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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए
शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट

Ggco-M1o-Ww-AAevx-P

आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे


एक महत्वपूर्ण सूचना

इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।

फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।



मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद 🙏
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Lagtavh aaj kal dreamboy40 bhai ji bht jada hi busy chal rahe h

Isi liye dosto bar bar update ki farmaise mat kare ye bat maine bhi notise ki h isi liye agr posible hua to weekly ek update aa sakta h agr bhai free hua to jada bhi aa sakte h
Sahi pakde hai
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Bhai update kab ayega aur anuj aur ragini ka Kuch TOH do jaise kapre badal te huye dekhena anuj k neend mein ragini ka uska lund dekhena ya raj ka Apne maa papa ko anuj ki bhi baat bata na aisa Kuch TOH do bhai
Hmmmm
 
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Reactions: Raj Kumar Kannada

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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UPDATE 209


"भैया बताओ ना , क्या करुँ दो दिन बाद अगर बुआ चली गयी तो "

राज उसके सर पर टपली मारता हुआ - अबे दो दिन बाद से स्कूल भी जाना है उसके बारे मे सोच । इस बार दसवीं भी है तेरी उम्म्ं

राज आंखे चढाता हुआ - हफ्ते दस दिन से ना पढ़ाई ना कोचिंग ,

अनुज का मुह उतर सा गया तो राज उसका कन्धा थपथपा कर - अबे मुह मत उतार और इधर मौका नही मिला तो दसवी के बाद चले जाना बुआ के यहा घूम आना

अनुज चहक कर - अरे हा ये भी सही है
राज - हा तो अब से पढ़ाई मे ध्यान दे समझा
अनुज - जी भैया

इधर राज और अनुज की बातें चल रही थी कि इतने मे शिला वापस आ जाती है ।

शिला - हो गया बेटा खा लिया तु खाना
राज - जी बुआ
शिला - अनुज बेटा टिफ़िन ले ले , चल चलते है ।
अनुज खुश हुआ बुआ के साथ जाने का सोच कर मगर बीच मे राज ने उसके हाथ से टिफ़िन लेता हुआ - तु बैठ यही , मै चलता हू बुआ मा ने बुलाया है कुछ समान मगवाने है परसो के लिए ।

शिला - हा हा भाई उसकी तो लिस्ट भी बन गयी , चल चलते है ।

इधर अनुज मुह बना कर खीझ कर रहा गया और दुकान पर लग गया ।
राज शिला के साथ चौराहे वाले घर के लिए निकल जाता है ।
घर पहुचने पर एकदम से शान्ती होती है , राज कमरे चेक करता है तो उसकी मा रागिनी सो रही थी कमरे मे ।

राज उसको जगाने को होता है तो शिला उसको टोंकती हुई - अरे आराम करने दे ना बेचारी को , थक गयी होगी रात मे हिहिहिही

राज मुस्कुरा कर शिला की गाड़ कपडे के उपर से दबोचता हुआ - तो चलो ना आपको भी थका कर सुला दू

शिला खिलखिलाती हुई - ना बाबा ना , अभी अभी भैया ने दो बार उफ्फ्फ मै तो थकी हु पहले से ही

राज उसको हग करता हुआ गेस्ट रूम मे ले जाने लगा- तो चलो थकान दूर कर दू आपकी

शिला और राज गेस्ट मे आ गये ।
शिला - सच मे बेटा पूरा जिस्म का रोम रोम टुट रहा है, आह्ह मान जा ना

राज हसता हुआ - अरे आओ ना लेटो इधर हिहिही

शिला उसके बगल मे लेटती हुई - क्या बात है बोल ना
राज - अब बताओ आगे का
शिला - क्या बताऊ

राज - अरे वही जो कहानी कल छोड़ दी थी आप हिहिही कम्मो बुआ और दोनो फूफा वाली

शिला खिलखिलाती हुई - हिहिही अच्छा वो
राज उसको करीब कसता हुआ - हा बुआ आगे सुनाओ ना , छोटे फूफा ने क्म्मो बुआ से कैसे फस गये ।

शिला हसती हुई - मैने बताया था कि मेरी ननद के यहा से मेरे सास ससुर वापस आ गये थे ।

उस दिन के हम चारों पर तेरे बडे फूफा ने स्पस्ट तौर पर नियम लगा दिये थे ताकि घर मे अम्मा बाऊजी के सामने हमारे राज भूल से भी जाहिर ना हो ।
उसके बाद हम सब दिन मे बड़ी मर्यादा से रहने लगे , मगर मजा तो नियमोन को ताख पर रखने मे और चोरी छिपे मनमानीयां करने मे है ।

दिन मे तेरे फूफा जब भी मौका मिलता मुझे मसल देते , नहाने के बाद अकसर मै जब तैयार होती थी तो वो उस समय कमरे रुके होते थे , मेरी पेतिकोट चढा कर मेरी बुर पर अपना मुह रगड़ने के बाद चाय की चुस्की होती थी ऊनकी वही साझ ढलते हीर देवर जी मुझ पर टुट पडते ।
मगर दिन मे देवर जी और कम्मो को आपस मे बड़ी झिझक रहती थी ।
दोपहर मे जब कम्मो देवर जी के लिए अकसर खाना लेके कमरे मे जाती थी तो वो बिना के नजर उसे देखे खाना खाकर एक ओर करवट लेके लेट जाते ।
वही दूसरी ओर जब मै खाना लेकर तेरे फूफा के पास जाती थी , तो आते ही वो मुझे दबोच लेते थे और पहले मुझे भोग लगा कर ही खाने पर नजर जाती उनकी ।
धीरे धीरे बातें खुलनी शुरु हुई और पहले देवर को अह्सास हुआ कि तेरे फूफा अकसर मुझे दोपहर मे चोदते है मगर
एक दिन दुपहर मे कम्मो ने मुझे और तेरे फूफा को मस्ती करते देख लिया ।

उस दिन दुपहर को खाना खिलाने के बाद जब हम दोनो बहने बरतन खाली करने आई तो कम्मो का चेहरा उतरा हुआ था ।

मै - क्या बात है कम्मो
कम्मो - जीजी , मुझमे कोई कमी है क्या ?
मै उसकी भावुकता पर उसको सहारा देते हुए आंगन मे बिठाया - क्या बात है कम्मो तु ऐसा क्यूँ बोल रही है । देवर जी ने कुछ कहा क्या ?

कम्मो सिस्कती हुई - कुछ कहते ही तो नही है वो , अरे भले हमारा देह का रिश्ता नही है , मगर बात चीत भी नही करेंगे अब ।
कम्मो - ना जाने क्या नाराजगी है उनको हमसे , एक शब्द तक नही कहते है और मुझे लगता है किसी गाय के साथ रहती हु जिसे मेरी बोली समझ नही आती ।

मै हस्ती हुई - अरे गाय नही साढ़ बोल, पक्के साढ़ है देवर जी हिहिही
कम्मो रुआन्सी मगर हसती हुई - दीदी प्लीज मजाक नही , मुझे घुटन सी होती है कमरे मे ।

मै - अच्छा ठिक है मै आज रात बात करती हूँ उनसे
कम्मो खीझती हुई - आपका सही है दीदी रात और दिन दोनो सही कट रहे है आपके

मै मुस्कुरा कर - मै तो उलझ ही गयी हु कम्मो , तेरे जीजा मेरे पति है और मेरे देवर का मै प्यार हूँ । किसी को कैसे रोक सकती हूँ ।

उस रात खाने के बाद देवर जी कमरे मे आये और मैने मेरे नखरे शुरु किये , ना बात की और काफी देर तक जानबूझ कत कमरे मे इधर उधर फाल्तू के कामो मे उलझी हुई थी ।

वो समझ गये कि मै नाराज हु और वो मुझे पीछे से हग करते हुए बोली - क्या हुआ जान क्यू नाराज हो
मै भी तुनकी और उनकी पक्ड से खुद को छुड़ा कर बिस्तर पर चढ कर - हुह मुझे आपसे बात नही करनी कुछ भी

वो थोडे असहज हुए मगर उन्का स्पर्श पाकर मै बहुत देर तक खुद को रूठा रख ना पाई - आप तो बोलो ही मत, आपके पास तो जुबां होगी नही ना हुह
वो - अरे क्या हुआ बोलो ना
मै - माना कि आपको क्म्मो से लगाव नही है इसका मतलब आप उससे बातें नही करेंगे , पता है कितना रो रही थी वो ।

