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Incest वो तो है अलबेला (incest + adultery)

क्या संध्या की गलती माफी लायक है??


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Sanju@

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संध्या की आंखो के सामने एक लैंप जलता हुआ दिखा। और उसे उस लैंप की रौशनी में खड़ी दो लड़की दिखी। संध्या उन लड़कियों को देख कर हैरान थी। वो सोचने लगी की ये लड़कियां कौन है? और इस समय यह क्या कर रही है? अपने आप से ही सवाल करती हुई संध्या अपने कदम उन लड़कियों की तरफ बढ़ा दी।


संध्या जब नजदीक पहुंची तो देखी की वो लड़की पायल थी, जो आज लाल रंग के लहंगा पहने सिर पे चुन्नी ओढ़े हाथो में एक थाली लिए खड़ी थी।

संध्या -"अरे पायल, तू यह क्या कर रही है?"

कहते हुए संध्या की नजरे पायल के हाथ में पड़ी थाली पर पड़ी, जिसमे कपूर का दिया जल रहा था।

पायल --"ठाकुराइन जी आप? मैं वो...वो ।"

तभी संध्या ने पायल की आवाज को बीच में काटते हुए बोली...

संध्या --"कुछ बोलने की जरूरत नहीं है पायल, ये वही जगह है ना, जहां तुम और अभय बचपन से भूमि पूजन करते थे।"

संध्या की बात सुनकर पायल थोड़ा मुस्कुरा कर बोली...

पायल --"हां, लेकिन कभी सोचा नहीं था की कभी मुझे अकेले ही करना पड़ेगा।"

कहते हुए पायल की आंखो में आसूं आ गए, ये देख कर संध्या को रोक नहीं पाई और आगे बढ़कर पायल को अपने सीने से लगा लेती है, और वो भाऊक हो कर बोली...

संध्या --"बहुत प्यार करती है ना तू उसे आज भी?"

पायल एक पल के लिए तो ठाकुराइन का इतना प्यार देखकर हैरान रह गई। फिर ठाकुराइन की बातो पर गौर करते हुए बोली...

पायल --"प्यार की होता है, वो तो पता नही । लेकिन उसकी याद हर पल आती रहती है।"

पायल की बात सुनकर संध्या की आंखो में भी आसूं छलक गए और वो एक बार कस के पायल को अपने सीने से चिपका लेती है। ये सब माजरा एक पेड़ के पीछे छिप कर अभय देख रह था।

पायल को पहेली बार उसने देखा था। मासूम से खूबसूरत चेहरे को देखकर अभय की दिल किंधडकन तेज हो गया। उसे वो हर पल सताने लगा जो पल उसने पायल के साथ बिताया था। पायल की हालत उससे देखी नही जा रही थी। वो सोच भी नही सकता था की बचपन का वो एक साथ खेलकूद, एक साथ बिताए पल पायल के दिल में इस कदर बस जायेगा की वो उसे भूल नहीं पाएगी।

पायल की हालत को सोचते हुए, आज पहेली बार अभय के आंखो से भी आसू की धारा बह गई। वो तो बस आज के दिन के अहसास के लिए इस जगह आया था। की वो इस जगह को महसूस कर सके जिस जगह वो बचपन से अपने इस दोस्त के साथ छुप कर अकेले में भूमि पूजन करता था। पर उसे क्या पता था की इस जगह। का अहसास करने वो अकेला नहीं आया था, उसका बचपन को साथी भी था जिसके साथ वो भूमि पूजन करता था।

उसका दिल देह रह कर धड़क रहा था, उसके थामे कदम हर बार आगे बढ़ने को कांपते की जाकर बता दे , की मैं आ गया हु पायल, तेरा वो बचपन का दोस्त, जिसे तू आज भी बुला नही पाई है, जिसका तू आज भी इंतजार करती है, जाता दी की तेरा इंतजार की घड़ी खत्म हो गई है....

हजारों सवालों को अपने दिल से करते हुए अभय के कदम वापस पीछे की तरफ मुड़ चले, वो चाह कर भी न जा पाया बस भीगी पलकों से कुछ दूर चल कर रुकते हुए एक बार बार मुड़ कर पायल की तरफ देखता और जल्द ही वो बाग से बाहर सड़क पर आ गया था।

इधर संध्या पायल को अपने सीने से चिपकाई वो सुर्ख आवाज में बोली...

संध्य --"तू भी मुझसे बहुत नाराज़ होगी ना पायल?"

संध्या की बात सुनकर, पायल संध्या से अलग होते हुए बोली...

