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जहां ममता ! वहाँ डालडा !
शाम के ७ बज रहे है । रूपा जम्प्सूट पहने रसोई में रात के खाने की तैयारी में जुटी है ।
पीछे रसोई के दरवाज़े पर छुप कर खड़ा किशोर रूपा की चौड़ी गांड देख कर मूठ मार रहा है ।
रूपा जब भी जम्प्सूट या रॉम्परसूट पहनती है तो उसकी चौड़ी गांड उसमें मुशकिल से ही समा पाती है ।
राजीव के कई बार मना करने पर भी रूपा इसे आमतौर पर घर में भी पहन लिया करती थी ।
जम्प्सूट से झांकती रूपा की गांड को देखकर किशोर पहले भी अपना नियंत्रण कई बार खो चुका है ।
रूपा पीछे खड़े किशोर के क्रियाकलाप से अनभिज्ञ चमचा ले कर पतीले में चलाने लगती है ।
ऐसा करने से रूपा की जम्प्सूट में क़ैद चौड़ी गांड हिलने लगती है
किशोर रूपा की हिलती गांड को देख कर अपने लण्ड को तेज तेज हिलाने लगता है ।
किशोर मन ही मन कुछ बड़बड़ाते हुए अपनी मूठ मारने की स्पीड बढ़ा देता है ।
किसोर मन में बड़बड़ाते हुए कहता है :
» ओह ! मम्मा की बम पिलाट गांड
» आऽऽह
» मम्मा प्लीज़ लेट मी फ़क योर ऐस्स्स
» प्लीज़ मम्मा
» मम्मा अपने इतने बड़े पतीले में मेरा
» चमचा घुमाने दो ना मम्मा
» आऽऽह
» ये बावली गांड तो मुझे बावला करके ही छोड़ेगी ।
» मम्मा मेरा बड़ा मन करता है :
»
कि मैं आपकी खाना बनाते हुए गांड मार लूँ
»
आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह मम्मम्मा आऽऽऽऽऽऽऽह
रूपा किसी की आहें सुन कर पीछे मुड़ कर देखती है
किशोर को आँखे बंद किए मूठ मारता देख रूपा किशोर के पास जाकर उसके कान पकड़ लेती है ।
रूपा - बदमाश ! क्या कर रहा है यहाँ छुप छुप कर ! हाँ !
किशोर - मम्मा आपने फिर से ये जम्प्सूट पहन लिया ।
सच बताना मम्मा ! ये आप अपनी ये बम पिलाट गांड मुझे दिखाने के लिए पहनती हो ना !
रूपा - धत्त ! मैं भला अपने बेटे को अपनी गांड क्यूँ दिखाऊँगी !
किशोर - क्यूँकि आपको अच्छी तरह से पता है कि मैं आपको ऐसे देख कर मूठ मार लेता हूँ ।
पापा ने मुझे ऐसे आपकी गांड को घूरते हुए मूठ मारते कई बार पकड़ रखा है ।
इसलिए ही तो वो आपसे मना करते है इसे घर में ना पहन ने के लिए !
रूपा अपने बेटे के मुँह से अपनी गांड की तारीफ़ सुन कर शर्माने लगती है ।
किशोर रूपा की गांड पर हाथ रख कर कहता है :
किशोर - मम्मा अगर आप इजाज़त दे तो ....
रूपा - ओ....ह ! हट बेशर्म !
किशोर - मम्मा प्लीज़ एक बार !
रूपा - कहाँ ! मेरे या तेरे कमरे में ?
किशोर - यहीं ! रसोई में ही ! आप अपना खाना तैयार करिए ।
मैं आपकी पीछे से खड़ा हो कर ले लूँगा ।
रूपा - शर्माते हुए - धत्त ! नालायक !
अपनी माँ की लेगा !
किशोर रूपा की गांड में जम्प्सूट समेत उँगली घुसा देता है ।
रूपा एकदम से अपना हाथ पीछे ले जाकर किशोर का हाथ पकड़ लेती है ।
रूपा - आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ! कमीने ! उँगली निकाल
किशोर - मम्मा आप अपने पतीले में चमचा डाल कर सब्ज़ी बनाओ !
मैं आपके पतीले में अपना चमचा डाल कर अपनी सब्ज़ी बनाऊँगा ।
रूपा - आऽऽह !! मादरचोद !
अपनी माँ की गांड को पतीला कहता है !
किशोर - पतीला ही है मम्मा !
देखो तो ज़रा ! कितनी चौड़ी हो गयी है ।
अपने हाथों से खोल कर इस गांड को मारने में क़सम से मज़ा आ जाएगा ।
रूपा - धत्त ! गंदा कहीं का !
किशोर - तो चलो ना मम्मा ! शुरू करते है !
