parkas
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Bahut hi badhiya update diya hai Unique star bhai....सीमा को अब राधिका एक आंख भी नही सुहा रही थी और वो अब इंतजार कर रही थी कि कब उसे रंगे हाथों पकड़ा जा सके क्योंकि वो उसे कोई मौका नहीं देना चाहती थीं!
सीमा का मन सलमा से भी खिन हो गया था और उसे अब सलमा से पहले जैसा मोह नही रह गया था क्योंकि वो सलमा का दूसरा पहलू भी देख चुकी थी! सीमा को अब आबिद की बात याद आ रही थीं कि जब्बार के घर के घर के पीछे सारे हथियार छुपाए गए हैं ताकि राज्य के सैनिकों के युद्ध के समय जरूरत पड़ने पर हथियार ही नही मिले और जब्बार आराम से बगावत की स्थिति में भी राज्य पर कब्जा कर सकता था!!
रात के करीब 11 बज गए थे तो उसे बाहर कदमों की हल्की सी आहत सुनाई पड़ी तो उसके कान सतर्क हो गए और धीरे से पर्दा डालकर देखा तो पाया कि राधिका दबे पांव घर से निकल रही थी! सीमा भी आज सच्चाई देखना चाहती थीं इसलिए वो भी उसके पीछे पीछे ही निकल पड़ी! घर से बाहर निकलते ही एक दीवार की ओट में राधिका ने अपने मुंह को ढक लिया ताकि कोई उसे पहचान न सके और वो उत्तर दिशा में आगे बढ़ गई तो अंधेरे का फायदा उठाते हुए सीमा भी उसके पीछे चल पड़ी! राधिका चोर नजरो से इधर उधर देखती हुई दांई तरफ मुड़ गई और थोड़ी देर बाद ही वो जब्बार के घर के सामने खड़ी हुई थी! सीमा का शक अब यकीन में बदल गया था कि राधिका जब्बार के जाल में फंसी हुई है! राधिका ने अपनी जेब से एक कार्ड निकाला और राधिका ने धीरे से दरवाजा को खोला और अंदर प्रवेश कर गई और सीमा ने देखा कि जब्बार के घर के बाहर मौजूद सैनिकों ने राधिका को रोका नहीं क्योंकि वो उसे पहले से जानते थे और कार्ड उसके अंदर जाने के लिए प्रमाण था!
सीमा ने इधर उधर ध्यान से देखा और उसे कोई उम्मीद नजर नही आई तो वो वापिस अपने घर की तरफ लौट आई! सीमा सोच रही थी कि वो सलमा को बताए कि जब्बार ने कैसे असली हथियारों को छुपा लिया है लेकिन उसका दिल नही माना और वो बिस्तर पर पड़े पड़े नींद के आगोश मे चली गई!!!
अगले दिन सीमा पूरी तरह से तैयार थी! रात को खाना बनाने के बाद उसने सीमा के खाने में नींद की गोलियां मिला दी और खाना खाने के थोड़ी देर बाद ही राधिका गहरी नींद में चली गई तो सीमा ने उसके कमरे से वो कार्ड निकाला जिसके बल पर राधिका जब्बार के घर में घुस गई थी! रात को ठीक 11 बजे सीमा घर से बाहर निकली! उसने राधिका के कपड़े पहले हुए थे और मुंह को पूरी तरह से ढका हुआ था! जब्बार के घर के सामने पहुंच गई! सीमा का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था और उसके पूरे बदन में डर के मारे कंपकपी दौड़ रही थी!
सीमा ने दरवाजे पर दस्तक दी तो पहरेदार बोला:*
" सुबूत दिखाए अपना!!
