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Incest शक या अधूरा सच( incest+adultery)

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Studxyz

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मस्त कहानी बनी है अब अरुण का याराना जो सुनील से खिला है वो किसी ना किसी की चुत से ख़ुशी का आंसू बहवा कर ही रुकेगा :D

अब ये भाग्यशाली चुत किस की होती है रेखा की या अंजू की या नूतन की
 

Rekha rani

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मस्त कहानी बनी है अब अरुण का याराना जो सुनील से खिला है वो किसी ना किसी की चुत से ख़ुशी का आंसू बहवा कर ही रुकेगा :D

अब ये भाग्यशाली चुत किस की होती है रेखा की या अंजू की या नूतन की
धन्यवाद,
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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अध्याय -- 6 -----


"""" गये थे किसी का दिल जीतने हम,
जिंदगी अपनी हारकर घर आ गये थे """"


मम्मी की बातें सुनकर मेरी आँखों में आँसू भर आये, मै समझ गयी ये उस जाट बुद्धि वाले अरुण का किया धरा है, सच कहु तो मै रो जरूर रही थी, पर दिल ही दिल ही बहुत खुश थी। मुझे ये पता था एक ना दिन मम्मी को पता चलना ही था और ऐसा ही होना था। लेकिन अफसोस ये है मेरी प्रेम कहानी में ठीक से इजहार ए ईश्क भी नही हो पाया और मेरी आँखों में आँसू आ गये........ मै समझ गयी कि मेरी ""सच्ची नंगी मोहब्बत"" एक अलग गुल खिलाएगी। जी हाँ सही पढ़ा है आपने ""सच्ची नंगी मोहब्बत"" जो शुरु तो हमारी नंगी आँखों से हुई थी पर प्यार की मोहर अरुण की नंगी जांघो की नगनता के बीच झूल रहे हथियार को देखने के बाद लगी थी।
जिस प्रेम कहानी की शुरुआत ऐसी है उसका अंजाम कैसा होगा?????


( हमारे हरियाणा में बच्चे भी अपने बाप के बाप होते है)
तभी एक हँसी भरी आवाज में वो बच्चा बोला ताई ओ ताई अब बस भी करेगी,
रे ताई मन्ने नी बेरा वो ताऊ ने भेजा से,...... नु बोला जा रेखडी ने बुला ला....


मन्ने बता मै क्या बोलू रेखा के खसम ने!!! रेखा दीदी चल रही है क्या????? उस बच्चे की बात सुनकर मैं अपनी क्या बताऊ मम्मी की भी हंसी छूट पड़ी.... हाहा हाहा हाहा हाहा


हस्ती भड़कती मम्मी उठ खड़ी हुयी अपने बड़े बड़े, भारी भारी, स्कूटर की स्टेपनी में लगे टायर जैसे बाहर निकले चुतरो की दरार में से फँसी हुयी अपनी सलवार को बाहर निकालते हुए उस बच्चे से बोली छोरी चोद के कहन लाग रा है!! तन्ने समझ आवे है किमी!!
किंस छोकरी चोद का फ़ोन से!!!
मन्ने बता चाल तू


मैं देखु


कुणसी रांड का है वो


हरामी


बच्चा फिर बोला ताई जरा आराम से ???
मम्मी हल्की हँस भी रही थी- तो के अपणे दामाद से बात करने की बोलू.......
मम्मी के मुह से अपणे दामाद शब्द सुनकर अंजू दीदी और मै एक साथ हँस पड़ी पर धीरे से.......... Hmmm


मम्मी के जाने के बाद अंजू दीदी मुझसे बोली रेखा क्या चक्कर है, सच्ची तू पेट से है,??? वो लोंडा कौन है???? किसका फोन है???? कब से चल रहा है ये???? मै तो तुझे मुह चोदी करने वाली समझती थी!!! पर तू तो ""छिपी रुस्तम""" निकली!!!!