मैं जैसा जैसा कहूँ आप वैसा ही करते जाना
तभी मैं आराम से आपकी गांड मार सकता हूँ
वरना गांड मरवाने में आपको थोड़ी दिक़्क़त हो सकती है ।
रूपा किशोर के दोनों तरफ़ से गाल पकड़ कर इधर उधर घुमाते हुए कहती है :
रूपा - हस्ते हुए - मुझे कोई दिक़्क़त नही होगी ।
तुझसे पहली बार थोड़े ही ना मरवा रही हूँ ।
किशोर - ओफ़्फ़ो मम्मा ! आप भी ना !
मुझे अच्छे से ये बात पता है
लेकिन आज मैं आपकी गांड स्पेशल तरीक़े से मारना चाहता हूँ ।
रूपा - स्पेशल तरीक़ा !
तेरा तो वो ही सिम्पल सा तरीक़ा है ना मुझे झुका कर पीछे से ....
किशोर - हाँ मम्मा !
लेकिन आज आप झुकोगी नही
बल्कि आराम से खड़े हो कर खाना पकाओगी ।
रोटी बनाओगी ।
और पीछे से खड़ा हुआ मैं आपकी गांड मार लूँगा ।
रूपा ऐसा ही करती है ।
वो आगे हो कर रोटी सब्ज़ी पे ध्यान लगाती है ।
पीछे किशोर उसके चुत्तड जम्प्सूट के ऊपर से ही मसलने लगता है ।
थोड़ी देर भारी चुत्तडों से खेलने के बाद
किशोर अपना लण्ड अपनी पैंट से निकाल कर
अपनी माँ के चुत्तड के बीच वाले हिस्से में लगा कर धक्के देने लगता है ।
रूपा किशोर के धक्कों को सहते हुए और हिलते हुए खाना पकाने लगती है ।
रूपा - आऽऽऽह ! ध्यान रखना तेरी बहन ना आ जाए
कहीं बीच में ही तुझे अपना लण्ड मेरी गांड से निकालना पड़ जाए
मुझे गांड मरवाते हुए बीच में ही रुकना बिलकुल भी पसंद नही है
किशोर - दीदी अभी नहीं आएगी मम्मा !
मुझे उनके वापिस आने का समय पता है ।
जब तक वो आएँगी मैं आपकी गांड पूरी खोल चुका होऊँगा ।
रूपा - पतीले में चमचा चलाते हुए - मेरी गांड तो तू बाद में खोलेगा पहले मेरा जम्प्सूट तो खोल !
किशोर रूपा का जम्प्सूट झट से उतार कर अपनी माँ को नंगी कर देता है ।
और नीचे बैठ कर अपनी माँ की बड़ी और चौड़ी गांड के पाटो को खोलने लगता है ।
किशोर अपनी माँ के गांड के छेद को देख कर उसमें जीभ डाल कर उसे चोदने लगता है ।
रूपा - आऽऽऽऽह ! कितना अच्छा लगता है जब वहाँ कोई अपनी जीभ डालता है ।
किशोर - मम्मा जब १० इंच का मूसल जाएगा तब बताना कैसा लगता है ।
रूपा - सूखा ही मत डाल देना ! ना लायक़ !
कहीं ऐसा ना हो कि तेरा चमचा डालते ही मेरा पतीला फूट जाए
किशोर - मम्मा ! क्रीम या ज़ैल तो यहाँ नही है ।
रूपा - हस्ते हुए - ये रसोई है बेटा ।
यहाँ इन चीजों की ज़रूरत नही पड़ती ।
रूपा किशोर को एक डब्बा थमा देती है ।
किशोर - ये क्या है ? मम्मा !
रूपा - शर्माते हुए - खुद खोल कर देख ले !
किशोर डिब्बा खोल कर देखता है ।
किशोर - घी !
रूपा - घी नहीं ! डालडा घी !
और हंस के मुँह आगे कर लेती है ।
किशोर शैतानी हंसी हस्ते हुए
अपनी एक उँगली से घी निकाल कर रूपा की गांड के छेद में मल देता है ।
फिर डिब्बे में से थोड़ा सा और घी निकाल कर अपने लण्ड पर भी घिस लेता है ।
रूपा अब गैस पर रोटी सेकने लगती है ।
किशोर - मम्मा ! आपकी गांड और मेरा लण्ड दोनो चिकने हो गए है ।
अब मैं आपकी गांड मारने वाला हूँ ।
तैयार रहना और हाँ ! सबसे ज़रूरी बात ..
रोटियाँ बनाते रहना वरना सबको खाना लेट हो जाएगा ।
ये कहकर किशोर हँसता है ।
किशोर की शरारत देख कर रूपा भी हल्का सा मुस्कुरा पड़ती है
किशोर अपने एक हाथ से लण्ड और एक से रूपा की गांड खोल कर अपना लण्ड घुसाने लगता है ।
रूपा - आऽऽह !
