update 129
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अब आगे
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अंशिका पर ना जाने किस बात का खुमार चड़ा हुआ था की आज वो पहले से ज्यादा उत्तेजित लग रही थी, शायद आने वाले पलों की कल्पना करके उसके हाव-भाव अलग ही लग रहे थे.
मेरे होंठो में जैसे ही अंशिका के होंठ आये वो उन्हें कच्चे चिकन की तरह चबाने में लग गयी और उनका जूस निकाल कर पीने लगी, आज तक उसने इतनी तेजी से मेरे होंठो को नहीं चबाया था, कनिष्का ने मेरी कमर के ऊपर हाथ रखा और मेरे गालों के ऊपर जोरदार चुम्मा दे दिया, और फिर मुझे और अपनी बहन को आराम से देखते हुए वो अपनी लेफ्ट ब्रेस्ट को मसलती हुई बड़ी ही कामुक नजरों से हम दोनों को देखने लगी.
मैंने अंशिका के नंगे पेट वाले हिस्से पर हाथ रखे और उसकी नाभि वाले भाग पर अपनी उँगलियाँ रगड़ने लगा, और धीरे-२ अपनी उँगलियाँ नीचे की तरफ खिसकाने लगा, अपनी चूत की तरफ बड़ते हुए मेरे लम्बे हाथो के एहसास ने अंशिका की साँसों की गति और भी तेज कर डाली, और उसने एक गहरी सांस लेकर अपना पेट और भी अन्दर कर लिया, मेरी उँगलियों को रास्ता मिल गया गुफा में जाने का और मैंने अपना पंजा उसके पेट से सटा कर अन्दर की तरफ धकेल दिया..
और मेरे हाथों का दबाव इतना तेज था की वो सीधा उसकी चूत के ऊपर जाकर ठहर गया, और अब मेरे हाथों के नीचे थी उसकी गीली कच्छी...मैंने अपना पूरा पंजा जोर से उसकी भीनी खुशबु छोडती हुई चूत के ऊपर जमा दिया....और ऐसा करते हुए मुझे लगा की मैंने किसी संतरे को जोर से दबा कर निचोड़ दिया है, क्योंकि उसकी चूत से इतना रस निकल कर नीचे गिरने लगा मानो कोई गुब्बारा फटा हो वहां..
अंशिका : आआआअह्ह्ह्ह .........ओग्गग्ग्ग्ग.....
अपनी बहन को कामुकता की चादर में लिप्त देखकर कनिष्का तो पागल ही हो गयी...उसने अंशिका की साडी के पल्लू को पकड़ा और घूम घूमकर उसे उतारना शुरू कर दिया.
जैसे -२ साडी निकलती जा रही थी, उसकी साँसे तेज होती जा रही थी..मेरे हाथ लगाने भर से ही वो एक बार तो झड ही चुकी थी..आज और क्या होगा उसके साथ, ये शायद सोच-सोचकर वो आँखे बंद किये हुए मंद-मंद मुस्कुराने लगी थी.
और जब अंशिका की साडी पूरी तरह से उतर गयी तो मैंने पेटीकोट के नाड़े को अपने हाथो से पकड़ा और उसे जोर से खींच दिया, अन्दर का नजारा पर्दा गिरते ही हम दोनों के सामने आ गया, अंशिका की आँखे अभी तक बंद थी, वो शायद शर्मा रही थी, अपनी बहन के सामने..
कनिष्का और मैं उसके एरोटिक रूप को देखकर अपनी जीभ होंठो पर फिर रहे थे.
अंशिका का गोरा और भरा हुआ बदन अब सिर्फ ब्लाउस और पेंटी में हम दोनों के सामने था, नीचे उसने हाई हील की सेंडल पहनी हुई थी..
