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Incest संस्कारी घर - परिवार

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1) इस कहानी का इंग्लिश संस्करण पूरी लिख दी गई है, अगर किसी को इस कहानी का पूरा संस्करण पढ़ना है तब वो इस लिंक से पढ़ सकता है Sanskari Ghar - Parivaar (Completed)

2) और अगर कोई मेंबर इस कहानी को देवनागरी/हिंदी में पूरा करना चाहता है तब वो इसे पूरा कर सकता है

Reason - Evanstonehot ने नही किया है पूरा + ये स्टोरी पहले ही पूरी हो चुकी है
 
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prkin

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Wonderful bhai.

Please, ye dil mange more!
 

Evanstonehot

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अब आगे

अपनी माँ और चाची को नंगी पा कर कोमल अपने मुँह पर हाथ रख लेती है ।

सुमन और राधा भी कोमल को नंगी खड़े देख हैरान हो जाती है ।

राधा - अरे कोमल ! तू अपने भाई के साथ यहाँ नंगी क्यूँ है और ये नीरज भी नंगा खड़ा है ।

आख़िर यहाँ चल क्या रहा है ?

कोमल अपनी फटी गांड सम्भाले चुप सी खड़ी रही तभी पीछे से नीरज आगे आकर कहता है :

नीरज - वो मॉम आपने कहा था ना दी को बुलाने के लिए तो हम थोड़ा वॉर्मिंग अप कर रहे थे ।

ये कह कर नीरज अपना सिर झुका लेता है ।

ये सुन कर राधा हंस पड़ती है और कहती है :

राधा - अच्छा ! तो हो गई तुम दोनों की वॉर्मिंग अप !

कोमल शर्मा कर अपना चेहरा छुपा लेती है ।

तभी झटके से सुमन नीचे बैठ कर नीरज का लण्ड पकड़ कर अपने मूह में दे लेती है ।

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नीरज चौंक पड़ता है और कोमल जब अपने चेहरे से हाथ हटा कर ये दृश्य देखती है तो उसकी भी गांड फट जाती है ।

राधा - ये देखो !

लो देख लो अपनी चुद्दअक्कड़ चाची की हरकतें ।

इसे थोड़ा सा भी सब्र नही है ।

सुमन नीरज का लण्ड मूह में ले कर चूसती है जो अभी अभी अपनी बहन की गांड मार कर बाहर निकला था ।

सुमन को थोड़ा सा शक तो हुआ था पर उसने सोचा ज़रूर सुबह राधा की गांड मार कर नीरज इसे धोना भूल गया होगा ।

वहीं नीरज को अपनी चाची से ऐसे अपनी माँ और बहन के सामने लण्ड चुसवाने में मज़ा आने लगा था ।

नीरज ने अपना एक हाथ सुमन के सिर पर रख कर अपनी नंगी माँ को देखते हुए झटके मारे ।

लण्ड मूह को फाड़ते हुए सुमन के गले में उतर गया । सुमन की आँखे बाहर को निकल आयी । उसने जल्दी से अपने मूह से लण्ड निकाल कर खाँसा और नीरज के लण्ड पर चाँटे मारने लगी ।

राधा - जिस लण्ड पर अब तू अपना ग़ुस्सा निकाल रही है ना याद रख इस ही लण्ड से तुझे बच्चा मिलेगा । अब जल्दी से खड़ी हो और ...

राधा ये बोल ही रही थी कि नीरज ने उसके कंधे पर हाथ रख उसे ज़बरदस्ती नीचे बिठा दिया और अपना लण्ड पकड़ कर राधा के मूह में ठूँस दिया ।

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नीरज - आऽऽऽऽह मॉम बहुत बोलती हो आप ।

लो अब इसे चूसो

एक बच्चा ही तो देना है चाची को , समझ लो हो गया ।

राधा को भी नीरज के लण्ड का टेस्ट अजीब सा लगता है । उसे याद आता है जब एक बार नीरज का सोते हुए उसने लण्ड चूसा था तो तब बिलकुल ऐसा ही टेस्ट आया था ।

राधा के मन में अजीब से ख़याल आने लगते है लेकिन जल्द ही वह सोचने लगती है कि कोमल की चूत और सुमन के मुँह में जाने की वजह से शायद ऐसा हुआ हो ।

