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Incest वशीकरण

Ashokafun30

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पिताजी ने मेरे कूल्हे पकड़कर ज़ोर-2 से मुझे पीछे से चोदना शुरू कर दिया
बीच-2 में वो अपने हाथ आगे करके मेरे बूब्स भी दबा रहे थे
एक बार तो उन्होने मेरे मुँह में अपनी मोटी उंगली भी डाली
मन तो कर रहा था की उन्हे काट लूँ
पर फिर सिर्फ़ चूस्कर ही छोड़ दिया
आख़िर पापा थे मेरे
इतना प्यार वो मुझे दे रहे है पीछे से
मैं भी तो उन्हे ये छोटे - 2 मज़े दे सकती हूँ ना

कुछ देर बाद उन्होने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया और मुझे अपने सामने घुटनो के बल बैठने को कहा
फिर उन्होने मेरी चूत रस से भीगा लॅंड मेरे चेहरे के सामने किया और हुक्म दिया

“चूसो इसे चंदा…..आराम से चूसना….धीरे -2 , जीभ से चाटना, होंठो से रगड़ना….लॅंड भी और मेरी बॉल्स भी….”

वो सब इतना डीटेल में बता रहे थे जैसे कोई परीक्षा चल रही हो मेरी
वैसे परीक्षा ही थी ये एक तरह से

क्योंकि इसमें अव्वल आउंगी तभी तो आने वाली जिंदगी में हर मर्द को ढंग से मज़े दे पाऊँगी
बस
फिर क्या था
पिताजी के हर शब्द का सम्मान करते हुए मैने उनके लॅंड को बड़े ही प्यार से अपने हाथो में पकड़ा और उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया
ठीक वैसे ही जैसा पिताजी ने समझाया था
जैसा मुझे आदेश दिया था

उनके लॅंड को मुँह मे डालते ही सबसे पहले तो मुझे खुद की ही महक आई,
और वो मुझे पसंद भी थी
इसलिए मैने उनके लॅंड पर लगी अपनी चूत की मलाई सडप -2 करके पूरी सॉफ कर दी
कुछ ही देर मे उनका लॅंड कोयले की ख़ान से निकले हीरे की तरह चमक उठा

फिर मेरे जादुई होंठो ने उनके लॅंड के 1-1 इंच को अपनी नर्मी का एहसास दिलाया
वो बेचारे अपने पंजो पर खड़े होकर सी-सी करते रह गये और मैं उनके लॅंड को पूरा घपप करके अपने मुँह में निगल गयी



ऐसा करीब 10-15 बार किया मैने
फिर उन्होने खुद ही मुझे लॅंड चूसने से रोका

शायद उनका निकलने वाला था
पर वो अभी झड़ना नही चाहते थे

फिर उन्होने मेरे मुँह में अपनी बॉल्स ठूस दी
उन्हे भी मैने बड़े चाव से चूसा
बिल्कुल रसीले गुलाबजामुन की तरह
उनकी बॉल्स की नशीली गंध मेरी चूत की महक को पूरी टक्कर दे रही थी

उन्हे मेरी चूत का रस पसंद था और मुझे उनके लॅंड की गंध

फिर वो बड़े आराम से उसी चारपाई पर पीठ के बल लेट गये और मुझे अपने उपर खींच लिया
और उपर आते ही सबसे पहले उन्होने मेरे रसीले होंठो को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे

सुबह का टाइम और अपनी जवान बेटी का नंगा शरीर और उसके रसीले होंठ
वाह पिताजी
किस्मत हो तो आप जैसी

पर किस्मत तो मेरी भी काफ़ी अच्छी थी
जो मज़ा उन्हे अपनी जवान बेटी के नंगे शरीर से मिल रहा था वही मज़ा मुझे अपने सुपरमैन पापा से

फिर उन्होने मेरे दोनो बूब्स को बड़े ही आराम से एक-2 करके चूसा
और नीचे हाथ करके अपना कड़क लॅंड एक बार फिर से मेरी रस टपकाती और प्यासी चूत के अंदर धकेल दिया

मेरे होंठो से एक बार फिर से एक नशीली सी आहहह निकल गयी
जो सीधा मैने उनके कानो के उपर छोड़ी

मैने अपने हाथों का घेरा उनकी गर्दन पर जमा कर अपने रसीले होंठ पिताजी के कानो पर जमा दिए और फिर उनके हर झटके से निकलने वाली सिसकारी वो सीधा अपने कानो के अंदर सुन पा रहे थे

मेरा पूरा शरीर उनके उपर चिपक कर पड़ा था
और नीचे उनके हाथ मेरे गद्देदार कुल्हो को थामे, नीचे से झटके मार रहे थे
सब कुछ बड़े स्मूद तरीके से हो रहा था
ऐसा लग ही नही रहा था की कोई उम्रदराज बंदा मेरी चूत मार रहा है
हर झटके में ऐसा मज़ा दे रहे थे वो की उनका कड़क लॅंड मेरी अंदर की दीवारों को वो सेंसेशन दे रहा था की पूछो ही मत



और आख़िर वो वक़्त भी आ गया जब मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी
और कसम से कह रही हूँ
उस वक़्त मेरा इतना मन कर रहा था की उनके कान में कह दूँ

ओह्ह्ह्ह पिताजी…….आअहह पिताजी

पर फिर से एक बार मैं शर्म के मारे कह नही पाई
पर जब झड़ी तो सीसियाते हुए मैने उनके कान को पूरा पकड़ कर अपने मुँह मे डाल कर निचोड़ कर चूस लिया



“उम्म्म्मममममममममममममममम…….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….. अहह……..”

मैं उनके कान में पिघल कर उनके ऊपर गिर गयी
मेरा पूरा शरीर शिथिल पड़ गया

पिताजी भी मेरे नाज़ुक से , झडे हुए शरीर को अपनी ताकतवर बाजुओं में भरकर जोर-2 से मुझे चोदने में लगे रहे

कुछ देर तक तो मुझे होश ही नही रहा था
पर फिर जब नीचे से मिल रहे झटकों ने मुझे झंझोड़ कर उठाया तो मुझे फिर से वही एहसास होने लगा जो कुछ देर पहले था
हालाँकि अगली बार झड़ने मे मुझे देर लगने वाली थी
पर पता नही पिताजी उतनी देर तक मुझे झेल पाएँगे या नही
क्योंकि एक बार झड़ने के बाद मेरी चूत का छल्ला उनके लॅंड पर पहले से ज़्यादा कसावट लेकर आ चूका था

और उसी छल्ले की वजह से अगले 2 मिनट में ही पिताजी भी झड़ने के करीब पहुँच गये

और जब वो झड़ने लगे तो उन्होने बड़े ही वहशियाना तरीके से मेरे नाज़ुक से बदन को पकड़कर मुझे बुरी तरह से रगड़ना शुरू कर दिया



और जब उनके लॅंड से पानी निकलने की बारी आई तो उन्होने एकदम से अपना मोटा लॅंड मेरी चूत से बाहर निकाला और सारा माल मेरे लाल हो चुके गोरे चूतड़ों पर निकाल दिया
और कुत्ते की तरह हाँफते हुए वो मेरे होंठो को बुरी तरह से चूसने लगे

“आहह…… .चंदा…….मेरी ज़ाआआआं……मेरी बेटी…….अहह…..क्या कसावट है तेरी चूत में …..अहह…..मज़ा आ गया आआ….”

