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Incest वो,जो नही होना था।

Palak aur Abhishek ka Milan

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cartoon18

लिखावट बाय दिहाती लेखक🌚
142
806
94
अपडेट-28

मौसी के घर से निकलने के बाद सीधे बाइक सूरज के घर तरफ मोड़ दिया। 30 मिनट बाद सूरज के घर पहुंच गए।
क्योंकि हम लोगो का मिलने का प्लान था आज का।

सूरज को घर के बाहर से आवाज़ दी। थोड़ी देर बाद सूरज निकल कर आया।

सूरज- तू तो 5 बजे आ रहा था इतनी जल्दी कैसे आ गया।
मैं- अरे यार वो भैया की शादी फिक्स हुई है उसके लिए सबको निमंत्रण देने गया था।मैं और भैया साथ ही थे. सुबह से हम लोग निकले हुए हैं।

भैया थक गए इसलिए वो तो मौसी के यहां हाय रुक गए। वो शाम को आएंगे। मेरा टाइम पास नहीं होता। मै वाहा फ्री भी था तो सोचा घूम आऊं इसलिए मैं जल्दी आ गया।

सूरज- अरे मेरे नॉनस्टॉप भाई आराम से बोल, तो चले फिर बता,
मैं- हा और आया किसके लिए।

सूरज- रुक 5 मिनट अभी आता हूं।
मैं- और हां 6 तारीख को आना है तुझे भी नहीं तो बाद में बोले कि निमंत्रण नहीं दिया।
सूरज- हां ठीक है भाई पक्का आउंगा।

थोड़ी देर बाद सूरज आया और हम लोग चल दिये।

सूरज तो आज तुझे ऐसी जगह के साथ चलता हूं जहां तू कभी नहीं जाएगा।

करीब शहर से 15 किमी दूर 25 मिनट बाद बिल्कुल सुन शान जगह पर एक वाटर पार्क+फन सिटी थी ज्यादा भीड भी नहीं होती थी।

लेकिन आज रविवार था तो हल्की सी भीड़ थी।

वाहा पर ज्यादा तर कपल्स या फिर पार्टी सेलिब्रेट करने वाले लोग।

सूरज- अरे यार आज याद ही नहीं आ रहा।
मैं- क्यू क्या हुआ।

सूरज- अरे आज रविवार हैं और ऊपर से भीड़ बहुत है।
क्योंकि दूर के कारण यहाँ पर भीड भाड कम होती है।

मैं- चलो कोई नहीं अब आई हो इतनी दूर तो फिर वापस जाने का क्या फायदा।
सूरज- ये भी तू ठीक कह रहा है.

हम लोगों ने टिकट ली जायदा महंगी नहीं थी केवल 100 रुपये की थी।

सूरज- चल अन्दर चलते है तुझे एक व्यू दिखता है क्यूँ की टाइम भी बहुत बढ़िया है।
मैं- हां चल भाई ऐसा थोड़ा गम कम होगा।

सूरज- क्या गम कैसा गम,
मैं- अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही निकल गया।

सूरज- देख रहा हूं भाई मन कहीं और ही घूम रहा है।
मैं- नहीं भाई ऐसे नहीं है।

सब लोग पार्क में टहल रहे थे कोई वाटर स्लाइडिंग कर रहा था कोई झूले पर मजे कर रहा था।

वाहा पर स्कूल के ग्रुप भी वो सब लोग भी एन्जॉय कर रहे थे।
आगे कुछ कपल वॉटर सैलिडिंग के लुफ्त उठा रहे थे।

मै सूरज तहलते बहुत आगे आ गया जहां दूर - दूर तक कोई नहीं था।
सूरज- यहाँ से थोड़ी दूर पर एक झील है वाह चले वाहा के नज़ारे भाई मजे ही आ जायेंगे।

मैं- ठीक है चलते हैं वैसे भी यहाँ घूमने ही आये हैं।

थोड़ी देर चल कर हम लोग झील के पास पहुँच गए।

वाहा का नजारा देखने लायक था क्योंकि,
सूरज अस्त हो रहा था और सूरज की किरण झील पर पड़ी थी आसमां बिल्कुल नारंगी हो गया था।

ऐसे लग रहा है जैसे स्वर्ग में आ गया हो।

वही पर बेंच पड़ी हुई थी में और सूरज जाके वहां पर बैठ गए।
और उस पल को देख रहे थे।

शायद वो पल आँखो में कैद करने वाला था।

सूरज काश यहां रिया होती तो मस्त सीन को देखने का मजा ही कुछ और होता और ये पल का मजा ही कुछ और होता है।

हा भाई तेरे सही है।

सूरज ने रिया का नाम लिया मुझे एक दम पलक की याद आ गई।
मेरा मुंह उतर गया शायद ये बात सूरज ने ये बात जानबूझ कर कही।

सूरज ने मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर कहा बस भाई अब बहुत हुआ।

सूरज- देख 3 दिन से देख रहा हूं तू मुझसे कुछ छिपा रहा है।
सही सही बोल बात क्या नहीं मैं आज से दोस्ती तोड़ दूंगा।

मैं- नहीं भाई ऐसे कुछ नहीं है बस थोड़ी तबीयत खराब है।

सूरज- ठीक है भाई कोई नहीं चल अब घर मुझे देर हो रही.तेरी तबीयत खराब होती तू यहां मेरे साथ नहीं होता.मार्केट जाना कुछ काम है।

अब जल्दी से घर चल,
मैं- यार भाई तुम तो बुरा मान गई बात का ऐसा कुछ नहीं है।
सूरज- देख मुझे देर हो रही तू घर चल सीधे और कुछ नहीं।
इतना कहे कर सूरज वहां से उठ कर जाने लगा।

मन में अगर सूरज भी नाराज हो गया जिंदगी अकेली हो जाएगी दोस्ती में दरार पड़ जाएगी।

मैं भाग कर सूरज का हाथ पकड़ के बोला।
भाई इतनी जल्दी क्यों जा रहा है अभी तो आये हुए।

सूरज भाई मुझे घर का कुछ काम याद आ गया मुझे जाना होगा।

अच्छा सुन ठीक है बताता हूँ पर तू अपने तक ही रखना किसी को बोलना मत।

सूरज हा जल्दी बोल फ़ोन आ रहा है।

मैं- अब बैठ कर 5 मिनट मेरी सुन ले फिर तुझे जहां जाना हो वहां चले जाना।

करीब 1 घंटे तक सूरज को पलक और मेरी पूरी दास्तां सुनाई।

सूरज- हां भाई मैं जानता था कि तू मुझसे कुछ छुपा रहा है।
अच्छा तूने मुझे बताना जरूरी क्यों नहीं समझा जबकी तू रिया को सब कुछ बता चुका है।

