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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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सभी भाइयो और मेरे पाठको को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
💥💐💥
उम्मीद करता हूँ ये दीवालि आपके जिवन खुशियो से भरपूर और मस्त रही हो

एक अनुरोध है सभी से ये कहानी का अगला भाग नये साल यानी 2025 से ही शुरु हो पाना संभव है
तो मेरी दुसरी कहानी अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया को तब तक पढे

जब ये कहानी शुरु होगी
सभी को सूचित किया जायेगा

एक बार फिर सभी का धन्यवाद
 
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UPDATE 204


शालिनी शाम को देर से उठी , झाडू साफ सफाई कर उसे नहाने की सुध हुई तो वो कमरे से अपनी नाइटी लेकर बाथरूम मे घुस गयी ।
वही घर मे मोटर चलने की आवाज से छत पर राहुल के साथ गप्पे हाक रहे अरुण की इन्द्रिया शालिनी के लिए सतर्क हुई

राहुल को उसने अपने मोबाइल के झासे मे इस तरह से घुमा रखा था कि उसे अरुण के लिए कोई परवाह भी नही , ना उसकी नजर अरुण के गतिविधियों पर थी ।

इधर अरुण की बेचैनी उसके लोवर मे साफ साफ झलकने लगी , राहुल को बिजी देख कर वो अपनी नुनी मिजता हुआ - भाई मै जरा आया

राहुल ह्स कर - बहिनचोद कितना मूतेगा यार तू घर भर देगा

अरुण हसा और मन मे बड़बड़ा- घर नही मामी का भोस्डा भरना है मादरचोद हिहिही

अरुण लपक कर निचे गया और उसके अनुमान के अनुरूप शालिनी बाथरूम मे नहा ही रही थी ।
मगर सम्स्या अब ये थी कि भीतर का नजारा देखा कैसे जाये , दरवाजा बन्द था

लकड़ी के दरवाजे पर शालिनी ने अपने कपडे टांग रखे थे और दरवाजा के उपर और दिवाल मे काफी गैप था ।

अरुण के चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कुराह्ट आई और वो लपक कर किचन से स्टूल ले आया और हौले से चढ कर दरवाजे के उपर से झाक कर भीतर का नजारा देखा तो उस्का लन्ड एकदम से तनमना गया ।

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भीतर उसकी मामी पूरी नंगी खडी होकर बालो मे शैम्पू कर रही थी ।

अरुण अपनी मामी की नंगी लटकी हुई चुचिया देख कर पागल हो गया और उसका लन्ड कसने लगा ।

वो लन्ड भींचते हुए भीतर का नजारा ले रहा था तभी जीने से राहुल की आवाज आई और वो जल्दी से स्टूल से उतरा और उसे किचन रख कर सरपट उपर भागा

वही बाहर पहले राहुल की आवाज और फिर हड़बड होने की आवाज से शालिनी ने हल्का सा दरवाजा खोल कर बाहर देखा तो सब कुछ शान्त था

अरुन उपर चला गया
राहुल - अबे साले मूत रहा था कि हिला रहा था , इतना टाइट हिहिहिही

अरुण हस कर - अरे यार मूतने गया तो गीता की याद आ गयी इस्स्स बहिनचोद सोच कर ही खड़ा हो गया ।

राहुल - अरे तो साले बात कर ले ना , नम्बर तो है ही उनका
अरुण - हा ला दे ट्राई करता हु थोड़ा हाल चाल तो बनता है ।

अरुन बबिता के मोबाईल पर फोन घुमात है और सामने से किसी अन्य काल पर व्यस्त होने का डायलर सुनाई देता है ।

अरुण - ले बहिनचोद ये तो कही बिजी है
राहुल हस कर - अरे होगी अपने बाबू सोना के पास बिजी हिहिही

अभी ये दोनो बात कर ही रहे थे कि उधर रिटर्न बबिता का कॉल आने लगा - अरे देख वापस कॉल आ रहा है

राहुल - तो उठा ना
अरुन - हैलो

बबिता - हाय कैसे हो
अरुण ने मोबाईल स्पीकर पर करके - मै ठिक हु तुम बताओ घर पहुच गयी ।

बबिता - हा वो कबकी आई और वो .. वो बुद्धू कहा है उम्म्ं

अरुण हस कर - यही है लो बात करो
राहुल हसता हुआ - और जानेमन कैसी हो
बबिता - हुह तुम तो बात ही मत करो , पता है तुम्हारि वजह से मेरा बॉयफ्रेड नाराज हो गया है

राहुल हस कर - अरे तो उसको भी थोडा अपने रसिले होठो का स्वाद देदो , गुस्सा नही होगा बस तरस रहा होगा मिलने के लिए

बबिता - हम्म होप सो ऐसा ही हो
अरुण - गीता कहा
बबिता - यार मै छत पर ही वो निचे होगी
अरुण - अच्छा रात मे बात कर सकते है क्या विडियो काल पर देखना है

बबिता - अच्छा ठिक है देखती हूँ , चलो बाय मुझे निचे जाना है
राहुल - बाय मेरी जान हिहिही

फोन कट जाता है और अरुण - साले तु नही सुधरेगा हाहाहा
राहुल - अबे रात मे विडियो कॉल का क्या सीन है ?
अरुण हस कर - अरे यार दोनो बहनो का मस्त लेस्बो रोमान्स देखेन्गे और हिलायेंगे हाहाहा

राहुल - वाव बेटे , गजब हाहाहा

राहुल - चल कही टहलने चलते है
अरुण - कहा

राहुल - अरे यही पास मे मंदिर और नदी है शाम के समय मस्त माल मिलती है उधर टहलती हुई , क्या करेगे वैसे भी घर पर

अरुण उसकी हा मे हा मिलाता है और दोनो निचे आते है राहुल अपनी को आवाज देता हुआ हाल की ओर बढ जाता है कि वो और अरुण अभी थोड़ी देर मे आयेंगे ।

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इधर राहुल के आवाज देने पर शालिनी घूमती है और नाइटी मे बिना ब्रा के उसकी मुलायम उठी हुई चुचिया देख कर अरुण की आंखे फैल जाती है ।

अरुण फौरन नजरे फेर लेता है मगर शालिनी समझ जाती है कि अभी अभी अरुण ने कहा देखा , उसे अपने दुपट्टे के लिए अफसोस होता है मगर अब फाय्दा नही था ,अरुण राहुल के साथ निकल गया था
इधर दोनो भाई टहलते हुए नदी की ओर बढ गये
चमनपुरा रिवर फ्रंट की स्ट्रीट लाईट मे चमचमाती सड़क और किनारे पर लगी रेडी की दुकाने सब जगमग

सड़को पर टहलती आंटियों के कुल्हे और जवान कुवारी लड़कियो के उभरे जोबनो की नोख देखता हुआ अरुन - वाह भाई मस्त जगह है यार ये तो हिहिहिही

राहुल - हा यार यहा आकर मूड फ्रेश हो जाता है , मगर अकेले मे वो मजा नही आता ना
अरुण - हा ये भी , यहा इस समय इतनी लड़कीया और औरते कैसे यार
राहुल - अरे भाई अभी नया नया बना है ये तो भीड रहेगी ना और तु जरा लन्ड की जगह आंखो से देख साले हिहिहिही मर्द और लौन्डे भी है जो इन्हे ताड रहे है ।

अरुण उसकी बात पर हसता है और आसपास निहारने लगता है , तभी उसकी नजर पास के कुल्फी स्टाल पर जाती है जहा एक लड़की जो फ्राक मे थी वो स्टाल पर अपनी एक छोटी बहन के साथ खडी होकर कुल्फ़ी चुस रही थी ।
नदी के किनारे की मदमस्त हवाए उसके फ्राक को घुटनो तक उठा रही थी , जिसे देख कर अरुण के आंखो की चमक बढ़ गयी ।

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अरुण - बहिनचोद कितनी कटीली माल है , टाँगे देख ना कितनी गोरी है इसकी
राहुल - अरे लाली
अरुण अचरज से - तु जानता है इसे

राहुल - हा बे ये तो अनुज की क्लासमेट है
अरुण - हैं ? सच मे ?
राहुल - हा बे , ये तो उसके पीछे लगी रहती है, मगर साला अनुज एक नम्बर का फटटू और चुतिया है

अरुण - क्या बक रहा है, इतनी टॉप क्लास माल अपने अनुज की दिवानी

राहुल - हा बे , अगर ये साली मुझे लाईन देती तो इसकी गाड़ फ़ाड चुका होता मै

अरुण - अरे यार , साले लँगूर को ही अंगूर मिलते है
राहुल खीझ कर - छोड़ ना बे

इधर इनकी बातें चल रही थी कि इतने मे लाली इनके पास आई - हाय राहुल

राहुल और अरुण चौके और राहुल खड़े होने को हुआ तो अरुण उसका हाथ खिंच कर बैठाने लगा , मगर वो खड़ा हुआ जबरजस्ती

लाली ने अजीब नजरो से अरुण को देखा और फिर मुस्कुरा कर - कैसे हो
राहुल मुस्कुराकर - मै ठिक हु तुम बताओ
लाली - मै भी , ये अनुज की दुकान काफी दिन से बन्द क्यू है

राहुल का मूड अनुज का नाम सुनते ही खराब हुआ मगर वो अपनी भावनाये छिपाता हुआ झूठी हसी के साथ - अरे वो उसकी दीदी की शादी थी ना , लेकिन आज तो उसने दुकान खोला है

लाली - क्या ? उसके दीदी की शादी थी और मुझे बताया नही !
लाली की प्रतिक्रिया पर राहुल ने उसे आंखे महिन कर देखा तो लाली सफाई देती हुई - मतलब क्लास मे किसी को नही बताया उसने , इट्स सो रूड ना

राहुल हस कर - अरे एक काम करो ना , आज वो दुकान पर ही होगा तुम ही आज की कलास लेलो ना उसकी हिहिही

लाली खुश होकर - अच्छा सच मे , अब तो ब्च्चु की खैर नही । थैंक्स राहुल बाय

राहुल मुह बनाता हुआ - बाय

राहुल उखड़े हुए मुह के साथ - देखा साली कैसे उछल रही थी ।
राहुल अरुण की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसकी ओर देखा तो वो लाली को जाते हुए देख रहा था ।

राहुल खीझ कर उसके सर पर टपली मारता हुआ - साले जाने दे , वो नही हाथ आयेगी

अरुन - भाई क्या मस्त माल है यार , पास से क्या मस्त महकती है
राहुल - तो क्या तु उसे बस सुँघ रहा था
अरुण - नही भाई देखा भी , ये जांघो तक ब्लूमर पहना था उसने और क्या दूध सी गोरी चिकनी जांघ है उसकी आह्ह्ह

राहुल चौक कर - तुने कब देखी
अरुण हस कर - जब तु उस्से बाते कर रहा था, ये उड़ती हवाए उसका फ्राक उठा रही थी हिहिहिही

राहुल हसता हुआ - साले हरामी हिहिही

अरुण- हे चल ना हम भी चलते है अनुज के पास
राहुल - अबे नही यार थोड़ा रुक कर चलते है, थोडा लैला मजनू को प्राइवेट समय का मजा लेने दे हिहिही

अरुण - ओहो उस चुतिये की इतनी फिकर
राहुल हस कर - चुतिया है ये इम्पोर्टेंट नही है , भाई है अपना ये इम्पोर्टेंट है हाहाहा

अरुण उसकी बात पर हसने लगा


इधर लाली तेज कदमो से अनुज के दुकान पर पहुच गयी ।
जहा अनुज एक ग्राहको को डील कर रहा और जैसे ही उसकी नजर बाहर खड़ी लाली पर गयी , उसकी सासे सुखने लगी ।
लाली अनुज के लिए बहुत आगे की लड़की थी, वो थोड़ी ज्यादा फ्रैंक और अमीर भी थी , लेकिन उसे अनुज की सादगी और भोलेपन से एक लगाव सा था । उसे अनुज का साथ पसंद था ।
दुकान मे घुसते ही लाली चहकी - हाय अनुज
अनुज एक अंकल को कुछ समान दे रहा था तो बस वो मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा और फिर ग्राहक को विदा कर ।

अनुज - तुम यहा
लाली हस कर - वो नदी पर अभी राहुल से मिली , उसने बताया कि तु यहा हो
अनुज मन ही मन राहुल को गाली दिया और जान रहा था कि साला मजा लेने आयेगा जरुर ।

लाली - ओ हीरो कहा खो गये , ये बताओ तुमने मुझे शादी मे क्यू नही बुलाया

अनुज - यार मै कैसे बुलाता , कार्ड तो पापा और भैया ने बाटा था ना

लाली - तो क्या तुम्हारे घर पर फ्रेंड्स बुलाना allow नही है क्या उम्म्ं
अनुज थोडा लज्जित होकर - नही ऐसी बात नही है , वो मै काम मे बिजी था तो रह गया सॉरी

लाली अनुज का उतरा हुआ मासूम चेहरा देख कर मुस्कुराई - अच्छा बाबा ठिक है , अब उदास ना हो लेकिन राज भैया की शादी मे तो बुलाओगे ना

तभी पीछे से आवाज आई - अरे मेरी शादी मे तो तुमको डांस भी करना पड़ेगा हिहिहिही

लाली खुश होकर पीछे देखती है तो वहा राज खड़ा होता है - अरे राज भैया हाय्य्य
राज मुस्कुरा कर - कैसी हो लाली
लाली - एकदम मस्त , देखो ना दीदी की शादी मे ये मुझे बुलाना ही भूल गया

राज अनुज को देख कर हसता हुआ - ये , अरे ये अब बूढ़ा हो गया है , यादाश्त चली गयि है इसकी हिहिहिही
लाली - है ना , मुझे भी यही लगता है हिहिही

राज - तुम बताओ कैसे आना हु
लाली - बस भैया नदी घूमने आई थी तो सोचा बाजार रास्ते घर जाऊ तो इसने मुझे देखा तो दुकान मे बुला लिया

अनुज लाली की शरारत पर हड़बडा कर राज की ओर देखा तो लाली खिलखिला कर हस दी ।
लाली - अच्छा भैया मै चलती हु ,बाय
लाली - बाय अनुज
अनुज उतरे हुए मुह से - बाय

राज मुस्कुरा कर उसको जाते हुए देखता है और फिर अनुज की ओर घूम कर उसको देखता है ।
अनुज राज की हसी पर सफाई देता हुआ - नही भैया कसम से मैने नही बुलाया

राज - अबे पता है मुझे तेरे मे जिगरा नही है हिहिही

अनुज - क्या भैया इतना भी फटटू नही हु मै
राज - चल चल रहने दे , वैसे क्या क्या काम हुआ और बाकी चल हैल्प कर दू तेरी मम्मी ने भेजा है

फिर अनुज और राज दुकान के काम मे लग जाते है और कुछ देर बाद दुकान का काम खतम कर वो दोनो घर के लिए निकल जाते है ।

वही चौराहे वाले घर रात का खाना तैयार हो चुका था , रंगी भी घर आ चुका था ।
हाल मे शिला और रागिनी बैठे हुए थे ।
किचन मे दो नयी सहेलियां लगी हुई थी रज्जो और निशा ।
निशा - धत्त मौसी तुम भी ना , देखो भीगा दिया आगे से

रज्जो एक नजर हाल मे देख कर सामने से निशा के जोबन सहला कर - ओहो देखो तो कितना भरा हुआ है, ना जाने कितनो नल के निचे नहाई होगी तु और मुझे सिखा रही है ।

निशा कबसे रज्जो के सवाल से पक चुकी थी और वो समझ गयी थी कि ये बिना कोई जवाब लिये मानेगी नही इसिलिये उसने रज्जो को लपेटना शुरु किया ।

