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Incest वशीकरण

Ashokafun30

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पर जो भी हो
आज मज़ा बहुत आया था मुझे
कुछ ही देर में मैं घर पर थी
माँ कुछ पूछती रह गयी पर मुझे होश ही नही था
मैं कमरे में गयी और कुण्डी लगाकर बेड पर ओंधी गिर गयी
और वो सब बाते सोच-सोचकर अपनी चूत को उसी तकिये पर मसलती रही जिसे कुछ घंटो पहले प्यासा छोड़ गयी थी
और आख़िरकार भाई के बारे में सोचते-2 मैने उस तकिये की प्यास भी बुझा दी अपनी चूत के गर्म पानी से
और फिर मैं करीब 2 घंटो तक सोती रही

इस बात से अंजान की आज की रात पिताजी का क्या प्लान है
अपने दोस्त घेसू से मिलकर आने के बाद आज की रात वो हर हद को पार कर लेना चाहते थे
और इसका पता तो आज रात को ही लगने वाला था.


***********
अब आगे
************

घेसू से मिलने के बाद सुमेर सिंह जब घर पहुँचा तो ठरक के मारे उसका लॅंड टनटना रहा था
दरवाजा उसकी बीबी रागिनी ने खोला, जो दिन का काम करने के बाद नहा कर बाथरूम से निकली थी
उसके भरे हुए शरीर पर सिर्फ़ एक पेटीकोट था
जो उसने अपने मुम्मो के उपर बाँध कर रखा था
वो अंदर आया और रागिनी ने दरवाजा बंद कर दिया

अभी कुछ देर पहले वो नहाते हुए यही सोच रही थी की 3 दिन हो गये, उसके पति ने उसे चोदा नही
बेचारे थक जाते है पूरा दिन इधर उधर का काम करते हुए

उसे क्या पता था की वो किन अय्याशियों में मशगूल है
अभी भी वो मुखिया की बीबी की चुदाई करके आ रहा है

पर अपनी बेटियो को चोदने का एहसास ही ऐसा था की वो खड़े लॅंड के साथ दाखिल हुआ था घर में
जो खड़ा लंड रागिनी की नज़रों से छुपा ना रह सका
एक तो 3 दिन की खुजली और उपर से घर पर भी कोई नही था
चंद्रिका स्कूल में थी अभी तक
और चंदा भाई को खाना देने खेतों में गयी हुई थी
ये सही मौका था चुदने का

सुमेर जाकर बेड पर लेटा ही था की रागिनी उसके उपर आ गिरी
और सीधा उसके कड़क लॅंड को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया

एक शहद में डूबी आहहह निकल गयी सुमेर के मुँह से

“आआआअहह…… क्या हो गया है तुम्हे भागवान…ऐसे आते ही एकदम से…”

रागिनी अपने मोटे मुम्मे उसके बदन से रगड़ते हुए बोली : “ऐसे एकदम से नही जी…..आपको शायद पता नही है, पिछले 3 दिनों से आपने मुझे हाथ तक नही लगाया…उपर से बच्चे भी घर पर नही है….तो मैने सोचा…”

इतना कहते हुए रागिनी ने अपनी छाती को ढके पेटीकोट को धीरे से नीचे खिसका दिया
और उसके मोटे दूध उछल कर बाहर निकल आए



हालाँकि अभी कुछ देर पहले ही सुमेर चुदाई करके आया था
पर बीबी को ऐसे मौके पर ना कहने का मतलब था अपनी शामत बुलवाना
वैसे भी चुदाई से उसे कोई परहेज तो था नही
क्योंकि घेसू ने जो चमत्कारी दवाई दी थी उसे, वो एक दिन में 4 बार चुदाई करने में समर्थ थी
रात को जो करना है वो बाद मे देखा जाएगा
अभी के लिए तो उसे ये बूब्स ललचा रहे थे
उसने अपना मुँह आगे किया और उसके मोटे निप्पल को मुँह में भरकर उन्हे चूसने लगा



“आआआआआहह आजकल तुम पहले से ज़्यादा प्यासे हो गये हो…..कहाँ से लाते हो इतनी उत्तेजना….”

अब बेचारा क्या बोले वो
जवान कलियों को चखने के बाद ये उत्तेजना अपने आप ही आ जाती है इंसान के अंदर
भले ही उसकी बीबी भरे हुए जिस्म की मालकिन थी, कोई भी ऐसी औरत को चोदकर अपने आप को खुशनसीब समझेगा
पर कच्ची कलियों की कीमत सिर्फ़ 50 पार का बंदा ही बता सकता है
उन्हे चूसने में जो मज़ा और शक्ति का संचार शरीर को महसूस होता है, उसका विवरण शायद कोक शस्त्र में भी नही होगा

पर अभी के लिए तो रागिनी की उत्तेजना भी देखने लायक थी
अपने पति से अपना मुम्मा चुस्वाते-2 कब उसने सुमेर की धोती खोलकर उसका लॅंड बाहर खींच लिया, ये उसे भी पता नही चला
रागिनी बेड से खड़ी हुई और उसने एकदम से अपने शरीर पर लटका वो पेटीकोत उतार कर नीचे फेंक दिया
अब वो मादरजात नंगी थी सुमेर के सामने
इस उम्र मे भी उसके शरीर की सुंदरता देखते ही बनती थी
यहाँ तक की आज उसके लंड से चुदी मुखिया की बीबी शर्मिला भी उसके आगे फ़ीकी थी