किशोर का टोपा घुसते ही रूपा रोटी तवा पर डाल कर पतीले में चमचा चलाने लगती है ।
किशोर रूपा का हाथ पकड़ कर अपना पूरा लण्ड उसकी गांड में ठूँस देता है ।
घी की वजह से उसका लण्ड रिपट कर सीधा रूपा की गांड की गहराई में चला जाता है ।
रूपा - आऽऽऽऽऽह ! मर गयी !
किशोर - आऽऽऽऽह ! मम्मी !
ये घी तो सही में लाजवाब है ।
मेरा लण्ड फिसल कर कब आपकी गांड में चला गया !
पता ही नही चला ।
आऽऽऽऽऽऽह
रूपा - आह करते हुए - बेटा !
माँ की ममता का प्यार मिला हुआ है इस घी में
और तुझे ही तो नही पता चला ।
गांड तो मेरी फटी है ना ।
मुझे तो दिन में तारें दिख गए ! आऽऽऽऽह !
अब बातें कम बना और मेरी गांड मार !
माँ की आज्ञा का पालन करते हुए किशोर रूपा की गांड फाड़ने लगता है ।
ममता के घी में लण्ड डुबो डुबो कर किशोर रूपा की गांड का सत्यानाश कर देता है ।
थोड़ी देर बाद अपनी फटती गांड लिए रूपा कहती है :
रूपा - खाना तैयार होने वाला है बेटा ।
सभी आते होंगे ।
किशोर अब रूपा को पकड़ कर और फ़राटेदार झटकों से उसकी गांड मारने लगता है ।
थोड़ी देर बाद किशोर सामने रखे घी को ले कर रूपा की गांड की लकीर में उड़ेल देता है ।
और तेज़ी के साथ रूपा की गांड मारने लगता है ।
रूपा रोटी चुपड़ते हुए - आऽऽऽऽऽह ! आऽऽऽऽह ! फाड़ दे ! मेरी गांड फाड़ दे बेटा !
किशोर अपनी उँगलिया रूपा की रोटी में लगा कर कहता है :
किशोर - मम्मा ! ये रोटी दीदी और डैड को देना ! उनको टेस्ट अच्छा लगेगा ।
रूपा - छी ! बेशर्म
थोड़ी देर रूपा की ऐसे ही ज़ोरदार गांड मारने के बाद किशोर रूपा के बाल पकड़ कर झुका देता है ।
रूपा अब सारे काम छोड़ कर फ़र्श पर कुतिया बन जाती है ।
पीछे से किशोर फिर से घी में लण्ड डुबो कर रूपा की गांड में जड़ तक डाल कर निकालता है ।
ऐसा करने से रूपा वहीं मूत देती है ।
पीछे से किशोर गांड मारता रहता है और आगे से रूपा मूत की धार मारती है ।
रूपा - आऽऽऽऽऽऽऽह !! ओह्ह्ह ! फट गयी मेरी गांड ! आऽऽह !
किशोर रूपा के मुँह से ये सब सुन कर उसे पीठ के बाल लिटा कर उसकी गांड मारने लगता है ।
अब रूपा का दूसरी बार मूत निकल जाता है ।
रूपा ने अपने बेटे से गांड तो पहले भी मरवाई थी पर
उसने ऐसे निर्दयी होकर कभी नही मारी थी ।
अब रूपा गांड मरवाते हुए बेहोश सी होने लगी थी ।
उसकी आँखों की पुतलियाँ घूम घूम कर एक साथ जुड़ने लगी थी
इतने में ही किशोर रूपा को अपने ऊपर उठा कर फिर से उसकी गांड मारने लगता है ।
इस तरह से गांड मरवा कर रूपा ने खुद ही अपनी गांड का कचरा करवा लिया था ।
अगर वो डालडा का घी किशोर को ना देती तो शायद उसकी गांड की ये हालत ना होती ।
रूपा अपनी गांड मरवाते हुए अपनी गलती के बारे में सोच ही रही थी कि किशोर अब उसकी कमर पकड़ कर झटके तेज कर देता है ।
किशोर - आऽऽऽह ! चल हट बहन की लोड़ी ।
ये बोल कर किशोर एक और तेज धक्का मार कर रूपा को आगे फ़ैंक़ देता है ।
रूपा अपनी फटी गांड ऊँची कर के आगे गिर जाती है ।
रूपा पीछे मुड़ कर किशोर को हैरानी से देखने लगती है ।
अपनी माँ को ऐसे देखते हुए किशोर हस्ते हुए कहता है :
जहां ममता ! वहाँ डालडा ।
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