• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery सज्जनपुर की कहानी

Napster

Well-Known Member
6,507
17,156
188
“आसानी से नहीं मानेगी, तो थोड़ा ज़ोर लगाएँगे,” कर्मा ने शरारती मुस्कान के साथ कहा। “तुम लोग बस मेरे साथ रहो, सब मज़े मिलेंगे।”
सोनू और कम्मू कर्मा की बातों से प्रभावित थे, मगर मन्नू के मन में एक अजीब सी बेचैनी थी। वह चुप रहा। जीप गाँव की ओर बढ़ रही थी, और चारों अपनी-अपनी सोच में डूबे थे।

ग्यारहवाँ अध्याय


जीप धूल भरी सड़कों पर उड़ती हुई आखिरकार सज्जनपुर पहुँची। कर्मा ने सोनू, कम्मू, और मन्नू को उनके घरों के बाहर छोड़ दिया। रात गहरी हो चुकी थी, और गाँव की गलियाँ सन्नाटे में डूबी थीं। मन्नू बिना कुछ बोले अपने घर की ओर चला गया, मगर कम्मू के चेहरे पर चिंता साफ़ दिख रही थी। वह ठिठका हुआ खड़ा था, और सोनू ने उसकी बेचैनी भाँप ली।

“क्या हुआ, तू क्या सोच रहा है?” सोनू ने पूछा।

“यार, देर हो गई है,” कम्मू ने उदास लहजे में कहा। “पापा डाँटेंगे।”

“अरे, वो तो अब तक सो गए होंगे,” सोनू ने हल्के से हँसते हुए कहा।

“अबे, किवाड़ खुलवाऊँगा, तो जाग जाएँगे न?” कम्मू ने चिंता से कहा।

सोनू ने एक पल सोचा और बोला, “तो मत खुलवा न। मेरे घर से दीवार फाँदकर चला जा।”

कम्मू को यह उपाय ठीक लगा। दोनों सोनू के घर की ओर बढ़े। सोनू ने किवाड़ खटखटाया, तो नींद भरी आँखों के साथ नेहा ने दरवाज़ा खोला। दोनों अंदर दाखिल हुए। आँगन में एक छोटी सी दीवार थी, जो सोनू के घर को कम्मू के घर से अलग करती थी। कम्मू ने चुपके से दीवार फाँदी और अपने आँगन में पहुँच गया। उसने नज़र घुमाई—सब सो रहे थे। उसके भाई-बहन खटिया पर गहरी नींद में थे, मगर पापा की खाट खाली थी। कम्मू का दिल धक् से रह गया। “पापा जाग रहे हैं?” उसने सोचा।

तभी उसकी नज़र अंदर के कमरे की ओर गई। किवाड़ के नीचे से हल्की सी रौशनी टिमटिमा रही थी। “माँ अभी तक जाग रही है?” कम्मू के मन में जिज्ञासा जागी। वह धीरे-धीरे कमरे की ओर बढ़ा। किवाड़ के पास पहुँचते ही उसे अंदर से कुछ अस्पष्ट सी आवाज़ें सुनाई दीं—हल्की सिसकियाँ, जैसे कोई दबी हुई साँसें। कम्मू रुक गया। उसका मन उत्सुकता और संकोच के बीच झूल रहा था। उसने धीरे से किवाड़ की झिरी पर आँख लगाई और अंदर झाँका। जो उसने देखा, उससे उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

बिस्तर पर उसके पापा अजीत थे, पूरी तरह नंगे। उनके नीचे उसकी माँ सुमन थी, जो भी नंगी थी। अजीत अपनी पत्नी की मोटी-मोटी चूचियों को मसल रहे थे, कभी उन्हें चूस रहे थे, तो कभी चाट रहे थे।

20220616-175223

सुमन की हल्की सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं। उसका चेहरा आनंद और उत्तेजना से भरा था। कम्मू का मुँह सूखने लगा। उसका किशोर मन इस दृश्य को देखकर हिल गया। उसे तुरंत एहसास हुआ कि यह गलत है। वह अपने माँ-बाप को इस तरह नहीं देख सकता। उसने जल्दी से आँखें हटाईं और पीछे हट गया।

आँगन में एक नज़र डाली—सब सो रहे थे। कम्मू का मन द्वंद्व में फँस गया। एक तरफ वह जानता था कि यह गलत है, मगर दूसरी तरफ उसकी जिज्ञासा उसे और देखने के लिए उकसा रही थी। पहली बार वह दो लोगों को काम रस में डूबे हुए देख रहा था। उसका किशोर मन उत्तेजना और उत्सुकता से भर उठा। कुछ देर सोचने के बाद उसकी जिज्ञासा जीत गई। उसने सोचा, “सब सो रहे हैं। थोड़ा देख लूँगा, तो किसी को पता नहीं चलेगा।”

वह फिर से किवाड़ की झिरी पर आँख लगाकर अंदर देखने लगा। मगर अब नज़ारा बदल चुका था, और यह पहले से भी ज़्यादा उत्तेजक था। अब उसकी माँ सुमन उसकी ओर मुँह करके थी, पूरी तरह नंगी। उसके पापा अजीत पीछे से अपनी कमर हिला रहे थे। उनका एक हाथ सुमन की एक चूची पर था, जो उसे मसल रहा था, और दूसरा हाथ उसके मखमली पेट को सहला रहा था। कम्मू को अपनी माँ का पूरा नंगा बदन सामने से दिख रहा था—उसकी मोटी-मोटी चूचियाँ, जो हर धक्के के साथ हिल रही थीं, गहरी नाभि, मांसल पेट, और नीचे हल्की-हल्की झाँटों के बीच उसकी रसीली चूत, जिसमें उसके पापा का लंड अंदर-बाहर हो रहा था।

0271436bbbfb41938b2ea8044c5105cf
कम्मू ने इससे पहले ऐसा उत्तेजक दृश्य कभी नहीं देखा था। उसकी माँ का चेहरा आनंद में डूबा था। उसकी आँखें बंद थीं, और वह अपने होंठों को काट रही थी। कम्मू का लंड पैंट में खड़ा हो गया, और उसे इसका एहसास भी नहीं हुआ। वह बस आँखें फाड़े अंदर देख रहा था। उसका हाथ अनायास ही पैंट के ऊपर से अपने लंड को सहलाने लगा। अचानक उसे होश आया, और उसने जल्दी से हाथ हटा लिया। वह खुद को धिक्कारने लगा, “ये क्या कर रहा हूँ? अपने माँ-बाप को देखकर ये सब करना गलत है!”

तभी आँगन में किसी के खाँसने की आवाज़ आई। कम्मू तुरंत हरकत में आया और दबे पाँव अपनी खाट पर जाकर लेट गया। उसका लंड अभी भी पैंट में तंबू बनाए हुए था। उसके मन में एक साथ ढेर सारे विचार उमड़ रहे थे। उसकी आँखों के सामने वही दृश्य बार-बार घूम रहा था—उसकी माँ का नंगा बदन, उसकी चूचियाँ, उसकी चूत, और पापा का लंड। उसने खुद को शांत करने की कोशिश की, मगर उसका लंड जस का तस खड़ा था।

वह सोचने लगा, “ऐसे नहीं चलेगा। इसे शांत करना पड़ेगा।” उसने चादर अपने ऊपर डाल ली और चुपके से पैंट खोलकर लंड बाहर निकाल लिया। उसने हल्के-हल्के मुठियाना शुरू किया। वह जोर लगाकर हलवाइन और लाली के बदन के बारे में सोचने की कोशिश करने लगा, मगर कुछ ही पल बाद उसकी माँ का नंगा बदन फिर से उसकी आँखों के सामने आ गया। उसका लंड उसके हाथ में और सख्त हो गया। इस बार वह खुद को रोक नहीं पाया। अपनी माँ के बदन को याद करते हुए वह मुठियाने लगा। जल्द ही उसके लंड ने उसकी मुट्ठी और पेट पर अपना रस उगल दिया। झड़ने के बाद उसे थोड़ी शांति मिली, मगर तुरंत ही ग्लानि ने उसे घेर लिया। वह सोचते-सोचते कब नींद में चला गया, उसे पता ही नहीं चला।

---


सुबह की पहली किरण के साथ सज्जनपुर जाग उठा। गायों की रँभाहट और खेतों से मज़दूरों की आवाज़ों ने गाँव को जीवंत कर दिया। सोनू और रजनी समय पर हवेली पहुँच चुके थे। रजनी रसोई में बिमला के साथ मिलकर नाश्ता तैयार कर रही थी, और सोनू हवेली के बाहरी हिस्से में झाड़ू लगा रहा था। मगर उसका मन कहीं और था। रात का नाच, लाली की थिरकन, और कर्मा की बेपरवाह बातें उसके दिमाग में घूम रही थीं।

