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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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👉एक सौ उनसठवाँ अपडेट
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रात के करीब साढ़े दस या ग्यारह बज रहे होंगे l एक गाड़ी क्षेत्रपाल महल के सामने आकर रुकती है l गाड़ी से रंगा और रॉय उतरते हैं, भीमा उन्हें अपने साथ सीढ़ियों से ले जाता है l दोनों भीमा के साथ होते हुए महल के भीतर एक खास कमरे में पहुँचते हैं l उस कमरे में एक दीवार पर काँच के अलमारी में एक तलवार रखा हुआ था जिसकी मूठ नहीं थी l भैरव सिंह उस तलवार को देखे जा रहा था l उस कमरे में भैरव सिंह के साथ पहले से ही बल्लभ प्रधान मौजूद था l इन दोनों के आते ही भैरव सिंह मुड़ता है, भीमा उसके सामने झुकता है l

भैरव सिंह - अब तुम जाओ... हमारी मीटिंग खत्म होते ही तुम्हें बुला लेंगे...
भीमा - जी हुकुम... (भीमा उल्टे पाँव उस कमरे से बाहर चला जाता है)
भैरव सिंह - (भीमा के चले जाते ही) आओ... हम सब बैठकर बातेँ करते हैं... (कह कर एक गोल टेबल के पास जाता है जहाँ चार कुर्सियाँ पड़ी थी) (टेबल के पास पहुँच कर देखता है तीनों वैसे ही अपनी जगह पर खड़े हैं) क्या हुआ... आओ...
रॉय - राजा साहब... हम कैसे आपके बराबर बैठ सकते हैं...
भैरव सिंह - यह ना तो कोई दरवार है... ना ही कोई मैख़ाना... ना ही भोजन हेतु मेज पर बैठने को कह रहे हैं... फ़िलहाल आप हमारे पंचरत्नों में से हैं... यह हमारा रणनीतिक कक्ष है... यहाँ आप लोग हमारे बराबर बैठकर रणनीति तय कर सकते हैं... साझा कर सकते हैं... (बल्लभ से) प्रधान... तुम तो वाकिफ हो...

बल्लभ अपना सिर हिला कर टेबल के पास आता है और भैरव सिंह के पास खड़ा हो जाता है l जिसे देख कर रंगा और रॉय भी आकर टेबल के पास खड़े होते हैं l तीनों देखते हैं टेबल पर क्षेत्रपाल महल का एक नक्शा रखा हुआ था l

भैरव सिंह - सीट डाउन जेंटलमेन... (पहले प्रधान बैठ जाता है उसके बाद रंगा और रॉय बैठ जाते हैं) (एक गहरी साँस लेकर छोड़ने के बाद रॉय से) तो रॉय... रंग महल में सब ठीक है... केके... कैसा है...
रॉय - जी वह बहुत अच्छे हैं...
भैरव सिंह - सच बोलो रॉय... सच बोलो... क्यूँकी एक झूठ हमें नहीं... बल्कि हम सब को हरा सकता है... केके कैसा है...
रॉय - सॉरी राजा साहब... केके थोड़ा डरा हुआ है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... वज़ह...
रॉय - (कुछ देर के लिए पॉज लेता है, फिर) वह... राजा साहब... यह आपके परिवार का निजी मामला है... इसलिए...

भैरव सिंह अपनी जगह से उठता है l उसके उठते ही सारे उठ खड़े होते हैं l भैरव सिंह कमरे के एक किताबों की अलमारी के पास जाता है और अलमारी के भीतर एक कि पैड पर कुछ नंबर पंच करता है l अलमारी एक आवाज के साथ सरक जाती है l ज्यूं ज्यूं अलमारी सरकती जाती है पीछे नोटों के गड्डियों का पहाड़ नजर आने लगती है l जिसे देख कर रंगा और रॉय की आँखे और मुहँ खुल जाती हैं l भैरव सिंह मुड़ता है और उनसे कहता है

भैरव सिंह - यह हमारी दौलत के सागर की... एक छोटी सी गागर है... यह सब तुम्हारा हो सकता है... बस यह समझो... इस वक़्त हम लोग एक टीम हैं... और हम तुम लोगों के कॅप्टन... अगर हमारी जीत हुई... तो तुम लोग सोच भी नहीं सकते.. कितने आमिर हो जाओगे... (कह कर की पैड पर कुछ नंबर पंच करता है, जिससे वह किताब की अलमारी फिर से सरकते हुए वापस आ जाती है और नोटों के वह दृश्य गायब हो जाती है) तो अब बोलो... केके की कैसी हालत है... (कह कर अपनी जगह पर बैठ जाता है, वे तीनों भी बैठ जाते हैं)
रंगा - राजा साहब... जैसा कि रॉय बाबु ने कहा... यह आपके परिवार की अंदरुनी बात है.... पर सच यह है कि... केके साहब बहुत डरे हुए हैं...
भैरव सिंह - समझ सकते हैं... उसने वज़ह तो बताई होगी...
रॉय - जी... गुस्ताखी माफ हो तो...
भैरव सिंह - हाँ बताओ... उसने क्या बताया...
रॉय - वह.. वह... (आगे बोल नहीं पाता)
रंगा - कुछ गलत बोल जाएं तो माफ़ कर दीजिएगा राजा साहब... केके बाबु का कहना था कि... विश्वा और राजकुमारी जी का... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - क्या सिर्फ यही वज़ह है... या केके ने कुछ और भी कहा है...
रंगा - राजा साहब... खुद राजकुमारी जी ने केके साहब से कहा था... लोग शिशुपाल की नहीं... अब की बार केके बाबु का मिशाल देंगे...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
रॉय - गुस्ताखी माफ राजा साहब... विश्वा ने जिस भी काम को उठाया है... उसे पूरा किया है... और अब... यह तो उसका निजी मामला है... तो.... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - तुम दोनों को इसीलिए तो इतनी रात को बुलाया है... शिशुपाल प्रकरण में... जानते हो... क्या कांड हुआ था... (रॉय और रंगा दोनों चुप रहते हैं)
बल्लभ - रुक्मिणी हरण हुआ था...
रॉय - और केके बाबु कह रहे थे... राजकुमारी जी... आपके सामने भी... यह जाहिर किया के... उनकी शादी केके बाबु से नहीं होने वाली....

अब कमरे में सन्नाटा पसर जाता है l भैरव सिंह अपना सिर हिलाता है और उठ खड़ा होता है पर उन तीनों को बैठे रहने के लिए इशारा करता है l भैरव सिंह चलते हुए उस मूठ विहीन तलवार के सामने खड़ा होता है और तलवार की ओर देखने लगता है l धीरे धीरे उसका जबड़ा सख्त हो जाता है l फिर से इन तीनों की तरफ़ मुड़ता है l

भैरव सिंह - जेंटलमेन... हाँ यह सच है... राजकुमारी का दिल एक नमक हराम कुत्ते पर आ गया है... अब चूँकि वह अपनी ओहदे से नीचे आ गईं हैं... इसलिए हमने उनकी औकात को ध्यान में रखकर शादी तय कर दी... हमने कभी नहीं सोचा था... की चंद महीनों में... राजकुमारी इस हद तक गिर सकती हैं... खैर जो हो गया... सो हो गया... हमने राजकुमारी के जरिए... यह संदेश दे रहे हैं... जो भी हमसे जुड़े हुए हैं... उनको... के हमसे गुस्ताखी.... चाहे वह हमारा खून ही क्यूँ ना हो... हम हरगिज नहीं बक्सेंगे... हम सब जो इस कमरे में हैं... विश्वा से या तो प्रत्यक्ष... या फिर अप्रत्यक्ष रूप से... मात खाए हुए हैं... केके भी... इसलिए यह शादी होना... अब जरूरी है... (भैरव सिंह अब टेबल के पास आता है और अपनी जगह पर बैठ जाता है) कोई शक नहीं... विश्वा यह शादी रोकेगा... हम से यह गलती हुई है... की हमने कभी विश्वा के बारे में सोचा नहीं था... पर अब हम सोचने के लिए मजबूर हैं... यूँ समझ लो.. यह शादी एक आजमाइश है... विश्वा को परखने के लिए... समझने के लिए... अगर हम कामयाब रहे... तो हम आगे की खेल में... विश्वा को मात दे सकेंगे...
रंगा - और अगर... हार गए... तो...
भैरव सिंह - तो... आने वाले दिनों में... इस कमरे में... तुम लोगों की जगह... कोई और होंगे...

यह बात सुनते ही रंगा और रॉय एक दूसरे की ओर देखने लगते हैं l फिर दोनों भैरव सिंह की ओर देखते हैं l

रंगा - हम समझ गए... राजा साहब... कल शादी की कामयाबी के लिए... हम अपनी जान लड़ा देंगे...
भैरव सिंह - अगर हार भी जाओ तो मायूस मत होना... क्यूँकी यह क्षेत्रपाल की नाक की लड़ाई है... हाँ बस इतना होगा... के लड़ाई खत्म होने तक... तुम हमारे दोयम दर्जे के सैनिक बन कर रह जाओगे...
रॉय - मतलब... आप हमारी जगह... किसी और संस्थान से... मदत ले सकते हैं...
भैरव सिंह - तुम अब अपनी सीमा लांघ रहे हो...
रॉय - माफी चाहता हूँ.... राजा साहब... माफी चाहता हूँ... मेरा कहने का मतलब था... जैसे कि प्रधान बाबु ने कहा था... मैंने सभी जिलों से... आपके ही लोगों को भर्ती कराया है... आज हम छह सौ की आर्मी हैं... वह भी हथियारों से लैस...
भैरव सिंह - तो...
रॉय - (चुप रहता है)
रंगा - मैं कुछ बोलूँ... (भैरव सिंह उसके तरफ देखता है) राजा साहब... अगर आप कल की शादी में... बड़े मिनिस्टर और ऑफिसरों को बुलाते... तो वे अपनी सिक्योरिटी के साथ आते... इतनी सिक्युरिटी देख कर... विश्वा की फट जाती... और वह कुछ नहीं कर पाता...
बल्लभ - उनके साथ आए सिक्योरिटी उनके लिए होती... ना कि महल के लिए... और रंगा तुम अपनी औकात से ऊपर उठकर बात करो... मत भूलो... कुछ ही महीने पहले... एक वक़्त ऐसा भी था... सारे नेता और बड़े लोग... ESS की सर्विस लिया करते थे... अगर उन बड़े लोगों के होते... शादी ना हो पाती तो... (रंगा अपना मुहँ नीचे कर लेता है)
भैरव सिंह - रॉय... हमने तुम्हें अपनी चिंता बताई है... तुमने सिक्योरिटी एजंसी चलाई है... यूँ समझ लो... कल की शादी... तुम्हारे संस्था के लिए एक चैलेंज है... इसलिए... तुम अपना दिमाग लगाओ... और कल की शादी को मुकम्मल करो...
रॉय - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - प्रधान... बाकी तुम समझाओ... फिर देखते हैं... इसकी सोच और काबिलियत...
बल्लभ - रॉय... जैसे कि तुम देख रहे हो... यह महल की नक्शा है... मंडप यहाँ बनाया गया है... थोड़ी ऊंची जगह पर... क्यूँकी नीचे गाँव वाले बैठ कर देखेंगे... अब तक... हम कामयाब रहे हैं... क्यूँकी विश्वा ने... कोई गुस्ताखी अब तक नहीं की है... पर हो सकता है... कल की आपाधापी के चलते... विश्वा को मौका मिल जाए... कुछ करने के लिए...

रॉय नक्शा को गौर से देखता है l फिर सोचने लगता है l कुछ तय करने के बाद रॉय अपना प्लान बताता है l

रॉय - राजा साहब... जैसा कि राजकुमारी जी का कहना है कि... विश्वा... केके को शिशुपाल बनाने वाला है... तो राजकुमारी जी की सुरक्षा और निगरानी... हमारी प्राथमिकता होगी... पर ऐसा भी हो सकता है कि... विश्वा बारात को रोकने की कोशिश करे...
बल्लभ - नहीं... नहीं करेगा...
रॉय - क्या मतलब...
बल्लभ - हमने पहले से ही... केके के लिए... बारात की एस्कॉट के लिए... पुलिस की व्यवस्था कर दी है... अगर कुछ गड़बड़ हुई... तो सारी जिम्मेदारी पुलिस के सिर होगी... और जब तक... शादी खत्म नहीं हो जाती... मंडप को पुलिस घेरे रहेगी... तुम सिर्फ यह बताओ... विश्वा को कैसे रोकोगे...
रॉय - तब तो कल शादी होकर ही रहेगी... हमारे सारे बंदों की नजर विश्वा पर टिकी होगी... पर क्या रस्म अदायगी के लिए... राजकुमारी जी की तरफ़ से... कोई होंगे... शायद राजकुमार और... रानी साहिबा... राजकुमारी जी के साथ नहीं होंगे...
बल्लभ - उसकी व्यवस्था हो चुकी है... उनकी जगह... कोई और होंगे... पर राजकुमारी जी के करीबी होंगे... जो कल सुबह तक... राजगड़ पहुँच जाएंगे...
रॉय - तो फिर प्लान सुनिए...

कह कर रॉय अपना प्लान बताने लगता है l सभी ध्यान से रॉय को सुनते हैं l प्लान समझाने के बाद बल्लभ उन्हें विदा करता है l उसके बाद वह भैरव सिंह के पास लौट कर आता है l

भैरव सिंह - तुम्हें क्या लगता है प्रधान...
बल्लभ - मैं... कुछ नहीं कह सकता... ( पॉज) एक बात पूछूं...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
बल्लभ - आप चाहते क्या हैं... आपने राजकुमारी जी को दाव पर लगा दिया है...
भैरव सिंह - बेटी हमारी है... तकलीफ तुम्हें हो रही है...
बल्लभ - अनिकेत ने गलती करी थी... आपने उसे सजा दी... पर यहाँ....
भैरव सिंह - यहाँ राजकुमारी ने अपराध किया है... ना सिर्फ हमारी आँखों में आँखे डाल कर बात की है... बल्कि हमें चैलेंज दी है... इस घर से जब जाएंगी... गुरुर के साथ... हमारी आँखों में आँखे डालते हुए जायेंगी...
बल्लभ - क्या वाकई आप इस शादी के लिए सीरियस हैं... (भैरव सिंह बल्लभ की ओर देखता है) गुस्ताखी माफ राजा साहब... जैसे कि रंगा कह रहा था... (एक पॉज) आप राजा साहब हैं... बड़े घराने... पॉलिटिशियन आपको बुला कर अपना कद बढ़ाते हैं... वहीँ आपके घर में शादी है... किसी को भी... आपने बुलाया नहीं है...
भैरव सिंह - हम अकेले में बेइज्जत होना पसंद करेंगे... पर सबके सामने नहीं... शादी की कामयाबी पर... हम अभी भी संदेह में हैं...
बल्लभ - क्या...
भैरव सिंह - हाँ... प्रधान... हमने एक दाव लगाया था... पर विश्वा उसमें फंसा नहीं... पर उस दाव से हम पीछे हट भी नहीं सकते... हम केस की सुनवाई से पहले विश्वा को ज़ख़्म देना चाहते हैं... हम उसे हारते हुए देखना चाहते हैं... अगर शादी हो गई... तो उसकी हार होगी...
बल्लभ - अगर नहीं हुई... तो यह आपकी हार होगी...
भैरव सिंह - नहीं यह हार नहीं होगी... पर हाँ जीत भी नहीं होगी...
बल्लभ - मैं समझा नहीं...
भैरव सिंह - जब तुमने कहा था कि... अपनी औलाद की ग़म भुला कर... केके नई शादी रचाने जा रहा है... हमने रूप नंदिनी को उसके आगे कर दिया... बदले में... हमारी बूते जो भी दौलत कमाया था.. उसे अदालत में ज़मा करवा लिया... वह हमारी दौलत थी... अब अगर शादी हो जाती है... तो राजकुमारी की किस्मत... नहीं होती है... तो केके की किस्मत...
बल्लभ - मतलब आप तय मान कर चल रहे हैं... यह शादी नहीं होगी...
भैरव सिंह - हम कोई जिल्लत अपने सिर नहीं लेना चाहते... विश्वा की सोच और करनी को आखिरी बार परखने के लिए... अपनी तरफ से सबसे बड़ा दाव आजमा रहे हैं... अगर विश्वा यह शादी रुकवाने में कामयाब हो जाता है... तो समझ लो जंग का मैदान... और उसका दायरा ना सिर्फ अलग हो जाएगा... बल्कि बहुत बढ़ जाएगा...
बल्लभ - इतने आदमियों को... राजगड़ में लाने के बाद भी... क्या आप इसी लिए... उन मशीनरीस से कॉन्टैक्ट किया है...
भैरव सिंह - हाँ... क्यूँकी तादात... ताकत की भरपाई करता है... तब... जब हर दरवाजा बंद होगा... हमें अलग सा खेल खेलना होगा... अलग सा दाव लगाना होगा... (बल्लभ थोड़ा कन्फ्यूज सा लगता है) प्रधान...
बल्लभ - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तुम फ़िलहाल इस वक़्त... हमारे हमदर्द.. हमारे हम राज हो... इसलिए एक बात याद रखो... हम सिर्फ अपना ही सोचते हैं... खुद से बड़ा तो हम अपने बाप को भी नहीं मानते हैं... अपने लिए... हम किसी भी हद तक जा जा सकते हैं...
बल्लभ - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - वह क्या है कि... अब हम अपनी मुहँ से क्या कहे... हमने हम से बड़ा कमीना देखा नहीं... यह जान कर यह मत सोच लेना... के हमसे भी कोई कमीना पंती कर सकता है... क्या समझे...
बल्लभ - जी राजा साहब...


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अगले दिन विश्व अपनी बिस्तर पर आँखे मूँदे लेटा हुआ है l फोन की घंटी बजती है विश्व आँखे मूँदे हुए ही मुस्कराते हुए फोन को कान से लगाता है l

विश्व - हैलो...
रुप - मुम्म्म्म्म... आ...
विश्व - वाव... आज इतनी मीठी सुबह...
रुप - घबराओ मत... बहुत जल्द रोज... तुम्हें ऐसी ही... मीठी मीठी गुड मॉर्निंग मिलेगी...
विश्व - काश... जल्द ही वह दिन आये...
रुप - आयेगा आयेगा... बस सब्र करो... क्यूँकी सब्र का फल मीठा ही होता है...
विश्व - ह्म्म्म्म... हूँ हू हू... ही ही ही.. (हँसने लगता है)
रुप - ऐ... इसमें हँसने वाली क्या बात है...
विश्व - कुछ नहीं... बस... आप ने तो नहा लिया होगा... सब्र का साफ सूतरी फल के बारे में सोच रहा था...
रुप - ओ हो... बेवकूफ कहीं के... यह एक कहावत है...
विश्व - अच्छा... बड़ी प्यारी कहावत है...
रुप - क्या... (चौंकती है) छी... कितना गंदे सोचते हो...
विश्व - गंदा कहाँ... मैं तो साफ सूतरी फल के बारे में सोच रहा हूँ...
रुप - यु... मेरे सामने जब होते हो... फटती है तुम्हारी...
विश्व - आप भी कमाल करती हो... जब हाथों को शराफत में बाँध देता हूँ... तो डरपोक कहती हो...
रुप - हाँ तो... सामने जब होती हूँ... सब मैं ही तो करती हूँ...
विश्व - ठीक है... अगली बार... मैं कुछ करता हूँ...
रुप - ना... अगली बार.. मैं कोई मौका नहीं देने वाली...
विश्व - फिर तो सब्र का फल खट्टा हो जाएगा...
रुप - वह मैं नहीं जानती... मीठे फल के लिए... तुम्हें कुछ जतन करने होंगे...
विश्व - अजी हुकुम कीजिए... आपका गुलाम... आपके कदमों में बिछ जाएगा...
रुप - ठीक है... तो मुझसे व्याह कर लो...
विश्व - क्या...
रुप - क्यूँ... तुमने क्या सोचा... बिन जतन के फल चख लोगे...
विश्व - शादी तो करनी है... पर...
रुप - ठीक है... तुम्हारा यह पर... तुम अपने पास रखो... जानते हो ना... महुरत शाम को है...
विश्व - अच्छी तरह से जानता हूँ... भई हम खास मेहमान हैं आज के शाम की...
रुप - तुम्हारी नकचढ़ी को आज तुम्हारा इन्तेज़ार रहेगा...

रुप फोन काट देती है और शर्मा कर अपना चेहरा घुटनों के बीच छुपा लेती है l फिर उठती है और दीवार पर लगी आईने के सामने खड़ी होती है l अपनी ही अक्स को देख कर फिर से शर्माने लगती है l और अपने आपको संभालते हुए अपनी ही अक्स से कहती है

रुप - नंदिनी... कितनी बेशरम हो गई है... (कह कर अपना चेहरा अपनी हथेलियों में छुपा लेती है)

तभी दरवाजे पर दस्तक होती है l रुप को हैरानी होती है l इतनी सुबह कौन हो सकता है l रुप भागते हुए मोबाइल के पास जाती है और उसे म्यूट कर अपने कपड़ों में छुपा देती है l फिर दरवाजे के पास जाती है और दरवाजा खोलती है l सामने सेबती खड़ी थी पर वह अकेली नहीं थी उसके साथ छटी गैंग को देख कर रुप बहुत हैरान हो जाती है l

××××××××


बाथरूम से केके तैयार हो कर जब बाहर आता है, तो देखता है नाई और धोबी दोनों वैसे ही दरवाजे के बाहर खड़े हैं l सत्तू उनसे बातेँ कर रहा था l

केके - क्या हुआ सत्तू... यह लोग यहाँ खड़े क्यूँ हैं...
सत्तू - जमाई साहब... यह लोग आपसे बक्सिस की उम्मीद लगाए हुए हैं... आख़िर इन दोनों ने आपकी सेवा की है... हल्दी वगैरह लगाए हैं...
केके - क्या... हल्दी जनाना लगाती हैं...
सत्तू - पर आपके घर से कोई जनाना आई भी तो नहीं हैं...
केके - ठीक है... (अपना पर्स निकाल कर पाँच सौ के दो नोट उन्हें थमा देता है) इन्हें यहाँ से जाने के लिए कहो...

