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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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Nobeless

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Achha update है लेखक भाई नंदिनी ने रॉकी ki galatfahemi तो दूर कर दी पर यह नामुराद कुछ और ही सोचने लगा h जोश जोश मे शुभ्रा ka decision bhi bht Hadh tak सही hi है अपना बच्चा girane का कम से कम ek aur क्षेत्रपाल बनने से तो रोक लिया और अब इंतजार h नंदिनी और विश्व के मिलना का 😍 और अगले अपडेट ME क्या जवाब देती H रॉकी के इस Chutiyape जैसे challege का hahaha
 
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Reactions: RAAZ and Kala Nag

Jaguaar

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👉इकहत्तरवां अपडेट
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ख़ामोशी सिर्फ़ ख़ामोशी
शुभ्रा से ना कुछ कहते बन रहा था ना रुप उससे कुछ पुछ पा रही थी l शुभ्रा की आँखे डबडबा गई थी l आखिर कार रुप ख़ामोशी को तोड़ती है l

रुप - इसका मतलब... राजेश की मौत एक हादसा था...
शुभ्रा - ह्... हाँ... (मुस्किल से कह पाती है)
रुप - क्या उसके बाद... यश गिरफ्तार हुआ...
शुभ्रा - नहीं...
रुप - (हैरान हो कर) क्या... पर क्यूँ नहीं... उ.. उसने... आपका किडनैप किया था... रूलिंग पार्टी के अध्यक्ष की बेटी का... फिर वह बच कैसे गया...
शुभ्रा - बड़े घर के चोंचले भी बड़े होते हैं...
रुप - मतलब...
शुभ्रा - विकी बेहोश थे... लिफ्ट टुट चुकी थी... और मेरे ही आँखों के सामने... राजेश उस मौत के खाई में गिर गया.... गहरे सदमा लगा था मुझे... बेहोश हो गई थी.... होश में जब आई तब मैंने खुद को अपने कमरे में पाया... जब होश आया तो देखा यह तो मेरा ही कमरा है... मैं हैरान थी... यहाँ मैं कब आई... कैसे आई... कौन लाया मुझे... तभी कमरे में मम्मी आई...

फ्लैशबैक शुरु

शु.म - होश आ गया बेटी तुझे...
शुभ्रा - आ.. ह.. हाँ माँ... पर मैं यहाँ कैसे...
शु.म - वह हमें पहले xxx हस्पताल से फोन आया... तब हमें पता चला...
शुभ्रा - कितने दिन हो गए हैं...
शु.म - कितने दिन मतलब... कल की ही बात थी... आज तु होश में आयी है...
शुभ्रा - (उठने की कोशिश करती है) (शु.म उसे बैठने में मदत करती है) माँ वह... विक्रम और राजेश...
शु.म - र... राजेश का तुझे पता है ना... उसका तो वहीँ डेथ हो गया...
शुभ्रा - और विक्रम...
- वह अभी हस्पताल में है... (कहते हुए बिरजा अंदर आता है) उसे और सात दिन लगेंगे... (शुभ्रा से) देखा बेटी... आईडोलॉजी की क्या कीमत होती है... आख़िर जान और इज़्ज़त पर बन आई ना...(शुभ्रा के पास बैठते हुए)
शुभ्रा - पापा... हमे रेस्क्यू कौन किया... और यश गिरफ्तार हुआ या नहीं...
शु.म - ले... होश में आई नहीं की तफ्तीश शुरु...
शुभ्रा - नहीं मम्मी मुझे जानना है...(बिरजा से) बोलिए ना पापा...
बिरजा - देखो बेटी... तुम्हें बचाने वहाँ विक्रम गया था... और विक्रम को बचाने ESS की स्पेशल टीम... वह जब वहाँ पहुँचे यश और उसके आदमी गायब हो चुके थे... वहाँ पर उनको... तुम दोनों बेहोशी के हालत में मिले... और राजेश मरा हुआ पाया गया... यह तो अच्छा हुआ लिफ्ट के ट्रेलिंग केबल में सीसीटीवी लगा हुआ था... जिससे पता चला कि विक्रम... राजेश को बचाने की कोशिश करते हुए बेहोश हो गया... वरना पाढ़ी दंपती यश के साथ साथ.... विक्रम को भी गिरफ्तार करने के लिए तुले हुए थे...
शुभ्रा - तो क्या यश गिरफ्तार हुआ...
बिरजा - (चुप हो जाता है)
शुभ्रा - बोलिए ना पापा...
बिरजा - नहीं... (कह कर उठ जाता है)
शुभ्रा - क्यूँ... क्यूँ नहीं पापा... क्यूँ...
बिराज - कुछ बातेँ इज़्ज़त और रुतबे से बड़ी नहीं होती... कल चेट्टीस हाईट्स में जो भी हुआ... उसमे तीन तीन पोलिटिकल फॅमिली के बच्चे इनवल्व थे... वह भी एक ही पार्टी के... इसलिए हमने अपनी आपसी रजामंदी से... इस केस को आगे बढ़ने से रोक दिया...
शुभ्रा - क्या... यह... यह आपने क्या किया... राजेश का कातिल यश है... उसने मुझे और राजेश को किडनैप किया.... और हम पर गोली भी चलाई... और रमेश अंकल तो आपके दोस्त हैं ना...
बिरजा - था... अब नहीं है वह...
शुभ्रा - (कुछ समझ नहीं पाती)
बिरजा - देखो मेरी बच्ची... हम लोग नहीं चाहते थे कि कहीं भी... हमारे खानदान का नाम उछले... इसलिए अब ओंकार पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.... और क्षेत्रपाल परिवार वाले भी अपना नाम को इस कांड से दुर ही रखना चाहते थे.... और जाहिर सी बात है... चेट्टीस के साथ साथ हम भी यही चाहते थे....
शुभ्रा - (कुछ कहना चाहती है)
बिरजा - बस... और कोई बात नहीं... चुपचाप आराम करो...
शुभ्रा - एक आखिरी बात पापा...
बिरजा - क्या...
शुभ्रा - मैं... ए.. एक बार... राजेश के फॅमिली से और वि.. विक्रम से मिलना चाहती हूँ...
बिरजा - (शुभ्रा को घूर कर देखता है, शुभ्रा अपने पापा से नजरें नहीं मिला पा रही है, कुछ सोचने के बाद) ठीक है... कब... कब चलना है...
शुभ्रा - पापा... विक्रम के हस्पताल से छूटने से पहले.... और मैं अकेली जाऊँगी..
शु.म - नहीं... अकेली नहीं जाएगी... राजेश की फॅमिली तुझ पर बहुत गुस्सा हैं... नाराज हैं... पता नहीं वहाँ क्या होगा...
शुभ्रा - मम्मी... आप यकीन रखिए... कुछ नहीं होगा... मुझे अकेले ही इसे सामना करने दीजिए....

शु.म कुछ कहना चाहती थी पर बिरजा उसके कंधे पर हाथ रखकर रोक देता है l

बिरजा - वह ठीक कह रही है... हमारी बेटी है आखिर... अंदर से... और इरादों से... मजबुत तो होगी ही....

