परिणाम
राजू और गुड्डी के दिन पूरे मस्ती में कट रहे थे। दोनों एक दूसरे के साथ यौनाचार के लिए तत्पर रहते थे। गुड्डी ने अपने छोटे भाई को पूरी छूट दे रखी थी। रोज़ सुबह गुड्डी राजू का लण्ड चूमके उठाती थी, और अपनी बूर को चोदने का निमंत्रण देती थी। राजू गुड्डी का न्योता स्वीकार कर, उसकी बूर को खूब चोदता था। गुड्डी को राजू से अपनी बूर चुदवाने में बहुत आनंद आता था। फिर दोनों कोचिंग चले जाते थे। उसके बाद गुड्डी राजू से पहले आकर घर को सजाती थी, जैसे कोई पत्नी अपने पति के लिए करती है। गुड्डी राजू का बेसब्री से इंतज़ार करती थी। राजू के आते ही गुड्डी का चेहरा खिल जाता था, राजू को खाना खिलाके वो खाना खाती थी। कुछ देर पढ़ाई करके, गुड्डी राजू के साथ छेड़खानी करने लगती थी। वो राजू के सामने अश्लील हरकतें करने लगती, राजू उसे समझाता तो, अपनी पैंटी उतारके, अपनी फ्रॉक उठाके गीली बूर दिखा देती। राजू गुड्डी की बूर की खुशबू सूंघ, उसे वहीं नंगी कर देता था। गुड्डी को राजू के हाथ कपड़े उतरवाने में बड़ा मजा आता था। गुड्डी नंगी होकर बेशर्मों की तरह राजू के साथ और भी उत्तेजनावर्धक हरकते करती थी। गुड्डी का बस चलता तो वो नंगी ही रहती, पर राजू के साथ गैर ज़िम्मेदारना अल्हड़ हरकते उसे और मज़ा देती थी। राजू के साथ वो ऐसी चिपकती की, जब तक राजू उसे मन भर चोद ना लेता। गुड्डी का शरीर भी भरने लगा था। राजू के मूठ का वो खूब सेवन कर रही थी। कभी उसे पूरे चेहरे पर मल मल कर लगा लेती, ताकि उसके चेहरे में ताजगी और रौनक आये। कभी उसे पी लेती थी, ताकि उसकी बुद्धि राजू की तरह तेज़ हो जाये। गुड्डी ने ये भी देखा था कि मूठ पीने से उसका पाचन भी ठीक रहता था। राजू को गुड्डी की भोलेपन का फायदा उठा मूठ पिलाना बड़ा अच्छा लगता था। साथ ही अब वो जब मर्ज़ी उसकी गाँड़ भी चोद लेता था।
एक दिन गुड्डी को कब्ज़ की शिकायत हो गयी। गुड्डी ने राजू के पास आ कहा," राजू आज हम ठीक से हगनी ना।"
राजू," काहे का भईल?
गुड्डी," गईल त रहनि पर तनि सा भईल। पेट भारी भारी बुझाता। घड़ी घड़ी पाद भी छूट रहल बा अउर ढेर महक भी रहल बा।"
राजू," गरम पानी पिलु की ना, उसे कब साफ हो जाई।"
गुड्डी," पिनी हअ, पर कुछ खास ना भईल।"
राजू," जमाइन के पानी पी लअ, पीके तहार पेट पक्का साफ हो जाई।"
गुड्डी ने तभी जोर से पाद मारी" पूऊऊऊऊ........" उसमें हल्की बदबू भी थी। राजू और गुड्डी नाक बंद कर हंस रहे थे। राजू ने गुड्डी के चूतड़ पर एक थप्पड़ धर दिया। गुड्डी चूतड़ सहलाते बोली," पी लेनी, रह रहके पाद छूट रहल बा।"
राजू," त कइसे ठीक होई।"
गुड्डी," तू चाहबू त ठीक हो जाई।
राजू," बोल ना कउन दवाई लाके दी।"
गुड्डी," राते इंटरनेट पर पढ़नी कि, मूठ पियला से, पाचन भी ठीक रहेला।"
राजू उसकी ओर देख बोला," उ त तू, वइसे ही खूब पिएलु रानी।"
गुड्डी," तीन दिन से खाली चेहरा पर लगा रहल बानि। चेहरा पर दाग धब्बा ज्यादे आ गईल रहला।"
राजू," अभी पिबु का?
गुड्डी," जल्दी से ताज़ा ताज़ा मूठ पिला दअ ना।"
राजू ने गुड्डी की आंखों में देख बोला," पिला देब, पर उसे पहिले तहार गाँड़ खोल के देखा।"
गुड्डी," उ काहे राजू?