फिर उन्हे अपनी गलती का अह्सास हुआ ।
वो - माफ करना जानू , मेरा झिझक समझो मैने उससे शादी और रातें मै तुम्हारे साथ होता हु तो कैसे मै दिन मे नजरे मिला लूँ

मै - आसान तो हम सब के लिए भी नही है, मगर हमने एक दूसरे के लिए ही ये जीवन चुना है ना
वो देर तक इस बारें मे विचार किये और
फिर रात मे हमारे चुदाई के बाद मैने अपना पत्ता खोलना शुरु किया ।
मै - देखिये अब ना नुकुर मत करिये , आपने उससे शादी की है और उसे मनाना है तो उसके लिए इतना तो करना ही पड़ेगा ।

वो - अच्छा ठिक है बाबा मै लेके आऊंगा
अगले दिन वो बाजार से मेरे कहे अनुसार दो जोड़ी साड़ी लेके आये और उसके साथ हमारे नाप की ब्रा और कच्छीयां भी लेके आये ।
मगर वो रहे बुध्दु और एक नम्बर के फ्ट्टू ।
शाम को साड़ी तो ठिक दी मगर ब्रा पैंटी के सेट मे गच्चा खा गये । हड़बड़ी मे अंडरगारमेन्ट बदल गया और मेरी कच्छी कम्मो के बैग मे चली गयी ।
वही शाम को जब कम्मो को समान की थैली मिली तो वो खुश थी , उसने थैली ने एक पत्ते मे रखा हुआ मोगरे का गजरा देखा तो एकदम से खिल गयी ।
कम्मो के चेहरे की खुशी देख कर वो मुस्कुरा रहे थे और कम्मो वो गजरा लेके उनके पास बैठ गयी और उनके हाथ मे देते हुए - लगा दीजिये ना

देवर की सासे उफनाने लगी जिस तरह से कम्मो ने अपनी कजरारी आंखे उठा कर उनसे
मिन्न्ते की तो सकपका गये - नही नही मै ये कैसे ?

कम्मो ने भी बात बनाई और उन्हे इमोशनली उल्झाती हुई - क्या कैसे नही , जिस हक से मेरे लिए लेके आये है पहना भी दीजिये ना

देवर जी बुरे फसे और फिर क्म्मो उनकी ओर पीठ करके बैठ गयी , उनकी डीप बैक वाली ब्लाउज से झांकती गोरी चिट्टी पीठ से वो नजरे चुरारे लगे और कापते हाथो से उन्होने उसके बालों मे गजरा लगाया ।

मै उस समय अपने कमरे मे थैली चेक कर रही थी और कच्छी का साइज़ देखते ही माथा पीट लिया और कमरे से निकल कर कम्मो के कमरे की ओर गयी ।

बिना कोई आहट किये धडाधड़ मै कमरे मे घुस गयी और दोनो सजग होकर खड़े हो गये ।

देवर जी - भाभी जी आप
मैने दोनो की हालत देखी और समझ गयी कि योजना सफल रही और मै भी हस्ती हुई - भाभी जी के सैंया , अभी अकल ठिकाने लगा दूँगी समझे

कम्मो मुह फेर कर हसने लगी ।
मै हाथ मे ली हुई कच्छी उनके पास फेकती हुई - ये क्या है , यही साइज़ है मेरा
वो हाथ मे कच्छी को फैलाते हुए - अरे क्या हुआ ? आया नही क्या आपको? मैने तो दुकानदार को सही साइज़ बोला था ।

मै तुनककर - तो जिसकी साइज़ की है उसे ही पहनाओ हुह
मै बाहर चली गयी और कम्मो खिलखिलाती हुई - आपको सच मे जीजी का साइज़ नही पता हिहिही

देवर जी - अरे नही मुझे लगता है कि गलती से उनकी वाली आपके थैली मे आ गयी होगी , देखियेगा जरा

कम्मो चौकती हुई - तो क्या आप मेरे लिये भी लेके आये है

देवर जी अब असहज होकर मुह फेरने लगे - अह हा , सोचा तुमसे इतने दिनो से जो बदसलुकी की है उसके लिए माफी मांग लूंगा ।

कम्मो हसने लगी ।
देवर - क्या हुआ हस क्यू रही हो ।
कम्मो - इसका फायदा क्या , देखेंगे तो आपके भैया ही ना इसमे हिहिहिही
वो लजाये और हसने लगे अगर कम्मो की ये बात ने उनका खुन्टा खड़का दिया ।
बड़ी हिम्म्त कर वो बोले - मै लाया तो पहले हक मेरा ही बनता है
कम्मो शर्मा गयी उनकी बातों से - ठिक है मेरे पति परमेश्वर जैसा कहे ।
अब तो मानो उनकी सासे मे बेचैनी सी छाने लगी थी - तो क्या अभी ?
कम्मो हस्ती हुई उनको कमरे से बाहर करती हुई - धत नटखट , कल सुबह और दीदी से मत कहियेगा कुछ प्लीज

देवर जी भीतर से रोमांचित हो उठे और उस रात कम्मो की बातों का असर बिस्तर पर दिखा और हचक के पेलाई हुई मेरी
अगली सुबह वो बेसबरे 6 बजे ही कमरे से निकल गये और कम्मो के कमरे के बाहर चक्कर काटने लगे वो तो तेरे फूफा की डान्ट ना पडे इसीलिए वापस आ गये ।
मै भी तब इनकी बेचैनी से परेशान हुई , मैने पुछा मगर लालची ने एक बार भी जिकर नही किया ।
और कुछ देर सुबह का नासता देकर कम्मो नहाने चली गयी ।
नहाने के बाद जब वो साडी मे लिपटी हुई कमरे दाखिल हुई तो देवर जी का कलेजा धकधक होने लगा ।

काफी देर तक देवर जी क्म्मो के पीठ पीछे उसका इन्जार करते हुए अपना मुसल मिसते रहे और सर्द की सुबह मे कम्मो ने साडी के उपर से स्वेटर डाल रखा था और आईने मे साज सृंगार कर रही थी ।
आईने मे ही उसने देवर जी तडपते फड़फ्ड़ाते देखा और बोली - जाईये ना नहा लिजिए , बाऊजी भी पुछ रहे थे आपको कि आप नीचे क्यू नही आये ।

देवर जी थोडा लजाये मुस्कराये- हा वो तुमने कहा था कि सुबह तुम दिखाओगे

कम्मो समझ गयी और लजाती हुई मुह फेर कर - क्या !! धत्त तबसे आप उसके लिये रुके हो ?

देवर जी खड़े होते है तो पजाने मे उनका तना हुआ खुन्टा साफ साफ आईने कम्मो देखती है और मुस्कुराती हुई - धत्त नही , आपके भैया उपर ही है । वो आ गये तो ?

देवर जी आगे बढ़े और कम्मो के पास आते हुए - अरे ऐसे कैसे आ जायेंगे , दिन मे वो कैसे आ सकते है ? कभी नही ?

कम्मो अपने बाजू से उन्के पन्जे हटाती हुई - नही नही , आप नही जानते हो , आपके भैया बड़े शरारती है वो बस मौका खोजते है ?

देवर जी का खुन्टा फडका - तो क्या भैया दिन मे भी आपके पास आते है ?
कम्मो ने देवर जी को सताया - हम्म्म अभी कल सुबह की ही बात है , इधर आप नहाने गये और वो लपक कर मेरे पास

देवर जी का गल सुखने लगा - क्या दिन मे ?
कम्मो - हा !
देवर जी - लेकिन क्या करने के लिए
कम्मो लजाती हुई - धत्त , आप भी ना जैसे आपको नही पता वो क्यूँ आयेंगे मेरे पास

देवर जी का खुन्टा अब पूरा तम्बू बना चुका था उसपे से वो उसको पक्ड कर बिच बिच ने सुपाडे पीछे की ओर हो रही खुजलाहट को शान्त कर रहे थे - अरे मै ध्यान दूँगा ना दरवाजे पर ही रहूंगा

क्म्मो अपनी मतवाली आंखो से उनकी बेचैन आंखो ने झाकती हुई कबूलवाति है - प्कका ना

वो सूखे गले मुह खोले हा मे सर हिलाते है और नीचे उनका हाथ पजामे के उपर से सुपाड़े को मिज रहा होता है ।

कम्मो इशारे से उनको दरवाजे के पास भेज देती है और उनकी ओर पीठ कर अपना स्वेटर उतार देती है ।
देवर जी की सासे चढने लगती है वो एक नजर बाहर मेरे कमरे की देखते तो दूसरी नजर मे लपक कर कम्मो को कमरे मे ।

