अगले दिन जैसे ही पहरा दे रहे सैनिक बेहोश पड़े हुए मिले तो सुल्तानपुर में हड़कंप मच गया और राज दरबार लगा हुआ था!
रजिया:" आखिर चल क्या रहा है जब्बार ? ऐसी ढीली सुरक्षा व्यवथा मैने आज तक नही देखी!
जब्बार भरे दरबार में जलील हो रहा था और उसका मुंह गुस्से और अपमान से लाल हुआ पड़ा था और बोला:" आप फिक्र न करें क्योंकि आज से सारी सुरक्षा में अपने हाथ में लूंगा और कोई परिंदा भी पर नही मर सकता!
रजिया:" लेकिन जो अभी तक हुआ है उसके पीछे किसी दुश्मन का क्या मकसद हो सकता हैं वो पता करना ही होगा साथ ही साथ अभी तक कल्लू सुनार का कुछ भी पता नहीं चला है!
जब्बार:" कल्लू सुनार को ढूंढने के लिए सैनिक कड़ी मेहनत कर रहे हैं! जरूरी वो कहीं छिपा हुआ होगा नही तो अब तक मिल जाता!
रजिया:" ठीक हैं लेकिन जब्बार आगे से कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए सुरक्षा से जुड़ी हुई! सैनिकों को होश में आते ही उनसे सब कुछ पता करो और हमें बताओ सब कुछ!
जब्बार:" जैसा आपका हुक्म!
उसके बाद सभा समाप्त हो गई और सलमा चिंता में पड़ गई कि जब्बार जैसे राक्षस के होते हुए विक्रम राज्य में कैसे घुस पायेगा और दोनो का मिलना अब बिल्कुल भी आसान नहीं होगा!
वहीं दूसरी तरफ उदयगढ़ में सुबह अजय अपनी मां मेनका के बिस्तर पर सोया हुआ था और मेनका घर के कुछ काम देख रही थी! अजय की आंख खुली और देखा कि वो अपनी माता के कक्ष में सोया हैं तो उसकी आंखो के आगे रात हुई घटना याद आ गई और उसे यकीन नही हो पा रहा था कि रात जो हुआ वो सपना था या हकीकत! अजय उठा और नहा धोकर तैयार हो गया और मेनका के साथ नाश्ता करने कर बाद राज महल की तरफ बढ़ गया! अजय और मेनका दोनो ने ही एक दूसरे के साथ बिलकुल सामान्य व्यवहार किया मानो रात कुछ हुआ ही नहीं था!
राज महल पहुंच कर अजय ने गायत्री देवी के पैर छुए तो गायत्री ने उसे आशीर्वाद दिया और बोली:" विजयी भव ! ईश्वर तुम्हे अपने कर्तव्य को पूरा करने की शक्ति प्रदान करे!
अजय:" जब तक आपका आशीर्वाद मेरे साथ हैं मैं अपने कर्तव्य को पूरा करूंगा!
राजमाता:" मैं तो हमेशा आप दोनो के साथ हु अजय! अच्छा आज एक काम करना नदी के किनारे जो मंदिर हैं मुझे पूजा के लिए जाना होगा! आप जाने की तैयारी कीजिए!
अजय:" जो आज्ञा राजमाता! युवराज नही दिख रहे हैं?
गायत्री:" आजकल युवराज राज्य के कामों में रुचि कम ले रहे हैं और देर तक सोते हैं! हमे भी पता करके बताओ जरा क्या कहानी है आखिर इसके पीछे ?
अजय:" आप चिंता न करें राजमाता! मैं युवराज से बात करके आपको बता दूंगा!
अजय राजमाता से मिलने के बाद विक्रम अजय से मिलने के लिए उसके कक्ष में गया तो देखा कि विक्रम 11 बजे भी सोया हुआ है तो वो उसके कक्ष से बाहर आ गया और सैनिकों से मिलने के लिए चला गया और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और करीब एक बजे वापिस आया तो युवराज खाना खाकर बैठे ही थे कि अजय को देखते ही बोले:"
" आओ अजय थोड़ा भोजन ग्रहण कर लो आप भी!
