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Incest शक का अंजाम

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aamirhydkhan

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शक का अंजाम - by pratima kavi

यह कहानी हैं एक लड़के प्रशांत की। आप उसी के नज़रिये से यह कहानी पढिये।
दोस्तो ये कहानी मैंने अन्यत्र पढ़ी अच्छी लगी इसीलिए इस कहानी को मैं यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ असली लेखक के बारे में पता नहीं चला .. किसी को पता हो तो जरूर कमेंट कीजियेगा ..

परिचय
प्रशांत २३ साल का नौजवांन माँ बाप का इक्लौता लड़का और गर्ल फ्रेंड बनाने के चक्कर में कभी नहीं पड़ा क्योंकि बहुत शर्मीला है । कॉलेज ख़त्म होते ही पास के बड़े शहर में जॉब लग गयी और माँ बाप का घर छोड़ कर नए शहर में रहने लगा।

नीरू- प्रशांत की पत्नी खूबसूरत फिगर एकदम पेरफ़ेक्ट। चुलबुली, बब्बली सी लड़की अपनी शरारत और नटखटपन नहीं भूली थी

ऋतु नीरू की बड़ी दीदी है। ऋतु दीदी निरु से ७ साल बड़ी हैं और उनकी शादी करीब ६-७ साल पहले नीरज जी से हुयी थी।

नीरज ऋतु दीदी के पति है।


INDEX




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xxxlove

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Update please.......
Bahut hi shandaar tareeke se kahani aage badha rahe ho bhai.
You rock bhai..
Waiting for next update
 

aamirhydkhan

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शक का अंजाम

PART 3

UPDATE 49
मूल लेखक ने ये स्टोरी जिस जगह समाप्त की है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक अपडेट देने की । एक पाठक (जिन्होने अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा, इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है भाग 3 Update 49. ( New-13)


नीरू अगली सुबह आफिस के लिए निकली, उसके मन में कई सवाल थे कि क्या प्रशांत आज भी उसके आफिस के बाहर उसका इंतजार करेगा। प्रशांत डेढ साल तक क्यो नहीं आया ये तो समझ में आ गया क्योंकि वो इंडिया में ही नहीं था। लेकिन मैं उसे पहचान क्यो नहीं पाई। शादी में भी उसे नहीं पहचान पाई वो तो अच्छा था कि शादी में मैं प्रशांत के सामने नहीं गई नहीं तो वो तो एक झटके में ही मुझे पहचान लेता।

आफिस में नीरू का मन नहीं लग रहा था वो सोच रही थी कि शाम जल्दी हो शाम को नीरू आफिस से निकलती है और फिर आफिस के बाहर चारों ओर देखती है। लेकिन उसे प्रशांत कहीं दिखाई नहीं देता फिर सोचती है कि प्रशांत के घर में शादी की खुशियां मनाई जा रही हैं शायद वो इसलिए नहीं आया हो। नीरू खुद को समझाती हैं। लेकिन उसके मन में बेचैनी बनी रहती है। पर उसमे अभी प्रशांत से सीधे बात करने को झिझक थी और वो सीधे बात करने और प्रशांत को फ़ोन करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी.

इस तरह चार दिन बीत जाते हैं। नीरू रोज आफिस से निकलने के बाद थोडा देर रूकती थी और चारों ओर देखती थी। लेकिन नीरू को ये अभी तक जानकारी नहीं थी कि प्रशांत का आफिस दूसरे शहर में हैं। उसकी ब्रांच जरूर इस शहर में थी और वो प्रशांत के अंडर में ही थी। लेकिन प्रशांत इस ब्रांच का काम भी अपने आफिस से ही देख रहा था। वो अब सिर्फ शनिवार को ही नीरू के आफिस आता था।

प्रशांत का मकसद अब नीरू से मिलना नहीं बल्कि अपने बच्चे को देखना था। क्योंकि अभी तक प्रशांत ये ही मान रहा था। कि नीरू और नीरज के बीच जिस्मानी रिश्ते कायम हो चुके हैं। किस्मत का खेल भी अजीब होता है शनिवार शाम को प्रशांत नीरू के आफिस के बाहर पहुचता है लेकिन उसी दिन ऋतु का फोन नीरू के पास आता है कि वो आज दोपहर को उसके घर आएगी। इसलिए नीरू लंच के बाद आफिस से छुट्टी ले ले। नीरू लंच के बाद ही घर के लिए निकाल जाती है और शाम को जब प्रशांत नीरू के ऑफिस पहुंचता है तो वहां उसे नीरू नहीं मिलती

। ऋतु लगातार नीरू से प्रशांत के बारे में फोन पर पूछती रहती थी लेकिन नीरू का हर बार जबाव एक ही होता था कि प्रशांत आज भी नहीं आया।

ऋतु : नीरू ऐसा तो नहीं कि तेरी ही नजर प्रशांत पर नहीं पड रही हो वो आता हो लेकिन कहीं छिपा हो।

नीरू : नहीं दीदी मैं आमतौर पर आफिस से निकलती और सीधे आटो लेकर पहले क्रेच जाती और वहां से घर, लेकिन पिछले पांच दिनों से मैं आफिस के बाहर पांच दस मिनिट प्रशांत का इंतजार करती हूं लेकिन वो दिखाई ही नहीं देता। अब वो छिपकर मुझे देख रहा है तो बात अलग है लेकिन अभी तक प्रशांत ने कभी भी मुझसे छिपने की कोशिश नहीं की है।

ऋतु : अब इसके पीछे क्या है ये तो प्रशांत ही जाने मैं क्या कह सकती हूं।

नीरू : हां, आपकी बात भी सही है लेकिन दीदी उस दिन जो बात आपने अधूरी छोडी थी उसे पूरा कीजिए।

ऋतु : कौन सी बात

नीरू : वो आखिर अविनाश आपकी इतनी मदद क्यों कर रहा है। जहां तक मैंने सुना है वैसे आपने ही बताया था कि उसकी आप के उपर गंदी नजर थी। और वो रोज रात को किसी न किसी लडकी को अपने साथ चुदाई करता था। इतना अय्याश आदमी आखिर आपकी इतनी मदद क्यो कर रहा है।

