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पिताजी ने मेरे कूल्हे पकड़कर ज़ोर-2 से मुझे पीछे से चोदना शुरू कर दिया
बीच-2 में वो अपने हाथ आगे करके मेरे बूब्स भी दबा रहे थे
एक बार तो उन्होने मेरे मुँह में अपनी मोटी उंगली भी डाली
मन तो कर रहा था की उन्हे काट लूँ
पर फिर सिर्फ़ चूस्कर ही छोड़ दिया
आख़िर पापा थे मेरे
इतना प्यार वो मुझे दे रहे है पीछे से
मैं भी तो उन्हे ये छोटे - 2 मज़े दे सकती हूँ ना
कुछ देर बाद उन्होने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया और मुझे अपने सामने घुटनो के बल बैठने को कहा
फिर उन्होने मेरी चूत रस से भीगा लॅंड मेरे चेहरे के सामने किया और हुक्म दिया
“चूसो इसे चंदा…..आराम से चूसना….धीरे -2 , जीभ से चाटना, होंठो से रगड़ना….लॅंड भी और मेरी बॉल्स भी….”
वो सब इतना डीटेल में बता रहे थे जैसे कोई परीक्षा चल रही हो मेरी
वैसे परीक्षा ही थी ये एक तरह से
क्योंकि इसमें अव्वल आउंगी तभी तो आने वाली जिंदगी में हर मर्द को ढंग से मज़े दे पाऊँगी
बस
फिर क्या था
पिताजी के हर शब्द का सम्मान करते हुए मैने उनके लॅंड को बड़े ही प्यार से अपने हाथो में पकड़ा और उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया
ठीक वैसे ही जैसा पिताजी ने समझाया था
जैसा मुझे आदेश दिया था
उनके लॅंड को मुँह मे डालते ही सबसे पहले तो मुझे खुद की ही महक आई,
और वो मुझे पसंद भी थी
इसलिए मैने उनके लॅंड पर लगी अपनी चूत की मलाई सडप -2 करके पूरी सॉफ कर दी
कुछ ही देर मे उनका लॅंड कोयले की ख़ान से निकले हीरे की तरह चमक उठा
फिर मेरे जादुई होंठो ने उनके लॅंड के 1-1 इंच को अपनी नर्मी का एहसास दिलाया
वो बेचारे अपने पंजो पर खड़े होकर सी-सी करते रह गये और मैं उनके लॅंड को पूरा घपप करके अपने मुँह में निगल गयी
ऐसा करीब 10-15 बार किया मैने
फिर उन्होने खुद ही मुझे लॅंड चूसने से रोका
शायद उनका निकलने वाला था
पर वो अभी झड़ना नही चाहते थे
फिर उन्होने मेरे मुँह में अपनी बॉल्स ठूस दी
उन्हे भी मैने बड़े चाव से चूसा
बिल्कुल रसीले गुलाबजामुन की तरह
उनकी बॉल्स की नशीली गंध मेरी चूत की महक को पूरी टक्कर दे रही थी
उन्हे मेरी चूत का रस पसंद था और मुझे उनके लॅंड की गंध
फिर वो बड़े आराम से उसी चारपाई पर पीठ के बल लेट गये और मुझे अपने उपर खींच लिया
और उपर आते ही सबसे पहले उन्होने मेरे रसीले होंठो को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे
सुबह का टाइम और अपनी जवान बेटी का नंगा शरीर और उसके रसीले होंठ
वाह पिताजी
किस्मत हो तो आप जैसी
पर किस्मत तो मेरी भी काफ़ी अच्छी थी
जो मज़ा उन्हे अपनी जवान बेटी के नंगे शरीर से मिल रहा था वही मज़ा मुझे अपने सुपरमैन पापा से
