• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

Mr. X
4,087
15,963
144
IMG-20211022-084409


*Index *
 
Last edited:

Death Kiñg

Active Member
1,396
7,031
144
भैरव सिंह और विश्व के बीच हुई मुलाकात के दूरगामी परिणाम निकलते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। भैरव सिंह पहचान तो नहीं पाया विश्व को उस पार्टी में परंतु उसकी बातों और ऑरा ने मजबूर कर दिया भैरव को सोचने पर। देखा जाए तो इस समय भैरव सिंह की स्थिति बेहद ही खराब है, एक ओर से विश्व को लेकर जो कुछ भी उसे पता चला वो, और दूसरी तरफ विश्व से पार्टी में हुई मुलाकात। साफ है की भैरव सिंह की गाड़ी पटरी से भटकने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है, सही मायनों में अब विश्व की इस खेल में ड्राइविंग सीट पर होने वाला है और भैरव सिंह केवल रक्षात्मक रवईया अपनाए हुए है।

भैरव सिंह और वैदैही के बीच हुए तर्क – वितर्क ने कहानी में अलग सी जान फूंक दी। जैसा की और भी कई पाठकों ने कहा ही, वैदैही इस कहानी की सबसे सशक्त किरदार है, वो भी तब जब उसका किरदार या तो फ्लैशबैक में दिखा है, या केवल कुछ ही अंशों में। अभी तक इस कहानी के मुख्यधारा के किसी किरदार के सबसे कम दर्शन हुए हैं, तो वो वैदैही ही है, परंतु इसके बावजूद वैदैही ने अपनी एक अलग ही छाप छोड़ दी है। उसके साथ जो कुछ हुआ, जो कुछ उसने बर्दाश्त किया, ना सिर्फ वो, बल्कि जिस तरह से वो दोबारा उठ खड़ी हुई और उस राक्षस की आंखों में झांककर उसे हकीकत से रूबरू करवाया, वैदैही है मायने में बेहद खास है। नारी शक्ति और नारी के हृदय की ताकत की पराकाष्ठा है वैदैही!

खैर, भैरव सिंह को भी चारों ओर अंधेरा दिखाई देने लगा है, वैदैही का श्राप स्मरण हो आया है उसे। साफ है को विश्व ने बिना कुछ खास किए भी भैरव सिंह की जड़ों को हिला दिया है। अभी तो बस शुरुआत ही हुई है, एक – एक कर जब भैरव सिंह की विरासत से रत्न गायब होने लगेंगे, तब उसकी हालत देखने लायक होगी। सबसे बड़ा झटका विक्रम ही होगा भैरव के लिए, चूंकि विक्रम बुद्धिमान है, चालाक है, इसीलिए उसका टूटकर क्षेत्रपालों से अलग होना, एक बेहद ही गहरी हानि सबैत होगा। अनिकेत की मृत्यु तो तभी तय हो गई थी जब उसने नंदिनी से अभद्रता की थी, देखते हैं उसका क्या होगा अगर चलकर?

पहली ही चाल से आगे की कहानी का अंदाजा लगाया जा सकता है। अपने आप को पूरे राज्य का कर्ता – धर्ता कहने वाला भैरव सिंह, विश्व की पहली चाल पर मात खा गया और रक्षात्मक शैली को अपना लिया। अपने तीनों कुत्तों की सलाह पर उसने उन आंशिक गवाहों को पागल साबित करने का फैसला किया है, यही हार है भैरव सिंह की। कहां तो वो खुद ही सारा जाल बिछाया करता था, और अपने शिकार को उसमें फंसते देखकर रस लेता था, वहीं अब वो खुद एक जाल में फंसा है और उसे काटने का प्रयास कर रहा है...

इधर वीर का रिश्ता लेकर अनु के घर पहुंच गई थी सुषमा और जैसा की वीर ने दादी से वादा किया ही था, वही हुआ। सुषमा के रूप में एक मां का स्नेह प्राप्त हुआ अनु को, सचमें काफी भावनात्मक दृश्य था वो। अनु और वीर की प्रेम कहानी, क्षेत्रपाल साम्राज्य की नींव को हर बीतते पल के साथ खोखला करती जा रही है। वीर ने जो बातें कहीं अनु से वो काफी हैं दर्शाने के लिए की भविष्य में क्या हो सकता है? सुषमा से बातचीत के दौरान पिनाक के हाव – भाव और शब्दों से स्पष्ट था की यदि अनु और वीर के बारे में उसे पता चला तो वो शायद अनु को हानि पहुंचाने से भी नहीं सकुचाएगा, और यदि ऐसा कुछ उसने किया, तो जो दूरी बाप – बेटे के बीच शुरू से है, वो एक खाई में परिवर्तित हो जायेगी!

अनु और वीर का एक – दूसरे की बाहों में टूटना, वो दृश्य भी बेहद ही सुंदर था। अब लगता है की इन दोनों के प्रेम – प्रणय के कुछ और भी किस्से आगे पढ़ने को मिलेंगे। बहरहाल, अनु ने साबित किया है की प्रेम किसी को भी बदल सकता है। एक हैवान को इंसान बना देना, केवल किताबी बात लगती है सुनने में, परंतु अनु ने सचमें ऐसा कर दिखाया है, इसके लिए उस लड़की का पावन हृदय ही एकमात्र कारण है। लगने लगा है की अनु का जन्म ही इसलिए हुआ था ताकि वो एक भटके हुए व्यक्ति को सही मार्ग पर ला सके, और उसके छलावे भरे जीवन को सही मायनों में महका सके।