अपने पिताजी को मैं मज़ा दे पाई, इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है भला
ये तो हर जवान लड़की का फ़र्ज़ होता है
अपने पिता को मज़ा देना

मैने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया था
और सच में आज मैं बहुत खुश थी
चुदाई की ये नयी दुनिया मुझे बहुत पसंद आ रही थी
आने वाले दिनों में मैं इस मज़े को बरकरार रखना चाहती थी
और इन बातों से अनजान की पिताजी ने मेरे और दीदी के लिए अपने दोस्त घेसू बाबा से क्या सौदा कर रखा है
मैं अपने सपने बुनने में लगी थी की कैसे और कब और ज्यादा मजे मिल सकते हैं
वो तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
 

Motaland2468

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पिताजी ने मेरे कूल्हे पकड़कर ज़ोर-2 से मुझे पीछे से चोदना शुरू कर दिया
बीच-2 में वो अपने हाथ आगे करके मेरे बूब्स भी दबा रहे थे
एक बार तो उन्होने मेरे मुँह में अपनी मोटी उंगली भी डाली
मन तो कर रहा था की उन्हे काट लूँ
पर फिर सिर्फ़ चूस्कर ही छोड़ दिया
आख़िर पापा थे मेरे
इतना प्यार वो मुझे दे रहे है पीछे से
मैं भी तो उन्हे ये छोटे - 2 मज़े दे सकती हूँ ना

कुछ देर बाद उन्होने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया और मुझे अपने सामने घुटनो के बल बैठने को कहा
फिर उन्होने मेरी चूत रस से भीगा लॅंड मेरे चेहरे के सामने किया और हुक्म दिया

“चूसो इसे चंदा…..आराम से चूसना….धीरे -2 , जीभ से चाटना, होंठो से रगड़ना….लॅंड भी और मेरी बॉल्स भी….”

वो सब इतना डीटेल में बता रहे थे जैसे कोई परीक्षा चल रही हो मेरी
वैसे परीक्षा ही थी ये एक तरह से

क्योंकि इसमें अव्वल आउंगी तभी तो आने वाली जिंदगी में हर मर्द को ढंग से मज़े दे पाऊँगी
बस
फिर क्या था
पिताजी के हर शब्द का सम्मान करते हुए मैने उनके लॅंड को बड़े ही प्यार से अपने हाथो में पकड़ा और उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया
ठीक वैसे ही जैसा पिताजी ने समझाया था
जैसा मुझे आदेश दिया था

उनके लॅंड को मुँह मे डालते ही सबसे पहले तो मुझे खुद की ही महक आई,
और वो मुझे पसंद भी थी
इसलिए मैने उनके लॅंड पर लगी अपनी चूत की मलाई सडप -2 करके पूरी सॉफ कर दी
कुछ ही देर मे उनका लॅंड कोयले की ख़ान से निकले हीरे की तरह चमक उठा

फिर मेरे जादुई होंठो ने उनके लॅंड के 1-1 इंच को अपनी नर्मी का एहसास दिलाया
वो बेचारे अपने पंजो पर खड़े होकर सी-सी करते रह गये और मैं उनके लॅंड को पूरा घपप करके अपने मुँह में निगल गयी



ऐसा करीब 10-15 बार किया मैने
फिर उन्होने खुद ही मुझे लॅंड चूसने से रोका

शायद उनका निकलने वाला था
पर वो अभी झड़ना नही चाहते थे

फिर उन्होने मेरे मुँह में अपनी बॉल्स ठूस दी
उन्हे भी मैने बड़े चाव से चूसा
बिल्कुल रसीले गुलाबजामुन की तरह
उनकी बॉल्स की नशीली गंध मेरी चूत की महक को पूरी टक्कर दे रही थी

उन्हे मेरी चूत का रस पसंद था और मुझे उनके लॅंड की गंध

फिर वो बड़े आराम से उसी चारपाई पर पीठ के बल लेट गये और मुझे अपने उपर खींच लिया
और उपर आते ही सबसे पहले उन्होने मेरे रसीले होंठो को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे

सुबह का टाइम और अपनी जवान बेटी का नंगा शरीर और उसके रसीले होंठ
वाह पिताजी
किस्मत हो तो आप जैसी

पर किस्मत तो मेरी भी काफ़ी अच्छी थी
जो मज़ा उन्हे अपनी जवान बेटी के नंगे शरीर से मिल रहा था वही मज़ा मुझे अपने सुपरमैन पापा से

फिर उन्होने मेरे दोनो बूब्स को बड़े ही आराम से एक-2 करके चूसा
और नीचे हाथ करके अपना कड़क लॅंड एक बार फिर से मेरी रस टपकाती और प्यासी चूत के अंदर धकेल दिया

मेरे होंठो से एक बार फिर से एक नशीली सी आहहह निकल गयी
जो सीधा मैने उनके कानो के उपर छोड़ी

मैने अपने हाथों का घेरा उनकी गर्दन पर जमा कर अपने रसीले होंठ पिताजी के कानो पर जमा दिए और फिर उनके हर झटके से निकलने वाली सिसकारी वो सीधा अपने कानो के अंदर सुन पा रहे थे

मेरा पूरा शरीर उनके उपर चिपक कर पड़ा था
और नीचे उनके हाथ मेरे गद्देदार कुल्हो को थामे, नीचे से झटके मार रहे थे
सब कुछ बड़े स्मूद तरीके से हो रहा था
ऐसा लग ही नही रहा था की कोई उम्रदराज बंदा मेरी चूत मार रहा है
हर झटके में ऐसा मज़ा दे रहे थे वो की उनका कड़क लॅंड मेरी अंदर की दीवारों को वो सेंसेशन दे रहा था की पूछो ही मत



और आख़िर वो वक़्त भी आ गया जब मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी
और कसम से कह रही हूँ
उस वक़्त मेरा इतना मन कर रहा था की उनके कान में कह दूँ

ओह्ह्ह्ह पिताजी…….आअहह पिताजी

पर फिर से एक बार मैं शर्म के मारे कह नही पाई
पर जब झड़ी तो सीसियाते हुए मैने उनके कान को पूरा पकड़ कर अपने मुँह मे डाल कर निचोड़ कर चूस लिया



“उम्म्म्मममममममममममममममम…….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….. अहह……..”

मैं उनके कान में पिघल कर उनके ऊपर गिर गयी
मेरा पूरा शरीर शिथिल पड़ गया

पिताजी भी मेरे नाज़ुक से , झडे हुए शरीर को अपनी ताकतवर बाजुओं में भरकर जोर-2 से मुझे चोदने में लगे रहे

कुछ देर तक तो मुझे होश ही नही रहा था
पर फिर जब नीचे से मिल रहे झटकों ने मुझे झंझोड़ कर उठाया तो मुझे फिर से वही एहसास होने लगा जो कुछ देर पहले था
हालाँकि अगली बार झड़ने मे मुझे देर लगने वाली थी
पर पता नही पिताजी उतनी देर तक मुझे झेल पाएँगे या नही
क्योंकि एक बार झड़ने के बाद मेरी चूत का छल्ला उनके लॅंड पर पहले से ज़्यादा कसावट लेकर आ चूका था

और उसी छल्ले की वजह से अगले 2 मिनट में ही पिताजी भी झड़ने के करीब पहुँच गये

और जब वो झड़ने लगे तो उन्होने बड़े ही वहशियाना तरीके से मेरे नाज़ुक से बदन को पकड़कर मुझे बुरी तरह से रगड़ना शुरू कर दिया



और जब उनके लॅंड से पानी निकलने की बारी आई तो उन्होने एकदम से अपना मोटा लॅंड मेरी चूत से बाहर निकाला और सारा माल मेरे लाल हो चुके गोरे चूतड़ों पर निकाल दिया
और कुत्ते की तरह हाँफते हुए वो मेरे होंठो को बुरी तरह से चूसने लगे

“आहह…… .चंदा…….मेरी ज़ाआआआं……मेरी बेटी…….अहह…..क्या कसावट है तेरी चूत में …..अहह…..मज़ा आ गया आआ….”

अपने पिताजी को मैं मज़ा दे पाई, इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है भला
ये तो हर जवान लड़की का फ़र्ज़ होता है
अपने पिता को मज़ा देना

मैने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया था
और सच में आज मैं बहुत खुश थी
चुदाई की ये नयी दुनिया मुझे बहुत पसंद आ रही थी
आने वाले दिनों में मैं इस मज़े को बरकरार रखना चाहती थी
और इन बातों से अनजान की पिताजी ने मेरे और दीदी के लिए अपने दोस्त घेसू बाबा से क्या सौदा कर रखा है
मैं अपने सपने बुनने में लगी थी की कैसे और कब और ज्यादा मजे मिल सकते हैं
वो तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
Gajab ka update Ashok bhai .
 

