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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट
आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे
एक महत्वपूर्ण सूचना
इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।
फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।
मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद
इधर एक ओर जहा अरुण और शालिनी के दिल के अरमान अपने परवान चढ़ने को हो रहे थे , वही दुकान मे बैठा राहुल की हालत अलग खराब हो रखी थी ।
बीते 20-25 मिंट से उसका लन्ड लोहे की पाइप सा टाइट और तना हुआ था । मन मे उलझे हुए सवालों के लहर उठ रहे थे और लन्ड की नसों मे कुछ कामोत्तेजक कल्पनाओ मे अलग ही तरंग अलग ही उर्जा दौडा रही थी चढ्ढे के उपर से जोर से अपने फुन्कार मारते हुए सुपाडे को भींचता हुआ उसने दुकान मे इधर उधर देखा फिर धीरे से अरुण की मोबाईल स्क्रीन को छिपाते हुए उसमे चल रही वीडियो देखता है और उसकी सासे फिर से कपकपाने लगती है ।
चेहरे की हवाईयां अलग उड़ी होती और मुह पर पसीना आने लगता है । कलेजा जोरो से धड़क रहा था कि तभी उसे गलियारे से किसी के आने की आहत हुई और वो मोबाईल छिपा कर जेब मे घुसाता है ।
सामने देखा तो उसके पापा थे और वो दुकान मे बैठ गये ।
राहुल - खाना खा लिये पापा
जंगी - अरे हा , तु भी जा खा ले जा
राहुल जेब मे हाथ डाले हुए मोबाईल और खड़े लन्ड को छिपाता हुआ झटपट गलियारे से घर मे चला गया । हाल मे आते ही उसने आस पास नजर घुमाया तो कोई नजर नही आया । ना शालिनी ना अरुण ।
राहुल जैसे ही अपनी मा को आवाज देने के लिए उसके कमरे की ओर बढा तो उसके कमरे से अरुण की आवाज आई - आ गया भाई , जरा मोबाइल देना ।
राहुल ने जैसे ही अरुण को देखा तो उसके जिज्ञासाओ का पारा एकदम से हाई हो गया ।
तेजी से लपकते हुए वो अपने कमरे मे दाखिल होता हुआ - अबे बहिनचोद साले क्या क्या छिपा रखा है तुने इसमे ।
अरुण की अचरज से आंखे फैली और कुछ डरभरी शंका से गाड़ सिकुड गयी , हड़बड़ा हुआ वो हसने की कोसिस करता हुआ - क्क्या छिपा रखा है कुछ तो नही, दिखा जरा ?
राहुल - साले तु इतना कमीना होगा मैने सोचा नही था , ये सब क्या है ?
राहुल ने मोबाइल स्क्रीन अरुण की ओर घुमाता हुआ एक वीडियो प्ले कर देता है ।
जिसमे उसकी मा क्म्मो सूट सलवार पहन कर कमरे मे झाडू लगा रही थी और आगे की ओर झुकने की वजह से बिना दुपट्टे के उसकी गहरे गले वाली सूट से उसकी मोटी मोटी लटकी हुई छातियां साफ साफ हिलती हुई नजर आ रही थी ।
राहुल के हाथ मे मोबाइल पर चल रहे वीडियो को देख कर अरुण की फट कर चार हो गयी , कापते हाथो से उसने राहुल के हाथ से मोबाईल झपटनी चाही , मगर राहुल इस मामले मे ज्यादा सतर्क निकला और गुर्राते हुए - अभी और भी है
अरुण राहुल का नाराज चेहरा देख कर थोडा हिचका - तो क्या तुमने सब देख लिया
राहुल - हा और ये क्या है
राहुल ने एक ओर तस्वीर दिखाई जिसमे अरुण ने अपनी मा कम्मो को ब्लाउज पेतिकोट मे तस्वीर निकाली थी ।
अरुण - अरे भाई वो मै ,
राहुल - क्यू बोल ना बोल बोल
अरुण - तु मोबाईल इधर दे पहले
राहुल - नही पहले तु इस बारे मे मुझे सब बता फिर ? अरुण उलझा हुआ जवाब के बारे मे सोचने लगता है मगर राहुल की बकबक अभी भी जारी थी - साले तभी तु मुझे पोर्न वीडियो मे वो फैमिली सेक्स वाला ही ज्यादा दिखाता था क्यू ? तुझे तो यही सब पसन्द है ना ?
अरुण राहुल की असलियत ने अंजान था नही तो उसकी इतनी बकचोदी झेलता वो भन्नाते हुए बोला - हा तु बड़े सीधे हो , जैसे तुम उन वीडियो को देख कर हिलाया नही था ।
राहुल - अबे साले मुझे भी बड़ी उम्र की औरतें और गदराय जिस्म पसंद है इस्का मतलब तो क्या मै अपनी मा को ही अरुण - हा तो बस मुझे भी मेरी मा जैसी सेक्सी और गदराई औरतें पसन्द है ? तु तो ऐसे कह रहा है जैसे इन वीडियो जैसा कुछ तुने अपनी मा के साथ नही देखा होगा ।
राहुल सकपकाया - ये क्या बक रहा है तु
अरुण - चल चल अब मुझे मत सिखा , देखा है मैने तुझे मामी को निहारते हुए । बड़ा आया मुझे ज्ञान पेलने ।
राहुल चुप था
अरुण मोबाइल मे फ़ोल्डर फ़ाईल बैक करता हुआ - और असली चीज तो इसमे जो थी वो तो तुने देखी ही कहा ।
राहुल चौक कर - मतलब और भी था क्या कुछ ?
अरुण एक चतुराई भरी मुस्कुराहट देता है और मोबाइल जेब मे रखता हुआ - है तो तुझे इससे क्या , वो मेरे जैसे कमीने लड़के के लिए है , तु जा शराफती पेल जा
राहुल मुह बनाता हुआ दाँत दिखा कर - अबे भाव क्यू खा रहा है , दिखा ना अरुण - नही नही तु ज्ञान पेल ले ,
राहुल बत्तिसी दिखाता हुआ - अरे भाई वो तो मै बस ऐसे हिहिहिहिही , सच कहू तो तेरी बात सही ही है । ऐसे तैसे मै भी मम्मी को कभी कभी उस नजर से देख ही लेता हूँ उसमे कोई बुराई नही है
अरुण - अब आया ना लाईन पे
राहुल - लेकिन भाई अब तो दिखा दे , क्या माल छिपाया है ?
अरुण- हा हा दिखा दूँगा , पहले ये बता जो चीज़ के लिए तु मुझे बोल कर ले आया था उसका क्या हुआ ?
राहुल बत्तिसी दिखाता है कि तभी गलियारे से शालिनी गुजरती है और उसकी नजर राहुल के कमरे मे पडती है - अरे तु आ गया तो बोला क्यूँ नही , चल खाना खा ले ।
राहुल और अरुण दोनो की नजरें शालिनी नाइटी पर बाद उसके पहले उसके उभरे हुए चुचो के तने हुर निप्प्ल पर गयी और शालिनी ने भी ये देखा ।
मगर शालिनी चुपचाप निकल गयि ।
राहुल नजरे घुमा कर अरुण को देखा तो उससे नजरे टकराते ही हस दिया - क्या ? अबे पड़ जाती है नजर ? तो क्या आंखे फोड़ लूँ चल ना अब
अरुण हसने लगता है और दोनो हाल मे आकर बैठ जाते है , इधर शालिनी किचन मे राहुल के लिए थाली लगाती है ।
वही राहुल अरुण मे झपटा झपटी वाली अलग ही फुसफुसाहट चल रही थी
राहुल अरुण से मोबाइल देखने की जिद करता है मगर अरुण शालिनी के होने का इशारा करता है ।
राहुल धीमी आवाज मे - अरे भाई उसको टाईम लगेगा ना , दिखा दे ना एक बार
अरुण - भाई खुद देख ले ना क्या मस्त सीन है
राहुल - किधर ?
अरुन आंखो से इशारा कर उसको किचन मे झुकी हुई शालिनी के नाइटी मे फैले चुतड़ दिखाता है ।
तभी शालिनी सीधी खड़ी होती है और बिना पैंटी के नाइटी उसकी मोटे मोटे चुतडो के दरारो मे फस जाती है ।
अरुण - उफ्फ्फ
राहुल आंखे दिखा कर अरुण से भुनभुनाता है अरुण दान्त दिखाता हुआ - भाई देख ना , आज मामी ने अन्दर कुछ नही पहना है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ उसका गला पकड़ने लगता है और अरुण खिखी हसने लगता है ।
शालिनी - अरे अरे , क्या कर रहा है क्यू मार रहा है उसे
अरुण नाटक करता हुआ अपना गला पक्ड कर - आह्ह मामी देखो ना कैसे गला कस दिया था इसने मेरा
शालिनी खाने की थाली रखती हुई भाग कर अरुण के पास गयी और बगल मे बैठते हुए उसके गाल को सहलाती हुई अपने सीने से लगा लिया ।
अपनी मामी के गुदाज छातियों मे अपना अपने गाल घिसता हुआ अरुण मुस्कुराता हुआ अपने भौहे उचका कर राहुल को चिढाया और राहुल खिझ कर रह गया ।
इस दौरान शालिनी लगातार उसके सर को दुलारती हुई राहुल को डांटती रही ।
अमन के घर
अमन खाना खाकर अपने कमरे से निकला और जीने से होकर नीचे जा रहा था कि सामने दुलारी और रिन्की आपस मे बातें करते हुए हस्ते खिलखिलाते उपर आ रहे थे ।
अमन की नजर रिन्की के हाथ मे लटके कैरी बैगस पर गयी और मुस्कुरा कर - ओहो शॉपिंग , करो करो अकेले अकेले
रिन्की - हा जैसे मै कहती तो आप आ जाते
अमन रिन्की का रुखा जवाब सुनकर - अरे पूछा क्या एक भी बार और देखो तो भाभी कैसे बोल रही है ?
दुलारी- अरे देवर जी साफ साफ बोलो ना कि आप देखना चाहते हो कि मेरी बैल बुद्धि ननदीया क्या झोले भर लाई है
अमन हसता हुआ - नही नही मुझे नही देखना ,
दुलारी उस्का हाथ पक्ड कर खिंचती हुई - अरे आओ ना देवर जी , मस्त मस्त डिजाईनर कपडे लिये है इसने , पसन्द आये तो देवरानी को भी दिला देना उसमे से हिहिही
दुलारी ने हस्ते हुए रिन्की को आन्ख मारी और रिन्की शर्म से गढा गयी ।
तीनो साथ मे दुलारी के कमरे मे गये और हस्ते हुए दुलारी ने दरवाजा लगा दिया ।
सामने रिन्की अपने चुतड़ हिलाती हुई बाथरूम की ओर जाती हुई - भाभी मै अभी आई
दुलारी ने अमन की ओर देखा जिसकी नजर रिन्की की वाइट लेगी मे कसे हुए उसके उभरे हुए नरम नरम चुतड़ पर थी - बोल खायेगा उम्म
अमन अपना खड़ा मुसल मसलता हुआ - सच मे भाभी अब तो रहा नही जाता , वैसे क्या लाई है खरीद कर
दुलारी मुस्कुरा कर उसका खुन्टा लोवर के उपर से मसलती हुई - अह्ह्ह देवर जी सबर करो , असली खेल शुरु तो होने दो । तुम भी अपनी भौजाई को याद रखोगे
रिन्की इतने मे बाथरूम से आई ।
दुलारी - अरे देवर जी खड़े क्यू है आईये बैठ कर देखते है ना
रिन्की भी धीरे से मुस्कुराती हुई आई और लपक कर कैरी बैग का एक पैकेट झपटती हुई खिलखिलाई - इसको छोड़ कर सब दिखा दो हिहिही
अमन - अरे उसको क्यूँ छिपा रही है , दिखा ना ?
दुलारी- अरे असली माल तो उसी मे है इसमे तो ये सब कच्छी ब्रा है
ये बोलते हुए दुलारी ने झोले से रिन्की की ब्रा पैंटी वाली एक सेट बाहर निकाल दी ।
रिन्की मारे लाज के अमन से मुह छिपाती हुई मुस्कुरा रही थी और अमन की नजर रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी , बढिया क़्वालीटी के पैडेड ब्रा और लेस वाली मुलायम पैंटी , उसको स्पर्श करते ही अमन का लन्ड फड़फड़ाया ।
अमन को अपनी नयी पैंटी पर उंगलीयां फिरात देख रिन्की की चुत मे गुदगुदी उठने लगी , मानो अमन उसकी चुत के उपर अपनी उंगलियाँ फिरा रहा है ।
तभी अमन ने नजर उठा कर रिन्की को देखा और रिन्की लाज से मुस्कुराई
दुलारी - क्यू देवर जी है ना एक नम्बर आईटेम,
अमन - हा भाभी कपड़े का मैटेरियल बहुत सॉफ़्ट है , मुझे नही पता था कि चमनपुरा मे इतनी अच्छी क़्वालीटी के अंडरगारमेन्ट मिलते है । कहा से लिये
दुलारी हस्ती हुई - तुम्हारे ससुराल से हिहिहिही
अमन चौक कर - क्या सोनल की दुकान से , सच मे ?
दुलारी- हा और फिर हम लोग शॉपिंग कॉमप्लेक्स भी गये थे , वहा से इसके और अपने लिये नाइटी ली हमने फैंसी । वो भी पसंद आयेगा
अमन - हा हा दिखाओ ना
रिन्की हस्ती हुई पैकेट हाथ मे कसती हुई - ना ना भाभी हिहिही प्लीज
दुलारी- अरे दिखा ना , कपड़े ही तो है ना
दुलारी मे पैकेट छिना और उसने एक पिंक कलर की नाइटी निकाल कर खोलते हुए अमन के आगे फैला दी - हा देखो है ना अच्छी ?
अमन की नजर उस जालीदार ट्रांसपैरेन्स गुलाबी रंग की शार्ट नाईटी पर जम गयी , जिसके साथ एक पतली सी डोरी वाली थांग पैंटी थी । नजरे उठा कर उसने रिन्की को देखा - वाव यार , सो
दुलारी- सेक्सी ना ?
अमन - हा , अह ना आई मीन सो ब्यूटीफुल , लेकिन ये पहनने पर दिखेगी कैसी ? इसका कोई पैम्पलेट नही दिया है क्या ?
दुलारी- अरे भूल जाओ उस अंग्रेजन माडल को , हमारे पास अपनी घर की स्वीट ऐण्ड सेक्सी मॉडल है । अभी डेमो दे देगी हिहिही
दुलारी ने नजरे उथा कर रिन्की को देखा तो वो ना मे सर हिलाने लगी
दुलारी वो नाइटी लेके उठी और उसको पकड कर बाथरूम की ओर ले जाती हुई - अरे पगली इतना मस्त मौका है , छोड़ मत । देखा नही कैसे उसका खुन्टा बौराया हुआ है ।
रिन्की फुसफुफा कर - पर भाभी मुझे शर्म आ रही है ?
दुलारी- अरे जब वो ढीठ बना बैठा है तो तु काहे शर्म कर आ रही है , जा बदल के आ जा ।
दुलारी ने उसे बाथरूम के धकेला और हस्ती हुई अमन के पास - देखो देवर जी , अब कोई आना कानी ना हो ? मौका अच्छा है पकड़ के रगड़ देना ।
अमन चौक कर खड़ा हुआ और रिन्की के साथ आने वाले रोमांचक पल की झलकियां सोच कर अपना खड़ा मुसल मसलता हुआ - क्या अभीई ? जल्दी नही हो जायेगी भाभी ?
दुलारी की नजरे बस उसके उफनाते फड़फडाते लन्ड पर जमी थी और वो मौका पाते ही उसे बाहर निकाल कर दबोचती हुई - अह्ह्ह मेरे राजा , जल रही है वो पूरी भीतर से तेरे इस मुस्तैद मुसल के लिये , रगड़ कर फ़ाड डाल आज उह्ह्ह
अमन ने उसको अपनी बाहो मे भर कर उसके गरदन गाल को चूमता हुआ साडी के उपर से दुलारी के गाड़ मसलता है - अह्ह्ह भाभी कहो तो तुम दोनो की आज एक साथ ही उह्ह्ह उम्म
तभी बाथरूम के दरवाजे पर आहत हुई और दोनो अलग हुए और लजाती शर्माती नजरे नीची की हुई रिन्की अपने बालों को कान उल्झाती हुई कमरे मे दाखिल हुई
अमन की आंखे फैल गयी उस गुलाबी शार्ट नाइटी मे रिन्की के झलकते बदन को देख कर , उपर उसके भूरे भूरे निप्प्ल अपनी चोच उठाए सास ले रहे थे ।
गोरी चिकनी पतली टाँगे सुर्ख जाघो तक नंगी और कमर के पास नाइटी के आरपार झलकटी उसकी छोटी सी थांग जिसमे उसकी बुर बहुत मुस्कील से छिप पा रही थी ।
बुर के पास काले घुघराले बालों का गुच्छा अभी भी पैटी लाईन के किनारे किनरे झाड़ नुमा उभरा हुआ था ।
दुलारी- वाव यार , है ना देवर जी एकदम सेक्सी ?
