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Fantasy लुइ के पन्ने!

Funlover

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जानकी हँसी, उसकी आवाज़ मंदिर की घंटियों जैसी थी। "मैं चाहती थी कि आपको घर जैसा महसूस हो। स्तनापुर छोटा है, लेकिन हमारे दिल बड़े हैं। आपको कई सवाल पूछने होंगे, है ना? हम आपको सब कुछ दिखाएँगे।" उसने उसे अपनी छाती दबाकर अपनी क्लीवेज दिखाई।


अब आगे...............


शादी को एक साल हो गया था, फिर भी इस जोड़े के अभी तक कोई बच्चा नहीं था। फिर भी, जैसे-जैसे वे छायादार गलियों में चल रहे थे, लुई ने देखा कि कैसे बच्चे जानकी के पास झुंड में आ रहे थे। छोटे बच्चे उसकी उंगलियाँ पकड़े हुए थे; बड़े लड़के उसके चुटकुलों पर खिलखिलाते हुए उसके पास झुके हुए थे। उसके पास हर किसी के लिए कुछ न कुछ था—कोई चिढ़ाने वाला शब्द, कोई लोरी, किसी के कान पर हल्की सी झप्पी। वह खुलकर देती थी, और बच्चे उसकी खुशी को धूप की तरह सोख लेते थे।

रास्ते के एक मोड़ पर, लगभग छह साल का एक लड़का दौड़कर आया और उसकी कमर से चिपक गया, उसका चेहरा उसके कूल्हे से सटा हुआ था।

"अरे, तुम फिर से!" जानकी ने झुककर चिढ़ाते हुए कहा। "क्या मैंने तुम्हें आज सुबह खाना नहीं खिलाया? अब क्या शरारत करने आये हो?"

उसने उसे आसानी से उठा लिया, उसे अपने कूल्हे पर टिकाकर एक नीची पत्थर की दीवार पर बैठ गई। लुई उत्सुकता से देख रहा था कि कैसे उसने एक हाथ से अपना पल्लू ठीक किया, जिससे उसके भरे हुए, सुंदर स्तन का उभार दिखाई दे रहा था। उसका बड़ा और कोमल निप्पल, गर्मी से नरम पड़े सांवले रंग के एरिओला के बीच में था, और उस स्तन की सुन्दरता को बढ़ावा दे रहा था। बिना किसी हिचकिचाहट के, उसने लड़के को अपने पास खींच लिया। उसके होंठ सहज ही खुल गए, और वह उससे चिपक गया, उसके गाल गोल हो गए और वह दूध चूसते हुए पीने लगा।

आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी: एक धीमी, लयबद्ध खिंचाव, गीली और उद्देश्यपूर्ण। लड़के की पलकें फड़फड़ा रही थीं, उसके हाथ ढीले पड़ गए थे, उसकी साँसें पोषण की लय के साथ धीमी हो रही थीं। जानकी उसे बेहतर सहारा देने के लिए थोड़ा झुकी, अपनी हथेली से उसका सिर सहलाया, उंगलियाँ उसके घने बालों में फिरा रही थीं।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

"वे जानते हैं कि मेरे पास दूध है," उसने शांत, आत्मविश्वास से भरी मुस्कान के साथ लुई की ओर देखते हुए कहा। "भले ही मेरा अपना कभी बच्चा नहीं रहा। प्यार से भी दूध बनता है।"

लुई श्रद्धा और अविश्वास के बीच फँसा हुआ, जड़वत खड़ा था। उसने प्रतीकात्मक दूध पिलाने की रस्मों, सामुदायिक दूध पिलाने की रस्मों और विभिन्न महाद्वीपों की मातृ-कथाओं का अध्ययन किया था - लेकिन यह अलग था। यहाँ कोई रस्म नहीं थी, कोई प्रदर्शन नहीं। बस एक महिला खुले में, शांति से, बच्चे को दूध पिला रही थी।



Breast-feeding14

रमेश, लुई के विस्मय को भाँपकर, धीरे से हँसा। "हमारे गाँव में," उसने कहा, "दूध सबके लिए है, यही हमारे गाव की पहचान है।"

जानकी ने सिर हिलाया, अभी भी दूध पिला रही थी, उसकी आवाज़ कोमल और दृढ़ थी। "हम इसे बाँटते हैं। कहानियों की तरह। गर्मियों में आमों की तरह। लड़के मज़बूत होते हैं, और हम भी। तुम्हें हैरानी हो रही होगी, शायद। लेकिन तुम देखोगे - प्यार से दूध पिलाने में कोई शर्म नहीं है।"

उसका स्तन लड़के की चूसने की लय के साथ ऊपर-नीचे हो रहा था। जब उसका चूसना धीमा हुआ, तो उसने करवट बदली और बिना किसी झिझक के दूसरा निप्पल उसके सामने पेश किया। लड़का, अब लाल और भारी पलकों वाला, लालची परिचितता के साथ नए स्तन की ओर बढ़ा, होंठ उसके चारों ओर लिपटे हुए, जीभ सहज समन्वय के साथ चल रही थी। लुई ने सूक्ष्म बदलाव को नोटिस किया - यह स्तन तेज़ी से ढीला हुआ, और बच्चे का घूँटना तेज़ हो गया, उसके हाथ अब उसके पेट पर धीरे से थपथपा रहे थे। वह लड़के के जबड़े की हरकत, निप्पल पर जीभ की लयबद्ध गति और दूध को स्पंदनों के रूप में बाहर निकालने का तरीका भी देख सकता था। लूई इस बात से परिचित तो था और तभी वह यहाँ था, लेकिन अब वह विस्मित था। जो पढ़ा गया था, वह उसके सामने साक्षात् हो रहा था।

जानकी ने धीरे से साँस छोड़ी, अपने खाली हाथ से कनपटी से पसीना पोंछा। कोई छिपाव नहीं था, कोई माफ़ी नहीं थी - बस ज़िंदगी यही थी। लुई ने सिर हिलाया, उसकी साँस गले में अटक गई। इस क्रिया में - शांत, अघोषित, बिना किसी वर्जना के - उसने कुछ मौलिक देखा। अपनापन, सुकून, निरंतरता। लूई के मस्तिष्क में कोई एसा भाव नहीं था जिस से वह उन्माद हो सकता था। सब कुछ सामान्य।

कुछ समय बाद जानकी ने उस लड़के से अपने निप्पल को छुडाते हुए कहा: “बस, अब हो गया! अब जब भूख लगे आ जाना तब तक खेलो यहाँ।“ लड़का उठ खड़ा हुआ और अपने दोस्तों के पास चला गया। जानकी ने अपने नंगे स्तन को ब्लाउज में सही टिके से समा लिया और उठते हुए बोली, “चलो लूई जी घर चलते है, आपको भी भूख लगी होगी। थोडा नाश्ता कर लीजिये बाद में हम आराम से बात करेंगे और आपकी खोज को अंजाम देने की कोशिश करेंगे।“
आप मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है

लूई के पास को इजवाब नहीं था। वह बस मुस्कुराके जानकी को आगे बढ़ने का हाथ से इशारा किया और सब चल पड़े। उस दिन, बाद में, जैसे-जैसे रोशनी धीमी हुई और परछाइयाँ लंबी होती गईं, वे मिट्टी की दीवारों और फूस की छत वाले एक साधारण घर में पहुँचे।

घर पहुचके तीनो ने जानकी के द्वारा बनाया गया नाश्ता किया और इधर-उधर की बाते हुई। कुछ गाव के बारे में तो कुछ लूई ने आने बारे में बता के एक दुसरे को जान ने के लिए आदान-प्रदान किया।


******


Ees episode ke baare me aapke opinions me pratiksha rahegi.
 
