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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
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IMG-20211022-084409


*Index *
 
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Kala Nag

Mr. X
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👉पहला अपडेट
————————

मित्रों चूंकि रवि वार को मैं बहुत व्यस्त रहने वाला हूँ इसलिए मैं आज ही पहला अपडेट प्रस्तुत कर रहा हूं l


सेंट्रल जेल भुवनेश्वर
आधी रात का समय है l बैरक नंबर 3 कोठरी नंबर 11 में फर्श पर पड़े बिस्तर पर एक कैदी छटपटा रहा है बदहवास सा हो रहा है जैसे कोई बुरा सपना देख रहा है....


सपने में......

एक नौजवान को दस हट्टे कट्टे पहलवान जैसे लोग एक महल के अंदर दबोच रखे हुए हैं
इतने में एक आदमी महल के सीढियों से नीचे उतर कर आता है l शायद वह उस महल का मालिक है, जिसके पहनावे, चाल व चेहरे से कठोरता व रौब झलक रहा है l

वह आदमी उस नौजवान को देख कर कहता है
आदमी - तेरी इतनी खातिरदारी हुई फिर भी तेरी हैकड़ी नहीं गई तेरी गर्मी भी नहीं उतरी l अबे हराम के जने पुरे यशपुर में लोग जिस चौखट के बाहर ही अपना घुटने व नाक रगड़ कर बिना पीठ दिखाए वापस लौट जाते हैं l तुने हिम्मत कैसे की इसे लांघ कर भीतर आने की l

वह नौजवान उन आदमियों के चंगुल से छूटने की फ़िर कोशिश करता है l इतने में एक आदमी जो शायद उन पहलवानों का लीडर था एक घूंसा मारता है जिसके वजह से वह नौजवान का शरीर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है l

जिसे देखकर उस घर का मालिक के चेहरे का भाव और कठोर हो जाता है, फिर उस नौ जवान को कहता है - बहुत छटपटा रहा है मुझ तक पहुंचने के लिए l बे हरामी सुवर की औलाद तू मेरा क्या कर लेगा या कर पाएगा l

इतना कह कर वह पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और उन आदमियों से इशारे से उस नौजवान को छोड़ने के लिए कहता है l

वह नौजवान छूटते ही नीचे गिर जाता है बड़ी मुश्किल से अपना सर उठा कर उस घर के मालिक की तरफ देखता है l
जैसे तैसे खड़ा होता है और पूरी ताकत से कुर्सी पर बैठे आदमी पर छलांग लगा देता है l पर यह क्या उसका शरीर हवा में ही अटक जाता है l वह देखता है कि उसे हवा में ही वह दस लोग फिरसे दबोच लिया है l वह नौजवान हवा में हाथ मारने लगता है पर उसके हाथ उस कुर्सी पर बैठे आदमी तक नहीं पहुंच पाते l यह देखकर कुर्सी पर बैठा उस आदमी के चेहरे पर एक हल्की सी सर्द मुस्कराहट नाच उठता है l जिससे वह नौजवान भड़क कर चिल्लाता है - भैरव सिंह......


भैरव सिंह उन पहलवानों के लीडर को पूछता है - भीमा,
भीमा-ज - जी मालिक l
भैरव सिंह - हम कौन हैं l


भीमा- मालिक, मालिक आप हमारे माईबाप हैं, अन्न दाता हैं हमारे, आप तो हमारे पालन हार हैं l

भैरव सिंह - देख हराम के जने देख यह है हमारी शख्सियत, हम पूरे यशपुर के भगवान हैं और हमारा नाम लेकर हमे सिर्फ वही बुला सकता है जिसकी हमसे या तो दोस्ती हो या दुश्मनी l वरना पूरे स्टेट में हमे राजा साहब कह कर बुलाया जाता है l तू यह कैसे भूल गया बे कुत्ते, गंदी नाली के कीड़े l

वह नौजवान चिल्लाता है - आ - आ हा......... हा.. आ

भैरव सिंह - चर्बी उतर गई मगर अभी भी तेरी गर्मी उतरी नहीं है l जब चीटियों के पर निकल आने से उन्हें बचने के लिए उड़ना चाहिए ना कि बाज से पंजे लड़ाने चाहिए l
छिपकली अगर पानी में गिर जाए तो पानी से निकलने की कोशिश करनी चाहिए ना कि मगरमच्छ को ललकारे l तेरी औकात क्या है बे....
ना हमसे दोस्ती की हैसियत है और ना ही दुश्मनी के लिए औकात है तेरी
तु किस बिनाह पर हम से दुश्मनी करने की सोच लिया l हाँ आज अगर हमे छू भी लेता तो हमारे बराबर हो जाता कम-से-कम दुश्मनी के लिए l

इतना कह कर भैरव सिंह खड़ा होता है और सीढियों के तरफ मुड़ कर जाने लगता है l सीढ़ियां चढ़ते हुए कहता है

भैरव सिंह - अब तू जिन के चंगुल में फंसा हुआ है वह हमारे पालतू हैं जो हमारी सुरक्षा के पहली पंक्ति हैं l हमारे वंश का वैभव, हमरे नाम का गौरव पूरे राज्य में हमे वह रौब वह रुतबा व सम्मान प्रदान करते हैं कि समूचा राज्य का शासन व प्रशासन का सम्पूर्ण तंत्र न केवल हमे राजा साहब कहता है बल्कि हमारी सुरक्षा के लिए जी जान लगा देते हैं l तू जानता है हमारा वंश के परिचय ही हमे पूरे राज्य के समूचा तंत्र वह ऊचाई दे रखा है.....