इधर शुभ्रा और विक्रम की प्रेम कहानी अभी भी उसी मोड़ पर अटकी हुई है, जहां शादी के समय खड़ी थी और मुझे नहीं लगता को अपने आप ये गाड़ी चलने वाली है, आगे की तरफ। शायद नंदिनी जी ही इनका बेड़ा पार लगाएंगी, क्योंकि शुभ्रा मैडम पूरी तरह कन्फ्यूज हुईं पड़ीं हैं। वहीं विक्रम, को हक्का – बक्का किया हुआ है विश्वा बाबू ने। देखने लायक होगा की किस प्रकार इन दोनों के मध्य सब कुछ सामान्य होगा, मेरे ख्याल से अतीत के सभी राज़, सब कही – अनकही बातें जब तक खुलकर एक – दूसरे से नहीं कह देंगे ये दोनों, ये टसल चलती ही रहेगी। वैसे अजब कहानी के किरदार हैं ये सभी, यहां विश्वा जैसा बंदा जिसका खुद का हाथ प्रेम के मामले में तंग है वो वीर को प्रेम का पाठ पढ़ा रहा था, वहीं शादीशुदा होते हुए भी विक्रम – शुभ्रा को नंदिनी की काउंसलिंग की ज़रूरत पड़ने वाली है। जय हो इन महानुभावों की...

देखा जाए तो ये तीनों भाग भैरव सिंह के मन में चल रहे द्वंद्व पर ही आधारित थे। अच्छा लगा देखकर की उसकी फट चुकी है। खैर, विक्रम और विश्व के बीच भी खुले शब्दों में बातचीत हो गई। विश्व ने साफ कर दिया है की भले ही विक्रम एक वादे से बंधा हो परंतु वो खुद पूरी तरह आजाद है, वैसे मुझे नहीं लगता की विक्रम कुछ भी उल्टा – सीधा करेगा यहां पर। इधर विक्रम ने विश्व को परखने के लिए बुलाया था जोकि उसने कर भी लिया। महंती से उसकी बातों से साफ है की वो विश्व के चरित्र की गहराई समझ गया है, और इसीलिए उसने रूप फाउंडेशन स्कैम को खंगालने का निश्चय किया है। यही विक्रम यदि अच्छे कार्यों में अपनी बुद्धि लगाए, तो क्या ही बात हो, नहीं..?

जैसा मैंने कहा वो बुद्धिमान और चालाक तो है परंतु मार्ग से भटका हुआ है। विश्व ने जो आखिरी बात कही थी उससे,वही सारी स्थिति को साफ कर देती है। देखते हैं कब वो समय आएगा, जब अंततः विक्रम दोराहे पर नहीं खड़ा होगा। इधर सुप्रिया से बात हो गई है विश्व की, सुप्रिया का भाई था प्रवीण जिसे क्षेत्रपालों के अहंकार की बलि चढ़ा दिया गया, और उसकी भाभी के साथ क्या हुआ, वो लिखने की जरूरत नहीं। उसकी दुश्मनी निजी है क्षेत्रपालों से इसलिए वो धोखा तो देगी नहीं विश्व को इस जंग के मध्य में और ऐसे एक विश्वसनीय व्यक्ति का साथ होना, बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है विश्व के लिए। देखते हैं आगे क्या करते हैं ये दोनों मिलकर।

विश्व को पता चल गया था की नंदिनी ने उसके कपड़ों में माइक लगाया हुआ है। नतीजतन, उसने बात की नंदिनी से और बताया की वो बचपन से ही किसी और को चाहता है, अब इसपर नंदिनी खुश हो या दुखी, ये असली सवाल है। वैसे खुश ही होगी ये जानकर की उसके अनाम को उसकी राजकुमारी याद है, और आज भी वो उसे चाहता है। अभी के लिए भले ही उसने नंदिनी का नंबर ब्लॉक कर दिया है, पर जल्द ही दोनों के दिल की तार जुड़ने वाली है, बस एक बार कहानी राजगढ़ का रुख कर ले!

अब देखना ये है की उस अंजान आदमी को पकड़ने के लिए क्या करेगा वीर, उसे ढूंढ भी पाएगा या नहीं? विक्रम और शुभ्रा के बीच का सामान्य होगा सब कुछ? भैरव सिंह आगे क्या करेगा और सबसे महत्वपूर्ण राजकुमारी नंदिनी जी आगे क्या करने वालीं हैं, विश्व के बारे में सारी जानकारी कहां से प्राप्त करने वाली है वो, मिलेगी प्रतिभा से या कुछ और..?

तीनों ही भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। अनु और वीर की प्रेम कहानी ही छाई हुई है अभी तो इस कथा में, सुषमा का उसके घर रिश्ता लेकर जाना, अनु का शर्माना और फिर अनु और वीर का मिलना, सब कुछ बहुत ही खूबसूरती से लिखा आपने। वहीं, भैरव सिंह की छटपटाहट भी बड़ी कुशलता से दर्शाई है आपने।

प्रतीक्षा अगली कड़ी की...
 