नीरज का लण्ड अब उसके गले में उतरने लगा था ।

कोमल आँखे फाड़े ये सब देखती है फिर नीरज को ग़ुस्से से देख कर उसके कान में कहती है :

कोमल - बहनचोद ! जल्दी से अपना लण्ड मॉम के मूह से बाहर निकाल ।

अगर मॉम को पता चल गया कि तू अभी मेरी गांड मार रहा था तो तेरी और मेरी यहीं लिटा कर गांड मार लेंगी ।

नीरज अपनी माँ का सिर पकड़ कर अपने लण्ड को राधा के गले तक ठूँसते हुए कोमल के कान में कहता है :

नीरज - कुछ नही होगा दी आप मुझ पर विश्वास रखो ।

इतने में ही सुमन ऊपर खड़ी हो कर बोलती है :

सुमन - क्या बातें हो रही है दोनों भाई और बहन में ?

नीरज सुमन को कंधे से पकड़ कर नीचे बिठा देता है और अपना लण्ड राधा के मूह से निकाल कर अपनी बड़बोली चाची के मूह में ठूँस देता है ।

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सुमन बे मन आँखे फाड़े नीरज के नाग को निगल लेती है ।

राधा खाँसते हुए उठती है और नीरज के कंधे पर हल्का सा थप्पड़ मार कर कहती है :

राधा - बेशर्म कहीं का ! बात भी पूरी नही करने देता ।

राधा अपना मुँह पोंछ कर बोलती है :

राधा - अब सारा काम यहाँ रसोई में ही निपटाएगा क्या !

चल तेरे कमरे में चलते है ।

वहाँ हम तीनों की अच्छे से लेना ।

ये कह कर राधा एक थप्पड़ लण्ड चूसती सुमन के सिर पर मारती है और अपनी नंगी गांड मटकाते हुए बाहर जाने लगती है ।

सुमन अपना सिर नीरज के हाथों से छुड़ा कर उसका लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाल फेंकती है और खड़ी हो कर नीरज के मुँह पर थूक देती है ।

सुमन - आक थूऊउ ... ये ले साले ज़बरदस्ती मेरे मुँह में देता है ना

आऽऽक थूऊउ ...ये ले चाट ले इसे

ये कहते हुए सुमन भी खड़ी हो कर अपनी नंगी गांड मटकाते हुए राधा के पीछे पीछे चली जाती है ।

कोमल अपनी चाची का ये रंडीपना देख कर चौंक गई । वो आगे बढ़ कर देखती है तो नीरज अपनी आँखे बंद करके खड़ा था और उसके चेहरे पर सुमन का थूक चिपका हुआ था ।

कोमल हंसते हुए नीरज का सिर पीछे से पकड़ कर उसे अपनी तरफ़ खींचती है और अपनी जीभ बाहर निकाल कर नीरज के चेहरे को चाट लेती है ।

अपनी बहन का प्यार देख कर नीरज अपनी आँख खोल कर , कोमल की कमर में हाथ डाल कर , उसके होंठों पर होंठ रख कर चूम लेता है ।

दोनों एक दूसरे की जीभ चाट चाट कर एक दूसरे से लिपट जाते है ।

_________________________

ईशिता का घर :

ईशिता और अंकिता ने संतोष के साथ धीरज का भी अपने घर में स्वागत किया ।

दोनों की गांड में घुसी मोमबत्ती इसका जीता जागता सुबूत पेश कर रही थी ।

ईशिता को तो इसमें कोई तकलीफ़ नही थी पर अंकिता की गांड फट रही थी ।

संतोष अंकिता की शकल और चाल देख कर पहचान गया था कि अंकिता बिटिया को इसमें बहुत दिक़्क़त हो रही थी ।

वो धीरज को एक अपना लाया हुआ गिफ़्ट अपनी जेब से निकाल कर धीरज के हाथों पर रख देता है ।

धीरज कुछ समझ नही पाता मगर जब संतोष आगे चलती अंकिता की तरफ़ इशारा करता है तो नीरज गिफ़्ट खोल कर देखता है ।

गिफ़्ट में छोटा सा बट्ट प्लग देख कर उसे सब समझ आ जाता है कि आगे क्या करना है ।

ईशिता रसोई में जाकर चाय बनाने लगती है ।

अंकिता सोफ़े पर बैठने ही वाली होती है कि धीरज उसे रोक देता है

अंकिता हैरानी से धीरज की तरफ़ देखती है । धीरज अंकिता के पीछे जा कर उसकी जींस खिंच देता है ।

अंकिता के चुत्तडों की महक से धीरज मधहोश सा हो जाता है लेकिन जल्दी ही वो उसकी कच्छी नीचे सरका कर उसकी गांड में घुसी मोमबत्ती खिंच कर बाहर निकाल देता है ।

अंकिता चैन की साँस लेती है ।

अंकिता - आऽऽह ! थैंकयू भैया ! उई आ ...

