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Incest वशीकरण

Ashokafun30

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Ashokafun30 Bhai,

Is Diwali par Diwali base koi nayi story nahi aayegi kya????
story likh to deta, par ye story beech me reh jayegi, vaise bhi aajkal time thoda kam mil paa raha hai story likhne ke liye
I don't want to drag it..
 
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Ashokafun30

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बाहर घेसू बाबा एक चट्टान पर बैठ कर आराम से चिलम पी रहे थे
और अभी मिले मजे में डूबकर अपनी किस्मत पर मंद-2 मुस्कुरा रहे थे

जाने से पहले पिताजी उनके पास गए और बाबा ने उन्हें वही पोटली दे दी
जिसे उन्होंने अपनी जेब में रख लिया
उनके चेहरे पर एक अजीब सी ख़ुशी थी वो पोटली पाकर

अब इस पोटली का क्या फंडा है, ये भी जल्दी पता लगाना पड़ेगा
पर अभी के लिए तो हम दोनो घर की तरफ चल दिये
आज मेरा शरीर चूर -2 कर दिया था बाबा ने
अब मैं सोना चाहती थी
पर मुझे क्या पता था कि पापा ने आज रात के लिए क्या प्लान बना रखा है...

**********
अब आगे
***********

रात का खाना खाने के बाद चंद्रिका दीदी उछलकर मेरे करीब आई और मुझे कुरेदने लगी आज दिन भर की बातों के लिए
उन्हे भी पता था की आज पापा मुझे बाबा जी के पास लेकर गये थे और जैसे मज़े उन्हे मिले थे वैसे ही मुझे भी मिले होंगे
बस वही सारी मस्ती से भरे रोचक किस्से वो मेरे मुँह से सुनना चाहती थी
मैने भी उसे निराश नही किया
खूब मिर्च मसाला लगा कर उसे सारी बाते सुनाई
वो सब सुनते-2 चंद्रिका दीदी इतनी गरम हो गयी की मेरे सामने ही अपनी चूत को मसलने लगी

और सीसियाते हुए मुझसे बोली : “सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……. यार चंदा……तुझे तो बाबाजी ने कुछ ज़्यादा ही मज़े दे दिए है….काश आज भी मैं वहां होती….आहह”

इतना कहते-2 उसने अपनी बीच की 3 उंगलियाँ एक साथ सलवार में डाली और घप्प से अपनी चूत में घुसेड दी
अपना सीना उपर की तरफ उभार को वो ऐसे हीसहीसाई जैसे सच में उसकी चूत में बाबाजी का लॅंड घुस गया हो
ये सैक्स भी कितनी अजीब चीज़ है
खुली आँखो से सपने दिखा देता है
जो देखने और महसूस करने में एकदम सच्चे लगते है

उसे देखकर तो मुझे भी कुछ-2 होने लगा था
मैंने आगे बढ़कर उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए



कुछ देर के लिए ही सही, हमारे तपते हुए जिस्मों को थोड़ा आराम तो मिलेगा
पापा तो खुद की मर्जी से काम करके निकल जाते थे
ये भी नहीं सोचते थे की उनकी बेटियों की भी कुछ इच्छाएं है
कम से कम उन्हें अच्छे से चूसो तो सही
उनके मुम्मो को
होंठो को
चूत को

एक मर्द की लार औरत के जिस्म की गर्मी को बुझाने में फ़ायर ब्रिगेड से निकले पानी का भी काम करती है और आग में डले घी का भी
पर अभी तो हम दोनों बहनें एक दूसरे की लार चाटने में लगी हुई थी
मैंने दीदी की टी शर्ट को थोड़ा ऊपर किया और उनके बूब्स को बाहर निकाल लिया
और मैंने उनके निप्पल को मुंह में लेकर जोर से काट लिया