कपड़े उतरने के बाद वो सीधा अपने पति के लॅंड पर टूट पड़ी
उसे पता था की सुमेर को लॅंड चुसाई कितनी पसंद है
इसलिए उसने लॅंड को मुँह में लिया और उसे चूसने लगी

सुमेर सोचने लगा की जब से वो घेसू के संपर्क में आया है , वो अपने आप को किसी राजा के समान महसूस कर रहा है
उसकी उत्तेजना बढ़ गयी है
चोदने की शक्ति में भी इज़ाफा हुआ है
और वो वशीकरण के कारण तो उसे अपनी फूल जैसी बेटियो को भी चखने का सोभाग्य मिल रहा है
पहले शर्मिला और अब रागिनी उसका लॅंड चूस रही थी
ऐसे में कोई भिखारी भी अपने आप को राजा जैसा ही महसूस करेगा



अंदर ये प्रोग्राम चल रहा था और तभी बाहर चंद्रिका अपने स्कूल से वापिस आ गयी
आज बच्चों का होमवर्क चेक करते-2 वो काफ़ी थक गयी थी वो
इसलिए ऑटो से घर आई थी वो, ताकि घर जाकर नहाए और चादर तानकर सो जाए
घर पहुँची तो दरवाजा धक्का देते ही खुलता चला गया

बेचारी को क्या पता था की उसकी माँ चुदवाने की चाह में जल्दबाज़ी में दरवाजा बंद करके अंदर चली गयी, कुण्डी लगानी ही भूल गयी
वो सीधा अपने रूम मे गयी और अपना बेग साइड में रखा और टॉवल से अपना चेहरा और गर्दन पोंछी
घर में काफ़ी शान्ति थी
वो बाहर निकल कर माँ को आवाज़ लगाने ही वाली थी की उसे उनके कमरे से अपने पिताजी के कराहने की आवाज़ आई
उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया
माँ निकलने वाला था पर निकला धीरे से पिताजी

“ये….ये तो पिताजी की आवाज़ है…कहीं वो…माँ के साथ…”

उनकी चुदाई का ख़याल आते ही उसकी चूत ने एक पिचकारी मारकर उसे गीला कर दिया
वो काँपते कदमो से उनके कमरे की तरफ चल दी
दरवाजा भी पूरा बंद नही था
वो साइड में खड़ी होकर अंदर झाँकने लगी

और अंदर का नज़ारा देखकर उसके हाथ खुद ब खुद अपनी चूत पर जा लगे
ताकि वो नज़ारा देखकर उसकी चूत बावली होकर होली ना खेलने लग जाए
क्योंकि अंदर का नज़ारा था ही ऐसा

और ये जिंदगी में पहली बार था जब वो अपने माँ बाप को इस तरह सैक्स करते देख रही थी
उसकी माँ काम की देवी बनकर, पूरी नंगी होकर अपने पति की लॅंड सेवा कर रही थी

उसे मुँह में लेकर भरपूर ज़ोर लगाकर उसे चूस रही थी
और उसमे से निकलने वाली बूँदो को निगल भी रही थी
ऐसा नज़ारा देखकर उसके मुँह से एक सिसकारी निकल गयी और उसे अपने पिताजी की रात वाली बात याद आ गयी
जो लॅंड उसकी माँ इस वक़्त चूस रही थी
वही लॅंड तो था जो उसके पिताजी उसके जिस्म से रगड़ रहे थे
उसकी गर्मी तो उसने भी महसूस की थी

वो भी ये मज़े ले चुकी थी अपने बाय्फ्रेंड यानी स्कूल के प्रिंसिपल से
पर अपने पिताजी का लॅंड देखकर उसके मुँह में पानी आ रहा था इस वक़्त

“ओह पिताजी………..उम्म्म्मममममममम….. सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स”

उसने अपने मुँह पर हाथ रखकर उस सिसकारी को बाहर निकलने से रोका

अंदर रागिनी की चूत भी अब पूरी गीली हो चुकी थी
अब उसे लॅंड चाहिए था अंदर
और सुमेर भी पूरा तैयार था
रागिनी उठी और अपनी भारी भरकम गांड लेकर सीधा उसके लॅंड पर बैठ गयी
घपप की आवाज़ के साथ वो मोटा लॅंड उसकी अंतहीन गुफा में विलीन होता चला गया

बाहर खड़ी चंद्रिका को महसूस हुआ की वो लॅंड उसकी माँ की नही बल्कि उसकी चूत में उतरा है
उसके नितंब खुद ब खुद आगे पीछे होकर उस अदृशय लॅंड को महसूस करके झटके खाने लगे

