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Incest वो कौन थी..?

Chutphar

Mahesh Kumar
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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम महेश कुमार है अभी तक आपने मेरी कहानियों में मेरे बारे में जान ही लिया होगा। सबसे पहले तो मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं, जिनका किसी के साथ कोई भी सम्बन्ध नहीं है, और अगर किसी‌ को ऐसा लगता है तो ये मात्र ये एक संयोग ही होगा, क्योंकि ये सब बस मनोरन्जन‌ के लिये लिखी गयी है।

जैसा आपने मेरी पिछली कहानी "सफर (बस से बिस्तर तक का...)" मे पढा, मेरी भाभी‌ जब गर्भवती हो गयी तो हमने‌ घर का काम करने‌ के लिये ममता जी, जो‌ की मेरी भाभी की बुवा की‌ लङकी थी उसे बुला लिया था, इसी बीच मेरे व ममता जी‌ के भी सम्बंध बन गये..

अब उसके आगे का एक बहुत ही सुन्दर वाक्या लिखने की‌ कोशिश कर रहा हूँ, उम्मीद है यह कहानी भी आपको पसंद आयेगी..?
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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मेरी भाभी को लड़की पैदा हुई, उसके पैदा होने के बाद भी करीब दो महीने तक ममता जी हमारे घर‌ रही और हमारे सम्बन्ध चलते रहे। उसके बाद ममता जी वापस अपने घर चली गयी।

ममता जी के चले जाने के बाद मैं फिर से अपनी भाभी के कमरे में ही सोने लगा, मगर हम दोनो के बीच अब पहले वाली बात नहीं रही, क्योंकि भाभी का ध्यान अब अपनी बच्ची पर ज्यादा रहता था। वो सारा दिन अपनी बच्ची को सम्भालने मे व्यस्त रहती थी इसलिये मैं भी अब अपना ध्यान पढ़ाई में देने लगा… वैसे भी ममता जी के चक्कर में मैंने बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं की थी इसलिये पढना जरुरी हो गया था।

ममता जी‌ को गये अभी‌ महिना भर ही हुवा था कि कुछ दिन बाद ही सुमन दीदी की शादी आ गयी। गाँव से चाचा चाची अब रोज बार बार फोन करके हमारे पूरे परिवार को गाँव आने को कहने लगे..मगर मेरी पहले की कहानियों में अपने पढ़ा होगा कि मेरी मम्मी‌ की तबियत खराब रहती है इसलिये मेरे मम्मी पापा तो जा नहीं सकते थे और घर के काम करने के लिये मेरी भाभी का भी घर रहना जरूरी था।

बाकी रहा बस मैं, मेरी परीक्षायें नजदीक आ रही थी और ममता जी के चक्कर में मैंने बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं की थी इसलिये मेरा भी शादी में जाने का दिल नहीं था, मगर मेरे मम्मी पापा की बात मुझे माननी पड़ी... फिर मैंने यह भी सोचा कि हो सकता है गाँव में रेखा भाभी या सुमन दीदी के साथ कोई मौका ही मिल‌ जाये…
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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आपने ने मेरे पहले की‌ कहानियाँ "रेखा भाभी" और "एक हसीन गलती..?" मे‌ पढा होगा की मेरे रेखा भाभी व सुमन दीदी‌ के साथ पहले सम्बंध रह चुके है। वहाँ हो सकता फिर से मेरी कोई बात ही बन जाये इसलिये मैं इस शादी में जाने के लिये तैयार हो गया...

चाचा चाची तो मुझे शादी से पन्द्रह बीस दिन पहले ही बुला रहे थे मगर मैं ही नहीं जा रहा था। खैर शादी के एक हफ्ते पहले मैं गाँव पहुँच गया, जहाँ शादी की तैयारियाँ जोर शोर से चल रही थी। चाचा जी के घर में काफी रौनक हो रखी थी, क्योंकि उनके परिवार के कुछ नजदीकी रिश्तेदार और उनके बच्चे शादी मे पहले से ही आये हुवे थे।
 
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sexy ritu

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गुड
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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मेरे घर पहुँचते ही चाचा चाची खुश हो गये मगर साथ ही शादी में देर से आने पर उन्होंने नाराजगी भी जताई। मैंने भी देर से आने के लिये उनसे माफी माँगी और उन्हें बताया कि अब आ गया हूँ ना, अब सब काम मैं कर लूंगा… कुछ देर बातचीत के बाद चाचा चाची अपने अपने काम में लग गये।