" अह्ह्ह्हह्हह सससससस। ..... मममममममम। ....... ओह्ह्ह्हह चाँदआsssss , मेरी जाननं उम्मम्मम्मम्म सककक इट बेबी "

दीदी के हाथ भी मेरे स्तनों पर घूम रहे थे
वो मेरी घुंडीया पकड़कर उन्हें मसल रही थी
एकदम कड़क हो चूका था दोनों का सामान

दीदी मेरे ऊपर की तरफ आयी और अपने मोटे मुम्मों को वो मेरे नन्हे स्तनों पर रगड़ने लगी
बस चिंगारियां नहीं निकली दोनों की रगड़ से बाकी बिजलियाँ तो ऐसी कड़की हमारे जिस्म में की तबाही आ जाये



मन तो कर रहा था की दरवाजा अंदर से बंद करू और दीदी के साथ-2 अपने भी बचे खुचे कपड़े निकाल कर नंगी हो जाऊं और दोनो एक दूसरे को अच्छे से प्यार करके वो सारी गर्मी निकाल डाले जो अभी इस वक़्त हमारे जिस्मों को जला रही थी

पर अभी ये सब कर लिया तो बाद में क्या करेंगे जब पिताजी कमरे में आएँगे
आज तो उन्होने वो जादुई पोटली भी की थी बाबाजी से
शायद उसका इस्तेमाल करके वो आज की रात हमारे साथ मज़े लेने वाले थे

मैने भी सोच लिया था की अब इस तरह बुत्त बनकर और बर्दाश्त नही करूँगी
जितना मज़ा पिताजी ले रहे है उतना मज़ा मैं भी लेकर रहूंगी
और ये बात मैने चंद्रिका दीदी को भी समझा दी

दीदी पहले तो ये बात सुनकर घबरा गयी क्योंकि उन्हे पापा से बड़ा डर लगता था
डर तो मुझे भी लगता था पर जब मज़ा लेना ही है तो खुलकर ही लिया जाए ना
पिताजी के मन में तो वैसे भी हमारे लिए मैल थी
इसलिए डरना तो उन्हे चाहिए था

मैने दीदी को पूरा प्लान समझाया और आगे क्या करना है इसकी कमान मैने अपने हाथ में ही रखी
इसलिए हम दोनों ने अपने कपडे ठीक किये और बिस्तर पर लेट गए

और जैसा हम दोनो को पता था, करीब 1 घंटे बाद पापा हमारे रूम में दबे पाँव आए
इस वक़्त तक माँ और भाई भी सो चुके थे
कमरे में घुपप अंधेरा था
सिर्फ़ उनका बड़ा सा शरीर कमरे में दाखिल होता हुआ दिखाई दिया

वैसे देखा जाए तो पापा भी कमाल की चीज़ है
पहले तो वो वशीकरण की किताब लाए और उसके हिसाब से हम दोनो बहनो को अपने वश में करके सैक्स किया
और फिर उस से भी एडवांस टेक्नालॉजी पाने के चक्कर में हम दोनो बहनो को उसी बाबा से चुदवा भी दिया
और अब उस नयी टेक्नालॉजी का इस्तेमाल करके वो फिर से हमारे साथ सैक्स करने आए है
अर्रे पापा
इतना क्यो परेशान हो रहे हो
सीधे तरीके से ही कर लो ना जो करना है
हम भी खुश हो जाएँगे
पर नही
करनी तो उन्हे अपने दिल की ही है
पर आज ऐसा नही होने दूँगी मैं

दरवाजा बंद करके पापा हम दोनो के बीच आकर बैठ गये
पहले तो वो हम दोनो को एक-2 करके उठाते थे
और अपना वो तावीज़ निकालकर उसे हिलाते हुए मन्त्र पढ़कर हम दोनो को सम्मोहित करके अपने वश में कर लेते थे
वो अलग बात थी की ऐसा कभी हुआ नही
पर हम दोनो बहनो ने उन्हे ऐसी फील भी नही आने दी की उनका वशीकरण बेकार गया