हवेली की रसोई में रजनी आटा गूँध रही थी, तभी सरोज तैयार होकर आई। “रजनी, सुन,” सरोज ने कहा। “मैं और कर्मा के पापा शहर जा रहे हैं। बाबूजी की चाय तो मैंने बिमला के हाथों भेज दी है। तू कर्मा को जगा दे और उसे चाय दे देना। अभी तक सो रहा है वो।”

“ठीक है, जीजी,” रजनी ने जवाब दिया।

सरोज नीलेश के साथ चली गई। रजनी ने चाय बनाई, मगर मन ही मन वह सोच रही थी। वह कर्मा की नज़रों और उसकी आदतों से वाकिफ थी। वह हमेशा उससे बचकर रहती थी, मगर हवेली में काम करते हुए कब तक वह उससे नज़रें चुरा सकती थी? खैर, काम तो करना ही था। चाय तैयार हो गई। उसने एक कप में चाय भरी, ट्रे में रखी, और कर्मा के कमरे की ओर बढ़ गई।

कर्मा अभी भी गहरी नींद में था। वह सिर्फ़ बनियान और निक्कर पहने बिस्तर पर पड़ा था। रजनी ने उसे आवाज़ दी, “लल्ला, उठो! चाय ले लो।” मगर कर्मा पर कोई असर नहीं हुआ। रजनी ने मन में सोचा, “ये लड़का तो घोड़े बेचकर सोता है।” उसने चाय ट्रे में बगल की टेबल पर रख दी और कर्मा के कंधे को हल्के से सहलाकर उसे जगाने की कोशिश की।

कर्मा ने धीरे-धीरे आँखें खोलीं और सामने रजनी को देखा। वह तुरंत सीधा होकर बैठ गया। “उठ गए, लल्ला,” रजनी ने कहा। “लो, चाय पी लो।”

“अभी पी लूँगा, चाची,” कर्मा ने आँखें मसलते हुए कहा।

“ठीक है,” रजनी ने कहा। “जीजी और साहब शहर गए हैं। तुझे जो कुछ खाना हो, बता दे। मैं बना दूँगी।”

“शहर? क्यों?” कर्मा ने पूछा।

“ये तो मुझे भी नहीं पता, लल्ला,” रजनी ने जवाब दिया। “चल, तू चाय पी ले। मैं बाकी काम निपटा लेती हूँ।”

रजनी जैसे ही जाने को मुड़ी, कर्मा ने उसे रोक लिया। “अरे, रुको न, चाची! काम तो होते रहेंगे। थोड़ी देर मेरे पास तो बैठो।”

“अरे, नहीं, लल्ला,” रजनी ने हल्के से कहा। “पहले काम निपटा लूँ, फिर आराम से बातें करेंगे।”

मगर कर्मा कहाँ मानने वाला था? उसने रजनी का हाथ पकड़कर खींच लिया। “अरे, नहीं, चाची! मुझे अकेले अच्छा नहीं लगता।” खींचने की वजह से रजनी का संतुलन बिगड़ा, और वह पीछे की ओर गिरने लगी। कर्मा ने उसे पकड़ लिया और अपनी गोद में बिठा लिया। रजनी का पल्लू सरक गया, और उसका भरा हुआ बदन कर्मा के सामने था। कर्मा ने मौके का फायदा उठाया और तुरंत रजनी के पेट और चूचियों को मसलने लगा।

47b279b2e5424a2dbcc6d9e365f54db7

रजनी हैरान रह गई। “अरे, लल्ला, नहीं! छोड़ो मुझे!” उसने छूटने की कोशिश करते हुए कहा। “लल्ला, ऐसे नहीं करते!”

मगर कर्मा नहीं रुका। वह रजनी के बदन को मसलते हुए उत्तेजित हो रहा था। रजनी ने फिर से जोर लगाया और इस बार धक्का देकर उसकी पकड़ से छूट गई। वह खड़ी हो गई और जल्दी से अपना पल्लू ठीक किया। उसका चेहरा गुस्से और परेशानी से भरा था, मगर वह यह भी जानती थी कि कर्मा के साथ गुस्सा करना उसके लिए ठीक नहीं होगा। हवेली में काम करने की मजबूरी थी।

कर्मा ने बेपरवाही से कहा, “क्या हुआ, चाची? इतना क्या घबरा रही हो? मैं काटूँगा नहीं। आओ, बैठो न।”

रजनी ने खुद को शांत किया। वह कुछ सोचकर कर्मा के बगल में बिस्तर पर बैठ गई। कर्मा ने मुस्कुराते हुए कहा, “ये हुई न बात, चाची। वैसे, एक बात कहूँ?”

“हाँ, बोलो,” रजनी ने थोड़ा संभलते हुए कहा।

“तुम बहुत सुंदर हो, सच में,” कर्मा ने तारीफ भरे लहजे में कहा।

रजनी को उसकी बात सुनकर हँसी आ गई। “हट, लल्ला! मैं और सुंदर?” उसने हँसते हुए कहा। “सुंदर तो तेरी उम्र की लड़कियाँ होती हैं। तेरी दुल्हन होगी सुंदर।”

“मेरा वश चले, तो मैं तुम्हें ही अपनी दुल्हन बना लूँ,” कर्मा ने शरारत भरे लहजे में कहा।

रजनी फिर से मुस्कुरा दी। अपनी तारीफ सुनना हर औरत को अच्छा लगता है, और रजनी भी अपवाद नहीं थी। भले ही वह कर्मा के स्वभाव को जानती थी, मगर अपने बेटे की उम्र के लड़के से तारीफ सुनकर उसे अच्छा लग रहा था। “लल्ला, बातें बहुत बनाते हो तुम,” उसने हँसते हुए कहा।

“अच्छा, तो न करूँ बातें? कुछ और करूँ?” कर्मा ने शरारत से कहा।

“कुछ और क्या?” रजनी ने पूछा।

कर्मा उसकी ओर झुका और अचानक उसके कंधे और गर्दन पर हाथ रखकर अपने होंठ रजनी के होंठों पर रख दिए। रजनी इस बार हैरान नहीं हुई, न ही पीछे हटी। कर्मा को यह देखकर खुशी हुई। वह रजनी के होंठों को चूसने लगा।

58abeea25ab545cc803b1bf5633dace5


रजनी जानती थी कि जो हो रहा है, वह गलत है, मगर वह कर्मा को रोक नहीं रही थी। कर्मा के होंठों का रस पीते हुए वह उसका साथ देने लगी। उसका बदन कर्मा के चुंबन का जवाब देने लगा। अपने से आधी उम्र के लड़के का साथ पाकर उसका बदन उत्तेजित हो रहा था।

कर्मा का चूमने का तरीका रजनी को हैरान कर रहा था। वह उसके होंठों को हल्के से दबाकर, बड़े आराम से चूस रहा था, बिना किसी आक्रामकता के। यह रजनी को बहुत भा रहा था। वह खुद को रोक नहीं पाई और कर्मा का साथ देने लगी। कर्मा का जोश और बढ़ गया। उसने अपनी जीभ रजनी के मुँह में डाल दी। रजनी भी अब पीछे हटने वाली नहीं थी। वह कर्मा की जीभ का जवाब अपनी जीभ से देने लगी। दोनों के बदन एक-दूसरे से सटे थे, और कमरे में एक अजीब सी गर्मी फैल रही थी।

कर्मा के होंठ रजनी के होंठों को चूस रहे थे, और उसकी उंगलियाँ रजनी की साड़ी के पल्लू को धीरे-धीरे नीचे सरका रही थीं। रजनी उत्तेजना के समंदर में डूब चुकी थी। उसका मन, उसका शरीर, सब कर्मा की हरकतों में खो चुके थे।
कर्मा की चालाक उंगलियों ने रजनी के ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू किए। उसकी हर हरकत में एक कुशल कारीगर की तरह निपुणता थी। कुछ ही पलों में ब्लाउज़ रजनी के बदन से अलग होकर बिस्तर पर गिर गया। कर्मा ने होंठों को छोड़ा और रजनी की ओर देखा। रजनी ने जब अपनी स्थिति का अंदाज़ा लगाया, तो उसकी आँखें शर्म और हैरानी से फैल गईं। वह ऊपर से पूरी तरह नंगी थी। उसकी मोटी-मोटी चूचियाँ कर्मा की आँखों के सामने थीं, जो पके हुए आमों की तरह भारी और रसीली थीं। रजनी ने तुरंत अपने हाथों से उन्हें ढक लिया।