शुभ्रा रुक जाती है (फ्लैशबैक में स्वल्प विराम)

रुप - फिर.. फिर क्या हुआ भाभी...
शुभ्रा - हाँ... फिर.. फिर.. होना क्या था... चार दिनों बाद मैं पहले राजेश के घर गई... मुझे उसकी माँ ने बहुत सुनाया... अभिशाप तक दे डाला... शायद वह अभिशाप ही मैं अब जी रही हूँ...
रुप - यह क्या कह रही हो भाभी...
शुभ्रा - हाँ रुप हाँ... उन्होंने पूछा... जब उनके बेटे को मैं पसंद नहीं करती थी... तो उसे अपने काम के लिए क्यूँ बार बार बुलाती थी... उनके इस सवाल का कोई जवाब नहीं था मेरे पास....
रुप - और... भैया... आप भैया से मिले....
शुभ्रा - हाँ.. उन्हें डॉक्टर.. कब का डिस्चार्ज कर चुके होते.... पर उन्होंने ही जिद पकड़ ली थी... कोई मिलने आएगा... जब तक वह नहीं आता... वह हस्पताल से नहीं जाएंगे...
रुप - वाव... इसका मतलब... उन्हें आपका ही इंतजार था...
शुभ्रा - हाँ...

फ्लैशबैक शुरु

हॉस्पिटल की इंडोर में एक वीवीआईपी कैबिन के बेड पर विक्रम अधलेटा हुआ है और टीवी देख रहा है l कैबिन में विक्रम के सिवा कोई और नहीं है l तभी कैबिन का दरवाज़ा खुलता है और एक चेहरा अंदर झाँकता है l विक्रम के मुहँ से "शुब्बु" निकालता है, विक्रम अपने बेड से उतर कर भागते हुए जाता है और शुभ्रा को अंदर खिंच कर अपने गले से लगा लेता है l पर जवाब में शुभ्रा उसे आलिंगन नहीं करती l विक्रम को यह एहसास होता है l वह शुभ्रा से अलग होता है

विक्रम - जान... (शुभ्रा को अपने बेड के पास लाकर उसे बेड पर बिठाते हुए) हमारे पास आपके हर सवाल का जवाब है...
शुभ्रा - आपने यश को सजा क्यूँ नहीं दिलवाई...
विक्रम - यह बड़ों का फैसला था... हमने उनके फैसले के खिलाफ नहीं जाने का सोचा...
शुभ्रा - क्या... आपने... यश को हस्पताल से निकालने के लिए... डॉक्टर के लिबास में गए थे...
विक्रम - हाँ... पर हमें तब मालूम ही नहीं था... की वह किसी का खुन करने के लिए हमसे मदत मांग रहा है... असल में हमें यह अंत तक मालुम ही नहीं था... की हम यश को बचाने जा रहे हैं... और कैबिन के अंदर... हमसे उसने बस यही कहा कि... वह अकेले जा कर डरा धमका कर उन्हें समझा देगा...
शुभ्रा - एक और सवाल... हमारे पास यश के खिलाफ प्रत्युष के जुटाए जो कुछ सबुत थे... आपने उसे उस वक़्त रिवील करने से हमें क्यूँ माना किया...
यश - तब... आप सीधे यश के नजरों में आ जाती... और आप भुल रहे हैं... प्रत्युष भी यही चाहता था.... इसलिए तो हमने आपसे मेडिकल पहले खतम करने के लिए कहा...
शुभ्रा - (विक्रम की आँखों में देखते हुए) एक आखिरी सवाल... क्या आपके खानदान में ऐसा कोई रस्म है...
विक्रम - हाँ है.. पर आपकी कसम... हम वह रस्म निभाना चाहते ही नहीं थे... तब हमारे छोटे राजा जी ने हमें ड्रिंक में ड्रग्स मिला कर दे दिया था... इसलिए वह अपराध हम से हो गया था...
शुभ्रा - (याद करती है राजगड़ से आने के बाद विक्रम ने ऐसी ही बात को अलग ढंग से कहा था) ठीक है... अब आपके पास सात दिन हैं...
विक्रम - सा... सात दिन.. किस लिए... किस बात के लिए...
शुभ्रा - मेरी...मेरी माहवारी रुक गई है...
विक्रम - क्या...(हैरान हो कर)
शुभ्रा - हाँ... अब एक बेटी होने के नाते... मैं हरगिज नहीं चाहती कि पापा की पगड़ी उछाली जाए... अगर आठवें दिन हमारी शादी ऑफिशियल नहीं हुई... तो आठवें दिन ढलते ढलते मेरी साँस भी ढ़ल जाएगी...
विक्रम - शुब्बु... (चीखते हुए) यह आप क्या कह रही हैं....
शुभ्रा - (बड़ी शांत लहजे में) हमने आपस में कुछ वादे किए थे... पर किए हुए वादे को तोड़ चुके हैं.... आप भी और मैं भी... बेताबी आपको थी... जल्दबाजी हमने भी की... अब फैसला आपका...

इतना कह कर शुभ्रा, विक्रम को सोचता छोड़ कर उस कमरे से बाहर निकल जाती है l

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

रुप - ओ... तभी... आपकी और भैया की शादी बहुत ही जल्दबाजी में हुई...
शुभ्रा - हाँ... उस दिन मैंने फैसला ले लिया था... प्रत्युष का दिया हुआ काम पुरा करना है... इसलिए मैं घर से निकलते वक़्त लॉकर की चाबी और वह पॉकेट डायरी ले ली थी... विक्रम से मिलने के बाद... सीधे बैंक गई... और वहाँ पहुँच कर देखा कि प्रत्युष ने लॉकर की नॉमिनी मुझे बनाया था... यह जानने के बाद... मेरी अंतर्मन की ग्लानी बहुत बढ़ गई... मुझे लॉकर में एक कैमकॉर्ड मिला.. मैं कैमकॉर्ड को घर में पॉवर से कनेक्ट कर के देखा... उसमे प्रत्युष के किये हुए कई विडिओ थे... उन दवाओं के बारे में... ड्रग्स फैक्ट्री में कैसे आता है और कितनी बारीकी से खपत किया जाता है... सब प्रत्युष ने रिकॉर्ड करते हुए अपने तरीके से... जानकारी मुहैया किया था... मैंने भी और तीन दिनों के भीतर... जिन पेशेंट्स की जानकारी थी.. उनकी आर एम सी (रुटीन मेडिकल चेक अप) फॉर्म भरवा कर चुपके से... ड्रग टेस्ट फॉर्म भी भरवा दिया... फिर वह सब फॉर्म और प्रत्युष की कैमकॉर्ड को लेकर सीधे नभ वाणी ऑफिस में जाकर वहाँ के असिस्टेंट एडिटर प्रवीण कुमार रथ से मिली और उसके हवाले सारे सबुत कर दिया...
रुप - यह सब... शादी के भीतर ही आपने कर दिया...
शुभ्रा - हाँ...
रुप - फिर शादी... क्या आपके पेरेंट्स इस शादी के खिलाफ थे...
शुभ्रा - (अपना सिर हाँ में हिलाते हुए बड़ी मुश्किल से अपनी हलक से आवाज़ निकाल कर) ह्... हुँ... हूँ...
अगले दिन ही विकी हमारे घर आ गए... अपनी घुटनों पर बैठ कर... पापा के आगे...

