nice update..!!update 9
आगे
और दूसरी तरफ मम्मी की चीख सुनकर दादी मन ही मन - लगता है सत्यम का लंड बहुत बडा और मोटा है तभी तो सुमन की चीख निकल रही हैं अगर मेरी शादी उसके साथ होगी तो मै कैसे सह पाऊँगी मै तो मर ही जाऊँगी हाय
फिर सुबह हुई और मम्मी जल्दी उठ गई और और तैयार होकर नाश्ता बनाने लगी फिर मै उठा तो देखा की आज कमरा ठीक था और मै उठकर नहाने चला गया और तैयार होकर बाहर आ गया और मम्मी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और फिर नाश्ता करने लगा
फिर हाल मै दादाजी ने पापा से पूछा की तुमने सत्यम से बात की तो पापा ने मम्मी से पूछा तो मम्मी ने कहा कि मैंने उसे समझा दिया है और कसम देकर मना लिया है वो तैयार है
दादाजी- धन्यवाद बहु अब मै कल संन्यास लेकर आश्रम चला जाऊंगा और तुम लोग आशा
और सत्यम की शादी कराकर उसे जमीदार बना देना
दादी- क्या आप कल ही चले जाएंगे
दादाजी- आशा ये परम्परा है और मुझे ये करना ही पडेगा सिर्फ एक हफ्ता और बचा है नही तो राघव कब्जा कर लेगा
फिर दादाजी ने सबको बता दिया की कल वो सन्यास लेकर आश्रम जाना रहे हैं और मेरी और दादी की शादी हो रही है फिर अगले दिन दादाजी सन्यास लेकर आश्रम चले गए और मेरी और दादी की शादी की तैयारी होने लगी पंडित जी दो दिन बाद का मुहूर्त निकाला गाँव में सबको बता दिया गया की मेरी शादी दादी से हो रही है और मै नया जमीदार हू
फिर मेरे दोस्त रोहनी का फोन आया और बोला भाई तेरे साथ हो क्या रहा है पहले तेरी शादी तेरी मम्मी से हुई और अब दादी से और तू नया जमीदार बन गया है
मै - भाई मत पूछ मै घर का मर्द बन गया हू और मै अब कितनी भी शादी कर सकता हू
रोहन- भाई तेरी तो ऐश है और अब तू जमीदार है तो मेरी शादी मेरी मम्मी से से भी करा देना तुझे कोई रोक नहीं सकता
मै- ठीक है भाई
फिर शादी का दिन आ गया और मै तैयार होकर मंडप में आ गया फिर पंडित जी ने कहा की वधु को बुलाओ
फिर दोनों बुआ दादी को लेकर आई दादी दुल्हन के लिवास मे थी और आज कुछ अलग ही लग रही थी फिर दादी मेरे बाजू मे आकर बैठ गई और पंडित जी मंत्र पढने लगे और फिर उन्होंने कहा वर वधु फेरे के लिए खडे हो जाओ फिर हमने फेरे लेने लगे और पंडित जी हमे हर फेरे के साथ कसमे खिलाने लगे की दोनों एक-दूसरे का साथ हमेशा देंगे दोनों एक दूसरे के मान सम्मान का ध्यान रखेंगे दोनों एक दूसरे को तन मन से हर खुशी देंगे फिर सात फेरे के बाद पंडित जी ने कहा कि अब वधु को मंगल सूत्र पहनाओ फिर मैंने दादी को मंगल सूत्र पहनाया फिर पंडित जी ने कहा की अब कन्या दान कौन करेगा तो सब एक दूसरे की ओर देखने लगे फिर दादी ने कहा कि मेरे भाई करेंगे फिर दादी के भाई उनका कन्या दान किया फिर मैंने माँग भरी फिर पंडित जी ने कहा कि अब तुम दोनों पति-पत्नी हो शादी संपन्न हुईअब आप दोनों अपने बड़ी का आशीर्वाद लो तो मै अपने मम्मी पापा का आशीर्वाद लिया मगर दादी ने नहीं लिया फिर बुआ दादी को लेकर उनके कमरे में ले गई और मै अपने कमरे मे चला गया फिर मम्मी कमरे में आई और बोली
मम्मी- बेटा तू यहा क्या कर रहा है आज तुझे तेरी दादी के साथ उनके कमरे मे होना चाहिए आज तुम्हारी सुहागरात है
मै- मम्मी आप भी आप जानती हैं न की यह शादी बस नाम की है जो मैंने आपके कहने पर किया हू
मम्मी- हा बेटा मै जानती हूँ पर शादी तो हुई है न और तूने जो कसमे खाई है उसे तो तुझे निभाना ही पडेगा और मै नहीं चाहती की मेरा बेटा कोई भी कसम थोडे और मेरे ऊपर कोई ऊँगली उठाए की मैंने तुझे गलत सिखाया है
मै- पर मम्मी दादी आपके साथ हमेशादी कितना बुरा बर्ताव करती है मै उनको बिल्कुल पसंद नहीं करता हू
मम्मी- बेटा अब वो तेरी बीबी है तो उनका भी हक है तुझ पर तो मै बस यही चाहती हू की तू अपना धर्म निभा
मै - पर मै आपके साथ अपने कमरे मे ही रहना चाहता हू
