Ravi Bhai, bahut dinon se aapka koi pata nahin..aur updates bhi nahin..so, "aasha kaise banaaye rakhe"??आशा बनाये रखें
Anyway, no issues...i hope you will find time and post an update soon. Thanks.
Ravi Bhai, bahut dinon se aapka koi pata nahin..aur updates bhi nahin..so, "aasha kaise banaaye rakhe"??आशा बनाये रखें
बहन ,तुम्हारे स्तन बहुत सुंदर है,,,ये जितने सुन्दर चोली में दिखते है उससे कहीं ज्यादा सुन्दर ये नंगे दिखते हैं,,,बिल्कुल संगमरमर की तरह चमक रहे है ये,,, मन करता है इन्हे चूसता ही रहूं,,,,बहुत भाग्यशाली होगा वह पुरुष जिसके साथ तुम्हारा विवाह होगा,,,
आपकी बुर बहुत चिकनी है बहन,,, मन करता है इसे सहलाता है रहूं,,,
मेरा भी यही हाल है भाई,,,मै तो तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई हूं,,जी करता है इसे खा ही जाऊं,,, और ऐसा कहकर नंदिनी नीचे बैठ जाती है और अपने भाई के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगती है जिससे राजा विक्रम के मुंह से आह निकल जाती है,,,थोड़ी देर बाद राजा विक्रम नंदिनी को उपर उठाते हैं और उसे गोद में उठाकर शय्या पर के जाते हैं,,,इस तरह नंगी होकर अपने भाई की गोदी में देख कर नंदिनी शरमा जाती है और अपना मुंह अपने भाई की छाती में छुपा लेती है,,,राजा विक्रम अपनी बहन की नंगे ही बिस्तर पर लिटा देते हैं और फिर अपनी नंगी बहन के नंगे स्तन की छोटे बच्चे की तरह चूसने लगते है और एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी बुर सहलाने लगते हैं,,,,और फिर उसके शरीर पे नीचे जाकर उसकी दोनो टांगे फैला देते हैं और उसके दोनों पैरों के बीच में मुंह लगाकर उसकी बुर पे अपने होंठ रख देते है,,,,और अपनी जीभ से अपनी बहन की बुर चाटने लगते हैं,,,नंदिनी अपने भाई के सिर की अपने हाथ से पकड़कर अपने बुर पे दबाने लगती है,,,राजा विक्रम भी अपनी बहन की बुर की खुशबू से मदहोश हुए जा रहे थे,,,,कुछ देर बुर चटवाने के बाद नंदिनी अपने भाई को ऊपर खींचती है और अपने ऊपर गिरा कर जकड़ लेती है और फिर बहुत ही कामुक आवाज में कहती है,,,
केवल चूत ही चटोगे अपनी बहन की या कुछ और भी करोगे भाई,,,और ऐसा कह कर अपने भाई का लंड अपने हाथ में लेकर रगड़ने लगती है,,,
अगर आपकी अनुमति हो दीदी तो मै अपना लन्ड आपकी योनि में डालकर चोदना चाहता हूं तुम्हे,,,