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काश हम बोल पाते की पिताजी आज की रात यही रह जाओ ना
उन्होने जाने से पहले अपना आख़िरी हुक्म दिया की दोनो जल्दी से कपड़े पहनो और सो जाओ
हम दोनो कपड़े पहनने की एक्टिंग करने लगे और वो बाहर निकल गये
उनके जाते ही हम दोनो खुशी से चिल्लाते हुए एक दूसरे के गले लग गये नंगे ही
और अगले ही पल मैं और दीदी एक गहरी स्मूच में डूब गये
आज की रात यादगार रहने वाली थी
इसलिए उस रात हम दोनो ने कपड़े नही पहने
ऐसे ही नंगे लेटकर एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे
और आने वाले दिनों में क्या-2 होगा उसके बारे में बात करते रहे.
***********
अब आगे
***********

अगले दिन दीदी ने सुबह 6 बजे मुझे उठा दिया, क्योंकि रात को हम दोनो नंगे ही सो गये थे इसलिए दीदी नही चाहती थी की जब माँ मुझे उठाने आए तो मैं उन्हे नंगी सोती हुई मिलूं



मेरी नजर दीदी पर गयी
उनका नंगा और गोरा शरीर सुबह के वक़्त काफ़ी सैक्सी लग रहा था
रात की चुदाई के निशान उनके शरीर पर भी थे और मेरे भी
पर इस वक़्त तो मैं उनके भरे हुए शरीर को देखकर मज़ा ले रही थी



दीदी मुझे उठा कर जल्दी से अपने कपड़े लेकर बाथरूम में नहाने चली गयी
मैने भी उठकर एक लॉन्ग सी टी शर्ट पहनी और फिर से सो गयी
आज मैं छुट्टी मारने के मूड में थी
वैसे भी रात की चुदाई के बाद मुझमें हिम्मत नही थी की स्कूल जा पाती

मैने दीदी को भी बोल दिया की मुझे अब ना उठाए और माँ को जाने से पहले बोल दे की आज मेरी तबीयत ठीक नही है
दीदी भी समझ गयी मेरी पहली चुदाई का दर्द, उनसे अच्छा भला कौन जानेगा मुझे, वो भी आखिर इस दौर से निकल चुकी है

करीब 10 बजे मेरी नींद खुली, तब तक चारों तरफ शान्ति छाई हुई थी
मैने जो लोंग सी टी शर्ट पहनी हुई थी, उसमें मेरी मोटी जांघे और उनपर लगी रगड़ के निशान सॉफ दिखाई दे रहे थे
पर मैं निश्चिंत थी, क्योंकि इस वक़्त तक तो पिताजी और भाई, दोनो ही घर से जा चुके होते है
पर मेरा अंदाज़ा ग़लत था
बाहर निकलते ही मेरी नज़र सीधा पिताजी पर गयी, जो चारपाई पर बैठकर हुक्का पी रहे थे

मैं उन्हे देखकर सकपका सी गयी, क्योंकि उनके सामने ऐसे कपड़े पहनने की हिम्मत मैने आज तक नही की थी
पर वो पहले की बात थी
अब तो मुझे पता था की मेरे बारे में पिताजी क्या सोचते है, इसलिए मैं बड़ी ही बेफिक्री से उनके सामने जाकर खड़ी हो गयी

मैं : “पिताजी, आप गये नही आज….और माँ कहाँ हैं ?”

पिताजी ने पहले तो मेरे पूरे शरीर को उपर से नीचे तक अपनी आँखो के एक्सरे मशीन से नापा
और फिर हुक्के की गुढ़-२ के साथ जवाब दिया : “वो सूरज के साथ गयी है, आज शुक्रवार है ना, तुझे तो पता है वो आज मंदिर जावे है “

ओह्ह, तो माँ मंदिर गयी है, और वो मंदिर करीब 15 किलोमीटर दूर है
भाई के साथ गयी है तो उन्हे छोड़कर वो तो खेतों में चला जाएगा, बाद में वो अपने आप आएगी, यानी 2-3 घंटे के लिए वो घर पर नही है
और शायद इसी लिए पिताजी भी घर पर ही है
शायद मुझे छुट्टी करता देखकर वो भी रुक गये हो
मेरे लिए
और ये ख़याल आते ही मेरे शरीर के रोँये खड़े हो गये

पिताजी अभी तक मेरी जाँघो को घूर कर देख रहे थे और उनपर लगे लाल निशान उनकी दरिंदगी बयान कर रहे थे

ये उन्ही के होंठो और दांतो के निशान थे, रात को तो वो दरिन्दा बनकर मेरी जाँघो को ज़ोर-2 से चबा रहे थे, उस वक़्त मज़ा तो मुझे भी बहुत आ रहा था पर अब जलन सी हो रही थी उसपे, खासकर उन्होंने जहां अपने दांतों के निशान छोड़े थे, वहां पर



मैं जाने लगी तो पिताजी ने मुझे रोका और बोले : “ये तेरी टांगो पर क्या हो गया चंदा “
मेरा चहरा दूसरी तरफ था, और मैं मुस्कुरा उठी
मैं शरारत भरे स्वर मे बोली : “रात को मछर ने काट लिया होगा पिताजी, देखो ना, पूरी टाँग लाल कर दी ससुरे ने”

मैने एक टाँग उठा कर चारपाई पर रख दी और उन्हे दिखाने लगी
वो झुक कर नीचे से देख लेते तो मेरी नंगी चूत भी नज़र आ जाती उन्हे
पर उस वक़्त ऐसा करने की हिम्मत उनमे नही थी
उन्होने गुढ़ -2 करते हुए हुक्के का ढेर सारा धुंवा नीचे छोड़ दिया, जो सीधा गुबार सा बनकर नीचे से मेरी जाँघो के बीच घुस गया
मुझे अपनी चूत पर गर्म धुंवे का नशीला सा एहसास हुआ
ऐसा लगा जैसे वो धुंवा नही बल्कि पिताजी के होंठ है, जिनमें से वो धुंवा निकलकर वहां तक पहुँचा है
मेरी तो चूत ही पनिया गयी एकदम से
घर पर भी कोई नही था, और मेरी ताज़ा चुदी चूत एक बार फिर से लंड की मांग कर रही थी
और इस से अच्छा मौका नही मिलने वाला था मुझे
पर ये होगा कैसे , पिताजी को इस काम के लिए सीधा बोल भी तो नहीं सकती ना

मेरे दिमाग़ मे तुरंत एक ख़याल आया और मैं बोली : “मेरे पास एक क्रीम है, वो लगा लेती हूँ , शायद ये ठीक हो जाए”

पिताजी भी बड़े हरामी थे, उन्होने अपने खुरदुरे हाथ मेरी चिकनी जाँघ पर रख दिए और उसे सहलाते हुए बोले : “हाँ बिटिया, लगा ले, वरना ये तो परेशान करेंगे तुझे”

मैं तो सुलग कर रह गयी
कोई और मौका होता तो एक सिसकारी मारकर उनकी गोद में गिर जाती
और उनकी जीभ से वो निशान चटवाती

पर अभी के लिए तो मुझे वही करना था जिसका प्लान बनाया था मैने
मैं अपने कमरे मे गयी और एक बॉडी लोशन की शीशी निकाल लाई
माँ घर पर होती तो शायद अपने कमरे में ही बैठकर लगा लेती पर अभी तो मेरा मकसद कुछ और था
इसलिए वो लेकर मैं पिताजी के पास ही आकर बैठ गयी और उनसे बाते करते हुए अपनी टांगो पर वो लोशन लगाने लगी
पिताजी की तिरछी नज़रें रह रहकर मुझे ताड़ रही थी



मैने एक बार जान बूझकर अपनी टाँग इस एंगल से उठाई की मेरी चूत के दर्शन भी हो गये उन्हे
उनकी तो खाँसी निकल गयी वो नज़ारा देखकर बड़ी मुश्किल से पानी पीकर उन्होने अपनी खांसी पर काबू पाया

वो बोले : “तू आज स्कूल क्यों नही गयी “

मैं : “आज सुबह उठने की हिम्मत ही नही हुई पिताजी, पूरा शरीर दुख रहा था, टांगे तो आप देख ही रहे हो, इसके अलावा भी सब जगह लाल हुआ पड़ा है..”

