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Erotica लल्लू लल्लू न रहा😇😇

kas1709

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mitzerotics

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भाग १०




पूरा शहर रात भर बारिश से भीगता रहा और यहां बंगले पर माया देवी की चूत में लल्लू के लन्ड ने तीन बार बारिश करी। माया देवी की बंजर पड़ी जमीन पर कल रात पहली बार तृप्ति के हल से सिंचाई हुई। दोनो एक दूसरे की बाहों में लिपट कर सारे ज़माने से बेखबर एक दूसरे को अपने जिस्म की तपिश दे रहे थे।


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माया देवी किसी बेल के भाती लल्लू के जिस्म से लिपटी हुई थी। बाहर बदलो की गड़गड़ाहट से माया देवी की नींद टूटी। माया देवी ने जैसे ही उठने की कोशिश करी उनके जिस्म में एक मीठा सा दर्द दौड़ गया। माया देवी ने खुद को संभाला और धीरे से खुद को लल्लू के जिस्म से दूर किया। लल्लू शायद गहरी नींद में था। माया देवी जैसे ही उसके जिस्म से अलग हुई वो नींद में कुनमुनाया और सीधे होके सो गया। माया देवी की नजर लल्लू के जिस्म पे अटक गई। कितना मासूम सा चेहरा, पहलवान से कंधे, भुजाओं में दस हाथी के बराबर बल और एक मर्द की छाती जो उसके पोरुषार्थ की गवाही दे रही थी। माया देवी ऊपर से नीचे की तरफ जाने लगी लल्लू को निहारते हुए। वो ज्यादा नीचे जा नही पाई क्युकी लल्लू का विकराल लन्ड एक बार फिर अपना सिर उठाए खड़ा था।

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माया देवी की निगाह जैसे ही उस लन्ड पर पढ़ी वो अचंभे में पड़ गई की जिस लन्ड ने उसकी रात भर ठुकाई करी हू और वो फिर एक बार खड़ा है। उनका मन तो नहीं था लल्लू को छोड़ने का पर डर भी था की कही नौकर और उनका ड्राइवर उनको इस हालत में न देख ले। वो बिचारी इस तथ्य से अंजान थी की रात को ही पिशाच ने उन दोनो को वश में कर बेहोश कर रखा था और जब पिशाच चाहेगा तभी वो उठेंगे।

माया देवी पलंग से नीचे उतरी और एक बार मन किया वो अपना जिस्म ढक ले पर अब उनके और लल्लू के बीच कोई पर्दा बचा न था इसलिए वो ऐसे ही उतरकर बाथरूम की तरफ जाने लगी। उनकी गांड़ की थिरकन कल रात की चुदाई के बाद कुछ ज्यादा ही जानलेवा हो गई थी। माया देवी अपनी गांड़ मटकाते हुए बाथरूम की तरफ जाने लगी, पर वो अनजान थी की उनकी चाल पर किसी की नजर थी।


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माया देवी ने पहले खुद को रोज की क्रियाओं से मुक्त किया और शावर चलाके वो उसके नीचे खड़ी हो गई।

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सर्द मौसम और ठंडा पानी मिल के माया देवी के जिस्म का ताप और बड़ाने लगे। जैसे ही वो आंखे बंद करती उनके जेहन में कल रात की चुदाई के दृश्य घूमने लगते। लल्लू के दमदार धक्के जिन्होने माया देवी की चूत को वाकई चीर दिया। कभी लल्लू उनके ऊपर कभी वो लल्लू के ऊपर। लल्लू का चुदाई के दौरान उनको गाली देना, लल्लू के लिए कुतिया तक बन जाना। उनके जेहन में ऐसे कई कल रात के दृश्य घूम रहे थे। वो एक बार फिर चुदासी महसूस करने लगी, उनको पता भी नही लगा कब उनका हाथ उनकी चूत को रगड़ने लगा। वो अनाप शनाप बड़बड़ाने लगी।


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माया देवी: आह उफ्फ ओह लल्लू ह देख तेरी रॉड फिर तैयार है चुदाने को आह । हरामी चोदने की बजाए सो रहा है मादरचोद। आह ओ

लल्लू बाथरूम के दरवाजे की ओट से ये सब देख कर बड़ा खुश हो रहा था और उसका खड़ा लन्ड लार टपका रहा था। माया देवी किसी जल बिन मछली की तरह फड़फड़ाने लगी। उनका हाथ अब तेजी से उनकी चूत के भग्नासे को रगड़ रहा था। तभी माया देवी को कुछ गरम सा एहसास हुआ अपनी चूत पर। वो मुड़के देखती तब तक एक ताकत उन्हे झुकाती गई और वो झुकती चली गई। झुकने से उनकी चूत एक दम से पीछे से उभर कर सामने आ गई और उस गरम चीज को अपना घर दिख गया। माया देवी कुछ समझ पाती तब तक वो गरम चीज माया देवी की चूत में जड़ तक प्रविष्ट कर चुकी थी। धक्का इतना तेज था की माया देवी अगर दीवार का सहारा न लेती तो पक्का गिर गई होती। दर्द से भरी माया देवी की चीख पूरे बंगले में गूंज गई। माया देवी जब संभली तो उन्होंने गर्दन मोड के पीछे देखा तो लल्लू को मुस्कुराता पाया। माया देवी को बहुत दर्द हो रहा था और उन्हें गुस्सा भी बहुत आ रहा था पर वो मन में सोचने लगी की इसी मर्दानगी को तो वो तरस रही थी और अपनी आंखे बंद कर ली।