शायद इसी वजह से उन्हे बाबा पर और भी ज़्यादा विश्वास हो गया था और उन्होने इस नयी विद्या को पाने के लिए हम दोनो बहनों को उनसे चुदवा भी दिया
और उसमें हमने भी काफ़ी एंजाय किया

पर असली एंजाय तो तभी होगा ना जब खुलकर अपनी मर्ज़ी से कुछ कर पाओ
चीखे मार पाओ
सामने वाले के होंठ चूस पाओ
लॅंड पकड़ पाओ
उसे मुंह में लेकर उसका स्वाद ले पाओ

और यही सब ना कर पाओ तो ऐसा लगता है जैसे हम अपाहिज से होकर पड़े है
और कोई हमारे साथ मज़े लेकर भाग रहा है

पर आज उन्हे भागने नही देना था
इसलिए बैठने के बाद जैसे ही पापा ने वो पोटली निकाली

जिसे वो हमारी नाक से छुवाकर हमें एक दूसरी ही दुनिया में पहुँचाने वाले थे
मैने एकदम से अंगड़ाई ली और अपनी छाती पर हाथ रखकर उसे ज़ोर से दबा दिया और खुद ही कसमसा उठी

“अहह……..सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स………… ज़ोर से दबाओ ना……..पापा……”

अंधेरे में मैने अपनी आँखे आधी खोल रखी थी
पापा के चेहरे के एक्शप्रेशन देखने के लिए
और वो दिखे भी
मेरी आशा के अनुरूप

क्योंकि पापा ने शायद सपने में भी नही सोचा था की मैं ऐसा कुछ करूँगी
उन्हे दिखाने के लिए मैं नींद में होने का नाटक कर रही थी
क्या नाटक सिर्फ़ वही कर सकते है
मैं नही
 

Ashokafun30

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और चंद्रिका दीदी को भी यही समझा दिया था
पर अभी उनका रोल स्टार्ट नही हुआ था
अभी तो मैं ही नायिका थी

मैने अपने उभारों को भींच कर उपर की तरफ निकाला ताकि मेरे बिना ब्रा के निप्पल पापा देख पाए
और उन्हे भींचते हुए मैं ज़ोर-2 से यही बोले जा रही थी

“ओह पापा……. उम्म्म्ममममममममममम…… हाआआआआअन् ……. ऐसे ही दबाओओ ना……. ओह….. पापा…… मेरे प्यारे पापा….”

पापा का हाथ जहां का तहां रुका रह गया
अब माहौल ही ऐसा बन चुका था की वो पोटली निकालने की ज़रूरत ही नही रह गयी थी

उन्होने तो सोचा भी नही था की उनकी बेटी भी उन्ही की तरह सैक्स की प्यासी है
और उन्हें ही चाहती है
इतना की सपने में भी उनके साथ मजे ले रही है

पर अभी तो फिल्म स्टार्ट ही हुई थी
मेरे हाथ धीरे -2 अपनी खुद की टी शर्ट को उपर करने लगे
और तब तक करते रहे जब तक वो मैंने उतार नहीं दी और मेरे नंगे बूब्स बाहर नही निकल आए

ज़ीरो वॉट की रोशनी में मेरे वो नन्हे अमरूद किसी गोला बम से कम नही लग रहे थे



पापा के मुँह से तो लार टपकती देखी मैने, जो सीधा मेरी जाँघ पर आकर गिरी
मन तो कर रहा था की उस लार को अपने निप्पल पर मसल दूँ
पर अभी तो मैं किरदार में थी
कुछ देर बाद तो पापा अपने आप वो सब कर ही देंगे

इसलिए मैं निश्चिन्त होकर अपनी बूबियाँ मसलती रही उनकी आँखो के सामने
मैं जान बूझकर अपने निप्पल्स को अंगूठे और उंगली के बीच रखकर उसे मसल रही थी
ऐसा करने से वो फूलकर पफी सा हो जाता और और भी लुभावना लगता