अमन चौक कर - हा , हा भाभी बहुत प्यारा है और पीछे से दिखाओ ना
रिन्की ने दुलारी की देखा तो उसने घूमने का इशारा किया ,
पीछे घूमते ही अमन की नजर सीधे रिन्की की चिकने गोल मटोल चुतड पर गयी जिसकी सकरी दरारों मे थांग की स्ट्रिप चीरते हुए उपर लास्टीक मे जुड़ी थी ।
उसे देख कर अमन का लन्ड फड़फडाने लगा उसने जोर से अपना मुसल भिन्चा और तभी रिन्की ने एक और झटका अमन को दिया - आऊच्च्च्च सीईई मम्मीईई
ये बोलते हुए रिन्की आगे की ओर झुकी और अपने पैर को मसलने लगी ।
दुलारी- क्या हुआ ?
रिन्की सिस्कतो हुई उसी तरह झुकी हुई - आह्ह भाभी एक चींटी ने काटा उफ्फ्फ
वही अमन की नजर बस रिन्की के गोरे गोरे नंगे हुए गोल मटोल चुतड पर अटक गयी ।
दुलारी मुस्कुरा कर - अरे देवर जी अब आगे बढ़ो, अब तो चीटीयां भी उसके जिस्म पर रेंगने लगी ? रस टपकना शुरु हो गया है ?
अमन लगातार रिन्की को आगे झुके हुए अपना पैर सहलाते हुए देख रहा था और अपना मुसल मसल कर - क्या ऐसे सीधे ?
दुलारी- हा भाई जाओ ना बस
अमन आगे बढा और रिन्की के पास जाकर उसकी पीठ को सहलात हुआ - तु ठिक है ना , दिखा मुझे
रिन्की - अह्ह्ह भैया देखो लाल हो गया
अमन - इधर आ पैर इसपे रख
अमन ने रिन्की को पैर बिस्तर पर रखने को कहा औए रिन्की ने एक टांग उठा कर रखा ।
अमन निचे बैठ कर उसके घाव पर ठंडी फूंक मारने लगा और तभी उसकी नजर रिन्की के जांघो के बीच उसकी चुत के पास गयी , इतने करीब से उसने रिन्की की झाट भरी चुत देखी और वो ठहर सा गया ।
रिन्की को शरम आई और उसने नाइटी को निचे खिन्चते हुए खिलखिला कर - धत्त भैया कितने गन्दे हो आप , वहा कहा देख रहे हो ?
उसके निप्प्ल साफ साफ उभरे और कडक नजर आ रहे थे
अमन हसने लगा इसपे दुलारी ने मस्ती भरे मूड मे - अरे तेरी तिजोरी का ताला देख रहे है तेरे भैया , दिखा दे ना ?
रिन्की लजाती हुई बाथरूम की ओर बढ़ कर - धत्त भाभी तुम भी बहुत गन्दी हो , मै चंज करने जा रही हूं
दुलारी- अरे रुक ना
अमन भी हसता हुआ खड़ा हुआ ।
दुलारी- क्या यार सारा मजा खतम कर दिया , अरे सीधा चोच लगा कर पानी पिना था ना !
अमन - अरे कैसे करता भाभी वो रुकी ही नही ?
दुलारी- ह्म्म्ं इसकी अम्मा को घोड़े चोदे इसकी खबर लेती हु मै अभी ?
राज के घर
"उह्ह्ह मौसी अह्ह्ह आह्ह उम्म्ंम फ्क्क्क मीईई उम्म्ंम अह्ह्ह, सच मे बहुत मोटा है अह्ह्ह आह्ह "
रज्जो वो 10 इंच का मोटा dildo ट्विस्ट कर निशा की बुर मे घुसेड़ती हुई - आह्ह मेरी तो जान निकाल दी इसने अह्ह्ह पता नही कैसे वो भोस्डे वाली तेरी बुआ इसको पुरा घोन्ट जाती है आह्ह उह्ह्ह नोच मत आह्ह
निशा घोडी बन कर आगे झुक कर रज्जो की रसिली चुचिया हाथ मे पकड़े हुए मुह मे चुबला रही थी और रज्जो निचे उसकी बुर मे हचर ह्चर वो dildo घुसेड़ रही थी , निशा की बुर भलभला कर सफेद रंग छोड रही थी ।
निशा अपनी गाड़ उठा कर - आह्ह मौसी और और उह्ह्ह आ रहा है फिर से ऊहह ऊहह येह्ह्ह येश्ह्ह ऊहह फ्क्क्क फ्क्क्क फ्क्क उह्ह्ह्ह्हह्ह्ह
रज्जो निशा को झड़ते उस मोटे लन्ड पर खुद हुमुचते हुए देख कर हैरान थी , उसकी हथेली चुत के रस सन गयी थी , निशा के चेहरे पर चरमसुख की सन्तुस्टी के भाव थे । उसके हस्ते खिले हुए चेहरे पर एक गजब की कामुकता झलक रही थी , उसकी नशीली आंखे और मादक मे झुमते उसके जिस्म साफ बयां कर रहे थे कि निशा रज्जो की सोच से बहुत आगे की चीज है ।
रज्जो बस उसमे खो सी गयी ।
वही नीचे गेस्ट वाले कमरे मे एक कहानी का दुसरा दौर शुरू हो गया था । राज - फिर बुआ उस दुपहर हुआ क्या कुछ ?
शिला हसती हुई - हा हुआ ना
राज उस्तुकता और चहकपने से - क्या बताओ ना
शिला - सुन
देवर जी तो नहाने चले गये इधर कम्मो और मै निचे रसोई मे खाने की तैयारी करने लगे ।
हम तो रोज रात की बातें लगभाग साझा कर ही लेते , मगर उस दिन कम्मो के चेहरे पर गजब को रौनक थी ।
पुछने पर उसने सारी बातें उगल दी और इस शर्त पर कि वो तेरे फुफा से नही कहेंगी और दुपहर मे होने वाले घमासान की बात भी बताई ।
मैने भी उसे रसोइ से जल्दी छुट्टी दे दी उस रोज और तेरे फूफा को काम फुरमा कर बाजार के लिए भेज दिया ।
काम निपटा कर मै भी बेचैनी भी सासो से उपर गयी , जीने का दरवाजा बाहर से लगाया और चुपके से कम्मो के कमरे मे दरवाजे से कान लगाया ।
पलंग की चरमराह्ट और हाफती सासे सुन कर मेरे जोबन के दाने कड़क हो गये ।
मै भीतर से छटपटाता रही थी कि कहो से कुछ नजर आ जाये और मेरी नजर दरवाजे के कुंडी के पास बने सुराख पर गयी
दिल खुश हुआ और आंखे महिन कर भीतर नजर मारी तो देवर जी कम्मो को पूरी नन्गी किये घोडी बना कर उस्के कमर को थामे हचर ह्चर पेल रहे थे ।
उसकी मोटी मोटी चुचिया लटकी हुई खुब हिल रही थी और दोनो के भितर एक आग सी भरी थी ।
3 - 4 आसन बदल बदल कर जैसा देवर जी का स्वभाव था उन्होने क्म्मो को खुब हचक के पेला और उसके जिस्म पेट छातियों पर अपना माल गिराया ।
कम्मो के जिस्म रिसते उस गर्म नमकीन पिघलते लावे के स्वाद मेरे जीभ मे मह्सुस होने लगा और मेरी बुर बजब्जा कर रस छोड़ने लगी ।
फिर मै उठ कर अपने कमरे मे चली गयी , दिन ढला और रात हुई । देवर जी आये और मुझे खुब हचक कर पेला मगर लालची ने अपनी बीवी के हुकम नाफरमानी नही की । एक शब्द नही कहा , हो गया था मेरा देवर अपनी जोरू का गुलाम ।
अगली सुबह दोनो भाई अपने अपने कमरों मे नहा कर आने के बाद देवर जी कम्मो को दबोचा और भैया के पद चिन्हों पर चलते हुए उसने आज फिर कम्मो के ब्रा मे अपना माल गिराया ।
लेकिन आज तेरे फूफा पुरे फिराख मे थे जैसे ही देवर जी नहाने के लिए निचे गये वो लपक कर कम्मो के कमरे मे ।
मै भी मौका देखकर उनके पीछे ।
कमरे मे ना नुकुर वाला माहौल था तेरे फूफा कम्मो की चुचिया ब्लाउज के उपर से मिज रहे थे और लन्ड पुरा बाहर पिछवाड़े पर चुभो रहे थे ।
कम्मो - आह्ह आज नही , प्लीज ना
वो - तेरे कड़क जोबनो पर लन्ड रगड़ कर ही तो मुझे सुकून आता है
कम्मो - आप समझ नही रहे है आपके छोटे भैया आ जायेंगे , नहा कर कभी भी , मै कपड़ा कैसे उतार अभी
वो - मै नही जानता कम्मो मुझसे रहा नही जायेगा अह्ह्ह ले ले ना इसे भर ले
कम्मो - अच्छा थिक है मै ब्लाउज खोलती हुई आप पल्लू के निचे से गिरा देना
वो और भी उत्तेजित हुए और अपना लन्ड कम्मो के चुचियो मे हिलाने लगे , कम्मो ने बड़ी चालाकी से काम निपटाया मगर दोनो भाइयो के गाढ़े वीर्य से उसकी चोली पूरी गीली हो गयी ।
मै वहा से निकल गयी , मेरि जान्घे उस दृश्य को देख कर रिसने लगी थी ।
रसोई के टाईम मैने खुब मजे लिये उसके कि अब तो रोज उसके दोनो जोबन रसायेन्गे ।
कम्मो - आह्ह दिदी ऐसे तो मै परेशान रहूंगी पुरा दिन
मै - तो एक काम कर ना , तेरे जीजा को बता दे ना आज रात
कम्मो - क्या नही नही , मुझसे नही होगा
मै - अरे डरती क्यू है , तु कहे तो मै मदद करू
कम्मो - कैसे ?
मै - बस तु देखती जा आज रात क्या होता है ?
मैने योजना बनाई और शाम होने से पहले तेरे फूफा को आज रात मेरे साथ रुकने की जिद कर दी ।
वो - ये कैसी बात कर रही है तु, मै छोटे को क्या बोलूंगा
मै - वो सब मै नही जानती , आपको आज मेरे पास रुकना है आज पूरी रात मै आपके इस मोटे लन्ड की सवारी करूंगी प्लीज वो बुरे फसे उन्हे समझ नही आ रहा था कि कैसे वो अपने छोटे भाइ को इस बात के लिए राजी करेंगे ।
बेचैन होकर रात के खाने का निवाला किसी तरह गटका उंहोने और फिर घर के बाहर अलाग सेंकते हुए उनके जहन मे बस देवर जी से बात करने की झिझक चल रही थी ।
धीरे धीरे करके मेरे सास ससुर अलाव के पास से उठ कर अपने कमरे मे चले गये, मै और कम्मो आंगन मे बरतन धूल रहे थे , अभी देवर जी भी उठ कर जाने को हुए कि दूर से ही मैने तेरे फूफा को घूरा और वो मेरा इशारा समझ गये ।
वो - आह्ह छोटे बैठ तुझसे कुछ बात करनी है देवर जी भी शंका के भाव से वापस बैठ गये - क्या हुआ भाइया , आप परेशान लग रहे है ?
वो - बात चिंता की भी है और नही भी , ये सब तेरे विवेक पर निर्भर करेगा ।
देवर जी - मुझ पर , मै समझा नही साफ साफ कहिये ना
वो - अह अब क्या बताऊ , तू तो जानता ही है कि मेरा कम्मो के साथ साथ शिला से भी शारीरिक रिश्ता रहा है
देवर जी के माथे पर बल पड़ने लगा , अलाव की बूझती मीठी आंच अब तेज मह्सूस होने लगी । देवर जी भी भीतर से एक सन्सय भरे उलझन से घिरने लगे - हा भईया पता है , मगर बात क्या है ?
वो - बात ये है छोटे कि भले ही अब शिला और मै साथ नही सोते मगर हमारी बीती सुहानी रातें हमे अक्सर दिन तडपा देती है , दिन मे जब भी हम आमने सामने होते है हम दोनो के जज्बात हम पर हावि होने लगते है । वो तेरी है ये सोच कर मै उसपे हक नही जताता हु और इस बात से वो उदास सी रहती है ।
देवर जी भी अपने भैया की बात सुन कर चिंतित हुए - तो फिर क्या सोचा है इस बारे मे आपने ? भाभी का यू उदास होना मुझे पसन्द नही आप तो जानते ही हो ।
वो - हा इसीलिए मुझे तेरी अनुज्ञा चाहिये
देवर जी - मेरी , किस लिये ?
वो - दरअसल आज शाम को शिला ने मुझसे रात उसके पास सोने का कहा है । अब मुझे समझ नही आ रहा है कि मै कैसे इस उलझन को सुल्झाऊ ?
देवर जी तेरे फूफा की बात सुन कर भीतर ही भीतर गदगद हो गये कि आज रात उन्हे क्म्मो के साथ सोने को मिलेगा - आप बड़े है भैया जो आपको उचित लगे वही करिये ।
वो - एक पल को मै शिला के पास चला भी जाऊ ,मगर क्म्मो उस्का क्या ? उस बेचारी को ये रात अकेले ही काटनी पड़ेगी क्योकि तु उसके करीब कभी हुआ ही नही ।
देवर जी मुह उतारने का नाटक किये और बोले - माफ किजियेगा भईया मगर मुझे उलझन रहती है कि कैसे मै उसको छुउन्गा , क्या वो मेरा साथ देगी बहुत डर भी रहता है वो थोडा खुश हुए और करीब होकर बोले - अह अब तुझे क्या बताऊ मै , सही मायने मे खुल कर कहूँ कम्मो जैसी गर्म औरत मैने नही देखी ।
देवर जी आंखे फ़ाड कर तेरे फूफा को निहार रहे थे - सच कह रहा हु , सुहागरात पर वो इतनी गर्म और जोशीली थी कि पुछ मत और सम्भोग के समय वो इतनी कामोत्तेजक हो जाती है , इतने गन्दे गंदे बोलती है कि मै पागल हो जाता हु उफ्फ़ सच कहू तो तु बस उसको सोते हुए स्पर्श करके पहल कर लेना , बाकी वो खुद कर देगी ।
देवर जी का खुन्टा टाइट था वो उसको मिजते हुए - क्या सच मे भैया ?