फिर उन्होने मेरे दोनो बूब्स को बड़े ही आराम से एक-2 करके चूसा
और नीचे हाथ करके अपना कड़क लॅंड एक बार फिर से मेरी रस टपकाती और प्यासी चूत के अंदर धकेल दिया
मेरे होंठो से एक बार फिर से एक नशीली सी आहहह निकल गयी
जो सीधा मैने उनके कानो के उपर छोड़ी
मैने अपने हाथों का घेरा उनकी गर्दन पर जमा कर अपने रसीले होंठ पिताजी के कानो पर जमा दिए और फिर उनके हर झटके से निकलने वाली सिसकारी वो सीधा अपने कानो के अंदर सुन पा रहे थे
मेरा पूरा शरीर उनके उपर चिपक कर पड़ा था
और नीचे उनके हाथ मेरे गद्देदार कुल्हो को थामे, नीचे से झटके मार रहे थे
सब कुछ बड़े स्मूद तरीके से हो रहा था
ऐसा लग ही नही रहा था की कोई उम्रदराज बंदा मेरी चूत मार रहा है
हर झटके में ऐसा मज़ा दे रहे थे वो की उनका कड़क लॅंड मेरी अंदर की दीवारों को वो सेंसेशन दे रहा था की पूछो ही मत
और आख़िर वो वक़्त भी आ गया जब मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी
और कसम से कह रही हूँ
उस वक़्त मेरा इतना मन कर रहा था की उनके कान में कह दूँ
ओह्ह्ह्ह पिताजी…….आअहह पिताजी
पर फिर से एक बार मैं शर्म के मारे कह नही पाई
पर जब झड़ी तो सीसियाते हुए मैने उनके कान को पूरा पकड़ कर अपने मुँह मे डाल कर निचोड़ कर चूस लिया
“उम्म्म्मममममममममममममममम…….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….. अहह……..”
मैं उनके कान में पिघल कर उनके ऊपर गिर गयी
मेरा पूरा शरीर शिथिल पड़ गया
पिताजी भी मेरे नाज़ुक से , झडे हुए शरीर को अपनी ताकतवर बाजुओं में भरकर जोर-2 से मुझे चोदने में लगे रहे
कुछ देर तक तो मुझे होश ही नही रहा था
पर फिर जब नीचे से मिल रहे झटकों ने मुझे झंझोड़ कर उठाया तो मुझे फिर से वही एहसास होने लगा जो कुछ देर पहले था
हालाँकि अगली बार झड़ने मे मुझे देर लगने वाली थी
पर पता नही पिताजी उतनी देर तक मुझे झेल पाएँगे या नही
क्योंकि एक बार झड़ने के बाद मेरी चूत का छल्ला उनके लॅंड पर पहले से ज़्यादा कसावट लेकर आ चूका था
और उसी छल्ले की वजह से अगले 2 मिनट में ही पिताजी भी झड़ने के करीब पहुँच गये
और जब वो झड़ने लगे तो उन्होने बड़े ही वहशियाना तरीके से मेरे नाज़ुक से बदन को पकड़कर मुझे बुरी तरह से रगड़ना शुरू कर दिया
और जब उनके लॅंड से पानी निकलने की बारी आई तो उन्होने एकदम से अपना मोटा लॅंड मेरी चूत से बाहर निकाला और सारा माल मेरे लाल हो चुके गोरे चूतड़ों पर निकाल दिया
और कुत्ते की तरह हाँफते हुए वो मेरे होंठो को बुरी तरह से चूसने लगे
“आहह…… .चंदा…….मेरी ज़ाआआआं……मेरी बेटी…….अहह…..क्या कसावट है तेरी चूत में …..अहह…..मज़ा आ गया आआ….”