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Funlover

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ओह्ह हो मुझे लगता है की इस कहानी में किसी को कोई दिलचस्पी ही नहीं...................

खेर अभी शुरुआत है शायद बाद में आप को पसंद आये.......................

चलिए कहानी को थोडा आगे ले के जाती हूँ...........................
 
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घर पहुचके तीनो ने जानकी के द्वारा बनाया गया नाश्ता किया और इधर-उधर की बाते हुई। कुछ गाव के बारे में तो कुछ लूई ने आने बारे में बता के एक दुसरे को जान ने के लिए आदान-प्रदान किया।

****** यहाँ तक आपने पढ़ा।

अब आगे...............
“चलिए. आइये अब यहाँ बैठ जाइये इस पेड़ के निचे और बाते करते है।“जानकी ने अपनी वही खुबसूरत मुस्कान के साथ कहा। लुइ के पास ओर कोई चारा ही नही था।वह उठ के वही जो जानकी ने बताई थी वह खात पर जा के बैठ गया।


“हा, अब ठीक है, यहाँ हम आराम से बात कर सकते है। जानकी ने वही अपनी छोटी मुस्कान लुइ के मुह पर थोपते हुए कहा।

“जी, अब तो मैं यहाँ आगे अहू काफिछोता गाव है लेकिन बहोत रमणीय गाव है, यहाँ की आबोहवा भी अच्छी है।“ लुइ ने भी थोडा स्माइल के साथ अपनी बात कही।

“लुइ साब इस गाव की तो बात ही निराली है, यहाँ हम सभी प्यार से रहते है, कोई गिला शिकवा नहीं है सभी लोग आपस में एक दुसरे से हदे रहेते है।“ जानकी ने अपनी बात को जोड़ते हुए कहा: लेकिन लुइ साब हम आपके जितना पढ़े लिखे और समजदार तो नहीं है, इसलिए आपको भी हमारी भाषा समजनी और बोलनी पड़ेगी तभी तो आप अपनी खोज के लक्ष्य तक पहुच पायेंगे।“
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

“देखिये जानकीजी मैं इस देशमे पहले भी आया हुआ हु और कुछ बाते और शब्द मुझे आते है। मुझे समजने में कोई प्रॉब्लम नहीं आती लेकिन हां बोलने में काफी दिक्कत हो सकती है। लेकिन हर चीज का उपाय होता है।“ लुइ ने जानकी की आँखों से आँखे मिलाते हुए कहा।

“उपाय? अब इसका क्या उपाय है? आप ही बताइए!” जानकी भी अब लुइ के बगल में आके बैठ गई। कुछ छोटे बच्चे उनके इर्दगिर्द घुमाते और खेलते नजर आते थे।

“आप जो हो जानकीजी!” लुइ ने बच्चो की तरफ नजर डालते हुए कहा।

मैं! क्या.....मैं....मैं क्या उपाय दे सकती हु यह तो आपको करना है हम तो अनपढ़ गंवार है, हमें क्या पता आपकी खोज और संशोधन के बारे में। जानकी ने यह हिंदी में कहा।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

आप मुझे समजाएगी ना की सामने वाला क्या कहना चाहता है। मतलब दुभाषिया। लुइ ने भी अपनी टूटी फूटी हिंदी में कहा।

“ओह्ह हाँ,हाँ, क्यों नहीं....मैं तो हु ही आपके साथ और रहूंगी मुझे रमेश ने बता के रखा है की जब तक आप यहाँ है आपको मुज से अलग नहीं करना है।“

“चलिए कुछ बाते मैं सामने से ही बता देती हूँ।“ जानकी ने अपने हाथ लुइ के हाथ के पास रखते हुए कहा।

“जी, आपसे सुन ने के लिए काफी इच्छुक हूँ। बताइए क्या बता देना चाहती है।“

देखिये लुइ साब सब से पहले तो आप मेरे नाम के पीछे से “जी”शब्द निकाल दीजिये, कुछ अजीब सा लगता है, हम इस गाव में सभी को नाम से पुकारते है। आप भी मुझे जानकी से पुकारा कीजिये। इसमें बातचीत में अपनापन महसूस होता है। वैसे भी आप की भाषा में फ्रेंड कहते है है न!”

“हाँ,हम लोग फ्रेंड यानी की दोस्त ही कहते है।क्या हम दोस्त बन सकते है?“ लूनी ने बच्चो की तरफ से नजर हटाके जानकी तरफ देखते हुए कहा।

“हाँ, हम दोस्त बन सकते है, बल्कि हम दोस्त ही तो है।“ और वह खिलखिलाट हँस दी। उसकी हँसी से लुइ थोडा सा असहज महसूस करने लगा क्योकि वह उस मुस्कान में जानकी बहोत ही दीप्तिमान लग रही थी। लेकिन उसकी यह मुस्कान में कोई स्वार्थ नहीं था।

“ठीक है चलो जानकी मुझे अब इस गाव के बारे में ओर भी बताओ, किस एयः सब शुरू हुआ!”

“क्या शुरू हुआ?” जानकी अभीभी भोली ही लग रही थी।

“यह ब्रिस्ट फीडिंग रिवाज!”

ओह्ह हाँ, सब से पहले यहाँ के कुछ शब्द जान लो लुइ साब। जानकी ने अपनी आँखे लुइ की आँखों से मिलाई।

“कौनसे शब्द जानकी? और हां मई भी साब नहीं हु सिर्फ लुइ हूँ। ओके?”

जानकी ने एक निर्दोष मुस्कान लुइ की तरफ फेंकी और बोली: “ओके”

जानकी ने थोडा अंतर बनाते हुए कहा: “यह जो आप ब्रिस्ट फीफिंग कहते है उसको मैं यह समजती हु की आप स्तनपान की बात करते हो राईट?”

“हाँ,मेरा वही मतलब था।“ लुइ अब थोडा जानकी के करीब अपने सिर को ले जाते हुए कहा।

“देखो लुइ, यहाँ ना तो स्तनान चलता है और नाही ब्रिस्टफीडिंग, यहाँ हम दुहाना कहते है।“ जानकी “दुहना”शब्द बोलते हुए थोड़ी शरमाई।

“और जिनको आप लोग स्तन कहते है या फिर बूब्स कहते है इसे यहाँ बोबले के नाम से जाना जाता है।“

“बोबले?” लुइ थोडा हँसा। “हम टिट्स भी कहते है।“
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना है

“हाँ, यह यहाँ की भाषा में प्रचलित है,और दुहना मतलब यह है की स्तनों को चुसना और उस में से दूध निकालना या चुसना। जो आप ने देखा था।“

“दुहना,काफी अच्छा शब्द है लेकिन मेरे ख्याल से यह गाय में से धुध निकाल ने की प्रक्रिया को कहते है।“

“हम औरते भी तो एक प्रकार से गाय ही है, गाय भी दूध देती है और हम औरते भी। दोनों समान्तर ही तो है।“ जनाकि ने देखा की लुइ कुछ ज्यादा करीब आ गया है तो वह उठ खड़ी हुई और थोडा अंतर बना के फिर से बैठ गई।

“लेकिन एक बात बताओ जानकी, आप के तो बच्चे नहीं है फिर भी आप दूध से भेरे हुए हो ऐसा कैसे?”

“कौन कहता है की मेरे बच्चे नहीं है! गाव के सभी बच्चे मेरे ही तो है। सभी मर्द मेरे ही बच्चे तो है। जब वह मुझे दुहोते है तब वह सभी मेरे बच्चे ही है।“

हाँ यह सच है की आप ऐसा मानते है, या फिर यहाँ सब ऐसा मानते है।“ उसने थोडा हिचकिचाते हुए कहा “फिर भी!”