वह नाई और धोबी बेमन से पैसे लेते हैं l उन्हें सत्तू बाहर तक छोड़ आता है l सत्तू देखता है केके के चेहरे पर शादी की कोई खुशी झलक नहीं रही है l केके अंदर चला जाता है, उसके पीछे पीछे सत्तू भी कमरे के अंदर आता है l केके सेल्फ से एक व्हिस्की का बोतल निकाल कर ग्लास में पेग बना कर पीने लगता है l

सत्तू - एक बात पूछूं जमाई बाबु...
केके - पूछो...
सत्तू - क्या आप इस शादी से खुश नहीं हैं...
केके - खुशी... मुझे यकीन ही नहीं हुआ... जब राजा साहब ने... सामने से मुझे दामाद बनने की ऑफर की... ना सिर्फ ऑफर... बल्कि बाकायदा स्टैम्प पेपर में लिख कर दी... के शादी के तुरंत बाद... रंग महल मेरे नाम ही जाएगा... और केस के निपटारे के बाद... सारी प्रॉपर्टी में आधा हिस्सा हो जाएगा... पर मैं इस खुशी के लिए शादी को तैयार नहीं हुआ था... बल्कि सात सालों से... राजकुमार विक्रम जो जलालात मेरे साथ की... उसका बदला... मेरी किस्मत मुझे दे रहा था... इस खुशी के साथ मैं तैयार हुआ था... (पेग खाली करता है) ऐसा कोई दिन नहीं... जब मैंने उसके पैरों पर गिर कर गिड़गिड़ाया नहीं था... मुझे लगा... कुदरत ने मौका बनाया है... (एक पॉज लेकर और एक पेग बनाता है) वह कहते हैं ना... एक रस्म होता है... घोड़ी से उतरने के बाद... साला जीजा का पैर धोता है.. फिर जुता पहनाता है... मैं बस उस एक पल की खुशी के लिए... शादी को तैयार हो गया... पर साला विक्रम... मुझे मारने की धमकी दे गया... वह भी राजा साहब के सामने...
सत्तू - आपको कुछ नहीं होगा... भले ही राजकुमार राजा साहब के खिलाफ हैं... पर यह मत भूलिए... आप इस वक़्त राजा साहब के हिफाजत में हैं... और जो आप चाहते हैं... वह आज ना भी हो... पर शायद कल को मुमकिन हो...
केके - (हँसता है) हे हे हे... तुम... वाक़ई समझदार हो... हाँ शादी होने के बाद... यह मुमकिन होगा... जरुर होगा... (पेग खाली कर देता है)
सत्तू - आपको तो चिंता इस बात की होनी चाहिए... आप राजकुमारी जी को कैसे मनाएंगे...
केके - हाँ... यह बात तो है... कमीनी के तेवर बड़े हैं... बाप के सामने... बड़े यकीन के साथ... इत्मीनान के साथ कह रही थी... यह शादी नहीं होगी...
सत्तू - क्या आपको भी लगता है...
केके - ना... नहीं... बिल्कुल नहीं... पर जब... फ्रेम में विश्वा... यह नाम गूँजता है... तब मेरा यकीन डोल जाता है...
सत्तू - (चुप रहता है)
केके - तुम नहीं जानते सत्तू... मेरा सबकुछ ठीक चल रहा था... पर जैसे ही... विश्वा नाम का राहु... मेरी कुंडली में आया... तब से मेरा धंधा... बैठ गया... विक्रम ने ऐन मैके पर साथ छोड़ दिया... इसलिए... मैंने उस हरामी कुत्ते ओंकार चेट्टी से हाथ मिला बैठा... बदले में... बड़ी कीमत चुकाई... (केके फिरसे अपना पेग बनाने लगता है)
सत्तू - आज आपकी शादी है... इतना भी मत पीजीये... के मंडप पर संभल भी ना पाएं...
केके - शादी शाम को है... तब तक नशा उतर जाएगा...
सत्तू - हाँ यह बात आपने सही कहा... शाम तक... सारा नशा उतर जाएगा...
केके - सारा नशा... क्या मतलब है तुम्हारा...
सत्तू - आप बहक रहे हैं... जुबान साथ नहीं दे रहा है... आप विश्वा के बारे में कह रहे थे...
केके - अरे हाँ... पता नहीं... उस सजायाफ्ता के साथ... राजकुमारी... कैसे... यह बड़े घर के जो बेटियाँ होती हैं ना... उन पर नजर रखनी चाहिए... वह कहते हैं ना... नजर हटी... खैरात बटी...
सत्तू - माफ कीजिए जमाई बाबु... अगर नजर रखे होते... तो आज आप यहाँ नहीं होते... कोई राजकुमार होता...
केके - ही ही ही... बड़ा हरामी निकला... साला.. सच भी बोला... वह भी कितना कड़वा... खैर मुझे उसकी टेंशन नहीं है... मुझे अभी भी शक है... साला यह शादी होगी भी या नहीं...
सत्तू - आप भूल रहे हैं जमाई बाबु... यह शादी अब राजा साहब की नाक का सवाल है...
केके - अबे ख़ाक नाक की सवाल है... नाक की सवाल होती... तो पुरे स्टेट के... बड़े बड़े नामचीन हस्तियां यहाँ होती... मैंने जब इस बारे में पूछा था.. तो राजा साहब ने कहा था... के पहले शादी हो जाए... रिसेप्शन पर बुलाते हैं... जानते हो... राजा साहब ने ऐसा क्यूँ कहा... वह इसलिए सत्तू... राजा साहब को भी यकीन नहीं है... के यह शादी होगी...
सत्तू - (चुप रहता है)
केके - चुप क्यूँ हो गया बे... अब नहीं पूछेगा... हा हा... विश्वा पर... राजकुमारी की ही नहीं... विक्रम को भी भरोसा है... विश्वा... जिसने प्रोफेशन के चलते... हम सबको इतना डैमेज किया है... वह अपनी पर्सनल के लिए... क्या कुछ नहीं करेगा...
सत्तू - अगर आप इतने ही आश्वस्त हैं... तो इस शादी से भाग कर... खुद को जलील होने से बचा क्यूँ नहीं लेते...
केके - वैसे आइडिया बहुत अच्छा है... पर क्या है कि... मेरे अंदर का जानवर... मुझे उकसा रहा है... अगर यह शादी हो गई... तो राजकुमारी जैसी खूबसूरत लड़की... दौलत... और सबसे अहम... विश्वा और विक्रम से... अपना खीज निकाल सकता हूँ... और...
सत्तू - और...
केके - ही ही ही ही... कली चाहे खिली हो... या कमसिन हो... मसलने में... और रौंदने में बड़ा मजा आता है... ही ही ही...

तभी दरवाजे पर दस्तक होती है l दोनों उस तरफ मुड़ते हैं l एक नौकर झुके हुए सिर के साथ अंदर आता है l

केके - क्या है...
नौकर - मालिक... दरोगा जी आए हैं...
केके - (भौंहे सिकुड़ कर) दरोगा... (सत्तू से) तुम जाकर देखो... क्या माजरा है... मैं थोड़ा खुदको तब तक दुरुस्त कर लेता हूँ....

सत्तू बाहर चला जाता है l केके व्हिस्की का बोतल और ग्लास अंदर रख देता है और अपने बदन पर फ्रैगनेंस स्प्रे कर देता है l थोड़ी देर के बाद सत्तू इंस्पेक्टर दास के साथ अंदर आता है l

केके - कहिये... इंस्पेक्टर साहब... कहिये कैसे आना हुआ...
दास - हमें... एसपी ऑफिस से ऑर्डर मिला है... आज आपके बारात में... हम पुलिस वाले शामिल होंगे... और जब तक शादी नहीं हो जाती... तब तक आपके साथ रहेंगे... (सत्तू से) वैसे... कौन कौन लोग बारात में शामिल हो रहे हैं...
सत्तू - जी हम.. भीमा उस्ताद के कारिंदे...
दास - और बाकी... जो गाँव से बाहर आए थे...
सत्तू - जो वह सब महल की पहरेदारी के लिए गए हुए हैं...
दास - हूँ.. ह्म्म्म्म... (केके से) तो केके साहब... अब आपका क्या खयाल है...
केके - मुस्कराते हुए... यह शादी अब तो होकर ही रहेगी...

×××××××××××××××××


रुप की कमरे में रुप और उसकी छटी गैंग थीं l रुप ने सेबती और दूसरे नौकरानियों को विदा कर सबके लिये नाश्ता लाने के लिए बोल दिया था l रुप के सारे दोस्त पहले से ही महल देख कर हैरान व चकित थीं l अब रुप की कमरे को घूम घूम कर देख रहीं थीं l

दीप्ति - (रुप के पास आकर बैठती है) वाव नंदिनी... महल तो महल... तुम्हारा कमरा भी क्या खूब है...
बनानी - हाँ यार... हमने कभी सोचा भी नहीं था... कोई राज महल को... सच्ची में... इतनी करीब से देखेंगे... और.. (रुप की बेड पर उछल कर बैठते हुए) किसी राजकुमारी की कमरे में... ऐसे बैठेंगे...

सब आकर रुप को घेर कर बैठ जाते हैं l रुप अब तक इन्हें देख कर शॉक में थी l सबको अपने पास देख कर पूछती है l

रुप - पहले यह बताओ... तुम लोग यहाँ कैसे...
तब्बसुम - यह तुम शॉक के वज़ह से पूछ रही हो... या हमें इस मौके पर नहीं देखना चाहती थी... इसलिये पूछ रहे हो...
रुप - क्या मतलब...
भास्वती - हाँ हाँ... दोस्तों में खिटपिट होती रहती है... पर ऐसी भी क्या नाराजगी यार... तुम शादी करने जा रही हो... और हमें खबर भी नहीं...
इतिश्री - और नहीं तो... वह तो भला हो... राजा साहब जी का... हमारे घर में आकर पर्सनली बुलाए थे... और यहाँ आने के लिए... गाड़ी भी भिजवाया था...
रुप - ह्व़ाट...
सब - हाँ...
रुप - राजा साहब... तुम लोगों के घर गए थे...
सब - हाँ...
रुप - कब...
बनानी - वह... करीब हफ्ते भर पहले...
दीप्ति - क्यूँ... तुम नहीं चाहती थी... के हम यहाँ आए...

रुप सबके चेहरे को गौर से देखती है l फिर एक गहरी साँस छोड़ते हुए पूछती है

रुप - मेरी शादी किससे तय हुई है... जानती भी हो...
सब - हाँ... तुम्हारे अनाम से...
भास्वती - आई मिन... एडवोकेट विश्व प्रताप महापात्र से...
रुप - (फिर से शॉक लगती है) ह्व़ाट... यह तुम क्या कह रही हो...
दीप्ति - ह्व़ाट डु यु मीन... क्या कह रही हो मतलब.... हमें तो राजा साहब ने यही कहा था...
रुप - क्या... यह तुम लोगों को... राजा साहब ने कहा था...
सब - हाँ....
रुप - और क्या कहा था...
दीप्ति - यही... के इस शादी से... तुम्हारी छोटी माँ... और भाई चाचा कोई खुश नहीं है... इसलिए... पारिवारिक रस्म सभी तुम्हारी सहेलियाँ और दोस्त निभाएंगे...
रुप - अच्छा... तो ऐसा कहा राजा साहब ने... तो तुम लोग अपने अपने फॅमिली के साथ क्यूँ नहीं आए...
बनानी - राजा साहब ने कहा कि... शादी कुछ चुनिंदा लोगों के सामने होगी... रिसेप्शन के दिन... सभी आयेंगे... तब हमारी फॅमिली आएँगे... रिसेप्शन अटेंड कर... हमें वापस ले जायेंगे...
रुप - ओ... तो राजा साहब ने... ऐसा कहा है तुम लोगों को...
भास्वती - देख यार... तु अब गुस्सा कर या कुछ और... हम तुझे आज अपने हाथों से सजाएँगे... और मंडप पर बिठाएंगे... और...
सभी - जीजाजी से... खूब सारा पैसा ऐंठेंगे...

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विश्व तैयार हो कर वैदेही के दुकान पर आता है l देखता है कुछ लोग दुकान के बाहर खड़े हुए हैं l विश्व पास जाकर देखता है लोग वैदेही से कुछ पूछ रहे थे l

लोग - अच्छा वैदेही... क्या हम राज महल जाएं...
वैदेही - हाँ चाचा... क्यूँ नहीं... सभी गाँव वालों को निमंत्रण मिला है... और यह तो चार साल बाद... बुलावा आया है... क्यूँ ना जाओ...
हरिआ - पर... वैदेही दीदी... अब राजा के साथ हमारा जिस तरह का रिश्ता है... क्या हमारा वहाँ जाना ठीक रहेगा...
वैदेही - देखो हरिआ... भैरव सिंह ने... मातम करने के लिए नहीं बुलाया है... जश्न में बुलाया है... और यह शायद महल का... आखिरी जश्न है... क्यूँकी इसके बाद... वहाँ मातम तो होगा... पर जश्न कभी नहीं मनेगा... इसलिए बेखौफ हो कर जाओ... मस्त हो कर जाओ... हम लोग थोड़ी देर बाद निकल रहे हैं... चाहो तो... हमारे साथ जा सकते हो...
लोग - नहीं... हमे खास हिदायत है... बारात जब गुजरेगी... उसके पीछे पीछे... बाराती में शामिल हो कर महल पहुँचना है...
वैदेही - यह तो और भी अच्छी बात है... अच्छा अब तुम लोग जाओ...

सभी लोग मुड़ कर वापस चले जाते हैं l उनके जाने के बाद वैदेही विश्व को देखती है l विश्व सफेद रंग के पैंट शर्ट में बहुत ही खूब सूरत दिख रहा था l

वैदेही - आह... कितना सुंदर दिख रहा है मेरा भाई... (नजर उतारने लगती है, फिर एक काला टीका विश्व के गाल पर लगा देती है)
विश्व - यह क्या है दीदी...
वैदेही - आज तुझ पर दुनिया भर की बुरी नजरें होंगी... किसीकी नजर ना लगे... (तभी बबलु आता है)
बबलु - मौसी..
वैदेही - अरे... आ गया... (वैदेही बबलु के गाल पर भी काला टीका लगाती है)

विश्व देखता है बबलु बिल्कुल विश्व के जैसे कपड़े पहना हुआ था l वह बबलु से पूछता है

विश्व - तेरे पास... बिल्कुल मेरे जैसे कपड़े...
बबलु - मौसी ने मेरे लिए खरीदा है... (यह सुन कर विश्व वैदेही की ओर देखता है)
वैदेही - हाँ हाँ... यह जरूरी है... इसलिए खरीद लिया... वैसे... वह चार बंदर कहाँ हैं...
विश्व - आ जाएंगे...
वैदेही - तो चलें...

तीनों महल की ओर जाने लगते हैं l चलते चलते महल के पास पहुँचते हैं l बाहर उन्हें विक्रम, पिनाक, सुषमा और शुभ्रा मिलते हैं l सभी मिलकर जब गेट पर पहुँचते हैं तो पाते हैं भैरव सिंह भीमा, उसके गुर्गे, रंगा, रॉय और बल्लभ के साथ खड़ा था l भैरव सिंह उन्हें गेट के पास ही रोकता है l

भैरव सिंह - विक्रम सिंह... आज तुम्हारे बहन की विवाह है... वर अभी पहुँचने वाले हैं... रस्म के अनुसार... (चुटकी बजाता है, भीमा एक रेशमी कपड़े से ढका हुआ थाली लेकर आता है) (भैरव सिंह थाली पर उस कपड़े को हटाता है, उस पर जुते थे) जीजा घोड़ी से उतरने के बाद... साला उसे जुता पहनता है...
विक्रम - जो कुत्ता मेरा जुता चाटता था... उसे मैं जुता... अपने हाथों से पहनाऊँ... यह आपने सोच भी कैसे लिया... हाँ... जुते मारने के लिए कहेंगे... तो सारे गिले शिकवे भुला कर मार सकता हूँ...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... सुषमा जी... वर... घोड़ी से उतरने के बाद... उसका तिलक सासु करतीं हैं...
सुषमा - मैं यहाँ इसलिए आई हूँ... यह शादी होनी ही नहीं है... उसकी गवाह बनने... अभी भी वक़्त है... राजा साहब... यह शादी टाल दीजिए...
भैरव सिंह - कोई नहीं... हमें इस बात का अंदाजा था... हमने उसका काट भी ढूंढ लिया है... (पीछे मुड़ कर) उन्हें लेकर आओ...

शनिया भाग कर जाता है और जब वापस आता है साथ में रॉकी और बनानी आते हैं l उन्हें देख कर विश्व और विक्रम दोनों हैरान होते हैं l

भैरव सिंह - (विश्व से) तुम्हें हैरानी हो रही है... या परेशानी हो रही है...
विश्व - ना मैं हैरान हूँ... ना मैं परेशान हूँ... क्यूँकी तुम्हें.... मैं नस नस से पहचानता हूँ... तुम ऐसा ही कुछ करोगे... इसका मुझे अंदाजा था...
भैरव सिंह - तब तो तुम्हें इस बात का अंदाजा हो ही गया होगा... आज तुम सबका घमंड और विश्वास दोनों को... हम मिट्टी में मिला देंगे...
विश्व - फ़िलहाल घमंड और विश्वास... तुम्हारा मिट्टी पलित हुआ लग रहा है... है ना... (भैरव सिंह का जबड़ा भिंच जाता है) हर उस शख्स को यहाँ पर ले आए... जो किसी ना किसी तरह से... राजकुमारी जी से जुड़ा हुआ था... पर मेरी माँ और डैड को यहाँ नहीं ला पाए...
भैरव सिंह - हाँ... वह हमारे आदमियों की नाकामयाबी है... क्या टाइमिंग है... जोडार अपने घर की रिनोवेशन करा रहा है... और सेनापति के घर में... भाड़े पर रह रहा है.. पर कोई नहीं... अंदर जाओ... तुम सबके लिए खास मंच तैयार किया गया है... वहाँ से... रुप को केके के साथ व्याहते देखो... भीमा
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - इन सबको... बाइज़्ज़त लेजाओ... और बिठा दो...
भीमा - जी हुकुम...

भीमा रास्ता बनाते हुए आगे आगे जाता है और मंडप से कुछ दूर पर बने एक स्टेज पर लगे कुछ कुर्सियों पर बैठने के लिए कहता है l सभी पहले एक दूसरे को देखते हैं फिर जाकर बैठ जाते हैं l

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बैठने के बाद विश्व और विक्रम शादी की जगह को नजर घुमा कर देखने लगते हैं l तीन मंच बने हुए थे l एक छोटा सा मंच जिस पर एक सिंहासन नुमा कुर्सी था l दूसरा मंच शादी के लिए और तीसरे मंच पर यह लोग बैठे हुए थे l दुल्हन का कमरा बेदी से कुछ दूर पर शामियाने से बनाया गया था l पर दूल्हे का कमरा बेदी के आसपास कहीं नहीं दिख रहा था l शायद महल के अंदर किसी कमरे को दूल्हे के लिए बनाया गया होगा l कुछ देर बाद कानों में ढोल नगाड़ों की आवाज़ सुनाई देती है l मतलब दूल्हा का आगमन हो गया था l वे देखते हैं केके दूल्हे के रुप में भैरव सिंह, एक पंडित और इंस्पेक्टर दास के साथ अंदर आता है l उनके पीछे पीछे लोग आकर जमीन पर अपनी अपनी जगह बना कर बैठ जाते हैं l पंडित पहले केके को एक तलवार देता है और बेदी के चारों तरफ़ बने धागे की घेरे को काटने के लिए कहता है l केके तलवार से वह धागे वाला घेरा को काट देता है l उसके बाद केके मंडप का प्रदक्षिणा करता है l प्रदक्षिणा के बाद केके को अंदर ले जाया जाता है l केके के अंदर चले जाने के बाद सारी पुलिस मंडली विश्व के बैठे मंच के पास खड़े हो जाते हैं l

पंडित मंडप पर बैठ कर मंत्र पढ़ने लगता है l विश्व और विक्रम हैरान होते हैं दुल्हन की माता पिता के रस्म अदायगी के लिए मंडप पर रॉकी और बनानी को लाया जाता है l कुछ विधि पूर्ण होने पर कन्या को बेदी पर लाने के लिए पंडित कहता है l दुल्हन के लिए बनी शामियाने से रुप अपनी सहेलियों के साथ निकलती है l सफेद वस्त्रों में रुप बेहद सुंदर दिख रही थी, चंदन कुमकुम माथे पर, बालों के जुड़े में चमेली के फुल उसकी सुंदरता को चार चांद लगा रहे थे, या यूं कहें कि चमक रही थी, चेहरे पर शृंगार के वज़ह से दमक रही थी l रुप के हाथों में एक नारियल थी वह मुस्कराते हुए बेदी तक आ रही थी l रुप की सुंदरता को देख कर विश्व का मुहँ खुला रह जाता है l वह रुप की उस सौंदर्य में खो सा जाता है l

वैदेही - (धीरे से पूछती है) बहुत सुंदर है ना...
विश्व - हाँ... बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा... (अचानक होश में आता है) क्या... हाँ.. क्या पुछा तुमने...
वैदेही - पूछा नहीं कहा...
विश्व - हाँ... क. क्य.. क्या कहा..
वैदेही - बहुत कीड़े उड़ रहे हैं... मुहँ बंद कर ले...
विश्व - ओ.. अच्छा... हाँ हाँ..