मैं- तुझे कैसा मालूम है कि मैं रिया को कुछ बता चुका हूं।
सूरज- भाई वो मेरी बंदी है हम लोग एक दूसरे से कुछ नहीं छिपाते हैं।

मैं- सही है भाई तेरा भी अब जो था मैंने तो बता दिया।
सूरज- भाई इन सब बातों से का एक ही निष्कर्ष है कि तू चुतिया है।

मैं- क्यों भाई,
सूरज- जब लड़की तुझ पे लट्टू हुई जा रही है। तेरे पीछे पागल है जान छिड़क रही है तुझे बिल्कुल उसके इशारे समझ में ही नहीं आ रहे।

मैं- नहीं भाई वो बात नहीं है कि मुझे खुद इस रिश्ते में कोई दिलचस्पी नहीं है।
सूरज- अच्छा जब दिलचस्पी नहीं है तो फिर क्यों 3 दिन मुहु बना घूम रहा है।

तब तो हमारे दिन स्कूल का बाहर, उसका इंतजार कर रहा था।
मैं- आश्चर्य होते हुए तुझे कैसे पता कि मैं स्कूल के बाहर वेट कर रहा था।
सूरज- तुम लोगों को रिया ने देख लिया था.और रिया ने मुझे बताया.
इनता सब बाते में इमोशनल हो गया था बहुत थोड़ी और बात करता तो सीधे रो ही देता।

सूरज- गलती तो तेरी है इसमें उसकी कोई नहीं और सुन एक बार लड़की रूठ जाए तो फिर भाई मन बहुत मुश्किल हो जाता है।

भाई रिया के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े तुझे बता नहीं भाई चॉकलेट, गिफ्ट ड्रेस पता नहीं भाई कितना खर्चा किया था। तब जाके कुछ बात बानी।

सच्ची भाई बहुत नखरे थे उसके पहले दोस्त को मनाया फिर जाके कहीं थोड़ी बहुत बात बनी और तुझे तो पाकी पकाई रोटी मिल रही है फिर भी तेरे नखरे है।

मैं थोडा रोते हुए बोला,

मैं- भाई अब लेक्चर मत दे वैसे भी उसके बिन अब अच्छा नहीं लग रहा है. दिन तो जैसे तैसे कट जाता है लेकिन रात भाई बहुत भारी पड़ती है।

अब करू क्या अब वो मेरा चेहरा भी नहीं देखना चाहती है। सामने से मिलो तो इग्नोर कर देती है लेकिन क्या करु।ना कॉल रिप्लाई ना मैसेज रिप्लाई पूरी तरह से इग्नोर।

सूरज- रोने से कुछ काम नहीं होगा पहले अपने आंसू पोंछ फिर मेरी बात ध्यान से सुन, ऐसे कर भाई कुछ चॉकलेट खरीद और सॉरी ग्रीटिंग कार्ड खरीद अभी तू वैसे भी मौसी के घर जाएगा। जाके पलक के रूम में रख देना।

अगर वो एक्सेप्ट करेगी तो तुझे कॉल आएगी और तू उसे कहीं मिलाने के लिए बुला लेना और,
सुनो जो कुछ भी है तेरे मन में उसके लिए अब तू उसे बता दे क्यू कि इसके अलावा कोई और बिकलप नहीं है।
नहीं तो उसे कोई और उड़ा के ले जाएगा तू बस देखता ही रहियो।

मैं- हां यार इस आइडिया में कुछ तो दम लग रही है तेरे।
सूरज- वैसे अच्छा है कौन वो मुझे तो बता दे.जिसके इतने नखरे हैं।

मैं- रिया की क्लास है तुझे मिला दूंगा किसी दिन (सूरज की मैंने नहीं बताया था कि मेरी मौसी की लड़की है)

शायद अब मेरे दिल का बोझ भी कम हो गया था।

सूरज- भाई तूने मुझे पराया कर दिया पर,
मैं- क्यू भाई क्या हुआ अब,

सूरज- जब तुझे कोई समस्या थी तो तूने मुझे क्यों नहीं बताया और रिया को सब कुछ बता दिया जब मैंने पहले मिला था रिया बाद में।
मैं- भाई ऐसा कुछ नहीं है बस मैंने रिया से थोड़ी मदद मांगी थी और फिर उसके ये कोई भी बात नहीं पता है।

सूरज- अच्छा ऐसा है ठीक है देख ये ट्राई कर नहीं तो फिर कोई दूसरा आइडिया निकालूंगा।
और सुन अगर कोई समस्या हुई तो भाई मेरे साथ शेयर कर कोई ना कोई आइडिया जरूर बताता अगर तूने पहले मुझे बताया होता तो आज ये नौबत ना अति।

मैं- हां यार सही कहा मे चुतिया ही हूं।
सूरज- तो भाई घर चलने का टाइम हो गया है।
मैं- हां भाई चल अब रात भी हो रही है।

6 बज गए थे हम पार्क लोग पार्क से निकल आए क्योंकि 7 बजे पार्क बंद हो जाता है।

पार्क से निकलने के बाद सूरज को छोड़ कर गिफ्ट्स शॉप से चॉकलेट्स खरीदे और मौसी के घर पहुंच गया।

मौसी ने गेट खोला,
मौसी- बहुत देर लागा दी कहा चला गया था।
मैं - दोस्त के यहां रुक गया था तभी देर हो गई।
मौसी- भैया तेरे काफी देर से इंतजार कर रहे है।
मैं - भैया है की चले गय।
मौसी- अभी कमरे में ही लेटे है।
तू ऐसा कर हाथ मुहूं धो लें फिर खाना लगा देती हूं भैया तो खा चुका है तू भी खा ले। सुबह से निकले हो तुम दोनो लोग।
मैं - हां मौसी भूख भी लगाने लगीं है। अच्छा मौसी पलक लौट कर नही आई क्या?
मौसी - आई थी बेटा पर किसी दोस्त का फोन आया और चली गई।
मैं- ठीक है मौसी आप खाना दो लेट हो रहा है मै तब तक अपना मोबाईल ले आता हूं चार्जिंग पर लगा हुआ है।

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Dragon.

