• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller शतरंज की चाल

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,074
39,162
259
Thoda busy hai apan bade bhaiya, jald hi read karne ka try karega apan :declare:
आराम से पढ़ो, हम भी अगला अपडेट कुछ दिन बाद ही दे पाएंगे।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,074
39,162
259
Sabse pehle to kahani ke 100 pages pure hone par Hardik Shubhkamnaye Riky007 Bhai,
धन्यवाद भाई 🙏🏼
Manish ko dekhkar kabhi labhi lagta he ki koi insaan itna bhi bewkoof ho sakta he...........

Jab revolver padi thi to use uthane ki kya jarurat thi..............jaisa ki kamdev99008 Bhai ne kaha , Readymade katil mil gaya........
उसे सही से दिखा नहीं था कि क्या है, बाकुछ दिखा और उसने उठा लिया, और उठते ही उसकी नजर रजत मित्तल पर पड़ी।
Ho na ho, jo koi in sabke peeche he...........vo Mittal mension me hi rehta he........
बिल्कुल बिना इसके कैसे पॉसिबल है।
Keep rocking Bro
धन्यवाद भाई 🙏🏼
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,865
54,692
259
#अपडेट २६


अब तक आपने पढ़ा -


समर ने बताया था कि वाल्ट के अंदर पहुंचे लुटेरों को हथियार अंदर ही किसी वाल्ट से मिले, और उनके पास से वाल्ट का ब्लू प्रिंट भी मिला था, इन दोनों बातों को दबा दिया गया।


समाचार देखते देखते मेरे मन में बहुत तेज हलचल मची हुई थी, और मेरा दिल कर रहा था कि मित्तल सर को जा कर मैं सब कुछ बता दूं। इसी उधेड़बुन में शाम ढल गई और मेरे फ्लैट की डोर बेल बजी....


अब आगे -


ये समर था, मैने उसे अंदर आने दिया। वो भी काफी थका दिख रहा था।


कुछ देर ऐसे ही बात करके वो चला गया। उसने बताया कि वाल्ट के अंदर ही एक हैंडबैग में हथियार रखे मिले उन लोग को। फार्म हाउस में जो मारे गए माइकल उनमें से ही एक था। और जो लोग पकड़े गए हैं उनका एकमात्र कॉन्टेक्ट प्वाइंट माइकल ही था तो अभी तो फिलहाल कोई भी तरीका नहीं दिख रहा है उस मास्टरमाइंड तक पहुंचने का।


उसके जाने के बाद भी मैं उधेड़बुन में था कि मित्तल सर को बताऊं या नहीं। यही सोचते सोचते मैं सोफे पर ही सो गया। अगली सुबह ऑफिस जाने पर दिन भर पुलिस की इन्वेस्टिगेशन और लोगों की इंक्वायरी ही चलती रही। इस घटना के बाद शेयर मार्केट में भी कंपनी के शेयर को एक तगड़ा झटका लगा था। हालांकि मित्तल सर ने अपने कॉन्टेक्ट द्वारा सरकार से प्रेस नोट निकलवा दिया कि सरकार का सोना पूरी तरह से सुरक्षित है और सरकार भी इसकी सिक्योरिटी से संतुष्ट है। इससे बाजार में मची अफरा तफरी कुछ कम हुई। शाम को मैं एक बार मित्तल सर के बारे में पता किया तो वो शायद घर को निकल गए थे। इसीलिए उनसे मिले बिना मैं अपने फ्लैट पर आ गया।


मेरे फोन पर करण का फोन आया, और उसे किसी फाइल पर साइन लेने थे, पर आज की अफरा तफरी के कारण नहीं ले पाया था, इसीलिए मैने उसे अपने फ्लैट पर ही बुला लिया था। करीब 6 बजे वो मेरे घर आया। मैने उसे बैठा कर फाइल पर साइन किए और उसे ड्रिंक का पूछा, जिसपर वो तैयार हो गया। मैं अपने कमरे में व्हिस्की की बोतल और ग्लास लेने चला गया।


जब मैं बाहर आया तो करण सोफे से उठा हुआ था और कुछ बेचैन लग रहा था। मेरे बाहर आते ही उसने कहा, "सर, आज रहने दीजिए, अभी पापा का कॉल था, वो लोग यहीं है आज कल, और मां की तबियत कुछ सही नहीं है। इसीलिए थोड़ा जल्दी घर पहुंचना है।"


मैने उसे जाने की इजाजत दे दी। और खुद अकेले ही एक पैग बना कर बैठ गया। पीते पीते भी मैं यही सोच रहा था कि क्या सर को सब बता दूं, फिर एकदम से मैं उठा कर कार की चाभी ली और मित्तल मेंशन की ओर चल दिया।


मैं कोई आधे घंटे बाद मित्तल मेंशन के बाहर था, एक मिनिट को गाड़ी रोक कर मैं गेट के बाहर फिर से विचार किया कि सर को बताना चाहिए या नहीं, पर इस बार मन पक्का कर लिया और फिर एंट्री करवा कर अंदर चल गया।


पार्किंग में बाहर की तरफ गाड़ी लगा कर मैं अंदर गया, हॉल खाली था, कोई था नहीं वहां पर, फिर मैं सीधे अंदर की ओर बढ़ गया, नीचे सबसे पहले श्रेय का कमरा पड़ता था जो इस समय अंदर से बंद था। और उसी के पास से सीढ़ी थी ऊपर के फ्लोर पर जाने के लिए। रजत सर का परिवार ऊपर ही रहता था और महेश अंकल का नीचे। मैं सीढ़ी से ऊपर पहुंचा और सामने ही मित्तल सर की स्टडी थी, जिसकी लाइट जल रही थी। इसका मतलब वो अभी स्टडी में ही थे।


