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Incest रासलीला

Virus2012

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Nice story
 
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Thunderstorm

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मेरा नाम गगन है, हम राजस्थानी है। लेकिन हमारे दादा जी लखनउ उत्तरप्रदेश में किराना दुकान चलाते थे। उसके साथ ही हमारे पिताजी थोक व्यापारी का धंधा शुरू कर दिया धीरे धीरे व्यापार चल गया और दादा जी वही घर बना कर पूरे परिवार के साथ लखनऊ में रहने लगे।
वैसे हमारा परिवार ज्यादा बड़ा नहीं है। महिपाल यानी महेंद्र दादाजी,
और उनके दो बेटे धर्मपाल यानी धर्मेंद्र मेरे पिताजी और शिशुपाल यानी सुरेंद्र मेरे चाचा। मेरे दादा जी के दो लड़कियां भी थी जो मेरे पापा से छोटी थी दोनों बहन की शादी दिल्ली में रहने वाले हमारे ही सहर यानी राजस्थान के एक रईश परिवार में एक ही घर में दोनों का ब्याह हुआ था
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मेरी मां सरला
नयी कहानी के लिए बहुत सारी बधाई। बस अधूरी नहीं छोड़ेंगे यही आशा है।
 
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Thunderstorm

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मै एक कहानी पढ़ कर बाकी उसको उलट पलट कर रहा था तभी आधी दरवाजा लगा था कि उसके बाद भी एक आठरह बीस साल का एक हेंडसम लड़का अंदर आ गया और समान निकालने लगा क्योंकि हमारे दुकान पर ग्राहक खुद समान निकलते है। उस लड़के के आने से मै हड़बड़ा गया मै समझा की कोई पहचान का है तो मै खड़ा हुआ और मेरे हाथ से किताब नीचे गिर गया उस लड़के ने तुरंत किताब को उठाया और माथे से लगा कर मुझे देने लगा तभी उसका ध्यान किताब की तरफ गया और वो किताब को वापस खींच कर उसके पन्ने पलट कर देखने लगा। उस लड़के ने एक नजर मेरे मुझपर डाल कर मुस्कुराया और पूछा तुम भी पढ़ते हो मै थोड़ा डरते हुए कहा नहीं मुझे यह किताब यही मिली और मै यह कई सालो के बाद आया हूं। तभी दरवाजा खुलने से हम दोनों का नजर दादाजी पर पड़ी उस लड़के ने तुरंत बिना समय गवाए उस किताब को पेपर से लपेट कर रख लिया। तभी दादाजी ने उसे पूछा और अमन कैसे आना हुआ सुबह सुबह। उस लड़के का नाम अमन था उसने दादा जी के तरफ घूम कर नमस्कार किया और बोला कोलगेट खत्म है गया था चाचा। ठीक है ये मेरा पोता है कल ही दिल्ली से आया ये वही पढ़ता है। उसने अपना हाथ मेरे तरफ बढ़ाया और मुझसे हाथ मिला कर धीरे से बोला ये किताब मै पढ़ कर बाद मै वापस करता हूं। तभी दादाजी टोकते हुए बोले क्या बाते हो रही है भाई। उसने बोला मै बोल रहा हूं कि कभी मेरे घर चलो दादा जी बोले हाहा लेकर जाओ अपनी मम्मी से मिलवा दो वो इसे देखने के लिए बोल रही है कई महीनों से। लेकिन अभी नही मुझे इसको घर भेजना है क्योंकि बही खाता लेकर आना और छोटना समान लाने गया है दादाजी चाचा को छोटन बोलते थे। अमन ठीक है बोल कर चला गया। दादा जी ने कहा जाकर रीना बुआ से बोलना की पिछले साल का बड़ा बही खाता दो और लेकर जल्दी आ जाओ। दुकान से घर की दूरी एक किलोमीटर है फिर भी मै रिक्शा पकड़ लिया और घर पहुंच गया रीना बुआ के पास। मुझे जल्दी जल्दी जाते देख मम्मी ने मुझे बड़ी ध्यान से देख रही थी पर कुछ बोली नहीं। बुआ मैक्सी यानी नाईट गाऊन पहन रखी थी मै उसके बदन को ध्यान से देखा पतली लंबी टांगे नंगे थे उसके गोरे बदन पर सफ़ेद कुर्ता बहुत सेक्सी लग रहा था।




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मै रीना बुआ के तरफ मुखातिब होते हुए दादाजी के बात कही रीना बुआ कुछ सोचते हुए बोली ठीक है चलो मेरे साथ और मुझे लेकर ऊपर स्टोर रूम में गई और उसने मुझे छज्जे पर इशारे से बोली इसके ऊपर है। बुआ ने मुझे सीढ़ी लाने को बोली मै बोला कि सीढ़ी बड़ी है अंदर लगाने में मुश्किल होगा तो उसने एक टेबल खीच कर उसके ऊपर चढ़ गई और मुझे टेबल पकड़ने के लिए बोली मै टेबल पकड़ लिया और बुआ की पिछवाड़ा देखने लगा पतली कमर सफ़ेद कुर्ते मै साफ झलक रहा था। उसकी पिछवाड़ा का लंबाई चौड़ाई नापने लगा। तभी टेबल हिल गया और बुआ डर कर बैठ गई उसके बैठते वक्त उसका चूतड मेरे चेहरे के करीब से गुजरे तो उसके गान्ड की सोंधी गंध मेरे नथनो में समा गया मै कुछ सेकेंड के लिए उस खुस्बू में खो गया मेरी तंद्रा तब टूटी जब बुआ मुझे अच्छे से पकड़ने के लिए बोला। मै टेबल सही से पकड़ लिया। मुझे भी मजाक सूझा जब उसे डायरी मिली तब मै टेबल को जोर से हिला दिया तब बुआ कर फिर बैठ गई और मै अपना चेहरा आगे कर दिया उस नसिली गंध सूंघने केलिए मै बुआ के गान्ड की दरार में अपना नाक लगा कर जितना खुसबू अपने अंदर खींच सकता था उतना खीच लिया बुआ ने मुझे शॉरी बोल कर बोली चोट तो नहीं लगी। मै उस अनजान गंध को पहचानने कि कोशिश करते हुए कहा नहीं नहीं चोट नहीं लगा।चोट तो उसको लगी थी मेरे नाक से उसकी कोमल चूतड़ों पर।
बहुत अच्छा अडेट्स भाई
 
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