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Fantasy लुइ के पन्ने!

Funlover

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दोनों लडके अब रमेश की और बढे और कुछ जरुरी खेतकाम के औजार हाथ में पकड़ा और रमेश के साथ चल दिए। लेकिन जानकी ने पाया की उनकी चाल निराश थी। जैसे उन्हों ने अपनी दुनिया खो दी हो।



पीछे जानकी की आँखों में आंसू की एक लकीर उसके गालो तक बह गई। निराश थी की उसके बच्चे को अपने थन नहीं दे पायी।



********

अब आगे..............



तुरंत उसने अपने आप को संभाला और बोली; “चलो माजी खाना बना ले फिर वह उठ जाएगा तो उसे लेकर जाना पड़ेगा। फिर आप अकेली रह जायेगी। वह अपने चूले की ओर बढ़ी।


माँ भी उसके पीछे-पीछे दूसरा काम और मदद करने चल दी।

जानकी जाते जाते फिर से बगलवाले कमरे में एक नजर डाल आई।

माँ; “सो रहा है?”

जानकी: “हाँ, माँ सो रहा है, तबेले के सब घोड़े बेच कर चेन की नींद ले रहा है।“ वह एक निसासा के साथ बोली।

अनुभवी और जानकार माँ ने यह देख लिया और अपने अन्दर ही अन्दर मुस्कुराने लगी।

जानकी ने आके चूल्हे पर फूंक मारी और एक ज्वलन लकड़ी को उठा के केरोसिन में डुबाया और दियासली (मेच बॉक्स) ले के उस लकड़ी को जलाया और चूल्हे के अन्दर रखा ताकि बाकी लकडिया जल सके। माँ उसके करीब आके बैठ गई। अब घर में कोई ना होने की वजह से माँ ऐसे बैठी की उनकी भोस आराम से दर्शनीय थी। उसने अपना घाघरा की डोरी के बिच में से बीडी का पेकेट निकाला और दो बीडी निकाली। जलाने के लिए चूल्हे से एक छोटी सी जलती हुई लकड़ी को उठा के बीडी के दुसरे छेड़े पे चाम्प दी। मुंह में से एक बीडी निकाल के उन्हों ने जानकी को देते हुए कहा।

“पसंद है?”

जानकी ने बीडी हाथ में लेके अपने मुंह पर रखते हुए अपने सिर हिला के पूछा; “क्या पसंद है माँ?”

“वही जिस को अभी भी तुम देख के आई।“

लूई?...इसमें पसंद और नापसंद की क्या बात है माँ? अच्छा पुरुष है, हम से एकदम अलग और भिन्न!”

“अरे तू तो ऐसे बात करती है जैसे मैं अभी नौसिखिया हूँ।“

“सच बता।“

“माँजी आप भी ना! आपके हाथ में कोई बात आनी चाहिए बस, फिर आप बात का बतंगड़ बनाके ही छोड़ते हो। आराम से नशा करो और बहार देखो कोई चुस्नेवाला है तो जरा अपने बोबले को खली करा दो।“

“देख जानकी, तुम मेरी बहु नहीं बल्कि एक बेटी हो, मैंने कभी तुम से कोई भेदभाव नहीं रखा और जहा तक मुझे याद है तुमने कोई भी बात मुझ से आज तक तो छिपाई नहीं। मुझे यकीन है की आगे भी तुम मुझ से तो कुछ छुपाएगी नहीं।“

“माँजी, आप जानते तो हो ना यह सब की मैंने कभी आपसे कुछ भी नहीं छुपाया, और आगे भी नहीं छुपाऊँगी फिर आप वहि की वही बात करते रहते है। उन्हों ने भी आज जाते-जाते यही बात कही थी।

“हाँ, बेटी मुझे पता है रमेश से मेरी बात हो चुकी है। उसका कहना है की तुम अभी डरी हुई हो, मुझे यह बता की तुम्हे किस बात का डर है बेटी?”

“अरे, माँ आपके और आपके बेटे के होते हुए मुझे किस बात का डर होना है? जो है सब आपके सामने है। उन्हों ने कल रात को मुझे कहा की मैं अब थन लूई को दू और उसे दुहाने दू। मैंने वैसा ही किया, मैं उसके सामने गांड रख कर सो गई थी बिच में और लूई के सामने अपने थानों को रख के सोई थी। उसने सुरुआत में नहीं चूसा पर, रमेशजी ने पीछे से मेरी गांड को थपथपाया और इशारा किया मैं ही कुछ आगे बढ और मैंने ही चुन्ची को उसके मुंह में डाला। इसमें क्या छुपाना है आपसे।“

“और रमेश ने कुछ कहा नहीं बच्चे के बारे में?”