राजू," गुड्डी दीदी, हम तनि तहार गाँड़ के चेक करब, कहीं ऊंहा त कउनु दिक्कत नइखे।"
गुड्डी," ठीक बा, देखा ना।" ऐसा बोलके उसने राजू की तरफ पीठ घुमाके फ्रॉक का चेन खोलने को कहा। राजू ने ज़िपपप से उसकी चेन खोल दी। फिर राजू ने उसकी फ्रॉक उतार दी। गुड्डी की मदमस्त जवानी खुल चुकी थी। राजू ने उसे अपने गोद में पेट के बल लेटने को कहा। गुड्डी ने बेहिचक वैसा ही किया। राजू ने उसे अपनी चूतड़ों को फैलाने को बोला, उसने ऐसा ही किया। गुड्डी की सांवली गाँड़ की छेद राजू के सामने ही थी। राजू ने बड़े गौर से उसे देखा।
राजू बोला," गाँड़ में उंगली डालके देखे के पड़ी।"
गुड्डी," त घुसावा ना थूक लगाके।"
राजू," का बेजोड़ गाँड़ बा गुड्डी दीदी तहार। मन करेला चुतड़ के बीच मुँहवा डालके पड़ल रही।"
गुड्डी," तहरा केहू मना कइलस का, पर अभी मत डाल दिहा, काहे से कभियो पाद निकल जाई।"
राजू," त का होई तहार पाद भी हमार रोम रोम के सुगंधित कर दी।"
गुड्डी," अच्छा, लेकिन पहले चेक त कर ले।"
राजू ने गुड्डी की गाँड़ में थूक लगाके, उंगली अंदर डाल दी। राजू तो बहाने से अपनी बड़ी बहन की गाँड़ में उंगली कर रहा था। उसने गाँड़ में उंगली पूरा अंदर डालके, उंगली नचाई। गुड्डी कराही पर, राजू को कोई फर्क नहीं पड़ा। राजू काफी देर तक गुड्डी की कसी गाँड़ में उंगली करता रहा फिर उसने उंगली निकाल ली। राजू उंगली नाक के पास लाके सूंघा, वो मस्त हो गया। क्योंकि वो गुड्डी की गाँड़ का दीवाना था। राजू बार बार गुड्डी की गाँड़ में उंगली डाल देता और खूब उंगली कर रहा था। वो नजदीक आकर गुड्डी की गाँड़ की छेद को मनभर देख रहा था। फिर गुड्डी बोली," राजू कुछ पता चलल, गाँड़ में कउनु समस्या बा का।"
राजू," हाँ, गुड्डी दीदी तहार गाँड़ के छेद पूरा बढ़िया से नइखे खुल रहल बा, उहू से दिक्कत हो रहल बा।"
गुड्डी," हाय दैय्या त अब का होई राजू, गाँड़ ना खुली ढंग से त, हम हगब कइसे। हमार कब्जियत ठीक कइसे होई।"
राजू बोला," देख गाँड़ के छेद खोले खातिर गाँड़ के चुदाई करे के पड़ी। लांड घुसाके तहार गाँड़ के छेद पूरा खोल देब।"
गुड्डी," कउनु अउर तरीका नइखे ना।"
राजू," लांड पूरा भीतरी तक घुसी अउर जहां पर गूंह अटकल बा ऊंहा तक रास्ता साफ खोल दी।"
गुड्डी ये समझ रही थी कि राजू बस बहाने से उसकी गाँड़ चोदना चाहता है, वो बनते हुए बोली," तू गाँड़ मारे खातिर झूठ त नइखे बोलत बारू।"
राजू ने फौरन कहा," ना गुड्डी दीदी, बिल्कुल ना।"
गुड्डी फिर बोली," त फेर लांड के घुसा दे, गाँड़ के छेदवा में अउर जमके चोदके गाँड़ पूरा खोल दअ।"
राजू ने गुड्डी को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया और लण्ड पर तेल लगाके सीधा गुड्डी की गाँड़ जो थूक से गीली हो चुकी थी, गहराई में उतार दिया। गुड्डी कुछ देर दर्द महसूस की फिर, उसकी गाँड़ ने लचीलेपन का सबूत देते हुए लण्ड रूपी घुसपैठिये को पर्याप्त जगह दे दी। राजू के सामने गुड्डी की रिसती हुई बूर और ढुलकती हुई चूचियाँ एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रही थी।
राजू नीचे झुका और गुड्डी की गाँड़ मारते हुए उसके गाल चाटने लगा।
गुड्डी बोली," आह...उउम्म.... र..र....राजू का करआ तारआ?
