Update - 2
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लीना का धंधा चौपट होने का सबसे ज़्यादा फ़ायदा युसुफ को हुआ.., लीना की मौत की खबर सुनते ही उसने अड्डे में जितना माल था उसे वहाँ से सॉफ कर दिया यही नही लीना के बंगले को भी खोलकर जो हाथ लगा उसे सॉफ करके वो रातों रात उस शहर से ही चंपत हो गया…!
ख़ुफ़िया फोन कॉल से पोलीस को लीना के अड्डे की जानकारी मिली उस बिना पर उन्होने वहाँ दबिश दी लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ा…!
संजू को बचाने के लिए उन्होने खुलकर पोलीस की मदद नही की… लेकिन प्राची तो सब कुच्छ जानती ही थी कि संजू के अलावा और कॉन कॉन मेन थे उसके धन्धे में.
संजू उसके बारे में कुच्छ बताना नही चाहता था, आख़िरकार उसने युसुफ से एक तरफ़ा ही सही दोस्ती तो की ही थी जिसे वो निभा रहा था.., लेकिन प्राची के ज़ोर देने पर संजू ने युसुफ के घर का पता बताया लेकिन वो उन्हें वहाँ भी नही मिला यहाँ तक कि उसकी बड़ी बेहन और उसका शौहर भी गायब थे…!
युसुफ को पता चल चुका था कि संजू और निर्मला की वजह से ही ये सब हुआ है, इसलिए एक पल गँवाए बिना उसने सारा माल कहीं छुपा दिया और सब नकद नारायण लेकर अपने पूरे परिवार के साथ गायब हो गया जिसका उसके आस पड़ौस में भी किसी को पता नही था.
संजू बेचारा बा-मुश्किल 12थ पास कर पाया था, तो शहर में कोई अच्छी नौकरी मिल नही सकती थी.., शर्मा परिवार के स्टेटस के हिसाब से पेओन या कोई और 4थ क्लास की नौकरी ठीक नही थी उसके लिए…!
मेरा विचार था कि संजू को प्राची के साथ डीटेक्टिव एजेन्सी में ही फिट कर दिया जाए, लेकिन उसके लिए संजू तैयार नही था.., उसे तो बस वो गाँव का रहन सहन भा गया था, उसके लिए पूरे परिवार से बात करके ही कोई फ़ैसला लिया जा सकता था…!
फिर भी समय गुजारने की गर्ज से मेने उसे अपने डीटेक्टिव एजेन्सी के ऑफीस भेजना शुरू कर दिया, शायद उसे इंटेरेस्ट आने लगे और वो उसमें पार्टिसिपेट करने लग जाए…!
एक आध केस में उसे प्राची के साथ भी भेजा लेकिन जो व्यक्ति किसी बात को मन में ठान चुका हो, भले ही लाख तर्क क्यों ना दिए जायें वो उसी के पीछे भागता रहता है..!
खैर हमने भी अब उस’से ज़्यादा कहना ठीक नही समझा वरना क्या पता वो हमें छोड़कर फिर किसी ग़लत रास्ते पर चल पड़े..,
इसी बीच छोटी चाची शहर आई, कुच्छ पंचायत का भी काम था इसी बहाने हम लोगों से मिल लिया करती थी.., उनका बेटा भी हमारे साथ ही था जो स्कूल जाने लगा था.
चाची के साथ मज़े करने का मौका तो नही था, लेकिन मेने संजू की बात चलाई, संजू से वो पहले भी गाँव में मिल चुकी थी.., मेरी बात सुनकर वो फ़ौरन तैयार हो गयी और खेतों को संभालने की बात पर बोली…!
वैसे तो फ़ैसला आप लोगों के ही हाथ में है, मुझे नही लगता इसमें किसी को कोई एतराज होना चाहिए फिर भी जेठ जी उनसे पूच्छना चाहते हैं तो बेशाक़ पूछ लें.
