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Incest शहजादी सलमा

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सीमा को अब राधिका एक आंख भी नही सुहा रही थी और वो अब इंतजार कर रही थी कि कब उसे रंगे हाथों पकड़ा जा सके क्योंकि वो उसे कोई मौका नहीं देना चाहती थीं!

सीमा का मन सलमा से भी खिन हो गया था और उसे अब सलमा से पहले जैसा मोह नही रह गया था क्योंकि वो सलमा का दूसरा पहलू भी देख चुकी थी! सीमा को अब आबिद की बात याद आ रही थीं कि जब्बार के घर के घर के पीछे सारे हथियार छुपाए गए हैं ताकि राज्य के सैनिकों के युद्ध के समय जरूरत पड़ने पर हथियार ही नही मिले और जब्बार आराम से बगावत की स्थिति में भी राज्य पर कब्जा कर सकता था!!

रात के करीब 11 बज गए थे तो उसे बाहर कदमों की हल्की सी आहत सुनाई पड़ी तो उसके कान सतर्क हो गए और धीरे से पर्दा डालकर देखा तो पाया कि राधिका दबे पांव घर से निकल रही थी! सीमा भी आज सच्चाई देखना चाहती थीं इसलिए वो भी उसके पीछे पीछे ही निकल पड़ी! घर से बाहर निकलते ही एक दीवार की ओट में राधिका ने अपने मुंह को ढक लिया ताकि कोई उसे पहचान न सके और वो उत्तर दिशा में आगे बढ़ गई तो अंधेरे का फायदा उठाते हुए सीमा भी उसके पीछे चल पड़ी! राधिका चोर नजरो से इधर उधर देखती हुई दांई तरफ मुड़ गई और थोड़ी देर बाद ही वो जब्बार के घर के सामने खड़ी हुई थी! सीमा का शक अब यकीन में बदल गया था कि राधिका जब्बार के जाल में फंसी हुई है! राधिका ने अपनी जेब से एक कार्ड निकाला और राधिका ने धीरे से दरवाजा को खोला और अंदर प्रवेश कर गई और सीमा ने देखा कि जब्बार के घर के बाहर मौजूद सैनिकों ने राधिका को रोका नहीं क्योंकि वो उसे पहले से जानते थे और कार्ड उसके अंदर जाने के लिए प्रमाण था!

सीमा ने इधर उधर ध्यान से देखा और उसे कोई उम्मीद नजर नही आई तो वो वापिस अपने घर की तरफ लौट आई! सीमा सोच रही थी कि वो सलमा को बताए कि जब्बार ने कैसे असली हथियारों को छुपा लिया है लेकिन उसका दिल नही माना और वो बिस्तर पर पड़े पड़े नींद के आगोश मे चली गई!!!

अगले दिन सीमा पूरी तरह से तैयार थी! रात को खाना बनाने के बाद उसने सीमा के खाने में नींद की गोलियां मिला दी और खाना खाने के थोड़ी देर बाद ही राधिका गहरी नींद में चली गई तो सीमा ने उसके कमरे से वो कार्ड निकाला जिसके बल पर राधिका जब्बार के घर में घुस गई थी! रात को ठीक 11 बजे सीमा घर से बाहर निकली! उसने राधिका के कपड़े पहले हुए थे और मुंह को पूरी तरह से ढका हुआ था! जब्बार के घर के सामने पहुंच गई! सीमा का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था और उसके पूरे बदन में डर के मारे कंपकपी दौड़ रही थी!

सीमा ने दरवाजे पर दस्तक दी तो पहरेदार बोला:*

" सुबूत दिखाए अपना!!

सीमा ने कार्ड आगे किया और दरवाजा खुल गया तो सीमा जल्दी से अन्दर घुस गई और उसने देखा कि अंदर करीब 20 सैनिक पहरा दे रहे थे! सीमा को अब लग रहा था कि यहां आकर उसने अपने आपको खतरे में डाल दिया है तो उसने धीरे से अपने सूट में छुपे हुए अपने खंजर को टटोला और थोड़ा सुकून की सांस ली और आगे बढ़ गई! जब्बार का घर काफी भव्य बना हुआ था और उसके अंदर काफी ज्यादा जगह भी थी!

सीमा चलती हुई अंदर पहुंच गई और सीढियां चढ़ती हुई पहली मंजिल पर आ गई और देखा कि यहां भी काफी सारे सैनिक पहरे दे रहे थे और सीमा के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि अब कहां जाए क्योंकि वो जब्बार के सामने नही पड़ना चाहती थीं! हथियारों तक कैसे पहुंचा जाए ये सोचती हुई वो उत्तर दिशा में बढ़ी और थोड़ा चलने के बाद गैलरी में मूड गई! सामने ही दो आलीशान कक्ष बने हुए थे तो सीमा समझ गई कि ये जरूर जब्बार का ही कक्ष हैं और सीमा का दिल धड़क उठा! सीमा ने इधर उधर देखा और पाया कि सैनिक अपनी बातो में मशगूल थे तो मौके का फायदा उठाते हुए सामने की तरफ बढ़ गई जिधर थोड़ा अंधेरा था! सीमा हिम्मत करके उस दिशा में आगे बढ़ गई तो उसे नीचे की तरफ जाती हुई सीढियां नजर आई जो किसी तहखाने में जाने का रास्ता थी!

सीमा डरती हुई नीचे उतरने लगी और जल्दी ही वो तहखाने में पहुंच गई तो देखा कि सामने की चार सैनिक पहरा दे रहे थे और काफी मुस्तैद नजर आ रहे थे तो सीमा ने इंतजार करने का फैसला किया! करीब दो बजे के आस पास उसने देखा कि सैनिक सो गए थे तो वो धीरे से आगे बढ़ गई और एक चौड़े रास्ते से होते हुए बांई तरफ मुड़ गई और सामने ही एक बेहद बड़ा कमरा बना हुआ था तो सीमा उसमे घुस गई और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि वो पूरा कमरा भयंकर हथियारों से भरा हुआ था! सीमा को यकीन हो गया कि आबिद सच बोल रहा था और सब हथियार तो यहां छुपे हैं तो फिर शस्त्रागार तो खाली होना चाहिए!

सीमा को आबिद की बात याद आ रही थीं कि वो जब्बार से उसके घर से पीछे मिलता था! मतलब जरूर कुछ न कुछ बात है जो वो समझ नहीं पा रही है! सीमा ने उधर इधर देखा तो उसे एक खिड़की नजर आई और वो दीवार के सहारे उस पर चढ़ गई तो देखा कि ये जब्बार के घर का अंतिम हिस्सा था और बाहर सड़क नजर आ रही थीं! मेनका को आबिद की बात का मतलब समझ में आ गया और उसने अब वापिस जाने का फैसला किया क्योंकि सुबह के चार बजने वाले थे! सीमा मौका देखती हुई बचती बचाती हुई जैसे तैसे मुख्य दरवाजे तक पहुंची और देखा कि पहरेदार गहरी नींद में हैं तो बाहर निकल गई और अपने घर पहुंच गई!!

अगले दिन सुबह राजदरबार लगा हुआ था और आबिद की बीवी रजिया से इंसाफ की गुहार लगा रही थी

" राजमाता मेरे शौहर को घर से गायब हुए आज चार दिन हो गई है और पता भी नही हैं वो जिंदे भी है या नहीं! मेरे शौहर को ढूंढ दीजिए आप!!

रजिया सब कुछ जानती थी लेकिन दिखावे के लिए बोली:"

" जब्बार हमे किसी भी कीमत पर आबिद चाहिए! सारा राज्य छान मारो! चाहे कुछ भी करो लेकिन वो हमे चाहिए!

जब्बार आबिद के गायब होने से खुद ही परेशान था क्योंकि वो उसका विश्वास पात्र आदमी था! पहले भी कई बार वो गायब हो जाता और दूसरे राज्यों में मुजरा देखने जाता था जिस कारण जब्बार को चिंता नहीं थी लेकिन आज उसे लग रहा था कि कुछ तो गलत हुआ है!!

जब्बार:" आप निश्चित रहे राजमाता! कल तक हम आबिद को ढूंढ कर आपके सामने ले आयेंगे!

इतना कहकर जब्बार ने सलमा की तरफ देखा तो सलमा मंद मंद मुस्कुरा उठी और जब्बार खुशी के मारे झूम उठा!

कुछ और आवश्यक निर्णय लेने के बाद सभा भंग हुई और रजिया चली गई तो सलमा भी पीछे पीछे जाने लगी तो जब्बार उसके करीब पहुंच गया और बोला

" कैसे हो आप शहजादी ?

सलमा उसकी तरफ देखकर हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:" हम ठीक है जब्बार! आप कैसे हो?

जब्बार:" बस सांसे चल रही है किसी को याद कर करके! और एक वो इतने मशरूफ है कि हमारी परवाह नहीं करते!

सलमा:" ऐसा नहीं कहो जब्बार! हम आपकी फिक्र करते हैं!

जब्बार:" फिर हमसे मिलते क्यों नहीं हो? आज तीन दिन हो गई है जब आप हमसे आखिरी बार मिली थी!

सलमा:" हम जानते हैं जब्बार! कल संध्या को हम शाही बगीचे मे आपका इंतजार करेंगे!

इतना कहकर सलमा पलटी और चल पड़ी! जब्बार की खुशी का कोई ठिकाना नही था क्योंकि वो जानता था कि शाही बगीचे मे राजपरिवार के अलावा कोई नहीं जाता और उसके पास अच्छा मौका होगा सलमा के साथ मस्ती करने के लिए!

सलमा ने एक दासी को भेजकर सीमा को महल बुलवाया क्योंकि सीमा कई दिनों से महल नही आ रही थीं! सीमा को देखते ही शहजादी को एहसास हो गया कि जरूर कुछ न कुछ बात है जो सीमा का चेहरा बदला हुआ लग रहा था!

सलमा:" चार दिन से महल नही आई हो सीमा! हमारे साथ परछाई की तरह रहने वाली सीमा हमे कैसे भूल गई ?

सीमा उससे नजरे चुराती हुई बोली:" ऐसा कुछ भी नहीं है शहजादी! बस तबियत ठीक नहीं थी तो आराम किया घर पर!

सलमा:" देखो सीमा हमसे झूठ तो नही छुपा सकती! ऐसी क्या बात हो गई जो सीमा हमसे झूठ बोलने लगी है!!

सीमा के चेहरे का रंग उड़ गया और बोली:" ऐसा कुछ भी तो नहीं है शहजादी!

सलमा ने उसे ज्यादा परेशान करना उचित नहीं समझा! वो जानती थीं कि सीमा झूठ बोल रही है लेकिन वो इतना भी जानती थी कि सीमा उसकी सच्ची और वफादार सहेली हैं और उसका कभी गलत नही कर सकती तो बोली:"

" हम बड़े गहरे संकट में है सीमा! जब्बार ने पूरी तरह से राज्य पर कब्जा कर लिया है! बस दिखावे के लिए ही हम शहजादी हैं !!

सीमा:" आप क्यों चिंता करती है शहजादी! युवराज विक्रम तो आपके साथ है ही और अब तो उन्हे तलवार भी मिल गई है!

सलमा:" बात वो नही है सीमा! युवराज मदद करेंगे अच्छी बात है लेकिन आप और मैं दोनो का कर्तव्य है कि युद्ध से पहले दुश्मन की योजना का पता करके उसे कमजोर किया जाए!! अच्छा सुन हम आज रात उदयगढ़ जाएंगे! तुम भी हमारे साथ चलना!

सीमा:" लेकिन इतना सख्त पहरा होने के बाद कैसे जा सकती है आप ?

सलमा:" वो सब कुछ तुम हम पर छोड़ दो सीमा! आज हम तुम्हे महल का एक ऐसा रहस्य बताएंगे तो सिर्फ राज परिवार को उसी मालूम होता हैं तब जाकर आपको एहसास होगा कि हम आपको अपनी बहन मानते हैं सीमा!!

सीमा हैरानी से सलमा की तरफ देखने लगी कि क्योंकि उसे अब सलमा अपनी सी लग रही थीं! यही तो वो सलमा थी जिसे वो पसंद करती थी! सीमा धीरे से बोली:"

" ठीक हैं अगर आप मुझ पर इतना यकीन करती हैं तो मैं आपके साथ जरूर चलूंगी!

सलमा:" यकीन की क्या बात सीमा! एक तुम ही तो हो जिस पर मैं भरोसा करती हू लेकिन तो यहां तो सारे लोग गद्दार भरे हुए हैं राज्य में!

सीमा:" किस समय जाना होगा हमे ? आप समय बता दीजिए मैं आ जाऊंगी!

सलमा:" करीब नौ बजे हम निकल जायेंगे! मैं यहीं अपने कक्ष में आपका इंतजार करूंगी!

सीमा उसके बाद थोड़ी देर और रुकने के बाद अपने घर की तरफ लौट आई तो देखा कि राधिका घर पर ही ठीक थीं तो सीमा बोली:"

" अरे आज अभी तक घर पर हो राधिका ?

राधिका:" हान तबियत ठीक नहीं लग रही थी! चक्कर से आ रहे थे तो बस आराम कर रही थी! आप बताए महल से आ रही हो क्या ? कैसी हैं शहजादी ?

सीमा:" शहजादी की तो क्या ही बात करे ! बड़े पैसे वाले लोग हैं उनकी तो हर बात अलग ही होती हैं राधिका!!

राधिका:" आप परेशान मत होइए! कुछ दिन की और बात हैं फिर देखना आप हमारे पास भी इतना पैसा होगा कि आपकी जिंदगी सलमा से बेहतर होगी दीदी!!

सीमा हैरानी से उसकी तरफ देखती हुई बोली:"

" अच्छा तुम्हारे हाथ क्या कोई खजाना लगने वाला हैं ? जरा हमे भी तो बताओ!

राधिका:" बस कुछ दिन और सब्र करो दीदी! फिर आपको सब कुछ पता चल ही जायेगा!

सीमा कुछ नहीं बोली और अपने कमरे में चली गई! रात को करीब साढ़े आठ बजे के आस पास सीमा राधिका के बोलकर निकल गई कि वो महल जा रही है और रात को वहीं रुकेगी! राधिका के लिए अच्छा था क्योंकि उसे रात में जब्बार के पास जाने से कोई नही रोक सकता था!

सीमा और सलमा दोनो करीब नौ बजे महल में बनी हुई सुरंगे के पास खड़े थे और जैसे ही सलमा ने दरवाजा खोला तो दोनो उसमे घुस गए और सीमा महल में सुरंग देखकर हैरानी का नाटक करने लगी तो सलाम ने उसे सब कुछ बताया और आगे चलकर दोनो को आबिद की लाश मिली जो सड़ना शुरू हो गई थी तो सीमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"

" ये तो यहां मरा पड़ा हुआ है और जब्बार इसे राज्य में ढूंढ रहा होगा बेचारा!

सलमा:" इसे सलीम ने मार डाला! हम बड़े परेशान हैं उसकी हरकतों से सीमा!

सीमा अंदर ही अंदर खुश हुई कि कम से कम आबिद की मौत का शक उसके ऊपर तो नही आया! दोनो सुरंग से निकलकर उदयपुर पहुंच गए और वैद्य जी के यहां जाकर सलमा अपने अब्बू से मिली और विक्रम को संदेश भिजवा दिया तो विक्रम दौड़ा चला आया और सलाम उससे मिलकर बड़ी खुश हुई और फिर उसने विक्रम को सारी बात बताई कि किस तरह से जब्बार ने सारे हथियार बदल कर लकड़ी से बनी हुई तलवारे रख दी हैं ताकि वो आराम से युद्ध जीत सके!

विक्रम:" ये तो सब में बेहद बड़ी समस्या है! असली हथियारों का पता करो और युद्ध से पहले उन्हे आपस मे बदलना ही होगा!

सीमा जब जानती थी तो तपाक से बोली:"

" असली हथियार जब्बार ने अपने घर के अंदर छुपाए हुए हैं ऐसी हमे जानकारी मिली हैं!

सलमा और विक्रम दोनो ने सीमा की तरफ देखा और सलमा बोली:" ये तो बड़े काम की खबर है सीमा! अब सवाल ये है कि कैसे हथियार बदलने है!

सीमा:" आप निश्चित रहे शहजादी! हम खुद इस कार्य को अंजाम देंगे!

विक्रम ने सीमा का कंधा थपथपाया और बोला:"

" जब तक तुम जैसे वफादार लोग सुल्तानपुर में हैं जब्बार कभी कामयाब नही हो सकता!

उसके बाद सलमा अपने अब्बू से बात करती रही और सीमा बोली:" युवराज हमे थोड़ी भूख लगी है कुछ खाने का इंतजाम हो जायेगा क्या?

विक्रम बाहर जाने लगा तो सीमा बोली:" हम भी आपके साथ ही चलते हैं ! थोड़ा महल भी देख आयेंगे!

इतना कहकर सीमा भी उसके साथ ही चल पड़ी और जैसे ही दोनो वैद्य जी के घर में बाहरी हिस्से में आए तो सीमा ने इधर उधर देखा और बोली:"

" युवराज हमे आपको बेहद जरूरी सूचना देनी थी! सलमा पर ज्यादा भरोसा मत कीजिए क्योंकि वो और उसकी माता आपको जब्बार के खिलाफ प्रयोग करके अपना राज्य वापिस पाना चाहती है और आजकल सलमा की जब्बार से कुछ ज्यादा ही नजदीकियां बढ़ रही है!!

विक्रम ने जैसे ही ये सब सुना तो उसे मानो यकीन सा नही हुआ और फिर बोला:"

" सलमा बेचारी मजबूर हैं! आखिर एक औरत करे तो क्या करे! लेकिन हमने उसे वादा किया है कि जब्बार के चंगुल से उसके राज्य को हर हाल में आजाद कराकर ही दम लेंगे! फिर जब्बार से हमे अपने ही तो बदले पूरे करने हैं !

सीमा:" मानना पड़ेगा युवराज आपके प्रेम को! आप सलमा को एक मजबूर नारी बताकर उसकी धोखेबाजी को छुपा रहे हो!!

विक्रम:" प्यार करना और निभाना दोनो एक ही सिक्के के अलग अलग पहलू है! बस इंसान को हालात को ठीक से समझना आना चाहिए!

सीमा आगे कुछ नहीं बोली और थोड़ी देर बाद दोनो वापिस वैद्य जी के घर आ गए और विक्रम ने कुछ फलों का इंतजाम किया था तो सबने थोड़े थोड़े फल खाए और उसके बाद वापस सलमा सीमा को साथ लिए अपने राज्य लौट पड़ी!

जैसे ही दोनो सुरंग में घुसे तो सलमा बोली:"

" क्या क्या जानकारियां दी है आपके युवराज को वैद्य जी के घर के बाहर जाकर?

सीमा के मुंह का रंग उतर गया और नजरे चुराती हुई बोली:"

" कु.. कु.. कुछ खास नहीं! बस वही हथियारों के बारे में बताया!

सलमा:" सीमा हम इतने भी बेवकूफ नहीं है जितना तुम समझ रही हो! तुम्हारी लड़खड़ाती हुई आवाज सब बयान कर रही है!!