फ्लैशबैक में

विक्रम - सर... हम आज आपसे आपकी बेटी का हाथ माँग रहे हैं...
बिरजा - क्यूँ...
विक्रम - हम और शुभ्रा जी... एक दुसरे से बहुत प्यार करते हैं....
बिरजा - तुम से... मेरी बेटी ना मुमकिन...(चिल्लाते हुए) शुभ्रा.... (शुभ्रा उस कमरे में आती है) क्या यह सच कह रहा है.... (शुभ्रा अपना सिर हिला कर हाँ कहती है) (बिरजा भौचक्का रह जाता है, विक्रम से ) ठीक है... आपने अपना काम कर दिया है... हम सलाह मशविरा करने के बाद... खबर भेज देंगे...
विक्रम - जी बहुत अच्छा... सर आपको यह जानकारी तो होगी ही... क्षेत्रपाल के हाथ कभी आसमान की नहीं उठती है... हमेशा जमीन की तरफ देखती है... या तो क्षेत्रपाल देते हैं... या फिर छिनते हैं... पर आज हमने अपनी वंश की अहं को प्यार के आगे झुका दिया है... शायद इससे आपको अंदाजा हो जाए... हम शुभ्रा जी से कितना प्यार करते हैं....

बिरजा कुछ नहीं कहता है सिर्फ विक्रम को देखता है l विक्रम अपनी बात कह कर वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद

बिरजा - (गुस्से से) तुमको यह... यह कैसे पसंद आया... इनको ना बात कहने की लहजा पता है... ना किसीसे रिश्ता जोड़ने का सलीक... यह तुमको कैसे.. शुभ्रा.... कैसे पसंद आया...
शुभ्रा - (आँखों में आंसू लिए) प... पापा... मैं आपकी अच्छी बेटी नहीं बन पाई.... इस रिश्ते के लिए हाँ कह दीजिए.... कहीं देर ना हो जाए....

शुभ्रा की यह बात बिरजा पर बिजली की तरह गिरती है l वह अपना सीने पर हाथ रखकर सोफ़े पर बैठ जाता है l

शुभ्रा - (भाग कर अपने बाप के पास आती है) नहीं... नहीं पापा नहीं... प्लीज... मुझे आप माफ कर दीजिए... पर इतनी बड़ी सजा मत दीजिए...

फ्लैशबैक में स्वल्प विराम

कहते कहते शुभ्रा की आवाज़ थर्रा जाती है और आँखों से आंसू बहने लगती है l उसकी हालत देख कर रुप कुछ पुछ नहीं पाती l शुभ्रा खुद को संभालती है और कहना शुरू करती है l

शुभ्रा - किसी भी इज़्ज़त दार पिता के लिए... यह बात सहना बहुत ही मुश्किल है... अगर उसकी बेटी का पैर सयानी उम्र में फिसल जाती है... पापा को हार्ट अटैक आया था... पर पापा ने खुद को संभाल लिया... विकी के पास खबर भेज दी... विकी ने अपने घर वालों को कैसे राजी किया मैं नहीं जानती... पर मेरे दिए टाइम लिमिट के आठवें दिन ही हमारी शादी हुई... वह भी बिना किसी तांक झाँक के... जहां केवल मीडिया वाले और कुछ राजनीतिक परिवार वाले... शादी के दुसरे दिन मैं राजगड़ गई... हर हालत से वाकिफ़ हो कर खुद को तुम्हारी परिवार में ढालने की कोशिश करने लगी.... पर एक रात मैं विकी जी का इंतजार कर रही थी.... रात के डेढ़ बज चुके थे... भुवनेश्वर गए थे किसी काम के सिलसिले में... पर विकी जी तब तक घर नहीं आए थे... मैं परेशान हो कर कमरे में इधर उधर हो रही थी.... के तभी मेरे कानों में सुषमा चाची माँ और छोटे राजा जी की बात सुनाई दी...

सुषमा - अभी अभी तो युवराज जी का विवाह हुआ है.... फिर उन्हें रंग महल भेजने की क्या जरूरत थी....
पिनाक - घर की औरतें चार दीवारी में ही अपना दिमाग चलाएं... वहाँ तक ठीक है... रंग महल हमारी मूँछों की ताव की निशानी है... और इसमे आप अपना सर ना खपायें...
सुषमा - घर में नई बहु आई है... उसके बारे में भी तो कुछ सोच लेते...
पिनाक - उसे मालुम हो... इसीलिए विक्रम को आज रंग महल में रात गुजारने का फरमान दिया गया है.... समझीं आप...

यह बात सुनने के बाद शुभ्रा शुन हो जाती है l उसके आँखें गुस्सा, घृणा और ग्लानि से नम हो जाती है l वह अपने कमरे में जा कर दरवाजा बंद कर लेती है l अगले दिन अपना सामान बांध कर भुवनेश्वर जाने के लिए तैयार होती है l तभी कमरे में विक्रम दाखिल होता है

विक्रम - यह... आपने अपना सामान क्यों बांध लिया है... क्या ससुर जी की तबीयत खराब है...
शुभ्रा - (गुस्से से विक्रम को देखती है) कल रंग महल... कौनसे रस्म अदा करने गए थे....

विक्रम हैरान हो कर देखता है l

विक्रम - यह... आप... मतलब.. हमारे पास जवाब है...
शुभ्रा - हा... जवाब... यही ना... कल आपको किसीने ड्रग्स मिला हुआ ड्रिंक किसीने पीला दिया...
विक्रम - ऐसी बात नहीं है... आप जो समझ रही हैं... वैसा बिल्कुल भी नहीं है....
शुभ्रा - बस विक्रम सिंह क्षेत्रपाल जी बस... आपने पच्चीस लाख खर्च कर मुझे डॉक्टर बनाया... पर आपकी परिवार की अहं ने मुझसे प्रैक्टिस ना करने के लिए कहा... मैं राजी भी हुई... आपकी खातिर... पर अब नहीं... या तो आप हमें मार दीजिए... या फिर हमें भुवनेश्वर जाने दीजिए...

फ्लैशबैक खतम..