रज्जो - अरे बता दे , मै कौन सा किसी से कहूँगी
निशा - सच मे ना , पक्का ना ?
रज्जो जिज्ञासु होकर -हा बता ना ?
निशा - आप उनको जानती हो बस इतना काफी है उम्म्ं
रज्जो - क्या तु भी साफ साफ नाम लेके बता ना
निशा हस कर - अरे मौसी उनका हथियार ना सीईई आधे हाथ का है और मोटा भी समझी

रज्जो की बेचैनी और भी बढ गयि कि ऐसा कौन है और मन मे ही वो गणित चलाने लगी , किसका इतना बड़ा खुन्टा होगा जिसमे ये गाय बध गयी ।

निशा - दिमाग पर बहुत जोर मत दो हिहिही चलो खाना देते है सबको
इधर राज और अनुज भी आ गये , जल्द ही सबने खाना खाया और हुआ फिर तय हुआ कि कौन कहा सोयेगा ।

रागिनी ने आज फिर रंगी को तड़पाने की सोची और उसने साफ साफ कह दिया कि उसके कमरे मे आज रज्जो और शिला सोयेंगी ।
निशा और अनुज अपने अपने कमरे मे हो गये ।
रन्गी राज एक साथ सोने के लिए चले गये ।
इधर सब लोग कमरे मे जा रहे थे तो बेचैन रज्जो ने मौका देख कर जीने के पास निशा को पकड़ लिया - अरे बता ना , नाम बताने मे क्या जा रहा है तेरा ।

निशा हस कर - नही नही मुझे आपपर भरोसा नही है , कही आप उनको पटा लिये तो हिहिहिही

इधर कमरे से रागिनी आवाज दे रही थी और रज्जो की हड़बड़ी मे - क्या तु भी , बता ना
निशा हस कर - प्कका बता दू ,
रज्जो - हा , हा !
निशा मुस्कुरा कर - सोच लो आपकी नीद गायब हो जायेगी हिहिहिही

रज्जो खीझ कर - अरे बता ना तु
निशा अपने करीब आने का इशारा किया और रज्जो उस्के करीब आई , उसने बड़ी चतुराई से रज्जो के हाथ से अपने को छुड़ाया और धीरे से उसके कान मे बोली - मौसा जी हिहिहिही

फिर निशा हस्ती खिलखिलाती उपर भाग गयी और रज्जो की आंखे फैल गयी कि कमलनाथ कैसे निशा को ?
वो सवालों के घेरे मे थी कि उधर रागिनी कमरे के दरवाजे से झाक कर - क्या जीजी आओ ना ?

रज्जो ने सामने देखा तो रागिनी की नंगी जान्घे देखी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गयी , वो समझ गयी कि आज रात क्या प्रोग्राम होने वाला है ।


अमन के घर

रात के 9 बजने को हो रहे थे और डायनिंग टेबल पर घर के सभी लोग साथ बैठे हुए थे , अमन भी बैठा हुआ था ।
ऐसे मे ममता दुलारी को इशारा करती है कि वो सोनल का खाना लेकर उपर चली जाये और अमन को भी जाने को कहती है ।

अमन दुलारि की मदद के लिए किचन मे आता है और पीछे से उसकी गाड़ साडी के उपर से मसल कर - और भाभी आगे का क्या प्लान है ।

दुलारी खाने की प्लेट तैयार कर उसकी ओर घूम कर - अभी तो आज ये केसर खीर खाओ और मेरी देवरानी की बजाओ और मै मेरी छिनार ननदीया की बुर की गहराई टटोलती हुई ले पायेगी भी या नही

अमन हस देता है - वैसे क्या वो सच मे तैयार होगी भाभी
दुलारी थोड़ा चुप रहने का इशारा कर अमन को लेके जीने की ओर बढ़ जाती है - अरे देवर जी , देखा नही कैसे फचर फचर उन्ग्लिया पेल कर अपनी पैजामी भीगा दिया , तुम बस उसे लालच दो बाकी पक्ड कर मै डलवा दूँगी हिहिही

अमन पीछे से दुलारी के मटकते कुल्हे सहला कर - अच्छा तो ये वाला घर कब खोलोगी , ये तो बताओ

दुलारी हसी और बोली - पहले देवरानी जी बोलो कि वो दरवाजा खोले

अमन कमरे का दरवाजा खटखटाता है और फिर दुलारी- प्लीज ना भाभी बताओ ना , बहुत मन है

दुलारी बस इतराती मुस्कुराती है इतने मे सोनल जो कि मोबाइल पर किसी से बात कर रही होती है वो दरवाजा खोलती है

सोनल - हा रख बाद मे काल करती हु तुझे , बाय बाय
सोनल - अरे भाभी आप , आईये ना

अमन भी दुलारी के पीछे पीछे आता है
दुलारी- किस्से बातें हो रही थी देवरानी जी , मायके की कोई सहेली तो नही था ना लाईन पर

सोनल हस कर - जी वो निशा से बात हो रही है
दुलारि - अरे तो रख क्यू दिया , देवर जी को दे देती हमारे देवर जी भी ले लेते उनसे

सोनल आंखे उठा कर सवालिया नजरो से दुलारि को देखती है तो दुलारि हस कर - अरे भई हालचाल हिहिहिहिही

कमरे का माहौल थोडा खुसनुमा था और फिर दुलारी थोडे देर बाद सरक ली ।
इधर अमन ने अपना ड्रामा शुरु कर दिया । दुलारि के जाते ही कमरे मे एकदम से चुप्पी सी आ गयि , अमन चुपचाप अपने पैंट उतार कर शार्ट मे आ गया और हाथ मे मोबाईल लेके बैठ गया ।

सोनल खाने की प्लेट लेके उसके पास गयी - जाईये हाथ धूल लिजिए खाना खाते है ।

अमन चुप चाप उठा और बाथरूम से हाथ धूल कर आया और अपने हिस्से का खाना खाने लगा
सोनल मुस्कुराई और अमन का बचपना निहारने लगी ।

मुस्कुराते हुए वो भी खाने का निवाला मुह मे लेकर बोली - पता है आज मम्मी जी से बात हो रही थी घूमने जाने की ।
अमन ने नजरे उठा कर देखा फिर खाने मे लगा रहा ।
सोनल मुस्कुरा कर खीर की कटोरी मे चम्मच चलाते हुए एक चम्मच अमन के मुह के आगे की और वो मुह बनाते हुए मुह खोला ।
सोनल - मम्मी कह रही थी कि अगर अकेले नही जा सकती तो मै निशा को भी साथ ले जाऊ ।

अमन चौका मगर उसने जल्द ही अपनी भावनाओ को दबाया ।
सोनल मुस्कुराते हुए उसे खीर को चम्मच चटवाती हुई - लेकिन अभी कुछ कन्फ़र्म नही है मम्मी की आज पापा जी से बात करेंगी ।

ये बोल कर सोनल उठी और खाने की प्लेट दूर टेबल पर रख कर वाशरूम मे हाथ धूलने चली गयी , अमन भी पहुच गया ।
सोनल - आप क्या कहते हो , सही रहेगा क्या निशा को साथ मे ले जाना उम्म्ं
अमन कुल्ला कर मुह पोछता हुआ बाथरूम से निकलता हुआ - मुझसे मत कहो , अपनी मम्मी जी से पूछो हुह

सोनल समझ रही थी कि अमन को दुपहर मे मना किया इसीलिए वो भुनका हुआ है ।
वो भी थोड़े देर चुप रही और अमन एक किनारे बेड पर पैर फैला कर बैठा हुआ मोबाईल चला रहा था ।

सोनल अपने सृंगार उतार कर जिस्म हल्का कर रही थी और उसे अच्छे से पता था कि अमन उसे चोर नजरो से निहार रहा है ।
गहने उतारने तक ठिक था मगर उसने अपनी साडी उतारनी शुरु कर दी , अमन चौका ।

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उसके गुदाज मुलायम चर्बीदार सपाट नंगी कमर और पेट पर चढ़ी हुई हल्की सी चर्बी , उसपे से सीने पर उठे हुए मौसमी के पहाड़ देख कर अमन का जिस्म सरसरा गया ।
तभी सोनल इठलाती हुई ब्लाउज पेतिकोट मे उसकी ओर बढी और बिस्तर के करीब आते ही एकदम से घूम कर बैठ गयी ।
रसभर जोबनो के हिचकोलो की झलक पल भर मे ही गायब हो गयी और पेतिकोट मे फैले हुए उसके नितंब की कसावट देख कर अमन का लन्ड फड़फडा उठा ।
बालोँ को आगे झटक कर उसने गरदन हल्की सी अमन की ओर करते हुए उसने कहा - जरा डोरी खोल देंगे ।
अमन के जिस्म मे सरसराहट सी उठने लगी और वो थुक गटक घुटने के बल बिस्तर के दुसरे कोने के सोनल के करीब आया ।
उसके जिस्म से आती मादक गन्ध से अमन को खुमारी चढ रही थी मगर उसकी नाराजगी एक दम चैड बॉय वाली थी , जो उसे सोनल को बाहों मे भरने से रोक रही थी ।
दिल मे उमडते जज्बातॉ को दफन कर उसने सोनल के बलाऊज की डोरी को पकडा और उसकी उंगलिया सोनल की मखमली पीठ को स्पर्श कर गयि जिस्से सोनल का जिस्म भी सिहर उठा ।
अमन ने डोरी खिंची और ब्लाउज कन्धो से ढीली हो गयी , कंधो के करीब चमडी और भी ज्यादा गोरी और मुलायम लग रही थी ।

बिसतर पर हरकत देख कर सोनल समझ गयी कि अमन वापस जा रहा है तो वो मुस्कुरा कर - वो हुक भी खोल दीजिये ना

अमन एक गहरी सास ली और भीतर की झल्लाहट को पी कर वापस से सोनल के ब्लाउज के सिरे पक्ड कर हुक चटकाने गया , वापस से उसकी उंगलिया सोनल के पीठ से स्पर्श हुई और इस बार सोनल सिसकी - उम्म्ंम आपने हाथ नही पोछे क्या , कितनी ठंडी है उंगली आपकी ।
अमन ने सोनल के पीछे मुह बना कर बिना कोई जवाब दिये सारे हुक चटकाये और वैसे ही खड़ा उसकी सेक्सी पीठ को निहारता रहा
ब्रा स्ट्रैप और बेल्ट सोनल की हल्के चर्बीदार पीठ पर कसी हुई थी जिस्से आसपास चर्बी उभर आई थी जो अमन को ऐसे ललचा रही थी मानो चूम ही ले उसे , उसपे से पेतिकोट मे फैले हुए कुल्हे अब और भी चौडे नजर आ रहे थे पीठ नंगी हो जाने से ।

ठिक पीछे खड़े होने के कारण उसे आगे की ओर सोनल के घाटियो की गुलाबी झलक भी स्पष्ट दिख रही थी और उसका लन्ड फड़क रहा था ।

सोनल ने बाहों ने अपना ब्लाउज उतारते हुए खड़ी हुई और आगे
बढ़ के उसने अपने पेतिकोट की डोरी खिंचते हुए निचे सरका दी , अब उसका जिस्म सिर्फ ब्रा पैंटी मे था
नये मॉडल वाली स्पेशल ब्रा पैंटी सेट जो अमन ने ही उसे गिफ्ट की थी ।
अपनी दी हुई मनपसंद पैंटी मे कसे हुए सोनल के चुतड देख कर अमन का मुसल बौखला गया ।
चटक मरून कलर की पैंटी मे सोनल की गोरी गोल मटोल बड़ी सी गाड़ और भी खिल रही थी । जिसे देख कर अमन ने अपना लन्ड भिन्चा ।

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सोनल ने चार कदम चलकर बडी मादकता से अपने चुतड थिरकाये और आईने के आये खडी होकर अपने बालों का जुड़ा करने लगी ।

अमन वही उसी जगह पर वैसे ही घुटने के बल बैठा हुआ सोनल को निहार रहा था , भितर का अहम आज उसके लिए नूकसान दायक था , अपनी कमसिन कामुक बीवी के रसभरे यौवन से दूरी ।

अफसोस तो तब और बढ़ गया जब सोनल ने वही आईने के पास से कमरे की लाईट बुझा दी और घुप्प अंधेरा सा हो गया ।

अमन मन मसोस कर घूम कर अपनी जगह पर करवट लेटकर चादर ओढ़ लिया और तभी कमरे मे गुलाबी शमा सी छा गयी और नाइट बल्ब जल उठा , मगर अमन ने उसे इग्नओर किया ।
उसके भीतर की नाराजगी और ईगो से उसका जिस्म अब जलने लगा था ।

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सोनल मुस्कुराती हुई बिस्तर पर आई और अमन के पीछे चादर मे घुसती हुई हौले से अपने कन्धे से ब्रा को सरकाती हुई अपने एक मुलायम रसभरे चुचे को आजाद कर अमन को पीछे से हग करते हुए - उम्म्ंम अभी भी गुस्सा है क्या मेरा बेबी ।

सोनल की बच्चो सी मीठी बाते और उसके नरम ठंडे चुचे का स्पर्श पाकर अमन का जिस्म गिनगिना उठा ।

सोनल ने आगे हाथ बढ़ा कर अमन के टीशर्ट के भीतर हाथ घुमाती हुई उसके कान को चूमती हुई - सॉरी ना बेबी , अब बाबू कभी ऐसा नही करेगा ,

अमन तो बस मानो एक सॉरी का ढेला लगने के भरोसे ही बैठा था और उसके ईगो का आईना चूर चूर हो गया, एकदम से उसके जिस्म सरसरी सी दौड़ गयि और उसने अपने सीने पर उसके निप्स को कुरेदते सोनल के हाथ को जकड लिया - उह्ह्ह बेबी आई लव यू

सोनल उसको कसकर पकड़ती हुई उसके गाल चूम कर उसके अपनी ओर घुमाती हुई - आई लव यू सो मच मेरा सोना
फिर दोनो लेटे लेटे ही एक दूसरे के होठ चुसने लगे
सोनल के हाथ अमन के चेहरे को पकड़े हुए मगर अमन के हाथ तो वहा रेंग रहे थे जो देख कर वो कबसे लल्चा रहा था

सोनल के होठ चुसते हुए वो उसकी चर्बीदार गाड़ को हाथ मे भर कर मसल रहा था और उसका मोटा खूटा अब सोनल की जांघो पर रगड़ रहा था ।
वही सोनल के नरम चुची उसके सीने क्प सहला रही थी

अमन के हाथ सरकते हुए अब उपर आ गये थे और वो सोनल को निचे लिटा कर उसकी रस भरे जोबन को हाथ मे भर कर मसलता हुआ उसके निप्प्ल को मुह मे ले लेता है

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सोनल - अह्ह्ह मम्मीईई उह्ह्ह बेबी उम्म्ंम उह्ह्ह सक इट मेरी जान उम्म्ंम्ं उह्ह्ह

सोनल निचे से अपनी गाड़ उठा कर अमन के जांघो पर अपनी बुर रगड़ रही थी और तेज मादक सिसकियाँ ले रही थी , अमन उसके चुचे पक्ड कर उन्हे मसल मसल कर चुस रहा था ।

सोनल उसके सर को दबाए हुए अपने छाती से रगड़ रही थी , उसकी बुर बुरी तरह बजबजा उठी थी - अह्ह्ह माय लव उह्ह्ह उम्म्ंम खा जाओ इसे ऊहह उम्म्ं पागल कर दिया है तुमने मेरी जां ऊहह मेरे राजाह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह

अमन को भी उसके जांघो पर सोनल की गीली पैंटी की रगड़ महसुस हो रही थी , पैर हटा कर उसने अपना हाथ उसकी पैंटी मे घुसाते हुए उसके बुर के चिपछिपे फाको से खेलने लगा