ऋतु : देख मैं तुझे सबकुछ बता दूूंगी लेकिन तुझे वादा करना होगा कि तू ये बात किसी को नहीं बताएगी। किसी को भी नहीं और किसी भी कीमत पर।

नीरू के मन में शंका होती है कि कहीं कुछ तो गडबड है। लेकिन वो ऋतु से कहती है कि वो वादा करती है ये बात वो किसी को नहीं बताएगी। अब आप पूरी बात सच सच बताइए।

ऋतु : देख नीरज के आफिस के पास ही एक एमएनसी कंपनी का आफिस है। ये बात तीन साल पुरानी है। उस समय वो ऑफिस नया नया शुरू हो रहा था। उस कंपनी का मुख्य आफिस फ्रांस में हैं और अविनाश वहीं काम करता हैं। लेकिन जब इंडिया में कंपनी ने काम शुरू किया तो इम्प्लाइयों को ट्रेर्निंग देने के लिए वहां से चार लोग आए थे। तीन फ्रांस के ही थी ओर चौथा अविनाश था। अविनाश इंडिया का था इसलिए कंपनी ने उसे भेजा था। ताकि बाकी टीम के सदस्यों को इंडिया में कोई परेशानी हो तो अविनाश की मदद ली जा सके। अविनाश के रिश्तेदार भी यहां पर जॉब करते हैं और आपको मैंने पहले ही बताया कि वो टेलीफोन कंपनी में मैनेजर हैं। उनकी मदद से ही नीरज की कॉल डीटेल निकलवा पाई।

नीरू : हां ये तो आपने बताया था आगे बताइए।

ऋतु : अविनाश यहां आया और कंपनियों की ट्रेर्निंग शुरू हो गई। कुल छह महीने की ये ट्रेर्निंग थी उसके बाद जो लोग फ्रांस से आए थे उन्हें वापस जाना था। ट्रेर्निंक शुरू हुए दो सप्ताह हुए थे कि एक दिन आफिस के पास बने टी स्टॉल पर अविनाश और नीरज की मुलाकात हो जाती है। उसके बाद आठ दिन तक रोज टी स्टॉल पर ही उनकी बातचीत होती रहती हैं। और दोनो दोस्त बन जाती हैं। फिर एक दिन अविनाश नीरज से कहता है।

अविनाश : नीरज जी आप तो यहां के लोकल के रहने वाले हैं। यहां सबको जानते होंगे।

नीरज : हां इस शहर के बारे में मुझे बहुत कुछ पता है। कोई काम हो तो बताएगा।

अविनाश : वो काम तो है लेकिन हम लोग गाडी में बैठकर बात करते हैं।

नीरज : कोई सीक्रेट बात है।

अविनाश : हां ऐसा ही मान लो। मेरे रिश्तेदार भी यहां रहते हैं लेकिन मैं इस काम में उनकी भी मदद नहीं ले सकता।

नीरज : ठीक है चलो गाडी में बैठकर बात करते हैं। और वो अविनाश की गाडी ेमं बैठ जाते हैं।

अविनाश : देखों यार मैं और मेरे तीन साथी एक महीने से यहां हैं।

नीरज : जी मालूम हैं। और अभी पांच महीने और आप लोगों का काम चलेगा।

अविनाश : हां यार, देख ये बात किसी को बताना नहीं।

नीरज: आप बताइऐ तो सही

अविनाश : यार मेरे साथी लडकी की डिमांड कर रहे हैं। उनमें से एक मेरा सीनियर है। पिछले सात आठ दिन से वो मुझसे रोज कह रहा है तेरे यहां का होने का कोई फायदा नहीं है। मैंने तुझे इस लिए अपने साथ चलने के लिए चुना कि तू यहां के बारे में सबकुछ जानता होगा। लेकिन यार मैंने कभी इस तरह का काम नही किया है।

अविनाश नीरज से साफ साफ झूठ बोल रहा था। उसके किसी सीनियर ने लडकी की डिमांड नहीं की थी बल्कि अविनाश को इसकी जरूरत महसूस हो रही थी। लेकिन अविनाश को ये मालूम था कि उसके साथी अय्याश है यदि मौका मिलेगा तो वो लोग चूकेंगे नहीं।

नीरज : कुछ देर सोचते हुए आपका काम तो हो जाएगा। मेरे पास एक आदमी है वो इस तरह का काम करता है लेकिन वो लडकियां किसी भरोसे के बंदे को ही भेजता है। पुलिस बगैरह का चक्कर रहता है और उसके पास हर तरह की हर उम्र की लडकी और सभी मिल जाएंगी। स्कूली लडकी से हाउस वाइफ तक।

अविनाश : यार कोई हाउस वाइफ मिल जाए तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि तू अंग्रेजों को जानता है नई लडकी होगी तो शायद तीन तीन लोगों को झेल ना पाए।

नीरज : ठीक है में बात करके आपको कल बताता हूं।

अविनाश : ठीक है कल जरूर बताना

दूसरे दिन फिर टी स्टॉल पर वो लोग मिलते हैं।

अविनाश : आईए नीरज जी कुछ बात हुई मामला जमा

नीरज: हां बात हो गई है, पहले तो मुन्ना (मुन्ना कालर्गल सप्लायर था) अनजान लोगों के पास लडकी भेजने को तैयार नहीं था। लेकिन जब मैंने उससे कहा कि मैं ही लडकी बुला रहा हूं और मैं भी उसकी चुदाई करूंगा। मुझे अपने और अपने दोस्तों के लिए लडकी चाहिए। तो वो तैयार हो गया।

अविनाश : अरे इसमें कौन सी बात हैं आप भी चुदाई कर लेना चार की जगह हम पांच लोग हो जाएंगे।
नीरज : अरे मैंने तो उससे इसलिए कहा था ताकि आप लोगों को लडकी मिल जाए। वैसे मेरी शादी हो गई है और मेरी बीबी है इसलिए मुझे इसकी जरूरत नहीं पडती।

