कुछ रिश्ते जन्म के साथ ही मिलते हैं उन रिश्तो में एक अलग आत्मीयता होती है और कुछ रिश्ते सामाजिक मजबूरियों की वजह से थोप दिए जाते हैं पर कामुकता से उत्पन्न हुआ प्रेम इन थोपे गए रिश्तो को नजरअंदाज कर देता है. "शक और सच" इन्हीं थोपे गए रिश्तो के बीच पनपते प्रेम का चित्रण है.
भारतवर्ष में 80 और 90 के दशकों में लड़कियों के कौमार्य की बहुत अहमियत थी. विवाह पूर्व और विवाहेत्तर सेक्स समाज में था तो अवश्य पर आम नहीं था. पर आजकल ऐसे सम्बधो का होना एक फेशन है। ये कथा ऐसे सगे सम्बधो पर आधारित है जो आज के दौर में इस समाज को कतयी मंजूर नही है। इस प्रेम कथा के पात्रों ने इन्हीं परिस्थितियों में अपने आपसी सामंजस्य से अपनी सारी उचित या अनुचित कामुक कल्पनाओं को खूबसूरती से जीया है.
हर इंसान के जीवन में अनचाहे रिश्तों हों यह जरूरी नहीं. मेरे जीवन में इनकी प्रमुख भूमिका रही है. आज उम्र के इस पड़ाव पर आकर पीछे देखने पर यह महसूस होता है कि कैसे कुछ अनचाहे रिश्ते प्यार और काम वासना के बीच झूलते रह जाते हैं.
कहानी सत्य घटनाओ पर आधारित है,
कथा के पात्र काल्पनिक नही हैं वर्तमान में जीवित है पर अब उनके बीच कोई संबंध नहीं है. कथा में वर्णित दृश्यों से यदि किसी पाठक की भावनाएं आहत हुयीं हो तो कथाकार क्षमा प्रार्थी है.
कहानी शुरू करने से पहले मै आप लोगों से एक गुजारिश करूँगी कि please अपने comments, सुझाव और शिकायत जरूर लिखे।
अध्याय --- १ --
रेखा ए,सी, की ठंडी हवा में अपने कमरे में गहरी नींद में सोई हुई थी कि अचानक उसे ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसे उसकी बांह पकड़ कर सीधे पीठ के बल कर दीया, और तभी ऊसे ऊसकी गाउन ऊपर की तरफ सरकती हुई महसूस होने लगी। वह चाहकर भी अपनी आंखों को खोल नहीं पा रही थी। गाउन पूरी तरह से उसके कमर तक चढ़ चुकी थी कमर से नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी, केवल पेंटी ही ऊसके नंगेपन को छीपाए हुए थी की तभी एक झटके से उसकी पैंटी भी उसकी टांगों से होकर के बाहर निकल गई,, कमर से नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी लेकिन कुछ भी उसके समझ में नहीं आ रहा था उसकी आंखें बंद थी।
वह इतनी गहरी नींद में थी की आंखें खोलने भर की ताकत उसमें नहीं थी तभी उसकी मोटी मोटी जांघो पर दो हथेलियां महसूस हुई जो कि उसकी जांघों को फैला रही थी, और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसे अपनी बुर पर कड़ेपन का अहसास हुआ, जैसे ही उसने आंख खोली उसके मुंह से दर्द भरी कराहने की आवाज निकल गई,,,,, और रेखा की आँख खुल गयी।
रेखा अपनी किस्मत को कोसते हुए आंसू बहाते हुए लेटी रही,,,,
अपने पति से बीस साल से दूर रहते हुए रेखा को आज भी उसके सपने में अपने पति को संभोग करते हुए देख रेखा के रोंगटे खड़े हो जाते है। एक पल तो ऊसे ऐसा लगा कि वह सपना नही देख रही है, सब सच में हो रहा था, क्योंकि वह बहुत ही गहरी नींद में सोई हुई थी।