रुप - तो इस तरह... आप भुवनेश्वर में आ गइ...
शुभ्रा - हाँ विकी जी ने... बड़ी मशक्कत की... राजा साहब को राजी कराया... तब मैं यहाँ पहुँच पाई...
रुप - आपके मम्मी पापा... और आपने जो सबुत उस रिपोर्टर को दिया था... उसका क्या हुआ...
शुभ्रा - उसी साल इलेक्शन के बाद... स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पापा ने राजनीति से सन्यास ले लिया.... और वे अब सिर्फ बिजनैस देखते हैं... अभी वह पारादीप में हैं... मैं जब राजगड़ से भुवनेश्वर वापस आई तब मुझे पता चला कि... यश निहारिका को मारने में कामयाब रहा... पर वह उस बार कानून की आँखों में धुल नहीं झोंक पाया... गिरफ्तार हो गया... जब वह जैल में था... तभी उसके पैसे पकड़े गए... उसके फैक्ट्री पर रैड हुआ... और सदमें में यश भी जैल में मर गया....
रुप - (थोड़ा झिझकते हुए) भाभी... वह.. आप... पेट से थी ना...
शुभ्रा - (एक दर्द भरी नजर से रुप को देखती है) रुप... बेटा हो या बेटी... मैं उस पर गर्व करना चाहती थी... चाची माँ की तरह घुट घुट कर पचताना नहीं चाहती थी... क्षेत्रपाल परिवार में लड़की यानी तुम्हें और औरतों को यानी चाची माँ को देखने और जानने के बाद... और रंग महल के बारे में अच्छी तरह से जान लेने के बाद... मैं कोई और क्षेत्रपाल को पैदा नहीं करना चाहती थी... बेटे पर ना फर्क़ कर सकती थी... ना ही बेटी को उसका हक दिला पाती.... इसलिए... (रोते हुए) मैंने... बच्चे को गिरा दिया....

रुप का मुहँ खुला रह जाता है l शुभ्रा अब रोते रोते अपनी बिस्तर पर गिर जाती है l रुप भी उससे कोई सवाल किए वगैर अपनी कमरे में आ जाती है l वह शुभ्रा के बारे में सोचने लगती है l उसकी दर्द को वह महसुस करने लगती है l उसे शुभ्रा के लिए हुए हर एक कदम सही लगती है l
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सेंट्रल जैल

विश्व अपने सेल के अंदर किसी योगी की तरह ध्यान की मुद्रा में बैठा हुआ है l तभी उसके कानों में लोहे की सलाखों वाली दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई देती है l फिर जुतों की आवाज़ डप डप डप पास आते हुए महसुस होता है l विश्व के होठों पर एक हल्की सी मुस्कान नाच उठती है l

विश्व - आइए मंडल बाबु आइए...
मंडल - यार विश्वा सच सच बताना... तुम ध्यान में थे... या अपनी आँखों को हल्का सा खुला रखे थे...
विश्व - (अपनी आँखे खोल कर) आपकी कसम मंडल बाबु... मैं ध्यान में ही था...
मंडल - तो फिर तुमने अपनी आँखे मूँद कर भी कैसे जान लिया के मैं हूँ...
विश्व - बस जान लिया... मेरी ध्यान तोड़ने की क्षमता सिर्फ आपमें जो है...
मंडल - अच्छा.... तो हे बाबा विश्व प्रताप.... मैं क्या आपकी मेनका हुई...
विश्व - क्या बात कर रहे हैं मंडल जी... मैं भला आपके बारे में ऐसा कैसे सोच सकता हूँ...
मंडल - ठीक है बाबा विश्व प्रताप... आपकी ध्यान भंग हुई... तो...मैं... आरे हट... माफी क्यूँ मांगू... क्यूँ भई... ध्यान क्यूँ लगा रहे थे... छूटने के बाद सीधे हिमालय का प्रोग्राम है क्या....
विश्व - क्या... मंडल बाबु... आप भी... ध्यान इसलिए लगा रहा हूँ ताकि... जज्बातों पर... एहसासों पर काबु रख सकूँ....
मंडल - क्यूँ भई... महाभारत लड़ना है क्या...
विश्व - क्या पता... शायद उसकी भी जरूरत पड़ जाए... वैसे आप ध्यान को हिमालय से क्यूँ जोड़ दिया...
मंडल - इसलिए... क्यूंकि कभी कभी मुझे लगता है... के बस... अभी बहुत हुआ... हिमालय चले जाना चाहिए...
विश्व - किसे...
मंडल - मुझे और किसे...
विश्व - क्यूँ भाभी और बच्चों पर इतना जुल्म करना चाहते हो...
मंडल - हाँ बेटे... तुम सरकारी जैल में हो.... पर मैं जिस जैल में हूँ ना... वहाँ मेरी सरकार कोई और है...
विश्व - क्या मतलब है आपका... अपनी क्वार्टर को जैल क्यूँ कह रहे हैं... और आपकी सरकार कौन है...
मंडल - अरे मेरी बीवी... और कौन.. मेरी सरकार तो वही है...
विश्व - हाँ यह बात तो है... देश या राज्य पब्लिक की चुनी हुई सरकारें चलाते हैं... घर यानी आपकी दुनिया... आपकी जन्नत को आपकी पत्नी यानी हमारी भाभी जी चलाती हैं... इसका मतलब आपकी घर की सरकार तो भाभीजी ही हुई ना...
मंडल - हुई... अरे है... जानते हो... तनखा मुझे मिलती है... पर एटीएम कार्ड उसके पास रहती है... वह ऑनलाइन शौपिंग करती है... ओटीपी मेरे मोबाइल पर आती है.... और बिना देरी किए... मुझे उसे बताना पड़ता है...
विश्व - तो इतनी छोटी सी बात के लिए... आप हिमालय जाना चाहते हैं... जानते हैं... वहाँ पर कितना बर्फ पड़ती है...
मंडल - इसलिए तो... अभी तक गया नहीं हूँ...
विश्व - हा हा हा... (हँसने लगता है)ठीक है... मंडल सर बोलिए...(अपनी हँसी को दबाते हुए) यहाँ आना किस लिया हुआ...
मंडल - वह... तुम्हारी दीदी आई हैं... तुमसे मिलना चाहती हैं...
विश्व - अच्छा.... (हँसी दबा नहीं पाता) हा हा हा...
मंडल - हँस ले बेटा... हँस ले... मेरी आह लगेगी तुझे... देखना तेरी जिंदगी में... तेरी टैएं करने वाली... कोई रण चंडी आएगी...

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सुबह सुबह जल्दी उठ कर रुप अपने कमरे से निकल भागती है और शुभ्रा के कमरे में आती है l शुभ्रा रात भर वैसी ही बिस्तर पर लेटी हुई मिलती है l