वो - हा और जा मेरी मंजूरी है तुझे आज उसे अपना दम दिखा दे
दो हसते हुए उपर चले गये और कुछ देर बाद दोनो कमरों मे ह्चर फचर पेलाई जारी थी ।
तेरे फूफा उस रात दुगने जोश से मुझे चोद रहे थे और मै भी पागल हो गयी थी - आह्ह मेरे राजा ऊहह और चोदो उम्म्ंं , तुम्हारे लन्ड के बिना मेरी चुत सोने का नाम नही लेती अह्ह्ह और ऊहह
वो मेरे बालों को खिंचते हुए मुझे घोडी बनाये मेरी चुत मे लन्ड घचाघच पेल रहे थे - आह्ह साली रन्डी छिनार मेरी चुदक्कड़ बीवी उह्ह्ह्ह दो दो लन्ड के मजे मिल रहे है अब तो तुझे अह्ह बोल ना
मै - आह्ह हा मेरे राजा , मै आपकी रंडी बीवी हु आह्ह कल रात मेरे देवर मे मुझे खुब हचक के चोदा आज मेरा पति चोद रहा है आह्ह माह्ह्ह
वो और जोश मे - आह्ह क्या वो सिर्फ तेरा देवर है , आअन्न बोल ना साली कुतिया आह्ह बोल ना
मै उन्के मजबूत करारे झटके खाती हुई - हा मेरे राजा मेरा बहनोई भी है , आह्ह मजा आता अपने बहनोई से बुर मे लन्ड लेके आह्ह उह्ह्ह आप भी अपनी साली को पेलते हो उम्म्ंम खुब हचक हचक के
वो - आह्ह सच मे मेरी साली बहुत चुदासी और गर्म है , साली बुर मे भर कर निचोड़ लेती है मेरा लन्ड अह्ह्ह उह्ह्ह
मैने भी अपने चुत के छल्ले को अपने मोटे मुसल पर कसा और उसको निचोडती हुई - ऐसे करती क्या मेरे राजा उह्ह्ह बोलो ना ऐसे करती है वो उम्म्ं
वो पागल होने लगे - आह्ह मेरी जान तुम दोनो बहने ही रन्डी हो आह्ह ऐसे ही ऊहह साली कुतिया अह्ह्ह लेह्ह्ह उह्ह्ह
मै - आह्ह मेरे चोदू राजा ऊहह पेलो मुझे ऊहह
उन्होने मुझे घुमाया और पीठ के बल लिटा कर मेरे उपर आ गये और लन्ड बुर मे घुसाते हुए - ओह्ह मेरी चुदक्कड़ ऊहह लेह्ह्ह और लेह्ह जी तो करता है कि तुम दोनो बहनो को एक साथ लिटा कर ऐसे ही ऐसे ही अह्ह्ह हचक हचक के चोदू उह्ह्ह
मै - आह्ह सच मे मेरे ऊहह मेरा जरा भी ख्याल नही है उम्म्ं
वो - तुझे क्या चाहिये मेरी जान बोल ना
मै - मुझे भी मेरे दोनो पतियों का लन्ड चाहिये एक साथ वो भीई उह्ह्ह आह्ह
वो मेरी बातें सुन कर पागल हो गये और जोश ने खुब कस कस लन्ड मेरी चुत मे भरने लगे - आह्ह बहिनचोद तु सच मे रन्डी है आह्ह
मै उनके लन्ड पर अपनी चुत का छल्ला एक बार फिर से कसा और वो मदहौस होने लगे - आह्ह बोलो ना मेरे राजा दिलाओगे ना मुझे दो लन्ड अह्ह्ह प्लीज अह्ह्ह
वो हाफने लगे और लन्ड बाहर खींचकर तेजी हिलाते मेरे पेट पर झडने लगे - अह्ह्ह मेरी जान क्यू नही , अपने भाई सामने तुझे पेलने मे मजा आयेगा अह्ह्ह लेह्ह्ह और लेह्ह्ह उह्ह्ह आ रहा है मेराअह्ह्ह्ह उह्ह्ह
मै भी उस वक़्त झड रही थी उनके साथ , वही बगल के कमरे मे भी गर्म माहौल था ,
कम्मो देवर जी के मुसल पर सवार होकर - आह्ह मेरे राजा , ऊहह आज रात मे कैसे मना लिये अपने भैया को ?
देवर जी उसकी नंगी पीठ को छूते - मनाना क्या मैने हक से बोला कि मुझे मेरी बीवी क्म्मो के पास सोना है क्म्मो अपनी कमर को नचा कर लन्ड को बुर मे भरती हुई - धत्त झूठे , सच सच बोलो ना
देवर जी - सच कह रहा हु मेरी जान
कम्मो - अच्छा ऐसा क्या , कल मुझे उनके सामने चोद के दिखाओ तो जानू
देवर जी - क्या भैया के सामने, अरे ऐसे कैसे
कम्मो - क्यूँ, वो तो आपके सामने मुझपे हक जताते है और जब मन होता है पेल जाते है मुझे उम्म्ं
देवर जी कुछ जोशिले भी हो रहे थे तो कही झिझक भी थी ।
कम्मो अब लन्ड पर अपने कुल्हे उछालनते हुए हुमुचने लगी - आह्ह मेरे राजा मान जाओ ना , मुझे अच्छा लगेगा जब आप उनके सामने मुझे छुओगे मुझे मसलोगे
देवर जी मुस्कुरा कर कम्मो को बाहों मे भरते हुए - और अगर उन्का भी मूड हो गया तो
कम्मो - तो मै उनको भी मौका दे दूँगी लेकीन आपके
देवर जी का लन्ड फड़का - क्या मेरे सामने ही
कम्मो - क्यू देखा नही क्या कभी मुझे उनसे चुदते उम्म , जी तो करता आप दोनो का मुसल एक साथ लेलू उह्ह्ह अब तरसाओ मत मेरे राजा पेलो ना उह्ह्ह
देवर जी भैया के साथ क्म्मो को पेलने का सोच कर पागल गये और कुल्हे उठा कर निचे से तेजी से चोदने लगे ।
कम्मो - अह मेरे राजा ऐसे जी अह्ह्ह आप ऐसे चोदना मै उनका लन्ड चुसुंगी अह्ह्ह
देवर - आह्ह बहिनचोद , भैया सच कह रहे थे कि तु बहुत चुदासी है आह्ह मेरी जान लेह्ह्ह जो चाहिये सब दूँगा आह्ह मेरी जान ओह्ह्ह ओह्ह
कम्मो - आह्ह मेरे राजा और पेलो उन्म्म्ं उह्ह्ह हा ऐसे अहि उह्ह्ह
देवर जी पोजीशन बदला और कम्मो को करवत लिटा कर उसकी जान्घे चढा कर चुत मे पेलने लगे ।
कम्मो - उफ्फ्फ मेरे राजा आपके इन्ही अंदाज की दिवानी हु मै ,आह्ह मेरे राजा और चोदो ,नहला दो मेरी चुत को अपने रस से अह्ह्ह अह्ह्ह
देवर जी भी पागल होने लगे और लन्ड निकाल कर उसके गाड़ और चुत पर झडने लगे - आह्ह मेरी रन्डी ओह्ह कितनी गर्म है रे तुह्ह क़्ह्ह्ह लेह्ह्ह गर्म गर्म माल मेरा अह्ह्ह
कम्मो - ऊहह मेरे राजा फैला दो ना उह्ह्ज आह्ह ऐसे ही
देवर जी उसकी गाड़ और चुत के फाको पर अपना गाढ़ा सफेद बीर्य लिपने लगे , उंगलियो का स्पर्श पाकर कम्मो पागल होने लगी ।
पूरी चुत मलाई से सफेद होने लगी थी और देवर जी उंगलिया क्म्मो की बुर मे फचर फचर अन्दर बाहर हो रही थी , क्म्मो तेजी से झडते हुए सिस्क रही थी - आह्ह मेरे राज्ज्जा आह्ह मेरा आ रहा है रुकना मत ऊहह उफ्फ्फ आह्ह आह्ह उह्ह्ह
क्म्मो भी झड कर चूर हो गयि मगर जोशिले देवर जी ने एक राउंड और उसकी चुदाई की फिर दोनो सो गये
अगली सुबह हम चारों मे विचार बदल चुके थे ,रात मे चुदाई के दौरान उठे सपनो की कामुक झलक ने हमे भीतर से हिला कर रख दिया था ।
इधर नास्ते के समय देवर जी और तेरे फूफा की बातें हो रही थी ।
देवर जी ने तेरे फूफा को अपना रात का अनुभव साझा किया - सच मे भैया आपकी एक एक बात सही निकली कम्मो के बारें मे , वो कुछ अलग ही है ।
वो हसते हुए - फिर कितने राउंड
देवर जी - 3 बार , हर बार कुछ अलग ही जोश से वो मुझे निचोडती रही । सच मे भैया मजा आ गया
वो - हा भाई निचोड़ा तो तेरी भाभी ने भी कल रात मुझे उफ्फ़ ये दोनो बहने सच मे कितनी कामुक है
देवर जी - सच कह रहे है भईया और आपने नोटिस किया दोनो ने कभी हमसे सम्बन्ध बनाने से कभी इंकार नही किया , ऐसी आग तो सिर्फ
वो - रन्डीयों मे होती है ,
देवर जी - आह्ह सच कह दिया भैया आपने , दोनो की दोनो पक्की रान्ड है । देखा उनकी बातें करके ही हमारा ये हाल हो गया हाहाहा
वो - हा भाई सही कह रहे हो , पता है कल रात तो तेरी भाभी इतनी जोश मे थी कि अगर तु होता साथ मे तो वो तेरा लन्ड भी घोन्ट जाती
देवर जी - क्या सच मे , सेम ऐसा ही मैने भी अनुभव किया भैया , क्म्मो ने तो यहा तक कह डाला की हिम्मत है तो अपने भैया के सामने मुझपे हक जता कर दिखाओ
वो - हैं ? सच मे ? यार मेरा तो मन कर रहा है साली कम्मो की गाड़ अब खोल ही दूँ
देवर - हा भैया मै भी भाभी के चुतड को भेदना चाहता हु
वो - हा लेकिन अभी नही कर पायेगा तु
देवर जी - क्यू ?
वो - अरे शिला का महवारी शुरु हो गया है आज सुबह
देवर - अच्छा, फिर ?
वो - फिर क्या , क्म्मो को मिल कर दबोचते है फिर
देवर जी - सच मे , लेकिन कैसे ?
वो - वैसे ही जैसे वो चाहती है हाहहहहा
फिर बारी बारी से दोनो भाई नहाने चले गये । मेरे पिरियड शुरु हो गये थे तो रसोई से लेकर हर काम के लिए मेरी छुट्टी हो गयी थी और कम्मो का काम दुगना । मै छ्त पर अकेले आराम कर रही थी और वो रसोई मे काम कर रही थी ।
मौका देख के देवर जी को आंगन मे नजर रखने की ड्यूटी लगकर तेरे फुफा रसोई मे घुस गये और क्म्मो क्क दबोच लिया । रसोई के बाहर दिवाल से लग कर देवर जी झाक कर भीतर का नजारा देख रहे थे ।
तेरे फुफा ने क्म्मो को दबोच रखा था - आह्ह मेरी जान क्यू खफा खफा हो मुझसे , सुबह से देख रहा हु कम्मो इतराई और कसमसा कर उनसे दुर होने की कोशिश कर - आप तो बात मत करिये मुझसे , दीदी के लिए मुझे तनहा छोड दिया था हुउउह
वो मुस्कुरा के पीछे से उसके अपना खड़ा मुसल उसके चुतड़ मे चुभोते हुए - अकेले कहा मेरी जान, छोटे को भेजा था ना
कम्मो थोड़ी चुप हुई तो वो उसके रसिले मम्मे दबोचते हुए - और रात मे मैने तुम्हारी सिसकियाँ सुनी , कितनी जोश मे तुम उसके लन्ड की सवारी कर रही थी ।
कम्मो लाज के मारे मे झेप सी गयी , उसके तन बदन मे सिहरन पैदा होने लगी ये सोच कर कि कल रात वाली चोरी पकडी गयि - हा जब आप मेरा ख्याल नही रखोगे तो मुझे खुद का ख्याल रखना पडेगा ना , ले लूंगी मै भी किसी का लन्ड
कम्मो की ये बात सुनकर दोनो भाई के फौलादी मुसल फड़कने लगे , वो जोर से उसके चुचे मिजते हुए - आह्ह साली कितनी चुद्क्क्ड है रे तु ऊहह जी कर रहा है अभी चोद कर तेरे छातियो मे अपना रस भर दूँ
कम्मो - आह्ह मेरे राजा आराम से अम्मा बाऊजी बाहर ही है उह्ह्ह कोई आ जायेगा
तेरे फूफा कम्मो को पीछे से पकड़ कर मसल रहे थे और कामोत्तेजना मे उनकी जुबान फिसली - अह्ह्ह चिंता ना कर मेरी रान्ड, बाहर छोटे को खड़ा रखा है वो आंगन मे देख रहा है
कम्मो चौकी - क्या वो बाहर है ?
तेरे फुफा हसने लगे और रसोई के गेट के पास दिवाल से लग कर खड़े होकर पजामे के उपर से लन्ड मिजते हुए देवर जी की ओर इशारा किया ।
कम्मो और देवर जी की हवस भरी नजर मिली और कम्मो भीतर से हिल गयी उसकी चुत बुरी तरह बजबजा उठी , रात लिये हुए पति से वादे को इतनी जल्दी पूरी होने की उम्मीद नही थी और आने वाले रोमांच को लेके उस्का कलेजा धकधक हो रहा था ।
इधर एक ओर जहा अरुण और शालिनी के दिल के अरमान अपने परवान चढ़ने को हो रहे थे , वही दुकान मे बैठा राहुल की हालत अलग खराब हो रखी थी ।
बीते 20-25 मिंट से उसका लन्ड लोहे की पाइप सा टाइट और तना हुआ था । मन मे उलझे हुए सवालों के लहर उठ रहे थे और लन्ड की नसों मे कुछ कामोत्तेजक कल्पनाओ मे अलग ही तरंग अलग ही उर्जा दौडा रही थी चढ्ढे के उपर से जोर से अपने फुन्कार मारते हुए सुपाडे को भींचता हुआ उसने दुकान मे इधर उधर देखा फिर धीरे से अरुण की मोबाईल स्क्रीन को छिपाते हुए उसमे चल रही वीडियो देखता है और उसकी सासे फिर से कपकपाने लगती है ।
चेहरे की हवाईयां अलग उड़ी होती और मुह पर पसीना आने लगता है । कलेजा जोरो से धड़क रहा था कि तभी उसे गलियारे से किसी के आने की आहत हुई और वो मोबाईल छिपा कर जेब मे घुसाता है ।
सामने देखा तो उसके पापा थे और वो दुकान मे बैठ गये ।
राहुल - खाना खा लिये पापा
जंगी - अरे हा , तु भी जा खा ले जा
राहुल जेब मे हाथ डाले हुए मोबाईल और खड़े लन्ड को छिपाता हुआ झटपट गलियारे से घर मे चला गया । हाल मे आते ही उसने आस पास नजर घुमाया तो कोई नजर नही आया । ना शालिनी ना अरुण ।
राहुल जैसे ही अपनी मा को आवाज देने के लिए उसके कमरे की ओर बढा तो उसके कमरे से अरुण की आवाज आई - आ गया भाई , जरा मोबाइल देना ।
राहुल ने जैसे ही अरुण को देखा तो उसके जिज्ञासाओ का पारा एकदम से हाई हो गया ।
तेजी से लपकते हुए वो अपने कमरे मे दाखिल होता हुआ - अबे बहिनचोद साले क्या क्या छिपा रखा है तुने इसमे ।
अरुण की अचरज से आंखे फैली और कुछ डरभरी शंका से गाड़ सिकुड गयी , हड़बड़ा हुआ वो हसने की कोसिस करता हुआ - क्क्या छिपा रखा है कुछ तो नही, दिखा जरा ?
राहुल - साले तु इतना कमीना होगा मैने सोचा नही था , ये सब क्या है ?
राहुल ने मोबाइल स्क्रीन अरुण की ओर घुमाता हुआ एक वीडियो प्ले कर देता है ।
जिसमे उसकी मा क्म्मो सूट सलवार पहन कर कमरे मे झाडू लगा रही थी और आगे की ओर झुकने की वजह से बिना दुपट्टे के उसकी गहरे गले वाली सूट से उसकी मोटी मोटी लटकी हुई छातियां साफ साफ हिलती हुई नजर आ रही थी ।
राहुल के हाथ मे मोबाइल पर चल रहे वीडियो को देख कर अरुण की फट कर चार हो गयी , कापते हाथो से उसने राहुल के हाथ से मोबाईल झपटनी चाही , मगर राहुल इस मामले मे ज्यादा सतर्क निकला और गुर्राते हुए - अभी और भी है
अरुण राहुल का नाराज चेहरा देख कर थोडा हिचका - तो क्या तुमने सब देख लिया
राहुल - हा और ये क्या है
राहुल ने एक ओर तस्वीर दिखाई जिसमे अरुण ने अपनी मा कम्मो को ब्लाउज पेतिकोट मे तस्वीर निकाली थी ।
अरुण - अरे भाई वो मै ,
राहुल - क्यू बोल ना बोल बोल
अरुण - तु मोबाईल इधर दे पहले
राहुल - नही पहले तु इस बारे मे मुझे सब बता फिर ? अरुण उलझा हुआ जवाब के बारे मे सोचने लगता है मगर राहुल की बकबक अभी भी जारी थी - साले तभी तु मुझे पोर्न वीडियो मे वो फैमिली सेक्स वाला ही ज्यादा दिखाता था क्यू ? तुझे तो यही सब पसन्द है ना ?