“मैंने पहले भी आपको बताया था की जरुरी नहीं माँ बन न दूध देने के लिए प्रेम से भी दूध आता है।“ जानकी ने अपने हाथ अपनी छाती पे ले जाते हुए कहा।

“मैं तुम्हारे साथ सहमत हु लेकिन विज्ञान कुछ अलग ही कहता है।

हाँ आपका विज्ञान अलग कहता है, लेकिन यहाँ दूसरा हि चलता है। जो अब तक आपने देखा। और जानकी ने अपने स्तनों को थोडा दबाया और उसके निपल ने दूध उगल दिया।

“देखो यह तुम्हारे सामने ही है ना, मैं अभी तक माँ नहीं बनी पर मेरे चुंची ने मेरा दूध बहाया ना।“

“हाँ, देखा तो था और वही तो समजना है की कौन सही, जो मैं देख रहा हूँ वो या फिर जो मैं पढ़ा हूँ वह!” उसकी नजर अब जानकी की नोकीली निपल पर पड़ी रही।

जानकी ने कोइ विरोध ना जताते हुए कहा: “दोनों अपनी जगह सही है लुइ।”

“पर कैसे?” लुइ अभी तक उस निपल्स को देख रहा था जहा से दूध टपकता था। उसके ब्लाउज को ख़राब कर रहा था।

ओके, सब से पहले तो यह समज लो की यहाँ बोबले मतलब स्तन, बूब्स है और चूंची मतलब निपल्स है, आई बात समज में!”

“हाँ समज गया, अब से ऐसा ही बोलने का प्रयास करूँगा।“

“और अब यह समजो की यहाँ हर औरत को दूध कैसे आता है। अब जानकी निखालस हो के लुइ के पास गई और बैठ गई।

“जब लड़की अपने उम्र में आती है। अब अपनी उम्र तो पता है ना।“

लुइ उसके सामने प्रश्नार्थ नजरो से देख रहा था।

“हे भगवान् अब इसका क्या करू?”

जब लड़की निचे से टपकना चालु होता है तब, समजे? अरे भाई, आपकी भाषा में कहू तो जब लड़की पहली बार पीरियड्स में आती है तब।“

“ओह्ह, आई सी.....माफ़ करना नहीं समज सका था।“

“ओके अब समजे,तो जब लड़की निचे से टपकती है तब घर में एक अच्छा माहोल बनता है, घरवाले अच्छी मिठाई बना के सब में बाटते है की वह लड़की अब तैयार है।फिर दूसरी बार सही समय पे टपकती है तो, यह पक्का किया जाता है की अब वह लड़की सही तरीके से अपने उम्र में आ गई है। घर की औरते अच्चा सा मुहूर्त देख के यहाँ जंगल से पैदा हुई XXXX जड़ीबुट्टी ले आते है या घर में ही होती है, उस लड़की के बोबले पर लगाना शुरू करते है। कुछ समय में ही उस लड़की के बोबले बड़े होना चालू हो जाता है। थोड़े समय के लिए यही प्रेक्टिस रहती है, शुरुआत में दिन में एक बार फिर दो बार फिर तीन बार तक लगाते है, जब तक उसके बोबले सही आकर में ना हो जाए। एक बार उसके बोबले और चुंची नोकीले हो जाते है फिर माँ उसकी चुन्ची को खिंच खिंच के आगे की तरफ ले आती है। और कुछ महीनो के बाद उसे YYYY जड़ीबुट्टी खिलाना चालू हो जाता है। और कुछ समय के बाद उसके स्तनों भरने चालू हो जाता है। और जब पक्का हो जाता है की उसके स्तन अब दूध भर रहे है तो घरवाले एक जश्न की तरह प्रांग मनाते है और लोगो को बताते है की उनकी लड़की अब दुहाने के लायक है। जब तक थोडा थोडा दूध बनता है तब उस लड़की को छोटे बच्चे को अपनी निपल देने का शुरू करते है। शुरुआत घर के बच्चो से होती है पर आमतौर पर गाव के सभी बच्चे, क्यों की यहाँ सब साथ ही तो खेलते बड़े होते है। कुछ बच्चे उसकी निपल्स को चूस चूस के बड़ी और दूध बनाने के सक्षम बना देते है। और एक समय आता है की वह एक दुधारू लड़की बन जाती है। और वह कसी भी मर्द को अपना निपल दे सकती है।और कही भी। गाव में कही भी बैठ के वह अपने आपको दुहा सकती है। बिना रोकटोक। यह मैंने बहोत संक्षिप्त में तुमको बताया। जैसे जैसे हम गाव में जाते रहेगे आपको यहसब देखने को मिल जाएगा।“

लुइ, इतना सुन कर, सिर्फ इतना बोल पाया, “ओह्ह माय गॉड।“
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

बस इसीतरह की गाव की रित और रिवाजो की अदान-प्रदान होती रही।

********

बने रहिये और इस एपिसोड के बारे में आपके मंतव्य दीजिये................
 

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जानकी हँसी, उसकी आवाज़ मंदिर की घंटियों जैसी थी। "मैं चाहती थी कि आपको घर जैसा महसूस हो। स्तनापुर छोटा है, लेकिन हमारे दिल बड़े हैं। आपको कई सवाल पूछने होंगे, है ना? हम आपको सब कुछ दिखाएँगे।" उसने उसे अपनी छाती दबाकर अपनी क्लीवेज दिखाई।


अब आगे...............


शादी को एक साल हो गया था, फिर भी इस जोड़े के अभी तक कोई बच्चा नहीं था। फिर भी, जैसे-जैसे वे छायादार गलियों में चल रहे थे, लुई ने देखा कि कैसे बच्चे जानकी के पास झुंड में आ रहे थे। छोटे बच्चे उसकी उंगलियाँ पकड़े हुए थे; बड़े लड़के उसके चुटकुलों पर खिलखिलाते हुए उसके पास झुके हुए थे। उसके पास हर किसी के लिए कुछ न कुछ था—कोई चिढ़ाने वाला शब्द, कोई लोरी, किसी के कान पर हल्की सी झप्पी। वह खुलकर देती थी, और बच्चे उसकी खुशी को धूप की तरह सोख लेते थे।

रास्ते के एक मोड़ पर, लगभग छह साल का एक लड़का दौड़कर आया और उसकी कमर से चिपक गया, उसका चेहरा उसके कूल्हे से सटा हुआ था।

"अरे, तुम फिर से!" जानकी ने झुककर चिढ़ाते हुए कहा। "क्या मैंने तुम्हें आज सुबह खाना नहीं खिलाया? अब क्या शरारत करने आये हो?"