राजू," तहार मलाई जइसन गलिया चाटत बानि, रसगुल्ला जइसन मुलायम अउर रसीला बुझाता।"
गुड्डी," जब से तू आपन मूठ से हमार चेहरा के फेसिअल करलू ना, चेहरा खिल गईल बा। हम पहिले से बढ़िया दिख रहल बानि। तू जाने हमरा खातिर, का का करबू। मूठ पियाके हमार दिमाग तेज करत बारआ अउर, अब गाँड़ मारके कब्जियत के भी इलाज कर रहल बारू।" ऐसा बोल गुड्डी ने उसे चूम लिया।
गुड्डी फिर लण्ड के धक्के से हिलते हुए बोली," राजू उ दिन तू हमरा बहुत गंदा तरीका से चोदलु। हमार मुंह काला करके, कुतिया के तरह पूरा घर घुमेलु।"
राजू," गुड्डी दीदी, तहरा पसंद नइखे आईल का?
गुड्डी ने अपनी जीभ से राजू के होठ पर थूक मल दी और लजाते हुए बोली," तहरा साथ अब हर चीज़ बढ़िया बुझावेला, तहरा जे मन करे उ करल करआ।"
राजू ने ये सुनते ही गुड्डी की आंखों में देखते हुए उसके गालों पर और मुंह में थूक दिया। गुड्डी उस थूक को निगल गयी और फिर मुंह खोल के बोली," राजू अउर थूक पिला द।"
राजू ने तीन चार बार उसके मुंह में थूका और गुड्डी उसे हर बार दिखाते हुए लील जाती थी। गुड्डी के गाल और ठुड्ढी भी राजू की लार से चमक रहे थे। दोनों एक दूसरे में डूबे और खिलवाड़ करते हुए गुदा मैथुन/गाँड़ चुदाई का आनंद ले रहे थे।
गुड्डी," ऊँहह.... राजु.... तहार लांड त गाँड़ के पूरा खोल के रख देले बा, अब त पूरा अंदर तक आराम से जा रहल बा। गाँड़ भी ढीला हो गइल ह। का अब हम ठीक से हग पाइब ?
राजू," गुड्डी दीदी, एतना जल्दी ना, अभी त तहार गाँड़ के हर हिस्सा के लांड से कूट के ढीला करेके बा। अभी त बढ़िया से कुटाई करब तब तहार कब्जियत ठीक होई।"
गुड्डी," अच्छा राजू, फेर तू तनि बढ़िया से कुटाई कर द। हमार गाँड़ के एक एक नस खोल दआ।"
राजू," ओकर चिंता तू मत कर, तहार इलाज हम बढ़िया से करब।"
गुड्डी," तहरे पर त भरोसा बा राजू।"
राजू उसकी गाँड़ में बार बार थूक लगाता और फिर चुदाई करने लगता था। राजू बार बार लण्ड बाहर निकालके उस चुदे हुए नन्हे छेद का फैलाव देखता। गुड्डी की गाँड़ पूरी तरह खुल गयी थी। उसके अंदर का लाल हिस्सा भी अब दिखने लगा था। फिर भी राजू ने उस पर कोई रहम नहीं किया। गुड्डी के गाँड़ का लचीलापन भी अब पहले से काफी बढ़िया हो चुका था। उसने गाँड़ का छेद में अब थूक लगाके एक उंगली भी लण्ड के साथ डाल ली। राजू को ये देख अच्छा लगा गुड्डी खुद अपनी गाँड़ खोलना चाहती है। गुड्डी," राजू गाँड़ अब बढ़िया से खुली।"
राजू," गुड्डी दीदी तहार गाँड़ के ठोके में अब मज़ा भी बहुत आ रहल बा। दीदी हमरा एगो आईडिया आईल बा, रुक हम आवत बानि एक मिनट में।"
राजू ने गुड्डी की गाँड़ से पुक से लण्ड निकाला और किचन से दो तीन नींबू उठा लाया। पीले पीले नींबू का साइज टेबल टेनिस की गेंद जितना था। गुड्डी की नन्ही भूरी गाँड़ के छेद को राजू ने चूम लिया। फिर गुड्डी की गाँड़ में उसे डालने लगा। गुड्डी ने अपनी गाँड़ के छेद को ढीला छोड़ रखा था। एक नींबू अंदर घुसा तो गुड्डी की आह निकल गयी। राजू ने एक एक करके गुड्डी की गाँड़ में तीन नींबू डाल दिये।
गुड्डी बोली," आह...राजू ई का करत बारआ। नींबू गाँड़ में काहे घुसा देले बारआ।"
राजू," गुड्डी दीदी नीबू के रस में बहुत शक्ति होखेला, तहार गाँड़ में सब गंदगी नीबू से साफ होई।"
गुड्डी," राजू, तू सच कहआ तारआ। उसे सब ठीक हो जाई। पर तु नीबू के साबुत डाल देलु, रस कइसे निकली।"
राजू," हमार लांड तहार गाँड़ में नींबू के कुटाई करि, तब रस निकली।"
गुड्डी," राजू तू बहुत होशियार बारआ। तहरा बिना हम का करब।"
राजू उसकी गाँड़ में लण्ड घुसा दिया और बोला," हमरा बिना त तू खाली बूर में उंगली कर सकेलु।" दोनों की हंसी छूट गयी। गुड्डी की कसी हुई गाँड़ और, राजू का कड़ा लण्ड से नींबू अंदर ही अंदर दबने लगे। नींबू गुड्डी की गाँड़ के अंदर राजू के कड़क लण्ड की मार झेल रहे थे। गुड्डी के लिए ये एहसास नया था, उधर राजू भी उसकी गाँड़ में अलग ही अनुभव पा रहा था। दोनों एक दूसरे को चूमते हुए, इस असीमित आनंद का लुत्फ उठा रहे थे।