सीमा कुछ नही बोली और मुंह नीचे करके खड़ी हो गई! सलमा ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोली:"

" हमने एक एक शब्द ठीक से सुना है! हमे तुमसे ये उम्मीद कभी नही थी! विक्रम के रूप में जो एक उम्मीद हमे मिली थी वो भी आपने खत्म कर दी है! एक बार हमारी जगह खुद को रखकर देखिए तो आपको हमारी मुश्किलों का एहसास होगा!
हमारा राज्य पूरी तरह से जब्बार के कब्जे में हैं और बचाएगा कौन! मेरे भाई को तो मदिरा और अपने भोग विलास से समय नही! लड़कियों से ज्यादा कमजोर हो गया है वो! मेरे अब्बा पिछले पंद्रह साल से पिंडाला की कैद में बंद रहे और फिर मेरी अम्मी की आखिरी उम्मीद में ही हु!

मैं भी उनकी उम्मीदों पर पानी फिर कर उनसे आंखे चुरा लूं क्या !! उनसे कह दी उनके बेटे की तरह उनकी बेटी भी नकारा हैं!! मैं चाहूं तो जब्बार से शादी करके आराम से जी सकती हू लेकिन अपने दुश्मन के बिस्तर का खिलौना बनना मुझे कभी कुबूल नही हैं! बेशक मैने जब्बार से थोड़ी नजदीकियां बढ़ाई हैं तो तो सिर्फ राज्य के हालात समझने और जब्बार को गुमराह करने के लिए लेकिन इसका ये मतलब नहीं हैं कि मैं अपनी मर्यादा को भूल गई हु या मैं विक्रम से प्यार नही करती! मेरी आखिरी सांस तक मैं विक्रम से प्यार करती रहूंगी!! लेकिन आज जो हुआ हैं उसके बाद अब विक्रम मुझे कभी माफ नहीं करेंगे!!

इतना कहकर सलमा उदास हो गई और सीमा के मुंह से एक शब्द नही निकल रहा था क्योंकि वो जानती थी कि उसने जाने अनजाने में ही सही लेकिन बहुत ज्यादा बड़ी गलती हैं जिसका खामियाजा अब सलमा को भुगतना ही होगा!

सीमा ने सलमा के सामने दोनो हाथ जोड़ दिए और बोली:"

" माफी के लायक तो नही हु लेकिन मुझे माफ कर दीजिए आप! मैंने जिस गलतफहमी को पैदा किया है अपनी जान देकर भी उसे दूर करूंगी!

इतना कहकर सीमा उसके पैरो मे गिर पड़ी तो सलमा ने उसे उठाकर गले से लगाया और बोली:"

" गलती इंसान से ही होती हैं! मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है और सब कुछ भूलकर हमे जब्बार के खिलाफ योजना बनानी चाहिए ताकि हम मिलकर दुश्मन का सामना कर सके!


सीमा ने उसके बाद सलमा को सब कुछ बताया कैसे उसने आबिद को मारा और उसे जब्बार के घर में हथियारों का पता चला और वो जब्बार के घर पहुंची और उसकी बहन राधिका जब्बार से मिली हुई हैं और उसके इशारों पर नाच रही है तो सलमा बोली:

" हमे राधिका से ऐसी उम्मीद नही थी लेकिन सच्चाई को हमे स्वीकर करना ही पड़ेगा! देशद्रोह किसी भी हालत में माफ नही होता सीमा!

सीमा की आंखे लाल सुर्ख हो उठी और गुस्से से बोली:

" गद्दार की सजा मैं आपसे बेहतर जानती हु शहजादी! लेकिन मैं सही मौके का इंतजार कर रही हूं ताकि एक ही झटके में सारे दुश्मन खत्म किए जा सके एक साथ!!

सलमा कुछ नही बोली और उसके बाद दोनो सावधानी से
सुरंग से बाहर निकल कर महल में आ गए और सलमा आराम से सो गई और सीमा भी आज महल में सो गई!

वहीं दूसरी तरफ सलमा के जाने के बाद रात के करीब 11 बजे विक्रम मेनका के कक्ष के पास पहुंचा और दरवाजे को धक्का दिया तो वो खुल गया और विक्रम खुशी खुशी

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अंदर घुस गया तो देखा कि मेनका एक गुलाबी रंग का शानदार रात्रि वस्त्र पहने हुए उसी का इंतजार कर रही थी और बेहद आकर्षक लग रही थीं! विक्रम को देखते ही उसके होंठो पर मुस्कान आ गई!!


विक्रम आगे बढ़ा तो मेनका अदा के साथ बेड पर चढ़ गई तो विक्रम ने बिना देर उसे दबोच लिया और देखते ही देखते दोनो के प्यासे होंठ एक दूसरे से चिपक गए और विक्रम ने बिना देर किए मेनका के वस्त्र में हाथ घुसाकर उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया और बोला:"

" आह्ह्ह्ह्ह्ह मेनका !!! फिर से इतनी गर्म कैसे हो हुई!!

जैसे ही विक्रम के होठ अलग हुए तो मेनका ने बेशर्म होकर उसके लंड को पकड़ कर और बोली:"

" आआह्ह मेरे वीर पुत्र!! ठंडी कर दीजिए ना इसे मार मारकर!!

विक्रम ने एक झटके के साथ मेनका के वस्त्र पकड़े और सीधे दो टुकड़े करते हुए मेनका को मादरजात नंगी कर दिया तो मेनका सिसक उठी

" अअह्ह्ह्ह्ह महाराज!! बड़े जोश में लगते हो आज!

विक्रम खुद भी नंगा हो गया और सीधे बिना देर किए मेनका के ऊपर चढ़ गया और लंड अपने आप चूत से चिपक गया और जैसे ही मेनका ने अपनी टांगे खोली तो विक्रम ने उसकी एक चूची को मुंह में भरते हुए जोरदार धक्का लगाया और एक ही धक्के में लंड जड़ तक घुस गया और मेनका दर्द और मस्ती से कराह उठी

" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र!! शीiiiieeee हाय मर गईयूईईईईई!!



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विक्रम ने बिना देर किए उसकी चूत में ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरु कर दिए तो मेनका का जिस्म उछलने लगा और उसका हाथ मस्ती से खुल गया

" अह्ह्ह्ह्ह पुत्र!!! उफ्फ मर जायेंगे हम !!

इतना कहकर मेनका ने उसका हाथ अपनी दुसरी चूची पर रख दिया विक्रम ने उसकी दूसरी चूची को हाथ में भरा और जोर से मसलते हुए बोला

" अअह्ह्ह्ह माता!! आपकी ये चूत हमे बहुत पसंद आई!!

मेनका भी मस्ती से गांड़ उठाकर लंड लेने लगी तो विक्रम बेकाबू हो गया और मेनका की चूत में अपने लंड से धक्कों की बरसात सी करने लगा! मेनका उसके नीचे पड़ी हुई सिसक रही थी मचल रही थी और हर धक्के पर उसकी गांड़ एक एक फूट से ज्यादा उछल रही थी!!

दोनो की गति बढ़ती ही चली गई और अंत में विक्रम ने एक बार फिर से उसकी चूत में अपने वीर्य की जोरदार बौछार कर डाली और मेनका भी अपनी झड़ती हुई चूत को उसके लंड पर कसकर उससे जोर से लिपट कर!

पूरी रात विक्रम ने मेनका को तीन बार और चोदा और मेनका भी मस्ती से चुदाती रही!!
Bahut hi badhiya update diya hai Unique star bhai....
Nice and beautiful update....
 
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मेनका रात भर विक्रम की बांहों में रही और अगले दिन सुबह जल्दी ही विक्रम की आंख खुली और सोती हुई मेनका के गाल को चूमकर बाहर निकल गया!

करीब आठ बजे के आस पास बिंदिया आई और मेनका उठकर नहाने के लिए चली गई! नहाकर मेनका आई तो उनका बदन अब पूरी तरह से खुल गया था और काफी तरो ताज़ा महसूस कर रही थी!

बिंदिया:" राजमाता आपके लिए हल्दी और चंदन का लेप तैयार कर दिया हैं!

मेनका मन ही मन खुश हुई लेकिन उसको बनाते हुए बोली:"

" उसकी भला क्या जरूरत हैं मुझे ?

बिंदिया:" राजमाता ये राज परंपरा का हिस्सा हैं और फिर आप तो अभी पूरी जवान हो!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्मा को और बोली:"

" कुछ भी बोल देती हो बिंदिया! राज परंपरा है तो फिर तो करना ही पड़ेगा!

बिंदिया:" कुछ भी क्या सच ही तो बोला हैं मैंने! देखिए मोहिनी त्यौहार का मतलब औरत को अच्छे से सजना और संवरना होता हैं! ये तो वह त्यौहार हैं जिसकी हर औरत प्रतीक्षा करती हैं पूरे साल राजमाता!

मेनका:" ठीक हैं अच्छा समझा गई! और क्या क्या परंपरा हैं आज के दिन ? वो भी जरा बताओ तो हमे!

बिंदिया:" आपके बदन पर लेप लगाने के बाद आपके पूरे बदन की मालिश होगी! दोपहर के बाद आपको महंदी लगा दी जाएगी! रात में आप बिल्कुल किसी दुल्हन की तरह पूरी सज संवर कर तैयार होगी!

मेनका के बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई और बोली:"

" राज परंपरा है तो करना ही पड़ेगा!

बिंदिया कुछ नही बोली और बस मुस्कुरा दी! दोनो माता और पुत्र ने अच्छे से नाश्ता किया और उसके बाद विक्रम राज्य में घूमने के लिए निकल गया! बिंदिया ने मेनका के पूरे बदन पर लेप लगाया और उसके बाद अच्छे से उसके बदन की मालिश करी जिससे मेनका के बदन का रोम रोम खिल उठा! मेनका के बदन से उठती हुई खुशबू पूरे कमरे को महका रही थी!

बिंदिया:" राजमाता सच में आप बेहद खूबसूरत हैं! मैं दावे के साथ कह सकती हु कि आपसे ज्यादा सुन्दर और कामुक शरीर की औरत आज पास के किसी राज्य में नही होगी!

मेनका :" तुम भी बिंदिया! बस मेरे मजे लेती रहती हो!

बिंदिया उसे मेहंदी लगाती हुई बोली:" मेरा विश्वास करो राजमाता! रात को अपने कक्ष को अच्छे से बंद करना कहीं कोई मर्द मदहोश होकर न घुस जाए आपके कक्ष में!!!

इतना कहकर बिंदिया जोर से हंस पड़ी तो मेनका उसका गाल पकड़कर खीचती हुई बोली:"

" आजकल तेरी जुबान बड़ी चल रही है! ऐसे कैसे कोई घुस जायेगा! ये राजमहल हैं बिंदिया!

बिंदिया अपना गाल खींचे जाने से चिहुंक सी उठी और बोली:"

" अरे तो राजमहल में भी काफी सारे मर्द रहते ही हैं न!

मेनका:" तुमसे बातो में कोई नही जीत सकता! अच्छा जल्दी से लगाओ मेहंदी!

बिंदिया ने मेनका को हाथो और पैरो पर मेहंदी लगाई और उसके बाद खाना बनाने चली गई जबकि मेनका हल्की धूप में लेटी हुई मेहंदी सूखने का इंतजार करती रही!

मेनका मेंहदी सूखने के बाद नहाने के लिए चली और अपने शरीर को पूरी तरह से साफ करके चमका दिया! मेनका ने अपनी चूत पर हाथ रखा तो उसे बालो का एहसास हुआ और मेनका बालो की सफाई में जुट गई! मेनका की मेहनत रंग लाई और करीब आधे घंटे के बाद उसकी चूत बिल्कुल चिकनी होकर चमक उठी! मेनका ने अपनी दोनो टांगो को पूरा खोल दिया और अपने चूत के होंठो को अच्छे से देखा तो एहसास हुआ कि उसकी चूत के होंठ लाल हो गए थे और स्पर्श करने से हल्के से मीठे मीठे दर्द का उसे एहसास हुआ और मेनका ने अपने दांतो तले जीभ को दबा लिया क्योंकि उसे एहसास हो रहा था कि सिर्फ सुपाड़े ने उसकी चूत को लाल करके हाल बेहाल कर दिया तो पूरे लंड को वो कैसे झेल पायेगी!

मेनका अपने विचारो में डूबी हुई बाहर निकल आई और बिंदिया बोली:"

" आप सच में बेहद आकर्षक लग रही हो राजमाता! भोजन बन गया है और अभी आप मुझे जाने की आज्ञा दीजिए!

मेनका:" बड़ी जल्दी हैं तुम्हे आज जाने की बिंदिया!

बिंदिया उसकी बात सुनकर हल्की सी शरमाई और बोली:"

" वो क्या हैं कि मेरे पति मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे!

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली:"

" ठीक है तो फिर तुम जाओ और अपने पति की प्रतीक्षा खत्म करो!

इतना कहकर मेनका जोर से हंस पड़ी तो बिंदिया शर्म से लाल हो गई और उसके बाद अपने घर की तरफ चल पड़ी! धीरे धीरे अंधेरा पूरी तरह से घिर गया और विक्रम भी वापिस महल लौट आया था और अपने कक्ष में था!

मेनका ने अपने आपको खूब अच्छे से सजाया क्योंकि वो जानती थी कि आज के दिन उसे कोई डर नही हैं इसलिए वो लाल रंग की साड़ी में लिपटी हुई पूरी तरह से सजी संवरी किसी स्वर्ग की अप्सरा के जैसी लग रही थी!

विक्रम और मेनका की मुलाकात भोजन ग्रहण करने के समय हुई और विक्रम उसे देखते हुए बोला:"

" सच में आज तो आप कमाल लग रही हो माता! लगता हैं कि मानो चांद जमीन पर उतर आया हैं आज!

मेनका अपनी तारीफ सुनकर मंद मंद मुस्कुराते हुए खाने को मेज पर रखते हुए बोली:"

" मैं सब समझती हूं कि क्यों इतनी तारीफ कर रही हो आप आज महाराज!! चलिए पहले खाना खाइए आप!

विक्रम ने भोजन शुरू किया और बोला:" अच्छा जी लगता हैं कि हमारी राजमाता कुछ ज्यादा ही समझदार हो गई है!

मेनका ने भी भोजन शुरू किया और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:" " मोहिनी" तो आज दिन के दिन समझ ही जायेगी कि क्यों इतनी तारीफ हो रही है उसकी!!

विक्रम ने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर रख दिया और बोला:"

" ये देखिए! ये सब भी मोहिनी का ही कमाल हैं!

मेनका ने भी उसके लंड को सहलाया और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" अच्छा जी पुत्र! लेकिन ये इतना भयंकर पहले से ही हैं मोहिनी ने नही किया हैं समझे!

विक्रम ने एक झटके के साथ मेनका को उठाकर अपनी गोद में सीधे लंड पर बैठा लिया तो मेनका धीरे से बोली:"

" अह्ह्ह्ह क्या करते हो पुत्र! किसी ने देख लिया तो गजब हो जायेगा, ये कक्ष नही है!

मेनका ने मेनका का गाल चूम लिया और बोला:"

" महल में आज कोई नहीं है राजमाता! हमने सबको आज छुट्टी पर भेज दिया है!

विक्रम की बात सुनकर मेनका ने शर्म के मारे दोनो हाथों से अपना मुंह छुपा लिया और हल्की सी मुस्कान के साथ कनखियो से उसे देखती हुई बोली:

" हाय पुत्र! लगता हैं आज आप हमे जिंदा नही छोड़ेंगे!

विक्रम ने मेनका की बात सुनकर खड़े लंड का धक्का उसकी गांड़ पर दिया और उसके कान में बोला:"

" आपका तो कुछ नही होगा माता लेकिन आपकी चूत का आज आकार न बदल दिया तो विक्रम नाम नही हमारा!

विक्रम के मुंह से चूत सुनकर मेनका शर्म से पानी पानी हो गई और बोली

" हाय पुत्र !! ऐसे नही बोलते हैं हम आपकी माता हैं!

विक्रम ने अपने जीभ को उसकी गर्दन पर फिरा दिया और बोला:"

" माता की सेवा करना पुत्र का परम कर्त्तव्य होता है राजमाता! आपकी गर्म चूत को आज पूरा शीतल कर दूंगा!

मेनका एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और रसोई के दरवाजे पर पहुंच कर खड़ी हो गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी जिससे उसकी चूचियां उछल कूद मचाने लगी और विक्रम एक झटके के साथ आगे बढ़ा और उसकी कमर में हाथ डालते हुए पेट को पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए उसकी चिकनी नंगी गर्दन पर अपने होंठ टिका दिए


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जैसे ही विक्रम के जलते हुए होंठ उसकी गर्दन पर पड़े तो मेनका के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह् यूईईई माआआ आआ!!!

मेनका के मुंह से मस्ती भरी सीत्कार सुनते ही विक्रम ने जोश में आकर लंड का जोरदार झटका लगाया तो लंड ढप की आवाज के साथ मेनका की गांड़ के बीच में घुस गया और मेनका एक जोरदार झटके के साथ उसकी पकड़ से बाहर निकल गई और तेजी से भागती हुई अपने कक्ष में घुस गई!

विक्रम को क्या खबर थी कि उसकी माता उसे जान बूझकर ललचा रही है तड़पा रही है ताकि वो पूरी तरह से जोश में आकर मेनका की सालो की प्यास सिर्फ एक ही रस में बुझा दे! विक्रम मेनका के पीछे भागा लेकिन मेनका ने तेजी से उसे आंख मारते हुए उसके मुंह के ठीक सामने दरवाजा बंद किया तो विक्रम बोला:"

" दरवाजा खोलिए माता! हमे और मत तड़पाए आप!

मेनका मंद मंद मुस्कुराती हुई कामुक आवाज में बोली:"

" ठीक से रात तो होने दीजिए ना पुत्र! इतनी भी जल्दी क्या है आखिर आज आपको!

विक्रम अपने लंड को सहलाते हुए बोला:" सोच लो जितना ज्यादा हमे तड़पाएगी आप उतना ही हम भी आपसे बदला लेंगे!

मेनका ने एक हाथ को अपनी चूत पर छुआ तो वो पूरी गीली हो गई थी और मेनका की मानो चूत बोल उठी:"

" ये गीदड़ भभकी किसी और को देना पुत्र! हम ऐसी वैसी नहीं बल्कि राजमाता हैं उदयगढ़ की!

विक्रम की मर्दानगी के लिए ये सीधी सीधी चुनौती थी जिसे विक्रम के लंड ने एक झटके के साथ स्वीकार किया और विक्रम बोला:"

" आपकी कसम राजमाता अगर आज आपको छठी का दूध याद नही दिलाया तो हम मर्द कहलाने के हकदार नहीं!!

यही तो मेनका चाहती थी कि विक्रम उसे पूरी तरह से निचोड़ डाले आज और मेनका अपने प्रयास में कामयाब हुई थी और मंद मंद मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई और विक्रम भी जानता था कि थोड़ी देर बाद ही मेनका दरवाजा खोलेगी तो वो भी अपने कक्ष में आ गया!!!

रात के करीब दस बजे विक्रम अपने कक्ष से निकला और मेनका के कक्ष के सामने पहुंचा और दरवाजे को धक्का दिया तो वो खुलता चला गया और विक्रम जैसे ही अंदर घुसा तो एक तेज मादक गंध ने उसका स्वागत किया और विक्रम के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई और उसने सबसे पहले दरवाजे को अच्छे से बंद किया और उसके बाद जैसे ही परदे हटाकर आगे बढ़ा तो उसकी आंखे खुशी और हैरानी से फैलती चली गई क्योंकि मेनका ने आज अपने बेड को सुंदर सफेद रंग की चादर से सजाया हुआ था और जिस पर बिखरे हुए गुलाब के महकते फूल अपनी अदभुत छटा बिखेर रहे थे और बेड के चारो तरफ पर्दो को एक दूसरे के साथ जोड़कर बांधा गया था जिससे वो बेहद खूबसूरत लग रहे थे! बेड पर पड़े हुए चार पांच सफ़ेद तकिए बेड की सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे और विक्रम को मेनका पर अभिमान हो रहा था कि उसने कितनी मेहनत और सुंदरता के साथ ये सब व्यवस्था की थी!