रुप - भाभी... उठिए ना...
शुभ्रा - (अपनी आँखे खोलती है) उँ... अरे रुप...
रुप - सॉरी भाभी... रुप नहीं नंदिनी...
शुभ्रा - (मुस्कराने की कोशिश करते हुए) ओ हो... नंदिनी... मतलब अब फूल फॉर्म में आ गई...
रुप - कोई शक़ भाभी...
शुभ्रा - ठीक है... मैं तैयार हो जाती हूँ...
रुप - हाँ भाभी आप तैयार हो जाओ... तब तक मैं भी तैयार हो जाऊंगी....
शुभ्रा - (रुप के गालों पर हाथ रखती है) क्या बात है.... आज तुम्हारी आवाज में एक अलग सी फिलिंग है...
रुप - (शुभ्रा के हाथ पर अपना हाथ रख कर) भाभी... जब मैंने राजगड़ छोड़ा... तब से आप मेरी सखी, सहेली, माँ, बहन सब कुछ थी... पर कल से आप मेरी इंस्पीरेशन हो....
शुभ्रा - अच्छा...
रुप - हाँ भाभी... और एक बात... आपकी बातों से मुझे एक बात तो मालुम हो ही गई... भैया आपसे और आप भैया से अभी भी बहुत प्यार करते हैं... मैं भगवान से प्रार्थना करुँगी के... भैया के आँखों से बहुत जल्द... क्षेत्रपाल वाली चश्मा उतर जाये...
शुभ्रा - रुप... यह सुबह सुबह क्या बोले जा रही हो...
रुप - भाभी प्लीज...
शुभ्रा - ओके ओके नंदिनी...
रुप - हाँ अब ठीक है... भाभी... क्षेत्रपाल के घर की औरतों के बारें में जो मिथक सबने अपने मन में बिठाए रखा है... वह टूटेगी...
शुभ्रा - नंदिनी...(थोड़ा डरते हुए) यह... यह तुम बोल रही हो...
रुप - हाँ भाभी... हाँ... मैं जानती हूँ... आप कल रात... कैसी ट्रॉमा से गुजरी हो... पर भाभी मैं यह कहना चाहती हूँ... अभी के लिए वह सब भूल जाओ... आपने वादा किया था... मेरा जनम दिन आप धूम धाम से मनाओगे...
शुभ्रा - बस... बस मेरी माँ... बस.. ठीक है... तुम्हारी बर्थ डे... हम शानदार तरीके से मनाएंगे... पर यह बताओ... तुम अभी तक तैयार क्यूँ नहीं हुई.... क्या सिर्फ मुझे समझाने के लिए...
रुप - हाँ... और आज से आप रोज मुझे तैयार कर कॉलेज भेजेंगी...
शुभ्रा - ओ... चलो राजकुमारी की जैसी हुकुम...
रुप - आ... ह...
शुभ्रा - (हँसते हुए) ओके नंदिनी जी...
रुप - हूँ अब ठीक है... पर एक और वजह भी है...
शुभ्रा - क्या... अरे रुको रुको.... कहीं... तुम... यह टेढ़े मेढ़े येड़े ग्रुप की बजाने वाली तो नहीं हो...
रुप - बिल्कुल... देखा कैसे समझ गई मेरे दिल की बात...
शुभ्रा - हे भगवान.... (छत की ओर देख कर) उन मूर्खों की रक्षा करना....

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वीर अपने कमरे में बेड पर पड़े अपना हाथ पैर फैलाए छत को घूर रहा है l बड़ी कोशिशों बाद भी वह रात भर सो नहीं पाया था l इसलिए बेड पर किसी लकड़ी के गट्ठे के जैसे इधर से उधर लुढ़क रहा था l गुस्सा तो नहीं था पर चिढ़ा हुआ लग रहा था l तभी बेड लैम्प के पास पड़ा उसका फोन बजने लगता है l भारी सिर और भारी आँख लेकर फोन के तरफ जाता है और फोन की डिस्प्ले देखे वगैर फोन उठाता है l

वीर - हैलो.. अनु... अभी अभी जागा हूँ... थैंक्स मुझे जगाने के लिए...
- राज कुमार... क्या आप अभी तक सोये हुए थे...
वीर - अरे युवराज जी आप... कैसे हैं... और कहाँ हैं...
विक्रम - वह बाद में बता दूँगा... पहले यह बताइए... यह अनु कौन है...
वीर - कौन अनु... कैसी अनु... आप किस अनु की बात कर रहे हैं...
विक्रम - वही अनु की बात कर रहा हूँ... जिसे अभी अभी नींद से जगाने के लिए थैंक्स कहा...
वीर - (अपना हाथ सिर पर मार कर) वह मेरी पर्सनल अस्सिटेंट कम सेक्रेटरी है... मैंने उसे जिम्मा दिया था... आज मुझे जगाने के लिए...
विक्रम - फिर एक लड़की...
वीर - (चुप रहता है)
विक्रम - खैर आपकी जिंदगी... आपकी मर्जी... आप जल्दी तैयार हो जाइए... और मुझसे आकर ऑफिस के कांफ्रेंस हॉल में मिलिए...
वीर - कोई खास बात...
विक्रम - हाँ मेरे हाथ कुछ लगा है... आई थिंक... नाउ वी कैन क्रैक द मैटर...
वीर - क्या... वह मॉल वाला मिल गया...
विक्रम - (आवाज़ कड़क करते हुए) वह मेरा पर्सनल इश्यू है...
वीर - तो... कोई दुसरा मैटर है क्या...
विक्रम - छोटे राजा जी पर हमले के बारे में....
वीर - ठीक है... कब तक पहुँचना है...
विक्रम - (कुछ नहीं कहता पर वीर को एहसास हो जाता है कि विक्रम ने गुस्से में जबड़े भींच लिए हैं)
वीर - ठीक है.. मैं बस दस पंद्रह बीस मिनट में पहुँच जाऊँगा...

कह कर फोन काट देता है और भागते हुए बाथरुम में घुस जात है l बाथरूम की आईने में अपना चेहरा देखता है l उसके मुहँ से अपने आप निकल जाता है

"अनु अनु ओ अनु"

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विश्व विजिटिंग रुम में आता है l आज विजिटिंग रुम में केवल विश्व और वैदेही हैं l कोई और था ही नहीं l

विश्व - कैसी हो दीदी...
वैदेही - अभी अभी यहाँ आने से पहले तेरे चेहरे पर मुस्कान था... बहुत अच्छा लग रहा था... क्या बात है... किस बात पर हँस रहा था...
विश्व - बस ऐसे ही... कुछ लोगों के साथ हँसी के कुछ पल निकाल ही लेता हूँ....
वैदेही - अच्छा है... मैं यह कहने आई हूँ कि मैं यहाँ... आखिरी बार आई हूँ...
विश्व - क्यूँ... जब मैं छूट जाऊँगा... उस दिन...
वैदेही - नहीं... उस दिन से लेकर पुरे महीने भर तक... तु मासी और सेनापति सर जी के यहाँ रहेगा... मैं उनकी खुशियों के बीच नहीं आना चाहती...
विश्व - वहाँ... गांव में सब कैसा है दीदी...
वैदेही - सब... सब ठीक ही है... पिछले सात सालों में.... क्या बदला है... कुछ भी तो नहीं.... हाँ तब मेरे पास मोबाइल नहीं थी... अब है... और... और कुछ भी नहीं बदला है... घड़ी और वक्त दोनों थक चुके हैं... बदलाव की पथ को तकते तकते... पर...
विश्व - (वैदेही के हाथ को पकड़ कर) बदलाव नाम का जो भूत है ना... वह मेरे साथ गांव जाएगा...
वैदेही - (मुस्करा देती है) अच्छा विशु... तुझे क्या लगता है... उस दिन अदालत में... तेरे साथ न्याय हुआ था... या अन्याय...
विश्व - दीदी... उस अदालती कारवाई को अभी तक क्यूँ अपनी दिलसे लगाए बैठे हो... तब न्याय ही हुआ था... एक बात पूछता हूँ... सच सच बताना.... आज जब अगले हफ्ते मैं इस चारदीवारी से निकलने वाला हूँ... यह सवाल तुम्हारे मन अब क्यूँ आया है...
वैदेही - क्या तुझे कभी ऐसा नहीं लगा... न्याय दिलाने के लिए जयंत सर की कोशिश.... धरी की धरी रह गई...
विश्व - नहीं... दीदी... जरा सोचो... अगर मुझे जैल नहीं हुई होती... तो मुझे अभिमन्यु की तरहा घेर चुके थे... सिर्फ़ मारना ही बाकी था... अगर छूट गया होता.. तब तक मेरी लाश को... रंग महल के लकड़बग्घे खा चुके होते... उन जजों के उस न्याय ने... आज मुझे क्षेत्रपाल से लड़ने लायक योद्धा बना दिया है.... अब हर चक्रव्यूह को भेदने वाला अर्जुन... इसलिए मुझे कोई दुख नहीं है...
वैदेही - ठीक है... अब आगे...
विश्व - दीदी.... xx#* महीने ×**× तारिख को आऊंगा... उसके बाद क्षेत्रपाल के खिलाफ कानूनी तरीके से लड़ाई होगी... इस बार... हर मोर्चे पर वह हारेगा...
वैदेही - अच्छा ठीक है... अपना खयाल रखना... अब मुझे सबसे मिल लेना होगा... क्यूंकि अब मैं भुवनेश्वर नहीं आने वाली... सबको अलविदा कहना होगा...
विश्व - ठीक है दीदी... आप अपना खयाल रखना...