अंदर रागिनी अपने पति के घोड़े पर सवार होकर सरपट भागे जा रही थी




“ओह मेरी ज़ाआाआआआआनन्न……. क्या लॅंड है आपका……उम्म्म्मममममममममममम… सुबह से सोच रही थी इसके बारे में ….अहह……..इतना ना तड़पाया करो मुझे…….रोज चोदा करो अपने मोटे लॅंड से मेरी मुनिया को…..अहह…. उम्म्म्मम अहह…. उम्म्म्ममम ….आ हह”
 
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Ashokafun30

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ऐसा करते-2 वो कब झड़ गयी उसे भी पता नही चला
पर सुमेर का लॅंड ज्यो का त्यो खड़ा था उसकी चूत में झंडा गाड़े
और उसे कैसे उत्तेजना के शिखर पर ले जाना है वो अच्छे से जानता था
उसने तुरंत अपना लॅंड बाहर खींचा और रागिनी को घोड़ी बनाकर उसके पीछे आ लगा
रागिनी के फेले चूतड़ उसकी चुदाई की दास्तान बयां कर रहे थे
बरसों से चुदती आई थी वो इसी पोज़िशन में
धक्के मार मारकर सुमेर ने उसकी गांड को पूरा फेला कर छतरी बना दिया था
और ऐसी भरी हुई गांड को मारने का मज़ा ही अलग है

उसने उसके मोटे चूतड़ों को दोनो तरफ से पकड़ा और अपना चूत रस से भीगा लॅंड उसके अंदर डाल दिया
एक बार फिर से सिसकारी निकल गयी रागिनी की
हर एंगल से अलग ही गहराई को छू लेता है ये निगोड़ा लॅंड

वो तकिये में मुँह गाड़े बस आने वाले धक्को की प्रतीक्षा करने लगी
क्योंकि उसे पता था की उसका पति ऐसी पोज़िशन में उसकी चुदाई ऐसे करता है जैसे कोई ट्रक ड्राइवर रात के समय ड्राइवरी
फुल स्पीड में
और अगले ही पल वो झटके मिलने शुरू भी हो गये उसे
सुमेर ने पूरा ज़ोर लगाकर उसकी चूत का बाजा अपने हारमोनियम से बजाना शुरू कर दिया



पूरे कमरे में उहह आहहह की आवाज़ें गूंजने लगी

और बाहर खड़ी चंद्रिका का भी बुरा हाल था ये सब देखकर
अपने दैत्याकार बाप का पूरा लॅंड देखकर उसकी घिग्घी बंध चुकी थी
उसे अंदर लेने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी
चंदा सही कह रही थी पिताजी के लॅंड के बारे में
वो कितना बड़ा और गर्म है

काश वो इस वक़्त वो गर्मी ले पाती
पर अभी के लिए तो वो अपने हाथ को पायजामी के अंदर डालकर अपनी नन्ही सी चूत को रगड़ रही थी
और बुदबुदा भी रही थी

“ओह….पिताजी……उम्म्म्म…….मेरी भी बुर ….में ….अपना ….लोढा डालो ना……डालो ना पिताजी….अपनी प्यारी बेटी की चूत नही मारोगे क्या….आहह पिताजी………”

और अंदर सुमेर भी कुछ ना कुछ बड़बड़ा रहा था

“आआअहह……साली रंडी…….ले चुद अब……मेरा लॅंड चाहिए ना तुझे….दिन रात….साली हरामजादी ……रंडी है तू……तेरी जैसी औरतों को तो गाँव के सारे मर्दों से चुदवाना चाहिए …..सारे आकर तेरी चूत चोदेगे तब तेरी आग बुझेगी साली रांड…”

अपने पति के शब्दो को कल्पना में सोचकर ही वो एक बार फिर से उत्तेजित हो गयी

सुमेर अक्सर उसे ऐसी बातें बोलता था जिन्हे सुनकर वो और भी ज़्यादा गर्म हो जाय करती थी

हालाँकि अभी झड़ी थी वो पर अपने पति की ये गर्म बातें सुनकर उसकी चूत में एक बार फिर से चिंगारी भड़क उठी और वो भी बुदबुदा उठी

“आअह्ह्ह्हहह……तो चोदिये ना…पूरे गाँव के सामने…..शहर के बीच….अपने दोस्तो से चुदवाओ ….सारो गाँव वालो से भी….अहह….जैसा कहोगे वैसा करूँगी…….बस मुझे लॅंड चाहिए….लॅंड चाहिए…”

[/url
]

ऐसा कहते-2 वो एक बार फिर से झड़ गयी

और उसकी चूत की गर्मी महसूस करके सुमेर भी ज़्यादा देर तक खड़ा नही रह सका
वो भी अपने लॅंड के गाड़े पानी को उसकी चूत में डालकर हाँफते हुए उसके उपर गिरकर झड़ने लगा

अब वो किसी भी वक़्त बाहर आ सकते थे
चंद्रिका अभी झड़ी नही थी
पर वहां खड़े रहना अब ख़तरे से खाली नही था

इसलिए उसने जल्दी से अपना हुलिया ठीक किया और अपने कमरे में जाकर अपना बेग उठाया और बाहर निकल कर दरवाजा फिर से पहले जैसा लगा दिया
और तेज कदमो से चलती हुई गली से बाहर जाने लगी
उसे इस वक़्त कोई पड़ोसी हाथ पकड़ कर अपने घर में घसीट कर चोद लेता तो चू तक ना करती
खुशी-2 चुद जाती
पर भरी दोपहरी में पूरी गली शांत पड़ी थी

