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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

LustyArjuna

Member
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💥 अध्याय : 02 💥

UPDATE 14
( MEGA )

बंद कमरे में मादक सिसकारियां उठ रही थी , दो होठ एक दूसरे को निचोड़ने में अपने रस साझा कर रहे थे , रंगी में मजबूत पंजे सुनीता के रसीले चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसलने लगे थे और सुनीता उसके होठों के चुम्बन से मदहोश हुई जा रही थी ,
रंगी कभी उसके गाल तो कभी उसके कान के पास तो कभी उसके गर्दन और आगे सीने पर सुनीता कुनमुनाती सिसकती हुई मुस्कुरा रही थी और वो गुदगुदाहट भरे चुम्बन उसके बुर के दाने को फड़का रहे थे ।
एकदम से वो पीछे हटी और अपने सीने से आंचल हटा दिया


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भरे भरे दो रसभरे खरबूजे जैसे चूचे ब्लाउज में कसे हुए जो अपने वजन से झूल ही जाते अगर उन्हें उस डिजाइनर चुस्त ब्रा के कप्स ने नहीं थामा होता ।
हल्का उभरा हुआ नरम पेट और चर्बीदार गहरी नाभि उफ्फ क्या दूधिया रंग था ।
रंगी का लंड अकड़ रहा था और वो उसकी ओर लपका लेकिन सुनीता पीछे हटने लगी और एकदम से रंगी खड़ा हो गया क्योंकि अब सुनीता पीछे नहीं जा सकती थी क्योंकि पीछे दिवाल और नीचे सोफा रखा था ।
सुनीता उस सोफे पर चढ़ कर कसमसाने लगी , मानो रंगी को जता रही हो कि वो कितनी तड़प रही है और वो आए उसे बाहों में भर ले ।
मिनट भर भी नहीं रोक सका रंगी खुद को और साड़ी के नीचे से झांकती उसकी गदराई दूधिया जांघों को सहलाते हुए अपने हाथ सीधा सरका कर उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों पर ले गया और आगे झुक कर उसके गुदाज मुलायम पेट को चूमने लगा


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जैसे जैसे नीचे साड़ी में रंगी उसके चूतड़ के नंगे भागो को अपने पंजे से छेड़ता उन्हें मसलता वैसे वैसे सुनीता अपने गाड़ सख्त कर अपने कमर को उठा देती और रंगी उसकी रसीली नाभि में जीभ डाल कर अपने होठ से उन्हें चूसता
सुनीता अकड़ रही थी और उसकी सिसकियां पहले से तेज होने लगी और रंगी उसके ब्लाउज के ऊपर से उसके नरम मोटे मम्मे को काटने लगा : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम रुको न
रंगी ने मुस्कुरा कर उसे देखा और आंखों से ही सवाल किया कि क्या हुआ
सुनीता मुस्कुरा कर अपनी जगह बदलते हुए सोफे पर लेट गई और अपने ब्रा के हुक खोलते हुए : अह्ह्ह्ह अब आओ न मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम धत्त अह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम कितने उतावले हो अह्ह्ह्ह्ह


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रंगी उसके दोनों जांघों को फैला कर उसके ऊपर आता हुआ उसके चूचियों के नंगे भागो को मुंह में रखता हुआ : उम्मम तुम्हे देखते ही मै बेसब्र हो जाता हु , उफ्फ कितनी मुलायम हो तुम और तुम्हारे ये दूध उम्मम
रंगी उस लाल ब्रा के ऊपर से सुनीता के तने हुए निप्पल को चुबलाने लगा
सुनीता तड़प उठी और रंगी का मुंह पर छातियों पर दबाने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम काट क्यों रहे हो अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
रंगी उसके निप्पल से हट कर उसके चूचे सहलाते हुए वापस पेट की ओर जाने लगा और नीचे साड़ी खींचता हुआ उसके पेडू के पास चूमने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या दीदी तो पागल ही हो जाती होंगी उफ्फ अह्ह्ह्ह्ह
रंगी : आज तो तुम्हे पागल करना है आजाओ
रंगी ने झटके से उसका हाथ पकड़ खड़ा किया और खुद उसकी साड़ी खींचने लगा


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सुनीता मुस्कुरा उसके आगे घूम गई और देखते ही देखते रंगी के हाथों में उसकी साड़ी थी जिन्हें वो अपने ऊपर लपेट कर सूंघने लगा और वही सुनीता उसके आगे अपना पेटीकोट उतारने लगी , और रंगी अपने कपड़े ।
अब वो उसके आगे सिर्फ मैचिंग ब्रा पैंटी के खड़ी थी , सुर्ख लाल रंग में उसके चूत फूल गए थे और सांसे चढ़ने लगी थी , नरम चर्बीदार चूतड़ों पैंटी से बाहर निकल गए थे और उसकी नजर फिलहाल सुनीता की दूधिया जांघों पर थी जो उसके जिस्म में सबसे ज्यादा गोरी जगह थी
दुनिया ने अपनी एक टांग उठा कर रंगी के आगे परोसा और रंगी अपनी ललचाई आंखों से उन्हें घूरता हुआ अपने पंजे से उन्हें छूने लगा और रंगी के हाथों के स्पर्श पाकर सुनीता की सांसे फिर से बेताब होने लगी और जिसे हो रंगी ने अपने होठ उसके जांघों पर रखे वो पागल होने लगी , कमरे में उसकी मादक सिसकियां भर आई ।


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रंगी ने एकदम से उसको घुमाया और उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को अपने आगे किया और उन्हें दोनों हाथों से भर कर पैंटी के ऊपर से ही मसलने लगा और उन्हें अपन नाथूनो के करीब ला रहा था कि एकदम से सुनीता नीचे उसकी गोद में उसके तने हुए लंड के ऊपर बैठ गई : ओह्ह्ह्ह सीईईई कितनी गर्म गाड़ है तुम्हारी उम्मम
सुनीता उसके लंड को जो रंगी के अंडरवियर में तंबू बनाए खड़ा था उसके ऊपर अपनी गाड़ को घिसने लगी और उसके ऊपर लोटने लगी
रंगी ने अपने हाथ आगे कर उनके पेट मसलने लगा और उसके गर्दन के पास चूमने लगा जल्द ही सुनीता उसकी बाहों में खुद को सौंप चुकी थी और रंगी के हाथ अब उसके रसभरे खरबूजे जैसे चूचे को मसलने के लिए आगे बढ़ने लगे थे।
वही दूसरी तरफ गीता ने मौका देख कर अपने दादू के पास चली गई थी ।
रात के इस प्रहर में बनवारी एकदम से गीता को अपने कमरे में पाकर हड़क गया ।
कारण भी लाजमी था , जो कुछ भी शाम को हुआ उसके बाद बनवारी और गीता की कोई बात नहीं हुई थी और जब ऐसे वक्त में जब कमला और रंगीलाल कभी भी उसके कमरे में आ सकते थे , उस वक्त गीता का वहां होना उचित नहीं था ।

बनवारी बिस्तर पर हेड बोर्ड का टेक लिए हुआ अपने ऊपर चादर तान रखा था : अरे मीठी , तुम सोई नहीं
गीता मुस्कुरा कर ना में सर हिलाई , बनवारी की बेचैनी और भी बढ़ रही थी जिस तरह से वो शर्माकर अपने बदन को लहरा रही थी , टीशर्ट में उसके बिना ब्रा के मोटे नारियल जैसे चूचे टाइट मालूम पड़ रहे थे और घुटनों तक वाली स्कर्ट उसकी मुलायम मोटी जांघों को लगभग उघाड़ रही थी ।
बनवारी : बेटा सो जाओ , मैने क्या समझाया था कि हम अकेले में बात करेंगे , बोला था न
गीता धड़धड़ाते हुए बिस्तर पर खिलखिलाती हुई अपने दादू के पास आ गई : हा लेकिन मुझे आपके पास सोना है आज
बनवारी उसकी जिद से परिचित था और गीता की ये हरकत से उसकी बेचैनी और बढ़ने लगी : क्यों ? तो क्या गुड़िया अकेले सोएंगी
गीता मुंह बना कर : वो तो पापा के साथ गोदाम गई है
बनवारी थोड़ा सा उलझे हुए स्वर में : गोदाम पर , क्यों ?
गीता : वो पता नहीं , लेकिन मै आपके साथ सोऊंगी
बनवारी हड़बड़ा कर : अह नहीं बेटा , अभी जमाई बाबू खाना खा कर आने वाले है शायद वो यही सोए
गीता का मुंह बनने लगा : बक्क नहीं
बनवारी उसको अपने पास खींच कर : अच्छा ठीक है तू अगर अपने कमरे सोने जाएगी तो तुझे कुछ दिखाऊंगा
गीता का मन एकदम से ललचा गया और उसके निप्पल तन गया
गीता वही घुटने के बल बनवारी के पास खड़ी थोड़ी मुस्कुराने लगी और लजाने लगी ।
बनवारी ने हाथ आगे बढ़ा कर उसके स्कर्ट में हाथ घुसा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फिराया तो पाया उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना : अरे कच्छी नहीं पहना तूने
गीता मुस्कुरा कर लजाती हुई ना में सर हिलाई
बनवारी मुस्कुरा कर उसको छेड़ता हुआ : क्यों ?
गीता लजाते हुए हस पड़ी : बक्क दादू , अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम
बनवारी उसके जांघों के बीच उसकी नरम बुर के चिपके हुए फांकों को उंगली से फैलाने लगा : दादू के पास सोना था इसलिए उम्मम तूने नही पहना न
गीता की हालात खराब होने लगी और वो अपने दादा जी के कंधे को पकड़ कर उनकी ओर झुक गई और सिसकने लगी : उम्मम हा दादू अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
बनवारी उसके नरम होठ अपने पास देखे और खुद से ही पहन कर उसके लिप्स चूसने लगा ।


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अपनी नातिन के नरम होठों का रस पाते ही एकदम से बनवारी के बदन में सी हुई और उसका लंड जांघिये में फड़कने लगा , उसके हाथ खुद से गीता ने के टीशर्ट में झूलते चूचे को छूने लगे
अपने दादू के उंगलियों का स्पर्श अपने निप्पल के पास पाकर गीता पूरी तरह से मचल उठी और झट से उसने अपने टीशर्ट निकाल दिए और उसके दोनों रसीले मम्में पूरे नंगे बनवारी के आगे
बड़े बड़े चौसा आम जैसे चूचे और उनकी गुलाबी घुंडियों को देख कर बनवारी की आंखे चमक उठी
तभी उसे अपने जांघों पर कुछ हरकत महसूस हुई देखा तो गीता चादर हटा कर उसके जांघिये को नीचे कर रही थी
बनवारी : बेटा कोई आ जाए... अह्ह्ह्ह कितने मुलायम है तेरे हाथ उफ्फ
गीता ने अपनी नरम नरम हथेली के अपने दादू का अकड़ा हुआ मोटा लंड पकड़ा और हिलाने लगी : कोई नहीं आएगा दादू उम्ममम कितना बड़ा है
गीता के नरम हाथ जिस तरह से उसके लंड की चमड़ी को आगे पीछे कर रहे थे,बनवारी की हालत खराब होने लगी । पहले से ही अपने दामाद के साथ रज्जो के बारे में बाते फिर कमला को साथ में मिलकर पेलने का सोच कर उसका लंड अकड़ा हुआ था और अब उसपे से उसकी नातिन के नरम हथेली का स्पर्श उसकी नसों को फड़का रहा था । गीता नीचे हाथ ले जाकर उसके आड़ को टटोल रही थी और बनवारी उसके नंगे चूचों को हाथ में भर रहा था


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उसे डर भी था कि कही जमाई बाबू न जाए और वो पकड़ा जाए : बेटी रुक जा न ऐसे नहीं आएगा वो
गीता मुस्कुरा कर : मै निकाल दूं
बनवारी उसकी आंखों में देखते हुए : कैसे ?
गीता मुस्कुरा कर नीचे झुक गई और अपने होठ खोलते हुए उसका सुपाड़ा चुभलाने लगी : ओह्ह्ह्ह मीठी उम्ममम क्या क्या सीख रही है तू अह्ह्ह्ह उम्मम
गीता बड़े चाव से आंखे बंद कर हौले हौले बनवारी का लंड चुभलाने लगी और बनवारी के पैर अकड़ने लगे , उसकी सांसे चढ़ने लगी , आगे झुकने से गीता के नंगे चूतड़ और फैल गए ।
बनवारी अपने पंजे से उसके नरम चूतड़ों को सहलाते हुए उसके बुर को कुरेदने लगा ।


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गीता अपनी बुर में उंगली पाते ही तेजी से अपनी जीभ का भी इस्तेमाल करने लगी जैसा उसने पहले अपने राज भैया से सिखा था और बनवारी के आड़ सहलाती हुई गले तक ले जाने लगी
बनवारी की हालत अब पूरी तरह से खराब थी और उसके चूतड़ कसने लगे , उसके आड़ से वीर्य अब नसों में उतर कर सुपाड़े की ओर बढ़ने लगा
बनवारी तड़पने लगा : ओह्ह्ह बेटी हा और चूस आयेगा अह्ह्ह्ह तूने तो मेरी तकलीफ कम कर दी ओह्ह्ह और ले अह्ह्ह्ह
गीता के गाल भी अब दर्द होने लगे थे और वो मुंह की जगह अब हाथों से तेजी से अपने दादू का लंड हिलाने लगी और बनवारी कोहनियों के पल उठ गया उसके पैर अकड़ने लगे और लंड की कसावट बढ़ गई और फिर एकदम से लावा फूट पड़ा


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जैसे ही गीता ने बनवारी के लंड की पिचकारी फूटते देखी आगे होकर अपने गोरे नंगे चूचों को आगे कर दिया कुछ बिस्तर पर तो कुछ उसकी छातियों पर बचे हुए छोटी पिचकारियां वो अपने गाल पर लेने लगी और फिर एक बार मुंह में लेक उसको सुरकने लगी
बनवारी एकदम से सुस्त होकर बिस्तर पर गिर पड़ा और हांफने लगा । वही गीता मुस्कुरा कर अपने गाल और छतिया सहलाती हुई वैसे ही अपने दादू के पास लेट गई
वही दूसरी ओर कमरे में मादक सिसकारियां उठ रही थी , रंगी के हाथों में सुनीता के दोनों बड़े बड़े खरबूजे जैसे गोल चूचे थे जिन्हें वो मसल रहा था और नीचे सुनीता का हाथ रंगी के लंड को भींच रहा था
रंगी : उफ्फ कितनी मुलायम दूध है तुम्हारे
सुनीता : तो पी लो न मेरे राजा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई काटो मत उम्मम निशान पड़ गए तो तुम्हारे साले को क्या कहूंगी
रंगी उसके निप्पल से मुंह हटा कर अपना लंड सीधा खड़े खड़े ही उसकी बुर में भेदता हुआ : बोल देना कि नंदोई जी ने कहा कि बहन के साथ बीवी भी अब देनी पड़ेगी

