Rizwana Hasan
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Thanksbahut bahut mast update aur ekdum mind blowing update!
Kamal ki writing.पापा:- हाँ बेटी जल्दी से आटा गूंध लो ताकि फिर हम खाना खा कर थोड़ी देर आराम कर सकें फिर रात को तुम्हारी रेशेस भी तो ठीक करनी हैं.
मैं:- हाँ पापा मैं अब जल्दी से आटा गूंधती हूँ.
पापा अभी भी एक हाथ से मेरी नंगी चूची को सेहला रहे थे. पर अभी भी उनका दूसरा हाथ बाहर था. इधर वे मेरे पिछवाड़े से चिपके पड़े थे और उनका तना हुआ लौड़ा मेरी गांड में चूभ रहा था. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें.
मन तो उनका था कि वो दूसरा हाथ भी मेरी टी शर्ट के अंदर डाल कर मेरी दूसरी चूची अपने हाथ में पकड़ लें. पर किस बहाने से दूसरा हाथ मेरी टी शर्ट में डालें.
इधर मैं भी यही सोच रही थी की चूची सेहलवाने का मजा आ रहा है, कहीं पापा चले न जाएँ. तब तो गांड में लौड़ा रगड़वाने का आनंद जो अभी मिल भी रहा है, वो भी खतम हो जायेगा.
आखिर पापा बोले
"बेटी सुमन! तुम कहो तो मैं जा कर ड्राइंग रूम में बैठ जाता हूँ तब तक तुम आटा गूंध लो। यदि मेरी कोई जरूरत है तो बोलो मैं नहीं जाता और यहीं तुम्हारी हेल्प कर देता हूँ. "
अब पापा ने गेंद मेरे पाले में डाल दी थी, ताकि मैं खुद उनको रोकूं.
मैंने सोचा जब इतना कुछ हो ही रहा है तो मुझे भी तो कुछ पहल करनी ही चाहिए, तो मैं पापा को खुल कर मजा देने और उनका होंसला बढ़ाने के लिए बोली
"पापा आप ने तो चेक कर ही लिया है कि मैंने आज अपनी ब्रा नहीं पहनी और सिर्फ पैंटी ही पहनी है,
अभी समस्या यह है कि आटा गूंधने में शरीर बहुत हिलता है, जिस से मेरी छातियां (अभी भी शर्म के कारण मम्मे शब्द नहीं बोल पा रही थी) जोर जोर से इधर उधर हिलती है, हिलने से मुझे समस्या होती है, मैं चाहती तो हूँ की जा कर ब्रा पहन लूँ, ताकि इनका हिलना रुक जाये, पर मेरे हाथों में देखो तो कितना आटा लगा हुआ है , मुझे सब धोना पड़ेगा. आप को कोई और काम न हो तो आप मेरी मदद कर दें, कि या तो मुझे ला कर ब्रा दे दें और मुझे ब्रा पहना दें ताकि मेरी छातियां हिलना बंद हों या मेरी छातिओं को थोड़ी देर सम्हाल लीजिये ताकि मैं गूंध सकूँ. फिर चाहे आप चले जाना. "
यह कह कर मैंने खुल कर पापा को अपनी दोनों चूचियां पकड़ने का सुअवसर प्रदान कर दिया. मैं जानती थी की पापा कम से कम इस मौके को तो छोड़ने वाले नहीं थे.
मेरी ऑफर सुन कर पापा की तो बांछें ही खिल गयी. उन के लौड़े ने एक जोर का झटका मारा , गांड की दरार में घुसा होने के कारण मुझे उनकी इस ख़ुशी का साफ़ साफ़ एहसास हुआ.
पापा ने तुरंत अपने तने हुए लौड़े को और थोड़ा धक्का मारते कहा.
"अरे बेटी , मुझे कोई काम तो है नहीं. तुम आटा गूंध लो मैं तब तक तुम्हारे शरीर को सम्हाल लेता हूँ. "
(पापा भी शायद अभी मुम्मे शब्द नहीं बोल पा रहे थे. पोर्न कहानियों में चाहे कुछ भी लिख दो पर असल में बाप बेटी में भी काफी कुछ हो जाने पर भी एक दीवार तो रह ही जाती है, जिसे तोड़ पाना काफी कठिन होता है, खैर मैं भी पापा से चुदवायी के अपने इस अभियान में लगी रहूंगी जब तक मुझे पापा से चुदवाने में सफलता नहीं मिल जाती और एक न एक दिन तो यह दीवार को ढहना ही होगा. सिर्फ वक़्त की बात है.)
पापा बोले :- ठीक है अब तो खुश हो न ?