गुड्डी," राजू बहुत मज़ा आ रहल बा, गाँड़ में घुसल नींबू अउर तहार लांड बहुत ही निम्मन बुझाता, मोर चोदू राजा।"
राजू," मज़ा ले गुड्डी दीदी, इहे मज़ा त असली मज़ा हअ। गाँड़ चुदाई के जे मज़ा आवेला उ बूर चुदाई में भी ना ह। कसल गाँड़ में कड़ा लांड जब घुस के गाँड़ ढीला करेला, त आनंद के अलग दरवाज़ा खुल जाला।"
गुड्डी अपनी बूर रगड़ रही थी और राजू उसके चूचियों को चूसने लगा। गुड्डी की गाँड़ में नींबू फट गए और उनका रस बहने लगा था। आधा घंटा की लंबी चुदाई के बाद राजू ने गुड्डी के मुँह पर लण्ड का सफेद पानी फेंक दिया। गुड्डी लपक के सब पानी अपने चेहरे पर ले ली, उसे फेसिअल जो करना था। राजू के लण्ड से पूरे चेहरे पर उसने वो पानी मल दिया। फिर राजू ने गुड्डी से हगने की पोजीशन में बैठने को कहा और बोला," अब गाँड़ से जोर लगाके नींबू निकाल त रानी।"
गुड्डी ने वैसे ही किया, गुड्डी कूथ कर गाँड़ से जोर लगाके फटे हुए नींबू एक एक कर बाहर निकालने लगी। पहले तो नींबू का ढेर सारा रस उसकी गाँड़ से चू गया फिर नींबू निकले। ऐसा लग रहा था, जैसे गुड्डी अंडे दे रही हो। गुड्डी ये कर ही रही थी कि, तभी वो उठ कर भागी। राजू ने पूछा," का भईल गुड्डी दीदी?
गुड्डी बाथरूम का दरवाज़ा बंद करते हुए चिल्ला के बोली," राजू जोर से हगास लाग गईल।"
राजू," तहार कब्जियत ठीक हो गइल ना रानी।"
गुड्डी बोली," हाँ... थैंक यू भैया।"
राजू अपना लण्ड गुड्डी की पैंटी में पोंछ लिया और गमछा लपेट के बालकनी में आ गया। वहां उसे कुछ आवाज़ सुनाई दी, जो मकानमालिक के कमरे से आ रही थी। राजू नीचे उतर के उस कमरे में झांका तो उसके होश उड़ गए।
राजू ने देखा कि निधि अपने बाप के गोद में नंगी बैठी हुई थी। उसका बाप अनुराधा के जाने के बाद निधि के पास आकर उसके साथ छेड़खानी करता था, फिर निधि भी जवानी की दहलीज पर कदम रखे हुए थी, उसे भी अब मर्द के छुवन से मस्ती चढ़ने लगी थी। निधि राजू की लगभग हमउम्र ही थी, तो राजू ने जब हवस की खातिर अपनी बहन को नहीं छोड़ा, तो निधि भी अपने बाप के साथ कुछ गलत थोड़े ही कर रही थी। प्रताप अपनी जवान बेटी को नंगी करके, उसके स्तनों/चूचियों को बेतहाशा चूस रहा था। निधि अपने बाप का सर पकड़े हुए, उसपर हाथ फेर रही थी। निधि अपनी चूचकों को प्रताप के मुंह में महसूस कर सिसिया रही थी। प्रताप का लण्ड निधि के गाँड़ में चुभ रहा था।
निधि नशीली आंखे खोलके बोली," पापा, आप बहुत बदमाश हैं, बेटी को बेहकाके उसके साथ गंदे काम कर रहे हैं। माँ के जाते ही आप मुझे नंगी कर देते हैं और मेरे बदन को रगड़ के रख देते हैं। अभी मेरी शादी भी नहीं हुई है पर आपने मुझे कली से फूल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।"
प्रताप," देख मेरी तो नाईट डयूटी रहती है मेरी जान। तेरी माँ और मेरी रातों का सामंजस्य नहीं बैठ रहा। तेरी माँ का अधूरा काम तो तुझे ही पूरा करना होगा। और ये कोई गंदा काम नहीं है, ये तो तेरी उम्र की लड़कियों का सबसे पसंदीदा खेल है। मेरे सामने नंगी हो गयी तो क्या हुआ बचपन में तो पापा की गोद में सुसु कर देती थी। रही तेरी शादी की बात तो, मैं अगले चार पांच साल तक तेरी शादी का सोच भी नहीं रहा। तब तक तेरा यौवन और निखर जाएगा।"
निधि अपने बाप के टकले को चूम के बोली," प्रीतू जान, तब मैं बच्ची थी, अब पूरी जवान हो गयी हूँ, लेकिन फिर भी आप जबरदस्ती मुझे अपनी गोद में सुसु करने बोलते हैं। जाने आपको क्या मज़ा आता है। अपनी रात की ड्यूटी की थकान मुझे चोद कर दूर करते हैं। सच कहूं तो जवानी के इस मोड़ पर गलतियां भी हसीन हो जाती हैं। जी भर के मजे लीजिए, और अपने बाग में खिले इस फूल का रस चूस लीजिए।"
प्रताप," आजकल मेरी ड्यूटी ज्यादा कड़ी हो गयी है मेरी बिटिया।"
निधि," क्यों प्रीतू जान, आजकल कहां ड्यूटी लगी हुई है?