सीमा ने कार्ड आगे किया और दरवाजा खुल गया तो सीमा जल्दी से अन्दर घुस गई और उसने देखा कि अंदर करीब 20 सैनिक पहरा दे रहे थे! सीमा को अब लग रहा था कि यहां आकर उसने अपने आपको खतरे में डाल दिया है तो उसने धीरे से अपने सूट में छुपे हुए अपने खंजर को टटोला और थोड़ा सुकून की सांस ली और आगे बढ़ गई! जब्बार का घर काफी भव्य बना हुआ था और उसके अंदर काफी ज्यादा जगह भी थी!
सीमा चलती हुई अंदर पहुंच गई और सीढियां चढ़ती हुई पहली मंजिल पर आ गई और देखा कि यहां भी काफी सारे सैनिक पहरे दे रहे थे और सीमा के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि अब कहां जाए क्योंकि वो जब्बार के सामने नही पड़ना चाहती थीं! हथियारों तक कैसे पहुंचा जाए ये सोचती हुई वो उत्तर दिशा में बढ़ी और थोड़ा चलने के बाद गैलरी में मूड गई! सामने ही दो आलीशान कक्ष बने हुए थे तो सीमा समझ गई कि ये जरूर जब्बार का ही कक्ष हैं और सीमा का दिल धड़क उठा! सीमा ने इधर उधर देखा और पाया कि सैनिक अपनी बातो में मशगूल थे तो मौके का फायदा उठाते हुए सामने की तरफ बढ़ गई जिधर थोड़ा अंधेरा था! सीमा हिम्मत करके उस दिशा में आगे बढ़ गई तो उसे नीचे की तरफ जाती हुई सीढियां नजर आई जो किसी तहखाने में जाने का रास्ता थी!
सीमा डरती हुई नीचे उतरने लगी और जल्दी ही वो तहखाने में पहुंच गई तो देखा कि सामने की चार सैनिक पहरा दे रहे थे और काफी मुस्तैद नजर आ रहे थे तो सीमा ने इंतजार करने का फैसला किया! करीब दो बजे के आस पास उसने देखा कि सैनिक सो गए थे तो वो धीरे से आगे बढ़ गई और एक चौड़े रास्ते से होते हुए बांई तरफ मुड़ गई और सामने ही एक बेहद बड़ा कमरा बना हुआ था तो सीमा उसमे घुस गई और उसकी आंखे खुली की खुली रह गई क्योंकि वो पूरा कमरा भयंकर हथियारों से भरा हुआ था! सीमा को यकीन हो गया कि आबिद सच बोल रहा था और सब हथियार तो यहां छुपे हैं तो फिर शस्त्रागार तो खाली होना चाहिए!
सीमा को आबिद की बात याद आ रही थीं कि वो जब्बार से उसके घर से पीछे मिलता था! मतलब जरूर कुछ न कुछ बात है जो वो समझ नहीं पा रही है! सीमा ने उधर इधर देखा तो उसे एक खिड़की नजर आई और वो दीवार के सहारे उस पर चढ़ गई तो देखा कि ये जब्बार के घर का अंतिम हिस्सा था और बाहर सड़क नजर आ रही थीं! मेनका को आबिद की बात का मतलब समझ में आ गया और उसने अब वापिस जाने का फैसला किया क्योंकि सुबह के चार बजने वाले थे! सीमा मौका देखती हुई बचती बचाती हुई जैसे तैसे मुख्य दरवाजे तक पहुंची और देखा कि पहरेदार गहरी नींद में हैं तो बाहर निकल गई और अपने घर पहुंच गई!!
अगले दिन सुबह राजदरबार लगा हुआ था और आबिद की बीवी रजिया से इंसाफ की गुहार लगा रही थी
" राजमाता मेरे शौहर को घर से गायब हुए आज चार दिन हो गई है और पता भी नही हैं वो जिंदे भी है या नहीं! मेरे शौहर को ढूंढ दीजिए आप!!
रजिया सब कुछ जानती थी लेकिन दिखावे के लिए बोली:"
" जब्बार हमे किसी भी कीमत पर आबिद चाहिए! सारा राज्य छान मारो! चाहे कुछ भी करो लेकिन वो हमे चाहिए!
