संध्या जेड2"मेरी जिंदगी जहन्नुम बन चुकी है, कुछ भी नही रहा, मैं कुछ भी कर सकती हूं।"
रहा की मैं उसको करने के बाद
संध्या --"अभय कोरे और तेरे रिश्ते के बारे में कैसा पता चला?"
KItne typoo karoge bhai, bahoot typoo dikha aaj ke update mein flow bigadta hai apna
जब से अभय घर छोड़ कर भाग था, उसके बाद से शायद आज संध्या पहेली बार अभय के कमरे में आई थी
Ye line to clear hi kar diya ki "Writer sahab sahi mein chutiya dikha rahe hai maa ke character ko"
अब तक तो मै समझाती थी की, वो मुझसे इसलिए नाराज था या घर छोड़ कर भाग था की, मैं उसे पिटती थी। मगर आज उसके आखिरी शब्द ने वो असलियत बयान कर दी की, वो मुझसे दूर क्यूं भागा ? मेरी जिस्म की आग ने मेरा सब कुछ डूबो दिया। काश मैं उसे समझा पाती की कुछ समय के लिए मैं बहक गई थी। खुद में नही थी। कैसे समझाऊंगी उसे, घिनौना काम तो घिनौना ही होता है चाहे लंबे अरसे का हो या कुछ समय का। हे भगवान.....अब तो मैं उसे अपना मुंह भी दिखाने के लायक नही रही । क्या करूं.... कहां जाऊं।"
Ok ye Sandhya ki soch hai par Writer ki soch nahi honi chahiye kyunki kahani ke hisab se Abhay ke ghar chhod ke jaane ka sabse bada reason hai uske maa ka kam pyaar aur uske parivaar ka galat vyavhaar uske prati, na ki apne devar ke saath sona, Update 20 mein Raman ne Abhay ke dimag apni baaton se bhara tha jisse wo bhaga hai ghar chhod ke
Update 20 - रमन --"देख बेटा, मैं तेरी भलाई के लिए ही बोल रहा हूं। क्यूंकि तू मेरा भतीजा है?तेरी मां ने खुद मुझसे कहा है की, तू उसकी औलाद है जिसे वो पसंद नही करती थी, इसीलिए वो तुझे भी पसंद नही करती। अब देख तू ही बता वो मुझसे प्यार करती है इसीलिए मेरे बेटे अमन को भी खूब प्यार करती है। अगर तुझे फिर भी यकीन नही है तो। 1 घंटे बाद, वो अमरूद वाले बगीचे में अपना जो पंपसेट का कमरा है ना, उसमे आ जाना। फिर तू देख पाएगा की तेरी मां मुझसे कितना प्यार करती है??
रमन --"अरे कैसा संबंध, तुम तो ऐसी बात कर रही हो जैसे हमारा बरसो पुराना प्यार चल रहा हो,। कुत्ते की तरह तुम्हारे पीछे लगा रहता था। कर तुम्हे नही पता की हमारा कितने दिन का संबंध था? बगीचे का वो दिन याद है, क्या बोली थी तुम? निरोध नही है तो नही करेंगे, इसको तुम संबंध कहती हो। फिर उसके बाद उस रात किसी तरह मैंने तुम्हे एक बार फिर मनाया, सोचा रात भर प्यार करूंगा इसके लिए निरोध का पूरा डब्बा ले आया। पर फिर तुमने क्या बोला? हो गया तेरा...अब जा यह से, और थोड़ा बच बचा कर जाना कही अभय ना देख ले। एक पल के अहसास को तुम संबंध कहती हो, साला वो निरोध का डिब्बा आज भी वैसे ही पड़ा है। और तुम संबंध की बात करती हो।"
ललीता --"एक बार किस्मत मेहरबान हुई थी तुम पर, पर क्या हुआ ?? तुम्हारे लंड पर चढ़े उस निरोध ने तुम्हारी भाभी की गर्म और रसभरी चूत का मजा चख लिया, और अब तो तुम्हे उस चूत का मूत भी नसीब होने रहा।"
Raman wale line se kuch baatein clear hoti hai jaise Raman ka aur Sandhya ka SEX jyada hua nahi ya ho sakta hai HUA HI NAHI, aur Laita wale line se baat samajh mein ati hai ki Raman ka sex hua hai lekin wo bhi ek baar, isme dilchasp baat ye janni hogi ki kya Sandhya apne Pati ke rahte huye ye sab karti thi? i dont think ki aisa kuch hoga aur shayad kuch hint bhi us papa wale flashback me ho par aisa to kuch yaad nahi aa raha hai
संध्या --"मैं यहां तुम्हारा बकवास सुनने नही बैठी हूं, और एक बात। उस रात तो अभय घर आया ही नहीं, मतलब उसने हम्बदोनो को बगीचे में ही देखा था।"
Sandhya ki character ko chutiya banaya gaya hai iska matlab Sandhya abhi bhi Abhay ke bachpan ke dard ko samajh nahi paa rahi hai usko lagta hai Abhay uske galat rishte ko leke ghar chhod ke gaya hai, jabki dusre taraf Abhay ke pass bahoot reason hai ghar chhod ke jaane ke, Uska bachpan barbaad hua tha, itne torture jhelne ke baad bhi wo ek baat dil me basaaye the ki uski Maa usse bahoot pyaar karti hai lekin Raman ke baaton mein aane ke baad use aisa lagne lagaki uski ek apni maa bhi jo thi wo ab nahi hai is duniya mein....
Ye to ho gaya Sandhya aur Raman ki bakchodi jo ki jyada khass nahi hai kahani mein bas readers ka man bichlit karne ke liye aise angle bana ke update me diye ja rahe hai
asli mamla to Jaydaat ka hai maine to pahle bhi bola tha review mein, ghuma fira kar baat jaydaat mein hi ayegi, sawal bahoot se hai dekhna rahega kahani ko aur kis kis angle mein modte hai hamare writer sahab