मे तो कहती हूँ, फ़ैसला बाद में लेते रहना, अगर संजू की गाँव में ही रहने की इक्षा है तो अभी चले मेरे साथ, तुम्हारे चाचा स्कूल चले जाते हैं, मुझे भी पंचायत के 50 काम रहते हैं, गाँव में रहेगा तो कुच्छ सहारा ही मिलेगा मुझे तो…!
चाची की बात पर संजू फ़ौरन तैयार हो गया जाने को, और उसी दिन वो छोटी चाची के साथ गाँव चला गया…!
गाँव में आकर संजू की मौज ही मौज थी.., छोटी चाची ने उसके लिए एक भैंस और खरीद ली.., घर के और खेतों में जम के पसीना बहाता और जम के दूध और मक्खन उड़ाता.., कुच्छ ही दिनों में वो लाल हो गया..!
था तो वो शुरू से ही कसरती बदन वाला, गाँव की आओ हवा ने उसे और चौड़ा कर दिया, किसी पहलवान सरीखा…!
बड़े और मझले चाचाओं के घर भी आना जाना रहता ही था.., सोनू-मोनू की शादियाँ भी हो चुकी थी, वक़्त निकाल कर दोनो भाभियों के साथ गप्पें उड़ाता रहता था…!
Pratibha Chachi
प्रतिभा चाची जो कि अब गाँव की सरपंच थी वो जब भी गाँव के दौरे पर निकलती तो वो उनके साथ किसी नेता के बॉडीगार्ड की तरह हमेशा साथ ही रहता इस वजह से लगभग सारे गाँव वालों से भी उसका परिचय हो चुका था…!
पुराने सरपंच को अभी भी अपना पद छिन जाने का मलाल रहता था..,
एक दिन गाँव के दौरे के समय उनका आमना सामना पूर्व सरपंच के उसी बिगड़ैल लौन्डे से हो गया जिसे एक बार हमने दलित लड़की के चक्कर से बचाया था.
उसके साथ दो और उसके चेले चपाटे थे, सामना होते ही उसने टॉंट मारते हुए कहा – क्यों भाई बॉडीगार्ड अपनी मालकिन की बॉडी को अच्छे से गार्ड करता है या नही…? कोई कमी रह जाती हो तो बता हम कुच्छ मदद करें..?
उसकी बात सुनकर संजू के नथुने फूलने पिचकने लगे.., उसने अपनी कमीज़ की बाहें चढ़ाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि चाची ने उसकी कलाई थाम ली और आँखों के इशारे से समझाया कि इसके मूह मत लगो…!
लेकिन बराबर में आते ही वो बोली – मेरी बॉडी को गार्ड करने वाला तो मेरे पास है, अगर तुम्हें अपने घर में अपनी किसी माँ-बेहन या अपनी लुगाई की बॉडी को गार्ड करना हो तो बोलो, मे संजू को भेज देती हूँ…!
वो – अरे चाची ! हमें पता नही है क्या कि चाचा में कितना दम खम है.., ऐसे ही गार्ड करने वाले होते तो एक बच्चा पैदा करने में दस साल ना निकल जाते.., अब रहने दो.. क्यों ज़ुबान खुल्बाति हो…!
उसकी बात पूरी होते ही चाची का एक करारा तमाचा उसके गाल पर पड़ा.., हरामखोर तू बिना मार खाए मानेगा नही…!
वो साला कुच्छ देर तो अपने सुन्न पड़ गये गाल को सहलाता रहा फिर चाची जैसे ही आगे बढ़ी, उसने पीछे से उनका हाथ ही पकड़ लिया…,
चाची ने पलटते हुए अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा – हरामजादे तेरी इतनी हिम्मत हो गयी कि यौं बीच रास्ते मेरा हाथ पकड़े.., छोड़ मेरा हाथ वरना ये तेरे लिए ठीक नही होगा…!
वो अपने हाथ पर दबाब बढ़ाते हुए बोला – अरे दम है तो हाथ छुड़ाकर दिखा सरपंचनी.., ये कहते हुए उसने एक झटका मारा…!