पर वैदेही जाने के वजाए वहीँ सलाखों पर अपना सिर को टेक् लगा कर खड़ी रहती है l

विश्व - दीदी... फिर क्या हुआ...
वैदेही - कुछ नहीं... सोच रही हूँ... कितनी स्वार्थी हूँ मैं...
विश्व - ऐसा क्यूँ सोचने लगी तुम...
वैदेही - काश मैंने तुझे सरपंच ना बनने दिया होता.... मैंने तुझे अपनी महत्वकांक्षा के बेदी पर चढ़ा दिया.... नहीं तो तेरी अपनी जिंदगी होती... तेरी पत्नी बच्चे...
विश्व - बस दीदी बस... जो तुमसे जुड़ा हुआ है... जाहिर सी बात है वह मुझसे भी जुड़ा हुआ है... तुम न्याय की बात करते हुए... जजों के नाम लेकर खुद को क्यूँ दोषी समझ रही हो.... मैं बीवी बच्चे कर भी लेता तो क्या होता... उनकी जान इज़्ज़त के सुरक्षा की चिंता करते करते डरता रहता... अच्छा है... मेरी जिंदगी में ऐसी कोई बंधन नहीं है... और इस बात के लिए तुम कभी खुद को जिम्मेदार मत समझो...

वैदेही की आँखे नम हो जाती है l फिर वह अपनी आँखे पोछती है l

विश्व - दीदी... तुम दीदी के रुप में मेरी माँ हो... मेरी प्रथम गुरु... तुम मेरी अष्ट भवानी माँ हो... दिल करता था कि तुमसे अन्याय करने वालों के सिर को काट कर तुम्हारी चरणों में बलि चढ़ाउँ... पर अपनी एक और माँ से वादा कर दिया... की कोई खून खराबा नहीं... इसलिए अभी तक जो हुआ... ठीक हुआ है... आगे जो होगा... उसे हम ठीक करेंगे..
वैदेही - (अपनी आँखों में आंसू लिए) हूँ...
विश्व - अब कहाँ जाओगी... क्या माँ से मिलने...
वैदेही - हाँ... भुवनेश्वर में कोई और तो है नहीं... अब चूँकि मुझे आगे आना ही नहीं है.... उनसे मिले वगैर जाना तो होगा नहीं...
विश्व - हाँ ठीक है... पर दीदी... तुम बार बार यह दौरा... आखिरी बार क्यूँ कह रही हो...
वैदेही - इन सात सालों में... बहुत लड़ी हूँ... अब थकने लगी हूँ... अब आगे की लड़ाई अपने भाई के मजबुत कंधे पर छोड़ने वाली हूँ.... और मैं तमाशा देखने वाली हूँ... गांव से निकलुंगी तब... जब गाँव और कस्बे में बदलाव की लहर दौड़ रही होगी....

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XXXX कॉलेज की लाइब्रेरी में रॉकी और उसके सभी दोस्त बैठे हुए हैं l सब के सब रॉकी को गुस्से में घूर रहे हैं l कुछ दुर दीप्ति इधर से उधर उधर से इधर चल रही है l

रवि - (रॉकी से) अबे... साले... कुत्ते कमीने... प्यार का बड़ा दम भर रहा था... कमीने यह थी तेरा प्यार...
राजु - मुझे तो पहले दिन से ही डाऊट था इस पर... यह साला चुतिआ... हमें चुतिआ बना दिया...
आशीष - अभी तक तो ठीक है... पता नहीं आगे क्या होगा... अगर विक्रम या वीर को मालुम हुआ तो...
सुशील - पता नहीं... इसके मन में इतना जहर भरा हुआ था... यह जहर सिर्फ नंदिनी पर नहीं हम पर भी उतार दिया... पता नहीं नंदिनी ने क्या सोचा है... पुरी की पुरी लाइब्रेरी को अपने कब्जे में कर लिया है... हम बाहर नहीं जा सकते हैं... औ कोई अंदर नहीं आ सकता है....
रवि - क्या फोन कर के... पुलिस को बुलाएं...
राजु - विपरीत काले विनाश बुद्धि...
सुशील - तुमने कहावत गलत कहा...
राजू - हाँ साले हाँ... मालुम है मुझे... पर सभी वक़्त उल्टा चल रहा है... और ऐसे में कोई भी दिमाग चलाओगे... तो डेस्ट्रक्टीव ही होगा...

रॉकी सबकी बातेँ सुन रहा था पर किसी की बात पर कोई रिएक्शन नहीं दे रहा था l तभी लाइब्रेरी की एंट्रेंस डोर खुलती है l नंदिनी अकेली अंदर आती है l

नंदिनी - तो दीप्ति... इन्हें मेरे साथ जो हुआ... और... (रॉकी को दिखाते हुए) इस होरो के साथ क्या हुआ... सब बता दिया...
दीप्ति - हाँ... बता दिया... पर नंदिनी... जब तुम्हारे पास रॉकी का नंबर था... तो तुमने मुझे रॉकी और उसके साथियों को बुलाने के लिए क्यूँ कहा....

रुप पहले रॉकी के सामने बैठ जाती है l और अपने सभी दोस्तों को बैठने के लिए कहती है l

दीप्ति - नंदिनी प्लीज...
नंदिनी - क्यूँ तुझसे ना कहती तो किससे कहती... आखिर अपने बॉयफ्रेंड और उसके दोस्तों को तेरे सिवा और कौन बुलाता...

दीप्ति का चेहरा सफेद पड़ जाती है l और सभी लड़के हैरान हो कर कभी दीप्ति को और नंदिनी को देखते हैं l

आशीष - नंदिनी... यह क्या हो रहा है... और दीप्ति का बॉय फ्रेंड...
नंदिनी - क्यूँ रवि... अपनी गर्ल फ्रेंड के लिए कोई शब्द नहीं बोलोगे....