वो तेज कदमो से चलती हुई मोड़ तक पहुँची तो उसे बदहवास सी चंदा अपनी तरफ आती दिखाई दी
उसकी हालत भी उसके जैसी ही थी
दोनों ही अपने हिस्से की उत्तेजना को महसूस करके आ रहे थे

दोनों एक दूसरे के करीब आए और एक दूसरे की हालत देखकर जानने की कोशिश करने लगे की उनके साथ हुआ क्या है
पर कोई कुछ ना बोला

चंदा को देखकर चंद्रिका भी उसके साथ वापिस घर की तरफ चल दी
तब तक उनकी माँ उठकर बाथरूम में जा चुकी थी एक बार फिर से नहाने
दरवाजा पहले जैसा खुला पड़ा था

चंद्रिका उसे धकेल कर अंदर आ गयी और ज़ोर से माँ माँ कहती हुई अपने कमरे में चली गयी
सुमेर भी अपने कमरे में अपने कपड़े पहन चूका था
उसकी दोनो लड़लियां आ चुकी थी
जिन्हे देखकर वो एक बार फिर से आज रात की प्लानिंग करने लगा
आज वो उन्हे उसी वशीकरण में फंसाकर उनकी चुदाई करने के मूड में था
ताकि बाद में उसे अफ़सोस ना रहे की घेसू ने उन्हे पहले चोद दिया
आज की रात कुछ अलग होने वाली थी


 

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पर जो भी हो
आज मज़ा बहुत आया था मुझे
कुछ ही देर में मैं घर पर थी
माँ कुछ पूछती रह गयी पर मुझे होश ही नही था
मैं कमरे में गयी और कुण्डी लगाकर बेड पर ओंधी गिर गयी
और वो सब बाते सोच-सोचकर अपनी चूत को उसी तकिये पर मसलती रही जिसे कुछ घंटो पहले प्यासा छोड़ गयी थी
और आख़िरकार भाई के बारे में सोचते-2 मैने उस तकिये की प्यास भी बुझा दी अपनी चूत के गर्म पानी से
और फिर मैं करीब 2 घंटो तक सोती रही

इस बात से अंजान की आज की रात पिताजी का क्या प्लान है
अपने दोस्त घेसू से मिलकर आने के बाद आज की रात वो हर हद को पार कर लेना चाहते थे
और इसका पता तो आज रात को ही लगने वाला था.


***********
अब आगे
************

घेसू से मिलने के बाद सुमेर सिंह जब घर पहुँचा तो ठरक के मारे उसका लॅंड टनटना रहा था
दरवाजा उसकी बीबी रागिनी ने खोला, जो दिन का काम करने के बाद नहा कर बाथरूम से निकली थी
उसके भरे हुए शरीर पर सिर्फ़ एक पेटीकोट था
जो उसने अपने मुम्मो के उपर बाँध कर रखा था
वो अंदर आया और रागिनी ने दरवाजा बंद कर दिया

अभी कुछ देर पहले वो नहाते हुए यही सोच रही थी की 3 दिन हो गये, उसके पति ने उसे चोदा नही
बेचारे थक जाते है पूरा दिन इधर उधर का काम करते हुए

उसे क्या पता था की वो किन अय्याशियों में मशगूल है
अभी भी वो मुखिया की बीबी की चुदाई करके आ रहा है

पर अपनी बेटियो को चोदने का एहसास ही ऐसा था की वो खड़े लॅंड के साथ दाखिल हुआ था घर में
जो खड़ा लंड रागिनी की नज़रों से छुपा ना रह सका
एक तो 3 दिन की खुजली और उपर से घर पर भी कोई नही था
चंद्रिका स्कूल में थी अभी तक
और चंदा भाई को खाना देने खेतों में गयी हुई थी
ये सही मौका था चुदने का

सुमेर जाकर बेड पर लेटा ही था की रागिनी उसके उपर आ गिरी
और सीधा उसके कड़क लॅंड को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया

एक शहद में डूबी आहहह निकल गयी सुमेर के मुँह से

“आआआअहह…… क्या हो गया है तुम्हे भागवान…ऐसे आते ही एकदम से…”

रागिनी अपने मोटे मुम्मे उसके बदन से रगड़ते हुए बोली : “ऐसे एकदम से नही जी…..आपको शायद पता नही है, पिछले 3 दिनों से आपने मुझे हाथ तक नही लगाया…उपर से बच्चे भी घर पर नही है….तो मैने सोचा…”

इतना कहते हुए रागिनी ने अपनी छाती को ढके पेटीकोट को धीरे से नीचे खिसका दिया
और उसके मोटे दूध उछल कर बाहर निकल आए



हालाँकि अभी कुछ देर पहले ही सुमेर चुदाई करके आया था
पर बीबी को ऐसे मौके पर ना कहने का मतलब था अपनी शामत बुलवाना
वैसे भी चुदाई से उसे कोई परहेज तो था नही
क्योंकि घेसू ने जो चमत्कारी दवाई दी थी उसे, वो एक दिन में 4 बार चुदाई करने में समर्थ थी
रात को जो करना है वो बाद मे देखा जाएगा
अभी के लिए तो उसे ये बूब्स ललचा रहे थे
उसने अपना मुँह आगे किया और उसके मोटे निप्पल को मुँह में भरकर उन्हे चूसने लगा



“आआआआआहह आजकल तुम पहले से ज़्यादा प्यासे हो गये हो…..कहाँ से लाते हो इतनी उत्तेजना….”