वैदेही उसकी हालत देख कर हँस देती है l विश्व सकपका जाता है और चोरी चोरी नजरों से शादी की बेदी पर बैठी रुप की ओर देखता है l रुप भी मुस्कुराते हुए विश्व की ओर देखती है और भौंहे नचा कर अपनी शृंगार के बारे में इशारे से पूछती है l विश्व तो घायल था वह जवाब में आह भरी नजर से देखता है l विश्व प्रतिक्रिया देख कर रुप हँस देती है l जहां विश्व रुप की रुप में खोया हुआ था, वहीँ भैरव सिंह और वैदेही की नजर आपस में टकराती है l भैरव सिंह का चेहरा सख्त था पर घमंड से चूर था वैदेही से नजर मिलते ही भैरव सिंह अपनी मूंछों पर ताव देता है l वैदेही अपना चेहरा घुमा लेता है l

कुछ देर बाद एक रस्म पूरा हो जाता है l पंडित अगले रस्म के दुल्हन को नए वस्त्रों में आने के लिए कहता है और अपने कमरे में जाने के लिए कहता है l जैसे ही रुप अपने सहेलियों के साथ शामियाने के भीतर जाती है l शामियाने को रंगा के साथ कुछ लोग घेर लेते हैं l थोड़ी देर बाद सत्तू और रॉय के साथ केके मंडप में आता है l जिसे देख कर विक्रम, पिनाक, सुषमा और शुभ्रा के चेहरे पर गुस्सा छा जाता है l पर वैदेही और विश्व के चेहरे पर कोई भाव नहीं आता l पंडित पूजा विधि संपन्न करने के बाद केके को विवाह वस्त्रों में आने के लिए कहता है l अब तक पूरे हुए रस्मों के बाद अब केके के चेहरे पर अति उत्साही भाव नजर आ रहे थे l बड़े गर्व के साथ वह सत्तू और रंगा के साथ महल में दूल्हे के लिए नियत की गई कमरे के भीतर जाता है l उधर पंडित के बुलाने पर रुप की सहेलियाँ रुप को लेकर बाहर आती हैं l रुप इस बार लाल वस्त्रों में आई हुई थी l लाल रंग के दुल्हन की लिबास में देख कर विश्व की हालत और भी ख़राब हो जाती है l इस बार रुप के चेहरे पर हल्की सी टेंशन झलकने लगी थी l वह सवालिया नजर से विश्व और वैदेही की ओर देखती है l विश्व तो अपनी अप्सरा के सौंदर्य में खो गया था l पर वैदेही एक इत्मीनान भरा इशारा पलकें झपका कर करती है l जिसे भैरव सिंह देख लेता है l वह अपनी सिंहासन से उतर कर मंडप तक आ जाता है l मंडप में रुप के साथ उसकी छटी गैंग की सहेलियाँ और रॉकी बैठे हुए थे l इस बार की रस्म पूरा होते ही पंडित दूल्हे को बेदी पर लाने के लिए कहता है l

पहले पाँच मिनट, फिर दस मिनट बीत जाता है, पर केके नहीं आता l उधर सत्तू तेजी से आता है और भीमा के कान में कुछ कहता है l सत्तू से सुनने के बाद भीमा के चेहरे का रंग उड़ जाता है l वह कांपते हुए भैरव सिंह के पास जाता है और उसका अनुमती लेकर भैरव सिंह के कान में कुछ कहता है l सुनने के बाद भैरव सिंह भी हैरान होता है और विश्व की ओर देखता है l फिर तेजी से महल के अंदर जाता है l

एक टेंशन भरा माहौल था l पंडित हैरान हो कर दूल्हे की आने की राह देख रहा था l इधर लोग आपस में खुसुर-पुसुर करने लगे थे l कुछ देर पहले रुप के चेहरे पर जो परेशानी उभर कर आई थी l अचानक उसके चेहरे पर खुशी उभरने लगी थी l विश्व जिस मंच पर बैठा था इंस्पेक्टर दास भी वहीँ पर खड़ा था, अचानक उसका फोन बजने लगता है l दास फोन पर देखता है रॉय का कॉल था l फोन उठाता है जैसे ही वह फोन पर कुछ सुनता है, अचानक उसके मुहँ से निकल जाता है

दास - क्या... दूल्हा गायब है...

यह एक धमाका था l सब लोग जो बैठे हुए थे सभी एक झटके के साथ खड़े हो जाते हैं l सबसे ज्यादा हैरानी बेदी के पास खड़े बल्लभ को होता है l उसका मुहँ खुल जाता है l पर कुछ देर पहले रुप के चेहरे पर जो थोड़ी सी परेशानी झलक उठी थी, एकदम से गायब हो जाती है और एक दमकती हुई मुस्कान के साथ विश्व की ओर देखती है l विश्व उसे आँख मार देता जिसकी प्रत्युत्तर में रुप शर्मा के चेहरा झुका लेती है l थोड़ी देर के बाद भैरव सिंह, रॉय, भीमा और सत्तू तेजी से मंडप की ओर आते हैं l इंस्पेक्टर दास से रॉय कहता है

रॉय - इंस्पेक्टर साहब... (विश्व को दिखा कर) गिरफ्तार कर लीजिए इस आदमी को...
दास - क्यूँ... क्या करदिया इस आदमी ने...
रॉय - इसने... (रुक जाता है)
दास - हाँ हाँ इसने...

भैरव सिंह- (इंस्पेक्टर दास के पास जाता है) इंस्पेक्टर... जो कमरा... दूल्हे बाबु को नियत किया गया था... उस कमरे में... अभी वह उपलब्ध नहीं हैं... क्या उन्हें ढूंढने के लिए कुछ करेंगे...
दास - अच्छा... तो यह बात है... चलिए... पहले... उसी कमरे से तहकीकात शुरु करते हैं...
भैरव सिंह - हाँ जब तक... तहकीकात पूरी हो ना जाए... तब तक... आप इन्हें... (विश्व और विक्रम वाली मंच दिखाते हुए) यहीं पर रोके रखें...

इंस्पेक्टर दास, अपने सिपाहियों से विश्व, विक्रम पिनाक और तीनों औरतों को कहीं जाने ना देने के लिए कह कर भैरव सिंह, रंगा, रॉय, बल्लभ, सत्तू और भीमा को साथ लेकर उस कमरे के अंदर आता है जिस कमरे से केके गायब हो गया था l दास कमरे को अच्छी तरह से मुआयना करता है l उसकी नजर बाल्कनी पर जाता है l वह देखता है एक कपड़ा बाल्कनी के रेलिंग से बंधा हुआ है और नीचे की ओर गिरा हुआ है l

दास - इस बंधी हुई चादर को देख कर लगता है... आपका जामाता... यहाँ से उतर कर भागे हैं...
भैरव सिंह - हो नहीं सकता...
दास - ऐसा क्यूँ...
रॉय - इस महल को... मेरे आदमी... हर पाँच फुट की दूरी बना कर घेरे हुए हैं... यह मुमकिन ही नहीं है... कोई इस महल से निकल कर गया हो...
दास - हूँम्म्म्... तो हो सकता है... महल के अंदर ही कहीं छुपा हो...
भैरव सिंह - अपनी शादी में कौन छुपता है दास बाबु...
दास - हो सकता है... कमल कांत को... यह शादी मंजुर ही ना हो... ज़बरदस्ती कारवाई जा रहा हो...
भैरव सिंह - (चीखता है) दास...
दास - ऊँ हूँ... इंस्पेक्टर दास... पहले आप अपने महल के अंदर... अच्छी तरह से तलाशी लीजिए... फिर देखेंगे...

कमरे में दास, बल्लभ और भैरव सिंह को छोड़ कर सभी महल के अंदर केके को ढूंढने निकल जाते हैं l दास अभी भी कमरे में अपनी नजर दौड़ा रहा था l कुछ देर बाद

दास - राजा साहब... क्या मैं इस कमरे का बाथरूम... यूज कर सकता हूँ...

भैरव सिंह अपना सिर हाँ में हिलाता है l दास बाथरुम के अंदर जाता है l थोड़ी देर बाद फ्लश की आवाज़ सुनाई देती है l कुछ देर बाद अपना हाथ साफ करते हुए दास अंदर आता है l कुछ ही देर में सारे लोग अंदर आते हैं और केके कहीं भी नहीं दिखा ऐसा कहते हैं l

भैरव सिंह - इंस्पेक्टर बाबु... यह क्लियर कट किडनैपिंग है... आप केस दर्ज कीजिए...
दास - आपको किस पर शक है...
रॉय - हाँ है... विश्व प्रताप पर...
दास - कैसी बात कर रहे हैं रॉय बाबु... विश्व के पास मैं और मेरी पुरी पुलिस फोर्स खड़ी थी... (रॉय चुप हो जाता है) राजा साहब... आपका क्या कहना है... (भैरव सिंह चुप रहता है) (बल्लभ से) प्रधान बाबु... क्या आप कुछ कहना चाहेंगे...
बल्लभ - आप... आप... केके साहब का... गुमशुदगी का रिपोर्ट दर्ज कर दीजिए...
रॉय - ह्व़ाट...
दास - लगता है... आप लोग एक मत नहीं हैं... कोई नहीं... मुझे क्या रिपोर्ट दर्ज करनी है... और किस बात पर तहकीकात करना है... यह डिसाइड करने के बाद मुझे खबर कर दीजिए... फिलहाल... मैं बाहर हूँ...

दास इतना कह कर चला जाता है l कमरे में मौजूद सभी बल्लभ की ओर सवालिया नजर से देखने लगते हैं l

बल्लभ - राजा साहब... आप जरा ध्यान दीजिए... अगर किडनैप है भी... तब भी... हम वज़ह को एस्टाब्लीश नहीं कर सकते... महल के अंदर... यह कांड हुआ है... हमारी सारी की सारी तैयारी... धरी की धरी रह गई...
सत्तू - हुकुम... गुस्ताखी माफ...
भैरव सिंह - क्या बात है...
सत्तू - हुकुम... मुझे तो लगता है... केके बाबु... विश्वा से डर कर भाग गए हैं...
रॉय - क्या बकते हो...
सत्तू - बक नहीं रहा हूँ... शादी को लेकर... केके बाबु कल रात से डरे हुए थे... और आज सुबह... हिम्मत जुटाने के लिए... दारू भी बहुत पी रखी थी...
रंगा - मुझे ऐसा नहीं लगता... राजा साहब... विश्वा बहुत बड़ा गेम कर दिया... हम सब राजकुमारी जी की सुरक्षा के लिए... तैयारी कर रखे थे... इसलिए... उसने बड़े आराम से.. केके साहब पर हाथ साफ कर दिया...
बल्लभ - जो भी हो... हम सीधे विश्व पर उंगली नहीं उठा सकते... वह गाँव के लोग और पुलिस के बीच में... शुरु से ही था... वह अपनी जगह से हिला तक नहीं... हम इल्जाम तो लगा सकते हैं... पर यह मत भूलो... वह एक वकील भी है... हमारी ही.. शिकायत को... हमारे खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है... (कमरे में सभी चुपचाप खड़े थे) अब हम सबको... मंडप पर चलना चाहिए....

सभी बल्लभ की बात पर सहमत होते हैं l भैरव सिंह के साथ सभी मंडप पर पहुँचते हैं l वहाँ पहुँच कर देखते हैं बेदी पर रुप अकेली बैठी हुई है l विश्व, वैदेही, विक्रम और उसके परिवार वाले मंच से उतर कर पुलिस वालों से बात कर रहे थे l पर गाँव वाले और पंडित कोई भी दिख नहीं रहा था l


भैरव सिंह - यह क्या है... कहाँ गए सारे लोग...
विक्रम - मैंने ही सबको विदा कर दिया... जितना तमाशा देखना था... देख चुके थे... अब जो हुआ या आगे होगा... वह आपके लिए... ना ठीक था न होगा... इसलिए मैंने पंडित के साथ साथ... नंदिनी के सभी दोस्तों को.... और गाँव वाले सबको विदा कर दिया...
भैरव सिंह - क्या कहा...
विक्रम - जी... आपने यह शादी तय कर.. अपनी खूब जलालत करा ली है... कहीं और ज्यादा हो जाती... तो लोग... आप पर ही फब्तीयाँ कसते...
भैरव सिंह - (विक्रम को अनसुना कर विश्व के पास जाता है) बहुत बड़ा चाल चल दिया तुमने... हमने सोचा भी नहीं था... (विश्वा कुछ नहीं कहता बस मुस्करा देता है, भैरव सिंह को गुस्सा आता है वह विश्व के तरफ़ बढ़ने लगता है तो वैदेही सामने आ जाती है)
वैदेही - बस भैरव सिंह बस... तुमने जिस लिए बुलाया था... और हम जिस लिए आए थे... सब पूरा हो गया... बस एक आखिरी बात याद रखना... मर्द की मूँछ और कुत्ते की दुम को कभी सीधी या नीची नहीं होनी चाहिए... कुत्ते की दुम अगर सीधा हो जाए तो वह कुत्ता नहीं रह जाता... और मर्द की मूँछ नीची हो जाए... तो वह मर्द नहीं रह जाता...
Nice update....
 
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Ajju Landwalia

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👉एक सौ उनसठवाँ अपडेट
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रात के करीब साढ़े दस या ग्यारह बज रहे होंगे l एक गाड़ी क्षेत्रपाल महल के सामने आकर रुकती है l गाड़ी से रंगा और रॉय उतरते हैं, भीमा उन्हें अपने साथ सीढ़ियों से ले जाता है l दोनों भीमा के साथ होते हुए महल के भीतर एक खास कमरे में पहुँचते हैं l उस कमरे में एक दीवार पर काँच के अलमारी में एक तलवार रखा हुआ था जिसकी मूठ नहीं थी l भैरव सिंह उस तलवार को देखे जा रहा था l उस कमरे में भैरव सिंह के साथ पहले से ही बल्लभ प्रधान मौजूद था l इन दोनों के आते ही भैरव सिंह मुड़ता है, भीमा उसके सामने झुकता है l

भैरव सिंह - अब तुम जाओ... हमारी मीटिंग खत्म होते ही तुम्हें बुला लेंगे...
भीमा - जी हुकुम... (भीमा उल्टे पाँव उस कमरे से बाहर चला जाता है)
भैरव सिंह - (भीमा के चले जाते ही) आओ... हम सब बैठकर बातेँ करते हैं... (कह कर एक गोल टेबल के पास जाता है जहाँ चार कुर्सियाँ पड़ी थी) (टेबल के पास पहुँच कर देखता है तीनों वैसे ही अपनी जगह पर खड़े हैं) क्या हुआ... आओ...
रॉय - राजा साहब... हम कैसे आपके बराबर बैठ सकते हैं...
भैरव सिंह - यह ना तो कोई दरवार है... ना ही कोई मैख़ाना... ना ही भोजन हेतु मेज पर बैठने को कह रहे हैं... फ़िलहाल आप हमारे पंचरत्नों में से हैं... यह हमारा रणनीतिक कक्ष है... यहाँ आप लोग हमारे बराबर बैठकर रणनीति तय कर सकते हैं... साझा कर सकते हैं... (बल्लभ से) प्रधान... तुम तो वाकिफ हो...

बल्लभ अपना सिर हिला कर टेबल के पास आता है और भैरव सिंह के पास खड़ा हो जाता है l जिसे देख कर रंगा और रॉय भी आकर टेबल के पास खड़े होते हैं l तीनों देखते हैं टेबल पर क्षेत्रपाल महल का एक नक्शा रखा हुआ था l

भैरव सिंह - सीट डाउन जेंटलमेन... (पहले प्रधान बैठ जाता है उसके बाद रंगा और रॉय बैठ जाते हैं) (एक गहरी साँस लेकर छोड़ने के बाद रॉय से) तो रॉय... रंग महल में सब ठीक है... केके... कैसा है...
रॉय - जी वह बहुत अच्छे हैं...
भैरव सिंह - सच बोलो रॉय... सच बोलो... क्यूँकी एक झूठ हमें नहीं... बल्कि हम सब को हरा सकता है... केके कैसा है...
रॉय - सॉरी राजा साहब... केके थोड़ा डरा हुआ है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... वज़ह...
रॉय - (कुछ देर के लिए पॉज लेता है, फिर) वह... राजा साहब... यह आपके परिवार का निजी मामला है... इसलिए...

भैरव सिंह अपनी जगह से उठता है l उसके उठते ही सारे उठ खड़े होते हैं l भैरव सिंह कमरे के एक किताबों की अलमारी के पास जाता है और अलमारी के भीतर एक कि पैड पर कुछ नंबर पंच करता है l अलमारी एक आवाज के साथ सरक जाती है l ज्यूं ज्यूं अलमारी सरकती जाती है पीछे नोटों के गड्डियों का पहाड़ नजर आने लगती है l जिसे देख कर रंगा और रॉय की आँखे और मुहँ खुल जाती हैं l भैरव सिंह मुड़ता है और उनसे कहता है

भैरव सिंह - यह हमारी दौलत के सागर की... एक छोटी सी गागर है... यह सब तुम्हारा हो सकता है... बस यह समझो... इस वक़्त हम लोग एक टीम हैं... और हम तुम लोगों के कॅप्टन... अगर हमारी जीत हुई... तो तुम लोग सोच भी नहीं सकते.. कितने आमिर हो जाओगे... (कह कर की पैड पर कुछ नंबर पंच करता है, जिससे वह किताब की अलमारी फिर से सरकते हुए वापस आ जाती है और नोटों के वह दृश्य गायब हो जाती है) तो अब बोलो... केके की कैसी हालत है... (कह कर अपनी जगह पर बैठ जाता है, वे तीनों भी बैठ जाते हैं)
रंगा - राजा साहब... जैसा कि रॉय बाबु ने कहा... यह आपके परिवार की अंदरुनी बात है.... पर सच यह है कि... केके साहब बहुत डरे हुए हैं...
भैरव सिंह - समझ सकते हैं... उसने वज़ह तो बताई होगी...
रॉय - जी... गुस्ताखी माफ हो तो...
भैरव सिंह - हाँ बताओ... उसने क्या बताया...
रॉय - वह.. वह... (आगे बोल नहीं पाता)
रंगा - कुछ गलत बोल जाएं तो माफ़ कर दीजिएगा राजा साहब... केके बाबु का कहना था कि... विश्वा और राजकुमारी जी का... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - क्या सिर्फ यही वज़ह है... या केके ने कुछ और भी कहा है...
रंगा - राजा साहब... खुद राजकुमारी जी ने केके साहब से कहा था... लोग शिशुपाल की नहीं... अब की बार केके बाबु का मिशाल देंगे...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
रॉय - गुस्ताखी माफ राजा साहब... विश्वा ने जिस भी काम को उठाया है... उसे पूरा किया है... और अब... यह तो उसका निजी मामला है... तो.... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - तुम दोनों को इसीलिए तो इतनी रात को बुलाया है... शिशुपाल प्रकरण में... जानते हो... क्या कांड हुआ था... (रॉय और रंगा दोनों चुप रहते हैं)
बल्लभ - रुक्मिणी हरण हुआ था...
रॉय - और केके बाबु कह रहे थे... राजकुमारी जी... आपके सामने भी... यह जाहिर किया के... उनकी शादी केके बाबु से नहीं होने वाली....

अब कमरे में सन्नाटा पसर जाता है l भैरव सिंह अपना सिर हिलाता है और उठ खड़ा होता है पर उन तीनों को बैठे रहने के लिए इशारा करता है l भैरव सिंह चलते हुए उस मूठ विहीन तलवार के सामने खड़ा होता है और तलवार की ओर देखने लगता है l धीरे धीरे उसका जबड़ा सख्त हो जाता है l फिर से इन तीनों की तरफ़ मुड़ता है l

भैरव सिंह - जेंटलमेन... हाँ यह सच है... राजकुमारी का दिल एक नमक हराम कुत्ते पर आ गया है... अब चूँकि वह अपनी ओहदे से नीचे आ गईं हैं... इसलिए हमने उनकी औकात को ध्यान में रखकर शादी तय कर दी... हमने कभी नहीं सोचा था... की चंद महीनों में... राजकुमारी इस हद तक गिर सकती हैं... खैर जो हो गया... सो हो गया... हमने राजकुमारी के जरिए... यह संदेश दे रहे हैं... जो भी हमसे जुड़े हुए हैं... उनको... के हमसे गुस्ताखी.... चाहे वह हमारा खून ही क्यूँ ना हो... हम हरगिज नहीं बक्सेंगे... हम सब जो इस कमरे में हैं... विश्वा से या तो प्रत्यक्ष... या फिर अप्रत्यक्ष रूप से... मात खाए हुए हैं... केके भी... इसलिए यह शादी होना... अब जरूरी है... (भैरव सिंह अब टेबल के पास आता है और अपनी जगह पर बैठ जाता है) कोई शक नहीं... विश्वा यह शादी रोकेगा... हम से यह गलती हुई है... की हमने कभी विश्वा के बारे में सोचा नहीं था... पर अब हम सोचने के लिए मजबूर हैं... यूँ समझ लो.. यह शादी एक आजमाइश है... विश्वा को परखने के लिए... समझने के लिए... अगर हम कामयाब रहे... तो हम आगे की खेल में... विश्वा को मात दे सकेंगे...
रंगा - और अगर... हार गए... तो...
भैरव सिंह - तो... आने वाले दिनों में... इस कमरे में... तुम लोगों की जगह... कोई और होंगे...

