भाग - 2
अक्षय ने विस्तार से अपनी रणनीति बतानी चालू की। रिया उस रणनीति का एक मानचित्र अपने बदन पर अंकित कर रही थी। रिया को ये सब आता था। और बहुत अच्छे तरीके से आता था। जैसे-जैसे अक्षय आगे बढ़ रहा था, वैसे-वैसे रिया भी अपने हाथों से आगे बढ़ रही थी। यही आगे बढ़ने का सिलसिला पंद्रह मिनट तक चला और फिर दोनों थक गए। ये थकावट जो हर किसी का मन मोह लेती है, वो रिया को अक्षय की वजह से हर सुबह हो रही थी। रिया ने कभी एतराज नहीं किया बल्कि वह खुश होती थी और खुशी-खुशी में अक्षय को फोन से ही चूम लेती। अक्षय के यही फीस थी। थकावट भरी आहों में दिया गया चुंबन।
(कुछ महीने पहले)
“तो तुने उसको कुछ सीखाया नहीं क्या?” पूजा ने रिया से कहा।
“सीखाया? किसको? संजय को? कोई फायदा नहीं। सिखाया उसे जाता है जो कुछ सीखना चाहता हो। संजय तो कुछ सीखना ही नहीं चाहता। सेक्स जैसे उसके लिए कोई नौकरी हो। ऐसा लगता है कि संजय दो नौकरी करता है। एक ऑफिस वाली और एक मुझे चोदने वाली। और दुख की बात तो ये है कि वो दोनों अच्छे से नहीं कर पाता।“ रिया ने कपड़े घड़ी करते हुए कहा।
“अरे! टाइम लगता है। मेरे वाले को भी नहीं आता था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। सिखाती रही और अब देखो... रोज रात को आइसक्रीम लेकर आता है, और खुद मेरी चुत में लगाकर खाता है।“
“तेरा वाला होशियार होगा.. मेरा वाला तो पूरा गधा है गधा।“
“तो किसी और को ढूंढ ले!”
“क्या बक रही है! पागल वागल हो गई है क्या पूजा?”
“सही ही तो बोल रही हूँ.. क्या गलत है इसमे?” पूजा भी रिया का कपड़े घड़ी करने में हाथ बटा रही थी।
“गलत? पाप है ये, पाप! मुझसे ये पाप न होगा।“
“कौनसा पाप? कैसा पाप? क्या सेक्स करना गलत है?”
“नहीं! पर किसी और के साथ करना गलत है।“
“क्यों?”
“क्यों क्या होता है, गलत है यार ये सब। और लोग क्या बोलेंगे, अगर पता चल गया किसी को। समाज में मुँह दिखाने के लायक नहीं बचेंगे। देखती नहीं कैसी-कैसी न्यूज आती है पेपर में।“
“लोग क्या सोचेंगे, ये वो छोड़ पहले... ये बता गलत क्यों है?”
“यार! अपने पति को धोखा देना गलत नहीं है?”
“अच्छा! ये बता कि पत्नी को खुश न रखना गलत नहीं है?”
“...” रिया के पास जवाब नहीं था।
“बता न, पति का फर्ज नहीं बनता क्या कि वो अपनी पत्नी को हर तरीके से खुश रखे? तुम कितना कुछ करती हो संजय को खुश रखने के लिए और वो तुम्हें खुश नहीं रख सकता क्या इसके बदले?”
“हाँ! पर...” रिया अब रुक चुकी थी। रिया ने कपड़े घड़ी करना भी बंद कर दिया था।
“पर क्या? वो मेरी दोस्त है न मेघा...?”
“वो कॉलेज वाली..?”
“हाँ हाँ वही। वो तो करती है सब कुछ।“
“सब कुछ?”
“हाँ सब कुछ?”
“सेक्स भी?”
“हाँ! सब कुछ!”
“बाप रे! और किसी को कुछ पता नहीं चला?”
“नहीं!, अभी तक तो नहीं। समझदार है, पढ़ी लिखी है।“
“फिर भी, कितना रिस्क है।“
“रिस्क के बिना मज़ा भी तो नहीं मिल रहा।“
“हम्म! लेकिन किसके साथ कर रही है?”
“एक लड़का मिला था उसको ऑन लाइन, उसी से खेल रही है वो।“
“ऑन लाइन, फेस्बूक से?”
“नहीं।“
“फिर?”
“********* से!”
“अब ये क्या है?”
“एक एप है, उसमे ग्रुप्स होते हैं। वहाँ से उसने ढूँढा एक लड़का और मस्त मजे लेती है।“
“सही है यार! साला हमारे पढ़ने का क्या फायदा... जब कुछ काम ही नहीं आ रहा। वो ही सारा यूज कर रही है अपना knowledge!”
“और नहीं तो क्या?”
“तु ने ट्राइ किया?” रिया ने उत्सुकता से पूजा से पूछा।
“हाँ, किया था एक दो बार।“ पूजा ने हँसते हुए कहा।
“फिर कोई मिला..?”
“रुक दिखाती हूँ।“
पूजा ने तुरंत मोबाईल खोलकर दिखाना चालू किया। पूजा ने ग्रुप्स कैसे काम करता है? अकाउंट कैसे बनाते हैं? किससे बात करनी चाहिए किससे नहीं- ऐसे अनेक सवालों के जवाब उसने रिया को बिना पूछे ही दे दिए। पूजा भी चाहती थी कि रिया मजे ले। पूजा और रिया अच्छे दोस्त थे। पूजा एक माला नीचे रहती थी। दोनों के पति जब ऑफिस चले जाते तो टाइम निकालकर गप्पे मारने इकट्ठा हो जाती। हर तरह की बातें करती। सास किस बात के लिए गुस्सा है, पति ने कल क्या फर्माइस करी है, ससुराल में क्या चल रहा है, माइका कब जाना है, बच्चे कब करने है, सब्जी कौनसी लानी है। ये सब बातें वो करती। इतनी आनंद की अनुभूति उन्हें शायद ही अपने पति से बात करने के बाद होती होगी। आजकल के पति, अपने पत्नियों से ज्यादा मोबाईल से बात करते हैं। यूट्यूब लगा लेंगे और चालू हो जाएँगे। तुम रोटी लाते रहो ये ठूसते जाएँगे। रोटी खतम, हाथ धोया और फिर मोबाईल। इसलिए, इन पतियों की पत्नियों किसी और का दरवाजा खटखटाने जाती हैं। गलती किसकी है? पति की या पत्नी की? पता नहीं। लेकिन एक बात जरूर पता है कि दोनों पापी हैं। दोनों पाप कर रहे हैं लेकिन मजबूरी में। लेकिन सजा तो मिलनी ही है। ऊपर वाला हर चीज का लेखा जोखा रखता है। सवाल है कि रिया पाप करने के लिए किस हद तक जा सकती है? इसका जवाब आने वालों भागों में ही मिलेगा। मेरी कहानियाँ पढ़ने के लिए धन्यवाद। अपने विचार जरूर व्यक्त करें।