आऽऽऽऽऽह ये क्या है भैया ?

धीरज अंकिता की गांड से मोमबत्ती निकाल कर बट्ट प्लग को अंदर डाल कर उसे फिर से पैक कर देता है ।

ये काम वो इतनी फुर्ती से करता है कि उसे अंकिता की गांड का प्यारा सा छेद भी ठीक से नही दिखाई देता है ।

धीरज - अब बैठ जा । बट्ट प्लग है ये अंकी ! कैसा लग रहा है ?

अंकिता - बहुत अच्छा भैया ! मम्मा की गांड में भी यही लगाओ ना ।

धीरज - मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए - बहुत अच्छा आइडीआ है चाचू एक और बट्ट ...

धीरज ये कहते हुए संतोष की तरफ़ मुँह करता है लेकिन संतोष वहाँ नही होता ।

दोनों रसोई की तरफ़ देखते है ।

संतोष भागा भागा रसोई में घुस जाता है ।

दोनों हस्ते हुए अपने गिफ़्ट्स खोलने लगते है ।

अंकिता - भैया मेरा मोबाइल ?

धीरज उसके हाथ पर एक पैकेट रख देता है ।

अपना पहला मोबाइल देख कर ख़ुशी से उछल पड़ती है ।

अंकिता के उछलते ही रसोई में ईशिता भी एक चीख के साथ उछल पड़ती है ।

संतोष ने उसकी बड़ी सी गांड में बड़ा वाला बट्ट प्लग ठूँस दिया था ।

ईशिता - आऽऽह ! भैया आप भी ना । क्या ज़रूरत थी ये सब लाने की ।

पूरा घर इन सब चीजों से पहले ही भरा पड़ा है ।

ये बोलते हुए सुमन रसोई से निकलती है ।

उसके हाथ में चाय की ट्रे थी जिसे वो ला कर झुकते हुए मेज़ पर रखती है ।

धीरज को मैक्सी के ऊपर से ही अपनी बुआ की बड़ी सी गांड के दर्शन होते है ।

धीरज एक हाथ से अपने लण्ड को पेंट के ऊपर से ही सहला देता है जिसे ईशिता देख लेती है ।

ईशिता - लो भतीजे ! पहले चाय पियो । जो देख रहे हो उसे बाद में पीना ।

ये कहकर ईशिता धीरज की गोद में बैठ जाती है । धीरज और धीरज के लण्ड के मज़े आ जाते है ।

धीरज मज़े ले कर अपना एक हाथ ईशिता की चूची पर रख कर भींच देता है ।

अंकिता अपने नए मोबाइल में लगी होती है ।

संतोष रसोई से निकलते हुए जब ईशिता को धीरज के लण्ड पर बैठा हुआ देखता है तो उसे हल्की सी जलन होती है ।

ईशिता धीरज की गोद में बैठी बैठी चाय कप में डाल कर संतोष को देते हुए कहती है :

ईशिता - भैया रसोई में इतनी देर से क्या खोज रहे थे ?

संतोष - मक्खन !

ये सुनकर धीरज और अंकिता एक दूसरे को देख कर हस्ते है ।

अंकिता फिर से मोबाइल में लग जाती है ।

ईशिता संतोष से पूछती है :

ईशिता - मक्खन ? पर क्यूँ

अंकिता अपना एक हाथ मुँह पर रख हस्ते हुए बोल पड़ती है :

अंकिता - मम्मा मामा जी यहाँ .. आपकी मक्खन लगा कर गांड मारने आए है ।

ईशिता अंकिता को डाँटते हुए कहती है :

ईशिता - अंकिता बेटी ऐसे नही बोलते ! मामा जी को बुरा लगेगा

संतोष - नही इशि ! बच्ची ने सही कहा है ।

ईशिता - क्या !