पर अब ऐसे सपनो से रेखा को डर लगने लगा था। डरावने सपने अक्सर एक अधूरी चाहत और चाहत को पूरा ना कर पाने के डर से आते है।
परिचय
मै पेशे से एक वकील और समाज सैवीका हू, गरीब बेटियों के साथ होने वाले अत्याचार के case मै free of cost लड़ती हू। मैने अभी तक बहुत सी बेटियों को उनके जालिम पतियों की अत्याचार से आजाद करवा कर उनका तलाक करवाया है और कानूनी तौर पर मिलने वाली सहायता से उनकी जिंदगी दोबारा से शुरु की है। पर ना जाने कब ऐसे ही भलाई का काम करते हुए मुझसे एक भूल हुयी है जिसकी सजा मै आज तक भुगत रही हूँ और अपनी उस गलती को आप लोगो के सामने लिख रही हूँ।
मै अपना जिंदगी का case file आप सभी को सौंप रही हूँ और मुझे आशा है आप सब मेरे साथ न्याय करेंगे।
मेरा रेखा रानी है ये नाम जो किसी 75 की दशक की फिल्म के कोठे पर रहने वाली वैश्या के नाम की तरह सुनने में लगता है, मेरे नाम की कहानी भी बड़ी विचित्र है मेरे पापा की मै लाडली थी और मुझे रानी कहते थे और मम्मी की सबसे पसंद की एक्ट्रेस रेखा थी तो मम्मी पापा दोनों ने मुझे रेखा रानी बना दिया।
मेरी उम्र पचास पार हो चुकी है पर जवानी ढलने के नाम नही ले रही है, मै हरियाणा के हिसार जिले में रहती हू। परिवार में पति जो ritred होकर पॉलिटिक्स में है।
बेटा, बहू, दोनों ही डॉक्टर, बेटी, दामाद, दोनों ही सरकारी नौकरी में उच्च पदों पर है और एक नाती है, काफी भरा पूरा परिवार है मेरा। मेरे पास मौज शौक का हर सामान सुविधा मौजूद है, पैसे की कोई कमी नहीं है। बस कमी है तो प्यार की जिसके लिए मै 20 साल से तरस रही हू।
वैसे तो मै soical media पर फेसबुक, whatsup, insta, super chat live वगेरा सब ही use करती हु। पर कभी कभी अपने profession की वजह से गूगल पर कुछ ऐसी कहानी या लॉजिक मिल जाये तो उसका use अपने case file में लिखकर , जिससे मै अपने क्लाइंट को न्याय दिला सकूँ अक्सर कर लेती हूँ।
बस इसी तरह search करते करते मुझे ये fourm मिला है और जब मैने इसमें कुछ कहानिया पढ़ी तो मुझे लगा कि यही फॉर्म है जिस पर मै भी अपनी जिंदगी की कुछ दास्तां लिखूँ। जिससे मेरी privacy छिपी रहेगी और मेरे सवालों के जबाब भी मिल जायेंगे।
कहते है स्त्री की जिंदगी में सबसे करीबी रिश्ता दूसरी स्त्री से ही होता है और वो उसकी माँ, बहन, दादी, सास, बेटी, बहू जैसे रिश्ते है जिससे बहुत ही प्यार विश्वास के साथ निभाती है, पर मेरी जिंदगी ऐसी नही है मुझे तो हर कदम पर एक औरत या स्त्री ने ही धोखा दिया है।
"""ठीक उसी तरह जैसे कुल्हाड़ी जिस लकड़ी से बनती है और उसी लकड़ी को काटती है ""
शायद आप सब कहानी के नायक के बारे में जानने को उत्सुक हो रहे है? धीरज रखिये. यदि आप इस कहानी को पढ़कर तुरंत निष्कर्ष पर पहुचने को लालायित हैं तो शायद आप को दूसरी कहानियों पढ़नी चाहिए. क्षमा कीजिएगा पर धीरज का फल हमेशा मीठा होता है.
इस कथा का नायक इस समय निजी हॉस्पिटल में भविष्य निर्माण के लिए पिछले कई वर्षों से अपनी practice पूरी ईमानदारी से कर रहा है.