मैं बोल तो गयी ये पर बाद में पछतावा हुआ की पिताजी भला क्या सोचेंगे
पर पिताजी ही जब ठरकी हो तो ऐसी बात सुनकर उन्हे तो मज़ा ही आएगा ना
और खासकर तब जब ये सारा काण्ड उन्ही का किया गया हो

वो हुक्का पीते रहे, और मन ही मन ये सोचकर खुश होते रहे की ये जो कुछ भी हुआ है मुझे, उनकी ही देन है
मेरे पूरे शरीर पर उनके होंठो के निशान थे, बूब्स पर भी दांतो के निशान
रात को जब पिताजी उन्हे चूस रहे थे तो मुझे सच में बहुत मज़ा आ रहा था
बाद में जब देखा तो पाया की वो मेरे माँस को दांतो के बीच फँसा कर चूस रहे थे
ऐसा करने से लाल निशान जब बनते है वो हफ्ते तक नही जाते

पिताजी भी शायद रात वाली बात सोचकर खुश हो रहे थे की अचानक मैं बोली

“पिताजी, आप ये पीछे की तरफ लगा दोगे क्या, मेरे हाथ की पकड़ सही से नही पड़ रही वहाँ “

पिताजी : “कौन…मैं ?”

वो हैरानी से मुझे देखे जा रहे थे
क्योंकि एक जवान लड़की का अपने बाप से ये कहना की उसके शरीर पर क्रीम लगा दे, ये थोड़ा अजीब सा था

मैं बड़े ही अनोपचारिक तरीके से बोली : “हाँ, आप ही और कौन है यहाँ, माँ तो गयी हुई है ना, वो 3 घंटे से पहले आने वाली नही है, आप ही लगाओगे ना, आप तो मेरे प्यारे पापा हो, आपसे क्या शरमाना”

मैने बातों-2 मे ही उन्हे 3 घंटे वाली बात भी याद दिला दी ताकि वो बेफिक्री से मेरी टांगो की मसाज कर पाए
बस फिर क्या था, मैं उसी चारपाई पर उल्टी होकर लेट गयी
पिताजी ने अपने काँपते हाथो में थोड़ी सी क्रीम निकाली और दोनो हाथों पर मलकर वो मेरी जाँघो को पीछे की तरफ से दबाते हुए उसपर उसे लगाने लगे
पिताजी के तगड़े हाथ लगते ही मेरे मुँह से चीत्कार निकल गयी : “ आहहह……थोड़ा धीरे पिताजी…..आराम से….”

यही बात मैं रात को चुदाई के वक़्त भी कहना चाहती थी
पर कह नही पाई थी
उस वक़्त तो मैं वशीकरण में थी ना
पर अब मेरे मुँह से उसी अंदाज में आहें निकल रही थी जैसी रात को निकलनी चाहिए थी

और मैं जान बूझकर उन्हे थोड़ा सैक्सी वाके तरीके से निकाल रही थी ताकि उन्हे भी तो पता चले की तेज आवाजों के साथ कितना मज़ा आता है
भले ही इस वक़्त काम वो वाला नही हो रहा था पर फील उन्हे पूरी दे रही थी मैं अपनी आवाज़ों से

[/url
]

“आआआआआआअहह……सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…… उम्म्म्मममममममममममम…… ओह पिताजी……. एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स…… अहह….. ऐसे ही……………अहह… थोड़ा उपर हां …………….यही पर…… अब ज़ोर से करो……. ऐसे …….अह्ह्ह्हह पापा….ऐसे ही……. ओह….. मेरे अच्छे पापा……………..म्म्म्मसमममममममम”

वो पीछे से मेरी टांगो को रगड़ रहे थे और नीचे से मेरी चूत चारपाई की खुरदूरी बुनाई पर रगड़ खाकर एक अलग ही आनंद प्राप्त कर रही थी.

मेरी जाँघो को मलते-2 कब उनके हाथ मेरे कुल्हो की सीमा तक पहुँच गये मुझे भी पता नही चला
पर जब चला तो मेरे मुँह से वो आवाज़ें निकलनी अपने आप बंद हो गयी
उनकी उंगलियाँ मेरे कुल्हों की गद्देदार सरहद तक पहुँच चुकी थी
थोड़ा और अंदर डालते तो गांड की पहाड़ी पर चढ़ाई कर देते वो
मेरी आवाज़ बंद होते ही उन्हे भी एहसास हो गया की वो कुछ ज़्यादा ही आगे निकल आए है
इसलिए उन्होने तुरंत हाथ खींच लिया
पर मैं उसी अवस्था में पड़ी रही
कुछ नही बोली

इस वक़्त तो वो अगर मुझे पीछे से नंगा करके अपना मूसल मुझमें डाल देते तो कसम धोभीघाट वाले बाबा की, चूं तक ना करती
पूरा लॅंड निगल जाती उनका नीचे वाले होंठो से
पर पिताजी भी ये बात समझे तब ना
वो उठकर अंदर चले गये
मैं झल्ला उठी

और बुदबुदाई : “ये पापा भी ना एक नंबर के चोमू है, वैसे तो रात के अंधेरे में अपनी बेटियाँ चोद डाली इन्होने और दिन के उजाले में वही बेटी जब गांड बिछाए सामने पड़ी है तो इनकी फट्ट रही है...क्या यार….”

इतना कहते हुए मैं अपनी कमर हिलाकर अपनी चूत पर रगड़ पहुचाने लगी
काम से काम जो मजा मुझे खुद ही चूत को रगड़ने से मिल रहा है , वो तो पूरा ले लूँ

मुझे लगा की पिताजी शायद शर्मिंदा होकर अंदर चले गये है
पर मेरा अंदाज़ा ग़लत था
मैं तो बंद आँखो से अपनी कमर धीरे-2 मटका कर मज़ा ले रही थी
की तभी पिताजी की आवाज़ मेरे कानों से टकराई
और ये आवाज़ थी मंत्रो की

मैने घूम कर देखा तो उनके हाथो में वशीकरण की किताब थी
और वो उसमें से वही वशीकरण मंत्र पड़कर मुझे उस अवस्था में पहुँचना चाहते थे जहाँ से मैं उनके हिसाब से कुछ भी ना तो समझ पाऊं और ना ही बाद में याद रख पाऊं

मन तो मेरा कर रहा था की उनके हाथ से किताब छीनकर फेंक दूँ और उनसे कहूं की ‘पिताजी, बहुत हो गया ये नाटक, जो करना है करो आप मेरे साथ, मैं कुछ नही कहूँगी'

पर मैं ऐसा नही कर पाई, जब पिताजी ही अपनी मर्यादा में रहकर वो सब कर रहे हैं तो मुझे जल्दी दिखाने की भला क्या जरुरत है, मजे तो मिल ही रहे हैं
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मैं आँखे बंद करके उन मंत्रों के पूरा होने का इंतजार करती रही
और जल्द ही वो ख़त्म हो भी गये
अब मेरी बारी थी नाटक करने की
मैं आँखे बंद करके बेसूध सी पड़ी रही
जहाँ कुछ देर पहले तक मेरी चूत रगड़ खाकर झड़ने के कगार पर थी
उसे अब कुछ देर और इंतजार करना पड़ेगा
पर कुछ अच्छे के लिए ही करना पड़ेगा ना
अंदर ही अंदर मैं खुश हो रही थी

पिताजी ने मंत्र पड़ने के बाद घड़ी देखी और आधे घंटे का हिसाब लगा लिया
क्योंकि उस किताब के हिसाब से तो उनके पास सिर्फ़ आधा घंटा ही था जिसमें वो मुझे अपने वशीकरण में रख सकते थे