मम्मी- आज ये सुहागरात की रस्म पूरी कर ले फिर कल से तो यही रहेगा मेरे पास
फिर मम्मी के कहने पर मै मान गया पर मन ही मन सोच रहा था की दादी के साथ कैसे करूगा फिर मम्मी मुझे दादी के कमरे मे ले गए और कमरे के बाहर निशा और मधु दीदी खडी थी और मुझसे पैसे मांगे तो मम्मी ने उन्हें पैसे दिए
aak dam mast update bhai maja aa gaya.update 9
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और दूसरी तरफ मम्मी की चीख सुनकर दादी मन ही मन - लगता है सत्यम का लंड बहुत बडा और मोटा है तभी तो सुमन की चीख निकल रही हैं अगर मेरी शादी उसके साथ होगी तो मै कैसे सह पाऊँगी मै तो मर ही जाऊँगी हाय
फिर सुबह हुई और मम्मी जल्दी उठ गई और और तैयार होकर नाश्ता बनाने लगी फिर मै उठा तो देखा की आज कमरा ठीक था और मै उठकर नहाने चला गया और तैयार होकर बाहर आ गया और मम्मी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और फिर नाश्ता करने लगा
फिर हाल मै दादाजी ने पापा से पूछा की तुमने सत्यम से बात की तो पापा ने मम्मी से पूछा तो मम्मी ने कहा कि मैंने उसे समझा दिया है और कसम देकर मना लिया है वो तैयार है
दादाजी- धन्यवाद बहु अब मै कल संन्यास लेकर आश्रम चला जाऊंगा और तुम लोग आशा
और सत्यम की शादी कराकर उसे जमीदार बना देना
दादी- क्या आप कल ही चले जाएंगे
दादाजी- आशा ये परम्परा है और मुझे ये करना ही पडेगा सिर्फ एक हफ्ता और बचा है नही तो राघव कब्जा कर लेगा
फिर दादाजी ने सबको बता दिया की कल वो सन्यास लेकर आश्रम जाना रहे हैं और मेरी और दादी की शादी हो रही है फिर अगले दिन दादाजी सन्यास लेकर आश्रम चले गए और मेरी और दादी की शादी की तैयारी होने लगी पंडित जी दो दिन बाद का मुहूर्त निकाला गाँव में सबको बता दिया गया की मेरी शादी दादी से हो रही है और मै नया जमीदार हू
फिर मेरे दोस्त रोहनी का फोन आया और बोला भाई तेरे साथ हो क्या रहा है पहले तेरी शादी तेरी मम्मी से हुई और अब दादी से और तू नया जमीदार बन गया है
मै - भाई मत पूछ मै घर का मर्द बन गया हू और मै अब कितनी भी शादी कर सकता हू
रोहन- भाई तेरी तो ऐश है और अब तू जमीदार है तो मेरी शादी मेरी मम्मी से से भी करा देना तुझे कोई रोक नहीं सकता
मै- ठीक है भाई
फिर शादी का दिन आ गया और मै तैयार होकर मंडप में आ गया फिर पंडित जी ने कहा की वधु को बुलाओ
फिर दोनों बुआ दादी को लेकर आई दादी दुल्हन के लिवास मे थी और आज कुछ अलग ही लग रही थी फिर दादी मेरे बाजू मे आकर बैठ गई और पंडित जी मंत्र पढने लगे और फिर उन्होंने कहा वर वधु फेरे के लिए खडे हो जाओ फिर हमने फेरे लेने लगे और पंडित जी हमे हर फेरे के साथ कसमे खिलाने लगे की दोनों एक-दूसरे का साथ हमेशा देंगे दोनों एक दूसरे के मान सम्मान का ध्यान रखेंगे दोनों एक दूसरे को तन मन से हर खुशी देंगे फिर सात फेरे के बाद पंडित जी ने कहा कि अब वधु को मंगल सूत्र पहनाओ फिर मैंने दादी को मंगल सूत्र पहनाया फिर पंडित जी ने कहा की अब कन्या दान कौन करेगा तो सब एक दूसरे की ओर देखने लगे फिर दादी ने कहा कि मेरे भाई करेंगे फिर दादी के भाई उनका कन्या दान किया फिर मैंने माँग भरी फिर पंडित जी ने कहा कि अब तुम दोनों पति-पत्नी हो शादी संपन्न हुईअब आप दोनों अपने बड़ी का आशीर्वाद लो तो मै अपने मम्मी पापा का आशीर्वाद लिया मगर दादी ने नहीं लिया फिर बुआ दादी को लेकर उनके कमरे में ले गई और मै अपने कमरे मे चला गया फिर मम्मी कमरे में आई और बोली
मम्मी- बेटा तू यहा क्या कर रहा है आज तुझे तेरी दादी के साथ उनके कमरे मे होना चाहिए आज तुम्हारी सुहागरात है
मै- मम्मी आप भी आप जानती हैं न की यह शादी बस नाम की है जो मैंने आपके कहने पर किया हू