कम्मो - प्कका कोई आ नही रहा है ना ?
देवर जी ने दरवाजे से बाहर झाका और फिर क्म्मो को जवाब देते हुए - नही नही कोई नही आ रहा है
कम्मो मुस्कुराई और देवर जी की तरफ घूम गयी


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देवर जी की आंखे कम्मो के गोरे चीत्ते सीने और ब्रा ने भरी हुई उसकी मोटी चुचियां देख कर फैल गयी और खुन्टा एकदम फौलादी , वो जोर से उसको भिन्च कर सीसके ।

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अभी भी उसका एक चुची साडी से ढकी हुई थी , जिसे बडी अदा से उसने अपने चुचे से हटाया और उस्का पुरा गोरा मुलायम सपाट पेट , गहरी नाभि और दोनो नारियल सी भरी भरी चुचियां देवर जी के आगे थी ।
देवर जी दरवाजे के पास से ही बेचैन होने लगे , सासे तेज हो रही थी मुह सुख रहा था । लन्ड मुह बा कर खड़ा था
फटी आंखो से सूखे होठों पर हथेली रगड़ कर मुछो पर आयी पसीने को साफ करते हुए मुह मे घुल रही मिश्री को गटक कर एक पल भर को वो दरवाजे के बाहर मेरे कमरे की ओर झाके और मौका पाते ही कम्मो ने अपनी जवानी को पर्दे मे कर लिया ।

देवर जी की हालत हाथ तो आया पर मुह नही लगा वाली हो गयी , हिहिही ।
उनके चेहरे की उड़ी हवाइयां देख कर कम्मो मुह फेर मुस्कुराने लगी - हो गया ना आपका अब जाईये ।

भीतर से तड़पते उफनाते मेरे जोशिले देवर जी की आग और भड़क रही थी , वो बेताबी वो खुमारी ने उनकी जबान लहजा हाव भाव सब कुछ मे बचपना सा उतर आया था , चाह कर भी मुह से दिल की बात जुबां तक नही ला पा रहे थे ।

हाथ गुजाईश को उठे और इशारा भी हुआ मगर कम्मो के पास भी इसबार पूरा मौका हाथ लगा था अपनी रुसवाई का बदला लेने का ।
तुनकमिजाजी और इठलाने वाले खेल मे तो वो पहले से ही ड्रामा क्वीन थी ।

"नही नही , वो नही "
" प्लीज ना कम्मो , आह मान जाओ ना प्लीज "
" नही आप जिद ना करिये , मै नही सकती हूँ मुझे आपके सामने लाज आयेगी "
" हा भैया के आगे तो नही आती लाज , मेरी बीवी होकर मुझसे ही लजाओगी " , देवर जी ने बड़ी रुसवाई मे अपना रुखापन दिखाया । मानो इस्से कम्मो का प्त्थर दिल जायेगा ऐसा उन्हे लगा ।
कम्मो ने भी सहेज सहेज कर ताने रखे हुए थे - अब तो आप एक मिंट भी नही रुकिये फिर , जाईये यहा से ।

कम्मो के बीगड़े तेवर से देवर जी के फट के चार हुई अरे कटे आम की आचार हुई , बिल्कुल कड़क कसैली और तीखी । हिहिहि

नाराज कम्मो ने पिघलती कुल्फी वाले बोल लिये देवर जी - आह्ह ऐसा क्यू कह रही कम्मो

कम्मो - क्यू ना कहूँ, आज से पहले कभी हक नही जताया आपने हुह
देवर जी उसके गुस्से से गुलाबी हुए चेहरे को पास देखते हुए उसके चेहरे को उपर किया और बोले - आज तक कभी इस खुबसूरत चेहरे को इतने करीब से और इतनी देर तक निहारा ही नही । तुम्हारी दीदी के गदराये जोबन और बड़े बड़े हिल्कोरे खाते मटकों ने मेरा मन मोह रखा था , पर अब लगता है कि इस खुबसूरत मुखड़े से हमने बड़ा रुखा सलूख किया ।

कम्मो उनकी रोमांटिक बातों से लाज से गुलाबी हुई जा रही थी और वो बोले - अब माफ भी कर दो ना मेरी कम्मो ।

कम्मो ने उन्हे कस कर उनसे लिपट गयी और उम्होने भी कम्मो को भर लिया बाहों मे अपनी ।
कम्मो रुआस होती हुई - कितना तडपाया आपने मुझे इस पल के लिए

देवर जी - अब रो मत पगली , मै तो तेरा ही हूँ, दिखा दे ना ?

कम्मो लजाई और आन्स पोछती हुई उनके सीने पर अपने प्यार भरे मुक्के मारती हुई - धत्त गन्दे !! आप भी आपके भैया जैसे ही हो ।

वो कम्मो को बाहों मे भरते हुए - आहा अभी कहा देखा मेरा प्यार , फिर भैया को भूल जाओगी हिहिही देखना , अब दिखा भी दो ना प्लीज

कम्मो - नही दिखा सकती समझो ना
देवर जी उसको अपनी बाहो ने आगे कर उसके चेहरे को निहारते हुए - अभी भी लाज आ रही है , तुम बस साडी उठा दो ना आंख बन्द करके ।

कम्मो - आप नही मानेन्गे ना
देवर जी ने ना मे सर हिलाया ।
कम्मो उनसे अलग होकर - जाईये दरवाजे पास खड़े हो जाईये
देवर जी हैरत से - क्या अब भी वहा खड़ा होना पड़ेगा?

कम्मो हसती - हा कही आपके भैया आ गये और हमे देख लिया तो !

देवर जी - तो क्या अब भी उनसे छिपना पड़ेगा

कम्मो - वो मै जानती बस आप दरवाजे पर नजर रखो
देवर जी मायूस होकर दरवाजे पर उसी जगह आ गये और एक बार देख कर कम्मो को इशारा किया और फिर क्म्मो
ने अपना एक पैर बिस्तर पर रखा और नीचे से साडी खिंचती हाथो मे समेटते हुए जांघो तक ले आई ।

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देवर जी का खुन्टा एक बार फिर से पूरा टाइट , अगले ही पल कम्मो ने अपनी साडी पेतिकोट सहित अपने कूल्हो तक उठाई और पीछे से उसकी गोरी चिकनी गाड़ बिना पैंटी के देवर जी के आगे ।

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वो आखे फाड़ कर वही खड़े खड़े हिल गये , जोश ने लन्ड को भींचते हुए कम्मो की मोटी गाड़ की दरारों को निहारते हुए कभी दरवाजे से बाहर तो कभी कमरे मे बौखलाये देखते रहे ।

देवर जी - अरे ये ये तो , वो वो कहा है , पहनी नही क्या ?
कम्मो साड़ी नीची कर ना मे सर हिलाती हुई लजाती हुई मुस्कुराई

देवर जी फटाक से उसके करीब आकर उसको बाहों मे भर लिया औए अबकी बार उनका सुपाडा सीधे कम्मो के जांघो पर साडी के उपर से ढेले की तरह चुब रहा था ।
कम्मो ने भी उनका कडकपन मह्सूस किया ।

देवर - वो क्यू नही पहना तुमने
कम्मो लजाती हुई - क्यू अच्छा नही लगा आपको
देवर जी ने हाथ बढा कर पीछे से उसके गाड़ को साडी के उपर से दबोचकर अपना मुसल उसकी चुत के करीब चुभोया - अह्ह्ह एक नम्बर है मेरी जान आह्ह , लेकिन पहना क्यूँ नही

कम्मो लजाती हुई उनके सीने ने खुद को छिपाती हुई - वो आपके की वजह से ?
देवर जी अचरज से - भैया की वजह ?
कम्मो - हा वो कल रात उन्होने कपडे की थैली देख ली और उनकी नजर जब उस कच्छी पर गयी तो वो जिद करने लगे कि पहनो पहनो
देवर जी का कलेजा बुरी तरह हाफ रहा था - फिर
कम्मो उन्के सीने पर हाथ फेरती हुई - मैने मना किया मगर वो नही माने और ये जान कर कि ये कपडे आप लाये हो मेरे किये उन्होने वही कच्छी पहना कर मुझे रात मे प्यार किया और भिगा कर उसे खराब कर दिया ।

देवर जी की कामोत्तेजना कम्मो की रात लीला सुन कर और भी जोश मे आ गयी थी - और ये उपर वाली वो भी पहनी थी क्या ?