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विक्रम ने इधर उधर नजर दौड़ाई लेकिन मेनका उसे कहीं नजर नहीं आई तो विक्रम आगे बढ़ा और अलमारी के आस पास देखा लेकिन मेनका उसे कहीं नजर नहीं आई तो विक्रम वापिस बेड की तरफ आया तो उसकी आंखो के सामने किसी दुल्हन की तरह सजी हुई बेड के ठीक बीचों बीच बैठी मेनका नजर आई और विक्रम उसके करीब पहुंच गया और बोला:"

" बेहद खूबसूरत लग रही हो मेरी मोहिनी आप!! सच में मैने सपने में भी नही सोचा था कि आप मेरा ऐसा स्वागत करेगी

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मेनका ने एक एक बेहद पतले लाल रंग के पल्लू से अपने चेहरे को ढका हुआ था जिससे उसका चेहरा लगभग साफ नजर आ रहा था और हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:"

" उदयगढ़ के महाराज हैं आप! मेरा सौभाग्य है कि आप मेरे कक्ष में पधारे !

विक्रम बेड पर जैसे ही बैठा तो बेड गद्दे के मुलायम होने के कारण ऊपर नीचे हुआ तो मेनका के होंठो पर मुस्कान आ गई तो विक्रम भी मुस्कुरा कर बोला:"

" गद्दे के यूं इस तरह उछलने से आपके होंठो पर जो मुस्कान आई है उसका मतलब हम भली भांति जानते हैं राजमाता!

मेनका विक्रम की बात सुनकर शर्मा गई और दोनो हाथों में अपना चेहरा छिपा लिया तो विक्रम ने उसके मुंह पर से एक झटके के साथ पल्लू हटा दिया और मेनका का कामुक आकर्षक मुखड़ा विक्रम की आंखो के आगे आ गया!!

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मेनका के रसीले लाल सुर्ख होंठो पर हल्की सी मुस्कान थी जिससे वो बेहद ज्यादा कामुक लग रही थी ! पल्लू सरक जाने से उसकी भारी भरकम गोल मटोल चूंचियां आधे से ज्यादा नजर आ रही थी और विक्रम मेनका का हाथ थामकर बोला:"

" स्वर्ग से उतरी मेनका भी आपके सामने कुछ नहीं है माता! आप इस दुनिया ही नहीं वल्कि ब्रह्माण्ड की सबसे कामुक और रसीली नारी हो! आपके ये यौवन से भरपूर अमृत कलश हमे आपकी ओर आकर्षित करके हमारी उत्तेजना बढ़ा रहे हैं!

इतना कहकर विक्रम ने मेनका को हाथ से पकड़े हुए अपनी तरफ खींचा तो मेनका उसकी गोद में आ गिरी और विक्रम ने उसके रसगुल्ले की तरह फूले हुए गाल को मुंह में भर कर चूस लिया तो मेनका शर्म से पलटी और परदे को पकड़कर बेड पर खड़ी हो गईं और लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी! विक्रम धीरे से उसके पीछे आया और उसे अपनी बांहों में भरते हुए उसकी गांड़ के बीच में अपना लंड घुसा दिया और प्यार से उसके कानो में बुदबुदाया:"

"उफ्फ आपकी ये अदाएं आज हमारी जान लेकर रहेगी माता!

इतना कहकर विक्रम ने अपने जलते हुए होंठो से उसकी गर्दन पर चूमा तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी

" अह्ह्ह्ह्ह यूईईईईईईईई!! जान तो आप हमारी लेना चाहते हो उदयगढ़ के महराज तभी तो अपने इस खूंखार हथियार से हम पर हमला कर रहे हो!

इतना कहकर मेनका ने लंड पर अपनी गांड़ को हल्का सा उभार दिया तो विक्रम ने मेनका के कंधो पर बंधी हुई धागों को खींच कर एक तरफ़ कर दिया जिससे उसके दोनो कंधे एक साथ नंगे हो गए और विक्रम उसके एक कंधे को चूसते हुए बोला:"

" उदयगढ़ के महाराज से प्रेम करोगी तो इतनी हिम्मत को आपको रखनी ही पड़ेगी!

इतना कहकर विक्रम ने लंड का धक्का उसकी गांड़ के बीच में लगाया तो मेनका एक झटके से आगे को हुई और विक्रम ने उसके पेट पर हाथ बांधकर उसे अपनी तरफ खींचा जिससे मेनका की कमर बेहद जोरदार तरीके से उसकी छाती से रगड़ गई और मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी:"

" उफ्फ अह्ह्ह्ह्ह पुत्र!! इतने ज्यादा निर्दयी भी मत बनो!

विक्रम उसकी गर्दन को चूमते हुए उसके पेट को दूसरे हाथ से सहलाते हुए बोला:

" बड़ी जल्दी हार मान ली आपने! थोड़ी देर पहले तो बड़ी बड़ी बाते कर रही थी! उदयगढ़ की राजमाता से ऐसी उम्मीद नहीं थी हमे!!!

इतना कहकर विक्रम ने उसके ब्लाउस को एक झटके के साथ खोल दिया और मेनका अब ऊपर से पूरी नंगी हो गई क्योंकि उसने नीचे ब्रा नही पहनी हुई थीं और मेनका ने अपनी गर्दन को पर्दे पर टिकाते हुए एक झटके के साथ दोनो हाथो से अपनी चुचियों को थाम लिया और बोली:

" आआह्ह्हह्ह् पुत्र!! वो तो हम बस ऐसे ही मजाक कर रहे थे और आप हमे सच में नंगी करना चाहते हो!!

विक्रम एक पल के लिए मेनका से अलग हुआ और जल्दी से दूसरे हाथ से अपने कुर्ते को धीरे से निकाल दिया और जैसे ही उसने फिर से मेनका को अपनी बांहों में भरा तो उसकी नंगी चौड़ी छाती मेनका की नंगी चिकनी कमर से टकरा गई और मेनका के मुंह आह निकल पड़ी और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को उसके हाथो पर रखते हुए उसकी चुचियों पर कब्जा कर लिया और धीरे धीरे दबाते हुए मधुर कामुक आवाज में बोला

" सिर्फ नंगी ही नहीं बल्कि नंगी करके चोदना चाहते हैं हम आपको माता! और हम जानते हैं कि आप भी हमसे चुदना चाहती हो!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी तरफ देखा तो मेनका उसकी आंखो में देखते हुए कामुक अंदाज में मुस्कुराई और अगले ही पल अपने हाथो से अपने चेहरे को छुपा लिया!!

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विक्रम के लिए मेनका की तरफ से ये खुला समर्पण था और विक्रम ने बिना एक हाथ नीचे ले जाकर उसके लहंगे का नाडा खोल दिया और जैसे ही मेनका ने दोनो हाथो से अपने लहंगे को थामा तो विक्रम ने बिना देर किए उसकी दोनो चूचियों को एक साथ थाम लिया और मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी:"

" अह्ह्ह्ह्ह मेरे वीर पुत्र!

विक्रम ने जोर से उसकी दोनो चूचियों को मसला तो मेनका मोम की तरह पिघल गई और एक झटके के साथ पलट गई और विक्रम ने बिना देर किए उसकी गर्दन में अपनी बांहों को कसते हुए उसके होंठो को अपने होठों में भर कर चूसने लगा! मेनका भी उसका भरपूर साथ दे रही थीं और दोनो बारी बारी से एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे!!


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विक्रम ने धीरे से अपने पायजामे को खोल दिया और मेनका का लहंगा तो कबसे नीचे गिरा पड़ा था! जैसे ही विक्रम ने दूसरे हाथ को उसकी गांड़ पर रखकर उसे अपनी तरफ खींचा तो लंड सीधे मेनका की चूत से टकराया और एक झटके के साथ उसका मुंह खुल गया और विक्रम ने मौके का फायदा उठाते हुए अपनी जीभ को उसके मुंह में घुसा दिया और मेनका अब सारी शर्म लिहाज छोड़कर विक्रम की जीभ से अपनी जीभ लड़ाने लगी! जैसे ही दोनो की सांसे उखड़ गई तो दोनो के होंठ अलग हुए और मेनका ने एक पर्दे को खींचकर अपनी जांघो पर लपेट लिया और विक्रम की तरफ देखा तो विक्रम ने उसकी चुचियों की तरफ अपना मुंह बढ़ाया तो मेनका ने बेड पर दोनो हाथों को टिकाते हुए अपनी चुचियों को पूरी तरह से उभार दिया और विक्रम ने बिना देर किए उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया तो मेनका जोर से सिसक उठी!!


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विक्रम ने उसकी दूसरी चूची पर भी कब्जा कर लिया और अपनी हथेली में भर कर जोर जोर से मसलने लगा! विक्रम मेनका की के निप्पल को कभी जोर से दांतो से काटता तो कभी प्यार से उन पर जीभ फेर देता!! मेनका विक्रम की आंखो में देखती हुई अपनी चुचियों को ताने हुए कामुक सीत्कार भरती हुई उसे उकसा रही थीं और विक्रम ने उसकी चुनौती को स्वीकार करते हुए अपने मुंह को पूरा खोलते हुए उसकी आधे से ज्यादा चूची को मुंह से भर लिया और जैसे ही जोर से चूसा तो मेनका के मुंह से आह्ह्ह्ह्ह निकल पड़ी

"" आआह्ह्हह यूईईईईईईईई सीईईईईईईई विक्रम!!!!

मेनका के हाथ जवाब दे गए तो वो बेड पर गिर पड़ी और विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसकी गर्दन को चाटते हुए उसकी चुचियों को जोर जोर से मसलने लगा तो मेनका दर्द से कराहती उसकी गोद में उछलने लगी और विक्रम ने अपने हाथो को नीचे लाते हुए उसकी कमर पर बंधे हुए सफेद कपड़े की गांठ को खोल कर एक तरफ़ फेंकते हुए उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया!!


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विक्रम ने उसकी दोनो चुचियों को फिर से मसलना शुरू कर दिया और मेनका मस्ती और दर्द से कराहती हुई उसकी बांहों में सिसकती रही और विक्रम ने एक बार फिर से अपनी गर्म तपती हुई जीभ को उसकी गर्दन पर टिका कर और किसी जंगली जानवर की तरह चाटने लगा तो मेनका के मुंह से मादक सिसकियां निकलने लगी और विक्रम ने बिना देर किए अपने दूसरे हाथ को नीचे लाते हुए मेनका की चिकनी रसीली भीगी हुई चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया और मेनका एक जोरदार आह भरती हुई सिसक उठी!!

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विक्रम के चौड़े सख्त मर्दाना हाथ में अपनी चूत जाते ही मेनका के बदन ने एक जोरदार झटका खाया और विक्रम ने जोर से उसकी चूत को कस लिया तो मेनका की चूत किसी भट्टी की तरह गर्म हो कर भाप छोड़ रही थी और चूत से बह रहे मधुर रस से विक्रम की उंगलियां भीग गई थी और विक्रम मस्ती में बोला:"

" हाय मेरी माता आपकी चूत तो बेहद रसीली हो गई है!!

मेनका चूत मसले जाने से जोर से मस्ती से सिसक उठी:

" आह्ह्ह्ह्ह थोड़ा प्यार से उफ्फ!! कितनी ज्यादा बाते करते हो आप पुत्र!!

विक्रम ने उसकी चूत में अपनी एक उंगली घुसा दी तो मेनका जोर से सिसक उठी औरमेनका से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और एक झटके के साथ विक्रम को बेड पर गिराते हुए उसके ऊपर चढ़ गई और उसके होंठो को चूसने लगीं तो विक्रम ने दोनो हाथो में उसकी भारी भरकम गांड़ को भर दिया और जैसे ही जोर से मसला तो मेनका दर्द से कराह उठी और विक्रम के होंठो को अपने दांतो से जोर से काटा तो विक्रम ने एक जोरदार पलटा खाया और मेनका के ऊपर पूरी तरह से चढ़ गया तो मेनका ने भी उसे अपनी बांहों में जोर से कस लिया और उसकी चूचियां विक्रम की छाती में घुस गई और लंड अपने आप चूत के होंठो से टकरा गया तो विक्रम ने बिना देर किए मेनका के होंठो को अपने होठों में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मेनका मस्ती से सिसकती हुई अपनी दोनो टांगो को पूरा खोलते हुए चूत को लंड पर रगड़ने लगी तो विक्रम ने उसके होंठो को खोलते हुए अपनी जीभ को उसके मुंह में घुसा दिया तो मेनका ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसकी जीभ के हवाले कर दिया और विक्रम किसी आइस क्रीम की तरह उसकी जीभ को चूसने लगा और लंड के हल्के हल्के धक्के उसकी चूत पर लगाने लगा तो मेनका का मजा दोगुना हो गया! जैसे ही लंड चूत के होंठो से टकराता तो मेनका अपनी गांड़ उठाते हुए लंड अन्दर लेने की कोशिश करती!

विक्रम ने उसकी चुचियों को अपने दोनो हाथों में भर लिया और कसकर मसलने लगा जिससे मेनका के मुंह से मस्ती भरी सीत्कार फूट पड़ी

" अह्ह्ह्ह्ह्ह पुत्र!! ये क्या कर दिया है हमे!! मार डालो हमे!

विक्रम ने मेनका की एक चूची को दबाते हुए दूसरी को मुंह में भर कर चूस लिया और लंड को उसकी चूत के छेद पर टिकाते हुए बोला:"

" अअह्ह्ह्हह मेरी जान मेनका!!आपको नही आपकी चूत को मारूंगा!

इतना कहकर विक्रम ने एक जोरदार धक्का लगाया तो लंड का मोटा सुपाड़ा मेनका की कसी हुई चूत में घुस गया और मेनका दर्द से कराह उठी और विक्रम से कसकर लिपट गई

" अअह्ह्ह्हह विक्रम!!

चूत के होंठो ने लंड को पूरी सख्ती से कस लिया था और विक्रम ने उसकी चुचियों के निप्पल को काट लिया तो मेनका एक बार फिर से दर्द से कराह उठी तो विक्रम ने सुपाड़े को उसकी चूत में ही फंसाए रखा और अपनी जीभ को उसके निप्पल के चारो और जोर जोर से रगड़ने लगा तो मेनका मस्ती से उछल पड़ी और लंड का सुपाड़ा चूत से बाहर निकल आया तो विक्रम ने दोनो हाथो से उसकी टांगो को पूरी तरह से फैला दिया और पहली बार उसने मेनका की चूत को देखा तो मेनका ने शर्म के मारे आंखे बंद करते हुए अपने हाथो से चूत को ढक लिया तो विक्रम उसके हाथो को एक तरफ कर दिया और जैसे ही उसने मेनका की गुलाबी चूत को देखा तो उसे एहसास हुआ कि मेनका की चूत बेहद चिकनी और खूबसूरत हैं! मोटी मजबूत जांघो के बीच में पाव रोटी की तरह फूली हुई कसी हुई गुलाबी चूत के रसीले होंठ आपस में चिपक हुए थे जिनसे रस बाहर टपक रहा था और विक्रम से अब बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने बिना देर किए अपने जलते हुए होंठो को मेनका की चूत पर रख दिया!


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मेनका जोर से सिसक उठी और बेडशीट को अपने हाथों में भर लिया और जोर जोर से मसलते हुए सिसक उठी

" अअह्ह्ह्ह सीईईईईए!! आईईईई!

विक्रम ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसकी चूत पर फिरा दिया तो विक्रम ने अब बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने विक्रम को अपने ऊपर खींच लिया और उससे कसकर लिपट गई! लंड का सुपाड़ा चूत के छेद पर आया तो चूत उसके नीचे छुप सी गई और जैसे ही दोनो की आंखे टकराई तो मेनका ने विक्रम के होंठो को चूम लिया और विक्रम ने लंड का धक्का लगाया तो सुपाड़ा फिर से घुस गया और मेनका मस्ती से कराह कर उससे लिपट गई

" अअह्ह्ह्हह मार डालो हमे!!

विक्रम ने मेनका के दोनो कंधो में हाथ डाल कर उसे अपने कब्जे में ले लिया और उसकी आंखो में देखते हुए उसके होंठो को अपने होठों में भर लिया और लंड को बाहर खींचा और और जोरदार धक्का उसकी चूत में लगाया तो आधा लंड उसकी चूत में घुस गया और मेनका की आंखे दर्द से फैल गई और वो जोर से तड़प उठी और अपने नाखूनों से बेड शीट को फाड़ दिया! चूत के होंठ पूरी तरह से फटकार लंड के चारो तरफ कस गए थे और विक्रम ने पूरी ताकत से अपने लंड को बाहर निकाला और फिर से एक जोरदार धक्के के साथ करीब छह इंच लंड घुसा दिया जिससे दर्द के कारण मेनका के बदन ने एक जोरदार झटका खाया और उसके होंठ विक्रम के होंठो से निकल गए और मेनका दर्द से कराह उठी लेकिन छूट नही पाई

" अअह्ह्ह्ह्ह विक्रम!!! हम नही झेल पायेंगे आपको महराज!

मेनका की आंखो से आंसू छलक आए जिन्हे विक्रम ने चूस लिया और उसकी चुचियों को प्यार से सहलाते हुए उसके मुंह को चूमने लगा और बोला:"

" अह्ह्ह्ह्ह मेरी मेनका , कितनी कसी हुई और गर्म चूत है आपकी , आआआह्हह!!!

विक्रम ने लंड को उसकी चूत में घुसाए हुए हल्का सा अंदर बाहर करना शुरू किया तो मेनका को दर्द हुआ और हल्का हल्का कराहने लगी! विक्रम ने उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया तो मेनका को मजा आया और उसने विक्रम के सिर को अपनी चूची पर दबा दिया तो विक्रम उसकी दूसरी चूची की हल्के हल्के सहलाने लगा और लंड को करीब दो से तीन इंच बाहर की तरफ खींचता और फिर से घुसा देता ! मेनका के मुंह से दर्द भरी सिसकियां निकल रही थी लेकिन अब एक बार फिर से उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी तो उसने गांड़ को हिलाना शुरू कर दिया तो विक्रम ने उसकी आंखो मे देखा तो मेनका दर्द में भी मुस्कुरा उठी और विक्रम ने लंड को सुपाड़े तक बाहर निकाला और धीरे से घुसा दिया तो मेनका दर्द और मस्ती से कराह उठी

" अअह्ह्ह्हह विक्रम!! मेरे पुत्र उफ्फ हाय कितने अच्छे हो आप!!!

मेनका की मधुर सिसकियां इस बात की गवाही दे रही थी कि उसकी चूत अब उसे दर्द से ज्यादा मजा दे रही थी और विक्रम ने लंड को एक ही झटके में फिर से छह इंच घुसा दिया तो मेनका ने मस्ती में आकर उसके होंठो को चूम लिया मानो उसे ईनाम दे रही हो!!

विक्रम ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा तो मेनका को एहसास हुआ कि करीब चार इंच लंड अभी भी बाहर ही था तो मेनका की आंखे हैरानी से फैल गई और सिसकते हुए बोली:"

" हाय दैय्या री दैय्या! हम नही झेल पायेंगे इससे ज्यादा!