पायल --"आपसे नाराज़ नहीं हु मै, हां लेकिन आप जब भी बेवजह अभय को मरती थी ना। तब मुझे आप पर बहुत गुस्सा आता था। कई अभय से पूछती थी की, तुम्हारी मां तुम्हे इतना क्यूं मरती है? तो मुस्कुराते हुए बोलता था की, मारती है तो क्या हुआ बाद उसी जख्मों पर रोते हुए प्यार से मलहम भी तो लगाती है मेरी मां। थोड़ा गुस्से वाली है मेरी मां पर प्यार बहुत करती है। उसके मुंह से ये सुनकर आपके ऊपर से सारा गुस्सा चला जाता था।"

पायल की बातो ने संध्या की आंखो को दरिया बना दी। वो 3के शब्द नही बोल पाई, शायद अंदर ही अंदर तड़प रही थी और रो ना पाने की वजह से गला भी दुखने लगा था। फिर भी वो अपनी आवाज पर काबू पाते हुए बोली...

संध्या --"आज मैं भी तेरे साथ पूजा करना चाहती हूं, क्या तू इजाजत देगी मुझे?"

संध्या की बात सुनकर पायल ने मुस्कुराते हुए अपना सिर हा में हिला दिया,,


______________________________

इधर अभय पूरी तरह से सोच में डूबा था। वो कुछ फैसला नहीं कर पा रहा था की, वो अपनी सच्चाई पायल को बताए की नही, उसका दिल बेचैन था पायल से वो दूर नहीं रह सकता था। पर फिर भी वो खुद के सवालों में उलझ था। अंधेरी रात में वो सड़क पर चलते हुए हॉस्टल की तरफ जा रहा था की तभी वो सड़क के एक नुक्कड़ पर पहुंचा....


उस नुक्कड़ पर एक बूकन थी। जहा पे कुछ गांव के लड़के खड़े थे। अभय के कानो में एक लड़के की आवाज पड़ी...

"यार अजय, कितना सिगरेट पिएगा तू, तेरे बापू को पता चला ना टांगे तोड़ देंगे तेरी।"

अभय के कानो में अजय नाम सुनाई देते ही, वो अजय को देखने लगा, अजय को देखते ही उसी चेहरे पर एक मुस्कान सी फैल गई और खुद से बोला....

"अच्छा, तो मै कुछ दिनों के लिए गांव की छोड़ा, ये इतना बिगाड़ गया। खबर तो लेनी पड़ेगी इसकी......यार जो है अपना।"

खुद से कहते हु अभय उन लडको की तरफ बढ़ा, अभय जैसे ही उनके नजदीक पहुंचा, अजय की नजर अचानक ही अभय के ऊपर पड़ी...

सिगरेट को नीचे ज़मीन पर फेंकते हुए वो झट से बोला...

अजय --"अरे भाई तुम, गांव की तरफ चल रहे हो, वैसे भी आज खास तुम्हारे लिए ही तो प्रोग्राम किया है।"

अजय की बात सुनकर अभय मुस्कुराते हुए बोला......

अभय --"हां प्रोग्राम तो खास है, लेकिन इस बार भी तू ही सरपंच की धोती में चूहा छोड़ेगा...।

"नही देख यार, हर बार मैं ही करता हु इस बार तू...."

कहते हुए अजय चुप हो गया, अजय के चेहरे के भाव इतनी जल्दी बदले की गिरगिट भी न बदल पाए। उसके तो होश ही उड़ गए, सिर चकरा गया और झट से बोला...

अजय --"तू....तुम्हे कै...कैसे पता की मैं सरपंच के धोती में चूहा छोड़ता था।"

अजय की बात सुनकर, अभय ने आगे बढ़ते हुए अजय को अपने गले से लगा लिया और प्यार से बोला...

अभय --"इतना भी नही बदला हूं, की तू अपने यार को ही नही पहचाना।"

गले लगते ही अजय का शरीर पूरा कांप सा गया, उसके चेहरे पर अजीब सी शांति और दिल में ठंडक वाला तूफान उठा लगा। कस कर अभय को गले लगाते हुए अजय रोने लगा....

अजय इस तरह रो रह था मानो कोई बच तो रह था। अभय और अजय आज अपनी यारी में एक दूर के गले लगे रो रह थे।

अजय --"कहा चला गया था यार, बहुत याद आती थी यार तेरी।"

अजय की बात सुनकर, अभय भी अपनी भीग चुकी आंखो को खोलते हुए सुर्ख लहज़े में बोला...

अभय --"जिंदगी क्या है, वो ही सीखने गया था। पर अब तो आ गया ना।"

कहते हुए अभय अजय से अलग हो जाता है, अभय अजय का चेहरा देखते हुए बोला...

