Pratik maurya
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Awesome and amazing update! Fantastic and fascinating writings. Please keep going.ऐसे आश्चर्य के भाव लिए हुए मैने पिताजी से पूछा : “पिताजी…..क्या हुआ…..हम अभी तक यही रुके है….कुछ हुआ था क्या अभी….”
मैं जैसे कुछ सोचने समझने की एक्टिंग करने लगी
पिताजी : “अर्रे नही….मैने तो तुझे पानी पिलाया अभी….और मैं फिर मूतने गया था वहां , शायद तेरी आँख लग गयी थी….चल कोई ना, चलते है अब….”
तब तक वो ट्रैक्टर भी हमारी बगल से होता हुआ आगे निकल गया
और हम दोनो अपने खेतो की तरफ चल दिए
पीछे बैठी मैं अपनी एक्टिंग और चालाकी पर मुस्कुरा रही थी
और आगे बैठे पिताजी आने वाली संभावनाओ को सोचकर.....
अब आगे
*********
सूरज भैय्या के पास कुछ देर बैठकर हम दोनो वापिस आ गये
रास्ते में रह रहकर मैं जान बूझकर अपने मुम्मे पिताजी की पीठ से रगड़ देती थी
बेचारे पिताजी का पूरा शरीर झनझना कर रह जाता था
मैं उनकी ये हालत देखकर मज़े ले रही थी
घर पहुँचकर मैं अपने रूम में गयी और अपना मोबाइल निकालकर उस वशीकरण किताब की जो फोटो खीची थी मैने, उन्हे पढ़ने लगी
मैं जान लेना चाहती थी की आख़िर पिताजी की ये वशीकरण की प्रक्रिया का असर मुझपर हुआ क्यों नही
क्या वशीकरण सच में होता भी है या नही
अगर होता है तो मुझपर क्यो नही हुआ
क्योंकि जिस विश्वास और लगन के साथ पिताजी ने इन 3 दीनो तक ये प्रक्रिया की थी
मुझे तो विश्वास हो चला था की वो हम दोनो बहनो को अपने वश में कर लेंगे
और सच कहूँ, अंदर ही अंदर मैं भी यही चाहती थी की वो मुझे वश में कर ले
इसी बहाने ही सही, मुझे शारीरिक सुख का अनुभव तो होगा
क्योंकि मेरा जवानी की दहलीज चढ़ चुका शरीर अब ऐसे सुख की माँग करने लगा था
की कोई हो जो मेरे नर्म होंठो को पी जाए
मेरे कठोर स्तनों को अपने हाथो से पकड़ कर रोज दबाए
और
और
मेरी योनि के अंदर अपनी उंगली डालकर
या फिर
कोई…अपना लिंग डालकर मुझे जन्नत के मज़े दे डाले
उफफफफफ्फ़
सोचते हुए भी कितना रोमांच फील हो रहा है
अभी तो पिताजी ने मुझे उसी वशीकरण मे क़ैद करके उपर-2 से वो सब किया था
उनके हिसाब से तो मैं उनके वश में थी
पर ये बात तो सिर्फ़ मैं ही जानती थी की ऐसा कुछ भी नही है
मैं चाहती तो वहां से भाग सकती थी
उन्हे डाँट कर पूछ सकती थी की वो ऐसी हरकत अपनी बेटी के साथ क्यों कर रहे है
पर मैने ऐसा कुछ नही किया
अपने निजी स्वार्थ की वजह से
और यही कारण था की मैं वश में ना होने के बावजूद अपने पिताजी से वशीकृत हो गयी थी
मैने मोबाइल में किताब के पन्नो की खींची फोटोस को जूम कर करके पढ़ना शुरू किया
उसमे पहले पेज पर ही मेरे सब सवालो का जवाब मिल गया
जिसमे काफ़ी सॉफ शब्दो में लिखा था की जिस किसी को भी वशीकृत करना है, वो अपने होशो हवास में नही होना चाहिए