तो तुम्हे रोका किसने है भाई,,,आओ अपनी बहन की बुर को अपने लौड़े से चोदो,,,उसकी चोद चोद कर उसका भोसड़ा बना दो मेरे भाई,,,मेरी चूत तुम्हारे लंड की प्यासी है ,,, देखो कैसे आंसू बहा रही है और ऐसा कहकर अपने दोनो हाथों से अपने बुर को फैला कर दिखती है जिससे राजा विक्रम अपने हाथो से पकड़ लेते है,,,और अपना खड़ा लंड अपनी बहन की नंगी बुर में डाल देते हैं,,,जैसे ही राजा विक्रम का बड़ा लौड़ा नंदिनी की बुर में जाता है उसकी चीख निकल जाती है,,,फिर उसे भी मजा आने लगता है और वह अपने भाई को जोश दिलाते हुए कहने लगी,,,
और जोर से चोदो भाई,,और जोर से चोदो अपनी बहन की बुर को,,,ये तुम्हारे लंड की दीवानी है,,,इसे हर रात तुम्हारा लौड़ा चाहिए और वह ऐसे ही बड़बड़ाते रहती है,,,
फिर करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद दोनो भाई बहन पसीने से लथ पथ एक दूसरे से चिपके चुदाई ने मगन रहते है,,,फिर नंदिनी कहती है,,,
मै झड़ने वाली हूं भाई,,,
मै भी झड़ने वाला हूं बहन,,,
लेकिन तू अपना लंड बाहर निकाल भाई और माल भी बाहर निकाल,,,नहीं तो गर्भ ठहर जाएगा,,,
चुदाई से नंदिनी झड़ जाती है और राजा विक्रम अपना लन्ड अपनी बहन की योनि से बाहर निकाल कर उसके स्तन पर अपना वीर्य गिरा देता है जिसे नंदिनी अपनी उंगलियों पर लेकर चाटने लग जाती है,,
Bahut Sunder
nice startUpdate 1
प्राचीन काल में जब राजा,-महाराजो का जमाना था, उस काल में विजयनगर राज्य के राजा विक्रम सेन हुआ करते थे जो बहुत ही दयालु और प्रजा को अपनी संतान मानने वाले थे. उनके राज्य की समृद्धि दूर दूर तक फैली हुई थी जिससे उसके पड़ोसी राज्य बहुत इर्श्या करते थे. राजा विक्रम सेन काफी अच्छी कद काठी के थे. उनकी लंबाई 5 फीट 8 इंच थी. चौड़े सुदृढ़ कंधे. और छाती 54 इंच चौडी थी. हल्का गेहुवा रंग था उनका. कड़क मूछें और उपर सिर पर सोने का मुकुट जो उनके व्यक्तित्व मे चार चाँद लगा देता था. उनके व्यक्तित्व की ख्याति इतनी थी कि कुवारी राजकुमारियों को तो छोड़िये दूसरे राजाओं की रानियाँ भी आहें भरती थी और उनके साथ सम्भोग करने के सपने देखती थी.राजा विक्रम सेन का जीवन भी उथल पथल भरा रहा. जब वे छोटे थे तभी उनके पिता महाराज सुर सेन की मृत्यु हो गई थी. उनकी मृत्यु के बाद राजकुमार विक्रम सेन को छोटी उम्र में ही राजा की गद्दी संभालनी पड़ी. उस समय उनकी माता देवकी अभी जवान ही थी जिनकी उम्र उस समय कम ही थी. ऐसी घड़ी आ गई थी कि जिस राजकुमार को रानी देवकी अभी नहलाती थी और उसके लिंग का नाप लेती थी उसे राजा बनाना पड़ा. रानी देवकी अब राजमाता देवकी बन चुकी थी जिन्हे अब अपने पुत्र से मिलने के लिये अब दूर राजा के कक्ष में जाना होता था.