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सोनल पूरी तरह अकड़ गयी - अह्ह्ह बेबी उह्ह्ह क्या छुउऊ दियाअह्ह उम्म्ंम उफ्फ्फ बाबू ओह्ह्ह
अमन उसकी पैंटी मे हाथ डाले बुर को बहुत हल्के हाथ से सहला रहा था जिसका असर सोनल पर बहुत ज्यादा हो रहा था वो झड़ रही थी और अमन की हथेली भरने लगी थी

अमन ने हाथ निकाल कर अपनी उंगलियाँ चाटते हुए सोनल के होठ चुसने लगा
सोनल उपर उठती हुई उसके टीशर्ट निकाल दिये और अमन को घुमाते हुए एक बार फिर से अपने होठ उसके होठ से जोड दिये

अमन सोनल के लिप्स चुस्ता हुआ बेड के हेडबोर्ड का टेक लेके पैर फैला कर लेट गया

उस्का मुसल शार्ट मे तम्बू बनाये हुए था , सोनल ने हाथ आगे कर सीधा अमन का मोटा मुसल पक्ड लिया और उसके लिप्स चुसती हुई बोली - उम्म्ं मेरा बाबू सुबह से परेशान है
सोनल के पंजे अपने आड़ो पर कसत पाकर अमन की सासे उखड़ने लगी और वो टुटे हुए लहजे मे - ह ह हा बाबुउऊ बहुत ज्यादाआ उम्म

सोनल अंडरवियर के उपर से उसके लन्ड के तने पर हथेली घुमाती हुई मुस्कुराई - बाबू को पुच्ची चाहिये इसपे उम्म्ं
अमन ने हा मे सर हिलाया और सोनल उसके शार्ट की लास्टीक मे उन्ग्लिया फसा कर उसको निचे खिंचती हुई खुद भी निचे झुक गयी

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अमन की आंखो मे आंखे डालते हुए उसने अपनी जीभ निकाल कर सुपाड़े की टिप को खिंचा और मुह खोलते हुए उसको होठो से चुबलाया ।
अमन का रोम रोम खड़ा हो गया और उसकी कमर उचकी

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सोनल ने लन्ड मे हलचल देख कर लपक कर उसको तने से पकडा और सुपाड़े की टिप पर जीभ फिराते हुए उसको मुह मे भर लिया

पूरे रस को अपने मुह मे घोलती हुई सोनल आंखे बन्द कर अमन के लन्ड को चुबलाने लगी और अमन का हाथ खुद ब खुब उसके सर पर चला गया

जिस मदहोशि ने सोनल उसका मुसल चुस रही थी उसकी गाड़ हवा मे उठी हुई अमन के आगे लहरा रही थी ।

अमन उस्का सर पक्ड कर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराता हु उसके नरम गुदाज चुतड सहलाता है और इधर सोनल उसके लन्ड को पक्ड कर गले तक ले जाती है ।

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जिससे अमन के जिस्म की नसे फड़कने लगती है वो जोश मे सोनल का सर अपने मुसल पर दबाने लगता है और सोनल भी उसको मुह मे भरने लगती है
अमन के जिस्म की गर्मी अब उसके काबू मे नही थी , वो सोनल की मुलायम गाड़ को हाथो मे मसल नोच रहा था और लन्ड उसका पुरा फौलादी हुआ जा रहा था ।
सोनल भी इस चीज को मह्सुस कर चुकी थी और वो उठ कर खड़ी हुई और उसके सामने ही उसने अपनी पैंटी सरका कर निकाल दी

अमन अपना मुसल भींचते हुए उसकी जान्घे और पेट छू रहा था और सोनल अपनी जीभ से थुक लेके उसको अपने बुर पर ल्गा कर उस्के फाके सहलाती हुई बोली - चाहिये क्या बेबी उम्म्ंम

अमन भूखे भेड़िये के जैसे लपक कर सोनल की गाड़ को पंजे से दबोचता हुआ अपनी को खिंच लिया और अपना मुह सीधा उसकी चुत पर लगा दिया

सोनल - ऊहह मेरे राजाह्ह उह्ह्ह उम्मममं अह्ह्ह चुस लो मेररी जान ओह्ह्ह्ह सीईई अह्ह्ह अराअम्ं से उह्ह्ह

अमन पागलो के तरह उसे बुर के फाको चुस रहा था और सोनल के उस्के सर को पकडे हुए थी - ऊहह मेरी जान उम्म्ं सक इट बेबी उह्ह्ह फक्क्क उम्मममं अह्ह्ह्ह येस्स्स बेबी उह्ह्ह्ह फाअक्क्क्क उम्म्ंम्ं

अमन उसकी जांघो से दुर हुए और सोनल सरक पर उसके पेट पर आ गयी और उसके चेहरे को पक्ड कर उसके लिप्स को चुसती हुई - उह्ह्ह मेरा बाबू क्या चाहिये

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अमन उसकी गाड़ पर अपना लन्ड मारता हुआ - ये दो ना अह्ह्ह बेबी प्लिजज

सोनल पीछे होते हुए अपनी गाड़ को उसके लन्ड पर घिसट पर चुत के निचे ले आई और अपनी कमर हिलाती हुई उसकी आंखो मे देखकर - क्या चाहिये बाबू को

अमन - आह्ह गाड़ देदो ना बाबू उम्म्ंम
सोनल - और चुत उम्म्ंम देखो कितना रस छोड रही है मेरी बुर अह्ह्ह उह्ह्ह इसको नही लोगे

अमन का चेहरा काप रहा था वो सोनल के हाथ पर अपना चेहरा रगड़ता तडप कर - हा बेबी चाहिये वो भी चाहिये

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सोनल अपनी चुत के फाको को उस्के सुपाड़े पर जमा कर - और क्या चाहिये बेबी को
अमन आन्खे बन्द कर अपनी कमर को उचकाता हुआ लन्ड को उसकी बुर मे ठोकर देता

सोनल मुस्कुरा कर उसका लन्ड पक्ड चुत पर लगाते हुए वापस से बैठ जाती है - अह्ह्ह बाबू उह्ह्ह कितना मोटा है उह्ह्ह बेबी उम्म्ंम फ्क्क्क्क सीई
अमन को जैसे ही चुत की नरमी मह्सूस हुई उसका लन्ड और कसने लगा
सोनल पूरे लन्ड को अपनी बुर मे भर बैठ गयी और कमर हिलाने लगी - अह्ह्ह बाबुउऊ ओफ्फ्फ फ्क्क्क करो मुझे उह्ह्ह अह्ह्ह सीई कितना कड़ा है इह्ह्ह उउम्ंं कितना अच्छा लग रहा है उह्ह्ह बाबू उम्म्ं

अमन भी अब जोश मे आ गया और उसने झटके से सोनल को अपनी ओर किया और घुटने फ़ोल्ड का अपनी गाड़ उठा उठा कर पेलने लगा - अह्ह्ह जान कितनी मुलायम बुर है अह्ह्ह मजा आ जाता है इसमे घुसा कर उह्ह्ह

सोनल उस्के तेज करारे झटके खाती हुई अमन के उपर झुकी हुई थी - आह्ह बेबी मुझे रोज चाहिये येह्ह ऊहह इसीलिए तो कही जाना नही चाहती मै ऐसी पेलाई कहा होगी उह्ह्ह

अमन - वहा भी कर लेंगे मेरी जान, हनीमून पर चुदाई ही होती है , खुल कर जैसे चाहो पहनो जैसे चाहो पेलो जितना चाहो चिखो अह्ह्ह

सोनल - ओह्ह माय बेबी सच मे उह्ह्झ फ्क्क्ल्ल मै खुब सेक्सी सेक्सी पहनुन्गी उम्म्ंम तुमको अपनी गाड़ दिखा दिखा कर ललचाउन्गी उम्म्ंं बोलो पहनने दोगे ना सेक्सी बिकनी मुझे

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अमन उसको तेज झटके से उसकी बुर मे पेलता हुआ - हा मेरी जान क्यू नही, लेकिन्ं अह्ह्ह

सोनल - लेकिन क्या मेरे राअजाह्ह्ह उह्ह्ह माअह्ह उम्म्ं
अमन - वो निशा जायेगी तो कैसे मै तुम्हे प्यार करूंगा
सोनल - तो क्या हुआ , चलने दो हरामजादी हो उसके सामने तुम्हारा मोटा लन्ड चुसुंगी, उसको खुब तड़पाऊंगी , मेरे राजा को परेशान किया था कमिनी ने उह्ह्ह बेबी अह्ह्ह फक्क्क फक्क येस्स्स हार्ड बेबीई अह्ह्ह

अमन निशा के सामने सोनल को लन्ड चुसवाने की बात पर और भी पागल हो गया , वो कस कस हुमच हुमच कर पेलने लगा - सिर्फ चुसवाउन्गा ही नही तुम्हारी बुर भी चाटुंगा उसके सामने आह्ह और वो हमे देख कर बस चुत सहलायेगी साली क्यू बेबी

सोनल अपनी बुर को उसके लन्ड पर कसती हुई तेजी से झड़ रही थी - अह्ह्ह बेबी क्यू नही , आप मुझे उसके सामने ही फक्क करना है अह्ह्ह मजा आयेगा उह्ह्ह ऊहह बेबी आ रहा है मेरा ऊहह

सोनल ने चुत की ग्रिप से अमन के लन्ड की नसे फटने को आ गयी थी और निशा के सामने सोनल को चोदने का सोच कर वो पागल ही हो गया और कसकस तेज झटके लगाता हुआ - आह्ह बेबी मै भि आ रहा हु ओह्ह्ह बेबी फ्क्क्क उह्ह्ह येस्स्स येस्स अह्ह्ह मेरी जान ओह्ह मेरी सेक्सी बेबी उह्ह्ह ऊहह

सोनल झटके से उठी और उसका लन्ड पक्ड कर हिलाने लगी और तेज धारदर पिचकारी उपर की ओर छूती , कुछ उसके हाथो पर तो बाकी अमन के जिस्म पर

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मुह बढा कर उसने लन्ड को गपुच लिया और सारा रस चाट गयी

अमन और सोनल दोनो के चेहरे खिले हुए थे और सोनल उसके उपर चढ कर उसके लिप्स काटती हुई मुस्कुरा कर - उम्म्ं देखो तो कैसे खुश हो रहे है साली के सामने मुझे प्यार करने के नाम पर उम्म

अमन मुस्कुरा कर शर्माने लगा तो सोनल उसके गाल चूमती हुई उससे चिपक जाती है ।

जारी रहेगी
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Deepaksoni

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UPDATE 204


शालिनी शाम को देर से उठी , झाडू साफ सफाई कर उसे नहाने की सुध हुई तो वो कमरे से अपनी नाइटी लेकर बाथरूम मे घुस गयी ।
वही घर मे मोटर चलने की आवाज से छत पर राहुल के साथ गप्पे हाक रहे अरुण की इन्द्रिया शालिनी के लिए सतर्क हुई

राहुल को उसने अपने मोबाइल के झासे मे इस तरह से घुमा रखा था कि उसे अरुण के लिए कोई परवाह भी नही , ना उसकी नजर अरुण के गतिविधियों पर थी ।

इधर अरुण की बेचैनी उसके लोवर मे साफ साफ झलकने लगी , राहुल को बिजी देख कर वो अपनी नुनी मिजता हुआ - भाई मै जरा आया

राहुल ह्स कर - बहिनचोद कितना मूतेगा यार तू घर भर देगा

अरुण हसा और मन मे बड़बड़ा- घर नही मामी का भोस्डा भरना है मादरचोद हिहिही

अरुण लपक कर निचे गया और उसके अनुमान के अनुरूप शालिनी बाथरूम मे नहा ही रही थी ।
मगर सम्स्या अब ये थी कि भीतर का नजारा देखा कैसे जाये , दरवाजा बन्द था

लकड़ी के दरवाजे पर शालिनी ने अपने कपडे टांग रखे थे और दरवाजा के उपर और दिवाल मे काफी गैप था ।

अरुण के चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कुराह्ट आई और वो लपक कर किचन से स्टूल ले आया और हौले से चढ कर दरवाजे के उपर से झाक कर भीतर का नजारा देखा तो उस्का लन्ड एकदम से तनमना गया ।

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भीतर उसकी मामी पूरी नंगी खडी होकर बालो मे शैम्पू कर रही थी ।

अरुण अपनी मामी की नंगी लटकी हुई चुचिया देख कर पागल हो गया और उसका लन्ड कसने लगा ।

वो लन्ड भींचते हुए भीतर का नजारा ले रहा था तभी जीने से राहुल की आवाज आई और वो जल्दी से स्टूल से उतरा और उसे किचन रख कर सरपट उपर भागा

वही बाहर पहले राहुल की आवाज और फिर हड़बड होने की आवाज से शालिनी ने हल्का सा दरवाजा खोल कर बाहर देखा तो सब कुछ शान्त था

अरुन उपर चला गया
राहुल - अबे साले मूत रहा था कि हिला रहा था , इतना टाइट हिहिहिही

अरुण हस कर - अरे यार मूतने गया तो गीता की याद आ गयी इस्स्स बहिनचोद सोच कर ही खड़ा हो गया ।

राहुल - अरे तो साले बात कर ले ना , नम्बर तो है ही उनका
अरुण - हा ला दे ट्राई करता हु थोड़ा हाल चाल तो बनता है ।

अरुन बबिता के मोबाईल पर फोन घुमात है और सामने से किसी अन्य काल पर व्यस्त होने का डायलर सुनाई देता है ।

अरुण - ले बहिनचोद ये तो कही बिजी है
राहुल हस कर - अरे होगी अपने बाबू सोना के पास बिजी हिहिही

अभी ये दोनो बात कर ही रहे थे कि उधर रिटर्न बबिता का कॉल आने लगा - अरे देख वापस कॉल आ रहा है

राहुल - तो उठा ना
अरुन - हैलो

बबिता - हाय कैसे हो
अरुण ने मोबाईल स्पीकर पर करके - मै ठिक हु तुम बताओ घर पहुच गयी ।

बबिता - हा वो कबकी आई और वो .. वो बुद्धू कहा है उम्म्ं

अरुण हस कर - यही है लो बात करो
राहुल हसता हुआ - और जानेमन कैसी हो
बबिता - हुह तुम तो बात ही मत करो , पता है तुम्हारि वजह से मेरा बॉयफ्रेड नाराज हो गया है

राहुल हस कर - अरे तो उसको भी थोडा अपने रसिले होठो का स्वाद देदो , गुस्सा नही होगा बस तरस रहा होगा मिलने के लिए

बबिता - हम्म होप सो ऐसा ही हो
अरुण - गीता कहा
बबिता - यार मै छत पर ही वो निचे होगी
अरुण - अच्छा रात मे बात कर सकते है क्या विडियो काल पर देखना है

बबिता - अच्छा ठिक है देखती हूँ , चलो बाय मुझे निचे जाना है
राहुल - बाय मेरी जान हिहिही

फोन कट जाता है और अरुण - साले तु नही सुधरेगा हाहाहा
राहुल - अबे रात मे विडियो कॉल का क्या सीन है ?
अरुण हस कर - अरे यार दोनो बहनो का मस्त लेस्बो रोमान्स देखेन्गे और हिलायेंगे हाहाहा

राहुल - वाव बेटे , गजब हाहाहा

राहुल - चल कही टहलने चलते है
अरुण - कहा

राहुल - अरे यही पास मे मंदिर और नदी है शाम के समय मस्त माल मिलती है उधर टहलती हुई , क्या करेगे वैसे भी घर पर

अरुण उसकी हा मे हा मिलाता है और दोनो निचे आते है राहुल अपनी को आवाज देता हुआ हाल की ओर बढ जाता है कि वो और अरुण अभी थोड़ी देर मे आयेंगे ।