उसने उसे आसानी से उठा लिया, उसे अपने कूल्हे पर टिकाकर एक नीची पत्थर की दीवार पर बैठ गई। लुई उत्सुकता से देख रहा था कि कैसे उसने एक हाथ से अपना पल्लू ठीक किया, जिससे उसके भरे हुए, सुंदर स्तन का उभार दिखाई दे रहा था। उसका बड़ा और कोमल निप्पल, गर्मी से नरम पड़े सांवले रंग के एरिओला के बीच में था, और उस स्तन की सुन्दरता को बढ़ावा दे रहा था। बिना किसी हिचकिचाहट के, उसने लड़के को अपने पास खींच लिया। उसके होंठ सहज ही खुल गए, और वह उससे चिपक गया, उसके गाल गोल हो गए और वह दूध चूसते हुए पीने लगा।

आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी: एक धीमी, लयबद्ध खिंचाव, गीली और उद्देश्यपूर्ण। लड़के की पलकें फड़फड़ा रही थीं, उसके हाथ ढीले पड़ गए थे, उसकी साँसें पोषण की लय के साथ धीमी हो रही थीं। जानकी उसे बेहतर सहारा देने के लिए थोड़ा झुकी, अपनी हथेली से उसका सिर सहलाया, उंगलियाँ उसके घने बालों में फिरा रही थीं।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

"वे जानते हैं कि मेरे पास दूध है," उसने शांत, आत्मविश्वास से भरी मुस्कान के साथ लुई की ओर देखते हुए कहा। "भले ही मेरा अपना कभी बच्चा नहीं रहा। प्यार से भी दूध बनता है।"

लुई श्रद्धा और अविश्वास के बीच फँसा हुआ, जड़वत खड़ा था। उसने प्रतीकात्मक दूध पिलाने की रस्मों, सामुदायिक दूध पिलाने की रस्मों और विभिन्न महाद्वीपों की मातृ-कथाओं का अध्ययन किया था - लेकिन यह अलग था। यहाँ कोई रस्म नहीं थी, कोई प्रदर्शन नहीं। बस एक महिला खुले में, शांति से, बच्चे को दूध पिला रही थी।

रमेश, लुई के विस्मय को भाँपकर, धीरे से हँसा। "हमारे गाँव में," उसने कहा, "दूध सबके लिए है, यही हमारे गाव की पहचान है।"

जानकी ने सिर हिलाया, अभी भी दूध पिला रही थी, उसकी आवाज़ कोमल और दृढ़ थी। "हम इसे बाँटते हैं। कहानियों की तरह। गर्मियों में आमों की तरह। लड़के मज़बूत होते हैं, और हम भी। तुम्हें हैरानी हो रही होगी, शायद। लेकिन तुम देखोगे - प्यार से दूध पिलाने में कोई शर्म नहीं है।"

उसका स्तन लड़के की चूसने की लय के साथ ऊपर-नीचे हो रहा था। जब उसका चूसना धीमा हुआ, तो उसने करवट बदली और बिना किसी झिझक के दूसरा निप्पल उसके सामने पेश किया। लड़का, अब लाल और भारी पलकों वाला, लालची परिचितता के साथ नए स्तन की ओर बढ़ा, होंठ उसके चारों ओर लिपटे हुए, जीभ सहज समन्वय के साथ चल रही थी। लुई ने सूक्ष्म बदलाव को नोटिस किया - यह स्तन तेज़ी से ढीला हुआ, और बच्चे का घूँटना तेज़ हो गया, उसके हाथ अब उसके पेट पर धीरे से थपथपा रहे थे। वह लड़के के जबड़े की हरकत, निप्पल पर जीभ की लयबद्ध गति और दूध को स्पंदनों के रूप में बाहर निकालने का तरीका भी देख सकता था। लूई इस बात से परिचित तो था और तभी वह यहाँ था, लेकिन अब वह विस्मित था। जो पढ़ा गया था, वह उसके सामने साक्षात् हो रहा था।

जानकी ने धीरे से साँस छोड़ी, अपने खाली हाथ से कनपटी से पसीना पोंछा। कोई छिपाव नहीं था, कोई माफ़ी नहीं थी - बस ज़िंदगी यही थी। लुई ने सिर हिलाया, उसकी साँस गले में अटक गई। इस क्रिया में - शांत, अघोषित, बिना किसी वर्जना के - उसने कुछ मौलिक देखा। अपनापन, सुकून, निरंतरता। लूई के मस्तिष्क में कोई एसा भाव नहीं था जिस से वह उन्माद हो सकता था। सब कुछ सामान्य।

कुछ समय बाद जानकी ने उस लड़के से अपने निप्पल को छुडाते हुए कहा: “बस, अब हो गया! अब जब भूख लगे आ जाना तब तक खेलो यहाँ।“ लड़का उठ खड़ा हुआ और अपने दोस्तों के पास चला गया। जानकी ने अपने नंगे स्तन को ब्लाउज में सही टिके से समा लिया और उठते हुए बोली, “चलो लूई जी घर चलते है, आपको भी भूख लगी होगी। थोडा नाश्ता कर लीजिये बाद में हम आराम से बात करेंगे और आपकी खोज को अंजाम देने की कोशिश करेंगे।“
आप मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है

लूई के पास को इजवाब नहीं था। वह बस मुस्कुराके जानकी को आगे बढ़ने का हाथ से इशारा किया और सब चल पड़े। उस दिन, बाद में, जैसे-जैसे रोशनी धीमी हुई और परछाइयाँ लंबी होती गईं, वे मिट्टी की दीवारों और फूस की छत वाले एक साधारण घर में पहुँचे।

घर पहुचके तीनो ने जानकी के द्वारा बनाया गया नाश्ता किया और इधर-उधर की बाते हुई। कुछ गाव के बारे में तो कुछ लूई ने आने बारे में बता के एक दुसरे को जान ने के लिए आदान-प्रदान किया।


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Ees episode ke baare me aapke opinions me pratiksha rahegi.
एक बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है मजा आ गया
 
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घर पहुचके तीनो ने जानकी के द्वारा बनाया गया नाश्ता किया और इधर-उधर की बाते हुई। कुछ गाव के बारे में तो कुछ लूई ने आने बारे में बता के एक दुसरे को जान ने के लिए आदान-प्रदान किया।

****** यहाँ तक आपने पढ़ा।

अब आगे...............
“चलिए. आइये अब यहाँ बैठ जाइये इस पेड़ के निचे और बाते करते है।“जानकी ने अपनी वही खुबसूरत मुस्कान के साथ कहा। लुइ के पास ओर कोई चारा ही नही था।वह उठ के वही जो जानकी ने बताई थी वह खात पर जा के बैठ गया।


“हा, अब ठीक है, यहाँ हम आराम से बात कर सकते है। जानकी ने वही अपनी छोटी मुस्कान लुइ के मुह पर थोपते हुए कहा।

“जी, अब तो मैं यहाँ आगे अहू काफिछोता गाव है लेकिन बहोत रमणीय गाव है, यहाँ की आबोहवा भी अच्छी है।“ लुइ ने भी थोडा स्माइल के साथ अपनी बात कही।

“लुइ साब इस गाव की तो बात ही निराली है, यहाँ हम सभी प्यार से रहते है, कोई गिला शिकवा नहीं है सभी लोग आपस में एक दुसरे से हदे रहेते है।“ जानकी ने अपनी बात को जोड़ते हुए कहा: लेकिन लुइ साब हम आपके जितना पढ़े लिखे और समजदार तो नहीं है, इसलिए आपको भी हमारी भाषा समजनी और बोलनी पड़ेगी तभी तो आप अपनी खोज के लक्ष्य तक पहुच पायेंगे।“
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

“देखिये जानकीजी मैं इस देशमे पहले भी आया हुआ हु और कुछ बाते और शब्द मुझे आते है। मुझे समजने में कोई प्रॉब्लम नहीं आती लेकिन हां बोलने में काफी दिक्कत हो सकती है। लेकिन हर चीज का उपाय होता है।“ लुइ ने जानकी की आँखों से आँखे मिलाते हुए कहा।

“उपाय? अब इसका क्या उपाय है? आप ही बताइए!” जानकी भी अब लुइ के बगल में आके बैठ गई। कुछ छोटे बच्चे उनके इर्दगिर्द घुमाते और खेलते नजर आते थे।

“आप जो हो जानकीजी!” लुइ ने बच्चो की तरफ नजर डालते हुए कहा।

मैं! क्या.....मैं....मैं क्या उपाय दे सकती हु यह तो आपको करना है हम तो अनपढ़ गंवार है, हमें क्या पता आपकी खोज और संशोधन के बारे में। जानकी ने यह हिंदी में कहा।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

आप मुझे समजाएगी ना की सामने वाला क्या कहना चाहता है। मतलब दुभाषिया। लुइ ने भी अपनी टूटी फूटी हिंदी में कहा।

“ओह्ह हाँ,हाँ, क्यों नहीं....मैं तो हु ही आपके साथ और रहूंगी मुझे रमेश ने बता के रखा है की जब तक आप यहाँ है आपको मुज से अलग नहीं करना है।“

“चलिए कुछ बाते मैं सामने से ही बता देती हूँ।“ जानकी ने अपने हाथ लुइ के हाथ के पास रखते हुए कहा।

“जी, आपसे सुन ने के लिए काफी इच्छुक हूँ। बताइए क्या बता देना चाहती है।“

देखिये लुइ साब सब से पहले तो आप मेरे नाम के पीछे से “जी”शब्द निकाल दीजिये, कुछ अजीब सा लगता है, हम इस गाव में सभी को नाम से पुकारते है। आप भी मुझे जानकी से पुकारा कीजिये। इसमें बातचीत में अपनापन महसूस होता है। वैसे भी आप की भाषा में फ्रेंड कहते है है न!”