good oneUpdate - 2
आज राज्य में बहुत ही खुशी का दिन था. आज राजा विक्रम सेन का जन्मदिन जो था और वो आज 18 साल के हो गये थे. आज जन्मदिन के मौके पर सुबह सुबह राज परिवार अपने कुल देवता के दर्शन करने और आशीर्वाद लेने मन्दिर जाता था. आज राजमाता देवकी के कदम जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. वो आज ब्रह्म मुहूर्त मे ही जग गई और नहाने के लिए सुबह सुबह स्नानागर मे घुस गई. उसे जल्दी तैयार होना था क्यों कि आज कई राज्यों के राजा सपरिवार आयोजन में सामिल होने के लिए आमंत्रित थे. देवकी स्नानागर मे घुसकर अपने चोली उतारती है जिससे उसके बड़े स्तन कैद से बाहर निकल जाते हैं. इन्हें देखकर देवकी खुद शर्मा जाती है और मन में सोचती है कि ये मुये इस उम्र में कितने बड़े हो गये हैं. ( जबकि उसकी उम्र अभी 36 वर्ष ही थी) वह आदमकद आईने के सामने खड़ी होकर खुद अपने को ही निहार रही थी. वह अपना दाहिना हाथ उठाकर अपने स्तन पर रखकर हौले से दबाती है और अपनी एक उँगली से चुचक को हल्के हल्के कुरेदने लगती है और सहलाने लगती है. चुचक सहलाने से वह उत्तेजित हो जाती है और अपना एक हाथ घाघरे के अंदर डाल कर अपनी योनि को सहलाने लगती है. कई दिनों बाद आज वह अपने बदन से खेल रही थी. घाघरा योनि को सहलाने मे अड़चन डाल रहा था सो उसने अपने घाघरे का नाडा खोल दिया. नाडा खोलते ही घाघरा सरसराते हुए उसके पैरों में गिर जाता है जिससे वह पुरी नंगी हो जाती है. अपने आप को शीशे मे पुरी नंगी देखकर वह फिर शर्मा जाती है. उसकी योनि पे घुंघराले झांटे उसकी खूबसूरती और बढ़ा रहे थे. उसकी योनि पे झांटे ना तो कम थी ना ही बहुत घनी जो उसकी योनि को सबसे अलग बनाती थी. तभी तो महाराज उनकी योनि के दिवाने थे और हर रात इनकी चुदाई करके ही सोते थे. देवकी अपनी ही योनि को देखकर गरम हो जाती है और अपने पुराने दिनों के बारे में सोचने लगती है जब उसकी योनि को महाराज रोज अपनी जीभ से चाटते और अपने मोटे लंड से जबरदस्त चुदाई करते. यही सोचते सोचते देवकी का हाथ अपनी योनि पे चला जाता है और वह अपनी योनि को रगड़ते हुए हस्तमैथुन करने लगती है. एक हाथ से वह अपने स्तन का मर्दन कर रही थी और दूसरे हाथ से योनि को तेजी से रगड़ रही थी. योनि रगड़ते रगड़ते देवकी को अपने पुत्र राजा विक्रम के लिंग की याद आती है जिसे देखे उसे 6 साल बीत गये थे. वह सोचने लगती है कि उसका लिंग कितना बड़ा हो गया होगा. उसी समय उसका लण्ड 8 इंच का था, बिल्कुल अपने ननिहाल के पुरुषों की तरह. इन खयालों से उसकी बुर एकदम गीली हो गई और योनि रस छोड़ने लगी. अब उसका योनि मार्ग एकदम चिकना हो गया और उसकी एक उँगली सटाक से अंदर चली गई जिससे उसकी आह निकल गई. अब वह अपनी उँगली अंदर बाहर करने लगती है और साथ ही अपने चुचुको को भी मसलने लगती है और अपने पुत्र के लिंग के ख्याल से मदहोस हो जाती है. अपनी बुर रगड़ते रगड़ते वह मन में बुद्बुदाने लगती है कि हाँ मुझे अपने पुत्र का मोटा लंड देखना है उसे अपने हाथ में लेकर प्यार करना है. यह सोचते हुए वह अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच जाती है और उसकी योनि भलभलकर् पानी छोड़ देती है. उसका हाथ योनिरस से भीग जाता है. वह हस्तमैथुन से सत्तुष्ट होकर अपने को ही कोसने लगती है कि मै ये क्या पाप सोच रही थी. उसे ध्यान आता है कि काफी विलंब हो गया है और आज हमे सुबह ही कुल देवता के मंदिर जाना है. अब वह फटाफट स्नान के लिये दूध से भरे बड़े टब् मे घुस जाती है जिसमें गुलाब की पंखुडियाँ भी पड़ी थी. दुध से स्नान कर वह फटाफट अपने वस्त्र कक्ष में एक बड़ा तौलिया लपेटकर चली जाती है जहाँ उसकी मुहबोली दासी रन्झा उसका इंतजार कर रही थी. रन्झा उसके शरीर को कोमल वस्त्र से पोछती है और देवकी के शरीर पर डाला हुआ कपड़ा हटा देती है जिससे वह फिर से पुरी नंगी हो जाती है. रन्झा अच्छे से उसके शरीर को पोछती है, पहले स्तनों को पोछती है और फिर थोड़ा नीचे बैठकर उसकी योनि को पोछने लगती है जिससे योनि की मादक गंध उसके नाक तक पहुँच जाती है. वह तो देवकी की मूहबोलि दासी थी सो उससे मजाक मे पुछा कि रानी एक बात पुछू बुरा तो नहीं मानोगी.