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लल्लू: क्या हुआ माया।

लल्लू के मुंह से अपना नाम सुनके माया देवी किसी और दुनिया में पहुंच गई। उन्हे लल्लू के मुंह से अपना नाम बहुत ही प्यारा लग रहा था। पर वो इतनी मंत्रमुग्ध थी कुछ नही बोल पा रही थी।

लल्लू: बोलो ना माया क्या हुआ, दर्द हो रहा है।

माया देवी जैसे इस दुनिया में वापस आई हो, और उन्हें अब एक बार फिर अपने दर्द का एहसास होने लगा।

माया देवी: दर्द नही होगा, एक ही बार में पूरा खूटा गाड़ दिया। उई मां ओह

लल्लू: क्या करू मेरी जान माया तेरी चूत है ही इतनी प्यारी और कसी हुई की मैं खुद को रोक नहीं पाया।


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लल्लू ने आगे हाथ बड़ा कर माया देवी के दोनो रस से भरे हुए आमो को थाम लिया और उनका रस निचोड़ने लगा। मस्ती से माया देवी की आंखे बंद होने लगी। एक बार फिर माया देवी पर वासना हावी होने लगी। दर्द बदल कर अब उन्माद बन चुका था और माया देवी की गांड़ एक बार फिर थिरकने लगी।


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माया देवी: आह लल्लू

लल्लू ने भी अब माया देवी की गांड़ को थाम लिया और धीरे धीरे अपने अजगर को माया देवी के बिल से बाहर निकाला जब वो पूरा निकलने वाला था तो लल्लू ने एक और करारा धक्का मारा और फिर अपने अजगर को माया देवी के बिल में जड़ तक घुसा दिया।

माया देवी : आह उफ्फ लल्लू

पर अब लल्लू नही रुका और उसका इंजन अब धीरे धीरे रफ्तार पकड़ने लगा और माया देवी की चूत खुशी से आंसू बहाने लगी, जैसे ही लल्लू को थोड़ी सी चिकनाहट मिली उसकी रफ्तार दुगनी हो गई। माया देवी के दोनो रस से भरे हुए आम जिनका रस लल्लू शुरू से निचोड़ रहा था वो भी लल्लू के धक्कों की रफ्तार से उछलने लगे। कब माया देवी का दर्द हवा हुआ उन्हे खुद भी पता नहीं पड़ा।


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माया देवी: आह ओह आह ह ओ ऐसे ही आ ओह

लल्लू: मजा आ रहा है न मेरी रण्डी। क्या मस्त चूत है तेरी।

माया देवी: हां चोद ऐसे ही आह, तेरी रण्डी हूं मैं ओह मां, चोद हरामी।

लल्लू: क्या चूत है तेरी रण्डी, जी करता है तेरी चूत में लन्ड डाले ही पड़ा रहूं।

माया देवी: आह मैं भी कहा अब इस लन्ड के बिना रह सकती हूं। मुझे भी अब रोज ही तेरा लोड़ा चाहिए अपनी चूत में। उह आह ह

लल्लू के धक्कों की रफ्तार रुकने का नाम ही नही ले रही थी और माया देवी की चूत भी झुकने को तैयार नहीं थी, वो भी हर धक्के का सामना पूरी शिद्दत से कर रही थी। पूरे बाथरूम में बस ठप ठप और माया देवी की आहे। लल्लू ने वो कर दिया जो माया देवी को उपेक्षित नही था। लल्लू ने आगे बड़ कर शावर चला दिया। माया देवी के गोरे चिकने जिस्म पर पानी की बूंदे किसी मोती की तरह दमकने लगी। पानी ने वासना का ज्वर और बड़ा दिया। माया देवी की चूचियां लल्लू के हाथ के मर्दन से लाल पड़ चुकी थी और उनकी पीठ पे जगह जगह लल्लू के काटने के निशान थे।

माया देवी: उह ह ऑ ओ जब गांव जायेंगे तब कैसे चोदेगा अपनी इस रॉड को।

लल्लू: तुझे भी रोज चोदूंगा और घर और गांव की हर औरत को।

लल्लू ने माया देवी के बालो के मुट्ठी में कसा और किसी घोड़े की तरह सवारी करने लगा। उसने माया देवी की लगाम को हर तरह से अपने बस में कर लिया था।

माया देवी: तो क्या अपनी मां और बहनों को भी चोदेगा।

लल्लू: अपनी मां और बहनों को भी और अपनी चाची को भी और यहां तक तेरी दोनो बेटियों को भी। सब को घर पर नंगा रखूंगा और तुझे और माई की तो मैं तुम्हारी बेटियो के साथ चोदूंगा।

इतना सुनना था की माया देवी की चूत ने पानी छोड़ दिया और लल्लू ने अपना विकराल लन्ड बाहर खींच लिया। माया देवी की चूत से पानी का झरना बहने लगा।

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माया देवी की सांस धौकनी के भांति चलने लगी। माया देवी अभी संभल भी नही पाई थी की लल्लू ने उन्हे अपने उपर खींच लिया। लल्लू का लन्ड एक बार फिर माया देवी की चूत पर दस्तक देने लगा। लल्लू ने अपना लन्ड सीधा किया और अपनी बलिष्ट भुजाओं से माया देवी की कमर को पकड़ के नीचे दबाने लगा। देखते ही देखते विशाल अजगर एक बार फिर माया देवी की चूत में समा चुका था।


