Premkumar65
Don't Miss the Opportunity
- 6,097
- 6,426
- 173
Super hot update.तब मुझे ध्यान आया कि मेरे और पापा के कमरे के बीच का बाथरूम साँझा है यानि बाथरूम एक ही है और दोनों कमरों से उस में जाने का रास्ता है.
जब भी कोई किसी भी कमरे में से बाथरूम में जाता था तो अंदर से दुसरे कमरे की ओर कुण्डी लगा देता था ताकि दुसरे कमरे से कोई अचानक अंदर न आ जाये.
इसलिए हम लोग अपने अपने साइड से बाथरूम बंद ही रखते थे. मैंने सोचा की पापा रात में दो तीन बार तो पेशाब करने के लिए उठ ते ही हैं.
तो यदि मैं अपने कमरे की साइड से बाथरूम का दरवाजा खुला रखूँ तो पापा को मेरे कमरे का नजारा दिखाई देगा.
यह सोच कर मैंने कुछ न कुछ करने का निर्णय लिया।
मैंने पक्का इरादा कर लिया था कि अब मैं अपने पापा को पटा कर अपने घर में ही एक लण्ड का जुगाड़ करुंगी।
वैसे भी चूत और लण्ड का सिर्फ एक ही रिश्ता होता है और वो है चुदाई का!
खैर जैसे तैसे रात हुई, खाना वगैरह खाकर हम दोनों बाप बेटी अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
मैं अपने कमरे में आ गई।
मैंने टाइम देखा तो रात के 11 बज रहे थे।
मैं सोच रही थी कि पापा अब किसी भी समय पापा पेशाब करने के लिए बाथरूम में आ सकते हैं.
मैंने अपनी योजना के अनुसार काम शुरू कर दिया।
दरवाजा बंद करके मैंने अपने कपड़े बदले और पुरानी, स्कूल के टाइम की ऐसी छोटी स्कर्ट पहन ली जिसमें मुश्किल से मेरी पूरी जांघ ढक पा रही थी। नीचे मैंने पैंटी नहीं पहनी थी. क्योंकि पापा आज दूर से तो मेरी नंगी जवानी का नजारा देख ही चुके थे और मैं चाहती थी की पापा मेरी नंगी चूत को अब पास से भी देख सकें.
ऊपर मैंने टी-शर्ट पहन ली थी. टी शर्ट मैंने ऐसी पहनी थी की जो साइज में काफी बड़ी थी और मैंने जान बूझ कर उसके नीचे ब्रा नहीं पहनी थी.
तब मैंने अपनी साइड से बाथरूम के दरवाजे को अनलॉक कर दिया ताकिऔर उसे थोड़ा सा खोल भी दिया ताकि पापा को मेरे कमरे के अंदर का नजारा दिखाई दे सके ।
फिर मैंने नाइट बल्ब ऑन किया और बिस्तर पर आकर लेट गई।
वैसे तो मैं अँधेरा करके सोती थी मगर आज मैंने जानबूझ कर नाइट बल्ब ऑन किया था।
नाइट बल्ब की रोशनी इतनी थी कि आराम से हर चीज साफ-साफ दिखाई दे रही थी।
मेरी योजना यह थी कि मैं आज पापा को अपनी चिकनी और गोरी जांघ की झलक दिखा देना चाह रही थी।
ताकि पापा अपनी प्यारी बेटी के जिस्म का पास से नजारा कर सकें क्योंकि बाद में मम्मी के आने के बाद मेरे लिए उनको पटाने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।
बिस्तर पर आकर अब मैं पापा के आने का इंतजार करने लगी।
टाइम देखा 11.30 बजे तक.
मेरा तो टाइम ही नहीं कट रहा था, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं!
डर था कि कहीं सो गयी और नींद आ गयी तो सारी योजना चौपट हो जाएगी।
फिर टाइम पास के लिए मैं मोबाइल में पोर्न स्टोरीज पढ़ने लगी।
स्टोरीज पढ़ते हुए 12.15 हो गये।
जैसे-जैसे समय बीत रहा था मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी।
मैंने मोबाइल बंद कर किनारे रख दिया और पीठ के बल लेट गई और अपनी स्कर्ट को थोड़ा ऐसे खींच कर ऊपर कर दिया कि चूत बस थोड़ा सा ढकी रहे बाकी मस्त चिकनी जांघ पापा को दिखाई दे।
अभी ये सब करते हुए कुछ ही देर हुई थी कि पापा के कमरे से हल्की सी आवाज आई।
टाइम देखा तो 12.30 बजे थे.