जब्बार आबिद के गायब होने से खुद ही परेशान था क्योंकि वो उसका विश्वास पात्र आदमी था! पहले भी कई बार वो गायब हो जाता और दूसरे राज्यों में मुजरा देखने जाता था जिस कारण जब्बार को चिंता नहीं थी लेकिन आज उसे लग रहा था कि कुछ तो गलत हुआ है!!
जब्बार:" आप निश्चित रहे राजमाता! कल तक हम आबिद को ढूंढ कर आपके सामने ले आयेंगे!
इतना कहकर जब्बार ने सलमा की तरफ देखा तो सलमा मंद मंद मुस्कुरा उठी और जब्बार खुशी के मारे झूम उठा!
कुछ और आवश्यक निर्णय लेने के बाद सभा भंग हुई और रजिया चली गई तो सलमा भी पीछे पीछे जाने लगी तो जब्बार उसके करीब पहुंच गया और बोला
" कैसे हो आप शहजादी ?
सलमा उसकी तरफ देखकर हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:" हम ठीक है जब्बार! आप कैसे हो?
जब्बार:" बस सांसे चल रही है किसी को याद कर करके! और एक वो इतने मशरूफ है कि हमारी परवाह नहीं करते!
सलमा:" ऐसा नहीं कहो जब्बार! हम आपकी फिक्र करते हैं!
जब्बार:" फिर हमसे मिलते क्यों नहीं हो? आज तीन दिन हो गई है जब आप हमसे आखिरी बार मिली थी!
सलमा:" हम जानते हैं जब्बार! कल संध्या को हम शाही बगीचे मे आपका इंतजार करेंगे!
इतना कहकर सलमा पलटी और चल पड़ी! जब्बार की खुशी का कोई ठिकाना नही था क्योंकि वो जानता था कि शाही बगीचे मे राजपरिवार के अलावा कोई नहीं जाता और उसके पास अच्छा मौका होगा सलमा के साथ मस्ती करने के लिए!
सलमा ने एक दासी को भेजकर सीमा को महल बुलवाया क्योंकि सीमा कई दिनों से महल नही आ रही थीं! सीमा को देखते ही शहजादी को एहसास हो गया कि जरूर कुछ न कुछ बात है जो सीमा का चेहरा बदला हुआ लग रहा था!
सलमा:" चार दिन से महल नही आई हो सीमा! हमारे साथ परछाई की तरह रहने वाली सीमा हमे कैसे भूल गई ?
सीमा उससे नजरे चुराती हुई बोली:" ऐसा कुछ भी नहीं है शहजादी! बस तबियत ठीक नहीं थी तो आराम किया घर पर!
सलमा:" देखो सीमा हमसे झूठ तो नही छुपा सकती! ऐसी क्या बात हो गई जो सीमा हमसे झूठ बोलने लगी है!!
सीमा के चेहरे का रंग उड़ गया और बोली:" ऐसा कुछ भी तो नहीं है शहजादी!
सलमा ने उसे ज्यादा परेशान करना उचित नहीं समझा! वो जानती थीं कि सीमा झूठ बोल रही है लेकिन वो इतना भी जानती थी कि सीमा उसकी सच्ची और वफादार सहेली हैं और उसका कभी गलत नही कर सकती तो बोली:"
" हम बड़े गहरे संकट में है सीमा! जब्बार ने पूरी तरह से राज्य पर कब्जा कर लिया है! बस दिखावे के लिए ही हम शहजादी हैं !!
सीमा:" आप क्यों चिंता करती है शहजादी! युवराज विक्रम तो आपके साथ है ही और अब तो उन्हे तलवार भी मिल गई है!
सलमा:" बात वो नही है सीमा! युवराज मदद करेंगे अच्छी बात है लेकिन आप और मैं दोनो का कर्तव्य है कि युद्ध से पहले दुश्मन की योजना का पता करके उसे कमजोर किया जाए!! अच्छा सुन हम आज रात उदयगढ़ जाएंगे! तुम भी हमारे साथ चलना!