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अपडेट-28मौसी के घर से निकलने के बाद सीधे बाइक सूरज के घर तरफ मोड़ दिया। 30 मिनट बाद सूरज के घर पहुंच गए।
क्योंकि हम लोगो का मिलने का प्लान था आज का।सूरज को घर के बाहर से आवाज़ दी। थोड़ी देर बाद सूरज निकल कर आया।सूरज- तू तो 5 बजे आ रहा था इतनी जल्दी कैसे आ गया।
मैं- अरे यार वो भैया की शादी फिक्स हुई है उसके लिए सबको निमंत्रण देने गया था।मैं और भैया साथ ही थे. सुबह से हम लोग निकले हुए हैं।भैया थक गए इसलिए वो तो मौसी के यहां हाय रुक गए। वो शाम को आएंगे। मेरा टाइम पास नहीं होता। मै वाहा फ्री भी था तो सोचा घूम आऊं इसलिए मैं जल्दी आ गया।सूरज- अरे मेरे नॉनस्टॉप भाई आराम से बोल, तो चले फिर बता,
मैं- हा और आया किसके लिए।सूरज- रुक 5 मिनट अभी आता हूं।
मैं- और हां 6 तारीख को आना है तुझे भी नहीं तो बाद में बोले कि निमंत्रण नहीं दिया।
सूरज- हां ठीक है भाई पक्का आउंगा।थोड़ी देर बाद सूरज आया और हम लोग चल दिये।सूरज तो आज तुझे ऐसी जगह के साथ चलता हूं जहां तू कभी नहीं जाएगा।करीब शहर से 15 किमी दूर 25 मिनट बाद बिल्कुल सुन शान जगह पर एक वाटर पार्क+फन सिटी थी ज्यादा भीड भी नहीं होती थी।लेकिन आज रविवार था तो हल्की सी भीड़ थी।वाहा पर ज्यादा तर कपल्स या फिर पार्टी सेलिब्रेट करने वाले लोग।सूरज- अरे यार आज याद ही नहीं आ रहा।
मैं- क्यू क्या हुआ।सूरज- अरे आज रविवार हैं और ऊपर से भीड़ बहुत है।
क्योंकि दूर के कारण यहाँ पर भीड भाड कम होती है।मैं- चलो कोई नहीं अब आई हो इतनी दूर तो फिर वापस जाने का क्या फायदा।
सूरज- ये भी तू ठीक कह रहा है.हम लोगों ने टिकट ली जायदा महंगी नहीं थी केवल 100 रुपये की थी।सूरज- चल अन्दर चलते है तुझे एक व्यू दिखता है क्यूँ की टाइम भी बहुत बढ़िया है।
मैं- हां चल भाई ऐसा थोड़ा गम कम होगा।सूरज- क्या गम कैसा गम,
मैं- अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही निकल गया।सूरज- देख रहा हूं भाई मन कहीं और ही घूम रहा है।
मैं- नहीं भाई ऐसे नहीं है।सब लोग पार्क में टहल रहे थे कोई वाटर स्लाइडिंग कर रहा था कोई झूले पर मजे कर रहा था।वाहा पर स्कूल के ग्रुप भी वो सब लोग भी एन्जॉय कर रहे थे।
आगे कुछ कपल वॉटर सैलिडिंग के लुफ्त उठा रहे थे।मै सूरज तहलते बहुत आगे आ गया जहां दूर - दूर तक कोई नहीं था।
सूरज- यहाँ से थोड़ी दूर पर एक झील है वाह चले वाहा के नज़ारे भाई मजे ही आ जायेंगे।मैं- ठीक है चलते हैं वैसे भी यहाँ घूमने ही आये हैं।थोड़ी देर चल कर हम लोग झील के पास पहुँच गए।वाहा का नजारा देखने लायक था क्योंकि,
सूरज अस्त हो रहा था और सूरज की किरण झील पर पड़ी थी आसमां बिल्कुल नारंगी हो गया था।ऐसे लग रहा है जैसे स्वर्ग में आ गया हो।वही पर बेंच पड़ी हुई थी में और सूरज जाके वहां पर बैठ गए।
और उस पल को देख रहे थे।शायद वो पल आँखो में कैद करने वाला था।सूरज काश यहां रिया होती तो मस्त सीन को देखने का मजा ही कुछ और होता और ये पल का मजा ही कुछ और होता है।
हा भाई तेरे सही है।सूरज ने रिया का नाम लिया मुझे एक दम पलक की याद आ गई।
मेरा मुंह उतर गया शायद ये बात सूरज ने ये बात जानबूझ कर कही।सूरज ने मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर कहा बस भाई अब बहुत हुआ।सूरज- देख 3 दिन से देख रहा हूं तू मुझसे कुछ छिपा रहा है।
सही सही बोल बात क्या नहीं मैं आज से दोस्ती तोड़ दूंगा।मैं- नहीं भाई ऐसे कुछ नहीं है बस थोड़ी तबीयत खराब है।सूरज- ठीक है भाई कोई नहीं चल अब घर मुझे देर हो रही.तेरी तबीयत खराब होती तू यहां मेरे साथ नहीं होता.मार्केट जाना कुछ काम है।अब जल्दी से घर चल,
मैं- यार भाई तुम तो बुरा मान गई बात का ऐसा कुछ नहीं है।
सूरज- देख मुझे देर हो रही तू घर चल सीधे और कुछ नहीं।
इतना कहे कर सूरज वहां से उठ कर जाने लगा।मन में अगर सूरज भी नाराज हो गया जिंदगी अकेली हो जाएगी दोस्ती में दरार पड़ जाएगी।मैं भाग कर सूरज का हाथ पकड़ के बोला।
भाई इतनी जल्दी क्यों जा रहा है अभी तो आये हुए।सूरज भाई मुझे घर का कुछ काम याद आ गया मुझे जाना होगा।अच्छा सुन ठीक है बताता हूँ पर तू अपने तक ही रखना किसी को बोलना मत।सूरज हा जल्दी बोल फ़ोन आ रहा है।मैं- अब बैठ कर 5 मिनट मेरी सुन ले फिर तुझे जहां जाना हो वहां चले जाना।करीब 1 घंटे तक सूरज को पलक और मेरी पूरी दास्तां सुनाई।सूरज- हां भाई मैं जानता था कि तू मुझसे कुछ छुपा रहा है।