इतना कह कर भैरव सिंह सीढ़ियों पर रुक जाता है और मुड़ कर फिर से नौजवान के तरफ देख कर बोलता है

भैरव सिंह - जिस ऊचाई में हमे तू तो क्या तेरे आने वाली सात पुश्तें भी मिलकर सर उठा कर देखने की कोशिश करेंगे तो तुम सब के रीढ़ की हड्डीयां टुट जाएंगी l
देख हम कहाँ खड़ा हैं देख, सर उठा कर देख सकता है तो देख l

नौजवान सर उठाकर देखने की कोशिश करता है ठीक उसी समय उसके जबड़े पर भीमा घूंसा जड़ देता है l
वह नौजवान के मुहँ से खून की धार निकलने लगता है l


भैरव सिंह - हम तक पहुंचते पहुंचते हमारी पहली ही पंक्ति पर तेरी यह दशा है l तो सोच हम तक पहुंचने के लिए तुझे कितने सारे पंक्तियाँ भेदने होंगे और उन्हें तोड़ कर हम तक कैसे पहुँचेगा l चल आज हम तुझे हमारी सारी पंक्तियों के बारे जानकारी मिलेगी l तुझे मालूम था तू किससे टकराने की ज़ुर्रत कर रहा है पर मालूम नहीं था कि वह हस्ती वह शख्सियत क्या है l आज तु भैरव सिंह क्षेत्रपाल का विश्वरूप देखेगा l तुझे मालूम होगा जिससे टकराने की तूने ग़लती से सोच लीआ था उसके विश्वरूप के सैलाब के सामने तेरी हस्ती तेरा वज़ूद तिनके की तरह कैसे बह जाएगा l

नहीं...


कह कर वह कैदी चिल्ला कर उठ जाता है l उसके उठते ही हाथ लग कर बिस्तर के पास कुछ किताबें छिटक कर दूर पड़ती है और इतने में एक संत्री भाग कर आता है और कोठरी के दरवाजे पर खड़े हो कर नौजवान से पूछता है - क्या हुआ विश्वा l

विश्वा उस संत्री को बदहवास हो कर देखता है फ़िर चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान ले कर कहता है - क.. कुछ नहीं काका एक डरावना सपना आया था इसलिए थोड़ा नर्वस फिल हुआ तो चिल्ला बैठा l

संत्री - हा हा हा, सपना देख कर डर गए l चलो कोई नहीं यह सुबह थोड़े ही है जो सच हो जाएगा l हा हा हा हा

विश्वा धीरे से बुदबुदाया - वह सच ही था काका जो सपने में आया था l एक नासूर सच l

संत्री - कुछ कहा तुमने

विश्वा - नहीं काका कुछ नहीं l

इतने में दरवाजे के पास पड़ी एक किताब को वह संत्री उठा लेता है और एक दो पन्ने पलटता है फिर कहता है

संत्री - वाह विश्वा यह चौपाया तुमने लिखा है l बहुत बढ़िया है..

काल के द्वार पर इतिहास खड़ा है
प्राण निरास जीवन कर रहा हाहाकार है
अंधकार चहुंओर घनघोर है
प्रातः की प्रतीक्षा है चंद घड़ी दूर भोर है

वाह क्या बात है बहुत अच्छे पर विश्वा यह कानून की किताब है इसे ऐसे तो ना फेंको l


विश्वा - सॉरी काका अगली बार ध्यान रखूँगा क्यूंकि वह सिर्फ कानून की किताब नहीं है मेरे लिए भगवत गीता है l

संत्री - अच्छा अच्छा अब सो जाओ l कल रात ड्यूटी पर भेंट होगी l शुभरात्रि l

विश्वा - शुभरात्रि

इतना कहकर विश्वा संत्री से किताब लेकर अपने बिस्तर पर आके लेट जाता है l

×××××××××××××××××××××
सुबह सुबह का समय एक सरकारी क्वार्टर में प्रातः काल का जगन्नाथ भजन बज रहा है l एक पचास वर्षीय व्यक्ति दीवार पर लगे एक नौजवान के तस्वीर के आगे खड़ा है l इतने में एक अड़तालीस वर्षीय औरत आरती की थाली लिए उस कमरे में प्रवेश करती है और उस आदमी को कहती है - लीजिए आरती ले लीजिए l

आदमी का ध्यान टूटता है और वह आरती ले लेता है l फ़िर वह औरत थाली लेकर भीतर चली जाती है l
वह आदमी जा कर सीधे डायनिंग टेबल पर बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद वह औरत भी आकर उसके पास बैठ जाती है और कहती है - क्या हुआ सुपरिटेंडेंट साब अभी से भूक लग गई क्या आपको l अभी तो हमे पूरी जाना है फ़िर जगन्नाथ दर्शन के बाद आपको खाना मिलेगा l
आदमी - जानता हूँ भाग्यवान तुम तो जनती हो l आज का दिन मुझे मेरे नाकामयाबी याद दिलाता रहता है l

औरत - देखिए वक्त ने हमसे एक बेटा छीना तो एक को बेटा बना कर लौटाया भी तो है l और आज का दिन हम कैसे भूल सकते हैं l उसीके याद में ही तो हम आज बच्चों के, बूढ़ों के आश्रम को जा रहे हैं l

