उदास रजनी भारी मन से स्टोर में घुस गई और बस अपनी किस्मत को कोसने लगी। उसे औरतों की बाते याद आ रही थी और ये सोच सोच कर उसकी रुलाई छूट पड़ी। शादी के भीड़ भाड़ वाले घर में किसी को भी रजनी की चिंता नहीं थी और सभी लोग अपने काम में लगे हुए थे। रजनी आज दिल खोल कर रो रही थी और उसका खूबसूरत चेहरा आंसुओ से पूरी तरह से नहा सा गया था। कई दिनों की थकी हुई रजनी ने हिम्मत करके अपने चेहरे को साफ किया और बड़ी मुश्किल से उसने अपने आंसुओ को रोका और सोच में डूब गई। सोचते सोचते कब उसे नींद आ गई पता ही नही चला और रजनी वाली स्टोर में पड़े हुए सामान पर ही सो गई।
चूड़ियों और पायल की छन छन की आवाज सुनकर रजनी की आंखे खुल गई तो उसे एहसास हुआ कि वो अपने भाई के सुहागरात वाले कमरे के बराबर में लेटी हुई है। ऊपर छत पर इस हिस्से में एक कमरा और स्टोर ही बना हुआ था।
रजनी समझ गई कि ये चूड़ियों की छन छन राधा की है। रजनी के दिल में एक टीस सी उठी कि अगर उसका पैर ठीक होता तो आज वो बेड पर लेटी हुई होती अपने पति के साथ।
रजनी फिर से उदास हो गई लेकिन अगले ही पल उसके कान खड़े हो गए क्योंकि राधा की एक मस्ती भरी सिसकी उसके कानो में पड़ी। रजनी के तन बदन में हलचल मच गई कि राधा कितनी मस्ती कर रही है। रजनी चाहकर भी खुद को नहीं रोक पाई और उसने एक स्टूल को खिड़की के पास टिका दिया और अंदर झांकने लगी लेकिन राधा के कमरे में पूरी तरह से घुप अंधेरा था। बस हल्की हल्की सिसकियां अब धीरे धीरे बढ़ रही थी और रजनी की बेचैनी भी अब बढ़ गई थी। उसका गला सूखने लगा था और सांसे तेज होने से उसकी गोल गोल नारियल के आकार की मदमस्ती भरी चूचियां उपर नीचे हो रही थी। रजनी को निराशा हुई कि लाइट बंद थी लेकिन खिड़की से राधा की सिसकियां वो साफ महसूस कर रही थी।
राधा फिर से सिसक उठी आह्ह्ह्ह्ह पूरी नंगी तो मत करो राजू मुझे। यूईईईईईई मा शर्म आयेगी।
राजू ने उसकी एक चूची को जोर से अपने मुंह में भर कर निप्पल को कसकर चूस दिया तो राधा मस्ती से बेहाल सी हो गई और जोर से फिर से सिसक उठी
" आह्ह्ह्ह्ह राजू, थोड़ा प्यार से चूसो, उफ्फ गुदगुदी होती हैं बहुत।
राजू ने उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया और उसकी चूचियों को जोर जोर से चूसने लगा तो राधा उछल सी पड़ी
"यूईईआईआई माँ,सलवार के साथ ही पेंटी भी निकाल दी, आह्ह्ह पूरी नंगी कर दिया मुझे, ओह्ह्ह राजू मेरे राजू, थोड़ा प्यार से करो ना।
राजू ने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया और बोला
" आए हाय मेरी जान, कितनी भीग गई है तेरी चूत, शुक्र मना कि सलवार उतार दी नही तो सुहागरात पर तो फाड़ी जाती हैं।
चूत मसले जाने से राधा भी बहक गई और उससे कसकर लिपट गई और बोली:"
" आउच पागल, सलवार नही कुछ और फाड़ते है मेरे भोले बलम।