सुनीता मुस्कुराई लेकिनी नीचे से उसकी चूत नीचे से मानो छिल सी गई जब रंगी ने अपना मोटा लंड उसके कसी जांघों के बीच से उसकी बुर में भेदा: अह्ह्ह्ह मेरे राजा ऐसे ही करोगे क्या अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रंगी उसके चर्बीदार चूतड़ों को हाथों में लेकर फैलाते हुए तेजी से उसके चूत में खड़े खड़े ही लंड पेलने का : क्यों मजा नहीं आ रहा उम्ममम
सुनीता आंखे उलटती हुई : आ रहा है ओह्ह्ह्ह उम्ममम लेकिन सूखा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रंगीलाल उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपने करीब कर फिर से उसके लिप्स चूसता हुआ : तो गिला कर दो न इसे
सुनीता मुस्कुरा और सरक कर रंगीलाल के पैरों में चली गई , रंगीलाल का लंड एकदम तना हुआ रॉड जैसे हवा में लहराने लगा
जैसे ही सुनीता ने उसकी जांघों को छुआ उसके पैर कांपने लगे और बड़ी मादक नजरो से उसने आंखे उठा कर रंगी को देखा और मुंह खोलकर सुपाड़ा चुबलाया : ओह्ह्ह मेरी रानी अह्ह्ह्ह कितनी मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम हा ऐसे ही अह्ह्ह्ह कितनी मज़ाह उफ्फफ उम्ममम


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रंगी के हाथ खुद से सुनीता के बालों को छूने लगे , उसकी कमर खुद आगे पीछे होकर सुनीता के मुंह में पेलने लगा
सुनीता उसका लंड पकड़ उसको पूरा जाने से रोकने लगी जिससे रंगी की तड़प और बढ़ने लगी : और लो न मेरी जान हा और घोट जा पूरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम साली रंडी
एकदम से सुनीता रुक गई और चौक कर मुंह में लंड भरे हुए रंगी को देखा तो रंगी मुस्कुरा कर : सॉरी मेरी जान चूसो न
सुनीता मुंह बनाई और फिर वापस से उसका लंड चुभलाने लगी : ओह्ह्ह्ह मेरी जान हा और और चूसो ओह्ह्ह उम्ममम
सुनीता मुंह से लंड निकाला और खड़ी होकर बिस्तर पर टांगे खोलकर लेट गई और अपनी बुर सहलाने लगी
रंगी समझ गया कि सुनीता थोड़ी बुरा मान गई वो शब्द सुनकर और वो मुस्कुरा कर उसके ऊपर आता हुआ अपने लंड को उसकी बुर पर टिकाने लगा और सुनीता के चेहरे के हाव भाव बदलने लगे ।


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फिर एकदम से रंगी ने अपना लंड हचक से उसकी बुर में उतार दिया जो तेजी से सरकता हुआ उसकी चूत में जाने लगा
सुनीता की आंखे बड़ी हो गई जब उसने रंगी का मोटा तपता लंड अपनी बुर के महसूस किया और उसने कस कर दोनों हाथों से उसे अपने पास खींचने लगी : अह्ह्ह्ह उम्मम कितना बड़ा और गर्म उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
रंगी : अभी भी नाराज हो मेरी जान
सुनीता मुस्कुरा कर ना में सर हिलाई
रंगी मुस्कुरा कर उसके होठ चूसता हुआ एक करारा झटका फिर दिया और सुनीता का पूरा बदन झन्ना गया
सुनीता : उफ्फफ फाड़ डालोगे क्या मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रंगी : ना फाड़ू फिर रुक जाऊ
सुनीता : नहीईई ( फिर वो थोड़ा शरमाई )


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रंगी उसके दोनों गाल पकड़ कर उसके नरम रसीले होठों को चुबलाते हुए अपनी कमर चलाने लगा और फचर फचर आवाज के साथ सुनीता की बजबजाई बुर में लंड जाने लगा
इतना गर्म और नर्म अहसास रंगी पाकर और जोश में आ गया , फिर तेजी से अपना लंड पेलने लगा
सुनीता की हालात बिगड़ रही थी उसकी बुर तेजी से रस छोड़ रहे थी और सिसकिया रुकने का नाम नहीं ले रही थी : उफ्फ नंदोई जी अह्ह्ह्ह आपने तो पूरी रेल बना दी उम्मम , इतना तेज अह्ह्ह्ह उम्मम और ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह

रंगी उसके हिलते हुए चूचे मुंह में भरता हुआ दुगने जोश में कमर चलाने लगा और सुनीता हवा में उड़ने लगी : उम्मम तुम्हारे जैसी रसीली माल को ऐसे ही पेलने में मजा है ओह्ह्ह्ह

सुनीता : मेरे जैसी मतलब , और भी किसी को
रंगी अपनी स्पीड हल्की करता हुआ मुस्कुराने लगा तो सुनीता हंसती हुई उसकी दाढ़ी छूती हुई : उम्मम देखो तो कैसे शर्मा रहे है अह्ह्ह्ह हाय दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा उम्मम कितना अंदर डालोगे उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी आगे झुक कर उसके रसीले होंठ चूसता हुआ : कहो तो और गहरी कर दु उम्मम
सुनीता लजाई: धत्त , अब क्या रज्जो दीदी जितनी करोगे
रंगी एकदम से हड़का और अपने कंधे टाइट कर रुक गया : क्या मतलब
सुनीता मुस्कुरा उसके कमर को पकड़ती हुई खुद हुई उसके लंड को अपनी बुर से चुस्ती हुई अपनी गाड़ उठाने लगी , जिससे रंगी का सुपाड़ा इस कामुक कसावट भरे अहसास से बिलबिला उठा और रंगी की बाहों ढीली पड़ गई उसकी सांसे तेज होने लगी : आपको क्या लगा था कि आपकी तोता मैना की लव स्टोरी पकड़ी नहीं जायेगी उम्ममम
रंगी कमजोर लहजे : लेकिन तुमको कैसे ? अह्ह्ह्ह
सुनीता मुस्कुरा कर : आपकी कातिल निगाहें सब कुछ बता देती आपके बारे में , जरा ध्यान से इधर उधर घुमाया करो अह्ह्ह्ह
रंगी मुस्कुरा कर फिर से अपना लंड उसकी चूत में गहरे उतरता हुआ : अब तो सच में ध्यान रखना ही पड़ेगा , तुम्हे बुरा तो नहीं लगा
सुनीता मुस्कुरा: पहले लगता था
रंगी बहुत ही आहिस्ता उसकी चूत में लंड को घिसता हुआ : क्यों ?
सुनीता उसके सुपाड़े की रगड़ से मदमस्त होती हुई : अह्ह्ह्ह्ह मै सोचती थी कि शादी में मेरे इतने सेक्सी लुक के बाद न जाने किसकी कमी थी कि आपने मुझे एक नजर नहीं देखा और दीदी के आगे पीछे घूमते थे
रंगी हौले से एक झटका देता है : फिर ?
सुनीता सिसक कर : फिर समझ गया कि रज्जो दीदी जितनी बड़े दिल वाली तो मै हूं नहीं , मेरे पास गिनती के लोगों के लिए ही जगह हो सकती है
रंगी उसकी बातों से साफ समझ गया कि सुनीता को रज्जो के बारे में कुछ ऐसा पता है जिससे वो अंजान है और उसके लिए रज्जो आज एक पहेली जैसी नजर आ रही थी
रंगी मुस्कुरा कर : तो फिर तुमने मुझे जगह दे दी क्यों उम्मन
सुनीता रंगी के करारे झटके से सिसकी और हस्ती हुई उसकी आंखों में देखते हुए : आपको को भला कैसे मना कर सकती थी अह्ह्ह्ह उम्मम मेरे राजा भर दो न और न तड़पाओ
रंगी : वैसे जान सकता हूं और कौन है तुम्हारे दिल में


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सुनीता उसको कस कर अपनी ओर खींचने लगी उसकी बुर ने रंगी के लंड की कस लिया था, रंगी की मीठी बातों से वो झड़ने के करीब आ गई थी : अह्ह्ह्ह उम्मम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह रुको मत सब बताऊंगी ओह्ह्ह्ह उम्ममम आ रहा है
रंगी उसके जोश से और जोश में आ आगया और सुनीता के कसे छल्ले में ही अपना लंड आगे पीछे करने लगा , जैसे जैसे सुनीता उसके लंड पर झड़ रही थी मानो उसका लंड पूरी गहराई में ले जा रही थी उसकी नसों को नीचे से निचोड़ रही थी और सुनीता के दूसरे दीवानों के बारे में सोच कर वो भी झड़ने लगा उसकी बुर में और झड़ता रहा जबतक आखिरी बूंद तक निचोड़ नहीं दिया उसकी बुर में।
हांफता हुआ अलग होकर निढाल हो गया उसके बिस्तर पर ..... और कुछ पल बीते थे कि बनवारी उसके मोबाइल पर फोन घुमाने लगा था ।

"मुझे जाना होगा " , रंगी उठ कर अपना शर्ट पहनने लगा
सुनीता उखड़ कर : क्या मुझे सारी रात ऐसे ही छोड़ कर जाओगे ?
रंगी झुक कर उसके नंगे चूचों को फिर से चुभलाता हुआ : मन तो नहीं कर रहा है लेकिन बाउजी फोन कर रहे है ।
सुनीता के पास अब कोई चारा नहीं था रंगी को रोकने का और उसने इजाजत दे दी । फिर रंगी झट से कमरे से निकल गया , दबे पाव कि कोई उसे देखे नहीं ।लेकिन कोई था जो उसे सुनीता के कमरे से निकलते हुए देख चुका था ।

चमनपुरा


" अरे राज बेटा "
" हैप्पी बर्थ डे आंटी " , राज मुस्कुरा कर ठकुराइन के पास जाकर बोला ।
" सो स्वीट , थैंक्यू बेटा " , ठकुराइन ने उसके पास छू कर मुस्कुराई।
राज करीब खड़ा होकर : बहुत प्यारी लग रही हो आंटी


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ठकुराइन : अच्छा जी
राज दांत कड़े कर होठ हिला कर भुनभुनाया : हम्ममम , बाकी डिटेल में मैसेज करके बताता हूं
ठकुराइन को हंसी आई : बदमाश कही का हिहिहीही
राज उसकी आंखों में देखा और मुस्कुराने लगा

तभी संजीव ठाकुर उनकी ओर आने लगा हाथ में विस्की का ग्लास : वाव लुक माय डॉलरिंग वाइफ
ठाकुराइन शर्माने लगी और राज भी थोड़ा असहज होने लगा
तभी सरोजा राज के कान में बोली : तुम्हे लगता है भैया मुझे देखेंगे
राज ने चुपके से सरोजा को चिमटी काट कर उसे चुप रहने को कहा ।
संजीव : राज बेटा , मीट माय हॉट & सेक्सी वाइफ
राज : जी मै मिला अंकल अभी अभी
ठकुराइन उसके हाथ से गिलास लेती हुई : इसे मुझे दीजिए , बहुत पी चुके है आप
संजीव ठाकुर लड़खड़ा कर : कहा यार , अभी तो पार्टी शुरू हुई है ।
तभी राज की नजर सीढ़ियों से उतरते बड़े ठाकुर पर गई और वो धीरे से संजीव ठाकुर के कान में बोला: अंकल , बाउजी आ रहे है आपके
संजीव ठाकुर एकदम से अपनी शर्ट सही करने लगा : ओके इंजॉय करो , अरे इंजॉय क्या ? केक काटना है चलो
ठकुराइन मुस्कुरा कर राज से : वैसे सही नस दबाई तुमने हीहीही
राज और सरोजा उसकी बात पर हसने लगे ।
केक काटने का समय हो रहा था और मालती अभी तक कही दिखाई नहीं दी तो ठकुराइन परेशान होने लगी, कि कही वो चंदू के साथ और कही मेहमानों में किसी ने उसको देख लिया तो
राज : क्या हुआ आंटी
ठकुराइन धीरे से उसकी ओर देख कर : मालती नहीं है
तभी सरोजा बोली : मै देखती हूं भाभी
सारे लोग ठकुराइन और संजीव ठाकुर को घेर कर खड़े थे और आपस में बाते कर रहे थे ।
तभी भीड़ में हलचल हुई और सरोजा मालती को लेकर बीच में आई
वो एक ब्लैक गाउन में थी । मेकअप के बाद गजब की खूबसूरत दिख रही थी ।
ठकुराइन ने आते ही उसे गुस्से से घूरा और वो नजरे झुका ली , राज समझ गया कि जरूर मालती चंदू के चक्कर में इधर उधर कही थी ।
फिर सारे लोग हल्ला हू करने लगे और तालियां बजाने लगे , फिर केक काटने के बाद सब इधर उधर बट गए ।
कुछ खाने की ओर तो कुछ डांस फ्लोर पर
बड़े ठाकुर भी एक राउंड अपनी बहु की पेलाई कर थक गए थे तो खाने की बफर की ओर बढ़ गए
सरोजा और उसकी भाभी दूसरे मेहमानों से मिल रही थी और तभी राज की नजर संजीव ठाकुर की ओर गई जो ऊपर कमरे की ओर जा रहे थे
राज ने यही सही मौका देखा और झट से सरोजा को मिसकॉल करते हुए उसको एक मैसेज किया
उसे पढ़ते ही सरोजा की सांसे तेज हो गई और वो मेहमानों के बीच खड़ी हुई बेचैन होकर राज की ओर देखने लगी तो उसने इशारें से ऊपर जाने को कहा और फिर मैसेज किया
राज : go, show him your sexy ass
सरोजा राज के मैसेज पढ़ कर मुस्कुराई और फिर वहां से निकल गई । वही राज की नजर ठकुराइन पर गई , उसकी बैकलेस ब्लाउज में उसकी चौड़ी पीठ बड़ी सेक्सी दिख रही थी और ब्लाउज की डोरी के लटकन नीच उसके मोटे चूतड़ों तक लटके थे ।
राज ने सोफे पर बैठे हुए ही मोबाइल से ठकुराइन के व्हाट्सअप पर मैसेज किया : Ab samjha , uncle ne aapko Hot & Sexy kyo kaha 😍

ठकुराइन का मोबाइल बजा और उसने राज के मैसेज के नोटिफिकेशन देखते ही उसको खोला और मैसेज पढ़ कर मुस्कुराई और फिर इधर उधर देख कर राज को खोजने लगी और ठीक अपने पीछे सोफे पर उसे कोल्ड ड्रिंक पीते हुए देखा।
दोनों की नजरे मिली और ठकुराइन ने मैसेज टाइप किया : achcha ji , natakhat kahi ke piche kya kar rahe ho
राज ने मैसेज पढ़ कर जल्दी जल्दी टाइप करने लगा : details chek kr raha hu 🫣
मैसेज पढ़ कर ठाकुराइन मुस्कुराई और मैसेज टाइप करने लगी : oh , lag raha hai mujhe mera faishon designer mil gaya
राज मुस्कुरा कर मोबाइल में मैसेज देखता हुआ : yes, ma'am 😁
ठाकुराइन: jara btayenge , piche se sb thik to hai ? Blouse ki fitting ?
राज ने ठकुराइन की ओर देखा कसे हुए चुस्त ब्लाउज़ में उसकी कमर पर आई चर्बीदार सिलवटें देख कर उसका लंड अकड़ने लगा : upar sb sahi hai ma'am 😍
ठकुराइन को इस खेल में मजा आ रहा था तो वो उस ने इतरा कर एक बार राज की कर घूम कर देखा : aur niche ?
राज ने मैसेज पढ़ा और तुंरत ठकुराइन के चूतड़ों पर नजर डाली और जानबूझ कर फिर से मैसेज टाइप किया : niche?
ठाकुराइन: offo, niche dekho saree upar to nhi chadh gayi hai , mere bumm par 😄


