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Incest शरीफ बाप और उसकी शैतान बेटी

Premkumar65

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तब मुझे ध्यान आया कि मेरे और पापा के कमरे के बीच का बाथरूम साँझा है यानि बाथरूम एक ही है और दोनों कमरों से उस में जाने का रास्ता है.
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जब भी कोई किसी भी कमरे में से बाथरूम में जाता था तो अंदर से दुसरे कमरे की ओर कुण्डी लगा देता था ताकि दुसरे कमरे से कोई अचानक अंदर न आ जाये.
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इसलिए हम लोग अपने अपने साइड से बाथरूम बंद ही रखते थे. मैंने सोचा की पापा रात में दो तीन बार तो पेशाब करने के लिए उठ ते ही हैं.

तो यदि मैं अपने कमरे की साइड से बाथरूम का दरवाजा खुला रखूँ तो पापा को मेरे कमरे का नजारा दिखाई देगा.

यह सोच कर मैंने कुछ न कुछ करने का निर्णय लिया।

मैंने पक्का इरादा कर लिया था कि अब मैं अपने पापा को पटा कर अपने घर में ही एक लण्ड का जुगाड़ करुंगी।

वैसे भी चूत और लण्ड का सिर्फ एक ही रिश्ता होता है और वो है चुदाई का!

खैर जैसे तैसे रात हुई, खाना वगैरह खाकर हम दोनों बाप बेटी अपने अपने कमरे में सोने चले गए।

मैं अपने कमरे में आ गई।

मैंने टाइम देखा तो रात के 11 बज रहे थे।

मैं सोच रही थी कि पापा अब किसी भी समय पापा पेशाब करने के लिए बाथरूम में आ सकते हैं.

मैंने अपनी योजना के अनुसार काम शुरू कर दिया।

दरवाजा बंद करके मैंने अपने कपड़े बदले और पुरानी, स्कूल के टाइम की ऐसी छोटी स्कर्ट पहन ली जिसमें मुश्किल से मेरी पूरी जांघ ढक पा रही थी। नीचे मैंने पैंटी नहीं पहनी थी. क्योंकि पापा आज दूर से तो मेरी नंगी जवानी का नजारा देख ही चुके थे और मैं चाहती थी की पापा मेरी नंगी चूत को अब पास से भी देख सकें.
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ऊपर मैंने टी-शर्ट पहन ली थी. टी शर्ट मैंने ऐसी पहनी थी की जो साइज में काफी बड़ी थी और मैंने जान बूझ कर उसके नीचे ब्रा नहीं पहनी थी.
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तब मैंने अपनी साइड से बाथरूम के दरवाजे को अनलॉक कर दिया ताकिऔर उसे थोड़ा सा खोल भी दिया ताकि पापा को मेरे कमरे के अंदर का नजारा दिखाई दे सके ।

फिर मैंने नाइट बल्ब ऑन किया और बिस्तर पर आकर लेट गई।
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वैसे तो मैं अँधेरा करके सोती थी मगर आज मैंने जानबूझ कर नाइट बल्ब ऑन किया था।

नाइट बल्ब की रोशनी इतनी थी कि आराम से हर चीज साफ-साफ दिखाई दे रही थी।

मेरी योजना यह थी कि मैं आज पापा को अपनी चिकनी और गोरी जांघ की झलक दिखा देना चाह रही थी।
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ताकि पापा अपनी प्यारी बेटी के जिस्म का पास से नजारा कर सकें क्योंकि बाद में मम्मी के आने के बाद मेरे लिए उनको पटाने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।
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बिस्तर पर आकर अब मैं पापा के आने का इंतजार करने लगी।

टाइम देखा 11.30 बजे तक.

मेरा तो टाइम ही नहीं कट रहा था, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं!

डर था कि कहीं सो गयी और नींद आ गयी तो सारी योजना चौपट हो जाएगी।

फिर टाइम पास के लिए मैं मोबाइल में पोर्न स्टोरीज पढ़ने लगी।

स्टोरीज पढ़ते हुए 12.15 हो गये।

जैसे-जैसे समय बीत रहा था मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी।

मैंने मोबाइल बंद कर किनारे रख दिया और पीठ के बल लेट गई और अपनी स्कर्ट को थोड़ा ऐसे खींच कर ऊपर कर दिया कि चूत बस थोड़ा सा ढकी रहे बाकी मस्त चिकनी जांघ पापा को दिखाई दे।

अभी ये सब करते हुए कुछ ही देर हुई थी कि पापा के कमरे से हल्की सी आवाज आई।

टाइम देखा तो 12.30 बजे थे.

मैं समझ गई कि पापा आ रहे हैं।

मैं अपने हाथ से आंख और माथे को ढक कर सोने का नाटक करने लगी।
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हाथ को मैंने इस तरह से आंख पर रखा था कि उसके नीचे से मैं पापा की हरकतों को देख सकूं।

मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

बाथरूम के दरवाजे के पास पापा की आवाज आई. , मैं समझ गई कि पापा बाथरूम में आ गए हैं. और मेरे साइड के बाथरूम के दरवाजे के सामने रुके हैं।

तभी दरवाजे का हैंडल धीरे-धीरे नीचे की तरफ घूमने लगा और फिर थोड़ा रुक कर दरवाजा बहुत थोड़ा सा खुला।

मैं समझ गयी की पापा को मेरी साइड का दरवाजा खुला दिखाई दिया है और उस में से मेरे कमरे में जल रही लाइट के कारण उन्हें कमरे में बेड पर लेती अपनी बेटी दिखाई दे गयी है, क्योंकि मेरे कमरे में नाइट बल्ब जल रहा था.

करीब 10-15 सेकेंड तक दरवाजा वैसे ही रहा।

फिर दरवाजा थोड़ा और खुला अब दरवाजे के पीछे पापा एकदम साफ दिखायी दे रहे थे।

कल पापा 10-15 सेकंड बाद मेरे कमरे में धीरे से आ गए।

मेरी योजना काम कर रही थी, पापा मेरी चिकनी जाँघों को देखने के चक्कर में अपनी बेटी के कमरे में आ चुके थे ।

हालांकि इस दौरान मेरा दिल इस कदर तेजी से धड़क रहा था कि मैं धड़कन को सुन सकती थी।
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करीब 2 मिनट बीत गए, पापा उसी तरह खड़े रहे और मैं भी उसे तरह तरह लेटी रही।

अभी मैं कुछ और सोचती कि अचानक मैंने जो देखा उसे मेरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई।

दरअसल पापा मुझे और करीब से देखने के चक्कर में दरवाजे से थोड़ा अंदर तक आ गए थे।

मेरी निगाह जैसे ही नीचे गई तो देखा कि पापा अपने लंड को लुंगी के ऊपर से सहला रहे थे और मेरी जांघ को एकटक देख रहे थे।
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मेरी स्कर्ट ने मेरी चूत को थोड़ा सा ही ढक रखा था बस बाकि सारी जाँघे नंगी ही थी,

पापा ने झुक कर मेरी स्कर्ट के अंदर से चूत को देखने की कोशिश की. पापा की यह हरकत देख कर मेरी सांसे तेज हो गयी और चूत भी गीली होने लगी,
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मेरा दिल तेज तेज धड़क रहा था.

पापा ने अचानक मुझे धीरे से आवाज दी

"सुमन "

मैं चुप चाप लेटी रही, ताकि पापा को लगे की उनकी बेटी सो रही है.

पापा ने फिर से एक बार पक्का करने के लिए मुझे फिर आवाज दी

"सुमन ! जाग रही हो क्या ?"

अब मैं तो जानभूझ कर नाटक कर रही थी तो कैसे बोलती.