मैं भी हँसते हुए बोली
"पापा में तो डबल खुश हूँ की एक तो मेरा आटा गूंधने का काम हो जायेगा और दुसरे मुझे कुछ और देर अपने प्यारे पापा के साथ रहने का मौका मिलेगा. और रही आप की ख़ुशी की बात तो वो तो मुझे महसूस हो ही रही है. और चुभ भी रही है , पूछने की तो कोई जरूरत ही नहीं है,"
यह कह कर मैं शरारत से मुस्कुरा पड़ी और शैतानी से अपनी गांड पीछे को धकेल दी। इस से पापा भी समज गए की मैं उनकी किस ख़ुशी की बात कर रही हूँ और पापा का लौड़ा भी और अधिक अंदर तक घुस गया.
पापा भी मेरा इशारा समझ गए , उन्होंने भी ख़ुशी से और एक धक्का मेरी गांड पे मारा और हँसते से बोले
"हाँ हाँ बेटी मैं बहुत खुश हूँ. "
मैं फिर हँसते हुए बोली
"हाँ पापा मैं आपकी ख़ुशी साफ़ साफ़ महसूस कर सकती हूँ. अब तो लगता है की आप की ख़ुशी पहले से भी बढ़ गयी है,"
और फिर थोड़ा सा रुक कर धीरे से बोली
"और टाइट भी ज्यादा हो गयी है और खूब चुभ रही है,"
पापा सिर्फ मुस्कुराते रहे. बेचारे बोलते भी तो क्या.
मैं अपनी गांड को पीछे को पापा के लण्ड पर धक्का देते हुए बोली.
"पापा लगता है कि आज आप को मम्मी की बहुत याद या रही है,"
पापा भी मुस्कुराये और कहा
"सुमन! तुम्हे ऐसा क्यों लग रहा है. मुझे तो तुम्हारी मम्मी की याद रोज ही आती है. पर आज तुमने ऐसा क्यों कहा?"
मैं - "पापा आज आप मुझे इस तरह तंग कर रहे है. तो लगता है की आप को मम्मी की याद आ रही है,"
यह कह कर मैंने उनके लौड़े पर एक झटका सा मार दिया.
पापा मेरी बात समझ तो गए पर बात को हंसी में टालते हुए बोले
"सुमन! तुम बिलकुल अपनी माँ की तरह हो, पीछे से तो देख कर मैं भी भूलेखा खा जाता हूँ की यह मेरी प्यारी बेटी सुमन है या मेरी बीवी. तुम हर अंग से अपनी माँ जैसी ही लगती हो "
मैं हंस पड़ी और कहा
"वो तो ठीक है पर कहीं मम्मी समझ कर मम्मी की तरह से मेरे साथ न करने लगना."
अब मम्मी की तरह करने का मतलब तो साफ़ था.
पापा - "वो तो तुम्हारी मर्जी है सुमन."
पापा ने बिलकुल साफ़ बोल दिया था की यदि मैं हाँ करूँ तो पापा तो मुझे मम्मी की तरह उपयोग करने को तैयार हैं ही,
मैं मुस्कुराई और चुप रही. और चुपचाप आटा गूंधती रही.
फिर पापा ने अपना दूसरा हाथ भी मेरी टी शर्ट के अंदर डाल दिया और मेरी दूसरी चूची भी पकड़ ली।
अब पापा की दोनों हाथों में मेरी दोनों चूचियां थी और वे उन्हें प्यार से धीरे धीरे सेहला रहे थे.
दोनों बाप बेटी जन्नत का साक्षात् अनुभव कर रहे थे.
मैंने आटा गूँधना शुरू कर दिया और बहाने से अपने शरीर को हिलना भी शुरू कर दिया.
पापा ने भी मौके का फ़ायदा उठा कर अपनी उँगलियों में मेरी चूचियों के निप्पल कस लिए और जोर जोर से मसलने लगे.
मैंने फिर पापा को और मौका देने के लिए बोला
"पापा ऊपर से तो ठीक है पर नीचे से मेरा शरीर अभी भी हिल रहा है, आप एक काम कीजिये, नीचे से भी आप मेरे से थोड़ा चिपक जाईये तो मेरा शरीर स्थिर हो जायेगा और मैं आराम से आटा गूंध लूंगी."
यह कह कर मैंने खुल कर पापा को मेरी गांड के साथ चिपकने का ऑफर दे दिया.
अँधा क्या चाहे दो आँखें। पापा तो खुश हो गए वो तो चाहते ही यह थे. दोनों हाथों में अपनी जवान बेटी के मम्मे और नीचे गांड में चुभता हुआ लौड़ा. एक मर्द को जीवन में इस से ज्यादा और चाहिए भी तो क्या.?
पापा मौके का भरपूर लाभ उठाते हुए बोले
"सुमन बात तो तुम्हारी ठीक है, ठहरो जरा मैं ठीक से नीचे भी हिलना बंद कर देता हूँ."