अब बेचारा क्या बोले वो
जवान कलियों को चखने के बाद ये उत्तेजना अपने आप ही आ जाती है इंसान के अंदर
भले ही उसकी बीबी भरे हुए जिस्म की मालकिन थी, कोई भी ऐसी औरत को चोदकर अपने आप को खुशनसीब समझेगा
पर कच्ची कलियों की कीमत सिर्फ़ 50 पार का बंदा ही बता सकता है
उन्हे चूसने में जो मज़ा और शक्ति का संचार शरीर को महसूस होता है, उसका विवरण शायद कोक शस्त्र में भी नही होगा

पर अभी के लिए तो रागिनी की उत्तेजना भी देखने लायक थी
अपने पति से अपना मुम्मा चुस्वाते-2 कब उसने सुमेर की धोती खोलकर उसका लॅंड बाहर खींच लिया, ये उसे भी पता नही चला
रागिनी बेड से खड़ी हुई और उसने एकदम से अपने शरीर पर लटका वो पेटीकोत उतार कर नीचे फेंक दिया
अब वो मादरजात नंगी थी सुमेर के सामने
इस उम्र मे भी उसके शरीर की सुंदरता देखते ही बनती थी
यहाँ तक की आज उसके लंड से चुदी मुखिया की बीबी शर्मिला भी उसके आगे फ़ीकी थी



कपड़े उतरने के बाद वो सीधा अपने पति के लॅंड पर टूट पड़ी
उसे पता था की सुमेर को लॅंड चुसाई कितनी पसंद है
इसलिए उसने लॅंड को मुँह में लिया और उसे चूसने लगी

सुमेर सोचने लगा की जब से वो घेसू के संपर्क में आया है , वो अपने आप को किसी राजा के समान महसूस कर रहा है
उसकी उत्तेजना बढ़ गयी है
चोदने की शक्ति में भी इज़ाफा हुआ है
और वो वशीकरण के कारण तो उसे अपनी फूल जैसी बेटियो को भी चखने का सोभाग्य मिल रहा है
पहले शर्मिला और अब रागिनी उसका लॅंड चूस रही थी
ऐसे में कोई भिखारी भी अपने आप को राजा जैसा ही महसूस करेगा



अंदर ये प्रोग्राम चल रहा था और तभी बाहर चंद्रिका अपने स्कूल से वापिस आ गयी
आज बच्चों का होमवर्क चेक करते-2 वो काफ़ी थक गयी थी वो
इसलिए ऑटो से घर आई थी वो, ताकि घर जाकर नहाए और चादर तानकर सो जाए
घर पहुँची तो दरवाजा धक्का देते ही खुलता चला गया

बेचारी को क्या पता था की उसकी माँ चुदवाने की चाह में जल्दबाज़ी में दरवाजा बंद करके अंदर चली गयी, कुण्डी लगानी ही भूल गयी
वो सीधा अपने रूम मे गयी और अपना बेग साइड में रखा और टॉवल से अपना चेहरा और गर्दन पोंछी
घर में काफ़ी शान्ति थी
वो बाहर निकल कर माँ को आवाज़ लगाने ही वाली थी की उसे उनके कमरे से अपने पिताजी के कराहने की आवाज़ आई
उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया
माँ निकलने वाला था पर निकला धीरे से पिताजी

“ये….ये तो पिताजी की आवाज़ है…कहीं वो…माँ के साथ…”

उनकी चुदाई का ख़याल आते ही उसकी चूत ने एक पिचकारी मारकर उसे गीला कर दिया
वो काँपते कदमो से उनके कमरे की तरफ चल दी
दरवाजा भी पूरा बंद नही था
वो साइड में खड़ी होकर अंदर झाँकने लगी

और अंदर का नज़ारा देखकर उसके हाथ खुद ब खुद अपनी चूत पर जा लगे
ताकि वो नज़ारा देखकर उसकी चूत बावली होकर होली ना खेलने लग जाए
क्योंकि अंदर का नज़ारा था ही ऐसा

और ये जिंदगी में पहली बार था जब वो अपने माँ बाप को इस तरह सैक्स करते देख रही थी
उसकी माँ काम की देवी बनकर, पूरी नंगी होकर अपने पति की लॅंड सेवा कर रही थी

उसे मुँह में लेकर भरपूर ज़ोर लगाकर उसे चूस रही थी
और उसमे से निकलने वाली बूँदो को निगल भी रही थी
ऐसा नज़ारा देखकर उसके मुँह से एक सिसकारी निकल गयी और उसे अपने पिताजी की रात वाली बात याद आ गयी
जो लॅंड उसकी माँ इस वक़्त चूस रही थी
वही लॅंड तो था जो उसके पिताजी उसके जिस्म से रगड़ रहे थे
उसकी गर्मी तो उसने भी महसूस की थी