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राज ने मैसेज पढ़ा और तुंरत टाइप करके : Haan, thodi upar to aa gayi hai
ठाकुराइन थोड़ी परेशान हुई और झट से अपनी साड़ी को नीचे टाइट कर अपने कूल्हे पर चुस्त करने लगी और जल्दी से मैसेज टाइप कर राज को देखा : Ab dekho ? Ya aur niche Karu ?
राज ने उसके कसे हुए चूतड़ों पर चुस्त साड़ी को देखा और उसे कुछ शरारत सूझी और उसने अजीब सा मुंह बना कर जल्दी से मुंह बनाया : Ab krengi to saree khul jaayegi aapki , aap room me jakar sahi kar lo
ठकुराइन राज का मैसेज पढ़ कर परेशान हो गई और झट से उसने मैसेज टाइप किया : ok , mere sath aao
ठकुराइन फिर वहा मेहमानों के बीच से निकल कर हाल में ही एक ओर जाने लगी और गलियारे की पहुंच कर उसने राज को देखा जो उसे ही देख रहा था , उसने राज को आने का इशारा किया और राज उठ कर खड़ा हो गया । फिर भीड़ से निकल कर ठाकुराइन के पीछे चला गया ।
अंदर गलियारे कमरे से होकर पीछे स्टोर रूम की ओर उसने ठकुराइन को जाते देखा और तेजी से उसके पास गया
ठकुराइन : थैंक यू तूने तो बचा लिया मुझे
राज मुस्कुरा कर : आपके फैशन डिजाइनर के रहते आपको कोई दिक्कत नहीं होगी आंटी हीहीही
ठाकुराइन हसने लगी : नटखट कही का , जरा देखना कोई इधर आए नहीं
और फिर ठकुराइन ने झट से राज के आगे ही नीचे से साड़ी खोल दी
और राज की नजर ठकुराइन के पेटीकोट पर गई जो उसके कूल्हे पर पूरे चुस्त थे और आगे पेडू तक बंधे थे ।



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ठकुराइन असहज होने का दिखावा करती हुई जल्दी जल्दी साड़ी सही करने लगी और फिर प्लीट बना कर उसको नाभि के ऊपर तक खोंस दिया
फिर अपने सीने से पल्लू हटा दिया
उफ्फ ये बड़े बड़े रसीले मम्में खरबूजे जैसे चूचे ब्लाउज में ठूंसे हुए , राज की नजर एकदम से वही ठहर गई


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ठकुराइन मुस्कुरा कर उसको छेड़ती हुई : ओह हा , डिजाइनर साहब मेरा ब्लाउज ठीक है न हीहीही
राज शर्मा गया और मुस्कुराने लगा और ठकुराइन ने झट से अपना पल्लू सही किया : अब ठीक है न
ठकुराइन उसके आगे घूम कर उसे आगे पीछे दिखाया
मगर राज के जहन में था कि उसने साड़ी नाभि के ऊपर क्यों पहनी थी : हा सब ठीक है , बस आपने साड़ी नेवल के ऊपर पहनी है उसे नीचे कर लो
ठाकुराइन ने सेकंड भी नहीं लिया और झट से साड़ी नीचे कर दी : अब ठीक है


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राज उसके गुदाज चर्बीदार नाभि और गोरे पेट को देख कर सिहर उठा : जी आंटी , बहुत खूबसूरत
ठकुराइन मुस्कुरा कर उसके गाल खींचती हुई : बदमाश कही का , चले अब
राज हंसता हुआ : हा चलो
दोनों आगे बढ़े ही थे कि तभी राज के कान खड़े हुए और उसे कुछ आहट आई

राज : रुकिए
ठाकुराइन की मुस्कुराहट हल्की होने लगी : क्या हुआ ?
राज उसको चुप करता हुआ उसकी कलाई पकड़ लिया : श्शश्श आपने नहीं सुना , आइए
फिर दोनों दबे पाव स्टोर रूम के आगे बढ़ गए , जहां पीछे दरवाजे गोदाम की ओर निकलते है ।
ठकुराइन दबी हुई : राज , बेटा चलते है न
राज : शीईईई रुकिए यही मै आता हूं
फिर राज दबे पाव आगे जाता है और वहा जीने के पास छिप कर खड़ा होकर आगे देखता है तो उनके आंखे बड़ी हो जाती है और लंड एकदम फड़फड़ाने लगता है ।

वो नजारा देख कर राज की हालात खराब होने लगती है और तबतक ठकुराइन वहा आ जाती है और जैसे ही उसकी नजर सामने पड़ती है । वो जम जाती है


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सामने चंदू बोरियो के सहारे मालती को झुकाए हुए पीछे से उसकी चोद रहा था उसका गाउन उठा कर और मालती सिसक रही थी ।
राज और ठाकुराइन ने चौक कर बड़ी बड़ी आंखों से एक दूसरे को देखा।
ठकुराइन की आंखे लाल हो रही थी और राज समझने लगा कि गुस्से में थी वो और उसने झट से ठकुराइन की कलाई पकड़ कर उसे वहा स्टोर रूम की ओर खींच लाया

राज : सॉरी आंटी
ठकुराइन : बेटा इसमें तेरी क्या गलती , मै तो थक गई हूं इनकी इन हरकतों से
राज चुप रहा और ठकुराइन बोलती रही : अब तू ही बता बेटा , क्या ये सब करने की कोई उम्र है
राज मुस्कुरा दिया
ठकुराइन : तू हस रहा है
राज : नहीं वो मै सोच रहा था कि आपकी शादी किस उम्र में हुई थी
ठकुराइन एकदम से हस पड़ी : बदमाश कही का
राज हंसता हुआ : अच्छा सच बताओ , सच में शादी के पहले आपका कोई बॉयफ्रेड नहीं था
ठकुराइन मुस्कुराकर : जी नहीं , जो कुछ भी थे सब तुम्हारे अंकल थे
राज : वाव, सो लकी
ठकुराइन मुस्कुराने लगी , शायद उसे राज का साथ पसंद आ रहा था ।
राज ने गहरी सांस ली और आगे बढ़ता हुआ : अच्छा ये सब छोड़ो , ये बताओ वो क्रीम तो ठीक थी न , मैने दूसरे दुकान से लेकर कर दी थी ।

ठकुराइन मुस्कुरा कर चलने लगी : हा ठीक थी
राज : वैसे मैने आपके हाथों पर कभी बाल देखे नहीं !
ठकुराइन मुस्कुराने लगी और आगे चलती रही : तुम बहुत भोले हो अभी , हर चीज हाथ और पैर पर ही नहीं लगाई जाती बुद्धू
राज को समझते देर नहीं लगी और वो मुस्कुराने लगा
ठकुराइन उसको मुस्कुराता देख : क्या सोच रहे
राज मुस्कुरा कर : सोच रहा हूं आज तो अंकल की किस्मत बुलंद है
ठकुराइन शर्म से लाल हो गई : धत्त नटखट , मारूंगी कितने बदमाश हो तुम
राज अब खिलखिला कर हसने लगा और फिर बोला : वैसे खास जगहों के लिए कुछ खास ब्रांड होते है । अगली बार वो ट्राई करना
ठाकुराइन: अच्छा जी , तो अब मुझे मेरा कॉस्मेटिक कंसल्टेंट भी मिल गया
राज : जी जरूर हीहीहीही
ठकुराइन हंसती हुई : पागल

और दोनों पार्टी हाल में वापस आ गए

मंजू - मुरारी

हाइवे से लगे एक अच्छे होटल पर खाने के लिए मुरारी मंजू रुके थे । मुख्य सड़क से लगभग 25 मीटर अंदर फील्ड के बाद एक खुली जगह में रेस्तरां था , जो लगभग पूरी तरह से फैमिलियर था । रात में पेड़ो और पोल पर लपेटी हुई रंग बिरंगी झालर से वहा गजब की रौनक थी ।

मंजू : वैसे ये जगह अच्छी है , काफी रौनक है यहां
मुरारी : हा , लेकिन मुझे लग रहा है यहां की रौनक तो तुम हो , सब तुम्हे ही देखे जा रहे है
मंजू मुस्कुरा कर शरमाई : धत्त क्या आप भी भैया , फ्लर्ट करेंगे मुझसे अब
मुरारी हस कर : मै तो मेरे दोस्त की तारीफ कर रहा था , फ्लर्ट थोड़ी
मंजू मुस्कुरा कर धीरे से : तो फ्लर्ट किसे कहते है ?
मुरारी मुस्कुरा कर उसके आगे झुक कर : पक्का न
मंजू मुस्कुरा कर हा में इशारा की
मुरारी इधर उधर देख कर : फ्लर्टिंग तो उसे कहते हैं जब मै कहता कि मंजू जबसे तुम्हे बाथरूम में देखा है कुछ कुछ हो रहा है
मंजू शॉक्ड हुई फिर अजीब सा मुंह बना कर हस्ती हुई : छीईईई इतना गंदा कौन करता है फ्लर्टिंग
मुरारी : भाई मै कोई शायर नहीं हूं तो मुझे जो चीजे पसंद आती है उन्हीं के बारे में कहूंगा
मंजू शर्मा कर मुंह फेरती हुई : आपको बस वही याद है मेरे बारे में , सामने आपके बैठी हूं और कुछ नहीं नजर आता मुझमें , हीही
मुरारी ने उसको अपने आगे देखा ,


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साड़ी के पल्लू से झांकती हुई कसे ब्लाउज में चुस्त छातियों की लकीर , रसभरे लिपस्टिक से चमकते होठ , शरारती और सुरमई आंखे ।
मुरारी : अब तो लग रहा है शायर ही बनना पड़ेगा
मंजू इतरा कर : तो बन जाइए , इतना तो कर ही सकते है अपने दोस्त के लिए उम्मम
मुरारी मुस्कुराने लगा और फिर बड़े गौर से मंजू की आंखों में देखता हुआ
" उफ्फ ये कजरारी आंखे , उफ्फ ये रसीले होंठ , उफ्फ ये गाल गुलाबी उफ्फ ये बड़े .... "
मंजू हस्ती हुई : बस बस रुक जाइए
मंजू अपने साड़ी का पल्लू सही कर अपने क्लीवेज ढकती हुई : आप न बहुत तेज है , तभी मै सोचूं कि भाभी क्यों परेशान रहती थी ।

मुरारी : उम्मम कही मेरी बातों से तुम तो नहीं परेशान हो रही
मंजू मुस्कुरा कर : उम्हू , इतना आसान भी नहीं
मुरारी टेबल के नीचे अपने जूते निकालने लगा : अच्छा ऐसा क्या ?
फिर धीरे से मंजू के पैर के ऊपर रख दिया और वो एकदम से चौक गई और बड़ी बड़ी आंखों से मुरारी को देखने लगी : हटाइए न , क्या कर रहे है कोई देख लेगा ।
मुरारी : तो गाड़ी में चले वहां कोई नहीं देखेगा
मंजू लाज से मुस्कुरा कर दूसरी ओर देखने लगी और मुरारी के पैर की उंगलिया मंजू की एडी से ऊपर साड़ी के भीतर घुसने लगी और उसकी सांसे लड़खड़ाने लगी ।
मंजू एकदम से उठ गई : मै बाथरूम से आती हूं
वो खुद को संभालना चाहती थी इसलिए उठ कर बाथरूम की ओर निकल गई , मगर मुरारी इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था और वो उसके साड़ी में झटके खाते मोटे चौड़े चूतड़ों को देख कर अपना खड़ा लंड पजामे में सेट करने लगा ।
इधर वेटर खाना लेकर आ गया
मुरारी : तुम खाना लगाओ , मै हाथ धूल कर आता हूं
ये बोलकर मुरारी भी तेजी से बाथरूम की ओर चला गया ।
वहा जाकर देखा तो मंजू एक जगह खड़ी थी खुले में , एक पेड़ के पास जहां रोशनी कम थी ,मगर मुरारी ने उसकी साड़ी से उसे पहचान लिया और दबे पाव बिना उसकी नजर में आए उसके पास गया और झट से उसका हाथ पकड़ कर थोड़ा और आगे ले गया , जहां उस होटल की चारदीवारी लगी थी
मंजू : भैया आप यहां
मुरारी : यहां हमे कोई नहीं देखेगा मंजू
मंजू की सांसे चढ़ने लगी और वो मुरारी इरादा समझ रही थी और वो मुरारी को देख रही थी
मुरारी ने उसकी कमर में हाथ डाला और अपनी ओर कर लिया
मंजू सिहर उठी : भैया , वो ....
मुरारी उसके करीब जाकर उसके होठों से कुछ इंच की दूरी थी और हल्के से बोला : बस एक बार
मंजू उसके गर्म नथुनों से आती हवा से मदहोश सी हो गई और मुरारी ने उसके लिप्स चूसने लगा और मंजू ने भी भरपूर साथ देने लगी ।


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दोनो का जोश पूरे स्वाब पर था और मुरारी साड़ी के ऊपर से ही उसके जिस्म को मसलने लगा और उसके चूतड़ को सहलाने लगा

तभी उन्हें बाथरूम की ओर कुछ हलचल सुनाई दी और मंजू झट से मुरारी से अलग हो गई और खाने के टेबल की ओर चली गई , 2 मिनट रुक कर मुरारी भी खाने की टेबल पर पहुंचा और दोनों बस एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे ।
भूख तो उनको थी मगर वो अब बदल चुकी थी , तो खाना भी फीका लगने लगा था ।

मुरारी : क्या हुआ खाओ न
मंजू मुस्कुरा कर न में सर हिलाई और निवाला चबाने लगी ।
वही मुरारी ने वापस से अपना पैर जूते से निकाल कर उसके टांगे घिसने लगा और मंजू की हालात खराब होने लगी । मगर अब वो मुरारी को चाह कर भी रोक नहीं सकती थी ।
खाने के बाद दोनों गाड़ी की ओर आए तो देखा ड्राइवर सो रहा था गाड़ी में ।
पार्किंग में और भी लोग थे तो मुरारी मंजू को छू नहीं सकता था ।
मंजू थोड़ी सोच में थी और मुरारी : चाहो तो आज रात हम यही आराम कर सकते है , यहां रूम भी मिल जायेंगे !
मंजू की आंखे बड़ी हो गई और मुरारी का इरादा समझ रही थी तो मुस्कुरा कर : नहीं रहने दीजिए , घर चलकर मै आराम कर लूंगी ।
मुरारी मुंह फेर कर भुनभुनाया : हा लेकिन घर पर कहा तुम मेरे साथ सोओगी
मंजू उसको घूर कर : क्या बोले ?
मुरारी ना में सर हिला कर हसने लगा तो मंजू आंखे महीन कर उसे घूरती हुई : कितने मतलबी हो आप
मुरारी : अरे इसमें सिर्फ मेरा फायदा थोड़ी है
मंजू : नहीं चाहिए मुझे फायदा कुछ , सब पता किसका फायदा है ।
मुरारी उसके पास आकर : मान भी जाओ न , प्लीज , शायद ये मौका मिले न मिले
मंजू थोड़ा सोचने लगी फिर मुस्कुरा कर झट से गाड़ी का दरवाजा खोलकर अंदर घुस गई खिलखिलाती हुई : मै तो घर जाऊंगी हीहीही

तभी ड्राइवर उठ गया : चले साहब जी
मुरारी मंजू को घूर कर देखता हुआ : हा भाई चलो हो गया