यह कह कर पापा ने अपने दाएं हाथ वाली मेरी चूची छोड़ी और हाथ को टी शर्ट से बाहर निकाला.
मैं समझ नहीं पाई की पापा के मन में क्या है, खैर जो भी होगा अच्छा ही होगा तो मैं भी चुप रही,
पापा ने अपने हाथ से कुछ किया और फिर मेरी स्कर्ट पीछे से कमर तक ऊपर उठा कर मेरी गांड (जो की कच्छी में कसी हुई थी ) नंगी कर दी. फिर पापा मेरे से चिपक गए. ज्योंही पापा मेरे से चिपके मुझे पापा की शरारत समझ आई।
असल में पापा ने अपना लण्ड अपनी लुंगी से बाहर निकाल कर नंगा कर लिया था. और जब पापा मेरे से चिपके तो उनका नंगा लण्ड मेरी कच्छी के ऊपर से मेरी गांड में घुसने लगा.
मुझे तो क्योंकि पीछे दिखाई नहीं दे रहा था. पर पापा ने मेरी स्कर्ट पीछे सी ऊपर उठा कर मेरी कमर नंगी कर दी
और अपना लण्ड अपनी अंडरवियर और लुंगी से बाहर निकाल कर नंगा करके मेरी गांड पर रख दिया. तो ज्योंही पापा का नंगा लण्ड मुझे मेरे चूतड़ों पर अनुभव हुआ तो मेरी तो सांस ही रुक गयी,
मुझे लगा की बस पापा अब मेरी कच्छी नीचे करके मेरी चूत में अपना यह मोटा और लम्बा लौड़ा घुसेड़ने लगे है,
डर से मेरी कंपकंपी सी चूत गयी,
चाहे मैंने पैंटी पहन राखी थी, पर मेरे चूतड़ तो नंगे ही थे. और जब मेरे नंगे चूतड़ों पर पापा का नंगा सुपाड़ा जो बिलकुल आग के गोले की तरह गर्म था, लगा तो मेरी तो चूत इतना पानी छोड़ने लगी, कि मुझे लग रहा था की मेरी चूत का पानी मेरी टांगों से बह कर मेरे पाओं तक आ जायेगा.
मुझे तो ऐसा लगा कि पापा मुझे अभी किचन में ही न चोद दें.
मैं इस तरह से चुदवाने की तैयार नहीं थी, अपने पापा से चुदवाई करवानी थी तो थोड़ा ढंग से और आराम से मजे ले ले कर करवाना था. इस तरह हाथों में आटा लगे हुए और पापा की तरफ पीठ किये हुए थोड़े ही चुदवाने का था.
पर अब तक पापा का जोश इतना बढ़ गया था की उन्हें भी अच्छे बुरे का ध्यान नहीं रहा था.
वो तो मेरी पैंटी बीच में थी वरना अभी तक न जाने क्या हो भी गया होता. मुझे समझ नहीं आ रहा था की क्या करु.
पापा का लौड़ा भी अब टूटने कगार तक सख्त हो चूका था. और इस हालत में आदमी अपने दिमाग से नहीं बल्कि अपने लण्ड के दिमाग (सुपाडे ) से ही सोचता है,
पापा ने भी यह ध्यान दिए बिना की मैंने पैंटी पहनी हुई है, अपने लण्ड का एक जोरदार झटका मेरी गांड पर मारा.
यह तो भगवान का लाख लाख शुक्र है कि मैंने पैंटी पहनी थी वर्ना तो पापा का लौड़ा मेरी गांड के छेद में पक्का घुस गया होता.
मैंने भी एन मौके पर अपने चूतड़ों को थोड़ा हिला दिया जिस से उनके धक्के का निशाना मेरी गांड से हिल गया और उनका लौड़ा मेरी दोनों टांगों के बीच से निकल कर मेरी चूत की तरफ आ गया.
अब उनके लण्ड का गर्म गर्म सुपाड़ा मेरी चूत पर घिस रहा था.
यह मेरे लिए और भी मजे की बात थी,
पापा का लण्ड क्योंकि नंगा था तो मेरी चूत और उनके लौड़े के बीच में सिर्फ मेरी पैंटी का कपडा था. और मेरी तो पैंटी भी नायलॉन की पतले से कपडे की थी.
इसलिए मुझे पापा का लौड़े अपनी चूत पर इस तरह महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत भी नंगी ही हो,
पापा को भी असीम आनंद आ रहा था.
पापा ने भी पूरी बेशर्मी से अपना लौड़ा मेरी चूत की दरार में घिसना शुरू कर दिया और चूत पर धक्के लगाने शुरू कर दिए.
