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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Sidd19

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भाई लोगों
विश्वकर्मा पुजा में बहुत व्यस्त हूँ
अपडेट आधा hi लिख पाया हूँ
समय नहीं मिल पा रहा है
कल पुजा है
पुजा समाप्त होने के बाद ही मैं बाकी का लिखना चालु करूंगा
रविवार सुबह दस बजे तक प्रस्तुत कर दूंगा
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Ajju Landwalia

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भाई लोगों
विश्वकर्मा पुजा में बहुत व्यस्त हूँ
अपडेट आधा hi लिख पाया हूँ
समय नहीं मिल पा रहा है
कल पुजा है
पुजा समाप्त होने के बाद ही मैं बाकी का लिखना चालु करूंगा
रविवार सुबह दस बजे तक प्रस्तुत कर दूंगा


Koi baat nahi Bhai,

We will wait
 

RAAZ

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👉एक सौ एक अपडेट
------------------------

रात गहरी हो चुकी थी l सारा जहान शायद सो चुका था l सहर के घरों में बत्तियां बंद थी सिर्फ सड़कों पर जलने वाले खंबो पर रौशनी चमक रहे थे l
बारंग रिसॉर्ट के एक आलीशान शूट में विजय जेना किसी मुजरिम के तरह हाथ बांधे खड़ा था l पिनाक सिंह एक सोफ़े पर बैठा अपनी ठुड्डी को हाथ पर रगड़ रहा है l वह कभी भैरव सिंह को देख रहा है, तो कभी विजय जेना को l भैरव सिंह एक सोफ़े पर अपनी आँखे मूँद कर बैठा हुआ है, हेड रेस्ट के दोनों तरफ हाथ फैला कर, पैर पर पैर मोड़ कर और सिर पीछे की तरफ लुढ़का कर छत की तरफ मुहँ कर के बैठा हुआ है l

विजय - र... राजा साहब...
भैरव सिंह - (उसी हालत में, विजय के तरफ बिना देखे) हूँ...
विजय - आ.. आई एम... स्स्स.. सॉरी...
पिनाक - अब सॉरी कहने से क्या होगा...
विजय - मु मु.. मुझे मालुम नहीं था... ऐसा कुछ होगा... जो आ.. आ.. आपके दिल को ठेस पहुंचाएगा....

भैरव सिंह अब अपना चेहरा सीधा कर विजय जेना की ओर देखता है l उसकी भाव हीन आँखे देख कर विजय जेना की कपकपि दौड़ जाता है l

विजय जेना - म... म.. मु... मुझसे गलती हो गई... मुझे सिर्फ... नियर एंड डियर को ही बुलाना चाहिए था...
भैरव सिंह - (बहुत गम्भीर आवाज में) नहीं... तुमसे कोई गलती नहीं हुई है... जेना...
विजय - गलती तो... हुई है राजा साहब... कम से कम... मुझे चेट्टी जी... और मिसेज सेनापति जी को... निमंत्रण देना ही नहीं... चाहिए था...
भैरव - चेट्टी.... हा हा हा हा हा... (हल्का सा हँसता है) ओंकार चेट्टी... वह कोई मसला नहीं है... उसकी हैसियत... बरसात की पहली झड़ी के बाद... शाम के वक़्त... उड़ने वाले उन चीटियों की बराबर है... जो आगे चलकर किसी कौवे और गौरैया के निवाले बन जाते हैं... ऐसों के लिए... बाज आसमान से कभी भी नीचे नहीं उतरता... मसला... उस लड़के का है... कौन है वह... कुछ था उसकी आँखों में...
पिनाक - हाँ... आपने ठीक कहा राजा साहब... उस लड़के को... आपसे ऐसे बातेँ नहीं करना चाहिए था...
भैरव - आप अभी भी... समझ नहीं पा रहे हैं.... छोटे राजा जी....
पिनाक - (चुप हो कर हैरानी से भैरव सिंह की ओर देखने लगता है)
भैरव सिंह - (विजय से) बैठ जाओ जेना...

विजय हिचकिचाते हुए सामने पड़ी एक सोफ़े पर बैठ जाता है l

भैरव सिंह - चेट्टी ने जो किया... उसमें हमारे लिए जितनी नफरत थी... उससे कहीं ज्यादा... उसके भीतर तड़प और बेबसी थी... हमें कुछ ना कर पाने की... इसलिए चेट्टी... हमारे लिए... कोई मसला नहीं है... बात... उस लड़के की है....
विजय - (झिझकते हुए) फिर से.. सॉरी राजा साहब... पर बुरा ना माने... तो एक बात पूछूं....
भैरव सिंह - हूँ...
विजय - आप कभी सामने वालों को भाव नहीं देते... हमेशा इग्नोर कर देते हैं... फिर ऐसे में... आज.. उस लड़के से उलझे क्यूँ...
पिनाक - हाँ राजा साहब... यह बात तो... मुझे भी बहुत खली.... आप... अपने सामने ऐसों को कभी कोई भाव नहीं देते... पर आज...

इससे आगे पिनाक कुछ पूछ नहीं पाता l भैरव सिंह पहले नॉर्मल हो कर बैठता है और फिर बाएँ हाथ को हैंड रेस्ट पर रख कर दाएँ पैर को मोड़ कर बाएँ पैर पर रखने के बाद अपने दाहिने हाथ को दाएँ घुटने पर रख कर विजय की तरफ देखता है l

भैरव सिंह - जरूरी नहीं.. कि हमें कोई पहचाने... या हम किसीको पहचाने... मगर किसी किसी की व्यक्तित्व... कुछ ऐसा होता है कि... हम ना चाहते हुए भी... हम उसे इग्नोर नहीं कर सकते.... Ya कर पाते.... वह उस वकील औरत के बगल में खड़ा था... पर उसका औरा... कुछ ऐसा था.. कि वह हमारी नजरों को... चुभने लगा था...
पिनाक - क्या... वह एक नौ जवान... जिससे शायद उसकी माँ की पल्लू भी ना छुटा हो... वह आपकी नजरों में आया... और चुभा....
भैरव सिंह - (विश्व की ख़यालों में खोते हुए) हाँ छोटे राजा जी... हाँ... वह अंग्रेजी में एक कहावत है.... यु कैन लाइक हीम... यु कैन हैट हीम... बट यु कैन नट... इग्नोर हीम.... (अपने ख़यालों में खोते हुए) उस भीड़ में... वह अकेला ऐसा था... जिसे हमारी नजर... इग्नोर ना कर पाया.... (एक पॉज लेकर) उसकी जुबान चल रही थी... उसकी जुबान कुछ कह रही थी... और उसकी आँखे कुछ और कह राही थी... जो आम था... की उसकी आँखे और जुबान... दोनों ही आग उगल रहे थे.. ना आग नहीं... लावा उगल रहे थे... जिसकी ताप... जिसकी आंच हमें दूर से भी... महसूस हो रही थी...