मेरे आँखों में आँसू के साथ गुस्सा भी था, मै गुस्से में अंजू दीदी को बोली ऐसा है अंजू उसका नाम अरुण है, और अभी तक मैने कुछ किया नही है, अगर तुमने ""मंथरा"" बनकर मम्मी को भड़काने की कोशिश की तो मै भी तुम्हारे सारे कांड मम्मी को बता दूँगी।

रेखा मुझे कोई शौक नही है ""मंथरा"" बनने का मै तो बस पूछ रही थी, जिससे तेरी मदद कर सकूँ और हाँ ये बार बार मुझे धमकी मत दिया कर, जिस दिन मुझे तेरा कोई कांड देखने को मिला फिर तुझे बताती हूँ अंजू क्या चीज है?????

थोड़ी देर बाद मम्मी बड़बड़ाती हुयी वापस दुकान में आ गयी। मै उनसे बात करने की हिम्मत नहीं कर सकती थी, पर अंजू दीदी कब चुप रहने वाली थी उन्होंने मम्मी से पूछा क्या हुआ????
किसका फोन था??? क्या बोल रहा था???

मम्मी मेरी ओर गुस्से से देखते हुए बोली ये बताएगी कलमूहि जाने किसके साथ मुह काला कर के आई है??? अंजू दीदी बोलि अरे उससे तो मैने पूछ लिया उसने कुछ भी गलत काम नही किया है, तुम बताओ मम्मी तुम्हारी उससे फोन पर बात हुयी क्या???

मम्मी थोड़ी देर चुप रही फिर बोली मै std वाले की दुकान पर गयी तो फोन बंद था, जब मै वापस घर आने लगी तो एक बार फिर से फोन आया और मैने जब उससे पूछा हा रे हरामी कौन बोले है

तेरे तोते ने फाड़ के हाथ मे दे दूँगी।

तो वो बोला तुम कौन बोल रही हो????
मै बोली 'थारे होने वाले बालका की माँ की माँ बोल रही हु'
अब तू बोल कौन बोले है???? तो उसने फोन काट दिया।

मम्मी शांत हो गयी पर मेरी ओर गुस्से से देखती रही। मुझे डर लग रहा था, मै थोड़ी देर बाद मम्मी से डरती हुयी बोली मै कसम खा कर कहती हूँ मैने कुछ भी ऐसा काम नही किया है, जिससे तुम्हे शर्मिंदा होना पड़े!! मै तो उस लड़के को जानती तक नही हू!!
मेरी आँखों में आँसू थे,
तभी अंजू दीदी ने आज पहली बार मेरी तरफदारी करती हुयी बड़ी बहन की तरह मम्मी को समझाती हुयी बोली......
क्या मम्मी तुम एक गलत फोन काल को इतना सीरियस ले रही हो, किसी का गलत काल लग गया होगा!!! और क्या हरियाणा में एक ही रेखा है???
वो तो std वाला चूतियों की तरह मुह उठा कर यहाँ चला आया और वेबजह तमाशा हो गया!!!!

मम्मी को शायद अंजू दीदी की बात कुछ समझ आ रही थी, वो बोली जो भी हो पर आज के बाद से मन्ने नही खाणी छोरियों की दुकान की कमाई!!
""'मेरी छोरिया किराना बेचते बेचते अपणे बाप ने नाना ना बना दे!""

आ जाने दो सुनील को उसको बोलती हू आज से दुकान पर खुद बैठे तो ठीक नहीं तो किराये पर दे दे किसी को????