“हाँ,हम लोग फ्रेंड यानी की दोस्त ही कहते है।क्या हम दोस्त बन सकते है?“ लूनी ने बच्चो की तरफ से नजर हटाके जानकी तरफ देखते हुए कहा।

“हाँ, हम दोस्त बन सकते है, बल्कि हम दोस्त ही तो है।“ और वह खिलखिलाट हँस दी। उसकी हँसी से लुइ थोडा सा असहज महसूस करने लगा क्योकि वह उस मुस्कान में जानकी बहोत ही दीप्तिमान लग रही थी। लेकिन उसकी यह मुस्कान में कोई स्वार्थ नहीं था।

“ठीक है चलो जानकी मुझे अब इस गाव के बारे में ओर भी बताओ, किस एयः सब शुरू हुआ!”

“क्या शुरू हुआ?” जानकी अभीभी भोली ही लग रही थी।

“यह ब्रिस्ट फीडिंग रिवाज!”

ओह्ह हाँ, सब से पहले यहाँ के कुछ शब्द जान लो लुइ साब। जानकी ने अपनी आँखे लुइ की आँखों से मिलाई।

“कौनसे शब्द जानकी? और हां मई भी साब नहीं हु सिर्फ लुइ हूँ। ओके?”

जानकी ने एक निर्दोष मुस्कान लुइ की तरफ फेंकी और बोली: “ओके”

जानकी ने थोडा अंतर बनाते हुए कहा: “यह जो आप ब्रिस्ट फीफिंग कहते है उसको मैं यह समजती हु की आप स्तनपान की बात करते हो राईट?”

“हाँ,मेरा वही मतलब था।“ लुइ अब थोडा जानकी के करीब अपने सिर को ले जाते हुए कहा।

“देखो लुइ, यहाँ ना तो स्तनान चलता है और नाही ब्रिस्टफीडिंग, यहाँ हम दुहाना कहते है।“ जानकी “दुहना”शब्द बोलते हुए थोड़ी शरमाई।

“और जिनको आप लोग स्तन कहते है या फिर बूब्स कहते है इसे यहाँ बोबले के नाम से जाना जाता है।“

“बोबले?” लुइ थोडा हँसा। “हम टिट्स भी कहते है।“
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना है

“हाँ, यह यहाँ की भाषा में प्रचलित है,और दुहना मतलब यह है की स्तनों को चुसना और उस में से दूध निकालना या चुसना। जो आप ने देखा था।“

“दुहना,काफी अच्छा शब्द है लेकिन मेरे ख्याल से यह गाय में से धुध निकाल ने की प्रक्रिया को कहते है।“

“हम औरते भी तो एक प्रकार से गाय ही है, गाय भी दूध देती है और हम औरते भी। दोनों समान्तर ही तो है।“ जनाकि ने देखा की लुइ कुछ ज्यादा करीब आ गया है तो वह उठ खड़ी हुई और थोडा अंतर बना के फिर से बैठ गई।

“लेकिन एक बात बताओ जानकी, आप के तो बच्चे नहीं है फिर भी आप दूध से भेरे हुए हो ऐसा कैसे?”

“कौन कहता है की मेरे बच्चे नहीं है! गाव के सभी बच्चे मेरे ही तो है। सभी मर्द मेरे ही बच्चे तो है। जब वह मुझे दुहोते है तब वह सभी मेरे बच्चे ही है।“

हाँ यह सच है की आप ऐसा मानते है, या फिर यहाँ सब ऐसा मानते है।“ उसने थोडा हिचकिचाते हुए कहा “फिर भी!”



“मैंने पहले भी आपको बताया था की जरुरी नहीं माँ बन न दूध देने के लिए प्रेम से भी दूध आता है।“ जानकी ने अपने हाथ अपनी छाती पे ले जाते हुए कहा।

“मैं तुम्हारे साथ सहमत हु लेकिन विज्ञान कुछ अलग ही कहता है।

हाँ आपका विज्ञान अलग कहता है, लेकिन यहाँ दूसरा हि चलता है। जो अब तक आपने देखा। और जानकी ने अपने स्तनों को थोडा दबाया और उसके निपल ने दूध उगल दिया।

“देखो यह तुम्हारे सामने ही है ना, मैं अभी तक माँ नहीं बनी पर मेरे चुंची ने मेरा दूध बहाया ना।“

“हाँ, देखा तो था और वही तो समजना है की कौन सही, जो मैं देख रहा हूँ वो या फिर जो मैं पढ़ा हूँ वह!” उसकी नजर अब जानकी की नोकीली निपल पर पड़ी रही।

जानकी ने कोइ विरोध ना जताते हुए कहा: “दोनों अपनी जगह सही है लुइ।”

“पर कैसे?” लुइ अभी तक उस निपल्स को देख रहा था जहा से दूध टपकता था। उसके ब्लाउज को ख़राब कर रहा था।

ओके, सब से पहले तो यह समज लो की यहाँ बोबले मतलब स्तन, बूब्स है और चूंची मतलब निपल्स है, आई बात समज में!”

“हाँ समज गया, अब से ऐसा ही बोलने का प्रयास करूँगा।“

“और अब यह समजो की यहाँ हर औरत को दूध कैसे आता है। अब जानकी निखालस हो के लुइ के पास गई और बैठ गई।

“जब लड़की अपने उम्र में आती है। अब अपनी उम्र तो पता है ना।“

लुइ उसके सामने प्रश्नार्थ नजरो से देख रहा था।

“हे भगवान् अब इसका क्या करू?”

जब लड़की निचे से टपकना चालु होता है तब, समजे? अरे भाई, आपकी भाषा में कहू तो जब लड़की पहली बार पीरियड्स में आती है तब।“