आदमी - हाँ ठीक कह रहे हो भाग्यवान l अच्छा तुम तो तैयार लग रही हो l थोड़ा चाय बना दो मैं जा कर ढंग के कपड़े पहन कर आता हूँ l फिर पीकर निकालते हैं l

इतना कह कर वह आदमी वहाँ से अपने कमरे को निकाल जाता है l
इतने में वह औरत उठ कर किचन की जा रही थी कि कॉलिंग बेल बजती है l तो अब वह औरत बाहर के दरवाजे के तरफ मुड़ जाती है l दरवाजा खोलती है तो कोई नहीं था नीचे देखा तो आज का न्यूज पेपर मिला उसे उठा कर मुड़ती है तो उसे दरवाजे के पास लगे लेटते बॉक्स पर कुछ दिखता है l वह लेटर बॉक्स खोलते ही उसे एक खाकी रंग की सरकारी लिफाफा मिलता है l जिस पर पता तापस सेनापति जेल सुपरिटेंडेंट लिखा था, और वह पत्र डायरेक्टर जनरल पुलिस के ऑफिस से आया था l

वह औरत चिट्ठी खोल कर देखती है l चिट्ठी को देखते ही उसकी आँखे आश्चर्य से बड़ी हो जाती है l वह गुस्से से घर में घुसती है और अपने पति चिठ्ठी दिखा कर पूछती है यह क्या है...?
 
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Kala Nag

Mr. X
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लो कल्लो बात
पहले राइटर लोगों अपडेट की प्रतीक्षा ने हमसे अब कहानी लिखवा रहा है
अब रिव्यू की प्रतीक्षा होने लगी है
मित्रों आरंभ ही उद्दंड है
फिर भी शुरू किया है तो कहानी अंजाम तक पहुंचेगी
😁😁😁
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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👉पहला अपडेट
————————

मित्रों चूंकि रवि वार को मैं बहुत व्यस्त रहने वाला हूँ इसलिए मैं आज ही पहला अपडेट प्रस्तुत कर रहा हूं l


सेंट्रल जेल भुवनेश्वर
आधी रात का समय है l बैरक नंबर 3 कोठरी नंबर 11 में फर्श पर पड़े बिस्तर पर एक कैदी छटपटा रहा है बदहवास सा हो रहा है जैसे कोई बुरा सपना देख रहा है....

सपने में......

एक नौजवान को दस हट्टे कट्टे पहलवान जैसे लोग एक महल के अंदर दबोच रखे हुए हैं
इतने में एक आदमी महल के सीढियों से नीचे उतर कर आता है l शायद वह उस महल का मालिक है, जिसके पहनावे, चाल व चेहरे से कठोरता व रौब झलक रहा है l

वह आदमी उस नौजवान को देख कर कहता है
आदमी - तेरी इतनी खातिरदारी हुई फिर भी तेरी हैकड़ी नहीं गई तेरी गर्मी भी नहीं उतरी l अबे हराम के जने पुरे यशपुर में लोग जिस चौखट के बाहर ही अपना घुटने व नाक रगड़ कर बिना पीठ दिखाए वापस लौट जाते हैं l तुने हिम्मत कैसे की इसे लांघ कर भीतर आने की l

वह नौजवान उन आदमियों के चंगुल से छूटने की फ़िर कोशिश करता है l इतने में एक आदमी जो शायद उन पहलवानों का लीडर था एक घूंसा मारता है जिसके वजह से वह नौजवान का शरीर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है l

जिसे देखकर उस घर का मालिक के चेहरे का भाव और कठोर हो जाता है, फिर उस नौ जवान को कहता है - बहुत छटपटा रहा है मुझ तक पहुंचने के लिए l बे हरामी सुवर की औलाद तू मेरा क्या कर लेगा या कर पाएगा l

इतना कह कर वह पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और उन आदमियों से इशारे से उस नौजवान को छोड़ने के लिए कहता है l

वह नौजवान छूटते ही नीचे गिर जाता है बड़ी मुश्किल से अपना सर उठा कर उस घर के मालिक की तरफ देखता है l
जैसे तैसे खड़ा होता है और पूरी ताकत से कुर्सी पर बैठे आदमी पर छलांग लगा देता है l पर यह क्या उसका शरीर हवा में ही अटक जाता है l वह देखता है कि उसे हवा में ही वह दस लोग फिरसे दबोच लिया है l वह नौजवान हवा में हाथ मारने लगता है पर उसके हाथ उस कुर्सी पर बैठे आदमी तक नहीं पहुंच पाते l यह देखकर कुर्सी पर बैठा उस आदमी के चेहरे पर एक हल्की सी सर्द मुस्कराहट नाच उठता है l जिससे वह नौजवान भड़क कर चिल्लाता है - भैरव सिंह......