अरुण राहुल की असलियत ने अंजान था नही तो उसकी इतनी बकचोदी झेलता वो भन्नाते हुए बोला - हा तु बड़े सीधे हो , जैसे तुम उन वीडियो को देख कर हिलाया नही था ।
राहुल - अबे साले मुझे भी बड़ी उम्र की औरतें और गदराय जिस्म पसंद है इस्का मतलब तो क्या मै अपनी मा को ही अरुण - हा तो बस मुझे भी मेरी मा जैसी सेक्सी और गदराई औरतें पसन्द है ? तु तो ऐसे कह रहा है जैसे इन वीडियो जैसा कुछ तुने अपनी मा के साथ नही देखा होगा ।
राहुल सकपकाया - ये क्या बक रहा है तु
अरुण - चल चल अब मुझे मत सिखा , देखा है मैने तुझे मामी को निहारते हुए । बड़ा आया मुझे ज्ञान पेलने ।
राहुल चुप था
अरुण मोबाइल मे फ़ोल्डर फ़ाईल बैक करता हुआ - और असली चीज तो इसमे जो थी वो तो तुने देखी ही कहा ।
राहुल चौक कर - मतलब और भी था क्या कुछ ?
अरुण एक चतुराई भरी मुस्कुराहट देता है और मोबाइल जेब मे रखता हुआ - है तो तुझे इससे क्या , वो मेरे जैसे कमीने लड़के के लिए है , तु जा शराफती पेल जा
राहुल मुह बनाता हुआ दाँत दिखा कर - अबे भाव क्यू खा रहा है , दिखा ना अरुण - नही नही तु ज्ञान पेल ले ,
राहुल बत्तिसी दिखाता हुआ - अरे भाई वो तो मै बस ऐसे हिहिहिहिही , सच कहू तो तेरी बात सही ही है । ऐसे तैसे मै भी मम्मी को कभी कभी उस नजर से देख ही लेता हूँ उसमे कोई बुराई नही है
अरुण - अब आया ना लाईन पे
राहुल - लेकिन भाई अब तो दिखा दे , क्या माल छिपाया है ?
अरुण- हा हा दिखा दूँगा , पहले ये बता जो चीज़ के लिए तु मुझे बोल कर ले आया था उसका क्या हुआ ?
राहुल बत्तिसी दिखाता है कि तभी गलियारे से शालिनी गुजरती है और उसकी नजर राहुल के कमरे मे पडती है - अरे तु आ गया तो बोला क्यूँ नही , चल खाना खा ले ।
राहुल और अरुण दोनो की नजरें शालिनी नाइटी पर बाद उसके पहले उसके उभरे हुए चुचो के तने हुर निप्प्ल पर गयी और शालिनी ने भी ये देखा ।
मगर शालिनी चुपचाप निकल गयि ।
राहुल नजरे घुमा कर अरुण को देखा तो उससे नजरे टकराते ही हस दिया - क्या ? अबे पड़ जाती है नजर ? तो क्या आंखे फोड़ लूँ चल ना अब
अरुण हसने लगता है और दोनो हाल मे आकर बैठ जाते है , इधर शालिनी किचन मे राहुल के लिए थाली लगाती है ।
वही राहुल अरुण मे झपटा झपटी वाली अलग ही फुसफुसाहट चल रही थी
राहुल अरुण से मोबाइल देखने की जिद करता है मगर अरुण शालिनी के होने का इशारा करता है ।
राहुल धीमी आवाज मे - अरे भाई उसको टाईम लगेगा ना , दिखा दे ना एक बार
अरुण - भाई खुद देख ले ना क्या मस्त सीन है
राहुल - किधर ?
अरुन आंखो से इशारा कर उसको किचन मे झुकी हुई शालिनी के नाइटी मे फैले चुतड़ दिखाता है ।
तभी शालिनी सीधी खड़ी होती है और बिना पैंटी के नाइटी उसकी मोटे मोटे चुतडो के दरारो मे फस जाती है ।
अरुण - उफ्फ्फ
राहुल आंखे दिखा कर अरुण से भुनभुनाता है अरुण दान्त दिखाता हुआ - भाई देख ना , आज मामी ने अन्दर कुछ नही पहना है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ उसका गला पकड़ने लगता है और अरुण खिखी हसने लगता है ।
शालिनी - अरे अरे , क्या कर रहा है क्यू मार रहा है उसे
अरुण नाटक करता हुआ अपना गला पक्ड कर - आह्ह मामी देखो ना कैसे गला कस दिया था इसने मेरा
शालिनी खाने की थाली रखती हुई भाग कर अरुण के पास गयी और बगल मे बैठते हुए उसके गाल को सहलाती हुई अपने सीने से लगा लिया ।
अपनी मामी के गुदाज छातियों मे अपना अपने गाल घिसता हुआ अरुण मुस्कुराता हुआ अपने भौहे उचका कर राहुल को चिढाया और राहुल खिझ कर रह गया ।
इस दौरान शालिनी लगातार उसके सर को दुलारती हुई राहुल को डांटती रही ।
अमन के घर
अमन खाना खाकर अपने कमरे से निकला और जीने से होकर नीचे जा रहा था कि सामने दुलारी और रिन्की आपस मे बातें करते हुए हस्ते खिलखिलाते उपर आ रहे थे ।
अमन की नजर रिन्की के हाथ मे लटके कैरी बैगस पर गयी और मुस्कुरा कर - ओहो शॉपिंग , करो करो अकेले अकेले
रिन्की - हा जैसे मै कहती तो आप आ जाते
अमन रिन्की का रुखा जवाब सुनकर - अरे पूछा क्या एक भी बार और देखो तो भाभी कैसे बोल रही है ?
दुलारी- अरे देवर जी साफ साफ बोलो ना कि आप देखना चाहते हो कि मेरी बैल बुद्धि ननदीया क्या झोले भर लाई है
अमन हसता हुआ - नही नही मुझे नही देखना ,
दुलारी उस्का हाथ पक्ड कर खिंचती हुई - अरे आओ ना देवर जी , मस्त मस्त डिजाईनर कपडे लिये है इसने , पसन्द आये तो देवरानी को भी दिला देना उसमे से हिहिही
दुलारी ने हस्ते हुए रिन्की को आन्ख मारी और रिन्की शर्म से गढा गयी ।
तीनो साथ मे दुलारी के कमरे मे गये और हस्ते हुए दुलारी ने दरवाजा लगा दिया ।
सामने रिन्की अपने चुतड़ हिलाती हुई बाथरूम की ओर जाती हुई - भाभी मै अभी आई
दुलारी ने अमन की ओर देखा जिसकी नजर रिन्की की वाइट लेगी मे कसे हुए उसके उभरे हुए नरम नरम चुतड़ पर थी - बोल खायेगा उम्म
अमन अपना खड़ा मुसल मसलता हुआ - सच मे भाभी अब तो रहा नही जाता , वैसे क्या लाई है खरीद कर
दुलारी मुस्कुरा कर उसका खुन्टा लोवर के उपर से मसलती हुई - अह्ह्ह देवर जी सबर करो , असली खेल शुरु तो होने दो । तुम भी अपनी भौजाई को याद रखोगे
रिन्की इतने मे बाथरूम से आई ।
दुलारी - अरे देवर जी खड़े क्यू है आईये बैठ कर देखते है ना
रिन्की भी धीरे से मुस्कुराती हुई आई और लपक कर कैरी बैग का एक पैकेट झपटती हुई खिलखिलाई - इसको छोड़ कर सब दिखा दो हिहिही
अमन - अरे उसको क्यूँ छिपा रही है , दिखा ना ?
दुलारी- अरे असली माल तो उसी मे है इसमे तो ये सब कच्छी ब्रा है
ये बोलते हुए दुलारी ने झोले से रिन्की की ब्रा पैंटी वाली एक सेट बाहर निकाल दी ।
रिन्की मारे लाज के अमन से मुह छिपाती हुई मुस्कुरा रही थी और अमन की नजर रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी , बढिया क़्वालीटी के पैडेड ब्रा और लेस वाली मुलायम पैंटी , उसको स्पर्श करते ही अमन का लन्ड फड़फड़ाया ।
अमन को अपनी नयी पैंटी पर उंगलीयां फिरात देख रिन्की की चुत मे गुदगुदी उठने लगी , मानो अमन उसकी चुत के उपर अपनी उंगलियाँ फिरा रहा है ।
तभी अमन ने नजर उठा कर रिन्की को देखा और रिन्की लाज से मुस्कुराई
दुलारी - क्यू देवर जी है ना एक नम्बर आईटेम,
अमन - हा भाभी कपड़े का मैटेरियल बहुत सॉफ़्ट है , मुझे नही पता था कि चमनपुरा मे इतनी अच्छी क़्वालीटी के अंडरगारमेन्ट मिलते है । कहा से लिये
दुलारी हस्ती हुई - तुम्हारे ससुराल से हिहिहिही
अमन चौक कर - क्या सोनल की दुकान से , सच मे ?
दुलारी- हा और फिर हम लोग शॉपिंग कॉमप्लेक्स भी गये थे , वहा से इसके और अपने लिये नाइटी ली हमने फैंसी । वो भी पसंद आयेगा
अमन - हा हा दिखाओ ना
रिन्की हस्ती हुई पैकेट हाथ मे कसती हुई - ना ना भाभी हिहिही प्लीज
दुलारी- अरे दिखा ना , कपड़े ही तो है ना
दुलारी मे पैकेट छिना और उसने एक पिंक कलर की नाइटी निकाल कर खोलते हुए अमन के आगे फैला दी - हा देखो है ना अच्छी ?
अमन की नजर उस जालीदार ट्रांसपैरेन्स गुलाबी रंग की शार्ट नाईटी पर जम गयी , जिसके साथ एक पतली सी डोरी वाली थांग पैंटी थी । नजरे उठा कर उसने रिन्की को देखा - वाव यार , सो
दुलारी- सेक्सी ना ?
अमन - हा , अह ना आई मीन सो ब्यूटीफुल , लेकिन ये पहनने पर दिखेगी कैसी ? इसका कोई पैम्पलेट नही दिया है क्या ?
दुलारी- अरे भूल जाओ उस अंग्रेजन माडल को , हमारे पास अपनी घर की स्वीट ऐण्ड सेक्सी मॉडल है । अभी डेमो दे देगी हिहिही
दुलारी ने नजरे उथा कर रिन्की को देखा तो वो ना मे सर हिलाने लगी
दुलारी वो नाइटी लेके उठी और उसको पकड कर बाथरूम की ओर ले जाती हुई - अरे पगली इतना मस्त मौका है , छोड़ मत । देखा नही कैसे उसका खुन्टा बौराया हुआ है ।
रिन्की फुसफुफा कर - पर भाभी मुझे शर्म आ रही है ?
दुलारी- अरे जब वो ढीठ बना बैठा है तो तु काहे शर्म कर आ रही है , जा बदल के आ जा ।
दुलारी ने उसे बाथरूम के धकेला और हस्ती हुई अमन के पास - देखो देवर जी , अब कोई आना कानी ना हो ? मौका अच्छा है पकड़ के रगड़ देना ।
अमन चौक कर खड़ा हुआ और रिन्की के साथ आने वाले रोमांचक पल की झलकियां सोच कर अपना खड़ा मुसल मसलता हुआ - क्या अभीई ? जल्दी नही हो जायेगी भाभी ?
दुलारी की नजरे बस उसके उफनाते फड़फडाते लन्ड पर जमी थी और वो मौका पाते ही उसे बाहर निकाल कर दबोचती हुई - अह्ह्ह मेरे राजा , जल रही है वो पूरी भीतर से तेरे इस मुस्तैद मुसल के लिये , रगड़ कर फ़ाड डाल आज उह्ह्ह
अमन ने उसको अपनी बाहो मे भर कर उसके गरदन गाल को चूमता हुआ साडी के उपर से दुलारी के गाड़ मसलता है - अह्ह्ह भाभी कहो तो तुम दोनो की आज एक साथ ही उह्ह्ह उम्म
तभी बाथरूम के दरवाजे पर आहत हुई और दोनो अलग हुए और लजाती शर्माती नजरे नीची की हुई रिन्की अपने बालों को कान उल्झाती हुई कमरे मे दाखिल हुई
अमन की आंखे फैल गयी उस गुलाबी शार्ट नाइटी मे रिन्की के झलकते बदन को देख कर , उपर उसके भूरे भूरे निप्प्ल अपनी चोच उठाए सास ले रहे थे ।
गोरी चिकनी पतली टाँगे सुर्ख जाघो तक नंगी और कमर के पास नाइटी के आरपार झलकटी उसकी छोटी सी थांग जिसमे उसकी बुर बहुत मुस्कील से छिप पा रही थी ।
बुर के पास काले घुघराले बालों का गुच्छा अभी भी पैटी लाईन के किनारे किनरे झाड़ नुमा उभरा हुआ था ।
दुलारी- वाव यार , है ना देवर जी एकदम सेक्सी ?
अमन चौक कर - हा , हा भाभी बहुत प्यारा है और पीछे से दिखाओ ना
रिन्की ने दुलारी की देखा तो उसने घूमने का इशारा किया ,
पीछे घूमते ही अमन की नजर सीधे रिन्की की चिकने गोल मटोल चुतड पर गयी जिसकी सकरी दरारों मे थांग की स्ट्रिप चीरते हुए उपर लास्टीक मे जुड़ी थी ।
उसे देख कर अमन का लन्ड फड़फडाने लगा उसने जोर से अपना मुसल भिन्चा और तभी रिन्की ने एक और झटका अमन को दिया - आऊच्च्च्च सीईई मम्मीईई
ये बोलते हुए रिन्की आगे की ओर झुकी और अपने पैर को मसलने लगी ।
दुलारी- क्या हुआ ?
रिन्की सिस्कतो हुई उसी तरह झुकी हुई - आह्ह भाभी एक चींटी ने काटा उफ्फ्फ
वही अमन की नजर बस रिन्की के गोरे गोरे नंगे हुए गोल मटोल चुतड पर अटक गयी ।
दुलारी मुस्कुरा कर - अरे देवर जी अब आगे बढ़ो, अब तो चीटीयां भी उसके जिस्म पर रेंगने लगी ? रस टपकना शुरु हो गया है ?
अमन लगातार रिन्की को आगे झुके हुए अपना पैर सहलाते हुए देख रहा था और अपना मुसल मसल कर - क्या ऐसे सीधे ?
दुलारी- हा भाई जाओ ना बस
अमन आगे बढा और रिन्की के पास जाकर उसकी पीठ को सहलात हुआ - तु ठिक है ना , दिखा मुझे
रिन्की - अह्ह्ह भैया देखो लाल हो गया
अमन - इधर आ पैर इसपे रख
अमन ने रिन्की को पैर बिस्तर पर रखने को कहा औए रिन्की ने एक टांग उठा कर रखा ।
अमन निचे बैठ कर उसके घाव पर ठंडी फूंक मारने लगा और तभी उसकी नजर रिन्की के जांघो के बीच उसकी चुत के पास गयी , इतने करीब से उसने रिन्की की झाट भरी चुत देखी और वो ठहर सा गया ।
रिन्की को शरम आई और उसने नाइटी को निचे खिन्चते हुए खिलखिला कर - धत्त भैया कितने गन्दे हो आप , वहा कहा देख रहे हो ?
उसके निप्प्ल साफ साफ उभरे और कडक नजर आ रहे थे
अमन हसने लगा इसपे दुलारी ने मस्ती भरे मूड मे - अरे तेरी तिजोरी का ताला देख रहे है तेरे भैया , दिखा दे ना ?
रिन्की लजाती हुई बाथरूम की ओर बढ़ कर - धत्त भाभी तुम भी बहुत गन्दी हो , मै चंज करने जा रही हूं
दुलारी- अरे रुक ना
अमन भी हसता हुआ खड़ा हुआ ।
दुलारी- क्या यार सारा मजा खतम कर दिया , अरे सीधा चोच लगा कर पानी पिना था ना !
अमन - अरे कैसे करता भाभी वो रुकी ही नही ?
दुलारी- ह्म्म्ं इसकी अम्मा को घोड़े चोदे इसकी खबर लेती हु मै अभी ?
राज के घर
"उह्ह्ह मौसी अह्ह्ह आह्ह उम्म्ंम फ्क्क्क मीईई उम्म्ंम अह्ह्ह, सच मे बहुत मोटा है अह्ह्ह आह्ह "
रज्जो वो 10 इंच का मोटा dildo ट्विस्ट कर निशा की बुर मे घुसेड़ती हुई - आह्ह मेरी तो जान निकाल दी इसने अह्ह्ह पता नही कैसे वो भोस्डे वाली तेरी बुआ इसको पुरा घोन्ट जाती है आह्ह उह्ह्ह नोच मत आह्ह
निशा घोडी बन कर आगे झुक कर रज्जो की रसिली चुचिया हाथ मे पकड़े हुए मुह मे चुबला रही थी और रज्जो निचे उसकी बुर मे हचर ह्चर वो dildo घुसेड़ रही थी , निशा की बुर भलभला कर सफेद रंग छोड रही थी ।
निशा अपनी गाड़ उठा कर - आह्ह मौसी और और उह्ह्ह आ रहा है फिर से ऊहह ऊहह येह्ह्ह येश्ह्ह ऊहह फ्क्क्क फ्क्क्क फ्क्क उह्ह्ह्ह्हह्ह्ह
रज्जो निशा को झड़ते उस मोटे लन्ड पर खुद हुमुचते हुए देख कर हैरान थी , उसकी हथेली चुत के रस सन गयी थी , निशा के चेहरे पर चरमसुख की सन्तुस्टी के भाव थे । उसके हस्ते खिले हुए चेहरे पर एक गजब की कामुकता झलक रही थी , उसकी नशीली आंखे और मादक मे झुमते उसके जिस्म साफ बयां कर रहे थे कि निशा रज्जो की सोच से बहुत आगे की चीज है ।
रज्जो बस उसमे खो सी गयी ।
वही नीचे गेस्ट वाले कमरे मे एक कहानी का दुसरा दौर शुरू हो गया था । राज - फिर बुआ उस दुपहर हुआ क्या कुछ ?