या तो वो नींद मे हो या फिर उसका दिमाग़ शून्य की भाँति हो
तभी ये वशीकरण का मंत्र और क्रिया काम करेगी
और उन तीनो ही रात मैं जाग रही थी
पहले दिन जब पिताजी ने उन गुड़िया को अपने वीर्य से सींचा था
और बाकी के दोनो दिन जब उन्होने हम दोनो बहनो पर सीधा अपना वीर्य छिड़काव किया था
और किताब के हिसाब से यही कारण था की मुझपर उस वशीकरण का असर नही हुआ था
तो इसका मतलब ये है की अगर ये विद्या काम करती है तो इसका असर चंद्रिका दीदी पर ज़रूर होगा
क्योंकि इन तीनो रातो को वो सो रही थी
मेरी तो आँखे चमक उठी
क्योंकि एक बार तो मैं भी इस जादुई वशीकरण विद्या की असली ताक़त को देखना चाहती थी
और इसका सिर्फ़ एक ही तरीका था की जब पिताजी चंद्रिका दीदी पर इसकी आज़माइश करेंगे
पर वो कब और कैसे होगा ये तो पिताजी ही जाने
पिताजी के चंचल स्वाभाव के बारे में सोचकर ही मैं मुस्कुरा उठी
उनकी इतनी सुंदर बीबी है, बाहर भी शायद उनके संबंध होंगे
मुझे तो उन्होने अपने हिसाब से वश में कर ही लिया है
अब वो जरूर दीदी पर भी हाथ आज़माई करेंगे
सच में मर्दो की बात ही अलग होती है
84 करोड़ योनियो में भटकने के बाद भी इन्हे नयी योनि की तलाश रहती है
हालाँकि पिताजी की योनि की तलाश उन्हे उनकी बेटियो तक ले आई थी पर देखा जाए तो हमपर पहला हक़ तो उनका ही है
मुझे तो खुशी होगी जब पिताजी मेरी जवानी का कमल अपने हाथो से खिलाएँगे
पर अभी के लिए तो मुझे इस विद्या के बारे में पूरी जानकारी लेनी थी
मैने आगे पढ़ा की वशीकरण का असर 30 मिनट तक रहता है
उस से पहले अगर किसी को अपने वशीकरण से आज़ाद करना हो तो उल्टी गिनती करके ये किया जा सकता है
हालाँकि आज के युग में ये अंधविश्वास से भरी बातें प्रतीत हो रही थी
पर मैने गूगल पर इसका साइंटिफिक प्रमाण भी देखा था
विदेशो में कई लोगो ने इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया था
कई लोगो को अपने वश में करके इस बात को सिद्ध किया जा चूका था की वशीकरण या हिप्नोटाइज क्रिया संभव है
तभी तो इस से संबंधित काफ़ी सामग्री और किताबें मार्केट में उपलब्ध है
पर इन्हे बेकार की बातें या विद्या मानकर आजकल के लोग इसे मानने से इनकार कर देते है
वैसे देखा जाए तो मेरे सामने भी अभी तक इसका कोई सफल प्रमाण नही आ पाया था
क्योंकि रूल्स के हिसाब से तो मुझे सोए रहना था तभी ये काम करती
और मैं जाग रही थी तो इसका असर नही हुआ मुझपर
अब देखते है, दीदी पर इसका क्या असर होता है
पर इसके लिए आज रात का इंतजार करना पड़ेगा
क्योंकि मुझे यकीन था की पिताजी अब अगला ट्राइ दीदी पर ही करेंगे
मैं तो इनके चुंगल मे फँस ही चुकी थी
मैने रात के खाने का काम निपटाया क्योंकि माँ की तबीयत ठीक नही थी वो दवाई लेकर सोती रही
दीदी भी रोजाना की तरह थके होने के कारण अपने बिस्तर पर जाकर सो गयी
