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Incest रासलीला

Alok555

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हाय दोस्तो मै पहली बार लिख रहा हूं। मुझे लिखने की आदत नहीं है और मै कभी कोशिश भी नहीं किया। पहली बार हजारों गलतियां होंगी। कृपया मारगदर्शन करे
 

Alok555

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मेरा नाम गगन है, हम राजस्थानी है। लेकिन हमारे दादा जी लखनउ उत्तरप्रदेश में किराना दुकान चलाते थे। उसके साथ ही हमारे पिताजी थोक व्यापारी का धंधा शुरू कर दिया धीरे धीरे व्यापार चल गया और दादा जी वही घर बना कर पूरे परिवार के साथ लखनऊ में रहने लगे।
वैसे हमारा परिवार ज्यादा बड़ा नहीं है। महिपाल यानी महेंद्र दादाजी,
और उनके दो बेटे धर्मपाल यानी धर्मेंद्र मेरे पिताजी और शिशुपाल यानी सुरेंद्र मेरे चाचा। मेरे दादा जी के दो लड़कियां भी थी जो मेरे पापा से छोटी थी दोनों बहन की शादी दिल्ली में रहने वाले हमारे ही सहर यानी राजस्थान के एक रईश परिवार में एक ही घर में दोनों का ब्याह हुआ था
107736945-167792

मेरी मां सरला
 

uday29

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waiting eagerly for update
 

Alok555

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समय बर्बाद ना करते हुए कहानी पर चलते है। आगे जो भी कैरेक्टर आएगा उसका परिचय साथ में करा दूंगा।
बात उस समय की है जब मै और मेरी बहन संजना स्कूल में थे। हमलोग क्लास अलग अलग था लेकिन स्कूल एक ही था। मेरे साथ रोज किसी ना किसी के साथ झगड़ा हो जाता। बात होती कि कोई मेरी बहन संजना के बारे में गलत बाते बोल देता तो मेरा दोस्त मुझे बता देते और मै उस लड़के के साथ झगड़ा कर लेता। सिकायत स्कूल से घर तक आता। एक दिन मेरे पिताजी ने मुझे हॉस्टल भेजने के लिए कहा और मै थोड़ा नानुकुर करने के बाद तैयार हो गया।
 
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Samiboy

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समय बर्बाद ना करते हुए कहानी पर चलते है। आगे जो भी कैरेक्टर आएगा उसका परिचय साथ में करा दूंगा।
बात उस समय की है जब मै पांचवीं कक्षा में पढ़ता था मेरी बहन आठवीं में पढ़ती थी। हमलोग क्लास अलग अलग था लेकिन स्कूल एक ही था। मेरे साथ रोज किसी ना किसी के साथ झगड़ा हो जाता। बात होती कि कोई मेरी बहन संजना के बारे में गलत बाते बोल देता तो मेरा दोस्त मुझे बता देते और मै उस लड़के के साथ झगड़ा कर लेता। सिकायत स्कूल से घर तक आता। एक दिन मेरे पिताजी ने मुझे हॉस्टल भेजने के लिए कहा और मै थोड़ा नानुकुर करने के बाद तैयार हो गया।
Pahele he post Mai galti edit Kar ki character ko 18+ karlo
 

Alok555

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मै हॉस्टल से दस दिन के अंदर ही भाग आया घर आने पर मेरी बहुत पिटाई हुई। पिताजी को मेरे से ज्यादा उनके पैसे प्यारे थे। उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया और बोला कि या तो तुम चुप चाप हॉस्टल चले जाओ और नहीं पढ़ना चाहते हो तो मै तुम्हारे ऊपर जितना पैसा खर्च किया हूं उतना ब्याज के साथ वापस करो। मै मरता क्या न करता। और वापस दादाजी के साथ हॉस्टल चला गया। दादाजी हॉस्टल के प्रधानाध्यापक से मिल का मुझे काफी समझाया और मुझे वापस हॉस्टल में रख कर चले आए। उसके बाद मै साल में दो चार दिन के लिए ही वापस आता। मै स्कूल खत्म कर के कॉलेज सुरु कर दिया।
 

Kingfisher

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New kahani ke liye badhai bhai

Bhai kiston me update dene se acha hai thoda bda update do ..vaise suruat bahut shandar hai
Waiting for new update
 

Obaid Khan

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Congrats for new story bro hope karta hu ki regular updates aayenge or khaani complete hogi all the best waise maa mast hai
मेरा नाम गगन है, हम राजस्थानी है। लेकिन हमारे दादा जी लखनउ उत्तरप्रदेश में किराना दुकान चलाते थे। उसके साथ ही हमारे पिताजी थोक व्यापारी का धंधा शुरू कर दिया धीरे धीरे व्यापार चल गया और दादा जी वही घर बना कर पूरे परिवार के साथ लखनऊ में रहने लगे।
वैसे हमारा परिवार ज्यादा बड़ा नहीं है। महिपाल यानी महेंद्र दादाजी,
और उनके दो बेटे धर्मपाल यानी धर्मेंद्र मेरे पिताजी और शिशुपाल यानी सुरेंद्र मेरे चाचा। मेरे दादा जी के दो लड़कियां भी थी जो मेरे पापा से छोटी थी दोनों बहन की शादी दिल्ली में रहने वाले हमारे ही सहर यानी राजस्थान के एक रईश परिवार में एक ही घर में दोनों का ब्याह हुआ था
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मेरी मां सरला
 
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