Update 2
मेरा बेटा संजय उसी दिन शहर चला गया था। मै मन ही मन मे खुश हो गया था क्यूंकि अब सिर्फ मै और बहू ही घर मे रहने वाले थे। दोपहर को सुजाता बहू ने खाना बना लिया और फिर हम दोनों रसोईघर में खाने लगे । बहू ने आज पीले रंग की साड़ी और ब्लाऊज पहनी थी। उसका एक मूम्मा तो हमेशा पल्लू के बाहर ही रहता था। बच्चे को दूध पिला पिला के उसके स्तन बहुत ही बड़े हो गए थे। मुझे उनको देखकर तो उनको चूसने का मन करता था और मेरा लवडा भी खड़ा हो जाता था। में अब खाना खाते खाते उसके मूम्मो को निहार रहा था। वो मुझसे बाते भी कर रही थी। हम जमीन पे बैठे खाना खा रहे थे । वो इतनी सेक्सी दिख रही थी कि उसे चोदने का बहुत मन कर रहा था । पर पहले मुझे उस पटना था। हम ऐसेही हसी मजाक करते रहे।
रात को खाना खाने के बाद मैंने उसे कहा
"सुजाता बहू । तुम आज से मैन हॉल में ही सोया करो । "
"ठीक है ससुरजी। "
उसने बच्चे और खुद के लिए बिस्तर लगा लिया और मै ऊपर खटाई पर सो गया। लाईट बंद करने के बाद मै निंद आने की कोशिश करता रहा । पर मेरे मन में बहू को चोदने के अलावा कोई विचार ही नहीं आ रहा था। पूरी रात मै खटाई पर बिना निंद के मचलता रहा।
सुबह थोड़ी देर से बहू ने मुझे उठा दिया। उसने नहा लिया था और काले रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ पहन लिया था।
वो बोली ,"आपको ठीक से नींद नहीं आयी ना कल ?"
"हा बहू। पता नहीं क्यू । "
दिनभर मै सुजाता बहू के मूम्मों को घूरता रहा । बहू को काम करते वक्त उसके पल्लू का ध्यान रखने में बहुत परेशानी होती थी। इसलिए मै बाजू से उसके स्तनोंका दर्शन कर रहा था।
उस रात मै उपर खटाई पर सोने जा रहा था। पर सुजाता बहू बोली,
"आप नीचे सो जाओ ससुरजी । ऊपर आपको पंखे की हवा नहीं लगती होगी। कल तो आप ठीक से सोए ही नहीं। "
मै मन में खुश हो गया और उसके बाजू में सो गया। थोड़ा दूर ही था बहू से। पर मुझे बहुत खुशी हो रही थी। और मेरा लवडा भी अब खड़ा होने को था। मुझे नींद तो नहीं आ रही थी। सुजाता बहू बच्चे की तरह मुंह करके उसे दूध पिला रही थी। थोड़ी देर बाद वो मेरी तरफ पलट गई । उसने देखा कि मै हलचल कर रहा था। वो हस ते हुए बोली ,
"आओ ससुरजी । मै आपको सुला देती हूं। "
मै थोड़ा उसके पास खिसक गया। उसने मेरे करीब आकर मेरे पीठ पर एक हाथ रख दिया । मै थोड़ा नीचे था इसलिए अब उसके स्तन मेरे चेहरे के बहुत नजदीक थे। मै शरमा रहा था। वो मजाक में बोली ,"शरमाते क्यू हो ससुरजी ? " वो मेरे और करीब खिसक गई । अब मै उसके बाहों में सो रहा था । वो मुझे पीठ पर हाथ सहलाते हुए सुलाने लगी। मुझे कब निंद आ गई वो पता भी नहीं चला।
सुबह जब मै रसोईघर मे सुजाता बहू के साथ नाश्ता कर रहा था तब वो बोली ,
"कल तो आपको अच्छी नींद आ गई। "
"सुलाने के लिए तू थी ना बहू। "
"हा हा । इतनी भी तारीफ मत करो । "
उस रात खाना खाने के बाद हम सब सो रहे थे। बच्चे को दूध पिलाने के बाद सुजाता बहू मेरे तरफ पलट गई और उसने मुझे अपने पास लिया और मुझे सुलाने लगी। मैंने उसे पूछा ,"बच्चा सो गया इतने जल्दी? "
"हा ससुरजी। वो अब इतना दूध नहीं पीता। "
दूध का नाम सुनते ही मुझे उसके मूम्मोको चूसने का मन करने लगा। मेरा लवडा भी पैंट के बाहर निकलने के लिए तरस रहा था। बहू को निंद आ रही थी। मेरे तरफ पलटते समय उसका पल्लू एक स्तन से हट गया था। मेरा मुंह उसके स्तन से बहुत ही करीब था । मेरे मुंह से लाल टपकने लगी। मुझसे रहा नहीं गया और फिर मैंने उसके स्तन को ब्लाऊज़ के ऊपरसे ही अपने मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगा । सुजाता बहू थोड़ी देर बाद निंद से जग गई और बोली,
" ये कैसी बचकानी हरकत कर रहे हो ससुरजी? "
"मुझे तेरा दूध पीने का बहुत मन कर रहा है बहू। "
वो हस पड़ी और बोली,
"इस उमर मे? आप पागल तो नहीं हुए है ? आप अब बच्चे थोड़ी हो। "
मैंने उसे कहा ,"पिलाओ ना मुझे। बहुत प्यास लगी है तेरे दूध की मुझे। "
बहू बोली ,
"ठीक है ससुरजी। पिला देती हूं। वैसेभि बच्चे ने दूध पीना कम कर दिया है। "
मै बहुत खुश हो गया।
बहुने उसका पल्लू थोड़ा हटा दिया और उसके ब्लाऊज के ऊपरी 2 बटन खोल दिए। फिर वो एक स्तन को बाहर निकाल कर मुझे किसी बच्चे की तरह स्तनपान करने लगी। मुझे उसका दूध तो अमृत जैसा ही लग रहा था। इतना स्वादिष्ट था कि पूछो ही मत ! बहू ने हसते हुए मुझे ताना मारा,
"क्या ससुरजी ? इतने बड़े होकर भी अपने बहू का दूध पी रहे हो। "
मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया । मै तो उसके दूध का मजा ले रहा था। मुझे दूध पिलाते वक्त बहू को भी बहुत आनंद हो रहा था। उसका स्तन तो बहुत ही मुलायम था। थोडी देर बाद उसने मुझे दूसरे स्तन पर पिलाना शुरू किया। मै बहुत धीरे धीरे पीने लगा। बहू मुझे अब भी ताने मर रही थी पर मैंने उसपर ध्यान नहीं दिया। 15 मिनिट बाद जब दूध ख़तम हो गया तब बहू ने ब्लाऊज के बटन फिर से लगा लिए । उसे निंद आ रही थी तो उसने मुझे बाहों में लिया और मुझे कब निंद आ गई वो पता भी नहीं चली।