इतना कह कर भैरव सिंह चुप हो जाता है l विजय जेना और पिनाक उससे कुछ पूछ नहीं पाते, एक दुसरे को देखते हैं, फिर भैरव सिंह की ओर देखने लगते हैं l कुछ देरी की चुप्पी के बाद

भैरव सिंह - छोटे राजा जी... उस वकील औरत के साथ... क्या कभी कोई... हमारा किसी तरह का तार जुड़ा हुआ है...
पिनाक - तार.. हाँ पर... कोई चिंता की बात है क्या...
भैरव सिंह - (थोड़ी हैरान हो कर) कौनसा तार जुड़ा हुआ है....
पिनाक - यह वही औरत है... जो रुप फ़ाउंडेशन स्कैम में... विश्व के खिलाफ... सरकारी वकील थी.... फिर... उसके बेटे की मौत के बाद... नौकरी छोड़ दी... प्राइवेट प्रैक्टिस कर... इस मुकाम तक पहुँची है....
भैरव सिंह - (हैरान हो कर) अगर बेटा मर गया था... तो यह...
विजय - यह उनकी दुसरा बेटा है... सुना है... जुड़वा है... कहीं बाहर रहता था... अभी लौट कर आया है....

यह सब सुनने के बाद भैरव सिंह फिरसे कुछ सोचने लगता है l यूँ ही अपनी सोच में गुम भैरव सिंह पिनाक से पूछता है l

भैरव - छोटे राजा जी... इन कुछ दिनों में... क्या कुछ ऐसा हुआ है... जिसकी हमें जानकारी होनी चाहिए... पर नहीं है....
पिनाक - राजा साहब... आप तो जानते होंगे... इन कुछ दिनों में... विश्व... जैल से छूट गया है... और रुप फाउंडेशन स्कैम की केस को... फिर से खोलने की जुगाड़ में है.... इससे ज्यादा... हमारे पास और कोई जानकारी नहीं है...
भैरव सिंह - हूँ... यह रोणा और प्रधान... इन्हें खबर कीजिए... हमसे आकर मिलने के लिए...
पिनाक - (थोड़ा हिचकिचाते हुए) वह आए थे... आपसे... इस बारे में बात करने के लिए... की विश्व रुप फाउंडेशन स्कैम की केस को रिओपन करने वाला है... पर कटक और भुवनेश्वर में... वे दोनों विश्व से मुहँ की खाए... तो हमने ही उन्हें... वापस राजगड़ भेज दिया.. ताकि वहाँ पर बैठ कर... ठंडे दिमाग से... विश्व के खिलाफ अच्छे से प्लान करें... और उस पर अमल करें.... ताकि कोई रिजल्ट निकले...

यह सुन कर भैरव सिंह हैरान होता है l और पिनाक सिंह को घूरने लगता है l

भैरव सिंह - रुप फाउंडेशन केस... रिओपन करेगा... (भैरव सिंह के ऐसे पूछने पर पिनाक थोड़ा हड़बड़ा जाता है)
पिनाक - जी... विश्व राजगड़ नहीं गया है... वह या तो कटक में है... या फिर भुवनेश्वर में है... अपना जुगाड़ लगा रहा है... केस को रिओपन करने के लिए...

भैरव सिंह, विजय जेना की तरफ देखता है l विजय जेना कुछ समझ नहीं पाता l

पिनाक - जेना बाबु... क्या कोई सजायाफ्ता मुजरिम... जिस केस में उसे सजा हुई हो... अपनी सजा पुरा कर लेने के बाद... क्या उस केस को खुलवा सकता है...
विजय - केस तो... कभी भी खुलवाया जा सकता है... बशर्ते... अदालत के सामने कोई ठोस दलील पेश हो....
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... ठोस दलील... उसके लिए कोई वकील चाहिए... है ना...
विजय - जी... पर एक आम आदमी भी... बिना वकील के अपना केस लड़ सकता है... संविधान की अनुच्छेद उन्नीस और बत्तीस.... उसे यह अधिकार देता है...
पिनाक - क्या... (ऐसे रिएक्ट देता है जैसे उसे शॉक लगा हो) ऐ.. ऐसे कैसे... कैसे हो सकता है...
विजय - क्या मतलब... यह संविधान है... उसमें हम क्या कर सकते हैं... एक आम नागरिक अदालत में.. लॉ शूट कर सकता है... उसे संविधान वह अधिकार देता है...
पिनाक - (विजय से) अगर... वह एक... वकील निकला तो...
विजय - क्या मतलब... वकील निकला तो... (भैरव सिंह की ओर देख कर पूछा था सवाल)

भैरव सिंह भी पिनाक की बात सुन कर हैरान होता है और सवालिया नजर से पिनाक की ओर देखता है l

पिनाक - (भैरव सिंह को देख कर) राजा साहब... विश्व अभी बीए एलएलबी है... (अटक अटक कर) उसने... ज..जैल में रह कर.... लॉ की ...डिग्री हासिल की है...

यह सुनने के बाद भैरव सिंह की भवें सिकुड़ जाते हैं और माथे पर शिकन दिखने लगता है l उसे लगता है जैसे उसके हर ओर अंधेरा ही अंधेरा छा जाती है, उसे हर तरफ एक नहीं अनेकों वैदेही आते दिखाई देने लगती है l उसके कानों में वैदेही दंभ भरी हँसी और बातेँ गूंजने लगती हैं l

पिनाक - राजा साहब...
भैरव सिंह - (पिनाक की आवाज सुन कर भैरव सिंह होश में आता है) रोणा और प्रधान... और क्या क्या बताएं हैं...
पिनाक - यही की... ओड़िशा हाई कोर्ट और होम मिनिस्ट्री के पीआईओ से... आरटीआई के द्वारा... रुप फाउंडेशन के जांच से जुड़े सभी दस्तावेज... और गवाहों के नाम की जानकारी मांगा है...

धीरे धीरे भैरव सिंह की मुट्ठीयाँ कड़ कड़ आवाज़ करते हुए भींच जाती हैं l वह पिनाक सिंह की ओर जिस तरह से देखता है भले चेहरे पर कोई भाव ना हो पर पिनाक समझ जाता है भैरव सिंह उससे नाराज है l

भैरव सिंह - जेना... तुम्हारी बेटी की... शादी की रिसेप्शन पार्टी में जो हुआ... उसे तुम दिल पर मत लो... जाओ... कल खुशी खुशी अपनी बेटी को... उसकी नई जिंदगी के लिए.... आशीर्वाद के साथ विदा करो... शायद आने वाले दिनों में... हमारा और तुम्हारा... काम बढ़ने वाला है...
विजय - जी राजा साहब... बंदा आपकी सेवा में... हरदम हाजिर रहेगा...