अजय:" नही युवराज, मुझे अभी भूख नही है! आप कैसे हो?
विक्रम:" मैं तो अच्छा हु अजय! लेकिन क्या हुआ जो ऐसे पूछ रहे हो आप!
अजय:" नही बस ऐसे ही आजकल आप राज सभा में नही आते और लेट तक सोते हैं तो बस इसलिए पूछा आपसे कि कहीं कोई बीमारी ने तो नही घेर लिया आपको?
विक्रम उसकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराया और बोला:" बीमारी हान बीमारी ही तो हैं सच मे एक बेहद हसीन बीमारी जिसकी वजह से हम रात भर नींद नहीं आती !
अजय उसकी बात सुनकर हैरान हो गया और बोला:" ऐसे पहेलियां ना बुझाए युवराज! हम आपके जैसे समझदार नही है!
विक्रम:" बात ऐसी है कि अजय हमने आपके लिए भाभी ढूंढ ली!
अजय उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठा और बोला:" अच्छा जी तो ये बात है हमारे युवराज किसी के प्रेम जाल में पड़ गए हैं
विक्रम:" हान मित्र भाई ऐसा समझ लो कि उसके बिना कुछ अच्छा नही लगता! मन करता है कि वो हर पल मेरी नजरो के सामने मेरी बांहों में रहे!
अजय:" युवराज आप तो सच में प्रेम दीवाने हो गए हैं! आखिर कौन है वो जिसने युवराज को अपना दीवाना बना लिया है!
विक्रम ने अपने दिल पर हाथ रखकर आह भरी और बोला:
" वो तो लाखो में एक हैं हंसती है तो फूल झड़ते हैं और बात करती है तो दिल जीत लेती है! उसकी एक मुस्कुराहट पर जीवन बलिदान करने को जी चाहता है!
अजय:" ऐसा तो सिर्फ स्वप्न से सुंदरी के लिए ही होता है युवराज!
विक्रम ने आंखे बंद करी और उसकी आंखो के आगे सलमा की तस्वीर नजर आई और बोला:"
" सच में अजय स्वप्न सुंदरी से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और हसीन!
अजय:" अच्छा फिर हमें आखिर बताए तो सही कि वो है कौन?
विक्रम ने अजय का हाथ पकड़ लिया और उसकी आंखो मे देखते हुए बोला:" सुल्तानपुर की शहजादी सलमा!
अजय का मुंह हैरानी से खुला और खुला का खुला ही रह गया और उसे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था कि वो सच सुन रहा है और बोला:"
" क्या युवराज सुल्तानपुर की शहजादी सलमा? मैं सच सुन पा रहा हूं ना ?
विक्रम के चेहरे पर मुस्कान आ गई और बोला:" सही सही सुन रहे हो आप अजय! हम और सलमा एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते हैं!
अजय:" लेकिन युवराज वो तो हमारे राज्य के दुश्मन है आप उनसे कैसे रिश्ता जोड़ सकते हो जबकि आप जानते हो कि वो आपके पिता के कातिल परिवार से हैं!
विक्रम:" सलमा से हमारी कैसी दुश्मनी उसके तो एक मासूम सा प्यार भरा दिल हैं अजय! फिर उसने भी तो अपना पिता खोया है उस लड़ाई में और वो हमे दुश्मन समझती थी लेकिन बड़ी मुश्किल से हम उसकी गलतफहमी दूर कर पाए हैं! डर असल हमे तो लगता हैं कि इस सारे फसाद की जड़ कोई और ही हैं!
अजय ध्यान से उसकी बाते सुनता रहा और विक्रम ने उसे जब्बार की बात बताई तो अजय समझ गया कि सलमा बेकसूर हैं और सच में उसे युवराज की जरूरत है तो बोला:"
" लेकिन युवराज आप उनसे मिलने के लिए सुल्तानपुर जाने की भूल मत करना! कहीं वो आपको फंसा न दे या फिर आप किसी खतरे में ना पड़ जाए!