अभय --"अरे तू तो मेरा शेर है, तू कब से रोने लगा। अब ये रोना धोना बंद कर, और हा एक बात...."

इससे पहले की अभय कुछ और बोलता वहा खड़े 3 और लड़के अभय के गले लग जाते है...

"मुझे पहेचान....मैं पप्पू, जिसे तुमने आम के पेड़ से नीचे धकेल दिया था और हाथ में मंच आ गई थी।"

पप्पू की बात सुनकर अभय बोला...

अभय --"हा तो वो आम भी तो तुझे ही चाहिए था ना।"

कहते हुए सब हंस पड़ते है....

"मैं अमित, और मै राजू....।"

अभय --"अरे मेरे यारो, सब को पहेचान गया । लेकिन एक बात ध्यान से सुनो,, ये बात की मैं ही अभय हूं, किसीको पता नही चलाना चाहिए।"

अभय अभि बोल ही रहा थे की, अजय एक बार भीर से अभय के गले लग जाता है....

अभय --"कुछ ज्यादा नही हो रह है अजय, लोग देखेंगे तो कुछ और न समझ ले...।

अभय की बात पर सब हंसन लगे....की तभी उस नुक्कड़ पर एक कार आ कर रुकी।

उस कार को देखते ही अभय समझ गया की ये कार संध्या की है। संध्या जैसे ही कार से उतरी उसकी नजर अभय पर पड़ी।

कार से पायल और और उसके साथ उसकी सहेली भी नीचे उतरती है। नुक्कड़ पर लगी बिजली के खंबे में जल रही लाइट की रौशनी में , एक बार फ़िर से पायल का चांद सा चेहरा अभय के सामने था।

पायल को देख कर अभय ठंडी सांस लेने लगता है। उसका पूरा ध्यान पायल पर ही था। अभय को इस तरह अपनी तरफ देख कर पायल भी हैरान हो जाति है।

तभी पायल के पास खड़ी उसकी सहेली बोली...

"देख पायल, यही वो लड़का है जिसकी वजह से हमे हमारे खेत मिल गए।"

अपनी सहेली की बात सुनकर पायल ने कुछ बोलाब्तो नही, पर अपनी करी कजरारी आंखो से एक नजर अभय की तरफ देखती है। पायल की नजर अभय की नजरों से जा मिलती है, दोनो कुछ पल के लिए एक दूसरे को देखते रहते है। संध्या भी जब देखती है की दोनो की नजरे आपस में टकरा गई है तो वो भी चुप चाप कुछ समय के लिए खड़ी रहती है।

संध्या अपनी नज़रे नीचे झुका लेती है और खुद से बोलती है...

"जिसकाबती इंतजार कर रही थी पायल, ये वही है। मैं तो अपने बेटे को चाह कर भी गले नही लगा पा रही हूं, पर तू , तू तो अपने बचपन के प्यार से उसके सीने से लिपट सकती है।"

संध्या यहीबसब सोच हीं रही थी की, तभी पायल सीधा जाकर कार में बैठ जाती है। पायल को अपनी आंखो से ओझल पाते ही। अभय भी भी जमीन पर आबजाता है.....

संध्या ने जब पायल को कार में बैठते देखा तो, उसने अभय की तरफ देखते हुए बोली...

संध्या --"गांव की तरफ जा रहे हो? आओ छोड़ देती हूं मैं।"

संध्या की बात सुनते हुए, अभि एक पल के लिए मुस्कुराया और फिर बोला।

अभि --"शुक्रिया आप का।"

कहते हुए अभि, अजय की तरफ मुड़ते हुए कुछ इशारा करता है। अजय अभि का इशारा समझ जाता है की वो पायल के साथ जा रहा है...

अजय भी मुस्कुराते हुए हां का इशारा करता है...और फिर अभि भी कार में जाकर बैठ जाता है।

अभि कार की आगे वाली सीट पर बैठा था, और पायल कार की पीछे वाली सीट पे। संध्या कार की ड्राइविंग सीट पर बैठी कार को स्टार्ट करते हुए गांव की तरफ बढ़ चलती है।

अभि का दिल बार बार पायल को देखने का कर रहा था। मगर पायल पीछे वाली सीट पर बैठी थी। उसके पास कोई बहाना भी नही था की वो पायल से कैसे बात करे? वो बेचैन था, और उस बेचैनी में वो बार बार कभी इधर देखता तो कभी उधर, मगर पीछे नहीं देख पा रहा था। उसकी बेचैनी संध्या समझ चुकी थी,

संध्या --"अरे पायल, इनसे मिली क्या तुम? ये तुम्हारे कॉलेज में ही पढ़ने आया है। और तुम्हारे ही क्लास में है।"

संध्या का इतना बोलना था की, अभय ने झट से पीछे मुड़ते हुए पायल को देखते हुए बोला...