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माया देवी: आह लल्लू, सांस तो लेने दे।

पर लल्लू पे तो वासना सवार थी और वो खुद ही नीचे से झटके लगाने लगा। माया देवी हर झटके के साथ उछल रही थी। कुछ ही पल में एक बार फिर माया देवी लल्लू की ताल से ताल मिलाने लगी। माया देवी की कमर चलने लगी वो खुद लल्लू के लन्ड पर उठक बैठक करने लगी। लल्लू एक हाथ से उनके विशाल गुंबज नुमा गांड़ को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उनकी रस भरे आमो का मर्दन कर रहा था।


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माया देवी: उफ्फ आह ओ आई कितना अंदर तक जाता है तेरा लोड़ा। पूरा जिस्म तेरा लोड़ा लेने के बाद भरा भरा सा लगता है।

लल्लू: तेरी चूत भी तो कितनी कसी हुई है मेरी रानी। मन ही नही भरता तेरी चूत मारने से।

माया देवी: तो मरता रह न मेरे राजा, मैं तो हर समय टांगे खोल खड़ी हूं तेरे लोड़े के लिए। पर गांव जायेंगे तब क्या होगा।

लल्लू: बस तू मेरा साथ देती जा फिर देख घर में तुझे सब के सामने चोदूंगा।

माया देवी: आह ओह मैं तो हमेशा तेरे साथ हूं मेरे राजा बता क्या करना है।

माया देवी की उछलने की रफ्तार हर क्षण बड़ती जा रही थी और वो वासना में डूबती जा रही थी और यही उस पिशाच का प्लान था। उसने इशारे से माया देवी को अपने पास बुलाया और जैसे ही माया देवी झुकी और आगे को हुई , लल्लू ने माया देवी के रस से भरे हुए होंठो को कैद कर लिया। माया देवी ने अभी आत्म समर्पण कर दिया और वो भी लल्लू का पूर्ण सहयोग करने लगी। होठों से होंठो का मिलन और नीचे लन्ड से चूत का मिलन जो मिलते और फिर जुदा हो जाते मतलब धक्के अभी भी चालू थे और सिर्फ ठप ठप की आवाज ही सुनाई दे रही थी। जब सांस लेने में थोड़ी दिक्कत हुई तब जाके लल्लू ने माया देवी को छोड़ दिया और उनकी आंखों में देखने लगा। माया देवी एक दम सम्मोहित सी लग रही थी। लल्लू ने माया देवी के कानो में कुछ कहा और माया देवी की आंखे पहले तो बड़ी हुई और फिर बंद होती चली गई।

माया देवी ने कुछ क्षणों बाद अपनी आंखे खोली और वो लल्लू को निहारने लगी और अब उनकी आंखों में चमक भी ज्यादा थी और लल्लू के लिए आदर भी बहुत था। माया देवी लल्लू के लुंड पे उछली जा रही थी, उन्हे ये भी नही याद था कितनी देर से।

लल्लू को भी अब नियंत्रण करने में थोड़ी कठिनाई हो रही थी। उसने तुरंत ही माया देवी को किसी फूल के भांति उठा लिया और दाना दान चोदने लगा।


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माया देवी हर धक्के के साथ एक नया सुख अनुभव कर रही थी। ये वो सुख था जो इक औरत को बड़ी ही मुश्किल से नसीब होता है। हर धक्के का अंत माया देवी माया देवी को मदहोशी बड़ाने पर होता था।

वो समय भी आया जब माया देवी की चूत में लल्लू के लन्ड ने अमृत वर्षा करी। इस अमृत वर्षा को ग्रहण करने के लिए माया देवी ने भी अपने जल सृत्र खोल दिए। दोनो के जलो का समागम होने लगा और माया देवी एक दम पस्त होकर लल्लू के कंधो पर लुढ़क गई। लल्लू की हर पिचकारी को माया देवी अपने जिस्म के अंदर महसूस करती। लल्लू भी ऐसे ही माया देवी को कंधे पे उठाए शावर के बिलकुल नीचे ले गया और गरम पानी का स्पर्श होते ही माया देवी लल्लू से किसी बेल के भांति चिपक गई।

लल्लू को अब वो करना था जो उसके लिए बेहद जरूरी था। उसने माया देवी को नीचे उतारा और बिलकुल जमीन पर बैठा दिया। माया देवी की आंखो के ठीक सामने लल्लू का लन्ड था जो अभी भी चूत मारने को तैयार था। लल्लू ने माया देवी को मुंह खोलने का इशारा किया और वो किसी सम्मोहित गुड़िया की भांति मुंह खोलने लगी। लल्लू ने मुंह खोलते ही अपना लन्ड माया देवी के मुंह में ठूंस दिया। इससे पहले माया देवी कुछ समझ पाती मूत्र की धार उनके गले को तर करने लगी।

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माया देवी ने बिना कुछ सोचे समझे उस मूत्र को अपने स्वामी का प्रसाद समझ अपने गले के नीचे उतार लिया। माया देवी अपना प्रसाद ग्रहण करने में व्यस्त थी और उधर पिशाच अपनी जीत की खुशी मना रहा था। उसकी आंखो की चमक बहुत डरावनी थी।