भाई का तो आपको पता ही है, खेतो में काम करके वो 9 बजे ही सो जाता है
मैं भी सब काम निपटाने के बाद, पिताजी को गर्म दूध देकर, दीदी के पास जाकर लेट गयी
अभी 11 बज रहे थे
पिताजी आएँगे तो 12 के बाद ही
जब सभी गहरी नींद मे होंगे
और तब तक के लिए मुझे जागे रहना ज़रूरी था
और वैसा ही हुआ जैसा मैने सोचा था
ठीक 12.30 पर पिताजी हमारे कमरे में दबे पाँव आए
और सीधा आकर दीदी की तरफ खड़े हो गये
उनके हाथ में वो तांबे का सिक्का था धागे से बँधा हुआ
उन्होने दीदी को हिलाकर जगाने का प्रयास किया
क्योंकि जब वो जागेगी तभी तो उन्हे वश मे करेंगे
पर दीदी की नींद इतनी गहरी थी की पिताजी करीब 5 मिनट तक उसे हिलाते रहे और आवाज़ें देते रहे पर वो जागी नही
अब मेरे सब्र का बाँध भी टूट रहा था
मैं चाहती थी की वो नही जाग रही तो पिताजी मुझपर क्यो नही ट्राइ करते
मैं तो एक मिनट में जाग भी जाउंगी और उनके वश में आ भी जाउंगी
फिर वो भी मजे ले और मुझे भी दे
पर पिताजी वहीं लगे रहे
इसलिए मैने ही पहल करने की सोची
और अगले ही पल मैं आँखे मलती हुई उठ गयी और पिताजी को देखकर बोली : “अर्रे पिताजी, आप यहाँ ….क्या हुआ…”
वो मुझे जागते देखकर एकदम से हड़बड़ा से गये और उन्होने तुरंत अपने हाथ में पकड़े धागे और सिक्के को मेरी आँखो के सामने लहरा कर कहा
"इसे देखो…चंदा …इसे देखो…1,2,3,4,5,6,7,8,9, 10……”
और गिनती पूरी होते ही मेरे चेहरे के भाव एकदम से भावहीन हो गये…
और मैं बुत्त की तरह बैठी रह गयी
पिताजी ने चैन की साँस ली
अब मुझे विश्वास था की वो मेरे पास आएँगे और दिन में जो उन्होने चालू किया था वो सब दोबारा करेंगे या उस से भी ज़्यादा
पर इस बार भी ऐसा कुछ नही हुआ
वो चंद्रिका दीदी को उठाने में लगे रहे
ढीठ कहीं के
जब एक जवान लड़की उनके नीचे पीसने के लिए तैयार बैठी है तो वो दूसरी के पीछे ही क्यों पड़े है
सच में मर्दों की बात वहीँ जाने
मेरा तो ये हाल था की काटो तो खून नही
एक फल जब उनकी झोली में टपक चुका है तो वो दूसरे का रस पीने के लिए क्यो उतावले है
पर शायद वो जाँच लेना चाहते थे की उस विद्या का असर दीदी पर भी हुआ है या नही
इसलिए इस बार उन्होने उसे ज़ोर से हिलाया और कान के पास जाकर ज़ोर से पुकारा भी
इस बार दीदी की नींद खुल गयी
और जैसे ही वो आँखे मलती हुई बैठी
पिताजी ने वो यंत्र उसके सामने लहरा दिया
और बोले : “चंद्रिका , इसे देखो…..1,2,3,4,5,6,7,8,9,10….”
मैं और पिताजी दम साधे उसके प्रभाव की प्रतीक्षा कर रहे थे
पता नही दीदी पर उसका असर होगा या नही…..
thanks pratikSuspence
Ab pta nhi kya hoga chandrika vash mein hogi ya nhi ya gahri neend mein rahegi baithe baithe soyegi
thanksAwesome and amazing update! Fantastic and fascinating writings. Please keep going.
सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स
इस एहसास ने मेरी योनि को एक पल में गीला कर दिया
अब वो अपने लिंग को उपर नीचे करने लगे
हर बार जब वो अपने हाथ को उस लिंग की चमड़ी से खींचकर नीचे करते तो उसका लाल रंग का टोपा चमक कर बाहर निकल आता और ना जाने क्यो मेरे मुँह से उस दृशय को देखकर पानी निकलने लगा
मन कर रहा था की मुँह से निकलने वाले पानी से इस टोपे को नहला दूँ
जैसा कुछ वीडियोस में देखा था मैने
उन्हे देखते वक़्त तो उबकाई सी आ रही थी
पर इस वक़्त वही सब करने की इच्छा मात्र से मेरा बदन जल सा रहा था
अचानक पिताजी के हाथ कल रात की तरह मेरी जाँघ पर आ लगे
और कल की तरह आज भी मेरे काँप रहे शरीर को देखकर वो कुछ पल के लिए मेरे चेहरे को देखकर ये कन्फर्म करने लगे की मैं जाग तो नही रही
फिर शायद उन्हे मेरी सुबह वाली बात याद आ गयी की मैं तो आजकल गहरी नींद सोती हूँ
फिर क्या था
उनका हाथ नाग बनकर मेरे शरीर के हर हिस्से को डसने लगा
और मैं अभागन उस दंश की पीड़ा से कराह भी नही सकती थी
अचानक पिताजी का हाथ सीधा मेरी योनि पर आ टीका
वो तो पहले से ही गीली थी
उन्हे भी नमीं का एहसास हुआ
वो उसे बेदर्दी से रगड़ने लगे
उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
मेरी योनि पर पहला स्पर्श और वो भी इतनी बेदर्दी से
काश कोई फरिश्ता आकर पिताजी के कान में ये कहदे की प्यार से करो, अपनी ही बच्ची है
पर पिताजी ठहरे ठेठ देहाती
उन्हे प्यार से क्या मतलब
फिर उनके हाथ थोड़ा उपर आकर मेरे पेट पर कुछ टटोलने लगे
मैं भी हैरान की यहाँ क्या होता है भला
फिर उन्होने अपनी उंगली से मेरी नाभि को कुरेदना शुरू कर दिया
अब तो मुझे गुदगुदी सी होने लगी
क्योंकि इस नाभि को कुरेदकर मस्ती करने का काम तो मैं दीदी के साथ अक्सर किया करती थी
इसमे भला क्या मिलता है
ये मेरी समझ से परे था
पर कुछ देर तक जब उन्होने नाभि को सहलाया तो मेरे शरीर में हर जगह वहां से निकल रही तरंगो का प्रवाह होने लगा
नाभि से लेकर मेरी योनि तक
और उपर की तरफ मेरे दोनो वक्षो पर भी
और वो तरंगे वहीं नही रुकी
मेरी गर्दन से होती हुई वो मेरे पूरे शरीर और मस्तिष्क को भी झनझना रही थी
और फिर पिताजी का हाथ थोड़ा और उपर आया
अब मेरा दिल जोरों से धक् -2 करने लगा
क्योंकि अगला स्टेशन मेरे स्तन थे
और वही हुआ
उनके हाथ का मुसाफिर सीधा आकर मेरे उस स्टेशन पर उतरा और उसे अपने पंजो में जकड़ लिया
मेरी तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी
उनके बाएँ हाथ में मेरा दाँया स्तन था
पूरा का पूरा
मेरे कड़क हो चुके निप्पल उनकी हथेली पर चुभ रहे थे
पर मज़ाल थी की वो अपना हाथ हटा लेते
उपर से वो उसे दबाने लगे
जैसे वो कोई बॉल हो
हाआआआआआयययययययययययययी
क्या उत्तेजक एहसास था ये
इस वक़्त पिताजी अगर फिर से मेरी योनि को छू लेते तो उन्हे ऐसा लगता जैसे किसी चाशनी में हाथ दे मारा हो
इतना पानी निकल रहा था वहां से
पर उन्हे तो खेलने के लिए जैसे कोई खिलोना मिल गया था
वो उस बॉल को दबाकर, निचोड़कर और हर तरह से महसूस करके देख रहे थे
शायद उन्होने मेरी गहरी नींद वाली बात को कुछ ज़्यादा ही गंभीरता से ले लिया था