“ओह्ह, आई सी.....माफ़ करना नहीं समज सका था।“

“ओके अब समजे,तो जब लड़की निचे से टपकती है तब घर में एक अच्छा माहोल बनता है, घरवाले अच्छी मिठाई बना के सब में बाटते है की वह लड़की अब तैयार है।फिर दूसरी बार सही समय पे टपकती है तो, यह पक्का किया जाता है की अब वह लड़की सही तरीके से अपने उम्र में आ गई है। घर की औरते अच्चा सा मुहूर्त देख के यहाँ जंगल से पैदा हुई XXXX जड़ीबुट्टी ले आते है या घर में ही होती है, उस लड़की के बोबले पर लगाना शुरू करते है। कुछ समय में ही उस लड़की के बोबले बड़े होना चालू हो जाता है। थोड़े समय के लिए यही प्रेक्टिस रहती है, शुरुआत में दिन में एक बार फिर दो बार फिर तीन बार तक लगाते है, जब तक उसके बोबले सही आकर में ना हो जाए। एक बार उसके बोबले और चुंची नोकीले हो जाते है फिर माँ उसकी चुन्ची को खिंच खिंच के आगे की तरफ ले आती है। और कुछ महीनो के बाद उसे YYYY जड़ीबुट्टी खिलाना चालू हो जाता है। और कुछ समय के बाद उसके स्तनों भरने चालू हो जाता है। और जब पक्का हो जाता है की उसके स्तन अब दूध भर रहे है तो घरवाले एक जश्न की तरह प्रांग मनाते है और लोगो को बताते है की उनकी लड़की अब दुहाने के लायक है। जब तक थोडा थोडा दूध बनता है तब उस लड़की को छोटे बच्चे को अपनी निपल देने का शुरू करते है। शुरुआत घर के बच्चो से होती है पर आमतौर पर गाव के सभी बच्चे, क्यों की यहाँ सब साथ ही तो खेलते बड़े होते है। कुछ बच्चे उसकी निपल्स को चूस चूस के बड़ी और दूध बनाने के सक्षम बना देते है। और एक समय आता है की वह एक दुधारू लड़की बन जाती है। और वह कसी भी मर्द को अपना निपल दे सकती है।और कही भी। गाव में कही भी बैठ के वह अपने आपको दुहा सकती है। बिना रोकटोक। यह मैंने बहोत संक्षिप्त में तुमको बताया। जैसे जैसे हम गाव में जाते रहेगे आपको यहसब देखने को मिल जाएगा।“

लुइ, इतना सुन कर, सिर्फ इतना बोल पाया, “ओह्ह माय गॉड।“
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

बस इसीतरह की गाव की रित और रिवाजो की अदान-प्रदान होती रही।

********

बने रहिये और इस एपिसोड के बारे में आपके मंतव्य दीजिये................
बहुत ही शानदार लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं मजा आ गया
एक नयी प्रकार की कहानी है मजा आ गया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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एक बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है मजा आ गया
Ji bahot bahot dhanyawad aapka
Aap ke mantavya muje aur behtar karne ke liye ek khurak saman hai.
 
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बहुत ही शानदार लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं मजा आ गया
एक नयी प्रकार की कहानी है मजा आ गया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Ji napstr sahab

Param-sundari aur yah kahani bhinn hai. Yaha utna ashlilta nahi jaha us kahani me hai.
Yaha ashlilta ko thida chhipane ka prayas hai aur ek natural kahani banane ka prayas hai.
Param-sundari to aap jante hi hai.
Dono likhavat me bhinnata hai.
Asha hai ki yah story bhi aap ko pasand aayegi.

Shayad yah kahani likhavat premio ke liye hai. Jaha shabdo ka prayog kiya gaya hai.
Jaise ki jaanki ki aavaj mandir ki ghanti jaisi thi.
Yahi jaanki ki avaj madhur thi kah kar aage ja sakye the.
Prayas hai bas aap sab kaa prem aur sahkar se kahani ko aage badhaungi.
 
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Sushil@10

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जानकी हँसी, उसकी आवाज़ मंदिर की घंटियों जैसी थी। "मैं चाहती थी कि आपको घर जैसा महसूस हो। स्तनापुर छोटा है, लेकिन हमारे दिल बड़े हैं। आपको कई सवाल पूछने होंगे, है ना? हम आपको सब कुछ दिखाएँगे।" उसने उसे अपनी छाती दबाकर अपनी क्लीवेज दिखाई।


अब आगे...............


शादी को एक साल हो गया था, फिर भी इस जोड़े के अभी तक कोई बच्चा नहीं था। फिर भी, जैसे-जैसे वे छायादार गलियों में चल रहे थे, लुई ने देखा कि कैसे बच्चे जानकी के पास झुंड में आ रहे थे। छोटे बच्चे उसकी उंगलियाँ पकड़े हुए थे; बड़े लड़के उसके चुटकुलों पर खिलखिलाते हुए उसके पास झुके हुए थे। उसके पास हर किसी के लिए कुछ न कुछ था—कोई चिढ़ाने वाला शब्द, कोई लोरी, किसी के कान पर हल्की सी झप्पी। वह खुलकर देती थी, और बच्चे उसकी खुशी को धूप की तरह सोख लेते थे।

रास्ते के एक मोड़ पर, लगभग छह साल का एक लड़का दौड़कर आया और उसकी कमर से चिपक गया, उसका चेहरा उसके कूल्हे से सटा हुआ था।

"अरे, तुम फिर से!" जानकी ने झुककर चिढ़ाते हुए कहा। "क्या मैंने तुम्हें आज सुबह खाना नहीं खिलाया? अब क्या शरारत करने आये हो?"

उसने उसे आसानी से उठा लिया, उसे अपने कूल्हे पर टिकाकर एक नीची पत्थर की दीवार पर बैठ गई। लुई उत्सुकता से देख रहा था कि कैसे उसने एक हाथ से अपना पल्लू ठीक किया, जिससे उसके भरे हुए, सुंदर स्तन का उभार दिखाई दे रहा था। उसका बड़ा और कोमल निप्पल, गर्मी से नरम पड़े सांवले रंग के एरिओला के बीच में था, और उस स्तन की सुन्दरता को बढ़ावा दे रहा था। बिना किसी हिचकिचाहट के, उसने लड़के को अपने पास खींच लिया। उसके होंठ सहज ही खुल गए, और वह उससे चिपक गया, उसके गाल गोल हो गए और वह दूध चूसते हुए पीने लगा।

आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी: एक धीमी, लयबद्ध खिंचाव, गीली और उद्देश्यपूर्ण। लड़के की पलकें फड़फड़ा रही थीं, उसके हाथ ढीले पड़ गए थे, उसकी साँसें पोषण की लय के साथ धीमी हो रही थीं। जानकी उसे बेहतर सहारा देने के लिए थोड़ा झुकी, अपनी हथेली से उसका सिर सहलाया, उंगलियाँ उसके घने बालों में फिरा रही थीं।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

"वे जानते हैं कि मेरे पास दूध है," उसने शांत, आत्मविश्वास से भरी मुस्कान के साथ लुई की ओर देखते हुए कहा। "भले ही मेरा अपना कभी बच्चा नहीं रहा। प्यार से भी दूध बनता है।"

लुई श्रद्धा और अविश्वास के बीच फँसा हुआ, जड़वत खड़ा था। उसने प्रतीकात्मक दूध पिलाने की रस्मों, सामुदायिक दूध पिलाने की रस्मों और विभिन्न महाद्वीपों की मातृ-कथाओं का अध्ययन किया था - लेकिन यह अलग था। यहाँ कोई रस्म नहीं थी, कोई प्रदर्शन नहीं। बस एक महिला खुले में, शांति से, बच्चे को दूध पिला रही थी।



Breast-feeding14

रमेश, लुई के विस्मय को भाँपकर, धीरे से हँसा। "हमारे गाँव में," उसने कहा, "दूध सबके लिए है, यही हमारे गाव की पहचान है।"

जानकी ने सिर हिलाया, अभी भी दूध पिला रही थी, उसकी आवाज़ कोमल और दृढ़ थी। "हम इसे बाँटते हैं। कहानियों की तरह। गर्मियों में आमों की तरह। लड़के मज़बूत होते हैं, और हम भी। तुम्हें हैरानी हो रही होगी, शायद। लेकिन तुम देखोगे - प्यार से दूध पिलाने में कोई शर्म नहीं है।"