कम्मो ना सर हिलाते हुए - हुहू मै छिपा दी थी जबतक उनकी नजर जाती , नही तो इसे भी खराब कर देते ।
देवर - लेकिन इसको कैसे खराब कर देते

कम्मो लजाती हुई - धत्त आपके भाइया बड़े वो है ,
देवर - कैसे है ?
कम्मो - वो एक रात गलती से मेरे मुह से निकल गया था कि उनका वो गरम गरम मुझे मेरे देह पर गिरना पसंद है

देवर जी का खुन्टा फडका - फिर ?
कम्मो - फिर क्या वो रोज सुबह सुबह मेरे ब्रा के दोनो कप मे अपने पानी गिरा कर मुझे पहनाते थे , ताकी पुरा दिन मै उनके रस से भीगी रहू ।

देवर जी अपने भैया के रसिकपने की कहानी सुनकर एक गहरि सास ली और अपना मुसल भींचते हुए - एक बात कहु कम्मो
कम्मो - कहिये ना

देवर जी - क्या आज तुम मेरे रस से भिगा पहनोगी ब्रा
कम्मो के तन बदन मे आग लग गयी और उसने कस कर उन्हे जकड लिया - आह्ह मेरे राजा , मै तो कबसे आपके रस मे नहाना चाहती हु

कम्मो ने हाथ आगे बढ़ा कर उनका मुसल पजामे के उपर से पकड लिया और देवर जी भी सिस्क पड़े
कम्मो - आह्ह मेरे राजा क्या कसा हुआ औजार है तुम्हारा उह्ह्ह जीजी सही कह रही थी उम्म्ंम
देवर जी - क्या तुम जीजी से अह मेरा मतल्व भाभी से ये सब बातें भी करती हो उह्ह्ह्ह मेरी जान तुम्हारा स्पर्श मुझे पागल कर दे रहा है अह्ह्ह कम्मो

कम्मो उनके लन्ड और आड़ो मे मसलती हुई - हा मेरे राजा हम रसोई मे रोज अपनी रात की कहानी साझा करते हैं , सुननी क्या आपको उम्म्ंम

देवर जी आंखे उल्टी किये हुए कम्मो के कामुक स्पर्श और उसकी कामोत्तेजक बातें सुन कर मुह खोले बस हा मे सर हिलाया , जुबां से कुछ बोला भी नही जा रहा था बेचारे से , कम्मो का जादू ऐसा छाया था उनपे
कम्मो उनके पजामे ने उनका मोटा लन्ड बाहर निकाल लिया , ये बडा मोटा और गर्म - सुउउऊ अह्ह्ह ये तो कितना मोटा है अह्ह्ह मेरे राजाह्ह ऊहह कितना तप रहा है

देवर जी - तुम्हारी रसभरी गाड़ देख कर पागल हो गया है ये मेरी जान अह्ह्ह , कुछ करो ना उम्म्ंम

कम्मो उसको हाथ मे लेके उसको मुठियाने लगी और निचे बैठ गयी और दोनो हाथो मे भर कर उसने देवर जी मजबूत लौडा खोला और खडे खडे आधे से ज्यादा लण्ड मुह मे गटक गयी ।

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देवर जी को बिल्कुल यकीन नही था कि कम्मो ऐसा कुछ कर जायेगी और वो छ्टपटाने लगे , कम्मो अपने रसिले नरम होठ उनके गर्म तपते लन्ड पर घिसने लगी , हाथ उनके आड़ो को सहलाने लगे ।
देवर जी एडिया उठाए हुए म्चल रहे थे सिस्क रहे थे, हाथ कम्मो के गाल छू रहे थे और उसकी चुचियो की गहरि सकरी घाटियां खुब हिल्कोरे खा रही थी । जिन्हे छूने को देवर जी बेताब थे ,
तभी क्म्मो ने अपना आंचल सीने से हटा दिया और भरी भरी छातियों का दिदार कराते हुए उसने उनका तपता लन्ड पर चुचियों के उपरी गुदाज हिस्से पर घिसते हुए दोनो छातियों की खाई मे सुपाड़े को रगड़ा
कम्मो के नरम चुचियों का स्पर्श देवर जी बर्दाश्त ना कर सके और जोश मे कस कर अपना लन्ड भींच लिया - आह्ह मेरी जान अब और नही रोक पाऊन्गा ,,खोलो जल्दी

कम्मो जल्दी जल्दी अपने कन्धे से ब्रा की स्ट्रिप सरकाती हुई ब्रा के कप खोलती है और देवर जी उसके गुलाबी कड़े निप्प्ल देख कर और पागल होने लगे

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और घोड़े की तरह चिन्घाडते हुए जोर जोर से अपना लन्ड मुठियाने लगेऔर भलभला कर क्म्मो के निप्प्ल के करीब सुपाडा रख कर झडने लगे , बारी बारी उसके दोनो चुचियों पर उन्होने अपना माल गिराया और फिर कम्मो ने ब्रा उपर चढाती हुई दोनो हाथो से अपने दोनो ब्रा कप को निप्प्ल पर मसाज दिया ताकी देवर जी का रस उसके चुचियों पर अच्छे से फैल जाये और फिर उसने लपक कर देवर जी का लन्ड मुह मे लेके बचा खुचा भी साफ कर दिया ।

देवर जी हाफते हुए बैठ गये और कम्मो अपने कपडे पहनने लगी , देवर जी का खुन्टा मगर अभी कडक था ।
अपना पजामा पहन कर देवर जी ने उसको पीछे से फिर से दबोच लिया

कम्मो - आह्ह क्या करते है छोडिए ना , साडी खराव हो जायेगी ऊहह मुझे रसोई मे जाना है

देवर जी मुस्कुरा कर - तो क्या अभी जो हुआ वो भी अपनी जीजी को बतओगी
कम्मो लजाई - धत्त नहीईई जीजी मजा लेती है मेरा

देवर जी - अच्छा ऐसा क्या ? भी देखूँ आज क्या बातें होती है

कम्मो - धत्त नही प्लीज मत आना ,
देवर जी - अच्छा ठिक है बाबा नही आऊंगा , लेकिन दुपहर मे तो प्यार करने दोगी ना

कम्मो लजाती हुई उन्हे कोहनी से ठेलती हुई - चलो जाओ आप , नही तो बाऊजी की डांट मिलेगी हिहिही

फिर देवर जी नहाने निकल गये ।



राज अपना लन्ड भींचता हुआ - अह्ह्ह बुआ सच मे कम्मो बुआ की कहानी सून कर मेरी तो हालत खराब हो गयी हिहिही

शिला - अरे अभी तुने सुना ही कहा कुछ
राज - रुको ना बुआ पानी लाता हुआ गला सुखने लगा मेरा भी छोटे फूफा की तरह हिहिही

शिला - धत्त शैतान कही का ,
राज हस्ते हुए - वैसे बुआ एक बात पूछू, क्या फूफा आपकी ब्रा मे भी अपना रस भरते थे

शिला - तु दाँत मत दिखा , कुछ नही करने वाली ऐसा मै समझा

शिला - और किया था एक बार उन्होने ,, मुझे पुरा दिन गिनगिनाहट और खुजली होती रही तो आगे से मना कर दिया मैने

राज हसता हुआ पानी लेने के लिए निकल जाता है ।

वही उपर सोनल के कमरे मे निशा की मादक और दर्द भरी सिसकियां उठ रही थी ।

जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Congratulations guruji 3rd anniversary of this story

Bahut hi lajawab

Abhi kand hone se Bach gya Arun aur Shalini ke bich😂😂

Shalini ki leela rang la rahi hai. Pratiksha agle rasprad update ki

Behatareen update dost, ab Anuj ko to Rinki khol rahi hai, bechara kuch zyada hi seedha hai, Ise to Palli ne bhi khol diya tha phir bhi nahi samjha, khair ab line par aane laga hau, wohin adventure queen Shalinii ke liye din pratidin naye naye adventure aate ja rahe hain, Kabhi Anuj Kabhi kamalnath aur abhi Arun, dekhtr hain in sab adventures ke baad agala kya likha hai kismat mein

Bhai ragini ko lao na atleast koi trip pe le jao anuj ya ragini ko ya ragini aur jangi ko

Heartiest Congratulations Bhai for completion of 3 years of your story and entering into the 4th year!! Great going!!