मेरे न चाहते हुए भी अपने आप मेरी टांगे खुल गयी और चौड़ी हो गयी
टांगों के चौड़ा होने से मेरी चूत का मुंह भी पूरा खुल गया और अब पापा का लण्ड मेरी चूत में पूरी आज़ादी से और बहुत अच्छे से घिस रहा था.
पापा के लौड़े ने मेरी चूत की दरार में घिसते घिसते मेरी चूत के मुंह को खोलना शुरू कर दिया
(यह सब करते हुए भी मैं आटा गूंधने का ढोंग कर रही थी,, आखिर बाप बेटी के रिश्ते का भी तो कुछ भरम रखना था. हालाँकि अब बाप बेटी वाली बात रह ही कितनी सी गयी थी, )
जब पापा थोड़ा पीछे को होते तो उनका लण्ड बिलकुल मेरी चूत के छेद पर आ जाता और और जब आगे को होते तो उनका लौड़ा मेरी दोनों टांगों के बीच से आगे निकल कर चूत की दरार में रगड़ना शुरू कर देता.
हम दोनों बाप बेटी आनंद में मगन थे,
जब पापा का लौड़ा नीचे पीछे की ओर आता यानि पापा अपने लौड़े को पीछे खींचते तो लैंड का सुपाड़ा बिलकुल मेरी चूत के मुंह पर आ जाता. क्योंकि मेरी चूत से पानी बह रहा था तो पापा को गीलापन महसूस होता और पापा थोड़ा नीचे हो कर लण्ड का सुपाड़ा चूत के छेद में घुसेड़ने की कोशिश करते थे.
मुझे डर लगा कि यदि इस एंगेल में पापा ने जोश में कोई जोरदार झटका लगा दिया तो अब उनका लण्ड जो लोहे की तरह सख्त हो गया है, मेरी कच्छी को फाड़ कर अंदर घुस जायेगा.
पर मैं इस तरह चुदवाने को तैयार नहीं थी, मैं तो पहली बार की पापा के साथ की चुदाई खूब प्यार से और अच्छे से करवाना चाहती थी, तो इस स्थीति से बचने के लिए अगल झटके में ज्योंही पापा का लण्ड मेरी चूत के छेद से आगे यानि चूत की दरार में आया तो मैंने तुरंत अपनी दोनों टांगें कस कर बंद कर ली।
अब पापा का लौड़ा मेरी दोनों टांगों के बीच में फंस गया.
मुझे अब ज्यादा अच्छा लग रहा था क्योंकि लौड़े का ऊपर का हिस्सा तो मेरी पैंटी (जो मेरी चूत पर कसी थी ) पर लग रहा था पर नीचे तो मेरी दोनों टांगें नंगी थी तो दोनों जांघों में लौड़ा फंस जाने से मुझे ऐसा लग रह था जैसे पापा का लण्ड किसी चूत में ही घुस गया हो.
इस पोज़ में पापा का लौड़ा चूत में घुस जाने का भी डर नहीं था और पापा को धक्के मारने पर ऐसा लग रहा था की जैसे उन का लन्ड किसी चूत में ही घुसा हुआ हो.
पापा ने मुझे इसी पोज़ में चोदना शुरू कर दिया और पापा के धक्के तेज हो गए. ऊपर पापा दोनों हाथों से मेरी चूचीआं मसल रहे थे और निप्पल को भी रगड़ रहे थे. अब इस से ज्यादा आनंद का क्षण मेरी जिंदगी में और क्या हो सकता था.
मेरा शरीर अब पापा के धक्के तेज होने के कारण हिल रहा था.
पापा मुझे और मजा लेने के लिए बोले
"सुमन! आटा ठीक से गूंध हो रहा है न. एक काम करो कि तुम आगे से अपना शरीर थोड़ा नीचे को झुका लो (यानि डॉगी पोज़ में आ जाओ) तो एंगल और भी बढ़िया हो जायेगा और तुम आटा ठीक से गूंध पाओगी,"
मैं समज गयी की पापा मुझे घोड़ी बनने को बोल रहे है, इस तरह से पापा का लौड़ा और भी ज्यादा अच्छे से रगड़ा जा सकेगा.
मैं तो त्यार थी ही,
चुपचाप मैंने अपनी आगे की शरीर झुका ली और अपनी गांड थोड़ी ऊपर को उभार दी और पीछे को भी कर दी.
अब पूरा चुदाई का पोज़ बन गया था.
पापा ने मेरी चूचिओं को कस के पकड़ा ओर जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
मेरी चूत में भी पानी आ रहा था. मुझे लग रहा था की यदि पापा इसी तरह थोड़ी देर और धक्के लगते रहे तो मैं यहीं झड़ जाऊंगी.
पापा की भी सांसें तजे हो गयी थी,
लगता था की उनका भी स्खलन नजदीक आ रहा है.