उन्होने मुझे पुकारा और आदेश दिया : “चंदा…ओ चंदा, अपनी आँखे खोलो और खड़ी हो जाओ यहाँ आकर…”

मैं किसी रोबोट की तरह उठ खड़ी हुई और उनके सामने आकर खड़ी हो गयी
इस वक़्त मेरे चेहरे पर कोई भाव नही था
पर अंदर ही अंदर मेरा पूरा शरीर जल सा रहा था

पिताजी ने मुझे हुक्म दिया : “ये अपनी टी शर्ट उतारो “

मैने एक ही पल में उसे उतार कर नीचे फेंक दिया



और अब मैं अपने पिताजी के सामने दिन के 11 बजे पूरी नंगी होकर खड़ी थी अपने घर के बरामदे में

पिताजी की वहशी नजरों ने मुझे उपर से नीचे तक अच्छी तरह से देखा क्योंकि आज से पहले उन्होने मुझे सिर्फ़ रात के अंधेरे में ही देखा था
अपनी जवान बेटी का नंगा बदन दिन के उजाले में देखकर उनके लॅंड की हालत ही खराब हो गयी



आज उन्हें एहसास हो रहा था की ऐसी चाँद सी बेटी पैदा करके उन्होंने कितना सही काम किया है

उन्होने अपनी धोती निकाल फेंकी और अपने लॅंड को मसलते हुए मेरे शरीर को देखकर बड़बड़ाने लगे

“हायsssss ….क्या कातिल जिस्म है तेरा ...... चंदा….सच में, मैं दरिन्दा हू, देख तो तेरे पूरे बदन को कैसे दांतो से काटकर लाल कर दिया है…”

दिन के उजाले में वो लाल निशान कुछ ज्यादा ही सूर्ख होकर चमक रहे थे

उन्होने अपने मुँह में हुक्के का पाईप डाला और गुड-2 करके ढेर सारा धुंवा मेरे बूब्स पर दे मारा
मेरे दोनो मुम्मे उस धुंवे में डूबकर तंदूरी मोमोज़ की तरह महक उठे



फिर वो आगे आए और उन्होने अपने दोनो हाथों से मेरे बूब्स को पड़का और उन्हे बुरी तरह से निचोड़ने लगे
एक कराह सी निकल गयी मेरे मुँह से

“आआआहह…..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स”
और दर्द का एहसास भी हुआ मुझे
और पिताजी को अपनी ग़लती का

“ओह्ह्ह सॉरी सॉरी…..रात वाली ग़लती मैं दोबारा करने चला था, पर क्या करू बिटिया, तेरा मक्खन जैसा बदन है ही ऐसा की मुझसे रहा ही नही गया, सॉरी, अब सब आराम से करूँगा मेरी लाडो ”

मैने मन ही मन उन्हे थेंक्स कहा और आने वाले मज़े की प्रतीक्षा करने लगी
और वो मज़ा उनकी जीभ के रूप में आया
उन्होने अपनी लंबी और थूक से भरी जीभ निकाली और सडप-2 करके मेरे उन लाल निशानो और जख़्मो को चाटने लगे जो रात को उन्होने ही दिए थे

दर्द भी तूने दिया और दवा भी
वाह पिताजी, आपका भी जवाब नही

और सच कहूं उस गीले एहसास से मुझे बहुत मज़ा और आराम मिल रहा था
वो गीली जीभ से मेरे दोनो निप्पल्स को चाटते रहे, उन्हे धीरे-2 चूसा भी
फिर दोनो बूब्स के गोलों को अपनी जीभ से पूरा गीला कर मारा उन्होने चाटकर



फिर मेरी गर्दन पर और कानो को भी चाटा
फिर घूमकर वो पीछे चले गये और मेरी पीठ को उन्होने अपनी जीभ के ब्रश से पूरा रंग डाला

और जब मेरे फेले हुए कुल्हों के सामने घुटनो के बल बैठकर उन्होने उन्हे ज़ोर से सूँघा तो ऐसा लगा जैसे वो कोई तगड़ा नशा कर बैठे है

वो बोले : “उफफफफफफफफफफफफ्फ़…. ये महक और नशा तो हुक्के में भी नही है…..तेरा जिस्म एक चलता फिरता शराबखाना है चंदा”

सच कहूं, ऐसा कॉंप्लिमेंट मुझे आज तक किसी ने नही दिया था
कोई देता भी कैसे
किसी ने आज तक मेरे जिस्म की शराब चखी ही नही थी
अब जो चखेगा वही तो उसकी खूबियां बताएगा ना

फिर पिताजी ने वो किया जिसकी मैने कल्पना भी नही की थी
उन्होने अपनी जीभ निकाल कर मेरे दोनो कूल्हे चाटना शुरू कर दिए
छी: यहाँ भी कोई अपना मुँह लगाता है क्या
पर मुझे क्या
मुझे तो मज़े आ रहे थे
पर
जब मुझे मज़े आ रहे है तो
उन्हे भी तो आ ही रहे होंगे ना

इसलिए मैं भी उस मिल रहे मज़े को महसूस करके मदहोश होकर उस चारपाई पर ओंधी लेटती चली गयी
क्योंकि ऐसा पिताजी चाहते थे
वो मुझे कुल्हो से धक्का देकर मुझे चारपाई पर औंधा लेटने का इशारा कर रहे थे

और जब मैं लेटी तो उन्होने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर लगा कर मुझे वहां से लेकर उपर तक चाटना शुरू कर दिया



“अहह……. ओह…..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…. मरररर गयी……”

बड़ी मुश्किल से मैने अपने मुँह से ओह्ह पिताजी निकालने से बचा रखा था

क्योंकि वो निकल जाता तो ये खेल वही ख़त्म हो जाता शायद
अभी के लिए
और ऐसा करके मैं इस खेल में कोई रुकावट पैदा नहीं करना चाहती थी

फिर पिताजी ने अपनी जीभ से मेरी चूत को भी कुरेदना शुरू कर दिया
जब उनकी जीभ मेरी चूत में थी तो उनकी नाक मेरी गांड के छेद के अंदर तक घुस गयी थी

मेरे फेले हुए कुल्हो के गद्देदार पाटों के बीच उन्होने अपना चेहरा रखकर उसे दोनो तरफ से भींचना शुरू कर दिया

ऐसा करके उन्हे पता नही क्या मज़ा आ रहा था पर उनकी मूँछ और होंठ उस दबाव में जब मेरे कुल्हो के बीच पिस जाते तो उनकी तड़पति हुई जीभ मेरी चूत के अंदर तक जाकर मुझे सहला देती

ये एहसास मैं जिंदगी भर नही भूलने वाली थी
मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी
पिताजी ने मेरे कुल्हो को थोड़ा उपर किया और खुद नीचे झुके और अपना लॅंड मेरी चूत पर टीका दिया
एक बार फिर से मौका आ चुका था चुदाई का

फिर उन्होने अपने लॅंड को मेरी चूत पर थोड़ा सा घिसा ताकि उसका रस उनके लॅंड पर लग जाए
फिर उन्होने धीरे से धक्का देकर उसे अंदर छोड़ दिया
और उनका लॅंड किसी तेज हवा में बहती पतंग की तरह लहराता हुआ अंदर तक घुसता चला गया



और इस बार ज़रा भी दर्द नही हुआ मुझे
जितना चौड़ा मेरी चूत को करना थॉ ओ रात को ही कर चुके थे वो
अब तो बस अंदर बाहर ट्रॅफिक आना था
उनके लॅंड के रूप में

मैं चारपाई पर ओंधी लेती एक हवाई यात्रा पर निकल गयी
पिताजी का हर धक्का मुझे सुखसागर के खुले आसमान की सैर करवा रहा था

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पिताजी ने मेरे कूल्हे पकड़कर ज़ोर-2 से मुझे पीछे से चोदना शुरू कर दिया
बीच-2 में वो अपने हाथ आगे करके मेरे बूब्स भी दबा रहे थे
एक बार तो उन्होने मेरे मुँह में अपनी मोटी उंगली भी डाली
मन तो कर रहा था की उन्हे काट लूँ
पर फिर सिर्फ़ चूस्कर ही छोड़ दिया
आख़िर पापा थे मेरे
इतना प्यार वो मुझे दे रहे है पीछे से
मैं भी तो उन्हे ये छोटे - 2 मज़े दे सकती हूँ ना

कुछ देर बाद उन्होने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया और मुझे अपने सामने घुटनो के बल बैठने को कहा
फिर उन्होने मेरी चूत रस से भीगा लॅंड मेरे चेहरे के सामने किया और हुक्म दिया

“चूसो इसे चंदा…..आराम से चूसना….धीरे -2 , जीभ से चाटना, होंठो से रगड़ना….लॅंड भी और मेरी बॉल्स भी….”