यह बात सुनते ही रंगा और रॉय एक दूसरे की ओर देखने लगते हैं l फिर दोनों भैरव सिंह की ओर देखते हैं l

रंगा - हम समझ गए... राजा साहब... कल शादी की कामयाबी के लिए... हम अपनी जान लड़ा देंगे...
भैरव सिंह - अगर हार भी जाओ तो मायूस मत होना... क्यूँकी यह क्षेत्रपाल की नाक की लड़ाई है... हाँ बस इतना होगा... के लड़ाई खत्म होने तक... तुम हमारे दोयम दर्जे के सैनिक बन कर रह जाओगे...
रॉय - मतलब... आप हमारी जगह... किसी और संस्थान से... मदत ले सकते हैं...
भैरव सिंह - तुम अब अपनी सीमा लांघ रहे हो...
रॉय - माफी चाहता हूँ.... राजा साहब... माफी चाहता हूँ... मेरा कहने का मतलब था... जैसे कि प्रधान बाबु ने कहा था... मैंने सभी जिलों से... आपके ही लोगों को भर्ती कराया है... आज हम छह सौ की आर्मी हैं... वह भी हथियारों से लैस...
भैरव सिंह - तो...
रॉय - (चुप रहता है)
रंगा - मैं कुछ बोलूँ... (भैरव सिंह उसके तरफ देखता है) राजा साहब... अगर आप कल की शादी में... बड़े मिनिस्टर और ऑफिसरों को बुलाते... तो वे अपनी सिक्योरिटी के साथ आते... इतनी सिक्युरिटी देख कर... विश्वा की फट जाती... और वह कुछ नहीं कर पाता...
बल्लभ - उनके साथ आए सिक्योरिटी उनके लिए होती... ना कि महल के लिए... और रंगा तुम अपनी औकात से ऊपर उठकर बात करो... मत भूलो... कुछ ही महीने पहले... एक वक़्त ऐसा भी था... सारे नेता और बड़े लोग... ESS की सर्विस लिया करते थे... अगर उन बड़े लोगों के होते... शादी ना हो पाती तो... (रंगा अपना मुहँ नीचे कर लेता है)
भैरव सिंह - रॉय... हमने तुम्हें अपनी चिंता बताई है... तुमने सिक्योरिटी एजंसी चलाई है... यूँ समझ लो... कल की शादी... तुम्हारे संस्था के लिए एक चैलेंज है... इसलिए... तुम अपना दिमाग लगाओ... और कल की शादी को मुकम्मल करो...
रॉय - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - प्रधान... बाकी तुम समझाओ... फिर देखते हैं... इसकी सोच और काबिलियत...
बल्लभ - रॉय... जैसे कि तुम देख रहे हो... यह महल की नक्शा है... मंडप यहाँ बनाया गया है... थोड़ी ऊंची जगह पर... क्यूँकी नीचे गाँव वाले बैठ कर देखेंगे... अब तक... हम कामयाब रहे हैं... क्यूँकी विश्वा ने... कोई गुस्ताखी अब तक नहीं की है... पर हो सकता है... कल की आपाधापी के चलते... विश्वा को मौका मिल जाए... कुछ करने के लिए...

रॉय नक्शा को गौर से देखता है l फिर सोचने लगता है l कुछ तय करने के बाद रॉय अपना प्लान बताता है l

रॉय - राजा साहब... जैसा कि राजकुमारी जी का कहना है कि... विश्वा... केके को शिशुपाल बनाने वाला है... तो राजकुमारी जी की सुरक्षा और निगरानी... हमारी प्राथमिकता होगी... पर ऐसा भी हो सकता है कि... विश्वा बारात को रोकने की कोशिश करे...
बल्लभ - नहीं... नहीं करेगा...
रॉय - क्या मतलब...
बल्लभ - हमने पहले से ही... केके के लिए... बारात की एस्कॉट के लिए... पुलिस की व्यवस्था कर दी है... अगर कुछ गड़बड़ हुई... तो सारी जिम्मेदारी पुलिस के सिर होगी... और जब तक... शादी खत्म नहीं हो जाती... मंडप को पुलिस घेरे रहेगी... तुम सिर्फ यह बताओ... विश्वा को कैसे रोकोगे...
रॉय - तब तो कल शादी होकर ही रहेगी... हमारे सारे बंदों की नजर विश्वा पर टिकी होगी... पर क्या रस्म अदायगी के लिए... राजकुमारी जी की तरफ़ से... कोई होंगे... शायद राजकुमार और... रानी साहिबा... राजकुमारी जी के साथ नहीं होंगे...
बल्लभ - उसकी व्यवस्था हो चुकी है... उनकी जगह... कोई और होंगे... पर राजकुमारी जी के करीबी होंगे... जो कल सुबह तक... राजगड़ पहुँच जाएंगे...
रॉय - तो फिर प्लान सुनिए...

कह कर रॉय अपना प्लान बताने लगता है l सभी ध्यान से रॉय को सुनते हैं l प्लान समझाने के बाद बल्लभ उन्हें विदा करता है l उसके बाद वह भैरव सिंह के पास लौट कर आता है l

भैरव सिंह - तुम्हें क्या लगता है प्रधान...
बल्लभ - मैं... कुछ नहीं कह सकता... ( पॉज) एक बात पूछूं...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
बल्लभ - आप चाहते क्या हैं... आपने राजकुमारी जी को दाव पर लगा दिया है...
भैरव सिंह - बेटी हमारी है... तकलीफ तुम्हें हो रही है...
बल्लभ - अनिकेत ने गलती करी थी... आपने उसे सजा दी... पर यहाँ....
भैरव सिंह - यहाँ राजकुमारी ने अपराध किया है... ना सिर्फ हमारी आँखों में आँखे डाल कर बात की है... बल्कि हमें चैलेंज दी है... इस घर से जब जाएंगी... गुरुर के साथ... हमारी आँखों में आँखे डालते हुए जायेंगी...
बल्लभ - क्या वाकई आप इस शादी के लिए सीरियस हैं... (भैरव सिंह बल्लभ की ओर देखता है) गुस्ताखी माफ राजा साहब... जैसे कि रंगा कह रहा था... (एक पॉज) आप राजा साहब हैं... बड़े घराने... पॉलिटिशियन आपको बुला कर अपना कद बढ़ाते हैं... वहीँ आपके घर में शादी है... किसी को भी... आपने बुलाया नहीं है...
भैरव सिंह - हम अकेले में बेइज्जत होना पसंद करेंगे... पर सबके सामने नहीं... शादी की कामयाबी पर... हम अभी भी संदेह में हैं...
बल्लभ - क्या...
भैरव सिंह - हाँ... प्रधान... हमने एक दाव लगाया था... पर विश्वा उसमें फंसा नहीं... पर उस दाव से हम पीछे हट भी नहीं सकते... हम केस की सुनवाई से पहले विश्वा को ज़ख़्म देना चाहते हैं... हम उसे हारते हुए देखना चाहते हैं... अगर शादी हो गई... तो उसकी हार होगी...
बल्लभ - अगर नहीं हुई... तो यह आपकी हार होगी...
भैरव सिंह - नहीं यह हार नहीं होगी... पर हाँ जीत भी नहीं होगी...
बल्लभ - मैं समझा नहीं...
भैरव सिंह - जब तुमने कहा था कि... अपनी औलाद की ग़म भुला कर... केके नई शादी रचाने जा रहा है... हमने रूप नंदिनी को उसके आगे कर दिया... बदले में... हमारी बूते जो भी दौलत कमाया था.. उसे अदालत में ज़मा करवा लिया... वह हमारी दौलत थी... अब अगर शादी हो जाती है... तो राजकुमारी की किस्मत... नहीं होती है... तो केके की किस्मत...
बल्लभ - मतलब आप तय मान कर चल रहे हैं... यह शादी नहीं होगी...
भैरव सिंह - हम कोई जिल्लत अपने सिर नहीं लेना चाहते... विश्वा की सोच और करनी को आखिरी बार परखने के लिए... अपनी तरफ से सबसे बड़ा दाव आजमा रहे हैं... अगर विश्वा यह शादी रुकवाने में कामयाब हो जाता है... तो समझ लो जंग का मैदान... और उसका दायरा ना सिर्फ अलग हो जाएगा... बल्कि बहुत बढ़ जाएगा...
बल्लभ - इतने आदमियों को... राजगड़ में लाने के बाद भी... क्या आप इसी लिए... उन मशीनरीस से कॉन्टैक्ट किया है...
भैरव सिंह - हाँ... क्यूँकी तादात... ताकत की भरपाई करता है... तब... जब हर दरवाजा बंद होगा... हमें अलग सा खेल खेलना होगा... अलग सा दाव लगाना होगा... (बल्लभ थोड़ा कन्फ्यूज सा लगता है) प्रधान...
बल्लभ - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तुम फ़िलहाल इस वक़्त... हमारे हमदर्द.. हमारे हम राज हो... इसलिए एक बात याद रखो... हम सिर्फ अपना ही सोचते हैं... खुद से बड़ा तो हम अपने बाप को भी नहीं मानते हैं... अपने लिए... हम किसी भी हद तक जा जा सकते हैं...
बल्लभ - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - वह क्या है कि... अब हम अपनी मुहँ से क्या कहे... हमने हम से बड़ा कमीना देखा नहीं... यह जान कर यह मत सोच लेना... के हमसे भी कोई कमीना पंती कर सकता है... क्या समझे...
बल्लभ - जी राजा साहब...


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अगले दिन विश्व अपनी बिस्तर पर आँखे मूँदे लेटा हुआ है l फोन की घंटी बजती है विश्व आँखे मूँदे हुए ही मुस्कराते हुए फोन को कान से लगाता है l

विश्व - हैलो...
रुप - मुम्म्म्म्म... आ...
विश्व - वाव... आज इतनी मीठी सुबह...
रुप - घबराओ मत... बहुत जल्द रोज... तुम्हें ऐसी ही... मीठी मीठी गुड मॉर्निंग मिलेगी...
विश्व - काश... जल्द ही वह दिन आये...
रुप - आयेगा आयेगा... बस सब्र करो... क्यूँकी सब्र का फल मीठा ही होता है...
विश्व - ह्म्म्म्म... हूँ हू हू... ही ही ही.. (हँसने लगता है)
रुप - ऐ... इसमें हँसने वाली क्या बात है...
विश्व - कुछ नहीं... बस... आप ने तो नहा लिया होगा... सब्र का साफ सूतरी फल के बारे में सोच रहा था...
रुप - ओ हो... बेवकूफ कहीं के... यह एक कहावत है...
विश्व - अच्छा... बड़ी प्यारी कहावत है...
रुप - क्या... (चौंकती है) छी... कितना गंदे सोचते हो...
विश्व - गंदा कहाँ... मैं तो साफ सूतरी फल के बारे में सोच रहा हूँ...
रुप - यु... मेरे सामने जब होते हो... फटती है तुम्हारी...
विश्व - आप भी कमाल करती हो... जब हाथों को शराफत में बाँध देता हूँ... तो डरपोक कहती हो...
रुप - हाँ तो... सामने जब होती हूँ... सब मैं ही तो करती हूँ...
विश्व - ठीक है... अगली बार... मैं कुछ करता हूँ...
रुप - ना... अगली बार.. मैं कोई मौका नहीं देने वाली...
विश्व - फिर तो सब्र का फल खट्टा हो जाएगा...
रुप - वह मैं नहीं जानती... मीठे फल के लिए... तुम्हें कुछ जतन करने होंगे...
विश्व - अजी हुकुम कीजिए... आपका गुलाम... आपके कदमों में बिछ जाएगा...
रुप - ठीक है... तो मुझसे व्याह कर लो...
विश्व - क्या...
रुप - क्यूँ... तुमने क्या सोचा... बिन जतन के फल चख लोगे...
विश्व - शादी तो करनी है... पर...
रुप - ठीक है... तुम्हारा यह पर... तुम अपने पास रखो... जानते हो ना... महुरत शाम को है...
विश्व - अच्छी तरह से जानता हूँ... भई हम खास मेहमान हैं आज के शाम की...
रुप - तुम्हारी नकचढ़ी को आज तुम्हारा इन्तेज़ार रहेगा...

रुप फोन काट देती है और शर्मा कर अपना चेहरा घुटनों के बीच छुपा लेती है l फिर उठती है और दीवार पर लगी आईने के सामने खड़ी होती है l अपनी ही अक्स को देख कर फिर से शर्माने लगती है l और अपने आपको संभालते हुए अपनी ही अक्स से कहती है

रुप - नंदिनी... कितनी बेशरम हो गई है... (कह कर अपना चेहरा अपनी हथेलियों में छुपा लेती है)

तभी दरवाजे पर दस्तक होती है l रुप को हैरानी होती है l इतनी सुबह कौन हो सकता है l रुप भागते हुए मोबाइल के पास जाती है और उसे म्यूट कर अपने कपड़ों में छुपा देती है l फिर दरवाजे के पास जाती है और दरवाजा खोलती है l सामने सेबती खड़ी थी पर वह अकेली नहीं थी उसके साथ छटी गैंग को देख कर रुप बहुत हैरान हो जाती है l

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बाथरूम से केके तैयार हो कर जब बाहर आता है, तो देखता है नाई और धोबी दोनों वैसे ही दरवाजे के बाहर खड़े हैं l सत्तू उनसे बातेँ कर रहा था l

केके - क्या हुआ सत्तू... यह लोग यहाँ खड़े क्यूँ हैं...
सत्तू - जमाई साहब... यह लोग आपसे बक्सिस की उम्मीद लगाए हुए हैं... आख़िर इन दोनों ने आपकी सेवा की है... हल्दी वगैरह लगाए हैं...
केके - क्या... हल्दी जनाना लगाती हैं...
सत्तू - पर आपके घर से कोई जनाना आई भी तो नहीं हैं...
केके - ठीक है... (अपना पर्स निकाल कर पाँच सौ के दो नोट उन्हें थमा देता है) इन्हें यहाँ से जाने के लिए कहो...

वह नाई और धोबी बेमन से पैसे लेते हैं l उन्हें सत्तू बाहर तक छोड़ आता है l सत्तू देखता है केके के चेहरे पर शादी की कोई खुशी झलक नहीं रही है l केके अंदर चला जाता है, उसके पीछे पीछे सत्तू भी कमरे के अंदर आता है l केके सेल्फ से एक व्हिस्की का बोतल निकाल कर ग्लास में पेग बना कर पीने लगता है l

सत्तू - एक बात पूछूं जमाई बाबु...
केके - पूछो...
सत्तू - क्या आप इस शादी से खुश नहीं हैं...
केके - खुशी... मुझे यकीन ही नहीं हुआ... जब राजा साहब ने... सामने से मुझे दामाद बनने की ऑफर की... ना सिर्फ ऑफर... बल्कि बाकायदा स्टैम्प पेपर में लिख कर दी... के शादी के तुरंत बाद... रंग महल मेरे नाम ही जाएगा... और केस के निपटारे के बाद... सारी प्रॉपर्टी में आधा हिस्सा हो जाएगा... पर मैं इस खुशी के लिए शादी को तैयार नहीं हुआ था... बल्कि सात सालों से... राजकुमार विक्रम जो जलालात मेरे साथ की... उसका बदला... मेरी किस्मत मुझे दे रहा था... इस खुशी के साथ मैं तैयार हुआ था... (पेग खाली करता है) ऐसा कोई दिन नहीं... जब मैंने उसके पैरों पर गिर कर गिड़गिड़ाया नहीं था... मुझे लगा... कुदरत ने मौका बनाया है... (एक पॉज लेकर और एक पेग बनाता है) वह कहते हैं ना... एक रस्म होता है... घोड़ी से उतरने के बाद... साला जीजा का पैर धोता है.. फिर जुता पहनाता है... मैं बस उस एक पल की खुशी के लिए... शादी को तैयार हो गया... पर साला विक्रम... मुझे मारने की धमकी दे गया... वह भी राजा साहब के सामने...
सत्तू - आपको कुछ नहीं होगा... भले ही राजकुमार राजा साहब के खिलाफ हैं... पर यह मत भूलिए... आप इस वक़्त राजा साहब के हिफाजत में हैं... और जो आप चाहते हैं... वह आज ना भी हो... पर शायद कल को मुमकिन हो...
केके - (हँसता है) हे हे हे... तुम... वाक़ई समझदार हो... हाँ शादी होने के बाद... यह मुमकिन होगा... जरुर होगा... (पेग खाली कर देता है)
सत्तू - आपको तो चिंता इस बात की होनी चाहिए... आप राजकुमारी जी को कैसे मनाएंगे...
केके - हाँ... यह बात तो है... कमीनी के तेवर बड़े हैं... बाप के सामने... बड़े यकीन के साथ... इत्मीनान के साथ कह रही थी... यह शादी नहीं होगी...
सत्तू - क्या आपको भी लगता है...
केके - ना... नहीं... बिल्कुल नहीं... पर जब... फ्रेम में विश्वा... यह नाम गूँजता है... तब मेरा यकीन डोल जाता है...
सत्तू - (चुप रहता है)
केके - तुम नहीं जानते सत्तू... मेरा सबकुछ ठीक चल रहा था... पर जैसे ही... विश्वा नाम का राहु... मेरी कुंडली में आया... तब से मेरा धंधा... बैठ गया... विक्रम ने ऐन मैके पर साथ छोड़ दिया... इसलिए... मैंने उस हरामी कुत्ते ओंकार चेट्टी से हाथ मिला बैठा... बदले में... बड़ी कीमत चुकाई... (केके फिरसे अपना पेग बनाने लगता है)
सत्तू - आज आपकी शादी है... इतना भी मत पीजीये... के मंडप पर संभल भी ना पाएं...
केके - शादी शाम को है... तब तक नशा उतर जाएगा...
सत्तू - हाँ यह बात आपने सही कहा... शाम तक... सारा नशा उतर जाएगा...
केके - सारा नशा... क्या मतलब है तुम्हारा...
सत्तू - आप बहक रहे हैं... जुबान साथ नहीं दे रहा है... आप विश्वा के बारे में कह रहे थे...
केके - अरे हाँ... पता नहीं... उस सजायाफ्ता के साथ... राजकुमारी... कैसे... यह बड़े घर के जो बेटियाँ होती हैं ना... उन पर नजर रखनी चाहिए... वह कहते हैं ना... नजर हटी... खैरात बटी...
सत्तू - माफ कीजिए जमाई बाबु... अगर नजर रखे होते... तो आज आप यहाँ नहीं होते... कोई राजकुमार होता...
केके - ही ही ही... बड़ा हरामी निकला... साला.. सच भी बोला... वह भी कितना कड़वा... खैर मुझे उसकी टेंशन नहीं है... मुझे अभी भी शक है... साला यह शादी होगी भी या नहीं...
सत्तू - आप भूल रहे हैं जमाई बाबु... यह शादी अब राजा साहब की नाक का सवाल है...
केके - अबे ख़ाक नाक की सवाल है... नाक की सवाल होती... तो पुरे स्टेट के... बड़े बड़े नामचीन हस्तियां यहाँ होती... मैंने जब इस बारे में पूछा था.. तो राजा साहब ने कहा था... के पहले शादी हो जाए... रिसेप्शन पर बुलाते हैं... जानते हो... राजा साहब ने ऐसा क्यूँ कहा... वह इसलिए सत्तू... राजा साहब को भी यकीन नहीं है... के यह शादी होगी...
सत्तू - (चुप रहता है)
केके - चुप क्यूँ हो गया बे... अब नहीं पूछेगा... हा हा... विश्वा पर... राजकुमारी की ही नहीं... विक्रम को भी भरोसा है... विश्वा... जिसने प्रोफेशन के चलते... हम सबको इतना डैमेज किया है... वह अपनी पर्सनल के लिए... क्या कुछ नहीं करेगा...
सत्तू - अगर आप इतने ही आश्वस्त हैं... तो इस शादी से भाग कर... खुद को जलील होने से बचा क्यूँ नहीं लेते...
केके - वैसे आइडिया बहुत अच्छा है... पर क्या है कि... मेरे अंदर का जानवर... मुझे उकसा रहा है... अगर यह शादी हो गई... तो राजकुमारी जैसी खूबसूरत लड़की... दौलत... और सबसे अहम... विश्वा और विक्रम से... अपना खीज निकाल सकता हूँ... और...
सत्तू - और...
केके - ही ही ही ही... कली चाहे खिली हो... या कमसिन हो... मसलने में... और रौंदने में बड़ा मजा आता है... ही ही ही...

तभी दरवाजे पर दस्तक होती है l दोनों उस तरफ मुड़ते हैं l एक नौकर झुके हुए सिर के साथ अंदर आता है l

केके - क्या है...
नौकर - मालिक... दरोगा जी आए हैं...
केके - (भौंहे सिकुड़ कर) दरोगा... (सत्तू से) तुम जाकर देखो... क्या माजरा है... मैं थोड़ा खुदको तब तक दुरुस्त कर लेता हूँ....

सत्तू बाहर चला जाता है l केके व्हिस्की का बोतल और ग्लास अंदर रख देता है और अपने बदन पर फ्रैगनेंस स्प्रे कर देता है l थोड़ी देर के बाद सत्तू इंस्पेक्टर दास के साथ अंदर आता है l

केके - कहिये... इंस्पेक्टर साहब... कहिये कैसे आना हुआ...
दास - हमें... एसपी ऑफिस से ऑर्डर मिला है... आज आपके बारात में... हम पुलिस वाले शामिल होंगे... और जब तक शादी नहीं हो जाती... तब तक आपके साथ रहेंगे... (सत्तू से) वैसे... कौन कौन लोग बारात में शामिल हो रहे हैं...
सत्तू - जी हम.. भीमा उस्ताद के कारिंदे...
दास - और बाकी... जो गाँव से बाहर आए थे...
सत्तू - जो वह सब महल की पहरेदारी के लिए गए हुए हैं...
दास - हूँ.. ह्म्म्म्म... (केके से) तो केके साहब... अब आपका क्या खयाल है...
केके - मुस्कराते हुए... यह शादी अब तो होकर ही रहेगी...

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रुप की कमरे में रुप और उसकी छटी गैंग थीं l रुप ने सेबती और दूसरे नौकरानियों को विदा कर सबके लिये नाश्ता लाने के लिए बोल दिया था l रुप के सारे दोस्त पहले से ही महल देख कर हैरान व चकित थीं l अब रुप की कमरे को घूम घूम कर देख रहीं थीं l

दीप्ति - (रुप के पास आकर बैठती है) वाव नंदिनी... महल तो महल... तुम्हारा कमरा भी क्या खूब है...
बनानी - हाँ यार... हमने कभी सोचा भी नहीं था... कोई राज महल को... सच्ची में... इतनी करीब से देखेंगे... और.. (रुप की बेड पर उछल कर बैठते हुए) किसी राजकुमारी की कमरे में... ऐसे बैठेंगे...