पर शायद इतना कुछ हो जाने पर भी बाप बेटी की शर्म की दीवार शायद थोड़ी बची थी तो पापा बोले
"सुमन! आटा ठीक से गूंध पा रही हो न ? ऐसा करता हूँ की मैं तुम्हारा नीचे का शरीर थोड़ा हिलाता हूँ तो आटा गूंधने में तुम्हे आसानी होगी. "
यह कह कर पापा ने मेरे उत्तर का इंतज़ार किये बिना तेज तेज चोदना शुरू कर दिया.
(यह अब चुदाई ही तो थी, बस इतना ही फर्क था कि पापा का मोटा सा लौड़ा मेरी चूत के अंदर न हो कर मेरी टांगों की नकली चूत को चोद रहा था. मैं घोड़ी भी हुई थी और पापा ने अपने दोनों हाथों में मेरी दोनों चूचीआं पकड़ रखी थी और जोर जोर से मसल रहे थे. इधर पापा का लौड़ा नंगा था जो मेरी नंगी टांगों के नकली चूत में कस कर फंसा हुआ अंदर बाहर हो रहा था. बस असली चुदाई में इतनी ही कसर थी की लौड़ा चूत में नहीं अंदर बाहर हो रह था पर मैंने अपनी दोनों टांगों को इतना कस कर टाइट किया हुआ था की पापा को तो शायद असली चूत से भी ज्यादा मजा आ रहा था.)
पापा का स्खलन पास था तो मेरा अपना भी कोई दूर नहीं था.
पापा ने झटके तेज कर दिए और बोले
"बेटी आटा गूंध जाने में कितनी देर है?"
मैंने भी तेज तेज अपनी गांड आगे पीछे करनी शुरु कर दी और बोली
"पापा आप इसी तरह मेरी मदद करते रहो बस मेरा आटा गूंधने ही वाला है, ज्यादा देर नहीं है. थोड़ा और तेज गूंध लें?"
पापा समझ गए की मेरा भी काम तमाम होने ही वाला है,
पापा ने तेज तेज चोदना शुरू कर दिया अब पापा से चोद रहे थे.
अचानक पापा की स्पीड बहुत तेज हो गयी और उनका लौड़ा खूब फूल गया.
पापा के शरीर ने एक झटका खाया और पापा जोर से मेरे पिछवाड़े से चिपक गए और पापा के लण्ड का सुपाड़ा मेरी जांघों से आगे निकल कर मेरी चूत पर जोर से कस गया।
पापा के सुपाडे ने वीर्य की अपनी पहली धार इतने जोर से मारी की वो आगे जा कर मेरी स्कर्ट पर गिरी (पीछे से तो पापा ने स्कर्ट ऊपर उठा रखी थी पर आगे से तो स्कर्ट नीचे थी, तो जब पापा के लण्ड ने अपनी आग ऊगली तो वो सीढ़ी स्कर्ट के अंदर के हिस्से पर गिरी.)
पापा एक जोर से आह कह कर मेरी पीठ से चिपक गए और उनके दांत मेरी पीठ पर गड गए।
ज्योंही पापा का गर्म गर्म वीर्य मुझे अपनी चूत पर महसूस हुआ तो मेरा भी न जाने कब से रुका हुआ लावा निकल गया और मेरी चूत ने भी अपना पानी इतनी ज्यादा छोड़ना शुरू कर दिया कि जैसे कोई बाँध टूट गया हो,
मेरे मुंह से भी अपने आप आवाज़ निकली
"आह। ........ आह। ........ पापा मैं गयी. पापा गूंध गया आपकी सुमन का आता. मेरा आटा ओह। ..... ओह। ......... पापा मेरा आटा गूंध गया. हो गया आप की सुमन का काम। "
और जोर से सांस लेने लगी,
पापा भी टूटती साँसों में से धीरे धीरे बोले
"ओह। .ओह ....... बेटी मेरा भी काम हो गया. ओह सुमन हो गया तेरे पापा का काम तमाम। "
पापा मेरी पीठ पर ही जैसे गिर गए उनके लण्ड से कितनी ही देर तक पिचकारियां छूटती रही.
और मेरी भी चूत से पानी निकलता रहा.
मेरी स्कर्ट पापा के वीर्य से लबालब हो गयी थी और चूत का पानी पापा के माल के साथ मिल कर मेरी टांगों पर बह रहा था.
हम दोनों इतना थक चुके थे की कुछ देर तक तो पापा इसी तरह मेरी पीठ पर पड़े रहे. और मैं भी अपनी दोनों बाहें किचन की स्लैब पर रख कर उसी तरह घोड़ी बनी खड़ी रही,
थोड़ी देर बाद हमारी साँसें कुछ सयंत हुई तो हमें होश आया की आटा गूंधते गूंधते हमने और भी क्या गूंध दिया है,
पापा का लौड़ा भी अपना सारा अमृत मेरी टांगों पर गिरा कर ढीला हो गया था.