विक्रम ने उसकी चुचियों को मसलना शुरू कर दिया और उसके होंठो को चूमकर उसकी चूत में हल्के हल्के धक्के लगाते हुए बोला:"

" अअह्ह्ह्हह माता!! आप उदयगढ़ की राजमाता हो और हमे आप पर पूरा यकीन है कि आप झेल जायेगी!!!!

मेनका ने अपने दोनो हाथों को उसकी कमर पर बांध दिया और नीचे से अपनी गांड़ उठाकर धक्के झेलती हुई सिसकी

"अअह्ह्ह्ह!!! हाय मेरे उदयगढ़ के महाराज कितना आनंद प्रदान कर रहे हो आप!!

विक्रम ने अब धक्कों की गति बढ़ानी शुरू कर दी और यूरी आंखो में देखते हुए बोला

" आह्ह्ह्हह् मेरी मस्त मेनका!! पूरा लंड और ज्यादा मजा देगा आपको!!

मेनका धक्कों की गति बढ़ने से मस्ती से भर उठी और जोर जोर से सिसक उठी:"

"" अअह्ह्ह्ह सीईईईईईईई यूईईईईईईईई मां! हमारी चूत पूरी फट जाएगी !!

विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए उसके दोनो कंधो को थाम लिया और इससे पहले की मेनका कुछ समझ पाती विक्रम ने पूरी ताकत से लंड को पूरा बाहर खींचा और एक पूरी ताकत से जोरदार धक्का उसकी चूत में जड़ दिया और दोनो की जांघो आपस मे मिल गई और विक्रम के आलू जैसे आंड मेनका की गांड़ से जा लगे!

मेनका एक बार फिर से गला फाड़कर चींख उठी क्योंकि लंड ने उसकी बच्चेदानी में टक्कर मारते हुए उसे पीछे की तरफ धकेल दिया था और मेनका ने अपने नाखूनों को उसकी पीठ में घुसा दिया! पूरे कक्ष में मेनका की जोरदार दर्द भरी आह गूंज उठी

" अअह्हिह्ह मर गई " मोहिनी"!!
उफ्फ पुत्र!!

विक्रम ने बिना देर किए उसकी चूत में धक्के लगाने शुरु किए और मेनका दर्द से कराहती हुई सिसकती रही!!


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करीब पांच मिनट की चुदाई के बाद लंड ने अपनी जगह बना ली तो मेनका का दर्द कम हुआ और उसे थोड़ा अच्छा महसूस होने लगा और उसने विक्रम का मुंह चूम लिया और बोली

" अअह्ह्ह्हह पुत्र! कितने निर्दई हो आप! जरा भी दया नही आई हम पर आपको,!!

विक्रम ने बिना कुछ बोले लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से एक ही झटके में पूरा घुसा दिया तो लंड उसकी चूत की दीवारों की जोर से रगड़ते हुए बच्चेदानी से जा टकराया और मेनका दर्द और मस्ती से कराह उठी

" अअह्ह्ह्ह्ह मार ही डालोगे क्या!! थोड़ा प्यार से करो ना मेरे राजा!!

विक्रम ने उसकी चूत को अब मस्ती से चोदना शुरु कर दिया और मेनका भी उसकी गले में बांहे डालकर चुदने लगी और नीचे से अपनी चूत उठा उठाकर लंड लेने लगी जिससे चुदाई में आनंद दोगुना हो गया!!

विक्रम पहली बार चुदाई कर रहा था और मेनका की कसी हुई चूत उसे बेहद आनंद प्रदान कर रही थी और मेनका की मधुर सिसकियां उसके जोश को और बढ़ा रही थी! मेनका की चूचियां उत्तेजना सा पूरी तरह से फूल गई थी और विक्रम अब पूरी ताकत से उन्हे कस कसकर दबा रहा था और मेनका अपनी चुचियों को उभारते हुए उसे और ज्यादा दबाने के लिए उकसा रही थीं और विक्रम ने उसे चोदते चोदते घुमा दिया जिससे लंड एक झटके में बाहर निकाल आया तो मेनका तड़प उठी और विक्रम ने उसे दोनो हाथो को बेड पर टिकाने का इशारा किया तो मेनका ने अपने दोनो हाथों को बेड पर टिका दिया और विक्रम उसके ऊपर सवार हो गया और पीछे से लंड को उसकी चूत में घुसा दिया तो मेनका दर्द से कराह उठी और विक्रम ने उसकी चूत में धक्के लगाने शुरु किए तो मेनका का पूरा बदन हिलने लगा और वो नीचे से अपनी गांड़ उठाकर चुदने लगी! विक्रम के भारी भरकम शरीर को मेनका ने अपने ऊपर थामा हुआ था और उसके शक्ति शाली धक्के अपने कसी हुई चूत में झेल रही थी!


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विक्रम उसकी गर्दन पर पड़े हुए उसके बालो को हटाते हुए उसकी गर्दन चूमते हुए बोला:"

" अह्ह्ह्ह मेरी माता! आप सच में बेहद शक्तिशाली है और उदयगढ़ की सच्ची राजमाता हो!

विक्रम की बात सुनकर मेनका के जोश में संचार हुआ जिससे वो जोर से अपनी चूत को ऊपर उठाने लगी तो चुदाई की गति बढ़ गई और विक्रम लंड को चूत में घुसे हुए ही उसे अपनी बांहों में उठा लिया और प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी आंखो में देखते हुए चोदने लगा तो मेनका ने खुशी से उसका मुंह चूम लिया! दोनो ही एक दूसरे को चूम रहे थे चाट रहे थे और धक्कों की गति बढ़ती जा रही थी जिससे मेनका का आनंद हर पल बढ़ता जा रहा था और वो जोर से सिसक उठी"

" अअह्ह्ह्हह विक्रम मेरे पुत्र!! हम बस आपकी राजमाता हैं!!

इतना कहकर मेनका ने विक्रम को जोर से अपनी बांहों में कस लिया तो विक्रम भी उसके मुंह को चूमते धक्के लगाने लगा और उसे जोश दिलाने के लिए प्यार से बोला:"

" उफ्फ मेनका कितनी कसी हुई चूत है लंड घुसना भी मुश्किल हो रहा है हर धक्के पर !!

मेनका अपनी चुचियों को उसके सीने से रगड़ती हुई सिसकी:"

" अह्ह्ह्ह सीईईईईईए मेरे महाराज पुत्र!! 15 साल के बाद लंड घुसा हैं तो वो भी उदयगढ़ के महाराज का जो पूरी तरह से फस रहा है!!

मेनका ने भी विक्रम को उसके लंड की तारीफ करके उकसाया तो विक्रम ने पूरे लंड को बाहर निकाला और एक ही झटके में जड़ तक ठोक दिया तो मेनका दर्द और मस्ती से सिसक उठी


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" अअह्ह्ह्हह महाराज!!!!

विक्रम उसके गालों को चूसते हुए मस्ती से सिसका

" अअह्ह्ह्हह माता अभी भी दर्द हो रहा है क्या !!

इतना कहकर विक्रम ने लंड के धक्के मारते हुए अपनी छाती को जोर से उसकी चूचियों पर रगड़ दिया तो मेनका मस्ती से कराह उठी:"

" अह्ह्ह्ह्ह यूईईईईईई होता हैं पुत्र लेकिन आनंद बहुत मिल रहा है हमे!! जिंदगी में पहली बार ऐसा अद्भुत आनंद महसूस हुआ है पुत्र हमे !!

मेनका की मधुर सिसकियां सुनकर विक्रम ने अब ज्यादा ताकत लगाते हुए मेनका की चूत को फाड़ना शुरू कर दिया और कमरे में फच फच फच की मधुर आवाज गूंज उठी! विक्रम जितनी जोर से धक्का मरता मेनका भी उतनी ही ताकत से अपनी गांड़ ऊपर उठा रही थी जिससे उसकी चूत में कम्पन होना शुरू हो गया और मेनका पागल सी हो गई और जोर जोर से कराहती हुई बोली

" अअह्ह्ह्ह सीईईईईईईई अअह्ह्ह्ह्ह पुत्र!!! हमारी चूत इतना आनंद दे सकती है आज एहसास हुआ! चोदिए हमे जी भरकर चोदिये!!

विक्रम मेनका की सिसकियां सुनकर पूरी रफ्तार से उसे चोद रहा था और मेनका की चूड़ियां और पायल मधुर आवाज करते हुए उसे और ज्यादा उकसा रही थीं जिससे विक्रम के लंड में उबाल आना शुरू हो गया और वो भी मजे से सिसक उठा


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" अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान! आआआह्ह्ह्हह मुझे ये चूत रोज चाहिए!! उदयगढ़ की महारानी बना दूंगा आपको!!

इतना कहकर वो पागल सांड की तरह धक्के लगाने लगा और देखते ही देखते दोनो माता पुत्र की गति बेहद बढ़ गई और दोनो एक दूसरे की चूमते हुए सिसकियां ले रहे थे ! कमरे में चुदाई की मधुर सिसकियां गूंज रही थी और दोनो ही अपने चरम आनंद के करीब थे और एक दूसरे को जोर से चूम रहे थे चाट रहे थे और गद्दे के मुलायम होने के कारण अब मेनका का जिस्म हर धक्के पर एक एक फुट उछल रहा था जिससे लंड हर बार उसकी बच्चेदानी को हिला रहा था जिससे मेनका पूरी तरह से चुदासी हो गई थी और उसने ऊपर को झुकते हुए अपनी जीभ को विक्रम के मुंह में डाल दिया और जैसे ही दोनो की जीभ आपस मे टकराई तो विक्रम ने अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर एक ही झटके में पूरा घुसा दिया और मेनका की चूत से रस की धार फूट पड़ी और उसकी चूत के साथ साथ उसका मुंह भी खुल गया और विक्रम दनादन उसकी चूत में लंड पेलने लगा! हर धक्के पर मेनका दर्द से कराह रही थी लेकिन मजा भरपूर आ रहा था


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" अअह्ह्ह्ह सीईईई आईईईई आह्ह्ह्ह विक्रम!!

जैसे ही मेनका की चूत से निकले गर्म रस की धार विक्रम के लंड पर पड़ी तो लंड ने भी अपना मुंह खोल दिया और सैलाब की तरह विक्रम के वीर्य की पिचकारी मेनका की चूत को भरने लगी जिससे विक्रम सिसक उठा

" अह्ह्ह्ह मेरी मस्त मेनका!!
कितना आनंद है आपकी चूत में!

दोनो ने एक दूसरे को पूरी ताकत से कस लिया था और हवा भी उनके बीच से नही निकल सकती थी! हालाकि अभी दोनो ही धक्के नही लग रहे थे लेकिन गद्दे के कारण अभी भी दोनो के जिस्म उछल उछल पड़ रहे थे और विक्रम का लंड मेनका की चूत में अपनी आखिरी सांसे लेते हुए पिचकारी मार रहा था और मेनका भी अपनी बच्चेदानी को खोले हुए एक एक बूंद को अपने अंदर समेट रही थी!

जैसे ही दोनो का स्खलन बंद हुआ था तो मेनका ने आनंद से अभिभूत होकर विक्रम के मुंह को चूम लिया और उसकी लालची चूत ने अपनी गिरफ्त ढीली करते हुए मुरझा रहे लंड को धीरे धीरे बाहर की तरह फेंकना शुरू कर दिया और विक्रम ने भी मेनका का मुंह चूम लिया और बोला:"

" आप सच में अदभुत हो, लाजवाब हो !! कामरस से परिपूर्ण आनन्दायक हो! आपने हमें झेल लिया राजमाता आप सच में जीत गई!!

मेनका ने भी उसके मुंह को चूम लिया और उसकी आंखो मे देखते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह विक्रम!! आप दुनिया के सबसे शक्तिशाली पुरुष हो! आपने हमारे शरीर का ऐसा मर्दन किया जिसकी हम कल्पना भी नही कर सकती थी! आप एक संपूर्ण पुरुष हो! आपने हमारे मन के साथ साथ आज तन को भी मोह लिया!! आपसे हम तो क्या दुनिया की कोई भी नारी नही जीत सकती!

विक्रम का लंड अब पूरी तरह से चूत से बाहर निकल आया तो दोनो मुस्कुरा दिए और विक्रम ने उसे अपने सीने से लगा लिया और बोला:"

" नही राजमाता !! इस जीत की असली हकदार आप ही है! देखिए ना कैसे अधमरा करके आपने मुझे छोड़ दिया है!

विक्रम का इशारा अपने लंड की तरफ था और मेनका भी उसका मतलब समझ गई और प्यार से उसके गाल को चूम कर बोली

" आपकों एहसास नहीं है कि अधमरा होने से पहले आपने हमारे हाल बेहाल किया है पुत्र!

विक्रम ने उसके गले में हाथ डालकर उसे खुद से चिपका लिया और बोला:"

" अभी तो रात बाकी है मेरी माता! अभी तो मुझे कोमल आपके हाथो से मदिरा का आनंद लेना है!

मेनका भी उससे लिपटी हुई बोली:" जैसी आपकी इच्छा महराज!

इतना कहकर मेनका ने उसके होंठो को चूम लिया और उससे अलग हुई तो उसकी नजर बेड पर पड़ी तो विक्रम को इशारा करती हुई बोली

" देखिए ना आपने क्या हाल कर दिया है महराज!

विक्रम ने देखा कि बेड पर खून की बूंदे पड़ी हुई थी और सफेद चादर मेनका की चूत के से निकले खून से लाल हो गई थी तो विक्रम ने आगे बढ़कर मेनका को एक बार फिर से अपनी बांहों में भर लिया और उसका मुंह चूम लिया तो मेनका बोली:"

" हमारी चूदी चुदाई चूत का आपने ऐसा हाल कर दिया है!!

विक्रम ने मेनका को बेड पर सीधे लिटाया और उसकी टांगो को पूरा फैला दिया तो मेनका ने शर्म से अपनी आंखे बंद कर ली और विक्रम ने उसकी चूत को ध्यान से देखा तो एहसास हुआ कि उसकी चूत के चुदाई से पहले कसे हुए गुलाबी होंठ अब खुल गए थे और चूत हल्की सी सूजकर ज्यादा लाल हो गई थी जिससे पहले से ज्यादा कामुक और आकर्षक लग रही थी!

विक्रम ने प्यार से उसकी चूत को चूम लिया और मेनका ने मुंह से एक मधुर आह निकल पड़ी और अपनी टांगो को बंद लिया तो विक्रम ने उसके करीब आते हुए उसे अपनी बांहों में फिर से भर लिया और उसके होंठो को चूम कर बोला:"

" चुदने के बाद आपकी चूत पहले से ज्यादा लाल और आकर्षक हो गई है माता!

मेनका शर्म के मारे उसकी बांहों से निकल गई और बेड से उतर कर अलमारी की तरफ चल पड़ी तो उसे अपनी टांगो के बीच में हल्के दर्द का एहसास हुआ तो उसके होंठो पर मधुर मुस्कान आ गई और वो हल्की सी लंगड़ा कर चल रही थी तो विक्रम उसे पीछे से छेड़ते हुए बोला

" क्या हुआ राजमाता ! आप ऐसे क्यों चल रही हो ?

मेनका ने उसे मुड़कर देखा और एक कामुक मुस्कान देती हुई अलमारी के करीब पहुंच गई और विक्रम की पसंदीदा मदिरा निकालने लगी!!!



"
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
राजा विक्रम ने अपनी माँ मेनका की धुवांधार चुदाई कर के उसकी रसीली चुद का बॅंड बजा दिया
खैर देखते हैं आगे
 
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मेनका नंगी ही अलमारी के सामने झुक कर बैठ गई जिससे उसकी गांड़ और चूत दोनो एक साथ खुलकर विक्रम के सामने आ गए और विक्रम के लंड में फिर से ऊर्जा का संचार हुआ और वो फिर से अकड़ना शुरू हो गया! मेनका बॉटल निकालने के लिए आगे को खुली जिससे उसकी गांड़ पूरी तरह से उठ गई और और विक्रम ने देखा कि मेनका की चूत से फिर से मधुर रस निकलना शुरू हो गया था और मेनका ने बॉटल को बाहर निकाला और अदा के साथ खड़ी हुई और विक्रम की तरफ चल पड़ी! मेनका के चलने से उसकी मादक चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और दोनो ही एक दूसरे की आंखो मे देख कर कामुक तरीके से मुस्कुरा रहे थे!

मेनका बेड पर चढ़ गई और सीधे विक्रम की गोद में बैठ गई तो विक्रम का खड़ा लंड उसकी चूत से टकरा गया तो मेनका मस्ती से सिसक उठी

" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र! इतनी जल्दी फिर से खड़ा कर दिया आपने !!

इतना कहकर उसने बॉटल को विक्रम के मुंह से लगा दिया तो विक्रम ने एक घूंट भरी और वापिस मेनका के मुंह पर बॉटल लगा दी तो मेनका के उसकी आंखो में देखते हुए एक जोरदार घूंट भरी और मुस्कुरा पड़ी तो विक्रम उसकी कमर को सहलाते सहलाते बोला:"

" पहले तो आप बड़ी शर्माती थी और अब आप पूरी हिम्मत दिखा रही है आंखो मे आंखे डालकर!!

मेनका उसकी गोद में हल्की सी ऊपर उठी और लंड के सुपाड़े को चूत के मुंह पर रगड़ते हुए सिसक उठी:"

" जब सब कुछ ही मिल गया पुत्र तो फिर आंखे मिलाने में कैसी शर्म !!

इतना कहकर मेनका ने लंड पर दबाव डाला तो सुपाड़ा उसकी लाल सुर्ख हुई चूत में सरक गया और मेनका के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी "

"आह्ह्ह्ह्ह् दुखती है उफ्फ!!

विक्रम ने एक और जोरदार घूंट भरी और उसके मुंह से बॉटल लगाकर उसकी गांड़ को सहलाने लगा और बोला:"

" अह्ह्ह्हह मेनका आपकी चूत कितनी गर्म और कसी हुई है!!

मेनका ने एक जोरदार घूंट भरी और विक्रम की छाती में अपनी उंगलियां फेरने लगीं और बोली:"

" महराज आपकी छाती कितनी चौड़ी मजबूत और बालो से भरी हुई है! आप मेरे पसंदीदा पुरुष हो पुत्र!!

इतना कहकर मेनका ने लंड पर दबाव दिया तो सुपाड़े के साथ साथ करीब दो इंच लंड भी उसकी चूत में घुस गया और मेनका दर्द और मस्ती से सिसक उठी और उसके चेहरे पर एक बार फिर से दर्द की लकीरें उभर आई तो विक्रम ने मेनका को इशारा किया तो मेनका ने मदिरा की बॉटल को विक्रम के मुंह पे झुका दिया और जब तक उड़ेलती रही तब तक कि बॉटल खत्म नहीं हो गई और विक्रम ने मुंह में भरी हुई दारू को मेनका के मुंह पर उड़ेल दिया जिससे मेनका विक्रम के मुंह पर झुकती चली गई और उसने विक्रम के होंठो को मुंह में भर लिया और चूसने लगीं!!