विक्रम:" हम तो कल पूरी रात सुल्तानपुर में ही थे शहजादी के पास अजय! वो हमें एक खरोच नही आने देगी क्योंकि उसके लिए अब सब कुछ हम ही हैं! अच्छा सुनो आज शहजादी शाम को नदी पर हमसे मिलने के लिए आएंगी! आप हमारे साथ चलना! आप मिल लेना अपनी भाभी से!
अजय चौंक कर बोला:" लेकिन युवराज आज तो शाम को राजमाता पूजा के लिए जायेंगी नदी पर!
युवराज:" कोई बात नही ये तो और खुशी की बात हैं! वो भी अपनी होने बहु से मिल लेंगी!
अजय:" नही युवराज ये इतना आसान नहीं हैं! आप अभी किसी को मत बताना और एक वादा करो कि मुझे बिना बताए आप अब सुल्तानपुर नही जायेंगे!
विक्रम:" आप हमारी चिंता न करे अजय! हम बिना सुरक्षा के कहीं नही जाते है!
अजय:" बात वो नही है युवराज! हमे आप पर भरोसा है लेकिन हमारी भी आपके लिए कुछ जिम्मेदारी हैं! आज के बाद आप जब भी सुल्तानपुर जायेंगे तो हम आपके साथ में जाएंगे!
विक्रम:" अच्छा ठीक हैं जैसे तुम्हे ठीक लगे! अच्छा सुनो उसकी एक सहेली हैं सीमा बेचारी बड़ी अच्छी लड़की हैं और उसने मेरी और सलमा की बड़ी मदद करी हैं और मैने तो उसे बहन बना लिया हैं! सलाम कह रही थी कि वो तुम्हारे बारे में बात करती हैं!
विक्रम की बात सुनकर अजय का दिल धड़क उठा क्योंकि आखिरकार वो भी एक जवान मर्द था और उसकी भी इच्छा थी कि उसकी कोई प्रेमिका हो तो अजय बोला:" आपने जिसे बहन बनाया हैं यकीनन वो अच्छी ही होगी और आप अपनी बहन के दिल की बात हमे बता रहे हैं तो मतलब आप हम पर बेहद यकीन करते हैं! आप भरोसा रखिए युवराज मैं आपके इस भरोसे पर खरा उतरूंगा! अच्छा मैं अब शाम की तैयारी करता हूं!
शाम को करीब पांच बजे अजय राजमाता को लेकर नदी के किनारे पहुंच गया और राजमाता मंदिर में पूजा करने लगी तो अजय बाहर आ गया और सामने से उसे एक बेहद सजी हुई बग्गी गुजरती नजर आई और समझ गया कि ये जरूर शहजादी सलमा की बग्गी होगी तो क्या इसमें सीमा भी आई होगी और वो सलमा को भी देखना चाहता था कि आखिर ऐसा हैं रूप सौंदर्य हैं उसका जिसने युवराज को अपने ऊपर मोहित कर लिया हैं!
एक बड़े पेड़ के नीचे जाकर बग्गी रुक गई और हिजाब लगाए एक बेहद खूबसूरत शहजादी बाहर निकली और उसने वही पेड़ के नीचे तंबू लगाने का आदेश सैनिकों को दिया और थोड़ी ही देर में वहा तंबू लग गया और सैनिक थोड़ी दूर जाकर पहरा देने लगे और तभी अजय को पेड़ की टहनियां हिलती हुई नजर आई और उसकी आंखे हैरानी से फैल गई जब उसने युवराज विक्रम को पेड़ से उतरकर तंबू के अंदर उतरते हुए देखा! अजय सावधान हो गया कि कहीं कोई खतरा तो नही है लेकिन सैनिक अपनी मौज मस्ती में लगे हुए थे और उन्हें सपने में भी अंदाजा नहीं था कि कोई पेड़ से भी आ सकता हैं!