मैंने एक बार दरवाजा खटखटाया, मगर अंदर से कोई जवाब नहीं आया, तो मैने हल्के से दरवाजे को धक्का दिया तो वो खुल गया। अंदर मुझे कोई नहीं दिखा, मगर मुझे कुछ अजीब सा अहसास हुआ तो मैं अंदर की ओर बढ़ा। अंदर सर के की चेयर टेबल के पीछे गिरी हुई थी। ये देख मैं और आगे बढ़ा तो नीचे टेबल और गेस्ट चेयर के बीच कुछ गिरा हुआ था। मैने झुक कर उसे उठाया, और वो एक रिवॉल्वर थी। मैं उसे उठा कर जैसे ही सीधा हुआ टेबल के उस पार मित्तल सर औंधे मुंह गिरे हुए थे।


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"



उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....
Koi to bohot bada master mind hai in sab ke peeche, acha hua bhodi wala fas gaya, saale ko jyada hi chull thi mittal ke pas jane ki batao,
Na wo waha jaata na fasta:sigh:
Khair apne ko kya ? Nice update 👍 👌🏻
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,865
54,692
259
रंगे हाथों मिला है, अब पकड़ा गया या नहीं वो तो आगे ही पता चलेगा।

और हां, अव्वल दर्जे का बेवकूफ है वो 😌
Wo to hona hi hai, tum jo likh rahe ho aisa, :sigh: Varna romesh ki tarah hosiyaar banane ka tha na:approve:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,865
54,692
259
Riky007 update kidhar hai? :idk1:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,074
39,162
259
#अपडेट २७


अब तक आपने पढ़ा -


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"


उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....


अब आगे -


"प्रिया, ये मैने नहीं किया।" ये बोलते हुए मैं खड़ा हुआ और वो रिवॉल्वर वहीं पर फेक दी।


लेकिन तब तक प्रिया स्टडी से बाहर जा कर चिल्लाने लगी थी, स्टडी साउंड प्रूफ बनी थी तो आवाज बाहर नहीं जाती थी। प्रिया की आवाज सुन कर साथ वाले कमरे से प्रिया की मां भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन मेरे हाथ से बाहर जा चुकी थी, और ऐसे में बस मुझे एक ही ख्याल आया, "भागो।"


और मैंने बाहर को दौड़ लगा दी। प्रिया को किनारे करके मैं सीधे नीचे जाने लगा, मगर श्रेय ऊपर आ रहा था। उसने मुझे देखते ही पकड़ने की कोशिश की, मगर मैने उसे धक्का देते हुए कहा, "श्रेय मैने कुछ भी नहीं किया, मेरी बात मानो प्लीज।" मगर पीछे से प्रिया की लगातार आवाज आ रही थी, "मनीष ने पापा को गोली मार दी।"


मेरे धक्के से श्रेय थोड़ा लड़खड़ाया और मैने भागने का मौका देख फिर से बाहर को दौड़ लगा दी।


बाहर से गार्ड मुख्य दरवाजे से अंदर आ रहे थे, ये देख मैं पार्किंग वाले दरवाजे की ओर मूड गया, वहां कोई नहीं था। बाहर निकल कर मैं सीधा अपनी कार में गया, जो सबसे आगे खड़ी थी, और स्टार्ट करके मैं गेट की ओर निकल गया। घर के अंदर मचे हंगामे के कारण सारे गार्ड गेट छोड़ कर अंदर की ओर जा चुके थे, मगर अब वो बाहर की ओर आने लगे, पर तब तक मैने अपनी कार दौड़ा दी थी।


मित्तल मेंशन की रोड से मुख्य सड़क तक आते हुए मुझे एंबुलेंस भी आती हुई दिख गई। मगर मैं अब सीधे अपने अपार्टमेंट की ओर चल पड़ा, और तेज रफ्तार से अंदर चल गया और सीधे अपने फ्लैट में आ कर ही रुका।


कुछ सांस लेने के बाद मैने सीधे समर को फोन लगाया।


"हेलो समर?"


"ये क्या किया भाई तूने?"


"मैने नहीं किया यार। वैसे मित्तल सर क्या?"


"पता है मुझे कि ऐसा काम और वो भी मित्तल साहब के साथ तू तो नहीं ही करेगा। मित्तल सर को अभी तो हॉस्पिटल ले जाया गया है, क्रिटिकल हैं पर जिंदा हैं अभी। तू है कहां?"


"अपने फ्लैट पर।"


"अरे यार, पुलिस निकल चुकी है वहां के लिए। एक काम कर, किसी तरह बिना नजरों में आए बिल्डिंग के पीछे की ओर पहुंच, मैं अभी वहां आता हूं।"


फोन रख कर मैं अपने फ्लैट से बाहर निकला, वैसे ही मुझे पुलिस के सायरन की आवाज आई जो बहुत ही करीब से थी, शायद वो लोग अंदर आ चुके थे। अब मुझे किसी भी हाल में बिना किसी की नजर में आए बिल्डिंग से निकलना था, इसीलिए मैने थोड़ी हिम्मत जुटा कर वापस से अपने फ्लैट में गया और अंदर से लॉक करके बालकनी में पहुंचा, मेरा फ्लैट पांचवे माले पर था। बालकनी के साइड से ड्रेनेज पाइप निकला हुआ था, जिसे आसानी से पकड़ा जा सकता था। मगर ऊंचाई बहुत थी, इसीलिए मुझे पहले डर लगा, पर मेरे कानो में अभी भी पुलिस सायरन के आवाज आ रही थी, जिसे सुन मेरा सारा डर दूर भाग गया और मैने उस पाइप को पकड़ कर नीचे की ओर धीरे धीरे फिसलने लगा।