अब मेरा एक हाथ धीरे-2 अपनी शॉर्ट्स में खिसक गया
मेरे मुँह से पापा के नाम की सिसकारियाँ लगातार निकल रती थी
ताकि पापा का ध्यान इसी तरफ रहे की मैं नींद में ये सब उन्हे सोचकर ही कर रही हूँ

वो भी बेचारे सोच रहे होंगे की जब मैं भी उनकी तरह रिश्तों की मर्यादा से उपर उठकर सैक्स के लिए तड़प रही हूँ तो उन्होने बेकार में ही वो सब किताब और वशीकरण वाले आडंबर किए

और बेकार में ही अपनी बेटियों को उस ठरकी बाबा से चुदवा दिया

ये बात उन्हे पहले पता चल जाती तो घर की बात घर में ही रह जाती
पर अब जो होना था वो हो ही चुका था

इसलिए अब वो कुछ कर तो सकते नही थे
सिवाए मुझे इस तरह से अपने आप में तड़पते हुए देखने के सिवा

मैने अपनी चूत में उंगली डुबोकर अपने होंठो में लेकर चूस ली…
ये देखकर तो पापा के मुँह से भी एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी
शायद उस शहद को वो चूसना चाहते थे

मेरा अधनंगा शरीर वैसे ही उनके लिए मुसीबत बना हुआ था
और मैने इसमे थोड़ा और मसाला डालने की सोची
मसाला यानी मेरी दीदी की जवानी

मैने उसी नींद की अवस्था में अपना एक हाथ दीदी के मोटे मुममे पर रख दिया और उसे सहलाने लगी
एक हाथ से मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी और दूसरे से दीदी के बूब्स की मालिश
दीदी तो इस खेल में नयी थी
जो दम साधे अपने रोल के स्टार्ट होने का इंतजार कर रही थी
और जैसा मैने उसे समझाया था

वो वैसे ही नींद मे ऊंघति हुई सी कसमसने का नाटक करने लगी
पापा की हालत पहले से ज़्यादा खराब होने लगी
उनसे अब रहा नही गया और उन्होने अपनी धोती के बीच खड़ा अपना छोटा पहलवान पकड़ा और उसे धीरे-2 सहलाने लगे
ठीक वैसे ही जैसे मैं दीदी का मुम्मा सहला रही थी

मेरे हाथ ने दीदी की टी शर्ट को उपर खिसकाना शुरू कर दिया और धीरे-2 करके उसे भी टॉपलेस कर दिया अपनी तरह
अब पिताजी के सामने उनकी जवान बेटियों के दोनो मुम्मे नंगे पड़े थे और वो भी बिना किसी मंत्र या वशीकरण के

वो शायद अपने आप को कोस रहे होंगे की काश वो जल्दबाज़ी ना करके कुछ देर हमारे रूम में बैठकर ऐसे इंतजार तो करते
शायद कभी ऐसा नज़ारा शायद उन्हे देखने को मिल जाता

अब दीदी भी मस्ती में आ चुकी थी
उनके तो मुम्मो में ही उनकी मस्ती की चाभी छुपी हुई थी
जैसे ही उसे रगड़ा
उनकी जवानी का जिन्न हू हा हा करते हुए सामने प्रकट हो गया

वो पापा की परवाह किए बिना एकदम से आकर मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठो से होंठ मिलाकर मुझे चूसने लगी
उम्म्म्मममममममममममममम कितना मीठा एहसास था वो

एक बहन ही ऐसी मिठास का एहसास महसूस कर सकती है
मैने भी उसका साथ दिया और होंठो पर हुए हमले का जवाब काउंटर अटॅक से दिया