अच्छा तूने मुझे बताना जरूरी क्यों नहीं समझा जबकी तू रिया को सब कुछ बता चुका है।मैं- तुझे कैसा मालूम है कि मैं रिया को कुछ बता चुका हूं।
सूरज- भाई वो मेरी बंदी है हम लोग एक दूसरे से कुछ नहीं छिपाते हैं।मैं- सही है भाई तेरा भी अब जो था मैंने तो बता दिया।
सूरज- भाई इन सब बातों से का एक ही निष्कर्ष है कि तू चुतिया है।मैं- क्यों भाई,
सूरज- जब लड़की तुझ पे लट्टू हुई जा रही है। तेरे पीछे पागल है जान छिड़क रही है तुझे बिल्कुल उसके इशारे समझ में ही नहीं आ रहे।मैं- नहीं भाई वो बात नहीं है कि मुझे खुद इस रिश्ते में कोई दिलचस्पी नहीं है।
सूरज- अच्छा जब दिलचस्पी नहीं है तो फिर क्यों 3 दिन मुहु बना घूम रहा है।तब तो हमारे दिन स्कूल का बाहर, उसका इंतजार कर रहा था।
मैं- आश्चर्य होते हुए तुझे कैसे पता कि मैं स्कूल के बाहर वेट कर रहा था।
सूरज- तुम लोगों को रिया ने देख लिया था.और रिया ने मुझे बताया.
इनता सब बाते में इमोशनल हो गया था बहुत थोड़ी और बात करता तो सीधे रो ही देता।सूरज- गलती तो तेरी है इसमें उसकी कोई नहीं और सुन एक बार लड़की रूठ जाए तो फिर भाई मन बहुत मुश्किल हो जाता है।भाई रिया के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े तुझे बता नहीं भाई चॉकलेट, गिफ्ट ड्रेस पता नहीं भाई कितना खर्चा किया था। तब जाके कुछ बात बानी।सच्ची भाई बहुत नखरे थे उसके पहले दोस्त को मनाया फिर जाके कहीं थोड़ी बहुत बात बनी और तुझे तो पाकी पकाई रोटी मिल रही है फिर भी तेरे नखरे है।मैं थोडा रोते हुए बोला,मैं- भाई अब लेक्चर मत दे वैसे भी उसके बिन अब अच्छा नहीं लग रहा है. दिन तो जैसे तैसे कट जाता है लेकिन रात भाई बहुत भारी पड़ती है।अब करू क्या अब वो मेरा चेहरा भी नहीं देखना चाहती है। सामने से मिलो तो इग्नोर कर देती है लेकिन क्या करु।ना कॉल रिप्लाई ना मैसेज रिप्लाई पूरी तरह से इग्नोर।सूरज- रोने से कुछ काम नहीं होगा पहले अपने आंसू पोंछ फिर मेरी बात ध्यान से सुन, ऐसे कर भाई कुछ चॉकलेट खरीद और सॉरी ग्रीटिंग कार्ड खरीद अभी तू वैसे भी मौसी के घर जाएगा। जाके पलक के रूम में रख देना।अगर वो एक्सेप्ट करेगी तो तुझे कॉल आएगी और तू उसे कहीं मिलाने के लिए बुला लेना और,
सुनो जो कुछ भी है तेरे मन में उसके लिए अब तू उसे बता दे क्यू कि इसके अलावा कोई और बिकलप नहीं है।
नहीं तो उसे कोई और उड़ा के ले जाएगा तू बस देखता ही रहियो।मैं- हां यार इस आइडिया में कुछ तो दम लग रही है तेरे।
सूरज- वैसे अच्छा है कौन वो मुझे तो बता दे.जिसके इतने नखरे हैं।मैं- रिया की क्लास है तुझे मिला दूंगा किसी दिन (सूरज की मैंने नहीं बताया था कि मेरी मौसी की लड़की है)शायद अब मेरे दिल का बोझ भी कम हो गया था।सूरज- भाई तूने मुझे पराया कर दिया पर,
मैं- क्यू भाई क्या हुआ अब,सूरज- जब तुझे कोई समस्या थी तो तूने मुझे क्यों नहीं बताया और रिया को सब कुछ बता दिया जब मैंने पहले मिला था रिया बाद में।
मैं- भाई ऐसा कुछ नहीं है बस मैंने रिया से थोड़ी मदद मांगी थी और फिर उसके ये कोई भी बात नहीं पता है।सूरज- अच्छा ऐसा है ठीक है देख ये ट्राई कर नहीं तो फिर कोई दूसरा आइडिया निकालूंगा।
और सुन अगर कोई समस्या हुई तो भाई मेरे साथ शेयर कर कोई ना कोई आइडिया जरूर बताता अगर तूने पहले मुझे बताया होता तो आज ये नौबत ना अति।मैं- हां यार सही कहा मे चुतिया ही हूं।
सूरज- तो भाई घर चलने का टाइम हो गया है।
मैं- हां भाई चल अब रात भी हो रही है।6 बज गए थे हम पार्क लोग पार्क से निकल आए क्योंकि 7 बजे पार्क बंद हो जाता है।पार्क से निकलने के बाद सूरज को छोड़ कर गिफ्ट्स शॉप से चॉकलेट्स खरीदे और मौसी के घर पहुंच गया।मौसी ने गेट खोला,
मौसी- बहुत देर लागा दी कहा चला गया था।
मैं - दोस्त के यहां रुक गया था तभी देर हो गई।
मौसी- भैया तेरे काफी देर से इंतजार कर रहे है।
मैं - भैया है की चले गय।
मौसी- अभी कमरे में ही लेटे है।
तू ऐसा कर हाथ मुहूं धो लें फिर खाना लगा देती हूं भैया तो खा चुका है तू भी खा ले। सुबह से निकले हो तुम दोनो लोग।
मैं - हां मौसी भूख भी लगाने लगीं है। अच्छा मौसी पलक लौट कर नही आई क्या?
मौसी - आई थी बेटा पर किसी दोस्त का फोन आया और चली गई।
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Ek number