अभि --"हाय...! तो तुम भी मेरे क्लास में पढ़ती हो?"

अभि का सवाल थोड़ा फनी था, पर उसने जान बूझ कर ये बोला था।

अभि की बात सुनकर पायल अपना मुंह दूसरे तरफ घुमाते हुए विंडो से बाहर देखते हुए बोली...

पायल --"मैं नही, तुम मेरे क्लास में पढ़ते हो।"

पायल की बात सुनकर, अभि मुस्कुराते हुए बोला...

अभि --"अच्छा ऐसा है क्या? वैसे तुम्हारा नाम क्या है?"

पायल अभी भी अभय की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही थी, वो बस विंडो से बाहर ही देखते हुए बोली...

पायल --"लगता है तुम्हे कम सुनाई पड़ता है, अभि ठाकुराइन जी ने मेरा नाम लिया तुमने सुना नही क्या?"

पायल की बात सुनकर, संध्या कुछ बोलना तो चाहती थी। मगर अभय को अपने इतने करीब बैठा और खुश देख कर वो कुछ नही बोली। वो नही चाहती थी की उसकी बातो से अभि का दिमाग खराब हो।

अभि पायल को देखते हुए बोला...

अभि --"हां, वो तो सुना। पर अगर तुम अपने मुंहासे बताती तो मुझे खुशी होती।"

अभि की बात सुनकर पायल कुछ नही बोलती बस विंडो से बाहर ही देखती रहती है....
बहुत ही भावुक लाजवाब और रमणीय अपडेट है तो वो पायल थी जो भूमी पूजन के लिए आई थी अभय भी पायल को देखने के लिए ही आया था संध्या की पायल से मुलाकात और उनकी बातो से अभय को पता चल गया कि पायल उसे कितना चाहती है संध्या को भी अपनी गलती का एहसास हो रहा है लेकिन उसकी गलती कोई गुनाह से कम नहीं है अभय का अपने दोस्तो से मिलना एवं उनका भावुक होना एक मार्मिक चित्रण था खेर देखते हैं आगे क्या होता है
 

Sanju@

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आप पाठको को
उनके सब सवालों के जवाब नहीं दे सकते तो कम से कम अपनी परिस्थितियों और अपडेट देने या न दे सक्ने कि जानकारी देते रहा करो
इससे हम सब में धैर्य बना रहता है

8 साल से Pritam.bs भाई ऐसे ही हम सब को अटकाए हुये हैं :D Koi to Rok lo
Ko to rok lo कहानी का नाम आते ही बहुत दुख होता है 😔😔😔😔😑😔
 

Sanju@

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january 2020 ke bad update nahin sirf vade post kiye hain pritam dada ne
latest wada March 2022 ka tha jo ab tak chal raha hai :peep: :waiting1:
और पता नही कब तक चलेगा..........
 

Danny Die

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तेज हवाऐं चल रही थी। शायद तूफ़ान था क्यूंकि ऐसा लग रहा था मानो अभी इन हवाओं के झोके बड़े-बड़े पेंड़ों को उख़ाड़ फेकेगा। बरसात भी इतनी तेजी से हो रही थी की मानो पूरा संसार ना डूबा दे। बादल की गरज ऐसी थी की उसे सुनकर लोग अपने-अपने घरों में दुबक कर बैठे थे।

जहां एक तरफ इस तूफानी और डरावनी रात में लोग अपने घरों में बैठे थे। वहीं दूसरी तरफ एक बच्चा, इस तूफान से लड़ते हुए आगे भागते हुए चले जा रहा था।

बदन पर एक सफेद रंग का शर्ट और एक पैंट पहने हुए ये लड़का इस गति से आगे बढ़ रहा था, मानो उसे इस तूफान से कोई डर ही नही। तेज़ चल रही हवाऐं उसे रोकने की बेइंतहा कोशिश करती। वो लड़का बार-बार ज़मीन पर गीरता लेकिन फीर खड़े हो कर तूफान से लड़ते हुए आगे की तरफ बढ़ चलता।

ऐसे ही तूफान से लड़ कर वो एक बड़े बरगद के पेंड़ के नीचे आकर खड़ा हो गया। वो पूरी तरह से भीग चूका था। तेज तूफान की वज़ह से वो ठीक से खड़ा भी नही हो पा रहा था। शायद बहुत थक गया था। वो एक दफ़ा पीछे मुड़ कर गाँव की तरफ देखा। उसकी आंखे नम हो गयी, शायद आंशू भी छलके होंगे मगर बारीश की बूंदे उसके आशूं के बूंदो में मील रहे थे। वो लड़का कुछ देर तक काली अंधेरी रात में गाँव की तरफ देखता रहा, उसे दूर एक कमरे में हल्का उज़ाल दीख रहा था। उसे ही देखते हुए वो बोला...