जानकी ने माँ की भोस के सामने देखते हुए कहा: माँजी, उन्हों ने कहा की मेरे खेत में उसके पानी से सींच ने दू और एक बच्चा रख लू। पर मैंने अभी मना किया।“

क्यों बेटी? उसमे क्या बुरा है? अगर तेरे ससुर होते तो तुम उनको मना करती एक बच्चा उनसे लेने में? यहाँ घर के सभी का हक है की घ में सभी खेतो में अपने हल चलाये फिर समस्या क्या है? यह तो तेरे नशीब में नहीं था ससुर वरना ...हो सकता था की तुम अब तक उन्केल्न्द से माँ बन गई होती। माँ ने जानकी के माथे पे हाथ फिराया और जोड़ा “गलत कह रही हु मैं?”

“नहीं माँ आप गलत नहीं कह रही हो, लेकिन यह हमारे गाँव का रिवाज है और हमें उसी में चलना है, लेकिन यह विदेशी है कल उठ के यही गाँव वाले मेरी गांड में ऊँगली कर सकते है और पंचायत में फ़रियाद कर सकते है। उस वक़्त मैं इस बच्चे को लेके कहा जाऊ? हो सकता है की पंचायत के डर से आप लोग भी मुझे इस गाँव से निकाल दे।हमरे गाँव में बाहरी से सबंध बनाना पंचायत की मजूरी के बिना गुनाह है। और यह बाहरी ही है।“

“बहनचोद तुम हमें अपना मान ही नहीं रही हो। पंचायत का तुम्हे मालुम ही नहीं है, अगर पति की अनुमति से चूत चोदी जाए तो कोई गुनाह नहीं है और यहाँ तो मैं और रमेश दोनों तेरे साथ है। फिर खेत में हल चलाना पंचायत का कम नहीं है। वैसे भी तेरी जानकारी के लिए कह दू की कल मैं मुखिया से बात कर चुकी हूँ, जब वह मुझे दोहों रहे थे तब मैंने उनके कान में अपनी बात कह दी थी और उन्हों ने भी कहा जब जानकी का पति यानी की रमेश को कोई समस्या नहीं है तो विदेशी हो या पडोशी जानकी अपनी जमीन में उसका बिजदान ले सकती है। लेकिन जानकी उस से शादी नहीं कर सकती लेकिन दुसरे पति की तौर पर रख सकती है। या फिर तुम ही शादी कर लो वैसे भी तुम अभी विधवा हो तो पंचायत को कोई परेशानी नहीं है और वह ससुर के नाते बहु को आराम से चोद सकता है।“

“नहीं ऐसा नहीं हो सकता, मैं उसे नहीं दे सकती।“ जानकी के मुंह से अनायास ही निकल गया जिसे माँ ने प्पकड़ लिया।

जानकी उठी और डिब्बे से कुछ निकाल ने के लिए ऊपर उठी। माँ भी उठी और जानकी को पकड़ते हुए कहा “दुहोअती गाय और चुदासी नार कभी अपने आप को छुपा नहीं सकती, गाय भी जब दुहाती है तो अणि पूंछ से चूत को सहलाती है वैसे ही नार भी अपने आकर्षण को छुपाना नहीं जानती।“

जानकी के चहरे पर एक लालश आ गई। “माँ!!!” बस उतना कह के माँ से लिपट गई।

माँ भी उसे दुलारती रही और बोली: “पता है जब मैं रमेश को ऊँगली पे लेके आई थी, (अगले पति का बच्चे) तब घर में मेरे ससुर और साँस दोनों ने मिलके मेरी चूत की पूजा की थी। बड़ा वाला मेरे ससुर का और छोटावाला तेरे ससुर का।“



****************

आज के लिए बस इतना ही, जैसे ही समय मिलेगा हम इस कहानी में आगे जानेंगे
बस, आप लोगो से हुजरिश है की आप अपने मंतव्यो देने में कोई कंजुसाई ना रखे

। जय भारत
 

Sushil@10

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दोनों लडके अब रमेश की और बढे और कुछ जरुरी खेतकाम के औजार हाथ में पकड़ा और रमेश के साथ चल दिए। लेकिन जानकी ने पाया की उनकी चाल निराश थी। जैसे उन्हों ने अपनी दुनिया खो दी हो।



पीछे जानकी की आँखों में आंसू की एक लकीर उसके गालो तक बह गई। निराश थी की उसके बच्चे को अपने थन नहीं दे पायी।



********

अब आगे..............



तुरंत उसने अपने आप को संभाला और बोली; “चलो माजी खाना बना ले फिर वह उठ जाएगा तो उसे लेकर जाना पड़ेगा। फिर आप अकेली रह जायेगी। वह अपने चूले की ओर बढ़ी।


माँ भी उसके पीछे-पीछे दूसरा काम और मदद करने चल दी।

जानकी जाते जाते फिर से बगलवाले कमरे में एक नजर डाल आई।

माँ; “सो रहा है?”