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इधर राहुल के आवाज देने पर शालिनी घूमती है और नाइटी मे बिना ब्रा के उसकी मुलायम उठी हुई चुचिया देख कर अरुण की आंखे फैल जाती है ।

अरुण फौरन नजरे फेर लेता है मगर शालिनी समझ जाती है कि अभी अभी अरुण ने कहा देखा , उसे अपने दुपट्टे के लिए अफसोस होता है मगर अब फाय्दा नही था ,अरुण राहुल के साथ निकल गया था
इधर दोनो भाई टहलते हुए नदी की ओर बढ गये
चमनपुरा रिवर फ्रंट की स्ट्रीट लाईट मे चमचमाती सड़क और किनारे पर लगी रेडी की दुकाने सब जगमग

सड़को पर टहलती आंटियों के कुल्हे और जवान कुवारी लड़कियो के उभरे जोबनो की नोख देखता हुआ अरुन - वाह भाई मस्त जगह है यार ये तो हिहिहिही

राहुल - हा यार यहा आकर मूड फ्रेश हो जाता है , मगर अकेले मे वो मजा नही आता ना
अरुण - हा ये भी , यहा इस समय इतनी लड़कीया और औरते कैसे यार
राहुल - अरे भाई अभी नया नया बना है ये तो भीड रहेगी ना और तु जरा लन्ड की जगह आंखो से देख साले हिहिहिही मर्द और लौन्डे भी है जो इन्हे ताड रहे है ।

अरुण उसकी बात पर हसता है और आसपास निहारने लगता है , तभी उसकी नजर पास के कुल्फी स्टाल पर जाती है जहा एक लड़की जो फ्राक मे थी वो स्टाल पर अपनी एक छोटी बहन के साथ खडी होकर कुल्फ़ी चुस रही थी ।
नदी के किनारे की मदमस्त हवाए उसके फ्राक को घुटनो तक उठा रही थी , जिसे देख कर अरुण के आंखो की चमक बढ़ गयी ।

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अरुण - बहिनचोद कितनी कटीली माल है , टाँगे देख ना कितनी गोरी है इसकी
राहुल - अरे लाली
अरुण अचरज से - तु जानता है इसे

राहुल - हा बे ये तो अनुज की क्लासमेट है
अरुण - हैं ? सच मे ?
राहुल - हा बे , ये तो उसके पीछे लगी रहती है, मगर साला अनुज एक नम्बर का फटटू और चुतिया है

अरुण - क्या बक रहा है, इतनी टॉप क्लास माल अपने अनुज की दिवानी

राहुल - हा बे , अगर ये साली मुझे लाईन देती तो इसकी गाड़ फ़ाड चुका होता मै

अरुण - अरे यार , साले लँगूर को ही अंगूर मिलते है
राहुल खीझ कर - छोड़ ना बे

इधर इनकी बातें चल रही थी कि इतने मे लाली इनके पास आई - हाय राहुल

राहुल और अरुण चौके और राहुल खड़े होने को हुआ तो अरुण उसका हाथ खिंच कर बैठाने लगा , मगर वो खड़ा हुआ जबरजस्ती

लाली ने अजीब नजरो से अरुण को देखा और फिर मुस्कुरा कर - कैसे हो
राहुल मुस्कुराकर - मै ठिक हु तुम बताओ
लाली - मै भी , ये अनुज की दुकान काफी दिन से बन्द क्यू है

राहुल का मूड अनुज का नाम सुनते ही खराब हुआ मगर वो अपनी भावनाये छिपाता हुआ झूठी हसी के साथ - अरे वो उसकी दीदी की शादी थी ना , लेकिन आज तो उसने दुकान खोला है

लाली - क्या ? उसके दीदी की शादी थी और मुझे बताया नही !
लाली की प्रतिक्रिया पर राहुल ने उसे आंखे महिन कर देखा तो लाली सफाई देती हुई - मतलब क्लास मे किसी को नही बताया उसने , इट्स सो रूड ना

राहुल हस कर - अरे एक काम करो ना , आज वो दुकान पर ही होगा तुम ही आज की कलास लेलो ना उसकी हिहिही

लाली खुश होकर - अच्छा सच मे , अब तो ब्च्चु की खैर नही । थैंक्स राहुल बाय

राहुल मुह बनाता हुआ - बाय

राहुल उखड़े हुए मुह के साथ - देखा साली कैसे उछल रही थी ।
राहुल अरुण की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसकी ओर देखा तो वो लाली को जाते हुए देख रहा था ।

राहुल खीझ कर उसके सर पर टपली मारता हुआ - साले जाने दे , वो नही हाथ आयेगी

अरुन - भाई क्या मस्त माल है यार , पास से क्या मस्त महकती है
राहुल - तो क्या तु उसे बस सुँघ रहा था
अरुण - नही भाई देखा भी , ये जांघो तक ब्लूमर पहना था उसने और क्या दूध सी गोरी चिकनी जांघ है उसकी आह्ह्ह

राहुल चौक कर - तुने कब देखी
अरुण हस कर - जब तु उस्से बाते कर रहा था, ये उड़ती हवाए उसका फ्राक उठा रही थी हिहिहिही

राहुल हसता हुआ - साले हरामी हिहिही

अरुण- हे चल ना हम भी चलते है अनुज के पास
राहुल - अबे नही यार थोड़ा रुक कर चलते है, थोडा लैला मजनू को प्राइवेट समय का मजा लेने दे हिहिही

अरुण - ओहो उस चुतिये की इतनी फिकर
राहुल हस कर - चुतिया है ये इम्पोर्टेंट नही है , भाई है अपना ये इम्पोर्टेंट है हाहाहा

अरुण उसकी बात पर हसने लगा


इधर लाली तेज कदमो से अनुज के दुकान पर पहुच गयी ।
जहा अनुज एक ग्राहको को डील कर रहा और जैसे ही उसकी नजर बाहर खड़ी लाली पर गयी , उसकी सासे सुखने लगी ।
लाली अनुज के लिए बहुत आगे की लड़की थी, वो थोड़ी ज्यादा फ्रैंक और अमीर भी थी , लेकिन उसे अनुज की सादगी और भोलेपन से एक लगाव सा था । उसे अनुज का साथ पसंद था ।
दुकान मे घुसते ही लाली चहकी - हाय अनुज
अनुज एक अंकल को कुछ समान दे रहा था तो बस वो मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा और फिर ग्राहक को विदा कर ।

अनुज - तुम यहा
लाली हस कर - वो नदी पर अभी राहुल से मिली , उसने बताया कि तु यहा हो
अनुज मन ही मन राहुल को गाली दिया और जान रहा था कि साला मजा लेने आयेगा जरुर ।

लाली - ओ हीरो कहा खो गये , ये बताओ तुमने मुझे शादी मे क्यू नही बुलाया

अनुज - यार मै कैसे बुलाता , कार्ड तो पापा और भैया ने बाटा था ना

लाली - तो क्या तुम्हारे घर पर फ्रेंड्स बुलाना allow नही है क्या उम्म्ं
अनुज थोडा लज्जित होकर - नही ऐसी बात नही है , वो मै काम मे बिजी था तो रह गया सॉरी

लाली अनुज का उतरा हुआ मासूम चेहरा देख कर मुस्कुराई - अच्छा बाबा ठिक है , अब उदास ना हो लेकिन राज भैया की शादी मे तो बुलाओगे ना

तभी पीछे से आवाज आई - अरे मेरी शादी मे तो तुमको डांस भी करना पड़ेगा हिहिहिही

लाली खुश होकर पीछे देखती है तो वहा राज खड़ा होता है - अरे राज भैया हाय्य्य
राज मुस्कुरा कर - कैसी हो लाली
लाली - एकदम मस्त , देखो ना दीदी की शादी मे ये मुझे बुलाना ही भूल गया

राज अनुज को देख कर हसता हुआ - ये , अरे ये अब बूढ़ा हो गया है , यादाश्त चली गयि है इसकी हिहिहिही
लाली - है ना , मुझे भी यही लगता है हिहिही

राज - तुम बताओ कैसे आना हु
लाली - बस भैया नदी घूमने आई थी तो सोचा बाजार रास्ते घर जाऊ तो इसने मुझे देखा तो दुकान मे बुला लिया

अनुज लाली की शरारत पर हड़बडा कर राज की ओर देखा तो लाली खिलखिला कर हस दी ।
लाली - अच्छा भैया मै चलती हु ,बाय
लाली - बाय अनुज
अनुज उतरे हुए मुह से - बाय

राज मुस्कुरा कर उसको जाते हुए देखता है और फिर अनुज की ओर घूम कर उसको देखता है ।
अनुज राज की हसी पर सफाई देता हुआ - नही भैया कसम से मैने नही बुलाया

राज - अबे पता है मुझे तेरे मे जिगरा नही है हिहिही

अनुज - क्या भैया इतना भी फटटू नही हु मै
राज - चल चल रहने दे , वैसे क्या क्या काम हुआ और बाकी चल हैल्प कर दू तेरी मम्मी ने भेजा है

फिर अनुज और राज दुकान के काम मे लग जाते है और कुछ देर बाद दुकान का काम खतम कर वो दोनो घर के लिए निकल जाते है ।

वही चौराहे वाले घर रात का खाना तैयार हो चुका था , रंगी भी घर आ चुका था ।
हाल मे शिला और रागिनी बैठे हुए थे ।
किचन मे दो नयी सहेलियां लगी हुई थी रज्जो और निशा ।
निशा - धत्त मौसी तुम भी ना , देखो भीगा दिया आगे से

रज्जो एक नजर हाल मे देख कर सामने से निशा के जोबन सहला कर - ओहो देखो तो कितना भरा हुआ है, ना जाने कितनो नल के निचे नहाई होगी तु और मुझे सिखा रही है ।

निशा कबसे रज्जो के सवाल से पक चुकी थी और वो समझ गयी थी कि ये बिना कोई जवाब लिये मानेगी नही इसिलिये उसने रज्जो को लपेटना शुरु किया ।

रज्जो - अरे बता दे , मै कौन सा किसी से कहूँगी
निशा - सच मे ना , पक्का ना ?
रज्जो जिज्ञासु होकर -हा बता ना ?
निशा - आप उनको जानती हो बस इतना काफी है उम्म्ं
रज्जो - क्या तु भी साफ साफ नाम लेके बता ना
निशा हस कर - अरे मौसी उनका हथियार ना सीईई आधे हाथ का है और मोटा भी समझी

रज्जो की बेचैनी और भी बढ गयि कि ऐसा कौन है और मन मे ही वो गणित चलाने लगी , किसका इतना बड़ा खुन्टा होगा जिसमे ये गाय बध गयी ।

निशा - दिमाग पर बहुत जोर मत दो हिहिही चलो खाना देते है सबको
इधर राज और अनुज भी आ गये , जल्द ही सबने खाना खाया और हुआ फिर तय हुआ कि कौन कहा सोयेगा ।

रागिनी ने आज फिर रंगी को तड़पाने की सोची और उसने साफ साफ कह दिया कि उसके कमरे मे आज रज्जो और शिला सोयेंगी ।
निशा और अनुज अपने अपने कमरे मे हो गये ।
रन्गी राज एक साथ सोने के लिए चले गये ।
इधर सब लोग कमरे मे जा रहे थे तो बेचैन रज्जो ने मौका देख कर जीने के पास निशा को पकड़ लिया - अरे बता ना , नाम बताने मे क्या जा रहा है तेरा ।

निशा हस कर - नही नही मुझे आपपर भरोसा नही है , कही आप उनको पटा लिये तो हिहिहिही

इधर कमरे से रागिनी आवाज दे रही थी और रज्जो की हड़बड़ी मे - क्या तु भी , बता ना
निशा हस कर - प्कका बता दू ,
रज्जो - हा , हा !
निशा मुस्कुरा कर - सोच लो आपकी नीद गायब हो जायेगी हिहिहिही

रज्जो खीझ कर - अरे बता ना तु
निशा अपने करीब आने का इशारा किया और रज्जो उस्के करीब आई , उसने बड़ी चतुराई से रज्जो के हाथ से अपने को छुड़ाया और धीरे से उसके कान मे बोली - मौसा जी हिहिहिही

फिर निशा हस्ती खिलखिलाती उपर भाग गयी और रज्जो की आंखे फैल गयी कि कमलनाथ कैसे निशा को ?
वो सवालों के घेरे मे थी कि उधर रागिनी कमरे के दरवाजे से झाक कर - क्या जीजी आओ ना ?

रज्जो ने सामने देखा तो रागिनी की नंगी जान्घे देखी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गयी , वो समझ गयी कि आज रात क्या प्रोग्राम होने वाला है ।


अमन के घर

रात के 9 बजने को हो रहे थे और डायनिंग टेबल पर घर के सभी लोग साथ बैठे हुए थे , अमन भी बैठा हुआ था ।
ऐसे मे ममता दुलारी को इशारा करती है कि वो सोनल का खाना लेकर उपर चली जाये और अमन को भी जाने को कहती है ।

अमन दुलारि की मदद के लिए किचन मे आता है और पीछे से उसकी गाड़ साडी के उपर से मसल कर - और भाभी आगे का क्या प्लान है ।

दुलारी खाने की प्लेट तैयार कर उसकी ओर घूम कर - अभी तो आज ये केसर खीर खाओ और मेरी देवरानी की बजाओ और मै मेरी छिनार ननदीया की बुर की गहराई टटोलती हुई ले पायेगी भी या नही

अमन हस देता है - वैसे क्या वो सच मे तैयार होगी भाभी
दुलारी थोड़ा चुप रहने का इशारा कर अमन को लेके जीने की ओर बढ़ जाती है - अरे देवर जी , देखा नही कैसे फचर फचर उन्ग्लिया पेल कर अपनी पैजामी भीगा दिया , तुम बस उसे लालच दो बाकी पक्ड कर मै डलवा दूँगी हिहिही

अमन पीछे से दुलारी के मटकते कुल्हे सहला कर - अच्छा तो ये वाला घर कब खोलोगी , ये तो बताओ

दुलारी हसी और बोली - पहले देवरानी जी बोलो कि वो दरवाजा खोले

अमन कमरे का दरवाजा खटखटाता है और फिर दुलारी- प्लीज ना भाभी बताओ ना , बहुत मन है

दुलारी बस इतराती मुस्कुराती है इतने मे सोनल जो कि मोबाइल पर किसी से बात कर रही होती है वो दरवाजा खोलती है

सोनल - हा रख बाद मे काल करती हु तुझे , बाय बाय
सोनल - अरे भाभी आप , आईये ना

अमन भी दुलारी के पीछे पीछे आता है
दुलारी- किस्से बातें हो रही थी देवरानी जी , मायके की कोई सहेली तो नही था ना लाईन पर

सोनल हस कर - जी वो निशा से बात हो रही है
दुलारि - अरे तो रख क्यू दिया , देवर जी को दे देती हमारे देवर जी भी ले लेते उनसे

सोनल आंखे उठा कर सवालिया नजरो से दुलारि को देखती है तो दुलारि हस कर - अरे भई हालचाल हिहिहिहिही

कमरे का माहौल थोडा खुसनुमा था और फिर दुलारी थोडे देर बाद सरक ली ।
इधर अमन ने अपना ड्रामा शुरु कर दिया । दुलारि के जाते ही कमरे मे एकदम से चुप्पी सी आ गयि , अमन चुपचाप अपने पैंट उतार कर शार्ट मे आ गया और हाथ मे मोबाईल लेके बैठ गया ।

सोनल खाने की प्लेट लेके उसके पास गयी - जाईये हाथ धूल लिजिए खाना खाते है ।

अमन चुप चाप उठा और बाथरूम से हाथ धूल कर आया और अपने हिस्से का खाना खाने लगा
सोनल मुस्कुराई और अमन का बचपना निहारने लगी ।