मैने भी उसके होंठो को उतनी ही शिद्दत और लगन से चूसा जितना वो चूस रही थी
और सच कहूँ तो इस पल में आकर मैं और शायद दीदी भी पापा के वहां होने के एहसास को भूल चुकी थी
मैने एक झटके में दीदी की शॉर्ट्स को भी निकाल फेंका और उसे अपने उपर खींच लिया

और जवाब में दीदी ने भी उपर आने के बाद अपने पैरों से मेरे पायजामे को खिसका कर नीचे कर दिया और मुहे पूरी नंगी कर दिया

और अब हम दोनो एक दूसरे के उपर लेटी हुई पूरी नंगी होकर अपनी जवानी का प्रदर्शन सामने बैठे पापा के सामने कर रही थी
और ये सब उनके अनुसार हम दोनो नींद में ही कर रही थी

और मेरे कहे अनुसार अब दीदी भी सिसकारियाँ लेती हुई पापा -2 कर रही थी

“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…… अहह…… एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स पापा……. ओह माय डार्लिंग पापा……. कितना मज़ा देते हो आप……अहह….. आपका लॅंड कितना प्यारा है पापा…….अहह….”

इतना कहते हुए दीदी ने मेरे हाथ की सारी उंगलियों को लॅंड बनाकर चूसना शुरू कर दिया
ये देखकर पापा को तो हार्ट अटैक आते-2 बचा

उनकी बेटियाँ अपनी जवानी उनपर लुटाने को तैयार बैठी थी और वो नासमझ बाबाओं के चक्कर में पड़ा था
धिक्कार है ऐसे बाप पर जो अपनी जवान बेटी के जिस्म की पुकार ना समझ सके
उसे सहलाकर, चूस्कर अपना प्यार ना लूटा सके…

हम दोनो बहनों के नंगे जिस्म ऐसे थे जैसे दो नागिन आपस में लिपट कर एक दूसरे से प्यार का इजहार कर रही हो



दीदी ने मेरे होंठो के बाद मेरे दोनो बूब्स भी चूसे और धीरे-2 नीचे खिसकने लगी
ऐसा करते हुए वो मेरी चूत तक पहुँच गयी और बिस्तर पर घोड़ी बनकर मेरी चूत का रस पीने लगी
पापा हमारे बीच से उठकर खड़े हो चुके थे
उनकी धोती ज़मीन पर थी और उनका खड़ा हुआ लॅंड उनके हाथ में

सामने थी उनकी बड़ी बेटी जो घोड़ी बनकर मेरी चूत की होदी में अपनी जीभ घुसाकर मेरा रास पी रही थी और मुझे मदहोश कर रही थी



अब सिर्फ़ देर थी तो पापा के खेल में शामिल होने की
और हम दोनो बहने धड़कते दिल से उनके अगले मूव की प्रतीक्षा कर रहे थे…
पता नही जैसा हमने सोचा था वैसा होगा या नही.


 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
40,776
103,572
304
और चंद्रिका दीदी को भी यही समझा दिया था
पर अभी उनका रोल स्टार्ट नही हुआ था
अभी तो मैं ही नायिका थी

मैने अपने उभारों को भींच कर उपर की तरफ निकाला ताकि मेरे बिना ब्रा के निप्पल पापा देख पाए
और उन्हे भींचते हुए मैं ज़ोर-2 से यही बोले जा रही थी

“ओह पापा……. उम्म्म्ममममममममममम…… हाआआआआअन् ……. ऐसे ही दबाओओ ना……. ओह….. पापा…… मेरे प्यारे पापा….”