कह कर विजय कुमार जेना वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद भैरव सिंह अपनी जगह से उठ खड़ा होता है l उसके खड़े होते ही पिनाक भी खड़ा हो जाता है l

पिनाक सिंह - मु.. मुझे... माफ कर दीजिए... राजा साहब... मुझे लगा... उस दो टके विश्व के लिए... आप क्यूँ परेशान होंगे... हम... रोणा और प्रधान के साथ मिल कर... विश्व को संभाल लेंगे... क्यूंकि हमे लगा... आप विश्व के बारे में सोच कर... बेकार में उसका कद और रुतबा बढ़ायेंगे...
भैरव सिंह - (पिनाक की ओर देख कर) कोई बात नहीं है... छोटे राजा जी... हम आपके मन की भावनाओं को समझते हैं... पर यह भी सच है... वह हम से टकराने के लिए... खुद को लायक बना लिया है...
पिनाक - तो ठीक है ना... हम उसे मार देते हैं... पहले आप बैठ जाइए... प्लीज...
भैरव सिंह - (पिनाक की ओर देखता है)
पिनाक - चलिए ठीक है... उसने खुद को लायक बना लिया है... पर इसका मतलब यह तो नहीं... की उसने अपना कद.... आपके बराबर ऊंचा कर लिया है.... आप बैठ जाइए प्लीज...
भैरव सिंह - (बैठते हुए) छोटे राजा जी... रोणा और प्रधान... अभी यहीँ भुवनेश्वर में हैं... या राजगड़ चले गए हैं....

पिनाक सिंह अपना फोन निकाल कर बल्लभ को फोन लगाता है l


×_____×_____×_____×_____×_____×_____×


विश्व घर के बाहर कार को पार्क करता है और डोर खोल कर टुन तापस को अपनी बाहों में उठा कर घर की ओर ले जाता है l जब तक वह घर के दरवाजे तक पहुँचता तब तक प्रतिभा लॉक खोल कर बेड रुम का दरवाजा खोलती है l विश्व बेड पर तापस को बड़े जतन से सुलाता है l विश्व का तापस को यूँ सुलाना प्रतिभा के चेहरे पर एक प्यार भरी मुस्कान ले आती है l
प्रतिभा फिर बेड रुम से निकल कर ड्रॉइंग रुम में आती है और सोफ़े पर फैल कर बैठ जाती है, जैसे वह बहुत थकी हुई हो l उसकी आँखे बंद थीं और उसका चेहरा छत की ओर था I उसके चेहरे पर एक मुस्कान वैसे ही सजी हुई थी और रौनक झलक रही थी l वह रास्ते में पुरी तरह से शांत थी l विश्व का भैरव सिंह के साथ कहीं मुलाकात ना हो जाए, इस बात का डर था उसके मन में, पर पार्टी में जो हुआ, उसे देखने के बाद उसके मन में वह डर अब नहीं था l आज विश्व अपने लिए नहीं, उसके लिए, उसके सम्मान के लिए भैरव सिंह से जुबान लड़ाया l

विश्व - माँ...
प्रतिभा - (बिना आँखे खोले और वैसे ही बैठे) हूँ...
विश्व - बुरा लगा...
प्रतिभा - (एक जगमग मुस्कान के साथ सीधी हो कर बैठ जाती है) नहीं रे.. (अपने पास बुलाते हुए) आ मेरे पास बैठ...(विश्व के बैठने के बाद) बिल्कुल भी डर नहीं लगा... आज तो तुने मुझे पंख दे दिया... जी चाह रहा था... उड़ुँ... उड़ती ही फिरुँ...
विश्व - (मुस्कराते हुए) सच में... बुरा तो नहीं लगा ना...
प्रतिभा - (विश्व को ममता भरी नजर से देखते हुए) मेरी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है तुझे... अरे.. तुने मेरे लिए... जिस तरह से जुबानी जंग की... मेरी छाती चौड़ी कर दी तुने... मेरा सिर तब... गर्व से तनी हुई थी... क्या बताऊँ... मुझे कैसा लग रहा था... आख़िर वकील बेटा है मेरा तु... तेरे दलील के आगे... कौन टिक सकता है... तुने देखा नहीं... पाँच मिनट के अंदर ही... उस राजा साहब की औकात... दो कौड़ी की कर दी तुने... कोई महसुस किया हो या ना हो... भैरव सिंह को तो महसुस हुई है... बस... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) एक दुख... रह गया...
विश्व - (हैरान हो कर) क्या... कैसा दुख...
प्रतिभा - भैरव सिंह की बेटी को देखना चाहती थी...रुप... रुप नाम है ना उसका... मैं रुप से मिलना चाहती थी... देखना चाहती थी.... वह नहीं हो पाया...
विश्व - (चुप रहता है)
प्रतिभा - खैर... भाश्वती ने बताया कि उसके सारे दोस्त आए हुए हैं... पर...
विश्व - पर... पर क्या माँ...
प्रतिभा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) पर... आज पार्टी में... नंदिनी भी.... ना दिखी... ना मिली...
विश्व - माँ.. रात बहुत हो गई है... चलो सो जाओ...
प्रतिभा - हाँ... ठीक कहा... रात बहुत हो गई है...

प्रतिभा इतना कह कर उठती है और किचन की ओर जाने लगती है l उसे किचन में जाते देख

विश्व - वहाँ कहाँ जा रही हो माँ..
प्रतिभा - (विश्व की ओर मुड़ते हुए) अरे पानी लेने जा रही हूँ...
विश्व - तुम अपनी कमरे में जाओ... पानी मैं लता हूँ...
प्रतिभा - अरे... इतनी बुढ़ी भी नहीं हो गई हूँ... हाँ...
विश्व - ओह ओ... तुमसे बात करना भी फिजूल है...

इतना कह कर विश्व प्रतिभा के पास आता है और उसे अपनी बाहों में उठा कर बेड रुम में लेजाकर बेड पर बिठा देता है l

विश्व - (प्रतिभा कुछ कहने को होती है) श्श्श्श... तुम यहीं पर बैठो... मैं पानी लाता हूँ... पी कर सो जाना... और हाँ... सुबह जल्दी उठने की कोई जरूरत नहीं...
प्रतिभा - ठीक है मेरे बाप....

कह कर विश्व मुड़ कर किचन में चला जाता है l प्रतिभा की आँखे नम हो जाती है l थोड़ी देर बाद विश्व एक भरी हुई ग्लास के साथ एक पानी का जग भी लाया था l प्रतिभा ग्लास से पानी पी लेती है और खाली ग्लास उसके हाथो में थमा देती है l

प्रतिभा - बेटा है... बाप बनने की कोशिश क्यूँ कर रहा है...
विश्व - हो गया...
प्रतिभा - क्या...
विश्व - मैंने कहा... हो गया...
प्रतिभा - हाँ हो गया...
विश्व - तो बस... अब तुम... एक छोटी बच्ची की तरह सो जाओ...
प्रतिभा - सो तो जाऊँ... पर अगर तु लोरी सुनाएगा...