मेरी आँखें अब रेखा भाभी व सुमन दीदी को तलाश कर रही थी। कुछ देर बाद ही रेखा भाभी तो मुझे नजर आ गयी जो घर के कामों में व्यस्त थी, उन्होंने भी मेरा हाल चाल पूछा और फिर अपने काम में लग गयी, मगर सुमन‌ दीदी मुझे अब भी नजर नहीं आ रही थी।

सुमन दीदी जब मुझे कहीं भी दिखाई नहीं दी तो उससे मिलने के लिये मैं उसके कमरे में ही चला गया जहाँ पर सुमन दीदी काफी सारी लड़कियाँ के साथ बैठी हुई थी, जिनमें से मैं तो बस चार-पाँच को ही जानता था।

मैं बस सुमन दीदी की बुआ की लड़की
अन्जू, मामा की लड़कियाँ सुनीता, अनीता और सुमन दीदी के बड़े भाई की लड़कियाँ नेहा व प्रिया को ही जानता था। बाकी कुछ अन्य रिश्तेदारों व गाँव की ही लड़कियाँ थी जो सुमन दीदी की सहेलियाँ थी।

छुट्टियों में जब मैं गाँव में आता था तब नेहा, प्रिया, सुनीता, अनीता और अन्जू भी छुट्टियों में गाँव आती थी। बचपन में हम साथ ही खेलते थे। नेहा व प्रिया से तो मैं बीच में काफी बार मिल लिया था मगर सुनीता, अनीता और अन्जू को बहुत दिन के बाद देख रहा था।

मुझे देखकर एक बार तो सभी लड़कियाँ सकपका गयी, मैं भी इतनी सारी लड़कियों को देखकर थोड़ा असहज सा हो गया था,
मगर तभी…

“अरे! कहाँ मुँह उठाये चले आ रहे हो? तुम्हें दिखता नहीं, यह लड़कियों का कमरा है.” शरारती से अन्दाज में प्रिया ने कहा। प्रिया को मैं अच्छे से जानता था, वो भी मुझे जानती थी मगर उसकी हमेशा से ही हंसी मजाक करने की आदत थी।

प्रिया की बात सुनकर मैं वापस जाने लगा मगर तभी सुमन दीदी की बुआ की लड़की अन्जू ने मुझे पहचानते हुवे- तुम महेश हो ना..?
मैंने हाँ भरते हुए कहा- और तुम अन्जू हो…?
सुमन के मामा की लड़कियों ने भी मुझे पहचान लिया था और नेहा व प्रिया तो मुझे अच्छे से जानती ही थी।

बचपन में जब ये सब गाँव आती थी तो उस समय बिल्कुल ही सामान्य सी लगती थी मगर आज इतने दिन बाद देखकर मैं हैरान सा हो रहा था जवान होकर ये बिल्कुल ताजा खिले हुए गुलाबों की तरह लग रही थी। वो ही नहीं, सारी लड़कियाँ जवान और खूबसूरत थी जो की सज धज कर तरह तरह की खुशबू सी बिखेर रही थी।

मुझे तो वो सारी की सारी लड़कियाँ ही महकते फुलो की तरह लग रही थी, जिनको देखकर ऐसा लग रहा जैसे सारा कमरा ही तरह तरह कर फूलों से भरा हुआ हो, वैसे भी शादी वाले घर में औरतों व लड़कियों की चहल पहल कुछ ज्यादा ही होती है, ऐसा ही कुछ वहाँ भी था।

सर्दियों के दिन थे और मैं गाँव देर से भी पहुंचा था इसलिये उन सभी लड़कियों से बातें करते करते ही रात के खाने का समय हो गया। खाना खाकर मैं सो गया, मगर घर में काफी मेहमान आये हुए थे इसलिये अपने सोने का इन्तजाम मुझे खुद ही करना पड़ा था।

अगले तीन चार दिन‌ तक मैं शादी के कामों में ही लगा रहा जिसके कारण जैसा मै सोचकर शादी में आया था, रेखा भाभी या सुमन दीदी के साथ तो वैसा कोई मौका नहीं मिला, मगर मेरे साथ एक अलग ही कहानी बन गयी।

मैने तो सोचा था शादी मे रेखा भाभी या सुमन दीदी के साथ चुदाई करने का कोई ना कोई मौका मिल ही जायेगा मगर सुमन दीदी या फिर रेखा भाभी के साथ तो मै चुदाई नही कर सका मगर किसी और के साथ ही मेरे सम्बंध बन गये। हमारे बीच सम्बंध बने सो बने, पर मै तो ये भी नही जान सका जिसकी मैने चुदाई की.. "वो कौन थी..?"
 