अविनाश : यार कभी टेस्ट भी बदल लिया गया। एक ही खाना खाते खोते बोर हो जाते हैं। एक काम कर मुन्ना को फोन कर चार लडकियां बुक कर लें। लेकिन पहले फोटो बगैरह भिजवा देना।

नीरज : इसके बाद मुन्ना को फोन लगता है। थोडी देर बाद ही नीरज के फोन पर दो लडकियों के फोटो आ जाते हैं।

अविनाश :यार ये तो दो ही हैं।

नीरज मुन्ना को फोन करता है तो मुन्ना कहता है कि रात के लिए सिर्फ ये दो लडकियां अभी एबीलेबिल हैं। और इनका रेट 4000 एक लडकी का है। अविनाश के कहने पर नीरज दोनों लडकियों को बुक कर देता है। इस तरह से नीरज और अविनाश की दोस्ती और मजबूत होती चली जाती है।

आमतौर पर नीरज कालगर्ल सिर्फ बुक करवाने में अविनाश की मदद करता था। हां एक दो बार उसने अविनाश के साथ कालगर्ल की चुदाई भी की। लेकिन नीरज बहुत कम ही इस मामले में अविनाश के साथ रहता था। अविनाश भी ये जाहिर करता था कि लडकियां वो अपने लिए नहीं अपने सीनियर के लिए मंगाता है। और बहुत ही कम जब बहुत मन होता है तभी वो किसी कालगर्ल की चुदाई करता है।

फिर एक दिन
अविनाश : यार नीरज तू कभी मुझे अपने घर नहीं बुलाता।

नीरज : यार वैसे भी एक ही दिन की छुट्टी होती है और उस दौरान अधिकांश हम लोग पार्टी करते हैं।

अविनाश : अरे शाम के समय तो हम लोग रोज फ्री रहते हैं। और बहुत दिनों से घर का खाना भी खाने को नहीं मिला है। यदि शाम को घर का खाना खाने को मिल जाए तो मजा आ जाए। क्योंकि होटल का खाते खाते बोर हो गया हूं। अभी चार महीने और हैं।

नीरज के मुंह से अचानक निकल जाता है कि कोई बात नहीं यदि घर का ही खाना खाना है तो शाम को मेरे साथ चला कर ऋतु तेरे लिए भी खाना तैयार कर देगी।

अविनाश : यार ये तो बहुत अच्छा होगा। लेकिन तूझे इसके बदले में पैसे लेने होंगे।

नीरज : यार मैं एक दोस्त को घर बुला रहा हूं।

नीरज को नहीं पता था कि वो दोस्त के रूप में शैतान को अपने घर दावत पर बुला रहा है। जो उसकी बीबी को रंडी की तरह इस्तेमाल करने वाला है। और इसके बाद नीरज ऋतु को फोन कर बता देता है कि उसका दोस्त आज शाम को खाने पर घर आएगा। शाम को नीरज अविनाश को अपने ही साथ लेकर घर पहुंचता है। ऋतु उनका स्वागत करती है। ऋतु को देख अविनाश की आंखों में चमक आ जाती है। लेकिन जल्दी ही वो ऋतु पर से अपनी नजरें हटा लेता है। खाना खाते समय भी उनके लोगों के बीच सामान्य बातें ही होती है।

अविनाश : भाभी आपने हाथों में तो जादू हैं सालों बाद इतना टेस्टी खाना मिला है। फ्रांस जाने के बाद तो ऐसे खाने का टेस्ट ही भूल गया था।

नीरज : एक काम कर तू शादी कर ले उसके बाद तुझे ऐसा खाना रोज मिलेगा।

अविनाश : जरूरी नहीं जिससे शादी होगी उसके हाथों में ऐसा ही स्वाद हो।

नीरज : ये तो किस्मत वाली बात होती है।

खाना खाने केे बाद भी अविनाश ऋतु के द्वारा बनाए खाने की तारीफ करता है और कहता है पता नहीं अब कब इस तरह का खाना नसीब हो।

नीरज : यार एक काम कर जब तक तू यहां हैं तब तक मेरे घर पर ही खाना खा लिया कर।

अविनाश : यार रोज रोज अच्छा नहीं लगेगा। यदि तू पैसे ले तो सोच सकता हूं।

नीरज : नहीं याद दोस्ती में पैसे की बात अच्छी नहीं लगती है और खाने में कितना खर्च होगा।

अविनाश : ठीक है तो फिर यदि मैं आप लोागोंं को कभी कुछ दूं तो आप लोग मना नहीं करेंगे।

नीरज : ठीक है। क्यों ऋतु तुम्हारा क्या विचार है।

ऋतु : आप सही कह रहे हैं। इस बहाने आप भी घर जल्दी आ जाया करेंगे।

इसकेे बाद अविनाश रोज शाम को खाने पर हमारे घर आने लगा। 15 दिन बीतते बीतते मेरी भी अविनाश से अच्छी पहचान हो गई। लेकिन वो कभी भी अश्लील बातें मेरे सामने नहीं करता था। इस तरह एक महीना हो गया और एक महीने बाद अविनाश मेरे लिए एक महंगी साडी और नीरज के लिए पेंट शर्ट लाया। हम लोगों ने बहुत मना किया लेकिन वो माना नहीं इसलिए उसकी बात रखने के लिए हमने उसकी गिफ्ट रख ली। इसके बाद हर चौथे पांचवे दिन वो घर की जरूरत का कोई न कोई सामान ले आता था। अब तक मैं भी अविनाश से काफी बातें करने लगी थी। कई बार ऐसा भी होता था खाना खाते समय या उससे पहले या बाद में हम लोग साथ बैठे होते थे और नीरज का फोन आ जाता था तो कई बार वो बाहर फोन पर बात करने चला जाता था। उस दौरान हम लोग आपस में नार्मल बातें करते रहते थे। अविनाश ने कभी भी कोई गलत हरकत मेरे साथ नहीं की।