पापा का हाथ जहां का तहां रुका रह गया
अब माहौल ही ऐसा बन चुका था की वो पोटली निकालने की ज़रूरत ही नही रह गयी थी

उन्होने तो सोचा भी नही था की उनकी बेटी भी उन्ही की तरह सैक्स की प्यासी है
और उन्हें ही चाहती है
इतना की सपने में भी उनके साथ मजे ले रही है

पर अभी तो फिल्म स्टार्ट ही हुई थी
मेरे हाथ धीरे -2 अपनी खुद की टी शर्ट को उपर करने लगे
और तब तक करते रहे जब तक वो मैंने उतार नहीं दी और मेरे नंगे बूब्स बाहर नही निकल आए

ज़ीरो वॉट की रोशनी में मेरे वो नन्हे अमरूद किसी गोला बम से कम नही लग रहे थे



पापा के मुँह से तो लार टपकती देखी मैने, जो सीधा मेरी जाँघ पर आकर गिरी
मन तो कर रहा था की उस लार को अपने निप्पल पर मसल दूँ
पर अभी तो मैं किरदार में थी
कुछ देर बाद तो पापा अपने आप वो सब कर ही देंगे

इसलिए मैं निश्चिन्त होकर अपनी बूबियाँ मसलती रही उनकी आँखो के सामने
मैं जान बूझकर अपने निप्पल्स को अंगूठे और उंगली के बीच रखकर उसे मसल रही थी
ऐसा करने से वो फूलकर पफी सा हो जाता और और भी लुभावना लगता



अब मेरा एक हाथ धीरे-2 अपनी शॉर्ट्स में खिसक गया
मेरे मुँह से पापा के नाम की सिसकारियाँ लगातार निकल रती थी
ताकि पापा का ध्यान इसी तरफ रहे की मैं नींद में ये सब उन्हे सोचकर ही कर रही हूँ

वो भी बेचारे सोच रहे होंगे की जब मैं भी उनकी तरह रिश्तों की मर्यादा से उपर उठकर सैक्स के लिए तड़प रही हूँ तो उन्होने बेकार में ही वो सब किताब और वशीकरण वाले आडंबर किए

और बेकार में ही अपनी बेटियों को उस ठरकी बाबा से चुदवा दिया

ये बात उन्हे पहले पता चल जाती तो घर की बात घर में ही रह जाती
पर अब जो होना था वो हो ही चुका था

इसलिए अब वो कुछ कर तो सकते नही थे
सिवाए मुझे इस तरह से अपने आप में तड़पते हुए देखने के सिवा

मैने अपनी चूत में उंगली डुबोकर अपने होंठो में लेकर चूस ली…
ये देखकर तो पापा के मुँह से भी एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी
शायद उस शहद को वो चूसना चाहते थे

मेरा अधनंगा शरीर वैसे ही उनके लिए मुसीबत बना हुआ था
और मैने इसमे थोड़ा और मसाला डालने की सोची
मसाला यानी मेरी दीदी की जवानी

मैने उसी नींद की अवस्था में अपना एक हाथ दीदी के मोटे मुममे पर रख दिया और उसे सहलाने लगी
एक हाथ से मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी और दूसरे से दीदी के बूब्स की मालिश
दीदी तो इस खेल में नयी थी
जो दम साधे अपने रोल के स्टार्ट होने का इंतजार कर रही थी
और जैसा मैने उसे समझाया था

वो वैसे ही नींद मे ऊंघति हुई सी कसमसने का नाटक करने लगी
पापा की हालत पहले से ज़्यादा खराब होने लगी
उनसे अब रहा नही गया और उन्होने अपनी धोती के बीच खड़ा अपना छोटा पहलवान पकड़ा और उसे धीरे-2 सहलाने लगे
ठीक वैसे ही जैसे मैं दीदी का मुम्मा सहला रही थी

मेरे हाथ ने दीदी की टी शर्ट को उपर खिसकाना शुरू कर दिया और धीरे-2 करके उसे भी टॉपलेस कर दिया अपनी तरह
अब पिताजी के सामने उनकी जवान बेटियों के दोनो मुम्मे नंगे पड़े थे और वो भी बिना किसी मंत्र या वशीकरण के