प्रताप बोला," जानती हो आजकल मैं दसवीं के पेपर की निगरानी में लगा हूँ। मंत्री जी ने कुछ पेपर लीक करवा लिया है और उसे मेरे पास छोड़ दिया है।"
निधि ने हंस कर कहा," आपकी निगरानी में आपकी बेटी ही सुरक्षित नहीं है, तो पेपर का क्या हाल होगा।"
प्रताप बोला," ये राज़ है बेटी, और तेरे मेरे बीच ये संबंध को मैं सुरक्षित रखे हूँ, इसलिए वो भी सुरक्षित रखूंगा।"
प्रताप ने उसे पटक दिया और उसकी बूर को फैला के उसमें लण्ड रगड़ने लगा, उसकी मासूम बेटी सिसिया रही थी। तभी राजू उसके सामने आ गया। प्रताप ने उसे देखा तो घबराकर बोला," तू यहां कैसे आये, अंदर घुस कैसे गए? निधि वहीं अपने बाप के पीछे बैठी थी।
राजू बोला," आराम से आप लोग जो कर रहे थे, वो करते रहिए मुझे इससे कोई एतराज नहीं है। बस मैंने आप से एक मदद मांगने आया हूँ।"
प्रताप," ममम ...ममदद? कैसी मदद ?
राजू," मंत्री जी के यहां जो दसवीं के पेपर लीक करने के लिए रखे हुए हैं, उनमें से हर विषय का पेपर मुझे भी दे दीजिएगा।"
प्रताप," जानता भी है तू क्या माँग रहा है, और अगर वो तुझे ना दूं तो?
राजू," इतने नादान ना बनिये प्रीतू जान, मैं किसी तरह का दबाव नहीं डालना चाहता हूँ। इसकी कीमत दूंगा आपकी और निधि का ये राज़ अपने दिल के किसी कोने में छिपा दूंगा।"
प्रताप," पुलिस वाले को ब्लैकमेल करेगा?
राजू," ना मैं बस मजबूर हूँ, मुझे गुड्डी दीदी को पास कराना है। आप दोनों आपस में जो भी करें उससे मेरा क्या लेना देना। निधि जवान है और आपके साथ खुश है और क्या चाहिए। आप दोनों सलामत रहें। आप एक बढ़िया पिता और प्रेमी हैं।"
प्रताप," तुम्हें क्यों लगता है कि मैं तुम्हारी मदद करूंगा?
राजू," मैंने ऐसा कुछ सोचा नहीं, पर आपकी मदद से मेरी दीदी जो कि तीन साल से फेल हो रही है वो पास हो जाएगी। मेरे बाबूजी ने बहुत पैसे खर्च कर हम दोनों को यहां भेजा था। अगर ये पास नहीं हुई, तो इस साल भी इसकी शादी नहीं हो पाएगी।"
प्रताप," अच्छा, क्या उम्र हो गयी है उसकी?
राजू," जी इस साल 24 की हो जाएगी।"
प्रताप," तू पागल है, अपनी बहन को किसी और के हवाले क्यों कर रहा है? उसे अपने साथ रख और उसके साथ खूब चुदाई के मज़े ले।"
राजू," प्रताप जी मैं और मेरी दीदी दोनों ही गांव से पढ़ाई के बहाने यहां अकेलेपन का फायदा उठा चुदाई का भरपूर आनंद उठाने आए थे। हम दोनों पहले दिन से ही यहां अपनी मनमानी कर रहे हैं।"
निधि ने ये सुना तो चौंक गयी और उसका चेहरा खिल उठा।
प्रताप," अच्छा, तो तुम दोनों यहां अपनी शारीरिक भूख शांत करने आये हो ना कि पढ़ने। वैसे तेरी बहन है कमाल की। क्या वो मुझसे चुदवा लेगी??