करीब पांच मिनट के बाद हरे रंग का सूट सलवार पहने हुए एक सुंदर लड़की तंबू से बाहर आई और इधर उधर देखते हुए नदी की तरफ चल पड़ी! अजय सावधानी से उसे ही देख रहा था कि ये लड़की कौन है कहीं यही सीमा तो नही है ये सोचते हुए उसका दिल तेजी से धड़क उठा उठा और वो लड़की हाथ में पानी का कैन लिए नदी के किनारे आई! सैनिक अब उसे नही देख सकते थे और अजय को देखते ही उसने पहचान लिया और बोली:"
" आप अजय सिंह हैं न जो उदयगढ़ के सेनापति हैं!
अजय उसकी बात सुनकर हैरान हुआ कि आखिर ये लड़की मुझे कैसे जानती है और बोला:
" मैं अजय ही हु लेकिन क्षमा चाहता हूं आपको पहचान नही पाया!
सीमा:" मैं शहजादी की सहेली सीमा हु! शहजादी और युवराज विक्रम ने आपको अंदर बुलाया हैं
अजय ने उसे बेहद गौर से देखा और अजय को वो बेहद प्यारी और दिलकश लगी और अजय बोला:" आप हमे जानती हैं इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद! लेकिन इतने सैनिकों के होते हुए हम अंदर कैसे जा पाएंगे?
सीमा:" आप उसकी चिंता न करे! हमारे पास एक उपाय हैं!
इतना कहकर सीमा ने बुर्का निकाला और अजय की तरफ बढ़ा दी तो अजय हैरान होते हुए बोला:" तो क्या हम अब बुर्का भी पहनना पड़ेगा?
सीमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा पड़ी और बोली:" बस सिर्फ तंबू तक जाने के लिए!
अजय ने सावधानी से बुर्का पहन लिया और चलने लगा और जल्दी ही तंबू में पहुंच गया तो उसे बुर्के में देखते ही विक्रम और सलमा दोनो एक साथ मुस्करा उठे और विक्रम बोला:"
" कमाल के सुंदर लग रहे हो अजय आप बुर्के में! ये हैं आपकी भाभी शहजादी सलमा!
अजय भी हंस दिया और उसने ध्यान से सलमा को देखा और पाया कि सलमा सच में बेहद खूबसूरत हैं बिलकुल किसी स्वर्ग की अप्सरा के जैसी! सच में सलमा और विक्रम दोनो की जोड़ी बेहद खूबसूरत हैं! अजय ने दोनो हाथ जोड़ दिए और बोला:"
" भाभी जी सलाम! आप सच में बेहद खूबसूरत हैं और युवराज आपके लिए दीवाने हैं!
अजय की बात सुनकर सलमा शर्मा गई तो सीमा बोली:"
" हमारी शहजादी लाखो में एक हैं और आपके युवराज से बहुत प्यार करती है!
अजय:" हान वो तो है! भाभी आप कोई चिंता मत करना, आपका ये देवर आप दोनो के प्रेम को जरूर पूरा करेगा!
सीमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली:" शहजादी के बहादुर देवर जी दो प्रेमी मिले हैं तो उन्हें बहुत सारी बाते करनी होगी तो उन्हे अकेला छोड़ दो!
अजय हड़बड़ा सा गया और बाहर निकलते हुए बोला:"
" ओह मैं तो ये बात भूल ही गया था अच्छा मैं चलता हु!
अजय जैसे ही बाहर गया तो विक्रम ने आगे बढ़कर सलमा को सीमा के सामने ही अपनी बांहों में भर लिया तो सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और कसमसा कर छूटने की कोशिश करने लगी तो उसकी हालत देखकर सीमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"
" अरे इतनी बेताबी भी ठीक नहीं है युवराज! मैने तो आपको बात करने के लिए अकेला छोड़ने के लिए कहा था और आप तो कुछ और ही करने लगे हो! लगता हैं मुझे शर्म करनी पड़ेगी!