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विक्रम ने भी मेनका के दोनो कंधो को थामा और नीचे की तरफ दबाव दिया तो आधा लंड उसकी चूत में घुस गया तो मेनका के मुंह से फिर से दर्द भरी आह निकल पड़ी

" आह्ह्ह्ह् पुत्र!! यूईईईईईईईई

विक्रम ने मुंह को खोलते हुए उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया और दूसरी को अपनी हथेली में भर कर सहलाने लगा तो मेनका मस्ती से भर उठी और विक्रम की गोद में उछलने लगी जिससे लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होना शुरू हो गया


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मेनका की चूत में हल्का हल्का दर्द हो रहा था लेकिन मजे की कोई सीमा नहीं थी तो मेनका ने और ज्यादा मजा लेने के लिए विक्रम की आंखो में देखा और थोड़ी सी ऊपर हुई और एक झटके के साथ उसके लंड पर बैठ गई जिससे लंड उसकी लाल सुर्ख हुई चूत की धज्जियां उड़ाते हुए जड़ तक घुस गया और मेनका को तेज दर्द का एहसास हुआ

" अअह्ह्ह्हह सीईईईईईई मर गई यूईईईईईईए!!!

मेनका को तेज दर्द का एहसास हुआ तो वो ऊपर को होने लगी लेकिन विक्रम ने उसकी कमर को मजबूती से थाम लिया और उसके होंठो को चूसने लगा जिससे मेनका हिल भी नही पाई और दर्द के मारे उसकी आंखो से आंसू निकल पड़े तो विक्रम ने उसकी आंखो को चूम लिया और बोला:

" आआआह्ह्ह्ह हो गया माता!!! इतनी जल्दबाजी भी ठीक नहीं होती!!

मेनका विक्रम के गले में दोनो बांहे डालकर उससे लिपटी हुई दर्द भागने की कोशिश कर रही थी और जैसे ही उसे थोड़ा सुकून मिला तो विक्रम ने उसके होंठो को छोड़ दिया और मेनका दर्द से कराहती हुई सिसकी

" आह्ह्ह्ह्ह्ह पुत्र! हमे एहसास नहीं था कि फिर से इतना दर्द भी हो सकता है!

विक्रम ने मेनका की गांड़ को पकड़कर ऊपर की तरफ उठाया तो करीब दो इंच लंड बाहर निकला और मेनका ने फिर से चूत को नीचे किया तो लंड फिर से अंदर घुस गया और मेनका दर्द और मस्ती से सिसक उठी तो विक्रम धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और मेनका भी उसका सहयोग करने लगी और देखते ही लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होना शुरू हो गई और मेनका के मुंह से अब मस्ती भरी सिसकियां फूट पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह मेरे पुत्र! कितना आनंद देते हो आप! चोदिए अपनी माता को आआह्ह्ह्ह

इतना कहकर मेनका उससे पूरी ताकत से कस कर लिपट गई और उसकी बांहे उसके गले में डाल दी और उसकी गोद में उछलने लगी तो विक्रम ने भी उसकी गांड़ को दोनो हाथों से थाम लिया जिससे चुदाई की गति बढ़ गई!!


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विक्रम मेनका की चुचियों को चूसते हुए धक्के लगा रहा था और मेनका मस्ती से उछल उछल पड़ रही थी और उसके आनंद की आज कोई सीमा नही थी! वो बस चुद रही थी और मजे में उसने उसने बेड के ऊपर बंधे हुए परदे को पकड़ लिया जिससे वो विक्रम की गोद में खड़ी सी हो गई और विक्रम ने चूत में लंड घुसे हुए ही उसकी एक टांग को ऊपर उठाकर उसके कंधे के करीब कर दिया और उसकी चूत में लंड के धक्के जड़ तक लगाने लगा तो मेनका ने परदे को छोड़ते हुए अपनी टांग को विक्रम के कंधे पर रख दिया और अब दोनो बेड पर ही सीधे खड़े हो गए थे तो मेनका तेजी से अपनी चूत को लंड पर मारने लगी तो लंड तेजी से मेनका की चूत में अंदर बाहर होने लगा और विक्रम मेनका की कमर थामे हुए था!


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मेनका की चूत में सनसनाहट सी दौड़ गई और वो जोर जोर से सिसकते हुए अपनी टांगो को पूरा फैला दी और सिसक उठी

" अह्ह्ह्ह्ह पुत्र!! हमारी चूत में फिर से कुछ हो रहा है! हाय लगता हैं हम आने वाले हैं!!

विक्रम ने मेनका की मधुर सिसकियां सुनकर उसे जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया और मेनका की चूत में कम्पन बढ़ गया तो मेनका कांपती हुई विक्रम से लिपट गई और विक्रम ने अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर एक ही झटके में फिर से जड़ तक घुसा दिया और मेनका दर्द और मस्ती से सिसक उठी और उसकी चूत से मधुर रस की धार फूट पड़ी

" अअह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईई यूईईईईईईईई महह्ह्ह!

मेनका की चूत से रस बह चला और विक्रम के लंड को भिगो दिया जिससे मेनका की चूत पर पूरी तरह से चिकनी हो गई और मेनका लंबी लंबी सांसे लेती हुई विक्रम से सीने से चिपकी रही और जैसे ही मेनका की सिसकियां रुकी तो विक्रम ने बिना देर किए उसे लंड चूत में घुसे घुसे ही उसे अपनी दोनो बांहों में उठा लिया तो मेनका ने आंखे खोली और बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र! कितने शक्ति शाली हो आप!

विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए लंड को बाहर निकाला और फिर से घुसा दिया तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और देखते ही देखते विक्रम ने गति पकड़ ली और लंड अब तेजी से उसकी चूत में घुसने लगा तो मेनका के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र!! दर्द होता हैं हाय मर जाऊंगी!! हाय ऐसे भी चुदाई होती हैं हमे नही पता था!!

विक्रम ने मेनका की जांघो को पूरा खोलते हुए उसे पकड़ लिया और तेजी से अपने लंड पर उसकी चूत पटकने लगा!! मेनका दर्द से कराह रही थी और विक्रम से कसकर लिपटी हुई थी क्योंकि हर धक्के पर उसकी कसी हुई चूत के होंठ लंड के साथ बाहर की तरफ खींच रहे थे जिससे उसे दर्द का एहसास हो रहा था और मेनका की दर्द भरी सिसकियां विक्रम को ज्यादा जोश दिला रही थी!!


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मेनका दर्द भगाने के लिए अपनी चुचियों को विक्रम की छाती से रगड़ रही थी तो विक्रम ने मेनका के होंठो को मुंह में भर लिया और चूसने लगा! विक्रम ने लंड को बाहर निकाल कर जैसे ही एक बार में पूरा घुसा दिया तो मेनका का जैसे ही दर्द के मारे मुंह खुला तो विक्रम ने अपनी जीभ को उसके मुंह में घुसा कर मेनका की जीभ से मिला दिया तो मेनका के बदन में सिहरन सी दौड़ गई और वो जोर से विक्रम की जीभ चूसने लगी और अपनी टांगो को उसकी कमर पर कस दिया! मेनका दर्द से कराह रही थी लेकिन विक्रम का साथ देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी!

विक्रम उसकी चूत में धक्के लगाता रहा और मेनका की चूत में एक बार फिर से ऊर्जा का संचार हुआ और उसकी चूत फिर से रसीली होकर मजा देने लगी तो मेनका ने अपनी गांड़ को उठाना शुरू किया तो विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और दोनो एक साथ मुस्कुरा पड़े तो विक्रम ने अब पूरी तरह से मेनका को चोदना शुरु किया और मेनका के मुंह से दर्द और मस्ती भरी सिसकियां निकलने लगी

" अअह्ह्ह्ह विक्रम!! ओह्ह्ह् विक्रम !! मेरे विक्रम!!

मेनका के खुले हुए बाल उसकी पीठ पर लहरा रहे थे और विक्रम पूरी सख्ती से उसे पकड़े हुए चोद रहा था! मेनका दर्द और मस्ती से सिसक सिसक कर चुद रही थी! दोनो पसीने पसीने हो गए थे और बुरी तरह से सांसे उखड़ी हुई थी लेकिन हार नही मान रहे थे! विक्रम एक और उसकी चूत को अपने गाढ़े वीर्य से भरना चाहता था तो मेनका भी अपनी गर्म चूत में वीर्य की पिचकारी महसूस करने के लिए व्याकुल हो उठी थी! विक्रम ने उसकी कमर पर अपने हाथो को कसते हुए बांध दिया और मेनका अब पूरी तरह से उसके कब्जे में थी और विक्रम जंगली घोड़े की तरफ उसे पेलने लगा तो मेनका दर्द से कराहती हुई उससे लिपटी रही और दोनो ही अब अपनी मंजिल से दूर नही थे! विक्रम जितनी ज्यादा जोर से धक्का लगाता मेनका भी उतनी ही ताकत से उसका मुंह चूम कर खुशी का इजहार कर रही थी!


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विक्रम की सारी शक्ति का केंद्र उसका लंड बन गया तो उसके धक्के प्रचंड हो गए तो मेनका दर्द से तड़पती हुई दर्द भगाने के लिए कभी उसकी जीभ चूसती तो कभी चूचियां उसके सीने में रगड़ रही थी और विक्रम ने पागल सा होकर लंड को पूरा बाहर निकाला और अपने शरीर की सारी शक्ति समेटते हुए मेनका की चूत में ठोक दिया जिससे मेनका दर्द से कराह उठी

" आह्ह्ह्हह्ह नहीईईई यूईईईईईई!!!!

विक्रम के लंड का सुपाड़े मेनका की बच्चेदानी के मुंह को खोलते हुए अंदर घुस गया और गाढ़े वीर्य की जोरदार बरसात करने लगा और मेनका भी उससे लिपटी हुई उसके लंड पर मधुर रस छोड़ती रही!

जैसे ही दोनो का स्खलन खत्म हुआ तो दोनो ही मुस्कुरा दिए और विक्रम ने मेनका को गोद में लिए हुए बेड पर लेट गया और मेनका भी उससे कसकर लिपट गई तो विक्रम बोला:"

" कैसा लगा माता आपको !!

मेनका ने उसका मुंह चूम लिया और उसकी छाती में सिमटते हुए सिसकी

" अदभुत अकल्पनीय आनंद दिया आपने हमे पुत्र!!

विक्रम ने दोनो हाथों को उसकी गांड़ पर रख दिया और सहलाते हुए एक उंगली को उसकी गांड़ के छेद पर टिका दिया और बोला

" मुझे ये चाहिए माता!!!

मेनका उत्तेजना से सिसका उठी और बोली:" आआह्हह्ह्ह नही इतनी आसानी से ये आपको नही मिलेगा! जिस दिन आप अपने भाई और बाप का बदला ले लोगे उस दिन मेनका के जिस्म के हर हिस्से पर आपका हक होगा!

विक्रम ने मेनका का मुंह चूम लिया और हंसते हुए बोला:"

" वाह राजमाता! क्या तरीका निकाला हैं आपने हमे अपने कर्तव्य को याद दिलाने के लिए!! लेकिन अगर ये फिर से हमे परेशान करे तो !!

इतना कहकर विक्रम ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया तो मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और विक्रम का हाथ पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और प्यार से बोली:"

" यहां घुसा देना क्योंकि ये भी हमे परेशान करती रहेगी!!!

विक्रम ने मेनका का मुंह चूम लिया! दोनो को जोर की भूख लगी तो दोनो ने खाना खाया और एक बार फिर से बेड पर जंग की छिड़ गई! लंड और चूत की जंग!
अगले दिन सुबह विक्रम ने मेनका को एक बार और चोदा और मेनका ने भी उसका पूरा साथ दिया! करीब पांच बजे विक्रम मेनका के कक्ष से जाने लगा तो मेनका की आंखो में देखते हुए बोला:"

" अब अगली बार कब राजमाता??

मेनका उसके सीने से लिपट गई और बोली:" मेरे कक्ष के दरवाजे आपके लिए हर रात खुले रहेंगे पुत्र!!!

विक्रम उसके बाद अपने कक्ष में आ गया और मेनका भी अपने कक्ष के दरवाजे को बंद करके अंदर गई और बेड पर लेट गई! विक्रम की दमदार चुदाई को बर्दाश्त करने के लिए उसने अपने जिस्म की सम्पूर्ण ताकत लगा दी और बदले मे मिला वो असीम सुख अतुलनीय था!!
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Shivraj Singh

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Salma dhokhebaz hai to koi bat nahi lekin ab apni maa chod chuke vikram ko ab raziya ko apne jal me fasakar use bhi apni rakhail bana dena chahiye. Taki maa beti ek sath uske bistar ko garam kar sake. Aur radhika ko mrityudand aur jabbar ko hath pav jaban aur kan kaatkar aamaran karawas dena chahiye. Seema bhi vikram ki dusri patni bane. Kyonki vikram ke bhai ki honewali biwi thi to vikram ki biwi banni chahiye.
 

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मेनका नंगी ही अलमारी के सामने झुक कर बैठ गई जिससे उसकी गांड़ और चूत दोनो एक साथ खुलकर विक्रम के सामने आ गए और विक्रम के लंड में फिर से ऊर्जा का संचार हुआ और वो फिर से अकड़ना शुरू हो गया! मेनका बॉटल निकालने के लिए आगे को खुली जिससे उसकी गांड़ पूरी तरह से उठ गई और और विक्रम ने देखा कि मेनका की चूत से फिर से मधुर रस निकलना शुरू हो गया था और मेनका ने बॉटल को बाहर निकाला और अदा के साथ खड़ी हुई और विक्रम की तरफ चल पड़ी! मेनका के चलने से उसकी मादक चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और दोनो ही एक दूसरे की आंखो मे देख कर कामुक तरीके से मुस्कुरा रहे थे!

मेनका बेड पर चढ़ गई और सीधे विक्रम की गोद में बैठ गई तो विक्रम का खड़ा लंड उसकी चूत से टकरा गया तो मेनका मस्ती से सिसक उठी

" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र! इतनी जल्दी फिर से खड़ा कर दिया आपने !!

इतना कहकर उसने बॉटल को विक्रम के मुंह से लगा दिया तो विक्रम ने एक घूंट भरी और वापिस मेनका के मुंह पर बॉटल लगा दी तो मेनका के उसकी आंखो में देखते हुए एक जोरदार घूंट भरी और मुस्कुरा पड़ी तो विक्रम उसकी कमर को सहलाते सहलाते बोला:"

" पहले तो आप बड़ी शर्माती थी और अब आप पूरी हिम्मत दिखा रही है आंखो मे आंखे डालकर!!

मेनका उसकी गोद में हल्की सी ऊपर उठी और लंड के सुपाड़े को चूत के मुंह पर रगड़ते हुए सिसक उठी:"

" जब सब कुछ ही मिल गया पुत्र तो फिर आंखे मिलाने में कैसी शर्म !!

इतना कहकर मेनका ने लंड पर दबाव डाला तो सुपाड़ा उसकी लाल सुर्ख हुई चूत में सरक गया और मेनका के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी "

"आह्ह्ह्ह्ह् दुखती है उफ्फ!!

विक्रम ने एक और जोरदार घूंट भरी और उसके मुंह से बॉटल लगाकर उसकी गांड़ को सहलाने लगा और बोला:"

" अह्ह्ह्हह मेनका आपकी चूत कितनी गर्म और कसी हुई है!!

मेनका ने एक जोरदार घूंट भरी और विक्रम की छाती में अपनी उंगलियां फेरने लगीं और बोली:"

" महराज आपकी छाती कितनी चौड़ी मजबूत और बालो से भरी हुई है! आप मेरे पसंदीदा पुरुष हो पुत्र!!

इतना कहकर मेनका ने लंड पर दबाव दिया तो सुपाड़े के साथ साथ करीब दो इंच लंड भी उसकी चूत में घुस गया और मेनका दर्द और मस्ती से सिसक उठी और उसके चेहरे पर एक बार फिर से दर्द की लकीरें उभर आई तो विक्रम ने मेनका को इशारा किया तो मेनका ने मदिरा की बॉटल को विक्रम के मुंह पे झुका दिया और जब तक उड़ेलती रही तब तक कि बॉटल खत्म नहीं हो गई और विक्रम ने मुंह में भरी हुई दारू को मेनका के मुंह पर उड़ेल दिया जिससे मेनका विक्रम के मुंह पर झुकती चली गई और उसने विक्रम के होंठो को मुंह में भर लिया और चूसने लगीं!!

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विक्रम ने भी मेनका के दोनो कंधो को थामा और नीचे की तरफ दबाव दिया तो आधा लंड उसकी चूत में घुस गया तो मेनका के मुंह से फिर से दर्द भरी आह निकल पड़ी

" आह्ह्ह्ह् पुत्र!! यूईईईईईईईई

विक्रम ने मुंह को खोलते हुए उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया और दूसरी को अपनी हथेली में भर कर सहलाने लगा तो मेनका मस्ती से भर उठी और विक्रम की गोद में उछलने लगी जिससे लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होना शुरू हो गया


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मेनका की चूत में हल्का हल्का दर्द हो रहा था लेकिन मजे की कोई सीमा नहीं थी तो मेनका ने और ज्यादा मजा लेने के लिए विक्रम की आंखो में देखा और थोड़ी सी ऊपर हुई और एक झटके के साथ उसके लंड पर बैठ गई जिससे लंड उसकी लाल सुर्ख हुई चूत की धज्जियां उड़ाते हुए जड़ तक घुस गया और मेनका को तेज दर्द का एहसास हुआ

" अअह्ह्ह्हह सीईईईईईई मर गई यूईईईईईईए!!!

मेनका को तेज दर्द का एहसास हुआ तो वो ऊपर को होने लगी लेकिन विक्रम ने उसकी कमर को मजबूती से थाम लिया और उसके होंठो को चूसने लगा जिससे मेनका हिल भी नही पाई और दर्द के मारे उसकी आंखो से आंसू निकल पड़े तो विक्रम ने उसकी आंखो को चूम लिया और बोला:

" आआआह्ह्ह्ह हो गया माता!!! इतनी जल्दबाजी भी ठीक नहीं होती!!

मेनका विक्रम के गले में दोनो बांहे डालकर उससे लिपटी हुई दर्द भागने की कोशिश कर रही थी और जैसे ही उसे थोड़ा सुकून मिला तो विक्रम ने उसके होंठो को छोड़ दिया और मेनका दर्द से कराहती हुई सिसकी

" आह्ह्ह्ह्ह्ह पुत्र! हमे एहसास नहीं था कि फिर से इतना दर्द भी हो सकता है!

विक्रम ने मेनका की गांड़ को पकड़कर ऊपर की तरफ उठाया तो करीब दो इंच लंड बाहर निकला और मेनका ने फिर से चूत को नीचे किया तो लंड फिर से अंदर घुस गया और मेनका दर्द और मस्ती से सिसक उठी तो विक्रम धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और मेनका भी उसका सहयोग करने लगी और देखते ही लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होना शुरू हो गई और मेनका के मुंह से अब मस्ती भरी सिसकियां फूट पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह मेरे पुत्र! कितना आनंद देते हो आप! चोदिए अपनी माता को आआह्ह्ह्ह

इतना कहकर मेनका उससे पूरी ताकत से कस कर लिपट गई और उसकी बांहे उसके गले में डाल दी और उसकी गोद में उछलने लगी तो विक्रम ने भी उसकी गांड़ को दोनो हाथों से थाम लिया जिससे चुदाई की गति बढ़ गई!!