Well-Known Member
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अपडेट-27
रात को देर से सोने के कारण
दूसरे दिन 1 बजे मम्मी जब उठाने आई तब मेरी नींद खुली।

मम्मी- अब तबीयत कैसी है।
मैं- हां मम्मी ठीक है आराम है कल से,
मम्मी- अगर आराम ना हो तो ऐसा कर भैया के साथ डॉक्टर के पास जांच करा करके दवा ले आ।

मैं- नहीं मम्मी अब सही है बस थोड़ी बहुत थकन लग रही है।
मम्मी- चल ऐसे कर नहा ले जा के थोड़ा शरीर हल्का हो जाएगा गा तब तुझे अच्छा भी लगेगा। थकन मिट जाएगी।
मैं- ठीक है मम्मी

इतना कहना ही हुआ तभी मेरा फोन बजा।


देखा सूरज का फ़ोन आ रहा था।
मम्मी- किसका फोन आ रहा है बहुत देर से मोबाइल पर रिंग हो रही है।
मैं- सूरज का कॉल होगा क्योंकि हम लोगों को सर के यहां जाना था प्रोजेक्ट के सिलसिले में बात करने के लिए।

मम्मी- चल ठीक है जल्दी नीचे आ
मैं- ठीक है मम्मी

सूरज का कॉल कट गया।मैंने फोन उठा कर देखा कि 10 बजे से सूरज के लग्भाग 30 बजे कॉल आ चुके थे।

और पलक को एक कॉल नहीं आई और नही कोई मैसेज का रिप्लाई आया।

यार मुझे सोचने लगा इतना बुरा भी मैंने नहीं किया था जो इतनी बड़ी सजा मिल रही है।

सूरज को कॉल लगाया,
सूरज- हां भाई मिल गई तुझे फुर्सत तब कॉल कर के याद किया
मैं- नहीं भाई ऐसी बात नहीं बिल्कुल अभी तो उठा तुझे बताया था कि रात को दवा खाई उसी का असर है।
सूरज- तो फिर घूमने चलेगा या नहीं।

मैं- भाई ऐसे करते हैं शाम को चलते हैं।
अभी मुझे एक घंटा तो ऐसा ही लग जाएगा।

सूरज- चल कोई नही ऐसे कर 5 बजे तू तो फ्री हो गा ना तभी चलते है।
मैं- ठीक है भाई,
सूरज- और तबीयत कैसी है अब आराम है ना.
मैं- हां भाई तभी तो आने को बोल रहा हूं मेरा मन भी बहल जाएगा।
सूरज- चल ठीक बाय शाम को मिलता है
मैं- ठीक है बाय

सूरज को कॉल कट होने के बाद पलक को फोन लगाया। पहले तो कॉल करने के लिए जा रही थी थोड़ी देर बाद नंबर बिजी हो गया।

ज्यादा प्रयास करना उचित नहीं समझा।

बाथरूम में जाकर मौसी के घर जाने का प्लान सोचने लगा कि कोई बहाना हो जाएगा। मेरे पास पालक की असाइनमेंट फाइल पड़ी थी। बस इसी बहाने से मैं जा सकता था।

मन ही मन बहुत खुश हो गया चलो अब तो पलक से मिलकर ही रहूंगा।
नहा धोकर नीचे गया. नीचे मम्मी और भैया पंडित जी कुछ बात कर रहे थे।

मम्मी ने मुझे नास्ता दिया. और बोलने लगी थोड़ी देर बाद खाना खा लेना। क्यू तुझे दवा भी खानी है। अब आराम है तबियत में।
मैं - मम्मी यह पंडित जी क्यों आए हुए है।

मम्मी- वो बेटा तुझे बताया था कि भैया की शादी के लिए डेट फिक्स करा रही है, तो सबसे पहले लड़के का रोका होता है। फ़िर उसके बाद रिंग सेरेमनी.

मैं- मतलब लड़के का रोका कुछ समझा नहीं.

मम्मी - अरे मतलब की लड़की वाले आये तेरे भैया की रुकाई। फिर उसकी बाद रिंग सेरेमनी होगी। जिसमें तेरे भैया और भाभी एक दूसरे को अंगुठी पहनेंगे।

मैं- अच्छा कब आ रहा भाभी की साइड वाले.

मम्मी- देखो पंडित जी को इसी के लिए बुलाया है। तारीख निकल कर बता दे कौन सी तारीख सही रहेगी। उसके दिन वो लोग यहां आके रुकाई कर देंगे।

तभी भैया ने मम्मी को आवाज दी।
मम्मी- हां आती हूं।

मैं खाना पीना कर के ऊपर कमरा में आ गया।
मम्मी, भैया और पंडित जी लोग आपस में कुछ बात करते रहे।
मैं अपने कमरे में गम शम बैठा था तभी भैया ने आवाज दी।

मैं भाग कर नीचे गया।
मम्मी- सुन ऐसे कर भैया के साथ चला जा 2-3 जगह जाना है.
मैं- क्यु
मम्मी- पंडित जी अगले हफ्ते का दिन बुधवार और 6 तारीख बताई है।

मैं- अच्छा तो चलाना क्यों है।
मम्मी- ज्यादा सवाल मत कर भैया के साथ चला जा जा वो जा रह है।
मैं- ठीक है।

बाइक निकल कर हम चल पड़े।

पहले भैया मिठाई की दुकान गई वाहा कुछ मिठाई ऑर्डर दी।
टेंट हाउस गए वहां एक खाना बनाने वाले से बात की.6 तारीख के लिए बुक कर लीजिए.

भैया अपने 1-2 दोस्तों को निमंत्रण देने लगे।

फिर भैया ने कहा मौसी के घर और चलो वहां भी काहे दे। नहीं मौसी बुरा मन जाएगी. की में तुम लोगो के हमेशा साथ रही और तुम लोगो ने पूछा तक नहीं।

मन ही मन बहुत खुश हो गया। क्योंकि मौसी के घर जाने का प्लान वैसे भी बना लिया था। लेकिन यहां तो बिना प्लान के जाना पड़ रहा था।

तुरंट बाइक मौसी घर की तरफ मोड़ दी.और थोड़ी देर बाद मौसी के घर पहुंच गया
मेरी फूटी किस्मत कहो या तुम मेरी किस्मत को गाली दो।

मौसी के घर के अंदर गये। मौसी ने हम लोगो का स्वागत किया।
लगता है मौसी शायद अकेली होगी।

मौसी ने भैया को बधाई दी और साथ की उनके गले मिलने लगी।
फिर दोनो लोग मिल कर आपस में बात करने लगे।