DREAMBOY40

Thanks for awesome update ☺️ as it once again has my username 😁

Ab dhire dhire anuj bhi ladkiyo k mamle mein expert ban Raha hai ab toh bas uske aur ragini k bich mein Kuch ho wo intezar hai fir raj rangi k sath milkar
Aur shadi k Baad Sonal jab mayke mein ayenge tab Apne chote Bhai aur baap se kab Kuch karegi uska bhi intezar hai

Bahut mast... Jald hi shalini bi apne jeth se chudpaegi

Dhakad or itna kakum or garm krne wala update diya bhai bta nhi sakta awesome bhai ji

Rinki ke kiss ne to anuj ko ek dam shock kar diya but jab rinki ruth kar jane lagi tab anuj ne uske utre hue cehre ko dekh kr rinki ke hontho par apni karigari dikha hi di

Salini apne banje ke irade jaan gayi thi ise liye use tadpane k liye usko apne jism ka adbhut darsan karwa karwa kr usko garm kar rahi thi but jab arun ne apni mami ko nangi dekha to uske to hosh hi udgaye the to salini ne apne nauthy pan se arun ko apne jism ke chedo ko ragadne ke liye arun ko bathroom me bula hi liya but janggi k aa jane se arun or salini ki gand fat gayi but arun apni mami k gand me ungli dalne me safal ho gya agr janggi nhi ata to aaj hi apni nangi mami chut me uska land pani chod rha hota waise bhai ji maja aa gya

Agla update jaldi dena salini or arun ka

Ohhh

Mujhe ye pdhkr sbse jyda sad feel hua yrr ki Chhota Bhai Jo achha usko pehle na biwi mili na pyar aur bde ne khub maje lute.
Baki Puri story padhi pichhle 4-5 din me,, bahut shi story h

Bhai update kab Tak aayega

Nice

Nice Update bhai

Nice update

Almost a week passed but no update bro.

Bhai Update Waiting ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳ ⏳

Intzar hai
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Try and fail. But never give up trying
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"भैया बताओ ना , क्या करुँ दो दिन बाद अगर बुआ चली गयी तो "

राज उसके सर पर टपली मारता हुआ - अबे दो दिन बाद से स्कूल भी जाना है उसके बारे मे सोच । इस बार दसवीं भी है तेरी उम्म्ं

राज आंखे चढाता हुआ - हफ्ते दस दिन से ना पढ़ाई ना कोचिंग ,

अनुज का मुह उतर सा गया तो राज उसका कन्धा थपथपा कर - अबे मुह मत उतार और इधर मौका नही मिला तो दसवी के बाद चले जाना बुआ के यहा घूम आना

अनुज चहक कर - अरे हा ये भी सही है
राज - हा तो अब से पढ़ाई मे ध्यान दे समझा
अनुज - जी भैया

इधर राज और अनुज की बातें चल रही थी कि इतने मे शिला वापस आ जाती है ।

शिला - हो गया बेटा खा लिया तु खाना
राज - जी बुआ
शिला - अनुज बेटा टिफ़िन ले ले , चल चलते है ।
अनुज खुश हुआ बुआ के साथ जाने का सोच कर मगर बीच मे राज ने उसके हाथ से टिफ़िन लेता हुआ - तु बैठ यही , मै चलता हू बुआ मा ने बुलाया है कुछ समान मगवाने है परसो के लिए ।

शिला - हा हा भाई उसकी तो लिस्ट भी बन गयी , चल चलते है ।

इधर अनुज मुह बना कर खीझ कर रहा गया और दुकान पर लग गया ।
राज शिला के साथ चौराहे वाले घर के लिए निकल जाता है ।
घर पहुचने पर एकदम से शान्ती होती है , राज कमरे चेक करता है तो उसकी मा रागिनी सो रही थी कमरे मे ।

राज उसको जगाने को होता है तो शिला उसको टोंकती हुई - अरे आराम करने दे ना बेचारी को , थक गयी होगी रात मे हिहिहिही

राज मुस्कुरा कर शिला की गाड़ कपडे के उपर से दबोचता हुआ - तो चलो ना आपको भी थका कर सुला दू

शिला खिलखिलाती हुई - ना बाबा ना , अभी अभी भैया ने दो बार उफ्फ्फ मै तो थकी हु पहले से ही

राज उसको हग करता हुआ गेस्ट रूम मे ले जाने लगा- तो चलो थकान दूर कर दू आपकी

शिला और राज गेस्ट मे आ गये ।
शिला - सच मे बेटा पूरा जिस्म का रोम रोम टुट रहा है, आह्ह मान जा ना

राज हसता हुआ - अरे आओ ना लेटो इधर हिहिही

शिला उसके बगल मे लेटती हुई - क्या बात है बोल ना
राज - अब बताओ आगे का
शिला - क्या बताऊ

राज - अरे वही जो कहानी कल छोड़ दी थी आप हिहिही कम्मो बुआ और दोनो फूफा वाली

शिला खिलखिलाती हुई - हिहिही अच्छा वो
राज उसको करीब कसता हुआ - हा बुआ आगे सुनाओ ना , छोटे फूफा ने क्म्मो बुआ से कैसे फस गये ।

शिला हसती हुई - मैने बताया था कि मेरी ननद के यहा से मेरे सास ससुर वापस आ गये थे ।

उस दिन के हम चारों पर तेरे बडे फूफा ने स्पस्ट तौर पर नियम लगा दिये थे ताकि घर मे अम्मा बाऊजी के सामने हमारे राज भूल से भी जाहिर ना हो ।
उसके बाद हम सब दिन मे बड़ी मर्यादा से रहने लगे , मगर मजा तो नियमोन को ताख पर रखने मे और चोरी छिपे मनमानीयां करने मे है ।

दिन मे तेरे फूफा जब भी मौका मिलता मुझे मसल देते , नहाने के बाद अकसर मै जब तैयार होती थी तो वो उस समय कमरे रुके होते थे , मेरी पेतिकोट चढा कर मेरी बुर पर अपना मुह रगड़ने के बाद चाय की चुस्की होती थी ऊनकी वही साझ ढलते हीर देवर जी मुझ पर टुट पडते ।
मगर दिन मे देवर जी और कम्मो को आपस मे बड़ी झिझक रहती थी ।
दोपहर मे जब कम्मो देवर जी के लिए अकसर खाना लेके कमरे मे जाती थी तो वो बिना के नजर उसे देखे खाना खाकर एक ओर करवट लेके लेट जाते ।
वही दूसरी ओर जब मै खाना लेकर तेरे फूफा के पास जाती थी , तो आते ही वो मुझे दबोच लेते थे और पहले मुझे भोग लगा कर ही खाने पर नजर जाती उनकी ।
धीरे धीरे बातें खुलनी शुरु हुई और पहले देवर को अह्सास हुआ कि तेरे फूफा अकसर मुझे दोपहर मे चोदते है मगर
एक दिन दुपहर मे कम्मो ने मुझे और तेरे फूफा को मस्ती करते देख लिया ।

उस दिन दुपहर को खाना खिलाने के बाद जब हम दोनो बहने बरतन खाली करने आई तो कम्मो का चेहरा उतरा हुआ था ।

मै - क्या बात है कम्मो
कम्मो - जीजी , मुझमे कोई कमी है क्या ?
मै उसकी भावुकता पर उसको सहारा देते हुए आंगन मे बिठाया - क्या बात है कम्मो तु ऐसा क्यूँ बोल रही है । देवर जी ने कुछ कहा क्या ?