इतना कहकर उसने अपनी चूत को उभार कर पूरी तरह से राजू की हथेली में भर दिया तो राजू ने एक उंगली कच से उसकी चूत में घुसा दी और राधा का सब्र टूट गया और वो जोर जोर से अपने पैरो को बिस्तर पर पटकने लगी। रजनी का पूरा जिस्म कांप रहा था और उसके हाथो ने कब उसकी दोनो चुचियों को पूरा नंगा कर दिया उसे एहसास ही नहीं हुआ था। मस्ती में डूबी हुई रजनी अपने दोनो हाथो से अपनी चुचियों को सहला नही बल्कि मसल रही थी और उसकी चूत पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी जिसे वो अपनी टांगे खोल कर दीवार पर रगड़ रही थी।
राजू ने राधा का हाथ अपने लंड पर रख दिया तो राधा उसकी लंबाई और मोटाई महसूस करके कांप उठी और बोली
" उफ्फ, हाय मम्मी, कहां से लाए इतना बड़ा और मोटा, मेरी तो जान ही निकल जायेगी।
राजू ने राधा की टांगो को फैला दिया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा तो राधा की चूत डर के मारे सिकुड़ सी गई और राधा कांपती हुई सी बोली:"
" आउच उफ्फ, प्यार से करना राजू, मर जाऊंगी मैं।
राधा की सिसकियां सुनकर रजनी ने भी अपनी सलवार को खोल दिया और पेंटी को खींच कर नीचे सरका दिया। रजनी इतना तो समझ गई थी कि उसके भाई राजू का लंड बड़ा है लेकिन कितना बड़ा है ये उसे बिलकुल भी अंदाजा नहीं था।
राजू ने लंड को चूत के छेद पर टिका कर हल्का सा धक्का दिया तो उसका मोटा सुपाड़ा राधा की चूत में घुस गया और राधा दर्द से कराह उठी और उससे लिपट गई। राधा की दर्द भरी सिसकारियां सुनकर रजनी भी मस्ती से सिसकने लगी और एक उंगली को अपनी चूत में घुसा दिया।
इससे पहले की राजू अगला धक्का मारता उसका फोन बज उठा और देखा कि राधा की मां का फोन था तो उसने उठा लिया और उधर से राधा की मां रोते हुए बोली
" राजू बेटा, राधा के बाप को अटक आया है और उन्हे हॉस्पिटल ले गए हैं। तुम जल्दी से राधा को लेकर आ जाओ।
राजू को समझ नही आया कि क्या जवाब दे लेकिन फिर भी अपने आपको संभाला और बोला:"
" आप फिक्र मत कीजिए, मैं और राधा थोड़ी देर में ही पहुंच रहे हैं।
राजू और राधा दोनो ने अपने कपड़े पहने और बाहर निकल गए। राधा राजू के मां बाप को सब बताने लगी और राजू गाड़ी लेने चला गया। राजू के मां बाप भी जाने के लिए तैयार हो गए और राजू गाड़ी लेकर आ गया।
राजू की मम्मी:" अरे रजनी कहां है राजू ? उसको तो बता दो कि हम सब हॉस्पिटल जा रहे है। कहीं वो बाद में परेशान न हो।
रजनी को सब ढूंढने लगे तो रजनी खुद ही उनके सामने आ गई और बोली:"..
" क्या हुआ ? आप सब इतने परेशान क्यों लग रहे हो?
राजू:" राधा के बाप को अटैक आया है। हम सब हॉस्पिटल जा रहे हैं। तुम घर का और मेहमानों का ध्यान रखना।
रजनी:" मैं भी आपके साथ चलती हु। देखो ना राधा भाभी कितना रो रही हैं, मैं इन्हें संभाल तो लूंगी।
रजनी की मम्मी:" तुम इसकी फिकर मत करो, मैं इसे संभाल लूंगी। तुम बस घर का ध्यान रखना।
इतना कहकर मम्मी गाड़ी में बैठ गई और और रूजू ने कार आगे बढ़ा दी। आधे रास्ते में ही पहुंचे थे कि फिर से राजू का फोन बज उठा तो राजू बोला:"
" हान अब कैसी तबियत हैं पापा की ?