शिला हसती हुई - हा हुआ ना
राज उस्तुकता और चहकपने से - क्या बताओ ना
शिला - सुन
देवर जी तो नहाने चले गये इधर कम्मो और मै निचे रसोई मे खाने की तैयारी करने लगे ।
हम तो रोज रात की बातें लगभाग साझा कर ही लेते , मगर उस दिन कम्मो के चेहरे पर गजब को रौनक थी ।
पुछने पर उसने सारी बातें उगल दी और इस शर्त पर कि वो तेरे फुफा से नही कहेंगी और दुपहर मे होने वाले घमासान की बात भी बताई ।
मैने भी उसे रसोइ से जल्दी छुट्टी दे दी उस रोज और तेरे फूफा को काम फुरमा कर बाजार के लिए भेज दिया ।
काम निपटा कर मै भी बेचैनी भी सासो से उपर गयी , जीने का दरवाजा बाहर से लगाया और चुपके से कम्मो के कमरे मे दरवाजे से कान लगाया ।
पलंग की चरमराह्ट और हाफती सासे सुन कर मेरे जोबन के दाने कड़क हो गये ।
मै भीतर से छटपटाता रही थी कि कहो से कुछ नजर आ जाये और मेरी नजर दरवाजे के कुंडी के पास बने सुराख पर गयी
दिल खुश हुआ और आंखे महिन कर भीतर नजर मारी तो देवर जी कम्मो को पूरी नन्गी किये घोडी बना कर उस्के कमर को थामे हचर ह्चर पेल रहे थे ।
उसकी मोटी मोटी चुचिया लटकी हुई खुब हिल रही थी और दोनो के भितर एक आग सी भरी थी ।
3 - 4 आसन बदल बदल कर जैसा देवर जी का स्वभाव था उन्होने क्म्मो को खुब हचक के पेला और उसके जिस्म पेट छातियों पर अपना माल गिराया ।
कम्मो के जिस्म रिसते उस गर्म नमकीन पिघलते लावे के स्वाद मेरे जीभ मे मह्सुस होने लगा और मेरी बुर बजब्जा कर रस छोड़ने लगी ।
फिर मै उठ कर अपने कमरे मे चली गयी , दिन ढला और रात हुई । देवर जी आये और मुझे खुब हचक कर पेला मगर लालची ने अपनी बीवी के हुकम नाफरमानी नही की । एक शब्द नही कहा , हो गया था मेरा देवर अपनी जोरू का गुलाम ।
अगली सुबह दोनो भाई अपने अपने कमरों मे नहा कर आने के बाद देवर जी कम्मो को दबोचा और भैया के पद चिन्हों पर चलते हुए उसने आज फिर कम्मो के ब्रा मे अपना माल गिराया ।
लेकिन आज तेरे फूफा पुरे फिराख मे थे जैसे ही देवर जी नहाने के लिए निचे गये वो लपक कर कम्मो के कमरे मे ।
मै भी मौका देखकर उनके पीछे ।
कमरे मे ना नुकुर वाला माहौल था तेरे फूफा कम्मो की चुचिया ब्लाउज के उपर से मिज रहे थे और लन्ड पुरा बाहर पिछवाड़े पर चुभो रहे थे ।
कम्मो - आह्ह आज नही , प्लीज ना
वो - तेरे कड़क जोबनो पर लन्ड रगड़ कर ही तो मुझे सुकून आता है
कम्मो - आप समझ नही रहे है आपके छोटे भैया आ जायेंगे , नहा कर कभी भी , मै कपड़ा कैसे उतार अभी
वो - मै नही जानता कम्मो मुझसे रहा नही जायेगा अह्ह्ह ले ले ना इसे भर ले
कम्मो - अच्छा थिक है मै ब्लाउज खोलती हुई आप पल्लू के निचे से गिरा देना
वो और भी उत्तेजित हुए और अपना लन्ड कम्मो के चुचियो मे हिलाने लगे , कम्मो ने बड़ी चालाकी से काम निपटाया मगर दोनो भाइयो के गाढ़े वीर्य से उसकी चोली पूरी गीली हो गयी ।
मै वहा से निकल गयी , मेरि जान्घे उस दृश्य को देख कर रिसने लगी थी ।
रसोई के टाईम मैने खुब मजे लिये उसके कि अब तो रोज उसके दोनो जोबन रसायेन्गे ।
कम्मो - आह्ह दिदी ऐसे तो मै परेशान रहूंगी पुरा दिन
मै - तो एक काम कर ना , तेरे जीजा को बता दे ना आज रात
कम्मो - क्या नही नही , मुझसे नही होगा
मै - अरे डरती क्यू है , तु कहे तो मै मदद करू
कम्मो - कैसे ?
मै - बस तु देखती जा आज रात क्या होता है ?
मैने योजना बनाई और शाम होने से पहले तेरे फूफा को आज रात मेरे साथ रुकने की जिद कर दी ।
वो - ये कैसी बात कर रही है तु, मै छोटे को क्या बोलूंगा
मै - वो सब मै नही जानती , आपको आज मेरे पास रुकना है आज पूरी रात मै आपके इस मोटे लन्ड की सवारी करूंगी प्लीज वो बुरे फसे उन्हे समझ नही आ रहा था कि कैसे वो अपने छोटे भाइ को इस बात के लिए राजी करेंगे ।
बेचैन होकर रात के खाने का निवाला किसी तरह गटका उंहोने और फिर घर के बाहर अलाग सेंकते हुए उनके जहन मे बस देवर जी से बात करने की झिझक चल रही थी ।
धीरे धीरे करके मेरे सास ससुर अलाव के पास से उठ कर अपने कमरे मे चले गये, मै और कम्मो आंगन मे बरतन धूल रहे थे , अभी देवर जी भी उठ कर जाने को हुए कि दूर से ही मैने तेरे फूफा को घूरा और वो मेरा इशारा समझ गये ।
वो - आह्ह छोटे बैठ तुझसे कुछ बात करनी है देवर जी भी शंका के भाव से वापस बैठ गये - क्या हुआ भाइया , आप परेशान लग रहे है ?
वो - बात चिंता की भी है और नही भी , ये सब तेरे विवेक पर निर्भर करेगा ।
देवर जी - मुझ पर , मै समझा नही साफ साफ कहिये ना
वो - अह अब क्या बताऊ , तू तो जानता ही है कि मेरा कम्मो के साथ साथ शिला से भी शारीरिक रिश्ता रहा है
देवर जी के माथे पर बल पड़ने लगा , अलाव की बूझती मीठी आंच अब तेज मह्सूस होने लगी । देवर जी भी भीतर से एक सन्सय भरे उलझन से घिरने लगे - हा भईया पता है , मगर बात क्या है ?
वो - बात ये है छोटे कि भले ही अब शिला और मै साथ नही सोते मगर हमारी बीती सुहानी रातें हमे अक्सर दिन तडपा देती है , दिन मे जब भी हम आमने सामने होते है हम दोनो के जज्बात हम पर हावि होने लगते है । वो तेरी है ये सोच कर मै उसपे हक नही जताता हु और इस बात से वो उदास सी रहती है ।
देवर जी भी अपने भैया की बात सुन कर चिंतित हुए - तो फिर क्या सोचा है इस बारे मे आपने ? भाभी का यू उदास होना मुझे पसन्द नही आप तो जानते ही हो ।
वो - हा इसीलिए मुझे तेरी अनुज्ञा चाहिये
देवर जी - मेरी , किस लिये ?
वो - दरअसल आज शाम को शिला ने मुझसे रात उसके पास सोने का कहा है । अब मुझे समझ नही आ रहा है कि मै कैसे इस उलझन को सुल्झाऊ ?
देवर जी तेरे फूफा की बात सुन कर भीतर ही भीतर गदगद हो गये कि आज रात उन्हे क्म्मो के साथ सोने को मिलेगा - आप बड़े है भैया जो आपको उचित लगे वही करिये ।
वो - एक पल को मै शिला के पास चला भी जाऊ ,मगर क्म्मो उस्का क्या ? उस बेचारी को ये रात अकेले ही काटनी पड़ेगी क्योकि तु उसके करीब कभी हुआ ही नही ।
देवर जी मुह उतारने का नाटक किये और बोले - माफ किजियेगा भईया मगर मुझे उलझन रहती है कि कैसे मै उसको छुउन्गा , क्या वो मेरा साथ देगी बहुत डर भी रहता है वो थोडा खुश हुए और करीब होकर बोले - अह अब तुझे क्या बताऊ मै , सही मायने मे खुल कर कहूँ कम्मो जैसी गर्म औरत मैने नही देखी ।
देवर जी आंखे फ़ाड कर तेरे फूफा को निहार रहे थे - सच कह रहा हु , सुहागरात पर वो इतनी गर्म और जोशीली थी कि पुछ मत और सम्भोग के समय वो इतनी कामोत्तेजक हो जाती है , इतने गन्दे गंदे बोलती है कि मै पागल हो जाता हु उफ्फ़ सच कहू तो तु बस उसको सोते हुए स्पर्श करके पहल कर लेना , बाकी वो खुद कर देगी ।
देवर जी का खुन्टा टाइट था वो उसको मिजते हुए - क्या सच मे भैया ?
वो - हा और जा मेरी मंजूरी है तुझे आज उसे अपना दम दिखा दे
दो हसते हुए उपर चले गये और कुछ देर बाद दोनो कमरों मे ह्चर फचर पेलाई जारी थी ।
तेरे फूफा उस रात दुगने जोश से मुझे चोद रहे थे और मै भी पागल हो गयी थी - आह्ह मेरे राजा ऊहह और चोदो उम्म्ंं , तुम्हारे लन्ड के बिना मेरी चुत सोने का नाम नही लेती अह्ह्ह और ऊहह
वो मेरे बालों को खिंचते हुए मुझे घोडी बनाये मेरी चुत मे लन्ड घचाघच पेल रहे थे - आह्ह साली रन्डी छिनार मेरी चुदक्कड़ बीवी उह्ह्ह्ह दो दो लन्ड के मजे मिल रहे है अब तो तुझे अह्ह बोल ना
मै - आह्ह हा मेरे राजा , मै आपकी रंडी बीवी हु आह्ह कल रात मेरे देवर मे मुझे खुब हचक के चोदा आज मेरा पति चोद रहा है आह्ह माह्ह्ह
वो और जोश मे - आह्ह क्या वो सिर्फ तेरा देवर है , आअन्न बोल ना साली कुतिया आह्ह बोल ना
मै उन्के मजबूत करारे झटके खाती हुई - हा मेरे राजा मेरा बहनोई भी है , आह्ह मजा आता अपने बहनोई से बुर मे लन्ड लेके आह्ह उह्ह्ह आप भी अपनी साली को पेलते हो उम्म्ंम खुब हचक हचक के
वो - आह्ह सच मे मेरी साली बहुत चुदासी और गर्म है , साली बुर मे भर कर निचोड़ लेती है मेरा लन्ड अह्ह्ह उह्ह्ह
मैने भी अपने चुत के छल्ले को अपने मोटे मुसल पर कसा और उसको निचोडती हुई - ऐसे करती क्या मेरे राजा उह्ह्ह बोलो ना ऐसे करती है वो उम्म्ं
वो पागल होने लगे - आह्ह मेरी जान तुम दोनो बहने ही रन्डी हो आह्ह ऐसे ही ऊहह साली कुतिया अह्ह्ह लेह्ह्ह उह्ह्ह
मै - आह्ह मेरे चोदू राजा ऊहह पेलो मुझे ऊहह
उन्होने मुझे घुमाया और पीठ के बल लिटा कर मेरे उपर आ गये और लन्ड बुर मे घुसाते हुए - ओह्ह मेरी चुदक्कड़ ऊहह लेह्ह्ह और लेह्ह जी तो करता है कि तुम दोनो बहनो को एक साथ लिटा कर ऐसे ही ऐसे ही अह्ह्ह हचक हचक के चोदू उह्ह्ह
मै - आह्ह सच मे मेरे ऊहह मेरा जरा भी ख्याल नही है उम्म्ं
वो - तुझे क्या चाहिये मेरी जान बोल ना
मै - मुझे भी मेरे दोनो पतियों का लन्ड चाहिये एक साथ वो भीई उह्ह्ह आह्ह
वो मेरी बातें सुन कर पागल हो गये और जोश ने खुब कस कस लन्ड मेरी चुत मे भरने लगे - आह्ह बहिनचोद तु सच मे रन्डी है आह्ह
मै उनके लन्ड पर अपनी चुत का छल्ला एक बार फिर से कसा और वो मदहौस होने लगे - आह्ह बोलो ना मेरे राजा दिलाओगे ना मुझे दो लन्ड अह्ह्ह प्लीज अह्ह्ह
वो हाफने लगे और लन्ड बाहर खींचकर तेजी हिलाते मेरे पेट पर झडने लगे - अह्ह्ह मेरी जान क्यू नही , अपने भाई सामने तुझे पेलने मे मजा आयेगा अह्ह्ह लेह्ह्ह और लेह्ह्ह उह्ह्ह आ रहा है मेराअह्ह्ह्ह उह्ह्ह
मै भी उस वक़्त झड रही थी उनके साथ , वही बगल के कमरे मे भी गर्म माहौल था ,
कम्मो देवर जी के मुसल पर सवार होकर - आह्ह मेरे राजा , ऊहह आज रात मे कैसे मना लिये अपने भैया को ?