अपने पिताजी को मैं मज़ा दे पाई, इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है भला
ये तो हर जवान लड़की का फ़र्ज़ होता है
अपने पिता को मज़ा देना
मैने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया था
और सच में आज मैं बहुत खुश थी
चुदाई की ये नयी दुनिया मुझे बहुत पसंद आ रही थी
आने वाले दिनों में मैं इस मज़े को बरकरार रखना चाहती थी
और इन बातों से अनजान की पिताजी ने मेरे और दीदी के लिए अपने दोस्त घेसू बाबा से क्या सौदा कर रखा है
मैं अपने सपने बुनने में लगी थी की कैसे और कब और ज्यादा मजे मिल सकते हैं
वो तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
बीच-2 में वो अपने हाथ आगे करके मेरे बूब्स भी दबा रहे थे
एक बार तो उन्होने मेरे मुँह में अपनी मोटी उंगली भी डाली
मन तो कर रहा था की उन्हे काट लूँ
पर फिर सिर्फ़ चूस्कर ही छोड़ दिया
आख़िर पापा थे मेरे
इतना प्यार वो मुझे दे रहे है पीछे से
मैं भी तो उन्हे ये छोटे - 2 मज़े दे सकती हूँ ना
कुछ देर बाद उन्होने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया और मुझे अपने सामने घुटनो के बल बैठने को कहा
फिर उन्होने मेरी चूत रस से भीगा लॅंड मेरे चेहरे के सामने किया और हुक्म दिया
“चूसो इसे चंदा…..आराम से चूसना….धीरे -2 , जीभ से चाटना, होंठो से रगड़ना….लॅंड भी और मेरी बॉल्स भी….”
वो सब इतना डीटेल में बता रहे थे जैसे कोई परीक्षा चल रही हो मेरी
वैसे परीक्षा ही थी ये एक तरह से
क्योंकि इसमें अव्वल आउंगी तभी तो आने वाली जिंदगी में हर मर्द को ढंग से मज़े दे पाऊँगी
बस
फिर क्या था
पिताजी के हर शब्द का सम्मान करते हुए मैने उनके लॅंड को बड़े ही प्यार से अपने हाथो में पकड़ा और उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया
ठीक वैसे ही जैसा पिताजी ने समझाया था
जैसा मुझे आदेश दिया था
उनके लॅंड को मुँह मे डालते ही सबसे पहले तो मुझे खुद की ही महक आई,
और वो मुझे पसंद भी थी
इसलिए मैने उनके लॅंड पर लगी अपनी चूत की मलाई सडप -2 करके पूरी सॉफ कर दी
कुछ ही देर मे उनका लॅंड कोयले की ख़ान से निकले हीरे की तरह चमक उठा
फिर मेरे जादुई होंठो ने उनके लॅंड के 1-1 इंच को अपनी नर्मी का एहसास दिलाया
वो बेचारे अपने पंजो पर खड़े होकर सी-सी करते रह गये और मैं उनके लॅंड को पूरा घपप करके अपने मुँह में निगल गयी
ऐसा करीब 10-15 बार किया मैने
फिर उन्होने खुद ही मुझे लॅंड चूसने से रोका
शायद उनका निकलने वाला था
पर वो अभी झड़ना नही चाहते थे
फिर उन्होने मेरे मुँह में अपनी बॉल्स ठूस दी
उन्हे भी मैने बड़े चाव से चूसा
बिल्कुल रसीले गुलाबजामुन की तरह
उनकी बॉल्स की नशीली गंध मेरी चूत की महक को पूरी टक्कर दे रही थी
उन्हे मेरी चूत का रस पसंद था और मुझे उनके लॅंड की गंध
फिर वो बड़े आराम से उसी चारपाई पर पीठ के बल लेट गये और मुझे अपने उपर खींच लिया
और उपर आते ही सबसे पहले उन्होने मेरे रसीले होंठो को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे
सुबह का टाइम और अपनी जवान बेटी का नंगा शरीर और उसके रसीले होंठ
वाह पिताजी
किस्मत हो तो आप जैसी
पर किस्मत तो मेरी भी काफ़ी अच्छी थी
जो मज़ा उन्हे अपनी जवान बेटी के नंगे शरीर से मिल रहा था वही मज़ा मुझे अपने सुपरमैन पापा से