राजू का साला रोते हुए: पापा अब इस दुनिया मे नही रहे। आप घर आ जाओ।
राजू अपने साले की बात सुनकर तड़प उठा और जोर से चींख पड़ा:"
"नहीई, ये नही हो सकता, पापा हमे छोड़कर नहीं जा सकते।
राजू की बात सुनकर राधा जोर से चिल्लाई और राजू के ऊपर लुढ़क कर बेहोश हो गई। राधा के गिरने से गाड़ी का स्टेरिंग घूम गया और कार ने सामने से आते हुए ट्रक में जोरदार टक्कर मारी। एक के बाद एक काफी सारी दर्द भरी चीन्ख निकली और पूरी गाड़ी खून से भीगती चली गई। राधा और राजू के मां बाप मौके पर ही दम तोड दिए जबकि राजू के सिर में चोट लगने से वो बेहोश हो गया था। पुलिस में राजू को हॉस्पिटल में भर्ती किया और अपनी आगे की कार्यवाही शुरू दी।
रजनी को जैसे ही सूचना मिली वो पागलों की तरह दौड़ती हुई हॉस्पिटल पहुंची। राधा और अपने मां बाप की लाशे देखकर वो बेहोश हो गई। कभी देर के बाद उसे होश आया तो फिर से जोर जोर से अपने मां बाप से लिपटकर रोने लगी। तभी उसे अपने भाई की याद आई तो रजनी रोती हुई डॉक्टर के आगे गिड़गिड़ाई
" मेरा भाई कहां हैं ? वो कैसा हैं, ठीक तो हैं न?
डॉक्टर: राजू अभी बेहोश हैं लेकिन उसे काफी गंभीर चोट आई है। भगवान की दया से वो खतरे से बाहर है।
रजनी:" मुझे एक बार बस मुझे मेरे भाई को दिखा दो। मेरा भाई कहां हैं मेरा भाई।
इतना कहकर रजनी फिर ee बेहोश हो गई तो नर्स ने उसके मुंह पर पानी मारा और जैसे ही उसे आया तो रजनी नर्स के साथ अपने भाई के कमरे की तरफ चल पड़ी। राजू बेड पर लेटा हुआ और उसके जिस्म पर पट्टियां लिपटी हुई थी। अपने भाई की ऐसी हालत देखकर रजनी फिर से फफक फफक कर रो पड़ी।
नर्स ने उसका हाथ पकड़ा और बाहर की चल पड़ी। पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई और रजनी के घर के बाहर गांव के की भीड़ जुट गई। सभी लोग रजनी को दिलासा दे रहे थे। आखिर कार गमगीन माहौल में सभी का अंतिम संस्कार हुआ और रजनी ने रोते रोते सभी की चिताओं को अग्नि दी।
उसके बाद सभी लोग घर की तरफ चल पड़े। रजनी के लिए उसकी सारी दुनिया ही उजड़ गई थी और बस एक मात्र उम्मीद बचा था उसका भाई। रजनी घर न जाकर हॉस्पिटल गई और उसका ध्यान रखने लगी। दो दिन तक रजनी ने ना ठीक से खाया न पिया और अपने भाई का ध्यान रख रही थी। तीसरे दिन राजू को होश आया और जब उसे अपने मां बाप और राधा के बारे में पता चला तो जोर जोर से रोने लगा।
गांव के लोगो, रजनी और रिश्तेदारों ने किसी तरह बड़ी मुश्किल से उसे संभाला और एक हफ्ते के बाद उसकी हॉस्पिटल से छुट्टी हो गई। रजनी अपने भाई को लेकर घर आ गई और धीरे से कुछ दिन के बाद एक एक करके सभी लोग अपने घर चले गए और घर में अब बस रजनी और राजू दोनो अकेले बच गए थे। राजू पूरे दिन कमरे से बाहर नहीं निकलता था और बस अपनी राधा और मां बाप को याद करके रोता रहता था। घर के काम के लिए खेतों के काम के लिए रजनी ने कुछ लोगो को काम पर रख लिया था और घर की देखभाल जैसे तैसे कर रही थी। राजू दिन पर दिन कमजोर होता जा रहा था, ना ठीक से खाता था और न ही घर से बाहर निकलता था। धीरे धीरे करीब ऐसे ही दो महीने गुजर गए तो अपनी भाई की हालत देखकर रजनी को रोना आ रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे राजू को फिर से फिर से पहले जैसा किया जाए ताकि वो अपनी ज़िंदगी जी सके, घर का ख्याल रख सके।
एक दिन रजनी ने राजू से बात करने का फैसला किया और उसके कमरे में चाय लेकर गई तो राजू उठकर बैठ गया लेकिन उसे देर तक देखता रहा। कभी बेड को एकटक देखता तो कभी दीवारों को घूरने लगता।
रजनी:" राजू ये क्या हाल बना रखा हैं तुमने ? अपनी हालत देखो क्या बना ली हैं तुमने ? ऐसे कैसे और कब तक चेलेगा राजू?