कर्मा को रजनी की यह हरकत देखकर हँसी आ गई। उसकी शरारती मुस्कान और गहरी नज़रों ने रजनी को और बेचैन कर दिया। रजनी के हाथ व्यस्त होने का फायदा उठाते हुए कर्मा ने उसकी साड़ी को भी खींच लिया। साड़ी फर्श पर गिर पड़ी, और अब रजनी के बदन पर सिर्फ़ एक पेटीकोट बचा था। उसने अपनी चूचियों को अब भी हाथों से ढके रखा था, मगर कर्मा का इरादा रुकने का नहीं था। उसने एक बार फिर अपने होंठ रजनी के होंठों पर रख दिए और उसे धीरे से बिस्तर पर पीछे की ओर लिटा दिया। वह खुद रजनी के ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूसने लगा। कर्मा के हाथ रजनी के नंगे बदन पर फिसल रहे थे, जैसे कोई भूखा शिकारी अपने शिकार का आनंद ले रहा हो।

33e208e72baf4efc98bb7854d478bc89

रजनी की साँसें तेज़ हो रही थीं। कर्मा ने होंठों को चूसते हुए उसके हाथ उसकी चूचियों से हटा दिए और उन्हें अपने मज़बूत हाथों में भर लिया। उसने धीरे-धीरे, मगर ज़ोर से, रजनी की चूचियों को दबाना शुरू किया। रजनी मचल उठी। उसका बदन उत्तेजना की लहरों में डूब रहा था। हर दबाव के साथ उसकी साँसें और भारी हो रही थीं। कर्मा की उंगलियाँ उसकी चूचियों को मसल रही थीं, और रजनी का शरीर जवाब दे रहा था। उसकी सारी मर्यादा, संस्कार, और सही-गलत का बोध इस आनंद के सामने फीका पड़ गया था। कर्मा, जो उसकी बेटे की उम्र का था, उसके बदन को मसल रहा था, चूस रहा था, और रजनी को यह सब अच्छा लग रहा था। उसका मन ग्लानि और उत्तेजना के बीच झूल रहा था, मगर उत्तेजना भारी पड़ रही थी।

कर्मा ने रजनी के होंठों को छोड़ा और उसकी आँखों में देखते हुए बोला, “आह, चाची, बहुत रसीली हो तुम! मज़ा आ गया।” उसकी आवाज़ में वासना और शरारत दोनों थी। वह नीचे सरका और रजनी की गर्दन को चूमने लगा। उसकी जीभ रजनी की नरम त्वचा पर फिसल रही थी, और फिर वह और नीचे गया। उसने रजनी की छाती को चाटा और आखिरकार उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया। दूसरी चूची को वह अपने हाथ से दबा रहा था। रजनी के लिए अब खुद को संभालना असंभव हो गया। वह कर्मा के नीचे मचल रही थी, उसका बदन झटके खा रहा था। उसके मुँह से लगातार आहें निकल रही थीं। “आह… लल्ला… आराम से… ओह… ह्म्म… आह… चूसो…” उसकी आवाज़ में आनंद और बेचैनी दोनों थी। उसके हाथ कर्मा के सिर पर चल रहे थे, जैसे वह उसे और करीब खींचना चाहती हो।

कर्मा ने एक चूची को जी भरकर चूसा, फिर दूसरी को मुँह में लिया। वह हर पल रजनी की उत्तेजना को और बढ़ा रहा था। रजनी का बदन अब पूरी तरह कर्मा के हवाले था। चूचियों को चूसने के बाद कर्मा ने उन्हें छोड़ा। रजनी ने शर्म से फिर से अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया, मगर कर्मा ने उस पर ध्यान नहीं दिया। वह और नीचे सरका और रजनी के मखमली पेट को चूमने और चाटने लगा।

bceb36d20c64453184dd796ffab09304

उसकी जीभ रजनी की गहरी नाभि के आसपास घूम रही थी। रजनी तड़प उठी। “आह… आह…” उसकी आहें कमरे में गूँज रही थीं। कर्मा का एक हाथ उसके पेट को मसल रहा था, और दूसरा उसके नंगे कंधों और छाती पर फिसल रहा था। रजनी को ऐसा आनंद पहले कभी नहीं मिला था। उसके पति दिलीप ने कभी उसके बदन का इस तरह स्वाद नहीं लिया था। कर्मा जैसे उसके हर अंग को पूज रहा था।

कर्मा ने रजनी की आँखों में देखा। उसकी नज़रों में वासना की चमक थी। “आह, चाची, क्या बदन है तुम्हारा!” उसने वासना भरी आवाज़ में कहा। “इतना स्वादिष्ट! पूरी मलाई हो तुम।” रजनी यह सुनकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा दी। उसकी साँसें और तेज़ हो गईं। कर्मा ने अपना हाथ नीचे बढ़ाया और रजनी के पेटीकोट को ऊपर खींचने लगा। रजनी की साँसें और चढ़ गईं। कर्मा ने धीरे-धीरे पेटीकोट को उसकी जाँघों तक चढ़ा दिया और फिर अपने हाथ को उसकी टाँगों के बीच ले गया। उसने रजनी की गरम, बहती हुई चूत को सहलाना शुरू किया। रजनी कर्मा का हाथ अपनी चूत पर महसूस करते ही पागल सी हो गई। “ओह… लल्ला… आह… उम्म… नहीं… आह… कर्मा…” उसकी आहें अब और तेज़ हो रही थीं।

कर्मा ने उसकी आहों को शांत करने के लिए एक बार फिर उसके होंठों को चूसना शुरू किया। वह रजनी की जीभ को अपनी जीभ से लपेट रहा था, उसकी गर्दन को पागलों की तरह चूस रहा था।

98d064f2c756447b8e159c3a74a1e03a
रजनी का अनैतिक रिश्ता उसे और उत्तेजित कर रहा था। यह गलत था, मगर यही गलतपन उसे और आनंद दे रहा था। हवेली शांत पड़ी थी। बाहर सोनू अपने काम में व्यस्त था, अनजान कि उसकी माँ और उसका नया दोस्त कर्मा अंदर वासना के खेल में डूबे हुए थे।

कर्मा अब रजनी की टाँगों के बीच जगह ले चुका था। वह उसकी जाँघों को चूमते हुए धीरे-धीरे ऊपर बढ़ रहा था। रजनी का पेटीकोट अब उसकी कमर पर इकट्ठा हो चुका था। कर्मा ने उसकी चूत के आसपास के हिस्से को चाटना और चूमना शुरू किया। रजनी उत्तेजना से पागल हो रही थी। वह अपनी चूचियों को खुद मसल रही थी और आहें भर रही थी। “ओह… कर्मा… आह… लल्ला… ओह… ऐसे ही… आह… खा जा… आह…” उसकी आवाज़ में तड़प थी। कर्मा जानबूझकर उसकी चूत को छेड़ रहा था, उसके आसपास चाट रहा था, ताकि उसकी तड़प और बढ़े। उसका एक हाथ रजनी के नंगे पेट और छाती पर फिसल रहा था, और दूसरा उसकी जाँघों को सहला रहा था।

b2169abe6e9c4f9ab9641aeddd0cf1b0
रजनी ने कभी नहीं सोचा था कि उसके बेटे की उम्र का लड़का उसे ऐसा सुख दे सकता है। उसके पति दिलीप का तरीका हमेशा जल्दबाज़ी भरा था। वह चढ़ता, धक्के लगाता, और अपने आनंद में खोकर हट जाता। रजनी के सुख की उसने कभी परवाह नहीं की। नीलेश ने उसे पहली बार संभोग के सुख से परिचित कराया था, मगर कर्मा उसे उस सुख के समंदर में डुबकी लगवा रहा था। उसका पूरा बदन वासना के पानी में तर हो चुका था।

जैसे ही कर्मा ने अपनी जीभ रजनी की चूत पर फिराई, रजनी का बदन पूरा ऐंठ गया। उसकी साँसें रुक सी गईं, और अगले ही पल वह स्खलित हो गई। उसका शरीर काँप रहा था, और वह बिस्तर पर बुरी तरह हाँफने लगी। कर्मा ने उसकी टाँगों के बीच से सिर निकाला और सीधा होकर अपने कपड़े उतारने लगा। कुछ ही पलों में वह पूरी तरह नंगा हो गया। उसका मोटा, लंबा लंड फनफनाता हुआ रजनी की चूत की ओर देख रहा था। कर्मा से अब रुका नहीं जा रहा था। उसने रजनी की टाँगों के बीच फिर से जगह ली। रजनी अभी भी आँखें बंद करके अपनी साँसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी।