ये वो समय था जब मेरी सैक्स वाली बीमारी अपने चरम पर थी। वो तो रोज नीरज सुबह शाम मेरी चुदाई करता था इस कारण इसका ज्यादा असर मेरे दिमाग पर नहीं पड रहा था। लेकिन कभी कभी दोपहर को चुदाई की इच्छा होती थी लेकिन उस समय मुझे अपने उंगुलियों से ही काम चलाना पडता था। कई बार अविनाश अपने साथ कंपनी की फाइलें भी साथ लाता था और समय मिलने पर मेरे घर पर ही उसमें कुछ करता रहता था। शायद ऑफिस का काम करता था। एक महीने होते होते हम लोग काफी खुलकर बात करने लगे थे। यहां तक अविनाश कई बार फोन कर ये पूछ लेता था कि भाभी जी शाम को खाने में क्या बना रही हैं। हल्की फुल्की बातें ही हमारे बीच में होती थी। एक दिन नीरज को की कोई मीटिंग थी वो सुबह जल्दी निकल गया था। नीरज को गए हुए एक घंटा हुआ था कि उसका फोन आता है।

नीरज : अरे ऋतु वो अविनाश कल एक फाइल लाया था उसके आफिस की थी। देखों वहां टेबिल के आसपास रखी हागी।

ऋतु : थोडी देर बाद जवाब देती है यहां सोफे पर रखी हुई है।

नीरज : यार अविनाश का फोन आया था एक्चुअली में ये फाइल बहुत जरूरी थी। अब मैं तो निकल आया हूं। अविनाश अपने आफिस से किसी को भेजेगा उसे ये फाइल दे देना।

ऋतु: ठीक है कब तक आएगा।

नीरज : अभी पता करके बताता हूं। और थोडी देर बाद फोन करके कहता है कि दोपहर 2 बजे के करीब वो किसी आदमी को भेजने की बात कर रहा है।

मैंने सोचा कि दो बजने में तो चार घंटे हैं तो तब तक जरूरी काम निपटा लिए जाएं। 11 बजे के करीब मैं नहाने के लिए चली गई। नीरज किसी काम को लेकर थोडा परेशान था इसलिए दो दिन से हमारे बीच सेक्स बंद था। और जब भी नीरज मेरी चुदाई एक दिन भी नहीं करता था तो दूसरे दिन मुझे बेचैनी होने लगती थी। मेरा शरीर गरम हो रहा था तो सोचा नहाने से आराम मिलेगा और मैं शॉवर के पानी से नहाने लगी। लेकिन मेरे शरीर की प्यास बढती जा रही थी। मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने अपनी चुत में उंगली डाल कर उसे शांत करने की कोशिश की। लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था।

अभी 15 मिनिट ही हुए थे कि दरवाजे की घंटी बजी। मैंने सोचा इस समय कौन हो सकता है। क्योंकि आमतौर पर इस समय कोई आता नहीं था। फिर ध्यान आता है शायद मीटर रीडिंग वाला होगा। उसके आने का टाइम भी हो गया था। मीटर तो बाहर ही लगा था लेकिन वो बिल देने के लिए गेट जरूर खुलवाता था। ये सोचकर मैंने जल्दी से तोलिया से खुद को पीछा और एक गाउन डाला जो घुटनों तक ही था। शरीर गीला होने के कारण गाउन शरीर से चिपक गया और मेरे निप्पल साफ साफ दिख रहे थे। मैंने इस पर गौर नहीं किया और दरवाजा खोल दिया। दरवाजा खोला तो सामने अविनाश खडा था।

दरवाजा खुलते ही अविनाश अंदर आ जाता है और जब उसकी नजर मुझ पर पडती हैं। तो उसकी आंखे चौंडी हो जाती है। थोडी देर तक वो मुझे देखता रहता है।

ऋतु : ऐसे क्या देख रहे हो अविनाश जी

अविनाश : अपनी नजरें हटाते हुए वो कुछ नहीं आप कितनी खूबसूरत है ये मुझे पता नहीं था पहली बार आपको इन कपडो में देखा है।

अविनाश की बात सुनकर मुझे भी अहसास होता है कि इस समय मैं सिर्फ एक शर्ट गाउन पहले हुए हूं। लेकिन स्थिति ये थी कि अभी मैं कपडे भी नहीं बदल सकती थी। मैं अविनाश को जल्दी से जल्दी भगाना चाहती थी इसलिए तुरंत फाइल उठा कर उसे देते हुए बोली ये लीजिए आपकी फाइल।

अविनाश : फाइल देखते हुए ऋतु जी इसके साथ एक फाइल और थी। फाइल क्या वो छोटी सी डायरी भी थी।

ऋतु : लेकिन मुझे तो ये ही मिली थी।

अविनाश : जहां फाइल रखी थी उसके आसपास ही कहीं होगी।

ऋतु : फाइल तो सोफे पर रखी थी।

अविनाश : वहीं आसपास देख लीजिए।
मैंने फाइल देखी लेकिन वो कहीं नहीं मिली। सोफे को सरका कर देखा अलमारी के उपर भी देख लिया। लेकिन फाइन नहीं मिली। इस बीच अविनाश में मुझे मेरे बदन के जो हिस्से नंगे थे वहां छू दिया और वो मुझे बार -बार किसी न किसी बहाने से छूने लगा । मैं पहले से ही गरम थी और अविनाश के इस तरह टच करने से मैं अपने होश खोते चली जा रही थी। और उसके बाद

नीरू : उसके बाद क्या हुआ दीदी

ऋतु : उसके बाद वो हो गया जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। तू मुझे बुरा मत समझना उस समय मैं सैक्स को लेकर पागल हो जाती थी। इस उन्माद को मनोविज्ञान की भाषा में निंफोमेनिया कहते हैं। यह एक ऐसा डिसऑर्डर है जिसमें सेक्स करने की इच्छा बहुत तीव्र होती है। ये स्त्रियों को ऐसी बिमारी हैं जिसमे मुझमें अनितनतरित कामोन्माद पैदा हो जाता था और उस समय मुझे सेक्स चाहिए होता था जिसमें मैं उस समय सेक्स करने के लिए परेशान रहती थी । क्योंकि इसको लेकर मेरा अडिक्शन हद से अधिक बढ़ चुका होता था । मैं चाहकर भी अपनी इस इच्छा पर नियंत्रण नहीं रख पाती थी और सेक्स मेरी नियमित जरूरत बन गया था ।