मम्मी- हा बेटा मै जानती हूँ पर शादी तो हुई है न और तूने जो कसमे खाई है उसे तो तुझे निभाना ही पडेगा और मै नहीं चाहती की मेरा बेटा कोई भी कसम थोडे और मेरे ऊपर कोई ऊँगली उठाए की मैंने तुझे गलत सिखाया है
मै- पर मम्मी दादी आपके साथ हमेशादी कितना बुरा बर्ताव करती है मै उनको बिल्कुल पसंद नहीं करता हू
मम्मी- बेटा अब वो तेरी बीबी है तो उनका भी हक है तुझ पर तो मै बस यही चाहती हू की तू अपना धर्म निभा
मै - पर मै आपके साथ अपने कमरे मे ही रहना चाहता हू
मम्मी- आज ये सुहागरात की रस्म पूरी कर ले फिर कल से तो यही रहेगा मेरे पास
फिर मम्मी के कहने पर मै मान गया पर मन ही मन सोच रहा था की दादी के साथ कैसे करूगा फिर मम्मी मुझे दादी के कमरे मे ले गए और कमरे के बाहर निशा और मधु दीदी खडी थी और मुझसे पैसे मांगे तो मम्मी ने उन्हें पैसे दिए
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और दूसरी तरफ मम्मी की चीख सुनकर दादी मन ही मन - लगता है सत्यम का लंड बहुत बडा और मोटा है तभी तो सुमन की चीख निकल रही हैं अगर मेरी शादी उसके साथ होगी तो मै कैसे सह पाऊँगी मै तो मर ही जाऊँगी हाय
फिर सुबह हुई और मम्मी जल्दी उठ गई और और तैयार होकर नाश्ता बनाने लगी फिर मै उठा तो देखा की आज कमरा ठीक था और मै उठकर नहाने चला गया और तैयार होकर बाहर आ गया और मम्मी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और फिर नाश्ता करने लगा
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दादाजी- धन्यवाद बहु अब मै कल संन्यास लेकर आश्रम चला जाऊंगा और तुम लोग आशा
और सत्यम की शादी कराकर उसे जमीदार बना देना
दादी- क्या आप कल ही चले जाएंगे
दादाजी- आशा ये परम्परा है और मुझे ये करना ही पडेगा सिर्फ एक हफ्ता और बचा है नही तो राघव कब्जा कर लेगा
फिर दादाजी ने सबको बता दिया की कल वो सन्यास लेकर आश्रम जाना रहे हैं और मेरी और दादी की शादी हो रही है फिर अगले दिन दादाजी सन्यास लेकर आश्रम चले गए और मेरी और दादी की शादी की तैयारी होने लगी पंडित जी दो दिन बाद का मुहूर्त निकाला गाँव में सबको बता दिया गया की मेरी शादी दादी से हो रही है और मै नया जमीदार हू
फिर मेरे दोस्त रोहनी का फोन आया और बोला भाई तेरे साथ हो क्या रहा है पहले तेरी शादी तेरी मम्मी से हुई और अब दादी से और तू नया जमीदार बन गया है
मै - भाई मत पूछ मै घर का मर्द बन गया हू और मै अब कितनी भी शादी कर सकता हू
रोहन- भाई तेरी तो ऐश है और अब तू जमीदार है तो मेरी शादी मेरी मम्मी से से भी करा देना तुझे कोई रोक नहीं सकता
मै- ठीक है भाई
फिर शादी का दिन आ गया और मै तैयार होकर मंडप में आ गया फिर पंडित जी ने कहा की वधु को बुलाओ
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मम्मी- बेटा तू यहा क्या कर रहा है आज तुझे तेरी दादी के साथ उनके कमरे मे होना चाहिए आज तुम्हारी सुहागरात है
मै- मम्मी आप भी आप जानती हैं न की यह शादी बस नाम की है जो मैंने आपके कहने पर किया हू
मम्मी- हा बेटा मै जानती हूँ पर शादी तो हुई है न और तूने जो कसमे खाई है उसे तो तुझे निभाना ही पडेगा और मै नहीं चाहती की मेरा बेटा कोई भी कसम थोडे और मेरे ऊपर कोई ऊँगली उठाए की मैंने तुझे गलत सिखाया है
मै- पर मम्मी दादी आपके साथ हमेशादी कितना बुरा बर्ताव करती है मै उनको बिल्कुल पसंद नहीं करता हू
मम्मी- बेटा अब वो तेरी बीबी है तो उनका भी हक है तुझ पर तो मै बस यही चाहती हू की तू अपना धर्म निभा
मै - पर मै आपके साथ अपने कमरे मे ही रहना चाहता हू
मम्मी- आज ये सुहागरात की रस्म पूरी कर ले फिर कल से तो यही रहेगा मेरे पास
फिर मम्मी के कहने पर मै मान गया पर मन ही मन सोच रहा था की दादी के साथ कैसे करूगा फिर मम्मी मुझे दादी के कमरे मे ले गए और कमरे के बाहर निशा और मधु दीदी खडी थी और मुझसे पैसे मांगे तो मम्मी ने उन्हें पैसे दिए