कर्मा ने अपने लंड को रजनी की चूत के द्वार पर रखा और एक धक्के के साथ उसे अंदर सरका दिया। रजनी की आँखें झटके से खुल गईं, और उसका मुँह आनंद और हैरानी से खुला रह गया। “आह… लल्ला… ओह… ये क्या… आह…” उसकी आवाज़ काँप रही थी।

“बहुत गरम चूत है तुम्हारी, चाची,” कर्मा ने वासना भरी आवाज़ में कहा। “आह, अब रुका नहीं जाता।” उसने एक-दो धक्के और लगाए और अपना लंड जड़ तक रजनी की चूत में घुसा दिया। रजनी की चूत कर्मा के मोटे लंड से पूरी तरह भर गई थी। उसका बदन जैसे बिजली के झटके खा रहा था। कर्मा ने रजनी की चूचियों को थाम लिया और धक्के लगाना शुरू कर दिया। वह उसकी चूचियों को मसलते हुए उसे चोदने लगा।

रजनी कर्मा के हर धक्के को अपनी चूत में महसूस कर रही थी। उसका शरीर आनंद की लहरों में डूब रहा था। “आह… लल्ला… आह… ऐसे ही…” वह आहें भर रही थी। कर्मा की गति बढ़ रही थी, और उसकी उंगलियाँ रजनी की चूचियों को मसल रही थीं।

964bd2f178be4684877a6fdf5cbfaa69
“ओह… आह… चाची, कितना मज़ा आ रहा है तुम्हारी चूत में,” कर्मा ने उत्तेजित होकर कहा। “आह, कितनी कसी हुई है।”

“आह… लल्ला… ऐसे ही… मुझे भी… आह…” रजनी ने जवाब दिया। वह अब सारी शर्म और झिझक भूल चुकी थी। वह बस उस आनंद में डूब रही थी।

कर्मा ने और जोश में कहा, “आह, चाची, तुम्हें भी मज़ा आ रहा है, आह… बोलो?”

“ओह… आह… हाँ, लल्ला… ओह… कर्मा, मुझे भी मज़ा आ रहा है,” रजनी ने काँपती आवाज़ में कहा।

“तो खुलकर बोलो न, चाची,” कर्मा ने उसे उकसाया। “आह, बोलो तुम्हें चुदाई में मज़ा आ रहा है। अपनी चूत में मेरा लंड लेकर मज़ा आ रहा है।”

रजनी ने बिना रुके कहा, “हाँ… आह… लल्ला, मज़ा आ रहा है… इसमें…”

कर्मा ने अचानक खुद को रोका और अपना लंड रजनी की चूत से बाहर निकाल लिया। रजनी को अपनी चूत का खाली होना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। “आह… लल्ला, नहीं… डालो अंदर…” उसने तड़पते हुए कहा।

कर्मा सोफे पर टिककर बैठ गया और शरारती मुस्कान के साथ बोला, “चाची, लंड चाहिए, तो खुलकर बोलो और आओ, ले लो।”

रजनी जानती थी कि कर्मा उसे अपनी ताकत दिखा रहा है, मगर उसकी चूत में उठ रही आग उसे बेचैन कर रही थी। वह एक पल के लिए सकुचाई, फिर बोली, “हाँ, लल्ला… मुझे दे दो… अपना… वो… लंड…” वह कर्मा के पास आई।

“अपनी किसमें लोगी, चाची?” कर्मा ने छेड़ते हुए पूछा।

रजनी थोड़ा शरमाई, मगर बोली, “अपनी… वो… अपनी चूत में…”

कर्मा ने उसे अपने ऊपर आने का इशारा किया। रजनी तुरंत उसके ऊपर आ गई और उसकी ओर पीठ करके नीचे बैठी। कर्मा का लंड एक बार फिर उसकी चूत में समा गया। दोनों के मुँह से एक साथ आह निकली। रजनी ने धीरे-धीरे खुद को कर्मा के लंड पर उछालना शुरू किया। कर्मा ने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और उसे अपने लंड पर उछालने में मदद करने लगा।

eb6bf6b8d0a64f9dabd3305c193ed6cd

“ओह… चाची… आह… ऐसे ही… आह… ऐसे ही…” कर्मा ने उत्तेजित होकर कहा।

“आह… आह… लल्ला… कितना मोटा है…” रजनी ने तड़पते हुए जवाब दिया।

“तुम्हारी चूत भी बड़ी कसी हुई है, आह… चाची,” कर्मा ने कहा। “लगता है, चुदाई नहीं हुई तुम्हारी ठीक से।”

“हाँ… आह… लल्ला, तेरा चाचा तो शराबी है,” रजनी ने हाँफते हुए कहा। “वो बस दो-चार धक्के लगाकर हट जाता था।”

“हाँ, चाची, पर तुम्हारे जैसे बदन वाली को तो अच्छे से, मज़े से, मसल-मसलकर चोदना चाहिए,” कर्मा ने जोश में कहा।

“हाँ… लल्ला… जैसे तू चोद रहा है… आह… ऐसे ही…” रजनी ने जवाब दिया।

“आह, चाची, और गंदी बातें करो न,” कर्मा ने उकसाया। “अपने अंदर की गर्मी और गंदगी को बाहर निकालो।”

रजनी, जिसे कर्मा के साथ इतना मज़ा आ रहा था, अब किसी बात से मना नहीं कर सकती थी। “आह… लल्ला… ओह… चोद… अपनी चाची की प्यासी चूत को… आह… कबसे प्यासी थी ये मोटे लंड के लिए… आह… ऐसे ही भर दे…” उसकी आवाज़ में तड़प और वासना दोनों थी।

कर्मा ने और जोश में कहा, “आह, चाची, तुमने पापा से भी चुदवाया है न? आह, कैसा लग रहा है बाप के बाद बेटे से चुदवाने में?”

रजनी यह सुनकर और उत्तेजित हो गई। यह अनैतिक रिश्ता, यह गलतपन, उसे और आनंद दे रहा था। उसने बाप और बेटे, दोनों के लंड अपनी चूत में लिए थे। “हाँ… लल्ला… आह… पहले बाप और अब बेटा मुझे चोद रहा है… आह… और मैं दोनों के ही लंड को अपनी प्यासी चूत में समा रही हूँ…” उसने तड़पते हुए कहा।

“मज़ा आ रहा है तुम्हें, चाची?” कर्मा ने पूछा। “अब रोज़ चुदोगी न?”

“हाँ… लल्ला… बहुत मज़ा… अब तो जब तू बोलेगा, तब चोदूँगी…” रजनी ने हाँफते हुए जवाब दिया।

कर्मा उसकी बातें सुनकर और उत्तेजित हो गया। उसने रजनी को सीधा किया और खुद सोफे से पैर लटकाकर बैठ गया। रजनी को उसने अपनी कमर से थाम लिया और उसे अपने लंड पर उछालना शुरू किया। रजनी को इस आसन में खुलकर उछलने की आज़ादी मिली। उसकी चूचियाँ हर झटके के साथ नाच रही थीं। उसका पूरा बदन लहर मार रहा था। कर्मा उसे अपनी कमर से थामकर ज़ोर-ज़ोर से उछाल रहा था, और उसका लंड रजनी की चूत में जड़ तक जा रहा था।

GIF-20240914-232515-476
दोनों की उत्तेजना अपने चरम पर थी। रजनी का शरीर काँपने लगा। वह फिर से स्खलित होने वाली थी। कर्मा भी अब खुद को रोक नहीं पा रहा था। उसका लंड रजनी की चूत में पिचकारी मारने लगा, और उसने रजनी की चूत को अपने रस से भर दिया। दोनों पीछे की ओर लेट गए, बुरी तरह हाँफते हुए। उनकी साँसें कमरे में गूँज रही थीं। रजनी का बदन पसीने और आनंद में तर था, और कर्मा की आँखों में संतुष्टि की चमक थी। दोनों अपनी साँसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे।

रजनी का मन अभी भी उत्तेजना और ग्लानि के बीच झूल रहा था। उसने जो किया, वह गलत था, मगर उस आनंद ने उसे पूरी तरह जकड़ लिया था। कर्मा ने उसे एक ऐसी दुनिया दिखाई थी, जहाँ सिर्फ़ शारीरिक सुख ही मायने रखता था। दूसरी ओर, कर्मा के लिए यह एक और जीत थी। उसकी वासना और चालाकी ने रजनी को पूरी तरह अपने कब्जे में कर लिया था।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये साला कम्मु अपनी माँ और बाप की चुदाई का खेल देखकर पुरी तरहा से बावला हो गया हैं
वही हवेली में कर्मा ने रजनी की गदराई चुद पर अपने मोटे लंबे और तगडे लंड की मोहर ठोक कर उसे चुदाई के असीम आनंद से पहली बार रुबरु करा कर अपने लंड के लिये एक और चुद का इंतजाम बडी ही चालाकी से कर लिया
बडा ही जबरदस्त अपडेट हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

sunoanuj

Well-Known Member
3,848
10,084
159
“आसानी से नहीं मानेगी, तो थोड़ा ज़ोर लगाएँगे,” कर्मा ने शरारती मुस्कान के साथ कहा। “तुम लोग बस मेरे साथ रहो, सब मज़े मिलेंगे।”
सोनू और कम्मू कर्मा की बातों से प्रभावित थे, मगर मन्नू के मन में एक अजीब सी बेचैनी थी। वह चुप रहा। जीप गाँव की ओर बढ़ रही थी, और चारों अपनी-अपनी सोच में डूबे थे।