Nobeless

Member
152
476
78
भैरव सिंह और विश्व के बीच हुई मुलाकात के दूरगामी परिणाम निकलते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। भैरव सिंह पहचान तो नहीं पाया विश्व को उस पार्टी में परंतु उसकी बातों और ऑरा ने मजबूर कर दिया भैरव को सोचने पर। देखा जाए तो इस समय भैरव सिंह की स्थिति बेहद ही खराब है, एक ओर से विश्व को लेकर जो कुछ भी उसे पता चला वो, और दूसरी तरफ विश्व से पार्टी में हुई मुलाकात। साफ है की भैरव सिंह की गाड़ी पटरी से भटकने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है, सही मायनों में अब विश्व की इस खेल में ड्राइविंग सीट पर होने वाला है और भैरव सिंह केवल रक्षात्मक रवईया अपनाए हुए है।

भैरव सिंह और वैदैही के बीच हुए तर्क – वितर्क ने कहानी में अलग सी जान फूंक दी। जैसा की और भी कई पाठकों ने कहा ही, वैदैही इस कहानी की सबसे सशक्त किरदार है, वो भी तब जब उसका किरदार या तो फ्लैशबैक में दिखा है, या केवल कुछ ही अंशों में। अभी तक इस कहानी के मुख्यधारा के किसी किरदार के सबसे कम दर्शन हुए हैं, तो वो वैदैही ही है, परंतु इसके बावजूद वैदैही ने अपनी एक अलग ही छाप छोड़ दी है। उसके साथ जो कुछ हुआ, जो कुछ उसने बर्दाश्त किया, ना सिर्फ वो, बल्कि जिस तरह से वो दोबारा उठ खड़ी हुई और उस राक्षस की आंखों में झांककर उसे हकीकत से रूबरू करवाया, वैदैही है मायने में बेहद खास है। नारी शक्ति और नारी के हृदय की ताकत की पराकाष्ठा है वैदैही!

खैर, भैरव सिंह को भी चारों ओर अंधेरा दिखाई देने लगा है, वैदैही का श्राप स्मरण हो आया है उसे। साफ है को विश्व ने बिना कुछ खास किए भी भैरव सिंह की जड़ों को हिला दिया है। अभी तो बस शुरुआत ही हुई है, एक – एक कर जब भैरव सिंह की विरासत से रत्न गायब होने लगेंगे, तब उसकी हालत देखने लायक होगी। सबसे बड़ा झटका विक्रम ही होगा भैरव के लिए, चूंकि विक्रम बुद्धिमान है, चालाक है, इसीलिए उसका टूटकर क्षेत्रपालों से अलग होना, एक बेहद ही गहरी हानि सबैत होगा। अनिकेत की मृत्यु तो तभी तय हो गई थी जब उसने नंदिनी से अभद्रता की थी, देखते हैं उसका क्या होगा अगर चलकर?

पहली ही चाल से आगे की कहानी का अंदाजा लगाया जा सकता है। अपने आप को पूरे राज्य का कर्ता – धर्ता कहने वाला भैरव सिंह, विश्व की पहली चाल पर मात खा गया और रक्षात्मक शैली को अपना लिया। अपने तीनों कुत्तों की सलाह पर उसने उन आंशिक गवाहों को पागल साबित करने का फैसला किया है, यही हार है भैरव सिंह की। कहां तो वो खुद ही सारा जाल बिछाया करता था, और अपने शिकार को उसमें फंसते देखकर रस लेता था, वहीं अब वो खुद एक जाल में फंसा है और उसे काटने का प्रयास कर रहा है...

इधर वीर का रिश्ता लेकर अनु के घर पहुंच गई थी सुषमा और जैसा की वीर ने दादी से वादा किया ही था, वही हुआ। सुषमा के रूप में एक मां का स्नेह प्राप्त हुआ अनु को, सचमें काफी भावनात्मक दृश्य था वो। अनु और वीर की प्रेम कहानी, क्षेत्रपाल साम्राज्य की नींव को हर बीतते पल के साथ खोखला करती जा रही है। वीर ने जो बातें कहीं अनु से वो काफी हैं दर्शाने के लिए की भविष्य में क्या हो सकता है? सुषमा से बातचीत के दौरान पिनाक के हाव – भाव और शब्दों से स्पष्ट था की यदि अनु और वीर के बारे में उसे पता चला तो वो शायद अनु को हानि पहुंचाने से भी नहीं सकुचाएगा, और यदि ऐसा कुछ उसने किया, तो जो दूरी बाप – बेटे के बीच शुरू से है, वो एक खाई में परिवर्तित हो जायेगी!

अनु और वीर का एक – दूसरे की बाहों में टूटना, वो दृश्य भी बेहद ही सुंदर था। अब लगता है की इन दोनों के प्रेम – प्रणय के कुछ और भी किस्से आगे पढ़ने को मिलेंगे। बहरहाल, अनु ने साबित किया है की प्रेम किसी को भी बदल सकता है। एक हैवान को इंसान बना देना, केवल किताबी बात लगती है सुनने में, परंतु अनु ने सचमें ऐसा कर दिखाया है, इसके लिए उस लड़की का पावन हृदय ही एकमात्र कारण है। लगने लगा है की अनु का जन्म ही इसलिए हुआ था ताकि वो एक भटके हुए व्यक्ति को सही मार्ग पर ला सके, और उसके छलावे भरे जीवन को सही मायनों में महका सके।

इधर शुभ्रा और विक्रम की प्रेम कहानी अभी भी उसी मोड़ पर अटकी हुई है, जहां शादी के समय खड़ी थी और मुझे नहीं लगता को अपने आप ये गाड़ी चलने वाली है, आगे की तरफ। शायद नंदिनी जी ही इनका बेड़ा पार लगाएंगी, क्योंकि शुभ्रा मैडम पूरी तरह कन्फ्यूज हुईं पड़ीं हैं। वहीं विक्रम, को हक्का – बक्का किया हुआ है विश्वा बाबू ने। देखने लायक होगा की किस प्रकार इन दोनों के मध्य सब कुछ सामान्य होगा, मेरे ख्याल से अतीत के सभी राज़, सब कही – अनकही बातें जब तक खुलकर एक – दूसरे से नहीं कह देंगे ये दोनों, ये टसल चलती ही रहेगी। वैसे अजब कहानी के किरदार हैं ये सभी, यहां विश्वा जैसा बंदा जिसका खुद का हाथ प्रेम के मामले में तंग है वो वीर को प्रेम का पाठ पढ़ा रहा था, वहीं शादीशुदा होते हुए भी विक्रम – शुभ्रा को नंदिनी की काउंसलिंग की ज़रूरत पड़ने वाली है। जय हो इन महानुभावों की...