राजू किसी बुत की तरह खामोश बैठा रहा मानो उसने रजनी की बात सुनी ही नही हो। रजनी उसकी हालत पर अंदर से खुद को टूटा हुआ महसूस कर रही थी लेकिन उसने हिम्मत करके अपने भाई के कंधो को पकड़ा और झक्कोरते हुए बोली
" मैं तुमसे ही बात कर रही हु राजू। मेरी बात का जवाब दो। ऐसा कब तक चलेगा ? क्यों तुम घर की जिम्मेदारी नहीं उठाते?
राजू ऐसे हड़बड़ाया मानो सपने से बाहर आया हो और बोला:"
" मैं क्या करू? चाह कर भी कुछ नही कर सकता। राधा मेरी जिंदगी थी , मेरा सब कुछ थी और मैने अपने मां सरस्वती को भी खो दिया। तुम्हे क्या पता हैं ये सब मेरी वजह से हुआ। काश में गाड़ी को संभाल लेता तो आज ये सब नहीं होता। दीदी आपको क्या पता ? तीन तीन लोगो की जान ली मैंने। अपने ही मां बाप का हत्यारा हु। मुझे घिन आती हैं अपने आपसे, मैं जीना नही चाहता।
रजनी उसके पास ही बैठ गई तो रजनी को उसके मुंह से पहली बार दारू की बदबू सी महसूस हुई लेकिन जान बूझकर इस मुद्दे पर बात न करते हुए बोली:"
" राजू जो हुआ उसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं है। वो सब एक हादसा था, किसी के साथ भी ऐसा हो सकता है, भला कोई जान बूझकर अपने मां बाप बीवी की जान क्यों लेगा। तुम उसके लिए जिम्मेदार नहीं हो बल्कि ये सब प्रभु की इच्छा थी और उनके आगे किसी भी नही चलती।
रजनी ने राजू को समझाते हुए कहा तो राजू अपनी दीदी से लिपट गया और रोते हुए बोला:"
" नही नही दीदी, अगर मेरे हाथो मेरे मां बाप और राधा का मरना प्रभु की इच्छा थी तो मैं खुद को बरबाद भी प्रभु की इच्छा से ही कर रहा हु।
रजनी ने राजू को अपने गले लगाया और उसकी कमर थपकते हुए बोली:" कैसी पागलों जैसी बात कर रहे हो तुम ? हमारे मम्मी पापा और राधा की मौत एक हादसा थी और तुम जान बूझकर खुद को बरबाद कर रहे हो। ये प्रभु की इच्छा बल्कि तुम्हारा पागलपन है। भगवान के लिए अपने आपको संभालो भाई, अपने लिए न सही कम से कम मेरे लिए ही खुद को संभालो और घर से बाहर निकलो और काम देखो।
राजू:" नही नही दीदी नही, सारा गांव मुझे हत्यारा समझेगा और मैं तरह तरह की बाते करेगा। मैं ये बिलकुल बर्दाश्त नहीं कर सकता।
रजनी:" नही भाई,ऐसा कुछ भी नहीं है, कोई ऐसा नहीं समझता बल्कि सब लोग तुम्हारे लिए दुआ करते हैं कि तुम जल्दी से ठीक हो जाओ। लो जल्दी से चाय पियो और फिर से अपनी जिंदगी शुरू करो तुम।
रजनी ने उसे चाय का कप दिया और बाहर निकल गई। रजनी को समझ नही आ रहा था कि राजू को घर के अंदर दारू कैसे मिल रही हैं। जरूर कोई न कोई नौकर ये सब कर रहा है, मुझे उसका पता लगाना होगा और उसे रोकना होगा। राजू ने चाय पी और फिर से बिस्तर पर ही लेट बिलकुल रोज की तरह। रजनी के इतना बोलने का, समझाने का कोई बदलवा नही। रजनी सब देख रही थी और अपने तरफ से हर संभव प्रयास कर रही थी लेकिन राजू ने तो जैसे ठान लिया था अब उसने इसी हाल में बची हुई सांसे पूरी करनी है।
