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Incest वो कौन थी..?

Chutphar

Mahesh Kumar
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अब अपनी रजाई में घुसने के बाद मैं कुछ देर तो ऐसे ही लेटा रहा मगर फिर सोचने लगा कि इतनी देर में ही मुझे कम्पकपी चढ़ गयी है, तो मेरे बगल में जो बिना रजाई के सो रही है उसकी क्या हालत हो रही होगी...

मैंने एक बार रजाई में से अपना मुँह निकाल कर उसे देखने की कोशिश की, मगर कमरे में बिल्कुल घुप्प अन्धेरा था इसलिये साफ तो दिखाई नहीं दे रहा था मगर उसका साया नजरा आ रहा था, जो की ठण्ड कारण अब तक दोहरी हो गयी थी। मैं सोचने लगा कि क्यों ना मैं इसे अपनी ही रजाई ओढ़ा दूँ मगर मुझे डर भी था कि कहीं यह मुझे ही गलत ना समझ ले..?

कुछ देर तक तो मैं उसे देखता रहा फिर तभी मेरे दिमाग में एक योजना आई… मैंने उस पर थोड़ी सी अपनी रजाई डाल दी, मैने उसको पूरी तरह से रजाई नहीं ओढ़ाई थी, बस उसके हाथ व पैरों पर थोङा सा ही डाली थी...

वो गहरी नींद में थी इसलिए कुछ देर तक तो ऐसे ही सोती रही मगर फिर मेरी रजाई की तरफ गर्मी पाकर अपने आप ही धीरे धीरे मेरी रजाई में घुसने लगी. मैंने भी हल्का सा रजाई को उठा लिया जिससे वो पूरी तरह से मेरी रजाई में आ गयी।

अब जैसे ही वो मेरी रजाई में आई, उसके जिस्म की खुशबू मेरे तन बदन में हलचल सी मचाने लगी। अभी तक मैंने उसके बारे में गलत नहीं सोचा था मगर उसके बदन की खुशबू ने मेरे अन्दर हलचल सी मचा दी और अपने आप ही मेरा लण्ड उत्तेजित होता चला गया...

उसने मेरी तरफ ही मुँह किया हुआ था इसलिये मैंने भी धीरे से करवट बदल कर उसकी तरफ मुँह कर लिया, और एक बार फिर से उसे पहचानने की कोशिश की, मगर इतने घुप्प अन्धेरे के कारण कामयाब नहीं हो‌ सका..?

अब कुछ देर तक तो मैं ऐसे ही लेटा रहा फिर धीरे से अपना एक हाथ उसके उपर डाल दिया जो की सीधा ही उसकी पतली कमर से स्पर्श हुआ। मैंने अपने हाथ को थोड़ा ऊपर नीचे करके देखा तो पाया… उसने सलवार सूट पहना हुआ था, और पहनावे से तो वो कोई लड़की ही लग रही थी..?

मुझे अब डर तो लग रहा था मगर फिर भी मैं धीरे‌ धीरे उसकी कमर को सहलाते हुए उसकी कमर पर हल्का हल्का अपनी तरफ दबाव सा डालने लगा... रजाई की गर्मी से मेरा शरीर तो गर्म हो रखा था मगर उसका बदन बिल्कुल ही ठण्डा था, इसलिये मेरे शरीर से गर्मी पाकर एक वो पहले ही मुझसे चिपकी जा रही थी ऊपर से मेरे हाथ का दबाव पड़ने पर तो वो लगभग मुझसे अब बिल्कुल ही चिपकती चली गयी...

उसका नर्म मुलायम बदन अब मेरे बदन को गुदगुदाने लगा था तो उसकी नर्म मुलायम चुँचियाँ भी मेरे सीने पर अपनी‌ नर्मी‌ का अहसास करवा रही थी। उसके कोमल कोमल और नर्म मुलायम बदन‌ का सामीप्य पाकर तो जैसे मै अब अपने आप मे ही नही रहा और मेरा जो हाथ उसकी कमर पर था वो अपने आप ही फिसलता हुआ नीचे उसके कुल्हो पर आ गया था।

शलवार के नीचे उसने पेंटी पहनी थी जो की वैसे तो उसके भरे हुए गुदाज कुल्हो से बिल्कुल चिपकी हुई थी मगर फिर भी मेरा हाथ उसके भरे हुए कूल्हों को सहलाते सहलाते धीरे धीरे उसकी नर्म मुलायम जांघों तक रेंगने लगा…