देवर जी उसकी नंगी पीठ को छूते - मनाना क्या मैने हक से बोला कि मुझे मेरी बीवी क्म्मो के पास सोना है क्म्मो अपनी कमर को नचा कर लन्ड को बुर मे भरती हुई - धत्त झूठे , सच सच बोलो ना
देवर जी - सच कह रहा हु मेरी जान
कम्मो - अच्छा ऐसा क्या , कल मुझे उनके सामने चोद के दिखाओ तो जानू
देवर जी - क्या भैया के सामने, अरे ऐसे कैसे
कम्मो - क्यूँ, वो तो आपके सामने मुझपे हक जताते है और जब मन होता है पेल जाते है मुझे उम्म्ं
देवर जी कुछ जोशिले भी हो रहे थे तो कही झिझक भी थी ।
कम्मो अब लन्ड पर अपने कुल्हे उछालनते हुए हुमुचने लगी - आह्ह मेरे राजा मान जाओ ना , मुझे अच्छा लगेगा जब आप उनके सामने मुझे छुओगे मुझे मसलोगे
देवर जी मुस्कुरा कर कम्मो को बाहों मे भरते हुए - और अगर उन्का भी मूड हो गया तो
कम्मो - तो मै उनको भी मौका दे दूँगी लेकीन आपके
देवर जी का लन्ड फड़का - क्या मेरे सामने ही
कम्मो - क्यू देखा नही क्या कभी मुझे उनसे चुदते उम्म , जी तो करता आप दोनो का मुसल एक साथ लेलू उह्ह्ह अब तरसाओ मत मेरे राजा पेलो ना उह्ह्ह
देवर जी भैया के साथ क्म्मो को पेलने का सोच कर पागल गये और कुल्हे उठा कर निचे से तेजी से चोदने लगे ।
कम्मो - अह मेरे राजा ऐसे जी अह्ह्ह आप ऐसे चोदना मै उनका लन्ड चुसुंगी अह्ह्ह
देवर - आह्ह बहिनचोद , भैया सच कह रहे थे कि तु बहुत चुदासी है आह्ह मेरी जान लेह्ह्ह जो चाहिये सब दूँगा आह्ह मेरी जान ओह्ह्ह ओह्ह
कम्मो - आह्ह मेरे राजा और पेलो उन्म्म्ं उह्ह्ह हा ऐसे अहि उह्ह्ह
देवर जी पोजीशन बदला और कम्मो को करवत लिटा कर उसकी जान्घे चढा कर चुत मे पेलने लगे ।
कम्मो - उफ्फ्फ मेरे राजा आपके इन्ही अंदाज की दिवानी हु मै ,आह्ह मेरे राजा और चोदो ,नहला दो मेरी चुत को अपने रस से अह्ह्ह अह्ह्ह
देवर जी भी पागल होने लगे और लन्ड निकाल कर उसके गाड़ और चुत पर झडने लगे - आह्ह मेरी रन्डी ओह्ह कितनी गर्म है रे तुह्ह क़्ह्ह्ह लेह्ह्ह गर्म गर्म माल मेरा अह्ह्ह
कम्मो - ऊहह मेरे राजा फैला दो ना उह्ह्ज आह्ह ऐसे ही
देवर जी उसकी गाड़ और चुत के फाको पर अपना गाढ़ा सफेद बीर्य लिपने लगे , उंगलियो का स्पर्श पाकर कम्मो पागल होने लगी ।
पूरी चुत मलाई से सफेद होने लगी थी और देवर जी उंगलिया क्म्मो की बुर मे फचर फचर अन्दर बाहर हो रही थी , क्म्मो तेजी से झडते हुए सिस्क रही थी - आह्ह मेरे राज्ज्जा आह्ह मेरा आ रहा है रुकना मत ऊहह उफ्फ्फ आह्ह आह्ह उह्ह्ह
क्म्मो भी झड कर चूर हो गयि मगर जोशिले देवर जी ने एक राउंड और उसकी चुदाई की फिर दोनो सो गये
अगली सुबह हम चारों मे विचार बदल चुके थे ,रात मे चुदाई के दौरान उठे सपनो की कामुक झलक ने हमे भीतर से हिला कर रख दिया था ।
इधर नास्ते के समय देवर जी और तेरे फूफा की बातें हो रही थी ।
देवर जी ने तेरे फूफा को अपना रात का अनुभव साझा किया - सच मे भैया आपकी एक एक बात सही निकली कम्मो के बारें मे , वो कुछ अलग ही है ।
वो हसते हुए - फिर कितने राउंड
देवर जी - 3 बार , हर बार कुछ अलग ही जोश से वो मुझे निचोडती रही । सच मे भैया मजा आ गया
वो - हा भाई निचोड़ा तो तेरी भाभी ने भी कल रात मुझे उफ्फ़ ये दोनो बहने सच मे कितनी कामुक है
देवर जी - सच कह रहे है भईया और आपने नोटिस किया दोनो ने कभी हमसे सम्बन्ध बनाने से कभी इंकार नही किया , ऐसी आग तो सिर्फ
वो - रन्डीयों मे होती है ,
देवर जी - आह्ह सच कह दिया भैया आपने , दोनो की दोनो पक्की रान्ड है । देखा उनकी बातें करके ही हमारा ये हाल हो गया हाहाहा
वो - हा भाई सही कह रहे हो , पता है कल रात तो तेरी भाभी इतनी जोश मे थी कि अगर तु होता साथ मे तो वो तेरा लन्ड भी घोन्ट जाती
देवर जी - क्या सच मे , सेम ऐसा ही मैने भी अनुभव किया भैया , क्म्मो ने तो यहा तक कह डाला की हिम्मत है तो अपने भैया के सामने मुझपे हक जता कर दिखाओ
वो - हैं ? सच मे ? यार मेरा तो मन कर रहा है साली कम्मो की गाड़ अब खोल ही दूँ
देवर - हा भैया मै भी भाभी के चुतड को भेदना चाहता हु
वो - हा लेकिन अभी नही कर पायेगा तु
देवर जी - क्यू ?
वो - अरे शिला का महवारी शुरु हो गया है आज सुबह
देवर - अच्छा, फिर ?
वो - फिर क्या , क्म्मो को मिल कर दबोचते है फिर
देवर जी - सच मे , लेकिन कैसे ?
वो - वैसे ही जैसे वो चाहती है हाहहहहा
फिर बारी बारी से दोनो भाई नहाने चले गये । मेरे पिरियड शुरु हो गये थे तो रसोई से लेकर हर काम के लिए मेरी छुट्टी हो गयी थी और कम्मो का काम दुगना । मै छ्त पर अकेले आराम कर रही थी और वो रसोई मे काम कर रही थी ।
मौका देख के देवर जी को आंगन मे नजर रखने की ड्यूटी लगकर तेरे फुफा रसोई मे घुस गये और क्म्मो क्क दबोच लिया । रसोई के बाहर दिवाल से लग कर देवर जी झाक कर भीतर का नजारा देख रहे थे ।
तेरे फुफा ने क्म्मो को दबोच रखा था - आह्ह मेरी जान क्यू खफा खफा हो मुझसे , सुबह से देख रहा हु कम्मो इतराई और कसमसा कर उनसे दुर होने की कोशिश कर - आप तो बात मत करिये मुझसे , दीदी के लिए मुझे तनहा छोड दिया था हुउउह
वो मुस्कुरा के पीछे से उसके अपना खड़ा मुसल उसके चुतड़ मे चुभोते हुए - अकेले कहा मेरी जान, छोटे को भेजा था ना
कम्मो थोड़ी चुप हुई तो वो उसके रसिले मम्मे दबोचते हुए - और रात मे मैने तुम्हारी सिसकियाँ सुनी , कितनी जोश मे तुम उसके लन्ड की सवारी कर रही थी ।
कम्मो लाज के मारे मे झेप सी गयी , उसके तन बदन मे सिहरन पैदा होने लगी ये सोच कर कि कल रात वाली चोरी पकडी गयि - हा जब आप मेरा ख्याल नही रखोगे तो मुझे खुद का ख्याल रखना पडेगा ना , ले लूंगी मै भी किसी का लन्ड
कम्मो की ये बात सुनकर दोनो भाई के फौलादी मुसल फड़कने लगे , वो जोर से उसके चुचे मिजते हुए - आह्ह साली कितनी चुद्क्क्ड है रे तु ऊहह जी कर रहा है अभी चोद कर तेरे छातियो मे अपना रस भर दूँ
कम्मो - आह्ह मेरे राजा आराम से अम्मा बाऊजी बाहर ही है उह्ह्ह कोई आ जायेगा
तेरे फूफा कम्मो को पीछे से पकड़ कर मसल रहे थे और कामोत्तेजना मे उनकी जुबान फिसली - अह्ह्ह चिंता ना कर मेरी रान्ड, बाहर छोटे को खड़ा रखा है वो आंगन मे देख रहा है
कम्मो चौकी - क्या वो बाहर है ?
तेरे फुफा हसने लगे और रसोई के गेट के पास दिवाल से लग कर खड़े होकर पजामे के उपर से लन्ड मिजते हुए देवर जी की ओर इशारा किया ।
कम्मो और देवर जी की हवस भरी नजर मिली और कम्मो भीतर से हिल गयी उसकी चुत बुरी तरह बजबजा उठी , रात लिये हुए पति से वादे को इतनी जल्दी पूरी होने की उम्मीद नही थी और आने वाले रोमांच को लेके उस्का कलेजा धकधक हो रहा था ।
Behatreen update mitra,
Ek saath teen match ka prasaran dikha rahe ho bahut hi gazab hai,
Waise hero ke ghar mein bhi thodi uthal puthal dikhao to maza aur badh jayega,
इधर एक ओर जहा अरुण और शालिनी के दिल के अरमान अपने परवान चढ़ने को हो रहे थे , वही दुकान मे बैठा राहुल की हालत अलग खराब हो रखी थी ।
बीते 20-25 मिंट से उसका लन्ड लोहे की पाइप सा टाइट और तना हुआ था । मन मे उलझे हुए सवालों के लहर उठ रहे थे और लन्ड की नसों मे कुछ कामोत्तेजक कल्पनाओ मे अलग ही तरंग अलग ही उर्जा दौडा रही थी चढ्ढे के उपर से जोर से अपने फुन्कार मारते हुए सुपाडे को भींचता हुआ उसने दुकान मे इधर उधर देखा फिर धीरे से अरुण की मोबाईल स्क्रीन को छिपाते हुए उसमे चल रही वीडियो देखता है और उसकी सासे फिर से कपकपाने लगती है ।
चेहरे की हवाईयां अलग उड़ी होती और मुह पर पसीना आने लगता है । कलेजा जोरो से धड़क रहा था कि तभी उसे गलियारे से किसी के आने की आहत हुई और वो मोबाईल छिपा कर जेब मे घुसाता है ।
सामने देखा तो उसके पापा थे और वो दुकान मे बैठ गये ।
राहुल - खाना खा लिये पापा
जंगी - अरे हा , तु भी जा खा ले जा
राहुल जेब मे हाथ डाले हुए मोबाईल और खड़े लन्ड को छिपाता हुआ झटपट गलियारे से घर मे चला गया । हाल मे आते ही उसने आस पास नजर घुमाया तो कोई नजर नही आया । ना शालिनी ना अरुण ।
राहुल जैसे ही अपनी मा को आवाज देने के लिए उसके कमरे की ओर बढा तो उसके कमरे से अरुण की आवाज आई - आ गया भाई , जरा मोबाइल देना ।
राहुल ने जैसे ही अरुण को देखा तो उसके जिज्ञासाओ का पारा एकदम से हाई हो गया ।
तेजी से लपकते हुए वो अपने कमरे मे दाखिल होता हुआ - अबे बहिनचोद साले क्या क्या छिपा रखा है तुने इसमे ।
अरुण की अचरज से आंखे फैली और कुछ डरभरी शंका से गाड़ सिकुड गयी , हड़बड़ा हुआ वो हसने की कोसिस करता हुआ - क्क्या छिपा रखा है कुछ तो नही, दिखा जरा ?
राहुल - साले तु इतना कमीना होगा मैने सोचा नही था , ये सब क्या है ?
राहुल ने मोबाइल स्क्रीन अरुण की ओर घुमाता हुआ एक वीडियो प्ले कर देता है ।
जिसमे उसकी मा क्म्मो सूट सलवार पहन कर कमरे मे झाडू लगा रही थी और आगे की ओर झुकने की वजह से बिना दुपट्टे के उसकी गहरे गले वाली सूट से उसकी मोटी मोटी लटकी हुई छातियां साफ साफ हिलती हुई नजर आ रही थी ।
राहुल के हाथ मे मोबाइल पर चल रहे वीडियो को देख कर अरुण की फट कर चार हो गयी , कापते हाथो से उसने राहुल के हाथ से मोबाईल झपटनी चाही , मगर राहुल इस मामले मे ज्यादा सतर्क निकला और गुर्राते हुए - अभी और भी है
अरुण राहुल का नाराज चेहरा देख कर थोडा हिचका - तो क्या तुमने सब देख लिया
राहुल - हा और ये क्या है
राहुल ने एक ओर तस्वीर दिखाई जिसमे अरुण ने अपनी मा कम्मो को ब्लाउज पेतिकोट मे तस्वीर निकाली थी ।
अरुण - अरे भाई वो मै ,
राहुल - क्यू बोल ना बोल बोल
अरुण - तु मोबाईल इधर दे पहले
राहुल - नही पहले तु इस बारे मे मुझे सब बता फिर ? अरुण उलझा हुआ जवाब के बारे मे सोचने लगता है मगर राहुल की बकबक अभी भी जारी थी - साले तभी तु मुझे पोर्न वीडियो मे वो फैमिली सेक्स वाला ही ज्यादा दिखाता था क्यू ? तुझे तो यही सब पसन्द है ना ?
अरुण राहुल की असलियत ने अंजान था नही तो उसकी इतनी बकचोदी झेलता वो भन्नाते हुए बोला - हा तु बड़े सीधे हो , जैसे तुम उन वीडियो को देख कर हिलाया नही था ।
राहुल - अबे साले मुझे भी बड़ी उम्र की औरतें और गदराय जिस्म पसंद है इस्का मतलब तो क्या मै अपनी मा को ही अरुण - हा तो बस मुझे भी मेरी मा जैसी सेक्सी और गदराई औरतें पसन्द है ? तु तो ऐसे कह रहा है जैसे इन वीडियो जैसा कुछ तुने अपनी मा के साथ नही देखा होगा ।
राहुल सकपकाया - ये क्या बक रहा है तु
अरुण - चल चल अब मुझे मत सिखा , देखा है मैने तुझे मामी को निहारते हुए । बड़ा आया मुझे ज्ञान पेलने ।
राहुल चुप था
अरुण मोबाइल मे फ़ोल्डर फ़ाईल बैक करता हुआ - और असली चीज तो इसमे जो थी वो तो तुने देखी ही कहा ।
राहुल चौक कर - मतलब और भी था क्या कुछ ?
अरुण एक चतुराई भरी मुस्कुराहट देता है और मोबाइल जेब मे रखता हुआ - है तो तुझे इससे क्या , वो मेरे जैसे कमीने लड़के के लिए है , तु जा शराफती पेल जा
राहुल मुह बनाता हुआ दाँत दिखा कर - अबे भाव क्यू खा रहा है , दिखा ना अरुण - नही नही तु ज्ञान पेल ले ,
राहुल बत्तिसी दिखाता हुआ - अरे भाई वो तो मै बस ऐसे हिहिहिहिही , सच कहू तो तेरी बात सही ही है । ऐसे तैसे मै भी मम्मी को कभी कभी उस नजर से देख ही लेता हूँ उसमे कोई बुराई नही है
अरुण - अब आया ना लाईन पे
राहुल - लेकिन भाई अब तो दिखा दे , क्या माल छिपाया है ?
अरुण- हा हा दिखा दूँगा , पहले ये बता जो चीज़ के लिए तु मुझे बोल कर ले आया था उसका क्या हुआ ?
राहुल बत्तिसी दिखाता है कि तभी गलियारे से शालिनी गुजरती है और उसकी नजर राहुल के कमरे मे पडती है - अरे तु आ गया तो बोला क्यूँ नही , चल खाना खा ले ।
राहुल और अरुण दोनो की नजरें शालिनी नाइटी पर बाद उसके पहले उसके उभरे हुए चुचो के तने हुर निप्प्ल पर गयी और शालिनी ने भी ये देखा ।
मगर शालिनी चुपचाप निकल गयि ।
राहुल नजरे घुमा कर अरुण को देखा तो उससे नजरे टकराते ही हस दिया - क्या ? अबे पड़ जाती है नजर ? तो क्या आंखे फोड़ लूँ चल ना अब
अरुण हसने लगता है और दोनो हाल मे आकर बैठ जाते है , इधर शालिनी किचन मे राहुल के लिए थाली लगाती है ।
वही राहुल अरुण मे झपटा झपटी वाली अलग ही फुसफुसाहट चल रही थी
राहुल अरुण से मोबाइल देखने की जिद करता है मगर अरुण शालिनी के होने का इशारा करता है ।
राहुल धीमी आवाज मे - अरे भाई उसको टाईम लगेगा ना , दिखा दे ना एक बार
अरुण - भाई खुद देख ले ना क्या मस्त सीन है
राहुल - किधर ?
अरुन आंखो से इशारा कर उसको किचन मे झुकी हुई शालिनी के नाइटी मे फैले चुतड़ दिखाता है ।
तभी शालिनी सीधी खड़ी होती है और बिना पैंटी के नाइटी उसकी मोटे मोटे चुतडो के दरारो मे फस जाती है ।
अरुण - उफ्फ्फ
राहुल आंखे दिखा कर अरुण से भुनभुनाता है अरुण दान्त दिखाता हुआ - भाई देख ना , आज मामी ने अन्दर कुछ नही पहना है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ उसका गला पकड़ने लगता है और अरुण खिखी हसने लगता है ।
शालिनी - अरे अरे , क्या कर रहा है क्यू मार रहा है उसे
अरुण नाटक करता हुआ अपना गला पक्ड कर - आह्ह मामी देखो ना कैसे गला कस दिया था इसने मेरा
शालिनी खाने की थाली रखती हुई भाग कर अरुण के पास गयी और बगल मे बैठते हुए उसके गाल को सहलाती हुई अपने सीने से लगा लिया ।
अपनी मामी के गुदाज छातियों मे अपना अपने गाल घिसता हुआ अरुण मुस्कुराता हुआ अपने भौहे उचका कर राहुल को चिढाया और राहुल खिझ कर रह गया ।
इस दौरान शालिनी लगातार उसके सर को दुलारती हुई राहुल को डांटती रही ।
अमन के घर
अमन खाना खाकर अपने कमरे से निकला और जीने से होकर नीचे जा रहा था कि सामने दुलारी और रिन्की आपस मे बातें करते हुए हस्ते खिलखिलाते उपर आ रहे थे ।
अमन की नजर रिन्की के हाथ मे लटके कैरी बैगस पर गयी और मुस्कुरा कर - ओहो शॉपिंग , करो करो अकेले अकेले
रिन्की - हा जैसे मै कहती तो आप आ जाते
अमन रिन्की का रुखा जवाब सुनकर - अरे पूछा क्या एक भी बार और देखो तो भाभी कैसे बोल रही है ?