कम्मो सिस्कती हुई - कुछ कहते ही तो नही है वो , अरे भले हमारा देह का रिश्ता नही है , मगर बात चीत भी नही करेंगे अब ।
कम्मो - ना जाने क्या नाराजगी है उनको हमसे , एक शब्द तक नही कहते है और मुझे लगता है किसी गाय के साथ रहती हु जिसे मेरी बोली समझ नही आती ।

मै हस्ती हुई - अरे गाय नही साढ़ बोल, पक्के साढ़ है देवर जी हिहिही
कम्मो रुआन्सी मगर हसती हुई - दीदी प्लीज मजाक नही , मुझे घुटन सी होती है कमरे मे ।

मै - अच्छा ठिक है मै आज रात बात करती हूँ उनसे
कम्मो खीझती हुई - आपका सही है दीदी रात और दिन दोनो सही कट रहे है आपके

मै मुस्कुरा कर - मै तो उलझ ही गयी हु कम्मो , तेरे जीजा मेरे पति है और मेरे देवर का मै प्यार हूँ । किसी को कैसे रोक सकती हूँ ।

उस रात खाने के बाद देवर जी कमरे मे आये और मैने मेरे नखरे शुरु किये , ना बात की और काफी देर तक जानबूझ कत कमरे मे इधर उधर फाल्तू के कामो मे उलझी हुई थी ।

वो समझ गये कि मै नाराज हु और वो मुझे पीछे से हग करते हुए बोली - क्या हुआ जान क्यू नाराज हो
मै भी तुनकी और उनकी पक्ड से खुद को छुड़ा कर बिस्तर पर चढ कर - हुह मुझे आपसे बात नही करनी कुछ भी

वो थोडे असहज हुए मगर उन्का स्पर्श पाकर मै बहुत देर तक खुद को रूठा रख ना पाई - आप तो बोलो ही मत, आपके पास तो जुबां होगी नही ना हुह
वो - अरे क्या हुआ बोलो ना
मै - माना कि आपको क्म्मो से लगाव नही है इसका मतलब आप उससे बातें नही करेंगे , पता है कितना रो रही थी वो ।

फिर उन्हे अपनी गलती का अह्सास हुआ ।
वो - माफ करना जानू , मेरा झिझक समझो मैने उससे शादी और रातें मै तुम्हारे साथ होता हु तो कैसे मै दिन मे नजरे मिला लूँ

मै - आसान तो हम सब के लिए भी नही है, मगर हमने एक दूसरे के लिए ही ये जीवन चुना है ना
वो देर तक इस बारें मे विचार किये और
फिर रात मे हमारे चुदाई के बाद मैने अपना पत्ता खोलना शुरु किया ।
मै - देखिये अब ना नुकुर मत करिये , आपने उससे शादी की है और उसे मनाना है तो उसके लिए इतना तो करना ही पड़ेगा ।

वो - अच्छा ठिक है बाबा मै लेके आऊंगा
अगले दिन वो बाजार से मेरे कहे अनुसार दो जोड़ी साड़ी लेके आये और उसके साथ हमारे नाप की ब्रा और कच्छीयां भी लेके आये ।
मगर वो रहे बुध्दु और एक नम्बर के फ्ट्टू ।
शाम को साड़ी तो ठिक दी मगर ब्रा पैंटी के सेट मे गच्चा खा गये । हड़बड़ी मे अंडरगारमेन्ट बदल गया और मेरी कच्छी कम्मो के बैग मे चली गयी ।
वही शाम को जब कम्मो को समान की थैली मिली तो वो खुश थी , उसने थैली ने एक पत्ते मे रखा हुआ मोगरे का गजरा देखा तो एकदम से खिल गयी ।
कम्मो के चेहरे की खुशी देख कर वो मुस्कुरा रहे थे और कम्मो वो गजरा लेके उनके पास बैठ गयी और उनके हाथ मे देते हुए - लगा दीजिये ना

देवर की सासे उफनाने लगी जिस तरह से कम्मो ने अपनी कजरारी आंखे उठा कर उनसे
मिन्न्ते की तो सकपका गये - नही नही मै ये कैसे ?

कम्मो ने भी बात बनाई और उन्हे इमोशनली उल्झाती हुई - क्या कैसे नही , जिस हक से मेरे लिए लेके आये है पहना भी दीजिये ना

देवर जी बुरे फसे और फिर क्म्मो उनकी ओर पीठ करके बैठ गयी , उनकी डीप बैक वाली ब्लाउज से झांकती गोरी चिट्टी पीठ से वो नजरे चुरारे लगे और कापते हाथो से उन्होने उसके बालों मे गजरा लगाया ।

मै उस समय अपने कमरे मे थैली चेक कर रही थी और कच्छी का साइज़ देखते ही माथा पीट लिया और कमरे से निकल कर कम्मो के कमरे की ओर गयी ।

बिना कोई आहट किये धडाधड़ मै कमरे मे घुस गयी और दोनो सजग होकर खड़े हो गये ।

देवर जी - भाभी जी आप
मैने दोनो की हालत देखी और समझ गयी कि योजना सफल रही और मै भी हस्ती हुई - भाभी जी के सैंया , अभी अकल ठिकाने लगा दूँगी समझे

कम्मो मुह फेर कर हसने लगी ।
मै हाथ मे ली हुई कच्छी उनके पास फेकती हुई - ये क्या है , यही साइज़ है मेरा
वो हाथ मे कच्छी को फैलाते हुए - अरे क्या हुआ ? आया नही क्या आपको? मैने तो दुकानदार को सही साइज़ बोला था ।

मै तुनककर - तो जिसकी साइज़ की है उसे ही पहनाओ हुह
मै बाहर चली गयी और कम्मो खिलखिलाती हुई - आपको सच मे जीजी का साइज़ नही पता हिहिही

देवर जी - अरे नही मुझे लगता है कि गलती से उनकी वाली आपके थैली मे आ गयी होगी , देखियेगा जरा

कम्मो चौकती हुई - तो क्या आप मेरे लिये भी लेके आये है

देवर जी अब असहज होकर मुह फेरने लगे - अह हा , सोचा तुमसे इतने दिनो से जो बदसलुकी की है उसके लिए माफी मांग लूंगा ।

कम्मो हसने लगी ।
देवर - क्या हुआ हस क्यू रही हो ।
कम्मो - इसका फायदा क्या , देखेंगे तो आपके भैया ही ना इसमे हिहिहिही
वो लजाये और हसने लगे अगर कम्मो की ये बात ने उनका खुन्टा खड़का दिया ।
बड़ी हिम्म्त कर वो बोले - मै लाया तो पहले हक मेरा ही बनता है
कम्मो शर्मा गयी उनकी बातों से - ठिक है मेरे पति परमेश्वर जैसा कहे ।
अब तो मानो उनकी सासे मे बेचैनी सी छाने लगी थी - तो क्या अभी ?
कम्मो हस्ती हुई उनको कमरे से बाहर करती हुई - धत नटखट , कल सुबह और दीदी से मत कहियेगा कुछ प्लीज

देवर जी भीतर से रोमांचित हो उठे और उस रात कम्मो की बातों का असर बिस्तर पर दिखा और हचक के पेलाई हुई मेरी

अगली सुबह वो बेसबरे 6 बजे ही कमरे से निकल गये और कम्मो के कमरे के बाहर चक्कर काटने लगे वो तो तेरे फूफा की डान्ट ना पडे इसीलिए वापस आ गये ।
मै भी तब इनकी बेचैनी से परेशान हुई , मैने पुछा मगर लालची ने एक बार भी जिकर नही किया ।
और कुछ देर सुबह का नासता देकर कम्मो नहाने चली गयी ।
नहाने के बाद जब वो साडी मे लिपटी हुई कमरे दाखिल हुई तो देवर जी का कलेजा धकधक होने लगा ।

काफी देर तक देवर जी क्म्मो के पीठ पीछे उसका इन्जार करते हुए अपना मुसल मिसते रहे और सर्द की सुबह मे कम्मो ने साडी के उपर से स्वेटर डाल रखा था और आईने मे साज सृंगार कर रही थी ।
आईने मे ही उसने देवर जी तडपते फड़फ्ड़ाते देखा और बोली - जाईये ना नहा लिजिए , बाऊजी भी पुछ रहे थे आपको कि आप नीचे क्यू नही आये ।

देवर जी थोडा लजाये मुस्कराये- हा वो तुमने कहा था कि सुबह तुम दिखाओगे

कम्मो समझ गयी और लजाती हुई मुह फेर कर - क्या !! धत्त तबसे आप उसके लिये रुके हो ?

देवर जी खड़े होते है तो पजाने मे उनका तना हुआ खुन्टा साफ साफ आईने कम्मो देखती है और मुस्कुराती हुई - धत्त नही , आपके भैया उपर ही है । वो आ गये तो ?

देवर जी आगे बढ़े और कम्मो के पास आते हुए - अरे ऐसे कैसे आ जायेंगे , दिन मे वो कैसे आ सकते है ? कभी नही ?

कम्मो अपने बाजू से उन्के पन्जे हटाती हुई - नही नही , आप नही जानते हो , आपके भैया बड़े शरारती है वो बस मौका खोजते है ?