राजू गुस्से से बोला," प्रताप जी गुड्डी सिर्फ मेरे लिए बनी है। इस दुनिया में हम दोनों भाई बहन सही, पर वो मेरी जानेमन है। उसके बारे में कुछ गलत नहीं सुनूंगा।"
प्रताप कुछ बोल नहीं पा रहा था।
तभी निधि बोली," करा दीजिए ना पापा, राजू भैया गुड्डी दीदी को पास कराने के लिए अपने राज़ भी खोल दिये। सोचिए वो गुड्डी दीदी के लिए क्या कुछ नहीं कर सकते हैं?
निधि की बात सुन प्रताप बोला," नहीं रानी, ऐसा कैसे होगा?
निधि," प्लीज पापा, प्लीज...मेरी खातिर।"
प्रताप," लेकिन ..... उम्म्म"
निधि ने उसके होंठ चूम कहा," लेकिन वेकिन कुछ नहीं पापा, आप राजू भैया की मदद कीजिये।"
प्रताप," ठीक है मेरी जान। राजू तुम हर रोज़ परीक्षा से एक दिन पहले हर विषय का पेपर ले जाना। मेरी बेटी, की वजह से तुम्हारी मदद कर रहा हूँ।"
राजू," ठीक है प्रतापजी, बहुत धन्यवाद।"
प्रताप बोला," अब जाओ मुझे मेरी बेटी को जी भर कर प्यार करने दो। तुम भी अपनी प्यासी दीदी को जाके प्यार करो।"
राजू दरवाज़ा लगाके चला गया। प्रताप और निधि आलिंगन में फँसे हुए बिस्तर की ओर बढ़ चले। उधर गुड्डी भी अपने आशिक़ भाई के साथ गुलछर्रे उड़ाने लगी। उस रात गुड्डी और निधि उन चुनिंदा औरतों में से थी, जो अपने ही घर के मर्दों के साथ चुदती रहती हैं। गुड्डी के पेपर चौथे रोज़ से थे। वैसे तो राजू ने गुड्डी को काफी तैयारी करवाई थी, पर गुड्डी की मंद बुद्धि के लिए वो कभी काफी नहीं था। राजू और गुड्डी ने उन दस रोज़ में चुदाई ना करने की कसम ली। फिर परीक्षा से एक रात पहले प्रताप ने उन्हें पेपर लाकर दे दिया। राजू ने गुड्डी को उसकी अच्छी तैयारी करवा दी। साथ साथ राजू के भी पेपर चल रहे थे। हर परीक्षा से एक दिन पहले उन्हें वो पेपर मिल जाता था। गुड्डी के सभी पेपर अच्छे गए। उस बेचारी ने अपनी गीली बूर को कैसे मनाया हुआ था, सिर्फ वो जानती थी। आखरी दिन तो वो चाहती थी कि, कब घंटी बजे और वो राजू के पास भागी भागी जाए। आखिर वो घड़ी आ गयी। आज राजू का भी आखरी इम्तेहान था। वो भी गुड्डी को चोदे बिन तड़प रहा था।
गुड्डी और राजू की परीक्षाएं खत्म हो चुकी थी। राजू के घर पहुंचते ही गुड्डी ने कामुक तांडव शुरू कर दिया। एक प्यासी चुदासी लड़की पिछले दस दिनों से काम वासना की लपटें झेल रही थी, जिसे उसके भाई के लण्ड का पानी ही बुझा सकता था। राजू के आते ही गुड्डी सम्पूर्ण नंगी हो चुकी थी। वो राजू के ऊपर कूद के चढ़ गई। राजू ने उसके गाँड़ को थाम उसे गोद में उठा लिया। गुड्डी उसे चूम रही थी। राजू उसकी चूतड़ पर थाप मार रहा था। गुड्डी चुदने को इतनी बेचैन थी कि राजू के थाप पर भी उसकी कामुक सिसकी ही निकल रही थी।
राजू," बड़ा जल्दी में बारू ?
गुड्डी," उउम्म...मम्म.... का करि बड़ा बेचैनी होखेला।
राजू," कहां गुड्डी दीदी?
गुड्डी," गुड्डी दीदी ना रण्डी दीदी बोल।
राजू," बोल ना रण्डी दीदी, कहां बेचैनी होखेला?
गुड्डी," राजू बूर में, तहार रण्डी बहिन के बूर में दस दिन से लांड ना ढुकल राजा।"
राजू," चुच्ची चुसाई ना चाहेलु का?