रात के साढ़े आठ बज चुके थे, हम दुकान बंद कर किचिन में खाने की तैयारी में लग गये थोड़ी देर बाद सुनील भैया भी आ गये!!! हम सब एक साथ बैठकर खाना खाने लगे।
"""" सदियों से हमारी जैसी मिडिल क्लास फैमिली में खाना खाते हुए किसी भी फालतू के मुद्दे पर चर्चा करना एक परंपरा सा बन गया। उस मुद्दे का हमारी जिंदगी से कोई वास्ता हो या ना हो लेकिन खाते हुए बेहस करने से खाने का स्वाद बढ़ जाता है """
आज तो हमारे पास मुद्दा भी था!! मम्मी ने शुरुआत की सुनील कल से तू दुकान पर बैठेगा और नही तो दुकान किराये से उठा दे, बहुत खा ली मैने छोरियों की कमाई!!! और एक जबरदस्त फैमिली ड्रामा करते हुए सारी बात सुनील भैया को बता दी।

(सुनील भैया से मुझे डर नही था, उनकी हालत तो मेरे सामने पहले से ही "हारे हुए जुआरी की तरह थी", अगर वो जरा भी चू करते मुझसे, तो अब मैने उनकी और नूतन की चटाई पर चुसाई वाली बात बोल देनी थी )

पर सुनील भैया ने मुझसे से बिना कोई सवाल जबाब किये ही अपनी हाँ में मुंडी हिला कर मम्मी को हामी भर दी। आधे पौने घंटे बाद माहौल अब नॉर्मल हो गया था, और रोज की तरह अपने बिस्तर पर लेट गए। सब सो गये पर मेरी आँखों से नींद गायब थी...... बार बार अरुण का ख्याल आ रहा था !! अब कैसे उससे मुलाकात होगी??? कैसे बात होगी??? क्या होगा??
मेरी आँखों से नींद गायब हो चुकी थी.....
मन ही मन रोमांटिक हिंदी गाना
"" वो मेरी नींद, मेरा चैन, मुझे लौटा दो"""
गुनगुनाते हुए करवटे बदलती रही......


अंततः सुबह हुई रोज की तरह तैयार होकर दुकान पर जाने के लिए जैसे चाबी उठाई तो मम्मी ने मुझे टोक दिया रेखा दुकान पर सुनील बैठा है, तू यहाँ मेरे साथ घर के काम में हाथ बटा......! मै मम्मी के साथ काम में लग गयी.... एक घंटे बाद काम खतम कर मैंने कमरे में जाकर अपने स्कूल बैग में से एक प्यारी सी चिट्ठी लिखने लगी, इस उम्मीद के साथ अरुण जब मिलेगा तो उसे दे दूँगी। थोड़ी देर बाद मम्मी की आवाज आई रेखा छत पर गेहूँ सुखाने में मेरी मदद करने चल। हम दोनों छत पर चढ़ गयी......

थोड़ी देर बाद छज्जे पर खड़ी होकर सड़क पर आने जाने वालो में मै अपने अरुण को ढूढ़ने लगी, उसकी राह देखते देखते खड़े खड़े पैरों में दर्द होने लगा, तभी आती हुयी तेज बुलेट की आवाज सुनकर मेरे मुरझाये हुए चेहरे पर निखार आ गया...... सामने से अरुण चला आ रहा था!

उसने मेरी दुकान पर गाड़ी रोक दी और दुकान से नीचे उतरकर गाड़ी पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा...... उसने मुझे छज्जे पर खड़ा हुआ नही देखा था..... मुझे समझ नही आ रहा था क्या करू???? कैसे मिलूँ???? " ईश्क का दूसरा नाम ही पागलपन है "" मै भी उसके प्यार में पागल हो चुकी थी..........तभी मैने अपने हाथ की उंगली में से अपनी चांदी की अंगूठी नीचे गिरा दी !!! और अंगूठी उठाने के बहाने मै नीचे जाने लगी!!