मै उसकी जाँघो को सहला ही रहा था की तभी उसका एक पैर भी अब मेरे पैरों पर आ गया। इस दौरान मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए उसके पैरे को पकङकर थोड़ा जोर से अपनी तरफ खींच लिया जिससे उसकी जांघ मेरी जांघ पर चढ़ती चली गयी और वो मुझसे और भी जोर से चिपक गयी।

उत्तेजना के कारण मेरा अब बुरा हाल हो रहा था, क्योंकि वो अपना एक हाथ व पैर मेरे शरीर पर लादकर मुझसे चिपकी हुई थी तो, मैं भी उसके नर्म नर्म चूतड़ों को पकड़े हुए था। उसकी ठोस व भरी हुई चुँचियाँ मुझे अपने सीने ने चुभती हुई महसूस हो रही थी तो, नीचे से मेरा भी उत्तेजित लण्ड उसकी जाँघो के बीच घुसकर थर्मामीटर के जैसे उसकी चुत की जैसे तपिश को महसूस कर रहा था।

हम‌ दोनों ही एक‌ दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए थे जिससे हमारी सांसें भी एक दूसरे के चेहरे पर पड़ रही थी। अब उसका तो पता नहीं मगर उसकी महकती गर्म गर्म सांसें मेरे चेहरे पर पड़ने से मेरा बुरा हाल होता जा रहा था। मेरा दिल तो कर रहा था की अभी के अभी इसके रसिले होठो को चूशकर उनका सारा का सार रश चुँश लूँ मगर डर भी लग रहा था कही जागने के बाद शोर ना मचा दे..?

वो तो सर्दी के कारण मुझसे चिपकी हुई थी मगर मैं अपने मजे के लिये उसके बदन से चिपका हुआ था, लेकिन कुछ भी हो… उसके नर्म, मुलायम‌ और कोमल‌ कोमल बदन‌ का स्पर्श पाकर मुझसे अब अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था।

डर व उत्तेजना से मेरा बुरा हाल हो रहा था मगर फिर भी मैं अपने शरीर को धीरे धीरे से आगे पीछे करके उसके मखमली बदन को मसलने लगा जिससे कुछ ही देर में उसका बदन अब गर्म हो गया... पता नही ये रजाई की‌ गर्मी थी या फिर कुछ और था..?

अभी तक उसका बदन ठण्ड से काँप रहा था मगर मेरी रजाई मे आकर उसका बदन अब गर्म होता जा रहा था। उसके बदन मे गर्मी पाकर मैंने भी जो हाथ उसके कूल्हों पर रखा हुआ था उसे अब धीरे से थोड़ा नीचे उसके चूतड़ों की गहराई की तरफ बढा दिया…

मैंने पीछे से बस अपनी उंगलियों को ही उसकी दोनों जांघों के बीच की तरफ बढ़ाया था मगर तभी डर व उत्तेजना से मेरा अब पूरा बदन ही कम्पकपा सा गया…. क्योंकि मेरी उंगलियों ने सीधा ही उसकी चुत की फाँको को छू लिया था।

उसकी एक जांघ मेरी जांघ पर रखी होने कारण दोनों जांघें थोड़ा अलग अलग हो रखी थी, इसलिये जैसे ही मैंने अपनी उंगलियों को पीछे से उसकी जांघों के जोड़ पर ले जाने की कोशिश की.. मेरी उंगलियाँ सीधा ही उसके खजाने के द्वार पर लग गयी...

अब तक उसका बदन काफी गर्म हो गया था और हमारे बदन जहाँ से एक दूसरे से चिपके हुए थे वहाँ पर मुझे गर्मी के कारण पसीने से आने लगे थे। पता नहीं ये रजाई की गर्मी थी या फिर उसके बदन की गर्मी थी, जो की मुझे अन्दर तक‌ गर्मा रही थी...?

मुझे डर तो लग रहा था मगर मजा भी आ रहा था इसलिये मैं धीरे बहुत ही धीरे धीरे पीछे से उसकी चुत की फाँकों पर उंगलियाँ फिराने लगा जिससे उसकी ‌एक जांघ जो की मेरी जांघ पर रखी हुई थी, वो अपने आप ही धीरे धीरे मेरी कमर की तरफ उपर पर चढ़ने लगी...