सब आकर रुप को घेर कर बैठ जाते हैं l रुप अब तक इन्हें देख कर शॉक में थी l सबको अपने पास देख कर पूछती है l

रुप - पहले यह बताओ... तुम लोग यहाँ कैसे...
तब्बसुम - यह तुम शॉक के वज़ह से पूछ रही हो... या हमें इस मौके पर नहीं देखना चाहती थी... इसलिये पूछ रहे हो...
रुप - क्या मतलब...
भास्वती - हाँ हाँ... दोस्तों में खिटपिट होती रहती है... पर ऐसी भी क्या नाराजगी यार... तुम शादी करने जा रही हो... और हमें खबर भी नहीं...
इतिश्री - और नहीं तो... वह तो भला हो... राजा साहब जी का... हमारे घर में आकर पर्सनली बुलाए थे... और यहाँ आने के लिए... गाड़ी भी भिजवाया था...
रुप - ह्व़ाट...
सब - हाँ...
रुप - राजा साहब... तुम लोगों के घर गए थे...
सब - हाँ...
रुप - कब...
बनानी - वह... करीब हफ्ते भर पहले...
दीप्ति - क्यूँ... तुम नहीं चाहती थी... के हम यहाँ आए...

रुप सबके चेहरे को गौर से देखती है l फिर एक गहरी साँस छोड़ते हुए पूछती है

रुप - मेरी शादी किससे तय हुई है... जानती भी हो...
सब - हाँ... तुम्हारे अनाम से...
भास्वती - आई मिन... एडवोकेट विश्व प्रताप महापात्र से...
रुप - (फिर से शॉक लगती है) ह्व़ाट... यह तुम क्या कह रही हो...
दीप्ति - ह्व़ाट डु यु मीन... क्या कह रही हो मतलब.... हमें तो राजा साहब ने यही कहा था...
रुप - क्या... यह तुम लोगों को... राजा साहब ने कहा था...
सब - हाँ....
रुप - और क्या कहा था...
दीप्ति - यही... के इस शादी से... तुम्हारी छोटी माँ... और भाई चाचा कोई खुश नहीं है... इसलिए... पारिवारिक रस्म सभी तुम्हारी सहेलियाँ और दोस्त निभाएंगे...
रुप - अच्छा... तो ऐसा कहा राजा साहब ने... तो तुम लोग अपने अपने फॅमिली के साथ क्यूँ नहीं आए...
बनानी - राजा साहब ने कहा कि... शादी कुछ चुनिंदा लोगों के सामने होगी... रिसेप्शन के दिन... सभी आयेंगे... तब हमारी फॅमिली आएँगे... रिसेप्शन अटेंड कर... हमें वापस ले जायेंगे...
रुप - ओ... तो राजा साहब ने... ऐसा कहा है तुम लोगों को...
भास्वती - देख यार... तु अब गुस्सा कर या कुछ और... हम तुझे आज अपने हाथों से सजाएँगे... और मंडप पर बिठाएंगे... और...
सभी - जीजाजी से... खूब सारा पैसा ऐंठेंगे...

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विश्व तैयार हो कर वैदेही के दुकान पर आता है l देखता है कुछ लोग दुकान के बाहर खड़े हुए हैं l विश्व पास जाकर देखता है लोग वैदेही से कुछ पूछ रहे थे l

लोग - अच्छा वैदेही... क्या हम राज महल जाएं...
वैदेही - हाँ चाचा... क्यूँ नहीं... सभी गाँव वालों को निमंत्रण मिला है... और यह तो चार साल बाद... बुलावा आया है... क्यूँ ना जाओ...
हरिआ - पर... वैदेही दीदी... अब राजा के साथ हमारा जिस तरह का रिश्ता है... क्या हमारा वहाँ जाना ठीक रहेगा...
वैदेही - देखो हरिआ... भैरव सिंह ने... मातम करने के लिए नहीं बुलाया है... जश्न में बुलाया है... और यह शायद महल का... आखिरी जश्न है... क्यूँकी इसके बाद... वहाँ मातम तो होगा... पर जश्न कभी नहीं मनेगा... इसलिए बेखौफ हो कर जाओ... मस्त हो कर जाओ... हम लोग थोड़ी देर बाद निकल रहे हैं... चाहो तो... हमारे साथ जा सकते हो...
लोग - नहीं... हमे खास हिदायत है... बारात जब गुजरेगी... उसके पीछे पीछे... बाराती में शामिल हो कर महल पहुँचना है...
वैदेही - यह तो और भी अच्छी बात है... अच्छा अब तुम लोग जाओ...

सभी लोग मुड़ कर वापस चले जाते हैं l उनके जाने के बाद वैदेही विश्व को देखती है l विश्व सफेद रंग के पैंट शर्ट में बहुत ही खूब सूरत दिख रहा था l

वैदेही - आह... कितना सुंदर दिख रहा है मेरा भाई... (नजर उतारने लगती है, फिर एक काला टीका विश्व के गाल पर लगा देती है)
विश्व - यह क्या है दीदी...
वैदेही - आज तुझ पर दुनिया भर की बुरी नजरें होंगी... किसीकी नजर ना लगे... (तभी बबलु आता है)
बबलु - मौसी..
वैदेही - अरे... आ गया... (वैदेही बबलु के गाल पर भी काला टीका लगाती है)

विश्व देखता है बबलु बिल्कुल विश्व के जैसे कपड़े पहना हुआ था l वह बबलु से पूछता है

विश्व - तेरे पास... बिल्कुल मेरे जैसे कपड़े...
बबलु - मौसी ने मेरे लिए खरीदा है... (यह सुन कर विश्व वैदेही की ओर देखता है)
वैदेही - हाँ हाँ... यह जरूरी है... इसलिए खरीद लिया... वैसे... वह चार बंदर कहाँ हैं...
विश्व - आ जाएंगे...
वैदेही - तो चलें...

तीनों महल की ओर जाने लगते हैं l चलते चलते महल के पास पहुँचते हैं l बाहर उन्हें विक्रम, पिनाक, सुषमा और शुभ्रा मिलते हैं l सभी मिलकर जब गेट पर पहुँचते हैं तो पाते हैं भैरव सिंह भीमा, उसके गुर्गे, रंगा, रॉय और बल्लभ के साथ खड़ा था l भैरव सिंह उन्हें गेट के पास ही रोकता है l

भैरव सिंह - विक्रम सिंह... आज तुम्हारे बहन की विवाह है... वर अभी पहुँचने वाले हैं... रस्म के अनुसार... (चुटकी बजाता है, भीमा एक रेशमी कपड़े से ढका हुआ थाली लेकर आता है) (भैरव सिंह थाली पर उस कपड़े को हटाता है, उस पर जुते थे) जीजा घोड़ी से उतरने के बाद... साला उसे जुता पहनता है...
विक्रम - जो कुत्ता मेरा जुता चाटता था... उसे मैं जुता... अपने हाथों से पहनाऊँ... यह आपने सोच भी कैसे लिया... हाँ... जुते मारने के लिए कहेंगे... तो सारे गिले शिकवे भुला कर मार सकता हूँ...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... सुषमा जी... वर... घोड़ी से उतरने के बाद... उसका तिलक सासु करतीं हैं...
सुषमा - मैं यहाँ इसलिए आई हूँ... यह शादी होनी ही नहीं है... उसकी गवाह बनने... अभी भी वक़्त है... राजा साहब... यह शादी टाल दीजिए...
भैरव सिंह - कोई नहीं... हमें इस बात का अंदाजा था... हमने उसका काट भी ढूंढ लिया है... (पीछे मुड़ कर) उन्हें लेकर आओ...

शनिया भाग कर जाता है और जब वापस आता है साथ में रॉकी और बनानी आते हैं l उन्हें देख कर विश्व और विक्रम दोनों हैरान होते हैं l

भैरव सिंह - (विश्व से) तुम्हें हैरानी हो रही है... या परेशानी हो रही है...
विश्व - ना मैं हैरान हूँ... ना मैं परेशान हूँ... क्यूँकी तुम्हें.... मैं नस नस से पहचानता हूँ... तुम ऐसा ही कुछ करोगे... इसका मुझे अंदाजा था...
भैरव सिंह - तब तो तुम्हें इस बात का अंदाजा हो ही गया होगा... आज तुम सबका घमंड और विश्वास दोनों को... हम मिट्टी में मिला देंगे...
विश्व - फ़िलहाल घमंड और विश्वास... तुम्हारा मिट्टी पलित हुआ लग रहा है... है ना... (भैरव सिंह का जबड़ा भिंच जाता है) हर उस शख्स को यहाँ पर ले आए... जो किसी ना किसी तरह से... राजकुमारी जी से जुड़ा हुआ था... पर मेरी माँ और डैड को यहाँ नहीं ला पाए...
भैरव सिंह - हाँ... वह हमारे आदमियों की नाकामयाबी है... क्या टाइमिंग है... जोडार अपने घर की रिनोवेशन करा रहा है... और सेनापति के घर में... भाड़े पर रह रहा है.. पर कोई नहीं... अंदर जाओ... तुम सबके लिए खास मंच तैयार किया गया है... वहाँ से... रुप को केके के साथ व्याहते देखो... भीमा
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - इन सबको... बाइज़्ज़त लेजाओ... और बिठा दो...
भीमा - जी हुकुम...

भीमा रास्ता बनाते हुए आगे आगे जाता है और मंडप से कुछ दूर पर बने एक स्टेज पर लगे कुछ कुर्सियों पर बैठने के लिए कहता है l सभी पहले एक दूसरे को देखते हैं फिर जाकर बैठ जाते हैं l

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बैठने के बाद विश्व और विक्रम शादी की जगह को नजर घुमा कर देखने लगते हैं l तीन मंच बने हुए थे l एक छोटा सा मंच जिस पर एक सिंहासन नुमा कुर्सी था l दूसरा मंच शादी के लिए और तीसरे मंच पर यह लोग बैठे हुए थे l दुल्हन का कमरा बेदी से कुछ दूर पर शामियाने से बनाया गया था l पर दूल्हे का कमरा बेदी के आसपास कहीं नहीं दिख रहा था l शायद महल के अंदर किसी कमरे को दूल्हे के लिए बनाया गया होगा l कुछ देर बाद कानों में ढोल नगाड़ों की आवाज़ सुनाई देती है l मतलब दूल्हा का आगमन हो गया था l वे देखते हैं केके दूल्हे के रुप में भैरव सिंह, एक पंडित और इंस्पेक्टर दास के साथ अंदर आता है l उनके पीछे पीछे लोग आकर जमीन पर अपनी अपनी जगह बना कर बैठ जाते हैं l पंडित पहले केके को एक तलवार देता है और बेदी के चारों तरफ़ बने धागे की घेरे को काटने के लिए कहता है l केके तलवार से वह धागे वाला घेरा को काट देता है l उसके बाद केके मंडप का प्रदक्षिणा करता है l प्रदक्षिणा के बाद केके को अंदर ले जाया जाता है l केके के अंदर चले जाने के बाद सारी पुलिस मंडली विश्व के बैठे मंच के पास खड़े हो जाते हैं l

पंडित मंडप पर बैठ कर मंत्र पढ़ने लगता है l विश्व और विक्रम हैरान होते हैं दुल्हन की माता पिता के रस्म अदायगी के लिए मंडप पर रॉकी और बनानी को लाया जाता है l कुछ विधि पूर्ण होने पर कन्या को बेदी पर लाने के लिए पंडित कहता है l दुल्हन के लिए बनी शामियाने से रुप अपनी सहेलियों के साथ निकलती है l सफेद वस्त्रों में रुप बेहद सुंदर दिख रही थी, चंदन कुमकुम माथे पर, बालों के जुड़े में चमेली के फुल उसकी सुंदरता को चार चांद लगा रहे थे, या यूं कहें कि चमक रही थी, चेहरे पर शृंगार के वज़ह से दमक रही थी l रुप के हाथों में एक नारियल थी वह मुस्कराते हुए बेदी तक आ रही थी l रुप की सुंदरता को देख कर विश्व का मुहँ खुला रह जाता है l वह रुप की उस सौंदर्य में खो सा जाता है l

वैदेही - (धीरे से पूछती है) बहुत सुंदर है ना...
विश्व - हाँ... बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा... (अचानक होश में आता है) क्या... हाँ.. क्या पुछा तुमने...
वैदेही - पूछा नहीं कहा...
विश्व - हाँ... क. क्य.. क्या कहा..
वैदेही - बहुत कीड़े उड़ रहे हैं... मुहँ बंद कर ले...
विश्व - ओ.. अच्छा... हाँ हाँ..

वैदेही उसकी हालत देख कर हँस देती है l विश्व सकपका जाता है और चोरी चोरी नजरों से शादी की बेदी पर बैठी रुप की ओर देखता है l रुप भी मुस्कुराते हुए विश्व की ओर देखती है और भौंहे नचा कर अपनी शृंगार के बारे में इशारे से पूछती है l विश्व तो घायल था वह जवाब में आह भरी नजर से देखता है l विश्व प्रतिक्रिया देख कर रुप हँस देती है l जहां विश्व रुप की रुप में खोया हुआ था, वहीँ भैरव सिंह और वैदेही की नजर आपस में टकराती है l भैरव सिंह का चेहरा सख्त था पर घमंड से चूर था वैदेही से नजर मिलते ही भैरव सिंह अपनी मूंछों पर ताव देता है l वैदेही अपना चेहरा घुमा लेता है l

कुछ देर बाद एक रस्म पूरा हो जाता है l पंडित अगले रस्म के दुल्हन को नए वस्त्रों में आने के लिए कहता है और अपने कमरे में जाने के लिए कहता है l जैसे ही रुप अपने सहेलियों के साथ शामियाने के भीतर जाती है l शामियाने को रंगा के साथ कुछ लोग घेर लेते हैं l थोड़ी देर बाद सत्तू और रॉय के साथ केके मंडप में आता है l जिसे देख कर विक्रम, पिनाक, सुषमा और शुभ्रा के चेहरे पर गुस्सा छा जाता है l पर वैदेही और विश्व के चेहरे पर कोई भाव नहीं आता l पंडित पूजा विधि संपन्न करने के बाद केके को विवाह वस्त्रों में आने के लिए कहता है l अब तक पूरे हुए रस्मों के बाद अब केके के चेहरे पर अति उत्साही भाव नजर आ रहे थे l बड़े गर्व के साथ वह सत्तू और रंगा के साथ महल में दूल्हे के लिए नियत की गई कमरे के भीतर जाता है l उधर पंडित के बुलाने पर रुप की सहेलियाँ रुप को लेकर बाहर आती हैं l रुप इस बार लाल वस्त्रों में आई हुई थी l लाल रंग के दुल्हन की लिबास में देख कर विश्व की हालत और भी ख़राब हो जाती है l इस बार रुप के चेहरे पर हल्की सी टेंशन झलकने लगी थी l वह सवालिया नजर से विश्व और वैदेही की ओर देखती है l विश्व तो अपनी अप्सरा के सौंदर्य में खो गया था l पर वैदेही एक इत्मीनान भरा इशारा पलकें झपका कर करती है l जिसे भैरव सिंह देख लेता है l वह अपनी सिंहासन से उतर कर मंडप तक आ जाता है l मंडप में रुप के साथ उसकी छटी गैंग की सहेलियाँ और रॉकी बैठे हुए थे l इस बार की रस्म पूरा होते ही पंडित दूल्हे को बेदी पर लाने के लिए कहता है l

पहले पाँच मिनट, फिर दस मिनट बीत जाता है, पर केके नहीं आता l उधर सत्तू तेजी से आता है और भीमा के कान में कुछ कहता है l सत्तू से सुनने के बाद भीमा के चेहरे का रंग उड़ जाता है l वह कांपते हुए भैरव सिंह के पास जाता है और उसका अनुमती लेकर भैरव सिंह के कान में कुछ कहता है l सुनने के बाद भैरव सिंह भी हैरान होता है और विश्व की ओर देखता है l फिर तेजी से महल के अंदर जाता है l

एक टेंशन भरा माहौल था l पंडित हैरान हो कर दूल्हे की आने की राह देख रहा था l इधर लोग आपस में खुसुर-पुसुर करने लगे थे l कुछ देर पहले रुप के चेहरे पर जो परेशानी उभर कर आई थी l अचानक उसके चेहरे पर खुशी उभरने लगी थी l विश्व जिस मंच पर बैठा था इंस्पेक्टर दास भी वहीँ पर खड़ा था, अचानक उसका फोन बजने लगता है l दास फोन पर देखता है रॉय का कॉल था l फोन उठाता है जैसे ही वह फोन पर कुछ सुनता है, अचानक उसके मुहँ से निकल जाता है

दास - क्या... दूल्हा गायब है...

यह एक धमाका था l सब लोग जो बैठे हुए थे सभी एक झटके के साथ खड़े हो जाते हैं l सबसे ज्यादा हैरानी बेदी के पास खड़े बल्लभ को होता है l उसका मुहँ खुल जाता है l पर कुछ देर पहले रुप के चेहरे पर जो थोड़ी सी परेशानी झलक उठी थी, एकदम से गायब हो जाती है और एक दमकती हुई मुस्कान के साथ विश्व की ओर देखती है l विश्व उसे आँख मार देता जिसकी प्रत्युत्तर में रुप शर्मा के चेहरा झुका लेती है l थोड़ी देर के बाद भैरव सिंह, रॉय, भीमा और सत्तू तेजी से मंडप की ओर आते हैं l इंस्पेक्टर दास से रॉय कहता है

रॉय - इंस्पेक्टर साहब... (विश्व को दिखा कर) गिरफ्तार कर लीजिए इस आदमी को...
दास - क्यूँ... क्या करदिया इस आदमी ने...
रॉय - इसने... (रुक जाता है)
दास - हाँ हाँ इसने...

भैरव सिंह- (इंस्पेक्टर दास के पास जाता है) इंस्पेक्टर... जो कमरा... दूल्हे बाबु को नियत किया गया था... उस कमरे में... अभी वह उपलब्ध नहीं हैं... क्या उन्हें ढूंढने के लिए कुछ करेंगे...
दास - अच्छा... तो यह बात है... चलिए... पहले... उसी कमरे से तहकीकात शुरु करते हैं...
भैरव सिंह - हाँ जब तक... तहकीकात पूरी हो ना जाए... तब तक... आप इन्हें... (विश्व और विक्रम वाली मंच दिखाते हुए) यहीं पर रोके रखें...

इंस्पेक्टर दास, अपने सिपाहियों से विश्व, विक्रम पिनाक और तीनों औरतों को कहीं जाने ना देने के लिए कह कर भैरव सिंह, रंगा, रॉय, बल्लभ, सत्तू और भीमा को साथ लेकर उस कमरे के अंदर आता है जिस कमरे से केके गायब हो गया था l दास कमरे को अच्छी तरह से मुआयना करता है l उसकी नजर बाल्कनी पर जाता है l वह देखता है एक कपड़ा बाल्कनी के रेलिंग से बंधा हुआ है और नीचे की ओर गिरा हुआ है l

दास - इस बंधी हुई चादर को देख कर लगता है... आपका जामाता... यहाँ से उतर कर भागे हैं...
भैरव सिंह - हो नहीं सकता...
दास - ऐसा क्यूँ...
रॉय - इस महल को... मेरे आदमी... हर पाँच फुट की दूरी बना कर घेरे हुए हैं... यह मुमकिन ही नहीं है... कोई इस महल से निकल कर गया हो...
दास - हूँम्म्म्... तो हो सकता है... महल के अंदर ही कहीं छुपा हो...
भैरव सिंह - अपनी शादी में कौन छुपता है दास बाबु...
दास - हो सकता है... कमल कांत को... यह शादी मंजुर ही ना हो... ज़बरदस्ती कारवाई जा रहा हो...
भैरव सिंह - (चीखता है) दास...
दास - ऊँ हूँ... इंस्पेक्टर दास... पहले आप अपने महल के अंदर... अच्छी तरह से तलाशी लीजिए... फिर देखेंगे...

कमरे में दास, बल्लभ और भैरव सिंह को छोड़ कर सभी महल के अंदर केके को ढूंढने निकल जाते हैं l दास अभी भी कमरे में अपनी नजर दौड़ा रहा था l कुछ देर बाद

दास - राजा साहब... क्या मैं इस कमरे का बाथरूम... यूज कर सकता हूँ...

भैरव सिंह अपना सिर हाँ में हिलाता है l दास बाथरुम के अंदर जाता है l थोड़ी देर बाद फ्लश की आवाज़ सुनाई देती है l कुछ देर बाद अपना हाथ साफ करते हुए दास अंदर आता है l कुछ ही देर में सारे लोग अंदर आते हैं और केके कहीं भी नहीं दिखा ऐसा कहते हैं l

भैरव सिंह - इंस्पेक्टर बाबु... यह क्लियर कट किडनैपिंग है... आप केस दर्ज कीजिए...
दास - आपको किस पर शक है...
रॉय - हाँ है... विश्व प्रताप पर...
दास - कैसी बात कर रहे हैं रॉय बाबु... विश्व के पास मैं और मेरी पुरी पुलिस फोर्स खड़ी थी... (रॉय चुप हो जाता है) राजा साहब... आपका क्या कहना है... (भैरव सिंह चुप रहता है) (बल्लभ से) प्रधान बाबु... क्या आप कुछ कहना चाहेंगे...
बल्लभ - आप... आप... केके साहब का... गुमशुदगी का रिपोर्ट दर्ज कर दीजिए...
रॉय - ह्व़ाट...
दास - लगता है... आप लोग एक मत नहीं हैं... कोई नहीं... मुझे क्या रिपोर्ट दर्ज करनी है... और किस बात पर तहकीकात करना है... यह डिसाइड करने के बाद मुझे खबर कर दीजिए... फिलहाल... मैं बाहर हूँ...