वो सब इतना डीटेल में बता रहे थे जैसे कोई परीक्षा चल रही हो मेरी
वैसे परीक्षा ही थी ये एक तरह से

क्योंकि इसमें अव्वल आउंगी तभी तो आने वाली जिंदगी में हर मर्द को ढंग से मज़े दे पाऊँगी
बस
फिर क्या था
पिताजी के हर शब्द का सम्मान करते हुए मैने उनके लॅंड को बड़े ही प्यार से अपने हाथो में पकड़ा और उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया
ठीक वैसे ही जैसा पिताजी ने समझाया था
जैसा मुझे आदेश दिया था

उनके लॅंड को मुँह मे डालते ही सबसे पहले तो मुझे खुद की ही महक आई,
और वो मुझे पसंद भी थी
इसलिए मैने उनके लॅंड पर लगी अपनी चूत की मलाई सडप -2 करके पूरी सॉफ कर दी
कुछ ही देर मे उनका लॅंड कोयले की ख़ान से निकले हीरे की तरह चमक उठा

फिर मेरे जादुई होंठो ने उनके लॅंड के 1-1 इंच को अपनी नर्मी का एहसास दिलाया
वो बेचारे अपने पंजो पर खड़े होकर सी-सी करते रह गये और मैं उनके लॅंड को पूरा घपप करके अपने मुँह में निगल गयी



ऐसा करीब 10-15 बार किया मैने
फिर उन्होने खुद ही मुझे लॅंड चूसने से रोका

शायद उनका निकलने वाला था
पर वो अभी झड़ना नही चाहते थे

फिर उन्होने मेरे मुँह में अपनी बॉल्स ठूस दी
उन्हे भी मैने बड़े चाव से चूसा
बिल्कुल रसीले गुलाबजामुन की तरह
उनकी बॉल्स की नशीली गंध मेरी चूत की महक को पूरी टक्कर दे रही थी

उन्हे मेरी चूत का रस पसंद था और मुझे उनके लॅंड की गंध

फिर वो बड़े आराम से उसी चारपाई पर पीठ के बल लेट गये और मुझे अपने उपर खींच लिया
और उपर आते ही सबसे पहले उन्होने मेरे रसीले होंठो को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे

सुबह का टाइम और अपनी जवान बेटी का नंगा शरीर और उसके रसीले होंठ
वाह पिताजी
किस्मत हो तो आप जैसी

पर किस्मत तो मेरी भी काफ़ी अच्छी थी
जो मज़ा उन्हे अपनी जवान बेटी के नंगे शरीर से मिल रहा था वही मज़ा मुझे अपने सुपरमैन पापा से

फिर उन्होने मेरे दोनो बूब्स को बड़े ही आराम से एक-2 करके चूसा
और नीचे हाथ करके अपना कड़क लॅंड एक बार फिर से मेरी रस टपकाती और प्यासी चूत के अंदर धकेल दिया

मेरे होंठो से एक बार फिर से एक नशीली सी आहहह निकल गयी
जो सीधा मैने उनके कानो के उपर छोड़ी

मैने अपने हाथों का घेरा उनकी गर्दन पर जमा कर अपने रसीले होंठ पिताजी के कानो पर जमा दिए और फिर उनके हर झटके से निकलने वाली सिसकारी वो सीधा अपने कानो के अंदर सुन पा रहे थे

मेरा पूरा शरीर उनके उपर चिपक कर पड़ा था
और नीचे उनके हाथ मेरे गद्देदार कुल्हो को थामे, नीचे से झटके मार रहे थे
सब कुछ बड़े स्मूद तरीके से हो रहा था
ऐसा लग ही नही रहा था की कोई उम्रदराज बंदा मेरी चूत मार रहा है
हर झटके में ऐसा मज़ा दे रहे थे वो की उनका कड़क लॅंड मेरी अंदर की दीवारों को वो सेंसेशन दे रहा था की पूछो ही मत



और आख़िर वो वक़्त भी आ गया जब मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी
और कसम से कह रही हूँ
उस वक़्त मेरा इतना मन कर रहा था की उनके कान में कह दूँ

ओह्ह्ह्ह पिताजी…….आअहह पिताजी

पर फिर से एक बार मैं शर्म के मारे कह नही पाई
पर जब झड़ी तो सीसियाते हुए मैने उनके कान को पूरा पकड़ कर अपने मुँह मे डाल कर निचोड़ कर चूस लिया



“उम्म्म्मममममममममममममममम…….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….. अहह……..”

मैं उनके कान में पिघल कर उनके ऊपर गिर गयी
मेरा पूरा शरीर शिथिल पड़ गया

पिताजी भी मेरे नाज़ुक से , झडे हुए शरीर को अपनी ताकतवर बाजुओं में भरकर जोर-2 से मुझे चोदने में लगे रहे

कुछ देर तक तो मुझे होश ही नही रहा था
पर फिर जब नीचे से मिल रहे झटकों ने मुझे झंझोड़ कर उठाया तो मुझे फिर से वही एहसास होने लगा जो कुछ देर पहले था
हालाँकि अगली बार झड़ने मे मुझे देर लगने वाली थी
पर पता नही पिताजी उतनी देर तक मुझे झेल पाएँगे या नही
क्योंकि एक बार झड़ने के बाद मेरी चूत का छल्ला उनके लॅंड पर पहले से ज़्यादा कसावट लेकर आ चूका था

और उसी छल्ले की वजह से अगले 2 मिनट में ही पिताजी भी झड़ने के करीब पहुँच गये

और जब वो झड़ने लगे तो उन्होने बड़े ही वहशियाना तरीके से मेरे नाज़ुक से बदन को पकड़कर मुझे बुरी तरह से रगड़ना शुरू कर दिया



और जब उनके लॅंड से पानी निकलने की बारी आई तो उन्होने एकदम से अपना मोटा लॅंड मेरी चूत से बाहर निकाला और सारा माल मेरे लाल हो चुके गोरे चूतड़ों पर निकाल दिया
और कुत्ते की तरह हाँफते हुए वो मेरे होंठो को बुरी तरह से चूसने लगे

“आहह…… .चंदा…….मेरी ज़ाआआआं……मेरी बेटी…….अहह…..क्या कसावट है तेरी चूत में …..अहह…..मज़ा आ गया आआ….”