चुपचाप लेटी रही तो पापा को पक्का हो गया कि मैं सो रही हूँ. तो पापा ने धीरे से मेरी स्कर्ट को नीचे से पकड़ कर ऊपर उठा कर मेरे पेट पर रख दिया और मेरी चूत मेरे पापा के आगे बिलकुल नंगी हो गयी।
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मेरे दिल ने इतना तेज धड़कना शुरू कर दिया कि जैसे मुझे हार्ट अटैक ही आज जायेगा.

आज पहली बार था की मैं अपने पापा के बिलकुल आगे पूरी नंगी लेटी हुई थी।

मेरी चूत पापा की आँखों के आगे बिलकुल खुली थी,
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चाहे आज दिन में भी पापा ने मेरी चूत को और मुझे उस में खीरा घुसेड़ कर मुठ मारते देखा था पर फिर भी वोह ऊपर की मंजिल से और दूर से था. पर अब तो मैं उन के बिलकुल सामने अपनी चूत को खोले लेटी थी, और पापा मेरी चूत के एक एक बाल को देख सकते थे (वैसे मैंने चूत को आज ही शेव किया था तो चूत पर बाल तो नहीं थे पर पापा चूत का सब कुछ देख सकते थे.
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मैंने अपनी आँखों पर अपना हाथ रखा हुआ था जैसे नींद में रखा हो, और मैं उसके नीचे से पापा की सारी हरकतें देख रही थी,

पापा अब तक अपनी लुंगी के ऊपर से ही अपने लण्ड को सहला रहे थे, पर अब अपनी बेटी की चूत नंगी करने के बाद उनका लौड़ा इतना टाइट हो गया था की उन्होंने अब अपना लण्ड लुंगी से बाहर निकाल लिया और खुल कर अब अपने लौड़े को सेहला रहे थे.
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मेरी चूत में भी पानी और मेरे काम रस का जैसे तूफ़ान आ रहा था. मेरी चूत इतनी गीली हो कर पानी छोड रही थी कि मुझे डर लग रहा था कि मेरी चूत से बहता हुआ पानी बेड की चादर पर न आ जाये और पापा को दिखाई न दे जाये.

पापा अब सरेआम खुले में तेज तेज मुठ मार रहे थे। उनके हाथ की स्पीड बढ़ गयी थी,

पापा अपनी बेटी के नंगे जिस्म का इतनी नजदीकी से मजा लूट रहे थे।

अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना आज ही पापा को अपनी गांड के भी दर्शन करा दूं।

मैं जानती थी कि मेरी स्कर्ट इतनी छोटी है कि अगर मैं करवट बदल कर गांड को पापा की तरफ कर दूं तो स्कर्ट मेरी गांड को जरा भी ढक नहीं पाएगी।

बस मैंने बिना देर किए नींद में करवट बदलने का नाटक करते हुए अपनी गांड पापा की तरफ घुमा कर लेट गई।
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मैंने जानबूझ कर इस तरह करवट बदली थी कि मेरी पूरी स्कर्ट खिसक कर मेरी कमर तक पर आ गई थी।

अब पापा की निगाह और मेरी गांड के बीच में कुछ भी नहीं था. और मेरी गांड पापा को साफ दिखाई दे रही थी।

पापा के मुंह से एक आह निकल गयी.

पिछली बार पापा ने मेरी गांड को पैंटी के अंदर ढके हुए देखा था पर अब तो उनके सामने मेरे चूतड़ बिलकुल नंगे थे.

मैं कुछ देर बेशर्मों की तरह इसी तरह लेटी रही ,

स्कर्ट तो वैसे भी मेरी गांड को ढक नहीं पाती थी , चूतड़ तो नंगे थे पर गोल गांड के दोनों चूतड़ों के कारण पापा को मेरी गांड का छेद दिखाई नहीं दे रहा था.

हालांकि मैं अब पापा को देख नहीं पा रही थी मगर इतना जरूर जान रही थी कि पापा को मेरी गांड दिख रही है।

इस तरह लेटे हुए मुझे करीब 2 मिनट हो गए. फिर मैंने सोचा की जब मैंने इतना कर ही दिया है और पापा को खूब अपने शरीर के दर्शन करवा ही दिए हैं तो अब गांड भी दिखा ही देती हूँ. पापा भी क्या याद करेंगे.

यह सोच कर मैंने धीरे से अपनी एक टांग ऊपर को मोड़ ली जैसे आम तौर पर हम लोग सोते समय मोड़ लेते है,
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इस तरह करने से मेरी गांड का छेद खुल गया और अब पापा को मेरी गांड का भूरा सा छेद भी दिखाई दे रहा था.

गांड की क्योंकि अभी तक मेरी चुदाई नहीं हुई थी तो मेरी गांड बिलकुल बंद और टाइट थी, गांड का छेद बंद था।
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पापा के लिए यह बहुत ही कामुक सीन था. क्योंकि मेरे इस पोज़ में उन्हें मेरी गांड का छेद और उसके नीचे से चूत भी दिखाई दे रही थी,
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टांग को मोड़ने के कारण मेरी चूत थोड़ी खुल गयी थी और चूत की दरार खुल जाने से पापा को चूत के अंदर का लाल लाल मांस भी दिखाई दे रहा था.

यह सब देखना और उसे सहन कर पाना पापा के लिए भी बहुत मुश्किल था.

पापा की मुठ मारने की स्पीड बहुत तेज हो गयी और उनकी साँसें भी इतनी तेज हो गयी की उसकी आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी,

अचानक पापा का शरीर अकड़ गया और उनके मुंह से आवाज निकली

"हाय मेरी प्यारी बेटी सुमन. मैं तो गया. "

और पापा के लोहे की तरह सख्त हो चुके लौड़े ने एक जोर की पिचकारी अपने रस की छोड़ दी,

पापा का ओर्गास्म इतना था की वो मोटी सी और बहुत बड़ी सी वीर्य की पिचकारी मेरी नंगी गांड पर आ कर गिरी.

पापा के मुंह से एक ओह की आवाज निकली। मेरी नंगी गांड पर वीर्य गिरने से वो डर गए की उनके गर्म गर्म वीर्य से मेरी आँख खुल जाएगी और वो पकडे जाएंगे।

पर जब तक पापा अपने लण्ड को अपने हाथ से ढक पाते, उनके लण्ड ने दो तीन पिचकारी और छोड़ दी जो मेरी नंगी गांड पर और कुछ वीर्य मेरी नंगी जांघ पर गिर गया.

अब तक पापा ने अपने लौड़े को हाथ से ढक लिया था पर तब तक तो काफी देर हो चुकी थी।

मेरी सारी गांड और जाँघे पापा के माल से भर गयी थी और चमक रही थी,
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पापा भी डर गए की मैं नींद से उठ न जाऊं और डर के मारे दौड़ कर बाथरूम में चले गए।

पापा के जाते ही मैंने अपनी आँखें खोल ली। मुझे अपने नंगे चूतड़ों पर पापा का गर्म गर्म वीर्य महसूस हो रहा था.
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मैंने हाथ फेर कर अपने चूतड़ों से वो वीर्य उठा लिया और सीधी हो कर लेट गयी,

मैंने अपने हाथ का वीर्य नाक के पास ला कर सूंघा। पापा का माल बहुत ही सुगन्धित था. मैंने दो उंगलिया अपने मुंह में डाल ली और पापा का माल चाट लिया. बहुत ही स्वादिष्ठ वीर्य था.
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मैंने मन ही मन में प्रार्थना की, कि हे भगवन उंगिलयों से ही आज दूसरी बार पापा का माल चाटा है, असली लण्ड को मुंह में ले कर डायरेक्ट माल चाटने का मौका भी जल्दी से देना.