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Chutphar

Mahesh Kumar
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चलो अब ज्यादा समय ना लेकर मै इस कहनी के असली वाक्ये पर आता हुँ... अब हुवा कुछ ये की शादी के तीन दिन पहले तिलक जाना था, जिसमें लड़की वाले लड़के वालों के घर जाते हैं और साथ ही दहेज या फिर शादी में दिये जाने वाले सारे सामान को भी लड़के के घर लेकर जाते हैं, इस रस्म को कोई "शुभ लग्न" कहता है, तो कोई "सगुन" या फिर "टीका" भी कहते हैं।

मेरा तिलक में जाने का दिल नहीं था क्योंकि मेरे और सुमन दीदी के बीच सम्बन्ध रह चुके हैं इसलिये सुमन दीदी की शादी होते देख मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था, ऊपर से सुमन दीदी का ससुराल भी गाँव से कुछ ज्यादा ही दूर था। इतनी दूर जाना और फिर रात में ही वापस आना… ये सब मुझे पसन्द नहीं था इसलिये मैंने पास के ही शहर में कुछ काम होने का बहाना बना लिया।

वैसे तो चाचाजी मान नहीं रहे थे मगर उसी शहर से शादी का कुछ सामान लाना था जिसमें हलवाई का राशन और टैन्टहाउस का सामान आदि था। अगर मुझे तिलक में नहीं जाना तो शहर से ये सारा सामान लाना होगा, इस शर्त पर चाचाजी जी भी अब मान गये। वैसे भी सब सामान तैयार ही था बस ट्रैक्टर में डलवा कर ही लाना था जिसमें मुझे भी कोई दिक्कत नहीं थी।

अगले दिन सुबह सुबह ही चाचा जी के घर वाले और सारे रिश्तेदार तिलक लेकर सुमन के ससुराल चल दिये। बस चाची जी, रेखा भाभी, सुमन दीदी और रिश्तेदारो में कुछ वृद्ध औरतें ही तिलक में नहीं गयी, बाकी सब तिलक में गये थे। शहर तक मैं भी उनके साथ उनकी ही गाड़ी में गया था।

तिलक में जाने वालों के साथ मैं उनकी गाड़ी से गया था इसलिये मैं जल्दी ही शहर पहुँच गया मगर जिस ट्रैकटर में सामान लेकर जाना था वो गाँव से ही आने वाला था जिसको शहर आते आते ही दोपहर हो गयी। उसके बाद मैंने शादी का सामान ट्रैक्टर में डलवाया तब जाके हम गाँव के लिये रवाना हो सके।

ट्रैक्टर वैसे भी धीरे चलता है ऊपर से उसमें सामान होने के कारण ट्रैक्टर वाला उसे और भी धीरे धीरे चला रहा था। अब सर्दियों के दिन थे इसलिये हमें गाँव पहुँचते पहुँचते अन्धेरा हो गया...

गाँव पहुँचने से पहले गाँव के बाहर ही एक शराब की दुकान आती है वहाँ पर ट्रैक्टर वाले ने ट्रैक्टर को रोक लिया और अपने लिये शराब का एक अद्धा (हाफ) खरीद लाया, उसने मुझसे भी पूछा कि तुम्हें भी कुछ चहिये क्या..?

मैंने पहले कभी शराब तो नहीं पी थी मगर दोस्तो के साथ एक दो बार बीयर जरूर पी चुका था। पहले तो मैंने उसे मना कर दिया मगर फिर पता नहीं मुझे क्या सूझा कि मैं भी अपने लिये भी एक बीयर खरीद लाया। हम दोनों ने अब वही ट्रैक्टर पर ही बैठकर अपनी अपनी बोतल खत्म की और फिर गाँव आ गये।
 