उसका स्तन लड़के की चूसने की लय के साथ ऊपर-नीचे हो रहा था। जब उसका चूसना धीमा हुआ, तो उसने करवट बदली और बिना किसी झिझक के दूसरा निप्पल उसके सामने पेश किया। लड़का, अब लाल और भारी पलकों वाला, लालची परिचितता के साथ नए स्तन की ओर बढ़ा, होंठ उसके चारों ओर लिपटे हुए, जीभ सहज समन्वय के साथ चल रही थी। लुई ने सूक्ष्म बदलाव को नोटिस किया - यह स्तन तेज़ी से ढीला हुआ, और बच्चे का घूँटना तेज़ हो गया, उसके हाथ अब उसके पेट पर धीरे से थपथपा रहे थे। वह लड़के के जबड़े की हरकत, निप्पल पर जीभ की लयबद्ध गति और दूध को स्पंदनों के रूप में बाहर निकालने का तरीका भी देख सकता था। लूई इस बात से परिचित तो था और तभी वह यहाँ था, लेकिन अब वह विस्मित था। जो पढ़ा गया था, वह उसके सामने साक्षात् हो रहा था।

जानकी ने धीरे से साँस छोड़ी, अपने खाली हाथ से कनपटी से पसीना पोंछा। कोई छिपाव नहीं था, कोई माफ़ी नहीं थी - बस ज़िंदगी यही थी। लुई ने सिर हिलाया, उसकी साँस गले में अटक गई। इस क्रिया में - शांत, अघोषित, बिना किसी वर्जना के - उसने कुछ मौलिक देखा। अपनापन, सुकून, निरंतरता। लूई के मस्तिष्क में कोई एसा भाव नहीं था जिस से वह उन्माद हो सकता था। सब कुछ सामान्य।

कुछ समय बाद जानकी ने उस लड़के से अपने निप्पल को छुडाते हुए कहा: “बस, अब हो गया! अब जब भूख लगे आ जाना तब तक खेलो यहाँ।“ लड़का उठ खड़ा हुआ और अपने दोस्तों के पास चला गया। जानकी ने अपने नंगे स्तन को ब्लाउज में सही टिके से समा लिया और उठते हुए बोली, “चलो लूई जी घर चलते है, आपको भी भूख लगी होगी। थोडा नाश्ता कर लीजिये बाद में हम आराम से बात करेंगे और आपकी खोज को अंजाम देने की कोशिश करेंगे।“
आप मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है

लूई के पास को इजवाब नहीं था। वह बस मुस्कुराके जानकी को आगे बढ़ने का हाथ से इशारा किया और सब चल पड़े। उस दिन, बाद में, जैसे-जैसे रोशनी धीमी हुई और परछाइयाँ लंबी होती गईं, वे मिट्टी की दीवारों और फूस की छत वाले एक साधारण घर में पहुँचे।

घर पहुचके तीनो ने जानकी के द्वारा बनाया गया नाश्ता किया और इधर-उधर की बाते हुई। कुछ गाव के बारे में तो कुछ लूई ने आने बारे में बता के एक दुसरे को जान ने के लिए आदान-प्रदान किया।


******


Ees episode ke baare me aapke opinions me pratiksha rahegi.
Nice update
घर पहुचके तीनो ने जानकी के द्वारा बनाया गया नाश्ता किया और इधर-उधर की बाते हुई। कुछ गाव के बारे में तो कुछ लूई ने आने बारे में बता के एक दुसरे को जान ने के लिए आदान-प्रदान किया।

****** यहाँ तक आपने पढ़ा।

अब आगे...............
“चलिए. आइये अब यहाँ बैठ जाइये इस पेड़ के निचे और बाते करते है।“जानकी ने अपनी वही खुबसूरत मुस्कान के साथ कहा। लुइ के पास ओर कोई चारा ही नही था।वह उठ के वही जो जानकी ने बताई थी वह खात पर जा के बैठ गया।


“हा, अब ठीक है, यहाँ हम आराम से बात कर सकते है। जानकी ने वही अपनी छोटी मुस्कान लुइ के मुह पर थोपते हुए कहा।

“जी, अब तो मैं यहाँ आगे अहू काफिछोता गाव है लेकिन बहोत रमणीय गाव है, यहाँ की आबोहवा भी अच्छी है।“ लुइ ने भी थोडा स्माइल के साथ अपनी बात कही।

“लुइ साब इस गाव की तो बात ही निराली है, यहाँ हम सभी प्यार से रहते है, कोई गिला शिकवा नहीं है सभी लोग आपस में एक दुसरे से हदे रहेते है।“ जानकी ने अपनी बात को जोड़ते हुए कहा: लेकिन लुइ साब हम आपके जितना पढ़े लिखे और समजदार तो नहीं है, इसलिए आपको भी हमारी भाषा समजनी और बोलनी पड़ेगी तभी तो आप अपनी खोज के लक्ष्य तक पहुच पायेंगे।“
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

“देखिये जानकीजी मैं इस देशमे पहले भी आया हुआ हु और कुछ बाते और शब्द मुझे आते है। मुझे समजने में कोई प्रॉब्लम नहीं आती लेकिन हां बोलने में काफी दिक्कत हो सकती है। लेकिन हर चीज का उपाय होता है।“ लुइ ने जानकी की आँखों से आँखे मिलाते हुए कहा।

“उपाय? अब इसका क्या उपाय है? आप ही बताइए!” जानकी भी अब लुइ के बगल में आके बैठ गई। कुछ छोटे बच्चे उनके इर्दगिर्द घुमाते और खेलते नजर आते थे।

“आप जो हो जानकीजी!” लुइ ने बच्चो की तरफ नजर डालते हुए कहा।

मैं! क्या.....मैं....मैं क्या उपाय दे सकती हु यह तो आपको करना है हम तो अनपढ़ गंवार है, हमें क्या पता आपकी खोज और संशोधन के बारे में। जानकी ने यह हिंदी में कहा।
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

आप मुझे समजाएगी ना की सामने वाला क्या कहना चाहता है। मतलब दुभाषिया। लुइ ने भी अपनी टूटी फूटी हिंदी में कहा।

“ओह्ह हाँ,हाँ, क्यों नहीं....मैं तो हु ही आपके साथ और रहूंगी मुझे रमेश ने बता के रखा है की जब तक आप यहाँ है आपको मुज से अलग नहीं करना है।“

“चलिए कुछ बाते मैं सामने से ही बता देती हूँ।“ जानकी ने अपने हाथ लुइ के हाथ के पास रखते हुए कहा।

“जी, आपसे सुन ने के लिए काफी इच्छुक हूँ। बताइए क्या बता देना चाहती है।“

देखिये लुइ साब सब से पहले तो आप मेरे नाम के पीछे से “जी”शब्द निकाल दीजिये, कुछ अजीब सा लगता है, हम इस गाव में सभी को नाम से पुकारते है। आप भी मुझे जानकी से पुकारा कीजिये। इसमें बातचीत में अपनापन महसूस होता है। वैसे भी आप की भाषा में फ्रेंड कहते है है न!”

“हाँ,हम लोग फ्रेंड यानी की दोस्त ही कहते है।क्या हम दोस्त बन सकते है?“ लूनी ने बच्चो की तरफ से नजर हटाके जानकी तरफ देखते हुए कहा।

“हाँ, हम दोस्त बन सकते है, बल्कि हम दोस्त ही तो है।“ और वह खिलखिलाट हँस दी। उसकी हँसी से लुइ थोडा सा असहज महसूस करने लगा क्योकि वह उस मुस्कान में जानकी बहोत ही दीप्तिमान लग रही थी। लेकिन उसकी यह मुस्कान में कोई स्वार्थ नहीं था।

“ठीक है चलो जानकी मुझे अब इस गाव के बारे में ओर भी बताओ, किस एयः सब शुरू हुआ!”

“क्या शुरू हुआ?” जानकी अभीभी भोली ही लग रही थी।

“यह ब्रिस्ट फीडिंग रिवाज!”