जारी रहेगी
 

Raj_Singh

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शक का अंजाम

PART 3

UPDATE 49
मूल लेखक ने ये स्टोरी जिस जगह समाप्त की है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक अपडेट देने की । एक पाठक (जिन्होने अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा, इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है भाग 3 Update 49. ( New-13)


नीरू अगली सुबह आफिस के लिए निकली, उसके मन में कई सवाल थे कि क्या प्रशांत आज भी उसके आफिस के बाहर उसका इंतजार करेगा। प्रशांत डेढ साल तक क्यो नहीं आया ये तो समझ में आ गया क्योंकि वो इंडिया में ही नहीं था। लेकिन मैं उसे पहचान क्यो नहीं पाई। शादी में भी उसे नहीं पहचान पाई वो तो अच्छा था कि शादी में मैं प्रशांत के सामने नहीं गई नहीं तो वो तो एक झटके में ही मुझे पहचान लेता।

आफिस में नीरू का मन नहीं लग रहा था वो सोच रही थी कि शाम जल्दी हो शाम को नीरू आफिस से निकलती है और फिर आफिस के बाहर चारों ओर देखती है। लेकिन उसे प्रशांत कहीं दिखाई नहीं देता फिर सोचती है कि प्रशांत के घर में शादी की खुशियां मनाई जा रही हैं शायद वो इसलिए नहीं आया हो। नीरू खुद को समझाती हैं। लेकिन उसके मन में बेचैनी बनी रहती है। पर उसमे अभी प्रशांत से सीधे बात करने को झिझक थी और वो सीधे बात करने और प्रशांत को फ़ोन करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी.

इस तरह चार दिन बीत जाते हैं। नीरू रोज आफिस से निकलने के बाद थोडा देर रूकती थी और चारों ओर देखती थी। लेकिन नीरू को ये अभी तक जानकारी नहीं थी कि प्रशांत का आफिस दूसरे शहर में हैं। उसकी ब्रांच जरूर इस शहर में थी और वो प्रशांत के अंडर में ही थी। लेकिन प्रशांत इस ब्रांच का काम भी अपने आफिस से ही देख रहा था। वो अब सिर्फ शनिवार को ही नीरू के आफिस आता था।

प्रशांत का मकसद अब नीरू से मिलना नहीं बल्कि अपने बच्चे को देखना था। क्योंकि अभी तक प्रशांत ये ही मान रहा था। कि नीरू और नीरज के बीच जिस्मानी रिश्ते कायम हो चुके हैं। किस्मत का खेल भी अजीब होता है शनिवार शाम को प्रशांत नीरू के आफिस के बाहर पहुचता है लेकिन उसी दिन ऋतु का फोन नीरू के पास आता है कि वो आज दोपहर को उसके घर आएगी। इसलिए नीरू लंच के बाद आफिस से छुट्टी ले ले। नीरू लंच के बाद ही घर के लिए निकाल जाती है और शाम को जब प्रशांत नीरू के ऑफिस पहुंचता है तो वहां उसे नीरू नहीं मिलती

। ऋतु लगातार नीरू से प्रशांत के बारे में फोन पर पूछती रहती थी लेकिन नीरू का हर बार जबाव एक ही होता था कि प्रशांत आज भी नहीं आया।

ऋतु : नीरू ऐसा तो नहीं कि तेरी ही नजर प्रशांत पर नहीं पड रही हो वो आता हो लेकिन कहीं छिपा हो।

नीरू : नहीं दीदी मैं आमतौर पर आफिस से निकलती और सीधे आटो लेकर पहले क्रेच जाती और वहां से घर, लेकिन पिछले पांच दिनों से मैं आफिस के बाहर पांच दस मिनिट प्रशांत का इंतजार करती हूं लेकिन वो दिखाई ही नहीं देता। अब वो छिपकर मुझे देख रहा है तो बात अलग है लेकिन अभी तक प्रशांत ने कभी भी मुझसे छिपने की कोशिश नहीं की है।

ऋतु : अब इसके पीछे क्या है ये तो प्रशांत ही जाने मैं क्या कह सकती हूं।

नीरू : हां, आपकी बात भी सही है लेकिन दीदी उस दिन जो बात आपने अधूरी छोडी थी उसे पूरा कीजिए।

ऋतु : कौन सी बात

नीरू : वो आखिर अविनाश आपकी इतनी मदद क्यों कर रहा है। जहां तक मैंने सुना है वैसे आपने ही बताया था कि उसकी आप के उपर गंदी नजर थी। और वो रोज रात को किसी न किसी लडकी को अपने साथ चुदाई करता था। इतना अय्याश आदमी आखिर आपकी इतनी मदद क्यो कर रहा है।

ऋतु : देख मैं तुझे सबकुछ बता दूूंगी लेकिन तुझे वादा करना होगा कि तू ये बात किसी को नहीं बताएगी। किसी को भी नहीं और किसी भी कीमत पर।

नीरू के मन में शंका होती है कि कहीं कुछ तो गडबड है। लेकिन वो ऋतु से कहती है कि वो वादा करती है ये बात वो किसी को नहीं बताएगी। अब आप पूरी बात सच सच बताइए।