फिर मैंने बाकि का वीर्य अपनी नंगी चूत पर मल लिया और थोड़ा सा वीर्य ऊँगली से चूत के अंदर भी घसेड कर मल लिया.
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पापा का वीर्य अपनी चूत के अंदर पहली बार महसूस करते ही मेरी चूत ने भी अपना इतनी देर से रोक रखा पानी छोड़ दिया और मैं भी पापा के माल से भरी हुई अपनी ऊँगली अपनी चूत में अंदर बाहर करते हुए झड गयी.
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मेरी चूत पापा के माल और मेरे अपने पानी से चमक रही थी. और मैं भगवान् से प्रार्थना कर रही थी हे ईश्वर आज मैंने पापा का वीर्य अपनी ही ऊँगली से अपनी चूत में डाला है,, वो मौका कब आएगा जब पापा अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल कर इस माल को खुद मेरे अंदर छोड़ेंगे.

उधर पापा ने अब तक पेशाब कर लिया था.

उन्हें डर लग रहा था की उनका वीर्य मेरी चूतड़ पर पड़ा है, कहीं मेरी आँख खुल गयी तो मैं उनका माल देखूँगी तो उनका भांडा न फूट जाये, तो उन्होंने मेरे कमरे में आ कर मेरी गांड से वीर्य पोंछने की सोची.
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पापा फिर से मेरे कमरे में आये, तो उन्होंने देखा कि मैं सीधी हो कर लेटी थी और मेरी चूत उनके वीर्य से भरी हुई चमक रही थी,
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वो हैरान हो गए की वीर्य यहाँ कैसे आ गया.
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पर उन्होंने सोचा कि हो सकता है की मेरे सीधे हो जाने से वीर्य बह कर चूत की साइड में आ गया हो,

पर उनकी हिम्मत नहीं हुई की वो हाथ बढ़ा कर मेरी चूत से अपना माल साफ़ कर दें.
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तो पापा चुप चाप अपने कमरे को चले गए।

मुझे धीरे से दरवाजा बंद होने की आवाज आई।

मैं समझ गई कि पापा कमरे से चले गए हैं।
Super hot update.
 

Premkumar65

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फिर मेरे दिमाग में एक और प्लान आ गया तो मैंने सोचा कि क्यों ना अभी गरम लोहे पर चोट की जाए तो मैंने पापा से कहा कि पापा आज छुट्टी है,

मैं स्कूटर चलाना सीखना चाहती हूँ, खाना हम बाद में खाएंगे चलिए आप मुझे अभी स्कूटर सिखाएं।
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मैं चाहती थी कि जब पापा पीछे बैठे तो उनका लंड मेरी चूत को स्पर्श करे और अगर एक बार ऐसा हो गया तो शायद पापा खुद पर कंट्रोल न रखें और मुझे चोद डालें।

मैंने जल्दी से दूसरे कपड़े पहन लिए , मैंने अपने मन में तो पापा को पटाना के लिए यह सब किया था तो मैंने एक छोटी सी स्कर्ट और एक हलकी सी टी शर्ट पहनी थी।
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पापा ने मुझे टालने की कोशिश करते हुए कहा कि बाइक मैं तुम्हे बाद मैं सिखा दूंगा तो मैंने कहा कि नहीं अभी चली तो वो कहने लगे कि अच्छा पेंट तो पहन लूं तो मैंने कहा कि सिर्फ कुर्ता पहन लिया पायजामा तो आपने पहचाना ही है आपका कहीं बाहर तो जाना नहीं है जो पेंट पेहननी है.

मैं नहीं चाहती थी कि पापा पेंट पहने क्यों कि पेंट में लंड उतना खुले से नहीं घूम सकता जितने की पैजामे में।

हमारे घर से थोड़ी दूरी पर ही एक ग्राउंड था जहां पे लोग घूमते थे लेकिन दिसंबर की वजह से वो 12 बजे से पहले वहां नहीं आते थे और अभी तो 8 बजे थे तो मैं और पापा वहां चले गए पापा के लिए।

वहां जा कर पापा पीछे बैठ गए और मुझे आगे बैठने को कहा तो मैं जान बुझ कर उनसे चिपकी हुई बैठ गई मैंने देखा कि मुझे उनके लंड ने टच नहीं किया था मतलब अभी वो शांत था।
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पापा ने मेरी दोनो बाहों के साइड से स्कूटर का हेंडल पकड़ा और मुझे भी हेंडल पकड़ने को कहा और फिर मुझे स्कूटर सिखाने लगे मैं जान भूज कर अपने बाजू दबा देती थी ताकि पापा के बाजू मेरे मुम्मों को टच करने लगें ऐसा करने से मुझे अब मेहसूस हो रहा था कि पापा का लंड खड़ा है होने लगा है मुझे अपनी पीठ पर कोई चीज़ टच करती महसूस हो रही थी।

अब मैं पापा के लंड पर बैठना चाहती थी तो कोई बहाना ढूंढने लगी।

मैं थोड़ा बहुत स्कूटर चलाती थी लेकिन ये पापा को नहीं पता था।
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मैंने एक स्कीम सोची और फिर मैंने अपनी चप्पल नीचे गिरा दी और स्कूटर रोक कर कहा कि पापा मैं चप्पल ले कर आई।

जब मैं चपल लेकर आई तो मैंने चोरी से देखा कि पापा का लंड फफक रहा है। मैं जान भुज कर पापा के पेट से सट कर बैठ गई

और इस बार उनका लंड मेरे चूतड़ों के नीचे दब गए तो पापा बोले सुमन कैसे बैठी हो जरा आगे हो कर बैठो तो मैंने कहा कि आगे तो बहुत ही थोड़ी सी जगह है और स्कूटर चलाने लगी।

पापा का लंड मेरे चूतड़ों के नीचे ही दबा हुआ था फनकार रहा था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मेरी चूत गीली हो रही थी। लेकिन मैं तो अंजान बनी बैठी थी जैसे कुछ पता ही नहीं हो कि उनका लंड मैं दबा के बैठी हूँ।
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मैंने पापा से कहा कि आप हेंडल छोड़ दीजिए मैं चलाती हूं तो मैं धीरे-धीरे स्कूटर चलाने लगी और पापा ने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और अंजाने में ही उनसे मेरे स्तन टच हो गए तो मुझे लगा कि पापा अपना कंट्रोल खो रहे हैं क्योंकि मैंने महसूस किया कि उनके हाथ मेरे मुम्मों को हल्का हल्का टच करने की कोशिश कर रहे थे.

मैं तो यही चाहती थी कि मुझे और क्या चाहिए था। पापा का लंड अभी भी मेरी चूतड़ों के नीचे फंस रहा था। मैंने पापा से कहा कि एक मिनट जरा आप हैंडल को पकड़ लीजिये ताकि मैं जरा ठीक हो कर बैठ जाऊं और मैं थोड़ा और पीछे को हो कर बैठ गई ताकि उनका लंड मेरे नीचे से निकल न पाए।

अब शायद पापा समझ गए थे कि मैं भी उनसे चुदवाना चाहती हूँ, या कम से कम मैं उनके लौड़े का मजा तो ले ही रही हूँ , इस लिए वो भी चुपचाप बैठे रहे और उनका लौड़ा मेरे चूतड़ों के नीचे ही दबा रहा. वो बोले कुछ नहीं और मजा लेते रहे.

पापा मेरे को नंगी तो देख ही चुके थे और उनकी भी भावनाएं मेरे लिए काफी हद तक बदल तो चुकी ही थी, तो उन्होंने भी शायद यही सोचा की मौका मिल रहा है तो लगे हाथ वो भी मजे ले ही लें. और शायद वो भी सोच रहे थे कि इस तरह यदि उनकी प्यारी बेटी गर्म हो जाये तो शायद उन्हें भी इसके आगे यानि मुझे चोद पाने का मौका मिल जाये.