दास इतना कह कर चला जाता है l कमरे में मौजूद सभी बल्लभ की ओर सवालिया नजर से देखने लगते हैं l

बल्लभ - राजा साहब... आप जरा ध्यान दीजिए... अगर किडनैप है भी... तब भी... हम वज़ह को एस्टाब्लीश नहीं कर सकते... महल के अंदर... यह कांड हुआ है... हमारी सारी की सारी तैयारी... धरी की धरी रह गई...
सत्तू - हुकुम... गुस्ताखी माफ...
भैरव सिंह - क्या बात है...
सत्तू - हुकुम... मुझे तो लगता है... केके बाबु... विश्वा से डर कर भाग गए हैं...
रॉय - क्या बकते हो...
सत्तू - बक नहीं रहा हूँ... शादी को लेकर... केके बाबु कल रात से डरे हुए थे... और आज सुबह... हिम्मत जुटाने के लिए... दारू भी बहुत पी रखी थी...
रंगा - मुझे ऐसा नहीं लगता... राजा साहब... विश्वा बहुत बड़ा गेम कर दिया... हम सब राजकुमारी जी की सुरक्षा के लिए... तैयारी कर रखे थे... इसलिए... उसने बड़े आराम से.. केके साहब पर हाथ साफ कर दिया...
बल्लभ - जो भी हो... हम सीधे विश्व पर उंगली नहीं उठा सकते... वह गाँव के लोग और पुलिस के बीच में... शुरु से ही था... वह अपनी जगह से हिला तक नहीं... हम इल्जाम तो लगा सकते हैं... पर यह मत भूलो... वह एक वकील भी है... हमारी ही.. शिकायत को... हमारे खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है... (कमरे में सभी चुपचाप खड़े थे) अब हम सबको... मंडप पर चलना चाहिए....

सभी बल्लभ की बात पर सहमत होते हैं l भैरव सिंह के साथ सभी मंडप पर पहुँचते हैं l वहाँ पहुँच कर देखते हैं बेदी पर रुप अकेली बैठी हुई है l विश्व, वैदेही, विक्रम और उसके परिवार वाले मंच से उतर कर पुलिस वालों से बात कर रहे थे l पर गाँव वाले और पंडित कोई भी दिख नहीं रहा था l


भैरव सिंह - यह क्या है... कहाँ गए सारे लोग...
विक्रम - मैंने ही सबको विदा कर दिया... जितना तमाशा देखना था... देख चुके थे... अब जो हुआ या आगे होगा... वह आपके लिए... ना ठीक था न होगा... इसलिए मैंने पंडित के साथ साथ... नंदिनी के सभी दोस्तों को.... और गाँव वाले सबको विदा कर दिया...
भैरव सिंह - क्या कहा...
विक्रम - जी... आपने यह शादी तय कर.. अपनी खूब जलालत करा ली है... कहीं और ज्यादा हो जाती... तो लोग... आप पर ही फब्तीयाँ कसते...
भैरव सिंह - (विक्रम को अनसुना कर विश्व के पास जाता है) बहुत बड़ा चाल चल दिया तुमने... हमने सोचा भी नहीं था... (विश्वा कुछ नहीं कहता बस मुस्करा देता है, भैरव सिंह को गुस्सा आता है वह विश्व के तरफ़ बढ़ने लगता है तो वैदेही सामने आ जाती है)
वैदेही - बस भैरव सिंह बस... तुमने जिस लिए बुलाया था... और हम जिस लिए आए थे... सब पूरा हो गया... बस एक आखिरी बात याद रखना... मर्द की मूँछ और कुत्ते की दुम को कभी सीधी या नीची नहीं होनी चाहिए... कुत्ते की दुम अगर सीधा हो जाए तो वह कुत्ता नहीं रह जाता... और मर्द की मूँछ नीची हो जाए... तो वह मर्द नहीं रह जाता...

Wah Kala Nag Bhai Wah

Kya gazab ki update post ki he..........

Bherav singh ke sare chak chauband bandobast...........rup ke sabhi dosto ko ek tarah se agava karke lana...................sab ki maa behan ek kar di Vishwa ne

Vishva ke charo sipahsalaro ne kya gazab ka kaam kiya he...........mahal ke andar se hi KK ko gayab kar diya...........(mujhe doubt he KK bathroom me hi band he)

Keep rocking Bro
 
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हाँ लगभग केके का जीवन लीला समाप्त होने वाला है

विश्वा को एक लिंक मिलने वाला है डैनी के जरिए
उसके बाद बल्लभ को ट्रैप में विश्वा लेगा
जाहिर है उसके बाद खून खराबा शुरु हो जाएगा

धन्यवाद
टेंश काल में कुछ हल्की फुल्की मोमेंट

सही कहा आपने मनी ट्रेल साबित करना मुमकिन नहीं होगा क्यूँकी यह प्रवर्तन निदेशालय का काम है l पर कोई कमजोर कड़ी हाथ लगे तो उसे अदालत के सामने प्रस्तुत किया जा सकता है l

भाई विशाखापट्टनम के सेवन हिल्स हस्पताल को रेफर किया गया l वहाँ हेमाटोलोजीस्ट ने चेक करा l खून में B12 और फोलीक एसिड की कमी पाई गई है l उपचार चल रही है l अब खतरे से बाहर है l आप की शुभकामनाओं के लिए तह दिल से आभार
प्रभु का लाख लाख नमन । प्रभु आपकी पुत्री को दीर्घायु और अच्छी भविष्य दे ।
 
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इस एक अपडेट के अंदर कई रंग देखने को मिला ।
क्रूर और निरंकुश भैरव सिंह अपने पंच रत्नों के साथ विश्वा के जोड़ का तोड़ निकालने मे व्यस्त था वहीं विश्वा उनकी पुत्री रूप नंदिनी के साथ हल्के फुल्के मुड मे इश्क के पिंगे बढ़ाने मे लगा था । बल्कि यूं कहें ' इलू इलू ' करने मे लगा था ।
ऐसी सीरियस सिचुएशन मे रूप और विश्वा का यह अवतार वाकई टेंशन से मुक्त करने वाला था ।
लेकिन भैरव सिंह के पंच रत्न हैं कौन ? वल्लभ प्रधान , रंगा और राॅय का जिक्र तो हुआ लेकिन अन्य दो महानुभाव कौन ?

कमलकांत अपने विवाह के अवसर पर ऐसे गायब हुआ जैसे एक बार हमारे महान जादूगर गोगिया पाशा जी ने अमेरिका के एक एयरपोर्ट को अदृश्य कर दिया था । लेकिन वह सब एक जादू था पर यहां हकीकत मे ऐसा कुछ हुआ ।

हो न हो यह रूप नंदिनी के छठी गैंग का कमाल है । ये छठी गैंग आई हैं भैरव सिंह के निमंत्रण पर लेकिन काम वह विश्वा का कर रही हैं ।
एक सहेली का साथ अच्छी सहेली न दे यह हो नही सकता । लेकिन हमारे दुल्हे राजा आखिर अंतर्ध्यान हुए तो कहां हुए ? जैसी सेक्योरिटीज भैरव सिंह ने कर रखी है उससे यह तो श्योर है वह महल से बाहर जा नही सकता ।
या तो वह छठी गैंग के कक्ष मे है या रंग महल के मगरमच्छ का शिकार हो चुका है ।

लेकिन इस मौके पर वैदेही ने जिस तरह भैरव सिंह का सामना किया और जैसा उन्हे जबाव दिया वह इस अपडेट का सबसे खुबसूरत लम्हात था । इसीलिए तो वैदेही इस कहानी का नायक न होकर भी शोले फिल्म की संजीव कुमार साहब लगती है ।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट बुज्जी भाई ।
जगमग जगमग अपडेट ।
 
Last edited:

RAAZ

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👉एक सौ उनसठवाँ अपडेट
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रात के करीब साढ़े दस या ग्यारह बज रहे होंगे l एक गाड़ी क्षेत्रपाल महल के सामने आकर रुकती है l गाड़ी से रंगा और रॉय उतरते हैं, भीमा उन्हें अपने साथ सीढ़ियों से ले जाता है l दोनों भीमा के साथ होते हुए महल के भीतर एक खास कमरे में पहुँचते हैं l उस कमरे में एक दीवार पर काँच के अलमारी में एक तलवार रखा हुआ था जिसकी मूठ नहीं थी l भैरव सिंह उस तलवार को देखे जा रहा था l उस कमरे में भैरव सिंह के साथ पहले से ही बल्लभ प्रधान मौजूद था l इन दोनों के आते ही भैरव सिंह मुड़ता है, भीमा उसके सामने झुकता है l

भैरव सिंह - अब तुम जाओ... हमारी मीटिंग खत्म होते ही तुम्हें बुला लेंगे...
भीमा - जी हुकुम... (भीमा उल्टे पाँव उस कमरे से बाहर चला जाता है)
भैरव सिंह - (भीमा के चले जाते ही) आओ... हम सब बैठकर बातेँ करते हैं... (कह कर एक गोल टेबल के पास जाता है जहाँ चार कुर्सियाँ पड़ी थी) (टेबल के पास पहुँच कर देखता है तीनों वैसे ही अपनी जगह पर खड़े हैं) क्या हुआ... आओ...
रॉय - राजा साहब... हम कैसे आपके बराबर बैठ सकते हैं...
भैरव सिंह - यह ना तो कोई दरवार है... ना ही कोई मैख़ाना... ना ही भोजन हेतु मेज पर बैठने को कह रहे हैं... फ़िलहाल आप हमारे पंचरत्नों में से हैं... यह हमारा रणनीतिक कक्ष है... यहाँ आप लोग हमारे बराबर बैठकर रणनीति तय कर सकते हैं... साझा कर सकते हैं... (बल्लभ से) प्रधान... तुम तो वाकिफ हो...

बल्लभ अपना सिर हिला कर टेबल के पास आता है और भैरव सिंह के पास खड़ा हो जाता है l जिसे देख कर रंगा और रॉय भी आकर टेबल के पास खड़े होते हैं l तीनों देखते हैं टेबल पर क्षेत्रपाल महल का एक नक्शा रखा हुआ था l

भैरव सिंह - सीट डाउन जेंटलमेन... (पहले प्रधान बैठ जाता है उसके बाद रंगा और रॉय बैठ जाते हैं) (एक गहरी साँस लेकर छोड़ने के बाद रॉय से) तो रॉय... रंग महल में सब ठीक है... केके... कैसा है...
रॉय - जी वह बहुत अच्छे हैं...
भैरव सिंह - सच बोलो रॉय... सच बोलो... क्यूँकी एक झूठ हमें नहीं... बल्कि हम सब को हरा सकता है... केके कैसा है...
रॉय - सॉरी राजा साहब... केके थोड़ा डरा हुआ है...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... वज़ह...
रॉय - (कुछ देर के लिए पॉज लेता है, फिर) वह... राजा साहब... यह आपके परिवार का निजी मामला है... इसलिए...

भैरव सिंह अपनी जगह से उठता है l उसके उठते ही सारे उठ खड़े होते हैं l भैरव सिंह कमरे के एक किताबों की अलमारी के पास जाता है और अलमारी के भीतर एक कि पैड पर कुछ नंबर पंच करता है l अलमारी एक आवाज के साथ सरक जाती है l ज्यूं ज्यूं अलमारी सरकती जाती है पीछे नोटों के गड्डियों का पहाड़ नजर आने लगती है l जिसे देख कर रंगा और रॉय की आँखे और मुहँ खुल जाती हैं l भैरव सिंह मुड़ता है और उनसे कहता है

भैरव सिंह - यह हमारी दौलत के सागर की... एक छोटी सी गागर है... यह सब तुम्हारा हो सकता है... बस यह समझो... इस वक़्त हम लोग एक टीम हैं... और हम तुम लोगों के कॅप्टन... अगर हमारी जीत हुई... तो तुम लोग सोच भी नहीं सकते.. कितने आमिर हो जाओगे... (कह कर की पैड पर कुछ नंबर पंच करता है, जिससे वह किताब की अलमारी फिर से सरकते हुए वापस आ जाती है और नोटों के वह दृश्य गायब हो जाती है) तो अब बोलो... केके की कैसी हालत है... (कह कर अपनी जगह पर बैठ जाता है, वे तीनों भी बैठ जाते हैं)
रंगा - राजा साहब... जैसा कि रॉय बाबु ने कहा... यह आपके परिवार की अंदरुनी बात है.... पर सच यह है कि... केके साहब बहुत डरे हुए हैं...
भैरव सिंह - समझ सकते हैं... उसने वज़ह तो बताई होगी...
रॉय - जी... गुस्ताखी माफ हो तो...
भैरव सिंह - हाँ बताओ... उसने क्या बताया...
रॉय - वह.. वह... (आगे बोल नहीं पाता)
रंगा - कुछ गलत बोल जाएं तो माफ़ कर दीजिएगा राजा साहब... केके बाबु का कहना था कि... विश्वा और राजकुमारी जी का... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - क्या सिर्फ यही वज़ह है... या केके ने कुछ और भी कहा है...
रंगा - राजा साहब... खुद राजकुमारी जी ने केके साहब से कहा था... लोग शिशुपाल की नहीं... अब की बार केके बाबु का मिशाल देंगे...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
रॉय - गुस्ताखी माफ राजा साहब... विश्वा ने जिस भी काम को उठाया है... उसे पूरा किया है... और अब... यह तो उसका निजी मामला है... तो.... (चुप हो जाता है)
भैरव सिंह - तुम दोनों को इसीलिए तो इतनी रात को बुलाया है... शिशुपाल प्रकरण में... जानते हो... क्या कांड हुआ था... (रॉय और रंगा दोनों चुप रहते हैं)
बल्लभ - रुक्मिणी हरण हुआ था...
रॉय - और केके बाबु कह रहे थे... राजकुमारी जी... आपके सामने भी... यह जाहिर किया के... उनकी शादी केके बाबु से नहीं होने वाली....

अब कमरे में सन्नाटा पसर जाता है l भैरव सिंह अपना सिर हिलाता है और उठ खड़ा होता है पर उन तीनों को बैठे रहने के लिए इशारा करता है l भैरव सिंह चलते हुए उस मूठ विहीन तलवार के सामने खड़ा होता है और तलवार की ओर देखने लगता है l धीरे धीरे उसका जबड़ा सख्त हो जाता है l फिर से इन तीनों की तरफ़ मुड़ता है l

भैरव सिंह - जेंटलमेन... हाँ यह सच है... राजकुमारी का दिल एक नमक हराम कुत्ते पर आ गया है... अब चूँकि वह अपनी ओहदे से नीचे आ गईं हैं... इसलिए हमने उनकी औकात को ध्यान में रखकर शादी तय कर दी... हमने कभी नहीं सोचा था... की चंद महीनों में... राजकुमारी इस हद तक गिर सकती हैं... खैर जो हो गया... सो हो गया... हमने राजकुमारी के जरिए... यह संदेश दे रहे हैं... जो भी हमसे जुड़े हुए हैं... उनको... के हमसे गुस्ताखी.... चाहे वह हमारा खून ही क्यूँ ना हो... हम हरगिज नहीं बक्सेंगे... हम सब जो इस कमरे में हैं... विश्वा से या तो प्रत्यक्ष... या फिर अप्रत्यक्ष रूप से... मात खाए हुए हैं... केके भी... इसलिए यह शादी होना... अब जरूरी है... (भैरव सिंह अब टेबल के पास आता है और अपनी जगह पर बैठ जाता है) कोई शक नहीं... विश्वा यह शादी रोकेगा... हम से यह गलती हुई है... की हमने कभी विश्वा के बारे में सोचा नहीं था... पर अब हम सोचने के लिए मजबूर हैं... यूँ समझ लो.. यह शादी एक आजमाइश है... विश्वा को परखने के लिए... समझने के लिए... अगर हम कामयाब रहे... तो हम आगे की खेल में... विश्वा को मात दे सकेंगे...
रंगा - और अगर... हार गए... तो...
भैरव सिंह - तो... आने वाले दिनों में... इस कमरे में... तुम लोगों की जगह... कोई और होंगे...

यह बात सुनते ही रंगा और रॉय एक दूसरे की ओर देखने लगते हैं l फिर दोनों भैरव सिंह की ओर देखते हैं l

रंगा - हम समझ गए... राजा साहब... कल शादी की कामयाबी के लिए... हम अपनी जान लड़ा देंगे...
भैरव सिंह - अगर हार भी जाओ तो मायूस मत होना... क्यूँकी यह क्षेत्रपाल की नाक की लड़ाई है... हाँ बस इतना होगा... के लड़ाई खत्म होने तक... तुम हमारे दोयम दर्जे के सैनिक बन कर रह जाओगे...
रॉय - मतलब... आप हमारी जगह... किसी और संस्थान से... मदत ले सकते हैं...
भैरव सिंह - तुम अब अपनी सीमा लांघ रहे हो...
रॉय - माफी चाहता हूँ.... राजा साहब... माफी चाहता हूँ... मेरा कहने का मतलब था... जैसे कि प्रधान बाबु ने कहा था... मैंने सभी जिलों से... आपके ही लोगों को भर्ती कराया है... आज हम छह सौ की आर्मी हैं... वह भी हथियारों से लैस...
भैरव सिंह - तो...
रॉय - (चुप रहता है)
रंगा - मैं कुछ बोलूँ... (भैरव सिंह उसके तरफ देखता है) राजा साहब... अगर आप कल की शादी में... बड़े मिनिस्टर और ऑफिसरों को बुलाते... तो वे अपनी सिक्योरिटी के साथ आते... इतनी सिक्युरिटी देख कर... विश्वा की फट जाती... और वह कुछ नहीं कर पाता...
बल्लभ - उनके साथ आए सिक्योरिटी उनके लिए होती... ना कि महल के लिए... और रंगा तुम अपनी औकात से ऊपर उठकर बात करो... मत भूलो... कुछ ही महीने पहले... एक वक़्त ऐसा भी था... सारे नेता और बड़े लोग... ESS की सर्विस लिया करते थे... अगर उन बड़े लोगों के होते... शादी ना हो पाती तो... (रंगा अपना मुहँ नीचे कर लेता है)
भैरव सिंह - रॉय... हमने तुम्हें अपनी चिंता बताई है... तुमने सिक्योरिटी एजंसी चलाई है... यूँ समझ लो... कल की शादी... तुम्हारे संस्था के लिए एक चैलेंज है... इसलिए... तुम अपना दिमाग लगाओ... और कल की शादी को मुकम्मल करो...
रॉय - जी राजा साहब...
भैरव सिंह - प्रधान... बाकी तुम समझाओ... फिर देखते हैं... इसकी सोच और काबिलियत...
बल्लभ - रॉय... जैसे कि तुम देख रहे हो... यह महल की नक्शा है... मंडप यहाँ बनाया गया है... थोड़ी ऊंची जगह पर... क्यूँकी नीचे गाँव वाले बैठ कर देखेंगे... अब तक... हम कामयाब रहे हैं... क्यूँकी विश्वा ने... कोई गुस्ताखी अब तक नहीं की है... पर हो सकता है... कल की आपाधापी के चलते... विश्वा को मौका मिल जाए... कुछ करने के लिए...

रॉय नक्शा को गौर से देखता है l फिर सोचने लगता है l कुछ तय करने के बाद रॉय अपना प्लान बताता है l

रॉय - राजा साहब... जैसा कि राजकुमारी जी का कहना है कि... विश्वा... केके को शिशुपाल बनाने वाला है... तो राजकुमारी जी की सुरक्षा और निगरानी... हमारी प्राथमिकता होगी... पर ऐसा भी हो सकता है कि... विश्वा बारात को रोकने की कोशिश करे...
बल्लभ - नहीं... नहीं करेगा...
रॉय - क्या मतलब...
बल्लभ - हमने पहले से ही... केके के लिए... बारात की एस्कॉट के लिए... पुलिस की व्यवस्था कर दी है... अगर कुछ गड़बड़ हुई... तो सारी जिम्मेदारी पुलिस के सिर होगी... और जब तक... शादी खत्म नहीं हो जाती... मंडप को पुलिस घेरे रहेगी... तुम सिर्फ यह बताओ... विश्वा को कैसे रोकोगे...
रॉय - तब तो कल शादी होकर ही रहेगी... हमारे सारे बंदों की नजर विश्वा पर टिकी होगी... पर क्या रस्म अदायगी के लिए... राजकुमारी जी की तरफ़ से... कोई होंगे... शायद राजकुमार और... रानी साहिबा... राजकुमारी जी के साथ नहीं होंगे...
बल्लभ - उसकी व्यवस्था हो चुकी है... उनकी जगह... कोई और होंगे... पर राजकुमारी जी के करीबी होंगे... जो कल सुबह तक... राजगड़ पहुँच जाएंगे...
रॉय - तो फिर प्लान सुनिए...