इतना स्तन मर्दन तो कोई मुझे नींद में भी करता तो मेरी गहरी से गहरी नींद भी खुल जाती
यहाँ तो मैं पूरी जाग रही थी
फिर पिताजी ने अपना हाथ वहां से हटा लिया और उस हाथ से अपने लिंग को घिसने लगे
फिर जो हाथ इतनी देर से घिसाई कर रहा था उस हाथ से वो दीदी को टटोलने लगे
मैने अधखुली आँखो से देखा, उसे तो वो मेरे से भी ज़्यादा रगड़ रहे थे
पर मज़ाल थी की दीदी जाग जाती
वो उसी प्रकार खर्राटे मारती हुई सोती रही
फिर वो पल भी आ गया जब उनकी साँसे गहरी होने लगी
मैं समझ गयी की मौसम बिगड़ रहा है
किसी भी समय बारिश हो सकती है
मेरा अंदाज़ा सही निकला
पिताजी के लिंग से सफेद बूंदे बारिश बनकर हम दोनो बहनो के शरीर को भिगोने लगी
पिताजी की आँखे बंद थी
वो तो बस अपना पाइप कभी इधर और कभी उधर करके हम दोनो को बराबर मात्रा में भिगो रहे थे
पर मैं आँखे खोलकर और साथ ही अपना मुँह खोलकर उन बूँदो को अपने मुँह में भरकर उनका सेवन करने मे लगी थी
कुछ ही पलों में वो अध्यात्मिक खेल ख़त्म हो गया
और पिताजी ने अपना तान तपूरा समेटा और वहां से निकल गये
और मैने कल रात की तरह अपने और दीदी के शरीर पर लगी उस स्वादिष्ट मलाई को इकट्ठा करके चाट लिया
आज पिताजी के 3 दिन की साधना संपन्न हो चुकी थी
अब देखना ये था की इसका क्या फायदा मिलता है उन्हे
क्या सच में इसके बाद वो हम दोनो को अपने वश में कर पाएँगे
ये तो आने वाला कल ही बताएगा
आज पिताजी के 3 दिन की साधना संपन्न हो चुकी थी
अब देखना ये था की इसका क्या फायदा मिलता है उन्हे
क्या सच में इसके बाद वो हम दोनो को अपने वश में कर पाएँगे
ये तो आने वाला कल ही बताएगा
अब आगे
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अगले दिन मेरा कॉलेज था,
कल रात जब पिताजी ने मेरे बूब्स को मसला था तो उसके निशान सुबह तक थे वहां
नहाने के लिए बाथरूम में जब मैने कपड़े उतारे तो मेरे गोरे बूब्स पर हल्के लाल निशान सॉफ दिखाई दे रहे थे
और उनपर उंगलिया फिराई तो वो एहसास फिर से होने लगा मुझे जो रात को हुआ था
शायद आज तक किसी से मैं ये बात कह नही पाई थी पर सिर्फ़ मेरे बूब्स को कोई मसल दे तो मैं बिना किसी मंत्र के ही वशीभूत हो जाउंगी
बेकार के आडम्बर करने की कोई ज़रूरत ही ना पड़े
इतने सेन्सिटिव है मेरे बूब्स..
पर कॉलेज भी जाना था वरना अभी अपनी योनि को रगड़ कर पूरे मज़े ले लेती
इसलिए मैं तैयार होकर दीदी के साथ कॉलेज के लिए निकल गयी
पर मेरे दिमाग़ में कल रात की सारी बातें किसी मूवी की तरह चल रही थी
पढ़ने में भी मन नही लग रहा था
दिमाग में सिर्फ़ यही चल रहा था की आज पिताजी क्या करेंगे
घर आने के बाद मैने कपड़े चेंज किए और लंच करके अपने रूम में चली गयी
आज माँ की तबीयत थोड़ी ठीक नही थी , वो दवाई लेकर अपने कमरे में सो रही थी
पिताजी अभी कही गये हुए थे
इसलिए मैं भी सो गयी कुछ देर
करीब 1 घंटे बाद घर की बेल बजी तो मैं दौड़कर दरवाजा खोलने गयी
पिताजी ही थे और उनके पीछे-2 दीदी भी आ गयी
पिताजी अकेले होते तो पता चल पाता मुझे की क्या है उनके मन में
पर दीदी के सामने शायद वो ना कर पाए
मैने उनको खाना परोस कर दिया