मुस्कुराते हुए वो भी खाने का निवाला मुह मे लेकर बोली - पता है आज मम्मी जी से बात हो रही थी घूमने जाने की ।
अमन ने नजरे उठा कर देखा फिर खाने मे लगा रहा ।
सोनल मुस्कुरा कर खीर की कटोरी मे चम्मच चलाते हुए एक चम्मच अमन के मुह के आगे की और वो मुह बनाते हुए मुह खोला ।
सोनल - मम्मी कह रही थी कि अगर अकेले नही जा सकती तो मै निशा को भी साथ ले जाऊ ।

अमन चौका मगर उसने जल्द ही अपनी भावनाओ को दबाया ।
सोनल मुस्कुराते हुए उसे खीर को चम्मच चटवाती हुई - लेकिन अभी कुछ कन्फ़र्म नही है मम्मी की आज पापा जी से बात करेंगी ।

ये बोल कर सोनल उठी और खाने की प्लेट दूर टेबल पर रख कर वाशरूम मे हाथ धूलने चली गयी , अमन भी पहुच गया ।
सोनल - आप क्या कहते हो , सही रहेगा क्या निशा को साथ मे ले जाना उम्म्ं
अमन कुल्ला कर मुह पोछता हुआ बाथरूम से निकलता हुआ - मुझसे मत कहो , अपनी मम्मी जी से पूछो हुह

सोनल समझ रही थी कि अमन को दुपहर मे मना किया इसीलिए वो भुनका हुआ है ।
वो भी थोड़े देर चुप रही और अमन एक किनारे बेड पर पैर फैला कर बैठा हुआ मोबाईल चला रहा था ।

सोनल अपने सृंगार उतार कर जिस्म हल्का कर रही थी और उसे अच्छे से पता था कि अमन उसे चोर नजरो से निहार रहा है ।
गहने उतारने तक ठिक था मगर उसने अपनी साडी उतारनी शुरु कर दी , अमन चौका ।

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उसके गुदाज मुलायम चर्बीदार सपाट नंगी कमर और पेट पर चढ़ी हुई हल्की सी चर्बी , उसपे से सीने पर उठे हुए मौसमी के पहाड़ देख कर अमन का जिस्म सरसरा गया ।
तभी सोनल इठलाती हुई ब्लाउज पेतिकोट मे उसकी ओर बढी और बिस्तर के करीब आते ही एकदम से घूम कर बैठ गयी ।
रसभर जोबनो के हिचकोलो की झलक पल भर मे ही गायब हो गयी और पेतिकोट मे फैले हुए उसके नितंब की कसावट देख कर अमन का लन्ड फड़फडा उठा ।
बालोँ को आगे झटक कर उसने गरदन हल्की सी अमन की ओर करते हुए उसने कहा - जरा डोरी खोल देंगे ।
अमन के जिस्म मे सरसराहट सी उठने लगी और वो थुक गटक घुटने के बल बिस्तर के दुसरे कोने के सोनल के करीब आया ।
उसके जिस्म से आती मादक गन्ध से अमन को खुमारी चढ रही थी मगर उसकी नाराजगी एक दम चैड बॉय वाली थी , जो उसे सोनल को बाहों मे भरने से रोक रही थी ।
दिल मे उमडते जज्बातॉ को दफन कर उसने सोनल के बलाऊज की डोरी को पकडा और उसकी उंगलिया सोनल की मखमली पीठ को स्पर्श कर गयि जिस्से सोनल का जिस्म भी सिहर उठा ।
अमन ने डोरी खिंची और ब्लाउज कन्धो से ढीली हो गयी , कंधो के करीब चमडी और भी ज्यादा गोरी और मुलायम लग रही थी ।

बिसतर पर हरकत देख कर सोनल समझ गयी कि अमन वापस जा रहा है तो वो मुस्कुरा कर - वो हुक भी खोल दीजिये ना

अमन एक गहरी सास ली और भीतर की झल्लाहट को पी कर वापस से सोनल के ब्लाउज के सिरे पक्ड कर हुक चटकाने गया , वापस से उसकी उंगलिया सोनल के पीठ से स्पर्श हुई और इस बार सोनल सिसकी - उम्म्ंम आपने हाथ नही पोछे क्या , कितनी ठंडी है उंगली आपकी ।
अमन ने सोनल के पीछे मुह बना कर बिना कोई जवाब दिये सारे हुक चटकाये और वैसे ही खड़ा उसकी सेक्सी पीठ को निहारता रहा
ब्रा स्ट्रैप और बेल्ट सोनल की हल्के चर्बीदार पीठ पर कसी हुई थी जिस्से आसपास चर्बी उभर आई थी जो अमन को ऐसे ललचा रही थी मानो चूम ही ले उसे , उसपे से पेतिकोट मे फैले हुए कुल्हे अब और भी चौडे नजर आ रहे थे पीठ नंगी हो जाने से ।

ठिक पीछे खड़े होने के कारण उसे आगे की ओर सोनल के घाटियो की गुलाबी झलक भी स्पष्ट दिख रही थी और उसका लन्ड फड़क रहा था ।

सोनल ने बाहों ने अपना ब्लाउज उतारते हुए खड़ी हुई और आगे
बढ़ के उसने अपने पेतिकोट की डोरी खिंचते हुए निचे सरका दी , अब उसका जिस्म सिर्फ ब्रा पैंटी मे था
नये मॉडल वाली स्पेशल ब्रा पैंटी सेट जो अमन ने ही उसे गिफ्ट की थी ।
अपनी दी हुई मनपसंद पैंटी मे कसे हुए सोनल के चुतड देख कर अमन का मुसल बौखला गया ।
चटक मरून कलर की पैंटी मे सोनल की गोरी गोल मटोल बड़ी सी गाड़ और भी खिल रही थी । जिसे देख कर अमन ने अपना लन्ड भिन्चा ।

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सोनल ने चार कदम चलकर बडी मादकता से अपने चुतड थिरकाये और आईने के आये खडी होकर अपने बालों का जुड़ा करने लगी ।

अमन वही उसी जगह पर वैसे ही घुटने के बल बैठा हुआ सोनल को निहार रहा था , भितर का अहम आज उसके लिए नूकसान दायक था , अपनी कमसिन कामुक बीवी के रसभरे यौवन से दूरी ।

अफसोस तो तब और बढ़ गया जब सोनल ने वही आईने के पास से कमरे की लाईट बुझा दी और घुप्प अंधेरा सा हो गया ।

अमन मन मसोस कर घूम कर अपनी जगह पर करवट लेटकर चादर ओढ़ लिया और तभी कमरे मे गुलाबी शमा सी छा गयी और नाइट बल्ब जल उठा , मगर अमन ने उसे इग्नओर किया ।
उसके भीतर की नाराजगी और ईगो से उसका जिस्म अब जलने लगा था ।

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सोनल मुस्कुराती हुई बिस्तर पर आई और अमन के पीछे चादर मे घुसती हुई हौले से अपने कन्धे से ब्रा को सरकाती हुई अपने एक मुलायम रसभरे चुचे को आजाद कर अमन को पीछे से हग करते हुए - उम्म्ंम अभी भी गुस्सा है क्या मेरा बेबी ।

सोनल की बच्चो सी मीठी बाते और उसके नरम ठंडे चुचे का स्पर्श पाकर अमन का जिस्म गिनगिना उठा ।

सोनल ने आगे हाथ बढ़ा कर अमन के टीशर्ट के भीतर हाथ घुमाती हुई उसके कान को चूमती हुई - सॉरी ना बेबी , अब बाबू कभी ऐसा नही करेगा ,

अमन तो बस मानो एक सॉरी का ढेला लगने के भरोसे ही बैठा था और उसके ईगो का आईना चूर चूर हो गया, एकदम से उसके जिस्म सरसरी सी दौड़ गयि और उसने अपने सीने पर उसके निप्स को कुरेदते सोनल के हाथ को जकड लिया - उह्ह्ह बेबी आई लव यू

सोनल उसको कसकर पकड़ती हुई उसके गाल चूम कर उसके अपनी ओर घुमाती हुई - आई लव यू सो मच मेरा सोना
फिर दोनो लेटे लेटे ही एक दूसरे के होठ चुसने लगे
सोनल के हाथ अमन के चेहरे को पकड़े हुए मगर अमन के हाथ तो वहा रेंग रहे थे जो देख कर वो कबसे लल्चा रहा था

सोनल के होठ चुसते हुए वो उसकी चर्बीदार गाड़ को हाथ मे भर कर मसल रहा था और उसका मोटा खूटा अब सोनल की जांघो पर रगड़ रहा था ।
वही सोनल के नरम चुची उसके सीने क्प सहला रही थी

अमन के हाथ सरकते हुए अब उपर आ गये थे और वो सोनल को निचे लिटा कर उसकी रस भरे जोबन को हाथ मे भर कर मसलता हुआ उसके निप्प्ल को मुह मे ले लेता है

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सोनल - अह्ह्ह मम्मीईई उह्ह्ह बेबी उम्म्ंम उह्ह्ह सक इट मेरी जान उम्म्ंम्ं उह्ह्ह

सोनल निचे से अपनी गाड़ उठा कर अमन के जांघो पर अपनी बुर रगड़ रही थी और तेज मादक सिसकियाँ ले रही थी , अमन उसके चुचे पक्ड कर उन्हे मसल मसल कर चुस रहा था ।

सोनल उसके सर को दबाए हुए अपने छाती से रगड़ रही थी , उसकी बुर बुरी तरह बजबजा उठी थी - अह्ह्ह माय लव उह्ह्ह उम्म्ंम खा जाओ इसे ऊहह उम्म्ं पागल कर दिया है तुमने मेरी जां ऊहह मेरे राजाह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह

अमन को भी उसके जांघो पर सोनल की गीली पैंटी की रगड़ महसुस हो रही थी , पैर हटा कर उसने अपना हाथ उसकी पैंटी मे घुसाते हुए उसके बुर के चिपछिपे फाको से खेलने लगा

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सोनल पूरी तरह अकड़ गयी - अह्ह्ह बेबी उह्ह्ह क्या छुउऊ दियाअह्ह उम्म्ंम उफ्फ्फ बाबू ओह्ह्ह
अमन उसकी पैंटी मे हाथ डाले बुर को बहुत हल्के हाथ से सहला रहा था जिसका असर सोनल पर बहुत ज्यादा हो रहा था वो झड़ रही थी और अमन की हथेली भरने लगी थी

अमन ने हाथ निकाल कर अपनी उंगलियाँ चाटते हुए सोनल के होठ चुसने लगा
सोनल उपर उठती हुई उसके टीशर्ट निकाल दिये और अमन को घुमाते हुए एक बार फिर से अपने होठ उसके होठ से जोड दिये

अमन सोनल के लिप्स चुस्ता हुआ बेड के हेडबोर्ड का टेक लेके पैर फैला कर लेट गया

उस्का मुसल शार्ट मे तम्बू बनाये हुए था , सोनल ने हाथ आगे कर सीधा अमन का मोटा मुसल पक्ड लिया और उसके लिप्स चुसती हुई बोली - उम्म्ं मेरा बाबू सुबह से परेशान है
सोनल के पंजे अपने आड़ो पर कसत पाकर अमन की सासे उखड़ने लगी और वो टुटे हुए लहजे मे - ह ह हा बाबुउऊ बहुत ज्यादाआ उम्म

सोनल अंडरवियर के उपर से उसके लन्ड के तने पर हथेली घुमाती हुई मुस्कुराई - बाबू को पुच्ची चाहिये इसपे उम्म्ं
अमन ने हा मे सर हिलाया और सोनल उसके शार्ट की लास्टीक मे उन्ग्लिया फसा कर उसको निचे खिंचती हुई खुद भी निचे झुक गयी

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अमन की आंखो मे आंखे डालते हुए उसने अपनी जीभ निकाल कर सुपाड़े की टिप को खिंचा और मुह खोलते हुए उसको होठो से चुबलाया ।
अमन का रोम रोम खड़ा हो गया और उसकी कमर उचकी

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सोनल ने लन्ड मे हलचल देख कर लपक कर उसको तने से पकडा और सुपाड़े की टिप पर जीभ फिराते हुए उसको मुह मे भर लिया

पूरे रस को अपने मुह मे घोलती हुई सोनल आंखे बन्द कर अमन के लन्ड को चुबलाने लगी और अमन का हाथ खुद ब खुब उसके सर पर चला गया

जिस मदहोशि ने सोनल उसका मुसल चुस रही थी उसकी गाड़ हवा मे उठी हुई अमन के आगे लहरा रही थी ।

अमन उस्का सर पक्ड कर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराता हु उसके नरम गुदाज चुतड सहलाता है और इधर सोनल उसके लन्ड को पक्ड कर गले तक ले जाती है ।

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जिससे अमन के जिस्म की नसे फड़कने लगती है वो जोश मे सोनल का सर अपने मुसल पर दबाने लगता है और सोनल भी उसको मुह मे भरने लगती है
अमन के जिस्म की गर्मी अब उसके काबू मे नही थी , वो सोनल की मुलायम गाड़ को हाथो मे मसल नोच रहा था और लन्ड उसका पुरा फौलादी हुआ जा रहा था ।
सोनल भी इस चीज को मह्सुस कर चुकी थी और वो उठ कर खड़ी हुई और उसके सामने ही उसने अपनी पैंटी सरका कर निकाल दी

अमन अपना मुसल भींचते हुए उसकी जान्घे और पेट छू रहा था और सोनल अपनी जीभ से थुक लेके उसको अपने बुर पर ल्गा कर उस्के फाके सहलाती हुई बोली - चाहिये क्या बेबी उम्म्ंम

अमन भूखे भेड़िये के जैसे लपक कर सोनल की गाड़ को पंजे से दबोचता हुआ अपनी को खिंच लिया और अपना मुह सीधा उसकी चुत पर लगा दिया

सोनल - ऊहह मेरे राजाह्ह उह्ह्ह उम्मममं अह्ह्ह चुस लो मेररी जान ओह्ह्ह्ह सीईई अह्ह्ह अराअम्ं से उह्ह्ह

अमन पागलो के तरह उसे बुर के फाको चुस रहा था और सोनल के उस्के सर को पकडे हुए थी - ऊहह मेरी जान उम्म्ं सक इट बेबी उह्ह्ह फक्क्क उम्मममं अह्ह्ह्ह येस्स्स बेबी उह्ह्ह्ह फाअक्क्क्क उम्म्ंम्ं

अमन उसकी जांघो से दुर हुए और सोनल सरक पर उसके पेट पर आ गयी और उसके चेहरे को पक्ड कर उसके लिप्स को चुसती हुई - उह्ह्ह मेरा बाबू क्या चाहिये

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अमन उसकी गाड़ पर अपना लन्ड मारता हुआ - ये दो ना अह्ह्ह बेबी प्लिजज

सोनल पीछे होते हुए अपनी गाड़ को उसके लन्ड पर घिसट पर चुत के निचे ले आई और अपनी कमर हिलाती हुई उसकी आंखो मे देखकर - क्या चाहिये बाबू को

अमन - आह्ह गाड़ देदो ना बाबू उम्म्ंम
सोनल - और चुत उम्म्ंम देखो कितना रस छोड रही है मेरी बुर अह्ह्ह उह्ह्ह इसको नही लोगे

अमन का चेहरा काप रहा था वो सोनल के हाथ पर अपना चेहरा रगड़ता तडप कर - हा बेबी चाहिये वो भी चाहिये

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सोनल अपनी चुत के फाको को उस्के सुपाड़े पर जमा कर - और क्या चाहिये बेबी को
अमन आन्खे बन्द कर अपनी कमर को उचकाता हुआ लन्ड को उसकी बुर मे ठोकर देता