कह कर रॉय अपना प्लान बताने लगता है l सभी ध्यान से रॉय को सुनते हैं l प्लान समझाने के बाद बल्लभ उन्हें विदा करता है l उसके बाद वह भैरव सिंह के पास लौट कर आता है l

भैरव सिंह - तुम्हें क्या लगता है प्रधान...
बल्लभ - मैं... कुछ नहीं कह सकता... ( पॉज) एक बात पूछूं...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
बल्लभ - आप चाहते क्या हैं... आपने राजकुमारी जी को दाव पर लगा दिया है...
भैरव सिंह - बेटी हमारी है... तकलीफ तुम्हें हो रही है...
बल्लभ - अनिकेत ने गलती करी थी... आपने उसे सजा दी... पर यहाँ....
भैरव सिंह - यहाँ राजकुमारी ने अपराध किया है... ना सिर्फ हमारी आँखों में आँखे डाल कर बात की है... बल्कि हमें चैलेंज दी है... इस घर से जब जाएंगी... गुरुर के साथ... हमारी आँखों में आँखे डालते हुए जायेंगी...
बल्लभ - क्या वाकई आप इस शादी के लिए सीरियस हैं... (भैरव सिंह बल्लभ की ओर देखता है) गुस्ताखी माफ राजा साहब... जैसे कि रंगा कह रहा था... (एक पॉज) आप राजा साहब हैं... बड़े घराने... पॉलिटिशियन आपको बुला कर अपना कद बढ़ाते हैं... वहीँ आपके घर में शादी है... किसी को भी... आपने बुलाया नहीं है...
भैरव सिंह - हम अकेले में बेइज्जत होना पसंद करेंगे... पर सबके सामने नहीं... शादी की कामयाबी पर... हम अभी भी संदेह में हैं...
बल्लभ - क्या...
भैरव सिंह - हाँ... प्रधान... हमने एक दाव लगाया था... पर विश्वा उसमें फंसा नहीं... पर उस दाव से हम पीछे हट भी नहीं सकते... हम केस की सुनवाई से पहले विश्वा को ज़ख़्म देना चाहते हैं... हम उसे हारते हुए देखना चाहते हैं... अगर शादी हो गई... तो उसकी हार होगी...
बल्लभ - अगर नहीं हुई... तो यह आपकी हार होगी...
भैरव सिंह - नहीं यह हार नहीं होगी... पर हाँ जीत भी नहीं होगी...
बल्लभ - मैं समझा नहीं...
भैरव सिंह - जब तुमने कहा था कि... अपनी औलाद की ग़म भुला कर... केके नई शादी रचाने जा रहा है... हमने रूप नंदिनी को उसके आगे कर दिया... बदले में... हमारी बूते जो भी दौलत कमाया था.. उसे अदालत में ज़मा करवा लिया... वह हमारी दौलत थी... अब अगर शादी हो जाती है... तो राजकुमारी की किस्मत... नहीं होती है... तो केके की किस्मत...
बल्लभ - मतलब आप तय मान कर चल रहे हैं... यह शादी नहीं होगी...
भैरव सिंह - हम कोई जिल्लत अपने सिर नहीं लेना चाहते... विश्वा की सोच और करनी को आखिरी बार परखने के लिए... अपनी तरफ से सबसे बड़ा दाव आजमा रहे हैं... अगर विश्वा यह शादी रुकवाने में कामयाब हो जाता है... तो समझ लो जंग का मैदान... और उसका दायरा ना सिर्फ अलग हो जाएगा... बल्कि बहुत बढ़ जाएगा...
बल्लभ - इतने आदमियों को... राजगड़ में लाने के बाद भी... क्या आप इसी लिए... उन मशीनरीस से कॉन्टैक्ट किया है...
भैरव सिंह - हाँ... क्यूँकी तादात... ताकत की भरपाई करता है... तब... जब हर दरवाजा बंद होगा... हमें अलग सा खेल खेलना होगा... अलग सा दाव लगाना होगा... (बल्लभ थोड़ा कन्फ्यूज सा लगता है) प्रधान...
बल्लभ - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - तुम फ़िलहाल इस वक़्त... हमारे हमदर्द.. हमारे हम राज हो... इसलिए एक बात याद रखो... हम सिर्फ अपना ही सोचते हैं... खुद से बड़ा तो हम अपने बाप को भी नहीं मानते हैं... अपने लिए... हम किसी भी हद तक जा जा सकते हैं...
बल्लभ - जी... जी राजा साहब...
भैरव सिंह - वह क्या है कि... अब हम अपनी मुहँ से क्या कहे... हमने हम से बड़ा कमीना देखा नहीं... यह जान कर यह मत सोच लेना... के हमसे भी कोई कमीना पंती कर सकता है... क्या समझे...
बल्लभ - जी राजा साहब...


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अगले दिन विश्व अपनी बिस्तर पर आँखे मूँदे लेटा हुआ है l फोन की घंटी बजती है विश्व आँखे मूँदे हुए ही मुस्कराते हुए फोन को कान से लगाता है l

विश्व - हैलो...
रुप - मुम्म्म्म्म... आ...
विश्व - वाव... आज इतनी मीठी सुबह...
रुप - घबराओ मत... बहुत जल्द रोज... तुम्हें ऐसी ही... मीठी मीठी गुड मॉर्निंग मिलेगी...
विश्व - काश... जल्द ही वह दिन आये...
रुप - आयेगा आयेगा... बस सब्र करो... क्यूँकी सब्र का फल मीठा ही होता है...
विश्व - ह्म्म्म्म... हूँ हू हू... ही ही ही.. (हँसने लगता है)
रुप - ऐ... इसमें हँसने वाली क्या बात है...
विश्व - कुछ नहीं... बस... आप ने तो नहा लिया होगा... सब्र का साफ सूतरी फल के बारे में सोच रहा था...
रुप - ओ हो... बेवकूफ कहीं के... यह एक कहावत है...
विश्व - अच्छा... बड़ी प्यारी कहावत है...
रुप - क्या... (चौंकती है) छी... कितना गंदे सोचते हो...
विश्व - गंदा कहाँ... मैं तो साफ सूतरी फल के बारे में सोच रहा हूँ...
रुप - यु... मेरे सामने जब होते हो... फटती है तुम्हारी...
विश्व - आप भी कमाल करती हो... जब हाथों को शराफत में बाँध देता हूँ... तो डरपोक कहती हो...
रुप - हाँ तो... सामने जब होती हूँ... सब मैं ही तो करती हूँ...
विश्व - ठीक है... अगली बार... मैं कुछ करता हूँ...
रुप - ना... अगली बार.. मैं कोई मौका नहीं देने वाली...
विश्व - फिर तो सब्र का फल खट्टा हो जाएगा...
रुप - वह मैं नहीं जानती... मीठे फल के लिए... तुम्हें कुछ जतन करने होंगे...
विश्व - अजी हुकुम कीजिए... आपका गुलाम... आपके कदमों में बिछ जाएगा...
रुप - ठीक है... तो मुझसे व्याह कर लो...
विश्व - क्या...
रुप - क्यूँ... तुमने क्या सोचा... बिन जतन के फल चख लोगे...
विश्व - शादी तो करनी है... पर...
रुप - ठीक है... तुम्हारा यह पर... तुम अपने पास रखो... जानते हो ना... महुरत शाम को है...
विश्व - अच्छी तरह से जानता हूँ... भई हम खास मेहमान हैं आज के शाम की...
रुप - तुम्हारी नकचढ़ी को आज तुम्हारा इन्तेज़ार रहेगा...

रुप फोन काट देती है और शर्मा कर अपना चेहरा घुटनों के बीच छुपा लेती है l फिर उठती है और दीवार पर लगी आईने के सामने खड़ी होती है l अपनी ही अक्स को देख कर फिर से शर्माने लगती है l और अपने आपको संभालते हुए अपनी ही अक्स से कहती है

रुप - नंदिनी... कितनी बेशरम हो गई है... (कह कर अपना चेहरा अपनी हथेलियों में छुपा लेती है)

तभी दरवाजे पर दस्तक होती है l रुप को हैरानी होती है l इतनी सुबह कौन हो सकता है l रुप भागते हुए मोबाइल के पास जाती है और उसे म्यूट कर अपने कपड़ों में छुपा देती है l फिर दरवाजे के पास जाती है और दरवाजा खोलती है l सामने सेबती खड़ी थी पर वह अकेली नहीं थी उसके साथ छटी गैंग को देख कर रुप बहुत हैरान हो जाती है l

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बाथरूम से केके तैयार हो कर जब बाहर आता है, तो देखता है नाई और धोबी दोनों वैसे ही दरवाजे के बाहर खड़े हैं l सत्तू उनसे बातेँ कर रहा था l

केके - क्या हुआ सत्तू... यह लोग यहाँ खड़े क्यूँ हैं...
सत्तू - जमाई साहब... यह लोग आपसे बक्सिस की उम्मीद लगाए हुए हैं... आख़िर इन दोनों ने आपकी सेवा की है... हल्दी वगैरह लगाए हैं...
केके - क्या... हल्दी जनाना लगाती हैं...
सत्तू - पर आपके घर से कोई जनाना आई भी तो नहीं हैं...
केके - ठीक है... (अपना पर्स निकाल कर पाँच सौ के दो नोट उन्हें थमा देता है) इन्हें यहाँ से जाने के लिए कहो...

वह नाई और धोबी बेमन से पैसे लेते हैं l उन्हें सत्तू बाहर तक छोड़ आता है l सत्तू देखता है केके के चेहरे पर शादी की कोई खुशी झलक नहीं रही है l केके अंदर चला जाता है, उसके पीछे पीछे सत्तू भी कमरे के अंदर आता है l केके सेल्फ से एक व्हिस्की का बोतल निकाल कर ग्लास में पेग बना कर पीने लगता है l

सत्तू - एक बात पूछूं जमाई बाबु...
केके - पूछो...
सत्तू - क्या आप इस शादी से खुश नहीं हैं...
केके - खुशी... मुझे यकीन ही नहीं हुआ... जब राजा साहब ने... सामने से मुझे दामाद बनने की ऑफर की... ना सिर्फ ऑफर... बल्कि बाकायदा स्टैम्प पेपर में लिख कर दी... के शादी के तुरंत बाद... रंग महल मेरे नाम ही जाएगा... और केस के निपटारे के बाद... सारी प्रॉपर्टी में आधा हिस्सा हो जाएगा... पर मैं इस खुशी के लिए शादी को तैयार नहीं हुआ था... बल्कि सात सालों से... राजकुमार विक्रम जो जलालात मेरे साथ की... उसका बदला... मेरी किस्मत मुझे दे रहा था... इस खुशी के साथ मैं तैयार हुआ था... (पेग खाली करता है) ऐसा कोई दिन नहीं... जब मैंने उसके पैरों पर गिर कर गिड़गिड़ाया नहीं था... मुझे लगा... कुदरत ने मौका बनाया है... (एक पॉज लेकर और एक पेग बनाता है) वह कहते हैं ना... एक रस्म होता है... घोड़ी से उतरने के बाद... साला जीजा का पैर धोता है.. फिर जुता पहनाता है... मैं बस उस एक पल की खुशी के लिए... शादी को तैयार हो गया... पर साला विक्रम... मुझे मारने की धमकी दे गया... वह भी राजा साहब के सामने...
सत्तू - आपको कुछ नहीं होगा... भले ही राजकुमार राजा साहब के खिलाफ हैं... पर यह मत भूलिए... आप इस वक़्त राजा साहब के हिफाजत में हैं... और जो आप चाहते हैं... वह आज ना भी हो... पर शायद कल को मुमकिन हो...
केके - (हँसता है) हे हे हे... तुम... वाक़ई समझदार हो... हाँ शादी होने के बाद... यह मुमकिन होगा... जरुर होगा... (पेग खाली कर देता है)
सत्तू - आपको तो चिंता इस बात की होनी चाहिए... आप राजकुमारी जी को कैसे मनाएंगे...
केके - हाँ... यह बात तो है... कमीनी के तेवर बड़े हैं... बाप के सामने... बड़े यकीन के साथ... इत्मीनान के साथ कह रही थी... यह शादी नहीं होगी...
सत्तू - क्या आपको भी लगता है...
केके - ना... नहीं... बिल्कुल नहीं... पर जब... फ्रेम में विश्वा... यह नाम गूँजता है... तब मेरा यकीन डोल जाता है...
सत्तू - (चुप रहता है)
केके - तुम नहीं जानते सत्तू... मेरा सबकुछ ठीक चल रहा था... पर जैसे ही... विश्वा नाम का राहु... मेरी कुंडली में आया... तब से मेरा धंधा... बैठ गया... विक्रम ने ऐन मैके पर साथ छोड़ दिया... इसलिए... मैंने उस हरामी कुत्ते ओंकार चेट्टी से हाथ मिला बैठा... बदले में... बड़ी कीमत चुकाई... (केके फिरसे अपना पेग बनाने लगता है)
सत्तू - आज आपकी शादी है... इतना भी मत पीजीये... के मंडप पर संभल भी ना पाएं...
केके - शादी शाम को है... तब तक नशा उतर जाएगा...
सत्तू - हाँ यह बात आपने सही कहा... शाम तक... सारा नशा उतर जाएगा...
केके - सारा नशा... क्या मतलब है तुम्हारा...
सत्तू - आप बहक रहे हैं... जुबान साथ नहीं दे रहा है... आप विश्वा के बारे में कह रहे थे...
केके - अरे हाँ... पता नहीं... उस सजायाफ्ता के साथ... राजकुमारी... कैसे... यह बड़े घर के जो बेटियाँ होती हैं ना... उन पर नजर रखनी चाहिए... वह कहते हैं ना... नजर हटी... खैरात बटी...
सत्तू - माफ कीजिए जमाई बाबु... अगर नजर रखे होते... तो आज आप यहाँ नहीं होते... कोई राजकुमार होता...
केके - ही ही ही... बड़ा हरामी निकला... साला.. सच भी बोला... वह भी कितना कड़वा... खैर मुझे उसकी टेंशन नहीं है... मुझे अभी भी शक है... साला यह शादी होगी भी या नहीं...
सत्तू - आप भूल रहे हैं जमाई बाबु... यह शादी अब राजा साहब की नाक का सवाल है...
केके - अबे ख़ाक नाक की सवाल है... नाक की सवाल होती... तो पुरे स्टेट के... बड़े बड़े नामचीन हस्तियां यहाँ होती... मैंने जब इस बारे में पूछा था.. तो राजा साहब ने कहा था... के पहले शादी हो जाए... रिसेप्शन पर बुलाते हैं... जानते हो... राजा साहब ने ऐसा क्यूँ कहा... वह इसलिए सत्तू... राजा साहब को भी यकीन नहीं है... के यह शादी होगी...
सत्तू - (चुप रहता है)
केके - चुप क्यूँ हो गया बे... अब नहीं पूछेगा... हा हा... विश्वा पर... राजकुमारी की ही नहीं... विक्रम को भी भरोसा है... विश्वा... जिसने प्रोफेशन के चलते... हम सबको इतना डैमेज किया है... वह अपनी पर्सनल के लिए... क्या कुछ नहीं करेगा...
सत्तू - अगर आप इतने ही आश्वस्त हैं... तो इस शादी से भाग कर... खुद को जलील होने से बचा क्यूँ नहीं लेते...
केके - वैसे आइडिया बहुत अच्छा है... पर क्या है कि... मेरे अंदर का जानवर... मुझे उकसा रहा है... अगर यह शादी हो गई... तो राजकुमारी जैसी खूबसूरत लड़की... दौलत... और सबसे अहम... विश्वा और विक्रम से... अपना खीज निकाल सकता हूँ... और...
सत्तू - और...
केके - ही ही ही ही... कली चाहे खिली हो... या कमसिन हो... मसलने में... और रौंदने में बड़ा मजा आता है... ही ही ही...

तभी दरवाजे पर दस्तक होती है l दोनों उस तरफ मुड़ते हैं l एक नौकर झुके हुए सिर के साथ अंदर आता है l

केके - क्या है...
नौकर - मालिक... दरोगा जी आए हैं...
केके - (भौंहे सिकुड़ कर) दरोगा... (सत्तू से) तुम जाकर देखो... क्या माजरा है... मैं थोड़ा खुदको तब तक दुरुस्त कर लेता हूँ....

सत्तू बाहर चला जाता है l केके व्हिस्की का बोतल और ग्लास अंदर रख देता है और अपने बदन पर फ्रैगनेंस स्प्रे कर देता है l थोड़ी देर के बाद सत्तू इंस्पेक्टर दास के साथ अंदर आता है l

केके - कहिये... इंस्पेक्टर साहब... कहिये कैसे आना हुआ...
दास - हमें... एसपी ऑफिस से ऑर्डर मिला है... आज आपके बारात में... हम पुलिस वाले शामिल होंगे... और जब तक शादी नहीं हो जाती... तब तक आपके साथ रहेंगे... (सत्तू से) वैसे... कौन कौन लोग बारात में शामिल हो रहे हैं...
सत्तू - जी हम.. भीमा उस्ताद के कारिंदे...
दास - और बाकी... जो गाँव से बाहर आए थे...
सत्तू - जो वह सब महल की पहरेदारी के लिए गए हुए हैं...
दास - हूँ.. ह्म्म्म्म... (केके से) तो केके साहब... अब आपका क्या खयाल है...
केके - मुस्कराते हुए... यह शादी अब तो होकर ही रहेगी...

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रुप की कमरे में रुप और उसकी छटी गैंग थीं l रुप ने सेबती और दूसरे नौकरानियों को विदा कर सबके लिये नाश्ता लाने के लिए बोल दिया था l रुप के सारे दोस्त पहले से ही महल देख कर हैरान व चकित थीं l अब रुप की कमरे को घूम घूम कर देख रहीं थीं l

दीप्ति - (रुप के पास आकर बैठती है) वाव नंदिनी... महल तो महल... तुम्हारा कमरा भी क्या खूब है...
बनानी - हाँ यार... हमने कभी सोचा भी नहीं था... कोई राज महल को... सच्ची में... इतनी करीब से देखेंगे... और.. (रुप की बेड पर उछल कर बैठते हुए) किसी राजकुमारी की कमरे में... ऐसे बैठेंगे...

सब आकर रुप को घेर कर बैठ जाते हैं l रुप अब तक इन्हें देख कर शॉक में थी l सबको अपने पास देख कर पूछती है l

रुप - पहले यह बताओ... तुम लोग यहाँ कैसे...
तब्बसुम - यह तुम शॉक के वज़ह से पूछ रही हो... या हमें इस मौके पर नहीं देखना चाहती थी... इसलिये पूछ रहे हो...
रुप - क्या मतलब...
भास्वती - हाँ हाँ... दोस्तों में खिटपिट होती रहती है... पर ऐसी भी क्या नाराजगी यार... तुम शादी करने जा रही हो... और हमें खबर भी नहीं...
इतिश्री - और नहीं तो... वह तो भला हो... राजा साहब जी का... हमारे घर में आकर पर्सनली बुलाए थे... और यहाँ आने के लिए... गाड़ी भी भिजवाया था...
रुप - ह्व़ाट...
सब - हाँ...
रुप - राजा साहब... तुम लोगों के घर गए थे...
सब - हाँ...
रुप - कब...
बनानी - वह... करीब हफ्ते भर पहले...
दीप्ति - क्यूँ... तुम नहीं चाहती थी... के हम यहाँ आए...

रुप सबके चेहरे को गौर से देखती है l फिर एक गहरी साँस छोड़ते हुए पूछती है

रुप - मेरी शादी किससे तय हुई है... जानती भी हो...
सब - हाँ... तुम्हारे अनाम से...
भास्वती - आई मिन... एडवोकेट विश्व प्रताप महापात्र से...
रुप - (फिर से शॉक लगती है) ह्व़ाट... यह तुम क्या कह रही हो...
दीप्ति - ह्व़ाट डु यु मीन... क्या कह रही हो मतलब.... हमें तो राजा साहब ने यही कहा था...
रुप - क्या... यह तुम लोगों को... राजा साहब ने कहा था...
सब - हाँ....
रुप - और क्या कहा था...
दीप्ति - यही... के इस शादी से... तुम्हारी छोटी माँ... और भाई चाचा कोई खुश नहीं है... इसलिए... पारिवारिक रस्म सभी तुम्हारी सहेलियाँ और दोस्त निभाएंगे...
रुप - अच्छा... तो ऐसा कहा राजा साहब ने... तो तुम लोग अपने अपने फॅमिली के साथ क्यूँ नहीं आए...
बनानी - राजा साहब ने कहा कि... शादी कुछ चुनिंदा लोगों के सामने होगी... रिसेप्शन के दिन... सभी आयेंगे... तब हमारी फॅमिली आएँगे... रिसेप्शन अटेंड कर... हमें वापस ले जायेंगे...
रुप - ओ... तो राजा साहब ने... ऐसा कहा है तुम लोगों को...
भास्वती - देख यार... तु अब गुस्सा कर या कुछ और... हम तुझे आज अपने हाथों से सजाएँगे... और मंडप पर बिठाएंगे... और...
सभी - जीजाजी से... खूब सारा पैसा ऐंठेंगे...

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विश्व तैयार हो कर वैदेही के दुकान पर आता है l देखता है कुछ लोग दुकान के बाहर खड़े हुए हैं l विश्व पास जाकर देखता है लोग वैदेही से कुछ पूछ रहे थे l

लोग - अच्छा वैदेही... क्या हम राज महल जाएं...
वैदेही - हाँ चाचा... क्यूँ नहीं... सभी गाँव वालों को निमंत्रण मिला है... और यह तो चार साल बाद... बुलावा आया है... क्यूँ ना जाओ...
हरिआ - पर... वैदेही दीदी... अब राजा के साथ हमारा जिस तरह का रिश्ता है... क्या हमारा वहाँ जाना ठीक रहेगा...
वैदेही - देखो हरिआ... भैरव सिंह ने... मातम करने के लिए नहीं बुलाया है... जश्न में बुलाया है... और यह शायद महल का... आखिरी जश्न है... क्यूँकी इसके बाद... वहाँ मातम तो होगा... पर जश्न कभी नहीं मनेगा... इसलिए बेखौफ हो कर जाओ... मस्त हो कर जाओ... हम लोग थोड़ी देर बाद निकल रहे हैं... चाहो तो... हमारे साथ जा सकते हो...
लोग - नहीं... हमे खास हिदायत है... बारात जब गुजरेगी... उसके पीछे पीछे... बाराती में शामिल हो कर महल पहुँचना है...
वैदेही - यह तो और भी अच्छी बात है... अच्छा अब तुम लोग जाओ...