वो भी ये मज़े ले चुकी थी अपने बाय्फ्रेंड यानी स्कूल के प्रिंसिपल से
पर अपने पिताजी का लॅंड देखकर उसके मुँह में पानी आ रहा था इस वक़्त

“ओह पिताजी………..उम्म्म्मममममममम….. सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स”

उसने अपने मुँह पर हाथ रखकर उस सिसकारी को बाहर निकलने से रोका

अंदर रागिनी की चूत भी अब पूरी गीली हो चुकी थी
अब उसे लॅंड चाहिए था अंदर
और सुमेर भी पूरा तैयार था
रागिनी उठी और अपनी भारी भरकम गांड लेकर सीधा उसके लॅंड पर बैठ गयी
घपप की आवाज़ के साथ वो मोटा लॅंड उसकी अंतहीन गुफा में विलीन होता चला गया

बाहर खड़ी चंद्रिका को महसूस हुआ की वो लॅंड उसकी माँ की नही बल्कि उसकी चूत में उतरा है
उसके नितंब खुद ब खुद आगे पीछे होकर उस अदृशय लॅंड को महसूस करके झटके खाने लगे

अंदर रागिनी अपने पति के घोड़े पर सवार होकर सरपट भागे जा रही थी




“ओह मेरी ज़ाआाआआआआनन्न……. क्या लॅंड है आपका……उम्म्म्मममममममममममम… सुबह से सोच रही थी इसके बारे में ….अहह……..इतना ना तड़पाया करो मुझे…….रोज चोदा करो अपने मोटे लॅंड से मेरी मुनिया को…..अहह…. उम्म्म्मम अहह…. उम्म्म्ममम ….आ हह”
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ऐसा करते-2 वो कब झड़ गयी उसे भी पता नही चला
पर सुमेर का लॅंड ज्यो का त्यो खड़ा था उसकी चूत में झंडा गाड़े
और उसे कैसे उत्तेजना के शिखर पर ले जाना है वो अच्छे से जानता था
उसने तुरंत अपना लॅंड बाहर खींचा और रागिनी को घोड़ी बनाकर उसके पीछे आ लगा
रागिनी के फेले चूतड़ उसकी चुदाई की दास्तान बयां कर रहे थे
बरसों से चुदती आई थी वो इसी पोज़िशन में
धक्के मार मारकर सुमेर ने उसकी गांड को पूरा फेला कर छतरी बना दिया था
और ऐसी भरी हुई गांड को मारने का मज़ा ही अलग है

उसने उसके मोटे चूतड़ों को दोनो तरफ से पकड़ा और अपना चूत रस से भीगा लॅंड उसके अंदर डाल दिया
एक बार फिर से सिसकारी निकल गयी रागिनी की
हर एंगल से अलग ही गहराई को छू लेता है ये निगोड़ा लॅंड

वो तकिये में मुँह गाड़े बस आने वाले धक्को की प्रतीक्षा करने लगी
क्योंकि उसे पता था की उसका पति ऐसी पोज़िशन में उसकी चुदाई ऐसे करता है जैसे कोई ट्रक ड्राइवर रात के समय ड्राइवरी
फुल स्पीड में
और अगले ही पल वो झटके मिलने शुरू भी हो गये उसे
सुमेर ने पूरा ज़ोर लगाकर उसकी चूत का बाजा अपने हारमोनियम से बजाना शुरू कर दिया



पूरे कमरे में उहह आहहह की आवाज़ें गूंजने लगी

और बाहर खड़ी चंद्रिका का भी बुरा हाल था ये सब देखकर
अपने दैत्याकार बाप का पूरा लॅंड देखकर उसकी घिग्घी बंध चुकी थी
उसे अंदर लेने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी
चंदा सही कह रही थी पिताजी के लॅंड के बारे में
वो कितना बड़ा और गर्म है

काश वो इस वक़्त वो गर्मी ले पाती
पर अभी के लिए तो वो अपने हाथ को पायजामी के अंदर डालकर अपनी नन्ही सी चूत को रगड़ रही थी
और बुदबुदा भी रही थी

“ओह….पिताजी……उम्म्म्म…….मेरी भी बुर ….में ….अपना ….लोढा डालो ना……डालो ना पिताजी….अपनी प्यारी बेटी की चूत नही मारोगे क्या….आहह पिताजी………”

और अंदर सुमेर भी कुछ ना कुछ बड़बड़ा रहा था

“आआअहह……साली रंडी…….ले चुद अब……मेरा लॅंड चाहिए ना तुझे….दिन रात….साली हरामजादी ……रंडी है तू……तेरी जैसी औरतों को तो गाँव के सारे मर्दों से चुदवाना चाहिए …..सारे आकर तेरी चूत चोदेगे तब तेरी आग बुझेगी साली रांड…”

अपने पति के शब्दो को कल्पना में सोचकर ही वो एक बार फिर से उत्तेजित हो गयी

सुमेर अक्सर उसे ऐसी बातें बोलता था जिन्हे सुनकर वो और भी ज़्यादा गर्म हो जाय करती थी