विश्व अपने कमर में हाथ रख कर प्रतिभा को देखने लगता है l प्रतिभा हँसते हुए बिना ना नुकुर किए तापस के बगल में लेट जाती है l विश्व वहीँ टेबल पर जग को रख कर उस कमरे से निकल कर अपने कमरे में आता है l आते ही पहले अपने जेब में हाथ डालता है l जेब में से एक मुड़ी हुई काग़ज़ निकालता है l उस काग़ज़ को देख कर विश्व पार्टी में जो हुआ उसे याद करने लगता है l

पार्टी में

विश्व के मुहँ से निडरता से जवाब सुनने के बाद भैरव सिंह अपने चारों तरफ नजर घुमा कर देखता है l कुछ लोग वहाँ पर जो आसपास थे उन दोनों के बीच हो रही जुबानी जंग को आँख और मुहँ फाड़े देख रहे थे l जैसे ही भैरव सिंह को नजर घुमाते देखते हैं सभी अपनी आसपास खुद को ऐसे व्यस्त कर देते हैं, जैसे वहाँ पर क्या हुआ किसीको उस बारे में कोई मालूमात ही नहीं थी l मगर भैरव सिंह के लिए वह बहुत कुछ था जो हो गया था I वह वहाँ से पलट कर सीधे बाहर निकल जाता है l उसके पीछे पीछे विजय कुमार जेना भी बाहर चला जाता है l विश्व बिना किसी को भाव दिए बफेट काउंटर से अपना और प्रतिभा का थाली बना कर एक टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगता है l प्रतिभा थाली लेकर टुन पड़े तापस के पास जाकर बैठ कर खाना खाने लगती है l कुछ देर बाद खाना खाते समय विश्व के पास एक सर्विस बॉय आता है, और वह विश्व से पूछने लगत है

बॉय - सर... और कुछ...
विश्व - नहीं...
बॉय - ठीक है सर... यह पानी लीजिए...

बॉय एक पानी की बोतल वहाँ पर रख देता है और एक टिशू पेपर भी देकर वहाँ से चला जाता है l विश्व का खाना खतम होते ही वही टिशू पेपर उठाता है, वह अपना हाथ पोछने को होता है कि उसकी नजर उस टिशू पेपर पर पड़ता है l देखता है उसमें कुछ लिखा हुआ है l विश्व उसे पढ़ता है

"मिस्टर विश्व प्रताप महापात्र... मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा... 24/7 हाई वे इन रेस्टोरेंट में... टेबल नंबर 27 पर... आ जाना...सुबह तक इंतजार करूंगा... तुमसे मुलाकात करनी है... कुछ बात करनी है... इसलिए आ जाना... मर्द हो... जरूर आओगे... अगर नहीं आए... तो कल सुबह मैं... तुम्हारे घर पर पहुँच जाऊँगा..."

विश्व चिट्ठी पढ़ने के बाद बिना इधर उधर देखे, उसे मोड़ते हुए अपनी जेब में रख लेता है और वॉशरुम में हाथ धोने के लिए चला जाता है l हाथ धोते हुए वह अपनी चेहरे पर पानी मारता है l फिर अपनी भीगे चेहरे को आईने में देखने लगता है l फिर अपना चेहरा साफ करने के लिए वह अपने शूट के बाएँ जेब से जैसे ही रुमाल निकालता है l वह बड़ी सी गुलाब का फूल नीचे गिरता है जिसे भाश्वती ने उसके जेब पर लगया था l विश्व गिरते फूल को पकड़ने की कोशिश करता है, पर पुल गिर जाता है बस एक दो पंखुड़ियां उसके हाथ में रह जाती हैं l फुल जैसे ही फर्श पर टपकती है उसके भीतर से एक बटन जितनी आकार के एक माइक बाहर आ जाती है l विश्व हैरान हो जाता है, उसकी भवें सिकुड़ जाती हैं, वह झुक कर माइक को हाथ में लेता है l

तभी मोबाइल पर मैसेज ट्यून बजते ही विश्व अपनी खयाल से बाहर आता है I मोबाइल निकाल कर देखता है मेसेज सीलु का था

"भाई आधे घंटे में पहुँच रहा हूँ, तैयार रहना"

विश्व फौरन उस चिट्ठी को अपने जेब में रख देता है और अपना पर्स निकालता है l पर्स में से एक पचास पैसे की कएन निकाल कर खिड़की के पास पहुँचता है I खिड़की में लोहे की ग्रिल लगी हुई थी जो आठ स्क्रीयु से फ्रेम से जुड़ी हुई थी l विश्व उस कएन से सारी स्क्रीयुस् को खोलने लगता है l सिर्फ पाँच मिनट में सारी स्क्रीयुस् खोल कर ग्रिल निकाल कर कमरे के अंदर रखता है और फिर खिड़की से बाहर आ जाता है l विश्व बाहर आकर बाहर से खिड़की बंद कर वहाँ से भागते हुए मैन रोड पर आता है l इधर उधर नजर घुमाता है l उसे कोई नहीं दिखता अपना घड़ी देखता है सीलु के आने में बीस मिनट बाकी हैं I वह अपना मोबाइल निकालता है और कॉल लिस्ट खंगालता है, नकचढ़ी देख कर उसे क्लिक करता है l अपनी आँखे बंद करने के साथ साथ जबड़े भी भींच लेता है और खुद को नॉर्मल करता है फिर कॉल लगाता है l कॉल जाने की इंतजार कर रहा था कि उधर कॉल लिफ्ट हो जाती है l

रुप - (धीमी आवाज़ में) है.. हैलो...
विश्व - हैलो... (अपने हाथ में माइक को लेकर देखते हुए) नंदिनी जी...
रुप - जी...
विश्व - क्या आपको मालुम था... मैं कॉल करूँगा... रिंग हुआ भी नहीं और... कॉल उठा लिए आपने...
रुप - नहीं... ऐसी बात नहीं है... असल में... मैं तुम्हें कॉल लगाना चाहती थी... और इत्तेफाक से... तुमने कॉल लगा दिया...
विश्व - अच्छा...
रुप - क्यूँ... मैं तुमसे... झूठ क्यूँ बोलुंगी...
विश्व - वैसे... इस माइक से... क्या जानना चाहती थीं आप...
रुप - क्या.. क्क्क...कौनसी माइक... मैं वह..
विश्व - नंदिनी जी... अब तक आप मेरा नाम... सिर्फ प्रताप जानती थीं... विश्व प्रताप है... यह आप आज जान गई होंगी...
रुप - हाँ... नहीं... मेरा मतलब है... हाँ..

दोनों कुछ देर के लिए ख़ामोश हो जाते हैं l विश्व क्या पूछे कैसे पूछे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था l उधर रुप की भी वही हालत थी l उसे बात कैसे आगे बढ़ानी है वह समझ नहीं पा रही थी l वह अपनी दाहिनी अंगूठे की नाखुन को चबा रही थी l थोड़ी देर की खामोशी के बाद