जानकी: “हाँ, माँ सो रहा है, तबेले के सब घोड़े बेच कर चेन की नींद ले रहा है।“ वह एक निसासा के साथ बोली।

अनुभवी और जानकार माँ ने यह देख लिया और अपने अन्दर ही अन्दर मुस्कुराने लगी।

जानकी ने आके चूल्हे पर फूंक मारी और एक ज्वलन लकड़ी को उठा के केरोसिन में डुबाया और दियासली (मेच बॉक्स) ले के उस लकड़ी को जलाया और चूल्हे के अन्दर रखा ताकि बाकी लकडिया जल सके। माँ उसके करीब आके बैठ गई। अब घर में कोई ना होने की वजह से माँ ऐसे बैठी की उनकी भोस आराम से दर्शनीय थी। उसने अपना घाघरा की डोरी के बिच में से बीडी का पेकेट निकाला और दो बीडी निकाली। जलाने के लिए चूल्हे से एक छोटी सी जलती हुई लकड़ी को उठा के बीडी के दुसरे छेड़े पे चाम्प दी। मुंह में से एक बीडी निकाल के उन्हों ने जानकी को देते हुए कहा।

“पसंद है?”

जानकी ने बीडी हाथ में लेके अपने मुंह पर रखते हुए अपने सिर हिला के पूछा; “क्या पसंद है माँ?”

“वही जिस को अभी भी तुम देख के आई।“

लूई?...इसमें पसंद और नापसंद की क्या बात है माँ? अच्छा पुरुष है, हम से एकदम अलग और भिन्न!”

“अरे तू तो ऐसे बात करती है जैसे मैं अभी नौसिखिया हूँ।“

“सच बता।“

“माँजी आप भी ना! आपके हाथ में कोई बात आनी चाहिए बस, फिर आप बात का बतंगड़ बनाके ही छोड़ते हो। आराम से नशा करो और बहार देखो कोई चुस्नेवाला है तो जरा अपने बोबले को खली करा दो।“

“देख जानकी, तुम मेरी बहु नहीं बल्कि एक बेटी हो, मैंने कभी तुम से कोई भेदभाव नहीं रखा और जहा तक मुझे याद है तुमने कोई भी बात मुझ से आज तक तो छिपाई नहीं। मुझे यकीन है की आगे भी तुम मुझ से तो कुछ छुपाएगी नहीं।“

“माँजी, आप जानते तो हो ना यह सब की मैंने कभी आपसे कुछ भी नहीं छुपाया, और आगे भी नहीं छुपाऊँगी फिर आप वहि की वही बात करते रहते है। उन्हों ने भी आज जाते-जाते यही बात कही थी।

“हाँ, बेटी मुझे पता है रमेश से मेरी बात हो चुकी है। उसका कहना है की तुम अभी डरी हुई हो, मुझे यह बता की तुम्हे किस बात का डर है बेटी?”

“अरे, माँ आपके और आपके बेटे के होते हुए मुझे किस बात का डर होना है? जो है सब आपके सामने है। उन्हों ने कल रात को मुझे कहा की मैं अब थन लूई को दू और उसे दुहाने दू। मैंने वैसा ही किया, मैं उसके सामने गांड रख कर सो गई थी बिच में और लूई के सामने अपने थानों को रख के सोई थी। उसने सुरुआत में नहीं चूसा पर, रमेशजी ने पीछे से मेरी गांड को थपथपाया और इशारा किया मैं ही कुछ आगे बढ और मैंने ही चुन्ची को उसके मुंह में डाला। इसमें क्या छुपाना है आपसे।“

“और रमेश ने कुछ कहा नहीं बच्चे के बारे में?”

जानकी ने माँ की भोस के सामने देखते हुए कहा: माँजी, उन्हों ने कहा की मेरे खेत में उसके पानी से सींच ने दू और एक बच्चा रख लू। पर मैंने अभी मना किया।“

क्यों बेटी? उसमे क्या बुरा है? अगर तेरे ससुर होते तो तुम उनको मना करती एक बच्चा उनसे लेने में? यहाँ घर के सभी का हक है की घ में सभी खेतो में अपने हल चलाये फिर समस्या क्या है? यह तो तेरे नशीब में नहीं था ससुर वरना ...हो सकता था की तुम अब तक उन्केल्न्द से माँ बन गई होती। माँ ने जानकी के माथे पे हाथ फिराया और जोड़ा “गलत कह रही हु मैं?”