"जा रहा हूं माँ!!"

और ये बोलकर वो लड़का अपने हांथ से आंशू पोछते हुए वापस पलटते हुए गाँव के आखिरी छोर के सड़क पर अपने कदम बढ़ा दीये....


तूफान शांत होने लगी थी। बरसात भी अब रीमझीम सी हो गयी थी, पर वो लड़का अभी भी उसी गति से उस कच्ची सड़क पर आगे बढ़ा जा रहा था। तभी उस लड़के की कान में तेज आवाज़ पड़ी....

पलट कर देखा तो उसकी आँखें चौंधिंया गयी। क्यूंकि एक तेज प्रकाश उसके चेहरे पर पड़ी थी। उसने अपना हांथ उठाते हुए अपने चेहरे के सामने कीया और उस प्रकाश को अपनी आँखों पर पड़ने से रोका। वो आवाज़ सुनकर ये समझ गया था की ये ट्रेन की हॉर्न की आवाज़ है। कुछ देर बाद जब ट्रेन का इंजन उसे क्रॉस करते हुए आगे नीकला, तो उस लड़के ने अपना हांथ अपनी आँखों के सामने से हटाया। उसके सामने ट्रेन के डीब्बे थे, शायद ट्रेन सीग्नल ना होने की वजह से रुक गयी थी।

उसने देखा ट्रेन के डीब्बे के अंदर लाइट जल रही थीं॥ वो कुछ सोंचते हुए उस ट्रेन को देखते रहा। तभी ट्रेन ने हॉर्न मारा। शायद अब ट्रेन सिग्नल दे रही थी की, ट्रेन चलने वाली है। ट्रेन जैसे ही अपने पहीये को चलायी, वो लड़का भी अपना पैर चलाया, और भागते हुए ट्रेन पर चढ़ जाता है। और चलती ट्रेन के गेट पर खड़ा होकर एक बार फीर से वो उसी गाँव की तरफ देखने लगता है। और एक बार फीर उसकी आँखों के सामने वही कमरा दीखता है जीसमे से हल्का उज़ाला था। और देखते ही देखते ट्रेन ने रफ्तार बढ़ाई और हल्के उज़ाले वाला कमरा भी उसकी आँखों से ओझल हो गया.....


--------------

कमरे में हल्की रौशनी थी, एक लैम्प जल रहा था। बीस्तर पर दो ज़ीस्म एक दुसरे में समाने की कोशिश में जुटे थे। मादरजात नग्न अवस्था में दोनो उस बीस्तर पर गुत्थम-गुत्थी हुए काम क्रीडा में लीन थे। कमरे में फैली उज़ाले की हल्की रौशनी में भी उस औरत का बदन चांद की तरह चमक रहा था। उसके उपर लेटा वो सख्श उस औरत के ठोस उरोज़ो को अपने हांथों में पकड़ कर बारी बारी से चुसते हुए अपनी कमर के झटके दे रहा था।

उस औरत की सीसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी। वो औरत अब अपनी गोरी टांगे उठाते हुए उस सख्श के कमर के इर्द-गीर्द रखते हुए शिकंजे में कस लेती है। और एक जोर की चींख के साथ वो उस सख्श को काफी तेजी से अपनी आगोश में जकड़ लेती है और वो सख्श भी चींघाड़ते हुए अपनी कमर उठा कर जोर-जोर के तीन से चार झटके मारता है। और हांफते हुए उस औरत के उपर ही नीढ़ाल हो कर गीर जाता है।

"हो गया तेरा, अब जा अपने कमरे में। मैं नही चाहती की कीसी को कुछ पता चले।"

उस औरत की बात सुनकर वो सख्श मुस्कुराते हुए उसके गुलाबी होठों को चूमते हुए, उसके उपर से उठ जाता है और अपने कपड़े पहन कर जैसे ही जाने को होता है। वो बला की खुबसूरत औरत एक बार फीर बोली--

"जरा छुप-छुपा कर जाना, और हां अभय के कमरे की तरफ से मत जाना।"

उस औरत की बात सुनकर, वो सख्श एक बार फीर मुस्कुराते हुए बोला--

"वो अभी बच्चा है भाभी, देख भी लीया तो क्या करेगा? और वैसे भी वो तुमसे इतना डरता है, की कीसी से कुछ बोलने की हीम्मत भी नही करेगा।"

उस सख्श की आवाज़ सुनकर, वो औरत बेड पर उठ कर बैठ जाती है और अपनी अंगीयां (ब्रा) को पहनते हुए बोली...