मैं समझ गई कि पापा आ रहे हैं।
मैं अपने हाथ से आंख और माथे को ढक कर सोने का नाटक करने लगी।
हाथ को मैंने इस तरह से आंख पर रखा था कि उसके नीचे से मैं पापा की हरकतों को देख सकूं।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
बाथरूम के दरवाजे के पास पापा की आवाज आई. , मैं समझ गई कि पापा बाथरूम में आ गए हैं. और मेरे साइड के बाथरूम के दरवाजे के सामने रुके हैं।
तभी दरवाजे का हैंडल धीरे-धीरे नीचे की तरफ घूमने लगा और फिर थोड़ा रुक कर दरवाजा बहुत थोड़ा सा खुला।
मैं समझ गयी की पापा को मेरी साइड का दरवाजा खुला दिखाई दिया है और उस में से मेरे कमरे में जल रही लाइट के कारण उन्हें कमरे में बेड पर लेती अपनी बेटी दिखाई दे गयी है, क्योंकि मेरे कमरे में नाइट बल्ब जल रहा था.
करीब 10-15 सेकेंड तक दरवाजा वैसे ही रहा।
फिर दरवाजा थोड़ा और खुला अब दरवाजे के पीछे पापा एकदम साफ दिखायी दे रहे थे।
कल पापा 10-15 सेकंड बाद मेरे कमरे में धीरे से आ गए।
मेरी योजना काम कर रही थी, पापा मेरी चिकनी जाँघों को देखने के चक्कर में अपनी बेटी के कमरे में आ चुके थे ।
हालांकि इस दौरान मेरा दिल इस कदर तेजी से धड़क रहा था कि मैं धड़कन को सुन सकती थी।
करीब 2 मिनट बीत गए, पापा उसी तरह खड़े रहे और मैं भी उसे तरह तरह लेटी रही।
अभी मैं कुछ और सोचती कि अचानक मैंने जो देखा उसे मेरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई।
दरअसल पापा मुझे और करीब से देखने के चक्कर में दरवाजे से थोड़ा अंदर तक आ गए थे।
मेरी निगाह जैसे ही नीचे गई तो देखा कि पापा अपने लंड को लुंगी के ऊपर से सहला रहे थे और मेरी जांघ को एकटक देख रहे थे।
मेरी स्कर्ट ने मेरी चूत को थोड़ा सा ही ढक रखा था बस बाकि सारी जाँघे नंगी ही थी,
पापा ने झुक कर मेरी स्कर्ट के अंदर से चूत को देखने की कोशिश की. पापा की यह हरकत देख कर मेरी सांसे तेज हो गयी और चूत भी गीली होने लगी,
मेरा दिल तेज तेज धड़क रहा था.
पापा ने अचानक मुझे धीरे से आवाज दी
"सुमन "
मैं चुप चाप लेटी रही, ताकि पापा को लगे की उनकी बेटी सो रही है.
पापा ने फिर से एक बार पक्का करने के लिए मुझे फिर आवाज दी
"सुमन ! जाग रही हो क्या ?"
अब मैं तो जानभूझ कर नाटक कर रही थी तो कैसे बोलती.
चुपचाप लेटी रही तो पापा को पक्का हो गया कि मैं सो रही हूँ. तो पापा ने धीरे से मेरी स्कर्ट को नीचे से पकड़ कर ऊपर उठा कर मेरे पेट पर रख दिया और मेरी चूत मेरे पापा के आगे बिलकुल नंगी हो गयी।
मेरे दिल ने इतना तेज धड़कना शुरू कर दिया कि जैसे मुझे हार्ट अटैक ही आज जायेगा.
आज पहली बार था की मैं अपने पापा के बिलकुल आगे पूरी नंगी लेटी हुई थी।
मेरी चूत पापा की आँखों के आगे बिलकुल खुली थी,
चाहे आज दिन में भी पापा ने मेरी चूत को और मुझे उस में खीरा घुसेड़ कर मुठ मारते देखा था पर फिर भी वोह ऊपर की मंजिल से और दूर से था. पर अब तो मैं उन के बिलकुल सामने अपनी चूत को खोले लेटी थी, और पापा मेरी चूत के एक एक बाल को देख सकते थे (वैसे मैंने चूत को आज ही शेव किया था तो चूत पर बाल तो नहीं थे पर पापा चूत का सब कुछ देख सकते थे.