धीरज का लण्ड ये सुनकर झटके से खड़ा हो जाता है जिसकी वजह से ईशिता की गांड को उसके ऊपर जमने में परेशानी होने लगती है ।

धीरज - मुझे पता था ! मैं जानता था !

ईशिता अपनी गांड को धीरज के लण्ड पर अड़जस्ट करके उसे अपने चुत्तडों के बीच की लकीर में समा लेती है ।

ईशिता - आह ! अब तू क्या जानता था ! और ये क्यूँ खड़ा कर लिया ?

धीरज - आपको याद है बुआजी ! आह ! जब पापा फ़ोन पर आपसे प्यार से बात कर रहे थे तब आपने उनसे क्या बोला था ।

ईशिता - यही कि .. इतना मक्खन लगा रहे हो .. कहीं अपनी छोटी बहन की गांड मारने का तो इरा.... दा ..... ओह तो अब समझी ।

धीरज - हाँ तो उस वाक्य को सुनकर वहाँ बैठे सभी मर्दों के लण्ड टनटन करने लग गए थे । मेरा भी मन कर रहा है अब आपकी गांड ...

संतोष - अंकिता बेटी ! भाई से गिफ़्ट तो ले लिया । उसे रिटर्न गिफ़्ट नही दोगी ?

अंकिता समझ जाती है कि अगर ईशिता थोड़ी देर और धीरज की गोद में बैठी रही तो धीरज का लण्ड ईशिता की मैक्सी में ही लिपटा हुआ उसकी माँ की गांड में घुस जाएगा ।

अंकिता - मम्मा आप अपने भैया को सम्भालो और मुझे अपने भैया को सम्भालने दो ।

संतोष ईशिता का हाथ पकड़ कर उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लेता है । अपनी बहन की गांड के मज़े अब उसे मिलने लगते है । अंकिता भी धीरज की गोद में फ़ोन चलाती हुई बैठ जाती है ।

अंकिता - आऽऽह ! उई मम्मा ! ये क्या ! मम्मा यू नॉटी मम्मा !

धीरज का लण्ड पेंट से बाहर निकला हुआ था । यानी जब ईशिता उसके लण्ड पर बैठी थी तो उसकी मैक्सी समेत लण्ड उसकी चूत में था ।

ईशिता संतोष के लण्ड पर अपनी गांड टिका कर हस्ते हुए बोलती है :

ईशिता - धीरज बेटा ! अंकिता की तुम यहीं लोगे या उसके कमरे में ले जा कर लोगे ।

धीरज शर्मा जाता है ।

ईशिता - शर्मा ने की बात नही है बेटा ।

ये तेरी मम्मी का घर नही है । यहाँ तो जब जिसकी लेने का मन करे बस ले लेना ..

बिना किसी हिचकिचाहट के और

किसी के भी सामने ।

संतोष ईशिता को थोड़ा सा उठा कर उसकी मैक्सी ऊपर कर देता है

अब ईशिता के नंगे चुत्तड संतोष के बिलकुल सामने होते है जिन्हें पकड़ कर संतोष ईशिता की चूत अपने खड़े लण्ड पर रख कर बिठा देता है ।

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ईशिता अब अपने भाई से चुदते हुए अपने बच्चों को चोदने की शिक्षा दे रही थी ।

ईशिता - तो शररर्रमाओ आऽऽह मत और चोआऽऽऽऽद दो अपनी बहन को ।

अंकिता - भैया आप मेरी गांड भी मार लेना । एक छेद के साथ दूसरा फ़्री सिर्फ़ आपके लिए ।

धीरज ये सुनकर ख़ुश हो जाता है ।

धीरज - ये हुई ना बात ! माँ की नही तो बेटी की गांड मारने को मिलेगी ।

संतोष - ईशिता को चोदते हुए - ले पाएगी ईशिता ये अपनी छोटी सी गांड में इतने बड़ा लण्ड ?

ईशिता - आऽऽऽऽऽऽऽह भैया ले लेगी । चुदक्कड़ परिवार की पैदाइश है इसकी । इस्ससस तुम मेरी चूओऊऊत मारो ।

धीरज - चाचू आप चिंता ना करिए । बुआजी मक्खन तो है ना घर में ?