इतना कहकर सीमा बाहर की तरफ चल पड़ी और विक्रम ने सलमा के गालों को चूम लिया तो पुच्छ की किस की आवाज सुनकर सीमा का मन आनंदित हो गया और अपने होंठो पर मुस्कान लिए बाहर निकल गई और जैसे ही बाहर निकली तो कक्ष के बाहर ही उसे अजय मिल गया और अजय उसे स्माइल करते हुए देखकर बोला:"
" ऐसा क्या मिल गया जो इतनी हंसती हुई आ रही हो अंदर से?
सीमा उसकी बात सुनकर ऐसे चुप हो गई मानो सांप सूंघ गया हो और अंदर से अभी तक पुच्छ पुच्छ की आवाजे आ रही क्योंकि अभी सलमा भी विक्रम के चुंबन का जवाब पूरे जोश से दे रही थी और कपड़े से बने इस तंबू में आवाज बाहर तक जा रही होगी इसका उन्हे अंदाजा नही था!
सीमा शर्म से अपनी गर्दन झुकाकर खड़ी हो गई क्योंकि अजय को सामने पाकर उसकी धड़कने तेज हो गई थी और मुंह शर्म से लाल हो गया था और ऊपर से सलमा और विक्रम के किस की मधुर आवाज उसे अंदर ही अंदर बेचैन कर रही थी!
अजय और सीमा दोनो बिलकुल शांत खड़े हुए थे बस अजय सीमा के शर्म से झुके हुए चेहरे को देख रहा था और सीमा शर्म के मारे खुद में ही सिमटी हुई जा रही थी और अंदर कुछ नही बोली तो अजय हिम्मत करके उसके थोड़ा करीब आ गया और बोला:"
" आपने बताया नही सीमा कि शहजादी और विक्रम क्या बाते कर रहे हैं अंदर !
सीमा ने अपने दोनो हाथो की अंगुलियों को एक दूसरे में फंसा लिया और शर्म से पानी पानी हुई जमीन ताकने लगी तभी अंदर से सलमा की मस्ती भरी आह सुनाई पड़ी
" आह्ह्ह्ह्ह युवराज थोड़ा आराम से मेरे प्रियतम!
सीमा सलमा की मधुर सिसकी सुनकर बेचैन हो उठी और उसकी सांसे अब तेजी से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां हिल रही थी और अजय अब उसके ठीक सामने आ गया और हिम्मत करके उसका हाथ पकड़कर कर धीरे से बोला:"
" बताओ ना सीमा क्या बाते कर रहे हैं शहजादी और युवराज अंदर दोनो बिलकुल अकेले!
अजय ने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा तो सीमा का पूरा बदन कांप उठा और लड़खड़ाती हुई मदहोश आवाज में धीरे से बोली:"
" मुझे नही पता अजय! मेरा हाथ छोड़ दीजिए ना आप! यूं किसी को तंग करना अच्छी बात नहीं होती अजय!
अजय उसकी बात सुनकर धीरे से बोला:" सीमा आप हमे किसी में समझती हैं क्या ? हमे तो युवराज ने बताया था कि सलमा को आपने कहा था कि आप हमे पसंद करती हैं!
सीमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और कुछ बोलती उससे पहले ही अंदर से सलमा की मस्ती भरी सीत्कार निकल गई क्योंकि विक्रम ने हाथ नीचे बढ़ाकर उसकी गांड़ को बिलकुल नंगी पकड़ लिया गया था
" अह्ह्ह्ह सीईईईईआई ईईईईईइ यूईईईईईइ मेरे युवराज! आह्ह्ह्ह्ह मार डालोगे क्या अपनी शहजादी को आज!
सीमा ने सलमा की मादक सिसकियां सुनकर एक बार अजय की तरफ देखा और अपना हाथ उसके हाथ में ढीला छोड़ दिया तो अजय ने उसे हाथ से अपनी तरफ खींचा तो सीमा किसी नाजुक डोर की तरह खींची चली आई और अजय ने उसे अपनी बांहों में भर कर उसका मुंह चूम लिया और धीरे से उसके कान में बोला:"
" मैं आपसे बेहद प्रेम करता हूं सीमा!