"ना जाने क्यूँ...कुछ अज़ीब सी बेचैनी हो रही है। मैने अभय के सांथ बहुत गलत कीया।"

"ये सब छोड़ो भाभी, अब तूम सो जाओ।"

कहते हुए वो सख्श उस कमरे से बाहर नीकल जाता है। वो औरत अभी भी बीस्तर पर ब्रा पहने बैठी थी। और कुछ सोंच रही थी, तभी उसके कानो में ट्रेन की हॉर्न सुनायी पड़ती है। वो औरत भागते हुए कमरे की उस खीड़की पर पहुंच कर बाहर झाकती है। उसे दूर गाँव की आखिर छोर पर ट्रेन के डीब्बे में जल रही लाईटें दीखी, जैसे ही ट्रेन धीरे-धीरे चली। मानो उस औरत की धड़कने भी धिरे-धिरे बढ़ने लगी....
Ye story lamba chalna chahiyr
 

Danny Die

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अपडेट 18



अभि ने देखा की पायल उससे बात करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहीं है। इस पात पर अभी पायल को देखते हुए बोला...

अभि --"लगता है तुम्हें अंधेरे में भी दिखता है? इसीलिए विंडो से बाहर झांकते हुए अंधेरे का लुफ्त उठा रही हो?"

अभय की बात पर संध्या के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई, और वही दूसरी तरफ पायल को गुस्सा आ गया।


पायल --"तुम शांति से बैठ नहीं सकते हो क्या? तुम्हे क्या पड़ी है मैं अंधेरे में देखी चाहे उजाले में?"

पायल का गुस्सा देखकर, अभय मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। पायल की मासूमियत गुस्से में अभि को और भी ज्यादा प्यारी लग रही थी। विंडो से अंदर आ रही हवाएं पायल के घने बालों को इस कदर बार बार बिखरा देती थी, जिसे देख कर अभि का दिल ही थम जाता। अभि का मन पायल को अपनी बाहों में भरने का कर रहा था। वो खुद को रोक नहीं पा रहा था। पर खुद को समझता की अभि वोबसामय नही आया है। अभि को पता था की एक बार के लिए उसके दोस्त इस बात को गुप्त रख सकते है की वो ही अभय है। मगर अगर वो पायल को बता दिया तो, पायल अपने आप को रोक नहीं पाएगी, और शायद अभय भी नही। और इस चक्कर में बात को सामने आने में समय नहीं लगेगा की अभय कौन है?


इधर संध्या गाड़ी चलाते हुए बार बार अभय को देखती, जो अभी चुप चाप शांति से बैठा पायल को दीवाने की तरह देख रहा था। संध्या के चेहरे पर ऐसी मुस्कान शायद ही कभी आई हो। आज वो अपने बेटे को उस नजर से देख रही थी, जो नजर न जाने कब से प्यासी थी। आज अभय भी संध्या को कुछ नही बोल रहा था। शायद उसका पूरा ध्यान पायल पर था। और ये बात संध्या जानती भी थी, मगर फिर भी उसे इस बात की खुशी थी की उसका बेटा आज उसके बगल में बैठा था। संध्या को ऐसा लग रहा था मानो उसकी जिंदगी में कुछ बहार सी आ गई हो। एक नया सा अहसास था उसके दिल में, जो उसे खुशियों में डूबा रही थी।

संध्या को ऐसा लग रहा था की काश ये सफर खत्म ही न हो, वो इसी तरह गाड़ी चलाती रहे और अभय उसके पास बैठा रहे। मगर सफर हो तो था, मंजिल पर आकर रुकना ही था। जो आ चुका था। गाड़ी गांव में दाखिल हुई, चारो तरफ शोर शराबा और जश्न का माहौल था। लोग नाच गा रहे थे। बच्चे खेल कूद रहे थे। पर अभय इस सब चका चौंध से अंजान अभि भी उसके नजरे पायल पर अटकी थी। वो तब होश में आया जब पायल कार से नीचे उतरी। अभि भी बिना देरी के कार से नीचे उतरा और उसकी नजर एक बार फिर से पायल पर अटक गई, लेकिन तब तक वह पर गांव के लोग आ गए थे।

गांव के लोग ने अभय और ठाकुराइन दोनों का अच्छे से सम्मान किया और उनके बैठने के लिए कुर्सी ले कर आए।

संध्या के सामने अभय बैठा था। संध्या की नजरे अभय को ताड़ रही थी तो वही अभय की नजरे पायल को। वो दोनो बात तो गांव वालो से कर रहे थे पर नजरे कही और ही थी।

संध्या अभय को देखते हुए खुद के मन से बोली...