सीमा:" लेकिन इतना सख्त पहरा होने के बाद कैसे जा सकती है आप ?
सलमा:" वो सब कुछ तुम हम पर छोड़ दो सीमा! आज हम तुम्हे महल का एक ऐसा रहस्य बताएंगे तो सिर्फ राज परिवार को उसी मालूम होता हैं तब जाकर आपको एहसास होगा कि हम आपको अपनी बहन मानते हैं सीमा!!
सीमा हैरानी से सलमा की तरफ देखने लगी कि क्योंकि उसे अब सलमा अपनी सी लग रही थीं! यही तो वो सलमा थी जिसे वो पसंद करती थी! सीमा धीरे से बोली:"
" ठीक हैं अगर आप मुझ पर इतना यकीन करती हैं तो मैं आपके साथ जरूर चलूंगी!
सलमा:" यकीन की क्या बात सीमा! एक तुम ही तो हो जिस पर मैं भरोसा करती हू लेकिन तो यहां तो सारे लोग गद्दार भरे हुए हैं राज्य में!
सीमा:" किस समय जाना होगा हमे ? आप समय बता दीजिए मैं आ जाऊंगी!
सलमा:" करीब नौ बजे हम निकल जायेंगे! मैं यहीं अपने कक्ष में आपका इंतजार करूंगी!
सीमा उसके बाद थोड़ी देर और रुकने के बाद अपने घर की तरफ लौट आई तो देखा कि राधिका घर पर ही ठीक थीं तो सीमा बोली:"
" अरे आज अभी तक घर पर हो राधिका ?
राधिका:" हान तबियत ठीक नहीं लग रही थी! चक्कर से आ रहे थे तो बस आराम कर रही थी! आप बताए महल से आ रही हो क्या ? कैसी हैं शहजादी ?
सीमा:" शहजादी की तो क्या ही बात करे ! बड़े पैसे वाले लोग हैं उनकी तो हर बात अलग ही होती हैं राधिका!!
राधिका:" आप परेशान मत होइए! कुछ दिन की और बात हैं फिर देखना आप हमारे पास भी इतना पैसा होगा कि आपकी जिंदगी सलमा से बेहतर होगी दीदी!!
सीमा हैरानी से उसकी तरफ देखती हुई बोली:"
" अच्छा तुम्हारे हाथ क्या कोई खजाना लगने वाला हैं ? जरा हमे भी तो बताओ!
राधिका:" बस कुछ दिन और सब्र करो दीदी! फिर आपको सब कुछ पता चल ही जायेगा!
सीमा कुछ नहीं बोली और अपने कमरे में चली गई! रात को करीब साढ़े आठ बजे के आस पास सीमा राधिका के बोलकर निकल गई कि वो महल जा रही है और रात को वहीं रुकेगी! राधिका के लिए अच्छा था क्योंकि उसे रात में जब्बार के पास जाने से कोई नही रोक सकता था!
सीमा और सलमा दोनो करीब नौ बजे महल में बनी हुई सुरंगे के पास खड़े थे और जैसे ही सलमा ने दरवाजा खोला तो दोनो उसमे घुस गए और सीमा महल में सुरंग देखकर हैरानी का नाटक करने लगी तो सलाम ने उसे सब कुछ बताया और आगे चलकर दोनो को आबिद की लाश मिली जो सड़ना शुरू हो गई थी तो सीमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"
" ये तो यहां मरा पड़ा हुआ है और जब्बार इसे राज्य में ढूंढ रहा होगा बेचारा!
सलमा:" इसे सलीम ने मार डाला! हम बड़े परेशान हैं उसकी हरकतों से सीमा!