ऋतु : देख नीरज के आफिस के पास ही एक एमएनसी कंपनी का आफिस है। ये बात तीन साल पुरानी है। उस समय वो ऑफिस नया नया शुरू हो रहा था। उस कंपनी का मुख्य आफिस फ्रांस में हैं और अविनाश वहीं काम करता हैं। लेकिन जब इंडिया में कंपनी ने काम शुरू किया तो इम्प्लाइयों को ट्रेर्निंग देने के लिए वहां से चार लोग आए थे। तीन फ्रांस के ही थी ओर चौथा अविनाश था। अविनाश इंडिया का था इसलिए कंपनी ने उसे भेजा था। ताकि बाकी टीम के सदस्यों को इंडिया में कोई परेशानी हो तो अविनाश की मदद ली जा सके। अविनाश के रिश्तेदार भी यहां पर जॉब करते हैं और आपको मैंने पहले ही बताया कि वो टेलीफोन कंपनी में मैनेजर हैं। उनकी मदद से ही नीरज की कॉल डीटेल निकलवा पाई।

नीरू : हां ये तो आपने बताया था आगे बताइए।

ऋतु : अविनाश यहां आया और कंपनियों की ट्रेर्निंग शुरू हो गई। कुल छह महीने की ये ट्रेर्निंग थी उसके बाद जो लोग फ्रांस से आए थे उन्हें वापस जाना था। ट्रेर्निंक शुरू हुए दो सप्ताह हुए थे कि एक दिन आफिस के पास बने टी स्टॉल पर अविनाश और नीरज की मुलाकात हो जाती है। उसके बाद आठ दिन तक रोज टी स्टॉल पर ही उनकी बातचीत होती रहती हैं। और दोनो दोस्त बन जाती हैं। फिर एक दिन अविनाश नीरज से कहता है।

अविनाश : नीरज जी आप तो यहां के लोकल के रहने वाले हैं। यहां सबको जानते होंगे।

नीरज : हां इस शहर के बारे में मुझे बहुत कुछ पता है। कोई काम हो तो बताएगा।

अविनाश : वो काम तो है लेकिन हम लोग गाडी में बैठकर बात करते हैं।

नीरज : कोई सीक्रेट बात है।

अविनाश : हां ऐसा ही मान लो। मेरे रिश्तेदार भी यहां रहते हैं लेकिन मैं इस काम में उनकी भी मदद नहीं ले सकता।

नीरज : ठीक है चलो गाडी में बैठकर बात करते हैं। और वो अविनाश की गाडी ेमं बैठ जाते हैं।

अविनाश : देखों यार मैं और मेरे तीन साथी एक महीने से यहां हैं।

नीरज : जी मालूम हैं। और अभी पांच महीने और आप लोगों का काम चलेगा।

अविनाश : हां यार, देख ये बात किसी को बताना नहीं।

नीरज: आप बताइऐ तो सही

अविनाश : यार मेरे साथी लडकी की डिमांड कर रहे हैं। उनमें से एक मेरा सीनियर है। पिछले सात आठ दिन से वो मुझसे रोज कह रहा है तेरे यहां का होने का कोई फायदा नहीं है। मैंने तुझे इस लिए अपने साथ चलने के लिए चुना कि तू यहां के बारे में सबकुछ जानता होगा। लेकिन यार मैंने कभी इस तरह का काम नही किया है।

अविनाश नीरज से साफ साफ झूठ बोल रहा था। उसके किसी सीनियर ने लडकी की डिमांड नहीं की थी बल्कि अविनाश को इसकी जरूरत महसूस हो रही थी। लेकिन अविनाश को ये मालूम था कि उसके साथी अय्याश है यदि मौका मिलेगा तो वो लोग चूकेंगे नहीं।

नीरज : कुछ देर सोचते हुए आपका काम तो हो जाएगा। मेरे पास एक आदमी है वो इस तरह का काम करता है लेकिन वो लडकियां किसी भरोसे के बंदे को ही भेजता है। पुलिस बगैरह का चक्कर रहता है और उसके पास हर तरह की हर उम्र की लडकी और सभी मिल जाएंगी। स्कूली लडकी से हाउस वाइफ तक।

अविनाश : यार कोई हाउस वाइफ मिल जाए तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि तू अंग्रेजों को जानता है नई लडकी होगी तो शायद तीन तीन लोगों को झेल ना पाए।

नीरज : ठीक है में बात करके आपको कल बताता हूं।

अविनाश : ठीक है कल जरूर बताना

दूसरे दिन फिर टी स्टॉल पर वो लोग मिलते हैं।

अविनाश : आईए नीरज जी कुछ बात हुई मामला जमा

नीरज: हां बात हो गई है, पहले तो मुन्ना (मुन्ना कालर्गल सप्लायर था) अनजान लोगों के पास लडकी भेजने को तैयार नहीं था। लेकिन जब मैंने उससे कहा कि मैं ही लडकी बुला रहा हूं और मैं भी उसकी चुदाई करूंगा। मुझे अपने और अपने दोस्तों के लिए लडकी चाहिए। तो वो तैयार हो गया।

अविनाश : अरे इसमें कौन सी बात हैं आप भी चुदाई कर लेना चार की जगह हम पांच लोग हो जाएंगे।
नीरज : अरे मैंने तो उससे इसलिए कहा था ताकि आप लोगों को लडकी मिल जाए। वैसे मेरी शादी हो गई है और मेरी बीबी है इसलिए मुझे इसकी जरूरत नहीं पडती।

अविनाश : यार कभी टेस्ट भी बदल लिया गया। एक ही खाना खाते खोते बोर हो जाते हैं। एक काम कर मुन्ना को फोन कर चार लडकियां बुक कर लें। लेकिन पहले फोटो बगैरह भिजवा देना।

नीरज : इसके बाद मुन्ना को फोन लगता है। थोडी देर बाद ही नीरज के फोन पर दो लडकियों के फोटो आ जाते हैं।

अविनाश :यार ये तो दो ही हैं।

नीरज मुन्ना को फोन करता है तो मुन्ना कहता है कि रात के लिए सिर्फ ये दो लडकियां अभी एबीलेबिल हैं। और इनका रेट 4000 एक लडकी का है। अविनाश के कहने पर नीरज दोनों लडकियों को बुक कर देता है। इस तरह से नीरज और अविनाश की दोस्ती और मजबूत होती चली जाती है।