गुड्डी," चुच्ची चूस लअ, बूर में लांड ढुका के।"
राजू," उ त ढुकाइब रण्डी साली, पर तहार छिनारपन देख मन खुश हो जाता।"
गुड्डी," अइसन बहिन मिली केहुके। नसीबवाला बाड़अ तू राजा। चुदासी ,कामुक, पियासल, बेहया, बेशरम।"
तभी गुड्डी को जोर की उबकाई आई और वो वाश बेसिन की ओर भागी। गुड्डी को उल्टियां हो रही थी। उसे परीक्षा के दौरान भी उल्टियां हुई थी। राजू उसकी पीठ सहला रहा था। राजू बोला," ठीक बा तहार तबियत ?
गुड्डी," मन त ठीक बा, पर जाने काहे रह रहके उबकाई आवेला।"
राजू ने जब ये सुना तो, उसके कान खड़े हो गए। उसने गुड्डी को आराम करने को कहा। और खुद बाजार जाके प्रेगनेंसी टेस्ट किट ले आया। उसने गुड्डी को टेस्ट करने का तरीका बता कर उसे जांच करने को कहा। गुड्डी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने मूत की दो बूंद उसपे डाली और बाहर आके राजू को दिखाया। राजू का शक सही था, गुड्डी प्रेग्नेंट थी। गुड्डी और राजू ने गांव के ट्यूबवेल पर अनजाने की भूल का परिणाम था। अब दोनों चिंता में डूब गए। उस रात दोनों ने कोई संबंध नहीं बनाए।
अगले दिन राजू अपने मकानमालिक से मिला और उसे ये बात बताई। वो बोला," राजू तुम चिंता मत करो। मंत्री साहब भी कई लड़कियों को प्रेग्नेंट कर देते हैं। मैं एक नर्सिंग होम जानता हूँ, जहां वो उन लड़कियों का एबोरसन करवाते हैं। तुम वहां चले जाओ। मेरी वहां बात करा देना वो लोग मुझे जानते हैं। पर आगे से खयाल रखो ऐसी गलती मत करना।"
राजू अगले दिन गुड्डी को लेकर उस प्राइवेट नर्सिंग होम ले गया और, वहाँ गुड्डी के गर्भपात के लिए बात की। उसने प्रताप से बात करवाई। वहां के डॉक्टर ने बिना फीस लिए गुड्डी का गर्भपात कराने को तैयार हो गयी।
डॉक्टर," गुड्डी तुम मंत्री जी के यहां कब गयी थी।"
गुड्डी," मैं किसी मंत्री के पास नहीं गयी थी।"
डॉक्टर," अच्छा, फिर ये कौन है?
गुड्डी," वो मेरा छोटा भाई है।
डॉक्टर मुस्कुराई और पूछी," क्या ये ही तुम्हारे बच्चे का बाप है?
गुड्डी बगले झांकते हुए बोली," वो...प..वो...
डॉक्टर," सब समझती हूँ बेटा, यहां ऐसे ही केस आते हैं। रिश्तेदारों से लड़कियां प्रेग्नेंट होती हैं और बच्चा गिरवाने यहां आती हैं। उनकी गलती की सज़ा उस नन्ही जान को मिलती है। एक बार तो मुझे मजबूरी में पंद्रह साल की लड़की का गर्भपात करना पड़ा था। एक पाप को छुपाने के लिए दूसरा पाप करना पड़ता है।"
गुड्डी," जी, क्या मैं अपने भाई से बात कर सकती हूँ?
डॉक्टर," क्यों नहीं गुड्डी जरूर अभी आधे घंटे बाद, तुम्हारा गर्भपात शुरू करवाउंगी।"
गुड्डी राजू के पास गई और बोली," राजू हमनी के घोर पाप करत बानि। जे भी भईल उमें ई बच्चा के का दोष बा। तहार हमार प्यार के निशानी ह। हमनी के गलती के सज़ा ई बच्चा के मिली।"
राजू," गुड्डी दीदी ई बच्चा के गिराबे के पड़ी। ना त का कहबू माई बाबूजी से। तहार शादी भी होवे वाला बा। गांव समाज मे पता चली की कुंवारी में गर्भवती हो गईलु त केकरो मुंह ना दिखा पइबु। अउर अगर गलती से ई पता चल गईल कि ई बच्चा अउर केकरो ना हमार ह। तब त गांव से भागे के पड़ी। हम जानत बानि की एमे ई बच्चा के कउनु दोष नइखे, लेकिन ई बलिदान त हमरा तहरा के देवे के पड़ी।"
गुड्डी रोते हुए बोली," लेकिन राजू ई पाप बा?