देखा जाए तो ये तीनों भाग भैरव सिंह के मन में चल रहे द्वंद्व पर ही आधारित थे। अच्छा लगा देखकर की उसकी फट चुकी है। खैर, विक्रम और विश्व के बीच भी खुले शब्दों में बातचीत हो गई। विश्व ने साफ कर दिया है की भले ही विक्रम एक वादे से बंधा हो परंतु वो खुद पूरी तरह आजाद है, वैसे मुझे नहीं लगता की विक्रम कुछ भी उल्टा – सीधा करेगा यहां पर। इधर विक्रम ने विश्व को परखने के लिए बुलाया था जोकि उसने कर भी लिया। महंती से उसकी बातों से साफ है की वो विश्व के चरित्र की गहराई समझ गया है, और इसीलिए उसने रूप फाउंडेशन स्कैम को खंगालने का निश्चय किया है। यही विक्रम यदि अच्छे कार्यों में अपनी बुद्धि लगाए, तो क्या ही बात हो, नहीं..?

जैसा मैंने कहा वो बुद्धिमान और चालाक तो है परंतु मार्ग से भटका हुआ है। विश्व ने जो आखिरी बात कही थी उससे,वही सारी स्थिति को साफ कर देती है। देखते हैं कब वो समय आएगा, जब अंततः विक्रम दोराहे पर नहीं खड़ा होगा। इधर सुप्रिया से बात हो गई है विश्व की, सुप्रिया का भाई था प्रवीण जिसे क्षेत्रपालों के अहंकार की बलि चढ़ा दिया गया, और उसकी भाभी के साथ क्या हुआ, वो लिखने की जरूरत नहीं। उसकी दुश्मनी निजी है क्षेत्रपालों से इसलिए वो धोखा तो देगी नहीं विश्व को इस जंग के मध्य में और ऐसे एक विश्वसनीय व्यक्ति का साथ होना, बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है विश्व के लिए। देखते हैं आगे क्या करते हैं ये दोनों मिलकर।

विश्व को पता चल गया था की नंदिनी ने उसके कपड़ों में माइक लगाया हुआ है। नतीजतन, उसने बात की नंदिनी से और बताया की वो बचपन से ही किसी और को चाहता है, अब इसपर नंदिनी खुश हो या दुखी, ये असली सवाल है। वैसे खुश ही होगी ये जानकर की उसके अनाम को उसकी राजकुमारी याद है, और आज भी वो उसे चाहता है। अभी के लिए भले ही उसने नंदिनी का नंबर ब्लॉक कर दिया है, पर जल्द ही दोनों के दिल की तार जुड़ने वाली है, बस एक बार कहानी राजगढ़ का रुख कर ले!

अब देखना ये है की उस अंजान आदमी को पकड़ने के लिए क्या करेगा वीर, उसे ढूंढ भी पाएगा या नहीं? विक्रम और शुभ्रा के बीच का सामान्य होगा सब कुछ? भैरव सिंह आगे क्या करेगा और सबसे महत्वपूर्ण राजकुमारी नंदिनी जी आगे क्या करने वालीं हैं, विश्व के बारे में सारी जानकारी कहां से प्राप्त करने वाली है वो, मिलेगी प्रतिभा से या कुछ और..?

तीनों ही भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। अनु और वीर की प्रेम कहानी ही छाई हुई है अभी तो इस कथा में, सुषमा का उसके घर रिश्ता लेकर जाना, अनु का शर्माना और फिर अनु और वीर का मिलना, सब कुछ बहुत ही खूबसूरती से लिखा आपने। वहीं, भैरव सिंह की छटपटाहट भी बड़ी कुशलता से दर्शाई है आपने।

प्रतीक्षा अगली कड़ी की...

Best review on the recents chapters @deathking bhai मजा आ गया इतना detailed review पढ़कर 😘😘
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,179
12,427
159
Congratulations Kala Nag Bhai, for completing 400 pages


Proud Congrats GIF by Gerbert!
 

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
563
3,767
123
400 पृष्ठ पूरे होने की बधाई आपको भाई। :congrats:
भैरव सिंह और विश्व के बीच हुई मुलाकात के दूरगामी परिणाम निकलते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। भैरव सिंह पहचान तो नहीं पाया विश्व को उस पार्टी में परंतु उसकी बातों और ऑरा ने मजबूर कर दिया भैरव को सोचने पर। देखा जाए तो इस समय भैरव सिंह की स्थिति बेहद ही खराब है, एक ओर से विश्व को लेकर जो कुछ भी उसे पता चला वो, और दूसरी तरफ विश्व से पार्टी में हुई मुलाकात। साफ है की भैरव सिंह की गाड़ी पटरी से भटकने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है, सही मायनों में अब विश्व की इस खेल में ड्राइविंग सीट पर होने वाला है और भैरव सिंह केवल रक्षात्मक रवईया अपनाए हुए है।

भैरव सिंह और वैदैही के बीच हुए तर्क – वितर्क ने कहानी में अलग सी जान फूंक दी। जैसा की और भी कई पाठकों ने कहा ही, वैदैही इस कहानी की सबसे सशक्त किरदार है, वो भी तब जब उसका किरदार या तो फ्लैशबैक में दिखा है, या केवल कुछ ही अंशों में। अभी तक इस कहानी के मुख्यधारा के किसी किरदार के सबसे कम दर्शन हुए हैं, तो वो वैदैही ही है, परंतु इसके बावजूद वैदैही ने अपनी एक अलग ही छाप छोड़ दी है। उसके साथ जो कुछ हुआ, जो कुछ उसने बर्दाश्त किया, ना सिर्फ वो, बल्कि जिस तरह से वो दोबारा उठ खड़ी हुई और उस राक्षस की आंखों में झांककर उसे हकीकत से रूबरू करवाया, वैदैही है मायने में बेहद खास है। नारी शक्ति और नारी के हृदय की ताकत की पराकाष्ठा है वैदैही!