झटके के कारण चाची उसके सीने से जा टकराई…, उस हरामी ने यही हद नही की, उसका एक हाथ उनके गोल-मटोल सुडौल मखमली नितंबों पर जा पहुँचा और उन्हें सहलाते हुए बोला –
वाह क्या मस्त बॉडी है चाची तुम्हारी.., एकदम मक्खन….!
चाची ने कसमसाते हुए अपने आप को उससे छुड़ाने की कोशिश की लेकिन कोई खास सफलता नही मिली…, ज़िल्लत के मारे उनकी आँखों में पानी आगया…,
डबडबाइ आखों से उन्होने संजू की तरफ देखा जो मारे गुस्से के उबल रहा था, इंतेजार था तो बस चाची के एक इशारे का जो अब मिल चुका था…!
उसने पीछे से अपने मजबूत हाथ से उसकी गर्दन को दबोच लिया…, दबाब डालते ही उसे अपनी गर्दन की हड्डी टूटती सी महसूस होने लगी…!
चाची को छोड़कर अब वो अपनी गर्दन को छुड़ाने का प्रयास करने लगा.., लेकिन अपनी गर्दन छुड़ाना तो दूर, वो अपने शरीर को भी अपनी मर्ज़ी से हिला नही पाया…!
उसने गले से दबी दबी सी चीख निकली, अपने चम्चो से कहा – अबबे सालो तमाशा ही देखते रहोगे छुड़ाओगे मुझे वरना ये साला मेरी गर्दन ही तोड़ डालेगा…!
उसकी गुहार सुनकर वो दोनो संजू के उपर झपटे, लेकिन वो उस तक पहुँच पाते, उससे पहले संजू का दूसरा हाथ घूमा और भड़ाक से एक घूँसा उनमें से एक की नाक पर पड़ा..!
वो जहाँ से आया था वहीं गान्ड के बल जा गिरा, भलभला कर उसकी नाक से खून बहने लगा.., शायद उसकी नाक की हड्डी ही टूट गयी थी…, दूसरे को उसकी एक टाँग का सामना करना पड़ा जो सीधी उसकी छाती पर पड़ी…!
नतीजा वो कई कालाबाज़ियाँ ख़ाता हुआ 10-15 कदम दूर जा गिरा…, लात इतनी जोरदार पड़ी कि कुच्छ देर तक उसकी साँस ही वापस नही आई…!
इधर उसकी गर्दन पल-प्रतिपल दबति ही जा रही थी, साँस रुकने लगी थी, चेहरा लाल भभूका हो चुका था, आँखें उबल्कर बड़ी होने लगी थी…!
चाची को लगा.., कि अब अगर संजू को नही रोका तो ये इसकी जान ही ले लेगा.., सो उन्होने संजू की कलाई थाम कर उसे छोड़ देने के लिए बोली…
चाची – अब छोड़ दे संजू इसे, बहुत सज़ा मिल गयी इसे…!
संजू गुस्से से फुफ्कार्ते हुए बोला – नही चाची, इस हरामी की हिम्मत कैसे हुई आपको हाथ लगाने की…!
चाची उसकी मिन्नत करते हुए बोली – अब बस कर मेरे बच्चे, देख इसकी क्या हालत हो रही है.., कुच्छ देर में ये मर जाएगा.., छोड़ वरना लेने के देने पड़ जाएँगे…!
चाची की बात सुनकर.. पहली बार संजू का ध्यान उसकी तरफ गया.., उसकी हालत वाकयि में खराब होने लगी थी.., यहाँ तक की पाजामा में ही उसका मूत निकल गया था…!
संजू के छोड़ते ही वो अनाज से भरी बोरी की तरह धम्म से ज़मीन पर जा गिरा…!
चाची ने उसे चेतावनी देते हुए कहा – उम्मीद है तेरी अकल ठिकाने आ गयी होगी हरामी के पिल्ले.., अब कभी हमारे सामने पड़ने की हिमाकत मत करना वरना…!
अपना वाक्य अधूरा छोड़कर वो संजू का हाथ पकड़े अपने घर की तरफ चल दी…!
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...to be continued