आखिर मेरी मम्मी भी तो कई दिन से गयी हुई थी तो पापा को भी चुदाई किये कई दिन हो गए थे. वो भी तो चूत मारने का कोई मौका ढूंढ ही रहे थे.

अब मेरे दिमाग में तेजी से सोच रहा था कि क्या करें जिस से बात थोड़ी और आगे को बढ़ सके.

अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया।

मैंने पापा से पूछा- पापा , यहां टॉयलेट किधर है, मुझे जाना है।

जबकि मुझे पता था कि वहां कोई टॉयलेट नहीं है।

पापा बोले- बेटा, यहां तो कोई टॉयलेट नहीं है। तुम्हें बाहर खुले में ही करना पड़ेगा।

मैंने नखरा दिखाते हुए कहा- ना बाबा ना … खुले में कैसे करूंगी।

इस पर पापा ने कहा- क्या हुआ बेटा। यहाँ कोई भी तो नहीं है. तुम थोड़ा साइड में स्कूटर ले लो और वहां झाडीओं के पास जा कर कर लो।
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मैंने कहा- नहीं में वहां अकेली कैसे अकेली जाऊँगी, मुझे डर लग रहा है।

तब पापा ने कहा- कोई बात नहीं बेटा, कोई चिंता की बात नहीं है, अच्छा ऐसा करते हैं की मैं भी पेशाब कर लूँगा. ठण्ड है न तो मुझे भी पेशाब आ रहा है. चलो दोनों बाप बेटी कर लेते हैं.

(पता नहीं पापा को सच में पेशाब आया था या वो भी मेरी तरह कोई चाल चल रहे थे )

हम दोनों एक साइड में चले गए जहाँ कोई नहीं आता था और वो जगह सुनसान थी.

मैंने कहा- आप यहीं रहियेगा, मैं आ रही हूं.

और फिर मैं एक तरफ बढ़ गई और एक ऐसी जगह चुनी जहाँ से पापा मुझे देख सकते थे.

जानबूझ कर मैं ऐसी जगह में पेशाब करना चाह रही थी ताकि मैं इन्हें अपनी गांड दिखा सकूं।

एक झाडी के पास पहुंच कर मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो पापा मुझे देख रहे थे।

मैंने कहा- प्लीज़ जाइयेगा मत!

पापा ने कहा- ठीक है।

फिर मैंने अपनी स्कर्ट को ऊपर कर लिया और पैंटी को नीचे तक खिसका दिया ,और जानबूझकर बैठने में थोड़ा टाइम लिया ताकि पापा मेरी गोरी-गोरी गांड देख सकें।
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और फिर धीरे से बैठ कर पेशाब करने लगी, साथ में मेरी नंगी गांड की नुमाइश करने लगी।
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मेरे पेशाब करने में छरछराहट की आवाज भी सन्नाटे में गूँज रही थी।
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मैंने पापा को आवाज दे कर कहा "पापा आप भी पेशाब कर लीजिये ताकि फिर आप के पेशाब करने में समय खराब न हो.
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पापा तो मेरी गांड देखने में मस्त थे , मेरी आवाज़ सुन कर पापा ने भी वहीँ खड़े खड़े अपना पैजामा खोला और वहीं खड़े खड़े अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और पेशाब करने लगे.

पापा मेरी नंगी गांड देखते हुए पेशाब करने की कोशिश कर रहे थे, पर पापा का लौड़ा तो पहले से ही टाइट था और अब अपनी प्यारी बेटी की गांड के दर्शन करने से और भी टाइट हो चूका था तो उनके लण्ड से पेशाब बहुत ही काम स्पीड से निकल रहा था.

पेशाब करने के बाद मैं खड़ी हो गई और एक बार फिर लेगिंग ऊपर करने में थोड़ा समय लिया ताकि एक बार और पापा मेरी गांड देख सकें।
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फिर एकदम से पापा की तरफ घूम गयी जैसे मुझे पता ही न हो कि पापा वहीं खड़े हो कर पेशाब कर रहे थे.

पापा का लौड़ा मेरी ओर तना हुआ और तीर की तरह खड़ा था. मेरे अचानक उठने और उनकी तरफ घूम जाने के कारण पापा को लण्ड को पाजामे में करने और ढंकने का मौका ही नहीं मिल पाया.
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वो एकदम से घबरा से गए और लंड को पजामे के अंदर करने की कोशिश करने लगे।

उनका लंड अभी पजामेके बाहर था ही और खड़ा था जिसे वे पजामे के अंदर डालने की कोशिश कर रहे थे।

पर मुझे लगा की पापा इतनी तेजी से फिर भी अपना लण्ड अंदर नहीं कर रहे थे जितना करना चाहिए था.

मैं समझ गई थी कि वे जानबूझकर अपना लंड मुझे दिखा रहे हैं।
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तो मैं भी आंखें फाड़े उनका लंड देख रही थी।

पापा ने जब मुझे कुछ भी बोलते या कोई इतराज करते न देखा तो उन्होंने बड़े ही आराम से और धीरे धीरे अपना लण्ड पूरा समय ले कर पजामे में अंदर किया और इतनी देर मैंने भी पापा के लण्ड के खूब दर्शन किये.

हालाँकि मैंने पहले भी कई बार पापा का लैंड देखा था पर आज पहली बार पापा के सामने उनकी जानकारी में उनका खड़ा हुआ लौड़ा देखा. और पापा ने भी मुझे लण्ड ठीक से दिखाया था.
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यह निष्चय ही हमारे आपसी संबंधों में एक अगले स्तर की कारवाही थी.

मैंने अपनी गांड दिखा कर और पापा ने अपना लण्ड दिखा कर यह तो बता ही दिया था की हम बाप बेटी असल में क्या चाहते हैं.

बस अब देर थी तो बाप बेटी के संबंधों की समाज की आपसी दिवार गिरने की.

पापा का लण्ड देख कर मैं हल्का मुस्कुरा दी।
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उधर पापा को तो जैसी इसी बात का इंतज़ार था, मेरी मुस्कराहट देख कर,उनके दिल में यदि कोई छोटा मोटा डर था भी तो निकल गया.

पापा भी मुस्कुरा पड़े।

वो भी समज रहे थे कि मैं और पापा दोनों अब खुलकर मजे लेना चाह रहे हैं।

इस पेशाब करने के वाकये ने माहौल को सेक्सी बना दिया था।

मेरी चूत से भी पानी निकल कर मेरी पैंटी को हल्का-हल्का गीला कर रहा था इसलिए मैं भी शर्म लाज छोड़ कर मजे लेने का मूड आ चुकी थी।

फिर थोड़ी देर बाद हम घर आ गये। पापा सोफे पर बैठ गए और मैं उनके लिए पानी लेने चली गई लेकिन अपनी गांड को इतना हिलाते हुए गयी की मेरी हिलती हुई गांड देख कर पापा का मन डोल जाए।
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फिर हम अपने अपने कमरे में चले गये।
Very very erotic update.
 

Ting ting

Ting Ting
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फिर मैं अपने कमरे में गयी जहाँ मैंने सब से पहले अपनी स्कर्ट उतरी जो की पापा के माल से तर बे तर हो गयी थी.

फिर मैंने अपनी चड्डी उतरी वो भी मेरे अपने और पापा के वीर्य से लथपथ थी. सचमुच हम दोनों बाप बेटी का खूब पानी निकला था.