आमतौर पर नीरज कालगर्ल सिर्फ बुक करवाने में अविनाश की मदद करता था। हां एक दो बार उसने अविनाश के साथ कालगर्ल की चुदाई भी की। लेकिन नीरज बहुत कम ही इस मामले में अविनाश के साथ रहता था। अविनाश भी ये जाहिर करता था कि लडकियां वो अपने लिए नहीं अपने सीनियर के लिए मंगाता है। और बहुत ही कम जब बहुत मन होता है तभी वो किसी कालगर्ल की चुदाई करता है।

फिर एक दिन
अविनाश : यार नीरज तू कभी मुझे अपने घर नहीं बुलाता।

नीरज : यार वैसे भी एक ही दिन की छुट्टी होती है और उस दौरान अधिकांश हम लोग पार्टी करते हैं।

अविनाश : अरे शाम के समय तो हम लोग रोज फ्री रहते हैं। और बहुत दिनों से घर का खाना भी खाने को नहीं मिला है। यदि शाम को घर का खाना खाने को मिल जाए तो मजा आ जाए। क्योंकि होटल का खाते खाते बोर हो गया हूं। अभी चार महीने और हैं।

नीरज के मुंह से अचानक निकल जाता है कि कोई बात नहीं यदि घर का ही खाना खाना है तो शाम को मेरे साथ चला कर ऋतु तेरे लिए भी खाना तैयार कर देगी।

अविनाश : यार ये तो बहुत अच्छा होगा। लेकिन तूझे इसके बदले में पैसे लेने होंगे।

नीरज : यार मैं एक दोस्त को घर बुला रहा हूं।

नीरज को नहीं पता था कि वो दोस्त के रूप में शैतान को अपने घर दावत पर बुला रहा है। जो उसकी बीबी को रंडी की तरह इस्तेमाल करने वाला है। और इसके बाद नीरज ऋतु को फोन कर बता देता है कि उसका दोस्त आज शाम को खाने पर घर आएगा। शाम को नीरज अविनाश को अपने ही साथ लेकर घर पहुंचता है। ऋतु उनका स्वागत करती है। ऋतु को देख अविनाश की आंखों में चमक आ जाती है। लेकिन जल्दी ही वो ऋतु पर से अपनी नजरें हटा लेता है। खाना खाते समय भी उनके लोगों के बीच सामान्य बातें ही होती है।

अविनाश : भाभी आपने हाथों में तो जादू हैं सालों बाद इतना टेस्टी खाना मिला है। फ्रांस जाने के बाद तो ऐसे खाने का टेस्ट ही भूल गया था।

नीरज : एक काम कर तू शादी कर ले उसके बाद तुझे ऐसा खाना रोज मिलेगा।

अविनाश : जरूरी नहीं जिससे शादी होगी उसके हाथों में ऐसा ही स्वाद हो।

नीरज : ये तो किस्मत वाली बात होती है।

खाना खाने केे बाद भी अविनाश ऋतु के द्वारा बनाए खाने की तारीफ करता है और कहता है पता नहीं अब कब इस तरह का खाना नसीब हो।

नीरज : यार एक काम कर जब तक तू यहां हैं तब तक मेरे घर पर ही खाना खा लिया कर।

अविनाश : यार रोज रोज अच्छा नहीं लगेगा। यदि तू पैसे ले तो सोच सकता हूं।

नीरज : नहीं याद दोस्ती में पैसे की बात अच्छी नहीं लगती है और खाने में कितना खर्च होगा।

अविनाश : ठीक है तो फिर यदि मैं आप लोागोंं को कभी कुछ दूं तो आप लोग मना नहीं करेंगे।

नीरज : ठीक है। क्यों ऋतु तुम्हारा क्या विचार है।

ऋतु : आप सही कह रहे हैं। इस बहाने आप भी घर जल्दी आ जाया करेंगे।

इसकेे बाद अविनाश रोज शाम को खाने पर हमारे घर आने लगा। 15 दिन बीतते बीतते मेरी भी अविनाश से अच्छी पहचान हो गई। लेकिन वो कभी भी अश्लील बातें मेरे सामने नहीं करता था। इस तरह एक महीना हो गया और एक महीने बाद अविनाश मेरे लिए एक महंगी साडी और नीरज के लिए पेंट शर्ट लाया। हम लोगों ने बहुत मना किया लेकिन वो माना नहीं इसलिए उसकी बात रखने के लिए हमने उसकी गिफ्ट रख ली। इसके बाद हर चौथे पांचवे दिन वो घर की जरूरत का कोई न कोई सामान ले आता था। अब तक मैं भी अविनाश से काफी बातें करने लगी थी। कई बार ऐसा भी होता था खाना खाते समय या उससे पहले या बाद में हम लोग साथ बैठे होते थे और नीरज का फोन आ जाता था तो कई बार वो बाहर फोन पर बात करने चला जाता था। उस दौरान हम लोग आपस में नार्मल बातें करते रहते थे। अविनाश ने कभी भी कोई गलत हरकत मेरे साथ नहीं की।

ये वो समय था जब मेरी सैक्स वाली बीमारी अपने चरम पर थी। वो तो रोज नीरज सुबह शाम मेरी चुदाई करता था इस कारण इसका ज्यादा असर मेरे दिमाग पर नहीं पड रहा था। लेकिन कभी कभी दोपहर को चुदाई की इच्छा होती थी लेकिन उस समय मुझे अपने उंगुलियों से ही काम चलाना पडता था। कई बार अविनाश अपने साथ कंपनी की फाइलें भी साथ लाता था और समय मिलने पर मेरे घर पर ही उसमें कुछ करता रहता था। शायद ऑफिस का काम करता था। एक महीने होते होते हम लोग काफी खुलकर बात करने लगे थे। यहां तक अविनाश कई बार फोन कर ये पूछ लेता था कि भाभी जी शाम को खाने में क्या बना रही हैं। हल्की फुल्की बातें ही हमारे बीच में होती थी। एक दिन नीरज को की कोई मीटिंग थी वो सुबह जल्दी निकल गया था। नीरज को गए हुए एक घंटा हुआ था कि उसका फोन आता है।