खैर, भैरव सिंह को भी चारों ओर अंधेरा दिखाई देने लगा है, वैदैही का श्राप स्मरण हो आया है उसे। साफ है को विश्व ने बिना कुछ खास किए भी भैरव सिंह की जड़ों को हिला दिया है। अभी तो बस शुरुआत ही हुई है, एक – एक कर जब भैरव सिंह की विरासत से रत्न गायब होने लगेंगे, तब उसकी हालत देखने लायक होगी। सबसे बड़ा झटका विक्रम ही होगा भैरव के लिए, चूंकि विक्रम बुद्धिमान है, चालाक है, इसीलिए उसका टूटकर क्षेत्रपालों से अलग होना, एक बेहद ही गहरी हानि सबैत होगा। अनिकेत की मृत्यु तो तभी तय हो गई थी जब उसने नंदिनी से अभद्रता की थी, देखते हैं उसका क्या होगा अगर चलकर?

पहली ही चाल से आगे की कहानी का अंदाजा लगाया जा सकता है। अपने आप को पूरे राज्य का कर्ता – धर्ता कहने वाला भैरव सिंह, विश्व की पहली चाल पर मात खा गया और रक्षात्मक शैली को अपना लिया। अपने तीनों कुत्तों की सलाह पर उसने उन आंशिक गवाहों को पागल साबित करने का फैसला किया है, यही हार है भैरव सिंह की। कहां तो वो खुद ही सारा जाल बिछाया करता था, और अपने शिकार को उसमें फंसते देखकर रस लेता था, वहीं अब वो खुद एक जाल में फंसा है और उसे काटने का प्रयास कर रहा है...

इधर वीर का रिश्ता लेकर अनु के घर पहुंच गई थी सुषमा और जैसा की वीर ने दादी से वादा किया ही था, वही हुआ। सुषमा के रूप में एक मां का स्नेह प्राप्त हुआ अनु को, सचमें काफी भावनात्मक दृश्य था वो। अनु और वीर की प्रेम कहानी, क्षेत्रपाल साम्राज्य की नींव को हर बीतते पल के साथ खोखला करती जा रही है। वीर ने जो बातें कहीं अनु से वो काफी हैं दर्शाने के लिए की भविष्य में क्या हो सकता है? सुषमा से बातचीत के दौरान पिनाक के हाव – भाव और शब्दों से स्पष्ट था की यदि अनु और वीर के बारे में उसे पता चला तो वो शायद अनु को हानि पहुंचाने से भी नहीं सकुचाएगा, और यदि ऐसा कुछ उसने किया, तो जो दूरी बाप – बेटे के बीच शुरू से है, वो एक खाई में परिवर्तित हो जायेगी!

अनु और वीर का एक – दूसरे की बाहों में टूटना, वो दृश्य भी बेहद ही सुंदर था। अब लगता है की इन दोनों के प्रेम – प्रणय के कुछ और भी किस्से आगे पढ़ने को मिलेंगे। बहरहाल, अनु ने साबित किया है की प्रेम किसी को भी बदल सकता है। एक हैवान को इंसान बना देना, केवल किताबी बात लगती है सुनने में, परंतु अनु ने सचमें ऐसा कर दिखाया है, इसके लिए उस लड़की का पावन हृदय ही एकमात्र कारण है। लगने लगा है की अनु का जन्म ही इसलिए हुआ था ताकि वो एक भटके हुए व्यक्ति को सही मार्ग पर ला सके, और उसके छलावे भरे जीवन को सही मायनों में महका सके।

इधर शुभ्रा और विक्रम की प्रेम कहानी अभी भी उसी मोड़ पर अटकी हुई है, जहां शादी के समय खड़ी थी और मुझे नहीं लगता को अपने आप ये गाड़ी चलने वाली है, आगे की तरफ। शायद नंदिनी जी ही इनका बेड़ा पार लगाएंगी, क्योंकि शुभ्रा मैडम पूरी तरह कन्फ्यूज हुईं पड़ीं हैं। वहीं विक्रम, को हक्का – बक्का किया हुआ है विश्वा बाबू ने। देखने लायक होगा की किस प्रकार इन दोनों के मध्य सब कुछ सामान्य होगा, मेरे ख्याल से अतीत के सभी राज़, सब कही – अनकही बातें जब तक खुलकर एक – दूसरे से नहीं कह देंगे ये दोनों, ये टसल चलती ही रहेगी। वैसे अजब कहानी के किरदार हैं ये सभी, यहां विश्वा जैसा बंदा जिसका खुद का हाथ प्रेम के मामले में तंग है वो वीर को प्रेम का पाठ पढ़ा रहा था, वहीं शादीशुदा होते हुए भी विक्रम – शुभ्रा को नंदिनी की काउंसलिंग की ज़रूरत पड़ने वाली है। जय हो इन महानुभावों की...