पापा ने अपना लण्ड पीछे को खींच कर मेरी टांगों से निकाला। मैंने भी अपनी टांगों की जकड थोड़ी कम कर अपनी टांगें खोल दी.
पापा ने अपने लण्ड का बचा खुचा माल मेरी पैंटी पर लंड रगड़ कर साफ़ किया और अपने लौड़े को अपनी लुंगी में छुपा लिया.
फिर मेरी स्कर्ट को नीचे करते हुए बाहर को चल पड़े और बोले
"सुमन! बेटी आटा तो बहुत अच्छे से गूंध गया है, तुम भी थोड़ा आराम कर लो फिर रात को तुम्हारे जांघों के रेशेस भी ठीक करने हैं. "
यह कह कर पापा अपने कमरे में चले गए. मैंने सोचा की अभी पापा को अपना माल निकाले दो मिनट भी नहीं हुए और उन्हें रात वाले प्रोग्राम की लगी पड़ी है, यह सेक्स भी साला क्या चीज है, मन भरता ही नहीं, पर मैं पापा को क्या कहूं मेरा अपना मन भी कहाँ भरता है.
मैंने अपनी स्कर्ट तो थोड़ा ऊपर उठाकर देखा तो मेरी दोनों टांगें मेरे और पापा के सम्मिलित माल से लथपथ हुई पड़ी थी,
मैंने अपने हाथ वाशबेसिन पर आटे से साफ़ किये और अपने कमरे को चल पड़ी ताकि वहां अपने कपडे बदल सकूं
(और थोड़ा आराम करके रात के लिए भी कुछ ताकत जुटा लूँ। )
अभी तो हमारा आटा गूंध गया अब देखते हैं रात को पापा मेरी रेशेस कैसे ठीक करते हैं.
ThanksKamal ki writing.
Hot hot hot.
Aise hi garma garam update dete rahiye.
Wow very erotic update.मैंने पापा की परछाई की और देखा तो पाया की पापा बड़े ही इत्मीनान से सामने गधे और नीचे अपनी बेटी की चूत में उँगलियों से रगड़ाई देख रहे थे.
मैंने पाया की पापा का हाथ उनके ट्रेक सूट के पजामे के अंदर था और वो भी इतना गर्म हो गए थे कि अपने लण्ड को मसल रहे थे.
पापा को यकीन था की मैं उन्हें नहीं देख सकती तो वो आराम से अपना लण्ड सेहला रहे थे.
मैंने पापा को और मजा देने और पटाने के इरादे से सोचा और अपनी सलवार के नाड़े को खोल दिया और सलवार को अपने घुटनो तक नीचे कर दिया.
अब में कमर से नीचे नंगी थी, मेरी अपनी चूत में हुई हुई दो उंगलिया अब पापा को साफ़ दिखाई दे रही थी. पापा तो आज जन्नत का नजारा कर रहे थे.
सामने गधा गधी की चुदाई चल रही थी और नीचे उनकी बेटी नंगी बैठी हुई अपनी चूत में उँगलियाँ कर रही थी,
पापा इतना गर्म हो गए थे कि उन्होंने भी अपने पजामे को नीचे खिसका दिया और खुल कर मुठ मारना शुरू कर दिया.
पापा को यो यह था कि उनको मुठ मारते हुए कोई नहीं देख सकता तो वो आराम से अपने लण्ड को नंगा करके मुठ मार रहे थे.
मेरी भी जन्नत हो गयी थी, मैं पहले भी चाहे पापा को मुठ मारता देख चुकी थे पर आज तो वो मेरी नंगी चूत को देख कर मुठ मार रहे थे. इस से मेरा मजा हजारों गुणा बढ़ गया और अपने आप मेरी उँगलियों की स्पीड बढ़ गयी.
अब हम दोनों बाप बेटी सामने गधे गधी की चुदाई और हम बाप बेटी की मुठ मारने को देख कर आनंद ले रहे थे.
पापा का ध्यान सामने गधी पर कम और नीचे अपनी चूत की रगड़ाई कर रही बेटी पर ज्यादा था.
पापा को मेरी नंगी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी। मैं भी जान भूझ कर इस पोज़ में लेट कर अपनी चूत में उंगलिया फेर रही थी जिस पोज़ में पापा को मेरी चूत बिलकुल ठीक से दिखाई दे. ताकि पापा को ज्यादा मजा आये.
पापा की मुठ मारने की स्पीड भी तेज हो गयी थी.
मुझे सामने मकान की खिड़की के कांच से पापा का लण्ड बिलकुल साफ़ दिखाई दे रहा था.
तभी मैंने सोचा की क्यों न पापा को पटाने के लिए उन्हें कुछ और ज्यादा मजा दिया जाये.