आज राजू का जन्मदिन था और रजनी सुबह से ही एक कमरे को सजाने में लगी हुई थी। राजू इन सबसे बेफिक्र अपने कमरे में लेटा हुआ था। सिर के बाल काफी बड़े हो गए थे और दाढ़ी तो पूरी तरह से उसके मुंह पर फैल गई थी। रोने के कारण लाल सुर्ख आंखे रहती थी, एक तो दारू उपर रोते रहना और ठीक से नही सोना। रजनी ने सोचा कि आज जन्मदिन के मौके पर राजू अच्छा महसूस करेगा और उसमे शायद आज से ही कुछ बदलाव आ जाए इसलिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी।
कमरा सज गया था और रजनी ने आज खुद को भी थोड़ा सा सजा लिया इस उम्मीद में किसी उसे सजा हुआ देखकर खुश देख कर राजू बदल जाए। रजनी ने एक लाल रंग का बेहद खूबसूरत ब्लाउस और उससे मिलता जुलता लहंगा पहना जिसमे वो निहायत ही खूबसूरत लग रही थी। शाम को रजनी राजू का हाथ पकड़ कर कमरे में लाई तो पहले तो कमरा सजा हुआ देखकर खुश हो गया कि आज उसका जन्मदिन उसकी बहन को याद था लेकिन अगले ही पल उसका चेहरा दुख से भर गया क्योंकि उसे फिर से राधा और अपने मां बाप याद आ गए थे। रजनी समझ गई कि आज फिर से राजू बदल नही पायेगा तो बोली,:"
राजू चलो जल्दी से केक काट लो, आज तुम्हारा जन्मदिन हैं मेरे भाई। चलो जल्दी करो।
इतना कहकर रजनी ने चाकू उसकी तरफ बढ़ा दिया तो राजू ने चाकू वही रख दिया और बोला,:"
" दीदी मैं अब कोई जन्मदिन नही मना सकता। मेरी जिंदगी में अब कोई खुशी नही है।
रजनी अपने भाई के पास बैठ गई और उसका सिर सहलाते हुए बोली:"
" ऐसा मत कहो राजू, तुम्हे जीना होगा। अब मैं तुम्हे घुट घुट कर मरते और नही देख सकती।
राजू:" जिद मत करो दीदी,मेरा बिलकुल भी मन नही है। मैं कोई केक नही काट सकता।
रजनी समझ गई कि राजू बातो से सुधरने वाला नही हैं इसलिए थोड़ा गुस्से से बोली:"
" बस राजू बहुत हो गया। या तो तुम केक काट दो या फिर मेरा गला। सोच को क्या करना है।
राजू को एक दम से कुछ समझ नहीं आया लेकिन फिर बोला,:"..
" ऐसा मत कहो दीदी, मैं सपने में भी आपका गला नही काट सकता। आपकी खुशी के लिए केक काट देता हूं।
इतना कहकर राजू ने चाकू उठाया और केक करते लगा तो रजनी खुश हो गई और राजू को ढेर सारी शुभकामनाएं भी दी। राजू ने केक उठाया और रजनी को जबरदस्ती केक खिला दिया तो रजनी खुश हो गई और राजू को एक केक का टुकड़ा काटकर खिला दिया और बोली:"
" चल खाना तैयार है। मैं लगा देती हु तेरे लिए। आज से तुम खाना अपने कमरे में नही बल्कि मेरे साथ खाओगे।
इतना कहकर रजनी बाहर निकल गई और टेबल पर खाना लगा दिया। राजू उसके पास बैठ गया और दोनो ने खाना खाया। रजनी उसे समझाती रही और राजू चुपचाप उसकी बात सुनता रहा मानो उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा हो। थोड़ी देर के बाद खाना खत्म हुआ और राजू फिर से अपने कमरे में चला गया तो रजनी बर्तन धोने चली और उसके बाद अपने रूम में आकर सोने की कोशिश करने लगी लेकिन उसे अपने भाई की चिंता खाए जा रही थी इसलिए नींद नहीं आ रही थी। रजनी थोड़ी देर के बाद बाहर निकली और गैलरी में टहलने लगी। रात के करीब 12 बज गए थे और तभी राजू के कमरे का दरवाजा खुला और उसका नौकर श्याम लड़खड़ाते हुए बाहर निकला जिसके हाथ में दारू की कुछ भरी हुई और खाली बोतलें थी। ये देखकर रजनी का खून खौल उठा और आगे बढ़कर उसके सामने खड़ी हो गई तो श्याम को सिटी पिट्टी गुम हो गई और उसके हाथ से एक खाली बोतल नीचे गिरी और टूट गई। रजनी गुस्से से बोली:"