कुछ देर में मैं नीचे था। उसी साइड बिल्डिंग का पिछला गेट था जो ज्यादातर समय बंद रहता था, मगर कभी कभी खुला भी मिल जाता था। किस्मत से इस समय वो खुला भी था, और रात होने के कारण किसी ने मुझे देखा भी नहीं था। मैं गेट से बाहर चला गया। कुछ ही देर में मेरे पास एक ब्लैक स्कॉर्पियो आ कर रुकी।


ये समर था, उसने मुझे जल्दी से गाड़ी में बैठाया और फौरन गाड़ी भगा दी। कुछ ही देर में हम शहर के बाहर बायपास पर थे।


समर, "मनीष, यहां से अभी कई जगह जाने की बस निकालेगी, तू पहले कहीं ऐसी जगह निकल जहां तू कुछ दिन पुलिस से बच कर रह सके। वरना एक बार तू अरेस्ट हो गया फिर मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। और ये ले कुछ पैसे रख।" ये बोल कर उसने मुझे कुछ 500 के नोट दिए।


"इसकी जरूरत नहीं है भाई, atm से निकल लूंगा।"


"पागल है क्या, अभी तेरी हर मूवमेंट चेक की जाएगी। कोई ट्रेस मत छोड़, और अपना फोन भी यहीं फेक दे।" ये बोल कर उसने मेरा फोन ले कर स्विच ऑफ करके झाड़ियों में फेक दिया।


"अब मैं चलता हूं, आगे तुमको खुद अपना ख्याल रखना है, शायद कुछ देर में हर जगह ही तुम्हारी तलाश होने लगे तो बहुत देख भाल कर ही कोई ट्रेन या बस पकड़ना। और हां मुझसे कॉन्टेक्ट जरूर करना, जब खुद को सेफ कर लो तब।" ये बोल कर वो निकल गया, और मैं बस का इंतजार करने लगा।


थोड़ी ही देर में अहमदाबाद की बस आ गई और मैं उसमें बैठ कर अहमदाबाद के लिए निकल गया। सुबह 4 बजे के आस पास मैं अहमदाबाद में उतर चुका था, समर के निर्देश के अनुसार मैं चौकन्ना था। और अहमदाबाद स्टेशन के पास ही एक एजेंट से दिल्ली की एक टिकट निकलवा ली, ट्रेन भी कुछ ही देर में थी तो मैं छुपते छुपाते ट्रेन में जा कर बैठ गया।


स्टेशन के टीवी में मित्तल सर की न्यूज ही चल रही थी, जिसमें मित्तल सर की नाजुक हालत के बारे और उन पर हुए हमले के बारे में बताया गया, और मुझे हमलावर बताया जा रहा था। और साथ में उसमें कई और फोटो आ रही थी, मेरी और नेहा की, शिमला वाली, मेरे फ्लैट वाली, और भी एक दो जगह की। मतलब हर जगह की फोटो निकाली गई है थी हम दोनो की। तभी एक बात मेरे दिमाग में आई, जब भी नेहा और मेरा संभोग होता था, उससे पहले नेहा थोड़ा समय अकेले में बिताती थी और जहां वो समय बिताती थी, संभोग भी वहीं होता था। मतलब ये सारी फोटो और शायद वीडियो भी उसी ने कैमरा लगा कर बनाए। इन सब के साथ ये न्यूज चल रही थी कि मैं पहले वाल्ट में लूट करवाना चाहता था, जिसमें नेहा मेरे साथ थी, और उसमें फेल होने के कारण मैने मित्तल सर को गोली मार दी


आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखाने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,074
39,162
259
Suprb apdet

भोले बलम की मैया कर दी नेहा ने तो।
कोई औरत जो इतने राज़ छुपाए, उस पर विश्वास करना महा चूतियापा है। अंततः नेहा ने मनीष के पृष्ठभाग का भटूरा बना ही दिया। अच्छा है। आशिकी का भूत उतर गया होगा।
नाड़े के ढीले लोगों को ऐसे झटके लगने ही हैं।
कंपनी की बत्ती तो लग ही गई है। अब देखना है कि भीतरघाती कौन है।

Kya Neha dhokhebaaz the...maine toh pehle hi predict kar diya tha...yeh Riky007 hi bol rhe the ke bahut Dil ke saaf hai...😑😑

Kya bolu ab? Mujhe jawab chahiye Riky!

:congrats: कहानी के 💯 पृष्ठ पूर्ण होने पर

Baat to sahi hai bhai, chamdi cheez hi aisi hoti hai, ache accho ka dimaag kharaab kar deti hai :D


:congrats: For completed 100 pages on your story thread....

Awesome update
Manish Ki किस्मत जैसे चमकी थी मित्तल साहब के संरक्षण में लगता है नेहा के आने से उसपर ग्रहण लग गया है,
अब सही से लोड़े लगने वाले है मनीष की किस्मत को,
डेलीबेली मूवी का सॉन्ग याद आ रहा है
भाग भाग डीके बॉस जो साउंड करता है भाग भाग भोसडीके ,

Isee sabit hota hai ki hero ko chutiya dikhane se story achchi ban jaati hai:lol1:

Nice update....