ईशिता - आह ! हाँ ! है ! आऽऽऽऽह !

लेकिन पहले तू इसकी चूत तो चोद ले ।

येईईएएईएए लड़की भी ना जबसे फ़ोन लिया है उसपे ही चिपकी हुई है ।

बेटा तू ही खोल ले इसकी ये तो कुछ करेगी नही ।

आऽऽह !

अपनी चुदती माँ को अपने भाई से शिकायत लगाते हुए देख अंकिता चिड़ते हुए बोलती है :

अंकिता - क्या मम्मा ! अब कह तो दिया भैया से ले लो जो लेना है अपनी गांड भी परोस दी । अब इससे ज़्यादा मैं क्या कर सकती हूँ ।

ये कह कर वह फिर से फ़ोन में लग जाती है ।

अंकिता की गांड की बीच वाली लाइन धीरज की आँखो के सामने होती है ।

अंकिता जैसे बैठ कर फ़ोन चला रही होती है उससे उसकी गांड की पूरी शेप और जींस के ऊपर से झांकता चुत्तडों का गढ्ढा धीरज के लण्ड को पूरा तन्ने पर मजबूर कर रहा था ।

धीरज - अंकी ! तेरी जींस उतार दूँ ?

अंकिता - उतार दो भैया जो उतारना है । ले लो जो लेना है । मार लो जो मारना है । बस मुझे डिस्टरब ना करो ।

धीरज - ठीक है तो फिर ! जींस उतार कर तेरी चूत ले लेता हूँ । मक्खन लगा कर तेरी गांड मार लेता हूँ । वो भी तुझे बिना डिस्टरब करे । ठीक है ?

अंकिता - ठीक है ।

संतोष ईशिता को चोदते हुए हसने लगता है ।

ईशिता भी धीरज की बातों पर हस्ते हुए अपनी चूत मरवाना चालू रखती है ।

धीरज अंकिता को मेज़ पर झुकाता है । अंकिता अपनी कोहनी टेक कर फ़ोन चलाने लगती है । पीछे से धीरज पहले अंकिता के चुत्तडों को जींस के ऊपर से ही अच्छे से मसलता है ।

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अंकिता के चुत्तडों दबाकर भींच कर अच्छे से मज़े ले कर निचोड़ निचोड़ कर अपनी नाक लगा कर सूंघता है ।

जींस के ऊपर से मन भरने के बाद धीरज अंकिता की जींस उतार देता है । अंकिता पैर उठा कर जींस साइड में फ़ैंक़ देती है ।

कच्छी में पैक अंकिता की गांड अभी भी क़यामत ढा रही थी । धीरज धीरे धीरे उसे भी निकाल फेंकता है । अब अंकिता की नंगी गांड धीरज की आँखो के ठीक सामने थी

ललचाई नज़रों से देखता हुआ धीरज अपने दोनों हाथों से अंकिता की गांड खोलता है लेकिन गांड में घुसे बट्ट प्लग की वजह से उसका मूड ख़राब हो जाता है । धीरज बट्ट प्लग को खिंच कर बाहर निकाल देता है ।

पक्क्क्क्क्क सी आवाज़ के साथ बट्ट प्लग गांड के छेद को बाहर खिंचते हुए निकल जाता है जिसकी वजह से अंकिता का ध्यान अब अपनी खुलती गांड पर गया ।

अंकिता - म्म्म्म्म्म आऽऽह भैया क्यूँ निकाल दिया ! कितना तो मज़ा आ रहा था ।

ईशिता - भैया मेरा भी अब आह खींच ही दो । बहुत हुआ चूत का खेल अब जल्दी से मेरी गांड मार लो ।

____________________

घर : राधा का कमरा

एक दूसरे को अच्छे से चूमने चाटने के बाद नीरज और कोमल नीरज के कमरे की तरफ़ चल पड़ते है लेकिन वहाँ किसी को ना पाकर दोनों सारे कमरों में अपनी रंडी माँ और चुदक्कड़ चाची को ढूँढने लगते है ।

राधा के कमरे में जैसे ही कोमल झांक के देखती है तो उसे बेड पर दो नंगी गांडे दिखती है ।

कोमल चिल्ला कर बोलती है :