मंजू बस बिना आवाज के हसी जा रही थी और मुरारी मुंह बनाए हुए था ।

ममता - मदन


" भाभी मुझे आपको कुछ बताना है "
" हा , सुन रही हूं" , गर्दन फेर कर बड़ी शोख अदा से ममता ने मदन को देखा ।
उसकी शरारती मुस्कुराहट और नंगा बदन मदन को कामोत्तेजना के शिखर पर ले जा रहा थे ।
मदन की सांसे भारी होने लगी : यहां नहीं पहले नीचे चलिए
ममता एकदम से घूम गई और मदन की ओर एक कदम चल कर उसकी आंखों में देखते हुए : पहले बताओ तो , बात अगर इंटरेस्ट हुई तो नीचे भी चलूंगी और...
एकदम से ममता ने बोलते हुए अपने निचले होठ को हल्का सा अपने भीतर दबाया और आंखे महीन कर मुस्कुराई
मदन की हालत खराब हो रही थी ,वो अपनी मर्यादा नहीं तोड़ना चाहता था और न ही अपनी भाभी की इस बेसुधी का फायदा लेना चाहता था ।

मदन : दरअसल , आज शाम को दो बार मै आपके कमरे की ओर आया था
ममता मुस्कुराई : तो ?
मदन हिचकता हुआ : जब पहली बार तो उस वक्त आप भैया को याद कर रही थी
ममता को समझते देर नहीं लगी कि वो थोड़ा सा लजाई जरूर लेकिन शराब के नशे ने उसे लगभग बेशर्म कर दिया था : हम्ममम इंट्रेस्टिंग
मदन : तो नीचे चले
ममता खीझ कर : आगे बोलो न यार , आप भी देवर जी
मदन थोड़ा सा डर गया एकदम से ममता के हावभाव बदल गए : अच्छा ठीक है , ऐसा मैने आपको पहली बार देखा था और ना जाने मुझे क्या हुआ कि मेरे नीचे हरकत सी होने लगी

ममता मुस्कुराई: उफ्फ इसका मतलब आपको मुझे देखकर कुछ कुछ होता है न
मदन की सांसे बेचैन थी : हा , इसीलिए कह रहा हूं कि आप प्लीज कपड़े पहन लीजिए , आपको ठंड लग जाएगी
ममता हस्ती हुई उसकी ओर झुकने लगी : मुझे ठंड लग जाएगी या आपको गर्मी बरदाश्त नहीं हो रही है
एकदम से ममता ने नीचे हाथ बढ़ा कर मदन के पजामे में बने तंबू को छुआ , मदन अपने सुपाड़े पर ममता की उंगलियों का अहसास पाते ही गिनगिना गया और झटके से पीछे हो गया : भाभी नहीं
ममता : हाहाहाहाहा, तो मामला पूरा गर्म हो गया है उम्मम
मदन शर्म से झेपने लगा था , नजरे चुराने लगा था
फिर ममता ने ऐसी बात कही और उसकी आंखे बड़ी हो गई : दिखाइए न
मदन : ये ये क्या कह रही है भाभी , नहीं
ममता : ओहो अब भाव मत खाओ
मदन पीछे हटने लगा और ममता उसकी ओर नंगी बढ़ने लगी : नहीं भाभी प्लीज
ममता हस्ती हुई : आज मै तुम्हारी इज्जत लूट लूंगी मदन हीही हाहाहाहाहा
मदन की हालत पतली होंने लगी और अब उसके पीछे चारदीवाली थी और ममता एकदम उसे पास
मदन उसके हस्ते हुए क्रिपी चेहरे को देखता फिर उसकी निगाहे ममता के नंगे बदन पर जाती : नीचे !!
ममता रुक गई : ?
मदन : यहां नहीं नीचे , प्लीज
ममता एकदम से कैजुअल होकर : ओके
फिर वो अपनी नाइटी उठाई और गुनगुनाते हुए सीधा जीने से नीचे जाने लगी , एक बार भी मूड कर मदन की ओर देखा भी नहीं ।
मदन हैरत में आ गया कि आखिर एकदम से उसे क्या हुआ ।
उसने ऊपर बिखरा हुआ समान देखा और एक पल को उसने सोचा कि वो इन्हें समेटे , फिर सोचा छोड़ो यार कही वो वापस आ गई तो और बखेड़ा हो जाएगा । उसने चलते हुए सिगरेट के पैकेट उठाए और तेजी से जीने की ओर बढ़ा ।

तब तक जीने से उतरती हुई नीचे आ गई थी , हालांकि उसे चलने उतनी दिक्कत नहीं आ रही थी लेकिन उसका सर घूम रहा था और वो सीधे किचन से पानी पीने के लिए फ्रिज से पानी लेने गई और ठंडे पानी से पहले अपना मुंह धोया और फिर पानी पी कर गहरी सांस लेने लगी । अब उसकी चेतना थोड़ी थोड़ी जगने लगी थी । वही मदन ममता को खोजता हुआ नीचे आने , लगा उसे डर था कही ममता इधर उधर न गिर पड़े और जब उसने जीने पर से हाल में सोफे पर फैल कर नंगी लेती हुई ,


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उसके दोनों बड़े बड़े रसीले मम्में सीने के दोनों तरफ लटके हुए थे , उठी हुई मोटी गाड़ और चिपकी हुई जांघों के बीच चूत बालों से ढकी हुई।
मदन के कदमों की आहट से ममता के गर्दन उठा कर उसे देखा और मुस्कुराई
मदन आंखे फाड़ कर उसके सोफे से लटके हुए चूचे देखने लगा और उसकी सांसे तेज होने लगी ,मुंह में पानी आने लगा , लंड तो आधे घंटे से अकड़ा हुआ था ।

ममता भी काफी हद कर चेतना में लौट चुकी थी और उसे अपने नशे में किए गए बातों का ध्यान था मगर अब चीजें बदल गई थी । वो न शर्मा रही थी ना झिझक रही थी , उसके अंदर अलग ही तरह से कामना ने जनम ले लिया था जिससे उसकी बुर में कुलबुलाहट सी उठने लगी थी

ममता : वही रुको
मदन एकदम से ठहर गया
ममता छेड़ती हुई : शर्त भूल गए , चली जाऊ ऊपर
मदन एकदम से चौक कर : नहीं नहीं , वो मै करने ही वाला था
ममता हसने लगी और मदन पहले अपना कुर्ता और फिर पजामा निकाल दिया , उसका लंड उसके अंडरवियर में तना हुआ था अकड़ा एकदम से
तभी ममता की नजर मदन के कुर्ते की जेब में चौकोर डिबिया पर गई और लपक कर उसने उठा लिया और सिगरेट जला कर कस लेते हुई : अह्ह्ह्ह मजा आ गया उफ्फ हाहा
मदन मुस्कुराता हुआ खड़ा रहा वही
ममता सिगरेट की कस लेती हुई अपने पैर क्रॉस कर सोफे पर झुकी हुई थी और बड़े आत्मविश्वास से मदन को देख रही थी ।
ममता उसे छेड़ती हुई : वैसे दर्द तो होगा ही क्यों ?
मदन मुस्कुराने लगा और तकिया लेकर बगल वाले सोफे पर बैठ गया ।
ममता : सच सच बताओ कभी किसी के साथ ?
मदन एकदम से हड़का : कैसी बात कर रही है आप भाभी, मै किसके साथ ?
ममता मुस्कुरा कर : तो फिर वो कमरे में हेडबोर्ड के पास वाले दराज में वो पैकेट किसके है ।
ममता का इशारा मदन के कमरे में रखे कंडोम के पैकेट्स पर था ।
मदन की सांसे अटक गई और उलझन सी होने लगी
ममता : अब शरमाओ मत देवर जी , मै आपके भैया को नहीं कहने वाली कुछ
मदन : वो दरअसल काफी पुरानी है कभी शहर आना जाना होता है तो काम आ जाता है
ममता खिलती हुई : ओहो फिर तो इतने सालों में बड़े सारे लोगों के साथ काम किए होंगे आप क्यों ?
मदन मुस्कुराने लगा
ममता : ड्यूटी के टाइम पर तो मुश्किल ही रही होगी न
मदन : नहीं वहा तो और भी आसानी होती थी ।
ममता दिलचस्प दिखा कर उसके करीब हुई और मदन की निगाहे उसके झूलते चूचे पर : मतलब ?


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मदन : वहा फोर्स में सीनियर अपने परिवार सहित होते थे और जब अफसर लोग नहीं होते थे तो कई मैडम इसका फायदा लेती थी घर में काम कर रहे सिपाहियों से ।
ममता : क्या सच में ? और आप
मदन : मै भी कुछ के साथ था , एक थी जिसके साथ करीब 7 साल तक , प्लीज आप ये सब भैया से मत कहिएगा
ममता : 7 साल तक ? ऐसा क्या जादू कर दिया था उसने उम्मम कि छोड़ा नहीं
मदन मुस्कुरा कर : दरअसल उसने मुझे नहीं छोड़ा था
ममता : ओह्ह्ह , अच्छा कभी ऐसा मन नहीं हुआ कि शादी कर ले या फिर लेकर भाग जाए ।
मदन : नहीं , वहां हमारा रिश्ता हमेशा जिस्मानी ही रहा
ममता : दिखने में कैसी थी ?
मदन : कौन
ममता : अरे वही जिसके साथ 7 साल तक
मदन मुस्कुरा कर : अच्छी थी पंजाबन थी
ममता : फिगर कैसा था ?
मदन : क्या ?
ममता हस कर : अरे फिगर फिगर, दिखने में कैसी थी । मोटी पतली कैसी
मदन हंसता हुआ : वो लगभग आपके जैसी
ममता चौकी : क्या सच में ?
मदन ने मुस्कुरा कर हा में सर हिलाया
ममता उसको शर्माता देख : कही ऐसा तो नहीं कि वो जैसी थी इसलिए 7 साल तक उसको छोड़ा नहीं ।
मदन : क्या भाभी कैसी बात कर रही है, मैने आपके बारे में ऐसा कभी नहीं सोचा
ममता : चल झूठे , अभी ऊपर कह रहे थे कि मुझे शाम को कुछ करते देखा , क्या कर रही थी बताओ न
मदन : वो आप लेटे हुए भैया को याद कर रही थी


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ममता ने मदन को तंग करते हुए अपनी जांघें फैला दी और उसकी बड़ी लंबी फांक वाली चूत मदन के आगे , उसकी सांसे अटकने लगी और वो आंखे फाड़े ममता के लंबी बुर को निहार रहा था
ममता अपने हाथ अपने चूचों पर ले गई और उन्हें सहलाने लगी : कैसा ऐसे कर रही थी तब मैं उम्ममम
मदन उसकी ओर झुकने लगा : नहीं भाभी वो आप नीचे उफ्फ भाभीईईई

ममता ने एकदम से अपनी एक टांग खोलकर दूसरे हाथ से अपनी बुर की लंबी फांकों को सहलाने लगी मदन के सामने : ऐसे क्या देवर जी


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मदन घुटने के बदल होकर ममता के आगे आ गया था और उसकी आंखे बस एक टक ममता की रसाती बुर देखे जा रहे थी : हा भाभी
ममता : और आपका क्या मन कर रहा था , मुझे तड़पता देख कर उम्मम
मदन : मै सोच रहा था कि... कि
ममता अपने चूत के दाने को उसके आगे सहलाती हुई : कि मेरे हाथ की जगह आपकी जीभ होती तो उम्मम
मदन की सांसे भरारे लगी और तेजी से सास लेता हुआ ममता की ओर झुक रहा था : हा , क्या मै ?
ममता ने मदन की तड़पती आंखों में देखा और पूछा : पसंद है क्या ?
मदन : इतनी लंबी फांकों वाली मैने पहले कभी नहीं देखी भाभी उफ्फ
ममता : चाटना है ?
मदन ने ममता की आंखों में देख कर हा में सर हिलाया

ममता ने मुस्कुरा कर अपने कूल्हे उठा कर आगे किए और मदन को खुला आमंत्रण दे दिया
ममता की बुर कबसे गीली हुई जा रही थी और उसमें से आती मादक गंध से मदन का नथुना भर गया था, उसके दिमाग की नशे तन गई थी और जांघिया में लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
नजर भर उसने ममता की ओर देखा और अपनी लार छोड़ती जीभ से थूक गटकता हुआ अपने होठ सीधा ममता के बुर के ऊपर दाने पर रख दिया
ममता आंखे बंद कर सिहर उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह


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अगले ही पल अपने होठ वही जमाए हुए निचले होठ को ममता के फांकों पर रगड़ कर नीचे करके अपने होठ खोल कर जीभ निकाली और ममता की लंबी फांकों की निचली छोर से पूरी जीभ को फिराता हुआ ऊपर ले आया , जिससे उसकी जीभ ममता के कामरसों से सन गई और उसने अपने होठों सिकोड़ कर उसके दाने को चुबलाया
ममता की पीठ अकड़ गई , जांघें झनझनाने लगी , सांसे तेज हो गई नथुने फूलने लगे और निप्पल पूरी तरह तन कर खड़े हो गए : उफ्फफ देवर जीईईईई ओह्ह्ह्ह


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अगले ही पल फिर से मदन ने वही प्रक्रिया दोहराई और इस बार होठों से लगातार तीन बार उसके दाने को चूसा
ममता की मानो जान ही उसी रास्ते निकल जाए और वो अपने कूल्हे उठा दी और मदन के सर पर हाथ रख दी : उफ्फ देवर जी अह्ह्ह्ह


मदन बिना मुंह उठाने नजर उठा कर पगलाई हुई ममता को देखा , जिसकी आंखों के सेक्स की कितनी भूख थी कितनी तड़प थी, उसकी आंखों में देखते हुए ही मदन ने अपनी जीभ को उसके गिले बुर पर गोल गोल फिराया
ममता आंखे उलटने लगती मुंह खोल कर जब मदन की जीभ के टिप का निचला हिस्सा उसके बुर के दाने के पास जाता
मदन ने वापस ने अपने काम में लग गया और इस बार उसके फांकों को मुंह में लिया और उन्हें बाहर खींचते हुए चुबलाते हुए छोड़ दिया
ममता अपनी गाड़ उठाए रह गई और हांफने लगी : ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
मदन ने वापस से वही प्रकिया दोहराई और फिर एकदम से अपनी जीभ को रेंगाते हुए ममता की बुर में घुसा दिया : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
ममता हाफ रही थी और दोनों हाथों से सोफे पर सहारा ले कर अपने गाड़ को हवा में उठा रखा था और आंखे बंद कर मदन की जीभ को अपनी बुर की दिवालो को कुरेदता महसूस कर रही थी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड कितना अह्ह्ह्ह मै ... अह्ह्ह्ह देवर जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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ममता ने मदन के बाल पकड़ कर अपने बुर पर दबाने लगी जिससे मदन के ऊपरी होठ उसके बुर के दाने पर घिसने लगे , अब तो उसका पागलपन और बढ़ गया और आंखे उलटती हुई वो अपनी कमर झटकने लगी तेज आवाज में चीखती हुई : अह्ह्ह्ह उम्मम ओह्ह्ह देवर जी अह्ह्ह्ह लो पी लो आह्ह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह्ह हाय दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मर जाऊंगी अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह

ममता पूरी तरह से अकड़ गई थी ,उसके चूतड़ सख्त हो गए थे और जांघों ने मदन का सर अपनी गिरफ्त में ले लिया था ,मदन हिल भी नहीं सकता था और ममता के बुर से आती रस दार मुंह लगा कर वो उसकी बुर पर ही लिपने लगा और ममता बस झड़ती रही और हांफती रही ।
ममता सोफे पर और मदन उसकी गदराई जांघों के बीच में सर टिका कर सुस्ताने लगा ।

जारी रहेगी

कामुकता की इन्तेहा कर दिए हो भाई इस अपडेट में।
 
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💥 अध्याय : 02 💥

UPDATE 14
( MEGA )