Manish itna bada bewkoof hoga pata nahi tha. Mujhe to aisa lagta hai ki Shrey ka bhi hath ho sakta hai. Priya ne Manish ko revolver ke sath pakd liya Romanchak Pratiksha agle rasprad update ki

कोई माने या न माने , जैसे ही मनीष साहब रजत मित्तल साहब के कक्ष मे प्रवेश किए और कक्ष मे मित्तल साहब के रिवाॅल्विंग चेयर की पोजीशन देखी - पढ़ी , तभी मुझे लग गया कि मित्तल साहब प्रभु को प्यारे हो गए ।

आसमान से गिरे और खजूर के पेड़ पर लटके । धरती नसीब ही नही हुआ । मनीष साहब का एक ग्रह राहु का कटा तो शनी का साढ़े साती शुरू हो गया । ढंग से , विधिवत रूप से पूजन करना आरंभ करे मनीष साहब !

बहुत बुरे फंसे है इस बार वह । मित्तल साहब को जिस रिवाल्वर की गोली से हत्या की गई है वह रिवाल्वर उनके हाथ मे और वह भी गवाह के साथ पाया गया है ।
एक बार फिर से तरनतारन की भुमिका बनने की घड़ी आ गई है उनके पुलिस आफिसर फ्रैंड समर सिंह साहब पर ।

जो भी कातिल है वह इस घर का कोई सदस्य ही है । इनवेस्टिगेशन का विषय यह होना चाहिए कि उस वक्त घर मे कौन कौन मौजूद है ! जो भी व्यक्ति घर मे मौजूद है , तहकीकात का केंद्र उन पर केंद्रित होना चाहिए ।

एक बात और श्योर है कि मित्तल साहब की हत्या इसलिए हुई कि उन्हे सच मालूम हो गया था । वह जान गए थे कि बैंक राॅबरी के पीछे कौन था , मनीष के साथ क्या हुआ था , घर का कौन सदस्य घर की नींव ढहाने पर उमादा था ।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
आप की यह कहानी , मेरी नजर मे अब तक की सबसे बेहतरीन कहानी लग रही है ।
जगमग जगमग अपडेट भाई ।

बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
ये सारा खेला मित्तल हाउस से ही चल रहा है उसका उदाहरण मित्तल सर की मौत और उसमें फसाया जा रहा हैं मनिष को
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Jo insaan itni mehnat kr ke itna success gain Kiya hai wo itna to bewkoof nahi hona chahiye tha??

,,,, भाई क्यों झटके पे झटके दे रहे हो, सीधा ........ को पकड़ के खड़ा कर दो दुनिया के सामने,


भाई 3d मूवी देखी थी, लेकिन 3d स्टोरी पहली बार पढ़ रहा हु, ऐसन लगा जैसन हमऊ ही कमरे में खड़े है,
मनीष क्या करेगा सोच सोच के ही डर लग रहा है, क्योंकि एकमात्र ईश्वर रुपी मित्तल साहब का ही सहारा था मनीष को ।
इब तो शराफत गई तेल लेने, लंका लगा दे मनीष सब दुष्टों की

Apan pistol aur lahu kyo imagine kare jiska jhaanth barabar bhi koi matlab nahi, bole to Arjun ke maafik only ek cheez par focus rahta hai apan ka :D

Sabse pehle to kahani ke 100 pages pure hone par Hardik Shubhkamnaye Riky007 Bhai,

Manish ko dekhkar kabhi labhi lagta he ki koi insaan itna bhi bewkoof ho sakta he...........

Jab revolver padi thi to use uthane ki kya jarurat thi..............jaisa ki kamdev99008 Bhai ne kaha , Readymade katil mil gaya........

Ho na ho, jo koi in sabke peeche he...........vo Mittal mension me hi rehta he........

Keep rocking Bro
Update posted 🙏🏼
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
20,865
54,692
259
#अपडेट २७


अब तक आपने पढ़ा -


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"


उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....


अब आगे -


"प्रिया, ये मैने नहीं किया।" ये बोलते हुए मैं खड़ा हुआ और वो रिवॉल्वर वहीं पर फेक दी।


लेकिन तब तक प्रिया स्टडी से बाहर जा कर चिल्लाने लगी थी, स्टडी साउंड प्रूफ बनी थी तो आवाज बाहर नहीं जाती थी। प्रिया की आवाज सुन कर साथ वाले कमरे से प्रिया की मां भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन मेरे हाथ से बाहर जा चुकी थी, और ऐसे में बस मुझे एक ही ख्याल आया, "भागो।"


और मैंने बाहर को दौड़ लगा दी। प्रिया को किनारे करके मैं सीधे नीचे जाने लगा, मगर श्रेय ऊपर आ रहा था। उसने मुझे देखते ही पकड़ने की कोशिश की, मगर मैने उसे धक्का देते हुए कहा, "श्रेय मैने कुछ भी नहीं किया, मेरी बात मानो प्लीज।" मगर पीछे से प्रिया की लगातार आवाज आ रही थी, "मनीष ने पापा को गोली मार दी।"


मेरे धक्के से श्रेय थोड़ा लड़खड़ाया और मैने भागने का मौका देख फिर से बाहर को दौड़ लगा दी।


बाहर से गार्ड मुख्य दरवाजे से अंदर आ रहे थे, ये देख मैं पार्किंग वाले दरवाजे की ओर मूड गया, वहां कोई नहीं था। बाहर निकल कर मैं सीधा अपनी कार में गया, जो सबसे आगे खड़ी थी, और स्टार्ट करके मैं गेट की ओर निकल गया। घर के अंदर मचे हंगामे के कारण सारे गार्ड गेट छोड़ कर अंदर की ओर जा चुके थे, मगर अब वो बाहर की ओर आने लगे, पर तब तक मैने अपनी कार दौड़ा दी थी।


मित्तल मेंशन की रोड से मुख्य सड़क तक आते हुए मुझे एंबुलेंस भी आती हुई दिख गई। मगर मैं अब सीधे अपने अपार्टमेंट की ओर चल पड़ा, और तेज रफ्तार से अंदर चल गया और सीधे अपने फ्लैट में आ कर ही रुका।


कुछ सांस लेने के बाद मैने सीधे समर को फोन लगाया।


"हेलो समर?"