मेरे सहलाने से उसकी जांघों के बीच का दायरा अब बढ़ने लगा था तो उसकी चुत का निचला छोर जहाँ पर चुत का प्रवेशद्वार होता है वहाँ पर मुझे अब कुछ हल्की हल्की नमी सी भी महसूस होने लगी थी मगर फिर तभी, एकदम से उसके बदन का तापमान जोरो से बढ़ गया...

वो एक बार तो हल्का सा कसमसाई, फिर तुरन्त ही झटके से मुझे अपने से दुर धकेल दिया और मुझसे अलग होकर अपनी गर्दन को इधर उधर घुमा चारो ओर देखने लगी। जैसे की देख रही हो वो कहाँ सो रही है और ये सब क्या हो रहा है..?

डर के मारे अब एक बार तो मेरी भी सांसे जैसे अटक सी गयी मगर उसने एक बार तो मेरी ओर देखा फिर मेरी रजाई से निकलकर वो चुपचाप उसके बगल मे ही लगे दुसरे बिस्तर की रजाई मे घुस गयी...
 

sexy ritu

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Chutphar

Mahesh Kumar
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इस कहानी को छोटे छोटे अपडेटो मे पढने मे मजा नही असयेगा, इसलिये बस थोङा सा इन्तजार कर लो, पुरी की पुरी कहानी ही एक साथ डाल दुँगा..
 

sexy ritu

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इस कहानी को छोटे छोटे अपडेटो मे पढने मे मजा नही असयेगा, इसलिये बस थोङा सा इन्तजार कर लो, पुरी की पुरी कहानी ही एक साथ डाल दुँगा..
Ok
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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अभी तक अपने पढ़ा कि मैं अपने गाँव गया हुआ था चाचा की बेटी की शादी में… सर्दियाँ थी, रात को मैं रजाई में सोया हुआ था, मेरी बगल में ही कोई लड़की बिना रजाई के सोई हुयी थी, मैं उसे अपनी रजाई मे ले आया था और उसके बदन के साथ खेल ही रहा था की अचानक उसकी नीँद खुल‌ गयी जिससे वो मेरी रजाई से निकलकर दुसरे बिस्तर की रजाई मे घुस गयी थी...
अब असके आगे:-

उसकी नींद मेरी हरकत से खुली थी, या फिर किसी और कारण से ये तो मुझे नहीं पता, मगर हाँ जिस तरह से हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे, और जिस हालत में वो खुद मुझसे लिपटी हुई थी उस अहसास से उसके बदन में गर्मी जरूर आ गयी थी क्योंकि उसकी सांसें भी थोड़ा तेजी से चलने लगी थी।

दोबारा से उसको छूने की या फिर उसके पास जाने की मैं अब हिम्मत नहीं कर पा रहा था क्योंकि मैं सोच रहा था, हमारे बीच अभी जो कुछ भी हुआ उसमें तो वो नींद में थी, मगर अब अगर मैंने दोबारा से उसको छुवा या कुछ करने की कोशिश की, और इसने शोर मचा दिया तो मेरी पिटाई तो होगी ही, साथ मे अच्छी खासी बदनामी भी हो जायेगी, क्योंकि वहाँ हम‌ अकेले नही थे, हमारे साथ उस कमरे में और भी कुछ औरतें या फिर लड़कियाँ सो रही थी।

वो अब शांत होकर सो गयी थी लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मेरे लण्ड महाराज मुझे सोने ही नही दे रहे थे। मेरे दिमाग मे तो अभी भी उसके नर्म मुलाय मखमली‌ बदन का वो रेशमी सा अहसास ही घुम रहा था। वो‌ लङकी थी या औरत..? जो भी हो मै तो उसे पहचान नही पा रहा था मगर वो मुझे जरुर पहचान रही थी।

शायद सोते समय बिजली रही होगी इसलिये उसे पता था की उसके बगल मे मै सो रहा हुँ..! क्योंकि जिस तरह से उसने मुझे देखा और फिर बिना कुछ कहे ही मेरी रजाई से निकलकर वो चुपचाप दुसरी रजाई मे जाकर सो गयी थी, उससे पता चल रहा था, वो मुझे पहचान रही थी, और शायद इसलिये ही उसने मुझसे कुछ कहा भी नही। नही तो ऐसा नही हो सकता की उसे कुछ पता ना चला हो, क्योंकि जिस तरह से मै उससे लिपटा हुवा था और उसकी चुत को छेङ रहा था ऐसा तो नही हो सकता उसे कुछ पता ना चला हो, की मै क्या कर रहा था..?