ग्यारहवाँ अध्याय


जीप धूल भरी सड़कों पर उड़ती हुई आखिरकार सज्जनपुर पहुँची। कर्मा ने सोनू, कम्मू, और मन्नू को उनके घरों के बाहर छोड़ दिया। रात गहरी हो चुकी थी, और गाँव की गलियाँ सन्नाटे में डूबी थीं। मन्नू बिना कुछ बोले अपने घर की ओर चला गया, मगर कम्मू के चेहरे पर चिंता साफ़ दिख रही थी। वह ठिठका हुआ खड़ा था, और सोनू ने उसकी बेचैनी भाँप ली।

“क्या हुआ, तू क्या सोच रहा है?” सोनू ने पूछा।

“यार, देर हो गई है,” कम्मू ने उदास लहजे में कहा। “पापा डाँटेंगे।”

“अरे, वो तो अब तक सो गए होंगे,” सोनू ने हल्के से हँसते हुए कहा।

“अबे, किवाड़ खुलवाऊँगा, तो जाग जाएँगे न?” कम्मू ने चिंता से कहा।

सोनू ने एक पल सोचा और बोला, “तो मत खुलवा न। मेरे घर से दीवार फाँदकर चला जा।”

कम्मू को यह उपाय ठीक लगा। दोनों सोनू के घर की ओर बढ़े। सोनू ने किवाड़ खटखटाया, तो नींद भरी आँखों के साथ नेहा ने दरवाज़ा खोला। दोनों अंदर दाखिल हुए। आँगन में एक छोटी सी दीवार थी, जो सोनू के घर को कम्मू के घर से अलग करती थी। कम्मू ने चुपके से दीवार फाँदी और अपने आँगन में पहुँच गया। उसने नज़र घुमाई—सब सो रहे थे। उसके भाई-बहन खटिया पर गहरी नींद में थे, मगर पापा की खाट खाली थी। कम्मू का दिल धक् से रह गया। “पापा जाग रहे हैं?” उसने सोचा।

तभी उसकी नज़र अंदर के कमरे की ओर गई। किवाड़ के नीचे से हल्की सी रौशनी टिमटिमा रही थी। “माँ अभी तक जाग रही है?” कम्मू के मन में जिज्ञासा जागी। वह धीरे-धीरे कमरे की ओर बढ़ा। किवाड़ के पास पहुँचते ही उसे अंदर से कुछ अस्पष्ट सी आवाज़ें सुनाई दीं—हल्की सिसकियाँ, जैसे कोई दबी हुई साँसें। कम्मू रुक गया। उसका मन उत्सुकता और संकोच के बीच झूल रहा था। उसने धीरे से किवाड़ की झिरी पर आँख लगाई और अंदर झाँका। जो उसने देखा, उससे उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।

बिस्तर पर उसके पापा अजीत थे, पूरी तरह नंगे। उनके नीचे उसकी माँ सुमन थी, जो भी नंगी थी। अजीत अपनी पत्नी की मोटी-मोटी चूचियों को मसल रहे थे, कभी उन्हें चूस रहे थे, तो कभी चाट रहे थे।

20220616-175223

सुमन की हल्की सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं। उसका चेहरा आनंद और उत्तेजना से भरा था। कम्मू का मुँह सूखने लगा। उसका किशोर मन इस दृश्य को देखकर हिल गया। उसे तुरंत एहसास हुआ कि यह गलत है। वह अपने माँ-बाप को इस तरह नहीं देख सकता। उसने जल्दी से आँखें हटाईं और पीछे हट गया।

आँगन में एक नज़र डाली—सब सो रहे थे। कम्मू का मन द्वंद्व में फँस गया। एक तरफ वह जानता था कि यह गलत है, मगर दूसरी तरफ उसकी जिज्ञासा उसे और देखने के लिए उकसा रही थी। पहली बार वह दो लोगों को काम रस में डूबे हुए देख रहा था। उसका किशोर मन उत्तेजना और उत्सुकता से भर उठा। कुछ देर सोचने के बाद उसकी जिज्ञासा जीत गई। उसने सोचा, “सब सो रहे हैं। थोड़ा देख लूँगा, तो किसी को पता नहीं चलेगा।”

वह फिर से किवाड़ की झिरी पर आँख लगाकर अंदर देखने लगा। मगर अब नज़ारा बदल चुका था, और यह पहले से भी ज़्यादा उत्तेजक था। अब उसकी माँ सुमन उसकी ओर मुँह करके थी, पूरी तरह नंगी। उसके पापा अजीत पीछे से अपनी कमर हिला रहे थे। उनका एक हाथ सुमन की एक चूची पर था, जो उसे मसल रहा था, और दूसरा हाथ उसके मखमली पेट को सहला रहा था। कम्मू को अपनी माँ का पूरा नंगा बदन सामने से दिख रहा था—उसकी मोटी-मोटी चूचियाँ, जो हर धक्के के साथ हिल रही थीं, गहरी नाभि, मांसल पेट, और नीचे हल्की-हल्की झाँटों के बीच उसकी रसीली चूत, जिसमें उसके पापा का लंड अंदर-बाहर हो रहा था।

0271436bbbfb41938b2ea8044c5105cf
कम्मू ने इससे पहले ऐसा उत्तेजक दृश्य कभी नहीं देखा था। उसकी माँ का चेहरा आनंद में डूबा था। उसकी आँखें बंद थीं, और वह अपने होंठों को काट रही थी। कम्मू का लंड पैंट में खड़ा हो गया, और उसे इसका एहसास भी नहीं हुआ। वह बस आँखें फाड़े अंदर देख रहा था। उसका हाथ अनायास ही पैंट के ऊपर से अपने लंड को सहलाने लगा। अचानक उसे होश आया, और उसने जल्दी से हाथ हटा लिया। वह खुद को धिक्कारने लगा, “ये क्या कर रहा हूँ? अपने माँ-बाप को देखकर ये सब करना गलत है!”

तभी आँगन में किसी के खाँसने की आवाज़ आई। कम्मू तुरंत हरकत में आया और दबे पाँव अपनी खाट पर जाकर लेट गया। उसका लंड अभी भी पैंट में तंबू बनाए हुए था। उसके मन में एक साथ ढेर सारे विचार उमड़ रहे थे। उसकी आँखों के सामने वही दृश्य बार-बार घूम रहा था—उसकी माँ का नंगा बदन, उसकी चूचियाँ, उसकी चूत, और पापा का लंड। उसने खुद को शांत करने की कोशिश की, मगर उसका लंड जस का तस खड़ा था।

वह सोचने लगा, “ऐसे नहीं चलेगा। इसे शांत करना पड़ेगा।” उसने चादर अपने ऊपर डाल ली और चुपके से पैंट खोलकर लंड बाहर निकाल लिया। उसने हल्के-हल्के मुठियाना शुरू किया। वह जोर लगाकर हलवाइन और लाली के बदन के बारे में सोचने की कोशिश करने लगा, मगर कुछ ही पल बाद उसकी माँ का नंगा बदन फिर से उसकी आँखों के सामने आ गया। उसका लंड उसके हाथ में और सख्त हो गया। इस बार वह खुद को रोक नहीं पाया। अपनी माँ के बदन को याद करते हुए वह मुठियाने लगा। जल्द ही उसके लंड ने उसकी मुट्ठी और पेट पर अपना रस उगल दिया। झड़ने के बाद उसे थोड़ी शांति मिली, मगर तुरंत ही ग्लानि ने उसे घेर लिया। वह सोचते-सोचते कब नींद में चला गया, उसे पता ही नहीं चला।

---


सुबह की पहली किरण के साथ सज्जनपुर जाग उठा। गायों की रँभाहट और खेतों से मज़दूरों की आवाज़ों ने गाँव को जीवंत कर दिया। सोनू और रजनी समय पर हवेली पहुँच चुके थे। रजनी रसोई में बिमला के साथ मिलकर नाश्ता तैयार कर रही थी, और सोनू हवेली के बाहरी हिस्से में झाड़ू लगा रहा था। मगर उसका मन कहीं और था। रात का नाच, लाली की थिरकन, और कर्मा की बेपरवाह बातें उसके दिमाग में घूम रही थीं।