कोमल - भाई ये रही दोनों ।

नीरज नीचे बेसमेंट में होता है । अपनी बहन की आवाज़ सुन कर वह दौड़ता हुआ आता है और सामने का नजारा देख कर उसका लण्ड खड़ा हो जाता है ।

राधा और सुमन बेड पर नंगी अपनी अपनी गांड उठाए कुतिया बनी हुई थी ।

कोमल अंदर घुसते हुए बोलती है :

कोमल - भाई ये दोनों कितनी बड़ी चुद्दक्कड है । जल्दी से यहाँ आकर देखो किसका कौनसा छेद चोदना है सब लिखा है ।

नीरज पास आकर देखता है । माँ और चाची कुतिया बनके झुकी हुयी थी जिसकी वजह से दोनों की नरम गांड उचकी थी ।

चाची की गांड पर लिखा था “ दिस वे ” और लिपिसटिक से एक तीर का निशान बना था जो सुमन की चूत की तरफ़ इशारा कर रहा था ।

राधा की गांड पर लिखा था “ ओर दिस वे ” जो उसकी फूली गांड के छेद की तरफ़ इशारा कर रहा था ।

नीरज - ओह तो अब समझ आया । इसका मतलब मुझे चाची की चूत मारनी है और मॉम की पिलपिली गांड ।

ये बात वह अपनी ठुड्डी पर हाथ रख सोचते हुए बोलता है जिसे देख कर कोमल हसने लगी ।

कोमल अपनी चूत नीरज के चूतड से चिपका कर उसका लण्ड अपना एक हाथ आगे ले जाकर पकड़ते हुए उसके कान में बोलती है :

कोमल - अपना सारा माल चाची की चूत में झड़ना ।

नीरज अपनी दोनों हथेलियों से अपनी बहन के कोमल चुत्तड पकड़ कर भींचते हुए बोलता है :

नीरज - ज़रूर । तू बता तुझे भी कुछ लेना है !

कोमल - थोड़ा सा मेरे अंदर भी झाड़ देना ।

कोमल अपनी चूत चिपकाए नीरज की तेज़ी से मूठ मार रही थी इतने में ही अब तक चुप राधा बोल पड़ती है :

राधा - अरे ! कमबख़्तों बातें ही बनाते रहोगे या चोदो गे भी ।

आऽऽऽऽह मेरी कमर !

ये सुनकर सुमन की हंसी छूट जाती है । कोमल नीरज का लण्ड खड़ा करके उसे धक्का दे देती है । लण्ड सीधा हस्ती हुई सुमन की चूत में जड़ तक घुस गया ।

सुमन - आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ! दीदीइइईईई
सुमन राधा के हाथ पर हाथ रखते हुए चिंघाड़ पड़ती है । आज तक कभी ऐसा खड़ा लण्ड एक ही झटके में उसकी चूत की जड़ में कभी नही गया था ।

सुमन - आऽऽह दीदी इससे बोलो ना धीरे से करे ! आऽऽह

राधा - क्या करे ! ये किसी की नही सुनता !

सुमन - आऽऽऽह ! दीदीईईईई मेरी चूत फट रही है ।

राधा - फटेगी तभी तो बच्चे देगी ।

अपनी माँ का पूरा सहयोग मिलने की ख़ुशी में नीरज अपनी चाची की चूत में तेज़ी के साथ धक्के मार कर लण्ड बाहर निकालता है । लण्ड चूत के पानी से बिलकुल गीला हो गया ।

नीरज - थैंक यू मॉम ।

राधा - वेल.. आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह सत्यानाशश्श्श !

लण्ड राधा की गांड में भी जड़ तक एक ही झटके में घुस चुका था ।

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राधा ने भी सुमन के हाथ पकड़ कर मुट्ठी में भींच लिए ।

राधा - इस गाँडू से कितनी बार कहा है कि मेरी गांड में ऐसे मत डाला कर ।

आऽऽऽऽऽऽह

पर ये निक्कम्मा मेरी एक नही सुनता ।

ऐसा कर फाड़ के रख दे इसे ! तरसते हुए फिरते रहना फिर ऐसी गांड के लिए ।

राधा नीरज को गाली दे कर अपनी गांड मरवाती है । पीछे नीरज के मुँह पर कोमल हाथ रखे एक हाथ से उसके चूतड दबा कर धक्के मारती है । थोड़ी देर बाद कोमल नीरज के मूह से हाथ हटा लेती है ।

नीरज अपनी माँ की गांड में धक्के लगाता हुआ कोमल के कान में धीरे से कहता है :

नीरज - प्लीज़ दी मॉम की गांड फट जाएगी ।

कोमल - तो फटने दे ना । अच्छा तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तूने पहले कभी मॉम की फाड़ी ना हो !