बंद कमरे में मादक सिसकारियां उठ रही थी , दो होठ एक दूसरे को निचोड़ने में अपने रस साझा कर रहे थे , रंगी में मजबूत पंजे सुनीता के रसीले चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से मसलने लगे थे और सुनीता उसके होठों के चुम्बन से मदहोश हुई जा रही थी ,
रंगी कभी उसके गाल तो कभी उसके कान के पास तो कभी उसके गर्दन और आगे सीने पर सुनीता कुनमुनाती सिसकती हुई मुस्कुरा रही थी और वो गुदगुदाहट भरे चुम्बन उसके बुर के दाने को फड़का रहे थे ।
एकदम से वो पीछे हटी और अपने सीने से आंचल हटा दिया


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भरे भरे दो रसभरे खरबूजे जैसे चूचे ब्लाउज में कसे हुए जो अपने वजन से झूल ही जाते अगर उन्हें उस डिजाइनर चुस्त ब्रा के कप्स ने नहीं थामा होता ।
हल्का उभरा हुआ नरम पेट और चर्बीदार गहरी नाभि उफ्फ क्या दूधिया रंग था ।
रंगी का लंड अकड़ रहा था और वो उसकी ओर लपका लेकिन सुनीता पीछे हटने लगी और एकदम से रंगी खड़ा हो गया क्योंकि अब सुनीता पीछे नहीं जा सकती थी क्योंकि पीछे दिवाल और नीचे सोफा रखा था ।
सुनीता उस सोफे पर चढ़ कर कसमसाने लगी , मानो रंगी को जता रही हो कि वो कितनी तड़प रही है और वो आए उसे बाहों में भर ले ।
मिनट भर भी नहीं रोक सका रंगी खुद को और साड़ी के नीचे से झांकती उसकी गदराई दूधिया जांघों को सहलाते हुए अपने हाथ सीधा सरका कर उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों पर ले गया और आगे झुक कर उसके गुदाज मुलायम पेट को चूमने लगा


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जैसे जैसे नीचे साड़ी में रंगी उसके चूतड़ के नंगे भागो को अपने पंजे से छेड़ता उन्हें मसलता वैसे वैसे सुनीता अपने गाड़ सख्त कर अपने कमर को उठा देती और रंगी उसकी रसीली नाभि में जीभ डाल कर अपने होठ से उन्हें चूसता
सुनीता अकड़ रही थी और उसकी सिसकियां पहले से तेज होने लगी और रंगी उसके ब्लाउज के ऊपर से उसके नरम मोटे मम्मे को काटने लगा : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम रुको न
रंगी ने मुस्कुरा कर उसे देखा और आंखों से ही सवाल किया कि क्या हुआ
सुनीता मुस्कुरा कर अपनी जगह बदलते हुए सोफे पर लेट गई और अपने ब्रा के हुक खोलते हुए : अह्ह्ह्ह अब आओ न मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम धत्त अह्ह्ह्ह्ह सीईईई उम्मम कितने उतावले हो अह्ह्ह्ह्ह


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रंगी उसके दोनों जांघों को फैला कर उसके ऊपर आता हुआ उसके चूचियों के नंगे भागो को मुंह में रखता हुआ : उम्मम तुम्हे देखते ही मै बेसब्र हो जाता हु , उफ्फ कितनी मुलायम हो तुम और तुम्हारे ये दूध उम्मम
रंगी उस लाल ब्रा के ऊपर से सुनीता के तने हुए निप्पल को चुबलाने लगा
सुनीता तड़प उठी और रंगी का मुंह पर छातियों पर दबाने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम काट क्यों रहे हो अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
रंगी उसके निप्पल से हट कर उसके चूचे सहलाते हुए वापस पेट की ओर जाने लगा और नीचे साड़ी खींचता हुआ उसके पेडू के पास चूमने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या दीदी तो पागल ही हो जाती होंगी उफ्फ अह्ह्ह्ह्ह
रंगी : आज तो तुम्हे पागल करना है आजाओ
रंगी ने झटके से उसका हाथ पकड़ खड़ा किया और खुद उसकी साड़ी खींचने लगा


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सुनीता मुस्कुरा उसके आगे घूम गई और देखते ही देखते रंगी के हाथों में उसकी साड़ी थी जिन्हें वो अपने ऊपर लपेट कर सूंघने लगा और वही सुनीता उसके आगे अपना पेटीकोट उतारने लगी , और रंगी अपने कपड़े ।
अब वो उसके आगे सिर्फ मैचिंग ब्रा पैंटी के खड़ी थी , सुर्ख लाल रंग में उसके चूत फूल गए थे और सांसे चढ़ने लगी थी , नरम चर्बीदार चूतड़ों पैंटी से बाहर निकल गए थे और उसकी नजर फिलहाल सुनीता की दूधिया जांघों पर थी जो उसके जिस्म में सबसे ज्यादा गोरी जगह थी
दुनिया ने अपनी एक टांग उठा कर रंगी के आगे परोसा और रंगी अपनी ललचाई आंखों से उन्हें घूरता हुआ अपने पंजे से उन्हें छूने लगा और रंगी के हाथों के स्पर्श पाकर सुनीता की सांसे फिर से बेताब होने लगी और जिसे हो रंगी ने अपने होठ उसके जांघों पर रखे वो पागल होने लगी , कमरे में उसकी मादक सिसकियां भर आई ।


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रंगी ने एकदम से उसको घुमाया और उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को अपने आगे किया और उन्हें दोनों हाथों से भर कर पैंटी के ऊपर से ही मसलने लगा और उन्हें अपन नाथूनो के करीब ला रहा था कि एकदम से सुनीता नीचे उसकी गोद में उसके तने हुए लंड के ऊपर बैठ गई : ओह्ह्ह्ह सीईईई कितनी गर्म गाड़ है तुम्हारी उम्मम
सुनीता उसके लंड को जो रंगी के अंडरवियर में तंबू बनाए खड़ा था उसके ऊपर अपनी गाड़ को घिसने लगी और उसके ऊपर लोटने लगी
रंगी ने अपने हाथ आगे कर उनके पेट मसलने लगा और उसके गर्दन के पास चूमने लगा जल्द ही सुनीता उसकी बाहों में खुद को सौंप चुकी थी और रंगी के हाथ अब उसके रसभरे खरबूजे जैसे चूचे को मसलने के लिए आगे बढ़ने लगे थे।
वही दूसरी तरफ गीता ने मौका देख कर अपने दादू के पास चली गई थी ।
रात के इस प्रहर में बनवारी एकदम से गीता को अपने कमरे में पाकर हड़क गया ।
कारण भी लाजमी था , जो कुछ भी शाम को हुआ उसके बाद बनवारी और गीता की कोई बात नहीं हुई थी और जब ऐसे वक्त में जब कमला और रंगीलाल कभी भी उसके कमरे में आ सकते थे , उस वक्त गीता का वहां होना उचित नहीं था ।

बनवारी बिस्तर पर हेड बोर्ड का टेक लिए हुआ अपने ऊपर चादर तान रखा था : अरे मीठी , तुम सोई नहीं
गीता मुस्कुरा कर ना में सर हिलाई , बनवारी की बेचैनी और भी बढ़ रही थी जिस तरह से वो शर्माकर अपने बदन को लहरा रही थी , टीशर्ट में उसके बिना ब्रा के मोटे नारियल जैसे चूचे टाइट मालूम पड़ रहे थे और घुटनों तक वाली स्कर्ट उसकी मुलायम मोटी जांघों को लगभग उघाड़ रही थी ।
बनवारी : बेटा सो जाओ , मैने क्या समझाया था कि हम अकेले में बात करेंगे , बोला था न
गीता धड़धड़ाते हुए बिस्तर पर खिलखिलाती हुई अपने दादू के पास आ गई : हा लेकिन मुझे आपके पास सोना है आज
बनवारी उसकी जिद से परिचित था और गीता की ये हरकत से उसकी बेचैनी और बढ़ने लगी : क्यों ? तो क्या गुड़िया अकेले सोएंगी
गीता मुंह बना कर : वो तो पापा के साथ गोदाम गई है
बनवारी थोड़ा सा उलझे हुए स्वर में : गोदाम पर , क्यों ?
गीता : वो पता नहीं , लेकिन मै आपके साथ सोऊंगी
बनवारी हड़बड़ा कर : अह नहीं बेटा , अभी जमाई बाबू खाना खा कर आने वाले है शायद वो यही सोए
गीता का मुंह बनने लगा : बक्क नहीं
बनवारी उसको अपने पास खींच कर : अच्छा ठीक है तू अगर अपने कमरे सोने जाएगी तो तुझे कुछ दिखाऊंगा
गीता का मन एकदम से ललचा गया और उसके निप्पल तन गया
गीता वही घुटने के बल बनवारी के पास खड़ी थोड़ी मुस्कुराने लगी और लजाने लगी ।
बनवारी ने हाथ आगे बढ़ा कर उसके स्कर्ट में हाथ घुसा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फिराया तो पाया उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना : अरे कच्छी नहीं पहना तूने
गीता मुस्कुरा कर लजाती हुई ना में सर हिलाई
बनवारी मुस्कुरा कर उसको छेड़ता हुआ : क्यों ?
गीता लजाते हुए हस पड़ी : बक्क दादू , अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम
बनवारी उसके जांघों के बीच उसकी नरम बुर के चिपके हुए फांकों को उंगली से फैलाने लगा : दादू के पास सोना था इसलिए उम्मम तूने नही पहना न
गीता की हालात खराब होने लगी और वो अपने दादा जी के कंधे को पकड़ कर उनकी ओर झुक गई और सिसकने लगी : उम्मम हा दादू अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
बनवारी उसके नरम होठ अपने पास देखे और खुद से ही पहन कर उसके लिप्स चूसने लगा ।


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अपनी नातिन के नरम होठों का रस पाते ही एकदम से बनवारी के बदन में सी हुई और उसका लंड जांघिये में फड़कने लगा , उसके हाथ खुद से गीता ने के टीशर्ट में झूलते चूचे को छूने लगे
अपने दादू के उंगलियों का स्पर्श अपने निप्पल के पास पाकर गीता पूरी तरह से मचल उठी और झट से उसने अपने टीशर्ट निकाल दिए और उसके दोनों रसीले मम्में पूरे नंगे बनवारी के आगे
बड़े बड़े चौसा आम जैसे चूचे और उनकी गुलाबी घुंडियों को देख कर बनवारी की आंखे चमक उठी
तभी उसे अपने जांघों पर कुछ हरकत महसूस हुई देखा तो गीता चादर हटा कर उसके जांघिये को नीचे कर रही थी
बनवारी : बेटा कोई आ जाए... अह्ह्ह्ह कितने मुलायम है तेरे हाथ उफ्फ
गीता ने अपनी नरम नरम हथेली के अपने दादू का अकड़ा हुआ मोटा लंड पकड़ा और हिलाने लगी : कोई नहीं आएगा दादू उम्ममम कितना बड़ा है
गीता के नरम हाथ जिस तरह से उसके लंड की चमड़ी को आगे पीछे कर रहे थे,बनवारी की हालत खराब होने लगी । पहले से ही अपने दामाद के साथ रज्जो के बारे में बाते फिर कमला को साथ में मिलकर पेलने का सोच कर उसका लंड अकड़ा हुआ था और अब उसपे से उसकी नातिन के नरम हथेली का स्पर्श उसकी नसों को फड़का रहा था । गीता नीचे हाथ ले जाकर उसके आड़ को टटोल रही थी और बनवारी उसके नंगे चूचों को हाथ में भर रहा था


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उसे डर भी था कि कही जमाई बाबू न जाए और वो पकड़ा जाए : बेटी रुक जा न ऐसे नहीं आएगा वो
गीता मुस्कुरा कर : मै निकाल दूं
बनवारी उसकी आंखों में देखते हुए : कैसे ?
गीता मुस्कुरा कर नीचे झुक गई और अपने होठ खोलते हुए उसका सुपाड़ा चुभलाने लगी : ओह्ह्ह्ह मीठी उम्ममम क्या क्या सीख रही है तू अह्ह्ह्ह उम्मम
गीता बड़े चाव से आंखे बंद कर हौले हौले बनवारी का लंड चुभलाने लगी और बनवारी के पैर अकड़ने लगे , उसकी सांसे चढ़ने लगी , आगे झुकने से गीता के नंगे चूतड़ और फैल गए ।
बनवारी अपने पंजे से उसके नरम चूतड़ों को सहलाते हुए उसके बुर को कुरेदने लगा ।


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गीता अपनी बुर में उंगली पाते ही तेजी से अपनी जीभ का भी इस्तेमाल करने लगी जैसा उसने पहले अपने राज भैया से सिखा था और बनवारी के आड़ सहलाती हुई गले तक ले जाने लगी
बनवारी की हालत अब पूरी तरह से खराब थी और उसके चूतड़ कसने लगे , उसके आड़ से वीर्य अब नसों में उतर कर सुपाड़े की ओर बढ़ने लगा
बनवारी तड़पने लगा : ओह्ह्ह बेटी हा और चूस आयेगा अह्ह्ह्ह तूने तो मेरी तकलीफ कम कर दी ओह्ह्ह और ले अह्ह्ह्ह
गीता के गाल भी अब दर्द होने लगे थे और वो मुंह की जगह अब हाथों से तेजी से अपने दादू का लंड हिलाने लगी और बनवारी कोहनियों के पल उठ गया उसके पैर अकड़ने लगे और लंड की कसावट बढ़ गई और फिर एकदम से लावा फूट पड़ा


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जैसे ही गीता ने बनवारी के लंड की पिचकारी फूटते देखी आगे होकर अपने गोरे नंगे चूचों को आगे कर दिया कुछ बिस्तर पर तो कुछ उसकी छातियों पर बचे हुए छोटी पिचकारियां वो अपने गाल पर लेने लगी और फिर एक बार मुंह में लेक उसको सुरकने लगी
बनवारी एकदम से सुस्त होकर बिस्तर पर गिर पड़ा और हांफने लगा । वही गीता मुस्कुरा कर अपने गाल और छतिया सहलाती हुई वैसे ही अपने दादू के पास लेट गई
वही दूसरी ओर कमरे में मादक सिसकारियां उठ रही थी , रंगी के हाथों में सुनीता के दोनों बड़े बड़े खरबूजे जैसे गोल चूचे थे जिन्हें वो मसल रहा था और नीचे सुनीता का हाथ रंगी के लंड को भींच रहा था
रंगी : उफ्फ कितनी मुलायम दूध है तुम्हारे
सुनीता : तो पी लो न मेरे राजा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई काटो मत उम्मम निशान पड़ गए तो तुम्हारे साले को क्या कहूंगी
रंगी उसके निप्पल से मुंह हटा कर अपना लंड सीधा खड़े खड़े ही उसकी बुर में भेदता हुआ : बोल देना कि नंदोई जी ने कहा कि बहन के साथ बीवी भी अब देनी पड़ेगी