भैरव सिंह उन पहलवानों के लीडर को पूछता है - भीमा,
भीमा-ज - जी मालिक l
भैरव सिंह - हम कौन हैं l

भीमा- मालिक, मालिक आप हमारे माईबाप हैं, अन्न दाता हैं हमारे, आप तो हमारे पालन हार हैं l

भैरव सिंह - देख हराम के जने देख यह है हमारी शख्सियत, हम पूरे यशपुर के भगवान हैं और हमारा नाम लेकर हमे सिर्फ वही बुला सकता है जिसकी हमसे या तो दोस्ती हो या दुश्मनी l वरना पूरे स्टेट में हमे राजा साहब कह कर बुलाया जाता है l तू यह कैसे भूल गया बे कुत्ते, गंदी नाली के कीड़े l

वह नौजवान चिल्लाता है - आ - आ हा......... हा.. आ

भैरव सिंह - चर्बी उतर गई मगर अभी भी तेरी गर्मी उतरी नहीं है l जब चीटियों के पर निकल आने से उन्हें बचने के लिए उड़ना चाहिए ना कि बाज से पंजे लड़ाने चाहिए l
छिपकली अगर पानी में गिर जाए तो पानी से निकलने की कोशिश करनी चाहिए ना कि मगरमच्छ को ललकारे l तेरी औकात क्या है बे....
ना हमसे दोस्ती की हैसियत है और ना ही दुश्मनी के लिए औकात है तेरी
तु किस बिनाह पर हम से दुश्मनी करने की सोच लिया l हाँ आज अगर हमे छू भी लेता तो हमारे बराबर हो जाता कम-से-कम दुश्मनी के लिए l

इतना कह कर भैरव सिंह खड़ा होता है और सीढियों के तरफ मुड़ कर जाने लगता है l सीढ़ियां चढ़ते हुए कहता है
भैरव सिंह - अब तू जिन के चंगुल में फंसा हुआ है वह हमारे पालतू हैं जो हमारी सुरक्षा के पहली पंक्ति हैं l हमारे वंश का वैभव, हमरे नाम का गौरव पूरे राज्य में हमे वह रौब वह रुतबा व सम्मान प्रदान करते हैं कि समूचा राज्य का शासन व प्रशासन का सम्पूर्ण तंत्र न केवल हमे राजा साहब कहता है बल्कि हमारी सुरक्षा के लिए जी जान लगा देते हैं l तू जानता है हमारा वंश के परिचय ही हमे पूरे राज्य के समूचा तंत्र वह ऊचाई दे रखा है.....

इतना कह कर भैरव सिंह सीढ़ियों पर रुक जाता है और मुड़ कर फिर से नौजवान के तरफ देख कर बोलता है

भैरव सिंह - जिस ऊचाई में हमे तू तो क्या तेरे आने वाली सात पुश्तें भी मिलकर सर उठा कर देखने की कोशिश करेंगे तो तुम सब के रीढ़ की हड्डीयां टुट जाएंगी l
देख हम कहाँ खड़ा हैं देख, सर उठा कर देख सकता है तो देख l

नौजवान सर उठाकर देखने की कोशिश करता है ठीक उसी समय उसके जबड़े पर भीमा घूंसा जड़ देता है l
वह नौजवान के मुहँ से खून की धार निकलने लगता है l

भैरव सिंह - हम तक पहुंचते पहुंचते हमारी पहली ही पंक्ति पर तेरी यह दशा है l तो सोच हम तक पहुंचने के लिए तुझे कितने सारे पंक्तियाँ भेदने होंगे और उन्हें तोड़ कर हम तक कैसे पहुँचेगा l चल आज हम तुझे हमारी सारी पंक्तियों के बारे जानकारी मिलेगी l तुझे मालूम था तू किससे टकराने की ज़ुर्रत कर रहा है पर मालूम नहीं था कि वह हस्ती वह शख्सियत क्या है l आज तु भैरव सिंह क्षेत्रपाल का विश्वरूप देखेगा l तुझे मालूम होगा जिससे टकराने की तूने ग़लती से सोच लीआ था उसके विश्वरूप के सैलाब के सामने तेरी हस्ती तेरा वज़ूद तिनके की तरह कैसे बह जाएगा l

kahani ki suruvaat huyi hai ek amir taakat war insaan aur uski tanashahi se aur ek gareeb majlum ke badle ki bhavna se...
Vairav singh.... jo apne paise taakat, rutbe ke chalte is kadar apne ahankaar mei sur ki wo apne se nichle darze ke aur gareeb logo ko jaise insaan tak nahi samajhta.... uske liye jaise sabhi kide makode ho... Uske baaton se to yahin pratit hota hai ki jaise wo baaki logo par julm dhata hai thik waise hi Shayad us naujavaan ke sath kuch na kuch galat kiya hoga... Isliye wo ladka vairav singh ke bare mei jaante bhi usse ulajh pata, even badla lene pe utaru ho gaya... lekin afsos aaj phir se ek gareeb haar gaya vairav singh jaise magrur ahankaari raeesjade ki taakat ke saamne...

waise ek baat to pakka hai ki waqt badalte der nahi lage...aaj ye kamina vairav jo dialogue baazi kar raha tha.. kal ko aisa waqt bhi aayega jab ye hath jod ke bhikh ya maafi maangega...

नहीं...

कह कर वह कैदी चिल्ला कर उठ जाता है l उसके उठते ही हाथ लग कर बिस्तर के पास कुछ किताबें छिटक कर दूर पड़ती है और इतने में एक संत्री भाग कर आता है और कोठरी के दरवाजे पर खड़े हो कर नौजवान से पूछता है - क्या हुआ विश्वा l

विश्वा उस संत्री को बदहवास हो कर देखता है फ़िर चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान ले कर कहता है - क.. कुछ नहीं काका एक डरावना सपना आया था इसलिए थोड़ा नर्वस फिल हुआ तो चिल्ला बैठा l

संत्री - हा हा हा, सपना देख कर डर गए l चलो कोई नहीं यह सुबह थोड़े ही है जो सच हो जाएगा l हा हा हा हा

विश्वा धीरे से बुदबुदाया - वह सच ही था काका जो सपने में आया था l एक नासूर सच l

संत्री - कुछ कहा तुमने

विश्वा - नहीं काका कुछ नहीं l

इतने में दरवाजे के पास पड़ी एक किताब को वह संत्री उठा लेता है और एक दो पन्ने पलटता है फिर कहता है
संत्री - वाह विश्वा यह चौपाया तुमने लिखा है l बहुत बढ़िया है..

