Intezaar rahega....अपडेट कल रात 8 बजे। 2 अपडेट एक साथ । दोनों बड़ी। साथ बनाए रखे।
Intezar rahega Bhaiअपडेट कल रात 8 बजे। 2 अपडेट एक साथ । दोनों बड़ी। साथ बनाए रखे।
Gazabb update....pics bhi add kijiye[FONT=Lobster, cursive]update 5
सब लोग खाना खा के अपने अपने कमरे में चले जाते हैं। अजय का कमरा दूसरे माले पे था जहां पे gym है अजय अपने मन में सोच रहा था की सविता का कमरा कैसे खोजा जाए।
वो अपने रूम में टहल रहा था की उसे एक तरकीब सूझी। उसने सूरज को बुलाया
अजय: यार सूरज वो बड़ी गांड वाली का कमरा कौन सा है यार।
सूरज: अच्छा वो सविता। लेकिन क्यों?
अजय: अरे यार कुछ मत पूछ तू बस कमरा बता जल्दी जल्दी
सूरज: उससे मेरा क्या फायदा
अजय: ये ले 100 रुपए
सूरज: क्या साहब करोड़ों के खजाने के बदले में 100 रुपए। आप ही रखो मैं चला।
अजय: अच्छा तू ही बता क्या लेगा
सूरज: सविता
अजय: पागल है क्या उसकी औकात देख अपनी औकात देख कभी मक्खी फूल पर बैठी है क्या।
सूरज: औकात की बात तो आप जा ही करो आप ने कितने जगह मुंह मारे हुए हैं सब पता है मुझे
अजय: अरे यार पुरानी बात हटा। अच्छा अब बता मैं तेरी कैसे मदद कर सकता हूं
सूरज: सविता को पटाने में।
अजय: वो कैसे
सूरज: आप सविता को अपनी टांगो के बीच लाओ बाकी मैं देख लूंगा।
अजय: अच्छा ठीक है यार अब जल्दी कमरा बता।
सूरज: उसका कमरा है 605
अजय: चल ठीक है बाद में मिलता हूं आज तो दंगल होगा
अजय इतना कह के सविता के कमरे की तरफ बढ़ता है। उसने एक और पैंट पहना हुआ था
अजय: चल अजय आज तो तेरी लॉटरी लग गई
अजय: दरवाजा ठकथकते हुए रूम सर्विस
सविता: जो इस समय फ्रेश हो कर बाहर आई थी और सिर्फ अपने नाइटी में थी अंदर कुछ भी नहीं पहना था। उसने वैसे ही गेट खोल दिया
सविता: गेट खोलते हुए: अरे मैंने तो रूम सर्विस बुलाई ही नहीं
सविता अजय को देख चौंक जाती है और कहती है
सविता: अरे आप, आप क्या क्लीनर भी बन गए हा हा हा हा
अजय: अब क्या करें कुछ गंदगी साफ करने में तो मजा ही आता है
सविता: अच्छा जी तो बाहर कीजिए।
अजय: बाहर नहीं है एक बार आप अंदर तो आने दीजिए। जरा देख लूं कहां सफाई की जरूरत है और कहां पिटाई की।
सविता: पिटाई की? मतलब
अजय: वो मतलब सोफे सब गंदे हो ही गए होंगे।
सविता मुस्कुराती हुई वहां से हट जाती है और बिना कुछ बोले घर के अंदर आ जाती है
सविता की मटकती गांड देख कर अजय के आंखों में ऐसे हवस छा जाता है जैसे सावन में बादल। अब बादल साफ साफ गर्ज रहा था सिर्फ बरसने की देर है।
सविता: पीछे मुड़ के: चलिए जल्दी करिए
अजय: जल्दी? मैं तो रात का राजा हूं।
सविता: अच्छा जी हमसे होशियारी
अजय: लंड मसलते हुए: एक बार आजमा के तो देखिए इस नाचीज़ को
सविता: लगता है सफाई की जरूरत मेरे घर को नहीं आपके मन को है।
इतना कह के सविता गुस्से में अजय को खींच के कमरे से बाहर फेंक देती है।
अजय सोचता है ये इसे अचानक क्या हो गया।
अजय: क्या हुआ सविता जी? दरवाजा खोलिए
मैने कुछ गलत कहा तो माफ करिए
सविता कमरे के अंदर दरवाजे से टिक कर खरी थी और दब दब के हंस रही थी
अजय: सॉरी सविता जी।
सविता(अपनी हसी दवा कर): आप तो बहुत बदतमीज निकले।
अजय: जी वो मैं बहक गया था।
सविता: बहक गए थे? लेकिन क्यों
अजय: आप दरवाजा तो खोलिए फिर बताता हूं
सविता मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल देती है
सविता: अब बताइए
अजय: क्या कहूं सविता जब से तुम्हें देखा है, तुम्हें अपना बना ने का बहुत मन कर रहा। अगर तुम आज मेरी ना हुई तो मैं पागल हो जाऊंगा।
सविता भी अब धीरे धीरे गर्म हो रही थी। उसने पीछे से दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजा बंद करने से अजय समझ गया की अब वो गरम हो रही है तो उसने कहना जारी रखा।
अजय: जब से तुम्हें देखा है किसी और को देखने की इच्छा ही नहीं हो रही। तुम जो बोलोगी मैं करूंगा बस आज मेरी हो जाओ
इस बात को सुनने के बाद सविता की आंखे चमक जाती है। वो समझ जाती है की बकरा मिल गया।
सविता: जो बोलूंगी वो करोगे ना?