विश्व - नंदिनी जी...
रुप - हूँ...
विश्व - आप मुझसे... दोस्ती खतम कर दीजिए....
रुप - (झटका खाते हुए) क्यूँ...
विश्व - मैं शायद... भरोसे के लायक नहीं हूँ... मैं शायद... आपकी दोस्ती में... ईमानदार नहीं हो पा रहा हूँ...
रुप - (हैरानी भरे घुटी आवाज में) ये.. यह कैसी बात कर रहे हो... प्रताप...
विश्व - हमारी दोस्ती.. दोस्ती तक ही रहे... रहना ही चाहिए... इसलिए... मैं आज... आपको गवाह बना कर... कुछ फैसला करना चाहता हूँ...
रुप - प्रताप... क्या कह रहे हो...
विश्व - नंदिनी जी... प्लीज... आप... आप बीच में कुछ ना बोलें... प्लीज...
रुप - (चुप हो जाती है)
विश्व - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) नंदिनी जी... हमारी पहली मुलाकात एक थप्पड़ से शुरु हुई थी... याद है... और आखिरी बार थप्पड़ पर ही खतम हुई थी... सत्ताइस दिन हो गए... इन सत्ताइस दिनों में... हमारी दोस्ती हुई... (हल्का सा हँसते हुए) दोस्ती... नोक झोंक तक परवान चढ़ी.... पर ...शायद इसे ...होना नहीं चाहिए था...
रुप - ( सांसे भारी होने लगती है, जिसे विश्व साफ महसूस करता है)
विश्व - नंदिनी जी... इस दोस्ती को लेकर... आपके दिल में क्या... ख्वाहिशें करवटें लेने लगीं... मैं नहीं जानता... पर मैं शायद दोस्ती के राह में... भटकने लगा... नंदिनी जी... मैं.. (पॉज लेकर) मैं.. किसी के जीवन से... वचन से... बंधा हुआ हूँ... मैं उनके साथ सात... साल तक जुड़ा रहा... और फिर आठ साल तक अब उनसे दुर रहा हूँ... पुरे पंद्रह सालों बाद.. जब पहली बार मैंने अपनी दिल की सुनी... एक चेहरा धुँधला सा... मेरे दिल के आईने में तब तब झांकने लगा... जब जब आप मेरे सामने आईं... उनके चेहरे पर गुस्सा बहुत भाता था... बिल्कुल आपकी तरह... जिद उनकी शख्सियत पर... चार चांद लगा देती थीं... नंदिनी जी... जब इस दुनिया में... मेरा कोई नहीं था... मैं किसीका नहीं था... मैं शायद किसीको जरूरत भी नहीं था... तब... तब वह मेरी जिंदगी आईं... मुझ पर हक जमाती थीं... गुस्से से... हक से.. जिद से...मैं उनकी... वह मेरी... हम एक दुसरे के जरूरत बन गए थे... तब मेरी जिंदगी में वह सबसे खास थीं... बहुत खास थीं... पर शायद मैं उन्हें भुला दिया था.. भुला चुका था... पर जब आप आईं... वह याद आने लगीं... मुझे मेरे वादे.. याद आने लगीं... फिर भी... मैं आपकी तरफ फिसलता रहा... हर रोज... मैं खुद से लड़ता रहा... आपसे कभी ना मिलने की कसमें खाता था... यहाँ तक... खैर... मेरे वह सारे कसमें टुट जाते थे... जब आप मेरे सामने आती थीं... मैं आज तक उलझन में था.... पर... आज किसी से मुलाकात हुई... माइक पर आप ने सुना ही होगा... उसके बाद मुझे एहसास हुआ है... मैंने किसी से कुछ वादे किए हैं... मैंने खुद से भी... कुछ वादे किए हैं... अब उन वादों को निभाने का वक़्त आ गया है....
अब मैं निश्चिंत हूँ... अब मैं किसी दो राहे पर नहीं हूँ... नंदिनी जी... अगर मेरी किसी हरकत के वजह से... आपके दिल में... मेरे लिए... दोस्ती से बढ़ कर... कोई एहसास जगाया है... तो वह थप्पड़... जायज था... मैं इस बात के लिए... आपका गुनाहगार रहूँगा... इस बात पर... आप माफ करें या ना करें... यह आपकी मर्जी पर छोड़ रहा हूँ.... मैं आपसे दोबारा... मिलना नहीं चाहता हूँ... और मैं अभी से... अपनी मोबाइल पर... आपका नंबर ब्लॉक कर रहा हूँ.... (विश्व चुप हो जाता है)
रुप - (चुप रहती है, आँखों से उसके आँसू बहते ही जा रहे थे, उसकी साँसें थर्रा जा रही थी, विश्व उसकी हालत को महसूस कर पा रहा था)
विश्व - नंदिनी जी...
रुप - हूँ...
विश्व - आई एम सॉरी....

विश्व कॉल कट कर देता है, अपनी आँखों के किनारे से बहते आंसुओं को पोंछता है और फिर फोन की सेटिंग पर जा कर नकचढ़ी को ब्लॉक कर देता है l तभी उसके सामने एक कार पहुँचती है l कार से सीलु उतरता है l सीलु गाड़ी से उतर कर विश्व को चाबी देता है l

विश्व - कहाँ से जुगाड़ किया...
सीलु - भाई... अपना यहाँ कनेक्शन... तुम तो जानते हो ना...
विश्व - ठीक है... खिड़की बाहर से बंद है... घर पर ही रुकना...
सीलु - ठीक है भाई... पर माँ को तुमने... नींद की गोली दे तो दी ना...
विश्व - हाँ.. दे दी है... फिर भी... तुम मेरे बेड पर लेटे रहना... वैसे थैंक्स...
सीलु - क्या भाई... तुम भी ना...
विश्व - माँ को पानी में मिला कर दे दिया है... अब शायद सुबह तक नहीं जागेगी... उसके लिए भी थैंक्स... मेरे मैसेज करते ही... नींद की पिल्स जुगाड़ कर... तुमने कार पर रख दिया था...
सीलु - क्या भाई... थैंक्स बोल कर खुद से दूर कर रहे हो...
विश्व - सॉरी यार...

कह कर विश्व उसे गले लगा लेता है l थोड़ी देर बाद सीलु विश्व से अलग होता है और विश्व के कमरे की खिड़की की ओर चला जाता है l विश्व गाड़ी स्टार्ट करता है और वहाँ से निकल जाता है l

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फोन पर विश्व की बातेँ सुनने के बाद रुप अपनी दोनों बाहें फैला कर बेड पर लेटी हुई है l उसके आँखों में आंसू हैं पर चेहरे पर एक सुकून भरा रौनक भी है l वह अपनी फोन निकालती है और रिसेंट कॉल लिस्ट में बेवकूफ़ देख कर मुस्कराती है और फिर कॉल करती है l कोई रिंग नहीं जाती, कॉल कट जाती है l रुप अपनी मोबाइल स्क्रीन पर बेवक़ूफ़ को तैरते हुए देखती है, और हँस देती है l तभी उसके कमरे के बाहर दस्तक सुनाई देती है l वह चौंक कर अपनी बेड पर उठ बैठती है

रुप - (उबासी लेने के अंदाज में) कौनन्..
शुभ्रा - मैं... तुम्हारी भाभी...
रुप - ओह... एक मिनट... भाभी...

रुप अपनी आँखे पोंछ कर आँखों के नीचे थोड़ी पाउडर लगा कर खुद को काफी हद तक नॉर्मल करने की कोशिश करती है l फिर जाकर दरवाजा खोलती है l रुप को शुभ्रा बहुत परेशान लगती है l

रुप - क्या हुआ भाभी... आप... इतनी परेशान क्यूँ हैं...
शुभ्रा - मैं... अंदर आऊँ...
रुप - भाभी... घर आपका है... मैं यहाँ मेहमान हूँ... इस कमरे में आने के लिए... आपको मेरी इजाजत लेने की जरूरत नहीं है... यह मैं कितनी बार कह चुकी हूँ...