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विक्रम मेनका की चुचियों को चूसते हुए धक्के लगा रहा था और मेनका मस्ती से उछल उछल पड़ रही थी और उसके आनंद की आज कोई सीमा नही थी! वो बस चुद रही थी और मजे में उसने उसने बेड के ऊपर बंधे हुए परदे को पकड़ लिया जिससे वो विक्रम की गोद में खड़ी सी हो गई और विक्रम ने चूत में लंड घुसे हुए ही उसकी एक टांग को ऊपर उठाकर उसके कंधे के करीब कर दिया और उसकी चूत में लंड के धक्के जड़ तक लगाने लगा तो मेनका ने परदे को छोड़ते हुए अपनी टांग को विक्रम के कंधे पर रख दिया और अब दोनो बेड पर ही सीधे खड़े हो गए थे तो मेनका तेजी से अपनी चूत को लंड पर मारने लगी तो लंड तेजी से मेनका की चूत में अंदर बाहर होने लगा और विक्रम मेनका की कमर थामे हुए था!


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मेनका की चूत में सनसनाहट सी दौड़ गई और वो जोर जोर से सिसकते हुए अपनी टांगो को पूरा फैला दी और सिसक उठी

" अह्ह्ह्ह्ह पुत्र!! हमारी चूत में फिर से कुछ हो रहा है! हाय लगता हैं हम आने वाले हैं!!

विक्रम ने मेनका की मधुर सिसकियां सुनकर उसे जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया और मेनका की चूत में कम्पन बढ़ गया तो मेनका कांपती हुई विक्रम से लिपट गई और विक्रम ने अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर एक ही झटके में फिर से जड़ तक घुसा दिया और मेनका दर्द और मस्ती से सिसक उठी और उसकी चूत से मधुर रस की धार फूट पड़ी

" अअह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईई यूईईईईईईईई महह्ह्ह!

मेनका की चूत से रस बह चला और विक्रम के लंड को भिगो दिया जिससे मेनका की चूत पर पूरी तरह से चिकनी हो गई और मेनका लंबी लंबी सांसे लेती हुई विक्रम से सीने से चिपकी रही और जैसे ही मेनका की सिसकियां रुकी तो विक्रम ने बिना देर किए उसे लंड चूत में घुसे घुसे ही उसे अपनी दोनो बांहों में उठा लिया तो मेनका ने आंखे खोली और बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र! कितने शक्ति शाली हो आप!

विक्रम ने मेनका की आंखो में देखते हुए लंड को बाहर निकाला और फिर से घुसा दिया तो मेनका के मुंह से आह निकल पड़ी और देखते ही देखते विक्रम ने गति पकड़ ली और लंड अब तेजी से उसकी चूत में घुसने लगा तो मेनका के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी

" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र!! दर्द होता हैं हाय मर जाऊंगी!! हाय ऐसे भी चुदाई होती हैं हमे नही पता था!!

विक्रम ने मेनका की जांघो को पूरा खोलते हुए उसे पकड़ लिया और तेजी से अपने लंड पर उसकी चूत पटकने लगा!! मेनका दर्द से कराह रही थी और विक्रम से कसकर लिपटी हुई थी क्योंकि हर धक्के पर उसकी कसी हुई चूत के होंठ लंड के साथ बाहर की तरफ खींच रहे थे जिससे उसे दर्द का एहसास हो रहा था और मेनका की दर्द भरी सिसकियां विक्रम को ज्यादा जोश दिला रही थी!!


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मेनका दर्द भगाने के लिए अपनी चुचियों को विक्रम की छाती से रगड़ रही थी तो विक्रम ने मेनका के होंठो को मुंह में भर लिया और चूसने लगा! विक्रम ने लंड को बाहर निकाल कर जैसे ही एक बार में पूरा घुसा दिया तो मेनका का जैसे ही दर्द के मारे मुंह खुला तो विक्रम ने अपनी जीभ को उसके मुंह में घुसा कर मेनका की जीभ से मिला दिया तो मेनका के बदन में सिहरन सी दौड़ गई और वो जोर से विक्रम की जीभ चूसने लगी और अपनी टांगो को उसकी कमर पर कस दिया! मेनका दर्द से कराह रही थी लेकिन विक्रम का साथ देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी!

विक्रम उसकी चूत में धक्के लगाता रहा और मेनका की चूत में एक बार फिर से ऊर्जा का संचार हुआ और उसकी चूत फिर से रसीली होकर मजा देने लगी तो मेनका ने अपनी गांड़ को उठाना शुरू किया तो विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और दोनो एक साथ मुस्कुरा पड़े तो विक्रम ने अब पूरी तरह से मेनका को चोदना शुरु किया और मेनका के मुंह से दर्द और मस्ती भरी सिसकियां निकलने लगी

" अअह्ह्ह्ह विक्रम!! ओह्ह्ह् विक्रम !! मेरे विक्रम!!

मेनका के खुले हुए बाल उसकी पीठ पर लहरा रहे थे और विक्रम पूरी सख्ती से उसे पकड़े हुए चोद रहा था! मेनका दर्द और मस्ती से सिसक सिसक कर चुद रही थी! दोनो पसीने पसीने हो गए थे और बुरी तरह से सांसे उखड़ी हुई थी लेकिन हार नही मान रहे थे! विक्रम एक और उसकी चूत को अपने गाढ़े वीर्य से भरना चाहता था तो मेनका भी अपनी गर्म चूत में वीर्य की पिचकारी महसूस करने के लिए व्याकुल हो उठी थी! विक्रम ने उसकी कमर पर अपने हाथो को कसते हुए बांध दिया और मेनका अब पूरी तरह से उसके कब्जे में थी और विक्रम जंगली घोड़े की तरफ उसे पेलने लगा तो मेनका दर्द से कराहती हुई उससे लिपटी रही और दोनो ही अब अपनी मंजिल से दूर नही थे! विक्रम जितनी ज्यादा जोर से धक्का लगाता मेनका भी उतनी ही ताकत से उसका मुंह चूम कर खुशी का इजहार कर रही थी!


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विक्रम की सारी शक्ति का केंद्र उसका लंड बन गया तो उसके धक्के प्रचंड हो गए तो मेनका दर्द से तड़पती हुई दर्द भगाने के लिए कभी उसकी जीभ चूसती तो कभी चूचियां उसके सीने में रगड़ रही थी और विक्रम ने पागल सा होकर लंड को पूरा बाहर निकाला और अपने शरीर की सारी शक्ति समेटते हुए मेनका की चूत में ठोक दिया जिससे मेनका दर्द से कराह उठी

" आह्ह्ह्हह्ह नहीईईई यूईईईईईई!!!!

विक्रम के लंड का सुपाड़े मेनका की बच्चेदानी के मुंह को खोलते हुए अंदर घुस गया और गाढ़े वीर्य की जोरदार बरसात करने लगा और मेनका भी उससे लिपटी हुई उसके लंड पर मधुर रस छोड़ती रही!

जैसे ही दोनो का स्खलन खत्म हुआ तो दोनो ही मुस्कुरा दिए और विक्रम ने मेनका को गोद में लिए हुए बेड पर लेट गया और मेनका भी उससे कसकर लिपट गई तो विक्रम बोला:"

" कैसा लगा माता आपको !!

मेनका ने उसका मुंह चूम लिया और उसकी छाती में सिमटते हुए सिसकी

" अदभुत अकल्पनीय आनंद दिया आपने हमे पुत्र!!

विक्रम ने दोनो हाथों को उसकी गांड़ पर रख दिया और सहलाते हुए एक उंगली को उसकी गांड़ के छेद पर टिका दिया और बोला

" मुझे ये चाहिए माता!!!

मेनका उत्तेजना से सिसका उठी और बोली:" आआह्हह्ह्ह नही इतनी आसानी से ये आपको नही मिलेगा! जिस दिन आप अपने भाई और बाप का बदला ले लोगे उस दिन मेनका के जिस्म के हर हिस्से पर आपका हक होगा!

विक्रम ने मेनका का मुंह चूम लिया और हंसते हुए बोला:"

" वाह राजमाता! क्या तरीका निकाला हैं आपने हमे अपने कर्तव्य को याद दिलाने के लिए!! लेकिन अगर ये फिर से हमे परेशान करे तो !!

इतना कहकर विक्रम ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया तो मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और विक्रम का हाथ पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और प्यार से बोली:"

" यहां घुसा देना क्योंकि ये भी हमे परेशान करती रहेगी!!!

विक्रम ने मेनका का मुंह चूम लिया! दोनो को जोर की भूख लगी तो दोनो ने खाना खाया और एक बार फिर से बेड पर जंग की छिड़ गई! लंड और चूत की जंग!
अगले दिन सुबह विक्रम ने मेनका को एक बार और चोदा और मेनका ने भी उसका पूरा साथ दिया! करीब पांच बजे विक्रम मेनका के कक्ष से जाने लगा तो मेनका की आंखो में देखते हुए बोला:"

" अब अगली बार कब राजमाता??

मेनका उसके सीने से लिपट गई और बोली:" मेरे कक्ष के दरवाजे आपके लिए हर रात खुले रहेंगे पुत्र!!!

विक्रम उसके बाद अपने कक्ष में आ गया और मेनका भी अपने कक्ष के दरवाजे को बंद करके अंदर गई और बेड पर लेट गई! विक्रम की दमदार चुदाई को बर्दाश्त करने के लिए उसने अपने जिस्म की सम्पूर्ण ताकत लगा दी और बदले मे मिला वो असीम सुख अतुलनीय था!!
Nice and superb update....
 

Baribrar

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Lajvab shandaar mast update
 
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सीमा को अब राधिका एक आंख भी नही सुहा रही थी और वो अब इंतजार कर रही थी कि कब उसे रंगे हाथों पकड़ा जा सके क्योंकि वो उसे कोई मौका नहीं देना चाहती थीं!

सीमा का मन सलमा से भी खिन हो गया था और उसे अब सलमा से पहले जैसा मोह नही रह गया था क्योंकि वो सलमा का दूसरा पहलू भी देख चुकी थी! सीमा को अब आबिद की बात याद आ रही थीं कि जब्बार के घर के घर के पीछे सारे हथियार छुपाए गए हैं ताकि राज्य के सैनिकों के युद्ध के समय जरूरत पड़ने पर हथियार ही नही मिले और जब्बार आराम से बगावत की स्थिति में भी राज्य पर कब्जा कर सकता था!!

रात के करीब 11 बज गए थे तो उसे बाहर कदमों की हल्की सी आहत सुनाई पड़ी तो उसके कान सतर्क हो गए और धीरे से पर्दा डालकर देखा तो पाया कि राधिका दबे पांव घर से निकल रही थी! सीमा भी आज सच्चाई देखना चाहती थीं इसलिए वो भी उसके पीछे पीछे ही निकल पड़ी! घर से बाहर निकलते ही एक दीवार की ओट में राधिका ने अपने मुंह को ढक लिया ताकि कोई उसे पहचान न सके और वो उत्तर दिशा में आगे बढ़ गई तो अंधेरे का फायदा उठाते हुए सीमा भी उसके पीछे चल पड़ी! राधिका चोर नजरो से इधर उधर देखती हुई दांई तरफ मुड़ गई और थोड़ी देर बाद ही वो जब्बार के घर के सामने खड़ी हुई थी! सीमा का शक अब यकीन में बदल गया था कि राधिका जब्बार के जाल में फंसी हुई है! राधिका ने अपनी जेब से एक कार्ड निकाला और राधिका ने धीरे से दरवाजा को खोला और अंदर प्रवेश कर गई और सीमा ने देखा कि जब्बार के घर के बाहर मौजूद सैनिकों ने राधिका को रोका नहीं क्योंकि वो उसे पहले से जानते थे और कार्ड उसके अंदर जाने के लिए प्रमाण था!

सीमा ने इधर उधर ध्यान से देखा और उसे कोई उम्मीद नजर नही आई तो वो वापिस अपने घर की तरफ लौट आई! सीमा सोच रही थी कि वो सलमा को बताए कि जब्बार ने कैसे असली हथियारों को छुपा लिया है लेकिन उसका दिल नही माना और वो बिस्तर पर पड़े पड़े नींद के आगोश मे चली गई!!!

अगले दिन सीमा पूरी तरह से तैयार थी! रात को खाना बनाने के बाद उसने सीमा के खाने में नींद की गोलियां मिला दी और खाना खाने के थोड़ी देर बाद ही राधिका गहरी नींद में चली गई तो सीमा ने उसके कमरे से वो कार्ड निकाला जिसके बल पर राधिका जब्बार के घर में घुस गई थी! रात को ठीक 11 बजे सीमा घर से बाहर निकली! उसने राधिका के कपड़े पहले हुए थे और मुंह को पूरी तरह से ढका हुआ था! जब्बार के घर के सामने पहुंच गई! सीमा का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था और उसके पूरे बदन में डर के मारे कंपकपी दौड़ रही थी!

सीमा ने दरवाजे पर दस्तक दी तो पहरेदार बोला:*

" सुबूत दिखाए अपना!!

सीमा ने कार्ड आगे किया और दरवाजा खुल गया तो सीमा जल्दी से अन्दर घुस गई और उसने देखा कि अंदर करीब 20 सैनिक पहरा दे रहे थे! सीमा को अब लग रहा था कि यहां आकर उसने अपने आपको खतरे में डाल दिया है तो उसने धीरे से अपने सूट में छुपे हुए अपने खंजर को टटोला और थोड़ा सुकून की सांस ली और आगे बढ़ गई! जब्बार का घर काफी भव्य बना हुआ था और उसके अंदर काफी ज्यादा जगह भी थी!

सीमा चलती हुई अंदर पहुंच गई और सीढियां चढ़ती हुई पहली मंजिल पर आ गई और देखा कि यहां भी काफी सारे सैनिक पहरे दे रहे थे और सीमा के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि अब कहां जाए क्योंकि वो जब्बार के सामने नही पड़ना चाहती थीं! हथियारों तक कैसे पहुंचा जाए ये सोचती हुई वो उत्तर दिशा में बढ़ी और थोड़ा चलने के बाद गैलरी में मूड गई! सामने ही दो आलीशान कक्ष बने हुए थे तो सीमा समझ गई कि ये जरूर जब्बार का ही कक्ष हैं और सीमा का दिल धड़क उठा! सीमा ने इधर उधर देखा और पाया कि सैनिक अपनी बातो में मशगूल थे तो मौके का फायदा उठाते हुए सामने की तरफ बढ़ गई जिधर थोड़ा अंधेरा था! सीमा हिम्मत करके उस दिशा में आगे बढ़ गई तो उसे नीचे की तरफ जाती हुई सीढियां नजर आई जो किसी तहखाने में जाने का रास्ता थी!

सीमा डरती हुई नीचे उतरने लगी और जल्दी ही वो तहखाने में पहुंच गई तो देखा कि सामने की चार सैनिक पहरा दे रहे थे और काफी मुस्तैद नजर आ रहे थे तो सीमा ने इंतजार करने का फैसला किया! करीब दो बजे के आस पास उसने देखा कि सैनिक सो गए थे तो वो धीरे से आगे बढ़ गई और एक चौड़े रास्ते से होते हुए बांई तरफ मुड़ गई और सामने ही एक बेहद बड़ा कमरा बना हुआ था तो सीमा उसमे घुस गई और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि वो पूरा कमरा भयंकर हथियारों से भरा हुआ था! सीमा को यकीन हो गया कि आबिद सच बोल रहा था और सब हथियार तो यहां छुपे हैं तो फिर शस्त्रागार तो खाली होना चाहिए!

सीमा को आबिद की बात याद आ रही थीं कि वो जब्बार से उसके घर से पीछे मिलता था! मतलब जरूर कुछ न कुछ बात है जो वो समझ नहीं पा रही है! सीमा ने उधर इधर देखा तो उसे एक खिड़की नजर आई और वो दीवार के सहारे उस पर चढ़ गई तो देखा कि ये जब्बार के घर का अंतिम हिस्सा था और बाहर सड़क नजर आ रही थीं! मेनका को आबिद की बात का मतलब समझ में आ गया और उसने अब वापिस जाने का फैसला किया क्योंकि सुबह के चार बजने वाले थे! सीमा मौका देखती हुई बचती बचाती हुई जैसे तैसे मुख्य दरवाजे तक पहुंची और देखा कि पहरेदार गहरी नींद में हैं तो बाहर निकल गई और अपने घर पहुंच गई!!

अगले दिन सुबह राजदरबार लगा हुआ था और आबिद की बीवी रजिया से इंसाफ की गुहार लगा रही थी

" राजमाता मेरे शौहर को घर से गायब हुए आज चार दिन हो गई है और पता भी नही हैं वो जिंदे भी है या नहीं! मेरे शौहर को ढूंढ दीजिए आप!!

रजिया सब कुछ जानती थी लेकिन दिखावे के लिए बोली:"

" जब्बार हमे किसी भी कीमत पर आबिद चाहिए! सारा राज्य छान मारो! चाहे कुछ भी करो लेकिन वो हमे चाहिए!

जब्बार आबिद के गायब होने से खुद ही परेशान था क्योंकि वो उसका विश्वास पात्र आदमी था! पहले भी कई बार वो गायब हो जाता और दूसरे राज्यों में मुजरा देखने जाता था जिस कारण जब्बार को चिंता नहीं थी लेकिन आज उसे लग रहा था कि कुछ तो गलत हुआ है!!

जब्बार:" आप निश्चित रहे राजमाता! कल तक हम आबिद को ढूंढ कर आपके सामने ले आयेंगे!

इतना कहकर जब्बार ने सलमा की तरफ देखा तो सलमा मंद मंद मुस्कुरा उठी और जब्बार खुशी के मारे झूम उठा!

कुछ और आवश्यक निर्णय लेने के बाद सभा भंग हुई और रजिया चली गई तो सलमा भी पीछे पीछे जाने लगी तो जब्बार उसके करीब पहुंच गया और बोला

" कैसे हो आप शहजादी ?

सलमा उसकी तरफ देखकर हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:" हम ठीक है जब्बार! आप कैसे हो?

जब्बार:" बस सांसे चल रही है किसी को याद कर करके! और एक वो इतने मशरूफ है कि हमारी परवाह नहीं करते!

सलमा:" ऐसा नहीं कहो जब्बार! हम आपकी फिक्र करते हैं!

जब्बार:" फिर हमसे मिलते क्यों नहीं हो? आज तीन दिन हो गई है जब आप हमसे आखिरी बार मिली थी!

सलमा:" हम जानते हैं जब्बार! कल संध्या को हम शाही बगीचे मे आपका इंतजार करेंगे!

इतना कहकर सलमा पलटी और चल पड़ी! जब्बार की खुशी का कोई ठिकाना नही था क्योंकि वो जानता था कि शाही बगीचे मे राजपरिवार के अलावा कोई नहीं जाता और उसके पास अच्छा मौका होगा सलमा के साथ मस्ती करने के लिए!

सलमा ने एक दासी को भेजकर सीमा को महल बुलवाया क्योंकि सीमा कई दिनों से महल नही आ रही थीं! सीमा को देखते ही शहजादी को एहसास हो गया कि जरूर कुछ न कुछ बात है जो सीमा का चेहरा बदला हुआ लग रहा था!

सलमा:" चार दिन से महल नही आई हो सीमा! हमारे साथ परछाई की तरह रहने वाली सीमा हमे कैसे भूल गई ?

सीमा उससे नजरे चुराती हुई बोली:" ऐसा कुछ भी नहीं है शहजादी! बस तबियत ठीक नहीं थी तो आराम किया घर पर!