अजय: हां मेरी जान जो बोलोगी वो करूंगा
इतना कह के अजय उसे अपने बाहों में भर लेता है। उसने सविता को इतनी जोर से पकड़ रखा था की हवा भी बीच से गुजरने में कतरा रही थी।
सविता की आंखे अब हवस के कारण बंद हो रही थी। और दूसरी तरफ अजय सविता की गांड को जोड़ जोड़ से मसल रहा था। उसने उसकी नाइटी जो घुटने तक थी उसको ऊपर उठा दिया और उसकी गांड जोर से मसलने लगा। सविता अब सिसकारी लेने लगी थी। सविता ने मदहोशी में अपना हांथ अजय के पैंट के ऊपर से उसके लंड पर रखा। अजय का लंड जो अब तक सलामी दे रहा उसके हांथ रखते ही ऐसा हो गया जैसे कोई पत्थर। दोनों हवस के जाल में पूरी तरह से डूब चुके थे की तभी सविता के दरवाजे पे दस्तक होती है।[/FONT]
Nice update....[FONT=Lobster, cursive]update 5
सब लोग खाना खा के अपने अपने कमरे में चले जाते हैं। अजय का कमरा दूसरे माले पे था जहां पे gym है अजय अपने मन में सोच रहा था की सविता का कमरा कैसे खोजा जाए।
वो अपने रूम में टहल रहा था की उसे एक तरकीब सूझी। उसने सूरज को बुलाया
अजय: यार सूरज वो बड़ी गांड वाली का कमरा कौन सा है यार।
सूरज: अच्छा वो सविता। लेकिन क्यों?
अजय: अरे यार कुछ मत पूछ तू बस कमरा बता जल्दी जल्दी
सूरज: उससे मेरा क्या फायदा
अजय: ये ले 100 रुपए
सूरज: क्या साहब करोड़ों के खजाने के बदले में 100 रुपए। आप ही रखो मैं चला।
अजय: अच्छा तू ही बता क्या लेगा
सूरज: सविता
अजय: पागल है क्या उसकी औकात देख अपनी औकात देख कभी मक्खी फूल पर बैठी है क्या।
सूरज: औकात की बात तो आप जा ही करो आप ने कितने जगह मुंह मारे हुए हैं सब पता है मुझे
अजय: अरे यार पुरानी बात हटा। अच्छा अब बता मैं तेरी कैसे मदद कर सकता हूं
सूरज: सविता को पटाने में।
अजय: वो कैसे
सूरज: आप सविता को अपनी टांगो के बीच लाओ बाकी मैं देख लूंगा।
अजय: अच्छा ठीक है यार अब जल्दी कमरा बता।
सूरज: उसका कमरा है 605
अजय: चल ठीक है बाद में मिलता हूं आज तो दंगल होगा
अजय इतना कह के सविता के कमरे की तरफ बढ़ता है। उसने एक और पैंट पहना हुआ था
अजय: चल अजय आज तो तेरी लॉटरी लग गई
अजय: दरवाजा ठकथकते हुए रूम सर्विस
सविता: जो इस समय फ्रेश हो कर बाहर आई थी और सिर्फ अपने नाइटी में थी अंदर कुछ भी नहीं पहना था। उसने वैसे ही गेट खोल दिया
सविता: गेट खोलते हुए: अरे मैंने तो रूम सर्विस बुलाई ही नहीं
सविता अजय को देख चौंक जाती है और कहती है
सविता: अरे आप, आप क्या क्लीनर भी बन गए हा हा हा हा
अजय: अब क्या करें कुछ गंदगी साफ करने में तो मजा ही आता है
सविता: अच्छा जी तो बाहर कीजिए।
अजय: बाहर नहीं है एक बार आप अंदर तो आने दीजिए। जरा देख लूं कहां सफाई की जरूरत है और कहां पिटाई की।
सविता: पिटाई की? मतलब
अजय: वो मतलब सोफे सब गंदे हो ही गए होंगे।
सविता मुस्कुराती हुई वहां से हट जाती है और बिना कुछ बोले घर के अंदर आ जाती है