अपने पिताजी को मैं मज़ा दे पाई, इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है भला
ये तो हर जवान लड़की का फ़र्ज़ होता है
अपने पिता को मज़ा देना

मैने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया था
और सच में आज मैं बहुत खुश थी
चुदाई की ये नयी दुनिया मुझे बहुत पसंद आ रही थी
आने वाले दिनों में मैं इस मज़े को बरकरार रखना चाहती थी
और इन बातों से अनजान की पिताजी ने मेरे और दीदी के लिए अपने दोस्त घेसू बाबा से क्या सौदा कर रखा है
मैं अपने सपने बुनने में लगी थी की कैसे और कब और ज्यादा मजे मिल सकते हैं
वो तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
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पिताजी ने मेरे कूल्हे पकड़कर ज़ोर-2 से मुझे पीछे से चोदना शुरू कर दिया
बीच-2 में वो अपने हाथ आगे करके मेरे बूब्स भी दबा रहे थे
एक बार तो उन्होने मेरे मुँह में अपनी मोटी उंगली भी डाली
मन तो कर रहा था की उन्हे काट लूँ
पर फिर सिर्फ़ चूस्कर ही छोड़ दिया
आख़िर पापा थे मेरे
इतना प्यार वो मुझे दे रहे है पीछे से
मैं भी तो उन्हे ये छोटे - 2 मज़े दे सकती हूँ ना

कुछ देर बाद उन्होने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया और मुझे अपने सामने घुटनो के बल बैठने को कहा
फिर उन्होने मेरी चूत रस से भीगा लॅंड मेरे चेहरे के सामने किया और हुक्म दिया

“चूसो इसे चंदा…..आराम से चूसना….धीरे -2 , जीभ से चाटना, होंठो से रगड़ना….लॅंड भी और मेरी बॉल्स भी….”

वो सब इतना डीटेल में बता रहे थे जैसे कोई परीक्षा चल रही हो मेरी
वैसे परीक्षा ही थी ये एक तरह से

क्योंकि इसमें अव्वल आउंगी तभी तो आने वाली जिंदगी में हर मर्द को ढंग से मज़े दे पाऊँगी
बस
फिर क्या था
पिताजी के हर शब्द का सम्मान करते हुए मैने उनके लॅंड को बड़े ही प्यार से अपने हाथो में पकड़ा और उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया
ठीक वैसे ही जैसा पिताजी ने समझाया था
जैसा मुझे आदेश दिया था

उनके लॅंड को मुँह मे डालते ही सबसे पहले तो मुझे खुद की ही महक आई,
और वो मुझे पसंद भी थी
इसलिए मैने उनके लॅंड पर लगी अपनी चूत की मलाई सडप -2 करके पूरी सॉफ कर दी
कुछ ही देर मे उनका लॅंड कोयले की ख़ान से निकले हीरे की तरह चमक उठा

फिर मेरे जादुई होंठो ने उनके लॅंड के 1-1 इंच को अपनी नर्मी का एहसास दिलाया
वो बेचारे अपने पंजो पर खड़े होकर सी-सी करते रह गये और मैं उनके लॅंड को पूरा घपप करके अपने मुँह में निगल गयी



ऐसा करीब 10-15 बार किया मैने
फिर उन्होने खुद ही मुझे लॅंड चूसने से रोका

शायद उनका निकलने वाला था
पर वो अभी झड़ना नही चाहते थे

फिर उन्होने मेरे मुँह में अपनी बॉल्स ठूस दी
उन्हे भी मैने बड़े चाव से चूसा
बिल्कुल रसीले गुलाबजामुन की तरह
उनकी बॉल्स की नशीली गंध मेरी चूत की महक को पूरी टक्कर दे रही थी

उन्हे मेरी चूत का रस पसंद था और मुझे उनके लॅंड की गंध

फिर वो बड़े आराम से उसी चारपाई पर पीठ के बल लेट गये और मुझे अपने उपर खींच लिया
और उपर आते ही सबसे पहले उन्होने मेरे रसीले होंठो को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे

सुबह का टाइम और अपनी जवान बेटी का नंगा शरीर और उसके रसीले होंठ
वाह पिताजी
किस्मत हो तो आप जैसी

पर किस्मत तो मेरी भी काफ़ी अच्छी थी
जो मज़ा उन्हे अपनी जवान बेटी के नंगे शरीर से मिल रहा था वही मज़ा मुझे अपने सुपरमैन पापा से

फिर उन्होने मेरे दोनो बूब्स को बड़े ही आराम से एक-2 करके चूसा
और नीचे हाथ करके अपना कड़क लॅंड एक बार फिर से मेरी रस टपकाती और प्यासी चूत के अंदर धकेल दिया

मेरे होंठो से एक बार फिर से एक नशीली सी आहहह निकल गयी
जो सीधा मैने उनके कानो के उपर छोड़ी

मैने अपने हाथों का घेरा उनकी गर्दन पर जमा कर अपने रसीले होंठ पिताजी के कानो पर जमा दिए और फिर उनके हर झटके से निकलने वाली सिसकारी वो सीधा अपने कानो के अंदर सुन पा रहे थे

मेरा पूरा शरीर उनके उपर चिपक कर पड़ा था
और नीचे उनके हाथ मेरे गद्देदार कुल्हो को थामे, नीचे से झटके मार रहे थे
सब कुछ बड़े स्मूद तरीके से हो रहा था
ऐसा लग ही नही रहा था की कोई उम्रदराज बंदा मेरी चूत मार रहा है
हर झटके में ऐसा मज़ा दे रहे थे वो की उनका कड़क लॅंड मेरी अंदर की दीवारों को वो सेंसेशन दे रहा था की पूछो ही मत



और आख़िर वो वक़्त भी आ गया जब मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी
और कसम से कह रही हूँ
उस वक़्त मेरा इतना मन कर रहा था की उनके कान में कह दूँ

ओह्ह्ह्ह पिताजी…….आअहह पिताजी

पर फिर से एक बार मैं शर्म के मारे कह नही पाई
पर जब झड़ी तो सीसियाते हुए मैने उनके कान को पूरा पकड़ कर अपने मुँह मे डाल कर निचोड़ कर चूस लिया



“उम्म्म्मममममममममममममममम…….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….. अहह……..”

मैं उनके कान में पिघल कर उनके ऊपर गिर गयी
मेरा पूरा शरीर शिथिल पड़ गया

पिताजी भी मेरे नाज़ुक से , झडे हुए शरीर को अपनी ताकतवर बाजुओं में भरकर जोर-2 से मुझे चोदने में लगे रहे

कुछ देर तक तो मुझे होश ही नही रहा था
पर फिर जब नीचे से मिल रहे झटकों ने मुझे झंझोड़ कर उठाया तो मुझे फिर से वही एहसास होने लगा जो कुछ देर पहले था
हालाँकि अगली बार झड़ने मे मुझे देर लगने वाली थी
पर पता नही पिताजी उतनी देर तक मुझे झेल पाएँगे या नही
क्योंकि एक बार झड़ने के बाद मेरी चूत का छल्ला उनके लॅंड पर पहले से ज़्यादा कसावट लेकर आ चूका था

और उसी छल्ले की वजह से अगले 2 मिनट में ही पिताजी भी झड़ने के करीब पहुँच गये

और जब वो झड़ने लगे तो उन्होने बड़े ही वहशियाना तरीके से मेरे नाज़ुक से बदन को पकड़कर मुझे बुरी तरह से रगड़ना शुरू कर दिया



और जब उनके लॅंड से पानी निकलने की बारी आई तो उन्होने एकदम से अपना मोटा लॅंड मेरी चूत से बाहर निकाला और सारा माल मेरे लाल हो चुके गोरे चूतड़ों पर निकाल दिया
और कुत्ते की तरह हाँफते हुए वो मेरे होंठो को बुरी तरह से चूसने लगे

“आहह…… .चंदा…….मेरी ज़ाआआआं……मेरी बेटी…….अहह…..क्या कसावट है तेरी चूत में …..अहह…..मज़ा आ गया आआ….”