वो शायद अपने आप को कोस रहे होंगे की काश वो जल्दबाज़ी ना करके कुछ देर हमारे रूम में बैठकर ऐसे इंतजार तो करते
शायद कभी ऐसा नज़ारा शायद उन्हे देखने को मिल जाता

अब दीदी भी मस्ती में आ चुकी थी
उनके तो मुम्मो में ही उनकी मस्ती की चाभी छुपी हुई थी
जैसे ही उसे रगड़ा
उनकी जवानी का जिन्न हू हा हा करते हुए सामने प्रकट हो गया

वो पापा की परवाह किए बिना एकदम से आकर मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठो से होंठ मिलाकर मुझे चूसने लगी
उम्म्म्मममममममममममममम कितना मीठा एहसास था वो

एक बहन ही ऐसी मिठास का एहसास महसूस कर सकती है
मैने भी उसका साथ दिया और होंठो पर हुए हमले का जवाब काउंटर अटॅक से दिया



मैने भी उसके होंठो को उतनी ही शिद्दत और लगन से चूसा जितना वो चूस रही थी
और सच कहूँ तो इस पल में आकर मैं और शायद दीदी भी पापा के वहां होने के एहसास को भूल चुकी थी
मैने एक झटके में दीदी की शॉर्ट्स को भी निकाल फेंका और उसे अपने उपर खींच लिया

और जवाब में दीदी ने भी उपर आने के बाद अपने पैरों से मेरे पायजामे को खिसका कर नीचे कर दिया और मुहे पूरी नंगी कर दिया

और अब हम दोनो एक दूसरे के उपर लेटी हुई पूरी नंगी होकर अपनी जवानी का प्रदर्शन सामने बैठे पापा के सामने कर रही थी
और ये सब उनके अनुसार हम दोनो नींद में ही कर रही थी

और मेरे कहे अनुसार अब दीदी भी सिसकारियाँ लेती हुई पापा -2 कर रही थी

“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…… अहह…… एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स पापा……. ओह माय डार्लिंग पापा……. कितना मज़ा देते हो आप……अहह….. आपका लॅंड कितना प्यारा है पापा…….अहह….”

इतना कहते हुए दीदी ने मेरे हाथ की सारी उंगलियों को लॅंड बनाकर चूसना शुरू कर दिया
ये देखकर पापा को तो हार्ट अटैक आते-2 बचा

उनकी बेटियाँ अपनी जवानी उनपर लुटाने को तैयार बैठी थी और वो नासमझ बाबाओं के चक्कर में पड़ा था
धिक्कार है ऐसे बाप पर जो अपनी जवान बेटी के जिस्म की पुकार ना समझ सके
उसे सहलाकर, चूस्कर अपना प्यार ना लूटा सके…

हम दोनो बहनों के नंगे जिस्म ऐसे थे जैसे दो नागिन आपस में लिपट कर एक दूसरे से प्यार का इजहार कर रही हो



दीदी ने मेरे होंठो के बाद मेरे दोनो बूब्स भी चूसे और धीरे-2 नीचे खिसकने लगी
ऐसा करते हुए वो मेरी चूत तक पहुँच गयी और बिस्तर पर घोड़ी बनकर मेरी चूत का रस पीने लगी
पापा हमारे बीच से उठकर खड़े हो चुके थे
उनकी धोती ज़मीन पर थी और उनका खड़ा हुआ लॅंड उनके हाथ में

सामने थी उनकी बड़ी बेटी जो घोड़ी बनकर मेरी चूत की होदी में अपनी जीभ घुसाकर मेरा रास पी रही थी और मुझे मदहोश कर रही थी



अब सिर्फ़ देर थी तो पापा के खेल में शामिल होने की
और हम दोनो बहने धड़कते दिल से उनके अगले मूव की प्रतीक्षा कर रहे थे…
पता नही जैसा हमने सोचा था वैसा होगा या नही.
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