रेखा किधर जा रही है, मम्मी ने पीछे से आवाज दी?? मेरी हाथ की अंगूठी नीचे गिर गई है, उसे लेने जा रही हूँ, जाते जाते मै बोली।
मैने सीढ़ियों पर ही अपने कुर्ती में हाथ डालकार स्तनों की घाटियों में छिपी चिट्ठी को हाथ में लेकर सीधी अरुण के सामने खड़ी हो गयी!! हमने एक दूसरे को देखा
हमारे दिल धक से धड़के, मैने आहिस्ता आहिस्ता कदम बढ़ाये, और सड़क से ही दुकान में झाँका सुनील भैया अखबार पढ़ रहे थे, मैने सड़क पर गिरी हुयी अंगूठी उठाई और हाथो में पकड़ी हुयी चिट्ठी रख दी, घर के दरवाजे पर खड़ी होकर अरुण को निहारने लगी!!! पीछे से अंजू दीदी की आवाज आई रेखा दरवाजे पर क्यो खड़ी है, मम्मी पूछ रही अंगूठी मिली???
मै हाँ मिल गयी और आखिरी झलक अरुण की देखने के बाद वापस छत पर आ गयी।


छज्जे पर खड़े होकर नीचे देखा तो सुनील भैया अरुण की बुलेट पर बैठे हुए उससे हस्ते हुए बाते कर रहे है,!! ये देखकर मै ये तो समझ गयी मेरी प्रेम कहानी 100 परसेंट सफल होगी। मै दिल, दिमाग, तन मन में प्यार से भरी तरंगों का संचार होने लगा।


((ये प्यार के रास्ते जो खूबसूरत नजर आ रहे थे "
मुझे पता नही था बर्बादी के तरफ लिए जा रहे थे!!!))


दिन बीतने लगे चिट्ठियों का आना जाना शुरु हो गया!! दिन में आई चिट्ठियों के एक पेज के सवालों के जबाब दो पेज में अपनी पढाई की कॉपीयो में छिप छिप कर लिखती.......,
एक कुवारी लड़की अपनी महीने में होने वाली mc की बात जो ऊपर वाले से भी छिपाती है, मैने अपने अरुण को बताती थी!!


अब तो मेरे लिए सवालों के दिन और जबाबो की रातें हो गयी थी, ईश्क जब होता है सब कुछ अच्छा लगने लगता है, मै प्यार में डूबी हुई कमसिन जवान लड़की 90 के दशक के हिंदी गानों की दीवानी हो गयी थी....... दिन भर गाने गुनगुनाते हुए समय निकलता था........


प्यार भरी चिट्ठियों को लिखने वाली लड़की की मनोदशा एक मशहूर शायरा ने अपनी गजल में क्या कमाल लिखी जो आज भी मेरे दिल के बहुत करीब है...... जिसके चंद लाइन में यहाँ जरूर लिखनी चाहूँगी नही तो मेरी कहानी मुझे अधूरी सी लगेगी......


(( पढ़ती रहती हूँ मैं सारी चिट्ठियां ,
रात है और है तुम्हारी चिट्ठियां॥

आओ तो पढ़ कर सुनाऊँगी तुम्हें,
लिख रखी हैं ढेर सारी चिट्ठियां॥

लिख तो रखी हैं मगर भेजी नहीं ,
है अभी तक वो कुवांरी चिट्ठियां ॥

डांटते है मुझ को घर के लोग,
सब ने पढ़ ली है तुम्हारी चिट्ठियां ॥))))

चिट्ठियों में अब शब्दो से सेक्स होना शुरु हो गया था (आज के दौर में जिसे फोन सेक्स चैट कहा जाता है) फर्क सिर्फ इतना था चिठ्ठी शब्द सेक्स में बेचारे अरुण को आज का जबाब दूसरे दिन मिलता, और उसे अपना मुस्टंडे जैसे लंड को हाथ में पकड़े हुए ही दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ता.......... , चिट्ठी के सेक्स जिसमे हवस की बू नही थी!!! चिट्ठी की लिखी हर बात सुहाग रात की होती..... अरुण के ऐसे ऐसे सवाल मुझे उत्तेजना के साथ साथ हँसाते थे.... जो हमारे होने वाले बच्चो से शुरु होकर मेरे जिस्म पर आकर खतम होते?? जैसे वो पूछता रेखा तुम्हारे स्तनों, नितंबों, कमर का साइज क्या है??? रेखा तुम्हारी ब्रा पैंटी का रंग कोनसा पसंद है??? तुम्हारी झांट के बाल कितने बड़े है??? तुम्हारी झांट पैंटी से बाहर निकलती हैं??? तुम झांट कैसे साफ करती हो???? तुम्हारी काँख में बाल भी रखती हो???
तुम अपने हाथ की उंगली से चूत का मंजन करती हो???
मुझे ये पढ़कर हँसी ज्यादा आती थी......
हाहाहा हाहाहा हाहाहा