काल के द्वार पर इतिहास खड़ा है
प्राण निरास जीवन कर रहा हाहाकार है
अंधकार चहुंओर घनघोर है
प्रातः की प्रतीक्षा है चंद घड़ी दूर भोर है

वाह क्या बात है बहुत अच्छे पर विश्वा यह कानून की किताब है इसे ऐसे तो ना फेंको l

विश्वा - सॉरी काका अगली बार ध्यान रखूँगा क्यूंकि वह सिर्फ कानून की किताब नहीं है मेरे लिए भगवत गीता है l

संत्री - अच्छा अच्छा अब सो जाओ l कल रात ड्यूटी पर भेंट होगी l शुभरात्रि l

विश्वा - शुभरात्रि

इतना कहकर विश्वा संत्री से किताब लेकर अपने बिस्तर पर आके लेट जाता है l

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Ohh to us naujavaan ka naam vishwa hai... shayad us vairav ne hi ushe jail mein daal diya paiso ke taakat se...
waise us chaupaya ka matlab to yahi hai ki jyada der intezaar nahi karna padega vishwa ko ab.... shayad jald hi manjil milne wali ho...

सुबह सुबह का समय एक सरकारी क्वार्टर में प्रातः काल का जगन्नाथ भजन बज रहा है l एक पचास वर्षीय व्यक्ति दीवार पर लगे एक नौजवान के तस्वीर के आगे खड़ा है l इतने में एक अड़तालीस वर्षीय औरत आरती की थाली लिए उस कमरे में प्रवेश करती है और उस आदमी को कहती है - लीजिए आरती ले लीजिए l

आदमी का ध्यान टूटता है और वह आरती ले लेता है l फ़िर वह औरत थाली लेकर भीतर चली जाती है l
वह आदमी जा कर सीधे डायनिंग टेबल पर बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद वह औरत भी आकर उसके पास बैठ जाती है और कहती है - क्या हुआ सुपरिटेंडेंट साब अभी से भूक लग गई क्या आपको l अभी तो हमे पूरी जाना है फ़िर जगन्नाथ दर्शन के बाद आपको खाना मिलेगा l
आदमी - जानता हूँ भाग्यवान तुम तो जनती हो l आज का दिन मुझे मेरे नाकामयाबी याद दिलाता रहता है l

औरत - देखिए वक्त ने हमसे एक बेटा छीना तो एक को बेटा बना कर लौटाया भी तो है l और आज का दिन हम कैसे भूल सकते हैं l उसीके याद में ही तो हम आज बच्चों के, बूढ़ों के आश्रम को जा रहे हैं l

आदमी - हाँ ठीक कह रहे हो भाग्यवान l अच्छा तुम तो तैयार लग रही हो l थोड़ा चाय बना दो मैं जा कर ढंग के कपड़े पहन कर आता हूँ l फिर पीकर निकालते हैं l

इतना कह कर वह आदमी वहाँ से अपने कमरे को निकाल जाता है l
इतने में वह औरत उठ कर किचन की जा रही थी कि कॉलिंग बेल बजती है l तो अब वह औरत बाहर के दरवाजे के तरफ मुड़ जाती है l दरवाजा खोलती है तो कोई नहीं था नीचे देखा तो आज का न्यूज पेपर मिला उसे उठा कर मुड़ती है तो उसे दरवाजे के पास लगे लेटते बॉक्स पर कुछ दिखता है l वह लेटर बॉक्स खोलते ही उसे एक खाकी रंग की सरकारी लिफाफा मिलता है l जिस पर पता तापस सेनापति जेल सुपरिटेंडेंट लिखा था, और वह पत्र डायरेक्टर जनरल पुलिस के ऑफिस से आया था l

वह औरत चिट्ठी खोल कर देखती है l चिट्ठी को देखते ही उसकी आँखे आश्चर्य से बड़ी हो जाती है l वह गुस्से से घर में घुसती है और अपने पति चिठ्ठी दिखा कर पूछती है यह क्या है...?
ye dono pati patni shayad vishwa ke maa baap hai ...
maybe ek beta khoya bhi hai...
waise dono hi neik dil hai...
Ye kaisi chitthi aayi thi jishe padhte wo aurat is kadar bhadak gayi apne pati par..
koi anhoni to nahi hone wala hai?

Well shaandaar update, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan .. Sath hi dilchasp kirdaaro ki bhumika bhi..

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:
 
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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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लो कल्लो बात
पहले राइटर लोगों अपडेट की प्रतीक्षा ने हमसे अब कहानी लिखवा रहा है
अब रिव्यू की प्रतीक्षा होने लगी है
मित्रों आरंभ ही उद्दंड है
फिर भी शुरू किया है तो कहानी अंजाम तक पहुंचेगी
😁😁😁
Revo posted :cool1:
 

vj4u

"Be The Wrong That Makes Everything Right"....
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👉पहला अपडेट
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मित्रों चूंकि रवि वार को मैं बहुत व्यस्त रहने वाला हूँ इसलिए मैं आज ही पहला अपडेट प्रस्तुत कर रहा हूं l


सेंट्रल जेल भुवनेश्वर
आधी रात का समय है l बैरक नंबर 3 कोठरी नंबर 11 में फर्श पर पड़े बिस्तर पर एक कैदी छटपटा रहा है बदहवास सा हो रहा है जैसे कोई बुरा सपना देख रहा है....