सीमा अंदर ही अंदर खुश हुई कि कम से कम आबिद की मौत का शक उसके ऊपर तो नही आया! दोनो सुरंग से निकलकर उदयपुर पहुंच गए और वैद्य जी के यहां जाकर सलमा अपने अब्बू से मिली और विक्रम को संदेश भिजवा दिया तो विक्रम दौड़ा चला आया और सलाम उससे मिलकर बड़ी खुश हुई और फिर उसने विक्रम को सारी बात बताई कि किस तरह से जब्बार ने सारे हथियार बदल कर लकड़ी से बनी हुई तलवारे रख दी हैं ताकि वो आराम से युद्ध जीत सके!
विक्रम:" ये तो सब में बेहद बड़ी समस्या है! असली हथियारों का पता करो और युद्ध से पहले उन्हे आपस मे बदलना ही होगा!
सीमा जब जानती थी तो तपाक से बोली:"
" असली हथियार जब्बार ने अपने घर के अंदर छुपाए हुए हैं ऐसी हमे जानकारी मिली हैं!
सलमा और विक्रम दोनो ने सीमा की तरफ देखा और सलमा बोली:" ये तो बड़े काम की खबर है सीमा! अब सवाल ये है कि कैसे हथियार बदलने है!
सीमा:" आप निश्चित रहे शहजादी! हम खुद इस कार्य को अंजाम देंगे!
विक्रम ने सीमा का कंधा थपथपाया और बोला:"
" जब तक तुम जैसे वफादार लोग सुल्तानपुर में हैं जब्बार कभी कामयाब नही हो सकता!
उसके बाद सलमा अपने अब्बू से बात करती रही और सीमा बोली:" युवराज हमे थोड़ी भूख लगी है कुछ खाने का इंतजाम हो जायेगा क्या?
विक्रम बाहर जाने लगा तो सीमा बोली:" हम भी आपके साथ ही चलते हैं ! थोड़ा महल भी देख आयेंगे!
इतना कहकर सीमा भी उसके साथ ही चल पड़ी और जैसे ही दोनो वैद्य जी के घर में बाहरी हिस्से में आए तो सीमा ने इधर उधर देखा और बोली:"
" युवराज हमे आपको बेहद जरूरी सूचना देनी थी! सलमा पर ज्यादा भरोसा मत कीजिए क्योंकि वो और उसकी माता आपको जब्बार के खिलाफ प्रयोग करके अपना राज्य वापिस पाना चाहती है और आजकल सलमा की जब्बार से कुछ ज्यादा ही नजदीकियां बढ़ रही है!!
विक्रम ने जैसे ही ये सब सुना तो उसे मानो यकीन सा नही हुआ और फिर बोला:"
" सलमा बेचारी मजबूर हैं! आखिर एक औरत करे तो क्या करे! लेकिन हमने उसे वादा किया है कि जब्बार के चंगुल से उसके राज्य को हर हाल में आजाद कराकर ही दम लेंगे! फिर जब्बार से हमे अपने ही तो बदले पूरे करने हैं !
सीमा:" मानना पड़ेगा युवराज आपके प्रेम को! आप सलमा को एक मजबूर नारी बताकर उसकी धोखेबाजी को छुपा रहे हो!!
विक्रम:" प्यार करना और निभाना दोनो एक ही सिक्के के अलग अलग पहलू है! बस इंसान को हालात को ठीक से समझना आना चाहिए!
सीमा आगे कुछ नहीं बोली और थोड़ी देर बाद दोनो वापिस वैद्य जी के घर आ गए और विक्रम ने कुछ फलों का इंतजाम किया था तो सबने थोड़े थोड़े फल खाए और उसके बाद वापस सलमा सीमा को साथ लिए अपने राज्य लौट पड़ी!
जैसे ही दोनो सुरंग में घुसे तो सलमा बोली:"
" क्या क्या जानकारियां दी है आपके युवराज को वैद्य जी के घर के बाहर जाकर?
सीमा के मुंह का रंग उतर गया और नजरे चुराती हुई बोली:"
" कु.. कु.. कुछ खास नहीं! बस वही हथियारों के बारे में बताया!