शुभ्रा कुछ नहीं कहती सीधे जा कर बेड के किनारे बैठ जाती है l रुप थोड़ी हैरान होती है फिर वह चल कर उसके पास आकर बैठती है l

रुप - क्या हुआ है भाभी... भ... भैया ने कुछ कहा है क्या...
शुभ्रा - तुम्हारे भैया... मुझसे कुछ कहते तो... बहुत अच्छा रहता... पर... (सुबकने लगती है)
रुप - क्या हुआ भाभी प्लीज... आप... रोइये मत... प्लीज... क्या आपके और भैया के बीच... फिर से कुछ हुआ है क्या...
शुभ्रा - फिर से मतलब... क्या फिर से नंदिनी...
रुप - आपके बीच तो.... सब कुछ ठीक हो गया था ना भाभी...
शुभ्रा - कहाँ... पहले अलग अलग रहते थे... अब पास पास रहते हैं... तब दूर दूर रहते थे... अब करीब बहुत करीब हैं... पर जब आवाज देती हूँ... तो ऐसा लगता है... जवाब किसी दूर गहरी खाई से आ रही हो... हम एक दुसरे के पास तो हैं... पर फिर भी... हमारे बीच दूरी है... (यह बात सुन कर रुप को झटका सा लगता है)
रुप - अब भैया कहाँ हैं... भाभी...
शुभ्रा - यही तो मैं नहीं जानती... पता नहीं... घर भी नहीं आए हैं अभी तक...
रुप - भाभी... हो सकता है... वीर भैया के पास गए हों...
शुभ्रा - नहीं... वीर चाची माँ के साथ सर्किट हाउस में हैं... वहाँ पर विकी गए नहीं हैं...
रुप - तो आपने... भैया को फोन क्यूँ नहीं किया...
शुभ्रा - किया था... पर उनका फोन स्विच ऑफ आ रहा है....
रुप - क्या... स्विच ऑफ...

रुप को याद आने लगता है आज पार्टी में प्रताप और विक्रम की मुलाकात हुई थी, दोनों के बीच बातेँ भी हुई थी l उसने सारी बातेँ सुनी भी थी l

शुभ्रा - तुम क्या सोचने लगी नंदिनी...
रुप - हाँ... कु... कुछ नहीं... क्या आपने... महांती से भी पूछा...
शुभ्रा - हाँ... महांती भी बोले... विकी की मोबाइल स्विच ऑफ आ रही है... पर घबराने से मना किया है... एक आध घंटे के भीतर खबर करेंगे... ऐसा कहा है...


फिर कुछ देर के लिए दोनों चुप हो जाते हैं l दोनों एक दुसरे की देखने लगते हैं l

रुप - भाभी... (अटक अटक कर) मुझे लगता है... शायद भैया... आज थोड़े अपसेट होंगे...
शुभ्रा - अपसेट... क्यूँ... किस लिए...
रुप - भाभी... यह तो आप जानते ही हैं... आज प्रताप भी पार्टी में आया हुआ था... पार्टी में.... आज उन दोनों का आमना सामना हुआ था...
शुभ्रा - (झट से खड़ी हो जाती है) क्या... (फिर अचानक) पर... ओह गॉड... यह मैं कैसे भूल गई...
रुप - हाँ भाभी... शायद... भैया इसलिए... थोड़े अपसेट होंगे...
शुभ्रा - (थोड़ी देर की चुप्पी के बाद) नंदिनी... तुम्हारे विकी भैया ने मुझसे कहा था... जब तक प्रताप पर... मुझे बचाने जितना कोई बड़ा एहसान नहीं कर लेते... तब तक... प्रताप से दुश्मनी की... बिल्कुल नहीं सोचेंगे...
रुप - हाँ पर... भाभी जरा यह भी सोचो ना... जब प्रताप से भैया का सामना हुआ... तब उनकी मनस्थिति कैसी रही होगी...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म... एक तो मेहमान... किसी और की महफिल... अच्छा... क्या बातेँ हुईं उनके बीच...
रुप - कुछ नहीं... बस... जिसे ढूंढ रहे थे... वह आज दिख गई... पर मिली नहीं... वगैरह वगैरह...
शुभ्रा - अच्छा... मैं अपने कमरे में चलती हूँ... (जाने लगती है)
रुप - ठीक है भाभी...
शुभ्रा - (फिर पीछे मुड़ कर) नंदिनी... क्या तुम अभी... प्रताप को फोन लगा सकती हो...
रुप - (चौंक कर) क्या... पर क्यूँ...
शुभ्रा - (रुप के पास आकर) लगाओ ना प्लीज... कहीं यह उसके पास ना चले गए हों....
रुप - (शर्मिंदगी से अपना सिर झुका कर) वह भाभी... प्रताप को माइक के बारे में... पता चल गया... इसलिए उसने मुझे... ब्लॉक कर दिया है...
शुभ्रा - क्या....

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चर्र्र्र्र्...
गाड़ी 24/7 हाई वे इन के सामने रुकती है l विश्व इधर उधर देख कर गाड़ी को पार्क करता है और रेस्टोरेंट में घुसता है l टेबल नंबर सत्ताइस ढूंढने लगता है, एक वेटर को पूछता है तो उसे वह वेटर टेबल दिखा देता है l वह सत्ताइस नंबर की टेबल एक कोने पर पड़ा हुआ था, रेस्टोरेंट के भीड़ से अलग l विश्व को वहाँ पर उसे विक्रम बैठा दिख जाता है l विश्व सीधे जा कर उसके सामने बैठ जाता है l उसके बैठते ही दोनों एक दुसरे को देखने लगते हैं l विक्रम के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान उभरती है l