मैंने अपनी आँखों पर अपना हाथ रखा हुआ था जैसे नींद में रखा हो, और मैं उसके नीचे से पापा की सारी हरकतें देख रही थी,
पापा अब तक अपनी लुंगी के ऊपर से ही अपने लण्ड को सहला रहे थे, पर अब अपनी बेटी की चूत नंगी करने के बाद उनका लौड़ा इतना टाइट हो गया था की उन्होंने अब अपना लण्ड लुंगी से बाहर निकाल लिया और खुल कर अब अपने लौड़े को सेहला रहे थे.
मेरी चूत में भी पानी और मेरे काम रस का जैसे तूफ़ान आ रहा था. मेरी चूत इतनी गीली हो कर पानी छोड रही थी कि मुझे डर लग रहा था कि मेरी चूत से बहता हुआ पानी बेड की चादर पर न आ जाये और पापा को दिखाई न दे जाये.
पापा अब सरेआम खुले में तेज तेज मुठ मार रहे थे। उनके हाथ की स्पीड बढ़ गयी थी,
पापा अपनी बेटी के नंगे जिस्म का इतनी नजदीकी से मजा लूट रहे थे।
अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना आज ही पापा को अपनी गांड के भी दर्शन करा दूं।
मैं जानती थी कि मेरी स्कर्ट इतनी छोटी है कि अगर मैं करवट बदल कर गांड को पापा की तरफ कर दूं तो स्कर्ट मेरी गांड को जरा भी ढक नहीं पाएगी।
बस मैंने बिना देर किए नींद में करवट बदलने का नाटक करते हुए अपनी गांड पापा की तरफ घुमा कर लेट गई।
मैंने जानबूझ कर इस तरह करवट बदली थी कि मेरी पूरी स्कर्ट खिसक कर मेरी कमर तक पर आ गई थी।
अब पापा की निगाह और मेरी गांड के बीच में कुछ भी नहीं था. और मेरी गांड पापा को साफ दिखाई दे रही थी।
पापा के मुंह से एक आह निकल गयी.
पिछली बार पापा ने मेरी गांड को पैंटी के अंदर ढके हुए देखा था पर अब तो उनके सामने मेरे चूतड़ बिलकुल नंगे थे.
मैं कुछ देर बेशर्मों की तरह इसी तरह लेटी रही ,
स्कर्ट तो वैसे भी मेरी गांड को ढक नहीं पाती थी , चूतड़ तो नंगे थे पर गोल गांड के दोनों चूतड़ों के कारण पापा को मेरी गांड का छेद दिखाई नहीं दे रहा था.
हालांकि मैं अब पापा को देख नहीं पा रही थी मगर इतना जरूर जान रही थी कि पापा को मेरी गांड दिख रही है।
इस तरह लेटे हुए मुझे करीब 2 मिनट हो गए. फिर मैंने सोचा की जब मैंने इतना कर ही दिया है और पापा को खूब अपने शरीर के दर्शन करवा ही दिए हैं तो अब गांड भी दिखा ही देती हूँ. पापा भी क्या याद करेंगे.
यह सोच कर मैंने धीरे से अपनी एक टांग ऊपर को मोड़ ली जैसे आम तौर पर हम लोग सोते समय मोड़ लेते है,
इस तरह करने से मेरी गांड का छेद खुल गया और अब पापा को मेरी गांड का भूरा सा छेद भी दिखाई दे रहा था.
गांड की क्योंकि अभी तक मेरी चुदाई नहीं हुई थी तो मेरी गांड बिलकुल बंद और टाइट थी, गांड का छेद बंद था।
पापा के लिए यह बहुत ही कामुक सीन था. क्योंकि मेरे इस पोज़ में उन्हें मेरी गांड का छेद और उसके नीचे से चूत भी दिखाई दे रही थी,
टांग को मोड़ने के कारण मेरी चूत थोड़ी खुल गयी थी और चूत की दरार खुल जाने से पापा को चूत के अंदर का लाल लाल मांस भी दिखाई दे रहा था.
यह सब देखना और उसे सहन कर पाना पापा के लिए भी बहुत मुश्किल था.