सोनल मुस्कुरा कर उसका लन्ड पक्ड चुत पर लगाते हुए वापस से बैठ जाती है - अह्ह्ह बाबू उह्ह्ह कितना मोटा है उह्ह्ह बेबी उम्म्ंम फ्क्क्क्क सीई
अमन को जैसे ही चुत की नरमी मह्सूस हुई उसका लन्ड और कसने लगा
सोनल पूरे लन्ड को अपनी बुर मे भर बैठ गयी और कमर हिलाने लगी - अह्ह्ह बाबुउऊ ओफ्फ्फ फ्क्क्क करो मुझे उह्ह्ह अह्ह्ह सीई कितना कड़ा है इह्ह्ह उउम्ंं कितना अच्छा लग रहा है उह्ह्ह बाबू उम्म्ं

अमन भी अब जोश मे आ गया और उसने झटके से सोनल को अपनी ओर किया और घुटने फ़ोल्ड का अपनी गाड़ उठा उठा कर पेलने लगा - अह्ह्ह जान कितनी मुलायम बुर है अह्ह्ह मजा आ जाता है इसमे घुसा कर उह्ह्ह

सोनल उस्के तेज करारे झटके खाती हुई अमन के उपर झुकी हुई थी - आह्ह बेबी मुझे रोज चाहिये येह्ह ऊहह इसीलिए तो कही जाना नही चाहती मै ऐसी पेलाई कहा होगी उह्ह्ह

अमन - वहा भी कर लेंगे मेरी जान, हनीमून पर चुदाई ही होती है , खुल कर जैसे चाहो पहनो जैसे चाहो पेलो जितना चाहो चिखो अह्ह्ह

सोनल - ओह्ह माय बेबी सच मे उह्ह्झ फ्क्क्ल्ल मै खुब सेक्सी सेक्सी पहनुन्गी उम्म्ंम तुमको अपनी गाड़ दिखा दिखा कर ललचाउन्गी उम्म्ंं बोलो पहनने दोगे ना सेक्सी बिकनी मुझे

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अमन उसको तेज झटके से उसकी बुर मे पेलता हुआ - हा मेरी जान क्यू नही, लेकिन्ं अह्ह्ह

सोनल - लेकिन क्या मेरे राअजाह्ह्ह उह्ह्ह माअह्ह उम्म्ं
अमन - वो निशा जायेगी तो कैसे मै तुम्हे प्यार करूंगा
सोनल - तो क्या हुआ , चलने दो हरामजादी हो उसके सामने तुम्हारा मोटा लन्ड चुसुंगी, उसको खुब तड़पाऊंगी , मेरे राजा को परेशान किया था कमिनी ने उह्ह्ह बेबी अह्ह्ह फक्क्क फक्क येस्स्स हार्ड बेबीई अह्ह्ह

अमन निशा के सामने सोनल को लन्ड चुसवाने की बात पर और भी पागल हो गया , वो कस कस हुमच हुमच कर पेलने लगा - सिर्फ चुसवाउन्गा ही नही तुम्हारी बुर भी चाटुंगा उसके सामने आह्ह और वो हमे देख कर बस चुत सहलायेगी साली क्यू बेबी

सोनल अपनी बुर को उसके लन्ड पर कसती हुई तेजी से झड़ रही थी - अह्ह्ह बेबी क्यू नही , आप मुझे उसके सामने ही फक्क करना है अह्ह्ह मजा आयेगा उह्ह्ह ऊहह बेबी आ रहा है मेरा ऊहह

सोनल ने चुत की ग्रिप से अमन के लन्ड की नसे फटने को आ गयी थी और निशा के सामने सोनल को चोदने का सोच कर वो पागल ही हो गया और कसकस तेज झटके लगाता हुआ - आह्ह बेबी मै भि आ रहा हु ओह्ह्ह बेबी फ्क्क्क उह्ह्ह येस्स्स येस्स अह्ह्ह मेरी जान ओह्ह मेरी सेक्सी बेबी उह्ह्ह ऊहह

सोनल झटके से उठी और उसका लन्ड पक्ड कर हिलाने लगी और तेज धारदर पिचकारी उपर की ओर छूती , कुछ उसके हाथो पर तो बाकी अमन के जिस्म पर

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मुह बढा कर उसने लन्ड को गपुच लिया और सारा रस चाट गयी

अमन और सोनल दोनो के चेहरे खिले हुए थे और सोनल उसके उपर चढ कर उसके लिप्स काटती हुई मुस्कुरा कर - उम्म्ं देखो तो कैसे खुश हो रहे है साली के सामने मुझे प्यार करने के नाम पर उम्म

अमन मुस्कुरा कर शर्माने लगा तो सोनल उसके गाल चूमती हुई उससे चिपक जाती है ।

जारी रहेगी
Awesome bhai kya update diya Ek dam kamuk or garam kar dene wala

Waise arun to apni salini mami ke liye pagal hota ja rha dekhte ki uske hath kya lagta h

Or ider aman bhi rinki or nisha ki chudai ki taiyari kr rha h

Sayad arun ko koi moka mile jaye apni mami ki jawani ka rush pine k liye
 

Vishalji1

I love women's @ll body part👅lick(peelover)
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Waahh ati sundar gjb ki chudai Rahi ab dekhte hai ki salini apne bhanje ko lift deti hai ki nhi ya sirf tadpa ke chor degi
Aur sonal apni bahan Nisha ko honeymoon trip pe le Jake chudwa degi Aman se kyunki dono phle se hi sex partner rah chuki hai apne Bhai ke sath
 

TharkiPo

I'M BACK
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UPDATE 204


शालिनी शाम को देर से उठी , झाडू साफ सफाई कर उसे नहाने की सुध हुई तो वो कमरे से अपनी नाइटी लेकर बाथरूम मे घुस गयी ।
वही घर मे मोटर चलने की आवाज से छत पर राहुल के साथ गप्पे हाक रहे अरुण की इन्द्रिया शालिनी के लिए सतर्क हुई

राहुल को उसने अपने मोबाइल के झासे मे इस तरह से घुमा रखा था कि उसे अरुण के लिए कोई परवाह भी नही , ना उसकी नजर अरुण के गतिविधियों पर थी ।

इधर अरुण की बेचैनी उसके लोवर मे साफ साफ झलकने लगी , राहुल को बिजी देख कर वो अपनी नुनी मिजता हुआ - भाई मै जरा आया

राहुल ह्स कर - बहिनचोद कितना मूतेगा यार तू घर भर देगा

अरुण हसा और मन मे बड़बड़ा- घर नही मामी का भोस्डा भरना है मादरचोद हिहिही

अरुण लपक कर निचे गया और उसके अनुमान के अनुरूप शालिनी बाथरूम मे नहा ही रही थी ।
मगर सम्स्या अब ये थी कि भीतर का नजारा देखा कैसे जाये , दरवाजा बन्द था

लकड़ी के दरवाजे पर शालिनी ने अपने कपडे टांग रखे थे और दरवाजा के उपर और दिवाल मे काफी गैप था ।

अरुण के चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कुराह्ट आई और वो लपक कर किचन से स्टूल ले आया और हौले से चढ कर दरवाजे के उपर से झाक कर भीतर का नजारा देखा तो उस्का लन्ड एकदम से तनमना गया ।

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भीतर उसकी मामी पूरी नंगी खडी होकर बालो मे शैम्पू कर रही थी ।

अरुण अपनी मामी की नंगी लटकी हुई चुचिया देख कर पागल हो गया और उसका लन्ड कसने लगा ।

वो लन्ड भींचते हुए भीतर का नजारा ले रहा था तभी जीने से राहुल की आवाज आई और वो जल्दी से स्टूल से उतरा और उसे किचन रख कर सरपट उपर भागा

वही बाहर पहले राहुल की आवाज और फिर हड़बड होने की आवाज से शालिनी ने हल्का सा दरवाजा खोल कर बाहर देखा तो सब कुछ शान्त था

अरुन उपर चला गया
राहुल - अबे साले मूत रहा था कि हिला रहा था , इतना टाइट हिहिहिही

अरुण हस कर - अरे यार मूतने गया तो गीता की याद आ गयी इस्स्स बहिनचोद सोच कर ही खड़ा हो गया ।

राहुल - अरे तो साले बात कर ले ना , नम्बर तो है ही उनका
अरुण - हा ला दे ट्राई करता हु थोड़ा हाल चाल तो बनता है ।

अरुन बबिता के मोबाईल पर फोन घुमात है और सामने से किसी अन्य काल पर व्यस्त होने का डायलर सुनाई देता है ।

अरुण - ले बहिनचोद ये तो कही बिजी है
राहुल हस कर - अरे होगी अपने बाबू सोना के पास बिजी हिहिही

अभी ये दोनो बात कर ही रहे थे कि उधर रिटर्न बबिता का कॉल आने लगा - अरे देख वापस कॉल आ रहा है

राहुल - तो उठा ना
अरुन - हैलो

बबिता - हाय कैसे हो
अरुण ने मोबाईल स्पीकर पर करके - मै ठिक हु तुम बताओ घर पहुच गयी ।

बबिता - हा वो कबकी आई और वो .. वो बुद्धू कहा है उम्म्ं

अरुण हस कर - यही है लो बात करो
राहुल हसता हुआ - और जानेमन कैसी हो
बबिता - हुह तुम तो बात ही मत करो , पता है तुम्हारि वजह से मेरा बॉयफ्रेड नाराज हो गया है

राहुल हस कर - अरे तो उसको भी थोडा अपने रसिले होठो का स्वाद देदो , गुस्सा नही होगा बस तरस रहा होगा मिलने के लिए

बबिता - हम्म होप सो ऐसा ही हो
अरुण - गीता कहा
बबिता - यार मै छत पर ही वो निचे होगी
अरुण - अच्छा रात मे बात कर सकते है क्या विडियो काल पर देखना है

बबिता - अच्छा ठिक है देखती हूँ , चलो बाय मुझे निचे जाना है
राहुल - बाय मेरी जान हिहिही

फोन कट जाता है और अरुण - साले तु नही सुधरेगा हाहाहा
राहुल - अबे रात मे विडियो कॉल का क्या सीन है ?
अरुण हस कर - अरे यार दोनो बहनो का मस्त लेस्बो रोमान्स देखेन्गे और हिलायेंगे हाहाहा

राहुल - वाव बेटे , गजब हाहाहा

राहुल - चल कही टहलने चलते है
अरुण - कहा

राहुल - अरे यही पास मे मंदिर और नदी है शाम के समय मस्त माल मिलती है उधर टहलती हुई , क्या करेगे वैसे भी घर पर

अरुण उसकी हा मे हा मिलाता है और दोनो निचे आते है राहुल अपनी को आवाज देता हुआ हाल की ओर बढ जाता है कि वो और अरुण अभी थोड़ी देर मे आयेंगे ।

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इधर राहुल के आवाज देने पर शालिनी घूमती है और नाइटी मे बिना ब्रा के उसकी मुलायम उठी हुई चुचिया देख कर अरुण की आंखे फैल जाती है ।

अरुण फौरन नजरे फेर लेता है मगर शालिनी समझ जाती है कि अभी अभी अरुण ने कहा देखा , उसे अपने दुपट्टे के लिए अफसोस होता है मगर अब फाय्दा नही था ,अरुण राहुल के साथ निकल गया था
इधर दोनो भाई टहलते हुए नदी की ओर बढ गये
चमनपुरा रिवर फ्रंट की स्ट्रीट लाईट मे चमचमाती सड़क और किनारे पर लगी रेडी की दुकाने सब जगमग

सड़को पर टहलती आंटियों के कुल्हे और जवान कुवारी लड़कियो के उभरे जोबनो की नोख देखता हुआ अरुन - वाह भाई मस्त जगह है यार ये तो हिहिहिही

राहुल - हा यार यहा आकर मूड फ्रेश हो जाता है , मगर अकेले मे वो मजा नही आता ना
अरुण - हा ये भी , यहा इस समय इतनी लड़कीया और औरते कैसे यार
राहुल - अरे भाई अभी नया नया बना है ये तो भीड रहेगी ना और तु जरा लन्ड की जगह आंखो से देख साले हिहिहिही मर्द और लौन्डे भी है जो इन्हे ताड रहे है ।

अरुण उसकी बात पर हसता है और आसपास निहारने लगता है , तभी उसकी नजर पास के कुल्फी स्टाल पर जाती है जहा एक लड़की जो फ्राक मे थी वो स्टाल पर अपनी एक छोटी बहन के साथ खडी होकर कुल्फ़ी चुस रही थी ।
नदी के किनारे की मदमस्त हवाए उसके फ्राक को घुटनो तक उठा रही थी , जिसे देख कर अरुण के आंखो की चमक बढ़ गयी ।

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अरुण - बहिनचोद कितनी कटीली माल है , टाँगे देख ना कितनी गोरी है इसकी
राहुल - अरे लाली
अरुण अचरज से - तु जानता है इसे

राहुल - हा बे ये तो अनुज की क्लासमेट है
अरुण - हैं ? सच मे ?
राहुल - हा बे , ये तो उसके पीछे लगी रहती है, मगर साला अनुज एक नम्बर का फटटू और चुतिया है

अरुण - क्या बक रहा है, इतनी टॉप क्लास माल अपने अनुज की दिवानी

राहुल - हा बे , अगर ये साली मुझे लाईन देती तो इसकी गाड़ फ़ाड चुका होता मै

अरुण - अरे यार , साले लँगूर को ही अंगूर मिलते है
राहुल खीझ कर - छोड़ ना बे

इधर इनकी बातें चल रही थी कि इतने मे लाली इनके पास आई - हाय राहुल

राहुल और अरुण चौके और राहुल खड़े होने को हुआ तो अरुण उसका हाथ खिंच कर बैठाने लगा , मगर वो खड़ा हुआ जबरजस्ती

लाली ने अजीब नजरो से अरुण को देखा और फिर मुस्कुरा कर - कैसे हो
राहुल मुस्कुराकर - मै ठिक हु तुम बताओ
लाली - मै भी , ये अनुज की दुकान काफी दिन से बन्द क्यू है

राहुल का मूड अनुज का नाम सुनते ही खराब हुआ मगर वो अपनी भावनाये छिपाता हुआ झूठी हसी के साथ - अरे वो उसकी दीदी की शादी थी ना , लेकिन आज तो उसने दुकान खोला है

लाली - क्या ? उसके दीदी की शादी थी और मुझे बताया नही !
लाली की प्रतिक्रिया पर राहुल ने उसे आंखे महिन कर देखा तो लाली सफाई देती हुई - मतलब क्लास मे किसी को नही बताया उसने , इट्स सो रूड ना

राहुल हस कर - अरे एक काम करो ना , आज वो दुकान पर ही होगा तुम ही आज की कलास लेलो ना उसकी हिहिही

लाली खुश होकर - अच्छा सच मे , अब तो ब्च्चु की खैर नही । थैंक्स राहुल बाय

राहुल मुह बनाता हुआ - बाय

राहुल उखड़े हुए मुह के साथ - देखा साली कैसे उछल रही थी ।
राहुल अरुण की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसकी ओर देखा तो वो लाली को जाते हुए देख रहा था ।

राहुल खीझ कर उसके सर पर टपली मारता हुआ - साले जाने दे , वो नही हाथ आयेगी

अरुन - भाई क्या मस्त माल है यार , पास से क्या मस्त महकती है
राहुल - तो क्या तु उसे बस सुँघ रहा था
अरुण - नही भाई देखा भी , ये जांघो तक ब्लूमर पहना था उसने और क्या दूध सी गोरी चिकनी जांघ है उसकी आह्ह्ह

राहुल चौक कर - तुने कब देखी
अरुण हस कर - जब तु उस्से बाते कर रहा था, ये उड़ती हवाए उसका फ्राक उठा रही थी हिहिहिही