सलमा:" सीमा हम इतने भी बेवकूफ नहीं है जितना तुम समझ रही हो! तुम्हारी लड़खड़ाती हुई आवाज सब बयान कर रही है!!
सीमा कुछ नही बोली और मुंह नीचे करके खड़ी हो गई! सलमा ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोली:"
" हमने एक एक शब्द ठीक से सुना है! हमे तुमसे ये उम्मीद कभी नही थी! विक्रम के रूप में जो एक उम्मीद हमे मिली थी वो भी आपने खत्म कर दी है! एक बार हमारी जगह खुद को रखकर देखिए तो आपको हमारी मुश्किलों का एहसास होगा!
हमारा राज्य पूरी तरह से जब्बार के कब्जे में हैं और बचाएगा कौन! मेरे भाई को तो मदिरा और अपने भोग विलास से समय नही! लड़कियों से ज्यादा कमजोर हो गया है वो! मेरे अब्बा पिछले पंद्रह साल से पिंडाला की कैद में बंद रहे और फिर मेरी अम्मी की आखिरी उम्मीद में ही हु!
मैं भी उनकी उम्मीदों पर पानी फिर कर उनसे आंखे चुरा लूं क्या !! उनसे कह दी उनके बेटे की तरह उनकी बेटी भी नकारा हैं!! मैं चाहूं तो जब्बार से शादी करके आराम से जी सकती हू लेकिन अपने दुश्मन के बिस्तर का खिलौना बनना मुझे कभी कुबूल नही हैं! बेशक मैने जब्बार से थोड़ी नजदीकियां बढ़ाई हैं तो तो सिर्फ राज्य के हालात समझने और जब्बार को गुमराह करने के लिए लेकिन इसका ये मतलब नहीं हैं कि मैं अपनी मर्यादा को भूल गई हु या मैं विक्रम से प्यार नही करती! मेरी आखिरी सांस तक मैं विक्रम से प्यार करती रहूंगी!! लेकिन आज जो हुआ हैं उसके बाद अब विक्रम मुझे कभी माफ नहीं करेंगे!!
इतना कहकर सलमा उदास हो गई और सीमा के मुंह से एक शब्द नही निकल रहा था क्योंकि वो जानती थी कि उसने जाने अनजाने में ही सही लेकिन बहुत ज्यादा बड़ी गलती हैं जिसका खामियाजा अब सलमा को भुगतना ही होगा!
सीमा ने सलमा के सामने दोनो हाथ जोड़ दिए और बोली:"
" माफी के लायक तो नही हु लेकिन मुझे माफ कर दीजिए आप! मैंने जिस गलतफहमी को पैदा किया है अपनी जान देकर भी उसे दूर करूंगी!
इतना कहकर सीमा उसके पैरो मे गिर पड़ी तो सलमा ने उसे उठाकर गले से लगाया और बोली:"
" गलती इंसान से ही होती हैं! मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है और सब कुछ भूलकर हमे जब्बार के खिलाफ योजना बनानी चाहिए ताकि हम मिलकर दुश्मन का सामना कर सके!
सीमा ने उसके बाद सलमा को सब कुछ बताया कैसे उसने आबिद को मारा और उसे जब्बार के घर में हथियारों का पता चला और वो जब्बार के घर पहुंची और उसकी बहन राधिका जब्बार से मिली हुई हैं और उसके इशारों पर नाच रही है तो सलमा बोली:
" हमे राधिका से ऐसी उम्मीद नही थी लेकिन सच्चाई को हमे स्वीकर करना ही पड़ेगा! देशद्रोह किसी भी हालत में माफ नही होता सीमा!
सीमा की आंखे लाल सुर्ख हो उठी और गुस्से से बोली:
" गद्दार की सजा मैं आपसे बेहतर जानती हु शहजादी! लेकिन मैं सही मौके का इंतजार कर रही हूं ताकि एक ही झटके में सारे दुश्मन खत्म किए जा सके एक साथ!!