दोपहर के समय माया देवी डाइनिंग टेबल पर लेटी हुई थी और लल्लू उनके दोनो पैर अपने कंधे पर रखे दनादन उनकी चूत पेले जा रहा था।

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तभी माया देवी का मोबाइल बज उठा। एक बार पूरी घंटी बजी पर वासना के आगे क्या कोई मोबाइल उठता है क्या लेकिन तभी दोबारा फोन की घंटी बजी।

लल्लू: उठा ले रण्डी। देख तो सही किस की मां चुद रही है।

माया देवी: मालिक अभी नहीं। अभी तो बस पेलते रहो। आह ओह

लल्लू: अच्छा देख तो सही किस का है।

माया देवी ने बेमन से फोन उठाया और देखा की सरला का फोन है।

माया देवी: आह सरला का फोन है।

लल्लू: उठा ना देख तो सही क्या कह रही है रण्डी।

माया देवी ने हरा निशान स्वाइप किया।

माया देवी : हां सरला। बोलो बेटी

सरला: ताई मां आज मेरी कोचिंग क्लास कैंसल हो गई थी, तो सोचा अगर आप वार्डन मैडम को फोन करदे और गाड़ी भेज दे तो मैं आज आपके साथ रुक जाऊंगी।

माया देवी का कलेजा मुंह को आ गया पर उसने लल्लू की तरफ देखा और स्पीकर पर हाथ रख कर बोला।

माया देवी: सरला यहां आना चाहती है, उसकी कोचिंग की आज छुट्टी हो गई।

लल्लू: माना कर दे। कुछ भी बोल पर वो यहां नही आनी चाहिए।

और एक तेज धक्का माया देवी की चूत में मार दिया। माया देवी की चिहुंक निकल गई जो सरला ने भी सुन ली।

सरला: क्या हुआ ताई मां।

माया देवी: कुछ नही बेटी, वो कल से इतनी बारिश हो रही है तो मेरा पैर फिसल गया था, वो तो लल्लू ने संभाल लिया।

सरला: आप घर पे नही हो क्या ताई मां।

माया देवी: नही बेटी, खेतो की जुताई के लिए नया औजार देखने आई हूं। रात तक वापस आ जायेंगे, तू जा घर भीमा होगा घर पर।

सरला: नही ताई मां आपके साथ वक्त बिताना था भीमा के साथ थोड़ी ना। चलो ठीक है अगले हफ्ते अब गांव ही आउंगी।

सरला का मूड ऑफ हो गया और उसने फोन काट दिया।

माया देवी ने लल्लू की ओर देखा जो इस समय सिगरेट के काश लगा रहा था और माया देवी की चूत भी पेल रहा था। पूरे फोन के दौरान लल्लू ने एक भी क्षण के लिए चोदना नही रुका। माया देवी के चेहरे पर एक शर्मीली मुस्कान थी।

माया देवी: क्यू माना किया बच्ची को तूने।

लल्लू: ताकि रात भर अपनी रण्डी की चूत बजा सकू।

और इक तेज तर्रार झटका पेल दिया लल्लू ने।

माया देवी: आह आउच सुबह से पेल रहा है अभी भी तेरा मन नहीं भरा।


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लल्लू: तेरा भर गया मेरी जान।

माया देवी ने शर्मा कर अपनी गर्दन झुका ली और लल्लू की तरफ नजर उठा कर न में गर्दन हिला दी।

इक बार फिर चूत चुदाई का दौर शुरू हो गया जो की लल्लू के अमृत रस संखलन से समाप्त हुआ।

रात अपने पूरे शबाब पर थी। सपना का पति नशे में धुत घर पहुंचा और न जाने उसे क्या हुआ आज वो जीवन में पहली बार सपना के बूबे दबाने लगा। सपना नींद से जागी और बगल में अपने पति को और उसकी हरकत देख बहुत तेज गुस्सा आया। सपने ने अपने पति का हाथ झटक दिया और उठ के बैठ गई। सपना का क्रोध सातवे आसमान पर था। उसने एक तेज लात अपने पति के टांगों के जोड़ पर मारी। वो बेचारा बिलबिलाता हुआ बिस्तर से नीचे गिर गया और तड़पने लगा। प्रहार इतना तेज था की सपना का पति बिलख बिलख कर रोने लगा क्योंकि बहुत दर्द हो रहा था उसे।

सपना: भड़वे साले रण्डी की औलाद बहनचोद हाथ लगाता है मुझे। मुझे हाथ लगाने का हक सिर्फ एक ही इंसान को है। मेरे मालिक को मेरे होने वाले बच्चो के बाप को समझा और जनता है वो कौन है। मेरे मालिक हम सब के मालिक "लल्लू"।
 

Ajju Landwalia

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भाग १०




पूरा शहर रात भर बारिश से भीगता रहा और यहां बंगले पर माया देवी की चूत में लल्लू के लन्ड ने तीन बार बारिश करी। माया देवी की बंजर पड़ी जमीन पर कल रात पहली बार तृप्ति के हल से सिंचाई हुई। दोनो एक दूसरे की बाहों में लिपट कर सारे ज़माने से बेखबर एक दूसरे को अपने जिस्म की तपिश दे रहे थे।