राहुल हसता हुआ - साले हरामी हिहिही

अरुण- हे चल ना हम भी चलते है अनुज के पास
राहुल - अबे नही यार थोड़ा रुक कर चलते है, थोडा लैला मजनू को प्राइवेट समय का मजा लेने दे हिहिही

अरुण - ओहो उस चुतिये की इतनी फिकर
राहुल हस कर - चुतिया है ये इम्पोर्टेंट नही है , भाई है अपना ये इम्पोर्टेंट है हाहाहा

अरुण उसकी बात पर हसने लगा


इधर लाली तेज कदमो से अनुज के दुकान पर पहुच गयी ।
जहा अनुज एक ग्राहको को डील कर रहा और जैसे ही उसकी नजर बाहर खड़ी लाली पर गयी , उसकी सासे सुखने लगी ।
लाली अनुज के लिए बहुत आगे की लड़की थी, वो थोड़ी ज्यादा फ्रैंक और अमीर भी थी , लेकिन उसे अनुज की सादगी और भोलेपन से एक लगाव सा था । उसे अनुज का साथ पसंद था ।
दुकान मे घुसते ही लाली चहकी - हाय अनुज
अनुज एक अंकल को कुछ समान दे रहा था तो बस वो मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा और फिर ग्राहक को विदा कर ।

अनुज - तुम यहा
लाली हस कर - वो नदी पर अभी राहुल से मिली , उसने बताया कि तु यहा हो
अनुज मन ही मन राहुल को गाली दिया और जान रहा था कि साला मजा लेने आयेगा जरुर ।

लाली - ओ हीरो कहा खो गये , ये बताओ तुमने मुझे शादी मे क्यू नही बुलाया

अनुज - यार मै कैसे बुलाता , कार्ड तो पापा और भैया ने बाटा था ना

लाली - तो क्या तुम्हारे घर पर फ्रेंड्स बुलाना allow नही है क्या उम्म्ं
अनुज थोडा लज्जित होकर - नही ऐसी बात नही है , वो मै काम मे बिजी था तो रह गया सॉरी

लाली अनुज का उतरा हुआ मासूम चेहरा देख कर मुस्कुराई - अच्छा बाबा ठिक है , अब उदास ना हो लेकिन राज भैया की शादी मे तो बुलाओगे ना

तभी पीछे से आवाज आई - अरे मेरी शादी मे तो तुमको डांस भी करना पड़ेगा हिहिहिही

लाली खुश होकर पीछे देखती है तो वहा राज खड़ा होता है - अरे राज भैया हाय्य्य
राज मुस्कुरा कर - कैसी हो लाली
लाली - एकदम मस्त , देखो ना दीदी की शादी मे ये मुझे बुलाना ही भूल गया

राज अनुज को देख कर हसता हुआ - ये , अरे ये अब बूढ़ा हो गया है , यादाश्त चली गयि है इसकी हिहिहिही
लाली - है ना , मुझे भी यही लगता है हिहिही

राज - तुम बताओ कैसे आना हु
लाली - बस भैया नदी घूमने आई थी तो सोचा बाजार रास्ते घर जाऊ तो इसने मुझे देखा तो दुकान मे बुला लिया

अनुज लाली की शरारत पर हड़बडा कर राज की ओर देखा तो लाली खिलखिला कर हस दी ।
लाली - अच्छा भैया मै चलती हु ,बाय
लाली - बाय अनुज
अनुज उतरे हुए मुह से - बाय

राज मुस्कुरा कर उसको जाते हुए देखता है और फिर अनुज की ओर घूम कर उसको देखता है ।
अनुज राज की हसी पर सफाई देता हुआ - नही भैया कसम से मैने नही बुलाया

राज - अबे पता है मुझे तेरे मे जिगरा नही है हिहिही

अनुज - क्या भैया इतना भी फटटू नही हु मै
राज - चल चल रहने दे , वैसे क्या क्या काम हुआ और बाकी चल हैल्प कर दू तेरी मम्मी ने भेजा है

फिर अनुज और राज दुकान के काम मे लग जाते है और कुछ देर बाद दुकान का काम खतम कर वो दोनो घर के लिए निकल जाते है ।

वही चौराहे वाले घर रात का खाना तैयार हो चुका था , रंगी भी घर आ चुका था ।
हाल मे शिला और रागिनी बैठे हुए थे ।
किचन मे दो नयी सहेलियां लगी हुई थी रज्जो और निशा ।
निशा - धत्त मौसी तुम भी ना , देखो भीगा दिया आगे से

रज्जो एक नजर हाल मे देख कर सामने से निशा के जोबन सहला कर - ओहो देखो तो कितना भरा हुआ है, ना जाने कितनो नल के निचे नहाई होगी तु और मुझे सिखा रही है ।

निशा कबसे रज्जो के सवाल से पक चुकी थी और वो समझ गयी थी कि ये बिना कोई जवाब लिये मानेगी नही इसिलिये उसने रज्जो को लपेटना शुरु किया ।

रज्जो - अरे बता दे , मै कौन सा किसी से कहूँगी
निशा - सच मे ना , पक्का ना ?
रज्जो जिज्ञासु होकर -हा बता ना ?
निशा - आप उनको जानती हो बस इतना काफी है उम्म्ं
रज्जो - क्या तु भी साफ साफ नाम लेके बता ना
निशा हस कर - अरे मौसी उनका हथियार ना सीईई आधे हाथ का है और मोटा भी समझी

रज्जो की बेचैनी और भी बढ गयि कि ऐसा कौन है और मन मे ही वो गणित चलाने लगी , किसका इतना बड़ा खुन्टा होगा जिसमे ये गाय बध गयी ।

निशा - दिमाग पर बहुत जोर मत दो हिहिही चलो खाना देते है सबको
इधर राज और अनुज भी आ गये , जल्द ही सबने खाना खाया और हुआ फिर तय हुआ कि कौन कहा सोयेगा ।

रागिनी ने आज फिर रंगी को तड़पाने की सोची और उसने साफ साफ कह दिया कि उसके कमरे मे आज रज्जो और शिला सोयेंगी ।
निशा और अनुज अपने अपने कमरे मे हो गये ।
रन्गी राज एक साथ सोने के लिए चले गये ।
इधर सब लोग कमरे मे जा रहे थे तो बेचैन रज्जो ने मौका देख कर जीने के पास निशा को पकड़ लिया - अरे बता ना , नाम बताने मे क्या जा रहा है तेरा ।

निशा हस कर - नही नही मुझे आपपर भरोसा नही है , कही आप उनको पटा लिये तो हिहिहिही

इधर कमरे से रागिनी आवाज दे रही थी और रज्जो की हड़बड़ी मे - क्या तु भी , बता ना
निशा हस कर - प्कका बता दू ,
रज्जो - हा , हा !
निशा मुस्कुरा कर - सोच लो आपकी नीद गायब हो जायेगी हिहिहिही

रज्जो खीझ कर - अरे बता ना तु
निशा अपने करीब आने का इशारा किया और रज्जो उस्के करीब आई , उसने बड़ी चतुराई से रज्जो के हाथ से अपने को छुड़ाया और धीरे से उसके कान मे बोली - मौसा जी हिहिहिही

फिर निशा हस्ती खिलखिलाती उपर भाग गयी और रज्जो की आंखे फैल गयी कि कमलनाथ कैसे निशा को ?
वो सवालों के घेरे मे थी कि उधर रागिनी कमरे के दरवाजे से झाक कर - क्या जीजी आओ ना ?

रज्जो ने सामने देखा तो रागिनी की नंगी जान्घे देखी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गयी , वो समझ गयी कि आज रात क्या प्रोग्राम होने वाला है ।


अमन के घर

रात के 9 बजने को हो रहे थे और डायनिंग टेबल पर घर के सभी लोग साथ बैठे हुए थे , अमन भी बैठा हुआ था ।
ऐसे मे ममता दुलारी को इशारा करती है कि वो सोनल का खाना लेकर उपर चली जाये और अमन को भी जाने को कहती है ।

अमन दुलारि की मदद के लिए किचन मे आता है और पीछे से उसकी गाड़ साडी के उपर से मसल कर - और भाभी आगे का क्या प्लान है ।

दुलारी खाने की प्लेट तैयार कर उसकी ओर घूम कर - अभी तो आज ये केसर खीर खाओ और मेरी देवरानी की बजाओ और मै मेरी छिनार ननदीया की बुर की गहराई टटोलती हुई ले पायेगी भी या नही

अमन हस देता है - वैसे क्या वो सच मे तैयार होगी भाभी
दुलारी थोड़ा चुप रहने का इशारा कर अमन को लेके जीने की ओर बढ़ जाती है - अरे देवर जी , देखा नही कैसे फचर फचर उन्ग्लिया पेल कर अपनी पैजामी भीगा दिया , तुम बस उसे लालच दो बाकी पक्ड कर मै डलवा दूँगी हिहिही

अमन पीछे से दुलारी के मटकते कुल्हे सहला कर - अच्छा तो ये वाला घर कब खोलोगी , ये तो बताओ

दुलारी हसी और बोली - पहले देवरानी जी बोलो कि वो दरवाजा खोले

अमन कमरे का दरवाजा खटखटाता है और फिर दुलारी- प्लीज ना भाभी बताओ ना , बहुत मन है

दुलारी बस इतराती मुस्कुराती है इतने मे सोनल जो कि मोबाइल पर किसी से बात कर रही होती है वो दरवाजा खोलती है

सोनल - हा रख बाद मे काल करती हु तुझे , बाय बाय
सोनल - अरे भाभी आप , आईये ना

अमन भी दुलारी के पीछे पीछे आता है
दुलारी- किस्से बातें हो रही थी देवरानी जी , मायके की कोई सहेली तो नही था ना लाईन पर

सोनल हस कर - जी वो निशा से बात हो रही है
दुलारि - अरे तो रख क्यू दिया , देवर जी को दे देती हमारे देवर जी भी ले लेते उनसे

सोनल आंखे उठा कर सवालिया नजरो से दुलारि को देखती है तो दुलारि हस कर - अरे भई हालचाल हिहिहिहिही

कमरे का माहौल थोडा खुसनुमा था और फिर दुलारी थोडे देर बाद सरक ली ।
इधर अमन ने अपना ड्रामा शुरु कर दिया । दुलारि के जाते ही कमरे मे एकदम से चुप्पी सी आ गयि , अमन चुपचाप अपने पैंट उतार कर शार्ट मे आ गया और हाथ मे मोबाईल लेके बैठ गया ।

सोनल खाने की प्लेट लेके उसके पास गयी - जाईये हाथ धूल लिजिए खाना खाते है ।

अमन चुप चाप उठा और बाथरूम से हाथ धूल कर आया और अपने हिस्से का खाना खाने लगा
सोनल मुस्कुराई और अमन का बचपना निहारने लगी ।

मुस्कुराते हुए वो भी खाने का निवाला मुह मे लेकर बोली - पता है आज मम्मी जी से बात हो रही थी घूमने जाने की ।
अमन ने नजरे उठा कर देखा फिर खाने मे लगा रहा ।
सोनल मुस्कुरा कर खीर की कटोरी मे चम्मच चलाते हुए एक चम्मच अमन के मुह के आगे की और वो मुह बनाते हुए मुह खोला ।
सोनल - मम्मी कह रही थी कि अगर अकेले नही जा सकती तो मै निशा को भी साथ ले जाऊ ।

अमन चौका मगर उसने जल्द ही अपनी भावनाओ को दबाया ।
सोनल मुस्कुराते हुए उसे खीर को चम्मच चटवाती हुई - लेकिन अभी कुछ कन्फ़र्म नही है मम्मी की आज पापा जी से बात करेंगी ।

ये बोल कर सोनल उठी और खाने की प्लेट दूर टेबल पर रख कर वाशरूम मे हाथ धूलने चली गयी , अमन भी पहुच गया ।
सोनल - आप क्या कहते हो , सही रहेगा क्या निशा को साथ मे ले जाना उम्म्ं
अमन कुल्ला कर मुह पोछता हुआ बाथरूम से निकलता हुआ - मुझसे मत कहो , अपनी मम्मी जी से पूछो हुह

सोनल समझ रही थी कि अमन को दुपहर मे मना किया इसीलिए वो भुनका हुआ है ।
वो भी थोड़े देर चुप रही और अमन एक किनारे बेड पर पैर फैला कर बैठा हुआ मोबाईल चला रहा था ।

सोनल अपने सृंगार उतार कर जिस्म हल्का कर रही थी और उसे अच्छे से पता था कि अमन उसे चोर नजरो से निहार रहा है ।
गहने उतारने तक ठिक था मगर उसने अपनी साडी उतारनी शुरु कर दी , अमन चौका ।

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उसके गुदाज मुलायम चर्बीदार सपाट नंगी कमर और पेट पर चढ़ी हुई हल्की सी चर्बी , उसपे से सीने पर उठे हुए मौसमी के पहाड़ देख कर अमन का जिस्म सरसरा गया ।
तभी सोनल इठलाती हुई ब्लाउज पेतिकोट मे उसकी ओर बढी और बिस्तर के करीब आते ही एकदम से घूम कर बैठ गयी ।
रसभर जोबनो के हिचकोलो की झलक पल भर मे ही गायब हो गयी और पेतिकोट मे फैले हुए उसके नितंब की कसावट देख कर अमन का लन्ड फड़फडा उठा ।
बालोँ को आगे झटक कर उसने गरदन हल्की सी अमन की ओर करते हुए उसने कहा - जरा डोरी खोल देंगे ।
अमन के जिस्म मे सरसराहट सी उठने लगी और वो थुक गटक घुटने के बल बिस्तर के दुसरे कोने के सोनल के करीब आया ।
उसके जिस्म से आती मादक गन्ध से अमन को खुमारी चढ रही थी मगर उसकी नाराजगी एक दम चैड बॉय वाली थी , जो उसे सोनल को बाहों मे भरने से रोक रही थी ।
दिल मे उमडते जज्बातॉ को दफन कर उसने सोनल के बलाऊज की डोरी को पकडा और उसकी उंगलिया सोनल की मखमली पीठ को स्पर्श कर गयि जिस्से सोनल का जिस्म भी सिहर उठा ।
अमन ने डोरी खिंची और ब्लाउज कन्धो से ढीली हो गयी , कंधो के करीब चमडी और भी ज्यादा गोरी और मुलायम लग रही थी ।

बिसतर पर हरकत देख कर सोनल समझ गयी कि अमन वापस जा रहा है तो वो मुस्कुरा कर - वो हुक भी खोल दीजिये ना

अमन एक गहरी सास ली और भीतर की झल्लाहट को पी कर वापस से सोनल के ब्लाउज के सिरे पक्ड कर हुक चटकाने गया , वापस से उसकी उंगलिया सोनल के पीठ से स्पर्श हुई और इस बार सोनल सिसकी - उम्म्ंम आपने हाथ नही पोछे क्या , कितनी ठंडी है उंगली आपकी ।
अमन ने सोनल के पीछे मुह बना कर बिना कोई जवाब दिये सारे हुक चटकाये और वैसे ही खड़ा उसकी सेक्सी पीठ को निहारता रहा
ब्रा स्ट्रैप और बेल्ट सोनल की हल्के चर्बीदार पीठ पर कसी हुई थी जिस्से आसपास चर्बी उभर आई थी जो अमन को ऐसे ललचा रही थी मानो चूम ही ले उसे , उसपे से पेतिकोट मे फैले हुए कुल्हे अब और भी चौडे नजर आ रहे थे पीठ नंगी हो जाने से ।

ठिक पीछे खड़े होने के कारण उसे आगे की ओर सोनल के घाटियो की गुलाबी झलक भी स्पष्ट दिख रही थी और उसका लन्ड फड़क रहा था ।