"ये क्या किया भाई तूने?"


"मैने नहीं किया यार। वैसे मित्तल सर क्या?"


"पता है मुझे कि ऐसा काम और वो भी मित्तल साहब के साथ तू तो नहीं ही करेगा। मित्तल सर को अभी तो हॉस्पिटल ले जाया गया है, क्रिटिकल हैं पर जिंदा हैं अभी। तू है कहां?"


"अपने फ्लैट पर।"


"अरे यार, पुलिस निकल चुकी है वहां के लिए। एक काम कर, किसी तरह बिना नजरों में आए बिल्डिंग के पीछे की ओर पहुंच, मैं अभी वहां आता हूं।"


फोन रख कर मैं अपने फ्लैट से बाहर निकला, वैसे ही मुझे पुलिस के सायरन की आवाज आई जो बहुत ही करीब से थी, शायद वो लोग अंदर आ चुके थे। अब मुझे किसी भी हाल में बिना किसी की नजर में आए बिल्डिंग से निकलना था, इसीलिए मैने थोड़ी हिम्मत जुटा कर वापस से अपने फ्लैट में गया और अंदर से लॉक करके बालकनी में पहुंचा, मेरा फ्लैट पांचवे माले पर था। बालकनी के साइड से ड्रेनेज पाइप निकला हुआ था, जिसे आसानी से पकड़ा जा सकता था। मगर ऊंचाई बहुत थी, इसीलिए मुझे पहले डर लगा, पर मेरे कानो में अभी भी पुलिस सायरन के आवाज आ रही थी, जिसे सुन मेरा सारा डर दूर भाग गया और मैने उस पाइप को पकड़ कर नीचे की ओर धीरे धीरे फिसलने लगा।


कुछ देर में मैं नीचे था। उसी साइड बिल्डिंग का पिछला गेट था जो ज्यादातर समय बंद रहता था, मगर कभी कभी खुला भी मिल जाता था। किस्मत से इस समय वो खुला भी था, और रात होने के कारण किसी ने मुझे देखा भी नहीं था। मैं गेट से बाहर चला गया। कुछ ही देर में मेरे पास एक ब्लैक स्कॉर्पियो आ कर रुकी।


ये समर था, उसने मुझे जल्दी से गाड़ी में बैठाया और फौरन गाड़ी भगा दी। कुछ ही देर में हम शहर के बाहर बायपास पर थे।


समर, "मनीष, यहां से अभी कई जगह जाने की बस निकालेगी, तू पहले कहीं ऐसी जगह निकल जहां तू कुछ दिन पुलिस से बच कर रह सके। वरना एक बार तू अरेस्ट हो गया फिर मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। और ये ले कुछ पैसे रख।" ये बोल कर उसने मुझे कुछ 500 के नोट दिए।


"इसकी जरूरत नहीं है भाई, atm से निकल लूंगा।"


"पागल है क्या, अभी तेरी हर मूवमेंट चेक की जाएगी। कोई ट्रेस मत छोड़, और अपना फोन भी यहीं फेक दे।" ये बोल कर उसने मेरा फोन ले कर स्विच ऑफ करके झाड़ियों में फेक दिया।


"अब मैं चलता हूं, आगे तुमको खुद अपना ख्याल रखना है, शायद कुछ देर में हर जगह ही तुम्हारी तलाश होने लगे तो बहुत देख भाल कर ही कोई ट्रेन या बस पकड़ना। और हां मुझसे कॉन्टेक्ट जरूर करना, जब खुद को सेफ कर लो तब।" ये बोल कर वो निकल गया, और मैं बस का इंतजार करने लगा।


थोड़ी ही देर में अहमदाबाद की बस आ गई और मैं उसमें बैठ कर अहमदाबाद के लिए निकल गया। सुबह 4 बजे के आस पास मैं अहमदाबाद में उतर चुका था, समर के निर्देश के अनुसार मैं चौकन्ना था। और अहमदाबाद स्टेशन के पास ही एक एजेंट से दिल्ली की एक टिकट निकलवा ली, ट्रेन भी कुछ ही देर में थी तो मैं छुपते छुपाते ट्रेन में जा कर बैठ गया।


स्टेशन के टीवी में मित्तल सर की न्यूज ही चल रही थी, जिसमें मित्तल सर की नाजुक हालत के बारे और उन पर हुए हमले के बारे में बताया गया, और मुझे हमलावर बताया जा रहा था। और साथ में उसमें कई और फोटो आ रही थी, मेरी और नेहा की, शिमला वाली, मेरे फ्लैट वाली, और भी एक दो जगह की। मतलब हर जगह की फोटो निकाली गई है थी हम दोनो की। तभी एक बात मेरे दिमाग में आई, जब भी नेहा और मेरा संभोग होता था, उससे पहले नेहा थोड़ा समय अकेले में बिताती थी और जहां वो समय बिताती थी, संभोग भी वहीं होता था। मतलब ये सारी फोटो और शायद वीडियो भी उसी ने कैमरा लगा कर बनाए। इन सब के साथ ये न्यूज चल रही थी कि मैं पहले वाल्ट में लूट करवाना चाहता था, जिसमें नेहा मेरे साथ थी, और उसमें फेल होने के कारण मैने मित्तल सर को गोली मार दी



आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखाने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....
Manish ke liye bas ek hi sabd bacha hai " laut ke buddhu ghar ko aaye" babu ji hi aasra denge, main bhi yahi soch raha tha ki, wo dhabe wala hi bacha sakta hai use :approve:
Samar hi kaam ka aadmi hai, manish to chutiya hi hai:sigh:
Nice update 👌🏻
 

Sunli

Member
443
850
93
#अपडेट २७


अब तक आपने पढ़ा -


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"


उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....


अब आगे -


"प्रिया, ये मैने नहीं किया।" ये बोलते हुए मैं खड़ा हुआ और वो रिवॉल्वर वहीं पर फेक दी।


लेकिन तब तक प्रिया स्टडी से बाहर जा कर चिल्लाने लगी थी, स्टडी साउंड प्रूफ बनी थी तो आवाज बाहर नहीं जाती थी। प्रिया की आवाज सुन कर साथ वाले कमरे से प्रिया की मां भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन मेरे हाथ से बाहर जा चुकी थी, और ऐसे में बस मुझे एक ही ख्याल आया, "भागो।"


और मैंने बाहर को दौड़ लगा दी। प्रिया को किनारे करके मैं सीधे नीचे जाने लगा, मगर श्रेय ऊपर आ रहा था। उसने मुझे देखते ही पकड़ने की कोशिश की, मगर मैने उसे धक्का देते हुए कहा, "श्रेय मैने कुछ भी नहीं किया, मेरी बात मानो प्लीज।" मगर पीछे से प्रिया की लगातार आवाज आ रही थी, "मनीष ने पापा को गोली मार दी।"


मेरे धक्के से श्रेय थोड़ा लड़खड़ाया और मैने भागने का मौका देख फिर से बाहर को दौड़ लगा दी।


बाहर से गार्ड मुख्य दरवाजे से अंदर आ रहे थे, ये देख मैं पार्किंग वाले दरवाजे की ओर मूड गया, वहां कोई नहीं था। बाहर निकल कर मैं सीधा अपनी कार में गया, जो सबसे आगे खड़ी थी, और स्टार्ट करके मैं गेट की ओर निकल गया। घर के अंदर मचे हंगामे के कारण सारे गार्ड गेट छोड़ कर अंदर की ओर जा चुके थे, मगर अब वो बाहर की ओर आने लगे, पर तब तक मैने अपनी कार दौड़ा दी थी।


मित्तल मेंशन की रोड से मुख्य सड़क तक आते हुए मुझे एंबुलेंस भी आती हुई दिख गई। मगर मैं अब सीधे अपने अपार्टमेंट की ओर चल पड़ा, और तेज रफ्तार से अंदर चल गया और सीधे अपने फ्लैट में आ कर ही रुका।


कुछ सांस लेने के बाद मैने सीधे समर को फोन लगाया।


"हेलो समर?"


"ये क्या किया भाई तूने?"


"मैने नहीं किया यार। वैसे मित्तल सर क्या?"


"पता है मुझे कि ऐसा काम और वो भी मित्तल साहब के साथ तू तो नहीं ही करेगा। मित्तल सर को अभी तो हॉस्पिटल ले जाया गया है, क्रिटिकल हैं पर जिंदा हैं अभी। तू है कहां?"


"अपने फ्लैट पर।"


"अरे यार, पुलिस निकल चुकी है वहां के लिए। एक काम कर, किसी तरह बिना नजरों में आए बिल्डिंग के पीछे की ओर पहुंच, मैं अभी वहां आता हूं।"


फोन रख कर मैं अपने फ्लैट से बाहर निकला, वैसे ही मुझे पुलिस के सायरन की आवाज आई जो बहुत ही करीब से थी, शायद वो लोग अंदर आ चुके थे। अब मुझे किसी भी हाल में बिना किसी की नजर में आए बिल्डिंग से निकलना था, इसीलिए मैने थोड़ी हिम्मत जुटा कर वापस से अपने फ्लैट में गया और अंदर से लॉक करके बालकनी में पहुंचा, मेरा फ्लैट पांचवे माले पर था। बालकनी के साइड से ड्रेनेज पाइप निकला हुआ था, जिसे आसानी से पकड़ा जा सकता था। मगर ऊंचाई बहुत थी, इसीलिए मुझे पहले डर लगा, पर मेरे कानो में अभी भी पुलिस सायरन के आवाज आ रही थी, जिसे सुन मेरा सारा डर दूर भाग गया और मैने उस पाइप को पकड़ कर नीचे की ओर धीरे धीरे फिसलने लगा।


कुछ देर में मैं नीचे था। उसी साइड बिल्डिंग का पिछला गेट था जो ज्यादातर समय बंद रहता था, मगर कभी कभी खुला भी मिल जाता था। किस्मत से इस समय वो खुला भी था, और रात होने के कारण किसी ने मुझे देखा भी नहीं था। मैं गेट से बाहर चला गया। कुछ ही देर में मेरे पास एक ब्लैक स्कॉर्पियो आ कर रुकी।