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माया देवी किसी बेल के भाती लल्लू के जिस्म से लिपटी हुई थी। बाहर बदलो की गड़गड़ाहट से माया देवी की नींद टूटी। माया देवी ने जैसे ही उठने की कोशिश करी उनके जिस्म में एक मीठा सा दर्द दौड़ गया। माया देवी ने खुद को संभाला और धीरे से खुद को लल्लू के जिस्म से दूर किया। लल्लू शायद गहरी नींद में था। माया देवी जैसे ही उसके जिस्म से अलग हुई वो नींद में कुनमुनाया और सीधे होके सो गया। माया देवी की नजर लल्लू के जिस्म पे अटक गई। कितना मासूम सा चेहरा, पहलवान से कंधे, भुजाओं में दस हाथी के बराबर बल और एक मर्द की छाती जो उसके पोरुषार्थ की गवाही दे रही थी। माया देवी ऊपर से नीचे की तरफ जाने लगी लल्लू को निहारते हुए। वो ज्यादा नीचे जा नही पाई क्युकी लल्लू का विकराल लन्ड एक बार फिर अपना सिर उठाए खड़ा था।

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माया देवी की निगाह जैसे ही उस लन्ड पर पढ़ी वो अचंभे में पड़ गई की जिस लन्ड ने उसकी रात भर ठुकाई करी हू और वो फिर एक बार खड़ा है। उनका मन तो नहीं था लल्लू को छोड़ने का पर डर भी था की कही नौकर और उनका ड्राइवर उनको इस हालत में न देख ले। वो बिचारी इस तथ्य से अंजान थी की रात को ही पिशाच ने उन दोनो को वश में कर बेहोश कर रखा था और जब पिशाच चाहेगा तभी वो उठेंगे।

माया देवी पलंग से नीचे उतरी और एक बार मन किया वो अपना जिस्म ढक ले पर अब उनके और लल्लू के बीच कोई पर्दा बचा न था इसलिए वो ऐसे ही उतरकर बाथरूम की तरफ जाने लगी। उनकी गांड़ की थिरकन कल रात की चुदाई के बाद कुछ ज्यादा ही जानलेवा हो गई थी। माया देवी अपनी गांड़ मटकाते हुए बाथरूम की तरफ जाने लगी, पर वो अनजान थी की उनकी चाल पर किसी की नजर थी।


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माया देवी ने पहले खुद को रोज की क्रियाओं से मुक्त किया और शावर चलाके वो उसके नीचे खड़ी हो गई।

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सर्द मौसम और ठंडा पानी मिल के माया देवी के जिस्म का ताप और बड़ाने लगे। जैसे ही वो आंखे बंद करती उनके जेहन में कल रात की चुदाई के दृश्य घूमने लगते। लल्लू के दमदार धक्के जिन्होने माया देवी की चूत को वाकई चीर दिया। कभी लल्लू उनके ऊपर कभी वो लल्लू के ऊपर। लल्लू का चुदाई के दौरान उनको गाली देना, लल्लू के लिए कुतिया तक बन जाना। उनके जेहन में ऐसे कई कल रात के दृश्य घूम रहे थे। वो एक बार फिर चुदासी महसूस करने लगी, उनको पता भी नही लगा कब उनका हाथ उनकी चूत को रगड़ने लगा। वो अनाप शनाप बड़बड़ाने लगी।


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माया देवी: आह उफ्फ ओह लल्लू ह देख तेरी रॉड फिर तैयार है चुदाने को आह । हरामी चोदने की बजाए सो रहा है मादरचोद। आह ओ

लल्लू बाथरूम के दरवाजे की ओट से ये सब देख कर बड़ा खुश हो रहा था और उसका खड़ा लन्ड लार टपका रहा था। माया देवी किसी जल बिन मछली की तरह फड़फड़ाने लगी। उनका हाथ अब तेजी से उनकी चूत के भग्नासे को रगड़ रहा था। तभी माया देवी को कुछ गरम सा एहसास हुआ अपनी चूत पर। वो मुड़के देखती तब तक एक ताकत उन्हे झुकाती गई और वो झुकती चली गई। झुकने से उनकी चूत एक दम से पीछे से उभर कर सामने आ गई और उस गरम चीज को अपना घर दिख गया। माया देवी कुछ समझ पाती तब तक वो गरम चीज माया देवी की चूत में जड़ तक प्रविष्ट कर चुकी थी। धक्का इतना तेज था की माया देवी अगर दीवार का सहारा न लेती तो पक्का गिर गई होती। दर्द से भरी माया देवी की चीख पूरे बंगले में गूंज गई। माया देवी जब संभली तो उन्होंने गर्दन मोड के पीछे देखा तो लल्लू को मुस्कुराता पाया। माया देवी को बहुत दर्द हो रहा था और उन्हें गुस्सा भी बहुत आ रहा था पर वो मन में सोचने लगी की इसी मर्दानगी को तो वो तरस रही थी और अपनी आंखे बंद कर ली।


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लल्लू: क्या हुआ माया।

लल्लू के मुंह से अपना नाम सुनके माया देवी किसी और दुनिया में पहुंच गई। उन्हे लल्लू के मुंह से अपना नाम बहुत ही प्यारा लग रहा था। पर वो इतनी मंत्रमुग्ध थी कुछ नही बोल पा रही थी।