“नहीं माँ आप गलत नहीं कह रही हो, लेकिन यह हमारे गाँव का रिवाज है और हमें उसी में चलना है, लेकिन यह विदेशी है कल उठ के यही गाँव वाले मेरी गांड में ऊँगली कर सकते है और पंचायत में फ़रियाद कर सकते है। उस वक़्त मैं इस बच्चे को लेके कहा जाऊ? हो सकता है की पंचायत के डर से आप लोग भी मुझे इस गाँव से निकाल दे।हमरे गाँव में बाहरी से सबंध बनाना पंचायत की मजूरी के बिना गुनाह है। और यह बाहरी ही है।“

“बहनचोद तुम हमें अपना मान ही नहीं रही हो। पंचायत का तुम्हे मालुम ही नहीं है, अगर पति की अनुमति से चूत चोदी जाए तो कोई गुनाह नहीं है और यहाँ तो मैं और रमेश दोनों तेरे साथ है। फिर खेत में हल चलाना पंचायत का कम नहीं है। वैसे भी तेरी जानकारी के लिए कह दू की कल मैं मुखिया से बात कर चुकी हूँ, जब वह मुझे दोहों रहे थे तब मैंने उनके कान में अपनी बात कह दी थी और उन्हों ने भी कहा जब जानकी का पति यानी की रमेश को कोई समस्या नहीं है तो विदेशी हो या पडोशी जानकी अपनी जमीन में उसका बिजदान ले सकती है। लेकिन जानकी उस से शादी नहीं कर सकती लेकिन दुसरे पति की तौर पर रख सकती है। या फिर तुम ही शादी कर लो वैसे भी तुम अभी विधवा हो तो पंचायत को कोई परेशानी नहीं है और वह ससुर के नाते बहु को आराम से चोद सकता है।“

“नहीं ऐसा नहीं हो सकता, मैं उसे नहीं दे सकती।“ जानकी के मुंह से अनायास ही निकल गया जिसे माँ ने प्पकड़ लिया।

जानकी उठी और डिब्बे से कुछ निकाल ने के लिए ऊपर उठी। माँ भी उठी और जानकी को पकड़ते हुए कहा “दुहोअती गाय और चुदासी नार कभी अपने आप को छुपा नहीं सकती, गाय भी जब दुहाती है तो अणि पूंछ से चूत को सहलाती है वैसे ही नार भी अपने आकर्षण को छुपाना नहीं जानती।“

जानकी के चहरे पर एक लालश आ गई। “माँ!!!” बस उतना कह के माँ से लिपट गई।

माँ भी उसे दुलारती रही और बोली: “पता है जब मैं रमेश को ऊँगली पे लेके आई थी, (अगले पति का बच्चे) तब घर में मेरे ससुर और साँस दोनों ने मिलके मेरी चूत की पूजा की थी। बड़ा वाला मेरे ससुर का और छोटावाला तेरे ससुर का।“




****************

आज के लिए बस इतना ही, जैसे ही समय मिलेगा हम इस कहानी में आगे जानेंगे
बस, आप लोगो से हुजरिश है की आप अपने मंतव्यो देने में कोई कंजुसाई ना रखे

। जय भारत
Awesome update and nice story
 

Ashiq Baba

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दोनों लड़के अब रमेश की और बड़े और कुछ खेत काम के औज़ार हाथ में पकड़े गए और रमेश के साथ चल दिए। लेकिन जानकी को उनकी चाल निराशाजनक लगी। जैसे उन्हों ने अपनी दुनिया खो दी हो।



पीछे जानकी की आँखों में फूल की एक सहमति उसकी गालो तक बह गई। निराश था की उसके बच्चे को अपने थान नहीं दे पाई।



********

अब आगे...........



तुरंत उसने आप पर कब्जा कर लिया और बोली; "चलो माँ खाना बना ले वह फिर उठेगी तो उसे लेकर जाना। फिर तुम घूमना फिरना। वह अपने चूले की ओर किराने।


मां ने भी अपने पीछे-पीछे दूसरा काम और मदद करने चल दी।

जानकी फिर बगलवाले कमरे से बाहर निकली और एक नजर डाल आई।

माँ; “ऐसा हो रहा है?”

जानकी: “हाँ, माँ सो रही है, टेबले के सभी घोड़े बच्चे कर चेन की नींद ले रहे हैं।” वह एक निसासा के साथ बोली।

अनुभवी और विशेषज्ञ मां ने यह देखा और अपनी जगहें ही बनाईं।

जानकी ने एके चूल्हे पर लकड़ी मारी और एक ज्वलन लकड़ी को उठाकर केरोसिन में डुबोया और दियासली (मैक बॉक्स) ले के उस लकड़ी को जलाया और चूल्हे के अंदर रखा ताकि बाकी लकड़ी जल सके। माँ अपने करीबी आके बैठीं। अब घर में नो ना की वजह से मां ऐसे घर में अपने घर के आराम से दर्शन करने जा रही थीं। उन्होंने अपने घाघरा की डोरी के बिच में से बीड़ी का पेकेट आउट और दो बीडियां निकालीं। चूल्हे से एक छोटी सी जलती हुई लकड़ी को उठाने के लिए बीड़ी के साथ ही पे चैंप दी। मुंह में से एक बीडी निकाले के उन्हों ने जानकी को देते हुए कहा।

“पसंद है?”