एक दिन तो हद ही हो गयी. अरुण ने एक चिट्ठी में मेरे बारे में लिखा, “ हाई क्या कातिल चूतर हैं. तेरे रेखा मेरी जान पूरा लॉडा तेरी गांड में पेल दूं.” मैं ऐसी अश्लील बातें चिट्ठी में पढ़ कर दंग रह गयी. अगले दिन जब मैने अरुण के चिट्ठी में लिखी बात के बारे में अर्चना को बताया तो वो हस्ने लगी.

“ तू कितनी अनारी है रेखा. तेरे चूतर हैं ही इतने सेक्सी की किसी भी लड़के का मन डोल जाए.”

मै बोली “ लेकिन अरुण तो कुछ और ही चिट्ठी में करने की लिख रहा है.”

“ तेरी गांड में लंड पेलने को बोल रहा था? मेरी भोली भाली रेखा रानी बहुत से मर्द औरत की चूत ही नहीं गांड भी चोद्ते हैं. ख़ास कर तेरी जैसी लड़कियो की, जिनकी गांड इतनी सुन्दर हो. अभी तो सती सावित्री है , जब तेरी शादी होगी तो याद रख एक दिन तेरा अरुण तेरी गांड ज़रूर चोदेगा.
अर्चना हस्ती हुई बोली सच रेखा अगर मेरे पास लंड होता तो मैं भी तेरी गांड ज़रूर मारती.” हाहाहा हाहाहा हाहाहा

“ हट नालयक ! मै भी हसने लगी!!!

(अर्चना की बात सुनकर मुझे पहली बार पता लगा कि औरत की आगे और पीछे दोनो ओर से ली जाती है. तभी मेरे आँखों के सामने अरुण का लंड घूम गया और मैं काँप उठी. अगर वो बिजली का खंबा मेरी गांड में गया तो क्या होगा?? मुझे अभी भी अर्चना की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था. इतने छोटे से छेद में लंड कैसे जाता होगा???)


बात अकेले मुलाकात पर भी आ गयी थी, वो अक्सर मुझसे अकेले मिलने की किसी झील के किनारे, किसी पुराने किले, किसी गार्डन, मेले, lovers point और भी वो जगह जहाँ अक्सर प्रेमी प्रेमिका अकेले में मिलते है उन जगहो पर अपने साथ ले जाने के लिए बेचैन था......


ऐसा नहीं था की मुझे उससे अकेले नही मिलना हो.... अरे मुझे भी अरुण से अकेले में मिलना था या यू कहे कि ""अकेले में चुदना""" था...... हाहाहा हाहाहा
पर शादी से पहले अकेले मिलने और चुदने से डर लगता था!!!!


मेरी उससे कभी कभी बहस भी हो जाती जब वो मुझसे ही मेरी बड़ी बहन अंजू दीदी के बारे में बात करता..... अंजू दीदी के बदन की तारीफ करते हुए कहता रेखा तेरी दीदी तुझसे ज्यादा सेक्सी है, उनकी चूचियाँ तुमसे बड़ी है?? हालांकि अंजू दीदी के जिस्म की तारीफ करते हुए उसकी आहे भरते हुए शब्द पढ़कर मुझे मजा आता था।


अरुण ने भी सुनील भैया से दोस्ती कर ली थी, वो अब घंटो हमारी दुकान पर ही बैठा रहता! हमारी दुकान से ही खाने की चीज खरीदता और सुनील भैया को खिलाता पिलाता...... कभी कभी चाट, पकौड़ी, समोसे, बाहर से मंगवा कर हम लोगो के लिए भी अंदर भेज देता। एक दुकानदार को इससे अच्छा ग्राहक कहाँ मिलेगा.......