लल्लू: बोलो ना माया क्या हुआ, दर्द हो रहा है।

माया देवी जैसे इस दुनिया में वापस आई हो, और उन्हें अब एक बार फिर अपने दर्द का एहसास होने लगा।

माया देवी: दर्द नही होगा, एक ही बार में पूरा खूटा गाड़ दिया। उई मां ओह

लल्लू: क्या करू मेरी जान माया तेरी चूत है ही इतनी प्यारी और कसी हुई की मैं खुद को रोक नहीं पाया।


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लल्लू ने आगे हाथ बड़ा कर माया देवी के दोनो रस से भरे हुए आमो को थाम लिया और उनका रस निचोड़ने लगा। मस्ती से माया देवी की आंखे बंद होने लगी। एक बार फिर माया देवी पर वासना हावी होने लगी। दर्द बदल कर अब उन्माद बन चुका था और माया देवी की गांड़ एक बार फिर थिरकने लगी।


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माया देवी: आह लल्लू

लल्लू ने भी अब माया देवी की गांड़ को थाम लिया और धीरे धीरे अपने अजगर को माया देवी के बिल से बाहर निकाला जब वो पूरा निकलने वाला था तो लल्लू ने एक और करारा धक्का मारा और फिर अपने अजगर को माया देवी के बिल में जड़ तक घुसा दिया।

माया देवी : आह उफ्फ लल्लू

पर अब लल्लू नही रुका और उसका इंजन अब धीरे धीरे रफ्तार पकड़ने लगा और माया देवी की चूत खुशी से आंसू बहाने लगी, जैसे ही लल्लू को थोड़ी सी चिकनाहट मिली उसकी रफ्तार दुगनी हो गई। माया देवी के दोनो रस से भरे हुए आम जिनका रस लल्लू शुरू से निचोड़ रहा था वो भी लल्लू के धक्कों की रफ्तार से उछलने लगे। कब माया देवी का दर्द हवा हुआ उन्हे खुद भी पता नहीं पड़ा।


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माया देवी: आह ओह आह ह ओ ऐसे ही आ ओह

लल्लू: मजा आ रहा है न मेरी रण्डी। क्या मस्त चूत है तेरी।

माया देवी: हां चोद ऐसे ही आह, तेरी रण्डी हूं मैं ओह मां, चोद हरामी।

लल्लू: क्या चूत है तेरी रण्डी, जी करता है तेरी चूत में लन्ड डाले ही पड़ा रहूं।

माया देवी: आह मैं भी कहा अब इस लन्ड के बिना रह सकती हूं। मुझे भी अब रोज ही तेरा लोड़ा चाहिए अपनी चूत में। उह आह ह

लल्लू के धक्कों की रफ्तार रुकने का नाम ही नही ले रही थी और माया देवी की चूत भी झुकने को तैयार नहीं थी, वो भी हर धक्के का सामना पूरी शिद्दत से कर रही थी। पूरे बाथरूम में बस ठप ठप और माया देवी की आहे। लल्लू ने वो कर दिया जो माया देवी को उपेक्षित नही था। लल्लू ने आगे बड़ कर शावर चला दिया। माया देवी के गोरे चिकने जिस्म पर पानी की बूंदे किसी मोती की तरह दमकने लगी। पानी ने वासना का ज्वर और बड़ा दिया। माया देवी की चूचियां लल्लू के हाथ के मर्दन से लाल पड़ चुकी थी और उनकी पीठ पे जगह जगह लल्लू के काटने के निशान थे।

माया देवी: उह ह ऑ ओ जब गांव जायेंगे तब कैसे चोदेगा अपनी इस रॉड को।

लल्लू: तुझे भी रोज चोदूंगा और घर और गांव की हर औरत को।

लल्लू ने माया देवी के बालो के मुट्ठी में कसा और किसी घोड़े की तरह सवारी करने लगा। उसने माया देवी की लगाम को हर तरह से अपने बस में कर लिया था।

माया देवी: तो क्या अपनी मां और बहनों को भी चोदेगा।

लल्लू: अपनी मां और बहनों को भी और अपनी चाची को भी और यहां तक तेरी दोनो बेटियों को भी। सब को घर पर नंगा रखूंगा और तुझे और माई की तो मैं तुम्हारी बेटियो के साथ चोदूंगा।

इतना सुनना था की माया देवी की चूत ने पानी छोड़ दिया और लल्लू ने अपना विकराल लन्ड बाहर खींच लिया। माया देवी की चूत से पानी का झरना बहने लगा।


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माया देवी की सांस धौकनी के भांति चलने लगी। माया देवी अभी संभल भी नही पाई थी की लल्लू ने उन्हे अपने उपर खींच लिया। लल्लू का लन्ड एक बार फिर माया देवी की चूत पर दस्तक देने लगा। लल्लू ने अपना लन्ड सीधा किया और अपनी बलिष्ट भुजाओं से माया देवी की कमर को पकड़ के नीचे दबाने लगा। देखते ही देखते विशाल अजगर एक बार फिर माया देवी की चूत में समा चुका था।


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माया देवी: आह लल्लू, सांस तो लेने दे।

पर लल्लू पे तो वासना सवार थी और वो खुद ही नीचे से झटके लगाने लगा। माया देवी हर झटके के साथ उछल रही थी। कुछ ही पल में एक बार फिर माया देवी लल्लू की ताल से ताल मिलाने लगी। माया देवी की कमर चलने लगी वो खुद लल्लू के लन्ड पर उठक बैठक करने लगी। लल्लू एक हाथ से उनके विशाल गुंबज नुमा गांड़ को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उनकी रस भरे आमो का मर्दन कर रहा था।