जानकी बीडी ने हाथ में लेके अपने मुंह पर रखा अपने सिर हिलाकर पूछा; “क्या पसंद है माँ?”

“वही जिसे अभी भी तुम देखो।”

लुई?...इसकी पसंद और दोस्ती की क्या बात है माँ? अच्छा आदमी है, हम बिल्कुल अलग और भिन्न हैं!”

“अरे तू तो ऐसी बात करता है जैसे मैं अभी नौसिखिया हूँ।”

“सच बता।“

"माँजी आप भी ना! आपके हाथ में कोई बात नहीं होनी चाहिए बस, फिर आपकी बात का बतंगड़ बनाके ही सबसे अच्छा हो। आराम से नशा करो और बाहर देखो कोई चुसने वाला है तो जरा अपने बोबले को खाली करा दो।"

"देख जानकी, तुम मेरी बहु नहीं बल्कि एक बेटी हो, मैंने तुमसे कोई भेदभाव नहीं किया और जब तक मुझे याद आया है तब तक कभी कोई बात मुझसे आज तक तो छुपी नहीं। मुझे यकीन है कि तुम भी मुझसे तो कुछ छुपाओगी नहीं।"

"माँजी, तुम्हें पता है तो हो ना ये सब की मैंने कभी तुमसे कुछ भी नहीं छुपाया, और आगे भी नहीं छुपूंगी फिर तुम वही की वही बात करती हो। उन्हों ने भी आज जाते-जाते यही बात कही थी।"

"हाँ, बेटी मुझे बताओ कि राम से मेरी बात हो गई है। उसकी यह बात तुम्हें अभी डर लग रही है, मुझे बताओ कि तुम्हारी कौन सी बात है बेटी?"

"अरे, माँ आपके और आपके बेटों के साथ क्या हुआ है मुझसे? जो सब आपके सामने हैं। उन्हों ने कल रात को मुझसे कहा था कि मैं अब तान लुई को दूं और दुहाने दूं। मैंने देखा ही था, मैं उसकी पीठ गंद रख कर सोगई थी और लुई के सामने उसकी आंख को राख के सोई थी। उसे सुरुआत में दोहा पर, रामजी ने मेरी गांड से पीछे नहीं हटकर कुछ कहा और कुछ कहा। मुंची को उसके मुँह में डाल दिया। इसमें क्या छिपा है तुमसे।

“और रमेश ने बच्चे के बारे में कुछ नहीं कहा?”

जानकी ने मां की भोस के सामने देखते हुए कहा: मांजी, उन्हों ने कहा कि मेरे खेत में उसके पानी से सींच ने दू और एक बच्चा रख लूं. पर मैंने अभी मना किया।“

क्यों बेटी? क्या बुरा है? अगर आपका बच्चा पैदा होता है तो आप एक बच्चे को जन्म देने के लिए मनाती हैं? यहां घर के सभी का हक है कि सभी खेतों में अपना हल चलाएं फिर समस्या क्या है? यह तो तेरे नशीब में पहिलौठे अन्य लोग नहीं थे...हो सकता था कि तू अब तक अनकेलन्द से बन गया हो। माँ ने जानकी के खूबसूरत पे हाथ फिराया और जोड़ा “गलत कह रही हूँ मैं?”

"नहीं मां आप गलत नहीं कह रही हो, लेकिन यह हमारे गांव का रिवाज है और हममें एक ही तरह से घूमना है, लेकिन यह विदेशी है कल उठ के इसी गांव वाले मेरी गांड में उगली कर सकते हैं और पंचायत में फरियाद कर सकते हैं। उस सोच में इस बच्चे को लेके कहा जाऊ? हो सकता है कि पंचायत के डर से आप लोग भी मुझे इस गांव से निकाल दें। हमारे गांव के बाहरी से सबंध बनाना पंचायत की माजुरी के बिना गुनाह है। और यह बाहर ही है।"

"बहनचोद तू अपना मन ही न रही हो पंचायत का मालुम ही नहीं है, अगर पति की पत्नी से चूत चोदी जाए तो कोई गुनाह नहीं है और यहां तो मैं और रामेश दोनों तेरे साथ हैं। खेत में हल चला पंचायत का काम नहीं है। वैसे भी तेरी जानकारी के लिए कह दो की कल मैं मुखिया से बात कर चुकी हूं, जब उसने मुझसे दोहों रहे थे तब मैंने अपने एक में अपनी बात कही थी और उन्हों ने भी कहा था जब जानकी के पति यानि की राम को कोई समस्या नहीं है तो विदेशी हो या पोदोशी जानकी की जमीन में उसका बिजदान हो सकता है। लेकिन जानकी की शादी नहीं हो सकती लेकिन उसके पति की विशेष जिम्मेदारी हो सकती है। या फिर तुम ही शादी कर लो वैसे भी तुम अभी विधवा हो तो पंचायत को कोई परेशानी नहीं है और वह अपनी प्रेमिकाओं को आराम से चोद सकती है।''