देखा जाए तो ये तीनों भाग भैरव सिंह के मन में चल रहे द्वंद्व पर ही आधारित थे। अच्छा लगा देखकर की उसकी फट चुकी है। खैर, विक्रम और विश्व के बीच भी खुले शब्दों में बातचीत हो गई। विश्व ने साफ कर दिया है की भले ही विक्रम एक वादे से बंधा हो परंतु वो खुद पूरी तरह आजाद है, वैसे मुझे नहीं लगता की विक्रम कुछ भी उल्टा – सीधा करेगा यहां पर। इधर विक्रम ने विश्व को परखने के लिए बुलाया था जोकि उसने कर भी लिया। महंती से उसकी बातों से साफ है की वो विश्व के चरित्र की गहराई समझ गया है, और इसीलिए उसने रूप फाउंडेशन स्कैम को खंगालने का निश्चय किया है। यही विक्रम यदि अच्छे कार्यों में अपनी बुद्धि लगाए, तो क्या ही बात हो, नहीं..?

जैसा मैंने कहा वो बुद्धिमान और चालाक तो है परंतु मार्ग से भटका हुआ है। विश्व ने जो आखिरी बात कही थी उससे,वही सारी स्थिति को साफ कर देती है। देखते हैं कब वो समय आएगा, जब अंततः विक्रम दोराहे पर नहीं खड़ा होगा। इधर सुप्रिया से बात हो गई है विश्व की, सुप्रिया का भाई था प्रवीण जिसे क्षेत्रपालों के अहंकार की बलि चढ़ा दिया गया, और उसकी भाभी के साथ क्या हुआ, वो लिखने की जरूरत नहीं। उसकी दुश्मनी निजी है क्षेत्रपालों से इसलिए वो धोखा तो देगी नहीं विश्व को इस जंग के मध्य में और ऐसे एक विश्वसनीय व्यक्ति का साथ होना, बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है विश्व के लिए। देखते हैं आगे क्या करते हैं ये दोनों मिलकर।

विश्व को पता चल गया था की नंदिनी ने उसके कपड़ों में माइक लगाया हुआ है। नतीजतन, उसने बात की नंदिनी से और बताया की वो बचपन से ही किसी और को चाहता है, अब इसपर नंदिनी खुश हो या दुखी, ये असली सवाल है। वैसे खुश ही होगी ये जानकर की उसके अनाम को उसकी राजकुमारी याद है, और आज भी वो उसे चाहता है। अभी के लिए भले ही उसने नंदिनी का नंबर ब्लॉक कर दिया है, पर जल्द ही दोनों के दिल की तार जुड़ने वाली है, बस एक बार कहानी राजगढ़ का रुख कर ले!

अब देखना ये है की उस अंजान आदमी को पकड़ने के लिए क्या करेगा वीर, उसे ढूंढ भी पाएगा या नहीं? विक्रम और शुभ्रा के बीच का सामान्य होगा सब कुछ? भैरव सिंह आगे क्या करेगा और सबसे महत्वपूर्ण राजकुमारी नंदिनी जी आगे क्या करने वालीं हैं, विश्व के बारे में सारी जानकारी कहां से प्राप्त करने वाली है वो, मिलेगी प्रतिभा से या कुछ और..?

तीनों ही भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। अनु और वीर की प्रेम कहानी ही छाई हुई है अभी तो इस कथा में, सुषमा का उसके घर रिश्ता लेकर जाना, अनु का शर्माना और फिर अनु और वीर का मिलना, सब कुछ बहुत ही खूबसूरती से लिखा आपने। वहीं, भैरव सिंह की छटपटाहट भी बड़ी कुशलता से दर्शाई है आपने।

प्रतीक्षा अगली कड़ी की...
अद्भुत 😍 जय हो पूर्ण रूप से वर्णित प्रतिक्रिया...
 