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माया देवी: उफ्फ आह ओ आई कितना अंदर तक जाता है तेरा लोड़ा। पूरा जिस्म तेरा लोड़ा लेने के बाद भरा भरा सा लगता है।

लल्लू: तेरी चूत भी तो कितनी कसी हुई है मेरी रानी। मन ही नही भरता तेरी चूत मारने से।

माया देवी: तो मरता रह न मेरे राजा, मैं तो हर समय टांगे खोल खड़ी हूं तेरे लोड़े के लिए। पर गांव जायेंगे तब क्या होगा।

लल्लू: बस तू मेरा साथ देती जा फिर देख घर में तुझे सब के सामने चोदूंगा।

माया देवी: आह ओह मैं तो हमेशा तेरे साथ हूं मेरे राजा बता क्या करना है।

माया देवी की उछलने की रफ्तार हर क्षण बड़ती जा रही थी और वो वासना में डूबती जा रही थी और यही उस पिशाच का प्लान था। उसने इशारे से माया देवी को अपने पास बुलाया और जैसे ही माया देवी झुकी और आगे को हुई , लल्लू ने माया देवी के रस से भरे हुए होंठो को कैद कर लिया। माया देवी ने अभी आत्म समर्पण कर दिया और वो भी लल्लू का पूर्ण सहयोग करने लगी। होठों से होंठो का मिलन और नीचे लन्ड से चूत का मिलन जो मिलते और फिर जुदा हो जाते मतलब धक्के अभी भी चालू थे और सिर्फ ठप ठप की आवाज ही सुनाई दे रही थी। जब सांस लेने में थोड़ी दिक्कत हुई तब जाके लल्लू ने माया देवी को छोड़ दिया और उनकी आंखों में देखने लगा। माया देवी एक दम सम्मोहित सी लग रही थी। लल्लू ने माया देवी के कानो में कुछ कहा और माया देवी की आंखे पहले तो बड़ी हुई और फिर बंद होती चली गई।

माया देवी ने कुछ क्षणों बाद अपनी आंखे खोली और वो लल्लू को निहारने लगी और अब उनकी आंखों में चमक भी ज्यादा थी और लल्लू के लिए आदर भी बहुत था। माया देवी लल्लू के लुंड पे उछली जा रही थी, उन्हे ये भी नही याद था कितनी देर से।

लल्लू को भी अब नियंत्रण करने में थोड़ी कठिनाई हो रही थी। उसने तुरंत ही माया देवी को किसी फूल के भांति उठा लिया और दाना दान चोदने लगा।



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माया देवी हर धक्के के साथ एक नया सुख अनुभव कर रही थी। ये वो सुख था जो इक औरत को बड़ी ही मुश्किल से नसीब होता है। हर धक्के का अंत माया देवी माया देवी को मदहोशी बड़ाने पर होता था।

वो समय भी आया जब माया देवी की चूत में लल्लू के लन्ड ने अमृत वर्षा करी। इस अमृत वर्षा को ग्रहण करने के लिए माया देवी ने भी अपने जल सृत्र खोल दिए। दोनो के जलो का समागम होने लगा और माया देवी एक दम पस्त होकर लल्लू के कंधो पर लुढ़क गई। लल्लू की हर पिचकारी को माया देवी अपने जिस्म के अंदर महसूस करती। लल्लू भी ऐसे ही माया देवी को कंधे पे उठाए शावर के बिलकुल नीचे ले गया और गरम पानी का स्पर्श होते ही माया देवी लल्लू से किसी बेल के भांति चिपक गई।

लल्लू को अब वो करना था जो उसके लिए बेहद जरूरी था। उसने माया देवी को नीचे उतारा और बिलकुल जमीन पर बैठा दिया। माया देवी की आंखो के ठीक सामने लल्लू का लन्ड था जो अभी भी चूत मारने को तैयार था। लल्लू ने माया देवी को मुंह खोलने का इशारा किया और वो किसी सम्मोहित गुड़िया की भांति मुंह खोलने लगी। लल्लू ने मुंह खोलते ही अपना लन्ड माया देवी के मुंह में ठूंस दिया। इससे पहले माया देवी कुछ समझ पाती मूत्र की धार उनके गले को तर करने लगी।


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माया देवी ने बिना कुछ सोचे समझे उस मूत्र को अपने स्वामी का प्रसाद समझ अपने गले के नीचे उतार लिया। माया देवी अपना प्रसाद ग्रहण करने में व्यस्त थी और उधर पिशाच अपनी जीत की खुशी मना रहा था। उसकी आंखो की चमक बहुत डरावनी थी।

दोपहर के समय माया देवी डाइनिंग टेबल पर लेटी हुई थी और लल्लू उनके दोनो पैर अपने कंधे पर रखे दनादन उनकी चूत पेले जा रहा था।


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तभी माया देवी का मोबाइल बज उठा। एक बार पूरी घंटी बजी पर वासना के आगे क्या कोई मोबाइल उठता है क्या लेकिन तभी दोबारा फोन की घंटी बजी।