"बेटा एक नजर अपनी मानकी तरफ भी देख लो, मैं भी इसी आस में बैठी हूं। पूरा प्यार प्रेमिका पर ही, मां के लिए थोड़ा भी नही, हाय रे मेरी किस्मत!!"

संध्या अपनी सोच में डूबी अपनी किस्मत को कोस रही थी, तब तक वह अजय और बाकी तीनों दोस्त भी पहुंच जाते है। अजय, अभय के पास आकर खड़ा हो जाता है, अजय भी आज बहुत खुश लग रहा था। जब अजय ने अभय को देखा की उसके नजरे बार बार पायल पे ही जा रही है तो, वो मुस्कुराते हुए पायल की तरफ बढ़ा। और पायल के नजदीक पहुंच कर बोला...


अजय --"क्या बात है पायल? तूने तो उस छोकरे को दीवाना बना दीया है, नुक्कड़ पर से ही उसकी नजर तुझपे ही अटकी है।"

अजय की बात सुनकर, पायल बोली...

पायल --"कोई पागल लगता है, कार में भी मुझे ही घूर रहा था। और अभि भी देखो, सब बैठे है फिर भी बेशर्म की तरह मुझे ही घूर रहा है। बदतमीज है।"

ये सुनकर अजय मन ही मन खुश होते हुए बोला...

अजय --"वैसे, कल मज़ा आएगा।"

पायल --"क्यूं ऐसा क्या होगा कल?"

अजय--"कल कॉलेज में जब ये तुझे इसी तरह घुरेगा, तो तेरा वो शरफिरा आशिक अमन इसकी जमकर धुलाई करेगा, तो देखने में मजा आयेगा।"

ये सुनकर पायल बोली...

पायल --"मुझे तो नही लगता।"

पायल की बात सुनकर अजय थोड़ा जानबूझ कर आश्चर्य से बोला...

अजय --"क्या नही लगता?"

पायल --"यही, की अमन इस पागल का कुछ बिगड़ पाएगा?"

पायल की बात अजय को सुकून पहुंचने जैसी थी, फिर भी वो हाव भाव बदलते हुए बोला...

अजय --"क्यूं? तू ऐसा कैसे बोल सकती है? तुझे पता नही क्या अमन के हरामीपन के बारे में।"

पायल --"पता है, पर उससे बड़ा हरामि तो मुझे ये पागल लग रहा है। देखा नही क्या तुमने इस पागल को? सांड है पूरा, हाथ है हथौड़ा, गलती से भी उस पर एक भी पड़ गया तो बेचारे का सारा बॉडी ब्लॉक हो जायेगा। उस अमन की तरह मुफ्त की रोटियां खाने वालो में से तो नही लगता ये पागल। और वैसे भी वो मुझे देख रहा है तो उस अमन का क्या जाता है?"

पायल की बाते अजय को कुछ समझ नहीं आ रही थी...

अजय --"अरे तू कहेंना क्या चाहती है?तू उसकी तारीफ भी कर रही है और एक तरफ उसे पागल भी बोल रही है। क्या मतलब है...?"

ये सुनकर पायल मुस्कुरा पड़ी.......

पायल को मुस्कुराता देख सब दंग रह गए, सालो बाद पायल आज मुस्कुराई थी...पास खड़ी उसकी सहेलियां तो मानो उनके होश ही उड़ गए हो। अजय का भी कुछ यही हाल था। पायल मुस्कुराते हुए अभि भी अभय को ही देख रही थी।

और इधर पायल को मुस्कुराता देख अभय भी मंगलू और गांव वालो से बात करते हुए मुस्कुरा पड़ता है।

सब के मुंह खुले के खुले पड़े थे। पायल की एक सहेली भागते हुए कुछ औरतों के पास गई, जहा पायल की मां शांति भी थी...

"काकी...काकी...काकी"

उस लड़की की उत्तेजित आवाज सुनकर सब औरते उसको देखते हुए बोली...

"अरे का हुआ, नीलम कहे इतना चिल्ला रही है?"

नीलम ने कुछ बोलने के बजाय अपना हाथ उठते हुए पायल की तरफ इशारा किया...