Chutphar

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हम घर पहुँचे तब तक रात के आठ बज गये थे, जो लोग तिलक लेकर गये थे वो अभी तक नहीं आये थे मगर घर में सब लोगों ने खाना खा लिया था और सोने की‌ तैयारी कर रहे थे। हमारे पहुँचने पर चाची जी पड़ोस के कुछ लोगों को बुला लाई जिनकी मदद से हमने शादी का सामान उतार कर एक कमरे में रखवा दिया।

सारा सामान रखवाने के बाद मैंने भी खाना खाया और अपने लिये सोने की जगह तलाश करने लगा.. क्योंकि घर में कुछ और नये मेहमान आ गये थे और वो उसी जगह पर सो गये थे जहाँ अभी तक मैं सोता आ रहा था‌। मुझे अब अपने सोने के लिये जगह नही मिल रही‌ थी..

मै अब कुछ देर तो इधर उधर अपने सोने के लिये जगह तलाश करता रहा मगर जब मुझे सोने के लिये कही भी जगह नहीं मिली तो, जिस कमरे में मैने शादी का सामान रखवाया था, उसी कमरे मे नीचे फर्श पर ही बिस्तर लगाकर सो गया। मै एक तो इतना सारा काम करके थक गया था, ऊपर से मुझे बीयर का भी काफी नशा हो रहा था इसलिये लेटते ही मुझे भी अब नींद आ गयी।

रात में करीब दो‌ या फिर तीन बजे होंगे की जोरो से पेशाब लगने के कारण मेरी नींद खुली.. वैसे तो मैं रात में पेशाब करने के लिये बहुत कम ही उठता हूँ मगर उस रात मैं बीयर पीकर सोया था इसलिये पेशाब कुछ ज्यादा ही जोर से लगी थी। अब पेशाब करने के लिये उठा तो मैने देखा कमरे में मेरे पास कोई और भी सो रहा है।

बिजली नहीं होने के कारण बाहर तो अन्धेरा था ही ऊपर से सर्दी की वजह से कमरे के सब खिड़की, दरवाजे भी बन्द किये हुए थे जिससे कमरे में बिल्कुल घुप्प अन्धेरा था। अब इतने अन्धेरे मे ज्यादा कुछ तो दिखाई नहीं दे रहा था मगर ध्यान से देखने पर कुछ साये मेरी बगल में ही नीचे फर्श पर सोये हुए नजर आ रहे थे।

शायद ये लोग तिलक में जाने वाले थे जो देर से आये थे और जगह ना मिलने पर मेरी तरह नीचे ही बिस्तर लगाकर सो गये थे। मैं बियर के नशे में बेसुध होकर सो रहा था इसलिये ये कब आये और कब मेरी बगल मे सो गये मुझे इसका पता ही नहीं चला।

खैर मुझे जोर से पेशाब लगी हुई थी इसलिये मैंने उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और उठकर पेशाब करने के लिये बाहर चला गया। पेशाब करने के बाद जब मैं वापस कमरे में आया तो दरवाजा खुला होने कारण बाहर से हल्का सा उजाला अब कमरे आ रहा था, जो की इतना अधिक तो नहीं था, मैं यह जान सकूँ मेरे पास कौन कौन सो रहा है। मगर हाँ, इतना जरूर था कि मैं देख पा रहा था, कमरे में सात-आठ साये सो रहे थे जिनमें से तीन चार तो शायद लड़कियाँ थी या फिर औरतें थी, ये मुझे नहीं पता, और उनके साथ ही दो-तीन बच्चे भी सो रहे थे।

शायद बिस्तर कम पड़ गये थे इसलिये ये एक-एक रजाई में दो-दो, तीन-तीन घुस कर सो रही थी और मेरी बगल में जो सो रही थी वो लड़की थी, या फिर औरत, जो भी है, उसने तो रजाई भी नहीं ओढ़ रखी थी। शायद उसके साथ में सोने वाली ने सारी रजाई खींच ली थी। शादी ब्याह में मेहमानों की भीड़ में ऐसा अकसर होता भी है।

खैर सर्दी काफी जोर की थी, इतनी‌‌ देर में ही मुझे कम्पकपी चढ़ गयी थी इसलिये उन सब को पहचानने के लिये मैं ज्यादा देर तक नही खड़ा रहा, ऊपर से इस भीड़ में मुझे अपनी रजाई भी छिन जाने का डर था इसलिये मैं जल्दी से दरवाजा बन्द करके अपनी रजाई में घुस गया...
 

sexy ritu

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