पर पिताजी के दिमाग़ ने वो उपाय निकाल ही लिया जिसका मुझे इंतजार था
खाना खाते हुए वो बोले : “चंदा, आज बैंक में तेरा ख़ाता खुलवाना है, अभी मेरे साथ चल ज़रा “
मैने मुस्कुरा कर हां कर दी
कपड़े चेंज करके मैं पिताजी के साथ उनकी बुलेट पर बैठकर बैंक के लिए निकल गयी
पेपर्स पहले से तैयार थे, बैंक मैनेजर भी पिताजी को पहले से जानता था
इसलिए 20 मिनट में ही हमारा काम हो गया
फिर पिताजी बोले : “चल, कुछ देर खेतो से होकर चलते है, सूरज ने आज पानी छोड़ना था खेतो में , वो भी देख लेते है”
अब मेरे दिल मे कुछ-2 होने लगा था
क्योंकि खेतों तक का रास्ता काफी लम्बा था पतली पगडंडियो से होकर निकलता था
वहां जाते हुए मैं पिताजी को जकड़कर बैठी थी
ऐसा करते हुए मेरे बूब्स कई बार उनकी पीठ से रगड़ खा गये
उनके जिस्म का एहसास मेरे बूब्स पर रात वाला असर कर रहा था
जहाँ मैं बैठी थी, वहां एक गीला धब्बा बन चूका था
खेतो से करीब 10 मिनट पहले एक टूबवेल पर पिताजी ने बाइक रोक दी और पानी पीने लगे
वहां दूर -2 तक कोई नही था
चारों तरफ हरियाली फेली हुई थी
मैं भी पानी पीने के लिए जब झुकी तो मेरे गले से झाँक रहे बूब्स को देखकर पिताजी अपनी आँखे सेंक रहे थे
मैं जब वापिस बाइक के पास आई तो पिताजी कुछ देर के लिए वहां आकर रुक गये और चारों तरफ देखने लगे की कोई और तो नही देख रहा उन्हे
मैं : “क्या हुआ पिताजी, चलना नही है क्या ?”
पिताजी ने अपनी जेब से एक लाल धागे से बँधा तांबे का सिक्का निकाला
मुझे याद आ गया की ऐसा कुछ मैने उस किताब में भी देखा था
हालाँकि मैने उसके बारे में पढ़ा नही था क्योंकि इतना टाइम नही मिल पाया था पर ऐसा कुछ सिक्के टाइप का देखा था मैने
और तभी पिताजी बोले : “चंदा…..इसे गोर से देखती रहो….आँखे गाड़ कर देखो इसे….गोर से…”
मैं उस सिक्के को गोर से देखने लगी
और इसके बाद वो 1-10 तक की गिनती गिनने लगेऔर मेरी आँखो के सामने उस सिक्के को लहराते रहे
मुझे पता तो था की वो ऐसा मुझे वश में करने के लिए कर रहे है, जैसा की उस किताब का काम था
और मेरे हिसाब से ये सिक्का और वो गिनती उसी वशीकरण को पूरा करने का तरीका था, किताब के हिसाब से
किताब और पिताजी के हिसाब से मुझे उसके बाद उनके वश में हो जाना चाहिए था
अपनी सुध बुध खो देनी चाहिए थी
पर हो ये रहा था की मैं अपने पूरे होशो हवास में थी और उन्हे आँखे फाड़े देख रही थी
मेरे दिलो दिमाग़ में उथल पुथल मच गयी
यानी जो क्रिया पिताजी ने मुझपर की थी वशीकरण की, उसने काम नही किया
इसका मतलब ये की पिताजी वो मज़े नही ले पाएँगे जो उन्होने सोचे होंगे
और उस से भी ज़्यादा
मैं उस मज़े से वंचित रह जाउंगी
नही नही
ऐसा नही हो सकता
ये वशीकरण काम करे या ना करे
मुझे तो उनके वश में होना ही है
चाहे मुझे नाटक ही क्यो ना करना पड़े
इसलिए मैं एकदम से स्थिर सी हो गयी, किसी बुत्त की तरह
जैसे किसी ने मेरे अंदर से मेरी आत्मा निकाल ली हो
पिताजी कुछ देर तक मुझे देखते रहे और फिर मेरी आँखो के सामने हाथ फेरकर देखने लगे की उनके मंत्र का असर हुआ है या नही
मैने कोई हरकत नही की
फिर वो बोले : “चंदा, अब जो मैं तुम्हे कहूँगा…वो तुम करोगी….समझी.”