ये समर था, उसने मुझे जल्दी से गाड़ी में बैठाया और फौरन गाड़ी भगा दी। कुछ ही देर में हम शहर के बाहर बायपास पर थे।


समर, "मनीष, यहां से अभी कई जगह जाने की बस निकालेगी, तू पहले कहीं ऐसी जगह निकल जहां तू कुछ दिन पुलिस से बच कर रह सके। वरना एक बार तू अरेस्ट हो गया फिर मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। और ये ले कुछ पैसे रख।" ये बोल कर उसने मुझे कुछ 500 के नोट दिए।


"इसकी जरूरत नहीं है भाई, atm से निकल लूंगा।"


"पागल है क्या, अभी तेरी हर मूवमेंट चेक की जाएगी। कोई ट्रेस मत छोड़, और अपना फोन भी यहीं फेक दे।" ये बोल कर उसने मेरा फोन ले कर स्विच ऑफ करके झाड़ियों में फेक दिया।


"अब मैं चलता हूं, आगे तुमको खुद अपना ख्याल रखना है, शायद कुछ देर में हर जगह ही तुम्हारी तलाश होने लगे तो बहुत देख भाल कर ही कोई ट्रेन या बस पकड़ना। और हां मुझसे कॉन्टेक्ट जरूर करना, जब खुद को सेफ कर लो तब।" ये बोल कर वो निकल गया, और मैं बस का इंतजार करने लगा।


थोड़ी ही देर में अहमदाबाद की बस आ गई और मैं उसमें बैठ कर अहमदाबाद के लिए निकल गया। सुबह 4 बजे के आस पास मैं अहमदाबाद में उतर चुका था, समर के निर्देश के अनुसार मैं चौकन्ना था। और अहमदाबाद स्टेशन के पास ही एक एजेंट से दिल्ली की एक टिकट निकलवा ली, ट्रेन भी कुछ ही देर में थी तो मैं छुपते छुपाते ट्रेन में जा कर बैठ गया।


स्टेशन के टीवी में मित्तल सर की न्यूज ही चल रही थी, जिसमें मित्तल सर की नाजुक हालत के बारे और उन पर हुए हमले के बारे में बताया गया, और मुझे हमलावर बताया जा रहा था। और साथ में उसमें कई और फोटो आ रही थी, मेरी और नेहा की, शिमला वाली, मेरे फ्लैट वाली, और भी एक दो जगह की। मतलब हर जगह की फोटो निकाली गई है थी हम दोनो की। तभी एक बात मेरे दिमाग में आई, जब भी नेहा और मेरा संभोग होता था, उससे पहले नेहा थोड़ा समय अकेले में बिताती थी और जहां वो समय बिताती थी, संभोग भी वहीं होता था। मतलब ये सारी फोटो और शायद वीडियो भी उसी ने कैमरा लगा कर बनाए। इन सब के साथ ये न्यूज चल रही थी कि मैं पहले वाल्ट में लूट करवाना चाहता था, जिसमें नेहा मेरे साथ थी, और उसमें फेल होने के कारण मैने मित्तल सर को गोली मार दी



आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखाने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....
Suprb apdet Bhai
 

parkas

Well-Known Member
27,949
61,864
303
#अपडेट २७


अब तक आपने पढ़ा -


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"


उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....


अब आगे -


"प्रिया, ये मैने नहीं किया।" ये बोलते हुए मैं खड़ा हुआ और वो रिवॉल्वर वहीं पर फेक दी।


लेकिन तब तक प्रिया स्टडी से बाहर जा कर चिल्लाने लगी थी, स्टडी साउंड प्रूफ बनी थी तो आवाज बाहर नहीं जाती थी। प्रिया की आवाज सुन कर साथ वाले कमरे से प्रिया की मां भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन मेरे हाथ से बाहर जा चुकी थी, और ऐसे में बस मुझे एक ही ख्याल आया, "भागो।"


और मैंने बाहर को दौड़ लगा दी। प्रिया को किनारे करके मैं सीधे नीचे जाने लगा, मगर श्रेय ऊपर आ रहा था। उसने मुझे देखते ही पकड़ने की कोशिश की, मगर मैने उसे धक्का देते हुए कहा, "श्रेय मैने कुछ भी नहीं किया, मेरी बात मानो प्लीज।" मगर पीछे से प्रिया की लगातार आवाज आ रही थी, "मनीष ने पापा को गोली मार दी।"


मेरे धक्के से श्रेय थोड़ा लड़खड़ाया और मैने भागने का मौका देख फिर से बाहर को दौड़ लगा दी।


बाहर से गार्ड मुख्य दरवाजे से अंदर आ रहे थे, ये देख मैं पार्किंग वाले दरवाजे की ओर मूड गया, वहां कोई नहीं था। बाहर निकल कर मैं सीधा अपनी कार में गया, जो सबसे आगे खड़ी थी, और स्टार्ट करके मैं गेट की ओर निकल गया। घर के अंदर मचे हंगामे के कारण सारे गार्ड गेट छोड़ कर अंदर की ओर जा चुके थे, मगर अब वो बाहर की ओर आने लगे, पर तब तक मैने अपनी कार दौड़ा दी थी।


मित्तल मेंशन की रोड से मुख्य सड़क तक आते हुए मुझे एंबुलेंस भी आती हुई दिख गई। मगर मैं अब सीधे अपने अपार्टमेंट की ओर चल पड़ा, और तेज रफ्तार से अंदर चल गया और सीधे अपने फ्लैट में आ कर ही रुका।


कुछ सांस लेने के बाद मैने सीधे समर को फोन लगाया।


"हेलो समर?"