सब औरते की नजर पायल के मुस्कुराते हुए चेहरे पर पड़ी, जिसे देख कर सब के मुंह खुले के खुले रह गए। सब से ज्यादा अचंभा तो शांति को था, ना जाने कितने सालों के बाद आज उसने अपनी बेटी का खिला और मुस्कुराता हुआ चेहरा देखी थी वो।

शांति --"है भगवान, मैं कही सपना तो नहीं देख रही हूं।"

कहते हुए वो भागते हुए पायल के पास पहुंची...

पायल जब अपनी मां को देखती है तो उसकी मां रो रही थी। ये देख कर पायल झट से बोल पड़ी...


पायल --"मां, तू रो क्यूं रही है?"

शांति --"तू , मुस्कुरा रही थी मेरी लाडो। एक बार फिर से मुस्कुरा ना।"

ये सुन कर पायल इस बार सिर्फ मुस्कुराई ही नहीं बल्कि खिलखिला कर हंस पड़ी। सभी औरते और लड़किया भी पायल का खूबसूरत चेहरा देख कर खुशी से झूम उठी। पायल की जवानी का ये पहेली मुस्कान थी, जो आज सबने देखा था। वाकई मुस्कान जानलेवा था। पर शायद ये मुस्कान किसी और के लिए था...

पायल --"हो गया, मुस्कुरा दी मैंने मेरी मां। अब तो तू रोना बंद कर।"

ये सुनकर शांति भी मुस्कुरा पड़ी, शांति को नही पता था की उसकी बेटी किस वजह से आज खुश है?किस कारण वो मुस्कुरा रही थी? और शायद जानना भी नही चाहती थी, उसके लिए तो सबसे बड़ी बात यही थी की, बरसो बाद उसकी फूल जैसी बेटी का मुरझाया चेहरा गुलाब की तरह खिला था।

अजय को कही न कही पायल की मुस्कान की वजह पता चल तरह था। पर वो ये बात जनता था की, अगर अभय ने उससे अपनी पहेचान गुप्त रखने के लिए बोला है तो, वो कार में अपनी मां और नीलम के सामने अपनी पहेचान पायल को नही बताएगा।

अजय मन में....

"क्या माजरा है? क्या पायल ने अभय को पहेचान लिया है? पर मैं तो नही पहेचान पाया, जबकि अभय मेरा लंगोटिया यार था। क्या पता? वैसे भी पायल और अभय सबसे ज्यादा एक दूसरे के साथ रहते थे, शायद पायल ने पहेचान लिया है। नही तो दुनिया की ऐसी कोई खुशी नही जो पायल के चेहरे की मुस्कान बन सके सिवाय अभय के।"

सोचते हुए अजय की नजर अभय पर पड़ी जो इस वक्त पायल को ही देख रहा था, और नजर घुमा कर पायल की ओर देखा तो पायल अभय को देख रही थी...
Bhai update bahat jald dedo
 

chandu2

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Thank you hemantstar 111, bhai update dene ke liye ummid hai ki ab har roj update aayega bhale hi Chhota ho aur update na de sko to kam se kam reader's ko update kab doge bata hi sakte ho
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Sandhya ko chhoti chhoti bato pr gussa aata hai aur gusse me Sandhya abhay ko mar to deti thi lekin gussa shant hone pr use apni galti ka ahsas hota to abhay ke jakhmo pr rote huye dawa bhi lgati thi aksr yesa hota bhi hai ki ma baap gusse me apne bachcho ko mar dete hai pr galti ka ahsas hote hi apne bachcho se rote huye pyar bhi karte hai aur yhi sab Sandhya bhi abhay ke saath karti thi Sandhya ko to pata hi nahi ki Raman, Lalita aur Aman uske gusse ka fayda uthate hai pr galti janbujhkar kiya ho ya anjane me galti galti hi hota hai aur abhay Sandhya ko uski galti ki Saja bhi jarur dega. Aur ho sakta hai ki jab abhay ko marne ke baad Sandhya gusse me apne room me thi to Raman Sandhya ke pass gya ho to Raman ke jakhmo ko dekh kar dawa lgate time bahk gai ho kyoki Sandhya ne kafi salo se kisi mard ko chhui nhi thi aur anjane me chud gai aur jab apni galti ka ahsas hua to Raman ko sab band karne ko boli kyoki koi bhi insaan ki ek galti use pura galat nhi sabit kar sakta
अभय मार खा कर नही भागा है, ये तो निश्चित है।

और बाकी अवैध संबंधों की बात से भागा है तो वो भी एक बार ही हुआ लगता है। इसीलिए उलझा हुआ है ये सब।
 
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