मैं- मौसी मौसा नहीं दिखीं पढ़ रही हैं क्या बात है।

मौसी- वो पलक के पापा का टूर लगा हुआ था. इसलीये 2-3 दिन बाद ही आये गे।

मैं- मौसी आप तीनों लोगों को आना है याद रखना आप, नहीं तो आप बोलो कि जब आप घर नहीं आतीं तो आप भी नहीं आएंगी।

मौसी- अरे बेटा हमें दिन तो मज़ाक में काहे दिया था. अच्छा हम नहीं आएंगे तो कौन आएगा. तू ऐसा करना हम लोगो रिसीव कर लेना आके। सही रहेगा ना और तेरे मौसा दिन के दिन आएंगे। उनके कपड़े ले चलूंगी।

भैया- अरे क्यू नहीं मौसी बिल्कुल ये घर पे बेला ही पड़ा रहता है कुछ तो काम करेगा।
मैं- हां मौसी बिल्कुल आप का काम नहीं आऊंगा तो किस के काम आऊंगा।

मौसी- अरे मेरा प्यारा बच्चा बहुत ख्याल रखता है मौसी का।
मैं- मौसी पलक नहीं दिखाई दे रही है काहा गई।
मौसी- तुम आये होगे और पलक का जाना हुआ होगा।
पलक से मैंने बोला रुक जा भाभी की फोटो देखते हुए जाना।

तभी पलक ने बोला कि उसे कहीं स्कूल के प्रोजेक्ट के काम से किरण के घर जाना है इसलिए वो दोनों लोग चले गए।

मैंने ज्यादा रोका नहीं कि छोटू को घूमना भी था।
मैं- मौसी ये छोटू कौन है।

मौसी- वो बताया तो था मेरे भाई का लड़का,

मेरा मुहु उतर गया था क्यू की मे जनता था पलक जन्भुज कर यहाँ से गयी होगी।

शायद मौसी से मालूम पड़ गया होगा कि मैं आ रहा हूँ।
मैं- अच्छा मौसी कब तक पलक आयेगी कुछ मालूम है।

मौसी- नहीं बता के तो नहीं गई।
मैं- अच्छा कोई नहीं,

भैया अभी आप कितनी देर रुकेंगे।

भैया- यार मैं थक गया हूँ सुबह से भाग दौड़ के. ऐसे शाम को चलते हैं 4 बजे तरफ घर। तुझे अगर कहीं जाना हो तो जा नहीं तो आराम कर ले ऊपर जाके।

मैं- हा मुझे थोडा काम है,ठीक है मैं फ्रेश हूं लू फिर चला जाता हूं आप कॉल कर देना मैं आ जाऊंगा।

भैया- चल ठीक है ऐसे शी रहेगा।

मौसी का घर छोटा था तो जहां सब लोग थे उसके पास ही बाथरूम था
मैं बाथरूम में गया लेकिन जब बाहर आ रहा था।

मेरी पैर की ज़मीन खिसक गई। मेरी रूह कांप गई, मैंने सोचा नहीं था दोनों के बीच ये सब होगा।

मैंने खड़े होकर भैया और मौसी की बाते सुनाने लगे।

मौसी- क्या कर रहा है रुक जा थोड़ी देर अभी को तो जाने दे.फिर तो वैसे भी 4 बजे तक हम लोग अकेले हैं।

भैया- जानू प्लीज़ मुझे ये दूध पीने दो अब मुझे इंतज़ार नहीं होता कितने दिन से डर लग रहा है तुमसे।

मौसी- अभी पिछले हफ्ते तो तुम्हारे घर में थी मैं दिन भर तुमने मुझे चोदा है।

और अब तुम 10 मिनट तक नहीं रुक सकते।

भैया- तुम ऐसे माल ही हो तुम्हें देख कर मेरा लंड तो यही कहता है पूरे दिन तुम्हारी गुलाबी चूत में पड़ा रहे।

मौसी हसती हुई,
इतनी अच्छी लगती हूँ।

भैया- हां और नहीं तो क्या मेरा बस चले मैं तुम्हें अपनी बीवी बना लूं.
मौसी- हां मालूम है कितनी अच्छी लगती हूं अभी 4 दिन अपनी बीवी के पल्लू में बंधे घूमो गी तब नहीं तुम्हें मेरी याद आएगी।


भैया- नहीं मेरी जानू आप मेरे गुरु हो और गुरु की प्राथमिकता पहले मैं आप की जिंदगी भर गुलाम हूं।आप का हुकम पहले बीवी की बाद में।

मौसी- अरे मेरा बाबू इतना प्यार करता है मुझे।

भैया- इससे भी ज्यादा.और भैया और मौसी दोनों लोग किस करने लगे।

मेरे मन में पलक का दुख काम हो गया था क्योंकि अब मुझे जो इतना बड़ा राज़ पता चल गया था।

तभी मे सोचु कि माई स्कूल जडली आउ चाहे देर से भैया मुझे घर में ही मिले थे। शायद भैया मुझे मौसी को घर में खूब चोदा होगा।

एक दम से मेरे बहार आने की आहट हुई तो दोनो लोग नॉर्मल हो गए।

मौसी किचन में जाने लगी.भैया वही सोफे पर बैठ गए.

अब मेरे मन में दोनों की चुदाई देखने का था पर अब क्या कर सकता है।

बैठ कर कुछ दिमाग लगया जा रहा था.

भैया- क्यू जाना नहीं है क्या?
मैं- हां जाना है.

मैंने मोबाइल पर एयरप्लेन मोड लगा लिया और स्विच ऑफ कर दिया।

मैं- ऐसे करता हूं मोबाइल यहीं चार्जिंग लगा देता हूं स्विच ऑफ हो गया है।
भैया- ला जरा इधर देखू,

भैया ने 1-2 बार कोशिश की लेकिन कुछ नातिजा नहीं निकला।

भैया- फिर तू मुझे लेने कैसे आएगा
मैं- मैं ठीक 4 बजे आ जाऊंगा।

भैया- चल ठीक है ऐसे कर मोबाइल फिर यहीं लगा दे।
मैं- ठीक है मौसी का कमरा, मैं लगा देता हूं वहां सेफ भी रहेगा।

मैं मौसी के कमरे में गया और मोबाइल चार्जिंग पॉइंट पर लगा मोबाइल का कैमरा ऑन करके वही रख दिया क्यों कि अब जो कुछ भी रिकॉर्ड हो गया वो मुझे देख लूंगा।