सलमा:" देखो सीमा हमसे झूठ तो नही छुपा सकती! ऐसी क्या बात हो गई जो सीमा हमसे झूठ बोलने लगी है!!

सीमा के चेहरे का रंग उड़ गया और बोली:" ऐसा कुछ भी तो नहीं है शहजादी!

सलमा ने उसे ज्यादा परेशान करना उचित नहीं समझा! वो जानती थीं कि सीमा झूठ बोल रही है लेकिन वो इतना भी जानती थी कि सीमा उसकी सच्ची और वफादार सहेली हैं और उसका कभी गलत नही कर सकती तो बोली:"

" हम बड़े गहरे संकट में है सीमा! जब्बार ने पूरी तरह से राज्य पर कब्जा कर लिया है! बस दिखावे के लिए ही हम शहजादी हैं !!

सीमा:" आप क्यों चिंता करती है शहजादी! युवराज विक्रम तो आपके साथ है ही और अब तो उन्हे तलवार भी मिल गई है!

सलमा:" बात वो नही है सीमा! युवराज मदद करेंगे अच्छी बात है लेकिन आप और मैं दोनो का कर्तव्य है कि युद्ध से पहले दुश्मन की योजना का पता करके उसे कमजोर किया जाए!! अच्छा सुन हम आज रात उदयगढ़ जाएंगे! तुम भी हमारे साथ चलना!

सीमा:" लेकिन इतना सख्त पहरा होने के बाद कैसे जा सकती है आप ?

सलमा:" वो सब कुछ तुम हम पर छोड़ दो सीमा! आज हम तुम्हे महल का एक ऐसा रहस्य बताएंगे तो सिर्फ राज परिवार को उसी मालूम होता हैं तब जाकर आपको एहसास होगा कि हम आपको अपनी बहन मानते हैं सीमा!!

सीमा हैरानी से सलमा की तरफ देखने लगी कि क्योंकि उसे अब सलमा अपनी सी लग रही थीं! यही तो वो सलमा थी जिसे वो पसंद करती थी! सीमा धीरे से बोली:"

" ठीक हैं अगर आप मुझ पर इतना यकीन करती हैं तो मैं आपके साथ जरूर चलूंगी!

सलमा:" यकीन की क्या बात सीमा! एक तुम ही तो हो जिस पर मैं भरोसा करती हू लेकिन तो यहां तो सारे लोग गद्दार भरे हुए हैं राज्य में!

सीमा:" किस समय जाना होगा हमे ? आप समय बता दीजिए मैं आ जाऊंगी!

सलमा:" करीब नौ बजे हम निकल जायेंगे! मैं यहीं अपने कक्ष में आपका इंतजार करूंगी!

सीमा उसके बाद थोड़ी देर और रुकने के बाद अपने घर की तरफ लौट आई तो देखा कि राधिका घर पर ही ठीक थीं तो सीमा बोली:"

" अरे आज अभी तक घर पर हो राधिका ?

राधिका:" हान तबियत ठीक नहीं लग रही थी! चक्कर से आ रहे थे तो बस आराम कर रही थी! आप बताए महल से आ रही हो क्या ? कैसी हैं शहजादी ?

सीमा:" शहजादी की तो क्या ही बात करे ! बड़े पैसे वाले लोग हैं उनकी तो हर बात अलग ही होती हैं राधिका!!

राधिका:" आप परेशान मत होइए! कुछ दिन की और बात हैं फिर देखना आप हमारे पास भी इतना पैसा होगा कि आपकी जिंदगी सलमा से बेहतर होगी दीदी!!

सीमा हैरानी से उसकी तरफ देखती हुई बोली:"

" अच्छा तुम्हारे हाथ क्या कोई खजाना लगने वाला हैं ? जरा हमे भी तो बताओ!

राधिका:" बस कुछ दिन और सब्र करो दीदी! फिर आपको सब कुछ पता चल ही जायेगा!

सीमा कुछ नहीं बोली और अपने कमरे में चली गई! रात को करीब साढ़े आठ बजे के आस पास सीमा राधिका के बोलकर निकल गई कि वो महल जा रही है और रात को वहीं रुकेगी! राधिका के लिए अच्छा था क्योंकि उसे रात में जब्बार के पास जाने से कोई नही रोक सकता था!

सीमा और सलमा दोनो करीब नौ बजे महल में बनी हुई सुरंगे के पास खड़े थे और जैसे ही सलमा ने दरवाजा खोला तो दोनो उसमे घुस गए और सीमा महल में सुरंग देखकर हैरानी का नाटक करने लगी तो सलाम ने उसे सब कुछ बताया और आगे चलकर दोनो को आबिद की लाश मिली जो सड़ना शुरू हो गई थी तो सीमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"

" ये तो यहां मरा पड़ा हुआ है और जब्बार इसे राज्य में ढूंढ रहा होगा बेचारा!

सलमा:" इसे सलीम ने मार डाला! हम बड़े परेशान हैं उसकी हरकतों से सीमा!

सीमा अंदर ही अंदर खुश हुई कि कम से कम आबिद की मौत का शक उसके ऊपर तो नही आया! दोनो सुरंग से निकलकर उदयपुर पहुंच गए और वैद्य जी के यहां जाकर सलमा अपने अब्बू से मिली और विक्रम को संदेश भिजवा दिया तो विक्रम दौड़ा चला आया और सलाम उससे मिलकर बड़ी खुश हुई और फिर उसने विक्रम को सारी बात बताई कि किस तरह से जब्बार ने सारे हथियार बदल कर लकड़ी से बनी हुई तलवारे रख दी हैं ताकि वो आराम से युद्ध जीत सके!

विक्रम:" ये तो सब में बेहद बड़ी समस्या है! असली हथियारों का पता करो और युद्ध से पहले उन्हे आपस मे बदलना ही होगा!

सीमा जब जानती थी तो तपाक से बोली:"

" असली हथियार जब्बार ने अपने घर के अंदर छुपाए हुए हैं ऐसी हमे जानकारी मिली हैं!

सलमा और विक्रम दोनो ने सीमा की तरफ देखा और सलमा बोली:" ये तो बड़े काम की खबर है सीमा! अब सवाल ये है कि कैसे हथियार बदलने है!

सीमा:" आप निश्चित रहे शहजादी! हम खुद इस कार्य को अंजाम देंगे!

विक्रम ने सीमा का कंधा थपथपाया और बोला:"

" जब तक तुम जैसे वफादार लोग सुल्तानपुर में हैं जब्बार कभी कामयाब नही हो सकता!

उसके बाद सलमा अपने अब्बू से बात करती रही और सीमा बोली:" युवराज हमे थोड़ी भूख लगी है कुछ खाने का इंतजाम हो जायेगा क्या?

विक्रम बाहर जाने लगा तो सीमा बोली:" हम भी आपके साथ ही चलते हैं ! थोड़ा महल भी देख आयेंगे!

इतना कहकर सीमा भी उसके साथ ही चल पड़ी और जैसे ही दोनो वैद्य जी के घर में बाहरी हिस्से में आए तो सीमा ने इधर उधर देखा और बोली:"

" युवराज हमे आपको बेहद जरूरी सूचना देनी थी! सलमा पर ज्यादा भरोसा मत कीजिए क्योंकि वो और उसकी माता आपको जब्बार के खिलाफ प्रयोग करके अपना राज्य वापिस पाना चाहती है और आजकल सलमा की जब्बार से कुछ ज्यादा ही नजदीकियां बढ़ रही है!!

विक्रम ने जैसे ही ये सब सुना तो उसे मानो यकीन सा नही हुआ और फिर बोला:"

" सलमा बेचारी मजबूर हैं! आखिर एक औरत करे तो क्या करे! लेकिन हमने उसे वादा किया है कि जब्बार के चंगुल से उसके राज्य को हर हाल में आजाद कराकर ही दम लेंगे! फिर जब्बार से हमे अपने ही तो बदले पूरे करने हैं !

सीमा:" मानना पड़ेगा युवराज आपके प्रेम को! आप सलमा को एक मजबूर नारी बताकर उसकी धोखेबाजी को छुपा रहे हो!!

विक्रम:" प्यार करना और निभाना दोनो एक ही सिक्के के अलग अलग पहलू है! बस इंसान को हालात को ठीक से समझना आना चाहिए!

सीमा आगे कुछ नहीं बोली और थोड़ी देर बाद दोनो वापिस वैद्य जी के घर आ गए और विक्रम ने कुछ फलों का इंतजाम किया था तो सबने थोड़े थोड़े फल खाए और उसके बाद वापस सलमा सीमा को साथ लिए अपने राज्य लौट पड़ी!

जैसे ही दोनो सुरंग में घुसे तो सलमा बोली:"

" क्या क्या जानकारियां दी है आपके युवराज को वैद्य जी के घर के बाहर जाकर?

सीमा के मुंह का रंग उतर गया और नजरे चुराती हुई बोली:"

" कु.. कु.. कुछ खास नहीं! बस वही हथियारों के बारे में बताया!

सलमा:" सीमा हम इतने भी बेवकूफ नहीं है जितना तुम समझ रही हो! तुम्हारी लड़खड़ाती हुई आवाज सब बयान कर रही है!!

सीमा कुछ नही बोली और मुंह नीचे करके खड़ी हो गई! सलमा ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोली:"

" हमने एक एक शब्द ठीक से सुना है! हमे तुमसे ये उम्मीद कभी नही थी! विक्रम के रूप में जो एक उम्मीद हमे मिली थी वो भी आपने खत्म कर दी है! एक बार हमारी जगह खुद को रखकर देखिए तो आपको हमारी मुश्किलों का एहसास होगा!
हमारा राज्य पूरी तरह से जब्बार के कब्जे में हैं और बचाएगा कौन! मेरे भाई को तो मदिरा और अपने भोग विलास से समय नही! लड़कियों से ज्यादा कमजोर हो गया है वो! मेरे अब्बा पिछले पंद्रह साल से पिंडाला की कैद में बंद रहे और फिर मेरी अम्मी की आखिरी उम्मीद में ही हु!

मैं भी उनकी उम्मीदों पर पानी फिर कर उनसे आंखे चुरा लूं क्या !! उनसे कह दी उनके बेटे की तरह उनकी बेटी भी नकारा हैं!! मैं चाहूं तो जब्बार से शादी करके आराम से जी सकती हू लेकिन अपने दुश्मन के बिस्तर का खिलौना बनना मुझे कभी कुबूल नही हैं! बेशक मैने जब्बार से थोड़ी नजदीकियां बढ़ाई हैं तो तो सिर्फ राज्य के हालात समझने और जब्बार को गुमराह करने के लिए लेकिन इसका ये मतलब नहीं हैं कि मैं अपनी मर्यादा को भूल गई हु या मैं विक्रम से प्यार नही करती! मेरी आखिरी सांस तक मैं विक्रम से प्यार करती रहूंगी!! लेकिन आज जो हुआ हैं उसके बाद अब विक्रम मुझे कभी माफ नहीं करेंगे!!

इतना कहकर सलमा उदास हो गई और सीमा के मुंह से एक शब्द नही निकल रहा था क्योंकि वो जानती थी कि उसने जाने अनजाने में ही सही लेकिन बहुत ज्यादा बड़ी गलती हैं जिसका खामियाजा अब सलमा को भुगतना ही होगा!

सीमा ने सलमा के सामने दोनो हाथ जोड़ दिए और बोली:"

" माफी के लायक तो नही हु लेकिन मुझे माफ कर दीजिए आप! मैंने जिस गलतफहमी को पैदा किया है अपनी जान देकर भी उसे दूर करूंगी!

इतना कहकर सीमा उसके पैरो मे गिर पड़ी तो सलमा ने उसे उठाकर गले से लगाया और बोली:"

" गलती इंसान से ही होती हैं! मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है और सब कुछ भूलकर हमे जब्बार के खिलाफ योजना बनानी चाहिए ताकि हम मिलकर दुश्मन का सामना कर सके!


सीमा ने उसके बाद सलमा को सब कुछ बताया कैसे उसने आबिद को मारा और उसे जब्बार के घर में हथियारों का पता चला और वो जब्बार के घर पहुंची और उसकी बहन राधिका जब्बार से मिली हुई हैं और उसके इशारों पर नाच रही है तो सलमा बोली:

" हमे राधिका से ऐसी उम्मीद नही थी लेकिन सच्चाई को हमे स्वीकर करना ही पड़ेगा! देशद्रोह किसी भी हालत में माफ नही होता सीमा!

सीमा की आंखे लाल सुर्ख हो उठी और गुस्से से बोली:

" गद्दार की सजा मैं आपसे बेहतर जानती हु शहजादी! लेकिन मैं सही मौके का इंतजार कर रही हूं ताकि एक ही झटके में सारे दुश्मन खत्म किए जा सके एक साथ!!

सलमा कुछ नही बोली और उसके बाद दोनो सावधानी से
सुरंग से बाहर निकल कर महल में आ गए और सलमा आराम से सो गई और सीमा भी आज महल में सो गई!

वहीं दूसरी तरफ सलमा के जाने के बाद रात के करीब 11 बजे विक्रम मेनका के कक्ष के पास पहुंचा और दरवाजे को धक्का दिया तो वो खुल गया और विक्रम खुशी खुशी

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अंदर घुस गया तो देखा कि मेनका एक गुलाबी रंग का शानदार रात्रि वस्त्र पहने हुए उसी का इंतजार कर रही थी और बेहद आकर्षक लग रही थीं! विक्रम को देखते ही उसके होंठो पर मुस्कान आ गई!!


विक्रम आगे बढ़ा तो मेनका अदा के साथ बेड पर चढ़ गई तो विक्रम ने बिना देर उसे दबोच लिया और देखते ही देखते दोनो के प्यासे होंठ एक दूसरे से चिपक गए और विक्रम ने बिना देर किए मेनका के वस्त्र में हाथ घुसाकर उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया और बोला:"

" आह्ह्ह्ह्ह्ह मेनका !!! फिर से इतनी गर्म कैसे हो हुई!!

जैसे ही विक्रम के होठ अलग हुए तो मेनका ने बेशर्म होकर उसके लंड को पकड़ कर और बोली:"

" आआह्ह मेरे वीर पुत्र!! ठंडी कर दीजिए ना इसे मार मारकर!!

विक्रम ने एक झटके के साथ मेनका के वस्त्र पकड़े और सीधे दो टुकड़े करते हुए मेनका को मादरजात नंगी कर दिया तो मेनका सिसक उठी

" अअह्ह्ह्ह्ह महाराज!! बड़े जोश में लगते हो आज!

विक्रम खुद भी नंगा हो गया और सीधे बिना देर किए मेनका के ऊपर चढ़ गया और लंड अपने आप चूत से चिपक गया और जैसे ही मेनका ने अपनी टांगे खोली तो विक्रम ने उसकी एक चूची को मुंह में भरते हुए जोरदार धक्का लगाया और एक ही धक्के में लंड जड़ तक घुस गया और मेनका दर्द और मस्ती से कराह उठी

" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र!! शीiiiieeee हाय मर गईयूईईईईई!!



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विक्रम ने बिना देर किए उसकी चूत में ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरु कर दिए तो मेनका का जिस्म उछलने लगा और उसका हाथ मस्ती से खुल गया

" अह्ह्ह्ह्ह पुत्र!!! उफ्फ मर जायेंगे हम !!

इतना कहकर मेनका ने उसका हाथ अपनी दुसरी चूची पर रख दिया विक्रम ने उसकी दूसरी चूची को हाथ में भरा और जोर से मसलते हुए बोला

" अअह्ह्ह्ह माता!! आपकी ये चूत हमे बहुत पसंद आई!!

मेनका भी मस्ती से गांड़ उठाकर लंड लेने लगी तो विक्रम बेकाबू हो गया और मेनका की चूत में अपने लंड से धक्कों की बरसात सी करने लगा! मेनका उसके नीचे पड़ी हुई सिसक रही थी मचल रही थी और हर धक्के पर उसकी गांड़ एक एक फूट से ज्यादा उछल रही थी!!

दोनो की गति बढ़ती ही चली गई और अंत में विक्रम ने एक बार फिर से उसकी चूत में अपने वीर्य की जोरदार बौछार कर डाली और मेनका भी अपनी झड़ती हुई चूत को उसके लंड पर कसकर उससे जोर से लिपट कर!