सपने में......

एक नौजवान को दस हट्टे कट्टे पहलवान जैसे लोग एक महल के अंदर दबोच रखे हुए हैं
इतने में एक आदमी महल के सीढियों से नीचे उतर कर आता है l शायद वह उस महल का मालिक है, जिसके पहनावे, चाल व चेहरे से कठोरता व रौब झलक रहा है l

वह आदमी उस नौजवान को देख कर कहता है
आदमी - तेरी इतनी खातिरदारी हुई फिर भी तेरी हैकड़ी नहीं गई तेरी गर्मी भी नहीं उतरी l अबे हराम के जने पुरे यशपुर में लोग जिस चौखट के बाहर ही अपना घुटने व नाक रगड़ कर बिना पीठ दिखाए वापस लौट जाते हैं l तुने हिम्मत कैसे की इसे लांघ कर भीतर आने की l

वह नौजवान उन आदमियों के चंगुल से छूटने की फ़िर कोशिश करता है l इतने में एक आदमी जो शायद उन पहलवानों का लीडर था एक घूंसा मारता है जिसके वजह से वह नौजवान का शरीर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है l

जिसे देखकर उस घर का मालिक के चेहरे का भाव और कठोर हो जाता है, फिर उस नौ जवान को कहता है - बहुत छटपटा रहा है मुझ तक पहुंचने के लिए l बे हरामी सुवर की औलाद तू मेरा क्या कर लेगा या कर पाएगा l

इतना कह कर वह पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और उन आदमियों से इशारे से उस नौजवान को छोड़ने के लिए कहता है l

वह नौजवान छूटते ही नीचे गिर जाता है बड़ी मुश्किल से अपना सर उठा कर उस घर के मालिक की तरफ देखता है l
जैसे तैसे खड़ा होता है और पूरी ताकत से कुर्सी पर बैठे आदमी पर छलांग लगा देता है l पर यह क्या उसका शरीर हवा में ही अटक जाता है l वह देखता है कि उसे हवा में ही वह दस लोग फिरसे दबोच लिया है l वह नौजवान हवा में हाथ मारने लगता है पर उसके हाथ उस कुर्सी पर बैठे आदमी तक नहीं पहुंच पाते l यह देखकर कुर्सी पर बैठा उस आदमी के चेहरे पर एक हल्की सी सर्द मुस्कराहट नाच उठता है l जिससे वह नौजवान भड़क कर चिल्लाता है - भैरव सिंह......


भैरव सिंह उन पहलवानों के लीडर को पूछता है - भीमा,
भीमा-ज - जी मालिक l
भैरव सिंह - हम कौन हैं l


भीमा- मालिक, मालिक आप हमारे माईबाप हैं, अन्न दाता हैं हमारे, आप तो हमारे पालन हार हैं l

भैरव सिंह - देख हराम के जने देख यह है हमारी शख्सियत, हम पूरे यशपुर के भगवान हैं और हमारा नाम लेकर हमे सिर्फ वही बुला सकता है जिसकी हमसे या तो दोस्ती हो या दुश्मनी l वरना पूरे स्टेट में हमे राजा साहब कह कर बुलाया जाता है l तू यह कैसे भूल गया बे कुत्ते, गंदी नाली के कीड़े l

वह नौजवान चिल्लाता है - आ - आ हा......... हा.. आ

भैरव सिंह - चर्बी उतर गई मगर अभी भी तेरी गर्मी उतरी नहीं है l जब चीटियों के पर निकल आने से उन्हें बचने के लिए उड़ना चाहिए ना कि बाज से पंजे लड़ाने चाहिए l
छिपकली अगर पानी में गिर जाए तो पानी से निकलने की कोशिश करनी चाहिए ना कि मगरमच्छ को ललकारे l तेरी औकात क्या है बे....
ना हमसे दोस्ती की हैसियत है और ना ही दुश्मनी के लिए औकात है तेरी
तु किस बिनाह पर हम से दुश्मनी करने की सोच लिया l हाँ आज अगर हमे छू भी लेता तो हमारे बराबर हो जाता कम-से-कम दुश्मनी के लिए l

इतना कह कर भैरव सिंह खड़ा होता है और सीढियों के तरफ मुड़ कर जाने लगता है l सीढ़ियां चढ़ते हुए कहता है

भैरव सिंह - अब तू जिन के चंगुल में फंसा हुआ है वह हमारे पालतू हैं जो हमारी सुरक्षा के पहली पंक्ति हैं l हमारे वंश का वैभव, हमरे नाम का गौरव पूरे राज्य में हमे वह रौब वह रुतबा व सम्मान प्रदान करते हैं कि समूचा राज्य का शासन व प्रशासन का सम्पूर्ण तंत्र न केवल हमे राजा साहब कहता है बल्कि हमारी सुरक्षा के लिए जी जान लगा देते हैं l तू जानता है हमारा वंश के परिचय ही हमे पूरे राज्य के समूचा तंत्र वह ऊचाई दे रखा है.....