Kala Nag

Mr. X
4,087
15,963
144
भैरव सिंह और विश्व के बीच हुई मुलाकात के दूरगामी परिणाम निकलते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। भैरव सिंह पहचान तो नहीं पाया विश्व को उस पार्टी में परंतु उसकी बातों और ऑरा ने मजबूर कर दिया भैरव को सोचने पर। देखा जाए तो इस समय भैरव सिंह की स्थिति बेहद ही खराब है, एक ओर से विश्व को लेकर जो कुछ भी उसे पता चला वो, और दूसरी तरफ विश्व से पार्टी में हुई मुलाकात। साफ है की भैरव सिंह की गाड़ी पटरी से भटकने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है, सही मायनों में अब विश्व की इस खेल में ड्राइविंग सीट पर होने वाला है और भैरव सिंह केवल रक्षात्मक रवईया अपनाए हुए है।
भैरव सिंह अभी चौंका है
विश्व ही वह शख्स है जिसने उसे डिफेंस खेलने के लिए मजबूर किया है, अभी वह जानता नहीं है बहुत जल्द उसे झटका लगने वाला है क्यूंकि विश्व राजगड़ पहुँचने वाला है
भैरव सिंह और वैदैही के बीच हुए तर्क – वितर्क ने कहानी में अलग सी जान फूंक दी। जैसा की और भी कई पाठकों ने कहा ही, वैदैही इस कहानी की सबसे सशक्त किरदार है, वो भी तब जब उसका किरदार या तो फ्लैशबैक में दिखा है, या केवल कुछ ही अंशों में। अभी तक इस कहानी के मुख्यधारा के किसी किरदार के सबसे कम दर्शन हुए हैं, तो वो वैदैही ही है, परंतु इसके बावजूद वैदैही ने अपनी एक अलग ही छाप छोड़ दी है। उसके साथ जो कुछ हुआ, जो कुछ उसने बर्दाश्त किया, ना सिर्फ वो, बल्कि जिस तरह से वो दोबारा उठ खड़ी हुई और उस राक्षस की आंखों में झांककर उसे हकीकत से रूबरू करवाया, वैदैही है मायने में बेहद खास है। नारी शक्ति और नारी के हृदय की ताकत की पराकाष्ठा है वैदैही!
हाँ इस कहानी की सूत्रधार वैदेही ही है, विश्व उसका हथियार है
चूँकि अब कहानी फ्लैशबैक में जाएगी और राजगड़ और उसके इर्द गिर्द रहेगी, तब वैदेही की भूमिका में बढ़ोतरी होगी l यह मत भूलें विश्व को सरपंच चुनाव में खड़े होने के लिए वैदेही ने ही तैयार किया था l
खैर, भैरव सिंह को भी चारों ओर अंधेरा दिखाई देने लगा है, वैदैही का श्राप स्मरण हो आया है उसे। साफ है को विश्व ने बिना कुछ खास किए भी भैरव सिंह की जड़ों को हिला दिया है। अभी तो बस शुरुआत ही हुई है, एक – एक कर जब भैरव सिंह की विरासत से रत्न गायब होने लगेंगे, तब उसकी हालत देखने लायक होगी। सबसे बड़ा झटका विक्रम ही होगा भैरव के लिए, चूंकि विक्रम बुद्धिमान है, चालाक है, इसीलिए उसका टूटकर क्षेत्रपालों से अलग होना, एक बेहद ही गहरी हानि सबैत होगा। अनिकेत की मृत्यु तो तभी तय हो गई थी जब उसने नंदिनी से अभद्रता की थी, देखते हैं उसका क्या होगा अगर चलकर?
हाँ भैरव सिंह के लिए सबसे बड़ा झटका विक्रम ही होगा, भैरव सिंह भले ही अपने सांचे में ढाला है उसे पर वह ढला नहीं है
विक्रम पूरी तरह से डंके के चोट पर भैरव सिंह के खिलाफ हो जाएगा वजह वीर होगा
पहली ही चाल से आगे की कहानी का अंदाजा लगाया जा सकता है। अपने आप को पूरे राज्य का कर्ता – धर्ता कहने वाला भैरव सिंह, विश्व की पहली चाल पर मात खा गया और रक्षात्मक शैली को अपना लिया। अपने तीनों कुत्तों की सलाह पर उसने उन आंशिक गवाहों को पागल साबित करने का फैसला किया है, यही हार है भैरव सिंह की। कहां तो वो खुद ही सारा जाल बिछाया करता था, और अपने शिकार को उसमें फंसते देखकर रस लेता था, वहीं अब वो खुद एक जाल में फंसा है और उसे काटने का प्रयास कर रहा है...
भैरव सिंह अभी रक्षात्मक रुख अपनाया हुआ है
जब विश्व के बारे में पुरी जानकारी जुटा लेगा ज़ाहिर सी बात है तब वह षड्यंत्र का खेल शुरु करेगा
इधर वीर का रिश्ता लेकर अनु के घर पहुंच गई थी सुषमा और जैसा की वीर ने दादी से वादा किया ही था, वही हुआ। सुषमा के रूप में एक मां का स्नेह प्राप्त हुआ अनु को, सचमें काफी भावनात्मक दृश्य था वो। अनु और वीर की प्रेम कहानी, क्षेत्रपाल साम्राज्य की नींव को हर बीतते पल के साथ खोखला करती जा रही है। वीर ने जो बातें कहीं अनु से वो काफी हैं दर्शाने के लिए की भविष्य में क्या हो सकता है? सुषमा से बातचीत के दौरान पिनाक के हाव – भाव और शब्दों से स्पष्ट था की यदि अनु और वीर के बारे में उसे पता चला तो वो शायद अनु को हानि पहुंचाने से भी नहीं सकुचाएगा, और यदि ऐसा कुछ उसने किया, तो जो दूरी बाप – बेटे के बीच शुरू से है, वो एक खाई में परिवर्तित हो जायेगी!
हाँ वीर की प्रेम कहानी में सबसे पहला अड़चन अनु की दादी की तरफ से थी, जो दूर हो गई
पर अभी वीर की प्रेम कहानी में दो तरफा दुश्मन मिलेंगे
एक क्षेत्रपाल और दुसरा वह अनजाना शख्स जो वीर की खुशियों पर नजर गड़ाए हुए है
इस लिए प्यार की राह में बाधाएं बहुत है l अनु भले ही वीर की प्रेम को स्वीकार लिया है पर सच यह भी है वीर की कर्मों की साये में वह भी सब आ गई है l
अनु और वीर का एक – दूसरे की बाहों में टूटना, वो दृश्य भी बेहद ही सुंदर था। अब लगता है की इन दोनों के प्रेम – प्रणय के कुछ और भी किस्से आगे पढ़ने को मिलेंगे। बहरहाल, अनु ने साबित किया है की प्रेम किसी को भी बदल सकता है। एक हैवान को इंसान बना देना, केवल किताबी बात लगती है सुनने में, परंतु अनु ने सचमें ऐसा कर दिखाया है, इसके लिए उस लड़की का पावन हृदय ही एकमात्र कारण है। लगने लगा है की अनु का जन्म ही इसलिए हुआ था ताकि वो एक भटके हुए व्यक्ति को सही मार्ग पर ला सके, और उसके छलावे भरे जीवन को सही मायनों में महका सके।
वह कहते हैं ना
यह इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजिए
एक आग का दरिया है जिसमें डूब कर जाना है