“ऐसा नहीं हो सकता, मैं उसे नहीं दे सकता।” जानकी के मुंह से अनायास ही निकल गया जिसे मां ने पपकड़ लिया।

जानकी ने कुछ और बातें सामने रखीं। माँ ने भी दिखाया और जानकी को पकड़ते हुए कहा “दुहोती गाय और चुदासी नार कभी अपने को छुपा नहीं सकती, गाय भी जब दुहाती है तो एक पूंछ से चूत को सहलाती है वैसे ही नार भी अपने आकर्षण को छिपाना नहीं।”

जानकी के चेहरे पर एक लालश आ गया। “माँ!!!” बस मूल कह के माँ से सिंहासन पर बैठे।

माँ भी उसे दुलारती रही और बोली: "पता है जब मैं राकेश को उँगली पे लेके आई थी, (अगले पति का बच्चा) तब घर में मेरे दोस्त और साँस दोनों ने मिलके मेरी चूत की पूजा की थी। बड़ा वाला मेरे दोस्तों का और छोटे वाला तेरे दोस्तों का।"




****************

आज के लिए बस इतना ही, जैसे ही समय मिलेगा हम इस कहानी में आगे चलेंगे
बस, आप लोगो से हुजारिश है की आप अपने मंतव्यो में कोई कंजुसाई नाइक जरूर दे

।। ।। जय भारत ।।
एक बहुत शानदार कमेंट लिखा था आज सुबह 6 बजे मगर फुरभाग्य से डिलीट हो गया ।
 

Funlover

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एक बहुत शानदार कमेंट लिखा था आज सुबह 6 बजे मगर फुरभाग्य से डिलीट हो गया ।
Ohh shit.....
Pata nahi aida kyu hota hai..... Mera bji ek update delete ho gaya tha.

Aapko pata hai ki aap ki comments rochak hoti hai.

Ho sake to fir se likh dijiye.
 

Ashiq Baba

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कई बार आदमी दिल से लिखता है मगर वह अधिक समय रह नही पाता यही हुआ आज सुबह । खैर फिर से कोशिश करता हूँ ।
बहुत अच्छा अपडेट लिखा है मगर एक शिकायत है इतने दिनों बाद अपडेट दिया मगर काफी छोटा है । हमे उम्मीद थी कि बड़ा अपडेट आएगा । खैर कोई नही । गांव कर रीति रिवाज बेसिक है सीधे सरल सुलभता से सभी को उपलब्ध । जैसे जानकी की सासु ने बताया कि उसका पति जिंदा होता तो जानकी को उसका बच्चा पैदा करना पड़ता । सासु ने स्वयं दो लड़के एक अपने ससुर से दूसरा उसके पति से पैदा किया । मतलब पति की मर्जी से दूसरे पुरुष के साथ संसर्ग करना जायज है रिवाज है और उससे बच्चे पैदा करना गुनाह ना हो कर गर्व की बात है । आपने एक वाक्य रच कर जानकी के सासु के मुह से एक उदाहरण कहलवा कर कि दुहाती हुई गाय और चुदासी नार कभी अपने आपको नही छुपा सकती यह इस अपडेट को आपने इस उदाहरण में समेट दिया है । कहानी लिखना अपने आप मे एक कला है । आपको इसमे महारत हासिल है । आपने अपनी कहानी के हिसाब से एक कहावत को रचा है । जो एक उदाहरण बन गई है । बहूत सुंदर और सरल । आज की चकाचौंध वाली भागती दौड़ती दिखावटी बनावटी दुनिया मे ऐसे गाँव और ऐसे सरल सुलभ रिवाज रहन सहन और खुले पन की कल्पना करना दुर्लभ है । आपने सही कहा था इस सरलता को बनाये रख कर रेशम के महीन धागों को साधना बहुत कठिन और मेहनत का काम है । धन्यवाद । आगे अपडेट की प्रतीक्षा रहेगी जल्दी आइएगा ।
 

Ashiq Baba

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Ohh shit.....
Pata nahi aida kyu hota hai..... Mera bji ek update delete ho gaya tha.

Aapko pata hai ki aap ki comments rochak hoti hai.