नीरज - दी मैंने हमेशा मॉम से पूछ कर ही उनकी गांड फाड़ी है । “ आइ रेस्पेक्ट हर ”

कोमल - ऊह बड़ा आया रेस्पेक्ट वालाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ

नीरज राधा की गांड से अपना लण्ड निकाल कर कोमल को खींच कर राधा और सुमन के बीच में घोड़ी बना देता है ।

कोमल - आऽऽऽऽऽह भाईईईईईइईईईई !

कोमल अपने एक हाथ से राधा और दूसरे हाथ से सुमन का हाथ कसकर पकड़ते हुए चिल्लाती है ।

राधा - आ गयी तू भी लाइन में ।

सुमन - हाहा दीदी नीरज सबको लाइन में ले आता है ।

कोमल - आऽऽऽह आह आऽऽऽऽऽह आऽऽऽह आऽऽह आह

राधा - ड्रामे देख लो इसके ऐसे कर रही है जैसे नीरज इसकी आज पहली बार चूत चोद रहा हो ।

सुमन - हाहा दीदी ओवर ऐक्टिंग की दुकान है हमारी गुड़िया ।

कोमल - आई मम्मी ! आऽऽऽऽऽऽऽह आऽऽऽऽऽऽऽह आऽऽऽऽऽऽऽऽह आऽऽऽऽह

कोमल की आँखे पूरी फैल कर ऊपर खिंच गयी । खींचती भी क्यूँ नही आख़िर नीरज का टनटनाता लण्ड इतनी देर से उसकी गांड में उछल कूद कर रहा था ।

नीरज ने कोमल की गांड मार ली थी ।

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ये पहली बार था जब राधा और सुमन के होते हुए भी उसने अपनी बहन की गांड में लण्ड ठूँस दिया हो ।

यही सोचकर नीरज के लण्ड में तूफ़ान सा मच गया और उसने कोमल की गांड से लण्ड बाहर खींच कर सुमन की चूत भर दी ।

झटके से लण्ड निकलने से कोमल के मूह से निकली सिसकारी से राधा की आँखे बड़ी हो गयी ।

“ आह मेरी गांड फट गयी ”

____________________________________


ईशिता का घर :

घर पर कोमल की फट गई और इधर ईशिता अपनी गांड फटवाने के लिए मक्खन का इंतज़ाम किचन में कर रही थी ।

धीरज अंकिता की चूत के मूह पर अपना लण्ड लगाए खड़ा था । अंकिता झुकी हुई फ़ोन चला रही थी ।

संतोष अंकिता के चेहरे को देख कर मूठ मार रहा था । तभी अंकिता नज़रें उठा कर संतोष को देखती है और उसकी नज़र उसके खड़े लण्ड पर टिक गई ।

अंकिता - ओ माई गॉड ! आपका ये कितना बड़ा है । मम्मा की तो गांड फट जाएगी ।

तभी वहाँ एक छोटी सी कटोरी में मक्खन लिए ईशिता आती है और कहती है :

ईशिता - तेरी मम्मा की तो पहले से ही फटी हुई है , भला और कितनी फटेगी । “भैया” इतना मक्खन काफ़ी है ?

संतोष मक्खन को देखते हुए बोलता है :

संतोष - हाँ लग तो रहा है बाक़ी देखते है तुम्हारी ये बड़ी गांड कितना पीती है ।

धीरज - बुआजी हमारा मक्खन कहाँ है ?

अंकिता - भैया क्या तुम सचमुच मेरी गांड मारने वाले हो ?