फिर उन्होने मेरे दोनो बूब्स को बड़े ही आराम से एक-2 करके चूसा
और नीचे हाथ करके अपना कड़क लॅंड एक बार फिर से मेरी रस टपकाती और प्यासी चूत के अंदर धकेल दिया
मेरे होंठो से एक बार फिर से एक नशीली सी आहहह निकल गयी
जो सीधा मैने उनके कानो के उपर छोड़ी
मैने अपने हाथों का घेरा उनकी गर्दन पर जमा कर अपने रसीले होंठ पिताजी के कानो पर जमा दिए और फिर उनके हर झटके से निकलने वाली सिसकारी वो सीधा अपने कानो के अंदर सुन पा रहे थे
मेरा पूरा शरीर उनके उपर चिपक कर पड़ा था
और नीचे उनके हाथ मेरे गद्देदार कुल्हो को थामे, नीचे से झटके मार रहे थे
सब कुछ बड़े स्मूद तरीके से हो रहा था
ऐसा लग ही नही रहा था की कोई उम्रदराज बंदा मेरी चूत मार रहा है
हर झटके में ऐसा मज़ा दे रहे थे वो की उनका कड़क लॅंड मेरी अंदर की दीवारों को वो सेंसेशन दे रहा था की पूछो ही मत
और आख़िर वो वक़्त भी आ गया जब मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी
और कसम से कह रही हूँ
उस वक़्त मेरा इतना मन कर रहा था की उनके कान में कह दूँ
ओह्ह्ह्ह पिताजी…….आअहह पिताजी
पर फिर से एक बार मैं शर्म के मारे कह नही पाई
पर जब झड़ी तो सीसियाते हुए मैने उनके कान को पूरा पकड़ कर अपने मुँह मे डाल कर निचोड़ कर चूस लिया
“उम्म्म्मममममममममममममममम…….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….. अहह……..”
मैं उनके कान में पिघल कर उनके ऊपर गिर गयी
मेरा पूरा शरीर शिथिल पड़ गया
पिताजी भी मेरे नाज़ुक से , झडे हुए शरीर को अपनी ताकतवर बाजुओं में भरकर जोर-2 से मुझे चोदने में लगे रहे
कुछ देर तक तो मुझे होश ही नही रहा था
पर फिर जब नीचे से मिल रहे झटकों ने मुझे झंझोड़ कर उठाया तो मुझे फिर से वही एहसास होने लगा जो कुछ देर पहले था
हालाँकि अगली बार झड़ने मे मुझे देर लगने वाली थी
पर पता नही पिताजी उतनी देर तक मुझे झेल पाएँगे या नही
क्योंकि एक बार झड़ने के बाद मेरी चूत का छल्ला उनके लॅंड पर पहले से ज़्यादा कसावट लेकर आ चूका था
और उसी छल्ले की वजह से अगले 2 मिनट में ही पिताजी भी झड़ने के करीब पहुँच गये
और जब वो झड़ने लगे तो उन्होने बड़े ही वहशियाना तरीके से मेरे नाज़ुक से बदन को पकड़कर मुझे बुरी तरह से रगड़ना शुरू कर दिया
और जब उनके लॅंड से पानी निकलने की बारी आई तो उन्होने एकदम से अपना मोटा लॅंड मेरी चूत से बाहर निकाला और सारा माल मेरे लाल हो चुके गोरे चूतड़ों पर निकाल दिया
और कुत्ते की तरह हाँफते हुए वो मेरे होंठो को बुरी तरह से चूसने लगे
“आहह…… .चंदा…….मेरी ज़ाआआआं……मेरी बेटी…….अहह…..क्या कसावट है तेरी चूत में …..अहह…..मज़ा आ गया आआ….”
अपने पिताजी को मैं मज़ा दे पाई, इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है भला
ये तो हर जवान लड़की का फ़र्ज़ होता है
अपने पिता को मज़ा देना
मैने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया था
और सच में आज मैं बहुत खुश थी
चुदाई की ये नयी दुनिया मुझे बहुत पसंद आ रही थी
आने वाले दिनों में मैं इस मज़े को बरकरार रखना चाहती थी
और इन बातों से अनजान की पिताजी ने मेरे और दीदी के लिए अपने दोस्त घेसू बाबा से क्या सौदा कर रखा है
मैं अपने सपने बुनने में लगी थी की कैसे और कब और ज्यादा मजे मिल सकते हैं
वो तो आने वाला वक़्त ही बताएगा