मैं किसी रोबोट की तरहा बोली : “जी पिताजी, आप जो कहेंगे वो मैं करूँगी…”
ये सुनते ही पिताजी का चेहरा खिल उठा, उनकी साधना सफल हो गयी थी
उनके हिसाब से
क्योंकि ये सब तो मैं जान बूझकर कर रही थी
मैं चाहती तो अभी उन्हें उल्टा जवाब देकर सारा खेल धराशायी कर देती , पर मैंने ऐसा नहीं किया
मैं उन्हे इस बात का एहसास दिला रही थी की मैं उनके वश में आ चुकी हूँ
और उनका वशीकरण सफल हो गया है
पिताजी ने आस पास एक बार फिर से देखा, दूर - 2 तक कोई नही था
वो एकदम से मेरे करीब आए और मुझे बाहों मे भर कर मुझे अपने सीने से लगा लिया
हालाँकि आज से पहले भी मैं कई बार उनके गले लगी थी
पर ये आलिंगन अलग था
वो मेरी पीठ पर दबाव बनाकर मेरी छाती को अपने सीने से रगड़ रहे थे
उसे पीस रहे थे
मेरे निप्पल तो आपको पता ही है
ऐसी कोई भी हरकत से बिना किसी जनसभा के वो खड़े हो जाते है
और अपनी उपस्थिति दिखाने लगते है
मेरे निप्पल पिताजी के सीने में गड़ रहे थे
जो उन्होने भी महसूस किए
और फिर अचानक उन्होने मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरी आँखो में देखकर बोले : “मुझे किस्स करो….मेरे होंठो पर…”
मैं किसी यंत्र से चलने वाली गुड़िया की भाँति उनके होंठो पर टूट पड़ी
ये वो पल था जब मैने अपनी लाइफ का पहला चुंबन किया था
उफफफफफफ्फ़
इस पल के लिए कितने समय से मैं तड़प रही थी
अक्सर सोचा करती थी की किसी को किस्स करने में कैसा फील होगा
और जब से पिताजी का ये रात वाला कार्यकर्म शुरू हुआ है, उसके बाद तो किस्स करने की ऐसी इच्छा होने लगी थी की मैं अपनी कलाई को ही किस्स करके उसकी प्रैक्टिस करती रहती थी
मोबाइल में भी जो वीडियोस देखे थे, उसमें सैक्स की शुरूवात किस्स से ही करते थे सब
और सच में
इस किस्स को करके पता चला की क्यो सबसे पहले होंठो पर ही टूट पड़ते है ये लोग
मेरा रस उनके मुँह में जा रहा था और उनका मेरे मुँह में
वो मेरे नरम रबड़ जैसे होंठो को अपने दांतो से धीरे-२ चबा रहे थे
उनके होंठो को पकड़कर मैं तब तक चूसती रही जब तक उन्होने खुद मुझे पीछे नही धकेल दिया
क्योंकि दोनो की साँसे चढ़ गयी थी वो किस्स करते-2
पिताजी भी मेरे जोश को देखकर अपनी किस्मत पर खुश हुए जा रहे थे
उनके हाथ एक कठपुतली जो लग गयी थी जो उनकी हर इच्छा को पूरी करने वाली थी
उन्होने हुक्म देकर मुझे रुकने के लिए कहा
और मैं एक आज्ञाकारी वशीकरण में फंसी लड़की की तरह उनकी बात मानकर फिर से बुत्त बनकर खड़ी हो गयी
पिताजी ने फिर से आस पास का जायज़ा लिया, कोई नही था
ये पिताजी की इतनी फट्ट क्यों रही है
मेरा तो मन कर रहा था की ये सब ऐसे ही चलता रहे
यार
कितना मज़ा आ रहा था
पर वो भी अपनी जगह सही थे
खुला इलाक़ा था वो
कोई देख लेता हम दोनो को ऐसा करते हुए तो वो किसी को मुँह दिखाने लायक नही रहते
मेरी लाइफ भी खराब हो जाती
पर जब उन्होने तसल्ली कर ली की कोई नही है तो फिर से वो मेरी तरफ देखकर बोले
“चंदा, अपना टॉप उतारो, मुझे तुम्हारे मुम्मे देखने है “