सोनल ने बाहों ने अपना ब्लाउज उतारते हुए खड़ी हुई और आगे
बढ़ के उसने अपने पेतिकोट की डोरी खिंचते हुए निचे सरका दी , अब उसका जिस्म सिर्फ ब्रा पैंटी मे था
नये मॉडल वाली स्पेशल ब्रा पैंटी सेट जो अमन ने ही उसे गिफ्ट की थी ।
अपनी दी हुई मनपसंद पैंटी मे कसे हुए सोनल के चुतड देख कर अमन का मुसल बौखला गया ।
चटक मरून कलर की पैंटी मे सोनल की गोरी गोल मटोल बड़ी सी गाड़ और भी खिल रही थी । जिसे देख कर अमन ने अपना लन्ड भिन्चा ।

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सोनल ने चार कदम चलकर बडी मादकता से अपने चुतड थिरकाये और आईने के आये खडी होकर अपने बालों का जुड़ा करने लगी ।

अमन वही उसी जगह पर वैसे ही घुटने के बल बैठा हुआ सोनल को निहार रहा था , भितर का अहम आज उसके लिए नूकसान दायक था , अपनी कमसिन कामुक बीवी के रसभरे यौवन से दूरी ।

अफसोस तो तब और बढ़ गया जब सोनल ने वही आईने के पास से कमरे की लाईट बुझा दी और घुप्प अंधेरा सा हो गया ।

अमन मन मसोस कर घूम कर अपनी जगह पर करवट लेटकर चादर ओढ़ लिया और तभी कमरे मे गुलाबी शमा सी छा गयी और नाइट बल्ब जल उठा , मगर अमन ने उसे इग्नओर किया ।
उसके भीतर की नाराजगी और ईगो से उसका जिस्म अब जलने लगा था ।

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सोनल मुस्कुराती हुई बिस्तर पर आई और अमन के पीछे चादर मे घुसती हुई हौले से अपने कन्धे से ब्रा को सरकाती हुई अपने एक मुलायम रसभरे चुचे को आजाद कर अमन को पीछे से हग करते हुए - उम्म्ंम अभी भी गुस्सा है क्या मेरा बेबी ।

सोनल की बच्चो सी मीठी बाते और उसके नरम ठंडे चुचे का स्पर्श पाकर अमन का जिस्म गिनगिना उठा ।

सोनल ने आगे हाथ बढ़ा कर अमन के टीशर्ट के भीतर हाथ घुमाती हुई उसके कान को चूमती हुई - सॉरी ना बेबी , अब बाबू कभी ऐसा नही करेगा ,

अमन तो बस मानो एक सॉरी का ढेला लगने के भरोसे ही बैठा था और उसके ईगो का आईना चूर चूर हो गया, एकदम से उसके जिस्म सरसरी सी दौड़ गयि और उसने अपने सीने पर उसके निप्स को कुरेदते सोनल के हाथ को जकड लिया - उह्ह्ह बेबी आई लव यू

सोनल उसको कसकर पकड़ती हुई उसके गाल चूम कर उसके अपनी ओर घुमाती हुई - आई लव यू सो मच मेरा सोना
फिर दोनो लेटे लेटे ही एक दूसरे के होठ चुसने लगे
सोनल के हाथ अमन के चेहरे को पकड़े हुए मगर अमन के हाथ तो वहा रेंग रहे थे जो देख कर वो कबसे लल्चा रहा था

सोनल के होठ चुसते हुए वो उसकी चर्बीदार गाड़ को हाथ मे भर कर मसल रहा था और उसका मोटा खूटा अब सोनल की जांघो पर रगड़ रहा था ।
वही सोनल के नरम चुची उसके सीने क्प सहला रही थी

अमन के हाथ सरकते हुए अब उपर आ गये थे और वो सोनल को निचे लिटा कर उसकी रस भरे जोबन को हाथ मे भर कर मसलता हुआ उसके निप्प्ल को मुह मे ले लेता है

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सोनल - अह्ह्ह मम्मीईई उह्ह्ह बेबी उम्म्ंम उह्ह्ह सक इट मेरी जान उम्म्ंम्ं उह्ह्ह

सोनल निचे से अपनी गाड़ उठा कर अमन के जांघो पर अपनी बुर रगड़ रही थी और तेज मादक सिसकियाँ ले रही थी , अमन उसके चुचे पक्ड कर उन्हे मसल मसल कर चुस रहा था ।

सोनल उसके सर को दबाए हुए अपने छाती से रगड़ रही थी , उसकी बुर बुरी तरह बजबजा उठी थी - अह्ह्ह माय लव उह्ह्ह उम्म्ंम खा जाओ इसे ऊहह उम्म्ं पागल कर दिया है तुमने मेरी जां ऊहह मेरे राजाह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह

अमन को भी उसके जांघो पर सोनल की गीली पैंटी की रगड़ महसुस हो रही थी , पैर हटा कर उसने अपना हाथ उसकी पैंटी मे घुसाते हुए उसके बुर के चिपछिपे फाको से खेलने लगा

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सोनल पूरी तरह अकड़ गयी - अह्ह्ह बेबी उह्ह्ह क्या छुउऊ दियाअह्ह उम्म्ंम उफ्फ्फ बाबू ओह्ह्ह
अमन उसकी पैंटी मे हाथ डाले बुर को बहुत हल्के हाथ से सहला रहा था जिसका असर सोनल पर बहुत ज्यादा हो रहा था वो झड़ रही थी और अमन की हथेली भरने लगी थी

अमन ने हाथ निकाल कर अपनी उंगलियाँ चाटते हुए सोनल के होठ चुसने लगा
सोनल उपर उठती हुई उसके टीशर्ट निकाल दिये और अमन को घुमाते हुए एक बार फिर से अपने होठ उसके होठ से जोड दिये

अमन सोनल के लिप्स चुस्ता हुआ बेड के हेडबोर्ड का टेक लेके पैर फैला कर लेट गया

उस्का मुसल शार्ट मे तम्बू बनाये हुए था , सोनल ने हाथ आगे कर सीधा अमन का मोटा मुसल पक्ड लिया और उसके लिप्स चुसती हुई बोली - उम्म्ं मेरा बाबू सुबह से परेशान है
सोनल के पंजे अपने आड़ो पर कसत पाकर अमन की सासे उखड़ने लगी और वो टुटे हुए लहजे मे - ह ह हा बाबुउऊ बहुत ज्यादाआ उम्म

सोनल अंडरवियर के उपर से उसके लन्ड के तने पर हथेली घुमाती हुई मुस्कुराई - बाबू को पुच्ची चाहिये इसपे उम्म्ं
अमन ने हा मे सर हिलाया और सोनल उसके शार्ट की लास्टीक मे उन्ग्लिया फसा कर उसको निचे खिंचती हुई खुद भी निचे झुक गयी

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अमन की आंखो मे आंखे डालते हुए उसने अपनी जीभ निकाल कर सुपाड़े की टिप को खिंचा और मुह खोलते हुए उसको होठो से चुबलाया ।
अमन का रोम रोम खड़ा हो गया और उसकी कमर उचकी

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सोनल ने लन्ड मे हलचल देख कर लपक कर उसको तने से पकडा और सुपाड़े की टिप पर जीभ फिराते हुए उसको मुह मे भर लिया

पूरे रस को अपने मुह मे घोलती हुई सोनल आंखे बन्द कर अमन के लन्ड को चुबलाने लगी और अमन का हाथ खुद ब खुब उसके सर पर चला गया

जिस मदहोशि ने सोनल उसका मुसल चुस रही थी उसकी गाड़ हवा मे उठी हुई अमन के आगे लहरा रही थी ।

अमन उस्का सर पक्ड कर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराता हु उसके नरम गुदाज चुतड सहलाता है और इधर सोनल उसके लन्ड को पक्ड कर गले तक ले जाती है ।

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जिससे अमन के जिस्म की नसे फड़कने लगती है वो जोश मे सोनल का सर अपने मुसल पर दबाने लगता है और सोनल भी उसको मुह मे भरने लगती है
अमन के जिस्म की गर्मी अब उसके काबू मे नही थी , वो सोनल की मुलायम गाड़ को हाथो मे मसल नोच रहा था और लन्ड उसका पुरा फौलादी हुआ जा रहा था ।
सोनल भी इस चीज को मह्सुस कर चुकी थी और वो उठ कर खड़ी हुई और उसके सामने ही उसने अपनी पैंटी सरका कर निकाल दी

अमन अपना मुसल भींचते हुए उसकी जान्घे और पेट छू रहा था और सोनल अपनी जीभ से थुक लेके उसको अपने बुर पर ल्गा कर उस्के फाके सहलाती हुई बोली - चाहिये क्या बेबी उम्म्ंम

अमन भूखे भेड़िये के जैसे लपक कर सोनल की गाड़ को पंजे से दबोचता हुआ अपनी को खिंच लिया और अपना मुह सीधा उसकी चुत पर लगा दिया

सोनल - ऊहह मेरे राजाह्ह उह्ह्ह उम्मममं अह्ह्ह चुस लो मेररी जान ओह्ह्ह्ह सीईई अह्ह्ह अराअम्ं से उह्ह्ह

अमन पागलो के तरह उसे बुर के फाको चुस रहा था और सोनल के उस्के सर को पकडे हुए थी - ऊहह मेरी जान उम्म्ं सक इट बेबी उह्ह्ह फक्क्क उम्मममं अह्ह्ह्ह येस्स्स बेबी उह्ह्ह्ह फाअक्क्क्क उम्म्ंम्ं

अमन उसकी जांघो से दुर हुए और सोनल सरक पर उसके पेट पर आ गयी और उसके चेहरे को पक्ड कर उसके लिप्स को चुसती हुई - उह्ह्ह मेरा बाबू क्या चाहिये

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अमन उसकी गाड़ पर अपना लन्ड मारता हुआ - ये दो ना अह्ह्ह बेबी प्लिजज

सोनल पीछे होते हुए अपनी गाड़ को उसके लन्ड पर घिसट पर चुत के निचे ले आई और अपनी कमर हिलाती हुई उसकी आंखो मे देखकर - क्या चाहिये बाबू को

अमन - आह्ह गाड़ देदो ना बाबू उम्म्ंम
सोनल - और चुत उम्म्ंम देखो कितना रस छोड रही है मेरी बुर अह्ह्ह उह्ह्ह इसको नही लोगे

अमन का चेहरा काप रहा था वो सोनल के हाथ पर अपना चेहरा रगड़ता तडप कर - हा बेबी चाहिये वो भी चाहिये

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सोनल अपनी चुत के फाको को उस्के सुपाड़े पर जमा कर - और क्या चाहिये बेबी को
अमन आन्खे बन्द कर अपनी कमर को उचकाता हुआ लन्ड को उसकी बुर मे ठोकर देता

सोनल मुस्कुरा कर उसका लन्ड पक्ड चुत पर लगाते हुए वापस से बैठ जाती है - अह्ह्ह बाबू उह्ह्ह कितना मोटा है उह्ह्ह बेबी उम्म्ंम फ्क्क्क्क सीई
अमन को जैसे ही चुत की नरमी मह्सूस हुई उसका लन्ड और कसने लगा
सोनल पूरे लन्ड को अपनी बुर मे भर बैठ गयी और कमर हिलाने लगी - अह्ह्ह बाबुउऊ ओफ्फ्फ फ्क्क्क करो मुझे उह्ह्ह अह्ह्ह सीई कितना कड़ा है इह्ह्ह उउम्ंं कितना अच्छा लग रहा है उह्ह्ह बाबू उम्म्ं

अमन भी अब जोश मे आ गया और उसने झटके से सोनल को अपनी ओर किया और घुटने फ़ोल्ड का अपनी गाड़ उठा उठा कर पेलने लगा - अह्ह्ह जान कितनी मुलायम बुर है अह्ह्ह मजा आ जाता है इसमे घुसा कर उह्ह्ह

सोनल उस्के तेज करारे झटके खाती हुई अमन के उपर झुकी हुई थी - आह्ह बेबी मुझे रोज चाहिये येह्ह ऊहह इसीलिए तो कही जाना नही चाहती मै ऐसी पेलाई कहा होगी उह्ह्ह

अमन - वहा भी कर लेंगे मेरी जान, हनीमून पर चुदाई ही होती है , खुल कर जैसे चाहो पहनो जैसे चाहो पेलो जितना चाहो चिखो अह्ह्ह

सोनल - ओह्ह माय बेबी सच मे उह्ह्झ फ्क्क्ल्ल मै खुब सेक्सी सेक्सी पहनुन्गी उम्म्ंम तुमको अपनी गाड़ दिखा दिखा कर ललचाउन्गी उम्म्ंं बोलो पहनने दोगे ना सेक्सी बिकनी मुझे

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अमन उसको तेज झटके से उसकी बुर मे पेलता हुआ - हा मेरी जान क्यू नही, लेकिन्ं अह्ह्ह

सोनल - लेकिन क्या मेरे राअजाह्ह्ह उह्ह्ह माअह्ह उम्म्ं
अमन - वो निशा जायेगी तो कैसे मै तुम्हे प्यार करूंगा
सोनल - तो क्या हुआ , चलने दो हरामजादी हो उसके सामने तुम्हारा मोटा लन्ड चुसुंगी, उसको खुब तड़पाऊंगी , मेरे राजा को परेशान किया था कमिनी ने उह्ह्ह बेबी अह्ह्ह फक्क्क फक्क येस्स्स हार्ड बेबीई अह्ह्ह

अमन निशा के सामने सोनल को लन्ड चुसवाने की बात पर और भी पागल हो गया , वो कस कस हुमच हुमच कर पेलने लगा - सिर्फ चुसवाउन्गा ही नही तुम्हारी बुर भी चाटुंगा उसके सामने आह्ह और वो हमे देख कर बस चुत सहलायेगी साली क्यू बेबी

सोनल अपनी बुर को उसके लन्ड पर कसती हुई तेजी से झड़ रही थी - अह्ह्ह बेबी क्यू नही , आप मुझे उसके सामने ही फक्क करना है अह्ह्ह मजा आयेगा उह्ह्ह ऊहह बेबी आ रहा है मेरा ऊहह

सोनल ने चुत की ग्रिप से अमन के लन्ड की नसे फटने को आ गयी थी और निशा के सामने सोनल को चोदने का सोच कर वो पागल ही हो गया और कसकस तेज झटके लगाता हुआ - आह्ह बेबी मै भि आ रहा हु ओह्ह्ह बेबी फ्क्क्क उह्ह्ह येस्स्स येस्स अह्ह्ह मेरी जान ओह्ह मेरी सेक्सी बेबी उह्ह्ह ऊहह

सोनल झटके से उठी और उसका लन्ड पक्ड कर हिलाने लगी और तेज धारदर पिचकारी उपर की ओर छूती , कुछ उसके हाथो पर तो बाकी अमन के जिस्म पर

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मुह बढा कर उसने लन्ड को गपुच लिया और सारा रस चाट गयी

अमन और सोनल दोनो के चेहरे खिले हुए थे और सोनल उसके उपर चढ कर उसके लिप्स काटती हुई मुस्कुरा कर - उम्म्ं देखो तो कैसे खुश हो रहे है साली के सामने मुझे प्यार करने के नाम पर उम्म

अमन मुस्कुरा कर शर्माने लगा तो सोनल उसके गाल चूमती हुई उससे चिपक जाती है ।

जारी रहेगी
Behatareen update mitra,
Biwi miya ko manaaye,
Amma bahnoi ko tarsaye,
Baap ki sapno mein Mandakini nahaye,
Ragini phir se Rangi ko tarsaye.
Nisha ko Rajjo sapne suhane ladakpan ke dikhaye...
Lekhan humein hakeekat mein sapne dikhaye
 
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