मै ये सब सोच ही रहा था की तभी मेरे दिमाग मे एक और ख्याल आया.. वैसे अगर इसे शोर ही‌ मचाना होता, या फिर मेरी शिकायत करनी होती तो ये अभी भी कर सकती थी, मगर ये भी‌ तो हो सकता है की शायद वो नीँद मे उसे कुछ पता ना चला हो इसलिये चुपचाप सो गयी हो..? अब इसी उधेङबुन‌ के साथ मैने एक बार फिर से रिश्क लेने‌ की चोची..?

अब कुछ देर तो मै ऐसे ही चुपचाप लेटा रहा फिर धीरे धीरे अपनी रजाई के साथ ही खिसक कर उसके बिल्कुल नजदीक हो गया। उसके नजदीक होकर मैने पहले तो अपनी रजाई‌ उसकी रजाई के उपर के उपर डाल दी फिर धीरे से उसकी रजाई को थोङा सा उपर उठा अपना एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया...

वो शायद फिर से गहरी नींद सो गयी थी इसलिये मैं भी उसकी रजाई को उपर उठा धीरे से खिसक कर फिर से उसके बदन से चिपक गया। उसने अब दुसरी तरफ मुह किया हुवा था जिससे मेरी छाती अब उसकी नर्म मुलायम पीठ को छू गयी तो, मेरा उत्तेजित लण्ड भी सीधे उसके भरे हुए कूल्हों की गहराई मे जा घुसा..
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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अब कुछ देर तक मैं ऐसे ही उससे चिपक कर सोता रहा और उसकी हरकत का इन्तजार करने लगा। मगर जब उसने कोई हरकत नहीं की तो, मैंने धीरे से अपना हाथ जो‌ उसकी कमर पर रखा हुवा था उसे उसकी चुँचियों की तरफ बढ़ा दिया और आहिस्ता आहिस्ता से उसकी चुँचियों पर हाथ फिराकर उनका माप सा लेने लगा…

एक बड़े से सन्तरे के जितनी बड़ी और ठोस भरी हुई चुँचियाँ थी उसकी, जो की ऊपर से तो काफी मुलायम सी महसूस हो रही थी मगर अन्दर से शयाद एकदम‌ ठोस भरी हुई थी। उसकी चुँचियों पर हाथ घुमाने में मुझे मजा नहीं रहा था, क्योंकि एक तो उसने शुट के नीचे ब्रा पहन रखी थी और दूसरा उसकी फिर से नीँद खुल जाने के डर के कारण मैं उनको अच्छ से मसल भी नहीं सकता था, इसलिये मैंने बस एक बार तो उनका हल्का सा माप लिया फिर धीरे से अपना हाथ उसकी चुँचियों पर से उठाकर उसकी जांघों पर रख दिया।

अपने हाथ को शलवार के ऊपर से ही उसकी जांघों पर रख कर कुछ देर मैं अब फिर से ऐसे ही लेटा रहा और उसकी‌ हरकत का इन्तजार करने लगा। अब जब काफी देर तक भी उसने कोई हरकत नहीं की तो धीरे धीरे बहुत ही धीरे मैंने अपने हाथ को उसकी चुत की तरफ बढाना शुर कर दिया...

उसने अपना‌ मुँह अब दूसरी तरफ किया हुआ था और दोनों जांघों को आपस में जोड़कर घुटनों को थोड़ा सा मोड़ भी रखा था इसलिये मेरा हाथ अब उसकी चुत तक तो‌ नही पहुँच सका, मगर मेरी उँगलियाँ चुत के ऊपरी भाग को जरूर छू गयी जो की आगे से काफी फूला हुआ महसूस हो रहा था..

अब इस तरह चुत को भी उपर उपर से छुने‌ मे मझा नही आ रहा था इसलिये मैं अपने पैर से ही धीरे धीरे उसके एक पैर पर हल्का हल्का दबाव डालकर उसे अपनी तरफ खींचने लगा.. उसके पैर को अब अपनी तरफ खिँचने से उसकी जांघें थोड़ा सा खुल तो गयी, मगर तभी वो हल्का सा कसमसाई और अचानक से उसके बदन का तापमान फिर से बढ़ गया...
 
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