विक्रम - मिस्टर विश्व प्रताप महापात्र... आखिर आ गए...
विश्व - बड़ी तड़प थी तुम्हें... मुझसे मिलने की... अकेले में बुलाया होता.... ऐसे भीड़ वाले जगह पर क्यूँ बुलाया...
विक्रम - हाँ... जानता हूँ... मर्द हो... कहीं पर भी आ सकते हो... बस तुमसे बात करना चाहता था... फेस टु फेस...
विश्व - अच्छा... तो क्या बात करना है तुम्हें...
विक्रम - तुम (सीरियस हो जाता है) विश्व प्रताप महापात्र... बीए एलएलबी... वाकई... बड़े वकील निकले... पहले ज़ख़्म दिए... और उसके बाद ज़मानत भी करवा लिए..
विश्व - क्या मतलब..
विक्रम - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए)(जबड़े भींच कर) ओरायन मॉल की पार्किंग में... तुमने मेरे आदमीओं को मारा... और उसके बाद तुमने मुझे मारा...
विश्व - तो... हर गलती की सजा होती है... मैंने वहाँ पर किसी को मारा नहीं था... सजा दी थी... जिन लोगों ने मेरी माँ के साथ बदतमीजी की थी...
विक्रम - मैं हार जाता... तो चलता... मगर तुम्हारे दिए हुए चोट... मेरे दिल पर छप गए...
विश्व - तो... तुम्हारे आँखों के सामने ही तो था... अपने आदमियों से ढूंढ़ा क्यूँ नहीं...
विक्रम - बात मेरी पर्सनल हो गई थी... खुन्नस निजी हो चुकी थी... किसी को इसमे घुसने की इजाजत नहीं थी... इसलिए खुद ही ढूंढ रहा था...
विश्व - तो... आज मिल गया ना... बातों से वक़्त जाया क्यों कर रहे हो फिर... खुन्नस निकालने में... झिझक महसूस हो रही है...
विक्रम - एक उपकार भी है तुम्हारा मुझपर... मेरी जान... मेरी जिंदगी को बचाया था तुमने... रंगा से...
विश्व - ओ... तो इसलिए मुझ पर... खुन्नस उतार नहीं पा रहे हो...
विक्रम - हाँ...
विश्व - कमाल है... अगर मैं ना आता... तो घर पहुँचने की बात कर रहे थे...
विक्रम - ताकि... तुम... मुझसे... सावधान रहो...
विश्व - सावधान... बड़ा अच्छा लफ्ज़ है...
विक्रम - घबराओ नहीं... हमारे घर में... सिर्फ मैं ही जानता हूँ... तुम क्षेत्रपाल परिवार के खिलाफ अपनी तैयारी में हो.... पहले तुम.. मेरे लिए सिर्फ प्रताप थे...जो मेरे पिता भैरव सिंह से खार खाए हुए है.... मेरे असिस्टेंट जब कहा कि राजा साहब से जुड़े एक केस में... किसी विश्व प्रताप महापात्र की... फिरसे खुजली हुई है... उसे ढूंढने का जिम्मा दे दिया था... और आज तुम जिस तरह से राजा साहब से पेश आए... मैं समझ गया... तुम ही... विश्व प्रताप महापात्र हो...
विश्व - वाव... वैसे... मैं इम्प्रेस जरूर हुआ हूँ तुमसे... तुम मेरे बारे में इतना कुछ जो जानते हो... पुछ सकता हूँ... कैसे...
विक्रम - हाँ... जरूर... कटक या भुवनेश्वर में... अपने कंटेक्ट्स हैं... मुझे खबर मिली... सात साल पहले की रुप फाउंडेशन स्कैम के बारे में... अदालत और होम मिनिस्ट्री में... आर टी आई फाइल किया है... जो कि... किसी ना किसी तरह से... क्षेत्रपाल परिवार की ओर जाता है....
विश्व - ह्म्म्म्म... तो तुमने आपने बाप को बताया क्यूँ नहीं...
विक्रम - (थोड़ी देर चुप रह कर विश्व को घूर कर देखता है) क्यूंकि... जब तक राजा साहब हमें हुकुम नहीं देते... तब तक... हम उनके मैटर में दिमाग या ताकत नहीं खपाते...
विश्व - वाह... बड़े उसूल वाले... फर्माबरदार औलाद हो...
विक्रम - (चुप रहता है)
विश्व - क्या यही सब बताने के लिए... तुमने मुझे यहाँ बुलाया...
विक्रम - नहीं... तुम्हें... मुझसे आगाह करने के लिए...
विश्व - आगाह.... क्यूँ... क्या उखाड़ लोगे मेरा...
विक्रम - (टेबल पर अपने दोनों हाथ रख कर) मुझ पर तुम्हारा एहसान... तुम्हारा ज़मानत है... मेरा सिर और कंधे... उसके लिए तुम्हारे आगे झुका हुआ है... मैंने अपने जान से वादा किया है... जब तक तुम पर उतना बड़ा उपकार ना कर लूँ... के तुम्हारा सर उस एहसान के आगे झुक जाए... तब तक तुमको मुझसे कोई खतरा नहीं होगा...
विश्व - अच्छा... ह्म्म्म्म... तो तुम... बहुत खतरनाक हो... और मुझे... यहाँ डराने के लिए बुलाए हो...
विक्रम - नहीं... तुम किसीसे डरते नहीं हो... यह मैं जानता हूँ... पर यह सच है... के तुम यहाँ डर कर ही आए हो...
विश्व - (पीछे सीट से टिक कर आराम से बैठते हुए) सुनो मिस्टर छोटे क्षेत्रपाल... कैसी दुश्मनी करना चाहते हो... यह पहले तय कर लिया करो... तुमने सुबह तक घर पहुँचने की बात कही... ऐसा फिर कभी सोचने से पहले... अपने घर के दीवारों को इतना ऊँचा... और खिड़की दरवाजों को बुलंद जरूर कर लेना... की कोई लांघ ना पाए... क्यूंकि... परिवार मेरा तो है ही... तुम्हारा भी है...
विक्रम - (मुट्ठीयाँ भींच लेता है) विश्वा... हम वह सात साल पहले वाले क्षेत्रपाल नहीं हैं... हमारा कद रौब और रुतबा... रोज की रोज बढ़ता ही जा रहा है...
विश्व - जब सुरज ढलने को होती है... हर कद की साये बढ़ने ही लगते हैं...
विक्रम - राजा साहब के माथे पर बल ले आओ... इतनी तुम्हारी औकात नहीं है...
विश्व - राजा क्षेत्रपाल के माथे पर चिंता से बल नहीं पड़ेगा... (विश्वास भरी आवाज़ में) खौफ से पसीना बहेगा...
विक्रम - तुम अकेले हो... हम पुरा सिस्टम हैं... तुम तब तक... उछल सकते हो... जब तक... मैं मैदान में नहीं हूँ... जिस दिन राजा साहब का हुकुम हुआ... उसी दिन से... तुम्हारा खेल बिगड़ना शुरु हो जाएगा...
विश्व - तो छोटे क्षेत्रपाल... मुझे धमका रहा है... तो सुनो... तुम सिस्टम हो... तो मैं वायरस हूँ... जिसका आंटी वायरस... नहीं बना है अबतक....
विक्रम - क्षेत्रपालों के खिलाफ... इतना कंफिडेंट...
विश्व - यह क्या क्षेत्रपाल क्षेत्रपाल... लगा रखा है... कौनसा तीर मार लिया है तुम लोगों ने... क्षेत्रपाल बन कर या पैदा हो कर.. मार पड़ेगी तो दर्द होगा... होगा ना... जब हाथ कटेगी खून बहेगा... बहेगा ना... तो कहाँ से... कैसे अलग हो तुम लोग... ( टेबल पर आगे की ओर झुक कर ) तुमको... जो उखाड़ना है... उखाड़ लो...
विक्रम - कितनों से लड़ लोगे... हम सिर्फ लोगों पर नहीं... यहाँ की सरकार पर भी हुकूमत कर रहे हैं... क्यूंकि हम... बुराई के लश्कर हैं...
विश्व - सात साल... बुरे लोगों के बीच रहा... हर तरह की... बुराई के बीच रहा... उनसे लड़ा... फिर... उनपर मैंने हुकूमत की है... पर तुम क्षेत्रपाल... सिर्फ मजलुमों पर हुकूमत किया है...
फिर से कह रहा हूँ... मेरे परिवार पर नजर तब उठाना... जब लगे कि तुम्हारा परिवार महफ़ूज़ है...
विक्रम - (मुस्करा कर) जैल में... मुजरिमों बीच रहकर... मुजरिमों वाली... भाषा बोल रहे हो...
विश्व - मुजरिमों की भाषाएँ तक बदल जाती थीं... मेरे सामने... मेरी हुकूमत में... रंगा... याद तो होगा ना... xxx मॉल में... तुम्हारे जान के सामने...
विक्रम - (चुप रहता है)
विश्व - अब बोलो... किस लिए बुलाया था...
विक्रम - तुम क्या हो... समझने के लिए...
विश्व - (उठते हुए) रात बहुत हो गई है छोटे क्षेत्रपाल... कुछ देर बाद... सुबह हो जाएगी... तुम्हारे घर में.. तुम्हारा इंतजार हो रहा होगा... तुम जाओ... मैं भी जा रहा हूँ.... (कह कर विश्व जाने के लिए मुड़ता है, फिर अचानक रुक जाता है और विक्रम और मुड़ कर) विक्रम... मैं इस बात से हैरान था... उस वक़्त मेरी माँ से बदतमीजी... तुम्हारे लिए जायज था... तुमने कोई भाव नहीं दिया था... पर एक आम सहरी को गाड़ी में लिफ्ट दी... मेरे बारे में सब जानते हो शायद... फिर भी.. अपनी दिए जुबान के खातिर... मुझसे उलझे नहीं... तुम... अपने बाप से अलग हो... बहुत अलग हो... क्षेत्रपाल का सरनेम... तुम पर दाग है.. बोझ है... तुम अच्छे हो... पर एक बात याद रखना... तुम किसीको दिए जुबान से बंधे हो... पर मैं.... मैं आजाद हूँ...
Bohat accha update har ek apni uljhan me uljha hua hain yaha per ek baat kahoonga ki veer n Vikram dono black character na ho ker GREY character hain is story ke shayad in dono me se koi Ghar ka bhedi baney jo ki Shetrapal ki Lanka ko dhaa sakey
 