सलमा कुछ नही बोली और उसके बाद दोनो सावधानी से
सुरंग से बाहर निकल कर महल में आ गए और सलमा आराम से सो गई और सीमा भी आज महल में सो गई!
वहीं दूसरी तरफ सलमा के जाने के बाद रात के करीब 11 बजे विक्रम मेनका के कक्ष के पास पहुंचा और दरवाजे को धक्का दिया तो वो खुल गया और विक्रम खुशी खुशी
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अंदर घुस गया तो देखा कि मेनका एक गुलाबी रंग का शानदार रात्रि वस्त्र पहने हुए उसी का इंतजार कर रही थी और बेहद आकर्षक लग रही थीं! विक्रम को देखते ही उसके होंठो पर मुस्कान आ गई!!
विक्रम आगे बढ़ा तो मेनका अदा के साथ बेड पर चढ़ गई तो विक्रम ने बिना देर उसे दबोच लिया और देखते ही देखते दोनो के प्यासे होंठ एक दूसरे से चिपक गए और विक्रम ने बिना देर किए मेनका के वस्त्र में हाथ घुसाकर उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया और बोला:"
" आह्ह्ह्ह्ह्ह मेनका !!! फिर से इतनी गर्म कैसे हो हुई!!
जैसे ही विक्रम के होठ अलग हुए तो मेनका ने बेशर्म होकर उसके लंड को पकड़ कर और बोली:"
" आआह्ह मेरे वीर पुत्र!! ठंडी कर दीजिए ना इसे मार मारकर!!
विक्रम ने एक झटके के साथ मेनका के वस्त्र पकड़े और सीधे दो टुकड़े करते हुए मेनका को मादरजात नंगी कर दिया तो मेनका सिसक उठी
" अअह्ह्ह्ह्ह महाराज!! बड़े जोश में लगते हो आज!
विक्रम खुद भी नंगा हो गया और सीधे बिना देर किए मेनका के ऊपर चढ़ गया और लंड अपने आप चूत से चिपक गया और जैसे ही मेनका ने अपनी टांगे खोली तो विक्रम ने उसकी एक चूची को मुंह में भरते हुए जोरदार धक्का लगाया और एक ही धक्के में लंड जड़ तक घुस गया और मेनका दर्द और मस्ती से कराह उठी
" आह्ह्ह्ह्ह पुत्र!! शीiiiieeee हाय मर गईयूईईईईई!!
विक्रम ने बिना देर किए उसकी चूत में ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरु कर दिए तो मेनका का जिस्म उछलने लगा और उसका हाथ मस्ती से खुल गया
" अह्ह्ह्ह्ह पुत्र!!! उफ्फ मर जायेंगे हम !!
इतना कहकर मेनका ने उसका हाथ अपनी दुसरी चूची पर रख दिया विक्रम ने उसकी दूसरी चूची को हाथ में भरा और जोर से मसलते हुए बोला
" अअह्ह्ह्ह माता!! आपकी ये चूत हमे बहुत पसंद आई!!
मेनका भी मस्ती से गांड़ उठाकर लंड लेने लगी तो विक्रम बेकाबू हो गया और मेनका की चूत में अपने लंड से धक्कों की बरसात सी करने लगा! मेनका उसके नीचे पड़ी हुई सिसक रही थी मचल रही थी और हर धक्के पर उसकी गांड़ एक एक फूट से ज्यादा उछल रही थी!!
दोनो की गति बढ़ती ही चली गई और अंत में विक्रम ने एक बार फिर से उसकी चूत में अपने वीर्य की जोरदार बौछार कर डाली और मेनका भी अपनी झड़ती हुई चूत को उसके लंड पर कसकर उससे जोर से लिपट कर!
पूरी रात विक्रम ने मेनका को तीन बार और चोदा और मेनका भी मस्ती से चुदाती रही!!
Nice and beautiful update....
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