सुनीता मुस्कुराई लेकिनी नीचे से उसकी चूत नीचे से मानो छिल सी गई जब रंगी ने अपना मोटा लंड उसके कसी जांघों के बीच से उसकी बुर में भेदा: अह्ह्ह्ह मेरे राजा ऐसे ही करोगे क्या अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रंगी उसके चर्बीदार चूतड़ों को हाथों में लेकर फैलाते हुए तेजी से उसके चूत में खड़े खड़े ही लंड पेलने का : क्यों मजा नहीं आ रहा उम्ममम
सुनीता आंखे उलटती हुई : आ रहा है ओह्ह्ह्ह उम्ममम लेकिन सूखा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रंगीलाल उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपने करीब कर फिर से उसके लिप्स चूसता हुआ : तो गिला कर दो न इसे
सुनीता मुस्कुरा और सरक कर रंगीलाल के पैरों में चली गई , रंगीलाल का लंड एकदम तना हुआ रॉड जैसे हवा में लहराने लगा
जैसे ही सुनीता ने उसकी जांघों को छुआ उसके पैर कांपने लगे और बड़ी मादक नजरो से उसने आंखे उठा कर रंगी को देखा और मुंह खोलकर सुपाड़ा चुबलाया : ओह्ह्ह मेरी रानी अह्ह्ह्ह कितनी मुलायम ओह्ह्ह्ह उम्ममम हा ऐसे ही अह्ह्ह्ह कितनी मज़ाह उफ्फफ उम्ममम


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रंगी के हाथ खुद से सुनीता के बालों को छूने लगे , उसकी कमर खुद आगे पीछे होकर सुनीता के मुंह में पेलने लगा
सुनीता उसका लंड पकड़ उसको पूरा जाने से रोकने लगी जिससे रंगी की तड़प और बढ़ने लगी : और लो न मेरी जान हा और घोट जा पूरा ओह्ह्ह्ह उम्ममम साली रंडी
एकदम से सुनीता रुक गई और चौक कर मुंह में लंड भरे हुए रंगी को देखा तो रंगी मुस्कुरा कर : सॉरी मेरी जान चूसो न
सुनीता मुंह बनाई और फिर वापस से उसका लंड चुभलाने लगी : ओह्ह्ह्ह मेरी जान हा और और चूसो ओह्ह्ह उम्ममम
सुनीता मुंह से लंड निकाला और खड़ी होकर बिस्तर पर टांगे खोलकर लेट गई और अपनी बुर सहलाने लगी
रंगी समझ गया कि सुनीता थोड़ी बुरा मान गई वो शब्द सुनकर और वो मुस्कुरा कर उसके ऊपर आता हुआ अपने लंड को उसकी बुर पर टिकाने लगा और सुनीता के चेहरे के हाव भाव बदलने लगे ।


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फिर एकदम से रंगी ने अपना लंड हचक से उसकी बुर में उतार दिया जो तेजी से सरकता हुआ उसकी चूत में जाने लगा
सुनीता की आंखे बड़ी हो गई जब उसने रंगी का मोटा तपता लंड अपनी बुर के महसूस किया और उसने कस कर दोनों हाथों से उसे अपने पास खींचने लगी : अह्ह्ह्ह उम्मम कितना बड़ा और गर्म उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
रंगी : अभी भी नाराज हो मेरी जान
सुनीता मुस्कुरा कर ना में सर हिलाई
रंगी मुस्कुरा कर उसके होठ चूसता हुआ एक करारा झटका फिर दिया और सुनीता का पूरा बदन झन्ना गया
सुनीता : उफ्फफ फाड़ डालोगे क्या मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम
रंगी : ना फाड़ू फिर रुक जाऊ
सुनीता : नहीईई ( फिर वो थोड़ा शरमाई )


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रंगी उसके दोनों गाल पकड़ कर उसके नरम रसीले होठों को चुबलाते हुए अपनी कमर चलाने लगा और फचर फचर आवाज के साथ सुनीता की बजबजाई बुर में लंड जाने लगा
इतना गर्म और नर्म अहसास रंगी पाकर और जोश में आ गया , फिर तेजी से अपना लंड पेलने लगा
सुनीता की हालात बिगड़ रही थी उसकी बुर तेजी से रस छोड़ रहे थी और सिसकिया रुकने का नाम नहीं ले रही थी : उफ्फ नंदोई जी अह्ह्ह्ह आपने तो पूरी रेल बना दी उम्मम , इतना तेज अह्ह्ह्ह उम्मम और ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह

रंगी उसके हिलते हुए चूचे मुंह में भरता हुआ दुगने जोश में कमर चलाने लगा और सुनीता हवा में उड़ने लगी : उम्मम तुम्हारे जैसी रसीली माल को ऐसे ही पेलने में मजा है ओह्ह्ह्ह

सुनीता : मेरे जैसी मतलब , और भी किसी को
रंगी अपनी स्पीड हल्की करता हुआ मुस्कुराने लगा तो सुनीता हंसती हुई उसकी दाढ़ी छूती हुई : उम्मम देखो तो कैसे शर्मा रहे है अह्ह्ह्ह हाय दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा उम्मम कितना अंदर डालोगे उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी आगे झुक कर उसके रसीले होंठ चूसता हुआ : कहो तो और गहरी कर दु उम्मम
सुनीता लजाई: धत्त , अब क्या रज्जो दीदी जितनी करोगे
रंगी एकदम से हड़का और अपने कंधे टाइट कर रुक गया : क्या मतलब
सुनीता मुस्कुरा उसके कमर को पकड़ती हुई खुद हुई उसके लंड को अपनी बुर से चुस्ती हुई अपनी गाड़ उठाने लगी , जिससे रंगी का सुपाड़ा इस कामुक कसावट भरे अहसास से बिलबिला उठा और रंगी की बाहों ढीली पड़ गई उसकी सांसे तेज होने लगी : आपको क्या लगा था कि आपकी तोता मैना की लव स्टोरी पकड़ी नहीं जायेगी उम्ममम
रंगी कमजोर लहजे : लेकिन तुमको कैसे ? अह्ह्ह्ह
सुनीता मुस्कुरा कर : आपकी कातिल निगाहें सब कुछ बता देती आपके बारे में , जरा ध्यान से इधर उधर घुमाया करो अह्ह्ह्ह
रंगी मुस्कुरा कर फिर से अपना लंड उसकी चूत में गहरे उतरता हुआ : अब तो सच में ध्यान रखना ही पड़ेगा , तुम्हे बुरा तो नहीं लगा
सुनीता मुस्कुरा: पहले लगता था
रंगी बहुत ही आहिस्ता उसकी चूत में लंड को घिसता हुआ : क्यों ?
सुनीता उसके सुपाड़े की रगड़ से मदमस्त होती हुई : अह्ह्ह्ह्ह मै सोचती थी कि शादी में मेरे इतने सेक्सी लुक के बाद न जाने किसकी कमी थी कि आपने मुझे एक नजर नहीं देखा और दीदी के आगे पीछे घूमते थे
रंगी हौले से एक झटका देता है : फिर ?
सुनीता सिसक कर : फिर समझ गया कि रज्जो दीदी जितनी बड़े दिल वाली तो मै हूं नहीं , मेरे पास गिनती के लोगों के लिए ही जगह हो सकती है
रंगी उसकी बातों से साफ समझ गया कि सुनीता को रज्जो के बारे में कुछ ऐसा पता है जिससे वो अंजान है और उसके लिए रज्जो आज एक पहेली जैसी नजर आ रही थी
रंगी मुस्कुरा कर : तो फिर तुमने मुझे जगह दे दी क्यों उम्मन
सुनीता रंगी के करारे झटके से सिसकी और हस्ती हुई उसकी आंखों में देखते हुए : आपको को भला कैसे मना कर सकती थी अह्ह्ह्ह उम्मम मेरे राजा भर दो न और न तड़पाओ
रंगी : वैसे जान सकता हूं और कौन है तुम्हारे दिल में


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सुनीता उसको कस कर अपनी ओर खींचने लगी उसकी बुर ने रंगी के लंड की कस लिया था, रंगी की मीठी बातों से वो झड़ने के करीब आ गई थी : अह्ह्ह्ह उम्मम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह रुको मत सब बताऊंगी ओह्ह्ह्ह उम्ममम आ रहा है
रंगी उसके जोश से और जोश में आ आगया और सुनीता के कसे छल्ले में ही अपना लंड आगे पीछे करने लगा , जैसे जैसे सुनीता उसके लंड पर झड़ रही थी मानो उसका लंड पूरी गहराई में ले जा रही थी उसकी नसों को नीचे से निचोड़ रही थी और सुनीता के दूसरे दीवानों के बारे में सोच कर वो भी झड़ने लगा उसकी बुर में और झड़ता रहा जबतक आखिरी बूंद तक निचोड़ नहीं दिया उसकी बुर में।
हांफता हुआ अलग होकर निढाल हो गया उसके बिस्तर पर ..... और कुछ पल बीते थे कि बनवारी उसके मोबाइल पर फोन घुमाने लगा था ।

"मुझे जाना होगा " , रंगी उठ कर अपना शर्ट पहनने लगा
सुनीता उखड़ कर : क्या मुझे सारी रात ऐसे ही छोड़ कर जाओगे ?
रंगी झुक कर उसके नंगे चूचों को फिर से चुभलाता हुआ : मन तो नहीं कर रहा है लेकिन बाउजी फोन कर रहे है ।
सुनीता के पास अब कोई चारा नहीं था रंगी को रोकने का और उसने इजाजत दे दी । फिर रंगी झट से कमरे से निकल गया , दबे पाव कि कोई उसे देखे नहीं ।लेकिन कोई था जो उसे सुनीता के कमरे से निकलते हुए देख चुका था ।

चमनपुरा


" अरे राज बेटा "
" हैप्पी बर्थ डे आंटी " , राज मुस्कुरा कर ठकुराइन के पास जाकर बोला ।
" सो स्वीट , थैंक्यू बेटा " , ठकुराइन ने उसके पास छू कर मुस्कुराई।
राज करीब खड़ा होकर : बहुत प्यारी लग रही हो आंटी


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ठकुराइन : अच्छा जी
राज दांत कड़े कर होठ हिला कर भुनभुनाया : हम्ममम , बाकी डिटेल में मैसेज करके बताता हूं
ठकुराइन को हंसी आई : बदमाश कही का हिहिहीही
राज उसकी आंखों में देखा और मुस्कुराने लगा

तभी संजीव ठाकुर उनकी ओर आने लगा हाथ में विस्की का ग्लास : वाव लुक माय डॉलरिंग वाइफ
ठाकुराइन शर्माने लगी और राज भी थोड़ा असहज होने लगा
तभी सरोजा राज के कान में बोली : तुम्हे लगता है भैया मुझे देखेंगे
राज ने चुपके से सरोजा को चिमटी काट कर उसे चुप रहने को कहा ।
संजीव : राज बेटा , मीट माय हॉट & सेक्सी वाइफ
राज : जी मै मिला अंकल अभी अभी
ठकुराइन उसके हाथ से गिलास लेती हुई : इसे मुझे दीजिए , बहुत पी चुके है आप
संजीव ठाकुर लड़खड़ा कर : कहा यार , अभी तो पार्टी शुरू हुई है ।
तभी राज की नजर सीढ़ियों से उतरते बड़े ठाकुर पर गई और वो धीरे से संजीव ठाकुर के कान में बोला: अंकल , बाउजी आ रहे है आपके
संजीव ठाकुर एकदम से अपनी शर्ट सही करने लगा : ओके इंजॉय करो , अरे इंजॉय क्या ? केक काटना है चलो
ठकुराइन मुस्कुरा कर राज से : वैसे सही नस दबाई तुमने हीहीही
राज और सरोजा उसकी बात पर हसने लगे ।
केक काटने का समय हो रहा था और मालती अभी तक कही दिखाई नहीं दी तो ठकुराइन परेशान होने लगी, कि कही वो चंदू के साथ और कही मेहमानों में किसी ने उसको देख लिया तो
राज : क्या हुआ आंटी
ठकुराइन धीरे से उसकी ओर देख कर : मालती नहीं है
तभी सरोजा बोली : मै देखती हूं भाभी
सारे लोग ठकुराइन और संजीव ठाकुर को घेर कर खड़े थे और आपस में बाते कर रहे थे ।
तभी भीड़ में हलचल हुई और सरोजा मालती को लेकर बीच में आई
वो एक ब्लैक गाउन में थी । मेकअप के बाद गजब की खूबसूरत दिख रही थी ।
ठकुराइन ने आते ही उसे गुस्से से घूरा और वो नजरे झुका ली , राज समझ गया कि जरूर मालती चंदू के चक्कर में इधर उधर कही थी ।
फिर सारे लोग हल्ला हू करने लगे और तालियां बजाने लगे , फिर केक काटने के बाद सब इधर उधर बट गए ।
कुछ खाने की ओर तो कुछ डांस फ्लोर पर
बड़े ठाकुर भी एक राउंड अपनी बहु की पेलाई कर थक गए थे तो खाने की बफर की ओर बढ़ गए
सरोजा और उसकी भाभी दूसरे मेहमानों से मिल रही थी और तभी राज की नजर संजीव ठाकुर की ओर गई जो ऊपर कमरे की ओर जा रहे थे
राज ने यही सही मौका देखा और झट से सरोजा को मिसकॉल करते हुए उसको एक मैसेज किया
उसे पढ़ते ही सरोजा की सांसे तेज हो गई और वो मेहमानों के बीच खड़ी हुई बेचैन होकर राज की ओर देखने लगी तो उसने इशारें से ऊपर जाने को कहा और फिर मैसेज किया
राज : go, show him your sexy ass
सरोजा राज के मैसेज पढ़ कर मुस्कुराई और फिर वहां से निकल गई । वही राज की नजर ठकुराइन पर गई , उसकी बैकलेस ब्लाउज में उसकी चौड़ी पीठ बड़ी सेक्सी दिख रही थी और ब्लाउज की डोरी के लटकन नीच उसके मोटे चूतड़ों तक लटके थे ।
राज ने सोफे पर बैठे हुए ही मोबाइल से ठकुराइन के व्हाट्सअप पर मैसेज किया : Ab samjha , uncle ne aapko Hot & Sexy kyo kaha 😍

ठकुराइन का मोबाइल बजा और उसने राज के मैसेज के नोटिफिकेशन देखते ही उसको खोला और मैसेज पढ़ कर मुस्कुराई और फिर इधर उधर देख कर राज को खोजने लगी और ठीक अपने पीछे सोफे पर उसे कोल्ड ड्रिंक पीते हुए देखा।
दोनों की नजरे मिली और ठकुराइन ने मैसेज टाइप किया : achcha ji , natakhat kahi ke piche kya kar rahe ho
राज ने मैसेज पढ़ कर जल्दी जल्दी टाइप करने लगा : details chek kr raha hu 🫣
मैसेज पढ़ कर ठाकुराइन मुस्कुराई और मैसेज टाइप करने लगी : oh , lag raha hai mujhe mera faishon designer mil gaya
राज मुस्कुरा कर मोबाइल में मैसेज देखता हुआ : yes, ma'am 😁
ठाकुराइन: jara btayenge , piche se sb thik to hai ? Blouse ki fitting ?
राज ने ठकुराइन की ओर देखा कसे हुए चुस्त ब्लाउज़ में उसकी कमर पर आई चर्बीदार सिलवटें देख कर उसका लंड अकड़ने लगा : upar sb sahi hai ma'am 😍
ठकुराइन को इस खेल में मजा आ रहा था तो वो उस ने इतरा कर एक बार राज की कर घूम कर देखा : aur niche ?
राज ने मैसेज पढ़ा और तुंरत ठकुराइन के चूतड़ों पर नजर डाली और जानबूझ कर फिर से मैसेज टाइप किया : niche?
ठाकुराइन: offo, niche dekho saree upar to nhi chadh gayi hai , mere bumm par 😄