Ho sake to fir se likh dijiye.
सुबह वाला कुछ अलग था बिल्कुल वैसा रिपीट नही हो पाया सॉरी । दूसरा इस कहानी में मैं कोई सजेशन नही देना चाहूंगा ओर चाहता हु की आप किसी का भी सजेशन या सलाह इस कहानी पर लागू ना करे । ये एक अलग तरह की कहानी है । यह एक चादर मैली सी बिल्कुल नही बल्कि एक चादर कोरी सी है । जैसे एक कौरी मिट्टी की मटकी को जब पहली बार धो कर पानी भरा जाता है औऱ कुछ समय बाद उसमे से पानी पिया जाता है तो मिट्टी की सोंधी खुशबू के साथ मटके की ठंडक का मिलाजुला स्वाद जब कण्ठ में उतरता है तो एक ऐसी तृप्ति होती है जिसकी कल्पना करना दुर्लभ है ।
 

sunoanuj

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बहुत ही सुन्दर अपडेट दिया है !
लुई के बच्चे को माँ बनना इसमें कोई भी समस्या नहीं है लेकिन जानकी का अभी मन त्यार नहीं है इसके लिए और बिना इच्छा और उत्साह के जानकी का डर सही है !

बहुत ही अच्छा लिख रहे हो आप !
 

Napster

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दोनों लडके अब रमेश की और बढे और कुछ जरुरी खेतकाम के औजार हाथ में पकड़ा और रमेश के साथ चल दिए। लेकिन जानकी ने पाया की उनकी चाल निराश थी। जैसे उन्हों ने अपनी दुनिया खो दी हो।



पीछे जानकी की आँखों में आंसू की एक लकीर उसके गालो तक बह गई। निराश थी की उसके बच्चे को अपने थन नहीं दे पायी।



********

अब आगे..............



तुरंत उसने अपने आप को संभाला और बोली; “चलो माजी खाना बना ले फिर वह उठ जाएगा तो उसे लेकर जाना पड़ेगा। फिर आप अकेली रह जायेगी। वह अपने चूले की ओर बढ़ी।


माँ भी उसके पीछे-पीछे दूसरा काम और मदद करने चल दी।

जानकी जाते जाते फिर से बगलवाले कमरे में एक नजर डाल आई।

माँ; “सो रहा है?”

जानकी: “हाँ, माँ सो रहा है, तबेले के सब घोड़े बेच कर चेन की नींद ले रहा है।“ वह एक निसासा के साथ बोली।

अनुभवी और जानकार माँ ने यह देख लिया और अपने अन्दर ही अन्दर मुस्कुराने लगी।

जानकी ने आके चूल्हे पर फूंक मारी और एक ज्वलन लकड़ी को उठा के केरोसिन में डुबाया और दियासली (मेच बॉक्स) ले के उस लकड़ी को जलाया और चूल्हे के अन्दर रखा ताकि बाकी लकडिया जल सके। माँ उसके करीब आके बैठ गई। अब घर में कोई ना होने की वजह से माँ ऐसे बैठी की उनकी भोस आराम से दर्शनीय थी। उसने अपना घाघरा की डोरी के बिच में से बीडी का पेकेट निकाला और दो बीडी निकाली। जलाने के लिए चूल्हे से एक छोटी सी जलती हुई लकड़ी को उठा के बीडी के दुसरे छेड़े पे चाम्प दी। मुंह में से एक बीडी निकाल के उन्हों ने जानकी को देते हुए कहा।

“पसंद है?”

जानकी ने बीडी हाथ में लेके अपने मुंह पर रखते हुए अपने सिर हिला के पूछा; “क्या पसंद है माँ?”

“वही जिस को अभी भी तुम देख के आई।“

लूई?...इसमें पसंद और नापसंद की क्या बात है माँ? अच्छा पुरुष है, हम से एकदम अलग और भिन्न!”

“अरे तू तो ऐसे बात करती है जैसे मैं अभी नौसिखिया हूँ।“

“सच बता।“

“माँजी आप भी ना! आपके हाथ में कोई बात आनी चाहिए बस, फिर आप बात का बतंगड़ बनाके ही छोड़ते हो। आराम से नशा करो और बहार देखो कोई चुस्नेवाला है तो जरा अपने बोबले को खली करा दो।“

“देख जानकी, तुम मेरी बहु नहीं बल्कि एक बेटी हो, मैंने कभी तुम से कोई भेदभाव नहीं रखा और जहा तक मुझे याद है तुमने कोई भी बात मुझ से आज तक तो छिपाई नहीं। मुझे यकीन है की आगे भी तुम मुझ से तो कुछ छुपाएगी नहीं।“

“माँजी, आप जानते तो हो ना यह सब की मैंने कभी आपसे कुछ भी नहीं छुपाया, और आगे भी नहीं छुपाऊँगी फिर आप वहि की वही बात करते रहते है। उन्हों ने भी आज जाते-जाते यही बात कही थी।

“हाँ, बेटी मुझे पता है रमेश से मेरी बात हो चुकी है। उसका कहना है की तुम अभी डरी हुई हो, मुझे यह बता की तुम्हे किस बात का डर है बेटी?”