देवर जी का खुन्टा फडका - तो क्या भैया दिन मे भी आपके पास आते है ?
कम्मो ने देवर जी को सताया - हम्म्म अभी कल सुबह की ही बात है , इधर आप नहाने गये और वो लपक कर मेरे पास

देवर जी का गल सुखने लगा - क्या दिन मे ?
कम्मो - हा !
देवर जी - लेकिन क्या करने के लिए
कम्मो लजाती हुई - धत्त , आप भी ना जैसे आपको नही पता वो क्यूँ आयेंगे मेरे पास

देवर जी का खुन्टा अब पूरा तम्बू बना चुका था उसपे से वो उसको पक्ड कर बिच बिच ने सुपाडे पीछे की ओर हो रही खुजलाहट को शान्त कर रहे थे - अरे मै ध्यान दूँगा ना दरवाजे पर ही रहूंगा

क्म्मो अपनी मतवाली आंखो से उनकी बेचैन आंखो ने झाकती हुई कबूलवाति है - प्कका ना

वो सूखे गले मुह खोले हा मे सर हिलाते है और नीचे उनका हाथ पजामे के उपर से सुपाड़े को मिज रहा होता है ।

कम्मो इशारे से उनको दरवाजे के पास भेज देती है और उनकी ओर पीठ कर अपना स्वेटर उतार देती है ।
देवर जी की सासे चढने लगती है वो एक नजर बाहर मेरे कमरे की देखते तो दूसरी नजर मे लपक कर कम्मो को कमरे मे ।

कम्मो - प्कका कोई आ नही रहा है ना ?
देवर जी ने दरवाजे से बाहर झाका और फिर क्म्मो को जवाब देते हुए - नही नही कोई नही आ रहा है
कम्मो मुस्कुराई और देवर जी की तरफ घूम गयी


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देवर जी की आंखे कम्मो के गोरे चीत्ते सीने और ब्रा ने भरी हुई उसकी मोटी चुचियां देख कर फैल गयी और खुन्टा एकदम फौलादी , वो जोर से उसको भिन्च कर सीसके ।

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अभी भी उसका एक चुची साडी से ढकी हुई थी , जिसे बडी अदा से उसने अपने चुचे से हटाया और उस्का पुरा गोरा मुलायम सपाट पेट , गहरी नाभि और दोनो नारियल सी भरी भरी चुचियां देवर जी के आगे थी ।
देवर जी दरवाजे के पास से ही बेचैन होने लगे , सासे तेज हो रही थी मुह सुख रहा था । लन्ड मुह बा कर खड़ा था
फटी आंखो से सूखे होठों पर हथेली रगड़ कर मुछो पर आयी पसीने को साफ करते हुए मुह मे घुल रही मिश्री को गटक कर एक पल भर को वो दरवाजे के बाहर मेरे कमरे की ओर झाके और मौका पाते ही कम्मो ने अपनी जवानी को पर्दे मे कर लिया ।

देवर जी की हालत हाथ तो आया पर मुह नही लगा वाली हो गयी , हिहिही ।
उनके चेहरे की उड़ी हवाइयां देख कर कम्मो मुह फेर मुस्कुराने लगी - हो गया ना आपका अब जाईये ।

भीतर से तड़पते उफनाते मेरे जोशिले देवर जी की आग और भड़क रही थी , वो बेताबी वो खुमारी ने उनकी जबान लहजा हाव भाव सब कुछ मे बचपना सा उतर आया था , चाह कर भी मुह से दिल की बात जुबां तक नही ला पा रहे थे ।

हाथ गुजाईश को उठे और इशारा भी हुआ मगर कम्मो के पास भी इसबार पूरा मौका हाथ लगा था अपनी रुसवाई का बदला लेने का ।
तुनकमिजाजी और इठलाने वाले खेल मे तो वो पहले से ही ड्रामा क्वीन थी ।

"नही नही , वो नही "
" प्लीज ना कम्मो , आह मान जाओ ना प्लीज "
" नही आप जिद ना करिये , मै नही सकती हूँ मुझे आपके सामने लाज आयेगी "
" हा भैया के आगे तो नही आती लाज , मेरी बीवी होकर मुझसे ही लजाओगी " , देवर जी ने बड़ी रुसवाई मे अपना रुखापन दिखाया । मानो इस्से कम्मो का प्त्थर दिल जायेगा ऐसा उन्हे लगा ।
कम्मो ने भी सहेज सहेज कर ताने रखे हुए थे - अब तो आप एक मिंट भी नही रुकिये फिर , जाईये यहा से ।

कम्मो के बीगड़े तेवर से देवर जी के फट के चार हुई अरे कटे आम की आचार हुई , बिल्कुल कड़क कसैली और तीखी । हिहिहि

नाराज कम्मो ने पिघलती कुल्फी वाले बोल लिये देवर जी - आह्ह ऐसा क्यू कह रही कम्मो

कम्मो - क्यू ना कहूँ, आज से पहले कभी हक नही जताया आपने हुह
देवर जी उसके गुस्से से गुलाबी हुए चेहरे को पास देखते हुए उसके चेहरे को उपर किया और बोले - आज तक कभी इस खुबसूरत चेहरे को इतने करीब से और इतनी देर तक निहारा ही नही । तुम्हारी दीदी के गदराये जोबन और बड़े बड़े हिल्कोरे खाते मटकों ने मेरा मन मोह रखा था , पर अब लगता है कि इस खुबसूरत मुखड़े से हमने बड़ा रुखा सलूख किया ।

कम्मो उनकी रोमांटिक बातों से लाज से गुलाबी हुई जा रही थी और वो बोले - अब माफ भी कर दो ना मेरी कम्मो ।

कम्मो ने उन्हे कस कर उनसे लिपट गयी और उम्होने भी कम्मो को भर लिया बाहों मे अपनी ।
कम्मो रुआस होती हुई - कितना तडपाया आपने मुझे इस पल के लिए

देवर जी - अब रो मत पगली , मै तो तेरा ही हूँ, दिखा दे ना ?

कम्मो लजाई और आन्स पोछती हुई उनके सीने पर अपने प्यार भरे मुक्के मारती हुई - धत्त गन्दे !! आप भी आपके भैया जैसे ही हो ।

वो कम्मो को बाहों मे भरते हुए - आहा अभी कहा देखा मेरा प्यार , फिर भैया को भूल जाओगी हिहिही देखना , अब दिखा भी दो ना प्लीज

कम्मो - नही दिखा सकती समझो ना
देवर जी उसको अपनी बाहो ने आगे कर उसके चेहरे को निहारते हुए - अभी भी लाज आ रही है , तुम बस साडी उठा दो ना आंख बन्द करके ।

कम्मो - आप नही मानेन्गे ना
देवर जी ने ना मे सर हिलाया ।
कम्मो उनसे अलग होकर - जाईये दरवाजे पास खड़े हो जाईये
देवर जी हैरत से - क्या अब भी वहा खड़ा होना पड़ेगा?

कम्मो हसती - हा कही आपके भैया आ गये और हमे देख लिया तो !

देवर जी - तो क्या अब भी उनसे छिपना पड़ेगा

कम्मो - वो मै जानती बस आप दरवाजे पर नजर रखो
देवर जी मायूस होकर दरवाजे पर उसी जगह आ गये और एक बार देख कर कम्मो को इशारा किया और फिर क्म्मो
ने अपना एक पैर बिस्तर पर रखा और नीचे से साडी खिंचती हाथो मे समेटते हुए जांघो तक ले आई ।

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देवर जी का खुन्टा एक बार फिर से पूरा टाइट , अगले ही पल कम्मो ने अपनी साडी पेतिकोट सहित अपने कूल्हो तक उठाई और पीछे से उसकी गोरी चिकनी गाड़ बिना पैंटी के देवर जी के आगे ।

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वो आखे फाड़ कर वही खड़े खड़े हिल गये , जोश ने लन्ड को भींचते हुए कम्मो की मोटी गाड़ की दरारों को निहारते हुए कभी दरवाजे से बाहर तो कभी कमरे मे बौखलाये देखते रहे ।

देवर जी - अरे ये ये तो , वो वो कहा है , पहनी नही क्या ?
कम्मो साड़ी नीची कर ना मे सर हिलाती हुई लजाती हुई मुस्कुराई

देवर जी फटाक से उसके करीब आकर उसको बाहों मे भर लिया औए अबकी बार उनका सुपाडा सीधे कम्मो के जांघो पर साडी के उपर से ढेले की तरह चुब रहा था ।
कम्मो ने भी उनका कडकपन मह्सूस किया ।

देवर - वो क्यू नही पहना तुमने
कम्मो लजाती हुई - क्यू अच्छा नही लगा आपको
देवर जी ने हाथ बढा कर पीछे से उसके गाड़ को साडी के उपर से दबोचकर अपना मुसल उसकी चुत के करीब चुभोया - अह्ह्ह एक नम्बर है मेरी जान आह्ह , लेकिन पहना क्यूँ नही

कम्मो लजाती हुई उनके सीने ने खुद को छिपाती हुई - वो आपके की वजह से ?
देवर जी अचरज से - भैया की वजह ?
कम्मो - हा वो कल रात उन्होने कपडे की थैली देख ली और उनकी नजर जब उस कच्छी पर गयी तो वो जिद करने लगे कि पहनो पहनो
देवर जी का कलेजा बुरी तरह हाफ रहा था - फिर
कम्मो उन्के सीने पर हाथ फेरती हुई - मैने मना किया मगर वो नही माने और ये जान कर कि ये कपडे आप लाये हो मेरे किये उन्होने वही कच्छी पहना कर मुझे रात मे प्यार किया और भिगा कर उसे खराब कर दिया ।

देवर जी की कामोत्तेजना कम्मो की रात लीला सुन कर और भी जोश मे आ गयी थी - और ये उपर वाली वो भी पहनी थी क्या ?