""इस बात से ये जरूर समझ आ गया था की प्यार, मोहब्बत करने के लिए लड़को के पास पैसा होना भी जरूरी होता है!!""


अरुण इस बात को अच्छी तरह से जानता था..... इसिलिए मै उसे beauty with brain कहती थी..... मै भी अब सुनील भैया के सामने ही दुकान पर अरुण के साथ चाय पानी देने के बहाने नैनमटका कर लेती..... कभी कभी तो सुनील भैया कुछ सामान उठाने के लिए इधर उधर देखते तो मौके का फायदा उठा कर अरुण मेरे स्तनों और नितम्बो पर भी हाथ फेर देता और दबा भी देता था.................


मम्मी की नाराजगी भी दूर हो गयी थी। बस मुझे अंजू दीदी और उन्हे मै सुई की तरह चुभ रही थी, हम हर वक्त एक दूसरे की हरकतो पर नजर रखती थी!!!!सब सही चल रहा था, और एक दिन सुनील भैया और अरुण दुकान में बैठे हुए बातें कर रहे थे और मै दुकान के दरवाजे पर डली पर्दा के पीछे से उनकी खुसर फुसर सुन रही थी....


अरुण ने सुनील भैया से पूछा तेरी कोई girlfriend या सेटिंग है, तो सुनील भैया कुछ देर शांत रहे और बोले नही.......???(मै ये सुनकर हैरान थी क्योकि सुनील भैया को मैने खुद अपनी नंगी आँखों से छत पर चटाई के ऊपर नूतन की चुसाई करते हुए देखा था...... ) अरुण हस्ते हुए बोला वैसे चाहो तो बना सकते हो????



(( लड़किया आपस में अपने अपने भाई के जिस्म की तारिफ, एक दूसरे के भाई को पटाने, और तो और एक दूसरे के भाई से सेक्स करने की बातें एक दूसरे से बड़ी आसानी से कर लेती है पर लड़के नही , मन में भले ही एक दूसरे की बहन की जवानी को लेकर आहे भरते हो मुट्ठ मारते हो, चोदना चाहते हो या प्यार मोहब्बत भी करते हो लेकिन एक दूसरे की बहन के साथ जरा सा भी कुछ गलत सुनते ही मादरचोद, बहंचोद शुरु हो जाती है))

कैसे??? सुनील भैया उत्सुकता वश अरुण से बोले????
अरुण ने कहा बुरा मत मानना यार तेरी खूबसूरत बहने है और उनकी खूबसूरत सहेली भी है, तो उनमें से किसी को फंसाओ????
सुनील भैया थोड़े सकपका गये पर बुरा नही मानते हुए बोले अरुण बहनो की सहेलिया मुझे भी भैया बोलती हैं??? और दूसरी बात अगर उन्होंने बहनो से कह दिया तो फिर पता नही क्या सोचेगी वो??????
अरुण जोर से हंसा और सुनील भैया से बोला क्या यार तू चूतियों की तरह बात करता है छोटे छोटे शहरों में हर लड़की एक लड़के से बात शुरु करने से पहले भैया फिर सैया बोलती है। वो एक कहावत है।

"" नौजवानों की योजना बहन बना कर चोदना """
ये सुनते ही दोनों हँसने लगे....हाहाहा

अरुण ने फिर उंगली की..... ??? अभी जवानी है क्या ऐसे ही हाथ से हिलाते हुए ही निकालेगा????? हाहा हाहाहा
सुनील भैया बोले हम मिडिल क्लास वाले गरीब लोगो की जिम्मेदारी इतनी होती है, कि लड़की पटाने की कभी सोच ही नही पाते!!! ऐसे ही हाथ से हिलाते हुए जवानी आ जाती है और जवानी में ही बुढापा इसमें कोनसी नई बात है......