मोबाइल लगा के घर से निकल गया।
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मौसी के घर से निकलने के बाद सीधे बाइक सूरज के घर तरफ मोड़ दिया। 30 मिनट बाद सूरज के घर पहुंच गए।
क्योंकि हम लोगो का मिलने का प्लान था आज का।

सूरज को घर के बाहर से आवाज़ दी। थोड़ी देर बाद सूरज निकल कर आया।

सूरज- तू तो 5 बजे आ रहा था इतनी जल्दी कैसे आ गया।
मैं- अरे यार वो भैया की शादी फिक्स हुई है उसके लिए सबको निमंत्रण देने गया था।मैं और भैया साथ ही थे. सुबह से हम लोग निकले हुए हैं।

भैया थक गए इसलिए वो तो मौसी के यहां हाय रुक गए। वो शाम को आएंगे। मेरा टाइम पास नहीं होता। मै वाहा फ्री भी था तो सोचा घूम आऊं इसलिए मैं जल्दी आ गया।

सूरज- अरे मेरे नॉनस्टॉप भाई आराम से बोल, तो चले फिर बता,
मैं- हा और आया किसके लिए।

सूरज- रुक 5 मिनट अभी आता हूं।
मैं- और हां 6 तारीख को आना है तुझे भी नहीं तो बाद में बोले कि निमंत्रण नहीं दिया।
सूरज- हां ठीक है भाई पक्का आउंगा।

थोड़ी देर बाद सूरज आया और हम लोग चल दिये।

सूरज तो आज तुझे ऐसी जगह के साथ चलता हूं जहां तू कभी नहीं जाएगा।

करीब शहर से 15 किमी दूर 25 मिनट बाद बिल्कुल सुन शान जगह पर एक वाटर पार्क+फन सिटी थी ज्यादा भीड भी नहीं होती थी।

लेकिन आज रविवार था तो हल्की सी भीड़ थी।

वाहा पर ज्यादा तर कपल्स या फिर पार्टी सेलिब्रेट करने वाले लोग।

सूरज- अरे यार आज याद ही नहीं आ रहा।
मैं- क्यू क्या हुआ।

सूरज- अरे आज रविवार हैं और ऊपर से भीड़ बहुत है।
क्योंकि दूर के कारण यहाँ पर भीड भाड कम होती है।

मैं- चलो कोई नहीं अब आई हो इतनी दूर तो फिर वापस जाने का क्या फायदा।
सूरज- ये भी तू ठीक कह रहा है.

हम लोगों ने टिकट ली जायदा महंगी नहीं थी केवल 100 रुपये की थी।

सूरज- चल अन्दर चलते है तुझे एक व्यू दिखता है क्यूँ की टाइम भी बहुत बढ़िया है।
मैं- हां चल भाई ऐसा थोड़ा गम कम होगा।

सूरज- क्या गम कैसा गम,
मैं- अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही निकल गया।

सूरज- देख रहा हूं भाई मन कहीं और ही घूम रहा है।
मैं- नहीं भाई ऐसे नहीं है।

सब लोग पार्क में टहल रहे थे कोई वाटर स्लाइडिंग कर रहा था कोई झूले पर मजे कर रहा था।

वाहा पर स्कूल के ग्रुप भी वो सब लोग भी एन्जॉय कर रहे थे।
आगे कुछ कपल वॉटर सैलिडिंग के लुफ्त उठा रहे थे।

मै सूरज तहलते बहुत आगे आ गया जहां दूर - दूर तक कोई नहीं था।
सूरज- यहाँ से थोड़ी दूर पर एक झील है वाह चले वाहा के नज़ारे भाई मजे ही आ जायेंगे।

मैं- ठीक है चलते हैं वैसे भी यहाँ घूमने ही आये हैं।

थोड़ी देर चल कर हम लोग झील के पास पहुँच गए।

वाहा का नजारा देखने लायक था क्योंकि,
सूरज अस्त हो रहा था और सूरज की किरण झील पर पड़ी थी आसमां बिल्कुल नारंगी हो गया था।

ऐसे लग रहा है जैसे स्वर्ग में आ गया हो।

वही पर बेंच पड़ी हुई थी में और सूरज जाके वहां पर बैठ गए।
और उस पल को देख रहे थे।

शायद वो पल आँखो में कैद करने वाला था।

सूरज काश यहां रिया होती तो मस्त सीन को देखने का मजा ही कुछ और होता और ये पल का मजा ही कुछ और होता है।

हा भाई तेरे सही है।

सूरज ने रिया का नाम लिया मुझे एक दम पलक की याद आ गई।
मेरा मुंह उतर गया शायद ये बात सूरज ने ये बात जानबूझ कर कही।

सूरज ने मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर कहा बस भाई अब बहुत हुआ।

सूरज- देख 3 दिन से देख रहा हूं तू मुझसे कुछ छिपा रहा है।
सही सही बोल बात क्या नहीं मैं आज से दोस्ती तोड़ दूंगा।

मैं- नहीं भाई ऐसे कुछ नहीं है बस थोड़ी तबीयत खराब है।

सूरज- ठीक है भाई कोई नहीं चल अब घर मुझे देर हो रही.तेरी तबीयत खराब होती तू यहां मेरे साथ नहीं होता.मार्केट जाना कुछ काम है।

अब जल्दी से घर चल,
मैं- यार भाई तुम तो बुरा मान गई बात का ऐसा कुछ नहीं है।
सूरज- देख मुझे देर हो रही तू घर चल सीधे और कुछ नहीं।
इतना कहे कर सूरज वहां से उठ कर जाने लगा।

मन में अगर सूरज भी नाराज हो गया जिंदगी अकेली हो जाएगी दोस्ती में दरार पड़ जाएगी।

मैं भाग कर सूरज का हाथ पकड़ के बोला।
भाई इतनी जल्दी क्यों जा रहा है अभी तो आये हुए।

सूरज भाई मुझे घर का कुछ काम याद आ गया मुझे जाना होगा।

अच्छा सुन ठीक है बताता हूँ पर तू अपने तक ही रखना किसी को बोलना मत।

सूरज हा जल्दी बोल फ़ोन आ रहा है।

मैं- अब बैठ कर 5 मिनट मेरी सुन ले फिर तुझे जहां जाना हो वहां चले जाना।

करीब 1 घंटे तक सूरज को पलक और मेरी पूरी दास्तां सुनाई।

सूरज- हां भाई मैं जानता था कि तू मुझसे कुछ छुपा रहा है।
अच्छा तूने मुझे बताना जरूरी क्यों नहीं समझा जबकी तू रिया को सब कुछ बता चुका है।