" श्याम ये क्या बदतमीजी हैं? मैं राजू को सुधारने की कोशिश कर रही हूं और तुम उसे दारु पिला रहे हो। लाओ ये सब बॉटल मुझे दे दो तुम समझे।
श्याम:" ये सब मैं अपनी मर्जी से नही बल्कि श्याम के कहने पर पर कर रहा हूं। बॉटल तो आपको नही दे सकता।
रजनी एक नौकर के मुंह से ऐसी बात सुनकर गुस्से से लाल पीली हो गई और बोली
" तुम बॉटल देते हो या मैं तुमसे छीन लू। अब ये सब मैं और नही चलने दूंगी।
श्याम ने बोटलो को कसकर पकड़ लिया और साइड से निकलने लगा तो रजनी उसके सामने अड़ गई और उससे बॉटल छीनने लगी और श्याम बचने की बात करने लगा। इसी छीना झपटी में रजनी का पल्लू नीचे सरक गया और उसकी बड़ी बड़ी ठोस, गुदाज चुचियों का उभार साफ़ नजर आने लगा। श्याम ने आज तक ऐसी मदहोश कर देने वाली जबरदस्त चूचियां नही देखी थी इसलिए उसकी आंखे लालच से भर उठी। उसने जान बूझकर एक बोतलो को उसके ब्लाउस के पास कर दिया और उसकी चूचियों को लालची नजरो से घूरने लगा। इसी बीच बोतल का आगे का सिरा रजनी के ब्लाउस से टकराने लगा तो रजनी ने एक जोरदार झटका बोतल छीनने के लिए दिया और उसके साथ ही उसके ब्लाउस के दो बटन एक साथ टूट गए। बटन टूटते ही अंदर ब्रा ना होने के कारण रजनी की लगभग पूरी चूचियां बाहर छलक पड़ी। बस नाम मात्र के लिए निप्पल ही ढके हुए रह गए थे। श्याम में धुत श्याम से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने सीधे अपने दोनो हाथ रजनी की चुचियों पर टिका दिए तो बदहवास सी रजनी ने उसे एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। थप्पड़ लगते ही श्याम के अंदर का जानवर जाग उठा और एक हाथ से रजनी का मुंह दबोचा और दूसरे हथको उसकी कमर में फंसा कर उसे उसके ही कमरे में खींच लिया। रजनी विरोध करने के बाद उसके साथ खींची चली गई लेकिन उसने पूरी जोर से उसके हाथ पर काट लिया तो श्याम का हाथ उसके मुंह पर से हट गया और रजनी जोर से अपने भाई का नाम लेकर चिल्लाई। रजनी ने बचने की पूरी कोशिश करी लेकिन श्याम ने जबरस्ती कमरे में खींच लिया। कमरे में घुसते ही श्याम ने एक जोरदार झटके से दरवाजा बंद किया और रजनी को बेड पर पटक दिया और बोला
" साली मुझ पर हाथ उठाती है, मुझे काटती हैं, अभी तेरा सारा जोश ठंडा करता हूं।
इतना कहकर वो बेड पर चढ़ गया लेकिन रजनी तब तक उतर चुकी थी। दोनो के बीच हाथापाई शुरू हो गई। श्याम नशे में जरूर था लेकिन फिर भी रजनी उससे खुद को ज्यादा देर तक न बचा सकी और श्याम ने उसे पकड़कर फिर से बेड पर पटक दिया और उसके दोनो हाथ को बेड के सिरहाने से बांध दिया।
रजनी ने बेबस होकर उसके सामने दोनो हाथ दिए और बोली
" मुझे माफ कर दो श्याम, मुझसे गलती हो गई।
श्याम ने रजनी के मुंह पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया और जोर से चिल्ला कर बोला:"
" साली अभी से हाथ जोड़ती है, रुक आज तुझे दिखाता हु तेरी औकात क्या है।