हाहाहाहा हाहाहा अरुण हस्ते हुए बोला यार ये बात तो सही लड़की पटाने में पैसा खर्च होता है...... और पैसे खर्चा करने के बाद भी लड़की सौ नखरे दिखाती है, पहले तो बातों से इतना गर्म कर देगी जैसे ही अकेले मिलने बुलाओ तो एक पूरी लिस्ट हाथ में थमा देगी..... पहली लाइन --- आज लौड़ा नही खायेंगे उपवास है, (mc पीरियड को उपवास बोलती है) उपवास में no सहवास..... अब इनके उपवास में साबूदाने वाला कंडोम कहाँ से लाऊँ?????
हाहाहा हाहाहा हाहाहा


दूध नही दबाओगे, होठो पर kiss नही करोगे, चिपक कर नही बैठोगे, दूर से ही बात कराओगे!!! साला जब कुछ करने ही नही देना है तो कोई घंटा अकेले में मिलने की सोचेगा............( (अरुण मेरे ऊपर ही बोल रहा था मै अरुण का इशारा समझ गयी थी!!मुझे अंदर से हँसी भी आ रही थी... हाहाहा हाहाहा हाहाहा))

क्या यार तुम तो serious हो गये..... सुनील भैया अरुण से बोले?????
अरुण बोला नही यार मै सच कह रहा हूँ ।

सुनील भैया बोले अरुण इसलिए मै ऐसी लड़कियों के चक्करो में नही पड़ता, इन लड़कियों का एक ही motto होता है ""पहले काटो फिर बांटो"" मै तो अपनो में प्यार ढूँढता हूँ, पास पड़ोस और जान पहचान वाली ज्यादा खर्चा नही करवाती और नखरे भी नही उठाती फ्री में ही छत पर फुल्ली मजा देती है.....
(सुनील भैया अब धीरे धीरे अरुण के सामने खुलने लगे थे)

अरुण ने अगला दांव फेंका यार छत पर मजा मै समझा नही, तूने किसके मजे ले लिए छत पर बता ना?????
सुनील भैया बोले यार अब जब बात चल रही है तो मै तुझे बताता हूँ........ हमारे पड़ोस की लड़की है नूतन है वो मेरी छोटी बहन रेखा की सहेली है और मुझे भैया भी बोलती है मुझे वो बहुत पसन्द थी, दिल तो बहुत करता था उसको अपने दिल की बात बोलू लेकिन मोका कभी नहीं मिला. जब वो हमारे घर आती थी कभी कभी वो , मेरी बहन रेखा, अंजू जब लापरवाही से बैठती है तो एक झलक उनकी स्तनों और पॅंटी की मिल जाती !! !

(( जाने अंजाने में सुनील भैया के मुह से हम दोनों बहनो का नाम सुनकर मै दंग रह गयी, मुझे नही पता अरुण ने हम दोनों बहनो का नाम नोटिस किया था या नही ???))

अरुण बोला वाह प्यारे! तू तो छुपा रुस्तम निकला..... हाहाहा हाहाहा
फिर आगे क्या हुआ???

सुनील भैया बोले ये सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता, पर मेरे पास दुकान पर काम की वजह से इतना टाइम नही होता और ना ही मुझे प्यार मोहब्बत वाली मीठी ज़ुबान बोलनी आती है, ऊपर से नूतन मुझे भैया भी बोलती थी!! हिम्मत कर बोलने की कोशिश करता पर बहनो के डर से मन मारकर रह जाता!!!! कुछ दिन निकल गए पर एक दिन मैने सोचा मै कोई फिल्म का हीरो ""सलमान खान"" तो नही बन सकता हूँ??? पर ""शक्ति कपूर"" ही बन जाऊ!!!
और मैने एक दिन छत पर अकेले मौका देखकर नूतन अपनी छत पर अपने गीले बाल सुखा रही थी, मैने पीछे से जाकर उसके दूध दबा दिये!!! वो हल्के से चिल्लाई सुनील भैया...... आराम से दुखता है......कोई देख लेगा......!!!