लल्लू: उठा ले रण्डी। देख तो सही किस की मां चुद रही है।

माया देवी: मालिक अभी नहीं। अभी तो बस पेलते रहो। आह ओह

लल्लू: अच्छा देख तो सही किस का है।

माया देवी ने बेमन से फोन उठाया और देखा की सरला का फोन है।

माया देवी: आह सरला का फोन है।

लल्लू: उठा ना देख तो सही क्या कह रही है रण्डी।

माया देवी ने हरा निशान स्वाइप किया।

माया देवी : हां सरला। बोलो बेटी

सरला: ताई मां आज मेरी कोचिंग क्लास कैंसल हो गई थी, तो सोचा अगर आप वार्डन मैडम को फोन करदे और गाड़ी भेज दे तो मैं आज आपके साथ रुक जाऊंगी।

माया देवी का कलेजा मुंह को आ गया पर उसने लल्लू की तरफ देखा और स्पीकर पर हाथ रख कर बोला।

माया देवी: सरला यहां आना चाहती है, उसकी कोचिंग की आज छुट्टी हो गई।

लल्लू: माना कर दे। कुछ भी बोल पर वो यहां नही आनी चाहिए।

और एक तेज धक्का माया देवी की चूत में मार दिया। माया देवी की चिहुंक निकल गई जो सरला ने भी सुन ली।

सरला: क्या हुआ ताई मां।

माया देवी: कुछ नही बेटी, वो कल से इतनी बारिश हो रही है तो मेरा पैर फिसल गया था, वो तो लल्लू ने संभाल लिया।

सरला: आप घर पे नही हो क्या ताई मां।

माया देवी: नही बेटी, खेतो की जुताई के लिए नया औजार देखने आई हूं। रात तक वापस आ जायेंगे, तू जा घर भीमा होगा घर पर।

सरला: नही ताई मां आपके साथ वक्त बिताना था भीमा के साथ थोड़ी ना। चलो ठीक है अगले हफ्ते अब गांव ही आउंगी।

सरला का मूड ऑफ हो गया और उसने फोन काट दिया।

माया देवी ने लल्लू की ओर देखा जो इस समय सिगरेट के काश लगा रहा था और माया देवी की चूत भी पेल रहा था। पूरे फोन के दौरान लल्लू ने एक भी क्षण के लिए चोदना नही रुका। माया देवी के चेहरे पर एक शर्मीली मुस्कान थी।

माया देवी: क्यू माना किया बच्ची को तूने।

लल्लू: ताकि रात भर अपनी रण्डी की चूत बजा सकू।

और इक तेज तर्रार झटका पेल दिया लल्लू ने।

माया देवी: आह आउच सुबह से पेल रहा है अभी भी तेरा मन नहीं भरा।


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लल्लू: तेरा भर गया मेरी जान।

माया देवी ने शर्मा कर अपनी गर्दन झुका ली और लल्लू की तरफ नजर उठा कर न में गर्दन हिला दी।

इक बार फिर चूत चुदाई का दौर शुरू हो गया जो की लल्लू के अमृत रस संखलन से समाप्त हुआ।

रात अपने पूरे शबाब पर थी। सपना का पति नशे में धुत घर पहुंचा और न जाने उसे क्या हुआ आज वो जीवन में पहली बार सपना के बूबे दबाने लगा। सपना नींद से जागी और बगल में अपने पति को और उसकी हरकत देख बहुत तेज गुस्सा आया। सपने ने अपने पति का हाथ झटक दिया और उठ के बैठ गई। सपना का क्रोध सातवे आसमान पर था। उसने एक तेज लात अपने पति के टांगों के जोड़ पर मारी। वो बेचारा बिलबिलाता हुआ बिस्तर से नीचे गिर गया और तड़पने लगा। प्रहार इतना तेज था की सपना का पति बिलख बिलख कर रोने लगा क्योंकि बहुत दर्द हो रहा था उसे।


सपना: भड़वे साले रण्डी की औलाद बहनचोद हाथ लगाता है मुझे। मुझे हाथ लगाने का हक सिर्फ एक ही इंसान को है। मेरे मालिक को मेरे होने वाले बच्चो के बाप को समझा और जनता है वो कौन है। मेरे मालिक हम सब के मालिक "लल्लू"।

Welcome back mitzerotics Bhai,

Der aaye par durust aaye..................bahut hi gazab ki update he Bhai................ab updates regular rakhna

Keep posting Bro
 

mitzerotics

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Welcome back mitzerotics Bhai,

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शुक्रिया मित्र। कुछ दिन केवल लल्लू के ही भाग मिलेंगे। इस कहानी को निर्णायक मोड़ पर ले चलते हैं। फिर काला नाग को दुबारा शुरू करेंगे। हफ्ते में २ भाग प्रस्तुत करने की कोशिश करूंगा। बीमारी के चलते काम बहुत हर्ज हो गया था इसलिए पहले काम को प्राथमिकता दी। आप सब को निराश करने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। कोशिश रहेगी कि दुबारा इन दोनो कहानियों को वापस लोकप्रियता की बुलंदियों पर ले चले। आपके साथ की आवश्यकता रहेगी।


धन्यवाद!
 

PS10

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Mass

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Welcome Mitz bhai...good to know ki abhi aapka health abhi theek hai...
time mile to zara mere story par bhi nazar daaldo...kaafi updates aa gaye hai us story par bhi...aapke comments kaa intezaar rahega..thanks!!

mitzerotics
 
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