दुलारी- अरे देवर जी साफ साफ बोलो ना कि आप देखना चाहते हो कि मेरी बैल बुद्धि ननदीया क्या झोले भर लाई है
अमन हसता हुआ - नही नही मुझे नही देखना ,
दुलारी उस्का हाथ पक्ड कर खिंचती हुई - अरे आओ ना देवर जी , मस्त मस्त डिजाईनर कपडे लिये है इसने , पसन्द आये तो देवरानी को भी दिला देना उसमे से हिहिही
दुलारी ने हस्ते हुए रिन्की को आन्ख मारी और रिन्की शर्म से गढा गयी ।
तीनो साथ मे दुलारी के कमरे मे गये और हस्ते हुए दुलारी ने दरवाजा लगा दिया ।
सामने रिन्की अपने चुतड़ हिलाती हुई बाथरूम की ओर जाती हुई - भाभी मै अभी आई
दुलारी ने अमन की ओर देखा जिसकी नजर रिन्की की वाइट लेगी मे कसे हुए उसके उभरे हुए नरम नरम चुतड़ पर थी - बोल खायेगा उम्म
अमन अपना खड़ा मुसल मसलता हुआ - सच मे भाभी अब तो रहा नही जाता , वैसे क्या लाई है खरीद कर
दुलारी मुस्कुरा कर उसका खुन्टा लोवर के उपर से मसलती हुई - अह्ह्ह देवर जी सबर करो , असली खेल शुरु तो होने दो । तुम भी अपनी भौजाई को याद रखोगे
रिन्की इतने मे बाथरूम से आई ।
दुलारी - अरे देवर जी खड़े क्यू है आईये बैठ कर देखते है ना
रिन्की भी धीरे से मुस्कुराती हुई आई और लपक कर कैरी बैग का एक पैकेट झपटती हुई खिलखिलाई - इसको छोड़ कर सब दिखा दो हिहिही
अमन - अरे उसको क्यूँ छिपा रही है , दिखा ना ?
दुलारी- अरे असली माल तो उसी मे है इसमे तो ये सब कच्छी ब्रा है
ये बोलते हुए दुलारी ने झोले से रिन्की की ब्रा पैंटी वाली एक सेट बाहर निकाल दी ।
रिन्की मारे लाज के अमन से मुह छिपाती हुई मुस्कुरा रही थी और अमन की नजर रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी , बढिया क़्वालीटी के पैडेड ब्रा और लेस वाली मुलायम पैंटी , उसको स्पर्श करते ही अमन का लन्ड फड़फड़ाया ।
अमन को अपनी नयी पैंटी पर उंगलीयां फिरात देख रिन्की की चुत मे गुदगुदी उठने लगी , मानो अमन उसकी चुत के उपर अपनी उंगलियाँ फिरा रहा है ।
तभी अमन ने नजर उठा कर रिन्की को देखा और रिन्की लाज से मुस्कुराई
दुलारी - क्यू देवर जी है ना एक नम्बर आईटेम,
अमन - हा भाभी कपड़े का मैटेरियल बहुत सॉफ़्ट है , मुझे नही पता था कि चमनपुरा मे इतनी अच्छी क़्वालीटी के अंडरगारमेन्ट मिलते है । कहा से लिये
दुलारी हस्ती हुई - तुम्हारे ससुराल से हिहिहिही
अमन चौक कर - क्या सोनल की दुकान से , सच मे ?
दुलारी- हा और फिर हम लोग शॉपिंग कॉमप्लेक्स भी गये थे , वहा से इसके और अपने लिये नाइटी ली हमने फैंसी । वो भी पसंद आयेगा
अमन - हा हा दिखाओ ना
रिन्की हस्ती हुई पैकेट हाथ मे कसती हुई - ना ना भाभी हिहिही प्लीज
दुलारी- अरे दिखा ना , कपड़े ही तो है ना
दुलारी मे पैकेट छिना और उसने एक पिंक कलर की नाइटी निकाल कर खोलते हुए अमन के आगे फैला दी - हा देखो है ना अच्छी ?
अमन की नजर उस जालीदार ट्रांसपैरेन्स गुलाबी रंग की शार्ट नाईटी पर जम गयी , जिसके साथ एक पतली सी डोरी वाली थांग पैंटी थी । नजरे उठा कर उसने रिन्की को देखा - वाव यार , सो
दुलारी- सेक्सी ना ?
अमन - हा , अह ना आई मीन सो ब्यूटीफुल , लेकिन ये पहनने पर दिखेगी कैसी ? इसका कोई पैम्पलेट नही दिया है क्या ?
दुलारी- अरे भूल जाओ उस अंग्रेजन माडल को , हमारे पास अपनी घर की स्वीट ऐण्ड सेक्सी मॉडल है । अभी डेमो दे देगी हिहिही
दुलारी ने नजरे उथा कर रिन्की को देखा तो वो ना मे सर हिलाने लगी
दुलारी वो नाइटी लेके उठी और उसको पकड कर बाथरूम की ओर ले जाती हुई - अरे पगली इतना मस्त मौका है , छोड़ मत । देखा नही कैसे उसका खुन्टा बौराया हुआ है ।
रिन्की फुसफुफा कर - पर भाभी मुझे शर्म आ रही है ?
दुलारी- अरे जब वो ढीठ बना बैठा है तो तु काहे शर्म कर आ रही है , जा बदल के आ जा ।
दुलारी ने उसे बाथरूम के धकेला और हस्ती हुई अमन के पास - देखो देवर जी , अब कोई आना कानी ना हो ? मौका अच्छा है पकड़ के रगड़ देना ।
अमन चौक कर खड़ा हुआ और रिन्की के साथ आने वाले रोमांचक पल की झलकियां सोच कर अपना खड़ा मुसल मसलता हुआ - क्या अभीई ? जल्दी नही हो जायेगी भाभी ?
दुलारी की नजरे बस उसके उफनाते फड़फडाते लन्ड पर जमी थी और वो मौका पाते ही उसे बाहर निकाल कर दबोचती हुई - अह्ह्ह मेरे राजा , जल रही है वो पूरी भीतर से तेरे इस मुस्तैद मुसल के लिये , रगड़ कर फ़ाड डाल आज उह्ह्ह
अमन ने उसको अपनी बाहो मे भर कर उसके गरदन गाल को चूमता हुआ साडी के उपर से दुलारी के गाड़ मसलता है - अह्ह्ह भाभी कहो तो तुम दोनो की आज एक साथ ही उह्ह्ह उम्म
तभी बाथरूम के दरवाजे पर आहत हुई और दोनो अलग हुए और लजाती शर्माती नजरे नीची की हुई रिन्की अपने बालों को कान उल्झाती हुई कमरे मे दाखिल हुई
अमन की आंखे फैल गयी उस गुलाबी शार्ट नाइटी मे रिन्की के झलकते बदन को देख कर , उपर उसके भूरे भूरे निप्प्ल अपनी चोच उठाए सास ले रहे थे ।
गोरी चिकनी पतली टाँगे सुर्ख जाघो तक नंगी और कमर के पास नाइटी के आरपार झलकटी उसकी छोटी सी थांग जिसमे उसकी बुर बहुत मुस्कील से छिप पा रही थी ।
बुर के पास काले घुघराले बालों का गुच्छा अभी भी पैटी लाईन के किनारे किनरे झाड़ नुमा उभरा हुआ था ।
दुलारी- वाव यार , है ना देवर जी एकदम सेक्सी ?
अमन चौक कर - हा , हा भाभी बहुत प्यारा है और पीछे से दिखाओ ना
रिन्की ने दुलारी की देखा तो उसने घूमने का इशारा किया ,
पीछे घूमते ही अमन की नजर सीधे रिन्की की चिकने गोल मटोल चुतड पर गयी जिसकी सकरी दरारों मे थांग की स्ट्रिप चीरते हुए उपर लास्टीक मे जुड़ी थी ।
उसे देख कर अमन का लन्ड फड़फडाने लगा उसने जोर से अपना मुसल भिन्चा और तभी रिन्की ने एक और झटका अमन को दिया - आऊच्च्च्च सीईई मम्मीईई
ये बोलते हुए रिन्की आगे की ओर झुकी और अपने पैर को मसलने लगी ।
दुलारी- क्या हुआ ?
रिन्की सिस्कतो हुई उसी तरह झुकी हुई - आह्ह भाभी एक चींटी ने काटा उफ्फ्फ
वही अमन की नजर बस रिन्की के गोरे गोरे नंगे हुए गोल मटोल चुतड पर अटक गयी ।
दुलारी मुस्कुरा कर - अरे देवर जी अब आगे बढ़ो, अब तो चीटीयां भी उसके जिस्म पर रेंगने लगी ? रस टपकना शुरु हो गया है ?
अमन लगातार रिन्की को आगे झुके हुए अपना पैर सहलाते हुए देख रहा था और अपना मुसल मसल कर - क्या ऐसे सीधे ?
दुलारी- हा भाई जाओ ना बस
अमन आगे बढा और रिन्की के पास जाकर उसकी पीठ को सहलात हुआ - तु ठिक है ना , दिखा मुझे
रिन्की - अह्ह्ह भैया देखो लाल हो गया
अमन - इधर आ पैर इसपे रख
अमन ने रिन्की को पैर बिस्तर पर रखने को कहा औए रिन्की ने एक टांग उठा कर रखा ।
अमन निचे बैठ कर उसके घाव पर ठंडी फूंक मारने लगा और तभी उसकी नजर रिन्की के जांघो के बीच उसकी चुत के पास गयी , इतने करीब से उसने रिन्की की झाट भरी चुत देखी और वो ठहर सा गया ।
रिन्की को शरम आई और उसने नाइटी को निचे खिन्चते हुए खिलखिला कर - धत्त भैया कितने गन्दे हो आप , वहा कहा देख रहे हो ?
उसके निप्प्ल साफ साफ उभरे और कडक नजर आ रहे थे
अमन हसने लगा इसपे दुलारी ने मस्ती भरे मूड मे - अरे तेरी तिजोरी का ताला देख रहे है तेरे भैया , दिखा दे ना ?
रिन्की लजाती हुई बाथरूम की ओर बढ़ कर - धत्त भाभी तुम भी बहुत गन्दी हो , मै चंज करने जा रही हूं
दुलारी- अरे रुक ना
अमन भी हसता हुआ खड़ा हुआ ।
दुलारी- क्या यार सारा मजा खतम कर दिया , अरे सीधा चोच लगा कर पानी पिना था ना !
अमन - अरे कैसे करता भाभी वो रुकी ही नही ?
दुलारी- ह्म्म्ं इसकी अम्मा को घोड़े चोदे इसकी खबर लेती हु मै अभी ?
राज के घर
"उह्ह्ह मौसी अह्ह्ह आह्ह उम्म्ंम फ्क्क्क मीईई उम्म्ंम अह्ह्ह, सच मे बहुत मोटा है अह्ह्ह आह्ह "
रज्जो वो 10 इंच का मोटा dildo ट्विस्ट कर निशा की बुर मे घुसेड़ती हुई - आह्ह मेरी तो जान निकाल दी इसने अह्ह्ह पता नही कैसे वो भोस्डे वाली तेरी बुआ इसको पुरा घोन्ट जाती है आह्ह उह्ह्ह नोच मत आह्ह
निशा घोडी बन कर आगे झुक कर रज्जो की रसिली चुचिया हाथ मे पकड़े हुए मुह मे चुबला रही थी और रज्जो निचे उसकी बुर मे हचर ह्चर वो dildo घुसेड़ रही थी , निशा की बुर भलभला कर सफेद रंग छोड रही थी ।
निशा अपनी गाड़ उठा कर - आह्ह मौसी और और उह्ह्ह आ रहा है फिर से ऊहह ऊहह येह्ह्ह येश्ह्ह ऊहह फ्क्क्क फ्क्क्क फ्क्क उह्ह्ह्ह्हह्ह्ह
रज्जो निशा को झड़ते उस मोटे लन्ड पर खुद हुमुचते हुए देख कर हैरान थी , उसकी हथेली चुत के रस सन गयी थी , निशा के चेहरे पर चरमसुख की सन्तुस्टी के भाव थे । उसके हस्ते खिले हुए चेहरे पर एक गजब की कामुकता झलक रही थी , उसकी नशीली आंखे और मादक मे झुमते उसके जिस्म साफ बयां कर रहे थे कि निशा रज्जो की सोच से बहुत आगे की चीज है ।
रज्जो बस उसमे खो सी गयी ।
वही नीचे गेस्ट वाले कमरे मे एक कहानी का दुसरा दौर शुरू हो गया था । राज - फिर बुआ उस दुपहर हुआ क्या कुछ ?
शिला हसती हुई - हा हुआ ना
राज उस्तुकता और चहकपने से - क्या बताओ ना
शिला - सुन
देवर जी तो नहाने चले गये इधर कम्मो और मै निचे रसोई मे खाने की तैयारी करने लगे ।
हम तो रोज रात की बातें लगभाग साझा कर ही लेते , मगर उस दिन कम्मो के चेहरे पर गजब को रौनक थी ।
पुछने पर उसने सारी बातें उगल दी और इस शर्त पर कि वो तेरे फुफा से नही कहेंगी और दुपहर मे होने वाले घमासान की बात भी बताई ।
मैने भी उसे रसोइ से जल्दी छुट्टी दे दी उस रोज और तेरे फूफा को काम फुरमा कर बाजार के लिए भेज दिया ।
काम निपटा कर मै भी बेचैनी भी सासो से उपर गयी , जीने का दरवाजा बाहर से लगाया और चुपके से कम्मो के कमरे मे दरवाजे से कान लगाया ।
पलंग की चरमराह्ट और हाफती सासे सुन कर मेरे जोबन के दाने कड़क हो गये ।
मै भीतर से छटपटाता रही थी कि कहो से कुछ नजर आ जाये और मेरी नजर दरवाजे के कुंडी के पास बने सुराख पर गयी
दिल खुश हुआ और आंखे महिन कर भीतर नजर मारी तो देवर जी कम्मो को पूरी नन्गी किये घोडी बना कर उस्के कमर को थामे हचर ह्चर पेल रहे थे ।
उसकी मोटी मोटी चुचिया लटकी हुई खुब हिल रही थी और दोनो के भितर एक आग सी भरी थी ।
3 - 4 आसन बदल बदल कर जैसा देवर जी का स्वभाव था उन्होने क्म्मो को खुब हचक के पेला और उसके जिस्म पेट छातियों पर अपना माल गिराया ।
कम्मो के जिस्म रिसते उस गर्म नमकीन पिघलते लावे के स्वाद मेरे जीभ मे मह्सुस होने लगा और मेरी बुर बजब्जा कर रस छोड़ने लगी ।
फिर मै उठ कर अपने कमरे मे चली गयी , दिन ढला और रात हुई । देवर जी आये और मुझे खुब हचक कर पेला मगर लालची ने अपनी बीवी के हुकम नाफरमानी नही की । एक शब्द नही कहा , हो गया था मेरा देवर अपनी जोरू का गुलाम ।
अगली सुबह दोनो भाई अपने अपने कमरों मे नहा कर आने के बाद देवर जी कम्मो को दबोचा और भैया के पद चिन्हों पर चलते हुए उसने आज फिर कम्मो के ब्रा मे अपना माल गिराया ।
लेकिन आज तेरे फूफा पुरे फिराख मे थे जैसे ही देवर जी नहाने के लिए निचे गये वो लपक कर कम्मो के कमरे मे ।
मै भी मौका देखकर उनके पीछे ।
कमरे मे ना नुकुर वाला माहौल था तेरे फूफा कम्मो की चुचिया ब्लाउज के उपर से मिज रहे थे और लन्ड पुरा बाहर पिछवाड़े पर चुभो रहे थे ।
कम्मो - आह्ह आज नही , प्लीज ना
वो - तेरे कड़क जोबनो पर लन्ड रगड़ कर ही तो मुझे सुकून आता है
कम्मो - आप समझ नही रहे है आपके छोटे भैया आ जायेंगे , नहा कर कभी भी , मै कपड़ा कैसे उतार अभी
वो - मै नही जानता कम्मो मुझसे रहा नही जायेगा अह्ह्ह ले ले ना इसे भर ले
कम्मो - अच्छा थिक है मै ब्लाउज खोलती हुई आप पल्लू के निचे से गिरा देना
वो और भी उत्तेजित हुए और अपना लन्ड कम्मो के चुचियो मे हिलाने लगे , कम्मो ने बड़ी चालाकी से काम निपटाया मगर दोनो भाइयो के गाढ़े वीर्य से उसकी चोली पूरी गीली हो गयी ।
मै वहा से निकल गयी , मेरि जान्घे उस दृश्य को देख कर रिसने लगी थी ।
रसोई के टाईम मैने खुब मजे लिये उसके कि अब तो रोज उसके दोनो जोबन रसायेन्गे ।
कम्मो - आह्ह दिदी ऐसे तो मै परेशान रहूंगी पुरा दिन
मै - तो एक काम कर ना , तेरे जीजा को बता दे ना आज रात
कम्मो - क्या नही नही , मुझसे नही होगा
मै - अरे डरती क्यू है , तु कहे तो मै मदद करू
कम्मो - कैसे ?