यह सोच कर मैंने अपनी चूत से अपनी उंगलिया बाहर निकली और सलवार को ऊपर कमर पर कर के खड़ी हो गयी. पापा को समझ नहीं आया की अचानक मेरा मुठ मारने का प्रोग्राम क्यों बदल गया. मैं उठ कर अंदर किचन में गयी और एक मोटा सा खीरा ले कर वापिस आ गयी।
पापा ने मेरे हाथ में खीरा देखा तो उन्हें थोड़ा थोड़ा समझ आया की आज उनकी प्यारी बेटी क्या करने जा रही है,
पापा को लगा की शायद मैं गधे गधी की चुदाई देख कर इतनी उत्तेजित हो गयी हूँ की अब उँगलियों से मेरा काम नहीं चलने वाला और मैं एक खीरे से मजा लेना चाहती हूँ.
मैंने खीरा भी जान भूझ कर काफी लम्बा और मोटा लिया था.
उसका आकार बिलकुल पापा के लौड़े के जैसा था. पापा शायद सोच रहे थे कि क्या मैं इतना मोटा खीरा ले भी पाऊँगी या नहीं. पर मैंने जान भूझ कर ऐसा खीरा चुना था।, ताकि पापा को इतना पता लग जाये की उनकी बेटी उनके लौड़े के आकार का खीरा ले सकती है तो समय आने पर उनके लण्ड को भी झेल लेगी.
मैंने ऐसा इसलिए सोचा था ताकि यदि जब भी कभी हम बाप बेटी को चुदाई का असली मौका आये तो पापा कहीं डर कर कि उनका लण्ड तो बहुत बड़ा है , मुझे चोदने से मना न कर दें.
मैं पापा को बता देना चाहती थी की उनकी बेटी जरूरत पड़ने पर उनका पूरा लौड़ा ले सकती है,
मैंने दुबारा से अपनी सलवार खोल कर पूरी ही टांगो से बाहर निकाल दी और अब पूरी तरह से नंगी हो कर जमीन पर लेट गयी.
मेरे लेट जाने से ऊपर के कमरे की छत पर खड़े पापा को मेरी नंगी चूत बिलकुल क्लियर दिखाई दे रही थी.
मेरी चूत पर थोड़े छोटे छोटे से बाल हैं, पर भगवन की दया से मैंने आज ही अपनी चूत की सफाई करी थी.
पापा मेरी नंगी चूत को देखते हुए अपनी मुठ मार रहे थे.
मैंने खीरे को अपने मुंह में ले कर चूसना शुरू कर दिया, असल में तो मैं खीरे को गीला कर रही थी पर मैं उसे गीला इस ढंग से कर रही थी कि जैसे मैं कोई लौड़ा चूस रही होऊं.
मैं खीरे को ४-५ इंच तक मुंह के अंदर ले लेती और उसे चूसते हुए बाहर निकालती , पापा शायद यही तसवुर कर रहे थे की काश मेरे मुंह में खीरा नहीं बल्कि उनका लौड़ा होता.
खैर मैंने खीरे को अच्छी तरह चूसने और गीला करने के बाद, उसकी नोक को अपनी चूत के मुंह पर रखा और एक झटके से लगभग आधा खीरा अंदर घुसेड़ लिया.
मुझे थोड़ा दर्द तो हुआ और मेरे मुंह से एक जोर की आह की आवाज निकल गयी.
फिर मैंने खीरे को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. जैसे मैं खीरे से चुदवा रही होऊं.
धीरे धीरे मेरी हाथ की स्पीड बढ़ती गयी. अब मैं तेज तेज खीरा अंदर बाहर कर रही थी. मैंने जान भूझ कर अपनी आँखें बंद कर ली थी, ताकि पापा को लगे की मैं मजे के कारण आँखें बंद करे खीरे से चुदवा रही हूँ, पर असल में मैंने आँखें थोड़ी खुली रखी थी ताकि मैं सामने गधे को चुदाई करते और इधर अपने पापा को मुठ मारते आराम से देख सकूँ.
पापा भी यह समझते हुए की मेरी आँखें तो मजे की अधिकता के कारण बंद हैं, आराम से अब खुल कर मुझे खीरा लेते हुए देख रहे थे.
अब हम चारोँ यानि गधा, गधी, पापा और मैं सेक्स का आनंद ले रहे थे.
मैंने खीरे से तो न जाने कितनी बार मजा लिया था पर आज पापा के सामने खीरा लेते हुए इतना आनंद आ रहा था की बता नहीं सकती. शायद यह रिश्तों की दीवार को लांघते हुए मजा लेने के कारण था.
अब मेरा और उधर पापा का काम पूरा होने ही वाला था.