हालाँकि अभी झड़ी थी वो पर अपने पति की ये गर्म बातें सुनकर उसकी चूत में एक बार फिर से चिंगारी भड़क उठी और वो भी बुदबुदा उठी

“आअह्ह्ह्हहह……तो चोदिये ना…पूरे गाँव के सामने…..शहर के बीच….अपने दोस्तो से चुदवाओ ….सारो गाँव वालो से भी….अहह….जैसा कहोगे वैसा करूँगी…….बस मुझे लॅंड चाहिए….लॅंड चाहिए…”

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]

ऐसा कहते-2 वो एक बार फिर से झड़ गयी

और उसकी चूत की गर्मी महसूस करके सुमेर भी ज़्यादा देर तक खड़ा नही रह सका
वो भी अपने लॅंड के गाड़े पानी को उसकी चूत में डालकर हाँफते हुए उसके उपर गिरकर झड़ने लगा

अब वो किसी भी वक़्त बाहर आ सकते थे
चंद्रिका अभी झड़ी नही थी
पर वहां खड़े रहना अब ख़तरे से खाली नही था

इसलिए उसने जल्दी से अपना हुलिया ठीक किया और अपने कमरे में जाकर अपना बेग उठाया और बाहर निकल कर दरवाजा फिर से पहले जैसा लगा दिया
और तेज कदमो से चलती हुई गली से बाहर जाने लगी
उसे इस वक़्त कोई पड़ोसी हाथ पकड़ कर अपने घर में घसीट कर चोद लेता तो चू तक ना करती
खुशी-2 चुद जाती
पर भरी दोपहरी में पूरी गली शांत पड़ी थी

वो तेज कदमो से चलती हुई मोड़ तक पहुँची तो उसे बदहवास सी चंदा अपनी तरफ आती दिखाई दी
उसकी हालत भी उसके जैसी ही थी
दोनों ही अपने हिस्से की उत्तेजना को महसूस करके आ रहे थे

दोनों एक दूसरे के करीब आए और एक दूसरे की हालत देखकर जानने की कोशिश करने लगे की उनके साथ हुआ क्या है
पर कोई कुछ ना बोला

चंदा को देखकर चंद्रिका भी उसके साथ वापिस घर की तरफ चल दी
तब तक उनकी माँ उठकर बाथरूम में जा चुकी थी एक बार फिर से नहाने
दरवाजा पहले जैसा खुला पड़ा था

चंद्रिका उसे धकेल कर अंदर आ गयी और ज़ोर से माँ माँ कहती हुई अपने कमरे में चली गयी
सुमेर भी अपने कमरे में अपने कपड़े पहन चूका था
उसकी दोनो लड़लियां आ चुकी थी
जिन्हे देखकर वो एक बार फिर से आज रात की प्लानिंग करने लगा
आज वो उन्हे उसी वशीकरण में फंसाकर उनकी चुदाई करने के मूड में था
ताकि बाद में उसे अफ़सोस ना रहे की घेसू ने उन्हे पहले चोद दिया
आज की रात कुछ अलग होने वाली थी
Awesome update
 

Motaland2468

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ऐसा करते-2 वो कब झड़ गयी उसे भी पता नही चला
पर सुमेर का लॅंड ज्यो का त्यो खड़ा था उसकी चूत में झंडा गाड़े
और उसे कैसे उत्तेजना के शिखर पर ले जाना है वो अच्छे से जानता था
उसने तुरंत अपना लॅंड बाहर खींचा और रागिनी को घोड़ी बनाकर उसके पीछे आ लगा
रागिनी के फेले चूतड़ उसकी चुदाई की दास्तान बयां कर रहे थे
बरसों से चुदती आई थी वो इसी पोज़िशन में
धक्के मार मारकर सुमेर ने उसकी गांड को पूरा फेला कर छतरी बना दिया था
और ऐसी भरी हुई गांड को मारने का मज़ा ही अलग है

उसने उसके मोटे चूतड़ों को दोनो तरफ से पकड़ा और अपना चूत रस से भीगा लॅंड उसके अंदर डाल दिया
एक बार फिर से सिसकारी निकल गयी रागिनी की
हर एंगल से अलग ही गहराई को छू लेता है ये निगोड़ा लॅंड

वो तकिये में मुँह गाड़े बस आने वाले धक्को की प्रतीक्षा करने लगी
क्योंकि उसे पता था की उसका पति ऐसी पोज़िशन में उसकी चुदाई ऐसे करता है जैसे कोई ट्रक ड्राइवर रात के समय ड्राइवरी
फुल स्पीड में
और अगले ही पल वो झटके मिलने शुरू भी हो गये उसे
सुमेर ने पूरा ज़ोर लगाकर उसकी चूत का बाजा अपने हारमोनियम से बजाना शुरू कर दिया



पूरे कमरे में उहह आहहह की आवाज़ें गूंजने लगी

और बाहर खड़ी चंद्रिका का भी बुरा हाल था ये सब देखकर
अपने दैत्याकार बाप का पूरा लॅंड देखकर उसकी घिग्घी बंध चुकी थी
उसे अंदर लेने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी
चंदा सही कह रही थी पिताजी के लॅंड के बारे में
वो कितना बड़ा और गर्म है