मैंने अपनी नंगी चूत पर हाथ फेरा और उसकी दरार में ऊँगली चलाई. मेरी चूत पापा की याद में गीली हो रही थी, मैं उसमे ऊँगली घुसा दी

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और ऊँगली को अंदर बाहर चलाते हुए बोली

"अरे मेरी प्यारी चूत, रो मत, बस लगता है की ज्यादा देर नहीं है, जल्दी ही तेरी तपस्या सफल होने वाली है, पापा का बेलन जैसा लौड़ा जल्दी ही तेरे अंदर होगा. थोड़ा सबर कर। जल्दी ही या शायद आज ही तुजे पापा से मजे मिलने वाले हैं. "
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पर सब्र करना इतना आसान थोड़े ही होता है,

खैर मैं किचन में आयी और खाना बनाया. हम दोनों बाप बेटी ने ड्राइंग रूम में जहाँ पापा सोफे पर बैठे थे वहीँ बैठ कर खाना खाया.

पापा आज बहुत ही खुश मूड में थे. होते भी क्यों नहीं अभी ही तो अपनी जवान बेटी की चूत में अपना लौड़ा रगड़ कर झड़े थे वो , और सब से ऊपर उन्हें जल्दी ही अपनी प्यारी और जवान बेटी की चूत चखने का मौका मिलने वाला था. पापा खुश तो होने ही थे.

खाना खाने के बाद और कुछ देर पापा से बात करने पर मैं उठी और अपने रूम की और जाने लगी तो पापा मुझसे बोले
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"सुमन! कहाँ जा रही हो कुछ देर और बैठो ना। "

मैं समझ रही थी की पापा थोड़ी मस्ती करने के मूड में है, तो मैं शर्माते हुए एक अदा से अपनी आंख उठाकर पापा को देखते कहा,

"जी वो नींद आ रही ही "

तो पापा बोले "अरे बेटी , चली जाना कुछ देर बाद कुछ देर तो बैठो."

पापा ने मुझे अपने पास ही सोफे पर बिठा लिया. पापा खुश मूड में होने के कारण कुछ गुनगुना रहे थे.
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और पापा ने रुम में म्यूजिक ऑन कर दिया तो मैं मन ही मन धीरे से बोली कि पापा सुन ना ली,

"सुमन लगता ही तेरे पापा के इरादे नेक नहीं है आज रात ही तेरा बाजा बजा डालेंगे।"

तो फिर थोड़ा मुस्कुराते हुए खुद ही मन मैं बोली, "बजाना तो इन्होने ही है तेरा बाजा आज बजे या कल" और मैं चलती पापा के पास आ गई.
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पापा म्यूजिक के साथ-साथ धीरे-धीरे डांस करने लगे अपनी कमर हिलाते पापा ने अपना हाथ आगे बढ़ाया कर मुझसे बोले आओ ना सुमन कुछ देर डांस करते हैं पापा का ये रोमांटिक अंदाज देख जहां मैं अंदर से खुशी से झूम रही थी पर अभी थोड़ी शर्म और झिझक भी थी पापा ने हाथ बढ़ाया और बोले

"आओ ना सुमन."

तो मैंने अपने बालों को ठीक किया कहा

"मुझे नाचना नहीं आता" तो पापा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींचे हुए बोले "आओ ना जानता हूं तुम कितना अच्छा डांस करती हो ।"
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पापा के इस तरह खिंचने पर मैं खिंची चली गई तो पापा ने मुझे अपनी बाहो में भर लियामैं पापा से चिपकी मुस्कराते हुए बोली

"मुझे नहीं पता था कि अपने ऐसे शौक पाल रखे हैं ."

पापा मेरा एक हाथ अपने हाथ में थामे और अपने दूसरे हाथ को मेरी कमर मैं डाल कर धीरे-धीरे नाचने लगे मैंने अपना दूसरा हाथ पापा के कंधे पर रख दिया और पापा की आंखें मुझे देख कर मुस्कुराती हुई अपनी गांड को धीरे हिलाने लगी।

जिस से मेरे मुँह से प्यार और मस्ती भारी आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह निकल जाती है।
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हम दोनों के बदन एक दम से चिपके हुए थे पापा के गाल मेरे चिकने गालों से रगड़ खा रहे थे जिस से मेरे अंदर एक अलग ही उत्तेजना सी उठ रही थी। कि पापा से एक दम चिपक गई जिस से पापा का खड़ा लंड मुझे मेरी स्कर्ट के ऊपर से मेरी चूत के ऊपर टकराता हुआ महसूस हुआ।

मेरी सांसे और तेज चलने लगी। जिस से मैं और भी कामातुर हो गई और मेरे पापा के साथ और भी चिपक गई।

पापा के होठों और मेरे होठों के बीच बस एक ही इंच की दुरी थी
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पापा और मैं काफी देर तक ऐसे ही डांस करते और एक दूसरे के साथ चिपके रहे तो थोड़ी देर बाद मैं पापा की बाहो से निकल बोली

"पापा क्या सारी रात ऐसे ही नाचने का इरादाहै."

तो पापा मेरा हाथ पकड़ कर बोले

"दिल तो यहीं करता है मेरी बेटी की बस तुम्हें बांहों मैं ले कर सारी जिंदगी ऐसे ही प्यार करता रहु."

मैं शर्माते हुए पापा की बाँहों से बाहर निकल गई और मूड कर उनकी और देखते हुई बोली

"पापा आप भी न , कभी कभी बच्चों की तरह करने लग जाते हैं। "

और पापा की बाहो से अलग हो कर अपने कमरे की और जाने लगी.

पापा अपनी में अपने लण्ड को सहलाते रहे. तो मैं बस नज़ारे झुकाए खड़ी थी।
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पापा न जाने क्यों अपनी लुंगी खोल कर फिर से कस कर बाँधने लगे. जैसे की उनकी लुंगी थोड़ी ढीली हो रही हो.

मेरी नज़र अंडरवियर मैं खड़े पापा के लंड पर पड़ी। पापा का लंड वो छोटा सा अंडरवियर संभाल नहीं पा रहा था।
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अंडरवियर के साइड से पापा की बड़ी बड़ी झांटे और बाल साफ दिखाई दे रहे थे। पापा का अंडरवियर पापा के लंड को संभाल नहीं पा रहा था पर मुझे तो अब पापा के लंड को संभालना ही था।

मेरे पापा के लंड को इस तरफ से बाहर निकला देख पहले से पापा से बोली,

"आप ना अंडरवियर बड़ा ले आइए, यह तो छोटा हो रहा है,"
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तो पापा मेरे सामने अपने लंड को सहलाते हैं. और बिना किसी शर्म के मेरे कान में बोले,

"सुमन अभी तुम कह रही हो बड़ा लाने के लिए, अभी जब तुम्हारी मम्मी आ जाएगी तो वो कहेगी की आखिर अंडरवियर पहनने की क्या जरूरी है. तुम दोनों माँ बेटी की अलग अलग इच्छा है."

और ये बोल कर मेरे सामने ही अपने लंड को सहलाने लगे और मेरे चेहरे को अपने और करते बोले

"सुमन चाहे तो छुप कर सुन लेना, तुम्हारी मामी यहीं कहोगी कि इसको पहनने की क्या जरूरत है. असल में तुम्हारी मम्मी को मैं ऐसे ही पसंद हूँ. "

इस "ऐसे ही पसंद हूँ " का मतलब मैं सब समझती थी. तो मैं ये सुन कर और देख कर वही खड़ी शर्माते रही।

और बोली "पापा आप भी न पूरे बेशरम हो गए हैं. अब जैसे आप मम्मी के साथ रहते हैं, वैसे मैं थोड़े ही हूँ. थोड़ा फर्क भी तो है न "

पापा भी मुस्कुराते बोले

"हाँ अभी तो फर्क है. पर देखता हूँ कब तक रहता है ?"