"ये क्या किया भाई तूने?"


"मैने नहीं किया यार। वैसे मित्तल सर क्या?"


"पता है मुझे कि ऐसा काम और वो भी मित्तल साहब के साथ तू तो नहीं ही करेगा। मित्तल सर को अभी तो हॉस्पिटल ले जाया गया है, क्रिटिकल हैं पर जिंदा हैं अभी। तू है कहां?"


"अपने फ्लैट पर।"


"अरे यार, पुलिस निकल चुकी है वहां के लिए। एक काम कर, किसी तरह बिना नजरों में आए बिल्डिंग के पीछे की ओर पहुंच, मैं अभी वहां आता हूं।"


फोन रख कर मैं अपने फ्लैट से बाहर निकला, वैसे ही मुझे पुलिस के सायरन की आवाज आई जो बहुत ही करीब से थी, शायद वो लोग अंदर आ चुके थे। अब मुझे किसी भी हाल में बिना किसी की नजर में आए बिल्डिंग से निकलना था, इसीलिए मैने थोड़ी हिम्मत जुटा कर वापस से अपने फ्लैट में गया और अंदर से लॉक करके बालकनी में पहुंचा, मेरा फ्लैट पांचवे माले पर था। बालकनी के साइड से ड्रेनेज पाइप निकला हुआ था, जिसे आसानी से पकड़ा जा सकता था। मगर ऊंचाई बहुत थी, इसीलिए मुझे पहले डर लगा, पर मेरे कानो में अभी भी पुलिस सायरन के आवाज आ रही थी, जिसे सुन मेरा सारा डर दूर भाग गया और मैने उस पाइप को पकड़ कर नीचे की ओर धीरे धीरे फिसलने लगा।


कुछ देर में मैं नीचे था। उसी साइड बिल्डिंग का पिछला गेट था जो ज्यादातर समय बंद रहता था, मगर कभी कभी खुला भी मिल जाता था। किस्मत से इस समय वो खुला भी था, और रात होने के कारण किसी ने मुझे देखा भी नहीं था। मैं गेट से बाहर चला गया। कुछ ही देर में मेरे पास एक ब्लैक स्कॉर्पियो आ कर रुकी।


ये समर था, उसने मुझे जल्दी से गाड़ी में बैठाया और फौरन गाड़ी भगा दी। कुछ ही देर में हम शहर के बाहर बायपास पर थे।


समर, "मनीष, यहां से अभी कई जगह जाने की बस निकालेगी, तू पहले कहीं ऐसी जगह निकल जहां तू कुछ दिन पुलिस से बच कर रह सके। वरना एक बार तू अरेस्ट हो गया फिर मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। और ये ले कुछ पैसे रख।" ये बोल कर उसने मुझे कुछ 500 के नोट दिए।


"इसकी जरूरत नहीं है भाई, atm से निकल लूंगा।"


"पागल है क्या, अभी तेरी हर मूवमेंट चेक की जाएगी। कोई ट्रेस मत छोड़, और अपना फोन भी यहीं फेक दे।" ये बोल कर उसने मेरा फोन ले कर स्विच ऑफ करके झाड़ियों में फेक दिया।


"अब मैं चलता हूं, आगे तुमको खुद अपना ख्याल रखना है, शायद कुछ देर में हर जगह ही तुम्हारी तलाश होने लगे तो बहुत देख भाल कर ही कोई ट्रेन या बस पकड़ना। और हां मुझसे कॉन्टेक्ट जरूर करना, जब खुद को सेफ कर लो तब।" ये बोल कर वो निकल गया, और मैं बस का इंतजार करने लगा।


थोड़ी ही देर में अहमदाबाद की बस आ गई और मैं उसमें बैठ कर अहमदाबाद के लिए निकल गया। सुबह 4 बजे के आस पास मैं अहमदाबाद में उतर चुका था, समर के निर्देश के अनुसार मैं चौकन्ना था। और अहमदाबाद स्टेशन के पास ही एक एजेंट से दिल्ली की एक टिकट निकलवा ली, ट्रेन भी कुछ ही देर में थी तो मैं छुपते छुपाते ट्रेन में जा कर बैठ गया।


स्टेशन के टीवी में मित्तल सर की न्यूज ही चल रही थी, जिसमें मित्तल सर की नाजुक हालत के बारे और उन पर हुए हमले के बारे में बताया गया, और मुझे हमलावर बताया जा रहा था। और साथ में उसमें कई और फोटो आ रही थी, मेरी और नेहा की, शिमला वाली, मेरे फ्लैट वाली, और भी एक दो जगह की। मतलब हर जगह की फोटो निकाली गई है थी हम दोनो की। तभी एक बात मेरे दिमाग में आई, जब भी नेहा और मेरा संभोग होता था, उससे पहले नेहा थोड़ा समय अकेले में बिताती थी और जहां वो समय बिताती थी, संभोग भी वहीं होता था। मतलब ये सारी फोटो और शायद वीडियो भी उसी ने कैमरा लगा कर बनाए। इन सब के साथ ये न्यूज चल रही थी कि मैं पहले वाल्ट में लूट करवाना चाहता था, जिसमें नेहा मेरे साथ थी, और उसमें फेल होने के कारण मैने मित्तल सर को गोली मार दी



आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखाने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....
Bahut hi badhiya update diya hai Riky007 bhai....
Nice and beautiful update....
 
Top