ईशिता - अरे कुछ नही होगा मरवा ले रुक मैं अभी और मक्खन लाई ।

ये कह कर ईशिता मुड़ कर किचन तरफ़ चल पड़ती है । अपनी बहन के तरबूज़ देख कर संतोष से रहा नही गया । वो लपक कर उसके पीछे ही किचन में चला गया ।

जाने से पहले संतोष मक्खन की कटोरी को धीरज की तरफ़ सरका गया था ।

धीरज मक्खन की तरफ़ देख कर अंकिता को आँख मार देता है । ये देख अंकिता की गांड फटने लगती है ।

धीरज मक्खन लेकर अंकिता की चूत और गांड के छेद मल देता है । गांड के छेद को हल्का सा खोल कर उसमें भी मक्खन उड़ेल कर गांड को तैयार करता है ।

अंकिता - प्लीज़ भैया आज चूत चोद लो कल गांड मार लेना ।

धीरज - ठीक है ।

ये कह कर धीरज एक ही झटके में अपना खड़ा लण्ड अंकिता की चूत में घुसा देता है ।

लण्ड एक ही झटके में पूरा अंदर घुसकर फिर से बाहर निकल गया ।

२ सेकंड के इस खेल में अंकिता को पता ही नही चला कि वो कब चुद गयी ।

अंकिता - भैया दुबारा घुसाओ ।

धीरज फिर से वही करता है । अंकिता को हल्का सा मज़ा आता है ।

अंकिता - भैया लगातार करो ना ।

धीरज - नहीं

अंकिता - करो

धीरज - नहीं

अंकिता - भैया आप डाल रहे हो या मैं डाल दु तुम्हारे अंदर !

धीरज - जब तेरे पास है ही नही तो डालेगी कैसे ?

अंकिता ग़ुस्से से खड़ी हो कर अपने कमरे में घुस जाती है । धीरज उसे दूर से खड़े हुए देखता रहता है । थोड़ी देर बाद अंकिता कमरे से निकलती है ।

अंकिता के हाथ में १५ इंच का नक़ली लण्ड देख कर धीरज की फट जाती है ।

वह रसोई की तरफ़ भागता हुए बोलता है :

धीरज - अच्छा सॉरी सॉरी !

अचानक से रसोई के दरवाज़े पर बिखरे मक्खन पर फिसलने की वजह से धीरज रिपटता हुआ रसोई में घुस गया ।

अपने आप को सम्भालते हुए उसके हाथ ऊपर उठ गये और खड़ा लण्ड सीधे जा कर ईशिता की गांड में घुस गया ।

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ईशिता - आऽऽऽऽऽऽऽऽह ! भैया आज तो क्या गांड मारी है आपने । मज़ा आ गया ।

संतोष ने मक्खन लगा कर ईशिता की गांड को मारने के लिए तैयार किया था ।

वह लण्ड घुसाने ही वाला था कि पीछे से शोर सुन कर रुक गया और पीछे देखने लगा ।

धीरज को भागते हुए अंदर आने से ले कर अपनी बहन की तैयार की हुई गांड मारने तक का पूरा कार्यक्रम उसने अपनी आँखो से देखा ।

धीरज - आऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ! बुआजीइईईईई

ईशिता घबरा कर पीछे देखते हुए कहती है :

ईशिता - धीरजज्जज़्ज तू

धीरज होश में आते हुए अपना लण्ड अपनी बुआ की गांड से निकालने लगता है ।

धीरज - आइ ऐम सॉरी बुआजी वो ..

इतने में ही संतोष को भागते हुए अंकिता रसोई में आते हुए दिखाई देती है । संतोष उसे इशारे से रुकने के लिए कहता है ।

वो उसका ध्यान नीचे फैले मक्खन की तरफ़ करता है । अंकिता पलट कर रुकने की कोशिश करती है लेकिन उसके पैर चिकने फ़र्श पर पड चुके थे ।

अपनी तरफ़ आती नंगी गांड को देख कर संतोष उसे पकड़ने की कोशिश करता है ।

संतोष अंकिता की कमर पकड़ कर उसे सम्भालता है लेकिन उसका खड़ा लण्ड अंकिता की मक्खन लगी गांड में पूरा का पूरा घुस गया ।

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संतोष धीरज के पीछे आ कर अंकिता को सम्भालता है जिसकी वजह से झटके से उसके चुत्तड धीरज के चूतड से मिल जाते है और परिणामस्वरूप धीरज का लण्ड फिर से अपनी बुआ की गांड में जड़ तक घुस जाता है ।

ईशिता - आऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ! धीरज बेटा फिर से घुसा दिया ।

अंकिता की तो खैर कोई आवाज़ नही निकली थी । उसकी गांड तो शायद सही में ही फट गयी थी ।

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