कनिष्का ने अपनी केप्री और टॉप को उतार कर एक कोने में उछाल दिया, और जैसे ही उसकी ब्रा में कैद मुम्मे मेरी नजरों के सामने आये , मैं अंशिका को भूल कर उसकी तरफ देखने लगा, मैंने अपने हाथ का दबाव उसकी चूत के ऊपर से हटा लिया. मेरा हाथ की पकड़ चूत के ऊपर से हटते ही उसने अपनी आँखे खोल दी और मुझे अपनी बहन की तरफ घूरते हुए देखा और जब उसने मेरी आँखों का पीछा करते हुए कनिष्का को देखा तो वो झुक कर अपनी पेंटी को अपनी जांघो से नीचे खिसका रही थी..मेरा हाथ अभी भी अंशिका की गीली कच्छी में था पर मेरा पूरा ध्यान कनिष्का की तरफ था..
कनिष्का ने जैसे ही अपनी पेंटी उतार कर बाहर की, मेरे और अंशिका के सामने उसकी गुलाबी रंग की, ताजा तरीन, बिना बालों वाली चूत आ गयी, लगता था की मेरे लिए ही तैयार होकर आई थी वो.
और फिर मेरी तरफ देखते हुए उसने अपने हाथ पीछे किये और अपनी ब्रा को भी अपने बदन से जुदा करते हुए मेरी तरफ उछाल दिया...और अब वो पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी...उसकी ब्रेस्ट का साईज अंशिका के मुकाबले काफी छोटा था, पर लाजवाब थी वो भी, एकदम सामने देख रहे थे उसके निप्पल, इतना कसाव था उसके मुम्मो में..चूत की शेप भी काफी लुभावनी थी, मानो कोई नंगी पहाड़ी, जिसपर जंगली घान्स्फूंस का नामो निशान भी नहीं है, सिर्फ चिकने और बड़े-२ पत्थर है.
मैंने आगे बढकर उसके गले में हाथ डाला और उसे अपनी तरफ खींच लिया, मैंने जैसे ही अपना दूसरा हाथ अंशिका की चूत से खींचना चाह, उसने उसे रोक लिया...मैंने एकदम से घूम कर उसकी तरफ देखा, पर उसकी नशीली आँखों में देखर मैं कुछ समझ न पाया, शायद वो मेरे हाथ की गर्मी और कुछ देर तक लेना चाहती थी, अभी थोड़ी देर पहले तो वो अपनी बहन को मेरे पास छोड़कर जाने की बात कर रही थी और अब मेरे हाथ को अपनी चूत से बाहर ही नहीं निकाल रही है, थोडा बहुत लालच तो हर इंसान के मन में आ ही जाता है ऐसे मौके पर, फिर चाहे दूसरी तरफ अपना कोई सगा क्यों न हो...
पर मुझे कोई प्रोब्लम नहीं थी, मैंने भी कोई जबरदस्ती नहीं की और अपना हाथ वहीँ रहने दिया और अपना दूसरा हाथ खिसका कर मैंने कनिष्का की चूत के ऊपर रख दिया...और मैंने अपने होंठ कनिष्का के होंठो पर रख दिए...
नंगी कनिष्का मेरे हाथो का स्पर्श पाते ही किसी बेल की भाँती मुझसे लिपट गयी..अब मेरे एक हाथ में अंशिका और दुसरे में कनिष्का की चूत थी और दोनों से इतना पानी निकल रहा था की मेरे दोनों हाथो में चिपचिपापन होने लगा था...
कनिष्का मेरे होंठो को चूसने में अपना पूरा जोर लगा रही थी..और दूसरी तरफ अंशिका ने भी मौका पाकर अपना ब्लाउस और ब्रा उतार डाले....और हाथ नीचे करके अपनी पेंटी भी...
वो अजंता की मूरत बन गयी और कनिष्का अलोरा की.
और दोनों नंगी बहनों को थामे हुए मेरा क्या हाल हो रहा होगा, आप दोस्त लोग तो समझ ही सकते हैं..
मैं खड़े हुए थक चूका था, मैं जाकर सोफे पर बैठ गया.