हवेली की रसोई में रजनी आटा गूँध रही थी, तभी सरोज तैयार होकर आई। “रजनी, सुन,” सरोज ने कहा। “मैं और कर्मा के पापा शहर जा रहे हैं। बाबूजी की चाय तो मैंने बिमला के हाथों भेज दी है। तू कर्मा को जगा दे और उसे चाय दे देना। अभी तक सो रहा है वो।”

“ठीक है, जीजी,” रजनी ने जवाब दिया।

सरोज नीलेश के साथ चली गई। रजनी ने चाय बनाई, मगर मन ही मन वह सोच रही थी। वह कर्मा की नज़रों और उसकी आदतों से वाकिफ थी। वह हमेशा उससे बचकर रहती थी, मगर हवेली में काम करते हुए कब तक वह उससे नज़रें चुरा सकती थी? खैर, काम तो करना ही था। चाय तैयार हो गई। उसने एक कप में चाय भरी, ट्रे में रखी, और कर्मा के कमरे की ओर बढ़ गई।

कर्मा अभी भी गहरी नींद में था। वह सिर्फ़ बनियान और निक्कर पहने बिस्तर पर पड़ा था। रजनी ने उसे आवाज़ दी, “लल्ला, उठो! चाय ले लो।” मगर कर्मा पर कोई असर नहीं हुआ। रजनी ने मन में सोचा, “ये लड़का तो घोड़े बेचकर सोता है।” उसने चाय ट्रे में बगल की टेबल पर रख दी और कर्मा के कंधे को हल्के से सहलाकर उसे जगाने की कोशिश की।

कर्मा ने धीरे-धीरे आँखें खोलीं और सामने रजनी को देखा। वह तुरंत सीधा होकर बैठ गया। “उठ गए, लल्ला,” रजनी ने कहा। “लो, चाय पी लो।”

“अभी पी लूँगा, चाची,” कर्मा ने आँखें मसलते हुए कहा।

“ठीक है,” रजनी ने कहा। “जीजी और साहब शहर गए हैं। तुझे जो कुछ खाना हो, बता दे। मैं बना दूँगी।”

“शहर? क्यों?” कर्मा ने पूछा।

“ये तो मुझे भी नहीं पता, लल्ला,” रजनी ने जवाब दिया। “चल, तू चाय पी ले। मैं बाकी काम निपटा लेती हूँ।”

रजनी जैसे ही जाने को मुड़ी, कर्मा ने उसे रोक लिया। “अरे, रुको न, चाची! काम तो होते रहेंगे। थोड़ी देर मेरे पास तो बैठो।”

“अरे, नहीं, लल्ला,” रजनी ने हल्के से कहा। “पहले काम निपटा लूँ, फिर आराम से बातें करेंगे।”

मगर कर्मा कहाँ मानने वाला था? उसने रजनी का हाथ पकड़कर खींच लिया। “अरे, नहीं, चाची! मुझे अकेले अच्छा नहीं लगता।” खींचने की वजह से रजनी का संतुलन बिगड़ा, और वह पीछे की ओर गिरने लगी। कर्मा ने उसे पकड़ लिया और अपनी गोद में बिठा लिया। रजनी का पल्लू सरक गया, और उसका भरा हुआ बदन कर्मा के सामने था। कर्मा ने मौके का फायदा उठाया और तुरंत रजनी के पेट और चूचियों को मसलने लगा।

47b279b2e5424a2dbcc6d9e365f54db7

रजनी हैरान रह गई। “अरे, लल्ला, नहीं! छोड़ो मुझे!” उसने छूटने की कोशिश करते हुए कहा। “लल्ला, ऐसे नहीं करते!”

मगर कर्मा नहीं रुका। वह रजनी के बदन को मसलते हुए उत्तेजित हो रहा था। रजनी ने फिर से जोर लगाया और इस बार धक्का देकर उसकी पकड़ से छूट गई। वह खड़ी हो गई और जल्दी से अपना पल्लू ठीक किया। उसका चेहरा गुस्से और परेशानी से भरा था, मगर वह यह भी जानती थी कि कर्मा के साथ गुस्सा करना उसके लिए ठीक नहीं होगा। हवेली में काम करने की मजबूरी थी।

कर्मा ने बेपरवाही से कहा, “क्या हुआ, चाची? इतना क्या घबरा रही हो? मैं काटूँगा नहीं। आओ, बैठो न।”

रजनी ने खुद को शांत किया। वह कुछ सोचकर कर्मा के बगल में बिस्तर पर बैठ गई। कर्मा ने मुस्कुराते हुए कहा, “ये हुई न बात, चाची। वैसे, एक बात कहूँ?”

“हाँ, बोलो,” रजनी ने थोड़ा संभलते हुए कहा।

“तुम बहुत सुंदर हो, सच में,” कर्मा ने तारीफ भरे लहजे में कहा।

रजनी को उसकी बात सुनकर हँसी आ गई। “हट, लल्ला! मैं और सुंदर?” उसने हँसते हुए कहा। “सुंदर तो तेरी उम्र की लड़कियाँ होती हैं। तेरी दुल्हन होगी सुंदर।”

“मेरा वश चले, तो मैं तुम्हें ही अपनी दुल्हन बना लूँ,” कर्मा ने शरारत भरे लहजे में कहा।

रजनी फिर से मुस्कुरा दी। अपनी तारीफ सुनना हर औरत को अच्छा लगता है, और रजनी भी अपवाद नहीं थी। भले ही वह कर्मा के स्वभाव को जानती थी, मगर अपने बेटे की उम्र के लड़के से तारीफ सुनकर उसे अच्छा लग रहा था। “लल्ला, बातें बहुत बनाते हो तुम,” उसने हँसते हुए कहा।

“अच्छा, तो न करूँ बातें? कुछ और करूँ?” कर्मा ने शरारत से कहा।

“कुछ और क्या?” रजनी ने पूछा।

कर्मा उसकी ओर झुका और अचानक उसके कंधे और गर्दन पर हाथ रखकर अपने होंठ रजनी के होंठों पर रख दिए। रजनी इस बार हैरान नहीं हुई, न ही पीछे हटी। कर्मा को यह देखकर खुशी हुई। वह रजनी के होंठों को चूसने लगा।

58abeea25ab545cc803b1bf5633dace5


रजनी जानती थी कि जो हो रहा है, वह गलत है, मगर वह कर्मा को रोक नहीं रही थी। कर्मा के होंठों का रस पीते हुए वह उसका साथ देने लगी। उसका बदन कर्मा के चुंबन का जवाब देने लगा। अपने से आधी उम्र के लड़के का साथ पाकर उसका बदन उत्तेजित हो रहा था।

कर्मा का चूमने का तरीका रजनी को हैरान कर रहा था। वह उसके होंठों को हल्के से दबाकर, बड़े आराम से चूस रहा था, बिना किसी आक्रामकता के। यह रजनी को बहुत भा रहा था। वह खुद को रोक नहीं पाई और कर्मा का साथ देने लगी। कर्मा का जोश और बढ़ गया। उसने अपनी जीभ रजनी के मुँह में डाल दी। रजनी भी अब पीछे हटने वाली नहीं थी। वह कर्मा की जीभ का जवाब अपनी जीभ से देने लगी। दोनों के बदन एक-दूसरे से सटे थे, और कमरे में एक अजीब सी गर्मी फैल रही थी।

कर्मा के होंठ रजनी के होंठों को चूस रहे थे, और उसकी उंगलियाँ रजनी की साड़ी के पल्लू को धीरे-धीरे नीचे सरका रही थीं। रजनी उत्तेजना के समंदर में डूब चुकी थी। उसका मन, उसका शरीर, सब कर्मा की हरकतों में खो चुके थे।
कर्मा की चालाक उंगलियों ने रजनी के ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू किए। उसकी हर हरकत में एक कुशल कारीगर की तरह निपुणता थी। कुछ ही पलों में ब्लाउज़ रजनी के बदन से अलग होकर बिस्तर पर गिर गया। कर्मा ने होंठों को छोड़ा और रजनी की ओर देखा। रजनी ने जब अपनी स्थिति का अंदाज़ा लगाया, तो उसकी आँखें शर्म और हैरानी से फैल गईं। वह ऊपर से पूरी तरह नंगी थी। उसकी मोटी-मोटी चूचियाँ कर्मा की आँखों के सामने थीं, जो पके हुए आमों की तरह भारी और रसीली थीं। रजनी ने तुरंत अपने हाथों से उन्हें ढक लिया।

