शुभ्रा का अतीत भी पूरी तरह से खुलकर सामने आ ही गया। काफी कुछ छुपा था शुभ्रा और विक्रम के आते में। सबसे पहले तो प्रत्युष की मौत में सीधे तौर पर ना सही, पर अनजाने में विक्रम का भी हाथ था। यश ने विक्रम का लाभ उठाया था प्रत्युष को मारने के लिए। राजेश की मौत, पहले तो लगा उसके पीछे विक्रम का ही हाथ था, पर अब ये साफ हो चुका है, के वो एक हादसा था, और यदि कोई उस हादसे के लिए ज़िम्मेदार था तो वो केवल, यशवर्धन चेट्टी ही था। यश शुरू से प्रत्युष के अपने खिलाफ लिए गए कदमों से वाकिफ था, फिर निहारिका और शुभ्रा की मुलाकात से उसका निशाना शुभ्रा की तरफ भी मुड़ गया।
यश के चंगुल से तो विक्रम ने शुभ्रा को छुड़वा लिया था, पर यश ने उसकी सारी सच्चाई भी खोलकर सामने रख दी। शुभ्रा, विक्रम के बच्चे की मां बन ने वाली थी इसीलिए उसके माता – पिता के लिए इस शादी से इंकार करना असंभव सा हो गया था। दोनो की शादी तो हुई पर इस बंधन के जुड़ने के बाद दोनो पास आने की जगह दूर हो गए। विक्रम का शादी के बाद भी रंग महल जाना, शायद शुभ्रा के दिल पर चोट कर गया, और अंत में उसने अपना बच्चा गिराने का फैसला ले लिया। उसकी सोच भी सही थी, यदि उसे लड़की होती तो उस बेचारी की ज़िंदगी वैसे ही कैद में निकलती, और यदि लड़का होता तो वो शायद कई जिंदगियां, अपने क्षेत्रपाल नाम के नीचे कुचल देता।
पर मुझे कहीं न कहीं लगता है के शुभ्रा और विक्रम के बीच की ये दूरी, केवल और केवल बातचीत के अभाव का नतीजा है। जब शादी के बाद, विक्रम रंग महल से लौटा तो शुभ्रा ने उसे अपनी बात कहने का मौका नही दिया था, जबकि शायद वो उसे कुछ बताना चाहता था और इस बात को लेकर तो मेरे मन में बिल्कुल संदेह नहीं है के शादी के बाद, विक्रम पूरे होश में कभी रंग महल में वहशीपन करने नही गया होगा। पहली बार, पिनाक ने उसे ड्रग्स दी थी परंतु शुभ्रा से प्यार तो वो पूरे दिल से करता था, मुझे नही लगता के उस दिन रंग महल में उसने किसी लड़की से संबंध बनाए होंगे। वो शायद केवल भैरव सिंह को दिखाने के लिए ही वहां गया होगा।
अब विक्रम कई दिनों से विश्व के खिलाफ लड़ने के लिए तैयारी में लगा है, और इस बीच पिनाक पर हो रहे हमले की गुत्थी भी सुलझा चुका है। जैसा के पिछले कुछ भागों से ही लग रहा था, चेट्टी और क्षेत्रपाल परिवारों के बीच हुई दुश्मनी का ही नतीजा है ये। देखते हैं के वीर और विक्रम इस सबको कैसे सुलझाते हैं। वहीं, विक्रम ने कसम भी तो खाई थी के विश्व से अगली मुलाकात में या तो वो मर जाएगा या फिर वो विश्व को हरा देगा। पर क्या वो सच में विश्व को हरा पाएगा? मुझे ऐसा नही लगता। ऐसे में ये देखना रोचक होगा के विक्रम जब अगली बार विश्व से टकराएगा तो उसका नतीजा क्या होगा।
रॉकी केवल एक भ्रम में जी रहा था, राजेश की मृत्यु जोकि एक हादसा था, उसे वो हत्या समझ बैठा। पर अब नंदिनी ने उसे सच का आईना दिखा दिया है, और पिछले कुछ समय से लगातार नंदिनी उसके अंदर के मर्द पर चोट कर रही है, चाहे वो होटल हो या फिर ये लाइब्रेरी, और इसी का नतीजा है रॉकी की वो आखिरी बात, “