सीमा भी उससे कसकर लिपट गई और अपनी बांहों का हार उसके गले में पहना दिया तो अजय ने उसके चेहरे को ऊपर उठाते हुए अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और सीमा के होंठो को चूसने लगा तो सीमा भी पिघल गई और देखते ही देखते दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे!
विक्रम और सलमा की मधुर सिसकियां उन्हे और जोश दिला रही थी! करीब दो मिनट तक दोनो का किस चला और उसके बाद जैसे ही दोनो सांस लेने के लिए रुके और एक दूसरे की आंखो में देखा तो दोनो एक साथ मुस्कुरा दिए और सीमा शर्म से लाल हो गई!
अजय ने फिर से उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और सीमा की गांड़ को मसलने लगा तो सीमा मस्ती से उससे लिपटी जा रही थी! अजय ने उसके होंठो को अच्छे से चूसा और बोला:"
" सीमा मुझे जाना होगा क्योंकि राजमाता ने पूजा कर ली होगी और वैसे भी एक अकेली हैं तो कहीं कोई दिक्कत न हो जाए!
सीमा ने उसका गाल चूम लिया और बोली:" फिर कब मिलोगे अजय मुझसे ?
अजय ने उसके मुंह को चूम लिया और बोला:" बहुत जल्दी सीमा! युवराज शहजादी से मिलने के लिए जब भी आयेंगे तो मैं साथ में जरूर आऊंगा!
सीमा ने उसकी आंखो में देखा और बोली:" मैं आपका इंतजार करूंगी युवराज!
अजय उसके बाद जोर से ही बाहर से बोला:"
" युवराज मुझे जाना होगा क्योंकि राजमाता की पूजा खत्म होने वाली हैं! अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं चला जाऊ क्या ?
सलमा को अपनी बांहों में समेटे हुए विक्रम उसके गुलाबी गाल चूम कर बोला:
" आप चले जाए अजय! मैं भी निकलने ही वाला हु क्योंकि अंधेरा होना लगा हैं!
उसके बाद अजय ने फिर से बुर्का पहना और सीमा के साथ बाहर निकल गया और नदी के किनारे जाकर देखा कि राजमाता की पूजा खत्म हो गई थी और उसे देखते ही बोली:"
" अच्छा हुआ आप आ गए! हम आपकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे!
अजय:" मैं तो बस बाहर ही आपका इंतजार कर रहा था! अभी मेरे लिए क्या आदेश हैं राजमाता ?
गायत्री:" अंधेरा होना शुरू हो गया हैं तो अब हमें महल की तरफ प्रस्थान करना चाहिए!
उसके बाद अजय ने अपनी बग्गी को निकाला और राजमाता को लेकर महल की तरफ चल पड़ा और सीमा उसे दूर तक जाते हुए देखती रही! वहीं दूसरी तरफ सलमा विक्रम से बोली:"
" युवराज अब आप चले जायेंगे और मेरा दिल उदास रहेगा क्योंकि अब पता नही कब अगली मुलाकात होगी!
विक्रम चादर पर बैठा हुआ था और सलमा उसकी गोद में बैठी हुई थीं और विक्रम धीरे से उसकी गर्दन चूमते हुए बोला:"
" आप फिक्र न करे शहजादी! हम जल्दी ही फिर से मिलेंगे!
सलमा उससे लिपटती हुई उदास मन से बोली:"
" इतना आसान नही होगा क्योंकि आज सुबह राज्य में बहुत हंगामा हुआ जब बेहोश पड़े हुए सैनिक मिले! जब्बार आज से खुद पहरे पर रहेगा! आप कोई खतरा मोल मत लेना!
विक्रम:" आप फिक्र न करो शहाजदी! आपसे मिलने के लिए मैं कोई न कोई तरीका ढूंढ ही लूंगा क्योंकि आपकी खूबसूरती मुझे मजबूर कर देगी आपके पास आने के लिए मेरी शहजादी!