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राज ने मैसेज पढ़ा और तुंरत टाइप करके : Haan, thodi upar to aa gayi hai
ठाकुराइन थोड़ी परेशान हुई और झट से अपनी साड़ी को नीचे टाइट कर अपने कूल्हे पर चुस्त करने लगी और जल्दी से मैसेज टाइप कर राज को देखा : Ab dekho ? Ya aur niche Karu ?
राज ने उसके कसे हुए चूतड़ों पर चुस्त साड़ी को देखा और उसे कुछ शरारत सूझी और उसने अजीब सा मुंह बना कर जल्दी से मुंह बनाया : Ab krengi to saree khul jaayegi aapki , aap room me jakar sahi kar lo
ठकुराइन राज का मैसेज पढ़ कर परेशान हो गई और झट से उसने मैसेज टाइप किया : ok , mere sath aao
ठकुराइन फिर वहा मेहमानों के बीच से निकल कर हाल में ही एक ओर जाने लगी और गलियारे की पहुंच कर उसने राज को देखा जो उसे ही देख रहा था , उसने राज को आने का इशारा किया और राज उठ कर खड़ा हो गया । फिर भीड़ से निकल कर ठाकुराइन के पीछे चला गया ।
अंदर गलियारे कमरे से होकर पीछे स्टोर रूम की ओर उसने ठकुराइन को जाते देखा और तेजी से उसके पास गया
ठकुराइन : थैंक यू तूने तो बचा लिया मुझे
राज मुस्कुरा कर : आपके फैशन डिजाइनर के रहते आपको कोई दिक्कत नहीं होगी आंटी हीहीही
ठाकुराइन हसने लगी : नटखट कही का , जरा देखना कोई इधर आए नहीं
और फिर ठकुराइन ने झट से राज के आगे ही नीचे से साड़ी खोल दी
और राज की नजर ठकुराइन के पेटीकोट पर गई जो उसके कूल्हे पर पूरे चुस्त थे और आगे पेडू तक बंधे थे ।



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ठकुराइन असहज होने का दिखावा करती हुई जल्दी जल्दी साड़ी सही करने लगी और फिर प्लीट बना कर उसको नाभि के ऊपर तक खोंस दिया
फिर अपने सीने से पल्लू हटा दिया
उफ्फ ये बड़े बड़े रसीले मम्में खरबूजे जैसे चूचे ब्लाउज में ठूंसे हुए , राज की नजर एकदम से वही ठहर गई


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ठकुराइन मुस्कुरा कर उसको छेड़ती हुई : ओह हा , डिजाइनर साहब मेरा ब्लाउज ठीक है न हीहीही
राज शर्मा गया और मुस्कुराने लगा और ठकुराइन ने झट से अपना पल्लू सही किया : अब ठीक है न
ठकुराइन उसके आगे घूम कर उसे आगे पीछे दिखाया
मगर राज के जहन में था कि उसने साड़ी नाभि के ऊपर क्यों पहनी थी : हा सब ठीक है , बस आपने साड़ी नेवल के ऊपर पहनी है उसे नीचे कर लो
ठाकुराइन ने सेकंड भी नहीं लिया और झट से साड़ी नीचे कर दी : अब ठीक है


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राज उसके गुदाज चर्बीदार नाभि और गोरे पेट को देख कर सिहर उठा : जी आंटी , बहुत खूबसूरत
ठकुराइन मुस्कुरा कर उसके गाल खींचती हुई : बदमाश कही का , चले अब
राज हंसता हुआ : हा चलो
दोनों आगे बढ़े ही थे कि तभी राज के कान खड़े हुए और उसे कुछ आहट आई

राज : रुकिए
ठाकुराइन की मुस्कुराहट हल्की होने लगी : क्या हुआ ?
राज उसको चुप करता हुआ उसकी कलाई पकड़ लिया : श्शश्श आपने नहीं सुना , आइए
फिर दोनों दबे पाव स्टोर रूम के आगे बढ़ गए , जहां पीछे दरवाजे गोदाम की ओर निकलते है ।
ठकुराइन दबी हुई : राज , बेटा चलते है न
राज : शीईईई रुकिए यही मै आता हूं
फिर राज दबे पाव आगे जाता है और वहा जीने के पास छिप कर खड़ा होकर आगे देखता है तो उनके आंखे बड़ी हो जाती है और लंड एकदम फड़फड़ाने लगता है ।

वो नजारा देख कर राज की हालात खराब होने लगती है और तबतक ठकुराइन वहा आ जाती है और जैसे ही उसकी नजर सामने पड़ती है । वो जम जाती है


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सामने चंदू बोरियो के सहारे मालती को झुकाए हुए पीछे से उसकी चोद रहा था उसका गाउन उठा कर और मालती सिसक रही थी ।
राज और ठाकुराइन ने चौक कर बड़ी बड़ी आंखों से एक दूसरे को देखा।
ठकुराइन की आंखे लाल हो रही थी और राज समझने लगा कि गुस्से में थी वो और उसने झट से ठकुराइन की कलाई पकड़ कर उसे वहा स्टोर रूम की ओर खींच लाया

राज : सॉरी आंटी
ठकुराइन : बेटा इसमें तेरी क्या गलती , मै तो थक गई हूं इनकी इन हरकतों से
राज चुप रहा और ठकुराइन बोलती रही : अब तू ही बता बेटा , क्या ये सब करने की कोई उम्र है
राज मुस्कुरा दिया
ठकुराइन : तू हस रहा है
राज : नहीं वो मै सोच रहा था कि आपकी शादी किस उम्र में हुई थी
ठकुराइन एकदम से हस पड़ी : बदमाश कही का
राज हंसता हुआ : अच्छा सच बताओ , सच में शादी के पहले आपका कोई बॉयफ्रेड नहीं था
ठकुराइन मुस्कुराकर : जी नहीं , जो कुछ भी थे सब तुम्हारे अंकल थे
राज : वाव, सो लकी
ठकुराइन मुस्कुराने लगी , शायद उसे राज का साथ पसंद आ रहा था ।
राज ने गहरी सांस ली और आगे बढ़ता हुआ : अच्छा ये सब छोड़ो , ये बताओ वो क्रीम तो ठीक थी न , मैने दूसरे दुकान से लेकर कर दी थी ।

ठकुराइन मुस्कुरा कर चलने लगी : हा ठीक थी
राज : वैसे मैने आपके हाथों पर कभी बाल देखे नहीं !
ठकुराइन मुस्कुराने लगी और आगे चलती रही : तुम बहुत भोले हो अभी , हर चीज हाथ और पैर पर ही नहीं लगाई जाती बुद्धू
राज को समझते देर नहीं लगी और वो मुस्कुराने लगा
ठकुराइन उसको मुस्कुराता देख : क्या सोच रहे
राज मुस्कुरा कर : सोच रहा हूं आज तो अंकल की किस्मत बुलंद है
ठकुराइन शर्म से लाल हो गई : धत्त नटखट , मारूंगी कितने बदमाश हो तुम
राज अब खिलखिला कर हसने लगा और फिर बोला : वैसे खास जगहों के लिए कुछ खास ब्रांड होते है । अगली बार वो ट्राई करना
ठाकुराइन: अच्छा जी , तो अब मुझे मेरा कॉस्मेटिक कंसल्टेंट भी मिल गया
राज : जी जरूर हीहीहीही
ठकुराइन हंसती हुई : पागल

और दोनों पार्टी हाल में वापस आ गए

मंजू - मुरारी

हाइवे से लगे एक अच्छे होटल पर खाने के लिए मुरारी मंजू रुके थे । मुख्य सड़क से लगभग 25 मीटर अंदर फील्ड के बाद एक खुली जगह में रेस्तरां था , जो लगभग पूरी तरह से फैमिलियर था । रात में पेड़ो और पोल पर लपेटी हुई रंग बिरंगी झालर से वहा गजब की रौनक थी ।

मंजू : वैसे ये जगह अच्छी है , काफी रौनक है यहां
मुरारी : हा , लेकिन मुझे लग रहा है यहां की रौनक तो तुम हो , सब तुम्हे ही देखे जा रहे है
मंजू मुस्कुरा कर शरमाई : धत्त क्या आप भी भैया , फ्लर्ट करेंगे मुझसे अब
मुरारी हस कर : मै तो मेरे दोस्त की तारीफ कर रहा था , फ्लर्ट थोड़ी
मंजू मुस्कुरा कर धीरे से : तो फ्लर्ट किसे कहते है ?
मुरारी मुस्कुरा कर उसके आगे झुक कर : पक्का न
मंजू मुस्कुरा कर हा में इशारा की
मुरारी इधर उधर देख कर : फ्लर्टिंग तो उसे कहते हैं जब मै कहता कि मंजू जबसे तुम्हे बाथरूम में देखा है कुछ कुछ हो रहा है
मंजू शॉक्ड हुई फिर अजीब सा मुंह बना कर हस्ती हुई : छीईईई इतना गंदा कौन करता है फ्लर्टिंग
मुरारी : भाई मै कोई शायर नहीं हूं तो मुझे जो चीजे पसंद आती है उन्हीं के बारे में कहूंगा
मंजू शर्मा कर मुंह फेरती हुई : आपको बस वही याद है मेरे बारे में , सामने आपके बैठी हूं और कुछ नहीं नजर आता मुझमें , हीही
मुरारी ने उसको अपने आगे देखा ,


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साड़ी के पल्लू से झांकती हुई कसे ब्लाउज में चुस्त छातियों की लकीर , रसभरे लिपस्टिक से चमकते होठ , शरारती और सुरमई आंखे ।
मुरारी : अब तो लग रहा है शायर ही बनना पड़ेगा
मंजू इतरा कर : तो बन जाइए , इतना तो कर ही सकते है अपने दोस्त के लिए उम्मम
मुरारी मुस्कुराने लगा और फिर बड़े गौर से मंजू की आंखों में देखता हुआ
" उफ्फ ये कजरारी आंखे , उफ्फ ये रसीले होंठ , उफ्फ ये गाल गुलाबी उफ्फ ये बड़े .... "
मंजू हस्ती हुई : बस बस रुक जाइए
मंजू अपने साड़ी का पल्लू सही कर अपने क्लीवेज ढकती हुई : आप न बहुत तेज है , तभी मै सोचूं कि भाभी क्यों परेशान रहती थी ।

मुरारी : उम्मम कही मेरी बातों से तुम तो नहीं परेशान हो रही
मंजू मुस्कुरा कर : उम्हू , इतना आसान भी नहीं
मुरारी टेबल के नीचे अपने जूते निकालने लगा : अच्छा ऐसा क्या ?
फिर धीरे से मंजू के पैर के ऊपर रख दिया और वो एकदम से चौक गई और बड़ी बड़ी आंखों से मुरारी को देखने लगी : हटाइए न , क्या कर रहे है कोई देख लेगा ।
मुरारी : तो गाड़ी में चले वहां कोई नहीं देखेगा
मंजू लाज से मुस्कुरा कर दूसरी ओर देखने लगी और मुरारी के पैर की उंगलिया मंजू की एडी से ऊपर साड़ी के भीतर घुसने लगी और उसकी सांसे लड़खड़ाने लगी ।
मंजू एकदम से उठ गई : मै बाथरूम से आती हूं
वो खुद को संभालना चाहती थी इसलिए उठ कर बाथरूम की ओर निकल गई , मगर मुरारी इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था और वो उसके साड़ी में झटके खाते मोटे चौड़े चूतड़ों को देख कर अपना खड़ा लंड पजामे में सेट करने लगा ।
इधर वेटर खाना लेकर आ गया
मुरारी : तुम खाना लगाओ , मै हाथ धूल कर आता हूं
ये बोलकर मुरारी भी तेजी से बाथरूम की ओर चला गया ।
वहा जाकर देखा तो मंजू एक जगह खड़ी थी खुले में , एक पेड़ के पास जहां रोशनी कम थी ,मगर मुरारी ने उसकी साड़ी से उसे पहचान लिया और दबे पाव बिना उसकी नजर में आए उसके पास गया और झट से उसका हाथ पकड़ कर थोड़ा और आगे ले गया , जहां उस होटल की चारदीवारी लगी थी
मंजू : भैया आप यहां
मुरारी : यहां हमे कोई नहीं देखेगा मंजू
मंजू की सांसे चढ़ने लगी और वो मुरारी इरादा समझ रही थी और वो मुरारी को देख रही थी
मुरारी ने उसकी कमर में हाथ डाला और अपनी ओर कर लिया
मंजू सिहर उठी : भैया , वो ....
मुरारी उसके करीब जाकर उसके होठों से कुछ इंच की दूरी थी और हल्के से बोला : बस एक बार
मंजू उसके गर्म नथुनों से आती हवा से मदहोश सी हो गई और मुरारी ने उसके लिप्स चूसने लगा और मंजू ने भी भरपूर साथ देने लगी ।


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दोनो का जोश पूरे स्वाब पर था और मुरारी साड़ी के ऊपर से ही उसके जिस्म को मसलने लगा और उसके चूतड़ को सहलाने लगा

तभी उन्हें बाथरूम की ओर कुछ हलचल सुनाई दी और मंजू झट से मुरारी से अलग हो गई और खाने के टेबल की ओर चली गई , 2 मिनट रुक कर मुरारी भी खाने की टेबल पर पहुंचा और दोनों बस एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे ।
भूख तो उनको थी मगर वो अब बदल चुकी थी , तो खाना भी फीका लगने लगा था ।

मुरारी : क्या हुआ खाओ न
मंजू मुस्कुरा कर न में सर हिलाई और निवाला चबाने लगी ।
वही मुरारी ने वापस से अपना पैर जूते से निकाल कर उसके टांगे घिसने लगा और मंजू की हालात खराब होने लगी । मगर अब वो मुरारी को चाह कर भी रोक नहीं सकती थी ।
खाने के बाद दोनों गाड़ी की ओर आए तो देखा ड्राइवर सो रहा था गाड़ी में ।
पार्किंग में और भी लोग थे तो मुरारी मंजू को छू नहीं सकता था ।
मंजू थोड़ी सोच में थी और मुरारी : चाहो तो आज रात हम यही आराम कर सकते है , यहां रूम भी मिल जायेंगे !
मंजू की आंखे बड़ी हो गई और मुरारी का इरादा समझ रही थी तो मुस्कुरा कर : नहीं रहने दीजिए , घर चलकर मै आराम कर लूंगी ।
मुरारी मुंह फेर कर भुनभुनाया : हा लेकिन घर पर कहा तुम मेरे साथ सोओगी
मंजू उसको घूर कर : क्या बोले ?
मुरारी ना में सर हिला कर हसने लगा तो मंजू आंखे महीन कर उसे घूरती हुई : कितने मतलबी हो आप
मुरारी : अरे इसमें सिर्फ मेरा फायदा थोड़ी है
मंजू : नहीं चाहिए मुझे फायदा कुछ , सब पता किसका फायदा है ।
मुरारी उसके पास आकर : मान भी जाओ न , प्लीज , शायद ये मौका मिले न मिले
मंजू थोड़ा सोचने लगी फिर मुस्कुरा कर झट से गाड़ी का दरवाजा खोलकर अंदर घुस गई खिलखिलाती हुई : मै तो घर जाऊंगी हीहीही

तभी ड्राइवर उठ गया : चले साहब जी
मुरारी मंजू को घूर कर देखता हुआ : हा भाई चलो हो गया