राजू," अगर ई पाप से चार जीवन बचेला त ई पाप ना हअ बल्कि बलिदान बा। एक तरफ ई बच्चा जउन अभी ठीक से आकर भी ना लेले बा, अउर एक तरफ माई बाबूजी हम तू।"
तभी डॉक्टर ने आवाज़ लगाई।
गुड्डी आगे कुछ कह ना सकी और अंदर वापिस चली गयी। कुछ ही देर में गर्भपात हो गया और दो चार घंटे आराम करने के बाद गुड्डी और राजू वापिस आ गए। राजू तो आके सो गया, पर गुड्डी सारी रात जागी रही। उसके अंदर बेचैनी और अपराधबोध भरा हुआ था। उस बीते दिन सब याद आ रहे थे।
दो दिन बाद वो दोनों बस से गांव वापस आ गए। रास्ते में उनदोनों के बीच कुछ भी नहीं हुआ। बीना ने उनके आने पर बढ़िया खाना बना रखा था। इस बार राजू ने धरमदेव को आश्वाशन दिया कि गुड्डी पास हो जाएगी। गुड्डी अगले दिन ही, बिजुरी के पास गई और उसे सारी बात बताई। बिजुरी ने भी राजू को ठीक बताया। गुड्डी तत्काल के लिए तो संतुष्ट थी पर उसके मन में फांस अभी भी अटकी हुई थी। उसे डॉक्टर की बात रह रहके याद आ रही थी।
एक महीने बाद गुड्डी और राजू के परिणाम आ गए। गुड्डी और राजू फर्स्ट डिवीज़न में पास हुए थे। धरमदेव काफी खुश थे। बीना भी खुश थी कि अब गुड्डी की शादी हो जाएगी। उस दिन गुड्डी और राजू को लेके धरमदेव मंदिर भी हो आया। वहां से आने के बाद धरमदेव काम पर चले गए और बीना कहीं बाहर गयी हुई थी। राजू ने गुड्डी को अकेला पाकर उसे बांहों में भर लिया।
राजू," का बात ह गुड्डी दीदी तू फर्स्ट डिवीज़न में पास भइलू।"
गुड्डी," तू पढाईलु बढ़िया से इहे से।"
राजू," सब पूछत रहला कि पटना में कइसन पढ़ाई पढलु कि फेल से सीधा फर्स्ट डिवीज़न आ गईल।"
गुड्डी," लोग का जानी कि कइसन पढ़ाई भईल ऊंहा।"
राजू," चला एक बेर फेर हो जाउ उ पढ़ाई।"
गुड्डी," चुदाई के पढ़ाई।"
राजू ने अपना लण्ड बाहर निकाल दिया और गुड्डी कोने में बैठ कर लण्ड चूसने लगी। गुड्डी काफी दिनों बाद राजू का लण्ड चूस रही थी। राजू की आँहें और गुड्डी की चटखारे कमरे में गूंज रही थी। कुछ देर बाद दोनों जाने कब नंगे होकर, चुदाई करने लगे पता ही नहीं चला। गुड्डी के जांघों के बीच राजू लेटके उसके बूर में लण्ड पेल रहा था। अपनी रिसती बूर पर बेकाबू गुड्डी रण्डी की तरह चुद रही थी। गुड्डी," हम तहार के बानि?
राजू," गुड्डी दीदी अउर का।"
गुड्डी," गुड्डी रण्डी बोल ना राजू।"
राजू," गुड्डी रण्डी...तहार बूर में लांड घुसाके पेलत बानि।"
गुड्डी," ई भईल असली जश्न परीक्षा में पास होके।"
राजू," गुड्डी हम तहार के बानि?
गुड्डी," तू त गुरु हवे राजा।"
राजू," इहे से त गुरु दक्षिणा लेत बानि।"
गुड्डी," जी गुरुदेव जी, हमार रोम रोम तहार बा।"
राजू घपघप कर गुड्डी को पेल रहा था। उनकी सिसयाहट और सीत्कार गूंज रही थी। काफी देर तक दोनों लगे रहे, इस बात से अनजान की उनकी ये हरकत धरमदेव ने देख ली। धरमदेव वापिस आ चुके थे। कमरे से आती आवाज़ की ओर जब गए तो उन्होंने उनकी अश्लील हरकत पकड़ ली। धरमदेव को गुस्सा तो बहुत आया पर उसने कुछ कहा नहीं और चुपचाप वापस चले गए। उन्होंने जल्द से जल्द गुड्डी के हाथ पीले करने का फैसला ले लिया। अगले दिन ही जाकर उन्होंने लड़के के यहां बात कर ली। लड़का सरकारी अस्पताल में कर्मचारी था। दहेज की रकम थोड़ी ज्यादा होने पर भी, वो मान गए। धरमदेव ने धीरे धीरे सालभर में दहेज की राशि और कुछ सामान देने का वादा किया।
एक महीने के अंदर ही गुड्डी की शादी तय हो गयी।