कर्मा को रजनी की यह हरकत देखकर हँसी आ गई। उसकी शरारती मुस्कान और गहरी नज़रों ने रजनी को और बेचैन कर दिया। रजनी के हाथ व्यस्त होने का फायदा उठाते हुए कर्मा ने उसकी साड़ी को भी खींच लिया। साड़ी फर्श पर गिर पड़ी, और अब रजनी के बदन पर सिर्फ़ एक पेटीकोट बचा था। उसने अपनी चूचियों को अब भी हाथों से ढके रखा था, मगर कर्मा का इरादा रुकने का नहीं था। उसने एक बार फिर अपने होंठ रजनी के होंठों पर रख दिए और उसे धीरे से बिस्तर पर पीछे की ओर लिटा दिया। वह खुद रजनी के ऊपर आ गया और उसके होंठों को चूसने लगा। कर्मा के हाथ रजनी के नंगे बदन पर फिसल रहे थे, जैसे कोई भूखा शिकारी अपने शिकार का आनंद ले रहा हो।

33e208e72baf4efc98bb7854d478bc89

रजनी की साँसें तेज़ हो रही थीं। कर्मा ने होंठों को चूसते हुए उसके हाथ उसकी चूचियों से हटा दिए और उन्हें अपने मज़बूत हाथों में भर लिया। उसने धीरे-धीरे, मगर ज़ोर से, रजनी की चूचियों को दबाना शुरू किया। रजनी मचल उठी। उसका बदन उत्तेजना की लहरों में डूब रहा था। हर दबाव के साथ उसकी साँसें और भारी हो रही थीं। कर्मा की उंगलियाँ उसकी चूचियों को मसल रही थीं, और रजनी का शरीर जवाब दे रहा था। उसकी सारी मर्यादा, संस्कार, और सही-गलत का बोध इस आनंद के सामने फीका पड़ गया था। कर्मा, जो उसकी बेटे की उम्र का था, उसके बदन को मसल रहा था, चूस रहा था, और रजनी को यह सब अच्छा लग रहा था। उसका मन ग्लानि और उत्तेजना के बीच झूल रहा था, मगर उत्तेजना भारी पड़ रही थी।

कर्मा ने रजनी के होंठों को छोड़ा और उसकी आँखों में देखते हुए बोला, “आह, चाची, बहुत रसीली हो तुम! मज़ा आ गया।” उसकी आवाज़ में वासना और शरारत दोनों थी। वह नीचे सरका और रजनी की गर्दन को चूमने लगा। उसकी जीभ रजनी की नरम त्वचा पर फिसल रही थी, और फिर वह और नीचे गया। उसने रजनी की छाती को चाटा और आखिरकार उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया। दूसरी चूची को वह अपने हाथ से दबा रहा था। रजनी के लिए अब खुद को संभालना असंभव हो गया। वह कर्मा के नीचे मचल रही थी, उसका बदन झटके खा रहा था। उसके मुँह से लगातार आहें निकल रही थीं। “आह… लल्ला… आराम से… ओह… ह्म्म… आह… चूसो…” उसकी आवाज़ में आनंद और बेचैनी दोनों थी। उसके हाथ कर्मा के सिर पर चल रहे थे, जैसे वह उसे और करीब खींचना चाहती हो।

कर्मा ने एक चूची को जी भरकर चूसा, फिर दूसरी को मुँह में लिया। वह हर पल रजनी की उत्तेजना को और बढ़ा रहा था। रजनी का बदन अब पूरी तरह कर्मा के हवाले था। चूचियों को चूसने के बाद कर्मा ने उन्हें छोड़ा। रजनी ने शर्म से फिर से अपनी चूचियों को हाथों से ढक लिया, मगर कर्मा ने उस पर ध्यान नहीं दिया। वह और नीचे सरका और रजनी के मखमली पेट को चूमने और चाटने लगा।

bceb36d20c64453184dd796ffab09304

उसकी जीभ रजनी की गहरी नाभि के आसपास घूम रही थी। रजनी तड़प उठी। “आह… आह…” उसकी आहें कमरे में गूँज रही थीं। कर्मा का एक हाथ उसके पेट को मसल रहा था, और दूसरा उसके नंगे कंधों और छाती पर फिसल रहा था। रजनी को ऐसा आनंद पहले कभी नहीं मिला था। उसके पति दिलीप ने कभी उसके बदन का इस तरह स्वाद नहीं लिया था। कर्मा जैसे उसके हर अंग को पूज रहा था।

कर्मा ने रजनी की आँखों में देखा। उसकी नज़रों में वासना की चमक थी। “आह, चाची, क्या बदन है तुम्हारा!” उसने वासना भरी आवाज़ में कहा। “इतना स्वादिष्ट! पूरी मलाई हो तुम।” रजनी यह सुनकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा दी। उसकी साँसें और तेज़ हो गईं। कर्मा ने अपना हाथ नीचे बढ़ाया और रजनी के पेटीकोट को ऊपर खींचने लगा। रजनी की साँसें और चढ़ गईं। कर्मा ने धीरे-धीरे पेटीकोट को उसकी जाँघों तक चढ़ा दिया और फिर अपने हाथ को उसकी टाँगों के बीच ले गया। उसने रजनी की गरम, बहती हुई चूत को सहलाना शुरू किया। रजनी कर्मा का हाथ अपनी चूत पर महसूस करते ही पागल सी हो गई। “ओह… लल्ला… आह… उम्म… नहीं… आह… कर्मा…” उसकी आहें अब और तेज़ हो रही थीं।

कर्मा ने उसकी आहों को शांत करने के लिए एक बार फिर उसके होंठों को चूसना शुरू किया। वह रजनी की जीभ को अपनी जीभ से लपेट रहा था, उसकी गर्दन को पागलों की तरह चूस रहा था।

98d064f2c756447b8e159c3a74a1e03a
रजनी का अनैतिक रिश्ता उसे और उत्तेजित कर रहा था। यह गलत था, मगर यही गलतपन उसे और आनंद दे रहा था। हवेली शांत पड़ी थी। बाहर सोनू अपने काम में व्यस्त था, अनजान कि उसकी माँ और उसका नया दोस्त कर्मा अंदर वासना के खेल में डूबे हुए थे।

कर्मा अब रजनी की टाँगों के बीच जगह ले चुका था। वह उसकी जाँघों को चूमते हुए धीरे-धीरे ऊपर बढ़ रहा था। रजनी का पेटीकोट अब उसकी कमर पर इकट्ठा हो चुका था। कर्मा ने उसकी चूत के आसपास के हिस्से को चाटना और चूमना शुरू किया। रजनी उत्तेजना से पागल हो रही थी। वह अपनी चूचियों को खुद मसल रही थी और आहें भर रही थी। “ओह… कर्मा… आह… लल्ला… ओह… ऐसे ही… आह… खा जा… आह…” उसकी आवाज़ में तड़प थी। कर्मा जानबूझकर उसकी चूत को छेड़ रहा था, उसके आसपास चाट रहा था, ताकि उसकी तड़प और बढ़े। उसका एक हाथ रजनी के नंगे पेट और छाती पर फिसल रहा था, और दूसरा उसकी जाँघों को सहला रहा था।

b2169abe6e9c4f9ab9641aeddd0cf1b0
रजनी ने कभी नहीं सोचा था कि उसके बेटे की उम्र का लड़का उसे ऐसा सुख दे सकता है। उसके पति दिलीप का तरीका हमेशा जल्दबाज़ी भरा था। वह चढ़ता, धक्के लगाता, और अपने आनंद में खोकर हट जाता। रजनी के सुख की उसने कभी परवाह नहीं की। नीलेश ने उसे पहली बार संभोग के सुख से परिचित कराया था, मगर कर्मा उसे उस सुख के समंदर में डुबकी लगवा रहा था। उसका पूरा बदन वासना के पानी में तर हो चुका था।

जैसे ही कर्मा ने अपनी जीभ रजनी की चूत पर फिराई, रजनी का बदन पूरा ऐंठ गया। उसकी साँसें रुक सी गईं, और अगले ही पल वह स्खलित हो गई। उसका शरीर काँप रहा था, और वह बिस्तर पर बुरी तरह हाँफने लगी। कर्मा ने उसकी टाँगों के बीच से सिर निकाला और सीधा होकर अपने कपड़े उतारने लगा। कुछ ही पलों में वह पूरी तरह नंगा हो गया। उसका मोटा, लंबा लंड फनफनाता हुआ रजनी की चूत की ओर देख रहा था। कर्मा से अब रुका नहीं जा रहा था। उसने रजनी की टाँगों के बीच फिर से जगह ली। रजनी अभी भी आँखें बंद करके अपनी साँसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी।