पूरी रात विक्रम ने मेनका को तीन बार और चोदा और मेनका भी मस्ती से चुदाती रही!!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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सीमा को अब राधिका एक आंख भी नही सुहा रही थी और वो अब इंतजार कर रही थी कि कब उसे रंगे हाथों पकड़ा जा सके क्योंकि वो उसे कोई मौका नहीं देना चाहती थीं!सीमा का मन सलमा से भी खिन हो गया था और उसे अब सलमा से पहले जैसा मोह नही रह गया था क्योंकि वो सलमा का दूसरा पहलू भी देख चुकी थी! सीमा को अब आबिद की बात याद आ रही थीं कि जब्बार के घर के घर के पीछे सारे हथियार छुपाए गए हैं ताकि राज्य के सैनिकों के युद्ध के समय जरूरत पड़ने पर हथियार ही नही मिले और जब्बार आराम से बगावत की स्थिति में भी राज्य पर कब्जा कर सकता था!!रात के करीब 11 बज गए थे तो उसे बाहर कदमों की हल्की सी आहत सुनाई पड़ी तो उसके कान सतर्क हो गए और धीरे से पर्दा डालकर देखा तो पाया कि राधिका दबे पांव घर से निकल रही थी! सीमा भी आज सच्चाई देखना चाहती थीं इसलिए वो भी उसके पीछे पीछे ही निकल पड़ी! घर से बाहर निकलते ही एक दीवार की ओट में राधिका ने अपने मुंह को ढक लिया ताकि कोई उसे पहचान न सके और वो उत्तर दिशा में आगे बढ़ गई तो अंधेरे का फायदा उठाते हुए सीमा भी उसके पीछे चल पड़ी! राधिका चोर नजरो से इधर उधर देखती हुई दांई तरफ मुड़ गई और थोड़ी देर बाद ही वो जब्बार के घर के सामने खड़ी हुई थी! सीमा का शक अब यकीन में बदल गया था कि राधिका जब्बार के जाल में फंसी हुई है! राधिका ने अपनी जेब से एक कार्ड निकाला और राधिका ने धीरे से दरवाजा को खोला और अंदर प्रवेश कर गई और सीमा ने देखा कि जब्बार के घर के बाहर मौजूद सैनिकों ने राधिका को रोका नहीं क्योंकि वो उसे पहले से जानते थे और कार्ड उसके अंदर जाने के लिए प्रमाण था!सीमा ने इधर उधर ध्यान से देखा और उसे कोई उम्मीद नजर नही आई तो वो वापिस अपने घर की तरफ लौट आई! सीमा सोच रही थी कि वो सलमा को बताए कि जब्बार ने कैसे असली हथियारों को छुपा लिया है लेकिन उसका दिल नही माना और वो बिस्तर पर पड़े पड़े नींद के आगोश मे चली गई!!!अगले दिन सीमा पूरी तरह से तैयार थी! रात को खाना बनाने के बाद उसने सीमा के खाने में नींद की गोलियां मिला दी और खाना खाने के थोड़ी देर बाद ही राधिका गहरी नींद में चली गई तो सीमा ने उसके कमरे से वो कार्ड निकाला जिसके बल पर राधिका जब्बार के घर में घुस गई थी! रात को ठीक 11 बजे सीमा घर से बाहर निकली! उसने राधिका के कपड़े पहले हुए थे और मुंह को पूरी तरह से ढका हुआ था! जब्बार के घर के सामने पहुंच गई! सीमा का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था और उसके पूरे बदन में डर के मारे कंपकपी दौड़ रही थी!सीमा ने दरवाजे पर दस्तक दी तो पहरेदार बोला:*" सुबूत दिखाए अपना!!सीमा ने कार्ड आगे किया और दरवाजा खुल गया तो सीमा जल्दी से अन्दर घुस गई और उसने देखा कि अंदर करीब 20 सैनिक पहरा दे रहे थे! सीमा को अब लग रहा था कि यहां आकर उसने अपने आपको खतरे में डाल दिया है तो उसने धीरे से अपने सूट में छुपे हुए अपने खंजर को टटोला और थोड़ा सुकून की सांस ली और आगे बढ़ गई! जब्बार का घर काफी भव्य बना हुआ था और उसके अंदर काफी ज्यादा जगह भी थी!सीमा चलती हुई अंदर पहुंच गई और सीढियां चढ़ती हुई पहली मंजिल पर आ गई और देखा कि यहां भी काफी सारे सैनिक पहरे दे रहे थे और सीमा के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि अब कहां जाए क्योंकि वो जब्बार के सामने नही पड़ना चाहती थीं! हथियारों तक कैसे पहुंचा जाए ये सोचती हुई वो उत्तर दिशा में बढ़ी और थोड़ा चलने के बाद गैलरी में मूड गई! सामने ही दो आलीशान कक्ष बने हुए थे तो सीमा समझ गई कि ये जरूर जब्बार का ही कक्ष हैं और सीमा का दिल धड़क उठा! सीमा ने इधर उधर देखा और पाया कि सैनिक अपनी बातो में मशगूल थे तो मौके का फायदा उठाते हुए सामने की तरफ बढ़ गई जिधर थोड़ा अंधेरा था! सीमा हिम्मत करके उस दिशा में आगे बढ़ गई तो उसे नीचे की तरफ जाती हुई सीढियां नजर आई जो किसी तहखाने में जाने का रास्ता थी!सीमा डरती हुई नीचे उतरने लगी और जल्दी ही वो तहखाने में पहुंच गई तो देखा कि सामने की चार सैनिक पहरा दे रहे थे और काफी मुस्तैद नजर आ रहे थे तो सीमा ने इंतजार करने का फैसला किया! करीब दो बजे के आस पास उसने देखा कि सैनिक सो गए थे तो वो धीरे से आगे बढ़ गई और एक चौड़े रास्ते से होते हुए बांई तरफ मुड़ गई और सामने ही एक बेहद बड़ा कमरा बना हुआ था तो सीमा उसमे घुस गई और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि वो पूरा कमरा भयंकर हथियारों से भरा हुआ था! सीमा को यकीन हो गया कि आबिद सच बोल रहा था और सब हथियार तो यहां छुपे हैं तो फिर शस्त्रागार तो खाली होना चाहिए!सीमा को आबिद की बात याद आ रही थीं कि वो जब्बार से उसके घर से पीछे मिलता था! मतलब जरूर कुछ न कुछ बात है जो वो समझ नहीं पा रही है! सीमा ने उधर इधर देखा तो उसे एक खिड़की नजर आई और वो दीवार के सहारे उस पर चढ़ गई तो देखा कि ये जब्बार के घर का अंतिम हिस्सा था और बाहर सड़क नजर आ रही थीं! मेनका को आबिद की बात का मतलब समझ में आ गया और उसने अब वापिस जाने का फैसला किया क्योंकि सुबह के चार बजने वाले थे! सीमा मौका देखती हुई बचती बचाती हुई जैसे तैसे मुख्य दरवाजे तक पहुंची और देखा कि पहरेदार गहरी नींद में हैं तो बाहर निकल गई और अपने घर पहुंच गई!!अगले दिन सुबह राजदरबार लगा हुआ था और आबिद की बीवी रजिया से इंसाफ की गुहार लगा रही थी" राजमाता मेरे शौहर को घर से गायब हुए आज चार दिन हो गई है और पता भी नही हैं वो जिंदे भी है या नहीं! मेरे शौहर को ढूंढ दीजिए आप!!रजिया सब कुछ जानती थी लेकिन दिखावे के लिए बोली:"" जब्बार हमे किसी भी कीमत पर आबिद चाहिए! सारा राज्य छान मारो! चाहे कुछ भी करो लेकिन वो हमे चाहिए!जब्बार आबिद के गायब होने से खुद ही परेशान था क्योंकि वो उसका विश्वास पात्र आदमी था! पहले भी कई बार वो गायब हो जाता और दूसरे राज्यों में मुजरा देखने जाता था जिस कारण जब्बार को चिंता नहीं थी लेकिन आज उसे लग रहा था कि कुछ तो गलत हुआ है!!जब्बार:" आप निश्चित रहे राजमाता! कल तक हम आबिद को ढूंढ कर आपके सामने ले आयेंगे!इतना कहकर जब्बार ने सलमा की तरफ देखा तो सलमा मंद मंद मुस्कुरा उठी और जब्बार खुशी के मारे झूम उठा!कुछ और आवश्यक निर्णय लेने के बाद सभा भंग हुई और रजिया चली गई तो सलमा भी पीछे पीछे जाने लगी तो जब्बार उसके करीब पहुंच गया और बोला" कैसे हो आप शहजादी ?सलमा उसकी तरफ देखकर हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:" हम ठीक है जब्बार! आप कैसे हो?जब्बार:" बस सांसे चल रही है किसी को याद कर करके! और एक वो इतने मशरूफ है कि हमारी परवाह नहीं करते!सलमा:" ऐसा नहीं कहो जब्बार! हम आपकी फिक्र करते हैं!जब्बार:" फिर हमसे मिलते क्यों नहीं हो? आज तीन दिन हो गई है जब आप हमसे आखिरी बार मिली थी!सलमा:" हम जानते हैं जब्बार! कल संध्या को हम शाही बगीचे मे आपका इंतजार करेंगे!इतना कहकर सलमा पलटी और चल पड़ी! जब्बार की खुशी का कोई ठिकाना नही था क्योंकि वो जानता था कि शाही बगीचे मे राजपरिवार के अलावा कोई नहीं जाता और उसके पास अच्छा मौका होगा सलमा के साथ मस्ती करने के लिए!सलमा ने एक दासी को भेजकर सीमा को महल बुलवाया क्योंकि सीमा कई दिनों से महल नही आ रही थीं! सीमा को देखते ही शहजादी को एहसास हो गया कि जरूर कुछ न कुछ बात है जो सीमा का चेहरा बदला हुआ लग रहा था!सलमा:" चार दिन से महल नही आई हो सीमा! हमारे साथ परछाई की तरह रहने वाली सीमा हमे कैसे भूल गई ?सीमा उससे नजरे चुराती हुई बोली:" ऐसा कुछ भी नहीं है शहजादी! बस तबियत ठीक नहीं थी तो आराम किया घर पर!सलमा:" देखो सीमा हमसे झूठ तो नही छुपा सकती! ऐसी क्या बात हो गई जो सीमा हमसे झूठ बोलने लगी है!!सीमा के चेहरे का रंग उड़ गया और बोली:" ऐसा कुछ भी तो नहीं है शहजादी!सलमा ने उसे ज्यादा परेशान करना उचित नहीं समझा! वो जानती थीं कि सीमा झूठ बोल रही है लेकिन वो इतना भी जानती थी कि सीमा उसकी सच्ची और वफादार सहेली हैं और उसका कभी गलत नही कर सकती तो बोली:"" हम बड़े गहरे संकट में है सीमा! जब्बार ने पूरी तरह से राज्य पर कब्जा कर लिया है! बस दिखावे के लिए ही हम शहजादी हैं !!सीमा:" आप क्यों चिंता करती है शहजादी! युवराज विक्रम तो आपके साथ है ही और अब तो उन्हे तलवार भी मिल गई है!सलमा:" बात वो नही है सीमा! युवराज मदद करेंगे अच्छी बात है लेकिन आप और मैं दोनो का कर्तव्य है कि युद्ध से पहले दुश्मन की योजना का पता करके उसे कमजोर किया जाए!! अच्छा सुन हम आज रात उदयगढ़ जाएंगे! तुम भी हमारे साथ चलना!सीमा:" लेकिन इतना सख्त पहरा होने के बाद कैसे जा सकती है आप ?सलमा:" वो सब कुछ तुम हम पर छोड़ दो सीमा! आज हम तुम्हे महल का एक ऐसा रहस्य बताएंगे तो सिर्फ राज परिवार को उसी मालूम होता हैं तब जाकर आपको एहसास होगा कि हम आपको अपनी बहन मानते हैं सीमा!!सीमा हैरानी से सलमा की तरफ देखने लगी कि क्योंकि उसे अब सलमा अपनी सी लग रही थीं! यही तो वो सलमा थी जिसे वो पसंद करती थी! सीमा धीरे से बोली:"" ठीक हैं अगर आप मुझ पर इतना यकीन करती हैं तो मैं आपके साथ जरूर चलूंगी!सलमा:" यकीन की क्या बात सीमा! एक तुम ही तो हो जिस पर मैं भरोसा करती हू लेकिन तो यहां तो सारे लोग गद्दार भरे हुए हैं राज्य में!सीमा:" किस समय जाना होगा हमे ? आप समय बता दीजिए मैं आ जाऊंगी!सलमा:" करीब नौ बजे हम निकल जायेंगे! मैं यहीं अपने कक्ष में आपका इंतजार करूंगी!सीमा उसके बाद थोड़ी देर और रुकने के बाद अपने घर की तरफ लौट आई तो देखा कि राधिका घर पर ही ठीक थीं तो सीमा बोली:"" अरे आज अभी तक घर पर हो राधिका ?राधिका:" हान तबियत ठीक नहीं लग रही थी! चक्कर से आ रहे थे तो बस आराम कर रही थी! आप बताए महल से आ रही हो क्या ? कैसी हैं शहजादी ?सीमा:" शहजादी की तो क्या ही बात करे ! बड़े पैसे वाले लोग हैं उनकी तो हर बात अलग ही होती हैं राधिका!!राधिका:" आप परेशान मत होइए! कुछ दिन की और बात हैं फिर देखना आप हमारे पास भी इतना पैसा होगा कि आपकी जिंदगी सलमा से बेहतर होगी दीदी!!सीमा हैरानी से उसकी तरफ देखती हुई बोली:"" अच्छा तुम्हारे हाथ क्या कोई खजाना लगने वाला हैं ? जरा हमे भी तो बताओ!राधिका:" बस कुछ दिन और सब्र करो दीदी! फिर आपको सब कुछ पता चल ही जायेगा!सीमा कुछ नहीं बोली और अपने कमरे में चली गई! रात को करीब साढ़े आठ बजे के आस पास सीमा राधिका के बोलकर निकल गई कि वो महल जा रही है और रात को वहीं रुकेगी! राधिका के लिए अच्छा था क्योंकि उसे रात में जब्बार के पास जाने से कोई नही रोक सकता था!सीमा और सलमा दोनो करीब नौ बजे महल में बनी हुई सुरंगे के पास खड़े थे और जैसे ही सलमा ने दरवाजा खोला तो दोनो उसमे घुस गए और सीमा महल में सुरंग देखकर हैरानी का नाटक करने लगी तो सलाम ने उसे सब कुछ बताया और आगे चलकर दोनो को आबिद की लाश मिली जो सड़ना शुरू हो गई थी तो सीमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"" ये तो यहां मरा पड़ा हुआ है और जब्बार इसे राज्य में ढूंढ रहा होगा बेचारा!सलमा:" इसे सलीम ने मार डाला! हम बड़े परेशान हैं उसकी हरकतों से सीमा!सीमा अंदर ही अंदर खुश हुई कि कम से कम आबिद की मौत का शक उसके ऊपर तो नही आया! दोनो सुरंग से निकलकर उदयपुर पहुंच गए और वैद्य जी के यहां जाकर सलमा अपने अब्बू से मिली और विक्रम को संदेश भिजवा दिया तो विक्रम दौड़ा चला आया और सलाम उससे मिलकर बड़ी खुश हुई और फिर उसने विक्रम को सारी बात बताई कि किस तरह से जब्बार ने सारे हथियार बदल कर लकड़ी से बनी हुई तलवारे रख दी हैं ताकि वो आराम से युद्ध जीत सके!विक्रम:" ये तो सब में बेहद बड़ी समस्या है! असली हथियारों का पता करो और युद्ध से पहले उन्हे आपस मे बदलना ही होगा!सीमा जब जानती थी तो तपाक से बोली:"" असली हथियार जब्बार ने अपने घर के अंदर छुपाए हुए हैं ऐसी हमे जानकारी मिली हैं!सलमा और विक्रम दोनो ने सीमा की तरफ देखा और सलमा बोली:" ये तो बड़े काम की खबर है सीमा! अब सवाल ये है कि कैसे हथियार बदलने है!सीमा:" आप निश्चित रहे शहजादी! हम खुद इस कार्य को अंजाम देंगे!विक्रम ने सीमा का कंधा थपथपाया और बोला:"" जब तक तुम जैसे वफादार लोग सुल्तानपुर में हैं जब्बार कभी कामयाब नही हो सकता!उसके बाद सलमा अपने अब्बू से बात करती रही और सीमा बोली:" युवराज हमे थोड़ी भूख लगी है कुछ खाने का इंतजाम हो जायेगा क्या?विक्रम बाहर जाने लगा तो सीमा बोली:" हम भी आपके साथ ही चलते हैं ! थोड़ा महल भी देख आयेंगे!इतना कहकर सीमा भी उसके साथ ही चल पड़ी और जैसे ही दोनो वैद्य जी के घर में बाहरी हिस्से में आए तो सीमा ने इधर उधर देखा और बोली:"" युवराज हमे आपको बेहद जरूरी सूचना देनी थी! सलमा पर ज्यादा भरोसा मत कीजिए क्योंकि वो और उसकी माता आपको जब्बार के खिलाफ प्रयोग करके अपना राज्य वापिस पाना चाहती है और आजकल सलमा की जब्बार से कुछ ज्यादा ही नजदीकियां बढ़ रही है!!विक्रम ने जैसे ही ये सब सुना तो उसे मानो यकीन सा नही हुआ और फिर बोला:"" सलमा बेचारी मजबूर हैं! आखिर एक औरत करे तो क्या करे! लेकिन हमने उसे वादा किया है कि जब्बार के चंगुल से उसके राज्य को हर हाल में आजाद कराकर ही दम लेंगे! फिर जब्बार से हमे अपने ही तो बदले पूरे करने हैं !सीमा:" मानना पड़ेगा युवराज आपके प्रेम को! आप सलमा को एक मजबूर नारी बताकर उसकी धोखेबाजी को छुपा रहे हो!!विक्रम:" प्यार करना और निभाना दोनो एक ही सिक्के के अलग अलग पहलू है! बस इंसान को हालात को ठीक से समझना आना चाहिए!सीमा आगे कुछ नहीं बोली और थोड़ी देर बाद दोनो वापिस वैद्य जी के घर आ गए और विक्रम ने कुछ फलों का इंतजाम किया था तो सबने थोड़े थोड़े फल खाए और उसके बाद वापस सलमा सीमा को साथ लिए अपने राज्य लौट पड़ी!जैसे ही दोनो सुरंग में घुसे तो सलमा बोली:"" क्या क्या जानकारियां दी है आपके युवराज को वैद्य जी के घर के बाहर जाकर?सीमा के मुंह का रंग उतर गया और नजरे चुराती हुई बोली:"" कु.. कु.. कुछ खास नहीं! बस वही हथियारों के बारे में बताया!सलमा:" सीमा हम इतने भी बेवकूफ नहीं है जितना तुम समझ रही हो! तुम्हारी लड़खड़ाती हुई आवाज सब बयान कर रही है!!सीमा कुछ नही बोली और मुंह नीचे करके खड़ी हो गई! सलमा ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोली:"" हमने एक एक शब्द ठीक से सुना है! हमे तुमसे ये उम्मीद कभी नही थी! विक्रम के रूप में जो एक उम्मीद हमे मिली थी वो भी आपने खत्म कर दी है! एक बार हमारी जगह खुद को रखकर देखिए तो आपको हमारी मुश्किलों का एहसास होगा!
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अंदर घुस गया तो देखा कि मेनका एक गुलाबी रंग का शानदार रात्रि वस्त्र पहने हुए उसी का इंतजार कर रही थी और बेहद आकर्षक लग रही थीं! विक्रम को देखते ही उसके होंठो पर मुस्कान आ गई!!विक्रम आगे बढ़ा तो मेनका अदा के साथ बेड पर चढ़ गई तो विक्रम ने बिना देर उसे दबोच लिया और देखते ही देखते दोनो के प्यासे होंठ एक दूसरे से चिपक गए और विक्रम ने बिना देर किए मेनका के वस्त्र में हाथ घुसाकर उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया और बोला:"" आह्ह्ह्ह्ह्ह मेनका !!! फिर से इतनी गर्म कैसे हो हुई!!जैसे ही विक्रम के होठ अलग हुए तो मेनका ने बेशर्म होकर उसके लंड को पकड़ कर और बोली:"" आआह्ह मेरे वीर पुत्र!! ठंडी कर दीजिए ना इसे मार मारकर!!विक्रम ने एक झटके के साथ मेनका के वस्त्र पकड़े और सीधे दो टुकड़े करते हुए मेनका को मादरजात नंगी कर दिया तो मेनका सिसक उठी" अअह्ह्ह्ह्ह महाराज!! बड़े जोश में लगते हो आज!विक्रम खुद भी नंगा हो गया और सीधे बिना देर किए मेनका के ऊपर चढ़ गया और लंड अपने आप चूत से चिपक गया और जैसे ही मेनका ने अपनी टांगे खोली तो विक्रम ने उसकी एक चूची को मुंह में भरते हुए जोरदार धक्का लगाया और एक ही धक्के में लंड जड़ तक घुस गया और मेनका दर्द और मस्ती से कराह उठी" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र!! शीiiiieeee हाय मर गईयूईईईईई!!this-is-a-perfect-body-she-jiggles-in-the-right-places-001विक्रम ने बिना देर किए उसकी चूत में ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरु कर दिए तो मेनका का जिस्म उछलने लगा और उसका हाथ मस्ती से खुल गया" अह्ह्ह्ह्ह पुत्र!!! उफ्फ मर जायेंगे हम !!इतना कहकर मेनका ने उसका हाथ अपनी दुसरी चूची पर रख दिया विक्रम ने उसकी दूसरी चूची को हाथ में भरा और जोर से मसलते हुए बोला" अअह्ह्ह्ह माता!! आपकी ये चूत हमे बहुत पसंद आई!!मेनका भी मस्ती से गांड़ उठाकर लंड लेने लगी तो विक्रम बेकाबू हो गया और मेनका की चूत में अपने लंड से धक्कों की बरसात सी करने लगा! मेनका उसके नीचे पड़ी हुई सिसक रही थी मचल रही थी और हर धक्के पर उसकी गांड़ एक एक फूट से ज्यादा उछल रही थी!!दोनो की गति बढ़ती ही चली गई और अंत में विक्रम ने एक बार फिर से उसकी चूत में अपने वीर्य की जोरदार बौछार कर डाली और मेनका भी अपनी झड़ती हुई चूत को उसके लंड पर कसकर उससे जोर से लिपट कर!पूरी रात विक्रम ने मेनका को तीन बार और चोदा और मेनका भी मस्ती से चुदाती रही!!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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