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Reactions: Kala Nag and parkas

Kala Nag

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gajab ka update ..bhairav ko bhi paseene chhuta diye pratap ne apni aankho ki garmi se .ab bhairav sochne par majbur ho gaya pratap ke baare me isliye vijay se baat kar raha tha ,pinak ne thodi jaankari de di vishwa ke baare me . jo bhairav apne saamne sabko kide makode ke jaise samajhta tha aaj vishw ko dekhkar wo bhram bhi mit gaya .
भरम जरूर मीट गया है
पर वह अभी तक नहीं जानता जिससे उसने बात की है वही उसका कब्र खोदने वाला है
nandini ke mike ke baare me pata chalne par usko block kar diya pratap ne ,dono ke bich ki baate bahut dardbhari thi ,jisme pratap ne apni rajkumari ka jikr kiya par naam nahi bataya warna nandini bata deti ki wahi hai uski premika jisse vaada kiya tha pratap ne .
नंदिनी इतनी जल्दी विश्व को नहीं बताने वाली
खैर वैसे बहुत देर भी नहीं होगी बस कुछ ही अपडेट और जब विश्व नंदिनी के बारे में जान जाएगा
to wo chitti denewala vikram tha jo mulakat karna chahta tha vishw se .
vishw ke baare me sab pata hai vikram ko par apni biwi ko diye vaade ke khatir chup baitha hai .
vikram ko aaina dikha diya vishw ne .agar wo vishw ke pariwar par najar daalega to vikram ka bhi pariwar hai .
to aisa lagta hai dusmani sirf dono ke bich hi nibhayi jayegi .
हाँ विश्व से दुश्मनी भी रहेगी पर विश्व के रास्ते में नहीं आएगा इसलिए विक्रम का चरित्र उसे खास बना रहा है
 

Kala Nag

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इसे कहते हैं वापसी ।‌‌ सौवां अपडेट की सारी कमी इस अपडेट ने दूर कर दी । वैसे सौवां अपडेट भी कोई बुरा नहीं था । हर अपडेट्स की तरह वह भी काफी बढ़िया था लेकिन सौवें में हम कुछ ज्यादा की आस कर लिए थे ।
धन्यबाद मेरे भाई बहुत बहुत धन्यबाद
फिर से वही माहौल... फिर से वही लिखने का अंदाजेबयां.... फिर से वही शानदार डायलॉग्स.... फिर से वही जोश । दिल बाग बाग हो गया ।
पहले भैरव सिंह , विजय जेना ओ पिनाक का कन्वर्सेशन.... उसके बाद विश्व और प्रतिभा जी का इमोशनल अपडेट.... फिर विश्व का नंदिनी को फोन करना.... और अंत में विश्व और विक्रम का आमना सामना......सब कुछ माइंड ब्लोइंग था ।
शुक्रिया
नंदिनी की खुशी के तो कहना ही क्या ! आखिर उसका बचपन का प्यार अनाम मिल ही गया ।
विश्व का रूप के लिए चाहत मुझे सिकंदर की याद दिला गया । मुकद्दर का सिकंदर मूवी में सिकंदर ( अमिताभ बच्चन ) का प्रेम राखी जी के लिए ऐसा ही था । एक अनाथ के लिए राखी जी ने बचपन के दिनों में जो सहानुभूति और करूणा दिखाई थी वो अनाथ बच्चा मरते दम तक नहीं भुला सका ।
जी बिलकुल
आज के दौर में कोई सगा बेटा भी अपने माता पिता से उतना प्रेम नहीं करता होगा जितना विश्व अब तक तापस जी और प्रतिभा जी के लिए करते आया है । तीनो का आपस में प्रेम शुरू से ही मेरा सबसे पसंदीदा अध्याय रहा है ।
😍❤️
विक्रम और विश्व के वाक् युद्ध में विश्व , विक्रम पर हाबी रहा । ऐसा ही मुकाबला तो चाहते थे हम । जबर्दस्त लिखा आपने इस पुरे परिदृश्य को ।
😍❤️
बहुत बहुत ही सुन्दर अपडेट नाग भाई ।
एक बार फिर से दिल जीत लिया आपने हमारा ।
जगमग जगमग अपडेट ।
🙏❤️😍🙏❤️😍
 

Kala Nag

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Kala Nag भाई

बीत जाते है दिन इस इंतजार में
कि आएगा अपडेट शुक्रवार में

आएगा ना
भाई आज विश्वकर्मा पुजा है
मैं इस पुजा कमेटी का मेंबर हूँ
इसलिए बहुत व्यस्त हूँ
कल अवश्य अपडेट दे दूँगा
 

Kala Nag

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Bohat accha update har ek apni uljhan me uljha hua hain yaha per ek baat kahoonga ki veer n Vikram dono black character na ho ker GREY character hain is story ke shayad in dono me se koi Ghar ka bhedi baney jo ki Shetrapal ki Lanka ko dhaa sakey
धन्यबाद मेरे भाई बहुत बहुत धन्यबाद
हाँ भैरव सिंह की लंका तो ढह जायगा
और विश्व का साथ एक क्षेत्रपाल ही देगा
 

Kala Nag

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Koi baat nahi Bhai,

We will wait

Waiting for next update
मित्रों बाबा विश्वकर्मा जी की पुजा कमेटी में होने के कारण बहुत व्यस्त हूँ आज कल
आज पुजा खत्म होते ही मैं बाकी का लिखना चालू करूंगा
कल सुबह दस बजे तक प्रस्तुत कर दूँगा
 
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