मुम्मे शब्द सुनते ही मुझे जैसे किसी ने करंट मार दिया हो
ये पिताजी मेरे बूब्स के पीछे क्यो पड़े रहते है
मुझे डर था की उन्होने मेरे निप्पल्स को एक बार छू लिया तो मैं रुक नही पाऊँगी
उन्हे कच्चा चबा जाउंगी मैं तो
और ऐसी जगह पर वो काम मैं करना नही चाहती थी
पर मजबूरी थी
मैं उनके मन में कोई शक पैदा नही करना चाहती थी
इसलिए मैने अपने टॉप के सामने की तरफ के बटन खोलने शुरू कर दिए
और उसमें से अपने बूब्स को बाहर निकाल कर उनके सामने लहरा दिया
मेरे नंगे कड़क बूब्स अपनी आँखो के सामने देखकर पिताजी की आँखे तो फटी की फटी रह गयी
और मेरे 1 इंच लंबे निप्पल्स देखकर तो उनके मुँह में पानी ही आ गया
मैने अभी तक अपना टॉप पूरा उतारा नही था
क्योंकि मुझे भी किसी के आने का डर था
उसे उतारने के बाद दोबारा पहनना थोड़ा मुश्किल था
पर जो पिताजी को चाहिए था, वो मैने उनके सामने प्रस्तुत कर दिया था
मेरे बूब्स
उनके हाथ आगे आए और उन्होने उसे थाम लिया
मेरे मुँह से एक सिसकारी निकल गयी
वो मेरे चेहरे को देखने लगे
पर मैने आँखे बंद कर ली
पिताजी अपने दोनो हाथों से मेरे बूब्स को मसलने लगे
कल रात उन्होने यही काम मेरे कपड़ो के उपर से किया था
आज वो उन्हे नंगा पकड़ कर कर रहे थे
मैं मस्ती में भरकर ज़ोर से सिसकारियाँ मारने लगी
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……. अहह……… उम्म्म्मममममम……”
और ऐसा करते हुए मैं खुद आगे आई और पिताजी के होंठो पर एक बार फिर से टूट पड़ी
इस बार की किस्स पहले से ज़्यादा जोश से भरी और रसीली थी
मेरे मुँह से निकला शहद पिताजी मुँह खोलकर पीए जा रहे थे
और नीचे उनके हाथ मेरे दोनो बूब्स को मसल रहे थे
अचानक दूर से एक ट्रैक्टर के आने की आवाज़ आई
पिताजी एक दम से अलग हुए और मुझे अपने कपड़े सही करने का आदेश दिया
और फिर उन्होने मेरी आँखो मे देखते हुए वो गिनती उल्टी पढ़नी शुरू कर दी
और अंत में मेरे चेहरे पर फूँक मारी
मैं समझ गयी की ये वशीकरण को तोड़ने का टोटका है
मैने भी ऐसी एक्टिंग की जैसे मैं अभी नींद से जागी हूँ
एक पल के लिए तो मैं अवाक सी होकर इधर उधर देखती रही
जान बूझकर मैने अपने बूब्स पर हाथ रखकर उन्हे सहलाया जैसे मुझे एहसास हो गया था की कोई उन्हे दबा रहा था
पर कौन ये पता नही
ऐसे भाव थे मेरे चेहरे पर
पिताजी ये देखकर मुस्कुराये जा रहे थे
ऐसे आश्चर्य के भाव लिए हुए मैने पिताजी से पूछा : “पिताजी…..क्या हुआ…..हम अभी तक यही रुके है….कुछ हुआ था क्या अभी….”
मैं जैसे कुछ सोचने समझने की एक्टिंग करने लगी
पिताजी : “अर्रे नही….मैने तो तुझे पानी पिलाया अभी….और मैं फिर मूतने गया था वहां , शायद तेरी आँख लग गयी थी….चल कोई ना, चलते है अब….”
तब तक वो ट्रैक्टर भी हमारी बगल से होता हुआ आगे निकल गया
और हम दोनो अपने खेतो की तरफ चल दिए
पीछे बैठी मैं अपनी एक्टिंग और चालाकी पर मुस्कुरा रही थी
और आगे बैठे पिताजी आने वाली संभावनाओ को सोचकर.....