर में जाता है उसकी चीख निकल जाती है,,,फिर उसे भी मजा आने लगता है और वह अपने भाई को जोश दिलाते हुए कहने लगी,,,

और जोर से चोदो भाई,,और जोर से चोदो अपनी बहन की बुर को,,,ये तुम्हारे लंड की दीवानी है,,,इसे हर रात तुम्हारा लौड़ा चाहिए और वह ऐसे ही बड़बड़ाते रहती है,,,

फिर करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद दोनो भाई बहन पसीने से लथ पथ एक दूसरे से चिपके चुदाई ने मगन रहते है,,,फिर नंदिनी कहती है,,,

मै झड़ने वाली हूं भाई,,,
मै भी झड़ने वाला हूं बहन,,,

लेकिन तू अपना लंड बाहर निकाल भाई और माल भी बाहर निकाल,,,नहीं तो गर्भ ठहर जाएगा,,,

चुदाई से नंदिनी झड़ जाती है और राजा विक्रम अपना लन्ड अपनी बहन की योनि से बाहर निकाल कर उसके स्तन पर अपना वीर्य गिरा देता है जिसे नंदिनी अपनी उंगलियों पर लेकर चाटने लग जाती है,,

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