कर्मा ने अपने लंड को रजनी की चूत के द्वार पर रखा और एक धक्के के साथ उसे अंदर सरका दिया। रजनी की आँखें झटके से खुल गईं, और उसका मुँह आनंद और हैरानी से खुला रह गया। “आह… लल्ला… ओह… ये क्या… आह…” उसकी आवाज़ काँप रही थी।

“बहुत गरम चूत है तुम्हारी, चाची,” कर्मा ने वासना भरी आवाज़ में कहा। “आह, अब रुका नहीं जाता।” उसने एक-दो धक्के और लगाए और अपना लंड जड़ तक रजनी की चूत में घुसा दिया। रजनी की चूत कर्मा के मोटे लंड से पूरी तरह भर गई थी। उसका बदन जैसे बिजली के झटके खा रहा था। कर्मा ने रजनी की चूचियों को थाम लिया और धक्के लगाना शुरू कर दिया। वह उसकी चूचियों को मसलते हुए उसे चोदने लगा।

रजनी कर्मा के हर धक्के को अपनी चूत में महसूस कर रही थी। उसका शरीर आनंद की लहरों में डूब रहा था। “आह… लल्ला… आह… ऐसे ही…” वह आहें भर रही थी। कर्मा की गति बढ़ रही थी, और उसकी उंगलियाँ रजनी की चूचियों को मसल रही थीं।

964bd2f178be4684877a6fdf5cbfaa69
“ओह… आह… चाची, कितना मज़ा आ रहा है तुम्हारी चूत में,” कर्मा ने उत्तेजित होकर कहा। “आह, कितनी कसी हुई है।”

“आह… लल्ला… ऐसे ही… मुझे भी… आह…” रजनी ने जवाब दिया। वह अब सारी शर्म और झिझक भूल चुकी थी। वह बस उस आनंद में डूब रही थी।

कर्मा ने और जोश में कहा, “आह, चाची, तुम्हें भी मज़ा आ रहा है, आह… बोलो?”

“ओह… आह… हाँ, लल्ला… ओह… कर्मा, मुझे भी मज़ा आ रहा है,” रजनी ने काँपती आवाज़ में कहा।

“तो खुलकर बोलो न, चाची,” कर्मा ने उसे उकसाया। “आह, बोलो तुम्हें चुदाई में मज़ा आ रहा है। अपनी चूत में मेरा लंड लेकर मज़ा आ रहा है।”

रजनी ने बिना रुके कहा, “हाँ… आह… लल्ला, मज़ा आ रहा है… इसमें…”

कर्मा ने अचानक खुद को रोका और अपना लंड रजनी की चूत से बाहर निकाल लिया। रजनी को अपनी चूत का खाली होना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। “आह… लल्ला, नहीं… डालो अंदर…” उसने तड़पते हुए कहा।

कर्मा सोफे पर टिककर बैठ गया और शरारती मुस्कान के साथ बोला, “चाची, लंड चाहिए, तो खुलकर बोलो और आओ, ले लो।”

रजनी जानती थी कि कर्मा उसे अपनी ताकत दिखा रहा है, मगर उसकी चूत में उठ रही आग उसे बेचैन कर रही थी। वह एक पल के लिए सकुचाई, फिर बोली, “हाँ, लल्ला… मुझे दे दो… अपना… वो… लंड…” वह कर्मा के पास आई।

“अपनी किसमें लोगी, चाची?” कर्मा ने छेड़ते हुए पूछा।

रजनी थोड़ा शरमाई, मगर बोली, “अपनी… वो… अपनी चूत में…”

कर्मा ने उसे अपने ऊपर आने का इशारा किया। रजनी तुरंत उसके ऊपर आ गई और उसकी ओर पीठ करके नीचे बैठी। कर्मा का लंड एक बार फिर उसकी चूत में समा गया। दोनों के मुँह से एक साथ आह निकली। रजनी ने धीरे-धीरे खुद को कर्मा के लंड पर उछालना शुरू किया। कर्मा ने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और उसे अपने लंड पर उछालने में मदद करने लगा।

eb6bf6b8d0a64f9dabd3305c193ed6cd

“ओह… चाची… आह… ऐसे ही… आह… ऐसे ही…” कर्मा ने उत्तेजित होकर कहा।

“आह… आह… लल्ला… कितना मोटा है…” रजनी ने तड़पते हुए जवाब दिया।

“तुम्हारी चूत भी बड़ी कसी हुई है, आह… चाची,” कर्मा ने कहा। “लगता है, चुदाई नहीं हुई तुम्हारी ठीक से।”

“हाँ… आह… लल्ला, तेरा चाचा तो शराबी है,” रजनी ने हाँफते हुए कहा। “वो बस दो-चार धक्के लगाकर हट जाता था।”

“हाँ, चाची, पर तुम्हारे जैसे बदन वाली को तो अच्छे से, मज़े से, मसल-मसलकर चोदना चाहिए,” कर्मा ने जोश में कहा।

“हाँ… लल्ला… जैसे तू चोद रहा है… आह… ऐसे ही…” रजनी ने जवाब दिया।

“आह, चाची, और गंदी बातें करो न,” कर्मा ने उकसाया। “अपने अंदर की गर्मी और गंदगी को बाहर निकालो।”

रजनी, जिसे कर्मा के साथ इतना मज़ा आ रहा था, अब किसी बात से मना नहीं कर सकती थी। “आह… लल्ला… ओह… चोद… अपनी चाची की प्यासी चूत को… आह… कबसे प्यासी थी ये मोटे लंड के लिए… आह… ऐसे ही भर दे…” उसकी आवाज़ में तड़प और वासना दोनों थी।

कर्मा ने और जोश में कहा, “आह, चाची, तुमने पापा से भी चुदवाया है न? आह, कैसा लग रहा है बाप के बाद बेटे से चुदवाने में?”

रजनी यह सुनकर और उत्तेजित हो गई। यह अनैतिक रिश्ता, यह गलतपन, उसे और आनंद दे रहा था। उसने बाप और बेटे, दोनों के लंड अपनी चूत में लिए थे। “हाँ… लल्ला… आह… पहले बाप और अब बेटा मुझे चोद रहा है… आह… और मैं दोनों के ही लंड को अपनी प्यासी चूत में समा रही हूँ…” उसने तड़पते हुए कहा।

“मज़ा आ रहा है तुम्हें, चाची?” कर्मा ने पूछा। “अब रोज़ चुदोगी न?”

“हाँ… लल्ला… बहुत मज़ा… अब तो जब तू बोलेगा, तब चोदूँगी…” रजनी ने हाँफते हुए जवाब दिया।

कर्मा उसकी बातें सुनकर और उत्तेजित हो गया। उसने रजनी को सीधा किया और खुद सोफे से पैर लटकाकर बैठ गया। रजनी को उसने अपनी कमर से थाम लिया और उसे अपने लंड पर उछालना शुरू किया। रजनी को इस आसन में खुलकर उछलने की आज़ादी मिली। उसकी चूचियाँ हर झटके के साथ नाच रही थीं। उसका पूरा बदन लहर मार रहा था। कर्मा उसे अपनी कमर से थामकर ज़ोर-ज़ोर से उछाल रहा था, और उसका लंड रजनी की चूत में जड़ तक जा रहा था।

GIF-20240914-232515-476
दोनों की उत्तेजना अपने चरम पर थी। रजनी का शरीर काँपने लगा। वह फिर से स्खलित होने वाली थी। कर्मा भी अब खुद को रोक नहीं पा रहा था। उसका लंड रजनी की चूत में पिचकारी मारने लगा, और उसने रजनी की चूत को अपने रस से भर दिया। दोनों पीछे की ओर लेट गए, बुरी तरह हाँफते हुए। उनकी साँसें कमरे में गूँज रही थीं। रजनी का बदन पसीने और आनंद में तर था, और कर्मा की आँखों में संतुष्टि की चमक थी। दोनों अपनी साँसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे।

रजनी का मन अभी भी उत्तेजना और ग्लानि के बीच झूल रहा था। उसने जो किया, वह गलत था, मगर उस आनंद ने उसे पूरी तरह जकड़ लिया था। कर्मा ने उसे एक ऐसी दुनिया दिखाई थी, जहाँ सिर्फ़ शारीरिक सुख ही मायने रखता था। दूसरी ओर, कर्मा के लिए यह एक और जीत थी। उसकी वासना और चालाकी ने रजनी को पूरी तरह अपने कब्जे में कर लिया था।


जारी रहेगी

बहुत ही शानदार और कामुक अपडेट है !
 
  • Like
Reactions: Ajju Landwalia
Top