मैं- तुझे कैसा मालूम है कि मैं रिया को कुछ बता चुका हूं।
सूरज- भाई वो मेरी बंदी है हम लोग एक दूसरे से कुछ नहीं छिपाते हैं।

मैं- सही है भाई तेरा भी अब जो था मैंने तो बता दिया।
सूरज- भाई इन सब बातों से का एक ही निष्कर्ष है कि तू चुतिया है।

मैं- क्यों भाई,
सूरज- जब लड़की तुझ पे लट्टू हुई जा रही है। तेरे पीछे पागल है जान छिड़क रही है तुझे बिल्कुल उसके इशारे समझ में ही नहीं आ रहे।

मैं- नहीं भाई वो बात नहीं है कि मुझे खुद इस रिश्ते में कोई दिलचस्पी नहीं है।
सूरज- अच्छा जब दिलचस्पी नहीं है तो फिर क्यों 3 दिन मुहु बना घूम रहा है।

तब तो हमारे दिन स्कूल का बाहर, उसका इंतजार कर रहा था।
मैं- आश्चर्य होते हुए तुझे कैसे पता कि मैं स्कूल के बाहर वेट कर रहा था।
सूरज- तुम लोगों को रिया ने देख लिया था.और रिया ने मुझे बताया.
इनता सब बाते में इमोशनल हो गया था बहुत थोड़ी और बात करता तो सीधे रो ही देता।

सूरज- गलती तो तेरी है इसमें उसकी कोई नहीं और सुन एक बार लड़की रूठ जाए तो फिर भाई मन बहुत मुश्किल हो जाता है।

भाई रिया के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े तुझे बता नहीं भाई चॉकलेट, गिफ्ट ड्रेस पता नहीं भाई कितना खर्चा किया था। तब जाके कुछ बात बानी।

सच्ची भाई बहुत नखरे थे उसके पहले दोस्त को मनाया फिर जाके कहीं थोड़ी बहुत बात बनी और तुझे तो पाकी पकाई रोटी मिल रही है फिर भी तेरे नखरे है।

मैं थोडा रोते हुए बोला,

मैं- भाई अब लेक्चर मत दे वैसे भी उसके बिन अब अच्छा नहीं लग रहा है. दिन तो जैसे तैसे कट जाता है लेकिन रात भाई बहुत भारी पड़ती है।

अब करू क्या अब वो मेरा चेहरा भी नहीं देखना चाहती है। सामने से मिलो तो इग्नोर कर देती है लेकिन क्या करु।ना कॉल रिप्लाई ना मैसेज रिप्लाई पूरी तरह से इग्नोर।

सूरज- रोने से कुछ काम नहीं होगा पहले अपने आंसू पोंछ फिर मेरी बात ध्यान से सुन, ऐसे कर भाई कुछ चॉकलेट खरीद और सॉरी ग्रीटिंग कार्ड खरीद अभी तू वैसे भी मौसी के घर जाएगा। जाके पलक के रूम में रख देना।

अगर वो एक्सेप्ट करेगी तो तुझे कॉल आएगी और तू उसे कहीं मिलाने के लिए बुला लेना और,
सुनो जो कुछ भी है तेरे मन में उसके लिए अब तू उसे बता दे क्यू कि इसके अलावा कोई और बिकलप नहीं है।
नहीं तो उसे कोई और उड़ा के ले जाएगा तू बस देखता ही रहियो।

मैं- हां यार इस आइडिया में कुछ तो दम लग रही है तेरे।
सूरज- वैसे अच्छा है कौन वो मुझे तो बता दे.जिसके इतने नखरे हैं।

मैं- रिया की क्लास है तुझे मिला दूंगा किसी दिन (सूरज की मैंने नहीं बताया था कि मेरी मौसी की लड़की है)

शायद अब मेरे दिल का बोझ भी कम हो गया था।

सूरज- भाई तूने मुझे पराया कर दिया पर,
मैं- क्यू भाई क्या हुआ अब,

सूरज- जब तुझे कोई समस्या थी तो तूने मुझे क्यों नहीं बताया और रिया को सब कुछ बता दिया जब मैंने पहले मिला था रिया बाद में।
मैं- भाई ऐसा कुछ नहीं है बस मैंने रिया से थोड़ी मदद मांगी थी और फिर उसके ये कोई भी बात नहीं पता है।

सूरज- अच्छा ऐसा है ठीक है देख ये ट्राई कर नहीं तो फिर कोई दूसरा आइडिया निकालूंगा।
और सुन अगर कोई समस्या हुई तो भाई मेरे साथ शेयर कर कोई ना कोई आइडिया जरूर बताता अगर तूने पहले मुझे बताया होता तो आज ये नौबत ना अति।

मैं- हां यार सही कहा मे चुतिया ही हूं।
सूरज- तो भाई घर चलने का टाइम हो गया है।
मैं- हां भाई चल अब रात भी हो रही है।

6 बज गए थे हम पार्क लोग पार्क से निकल आए क्योंकि 7 बजे पार्क बंद हो जाता है।

पार्क से निकलने के बाद सूरज को छोड़ कर गिफ्ट्स शॉप से चॉकलेट्स खरीदे और मौसी के घर पहुंच गया।

मौसी ने गेट खोला,
मौसी- बहुत देर लागा दी कहा चला गया था।
मैं - दोस्त के यहां रुक गया था तभी देर हो गई।
मौसी- भैया तेरे काफी देर से इंतजार कर रहे है।
मैं - भैया है की चले गय।
मौसी- अभी कमरे में ही लेटे है।
तू ऐसा कर हाथ मुहूं धो लें फिर खाना लगा देती हूं भैया तो खा चुका है तू भी खा ले। सुबह से निकले हो तुम दोनो लोग।
मैं - हां मौसी भूख भी लगाने लगीं है। अच्छा मौसी पलक लौट कर नही आई क्या?
मौसी - आई थी बेटा पर किसी दोस्त का फोन आया और चली गई।
मैं- ठीक है मौसी आप खाना दो लेट हो रहा है मै तब तक अपना मोबाईल ले आता हूं चार्जिंग पर लगा हुआ है।

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