देवकी- नहीं, पुछ, मै तेरी बात का बुरा मानती हूँ भला.
रन्झा, लेकिन गुस्सा किया तो.
देवकी - नहीं करूँगी गुस्सा तु पुछ जो पुछना है.
रन्झा - मै तो तुम्हें रोज नंगी देखती हूँ लेकिन आज तेरी चूची सुबह सुबह इतनी कसी हुई क्यो है और तो और तेरी योनि से भी जबरदस्त गंध आ रही है. किसकी याद मे सुबह सुबह योनि रगड़ा है बता तो दो.
देवकी- चल हट, बदमाश. हमेशा तेरे दिमाग में यही चलता रहता है. तु जानती नहीं है तु किससे बात कर रही है. राजमाता हू मैं. गर्दन उड़वा दूंगी तुम्हारी.
रन्झा - हे हे हे, अब बता भी दो रानी. क्यों नखरे दिखा रही हो. मै तो तुम्हारे साथ आई थी शादी मे तुम्हारे. तबसे तुम्हारी सेवा में हूँ. याद है जब तुम्हारी पहली माहवारी आई तो मैने ही तुम्हारी बुर पे कपड़ा लगाया था और तुम्हे सब सिखाया था.
( ये सुनकर देवकी मंद मंद मुस्कुराने लगती है)
देवकी - तु नहीं मानेगी. रंडी शाली छिनाल. सब जानती हूँ तेरे बारे मे कि तु राजमहल मे किसके साथ गुलछर्रे उड़ा रही है और दरबार के किन मंत्रियों से अपनी बुर चोदवा रही है.
रन्झा - हे हे हे, तु भी तो मुझे शुरू से जानती है कि कितनी गर्मी है मेरे अंदर. अच्छा ये सब छोड़िये राजमाता और ये बताइये कि किस युगपुरुष को सोचकर अपनी बुर रगड़ी हो और अपनी चुचियों को मसला है.
देवकी - धत् तु नही मानेगी. तो सुन आज अपने नंगे बदन को देखकर महाराज की याद आ गई की कैसे मुझे वो रगड़ रगड़ के रोज चोदा करते थे. और फिर मै गरम हो गई और बुर मतलब योनि मे उँगली करना पड़ा. ( ये कहकर देवकी इस बात को छुपा गई कि वह अपने पुत्र के बारे मे सोचकर भी गरम हो गई थी)
रन्झा - आहें भरते हुए, मै तुम्हारी तड़प समझ सकती हूँ राजमाता. मै भी तो अपने पति से दूर रहती हूँ. ये तो कहो की मेरा बेटा मेरा साथ रहता है. नहीं तो मै भी.... ( इतना कहकर वह कुछ बोलते बोलते चुप हो जाती है)
देवकी - हाँ हाँ बोल क्या ' नहीं तो मै भी'
रन्झा - हड़बड़ाहट मे, अब जल्दी तैयार हो जाओ सूर्योदय होने वाला है. आओ आईने के सामने बैठो की मै तुम्हे तैयार कर दूँ.
अब राजमाता देवकी तैयार होने के लिए बड़े से शीशे के सामने बैठ जाती है और रन्झा उसे तैयार करने लगती है.