मै ये 'कोई देख लेगा' सुनकर बहुत खुश हो गया और नूतन को आँख मारते हुए बोला छोरी मन्ने वो टाइम बता दे जब कोई ना देखे... और हस्ता हुआ वापस अपनी छत पर आ गया!!

अरुण सुनील भैया की कहानी सुनकर बहुत जोर से हँसने लगा.... हाहाहा हाहाहा हाहाहा और बोला गुरु मान गए तुम्हे " शक्ति कपूर "" बन पूरे मजा ले रहे हो!!

सुनील भैया बोले नही यार पूरे मजे कहाँ ले पाया वो ""रेखडी"" ने मुझे नूतन के दूधो की चटाई पर चुसाई करते हुए पकड़ लिया,, उस दिन से नूतन मुझसे बात तक नही करती है..... !!! तब से हाथों का ही सहारा है.....

कितने दिन से हाथ का हैंड पंप चला रहे हो??? और किसकी याद में imagine करते हो ??? अरुण हस्ता हुआ बोला??
सुनील भैया हँस पड़े हाहाहा हाहाहा और कुर्सी से उठे कुछ अलमारी में से निकाला और वापस कुर्सी पर बैठते हुए बोले ऐसा नहीं यार किसी को imagine नही करता!! बस मेरे पास मेरी तन्हाई की साथी ये किताब है।

(( "तन्हाई की साथी" ये किताब के शब्द सुनकर मुझे लगा सुनील भैया भी मोहब्बत की किताब पढ़ते है मै ईश्क की मारी दीवानी खड़ी खड़ी ये सोचने लगी)))

पर जैसे ही सुनील भैया की अगली लाइन मेरे कानों में गयी "" मायापुरी """ यही पढ़ कर हाथों से काम चला लेता हूँ......
"" मायापुरी एक जमाने की मशहूर फिल्मी किताब थी """

अरुण बोला क्या यार तुम इन फालतू की किताब के चक्कर में पड़े हुए हो, किताब पढ़कर ही हिलाना है, तो मै कल तुम्हारे लिए एक speical किताब लाता हूँ, जिसे पढ़कर तुम्हे हिलाने का जो मजा आयेगा वैसा इतने सालों में कभी नहीं आया होगा!!
इतना केहकर अरुण चला गया।

((मै सुनील भैया और अरुण की बाते सुनकर सोच में पड़ गयी थी, मुझे सुनील भैया पर तरस आ रहा था, और खुद पर गुस्सा क्योकि मेरी वजह से ही शायद उनका और नूतन breakup हो गया था। मै और अंजू दीदी तो अपने अपने आशिक के साथ जवानी कि अठखेलिया खेल रही थी पर बेचारे सुनील भैया हमारी घर की जिम्मेदारी निभाते हुए अपनी जवानी अपने हाथ से हिला हिला कर बर्बाद कर रहे थे। उन्होंने जैसे तैसे नूतन को पटाया था और मेरी वजह से उनके बीच दरार आ गयी थी...
मैने मन ही मन सोच लिया था अब मुझे भी
सुनील भैया के लिए कुछ करना चाहिए....)
रेखा ने अपनी समझदारी से सम्हाल लिया, वरना ऐसे कांड के बाद फिर से बातें होना मुश्किल होता है।

देखते हैं आगे क्या गुल खिलेगा मिलने पर।
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
6,654
25,317
204
Rekha or Arun ki lovestory bahot jald maa-baap banane ki prakiya me judne wale hai ..
Arun to do tin haryali dekh kar hi daka dala hai ek rekha rani se santust nahi hone wala .
 
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