रवि का चेहरा उतर जाता है l अपनी बुझी हुई चेहरे से दीप्ति की ओर देखता है l दीप्ति की चेहरे पर हवाईयाँ उड़ रही है l

नंदिनी - क्या बात है राजु... तुम तो राजगड़ से हो... राजगड़ की राजकुमारी को क्या इतना बेवक़ूफ़ समझ बैठे... या भुवनेश्वर आ गए तो खुद को समझदार समझ बैठे....

राजु का सिर डर और शर्म से झुक जाता है l सिवाय रॉकी के वह अपने जबड़े भींच कर नंदिनी को देखता रहता है l

नंदिनी - तुम... (रॉकी से) तुमने अपने दिल में एक गलत फ़हमी पाल ली... उसके चलते मेरे भाइयों के वजाए मुझसे बदला लेने की सोची... वाव... (ताली मारते हुए) वाव... मेरे भाई.... ना जाने कितनी बार तुम्हारे सामने गुजरे होंगे... उन्हें कुछ नहीं कर पाए... क्यूँ... क्यूंकि तुम कायर थे... बुजदिल थे... पर मुझसे बदला लेने की सोची तुमने... नामर्द भी बन गए...और तो और क्या सपने पाल लिए थे तुमने... कॉलेज के कॉरीडोर के एक छोर पर तुम होगे और दुसरे छोर से नंदिनी भागते हुए... सारी कॉलेज के सामने गले से लग जाएगी... हूँ.. ह्.. एक नामर्द के रंगीन सपने... वैसे यह तुम्हें किसने बताया कि मेरी भाभी की शादी की वजह प्यार नहीं बलात्कार था...
रॉकी - (अपनी जबड़े भींच कर) मुझे कोई गलत फहमी नहीं थी...
नंदिनी - अच्छा किस बिनाह् पर...
रॉकी - इसलिए कि बार बार पूछे जाने पर भी पुलिस एफआईआर नहीं ले रही थी.... और इसी बात पर खीज कर जब मैं और पापा तुम्हारी भाभी के घर गए थे... वहीँ शुभ्रा जी की शादी की बात सुनकर पापा और मैं.... बिरजा किंकर अंकल से विक्रम और शुभ्रा जी के शादी की वजह पुछा... तब अंकल ने कहा था कि... अगर यह शादी ना हुई तो उनकी बेटी कहीं की नहीं रहेगी... और वह भी किसीको मुहँ दिखाने के लायक नहीं रहेंगे...
नंदिनी - तो इतनी सी बात पर तुमने प्रिज्युम कर लिया.. की तुम्हारे भाई के कातिल मेरे भाई हैं... और उनकी लव कम अरेंज मैरेज को बलात्कार कह दिया...
रॉकी - हाँ...
नंदिनी - इनॉफ... (टेबल पर हाथ को पटकते हुए) ख़बरदार.. बलात्कार कह कर उनके प्यार को गाली दी तो...

रुप की ऐसी उग्र रुप देख कर वहाँ पर मौजूद सब के चेहरे पर डर साफ दिखने लगता है l

नंदिनी - हमारे घर के मर्द चाहे कैसे भी हों... जुर्म करने और कबूलने में कोई शर्मिंदगी महसुस नहीं करते हैं... सीना ठोक कर कहते और करते हैं.... और रही तुम्हारे भाई की मौत की वीडियो है... देख लेना... शुभ्रा भाभी और राजेश जी के बीच सिर्फ दोस्ती ही थी... जब कि उनका प्यार मेरे भैया थे....

वहाँ पर नंदिनी गरज रही थी और सब चुपचाप सुन रहे थे l फिर नंदिनी ने वह सब बताने लगती है जो शुभ्रा ने उसे बताया था l

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ESS ऑफिस
कांफ्रेंस हॉल

दो लोग टेबल पर बैठे हुए हैं, वीर और महांती l विक्रम हाथ में एक मार्कर पेन लेकर व्हाइट बोर्ड के सामने खड़ा है l

वीर - कहिए युवराज जी... आपको कैसा क्लू मिला...
विक्रम - ठीक है महांती... मैंने फोन पर तुम्हें जो पता करने के लिए कहा था...
महांती - पता लग गया है...
विक्रम - वह कंस्ट्रक्शन किंग के के का बेटा है...
वीर - कौन... आप दोनों किस की बात कर रहे हैं... और केके का क्या संबंध है...
विक्रम - राजकुमार... आपको विनय महानायक याद है...
वीर - नाम सुना सुना लग रहा है...
विक्रम - वही.. जिसको प्रेसिडेंट के पोस्ट पर रिप्लेस कर... मैंने अपनी राजनीति कैरियर की आगाज़ किया था....
वीर - ओ... हाँ... याद आया... पर इस केस में यह कहाँ से आ गया...
विक्रम - के के... कमल कांत महानायक... खानदानी ए ग्रेड कंट्रैक्टर... भुवनेश्वर में... केशव एंड ग्रुप के मदत से.... कंस्ट्रक्शन के फिल्ड में ऑटोक्रेट था... उसने पालिटिक्स में भी अच्छी पहुँच बना रखा था... उसकी बदकिस्मती तब शुरु हुई... जब हम अपना पांव जमाने लग गए... आज भी वह कंस्ट्रक्शन किंग है... पर हम उसके हिस्सेदार हैं... हमने इन सात सालों में सबको दुश्मन बना कर रखा है... कोई भी हमारा दोस्त नहीं है... जो भी दोस्त बन कर साथ हैं... सबके सब दोस्त के खाल में छुपे दुश्मन हैं...
वीर - क्या...
महांती - हाँ शायद आप सच कह रहे हैं...
वीर - केशव अगर पहले केके के लिए काम कर रहा था... तो सुरा तो उसका भाई है... जिसे केके ने मरवा दिया...
विक्रम - यह हम जानते हैं... पर केशव नहीं जानता है... क्यूंकि उसे एक खास पॉलिटिशियन ने विश्वास में लिया और विश्वास दिलाया....
महांती - ऐसा कौन पॉलिटिशियन है... जो क्षेत्रपाल के खिलाफ जा सकता है...
विक्रम - वही... जिसके पास ESS की सेक्यूरिटी नहीं है...
महांती - तो फिर ऐसा कौन है... भुवनेश्वर में तो सभी ने ESS की सेक्यूरिटी ली है....
वीर - पर युवराज... आप जिसके तरफ इशारा कर रहे हैं... वह तो विशाखापट्टनम में कोमा में है...
महांती - मतलब आप... आप ओंकार चेट्टी की तरफ इशारा कर रहे हैं...
विक्रम - बिल्कुल...