अब तक कुछ खराब हुआ नहीं है
पर होगा नहीं ऐसा कौन कह सकता है
इधर शुभ्रा और विक्रम की प्रेम कहानी अभी भी उसी मोड़ पर अटकी हुई है, जहां शादी के समय खड़ी थी और मुझे नहीं लगता को अपने आप ये गाड़ी चलने वाली है, आगे की तरफ। शायद नंदिनी जी ही इनका बेड़ा पार लगाएंगी, क्योंकि शुभ्रा मैडम पूरी तरह कन्फ्यूज हुईं पड़ीं हैं।
हाँ नंदिनी ने थोड़ी कोशिश की तो शुभ्रा की प्रेम की नाव किनारा छोड़ दरिया के बीचों-बीच पहुंची है अब नंदिनी ही फिरसे नाव को पार लगायेगी
वहीं विक्रम, को हक्का – बक्का किया हुआ है विश्वा बाबू ने। देखने लायक होगा की किस प्रकार इन दोनों के मध्य सब कुछ सामान्य होगा, मेरे ख्याल से अतीत के सभी राज़, सब कही – अनकही बातें जब तक खुलकर एक – दूसरे से नहीं कह देंगे ये दोनों, ये टसल चलती ही रहेगी।
हाँ यह बात आपने बिलकुल सही कहा, उन दोनों के बीच टसल होता ही रहेगा
वैसे अजब कहानी के किरदार हैं ये सभी, यहां विश्वा जैसा बंदा जिसका खुद का हाथ प्रेम के मामले में तंग है वो वीर को प्रेम का पाठ पढ़ा रहा था, वहीं शादीशुदा होते हुए भी विक्रम – शुभ्रा को नंदिनी की काउंसलिंग की ज़रूरत पड़ने वाली है। जय हो इन महानुभावों की...
हा हा हा हा हा हा हा
इस पर मैं ख़ामोश रहूँगा
देखा जाए तो ये तीनों भाग भैरव सिंह के मन में चल रहे द्वंद्व पर ही आधारित थे। अच्छा लगा देखकर की उसकी फट चुकी है। खैर, विक्रम और विश्व के बीच भी खुले शब्दों में बातचीत हो गई। विश्व ने साफ कर दिया है की भले ही विक्रम एक वादे से बंधा हो परंतु वो खुद पूरी तरह आजाद है, वैसे मुझे नहीं लगता की विक्रम कुछ भी उल्टा – सीधा करेगा यहां पर। इधर विक्रम ने विश्व को परखने के लिए बुलाया था जोकि उसने कर भी लिया। महंती से उसकी बातों से साफ है की वो विश्व के चरित्र की गहराई समझ गया है, और इसीलिए उसने रूप फाउंडेशन स्कैम को खंगालने का निश्चय किया है। यही विक्रम यदि अच्छे कार्यों में अपनी बुद्धि लगाए, तो क्या ही बात हो, नहीं..?

जैसा मैंने कहा वो बुद्धिमान और चालाक तो है परंतु मार्ग से भटका हुआ है। विश्व ने जो आखिरी बात कही थी उससे,वही सारी स्थिति को साफ कर देती है। देखते हैं कब वो समय आएगा, जब अंततः विक्रम दोराहे पर नहीं खड़ा होगा। इधर सुप्रिया से बात हो गई है विश्व की, सुप्रिया का भाई था प्रवीण जिसे क्षेत्रपालों के अहंकार की बलि चढ़ा दिया गया, और उसकी भाभी के साथ क्या हुआ, वो लिखने की जरूरत नहीं। उसकी दुश्मनी निजी है क्षेत्रपालों से इसलिए वो धोखा तो देगी नहीं विश्व को इस जंग के मध्य में और ऐसे एक विश्वसनीय व्यक्ति का साथ होना, बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है विश्व के लिए। देखते हैं आगे क्या करते हैं ये दोनों मिलकर।
जी बिलकुल आगे क्या होगा देखते हैं
विश्व को पता चल गया था की नंदिनी ने उसके कपड़ों में माइक लगाया हुआ है। नतीजतन, उसने बात की नंदिनी से और बताया की वो बचपन से ही किसी और को चाहता है, अब इसपर नंदिनी खुश हो या दुखी, ये असली सवाल है। वैसे खुश ही होगी ये जानकर की उसके अनाम को उसकी राजकुमारी याद है, और आज भी वो उसे चाहता है। अभी के लिए भले ही उसने नंदिनी का नंबर ब्लॉक कर दिया है, पर जल्द ही दोनों के दिल की तार जुड़ने वाली है, बस एक बार कहानी राजगढ़ का रुख कर ले!
भाई कहानी के नायक और नायिका हैं
प्रेम है बस आपसी अनुमोदन शेष है
बाकी उनके बीच नोक झोंक अंत तक चलता ही रहेगा
अब देखना ये है की उस अंजान आदमी को पकड़ने के लिए क्या करेगा वीर, उसे ढूंढ भी पाएगा या नहीं? विक्रम और शुभ्रा के बीच का सामान्य होगा सब कुछ? भैरव सिंह आगे क्या करेगा और सबसे महत्वपूर्ण राजकुमारी नंदिनी जी आगे क्या करने वालीं हैं, विश्व के बारे में सारी जानकारी कहां से प्राप्त करने वाली है वो, मिलेगी प्रतिभा से या कुछ और..?
अगले अपडेट में देखते हैं कहानी कितना आगे बढ़ता है l आपके मन में पल रहे शंशय दूर कितना होता है देखते हैं
तीनों ही भाग बहुत ही खूबसूरत थे भाई। अनु और वीर की प्रेम कहानी ही छाई हुई है अभी तो इस कथा में, सुषमा का उसके घर रिश्ता लेकर जाना, अनु का शर्माना और फिर अनु और वीर का मिलना, सब कुछ बहुत ही खूबसूरती से लिखा आपने। वहीं, भैरव सिंह की छटपटाहट भी बड़ी कुशलता से दर्शाई है आपने।

प्रतीक्षा अगली कड़ी की...
धन्यबाद मित्र बहुत बहुत धन्यबाद
आभार तह दिल से
 
Top