सविता की मटकती गांड देख कर अजय के आंखों में ऐसे हवस छा जाता है जैसे सावन में बादल। अब बादल साफ साफ गर्ज रहा था सिर्फ बरसने की देर है।
सविता: पीछे मुड़ के: चलिए जल्दी करिए
अजय: जल्दी? मैं तो रात का राजा हूं।
सविता: अच्छा जी हमसे होशियारी
अजय: लंड मसलते हुए: एक बार आजमा के तो देखिए इस नाचीज़ को
सविता: लगता है सफाई की जरूरत मेरे घर को नहीं आपके मन को है।
इतना कह के सविता गुस्से में अजय को खींच के कमरे से बाहर फेंक देती है।
अजय सोचता है ये इसे अचानक क्या हो गया।
अजय: क्या हुआ सविता जी? दरवाजा खोलिए
मैने कुछ गलत कहा तो माफ करिए
सविता कमरे के अंदर दरवाजे से टिक कर खरी थी और दब दब के हंस रही थी
अजय: सॉरी सविता जी।
सविता(अपनी हसी दवा कर): आप तो बहुत बदतमीज निकले।
अजय: जी वो मैं बहक गया था।
सविता: बहक गए थे? लेकिन क्यों
अजय: आप दरवाजा तो खोलिए फिर बताता हूं
सविता मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल देती है
सविता: अब बताइए
अजय: क्या कहूं सविता जब से तुम्हें देखा है, तुम्हें अपना बना ने का बहुत मन कर रहा। अगर तुम आज मेरी ना हुई तो मैं पागल हो जाऊंगा।
सविता भी अब धीरे धीरे गर्म हो रही थी। उसने पीछे से दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजा बंद करने से अजय समझ गया की अब वो गरम हो रही है तो उसने कहना जारी रखा।
अजय: जब से तुम्हें देखा है किसी और को देखने की इच्छा ही नहीं हो रही। तुम जो बोलोगी मैं करूंगा बस आज मेरी हो जाओ
इस बात को सुनने के बाद सविता की आंखे चमक जाती है। वो समझ जाती है की बकरा मिल गया।
सविता: जो बोलूंगी वो करोगे ना?
अजय: हां मेरी जान जो बोलोगी वो करूंगा
इतना कह के अजय उसे अपने बाहों में भर लेता है। उसने सविता को इतनी जोर से पकड़ रखा था की हवा भी बीच से गुजरने में कतरा रही थी।
सविता की आंखे अब हवस के कारण बंद हो रही थी। और दूसरी तरफ अजय सविता की गांड को जोड़ जोड़ से मसल रहा था। उसने उसकी नाइटी जो घुटने तक थी उसको ऊपर उठा दिया और उसकी गांड जोर से मसलने लगा। सविता अब सिसकारी लेने लगी थी। सविता ने मदहोशी में अपना हांथ अजय के पैंट के ऊपर से उसके लंड पर रखा। अजय का लंड जो अब तक सलामी दे रहा उसके हांथ रखते ही ऐसा हो गया जैसे कोई पत्थर। दोनों हवस के जाल में पूरी तरह से डूब चुके थे की तभी सविता के दरवाजे पे दस्तक होती है।[/FONT]
Nice and lovely update....[FONT=Lobster, cursive]update 5
सब लोग खाना खा के अपने अपने कमरे में चले जाते हैं। अजय का कमरा दूसरे माले पे था जहां पे gym है अजय अपने मन में सोच रहा था की सविता का कमरा कैसे खोजा जाए।
वो अपने रूम में टहल रहा था की उसे एक तरकीब सूझी। उसने सूरज को बुलाया
अजय: यार सूरज वो बड़ी गांड वाली का कमरा कौन सा है यार।
सूरज: अच्छा वो सविता। लेकिन क्यों?