और यह कह कर अपने लण्ड को सहलाते रहे। "
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"आप भी ना पापा, बेशर्म हैं," और ये बोल कर मुस्कुराते हुए अपने रूम में आ गई।

मुझे नींद नहीं आ रही थी कि तभी मुझे ध्यान आया कि क्यों ना मैं कोई सेक्सी सी ब्रा और पैंटी पहन कर देखूं कि उसमें मुझे कैसी लगती हूं. आखिर रात की भी तो तयारी करनी थी, आज रात को पापा मेरी जांघों की रेशेस ठीक करने वाले जो थे.

अभी तो मुझे अपनी चूत की शेविंग भी करनी थी, मैं चाहती थी की जब पापा मेरी चूत के पास आएं तो मेरी प्ले ग्राउंड बिलकुल घास फूस और झाडिओं वगैरह से साफ़ हो, ताकि पापा को खेलने मैं मजा आये.

और मैंने झट से बैग खोला और एक जोड़ा ब्रा और पैंटी का निकाला और जैसी ही वो पहन कर आईने के सामने खुद को देखा तो खुद ही शर्मा गई मैं सोचने लगी क्या सचमैं पापा मुझे इस रूप मैं देखने के लिए बेचैन हैं मैं कैसे इस हालत में मैं उनके सामने लेट जाऊंगी

और मुझे यकीन था कि पापा आज मुझे इस रूप में सोच कर अपना लंड निकाल कर हिला रहे होंगे।

मुझे मन में आया की चल कर देखूं की क्या पापा भी अपनी बेटी की याद में मगन हैं.

मैं ये देखने के लिए कि पापा क्या कर रहे हैं हो भी सकता है की अपनी बेटी की जवानी के बारे में सोच कर अपना हिला रहे हो.
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मेरे उनके कमरे की और चल पड़ी और बाहर से देखा तो पापा के कमरे का दरवाजा खुला था और पापा अपना मूसल लंड अपना अंडरवियर में हाथ डाल कर बाहर निकाल रहे थे और पापा का विशाल लंड देख कर मेरी दरवाजे की ओट में खड़ी खड़ी उसे निहारने लगी और खुद मेरा हाथ मेरी स्कर्ट में से हो गया और अपनी चूत पर पहुंच गया.

मैं पापा के विशाल लंड को देख कर अपनी चूत को सहलाने लगी और खुद ही अपना मन में कहने लगी कि अब तो हम दोनों बाप बेटी से बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं होता। ये अब कुछ दिनों की बात है.

वो अपना घोड़े जैसा लंड निकाल जोर जोर से हिला रहे थे मेरी नज़र पापा के घोड़े जैसे लंड पर टिक गयी वह अपने लंड तकिया पर दबा कर धक्के मारते हुए बड़बड़ा रहे थे.

और मैं अपने मन में कह रही थी कि पापा मेरी जवानी आपके लिए ही तो है तो मेरे होते हुए कैसे बेचैन हो कर हिला रहे हो। पापा बस कुछ देर के और बात है और फिर आप को ऐसे इसको हिलाने नहीं दूंगी और अपना छेद मैं नहीं तो कम से कम अपने हाथ से पकड़ कर आपका जोश निकाल देती.
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अपने हाथ में पापा का लंड पकड़ने के बारे में मेरी सोच कर मुझे ऐसा एहसास होने लगा कि पापा का गधे जैसा मोटा लंड मैंने अपने हाथ में पापा का लंड पकड़ लिया है राम क्या शाही लंड था पापा का और मेरा एक हाथ अपनी चूत पर चला गया और फिर से मुझे याद आया कि मैं कहां खड़ी हूं, मैं शर्मा अपने कमरे में आ गई हूं,

यहां मेरी हालत भी पापा के जैसी ही हो रही थी, मेरी चूत पानी छोड़ रही थी, मुझसे रहा नहीं गया और मैं पापा के लंड के बारे में सोचते सोचते नंगी हो गई और अपनी चूत को सहलाने लगी और पापा को सोचते सोचते मेरी चूत गीली होने लगी और अब मुझे उसने ठंडा किए बिना सोना भी मुश्किल हो रहा था.

मैंने अपने मुँह को तकिये में छुपा लिया जिससे मुझे लगा कि मैं पापा के चौड़े सीने से मैं अपना मुँह छुपा लिया और अपनी चूत मैं उंगली ऐसे डालने लगी जैसे कि वो मेरी उंगली नहीं पापा का लंड हो।
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पापा के लंड के ख्याल से मेरा चेहरा शर्म से लाल हो उठा। मेरे अंदर की आग तो धीरे-धीरे भुजने की बजाये खराब रही थी पर हमारे समय मेरे पास उस समय मेरे पास सिवाये उंगली के दूसरा रास्ता नहीं था।

मेरी आँखो बंद थी पर बंद आँखो के सामने मुझे पापा दिखायी दे रहे थे। उनका वो मजबूत गठेला शरीर, मजबूत कंधे, उनका चौड़ा सीना और सीना के घने बाल और सब से बड़ी बात उनकी टांगों के बीच किसी शेर की तरह दहाड़ता लंड जिसकी तो मेरी दीवानी हो चुकी थी मेरी नज़र पापा के घोड़े जैसे लंड पर टिक गयी.

मैं अपनी चूत में अपनी उंगलियों को घचाघच खेल रही थी और कभी तकिये को अपनी टांगों के बीच में दबाकर चूत पर रगड़ रही थी.
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सच मेरे पापा का क्या शाही लंड था अब इस शाही लंड पर मेरी माँ का नाम लिखा था पर जल्दी ही मैं इस के सुपाडे पर अपना नाम लिख ही लूंगी।

आज मैं अपनी चूत की आग को अपनी उंगली से ठंडा करने की कोशिश कर रही हूं लेकिन कुछ समय के बाद पापा अपने उसी शाही लंड को चूत के अंदर डालकर मेरी चूत के अकड़ को ठंडा कर रहे होंगे.

मेरे अंदर भयानक आग लगी हुई थी मैं अपनी चूत में उंगली डालें सिर्फ को उधर झटका करेगी थी मैं उंगली डालकर उसका पानी निकालने लगी.

एक हाथ से अपने चूत को और दूसरे हाथ से अपने चूचियों को सहलाने लगी फिर निपल को धीरे धीरे मसलने लगी मेरे मुँह से आआआआआआह्हह्हह्हह्हह्ह की आवाज निकल रही थी।
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मैं पापा के हथियार के बारे में मैं सोच कर अपनी चूत मैं उंगली कर रही थी। मेरे लाख चाहने पर भी अपनी चूत की आग को ठंडा नहीं कर पा रही थी बल्की मैं तो आग में घी डाल रही थी.

मेरी उंगली वो काम कैसे कर सकती थी जो काम पापा का लंड कर सकता था.

खैर जब तक पापा का लौड़ा मेरी चूत में नहीं जाता तब तक तो मुझे भगवान् के दिए हाथ का ही सहारा था.

खैर थोड़ी देर पापा को अपने लण्ड से खेलते देख कर मैं अपने कमरे में आ गयी,
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मुझे रात की भी तो तैयारी करनी थी, चूत की शेविंग तो करनी थी तो मैंने सोच की चलो नहा भी लेती हूँ.

किचन में काम करके पसीना भी आ गया था तो शरीर से अच्छी सुगंध भी आएगी और पापा को रात में मजे ज्यादा मिलेंगे.
 

Mohini.

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बहुत बढ़िया एक ज़बरदस्त और शानदार कहानी!!!
 

Nishi.

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chamatkar aur bahut badiya update
 

sam00023

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Lagta h
फिर मैं अपने कमरे में गयी जहाँ मैंने सब से पहले अपनी स्कर्ट उतरी जो की पापा के माल से तर बे तर हो गयी थी.

फिर मैंने अपनी चड्डी उतरी वो भी मेरे अपने और पापा के वीर्य से लथपथ थी. सचमुच हम दोनों बाप बेटी का खूब पानी निकला था.