ओह्ह हाँ, सब से पहले यहाँ के कुछ शब्द जान लो लुइ साब। जानकी ने अपनी आँखे लुइ की आँखों से मिलाई।

“कौनसे शब्द जानकी? और हां मई भी साब नहीं हु सिर्फ लुइ हूँ। ओके?”

जानकी ने एक निर्दोष मुस्कान लुइ की तरफ फेंकी और बोली: “ओके”

जानकी ने थोडा अंतर बनाते हुए कहा: “यह जो आप ब्रिस्ट फीफिंग कहते है उसको मैं यह समजती हु की आप स्तनपान की बात करते हो राईट?”

“हाँ,मेरा वही मतलब था।“ लुइ अब थोडा जानकी के करीब अपने सिर को ले जाते हुए कहा।

“देखो लुइ, यहाँ ना तो स्तनान चलता है और नाही ब्रिस्टफीडिंग, यहाँ हम दुहाना कहते है।“ जानकी “दुहना”शब्द बोलते हुए थोड़ी शरमाई।

“और जिनको आप लोग स्तन कहते है या फिर बूब्स कहते है इसे यहाँ बोबले के नाम से जाना जाता है।“

“बोबले?” लुइ थोडा हँसा। “हम टिट्स भी कहते है।“
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना है

“हाँ, यह यहाँ की भाषा में प्रचलित है,और दुहना मतलब यह है की स्तनों को चुसना और उस में से दूध निकालना या चुसना। जो आप ने देखा था।“

“दुहना,काफी अच्छा शब्द है लेकिन मेरे ख्याल से यह गाय में से धुध निकाल ने की प्रक्रिया को कहते है।“

“हम औरते भी तो एक प्रकार से गाय ही है, गाय भी दूध देती है और हम औरते भी। दोनों समान्तर ही तो है।“ जनाकि ने देखा की लुइ कुछ ज्यादा करीब आ गया है तो वह उठ खड़ी हुई और थोडा अंतर बना के फिर से बैठ गई।

“लेकिन एक बात बताओ जानकी, आप के तो बच्चे नहीं है फिर भी आप दूध से भेरे हुए हो ऐसा कैसे?”

“कौन कहता है की मेरे बच्चे नहीं है! गाव के सभी बच्चे मेरे ही तो है। सभी मर्द मेरे ही बच्चे तो है। जब वह मुझे दुहोते है तब वह सभी मेरे बच्चे ही है।“

हाँ यह सच है की आप ऐसा मानते है, या फिर यहाँ सब ऐसा मानते है।“ उसने थोडा हिचकिचाते हुए कहा “फिर भी!”



“मैंने पहले भी आपको बताया था की जरुरी नहीं माँ बन न दूध देने के लिए प्रेम से भी दूध आता है।“ जानकी ने अपने हाथ अपनी छाती पे ले जाते हुए कहा।

“मैं तुम्हारे साथ सहमत हु लेकिन विज्ञान कुछ अलग ही कहता है।

हाँ आपका विज्ञान अलग कहता है, लेकिन यहाँ दूसरा हि चलता है। जो अब तक आपने देखा। और जानकी ने अपने स्तनों को थोडा दबाया और उसके निपल ने दूध उगल दिया।

“देखो यह तुम्हारे सामने ही है ना, मैं अभी तक माँ नहीं बनी पर मेरे चुंची ने मेरा दूध बहाया ना।“

“हाँ, देखा तो था और वही तो समजना है की कौन सही, जो मैं देख रहा हूँ वो या फिर जो मैं पढ़ा हूँ वह!” उसकी नजर अब जानकी की नोकीली निपल पर पड़ी रही।

जानकी ने कोइ विरोध ना जताते हुए कहा: “दोनों अपनी जगह सही है लुइ।”

“पर कैसे?” लुइ अभी तक उस निपल्स को देख रहा था जहा से दूध टपकता था। उसके ब्लाउज को ख़राब कर रहा था।

ओके, सब से पहले तो यह समज लो की यहाँ बोबले मतलब स्तन, बूब्स है और चूंची मतलब निपल्स है, आई बात समज में!”

“हाँ समज गया, अब से ऐसा ही बोलने का प्रयास करूँगा।“

“और अब यह समजो की यहाँ हर औरत को दूध कैसे आता है। अब जानकी निखालस हो के लुइ के पास गई और बैठ गई।

“जब लड़की अपने उम्र में आती है। अब अपनी उम्र तो पता है ना।“

लुइ उसके सामने प्रश्नार्थ नजरो से देख रहा था।

“हे भगवान् अब इसका क्या करू?”

जब लड़की निचे से टपकना चालु होता है तब, समजे? अरे भाई, आपकी भाषा में कहू तो जब लड़की पहली बार पीरियड्स में आती है तब।“

“ओह्ह, आई सी.....माफ़ करना नहीं समज सका था।“

“ओके अब समजे,तो जब लड़की निचे से टपकती है तब घर में एक अच्छा माहोल बनता है, घरवाले अच्छी मिठाई बना के सब में बाटते है की वह लड़की अब तैयार है।फिर दूसरी बार सही समय पे टपकती है तो, यह पक्का किया जाता है की अब वह लड़की सही तरीके से अपने उम्र में आ गई है। घर की औरते अच्चा सा मुहूर्त देख के यहाँ जंगल से पैदा हुई XXXX जड़ीबुट्टी ले आते है या घर में ही होती है, उस लड़की के बोबले पर लगाना शुरू करते है। कुछ समय में ही उस लड़की के बोबले बड़े होना चालू हो जाता है। थोड़े समय के लिए यही प्रेक्टिस रहती है, शुरुआत में दिन में एक बार फिर दो बार फिर तीन बार तक लगाते है, जब तक उसके बोबले सही आकर में ना हो जाए। एक बार उसके बोबले और चुंची नोकीले हो जाते है फिर माँ उसकी चुन्ची को खिंच खिंच के आगे की तरफ ले आती है। और कुछ महीनो के बाद उसे YYYY जड़ीबुट्टी खिलाना चालू हो जाता है। और कुछ समय के बाद उसके स्तनों भरने चालू हो जाता है। और जब पक्का हो जाता है की उसके स्तन अब दूध भर रहे है तो घरवाले एक जश्न की तरह प्रांग मनाते है और लोगो को बताते है की उनकी लड़की अब दुहाने के लायक है। जब तक थोडा थोडा दूध बनता है तब उस लड़की को छोटे बच्चे को अपनी निपल देने का शुरू करते है। शुरुआत घर के बच्चो से होती है पर आमतौर पर गाव के सभी बच्चे, क्यों की यहाँ सब साथ ही तो खेलते बड़े होते है। कुछ बच्चे उसकी निपल्स को चूस चूस के बड़ी और दूध बनाने के सक्षम बना देते है। और एक समय आता है की वह एक दुधारू लड़की बन जाती है। और वह कसी भी मर्द को अपना निपल दे सकती है।और कही भी। गाव में कही भी बैठ के वह अपने आपको दुहा सकती है। बिना रोकटोक। यह मैंने बहोत संक्षिप्त में तुमको बताया। जैसे जैसे हम गाव में जाते रहेगे आपको यहसब देखने को मिल जाएगा।“

लुइ, इतना सुन कर, सिर्फ इतना बोल पाया, “ओह्ह माय गॉड।“
मैत्री और फनलवर की अनुवादित रचना है

बस इसीतरह की गाव की रित और रिवाजो की अदान-प्रदान होती रही।

********

बने रहिये और इस एपिसोड के बारे में आपके मंतव्य दीजिये................
Superb update
 

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चलिए अब कहानी को थोडा आगे की ओर लेके जाते है................

बने रहिये...................
 
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