अजय: अरे यार कुछ मत पूछ तू बस कमरा बता जल्दी जल्दी
सूरज: उससे मेरा क्या फायदा
अजय: ये ले 100 रुपए
सूरज: क्या साहब करोड़ों के खजाने के बदले में 100 रुपए। आप ही रखो मैं चला।
अजय: अच्छा तू ही बता क्या लेगा
सूरज: सविता
अजय: पागल है क्या उसकी औकात देख अपनी औकात देख कभी मक्खी फूल पर बैठी है क्या।
सूरज: औकात की बात तो आप जा ही करो आप ने कितने जगह मुंह मारे हुए हैं सब पता है मुझे
अजय: अरे यार पुरानी बात हटा। अच्छा अब बता मैं तेरी कैसे मदद कर सकता हूं
सूरज: सविता को पटाने में।
अजय: वो कैसे
सूरज: आप सविता को अपनी टांगो के बीच लाओ बाकी मैं देख लूंगा।
अजय: अच्छा ठीक है यार अब जल्दी कमरा बता।
सूरज: उसका कमरा है 605
अजय: चल ठीक है बाद में मिलता हूं आज तो दंगल होगा
अजय इतना कह के सविता के कमरे की तरफ बढ़ता है। उसने एक और पैंट पहना हुआ था
अजय: चल अजय आज तो तेरी लॉटरी लग गई
अजय: दरवाजा ठकथकते हुए रूम सर्विस
सविता: जो इस समय फ्रेश हो कर बाहर आई थी और सिर्फ अपने नाइटी में थी अंदर कुछ भी नहीं पहना था। उसने वैसे ही गेट खोल दिया
सविता: गेट खोलते हुए: अरे मैंने तो रूम सर्विस बुलाई ही नहीं
सविता अजय को देख चौंक जाती है और कहती है
सविता: अरे आप, आप क्या क्लीनर भी बन गए हा हा हा हा
अजय: अब क्या करें कुछ गंदगी साफ करने में तो मजा ही आता है
सविता: अच्छा जी तो बाहर कीजिए।
अजय: बाहर नहीं है एक बार आप अंदर तो आने दीजिए। जरा देख लूं कहां सफाई की जरूरत है और कहां पिटाई की।
सविता: पिटाई की? मतलब
अजय: वो मतलब सोफे सब गंदे हो ही गए होंगे।
सविता मुस्कुराती हुई वहां से हट जाती है और बिना कुछ बोले घर के अंदर आ जाती है
सविता की मटकती गांड देख कर अजय के आंखों में ऐसे हवस छा जाता है जैसे सावन में बादल। अब बादल साफ साफ गर्ज रहा था सिर्फ बरसने की देर है।
सविता: पीछे मुड़ के: चलिए जल्दी करिए
अजय: जल्दी? मैं तो रात का राजा हूं।
सविता: अच्छा जी हमसे होशियारी
अजय: लंड मसलते हुए: एक बार आजमा के तो देखिए इस नाचीज़ को
सविता: लगता है सफाई की जरूरत मेरे घर को नहीं आपके मन को है।
इतना कह के सविता गुस्से में अजय को खींच के कमरे से बाहर फेंक देती है।
अजय सोचता है ये इसे अचानक क्या हो गया।
अजय: क्या हुआ सविता जी? दरवाजा खोलिए
मैने कुछ गलत कहा तो माफ करिए
सविता कमरे के अंदर दरवाजे से टिक कर खरी थी और दब दब के हंस रही थी
अजय: सॉरी सविता जी।
सविता(अपनी हसी दवा कर): आप तो बहुत बदतमीज निकले।
अजय: जी वो मैं बहक गया था।
सविता: बहक गए थे? लेकिन क्यों
अजय: आप दरवाजा तो खोलिए फिर बताता हूं
सविता मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल देती है
सविता: अब बताइए
अजय: क्या कहूं सविता जब से तुम्हें देखा है, तुम्हें अपना बना ने का बहुत मन कर रहा। अगर तुम आज मेरी ना हुई तो मैं पागल हो जाऊंगा।
सविता भी अब धीरे धीरे गर्म हो रही थी। उसने पीछे से दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजा बंद करने से अजय समझ गया की अब वो गरम हो रही है तो उसने कहना जारी रखा।
अजय: जब से तुम्हें देखा है किसी और को देखने की इच्छा ही नहीं हो रही। तुम जो बोलोगी मैं करूंगा बस आज मेरी हो जाओ
इस बात को सुनने के बाद सविता की आंखे चमक जाती है। वो समझ जाती है की बकरा मिल गया।
सविता: जो बोलूंगी वो करोगे ना?
अजय: हां मेरी जान जो बोलोगी वो करूंगा
इतना कह के अजय उसे अपने बाहों में भर लेता है। उसने सविता को इतनी जोर से पकड़ रखा था की हवा भी बीच से गुजरने में कतरा रही थी।
सविता की आंखे अब हवस के कारण बंद हो रही थी। और दूसरी तरफ अजय सविता की गांड को जोड़ जोड़ से मसल रहा था। उसने उसकी नाइटी जो घुटने तक थी उसको ऊपर उठा दिया और उसकी गांड जोर से मसलने लगा। सविता अब सिसकारी लेने लगी थी। सविता ने मदहोशी में अपना हांथ अजय के पैंट के ऊपर से उसके लंड पर रखा। अजय का लंड जो अब तक सलामी दे रहा उसके हांथ रखते ही ऐसा हो गया जैसे कोई पत्थर। दोनों हवस के जाल में पूरी तरह से डूब चुके थे की तभी सविता के दरवाजे पे दस्तक होती है।[/FONT]