मैंने अपनी नंगी चूत पर हाथ फेरा और उसकी दरार में ऊँगली चलाई. मेरी चूत पापा की याद में गीली हो रही थी, मैं उसमे ऊँगली घुसा दी

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और ऊँगली को अंदर बाहर चलाते हुए बोली

"अरे मेरी प्यारी चूत, रो मत, बस लगता है की ज्यादा देर नहीं है, जल्दी ही तेरी तपस्या सफल होने वाली है, पापा का बेलन जैसा लौड़ा जल्दी ही तेरे अंदर होगा. थोड़ा सबर कर। जल्दी ही या शायद आज ही तुजे पापा से मजे मिलने वाले हैं. "
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पर सब्र करना इतना आसान थोड़े ही होता है,

खैर मैं किचन में आयी और खाना बनाया. हम दोनों बाप बेटी ने ड्राइंग रूम में जहाँ पापा सोफे पर बैठे थे वहीँ बैठ कर खाना खाया.

पापा आज बहुत ही खुश मूड में थे. होते भी क्यों नहीं अभी ही तो अपनी जवान बेटी की चूत में अपना लौड़ा रगड़ कर झड़े थे वो , और सब से ऊपर उन्हें जल्दी ही अपनी प्यारी और जवान बेटी की चूत चखने का मौका मिलने वाला था. पापा खुश तो होने ही थे.

खाना खाने के बाद और कुछ देर पापा से बात करने पर मैं उठी और अपने रूम की और जाने लगी तो पापा मुझसे बोले
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"सुमन! कहाँ जा रही हो कुछ देर और बैठो ना। "

मैं समझ रही थी की पापा थोड़ी मस्ती करने के मूड में है, तो मैं शर्माते हुए एक अदा से अपनी आंख उठाकर पापा को देखते कहा,

"जी वो नींद आ रही ही "

तो पापा बोले "अरे बेटी , चली जाना कुछ देर बाद कुछ देर तो बैठो."

पापा ने मुझे अपने पास ही सोफे पर बिठा लिया. पापा खुश मूड में होने के कारण कुछ गुनगुना रहे थे.
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और पापा ने रुम में म्यूजिक ऑन कर दिया तो मैं मन ही मन धीरे से बोली कि पापा सुन ना ली,

"सुमन लगता ही तेरे पापा के इरादे नेक नहीं है आज रात ही तेरा बाजा बजा डालेंगे।"

तो फिर थोड़ा मुस्कुराते हुए खुद ही मन मैं बोली, "बजाना तो इन्होने ही है तेरा बाजा आज बजे या कल" और मैं चलती पापा के पास आ गई.
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पापा म्यूजिक के साथ-साथ धीरे-धीरे डांस करने लगे अपनी कमर हिलाते पापा ने अपना हाथ आगे बढ़ाया कर मुझसे बोले आओ ना सुमन कुछ देर डांस करते हैं पापा का ये रोमांटिक अंदाज देख जहां मैं अंदर से खुशी से झूम रही थी पर अभी थोड़ी शर्म और झिझक भी थी पापा ने हाथ बढ़ाया और बोले

"आओ ना सुमन."

तो मैंने अपने बालों को ठीक किया कहा

"मुझे नाचना नहीं आता" तो पापा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींचे हुए बोले "आओ ना जानता हूं तुम कितना अच्छा डांस करती हो ।"
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पापा के इस तरह खिंचने पर मैं खिंची चली गई तो पापा ने मुझे अपनी बाहो में भर लियामैं पापा से चिपकी मुस्कराते हुए बोली

"मुझे नहीं पता था कि अपने ऐसे शौक पाल रखे हैं ."

पापा मेरा एक हाथ अपने हाथ में थामे और अपने दूसरे हाथ को मेरी कमर मैं डाल कर धीरे-धीरे नाचने लगे मैंने अपना दूसरा हाथ पापा के कंधे पर रख दिया और पापा की आंखें मुझे देख कर मुस्कुराती हुई अपनी गांड को धीरे हिलाने लगी।

जिस से मेरे मुँह से प्यार और मस्ती भारी आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह निकल जाती है।
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हम दोनों के बदन एक दम से चिपके हुए थे पापा के गाल मेरे चिकने गालों से रगड़ खा रहे थे जिस से मेरे अंदर एक अलग ही उत्तेजना सी उठ रही थी। कि पापा से एक दम चिपक गई जिस से पापा का खड़ा लंड मुझे मेरी स्कर्ट के ऊपर से मेरी चूत के ऊपर टकराता हुआ महसूस हुआ।

मेरी सांसे और तेज चलने लगी। जिस से मैं और भी कामातुर हो गई और मेरे पापा के साथ और भी चिपक गई।

पापा के होठों और मेरे होठों के बीच बस एक ही इंच की दुरी थी
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पापा और मैं काफी देर तक ऐसे ही डांस करते और एक दूसरे के साथ चिपके रहे तो थोड़ी देर बाद मैं पापा की बाहो से निकल बोली

"पापा क्या सारी रात ऐसे ही नाचने का इरादाहै."

तो पापा मेरा हाथ पकड़ कर बोले

"दिल तो यहीं करता है मेरी बेटी की बस तुम्हें बांहों मैं ले कर सारी जिंदगी ऐसे ही प्यार करता रहु."

मैं शर्माते हुए पापा की बाँहों से बाहर निकल गई और मूड कर उनकी और देखते हुई बोली

"पापा आप भी न , कभी कभी बच्चों की तरह करने लग जाते हैं। "

और पापा की बाहो से अलग हो कर अपने कमरे की और जाने लगी.

पापा अपनी में अपने लण्ड को सहलाते रहे. तो मैं बस नज़ारे झुकाए खड़ी थी।
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पापा न जाने क्यों अपनी लुंगी खोल कर फिर से कस कर बाँधने लगे. जैसे की उनकी लुंगी थोड़ी ढीली हो रही हो.

मेरी नज़र अंडरवियर मैं खड़े पापा के लंड पर पड़ी। पापा का लंड वो छोटा सा अंडरवियर संभाल नहीं पा रहा था।
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अंडरवियर के साइड से पापा की बड़ी बड़ी झांटे और बाल साफ दिखाई दे रहे थे। पापा का अंडरवियर पापा के लंड को संभाल नहीं पा रहा था पर मुझे तो अब पापा के लंड को संभालना ही था।

मेरे पापा के लंड को इस तरफ से बाहर निकला देख पहले से पापा से बोली,

"आप ना अंडरवियर बड़ा ले आइए, यह तो छोटा हो रहा है,"
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तो पापा मेरे सामने अपने लंड को सहलाते हैं. और बिना किसी शर्म के मेरे कान में बोले,

"सुमन अभी तुम कह रही हो बड़ा लाने के लिए, अभी जब तुम्हारी मम्मी आ जाएगी तो वो कहेगी की आखिर अंडरवियर पहनने की क्या जरूरी है. तुम दोनों माँ बेटी की अलग अलग इच्छा है."

और ये बोल कर मेरे सामने ही अपने लंड को सहलाने लगे और मेरे चेहरे को अपने और करते बोले

"सुमन चाहे तो छुप कर सुन लेना, तुम्हारी मामी यहीं कहोगी कि इसको पहनने की क्या जरूरत है. असल में तुम्हारी मम्मी को मैं ऐसे ही पसंद हूँ. "

इस "ऐसे ही पसंद हूँ " का मतलब मैं सब समझती थी. तो मैं ये सुन कर और देख कर वही खड़ी शर्माते रही।

और बोली "पापा आप भी न पूरे बेशरम हो गए हैं. अब जैसे आप मम्मी के साथ रहते हैं, वैसे मैं थोड़े ही हूँ. थोड़ा फर्क भी तो है न "

पापा भी मुस्कुराते बोले

"हाँ अभी तो फर्क है. पर देखता हूँ कब तक रहता है ?"