इतना कहकर श्याम बेड पर चढ़ गया और रजनी के उपर लेट गया और उसकी चूचियों को मसलने लगा। रजनी दर्द के मारे तड़प उठी और श्याम उसकी चींख सुनकर पूरी ताकत से उसकी चूचियां मसलने लगा। रजनी उसके नीचे दबी पड़ी हुई दर्द से कराह रही थीं, छटपटा रही थीं। तभी एक झटके के साथ दरवाजा खुला और राजू अंदर घुसा जिसके हाथ में एक दारू की बॉटल थी। इससे पहले श्याम कुछ समझ पाता राजू ने बॉटल उसके सिर में मार दी और श्याम दर्द से कराह उठा और राजू पर टूट पड़ा। दोनो के बीच हाथापाई चलती रही और रजनी खुद को खोलने का प्रयास कर रही थी। तभी श्याम के हाथ में एक बॉटल आ गई और उसने राजू के सिर में मारने के लिए ऊपर उठाया तो रजनी ने एक जोरदार लात उसकी जांघो के बीच में जड़ दी और टट्टो पर लात पड़ते ही श्याम दर्द से कराह उठा और गिर पड़ा। राजू को मौका मिल गया और उसने श्याम के पेट में घुसे पर घुसे जड़ दिए और श्याम दर्द से तड़प उठा और बेहोश हो गया।
राजू बेड पर चढ़ गया और रजनी को खोलने लगा। उसकी नजरे न चाहते हुए भी रजनी की नारियल के आकार की भरी भरी गोल गोल ठोस चुचियों पर चली गई और राजू को आज पहली बार एहसास हुआ कि उसकी बहन के ब्लाउस में दुनिया की दो सबसे सुंदर,बड़ी मदमस्त चूचियां है। राजू को ऐसे खुद को घूरते देख कर कांप रही थी लेकिन कुछ कर नहीं सकती थी।
राजू ने जैसे ही रजनी को खोला तो वो बिलखती हुई सी अपने भाई से लिपट गई और बोली
" भाई आज तुमने मुझे बरबाद होने से बचा लिया। मैं आज किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहती।
राजू ने उसे अपने आगोश मे समेट लिया और उसकी पीठ सहलाते हुए बोला
," बस चुप हो जा, मेरी ही गलती है, मैने घर में ही सांप पाल रखा था मेरी बहन।
रजनी की चुचिया राजू के सीने से टकरा रही थीं और राजू को बेहद अच्छा मस्ती भरा एहसास हो रहा था। उसके हाथ रंजनी की नंगी पीठ को सहला रहे थे जिससे राजू खुद को बैचेन महसूस कर रहा था। आखिरकार थोड़ी देर के बाद रजनी उससे अलग हुई और उसकी चूचिया एक बार फिर से राजू के सामने खुल गई। बस निप्पल को छोड़कर पूरी नंगी,राजू फिर से ललचा ललचा गया और उसकी नजर फिर से गड़ गई तो रजनी खुद को ऐसे घूरते हुए देखकर घबरा सी गई और उसने एक हाथ की कोहनी अपनी चूचियों को ढकने का प्रयास किया तो उसकी चूचियां दब कर पूरी तरह से गोलदार हो गई और राजू ने आज का सबसे कामुक नजारा देखा। अपनी हालत पर रजनी की आंखे शर्म से झुक गई। राजू ने अपनी बहन का बिलकुल पूरी तरह नंगा गोल खूबसूरत पेट देखा जिसके ठीक बीच में एक बेहद आकर्षक गोल, बिलकुल गहरी जानलेवा नाभि थी। राजू को खुद पर काबू करना मुश्किल हो रहा था तो उसने निकलने में ही भलाई समझी और कमरे में पड़े हुए श्याम की टांग खींचते हुए उसे बाहर ले गया। उसके जाते ही रजनी ने चैन की सांस ली, उसे यकीन नहीं हो रहा था उसका भाई उसे लालची नजरो से घूर रहा था। आज पहली बार रजनी ने अपने भाई की नजरो में एक चमक देखी थी, एक उत्साह देखा था और उसके मन में एक उम्मीद जग गई थी।
पूरी रात रजनी सोने की कोशिश करती रही और अंत में रजनी भी सो गई। अगले दिन सुबह राजू ने श्याम को काम से निकाल दिया और बीवी बच्चो के चलते पुलिस के हवाले नही किया।