इतना कह कर भैरव सिंह सीढ़ियों पर रुक जाता है और मुड़ कर फिर से नौजवान के तरफ देख कर बोलता है

भैरव सिंह - जिस ऊचाई में हमे तू तो क्या तेरे आने वाली सात पुश्तें भी मिलकर सर उठा कर देखने की कोशिश करेंगे तो तुम सब के रीढ़ की हड्डीयां टुट जाएंगी l
देख हम कहाँ खड़ा हैं देख, सर उठा कर देख सकता है तो देख l

नौजवान सर उठाकर देखने की कोशिश करता है ठीक उसी समय उसके जबड़े पर भीमा घूंसा जड़ देता है l
वह नौजवान के मुहँ से खून की धार निकलने लगता है l


भैरव सिंह - हम तक पहुंचते पहुंचते हमारी पहली ही पंक्ति पर तेरी यह दशा है l तो सोच हम तक पहुंचने के लिए तुझे कितने सारे पंक्तियाँ भेदने होंगे और उन्हें तोड़ कर हम तक कैसे पहुँचेगा l चल आज हम तुझे हमारी सारी पंक्तियों के बारे जानकारी मिलेगी l तुझे मालूम था तू किससे टकराने की ज़ुर्रत कर रहा है पर मालूम नहीं था कि वह हस्ती वह शख्सियत क्या है l आज तु भैरव सिंह क्षेत्रपाल का विश्वरूप देखेगा l तुझे मालूम होगा जिससे टकराने की तूने ग़लती से सोच लीआ था उसके विश्वरूप के सैलाब के सामने तेरी हस्ती तेरा वज़ूद तिनके की तरह कैसे बह जाएगा l

नहीं...


कह कर वह कैदी चिल्ला कर उठ जाता है l उसके उठते ही हाथ लग कर बिस्तर के पास कुछ किताबें छिटक कर दूर पड़ती है और इतने में एक संत्री भाग कर आता है और कोठरी के दरवाजे पर खड़े हो कर नौजवान से पूछता है - क्या हुआ विश्वा l

विश्वा उस संत्री को बदहवास हो कर देखता है फ़िर चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान ले कर कहता है - क.. कुछ नहीं काका एक डरावना सपना आया था इसलिए थोड़ा नर्वस फिल हुआ तो चिल्ला बैठा l

संत्री - हा हा हा, सपना देख कर डर गए l चलो कोई नहीं यह सुबह थोड़े ही है जो सच हो जाएगा l हा हा हा हा

विश्वा धीरे से बुदबुदाया - वह सच ही था काका जो सपने में आया था l एक नासूर सच l

संत्री - कुछ कहा तुमने

विश्वा - नहीं काका कुछ नहीं l

इतने में दरवाजे के पास पड़ी एक किताब को वह संत्री उठा लेता है और एक दो पन्ने पलटता है फिर कहता है

संत्री - वाह विश्वा यह चौपाया तुमने लिखा है l बहुत बढ़िया है..

काल के द्वार पर इतिहास खड़ा है
प्राण निरास जीवन कर रहा हाहाकार है
अंधकार चहुंओर घनघोर है
प्रातः की प्रतीक्षा है चंद घड़ी दूर भोर है

वाह क्या बात है बहुत अच्छे पर विश्वा यह कानून की किताब है इसे ऐसे तो ना फेंको l


विश्वा - सॉरी काका अगली बार ध्यान रखूँगा क्यूंकि वह सिर्फ कानून की किताब नहीं है मेरे लिए भगवत गीता है l

संत्री - अच्छा अच्छा अब सो जाओ l कल रात ड्यूटी पर भेंट होगी l शुभरात्रि l

विश्वा - शुभरात्रि

इतना कहकर विश्वा संत्री से किताब लेकर अपने बिस्तर पर आके लेट जाता है l

×××××××××××××××××××××
सुबह सुबह का समय एक सरकारी क्वार्टर में प्रातः काल का जगन्नाथ भजन बज रहा है l एक पचास वर्षीय व्यक्ति दीवार पर लगे एक नौजवान के तस्वीर के आगे खड़ा है l इतने में एक अड़तालीस वर्षीय औरत आरती की थाली लिए उस कमरे में प्रवेश करती है और उस आदमी को कहती है - लीजिए आरती ले लीजिए l

आदमी का ध्यान टूटता है और वह आरती ले लेता है l फ़िर वह औरत थाली लेकर भीतर चली जाती है l
वह आदमी जा कर सीधे डायनिंग टेबल पर बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद वह औरत भी आकर उसके पास बैठ जाती है और कहती है - क्या हुआ सुपरिटेंडेंट साब अभी से भूक लग गई क्या आपको l अभी तो हमे पूरी जाना है फ़िर जगन्नाथ दर्शन के बाद आपको खाना मिलेगा l
आदमी - जानता हूँ भाग्यवान तुम तो जनती हो l आज का दिन मुझे मेरे नाकामयाबी याद दिलाता रहता है l

औरत - देखिए वक्त ने हमसे एक बेटा छीना तो एक को बेटा बना कर लौटाया भी तो है l और आज का दिन हम कैसे भूल सकते हैं l उसीके याद में ही तो हम आज बच्चों के, बूढ़ों के आश्रम को जा रहे हैं l

आदमी - हाँ ठीक कह रहे हो भाग्यवान l अच्छा तुम तो तैयार लग रही हो l थोड़ा चाय बना दो मैं जा कर ढंग के कपड़े पहन कर आता हूँ l फिर पीकर निकालते हैं l