सभी लोग मुड़ कर वापस चले जाते हैं l उनके जाने के बाद वैदेही विश्व को देखती है l विश्व सफेद रंग के पैंट शर्ट में बहुत ही खूब सूरत दिख रहा था l

वैदेही - आह... कितना सुंदर दिख रहा है मेरा भाई... (नजर उतारने लगती है, फिर एक काला टीका विश्व के गाल पर लगा देती है)
विश्व - यह क्या है दीदी...
वैदेही - आज तुझ पर दुनिया भर की बुरी नजरें होंगी... किसीकी नजर ना लगे... (तभी बबलु आता है)
बबलु - मौसी..
वैदेही - अरे... आ गया... (वैदेही बबलु के गाल पर भी काला टीका लगाती है)

विश्व देखता है बबलु बिल्कुल विश्व के जैसे कपड़े पहना हुआ था l वह बबलु से पूछता है

विश्व - तेरे पास... बिल्कुल मेरे जैसे कपड़े...
बबलु - मौसी ने मेरे लिए खरीदा है... (यह सुन कर विश्व वैदेही की ओर देखता है)
वैदेही - हाँ हाँ... यह जरूरी है... इसलिए खरीद लिया... वैसे... वह चार बंदर कहाँ हैं...
विश्व - आ जाएंगे...
वैदेही - तो चलें...

तीनों महल की ओर जाने लगते हैं l चलते चलते महल के पास पहुँचते हैं l बाहर उन्हें विक्रम, पिनाक, सुषमा और शुभ्रा मिलते हैं l सभी मिलकर जब गेट पर पहुँचते हैं तो पाते हैं भैरव सिंह भीमा, उसके गुर्गे, रंगा, रॉय और बल्लभ के साथ खड़ा था l भैरव सिंह उन्हें गेट के पास ही रोकता है l

भैरव सिंह - विक्रम सिंह... आज तुम्हारे बहन की विवाह है... वर अभी पहुँचने वाले हैं... रस्म के अनुसार... (चुटकी बजाता है, भीमा एक रेशमी कपड़े से ढका हुआ थाली लेकर आता है) (भैरव सिंह थाली पर उस कपड़े को हटाता है, उस पर जुते थे) जीजा घोड़ी से उतरने के बाद... साला उसे जुता पहनता है...
विक्रम - जो कुत्ता मेरा जुता चाटता था... उसे मैं जुता... अपने हाथों से पहनाऊँ... यह आपने सोच भी कैसे लिया... हाँ... जुते मारने के लिए कहेंगे... तो सारे गिले शिकवे भुला कर मार सकता हूँ...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... सुषमा जी... वर... घोड़ी से उतरने के बाद... उसका तिलक सासु करतीं हैं...
सुषमा - मैं यहाँ इसलिए आई हूँ... यह शादी होनी ही नहीं है... उसकी गवाह बनने... अभी भी वक़्त है... राजा साहब... यह शादी टाल दीजिए...
भैरव सिंह - कोई नहीं... हमें इस बात का अंदाजा था... हमने उसका काट भी ढूंढ लिया है... (पीछे मुड़ कर) उन्हें लेकर आओ...

शनिया भाग कर जाता है और जब वापस आता है साथ में रॉकी और बनानी आते हैं l उन्हें देख कर विश्व और विक्रम दोनों हैरान होते हैं l

भैरव सिंह - (विश्व से) तुम्हें हैरानी हो रही है... या परेशानी हो रही है...
विश्व - ना मैं हैरान हूँ... ना मैं परेशान हूँ... क्यूँकी तुम्हें.... मैं नस नस से पहचानता हूँ... तुम ऐसा ही कुछ करोगे... इसका मुझे अंदाजा था...
भैरव सिंह - तब तो तुम्हें इस बात का अंदाजा हो ही गया होगा... आज तुम सबका घमंड और विश्वास दोनों को... हम मिट्टी में मिला देंगे...
विश्व - फ़िलहाल घमंड और विश्वास... तुम्हारा मिट्टी पलित हुआ लग रहा है... है ना... (भैरव सिंह का जबड़ा भिंच जाता है) हर उस शख्स को यहाँ पर ले आए... जो किसी ना किसी तरह से... राजकुमारी जी से जुड़ा हुआ था... पर मेरी माँ और डैड को यहाँ नहीं ला पाए...
भैरव सिंह - हाँ... वह हमारे आदमियों की नाकामयाबी है... क्या टाइमिंग है... जोडार अपने घर की रिनोवेशन करा रहा है... और सेनापति के घर में... भाड़े पर रह रहा है.. पर कोई नहीं... अंदर जाओ... तुम सबके लिए खास मंच तैयार किया गया है... वहाँ से... रुप को केके के साथ व्याहते देखो... भीमा
भीमा - जी हुकुम...
भैरव सिंह - इन सबको... बाइज़्ज़त लेजाओ... और बिठा दो...
भीमा - जी हुकुम...

भीमा रास्ता बनाते हुए आगे आगे जाता है और मंडप से कुछ दूर पर बने एक स्टेज पर लगे कुछ कुर्सियों पर बैठने के लिए कहता है l सभी पहले एक दूसरे को देखते हैं फिर जाकर बैठ जाते हैं l

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बैठने के बाद विश्व और विक्रम शादी की जगह को नजर घुमा कर देखने लगते हैं l तीन मंच बने हुए थे l एक छोटा सा मंच जिस पर एक सिंहासन नुमा कुर्सी था l दूसरा मंच शादी के लिए और तीसरे मंच पर यह लोग बैठे हुए थे l दुल्हन का कमरा बेदी से कुछ दूर पर शामियाने से बनाया गया था l पर दूल्हे का कमरा बेदी के आसपास कहीं नहीं दिख रहा था l शायद महल के अंदर किसी कमरे को दूल्हे के लिए बनाया गया होगा l कुछ देर बाद कानों में ढोल नगाड़ों की आवाज़ सुनाई देती है l मतलब दूल्हा का आगमन हो गया था l वे देखते हैं केके दूल्हे के रुप में भैरव सिंह, एक पंडित और इंस्पेक्टर दास के साथ अंदर आता है l उनके पीछे पीछे लोग आकर जमीन पर अपनी अपनी जगह बना कर बैठ जाते हैं l पंडित पहले केके को एक तलवार देता है और बेदी के चारों तरफ़ बने धागे की घेरे को काटने के लिए कहता है l केके तलवार से वह धागे वाला घेरा को काट देता है l उसके बाद केके मंडप का प्रदक्षिणा करता है l प्रदक्षिणा के बाद केके को अंदर ले जाया जाता है l केके के अंदर चले जाने के बाद सारी पुलिस मंडली विश्व के बैठे मंच के पास खड़े हो जाते हैं l

पंडित मंडप पर बैठ कर मंत्र पढ़ने लगता है l विश्व और विक्रम हैरान होते हैं दुल्हन की माता पिता के रस्म अदायगी के लिए मंडप पर रॉकी और बनानी को लाया जाता है l कुछ विधि पूर्ण होने पर कन्या को बेदी पर लाने के लिए पंडित कहता है l दुल्हन के लिए बनी शामियाने से रुप अपनी सहेलियों के साथ निकलती है l सफेद वस्त्रों में रुप बेहद सुंदर दिख रही थी, चंदन कुमकुम माथे पर, बालों के जुड़े में चमेली के फुल उसकी सुंदरता को चार चांद लगा रहे थे, या यूं कहें कि चमक रही थी, चेहरे पर शृंगार के वज़ह से दमक रही थी l रुप के हाथों में एक नारियल थी वह मुस्कराते हुए बेदी तक आ रही थी l रुप की सुंदरता को देख कर विश्व का मुहँ खुला रह जाता है l वह रुप की उस सौंदर्य में खो सा जाता है l

वैदेही - (धीरे से पूछती है) बहुत सुंदर है ना...
विश्व - हाँ... बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा... (अचानक होश में आता है) क्या... हाँ.. क्या पुछा तुमने...
वैदेही - पूछा नहीं कहा...
विश्व - हाँ... क. क्य.. क्या कहा..
वैदेही - बहुत कीड़े उड़ रहे हैं... मुहँ बंद कर ले...
विश्व - ओ.. अच्छा... हाँ हाँ..

वैदेही उसकी हालत देख कर हँस देती है l विश्व सकपका जाता है और चोरी चोरी नजरों से शादी की बेदी पर बैठी रुप की ओर देखता है l रुप भी मुस्कुराते हुए विश्व की ओर देखती है और भौंहे नचा कर अपनी शृंगार के बारे में इशारे से पूछती है l विश्व तो घायल था वह जवाब में आह भरी नजर से देखता है l विश्व प्रतिक्रिया देख कर रुप हँस देती है l जहां विश्व रुप की रुप में खोया हुआ था, वहीँ भैरव सिंह और वैदेही की नजर आपस में टकराती है l भैरव सिंह का चेहरा सख्त था पर घमंड से चूर था वैदेही से नजर मिलते ही भैरव सिंह अपनी मूंछों पर ताव देता है l वैदेही अपना चेहरा घुमा लेता है l

कुछ देर बाद एक रस्म पूरा हो जाता है l पंडित अगले रस्म के दुल्हन को नए वस्त्रों में आने के लिए कहता है और अपने कमरे में जाने के लिए कहता है l जैसे ही रुप अपने सहेलियों के साथ शामियाने के भीतर जाती है l शामियाने को रंगा के साथ कुछ लोग घेर लेते हैं l थोड़ी देर बाद सत्तू और रॉय के साथ केके मंडप में आता है l जिसे देख कर विक्रम, पिनाक, सुषमा और शुभ्रा के चेहरे पर गुस्सा छा जाता है l पर वैदेही और विश्व के चेहरे पर कोई भाव नहीं आता l पंडित पूजा विधि संपन्न करने के बाद केके को विवाह वस्त्रों में आने के लिए कहता है l अब तक पूरे हुए रस्मों के बाद अब केके के चेहरे पर अति उत्साही भाव नजर आ रहे थे l बड़े गर्व के साथ वह सत्तू और रंगा के साथ महल में दूल्हे के लिए नियत की गई कमरे के भीतर जाता है l उधर पंडित के बुलाने पर रुप की सहेलियाँ रुप को लेकर बाहर आती हैं l रुप इस बार लाल वस्त्रों में आई हुई थी l लाल रंग के दुल्हन की लिबास में देख कर विश्व की हालत और भी ख़राब हो जाती है l इस बार रुप के चेहरे पर हल्की सी टेंशन झलकने लगी थी l वह सवालिया नजर से विश्व और वैदेही की ओर देखती है l विश्व तो अपनी अप्सरा के सौंदर्य में खो गया था l पर वैदेही एक इत्मीनान भरा इशारा पलकें झपका कर करती है l जिसे भैरव सिंह देख लेता है l वह अपनी सिंहासन से उतर कर मंडप तक आ जाता है l मंडप में रुप के साथ उसकी छटी गैंग की सहेलियाँ और रॉकी बैठे हुए थे l इस बार की रस्म पूरा होते ही पंडित दूल्हे को बेदी पर लाने के लिए कहता है l

पहले पाँच मिनट, फिर दस मिनट बीत जाता है, पर केके नहीं आता l उधर सत्तू तेजी से आता है और भीमा के कान में कुछ कहता है l सत्तू से सुनने के बाद भीमा के चेहरे का रंग उड़ जाता है l वह कांपते हुए भैरव सिंह के पास जाता है और उसका अनुमती लेकर भैरव सिंह के कान में कुछ कहता है l सुनने के बाद भैरव सिंह भी हैरान होता है और विश्व की ओर देखता है l फिर तेजी से महल के अंदर जाता है l

एक टेंशन भरा माहौल था l पंडित हैरान हो कर दूल्हे की आने की राह देख रहा था l इधर लोग आपस में खुसुर-पुसुर करने लगे थे l कुछ देर पहले रुप के चेहरे पर जो परेशानी उभर कर आई थी l अचानक उसके चेहरे पर खुशी उभरने लगी थी l विश्व जिस मंच पर बैठा था इंस्पेक्टर दास भी वहीँ पर खड़ा था, अचानक उसका फोन बजने लगता है l दास फोन पर देखता है रॉय का कॉल था l फोन उठाता है जैसे ही वह फोन पर कुछ सुनता है, अचानक उसके मुहँ से निकल जाता है

दास - क्या... दूल्हा गायब है...

यह एक धमाका था l सब लोग जो बैठे हुए थे सभी एक झटके के साथ खड़े हो जाते हैं l सबसे ज्यादा हैरानी बेदी के पास खड़े बल्लभ को होता है l उसका मुहँ खुल जाता है l पर कुछ देर पहले रुप के चेहरे पर जो थोड़ी सी परेशानी झलक उठी थी, एकदम से गायब हो जाती है और एक दमकती हुई मुस्कान के साथ विश्व की ओर देखती है l विश्व उसे आँख मार देता जिसकी प्रत्युत्तर में रुप शर्मा के चेहरा झुका लेती है l थोड़ी देर के बाद भैरव सिंह, रॉय, भीमा और सत्तू तेजी से मंडप की ओर आते हैं l इंस्पेक्टर दास से रॉय कहता है

रॉय - इंस्पेक्टर साहब... (विश्व को दिखा कर) गिरफ्तार कर लीजिए इस आदमी को...
दास - क्यूँ... क्या करदिया इस आदमी ने...
रॉय - इसने... (रुक जाता है)
दास - हाँ हाँ इसने...

भैरव सिंह- (इंस्पेक्टर दास के पास जाता है) इंस्पेक्टर... जो कमरा... दूल्हे बाबु को नियत किया गया था... उस कमरे में... अभी वह उपलब्ध नहीं हैं... क्या उन्हें ढूंढने के लिए कुछ करेंगे...
दास - अच्छा... तो यह बात है... चलिए... पहले... उसी कमरे से तहकीकात शुरु करते हैं...
भैरव सिंह - हाँ जब तक... तहकीकात पूरी हो ना जाए... तब तक... आप इन्हें... (विश्व और विक्रम वाली मंच दिखाते हुए) यहीं पर रोके रखें...

इंस्पेक्टर दास, अपने सिपाहियों से विश्व, विक्रम पिनाक और तीनों औरतों को कहीं जाने ना देने के लिए कह कर भैरव सिंह, रंगा, रॉय, बल्लभ, सत्तू और भीमा को साथ लेकर उस कमरे के अंदर आता है जिस कमरे से केके गायब हो गया था l दास कमरे को अच्छी तरह से मुआयना करता है l उसकी नजर बाल्कनी पर जाता है l वह देखता है एक कपड़ा बाल्कनी के रेलिंग से बंधा हुआ है और नीचे की ओर गिरा हुआ है l

दास - इस बंधी हुई चादर को देख कर लगता है... आपका जामाता... यहाँ से उतर कर भागे हैं...
भैरव सिंह - हो नहीं सकता...
दास - ऐसा क्यूँ...
रॉय - इस महल को... मेरे आदमी... हर पाँच फुट की दूरी बना कर घेरे हुए हैं... यह मुमकिन ही नहीं है... कोई इस महल से निकल कर गया हो...
दास - हूँम्म्म्... तो हो सकता है... महल के अंदर ही कहीं छुपा हो...
भैरव सिंह - अपनी शादी में कौन छुपता है दास बाबु...
दास - हो सकता है... कमल कांत को... यह शादी मंजुर ही ना हो... ज़बरदस्ती कारवाई जा रहा हो...
भैरव सिंह - (चीखता है) दास...
दास - ऊँ हूँ... इंस्पेक्टर दास... पहले आप अपने महल के अंदर... अच्छी तरह से तलाशी लीजिए... फिर देखेंगे...

कमरे में दास, बल्लभ और भैरव सिंह को छोड़ कर सभी महल के अंदर केके को ढूंढने निकल जाते हैं l दास अभी भी कमरे में अपनी नजर दौड़ा रहा था l कुछ देर बाद

दास - राजा साहब... क्या मैं इस कमरे का बाथरूम... यूज कर सकता हूँ...

भैरव सिंह अपना सिर हाँ में हिलाता है l दास बाथरुम के अंदर जाता है l थोड़ी देर बाद फ्लश की आवाज़ सुनाई देती है l कुछ देर बाद अपना हाथ साफ करते हुए दास अंदर आता है l कुछ ही देर में सारे लोग अंदर आते हैं और केके कहीं भी नहीं दिखा ऐसा कहते हैं l

भैरव सिंह - इंस्पेक्टर बाबु... यह क्लियर कट किडनैपिंग है... आप केस दर्ज कीजिए...
दास - आपको किस पर शक है...
रॉय - हाँ है... विश्व प्रताप पर...
दास - कैसी बात कर रहे हैं रॉय बाबु... विश्व के पास मैं और मेरी पुरी पुलिस फोर्स खड़ी थी... (रॉय चुप हो जाता है) राजा साहब... आपका क्या कहना है... (भैरव सिंह चुप रहता है) (बल्लभ से) प्रधान बाबु... क्या आप कुछ कहना चाहेंगे...
बल्लभ - आप... आप... केके साहब का... गुमशुदगी का रिपोर्ट दर्ज कर दीजिए...
रॉय - ह्व़ाट...
दास - लगता है... आप लोग एक मत नहीं हैं... कोई नहीं... मुझे क्या रिपोर्ट दर्ज करनी है... और किस बात पर तहकीकात करना है... यह डिसाइड करने के बाद मुझे खबर कर दीजिए... फिलहाल... मैं बाहर हूँ...

दास इतना कह कर चला जाता है l कमरे में मौजूद सभी बल्लभ की ओर सवालिया नजर से देखने लगते हैं l

बल्लभ - राजा साहब... आप जरा ध्यान दीजिए... अगर किडनैप है भी... तब भी... हम वज़ह को एस्टाब्लीश नहीं कर सकते... महल के अंदर... यह कांड हुआ है... हमारी सारी की सारी तैयारी... धरी की धरी रह गई...
सत्तू - हुकुम... गुस्ताखी माफ...
भैरव सिंह - क्या बात है...
सत्तू - हुकुम... मुझे तो लगता है... केके बाबु... विश्वा से डर कर भाग गए हैं...
रॉय - क्या बकते हो...
सत्तू - बक नहीं रहा हूँ... शादी को लेकर... केके बाबु कल रात से डरे हुए थे... और आज सुबह... हिम्मत जुटाने के लिए... दारू भी बहुत पी रखी थी...
रंगा - मुझे ऐसा नहीं लगता... राजा साहब... विश्वा बहुत बड़ा गेम कर दिया... हम सब राजकुमारी जी की सुरक्षा के लिए... तैयारी कर रखे थे... इसलिए... उसने बड़े आराम से.. केके साहब पर हाथ साफ कर दिया...
बल्लभ - जो भी हो... हम सीधे विश्व पर उंगली नहीं उठा सकते... वह गाँव के लोग और पुलिस के बीच में... शुरु से ही था... वह अपनी जगह से हिला तक नहीं... हम इल्जाम तो लगा सकते हैं... पर यह मत भूलो... वह एक वकील भी है... हमारी ही.. शिकायत को... हमारे खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है... (कमरे में सभी चुपचाप खड़े थे) अब हम सबको... मंडप पर चलना चाहिए....

सभी बल्लभ की बात पर सहमत होते हैं l भैरव सिंह के साथ सभी मंडप पर पहुँचते हैं l वहाँ पहुँच कर देखते हैं बेदी पर रुप अकेली बैठी हुई है l विश्व, वैदेही, विक्रम और उसके परिवार वाले मंच से उतर कर पुलिस वालों से बात कर रहे थे l पर गाँव वाले और पंडित कोई भी दिख नहीं रहा था l


भैरव सिंह - यह क्या है... कहाँ गए सारे लोग...
विक्रम - मैंने ही सबको विदा कर दिया... जितना तमाशा देखना था... देख चुके थे... अब जो हुआ या आगे होगा... वह आपके लिए... ना ठीक था न होगा... इसलिए मैंने पंडित के साथ साथ... नंदिनी के सभी दोस्तों को.... और गाँव वाले सबको विदा कर दिया...
भैरव सिंह - क्या कहा...
विक्रम - जी... आपने यह शादी तय कर.. अपनी खूब जलालत करा ली है... कहीं और ज्यादा हो जाती... तो लोग... आप पर ही फब्तीयाँ कसते...
भैरव सिंह - (विक्रम को अनसुना कर विश्व के पास जाता है) बहुत बड़ा चाल चल दिया तुमने... हमने सोचा भी नहीं था... (विश्वा कुछ नहीं कहता बस मुस्करा देता है, भैरव सिंह को गुस्सा आता है वह विश्व के तरफ़ बढ़ने लगता है तो वैदेही सामने आ जाती है)
वैदेही - बस भैरव सिंह बस... तुमने जिस लिए बुलाया था... और हम जिस लिए आए थे... सब पूरा हो गया... बस एक आखिरी बात याद रखना... मर्द की मूँछ और कुत्ते की दुम को कभी सीधी या नीची नहीं होनी चाहिए... कुत्ते की दुम अगर सीधा हो जाए तो वह कुत्ता नहीं रह जाता... और मर्द की मूँछ नीची हो जाए... तो वह मर्द नह

Wow bohat hi shandar update. Kia khoob naak ke neeche se uda kar le gaya hai KK ko. Bhairav singh ke izzat ka janaza nikal diya hai vishwa ne. Magar yah hua kaisay. Vishwa team ke 4 sipahi dikhayi nahi diye hai. Ab dekhtey hai kia hota hai. Waisay mehal ko Raja se zada to vishwa janta hai.
 
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Reactions: Kala Nag and parkas

Kala Nag

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Wah vaidehi nenkya marinhai bhairav sing ki maza aa gaya naad bava
शुक्रिया अग्रवाल जी
कहानी मूलतः वैदेही की है
मैंने इसमें बहुत से चरित्रों जोड़ दिए और वैदेही की कहानी को छोटा और सीमित कर दिया है
चूँकि बहुत से चरित्र जुड़ गए तो उनके चरित्रों के साथ न्याय करते करते कहानी बहुत लंबी हो गई
बहुत कुछ अब कांट छाँट कर रहा हूँ पर यह भी ध्यान रख रहा हूँ हर एक चरित्र अपना सटीक योगदान दे
फिर से धन्यवाद और आभार
 
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