कम्मो ना सर हिलाते हुए - हुहू मै छिपा दी थी जबतक उनकी नजर जाती , नही तो इसे भी खराब कर देते ।
देवर - लेकिन इसको कैसे खराब कर देते

कम्मो लजाती हुई - धत्त आपके भाइया बड़े वो है ,
देवर - कैसे है ?
कम्मो - वो एक रात गलती से मेरे मुह से निकल गया था कि उनका वो गरम गरम मुझे मेरे देह पर गिरना पसंद है

देवर जी का खुन्टा फडका - फिर ?
कम्मो - फिर क्या वो रोज सुबह सुबह मेरे ब्रा के दोनो कप मे अपने पानी गिरा कर मुझे पहनाते थे , ताकी पुरा दिन मै उनके रस से भीगी रहू ।

देवर जी अपने भैया के रसिकपने की कहानी सुनकर एक गहरि सास ली और अपना मुसल भींचते हुए - एक बात कहु कम्मो
कम्मो - कहिये ना

देवर जी - क्या आज तुम मेरे रस से भिगा पहनोगी ब्रा
कम्मो के तन बदन मे आग लग गयी और उसने कस कर उन्हे जकड लिया - आह्ह मेरे राजा , मै तो कबसे आपके रस मे नहाना चाहती हु

कम्मो ने हाथ आगे बढ़ा कर उनका मुसल पजामे के उपर से पकड लिया और देवर जी भी सिस्क पड़े
कम्मो - आह्ह मेरे राजा क्या कसा हुआ औजार है तुम्हारा उह्ह्ह जीजी सही कह रही थी उम्म्ंम
देवर जी - क्या तुम जीजी से अह मेरा मतल्व भाभी से ये सब बातें भी करती हो उह्ह्ह्ह मेरी जान तुम्हारा स्पर्श मुझे पागल कर दे रहा है अह्ह्ह कम्मो

कम्मो उनके लन्ड और आड़ो मे मसलती हुई - हा मेरे राजा हम रसोई मे रोज अपनी रात की कहानी साझा करते हैं , सुननी क्या आपको उम्म्ंम

देवर जी आंखे उल्टी किये हुए कम्मो के कामुक स्पर्श और उसकी कामोत्तेजक बातें सुन कर मुह खोले बस हा मे सर हिलाया , जुबां से कुछ बोला भी नही जा रहा था बेचारे से , कम्मो का जादू ऐसा छाया था उनपे
कम्मो उनके पजामे ने उनका मोटा लन्ड बाहर निकाल लिया , ये बडा मोटा और गर्म - सुउउऊ अह्ह्ह ये तो कितना मोटा है अह्ह्ह मेरे राजाह्ह ऊहह कितना तप रहा है

देवर जी - तुम्हारी रसभरी गाड़ देख कर पागल हो गया है ये मेरी जान अह्ह्ह , कुछ करो ना उम्म्ंम

कम्मो उसको हाथ मे लेके उसको मुठियाने लगी और निचे बैठ गयी और दोनो हाथो मे भर कर उसने देवर जी मजबूत लौडा खोला और खडे खडे आधे से ज्यादा लण्ड मुह मे गटक गयी ।

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देवर जी को बिल्कुल यकीन नही था कि कम्मो ऐसा कुछ कर जायेगी और वो छ्टपटाने लगे , कम्मो अपने रसिले नरम होठ उनके गर्म तपते लन्ड पर घिसने लगी , हाथ उनके आड़ो को सहलाने लगे ।
देवर जी एडिया उठाए हुए म्चल रहे थे सिस्क रहे थे, हाथ कम्मो के गाल छू रहे थे और उसकी चुचियो की गहरि सकरी घाटियां खुब हिल्कोरे खा रही थी । जिन्हे छूने को देवर जी बेताब थे ,
तभी क्म्मो ने अपना आंचल सीने से हटा दिया और भरी भरी छातियों का दिदार कराते हुए उसने उनका तपता लन्ड पर चुचियों के उपरी गुदाज हिस्से पर घिसते हुए दोनो छातियों की खाई मे सुपाड़े को रगड़ा
कम्मो के नरम चुचियों का स्पर्श देवर जी बर्दाश्त ना कर सके और जोश मे कस कर अपना लन्ड भींच लिया - आह्ह मेरी जान अब और नही रोक पाऊन्गा ,,खोलो जल्दी

कम्मो जल्दी जल्दी अपने कन्धे से ब्रा की स्ट्रिप सरकाती हुई ब्रा के कप खोलती है और देवर जी उसके गुलाबी कड़े निप्प्ल देख कर और पागल होने लगे

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और घोड़े की तरह चिन्घाडते हुए जोर जोर से अपना लन्ड मुठियाने लगेऔर भलभला कर क्म्मो के निप्प्ल के करीब सुपाडा रख कर झडने लगे , बारी बारी उसके दोनो चुचियों पर उन्होने अपना माल गिराया और फिर कम्मो ने ब्रा उपर चढाती हुई दोनो हाथो से अपने दोनो ब्रा कप को निप्प्ल पर मसाज दिया ताकी देवर जी का रस उसके चुचियों पर अच्छे से फैल जाये और फिर उसने लपक कर देवर जी का लन्ड मुह मे लेके बचा खुचा भी साफ कर दिया ।

देवर जी हाफते हुए बैठ गये और कम्मो अपने कपडे पहनने लगी , देवर जी का खुन्टा मगर अभी कडक था ।
अपना पजामा पहन कर देवर जी ने उसको पीछे से फिर से दबोच लिया

कम्मो - आह्ह क्या करते है छोडिए ना , साडी खराव हो जायेगी ऊहह मुझे रसोई मे जाना है

देवर जी मुस्कुरा कर - तो क्या अभी जो हुआ वो भी अपनी जीजी को बतओगी
कम्मो लजाई - धत्त नहीईई जीजी मजा लेती है मेरा

Devar ji- well what is that? Let me see what they talk about today

Kammo- no shame please don't come,
Brother-in-law: Well, that's fine, I won't come, but you will let me make love to you in the afternoon, right?

Kammo shyly pushes him with her elbow - Go away, otherwise you will get scolded by father, hehe

Then brother-in-law went out to take a bath.



Raj squeezing his penis - Ahhhh Bua, really after listening to Kammo Bua's story my condition has become worse, hihihi

Shila - hey you just heard me say something
Raaj - Wait aunty, while bringing water my throat is getting dry, just like my younger uncle, hihihi

Shila- damn you devil,
Raj laughing - By the way aunty can I ask you something, did uncle fill his juice in your bra too

Shila- don't show your teeth, I thought you were not going to do anything

Shila - And he did it once, I felt tingling and itching the whole day, so I refused to do it anymore.

Raj goes out smiling to get water.

Upstairs in Sonal's room, Nisha's intoxicating and painful sobs were rising.

will continue
Itne samaya bad update diya uske Liye sukhriya par Bhai bechareo anuj ko aur Kitna tadpao ge kamse Kam is Ghar mein hi Sheila k sath chudai Karwa do warna fir bua k Ghar Jana aur kab wapas ayega fir kab uske aur ragini k bich dekhne o milega waise hi bohut din Ghar se dur tha Chachi k Yaha ab toh usko Apne Ghar k swad chak ne do 205 update Kya orgy dikhaya tha raj ragini rangi shila rajjo ka kash anuj bhi hiya Khair Bhai please Meri thodi si Binti rakhlo
 
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