इतना कह कर वह आदमी वहाँ से अपने कमरे को निकाल जाता है l
इतने में वह औरत उठ कर किचन की जा रही थी कि कॉलिंग बेल बजती है l तो अब वह औरत बाहर के दरवाजे के तरफ मुड़ जाती है l दरवाजा खोलती है तो कोई नहीं था नीचे देखा तो आज का न्यूज पेपर मिला उसे उठा कर मुड़ती है तो उसे दरवाजे के पास लगे लेटते बॉक्स पर कुछ दिखता है l वह लेटर बॉक्स खोलते ही उसे एक खाकी रंग की सरकारी लिफाफा मिलता है l जिस पर पता तापस सेनापति जेल सुपरिटेंडेंट लिखा था, और वह पत्र डायरेक्टर जनरल पुलिस के ऑफिस से आया था l

वह औरत चिट्ठी खोल कर देखती है l चिट्ठी को देखते ही उसकी आँखे आश्चर्य से बड़ी हो जाती है l वह गुस्से से घर में घुसती है और अपने पति चिठ्ठी दिखा कर पूछती है यह क्या है...?
a big congratulations mere bhai..ab tak aap hamare prashanshak the,ab hum aapke rahenge..

shuruat ki jadh gehri dikhayi hai aapne,aage ke safar ko jaanane ke liye bohot utsuk hun mai...

ek baaf phirse,badhayi ho...
 

Jaguaar

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Xforum के नियमित पाठकों को मेरा सादर प्रणाम हार्दिक अभिनंदन व शुभकामनाएं l
प्रतीक्षा करना वाकई बहुत पीड़ा दायक होता है l
मित्रों मैं इस फोरम में एक मूक पाठक था कुछ कहानियां मुझे इतना प्रभावित किए के उन कहानियों के रचनाकारों को अभिवादन करने हेतु मैंने इस फोरम में सदस्यता ली l
परंतु अपडेट की प्रतीक्षा ने मुझे बाध्य किया के कुछ और लेखकों के लेखन को पढ़ा और यह देखकर मैं अचंभित हो गया के बहुत से लेखक के लेखन, पात्र व घटना संचालन न केवल अकल्पनीय है बल्कि अद्भुत भी है l पर निरंतर अंतराल में उनसे अपडेट न आना प्रतीक्षा को पीड़ा दायक बना देता है l अपनी उस प्रतीक्षा का सम्मान करते हुए सोचा क्यूँ ना मैं अपनी कल्पना को लेखन के माध्यम से अंको के जरिए Xforum के पेज उकेर कर आपके समक्ष प्रस्तुत करूँ l
इसलिए मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं "विश्वरूप".....


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और मैं अपना सौ फीसद देकर निरंतर अंतराल में मतलब तीन या चार दिन के अंतराल में अपडेट प्रस्तुत करता रहूँगा l
:congrats: for starting the thread. Umeed hai story complete hogi aur updates regular aayenge.
 

Jaguaar

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SYNOPSIS

अहंकार के संरक्षण में अत्याचार, अनाचार, दुराचार, व्याभिचार पलता है.....

अहंकार के परछाई में अच्छाई छुप जाती है l अहंकार जो अपने वर्चस्व के लिए न्याय, सत्य धर्म को कुचल के रखने की कोशिश करता रहता है,
उसी अहंकार को अगर रूप व स्वरुप दें तो वह भैरव सिंह क्षेत्रपाल कहलाएगा जिसे पुरा राज्य राजा साहब के नाम से संबोधन करता है l भैरव सिंह क्षेत्रपाल का रौब रुतबा व दखल राज्य के शासन व प्रशासन तंत्र में भीतर तक है l
वह इतनी हैसियत रखता है कि जब चाहे राज्य की सरकार की स्थिति को डांवाडोल कर सकता है l
ऐसे ही व्यक्तित्व से भीड़ जाता है एक आम आदमी विश्व प्रताप महापात्र जिसे लोग विश्वा कहते हैं l उसी धर्म युद्ध में विश्वा भारी कीमत भी चुकाता है l

युद्ध में हथियार ही स्थिर व स्थाई रहता है जब कि हथियार चलाने वाले व हथियार से मरने वाले यानी कि हथियार के पीछे वाला व हथियार के सामने वालों की स्थान व पात्र काल के अनुसार बदलते रहते हैं, जिसके कारण युद्ध के परिणाम प्रभावित होता है l

जो कल हथियार को ले कर शिकार कर रहा था आज उसी हथियार से वह खुद शिकार हो रहा है l

इसी धर्म युद्ध के यही दो मुख्य किरदार हैं l बाकी सभी इनके सह किरदार हैं l इन्हीं के युद्ध का प्रतिफल ही "विश्वरूप" है l
यह कहानी सम्पूर्ण रूप से काल्पनिक है l इसके स्थान, पात्र व घटनायें सभी मेरी कल्पना ही है जो किसी जिवित या मृत व्यक्ति अथवा स्थान से किसी भी प्रकार से संबंधित नहीं है l

चूंकि मैं ओड़िशा से हूँ इसलिए इस कहानी का भौगोलिक विवरण एवं चरित्र चित्रण व संचालन ओड़िशा के पहचान से करूंगा l

मित्रों साथ जुड़े रहें
मैं अगले रवि वार को पहला अंक प्रस्तुत करूंगा l


🙏 🙏 🙏 धन्यवाद🙏🙏🙏
Jabardast. Synopsis mast hai. Isise pata chal raha hai kahani bhi mast hogi.
 
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