पापा की मुठ मारने की स्पीड बहुत तेज हो गयी और उनकी साँसें भी इतनी तेज हो गयी की उसकी आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी,
अचानक पापा का शरीर अकड़ गया और उनके मुंह से आवाज निकली
"हाय मेरी प्यारी बेटी सुमन. मैं तो गया. "
और पापा के लोहे की तरह सख्त हो चुके लौड़े ने एक जोर की पिचकारी अपने रस की छोड़ दी,
पापा का ओर्गास्म इतना था की वो मोटी सी और बहुत बड़ी सी वीर्य की पिचकारी मेरी नंगी गांड पर आ कर गिरी.
पापा के मुंह से एक ओह की आवाज निकली। मेरी नंगी गांड पर वीर्य गिरने से वो डर गए की उनके गर्म गर्म वीर्य से मेरी आँख खुल जाएगी और वो पकडे जाएंगे।
पर जब तक पापा अपने लण्ड को अपने हाथ से ढक पाते, उनके लण्ड ने दो तीन पिचकारी और छोड़ दी जो मेरी नंगी गांड पर और कुछ वीर्य मेरी नंगी जांघ पर गिर गया.
अब तक पापा ने अपने लौड़े को हाथ से ढक लिया था पर तब तक तो काफी देर हो चुकी थी।
मेरी सारी गांड और जाँघे पापा के माल से भर गयी थी और चमक रही थी,
पापा भी डर गए की मैं नींद से उठ न जाऊं और डर के मारे दौड़ कर बाथरूम में चले गए।
पापा के जाते ही मैंने अपनी आँखें खोल ली। मुझे अपने नंगे चूतड़ों पर पापा का गर्म गर्म वीर्य महसूस हो रहा था.
मैंने हाथ फेर कर अपने चूतड़ों से वो वीर्य उठा लिया और सीधी हो कर लेट गयी,
मैंने अपने हाथ का वीर्य नाक के पास ला कर सूंघा। पापा का माल बहुत ही सुगन्धित था. मैंने दो उंगलिया अपने मुंह में डाल ली और पापा का माल चाट लिया. बहुत ही स्वादिष्ठ वीर्य था.
मैंने मन ही मन में प्रार्थना की, कि हे भगवन उंगिलयों से ही आज दूसरी बार पापा का माल चाटा है, असली लण्ड को मुंह में ले कर डायरेक्ट माल चाटने का मौका भी जल्दी से देना.
फिर मैंने बाकि का वीर्य अपनी नंगी चूत पर मल लिया और थोड़ा सा वीर्य ऊँगली से चूत के अंदर भी घसेड कर मल लिया.
पापा का वीर्य अपनी चूत के अंदर पहली बार महसूस करते ही मेरी चूत ने भी अपना इतनी देर से रोक रखा पानी छोड़ दिया और मैं भी पापा के माल से भरी हुई अपनी ऊँगली अपनी चूत में अंदर बाहर करते हुए झड गयी.
मेरी चूत पापा के माल और मेरे अपने पानी से चमक रही थी. और मैं भगवान् से प्रार्थना कर रही थी हे ईश्वर आज मैंने पापा का वीर्य अपनी ही ऊँगली से अपनी चूत में डाला है,, वो मौका कब आएगा जब पापा अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल कर इस माल को खुद मेरे अंदर छोड़ेंगे.
उधर पापा ने अब तक पेशाब कर लिया था.
उन्हें डर लग रहा था की उनका वीर्य मेरी चूतड़ पर पड़ा है, कहीं मेरी आँख खुल गयी तो मैं उनका माल देखूँगी तो उनका भांडा न फूट जाये, तो उन्होंने मेरे कमरे में आ कर मेरी गांड से वीर्य पोंछने की सोची.
पापा फिर से मेरे कमरे में आये, तो उन्होंने देखा कि मैं सीधी हो कर लेटी थी और मेरी चूत उनके वीर्य से भरी हुई चमक रही थी,
वो हैरान हो गए की वीर्य यहाँ कैसे आ गया.
पर उन्होंने सोचा कि हो सकता है की मेरे सीधे हो जाने से वीर्य बह कर चूत की साइड में आ गया हो,
पर उनकी हिम्मत नहीं हुई की वो हाथ बढ़ा कर मेरी चूत से अपना माल साफ़ कर दें.
तो पापा चुप चाप अपने कमरे को चले गए।
मुझे धीरे से दरवाजा बंद होने की आवाज आई।
मैं समझ गई कि पापा कमरे से चले गए हैं।