मंजू बस बिना आवाज के हसी जा रही थी और मुरारी मुंह बनाए हुए था ।

ममता - मदन


" भाभी मुझे आपको कुछ बताना है "
" हा , सुन रही हूं" , गर्दन फेर कर बड़ी शोख अदा से ममता ने मदन को देखा ।
उसकी शरारती मुस्कुराहट और नंगा बदन मदन को कामोत्तेजना के शिखर पर ले जा रहा थे ।
मदन की सांसे भारी होने लगी : यहां नहीं पहले नीचे चलिए
ममता एकदम से घूम गई और मदन की ओर एक कदम चल कर उसकी आंखों में देखते हुए : पहले बताओ तो , बात अगर इंटरेस्ट हुई तो नीचे भी चलूंगी और...
एकदम से ममता ने बोलते हुए अपने निचले होठ को हल्का सा अपने भीतर दबाया और आंखे महीन कर मुस्कुराई
मदन की हालत खराब हो रही थी ,वो अपनी मर्यादा नहीं तोड़ना चाहता था और न ही अपनी भाभी की इस बेसुधी का फायदा लेना चाहता था ।

मदन : दरअसल , आज शाम को दो बार मै आपके कमरे की ओर आया था
ममता मुस्कुराई : तो ?
मदन हिचकता हुआ : जब पहली बार तो उस वक्त आप भैया को याद कर रही थी
ममता को समझते देर नहीं लगी कि वो थोड़ा सा लजाई जरूर लेकिन शराब के नशे ने उसे लगभग बेशर्म कर दिया था : हम्ममम इंट्रेस्टिंग
मदन : तो नीचे चले
ममता खीझ कर : आगे बोलो न यार , आप भी देवर जी
मदन थोड़ा सा डर गया एकदम से ममता के हावभाव बदल गए : अच्छा ठीक है , ऐसा मैने आपको पहली बार देखा था और ना जाने मुझे क्या हुआ कि मेरे नीचे हरकत सी होने लगी

ममता मुस्कुराई: उफ्फ इसका मतलब आपको मुझे देखकर कुछ कुछ होता है न
मदन की सांसे बेचैन थी : हा , इसीलिए कह रहा हूं कि आप प्लीज कपड़े पहन लीजिए , आपको ठंड लग जाएगी
ममता हस्ती हुई उसकी ओर झुकने लगी : मुझे ठंड लग जाएगी या आपको गर्मी बरदाश्त नहीं हो रही है
एकदम से ममता ने नीचे हाथ बढ़ा कर मदन के पजामे में बने तंबू को छुआ , मदन अपने सुपाड़े पर ममता की उंगलियों का अहसास पाते ही गिनगिना गया और झटके से पीछे हो गया : भाभी नहीं
ममता : हाहाहाहाहा, तो मामला पूरा गर्म हो गया है उम्मम
मदन शर्म से झेपने लगा था , नजरे चुराने लगा था
फिर ममता ने ऐसी बात कही और उसकी आंखे बड़ी हो गई : दिखाइए न
मदन : ये ये क्या कह रही है भाभी , नहीं
ममता : ओहो अब भाव मत खाओ
मदन पीछे हटने लगा और ममता उसकी ओर नंगी बढ़ने लगी : नहीं भाभी प्लीज
ममता हस्ती हुई : आज मै तुम्हारी इज्जत लूट लूंगी मदन हीही हाहाहाहाहा
मदन की हालत पतली होंने लगी और अब उसके पीछे चारदीवाली थी और ममता एकदम उसे पास
मदन उसके हस्ते हुए क्रिपी चेहरे को देखता फिर उसकी निगाहे ममता के नंगे बदन पर जाती : नीचे !!
ममता रुक गई : ?
मदन : यहां नहीं नीचे , प्लीज
ममता एकदम से कैजुअल होकर : ओके
फिर वो अपनी नाइटी उठाई और गुनगुनाते हुए सीधा जीने से नीचे जाने लगी , एक बार भी मूड कर मदन की ओर देखा भी नहीं ।
मदन हैरत में आ गया कि आखिर एकदम से उसे क्या हुआ ।
उसने ऊपर बिखरा हुआ समान देखा और एक पल को उसने सोचा कि वो इन्हें समेटे , फिर सोचा छोड़ो यार कही वो वापस आ गई तो और बखेड़ा हो जाएगा । उसने चलते हुए सिगरेट के पैकेट उठाए और तेजी से जीने की ओर बढ़ा ।

तब तक जीने से उतरती हुई नीचे आ गई थी , हालांकि उसे चलने उतनी दिक्कत नहीं आ रही थी लेकिन उसका सर घूम रहा था और वो सीधे किचन से पानी पीने के लिए फ्रिज से पानी लेने गई और ठंडे पानी से पहले अपना मुंह धोया और फिर पानी पी कर गहरी सांस लेने लगी । अब उसकी चेतना थोड़ी थोड़ी जगने लगी थी । वही मदन ममता को खोजता हुआ नीचे आने , लगा उसे डर था कही ममता इधर उधर न गिर पड़े और जब उसने जीने पर से हाल में सोफे पर फैल कर नंगी लेती हुई ,


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उसके दोनों बड़े बड़े रसीले मम्में सीने के दोनों तरफ लटके हुए थे , उठी हुई मोटी गाड़ और चिपकी हुई जांघों के बीच चूत बालों से ढकी हुई।
मदन के कदमों की आहट से ममता के गर्दन उठा कर उसे देखा और मुस्कुराई
मदन आंखे फाड़ कर उसके सोफे से लटके हुए चूचे देखने लगा और उसकी सांसे तेज होने लगी ,मुंह में पानी आने लगा , लंड तो आधे घंटे से अकड़ा हुआ था ।

ममता भी काफी हद कर चेतना में लौट चुकी थी और उसे अपने नशे में किए गए बातों का ध्यान था मगर अब चीजें बदल गई थी । वो न शर्मा रही थी ना झिझक रही थी , उसके अंदर अलग ही तरह से कामना ने जनम ले लिया था जिससे उसकी बुर में कुलबुलाहट सी उठने लगी थी

ममता : वही रुको
मदन एकदम से ठहर गया
ममता छेड़ती हुई : शर्त भूल गए , चली जाऊ ऊपर
मदन एकदम से चौक कर : नहीं नहीं , वो मै करने ही वाला था
ममता हसने लगी और मदन पहले अपना कुर्ता और फिर पजामा निकाल दिया , उसका लंड उसके अंडरवियर में तना हुआ था अकड़ा एकदम से
तभी ममता की नजर मदन के कुर्ते की जेब में चौकोर डिबिया पर गई और लपक कर उसने उठा लिया और सिगरेट जला कर कस लेते हुई : अह्ह्ह्ह मजा आ गया उफ्फ हाहा
मदन मुस्कुराता हुआ खड़ा रहा वही
ममता सिगरेट की कस लेती हुई अपने पैर क्रॉस कर सोफे पर झुकी हुई थी और बड़े आत्मविश्वास से मदन को देख रही थी ।
ममता उसे छेड़ती हुई : वैसे दर्द तो होगा ही क्यों ?
मदन मुस्कुराने लगा और तकिया लेकर बगल वाले सोफे पर बैठ गया ।
ममता : सच सच बताओ कभी किसी के साथ ?
मदन एकदम से हड़का : कैसी बात कर रही है आप भाभी, मै किसके साथ ?
ममता मुस्कुरा कर : तो फिर वो कमरे में हेडबोर्ड के पास वाले दराज में वो पैकेट किसके है ।
ममता का इशारा मदन के कमरे में रखे कंडोम के पैकेट्स पर था ।
मदन की सांसे अटक गई और उलझन सी होने लगी
ममता : अब शरमाओ मत देवर जी , मै आपके भैया को नहीं कहने वाली कुछ
मदन : वो दरअसल काफी पुरानी है कभी शहर आना जाना होता है तो काम आ जाता है
ममता खिलती हुई : ओहो फिर तो इतने सालों में बड़े सारे लोगों के साथ काम किए होंगे आप क्यों ?
मदन मुस्कुराने लगा
ममता : ड्यूटी के टाइम पर तो मुश्किल ही रही होगी न
मदन : नहीं वहा तो और भी आसानी होती थी ।
ममता दिलचस्प दिखा कर उसके करीब हुई और मदन की निगाहे उसके झूलते चूचे पर : मतलब ?


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मदन : वहा फोर्स में सीनियर अपने परिवार सहित होते थे और जब अफसर लोग नहीं होते थे तो कई मैडम इसका फायदा लेती थी घर में काम कर रहे सिपाहियों से ।
ममता : क्या सच में ? और आप
मदन : मै भी कुछ के साथ था , एक थी जिसके साथ करीब 7 साल तक , प्लीज आप ये सब भैया से मत कहिएगा
ममता : 7 साल तक ? ऐसा क्या जादू कर दिया था उसने उम्मम कि छोड़ा नहीं
मदन मुस्कुरा कर : दरअसल उसने मुझे नहीं छोड़ा था
ममता : ओह्ह्ह , अच्छा कभी ऐसा मन नहीं हुआ कि शादी कर ले या फिर लेकर भाग जाए ।
मदन : नहीं , वहां हमारा रिश्ता हमेशा जिस्मानी ही रहा
ममता : दिखने में कैसी थी ?
मदन : कौन
ममता : अरे वही जिसके साथ 7 साल तक
मदन मुस्कुरा कर : अच्छी थी पंजाबन थी
ममता : फिगर कैसा था ?
मदन : क्या ?
ममता हस कर : अरे फिगर फिगर, दिखने में कैसी थी । मोटी पतली कैसी
मदन हंसता हुआ : वो लगभग आपके जैसी
ममता चौकी : क्या सच में ?
मदन ने मुस्कुरा कर हा में सर हिलाया
ममता उसको शर्माता देख : कही ऐसा तो नहीं कि वो जैसी थी इसलिए 7 साल तक उसको छोड़ा नहीं ।
मदन : क्या भाभी कैसी बात कर रही है, मैने आपके बारे में ऐसा कभी नहीं सोचा
ममता : चल झूठे , अभी ऊपर कह रहे थे कि मुझे शाम को कुछ करते देखा , क्या कर रही थी बताओ न
मदन : वो आप लेटे हुए भैया को याद कर रही थी


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ममता ने मदन को तंग करते हुए अपनी जांघें फैला दी और उसकी बड़ी लंबी फांक वाली चूत मदन के आगे , उसकी सांसे अटकने लगी और वो आंखे फाड़े ममता के लंबी बुर को निहार रहा था
ममता अपने हाथ अपने चूचों पर ले गई और उन्हें सहलाने लगी : कैसा ऐसे कर रही थी तब मैं उम्ममम
मदन उसकी ओर झुकने लगा : नहीं भाभी वो आप नीचे उफ्फ भाभीईईई

ममता ने एकदम से अपनी एक टांग खोलकर दूसरे हाथ से अपनी बुर की लंबी फांकों को सहलाने लगी मदन के सामने : ऐसे क्या देवर जी


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मदन घुटने के बदल होकर ममता के आगे आ गया था और उसकी आंखे बस एक टक ममता की रसाती बुर देखे जा रहे थी : हा भाभी
ममता : और आपका क्या मन कर रहा था , मुझे तड़पता देख कर उम्मम
मदन : मै सोच रहा था कि... कि
ममता अपने चूत के दाने को उसके आगे सहलाती हुई : कि मेरे हाथ की जगह आपकी जीभ होती तो उम्मम
मदन की सांसे भरारे लगी और तेजी से सास लेता हुआ ममता की ओर झुक रहा था : हा , क्या मै ?
ममता ने मदन की तड़पती आंखों में देखा और पूछा : पसंद है क्या ?
मदन : इतनी लंबी फांकों वाली मैने पहले कभी नहीं देखी भाभी उफ्फ
ममता : चाटना है ?
मदन ने ममता की आंखों में देख कर हा में सर हिलाया

ममता ने मुस्कुरा कर अपने कूल्हे उठा कर आगे किए और मदन को खुला आमंत्रण दे दिया
ममता की बुर कबसे गीली हुई जा रही थी और उसमें से आती मादक गंध से मदन का नथुना भर गया था, उसके दिमाग की नशे तन गई थी और जांघिया में लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
नजर भर उसने ममता की ओर देखा और अपनी लार छोड़ती जीभ से थूक गटकता हुआ अपने होठ सीधा ममता के बुर के ऊपर दाने पर रख दिया
ममता आंखे बंद कर सिहर उठी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह


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अगले ही पल अपने होठ वही जमाए हुए निचले होठ को ममता के फांकों पर रगड़ कर नीचे करके अपने होठ खोल कर जीभ निकाली और ममता की लंबी फांकों की निचली छोर से पूरी जीभ को फिराता हुआ ऊपर ले आया , जिससे उसकी जीभ ममता के कामरसों से सन गई और उसने अपने होठों सिकोड़ कर उसके दाने को चुबलाया
ममता की पीठ अकड़ गई , जांघें झनझनाने लगी , सांसे तेज हो गई नथुने फूलने लगे और निप्पल पूरी तरह तन कर खड़े हो गए : उफ्फफ देवर जीईईईई ओह्ह्ह्ह


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अगले ही पल फिर से मदन ने वही प्रक्रिया दोहराई और इस बार होठों से लगातार तीन बार उसके दाने को चूसा
ममता की मानो जान ही उसी रास्ते निकल जाए और वो अपने कूल्हे उठा दी और मदन के सर पर हाथ रख दी : उफ्फ देवर जी अह्ह्ह्ह


मदन बिना मुंह उठाने नजर उठा कर पगलाई हुई ममता को देखा , जिसकी आंखों के सेक्स की कितनी भूख थी कितनी तड़प थी, उसकी आंखों में देखते हुए ही मदन ने अपनी जीभ को उसके गिले बुर पर गोल गोल फिराया
ममता आंखे उलटने लगती मुंह खोल कर जब मदन की जीभ के टिप का निचला हिस्सा उसके बुर के दाने के पास जाता
मदन ने वापस ने अपने काम में लग गया और इस बार उसके फांकों को मुंह में लिया और उन्हें बाहर खींचते हुए चुबलाते हुए छोड़ दिया
ममता अपनी गाड़ उठाए रह गई और हांफने लगी : ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
मदन ने वापस से वही प्रकिया दोहराई और फिर एकदम से अपनी जीभ को रेंगाते हुए ममता की बुर में घुसा दिया : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
ममता हाफ रही थी और दोनों हाथों से सोफे पर सहारा ले कर अपने गाड़ को हवा में उठा रखा था और आंखे बंद कर मदन की जीभ को अपनी बुर की दिवालो को कुरेदता महसूस कर रही थी : अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड कितना अह्ह्ह्ह मै ... अह्ह्ह्ह देवर जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


fat-pussy-licking

ममता ने मदन के बाल पकड़ कर अपने बुर पर दबाने लगी जिससे मदन के ऊपरी होठ उसके बुर के दाने पर घिसने लगे , अब तो उसका पागलपन और बढ़ गया और आंखे उलटती हुई वो अपनी कमर झटकने लगी तेज आवाज में चीखती हुई : अह्ह्ह्ह उम्मम ओह्ह्ह देवर जी अह्ह्ह्ह लो पी लो आह्ह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह्ह हाय दैय्या सीईई अह्ह्ह्ह मर जाऊंगी अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह

ममता पूरी तरह से अकड़ गई थी ,उसके चूतड़ सख्त हो गए थे और जांघों ने मदन का सर अपनी गिरफ्त में ले लिया था ,मदन हिल भी नहीं सकता था और ममता के बुर से आती रस दार मुंह लगा कर वो उसकी बुर पर ही लिपने लगा और ममता बस झड़ती रही और हांफती रही ।
ममता सोफे पर और मदन उसकी गदराई जांघों के बीच में सर टिका कर सुस्ताने लगा ।

जारी रहेगी
Bahut hi damdar tha bhai aapka mega update maja aa gaya.
Rangi ko kisne jate dekha ye sawal janna jaruri hai abto
 
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