काश वो इस वक़्त वो गर्मी ले पाती
पर अभी के लिए तो वो अपने हाथ को पायजामी के अंदर डालकर अपनी नन्ही सी चूत को रगड़ रही थी
और बुदबुदा भी रही थी

“ओह….पिताजी……उम्म्म्म…….मेरी भी बुर ….में ….अपना ….लोढा डालो ना……डालो ना पिताजी….अपनी प्यारी बेटी की चूत नही मारोगे क्या….आहह पिताजी………”

और अंदर सुमेर भी कुछ ना कुछ बड़बड़ा रहा था

“आआअहह……साली रंडी…….ले चुद अब……मेरा लॅंड चाहिए ना तुझे….दिन रात….साली हरामजादी ……रंडी है तू……तेरी जैसी औरतों को तो गाँव के सारे मर्दों से चुदवाना चाहिए …..सारे आकर तेरी चूत चोदेगे तब तेरी आग बुझेगी साली रांड…”

अपने पति के शब्दो को कल्पना में सोचकर ही वो एक बार फिर से उत्तेजित हो गयी

सुमेर अक्सर उसे ऐसी बातें बोलता था जिन्हे सुनकर वो और भी ज़्यादा गर्म हो जाय करती थी

हालाँकि अभी झड़ी थी वो पर अपने पति की ये गर्म बातें सुनकर उसकी चूत में एक बार फिर से चिंगारी भड़क उठी और वो भी बुदबुदा उठी

“आअह्ह्ह्हहह……तो चोदिये ना…पूरे गाँव के सामने…..शहर के बीच….अपने दोस्तो से चुदवाओ ….सारो गाँव वालो से भी….अहह….जैसा कहोगे वैसा करूँगी…….बस मुझे लॅंड चाहिए….लॅंड चाहिए…”

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ऐसा कहते-2 वो एक बार फिर से झड़ गयी

और उसकी चूत की गर्मी महसूस करके सुमेर भी ज़्यादा देर तक खड़ा नही रह सका
वो भी अपने लॅंड के गाड़े पानी को उसकी चूत में डालकर हाँफते हुए उसके उपर गिरकर झड़ने लगा

अब वो किसी भी वक़्त बाहर आ सकते थे
चंद्रिका अभी झड़ी नही थी
पर वहां खड़े रहना अब ख़तरे से खाली नही था

इसलिए उसने जल्दी से अपना हुलिया ठीक किया और अपने कमरे में जाकर अपना बेग उठाया और बाहर निकल कर दरवाजा फिर से पहले जैसा लगा दिया
और तेज कदमो से चलती हुई गली से बाहर जाने लगी
उसे इस वक़्त कोई पड़ोसी हाथ पकड़ कर अपने घर में घसीट कर चोद लेता तो चू तक ना करती
खुशी-2 चुद जाती
पर भरी दोपहरी में पूरी गली शांत पड़ी थी

वो तेज कदमो से चलती हुई मोड़ तक पहुँची तो उसे बदहवास सी चंदा अपनी तरफ आती दिखाई दी
उसकी हालत भी उसके जैसी ही थी
दोनों ही अपने हिस्से की उत्तेजना को महसूस करके आ रहे थे

दोनों एक दूसरे के करीब आए और एक दूसरे की हालत देखकर जानने की कोशिश करने लगे की उनके साथ हुआ क्या है
पर कोई कुछ ना बोला

चंदा को देखकर चंद्रिका भी उसके साथ वापिस घर की तरफ चल दी
तब तक उनकी माँ उठकर बाथरूम में जा चुकी थी एक बार फिर से नहाने
दरवाजा पहले जैसा खुला पड़ा था

चंद्रिका उसे धकेल कर अंदर आ गयी और ज़ोर से माँ माँ कहती हुई अपने कमरे में चली गयी
सुमेर भी अपने कमरे में अपने कपड़े पहन चूका था
उसकी दोनो लड़लियां आ चुकी थी
जिन्हे देखकर वो एक बार फिर से आज रात की प्लानिंग करने लगा
आज वो उन्हे उसी वशीकरण में फंसाकर उनकी चुदाई करने के मूड में था
ताकि बाद में उसे अफ़सोस ना रहे की घेसू ने उन्हे पहले चोद दिया
आज की रात कुछ अलग होने वाली थी
Mast update but Chhota update Diya hai Ashok bhai .next update jaldi or thoda bada dena
 
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Ashokafun30

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Bro ,

Kahani me vashikaran ko khatm nahi karna tha aur badi bahan ko mantro dwara hi vash me karke dikhana tha tabhi kahani me jyada maza aata.

Aur yahi mantra sare ghar walo par bhi hote to dono betiya apni mummy ka samne bari bari se chudti
idea to sahi hai, aap apne hisab se ek alag kahani likho jisme ye sab ho, mere dimaag me jo kahani hai mai to usi hisaab se likhunga..
vaise bhi abhi tak sab kuch vashikaran ke hisaab se hi kar raha hai sumer singh.
 
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