इधर गधे ने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी थी. गधे ने अपनी आगे वाली दोनों टांगे जो उसने गधी की कमर के दोनों ओर रखी थी, से गधी को कस के पकड़ लिया और जोर जोर से अपना लौड़ा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। गधि ने – गधे का लम्बा लंड पूरा अपनी चूत में ले लिया था.गधा हांफ रहा था ..
शायद उसका माल निकलने वाला था .
फिर गधे ने अपना लण्ड जोर से एक झटके से गधी के अंदर जड़ तक घुसेड़ दिया और एक बार जोर से हुआँ हुआँ की आवाज़ निकली और वो जोर से उछला पूरा लंड घुसा दिया इसबार गधी ने कोई शोर नहीं किया शांति से खड़ी रही । गधा शांत हो गया और उसके लण्ड से उसका वीर्य गधी की चूत में निकलना शुरू हो गया.
गधे का काम होते ही वो अब बिलकुल शांत खड़ा था और गढ़ी के अंदर अपना माल छोड़ रहा था.
अब गधे ने अपना लंड बाहर निकल लिया .
अभी भी उसके लंड से माल टपक रहा था.
गधा पचीसी पूरी हो गई. गधा-गधी शांत हो गये
में और पापा सारा नजारा देख रहे थे.
गधे का माल छूट ते ही मैंने भी अपनी स्पीड एकदम तेज की और मेरे मुंह से भी एक जोर की आह की आवाज़ निकली और मेरी चूत ने भी ढेर सारा पानी छोड़ दिया.
आज पापा मेरे को खीरे से मजा लेते देख रहे थे
तो शायद इसी लिए मेरा ओर्गास्म इतना जबरदस्त था की मेरे मुंह से जोर की ओह ओह और आह आह की अव्वाज़ निकली। मेरी चूत से बहुत पानी निकला जिस से मेरी झांगे और सारी चूत गीली हो गयी.
मैंने खीरा अपनी चूत से बाहर खींच लिया. खीरा मेरी चूत के पानी से चमक रहा था।
इधर पापा का भी काम होने ही वाला था. पर उधर गधे का वीर्यपात और इधर अपनी नंगी बेटी की छूटना देख कर पापा से भी अपना आप संभाला नहीं गया.
पापा ने २-३ बार जोर से अपने लौड़े को हिलाया और जोर से आह की.
उनके मुंह से आवाज़ निकलते ही मैं समझ गयी की पापा का काम तमाम हो रहा है. मैंने अपनी सेक्स के मजे से बंद आँखों को थोड़ा सा खोल कर देखा तो पापा के लौड़े से उनके वीर्य की एक तेज और बहुत बड़ी सी धार एक पिचकारी जैसे छूटी जैसे बन्दूक से गोली छूट ती है,
पापा की पहली पिचकारी इतनी मोती और तेज थी कि वो कमरे की रेलिंग को पार करके नीचे नंगी लेटी मेरे पेट पर गिरी.
पापा का वीर्य इतना गाढ़ा और गर्म था की मेरी तो मजे से आँखें ही बंद हो गयी।
पापा एक बार तो डर गए की उनका वीर्य मेरे पेट पर गिर गया है, पर मैं जान भूझ कर ऐसे लेटी रही की जैसे कुछ नहीं हुआ.
पापा भी थोड़ा मुत्मइन हो गए.
मैंने एक हरकत ऐसी की जिस से पापा के लौड़े से पिचकारियां फिर से निकल पड़ी.
मैंने अपनी चूत में ऊँगली डाल कर अपने पानी से गीली ऊँगली मुंह में डाल ली (ऐसा मैंने इसलिए किया की पापा को शक न हो ) और फिर अपनी ऊँगली से अपने पेट पर गिरा पापा का वीर्य उठा कर अपने मुंह में डाल लिया।
असल में मैं पापा के वीर्य का स्वाद चखना चाहती थी, और यह तो भगवन के द्वारा दिया हुआ सुनहरी मौका था. जो पापा का वीर्य अपने आप मेरे पेट पर गिर गया था.
पापा ने जब मुझे उनका वीर्य चाट ते देखा तो उनके लण्ड ने फिर से वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया. पर अब उस में वो तेजी न थी कि वो मुझ तक आ पाता।
पापा का वीर्य बहुत ही स्वादिष्ट था. मुझे तो अमृत जैसा स्वाद आ गया.
पापा मुझे अपना वीर्य चाटते देखते रहे. और अपना लण्ड धीरे धीरे सहलाते रहे.
उधर गधा गधी भी चले गए थे.
मैं भी कांपते और लड़खड़ाते हुए कदमो से उठी और अपने कमरे के अंदर चल दी.
मुझे आज बहुत ही आनंद आया था.
लग रहा था की मैं एक न एक दिन पापा से चुदवाने में सफल हो ही जाउंगी।
देखो भगवान् को क्या मंजूर था.