और यह कह कर अपने लण्ड को सहलाते रहे। "
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"आप भी ना पापा, बेशर्म हैं," और ये बोल कर मुस्कुराते हुए अपने रूम में आ गई।

मुझे नींद नहीं आ रही थी कि तभी मुझे ध्यान आया कि क्यों ना मैं कोई सेक्सी सी ब्रा और पैंटी पहन कर देखूं कि उसमें मुझे कैसी लगती हूं. आखिर रात की भी तो तयारी करनी थी, आज रात को पापा मेरी जांघों की रेशेस ठीक करने वाले जो थे.

अभी तो मुझे अपनी चूत की शेविंग भी करनी थी, मैं चाहती थी की जब पापा मेरी चूत के पास आएं तो मेरी प्ले ग्राउंड बिलकुल घास फूस और झाडिओं वगैरह से साफ़ हो, ताकि पापा को खेलने मैं मजा आये.

और मैंने झट से बैग खोला और एक जोड़ा ब्रा और पैंटी का निकाला और जैसी ही वो पहन कर आईने के सामने खुद को देखा तो खुद ही शर्मा गई मैं सोचने लगी क्या सचमैं पापा मुझे इस रूप मैं देखने के लिए बेचैन हैं मैं कैसे इस हालत में मैं उनके सामने लेट जाऊंगी

और मुझे यकीन था कि पापा आज मुझे इस रूप में सोच कर अपना लंड निकाल कर हिला रहे होंगे।

मुझे मन में आया की चल कर देखूं की क्या पापा भी अपनी बेटी की याद में मगन हैं.

मैं ये देखने के लिए कि पापा क्या कर रहे हैं हो भी सकता है की अपनी बेटी की जवानी के बारे में सोच कर अपना हिला रहे हो.
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मेरे उनके कमरे की और चल पड़ी और बाहर से देखा तो पापा के कमरे का दरवाजा खुला था और पापा अपना मूसल लंड अपना अंडरवियर में हाथ डाल कर बाहर निकाल रहे थे और पापा का विशाल लंड देख कर मेरी दरवाजे की ओट में खड़ी खड़ी उसे निहारने लगी और खुद मेरा हाथ मेरी स्कर्ट में से हो गया और अपनी चूत पर पहुंच गया.

मैं पापा के विशाल लंड को देख कर अपनी चूत को सहलाने लगी और खुद ही अपना मन में कहने लगी कि अब तो हम दोनों बाप बेटी से बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं होता। ये अब कुछ दिनों की बात है.

वो अपना घोड़े जैसा लंड निकाल जोर जोर से हिला रहे थे मेरी नज़र पापा के घोड़े जैसे लंड पर टिक गयी वह अपने लंड तकिया पर दबा कर धक्के मारते हुए बड़बड़ा रहे थे.

और मैं अपने मन में कह रही थी कि पापा मेरी जवानी आपके लिए ही तो है तो मेरे होते हुए कैसे बेचैन हो कर हिला रहे हो। पापा बस कुछ देर के और बात है और फिर आप को ऐसे इसको हिलाने नहीं दूंगी और अपना छेद मैं नहीं तो कम से कम अपने हाथ से पकड़ कर आपका जोश निकाल देती.
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अपने हाथ में पापा का लंड पकड़ने के बारे में मेरी सोच कर मुझे ऐसा एहसास होने लगा कि पापा का गधे जैसा मोटा लंड मैंने अपने हाथ में पापा का लंड पकड़ लिया है राम क्या शाही लंड था पापा का और मेरा एक हाथ अपनी चूत पर चला गया और फिर से मुझे याद आया कि मैं कहां खड़ी हूं, मैं शर्मा अपने कमरे में आ गई हूं,

यहां मेरी हालत भी पापा के जैसी ही हो रही थी, मेरी चूत पानी छोड़ रही थी, मुझसे रहा नहीं गया और मैं पापा के लंड के बारे में सोचते सोचते नंगी हो गई और अपनी चूत को सहलाने लगी और पापा को सोचते सोचते मेरी चूत गीली होने लगी और अब मुझे उसने ठंडा किए बिना सोना भी मुश्किल हो रहा था.

मैंने अपने मुँह को तकिये में छुपा लिया जिससे मुझे लगा कि मैं पापा के चौड़े सीने से मैं अपना मुँह छुपा लिया और अपनी चूत मैं उंगली ऐसे डालने लगी जैसे कि वो मेरी उंगली नहीं पापा का लंड हो।
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पापा के लंड के ख्याल से मेरा चेहरा शर्म से लाल हो उठा। मेरे अंदर की आग तो धीरे-धीरे भुजने की बजाये खराब रही थी पर हमारे समय मेरे पास उस समय मेरे पास सिवाये उंगली के दूसरा रास्ता नहीं था।

मेरी आँखो बंद थी पर बंद आँखो के सामने मुझे पापा दिखायी दे रहे थे। उनका वो मजबूत गठेला शरीर, मजबूत कंधे, उनका चौड़ा सीना और सीना के घने बाल और सब से बड़ी बात उनकी टांगों के बीच किसी शेर की तरह दहाड़ता लंड जिसकी तो मेरी दीवानी हो चुकी थी मेरी नज़र पापा के घोड़े जैसे लंड पर टिक गयी.

मैं अपनी चूत में अपनी उंगलियों को घचाघच खेल रही थी और कभी तकिये को अपनी टांगों के बीच में दबाकर चूत पर रगड़ रही थी.
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सच मेरे पापा का क्या शाही लंड था अब इस शाही लंड पर मेरी माँ का नाम लिखा था पर जल्दी ही मैं इस के सुपाडे पर अपना नाम लिख ही लूंगी।

आज मैं अपनी चूत की आग को अपनी उंगली से ठंडा करने की कोशिश कर रही हूं लेकिन कुछ समय के बाद पापा अपने उसी शाही लंड को चूत के अंदर डालकर मेरी चूत के अकड़ को ठंडा कर रहे होंगे.

मेरे अंदर भयानक आग लगी हुई थी मैं अपनी चूत में उंगली डालें सिर्फ को उधर झटका करेगी थी मैं उंगली डालकर उसका पानी निकालने लगी.

एक हाथ से अपने चूत को और दूसरे हाथ से अपने चूचियों को सहलाने लगी फिर निपल को धीरे धीरे मसलने लगी मेरे मुँह से आआआआआआह्हह्हह्हह्हह्ह की आवाज निकल रही थी।
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मैं पापा के हथियार के बारे में मैं सोच कर अपनी चूत मैं उंगली कर रही थी। मेरे लाख चाहने पर भी अपनी चूत की आग को ठंडा नहीं कर पा रही थी बल्की मैं तो आग में घी डाल रही थी.

मेरी उंगली वो काम कैसे कर सकती थी जो काम पापा का लंड कर सकता था.

खैर जब तक पापा का लौड़ा मेरी चूत में नहीं जाता तब तक तो मुझे भगवान् के दिए हाथ का ही सहारा था.

खैर थोड़ी देर पापा को अपने लण्ड से खेलते देख कर मैं अपने कमरे में आ गयी,
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मुझे रात की भी तो तैयारी करनी थी, चूत की शेविंग तो करनी थी तो मैंने सोच की चलो नहा भी लेती हूँ.


किचन में काम करके पसीना भी आ गया था तो शरीर से अच्छी सुगंध भी आएगी और पापा को रात में मजे ज्यादा मिलेंगे.
Lagta hai ab hoga khela jabardasti wala...abhi tak sare update ek dam jabardasti...keep writing
 
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