अब एक मर्द तुमसे वादा करता है... क्यूंकि अब मैं जो करूंगा... दुनिया में किसी मर्द ने वह हिम्मत ना कि होगी... तुम्हारी नजरों में अपनी कद को उपर उठाऊंगा... इतना ऊपर... के तुम सारे कॉलेज के सामने भागते हुए मेरे गले से लग जाओगी...”। अब क्या करने वाला है रॉकी? लगता है के रॉकी पर वो कहावत सिद्ध हो सकती है, “आसमान से गिरे और खजूर में अटके”! इतने समय से जो षड्यंत्र वो रच रहा था, उससे सस्ते में ही वो छूट रहा था, पर अगर अब उसकी किसी हरकत की भनक भी वीर या विक्रम को लगी, तो उसके साथ क्या होगा ये बताने की ज़रूरत ही नहीं है।
इधर, शुभ्रा प्रत्युष और प्रतिभा दोनों से ही परिचित है पर दोनो के बीच मां बेटे का संबध था ये नही जानती। जब उसे ये ज्ञात होगा वो भी देखने योग्य दृश्य होगा।
विश्व अब जल्दी ही जेल से छूटने वाला है, पहले तो कुछ दिन वो प्रतिभा और सेनापति साहब के साथ ही रहेगा, और मेरे खयाल में इस दौरान उसकी नंदिनी से मुलाकात और बात दोनो ही हो जाएंगी। नंदिनी नही जानती के विश्व ही अनाम है पर विश्व को शायद पता है के नंदिनी ही भैरव सिंह की बेटी है। मॉल की पार्किंग में हुई लड़ाई के दौरान शायद उसे समझ आ ही गया होगा। खैर, देखते हैं के इनकी प्रेम कहानी कब और कैसे अपने पंख फैलती है। एक बात तो पक्की है, अब तक जिस तरह नंदिनी का चरित्र उभर कर आया है, बस उसे एक चिंगारी की ज़रूरत है (जोकि निश्चित तौर पर विश्व ही होगा), और इस चिंगारी के बाद वो एक आग बनकर भैरव सिंह के खिलाफ खड़ी भी हो सकती है।
वैदैही की व्यथा और उसका कष्ट, शायद कहानी के सभी पात्रों से कहीं बड़ा है। वैसे तो, चाहे विश्व हो या रूप, चाहे विक्रम हो या शुभ्रा, या फिर सेनापति दंपति, सभी दुखों से जूझ रहें हैं, पर वैदैही की पूरी जिंदगी ही बरबाद हो चुकी है। ये केवल कहने की ही बात है के अतीत को भूलकर वर्तमान और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, परंतु जिसका अतीत इस प्रकार का हो, उसका वर्तमान और भविष्य दोनो स्वयं ही कष्टकारी हो जाते हैं। प्रतिभा ने विश्व से वादा लिया था के वो केवल कानूनी तौर पर ही भैरव सिंह से भिड़ेगा, पर मेरे खयाल में जब तक वैदैही अपने हाथों से भैरव को मौत के घाट नही उतारेगी उसकी अंतर आत्मा शांत नही हो पाएगी। और शायद उसे मारने के बाद वो स्वयं को भी समाप्त कर ले।
अनु और वीर के बीच भी एक अज्ञात बंधन बंध चुका है। अब बस ये देखना है के वीर क्या अपने क्षेत्रपाल होने के सत्य से दूर हटकर अनु को अपना बना पाएगा या नहीं? अनु उसकी सच्चाई नही जानती, जब वो जानेगी के कितनी ही लड़कियों को शायद बरबाद कर चुका है वीर, उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी इसपर? इधर, रॉकी का अगला कदम और उसका अंजाम क्या होगा? क्या शुभ्रा और विक्रम के बीच की दूरियां मिट पाएंगी? और कहानी के असली सार.. “विश्व – रूप” की भेंट कब और किन परिस्थितियों में होगी?
कई सवाल हैं जिनका जवाब आने वाले भाग में मिलेगा। बहुत बढ़िया लिख रहे हैं
Kala Nag भाई आप। कहानी को शुरू से ही लयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया है आपने, और फ्लैशबैक को भी बिल्कुल सही तरीके से लिखा गया है। शुभ्रा का अतीत काम शब्दों में ही बता दिया गया, जोकि कहानी की आवश्यकता भी थी, काफी बढ़िया लगा ये देखकर की आप बिल्कुल सही गति से कहानी को आगे बढ़ा रहें हैं। यूंही लिखते रहिए।
आउटस्टैंडिंग अपडेट्स भाई। अगली कड़ी की प्रतीक्षा में।