नीरज : अरे ऋतु वो अविनाश कल एक फाइल लाया था उसके आफिस की थी। देखों वहां टेबिल के आसपास रखी हागी।

ऋतु : थोडी देर बाद जवाब देती है यहां सोफे पर रखी हुई है।

नीरज : यार अविनाश का फोन आया था एक्चुअली में ये फाइल बहुत जरूरी थी। अब मैं तो निकल आया हूं। अविनाश अपने आफिस से किसी को भेजेगा उसे ये फाइल दे देना।

ऋतु: ठीक है कब तक आएगा।

नीरज : अभी पता करके बताता हूं। और थोडी देर बाद फोन करके कहता है कि दोपहर 2 बजे के करीब वो किसी आदमी को भेजने की बात कर रहा है।

मैंने सोचा कि दो बजने में तो चार घंटे हैं तो तब तक जरूरी काम निपटा लिए जाएं। 11 बजे के करीब मैं नहाने के लिए चली गई। नीरज किसी काम को लेकर थोडा परेशान था इसलिए दो दिन से हमारे बीच सेक्स बंद था। और जब भी नीरज मेरी चुदाई एक दिन भी नहीं करता था तो दूसरे दिन मुझे बेचैनी होने लगती थी। मेरा शरीर गरम हो रहा था तो सोचा नहाने से आराम मिलेगा और मैं शॉवर के पानी से नहाने लगी। लेकिन मेरे शरीर की प्यास बढती जा रही थी। मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने अपनी चुत में उंगली डाल कर उसे शांत करने की कोशिश की। लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था।

अभी 15 मिनिट ही हुए थे कि दरवाजे की घंटी बजी। मैंने सोचा इस समय कौन हो सकता है। क्योंकि आमतौर पर इस समय कोई आता नहीं था। फिर ध्यान आता है शायद मीटर रीडिंग वाला होगा। उसके आने का टाइम भी हो गया था। मीटर तो बाहर ही लगा था लेकिन वो बिल देने के लिए गेट जरूर खुलवाता था। ये सोचकर मैंने जल्दी से तोलिया से खुद को पीछा और एक गाउन डाला जो घुटनों तक ही था। शरीर गीला होने के कारण गाउन शरीर से चिपक गया और मेरे निप्पल साफ साफ दिख रहे थे। मैंने इस पर गौर नहीं किया और दरवाजा खोल दिया। दरवाजा खोला तो सामने अविनाश खडा था।

दरवाजा खुलते ही अविनाश अंदर आ जाता है और जब उसकी नजर मुझ पर पडती हैं। तो उसकी आंखे चौंडी हो जाती है। थोडी देर तक वो मुझे देखता रहता है।

ऋतु : ऐसे क्या देख रहे हो अविनाश जी

अविनाश : अपनी नजरें हटाते हुए वो कुछ नहीं आप कितनी खूबसूरत है ये मुझे पता नहीं था पहली बार आपको इन कपडो में देखा है।

अविनाश की बात सुनकर मुझे भी अहसास होता है कि इस समय मैं सिर्फ एक शर्ट गाउन पहले हुए हूं। लेकिन स्थिति ये थी कि अभी मैं कपडे भी नहीं बदल सकती थी। मैं अविनाश को जल्दी से जल्दी भगाना चाहती थी इसलिए तुरंत फाइल उठा कर उसे देते हुए बोली ये लीजिए आपकी फाइल।

अविनाश : फाइल देखते हुए ऋतु जी इसके साथ एक फाइल और थी। फाइल क्या वो छोटी सी डायरी भी थी।

ऋतु : लेकिन मुझे तो ये ही मिली थी।

अविनाश : जहां फाइल रखी थी उसके आसपास ही कहीं होगी।

ऋतु : फाइल तो सोफे पर रखी थी।

अविनाश : वहीं आसपास देख लीजिए।
मैंने फाइल देखी लेकिन वो कहीं नहीं मिली। सोफे को सरका कर देखा अलमारी के उपर भी देख लिया। लेकिन फाइन नहीं मिली। इस बीच अविनाश में मुझे मेरे बदन के जो हिस्से नंगे थे वहां छू दिया और वो मुझे बार -बार किसी न किसी बहाने से छूने लगा । मैं पहले से ही गरम थी और अविनाश के इस तरह टच करने से मैं अपने होश खोते चली जा रही थी। और उसके बाद

नीरू : उसके बाद क्या हुआ दीदी

ऋतु : उसके बाद वो हो गया जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। तू मुझे बुरा मत समझना उस समय मैं सैक्स को लेकर पागल हो जाती थी। इस उन्माद को मनोविज्ञान की भाषा में निंफोमेनिया कहते हैं। यह एक ऐसा डिसऑर्डर है जिसमें सेक्स करने की इच्छा बहुत तीव्र होती है। ये स्त्रियों को ऐसी बिमारी हैं जिसमे मुझमें अनितनतरित कामोन्माद पैदा हो जाता था और उस समय मुझे सेक्स चाहिए होता था जिसमें मैं उस समय सेक्स करने के लिए परेशान रहती थी । क्योंकि इसको लेकर मेरा अडिक्शन हद से अधिक बढ़ चुका होता था । मैं चाहकर भी अपनी इस इच्छा पर नियंत्रण नहीं रख पाती थी और सेक्स मेरी नियमित जरूरत बन गया था ।

जारी रहेगी

ऋतु को सेक्स की बीमारी है तो अविनाश के साथ उसका सेक्स तो करवाये ही, उसके बाद ऋतु का अविनाश के बाकी दोस्तो के साथ भी ग्रुप सेक्स रखे,

क्योंकि अविनाश और उसके साथी एक साथ ही ज्यादातर सेक्स करते है और उन्हें हाउसवाइफ ज्यादा पसंद आती है,

उस हिसाब से ऋतु का उन सब के साथ जबरदस्त सेक्स दिखाया जा सकता है।
 
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