इतना कहकर उसने सलमा को जोर से कस लिया तो सलमा कसमसाते हुए बोली:"
" मिलने से ज्यादा आप सुरक्षित रहो वो मेरे लिए ज्यादा जरूरी हैं! बस इस बात की फिक्र रहती हैं कि आप कैसे होंगे! कम से कम मिला न जाए लेकिन आपकी खबर तो मिलती रहे हमे!
विक्रम उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और उसके होंठ चूमते हुए बोला:"
" मुझे भी आपकी चिंता होती हैं शहजादी और उसके लिए मैने एक उपाय ढूंढ लिया है! रुकिए आपको दिखाता हु!
विक्रम ने तंबू की छत पर से एक पिंजरा उतारा और उसमे एक बेहद खूबसूरत ताकतवर बाज था जिसे देखकर शहजादी खुश हो गई और विक्रम ने पिंजरा खोल दिया तो वो बाज अपने पंख फड़फड़ाते हुए बाहर आ गया और विक्रम बोला:"
" ये लीजिए शहजादी इसका नाम जांबाज हैं और मुझे आपका संदेश देने के साथ साथ आपकी हिफाजत भी करेगा क्योंकि ये पालतू होने के साथ साथ शिकारी भी हैं!
सलमा ने बाज को इशारा किया तो बाज उसके हाथ पर आ बैठा और अपने पंखों को फड़फड़ाने लगा तो सलमा खुश हो गई!
सलमा विक्रम से कस कर लिपट गई और उसका मुंह चूमते हुए बोली:" सच में आपने मेरा दिल एक बार फिर से जीत लिया युवराज! अब मैं जब चाहे आपको संदेश भेज सकती हू!
विक्रम:" बिलकुल शहजादी इसलिए ही तो मैने इसे ईरान से आपके लिए मंगवाया हैं! और हां आज से पवन भी आपके साथ ही जायेगा! आपको बाहर भी मैदान में घूमता हुआ मिला जायेगा!
सलमा ने विक्रम को वही गद्दे पर गिरा दिया और उसके होंठो चूसते हुए बोली:" सच में आपके प्यार के बिना मैं बहुत अधूरी थी युवराज! मुझसे शादी कर लीजिए ना आप!
विक्रम ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और बोला:" बिलकुल मेरी जान आपको अपनी महारानी बनाऊंगा मैं! बस अब राजमाता को मना लू एक बार और आप भी अपनी अम्मी से मौका देखकर बात कीजिए!
सलमा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:" अम्मी तो मान ही जायेगी लेकिन जब्बार दिक्कत पैदा करेगा!
विक्रम:" जब्बार को मैं देख लूंगा बस आप अम्मी से बात कीजिए! और आपके भाई को भी जब्बार से दूर रखिए!
सलमा:" मैं तो कोशिश कर चुकी हैं लेकिन वो समझता ही नहीं है! पता नही क्या जादू कर दिया है जब्बार ने उसके उपर!
विक्रम:" आप फिक्र न करो! मैं पता करता हु और शहजादे को जब्बार से दूर कर दूंगा!
सलमा:" ऐसा हो जाए तो बहुत अच्छा होगा युवराज क्योंकि सुल्तानपुर को उसका असली महाराज मिल जाएगा!
विक्रम:" आप चिंता न करे! मैने आपको वचन दिया हैं तो पूरा करूंगा मेरी जान! अच्छा अब अंधेरा पूरा हो गया है तो आप जाने की तैयारी कीजिए!
सलमा उससे कसकर लिपट गई और बोली:" मन तो नही करता हैं युवराज लेकिन जाना तो पड़ेगा!
दोनो ने एक दूसरे को सिद्दत से चूम लिया और उसके बाद विक्रम वापिस तंबू की छत से बाहर निकल आया और सलमा सीमा के साथ अपने राज्य वापिस लौट पड़ी!