“अरे, माँ आपके और आपके बेटे के होते हुए मुझे किस बात का डर होना है? जो है सब आपके सामने है। उन्हों ने कल रात को मुझे कहा की मैं अब थन लूई को दू और उसे दुहाने दू। मैंने वैसा ही किया, मैं उसके सामने गांड रख कर सो गई थी बिच में और लूई के सामने अपने थानों को रख के सोई थी। उसने सुरुआत में नहीं चूसा पर, रमेशजी ने पीछे से मेरी गांड को थपथपाया और इशारा किया मैं ही कुछ आगे बढ और मैंने ही चुन्ची को उसके मुंह में डाला। इसमें क्या छुपाना है आपसे।“

“और रमेश ने कुछ कहा नहीं बच्चे के बारे में?”

जानकी ने माँ की भोस के सामने देखते हुए कहा: माँजी, उन्हों ने कहा की मेरे खेत में उसके पानी से सींच ने दू और एक बच्चा रख लू। पर मैंने अभी मना किया।“

क्यों बेटी? उसमे क्या बुरा है? अगर तेरे ससुर होते तो तुम उनको मना करती एक बच्चा उनसे लेने में? यहाँ घर के सभी का हक है की घ में सभी खेतो में अपने हल चलाये फिर समस्या क्या है? यह तो तेरे नशीब में नहीं था ससुर वरना ...हो सकता था की तुम अब तक उन्केल्न्द से माँ बन गई होती। माँ ने जानकी के माथे पे हाथ फिराया और जोड़ा “गलत कह रही हु मैं?”

“नहीं माँ आप गलत नहीं कह रही हो, लेकिन यह हमारे गाँव का रिवाज है और हमें उसी में चलना है, लेकिन यह विदेशी है कल उठ के यही गाँव वाले मेरी गांड में ऊँगली कर सकते है और पंचायत में फ़रियाद कर सकते है। उस वक़्त मैं इस बच्चे को लेके कहा जाऊ? हो सकता है की पंचायत के डर से आप लोग भी मुझे इस गाँव से निकाल दे।हमरे गाँव में बाहरी से सबंध बनाना पंचायत की मजूरी के बिना गुनाह है। और यह बाहरी ही है।“

“बहनचोद तुम हमें अपना मान ही नहीं रही हो। पंचायत का तुम्हे मालुम ही नहीं है, अगर पति की अनुमति से चूत चोदी जाए तो कोई गुनाह नहीं है और यहाँ तो मैं और रमेश दोनों तेरे साथ है। फिर खेत में हल चलाना पंचायत का कम नहीं है। वैसे भी तेरी जानकारी के लिए कह दू की कल मैं मुखिया से बात कर चुकी हूँ, जब वह मुझे दोहों रहे थे तब मैंने उनके कान में अपनी बात कह दी थी और उन्हों ने भी कहा जब जानकी का पति यानी की रमेश को कोई समस्या नहीं है तो विदेशी हो या पडोशी जानकी अपनी जमीन में उसका बिजदान ले सकती है। लेकिन जानकी उस से शादी नहीं कर सकती लेकिन दुसरे पति की तौर पर रख सकती है। या फिर तुम ही शादी कर लो वैसे भी तुम अभी विधवा हो तो पंचायत को कोई परेशानी नहीं है और वह ससुर के नाते बहु को आराम से चोद सकता है।“

“नहीं ऐसा नहीं हो सकता, मैं उसे नहीं दे सकती।“ जानकी के मुंह से अनायास ही निकल गया जिसे माँ ने प्पकड़ लिया।

जानकी उठी और डिब्बे से कुछ निकाल ने के लिए ऊपर उठी। माँ भी उठी और जानकी को पकड़ते हुए कहा “दुहोअती गाय और चुदासी नार कभी अपने आप को छुपा नहीं सकती, गाय भी जब दुहाती है तो अणि पूंछ से चूत को सहलाती है वैसे ही नार भी अपने आकर्षण को छुपाना नहीं जानती।“

जानकी के चहरे पर एक लालश आ गई। “माँ!!!” बस उतना कह के माँ से लिपट गई।

माँ भी उसे दुलारती रही और बोली: “पता है जब मैं रमेश को ऊँगली पे लेके आई थी, (अगले पति का बच्चे) तब घर में मेरे ससुर और साँस दोनों ने मिलके मेरी चूत की पूजा की थी। बड़ा वाला मेरे ससुर का और छोटावाला तेरे ससुर का।“



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आज के लिए बस इतना ही, जैसे ही समय मिलेगा हम इस कहानी में आगे जानेंगे
बस, आप लोगो से हुजरिश है की आप अपने मंतव्यो देने में कोई कंजुसाई ना रखे

। जय भारत
एक बहुत ही अप्रतिम शानदार लाजवाब और अत्यंत मनोरम रमणिय अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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