महांती और वीर का मुहँ खुला का खुला रह जाता है l

महांती - इसका मतलब... चेट्टी कोमा में नहीं है... एक अलग स्टेट में बैठ कर प्लान बना रहा है... उन लोगों को लेकर... जो छोटे राजा पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी से बदला लेना चाहते हैं...
विक्रम - बिल्कुल... सबकी अपनी अपनी वजह है...
वीर - पर आपको शक़... कब और कैसे हुआ...
विक्रम - मैं पागलों की तरह... मॉल वाले दुश्मन को ढूंढ रहा था... के तभी विनय मुझसे टकरा गया... वह मुझे देख कर भागने लगा... क्यूंकि वह मुझे पहचान गया था... पर मैं उसे पहचान नहीं पाया... पर जाना पहचाना लगा... मैं फिर उसके बाद... उसके पीछे लग गया... वह जब केके के घर गया... तब मेरे जेहन में केके के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की ख्वाहिश जाग उठी... कॉलेज के बाद केके ने अपने बेटे को गायब कर दिया... फिर हमसे दोस्ती... उसके बाद... धीरे-धीरे हमारी दुश्मनी का फायदा उठा कर... हमारे ही दुश्मनों को इकट्ठा करता रहा... मौका देख कर पहले हमारी रुतबा और फिर रौब पर हमला किया...
वीर - कितना बड़ा षड्यंत्र...
महांती - वाकई बहुत बड़ा षड्यंत्र... अब क्या करें...
विक्रम - सब के सब अभी अंडरग्राउंड हैं... क्यूंकि उन्हें मालुम हो चुका है कि मैं सब कुछ जान गया हूँ...
वीर - फिर यह आईकॉन ग्रुप... यह एक सेल कंपनी है... हमें भटकाने के लिए एक वेल ऑर्गनाइज्ड सेट अप...
महांती - ओह माय गॉड... तो हमें अब क्या करना चाहिए...
विक्रम - सिर्फ एक काम...
महांती - कहिए...
विक्रम - हमारी सेक्यूरिटी में... उनका एक आदमी है... उसे ढूंढ निकालना है...

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नंदिनी सब कुछ बताती है सिवाय उसकी भाभी की बच्चा गिराने की बात को छोड़ कर l नंदिनी से सब कुछ सुनने के बाद सभी रॉकी के तरफ देखते हैं l

नंदिनी - अब बोलो... क्या कहते हो... हाँ मैंने तुमसे कोई झूठ नहीं बोला है... चाहो तो सबूत पेश कर सकती हूँ...
दीप्ति - (आँखों में आंसू लिए) सॉरी... नंदिनी...
नंदिनी - मुझे तुमसे कोई गिला नहीं है दीप्ति... तुमने सच्चे प्यार के लिए... अपने प्यार की बात मानी... और वही किया... जो सच्चे प्यार करने वालों के लिए करनी चाहिए...
रवि - नंदिनी... हमे भी माफ कर दो प्लीज... हमने भी रॉकी का साथ तब दिया... जब उसने अपनी प्यार का दम भरा था...
नंदिनी - सच्चे दिल से मांग रहे हो... या... डर के मारे...
रवि - डर है... जान की... पर उससे कहीं ज्यादा खुद से घिन है... तुम्हारी नजरों से गिरने का...
नंदिनी - ठीक है... माफ किया... चल दीप्ति हमारी गैंग हमारा इंतजार कर रही होंगी... अभी नहीं पहुँचे तो पेनाल्टी भरना होगा...

रुप और दीप्ति लाइब्रेरी से जाने के लिए निकलते हैं l उनके साथ साथ सिवाय रॉकी के सभी लड़के भी उठते हैं

रॉकी - रुको... (सभी रुक जाते हैं) रुको सब... (अपनी जगह से उठते हुए) मिस रुप नंदिनी क्षेत्रपाल... मैं आपकी बातों से कंविंस हो गया... और माना कि मैंने जो हरकत की है... वह एक कायर, बुजदिल और ना मर्दों वाला हरकत है... और इसके वजह से मैं सिर्फ तुम्हारे ही नहीं.... मेरे चड्डी बड्डी के नजरों में भी गिर गया हूँ...
नंदिनी - हाँ... जहां तक मुनासिब हो सका... मैंने तुम्हें रोकने के लिए दोस्ती की थी... पर सच्चे मन से... पर तुम तो कुछ और ही निकले...
रॉकी - ठीक है... नंदिनी... अब एक मर्द तुमसे वादा करता है... क्यूंकि अब मैं जो करूंगा... दुनिया में किसी मर्द ने वह हिम्मत ना कि होगी... तुम्हारी नजरों में अपनी कद को उपर उठाऊंगा... इतना ऊपर... के तुम सारे कॉलेज के सामने भागते हुए मेरे गले से लग जाओगी...
Jabardasttt Updateee

Lagta hai yeh Rocky pitne ke baad hi dumm bharegaa. Yaa toh Vikram Veer se yaa phir Vishwa se. Dekhte hai aage hota hai.
 

Mastmalang

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शानदार अपडेट
लेकिन ये राकी नन्दनी की जगह
विश्वा-नन्दनी हो तो अच्छा रहता
 
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Kala Nag

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Achha update है लेखक भाई नंदिनी ने रॉकी ki galatfahemi तो दूर कर दी पर यह नामुराद कुछ और ही सोचने लगा h जोश जोश मे शुभ्रा ka decision bhi bht Hadh tak सही hi है अपना बच्चा girane का कम से कम ek aur क्षेत्रपाल बनने से तो रोक लिया और अब इंतजार h नंदिनी और विश्व के मिलना का 😍 और अगले अपडेट ME क्या जवाब देती H रॉकी के इस Chutiyape जैसे challege का hahaha
हा हा हा हा
बिल्कुल
अगले अपडेट की प्रतीक्षा किजिये देखते हैं क्या होता है
 

Kala Nag

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Jabardasttt Updateee

Lagta hai yeh Rocky pitne ke baad hi dumm bharegaa. Yaa toh Vikram Veer se yaa phir Vishwa se. Dekhte hai aage hota hai.
हा हा हा हा
थैंक्यू Jaguaar भाई
हाँ अगले अपडेट में क्या हो सकता है देखते हैं
 

Kala Nag

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शानदार अपडेट
लेकिन ये राकी नन्दनी की जगह
विश्वा-नन्दनी हो तो अच्छा रहता
अनाम की राजकुमारी है
नंदिनी प्रताप की है
रुप विश्व की है
रॉकी पर आप सीरियस मत हो फ़िलहाल के लिए
अगले अपडेट की प्रतीक्षा किजिये
 

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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मित्र बहुत रोचक जानकारी के साथ शुभ्रा के बीते हुये कल अध्याय का समापन किया, विश्व मंडल संबाद रोचक था, रूप का एक नया रूप उसके दोस्तों को पता चला, विक्रम का पुनः सक्रिय होना अच्छा लगा, अब वैदेही की इच्छाशक्ति को बना कर रखिए, ये give up attitude नहीं चलेगा, उसका विश्व को साथ में खड़े रह कर सपोर्ट करना जरूरी है, अगले एपिसोड के इंतजार में....
 
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उफ्फ ये बड़बोलापन, रॉकी ने तो अंत में इंतेहा ही कर दी, अतिआत्मविश्वास की।

शानदार अपडेट।
 
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