अपने पिताजी को मैं मज़ा दे पाई, इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है भला
ये तो हर जवान लड़की का फ़र्ज़ होता है
अपने पिता को मज़ा देना

मैने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया था
और सच में आज मैं बहुत खुश थी
चुदाई की ये नयी दुनिया मुझे बहुत पसंद आ रही थी
आने वाले दिनों में मैं इस मज़े को बरकरार रखना चाहती थी
और इन बातों से अनजान की पिताजी ने मेरे और दीदी के लिए अपने दोस्त घेसू बाबा से क्या सौदा कर रखा है
मैं अपने सपने बुनने में लगी थी की कैसे और कब और ज्यादा मजे मिल सकते हैं
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पिताजी ने मेरे कूल्हे पकड़कर ज़ोर-2 से मुझे पीछे से चोदना शुरू कर दिया
बीच-2 में वो अपने हाथ आगे करके मेरे बूब्स भी दबा रहे थे
एक बार तो उन्होने मेरे मुँह में अपनी मोटी उंगली भी डाली
मन तो कर रहा था की उन्हे काट लूँ
पर फिर सिर्फ़ चूस्कर ही छोड़ दिया
आख़िर पापा थे मेरे
इतना प्यार वो मुझे दे रहे है पीछे से
मैं भी तो उन्हे ये छोटे - 2 मज़े दे सकती हूँ ना

कुछ देर बाद उन्होने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया और मुझे अपने सामने घुटनो के बल बैठने को कहा
फिर उन्होने मेरी चूत रस से भीगा लॅंड मेरे चेहरे के सामने किया और हुक्म दिया

“चूसो इसे चंदा…..आराम से चूसना….धीरे -2 , जीभ से चाटना, होंठो से रगड़ना….लॅंड भी और मेरी बॉल्स भी….”

वो सब इतना डीटेल में बता रहे थे जैसे कोई परीक्षा चल रही हो मेरी
वैसे परीक्षा ही थी ये एक तरह से

क्योंकि इसमें अव्वल आउंगी तभी तो आने वाली जिंदगी में हर मर्द को ढंग से मज़े दे पाऊँगी
बस
फिर क्या था
पिताजी के हर शब्द का सम्मान करते हुए मैने उनके लॅंड को बड़े ही प्यार से अपने हाथो में पकड़ा और उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया
ठीक वैसे ही जैसा पिताजी ने समझाया था
जैसा मुझे आदेश दिया था

उनके लॅंड को मुँह मे डालते ही सबसे पहले तो मुझे खुद की ही महक आई,
और वो मुझे पसंद भी थी
इसलिए मैने उनके लॅंड पर लगी अपनी चूत की मलाई सडप -2 करके पूरी सॉफ कर दी
कुछ ही देर मे उनका लॅंड कोयले की ख़ान से निकले हीरे की तरह चमक उठा

फिर मेरे जादुई होंठो ने उनके लॅंड के 1-1 इंच को अपनी नर्मी का एहसास दिलाया
वो बेचारे अपने पंजो पर खड़े होकर सी-सी करते रह गये और मैं उनके लॅंड को पूरा घपप करके अपने मुँह में निगल गयी



ऐसा करीब 10-15 बार किया मैने
फिर उन्होने खुद ही मुझे लॅंड चूसने से रोका

शायद उनका निकलने वाला था
पर वो अभी झड़ना नही चाहते थे

फिर उन्होने मेरे मुँह में अपनी बॉल्स ठूस दी
उन्हे भी मैने बड़े चाव से चूसा
बिल्कुल रसीले गुलाबजामुन की तरह
उनकी बॉल्स की नशीली गंध मेरी चूत की महक को पूरी टक्कर दे रही थी

उन्हे मेरी चूत का रस पसंद था और मुझे उनके लॅंड की गंध

फिर वो बड़े आराम से उसी चारपाई पर पीठ के बल लेट गये और मुझे अपने उपर खींच लिया
और उपर आते ही सबसे पहले उन्होने मेरे रसीले होंठो को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे

सुबह का टाइम और अपनी जवान बेटी का नंगा शरीर और उसके रसीले होंठ
वाह पिताजी
किस्मत हो तो आप जैसी

पर किस्मत तो मेरी भी काफ़ी अच्छी थी
जो मज़ा उन्हे अपनी जवान बेटी के नंगे शरीर से मिल रहा था वही मज़ा मुझे अपने सुपरमैन पापा से

फिर उन्होने मेरे दोनो बूब्स को बड़े ही आराम से एक-2 करके चूसा
और नीचे हाथ करके अपना कड़क लॅंड एक बार फिर से मेरी रस टपकाती और प्यासी चूत के अंदर धकेल दिया

मेरे होंठो से एक बार फिर से एक नशीली सी आहहह निकल गयी
जो सीधा मैने उनके कानो के उपर छोड़ी

मैने अपने हाथों का घेरा उनकी गर्दन पर जमा कर अपने रसीले होंठ पिताजी के कानो पर जमा दिए और फिर उनके हर झटके से निकलने वाली सिसकारी वो सीधा अपने कानो के अंदर सुन पा रहे थे

मेरा पूरा शरीर उनके उपर चिपक कर पड़ा था
और नीचे उनके हाथ मेरे गद्देदार कुल्हो को थामे, नीचे से झटके मार रहे थे
सब कुछ बड़े स्मूद तरीके से हो रहा था
ऐसा लग ही नही रहा था की कोई उम्रदराज बंदा मेरी चूत मार रहा है
हर झटके में ऐसा मज़ा दे रहे थे वो की उनका कड़क लॅंड मेरी अंदर की दीवारों को वो सेंसेशन दे रहा था की पूछो ही मत



और आख़िर वो वक़्त भी आ गया जब मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी
और कसम से कह रही हूँ
उस वक़्त मेरा इतना मन कर रहा था की उनके कान में कह दूँ

ओह्ह्ह्ह पिताजी…….आअहह पिताजी

पर फिर से एक बार मैं शर्म के मारे कह नही पाई
पर जब झड़ी तो सीसियाते हुए मैने उनके कान को पूरा पकड़ कर अपने मुँह मे डाल कर निचोड़ कर चूस लिया



“उम्म्म्मममममममममममममममम…….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….. अहह……..”

मैं उनके कान में पिघल कर उनके ऊपर गिर गयी
मेरा पूरा शरीर शिथिल पड़ गया

पिताजी भी मेरे नाज़ुक से , झडे हुए शरीर को अपनी ताकतवर बाजुओं में भरकर जोर-2 से मुझे चोदने में लगे रहे

कुछ देर तक तो मुझे होश ही नही रहा था
पर फिर जब नीचे से मिल रहे झटकों ने मुझे झंझोड़ कर उठाया तो मुझे फिर से वही एहसास होने लगा जो कुछ देर पहले था
हालाँकि अगली बार झड़ने मे मुझे देर लगने वाली थी
पर पता नही पिताजी उतनी देर तक मुझे झेल पाएँगे या नही
क्योंकि एक बार झड़ने के बाद मेरी चूत का छल्ला उनके लॅंड पर पहले से ज़्यादा कसावट लेकर आ चूका था

और उसी छल्ले की वजह से अगले 2 मिनट में ही पिताजी भी झड़ने के करीब पहुँच गये

और जब वो झड़ने लगे तो उन्होने बड़े ही वहशियाना तरीके से मेरे नाज़ुक से बदन को पकड़कर मुझे बुरी तरह से रगड़ना शुरू कर दिया



और जब उनके लॅंड से पानी निकलने की बारी आई तो उन्होने एकदम से अपना मोटा लॅंड मेरी चूत से बाहर निकाला और सारा माल मेरे लाल हो चुके गोरे चूतड़ों पर निकाल दिया
और कुत्ते की तरह हाँफते हुए वो मेरे होंठो को बुरी तरह से चूसने लगे

“आहह…… .चंदा…….मेरी ज़ाआआआं……मेरी बेटी…….अहह…..क्या कसावट है तेरी चूत में …..अहह…..मज़ा आ गया आआ….”

अपने पिताजी को मैं मज़ा दे पाई, इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है भला
ये तो हर जवान लड़की का फ़र्ज़ होता है
अपने पिता को मज़ा देना

मैने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया था
और सच में आज मैं बहुत खुश थी
चुदाई की ये नयी दुनिया मुझे बहुत पसंद आ रही थी
आने वाले दिनों में मैं इस मज़े को बरकरार रखना चाहती थी
और इन बातों से अनजान की पिताजी ने मेरे और दीदी के लिए अपने दोस्त घेसू बाबा से क्या सौदा कर रखा है
मैं अपने सपने बुनने में लगी थी की कैसे और कब और ज्यादा मजे मिल सकते हैं
वो तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
Very nice
 
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