मै - बस तु देखती जा आज रात क्या होता है ?
मैने योजना बनाई और शाम होने से पहले तेरे फूफा को आज रात मेरे साथ रुकने की जिद कर दी ।
वो - ये कैसी बात कर रही है तु, मै छोटे को क्या बोलूंगा
मै - वो सब मै नही जानती , आपको आज मेरे पास रुकना है आज पूरी रात मै आपके इस मोटे लन्ड की सवारी करूंगी प्लीज वो बुरे फसे उन्हे समझ नही आ रहा था कि कैसे वो अपने छोटे भाइ को इस बात के लिए राजी करेंगे ।
बेचैन होकर रात के खाने का निवाला किसी तरह गटका उंहोने और फिर घर के बाहर अलाग सेंकते हुए उनके जहन मे बस देवर जी से बात करने की झिझक चल रही थी ।
धीरे धीरे करके मेरे सास ससुर अलाव के पास से उठ कर अपने कमरे मे चले गये, मै और कम्मो आंगन मे बरतन धूल रहे थे , अभी देवर जी भी उठ कर जाने को हुए कि दूर से ही मैने तेरे फूफा को घूरा और वो मेरा इशारा समझ गये ।
वो - आह्ह छोटे बैठ तुझसे कुछ बात करनी है देवर जी भी शंका के भाव से वापस बैठ गये - क्या हुआ भाइया , आप परेशान लग रहे है ?
वो - बात चिंता की भी है और नही भी , ये सब तेरे विवेक पर निर्भर करेगा ।
देवर जी - मुझ पर , मै समझा नही साफ साफ कहिये ना
वो - अह अब क्या बताऊ , तू तो जानता ही है कि मेरा कम्मो के साथ साथ शिला से भी शारीरिक रिश्ता रहा है
देवर जी के माथे पर बल पड़ने लगा , अलाव की बूझती मीठी आंच अब तेज मह्सूस होने लगी । देवर जी भी भीतर से एक सन्सय भरे उलझन से घिरने लगे - हा भईया पता है , मगर बात क्या है ?
वो - बात ये है छोटे कि भले ही अब शिला और मै साथ नही सोते मगर हमारी बीती सुहानी रातें हमे अक्सर दिन तडपा देती है , दिन मे जब भी हम आमने सामने होते है हम दोनो के जज्बात हम पर हावि होने लगते है । वो तेरी है ये सोच कर मै उसपे हक नही जताता हु और इस बात से वो उदास सी रहती है ।
देवर जी भी अपने भैया की बात सुन कर चिंतित हुए - तो फिर क्या सोचा है इस बारे मे आपने ? भाभी का यू उदास होना मुझे पसन्द नही आप तो जानते ही हो ।
वो - हा इसीलिए मुझे तेरी अनुज्ञा चाहिये
देवर जी - मेरी , किस लिये ?
वो - दरअसल आज शाम को शिला ने मुझसे रात उसके पास सोने का कहा है । अब मुझे समझ नही आ रहा है कि मै कैसे इस उलझन को सुल्झाऊ ?
देवर जी तेरे फूफा की बात सुन कर भीतर ही भीतर गदगद हो गये कि आज रात उन्हे क्म्मो के साथ सोने को मिलेगा - आप बड़े है भैया जो आपको उचित लगे वही करिये ।
वो - एक पल को मै शिला के पास चला भी जाऊ ,मगर क्म्मो उस्का क्या ? उस बेचारी को ये रात अकेले ही काटनी पड़ेगी क्योकि तु उसके करीब कभी हुआ ही नही ।
देवर जी मुह उतारने का नाटक किये और बोले - माफ किजियेगा भईया मगर मुझे उलझन रहती है कि कैसे मै उसको छुउन्गा , क्या वो मेरा साथ देगी बहुत डर भी रहता है वो थोडा खुश हुए और करीब होकर बोले - अह अब तुझे क्या बताऊ मै , सही मायने मे खुल कर कहूँ कम्मो जैसी गर्म औरत मैने नही देखी ।
देवर जी आंखे फ़ाड कर तेरे फूफा को निहार रहे थे - सच कह रहा हु , सुहागरात पर वो इतनी गर्म और जोशीली थी कि पुछ मत और सम्भोग के समय वो इतनी कामोत्तेजक हो जाती है , इतने गन्दे गंदे बोलती है कि मै पागल हो जाता हु उफ्फ़ सच कहू तो तु बस उसको सोते हुए स्पर्श करके पहल कर लेना , बाकी वो खुद कर देगी ।
देवर जी का खुन्टा टाइट था वो उसको मिजते हुए - क्या सच मे भैया ?
वो - हा और जा मेरी मंजूरी है तुझे आज उसे अपना दम दिखा दे
दो हसते हुए उपर चले गये और कुछ देर बाद दोनो कमरों मे ह्चर फचर पेलाई जारी थी ।
तेरे फूफा उस रात दुगने जोश से मुझे चोद रहे थे और मै भी पागल हो गयी थी - आह्ह मेरे राजा ऊहह और चोदो उम्म्ंं , तुम्हारे लन्ड के बिना मेरी चुत सोने का नाम नही लेती अह्ह्ह और ऊहह
वो मेरे बालों को खिंचते हुए मुझे घोडी बनाये मेरी चुत मे लन्ड घचाघच पेल रहे थे - आह्ह साली रन्डी छिनार मेरी चुदक्कड़ बीवी उह्ह्ह्ह दो दो लन्ड के मजे मिल रहे है अब तो तुझे अह्ह बोल ना
मै - आह्ह हा मेरे राजा , मै आपकी रंडी बीवी हु आह्ह कल रात मेरे देवर मे मुझे खुब हचक के चोदा आज मेरा पति चोद रहा है आह्ह माह्ह्ह
वो और जोश मे - आह्ह क्या वो सिर्फ तेरा देवर है , आअन्न बोल ना साली कुतिया आह्ह बोल ना
मै उन्के मजबूत करारे झटके खाती हुई - हा मेरे राजा मेरा बहनोई भी है , आह्ह मजा आता अपने बहनोई से बुर मे लन्ड लेके आह्ह उह्ह्ह आप भी अपनी साली को पेलते हो उम्म्ंम खुब हचक हचक के
वो - आह्ह सच मे मेरी साली बहुत चुदासी और गर्म है , साली बुर मे भर कर निचोड़ लेती है मेरा लन्ड अह्ह्ह उह्ह्ह
मैने भी अपने चुत के छल्ले को अपने मोटे मुसल पर कसा और उसको निचोडती हुई - ऐसे करती क्या मेरे राजा उह्ह्ह बोलो ना ऐसे करती है वो उम्म्ं
वो पागल होने लगे - आह्ह मेरी जान तुम दोनो बहने ही रन्डी हो आह्ह ऐसे ही ऊहह साली कुतिया अह्ह्ह लेह्ह्ह उह्ह्ह
मै - आह्ह मेरे चोदू राजा ऊहह पेलो मुझे ऊहह
उन्होने मुझे घुमाया और पीठ के बल लिटा कर मेरे उपर आ गये और लन्ड बुर मे घुसाते हुए - ओह्ह मेरी चुदक्कड़ ऊहह लेह्ह्ह और लेह्ह जी तो करता है कि तुम दोनो बहनो को एक साथ लिटा कर ऐसे ही ऐसे ही अह्ह्ह हचक हचक के चोदू उह्ह्ह
मै - आह्ह सच मे मेरे ऊहह मेरा जरा भी ख्याल नही है उम्म्ं
वो - तुझे क्या चाहिये मेरी जान बोल ना
मै - मुझे भी मेरे दोनो पतियों का लन्ड चाहिये एक साथ वो भीई उह्ह्ह आह्ह
वो मेरी बातें सुन कर पागल हो गये और जोश ने खुब कस कस लन्ड मेरी चुत मे भरने लगे - आह्ह बहिनचोद तु सच मे रन्डी है आह्ह
मै उनके लन्ड पर अपनी चुत का छल्ला एक बार फिर से कसा और वो मदहौस होने लगे - आह्ह बोलो ना मेरे राजा दिलाओगे ना मुझे दो लन्ड अह्ह्ह प्लीज अह्ह्ह
वो हाफने लगे और लन्ड बाहर खींचकर तेजी हिलाते मेरे पेट पर झडने लगे - अह्ह्ह मेरी जान क्यू नही , अपने भाई सामने तुझे पेलने मे मजा आयेगा अह्ह्ह लेह्ह्ह और लेह्ह्ह उह्ह्ह आ रहा है मेराअह्ह्ह्ह उह्ह्ह
मै भी उस वक़्त झड रही थी उनके साथ , वही बगल के कमरे मे भी गर्म माहौल था ,
कम्मो देवर जी के मुसल पर सवार होकर - आह्ह मेरे राजा , ऊहह आज रात मे कैसे मना लिये अपने भैया को ?
देवर जी उसकी नंगी पीठ को छूते - मनाना क्या मैने हक से बोला कि मुझे मेरी बीवी क्म्मो के पास सोना है क्म्मो अपनी कमर को नचा कर लन्ड को बुर मे भरती हुई - धत्त झूठे , सच सच बोलो ना
देवर जी - सच कह रहा हु मेरी जान
कम्मो - अच्छा ऐसा क्या , कल मुझे उनके सामने चोद के दिखाओ तो जानू
देवर जी - क्या भैया के सामने, अरे ऐसे कैसे
कम्मो - क्यूँ, वो तो आपके सामने मुझपे हक जताते है और जब मन होता है पेल जाते है मुझे उम्म्ं
देवर जी कुछ जोशिले भी हो रहे थे तो कही झिझक भी थी ।
कम्मो अब लन्ड पर अपने कुल्हे उछालनते हुए हुमुचने लगी - आह्ह मेरे राजा मान जाओ ना , मुझे अच्छा लगेगा जब आप उनके सामने मुझे छुओगे मुझे मसलोगे
देवर जी मुस्कुरा कर कम्मो को बाहों मे भरते हुए - और अगर उन्का भी मूड हो गया तो
कम्मो - तो मै उनको भी मौका दे दूँगी लेकीन आपके
देवर जी का लन्ड फड़का - क्या मेरे सामने ही
कम्मो - क्यू देखा नही क्या कभी मुझे उनसे चुदते उम्म , जी तो करता आप दोनो का मुसल एक साथ लेलू उह्ह्ह अब तरसाओ मत मेरे राजा पेलो ना उह्ह्ह
देवर जी भैया के साथ क्म्मो को पेलने का सोच कर पागल गये और कुल्हे उठा कर निचे से तेजी से चोदने लगे ।
कम्मो - अह मेरे राजा ऐसे जी अह्ह्ह आप ऐसे चोदना मै उनका लन्ड चुसुंगी अह्ह्ह
देवर - आह्ह बहिनचोद , भैया सच कह रहे थे कि तु बहुत चुदासी है आह्ह मेरी जान लेह्ह्ह जो चाहिये सब दूँगा आह्ह मेरी जान ओह्ह्ह ओह्ह
कम्मो - आह्ह मेरे राजा और पेलो उन्म्म्ं उह्ह्ह हा ऐसे अहि उह्ह्ह
देवर जी पोजीशन बदला और कम्मो को करवत लिटा कर उसकी जान्घे चढा कर चुत मे पेलने लगे ।
कम्मो - उफ्फ्फ मेरे राजा आपके इन्ही अंदाज की दिवानी हु मै ,आह्ह मेरे राजा और चोदो ,नहला दो मेरी चुत को अपने रस से अह्ह्ह अह्ह्ह
देवर जी भी पागल होने लगे और लन्ड निकाल कर उसके गाड़ और चुत पर झडने लगे - आह्ह मेरी रन्डी ओह्ह कितनी गर्म है रे तुह्ह क़्ह्ह्ह लेह्ह्ह गर्म गर्म माल मेरा अह्ह्ह
कम्मो - ऊहह मेरे राजा फैला दो ना उह्ह्ज आह्ह ऐसे ही
देवर जी उसकी गाड़ और चुत के फाको पर अपना गाढ़ा सफेद बीर्य लिपने लगे , उंगलियो का स्पर्श पाकर कम्मो पागल होने लगी ।
पूरी चुत मलाई से सफेद होने लगी थी और देवर जी उंगलिया क्म्मो की बुर मे फचर फचर अन्दर बाहर हो रही थी , क्म्मो तेजी से झडते हुए सिस्क रही थी - आह्ह मेरे राज्ज्जा आह्ह मेरा आ रहा है रुकना मत ऊहह उफ्फ्फ आह्ह आह्ह उह्ह्ह
क्म्मो भी झड कर चूर हो गयि मगर जोशिले देवर जी ने एक राउंड और उसकी चुदाई की फिर दोनो सो गये
अगली सुबह हम चारों मे विचार बदल चुके थे ,रात मे चुदाई के दौरान उठे सपनो की कामुक झलक ने हमे भीतर से हिला कर रख दिया था ।
इधर नास्ते के समय देवर जी और तेरे फूफा की बातें हो रही थी ।
देवर जी ने तेरे फूफा को अपना रात का अनुभव साझा किया - सच मे भैया आपकी एक एक बात सही निकली कम्मो के बारें मे , वो कुछ अलग ही है ।
वो हसते हुए - फिर कितने राउंड
देवर जी - 3 बार , हर बार कुछ अलग ही जोश से वो मुझे निचोडती रही । सच मे भैया मजा आ गया
वो - हा भाई निचोड़ा तो तेरी भाभी ने भी कल रात मुझे उफ्फ़ ये दोनो बहने सच मे कितनी कामुक है
देवर जी - सच कह रहे है भईया और आपने नोटिस किया दोनो ने कभी हमसे सम्बन्ध बनाने से कभी इंकार नही किया , ऐसी आग तो सिर्फ
वो - रन्डीयों मे होती है ,
देवर जी - आह्ह सच कह दिया भैया आपने , दोनो की दोनो पक्की रान्ड है । देखा उनकी बातें करके ही हमारा ये हाल हो गया हाहाहा
वो - हा भाई सही कह रहे हो , पता है कल रात तो तेरी भाभी इतनी जोश मे थी कि अगर तु होता साथ मे तो वो तेरा लन्ड भी घोन्ट जाती
देवर जी - क्या सच मे , सेम ऐसा ही मैने भी अनुभव किया भैया , क्म्मो ने तो यहा तक कह डाला की हिम्मत है तो अपने भैया के सामने मुझपे हक जता कर दिखाओ
वो - हैं ? सच मे ? यार मेरा तो मन कर रहा है साली कम्मो की गाड़ अब खोल ही दूँ
देवर - हा भैया मै भी भाभी के चुतड को भेदना चाहता हु
वो - हा लेकिन अभी नही कर पायेगा तु
देवर जी - क्यू ?
वो - अरे शिला का महवारी शुरु हो गया है आज सुबह
देवर - अच्छा, फिर ?
वो - फिर क्या , क्म्मो को मिल कर दबोचते है फिर
देवर जी - सच मे , लेकिन कैसे ?
वो - वैसे ही जैसे वो चाहती है हाहहहहा
फिर बारी बारी से दोनो भाई नहाने चले गये । मेरे पिरियड शुरु हो गये थे तो रसोई से लेकर हर काम के लिए मेरी छुट्टी हो गयी थी और कम्मो का काम दुगना । मै छ्त पर अकेले आराम कर रही थी और वो रसोई मे काम कर रही थी ।
मौका देख के देवर जी को आंगन मे नजर रखने की ड्यूटी लगकर तेरे फुफा रसोई मे घुस गये और क्म्मो क्क दबोच लिया । रसोई के बाहर दिवाल से लग कर देवर जी झाक कर भीतर का नजारा देख रहे थे ।
तेरे फुफा ने क्म्मो को दबोच रखा था - आह्ह मेरी जान क्यू खफा खफा हो मुझसे , सुबह से देख रहा हु कम्मो इतराई और कसमसा कर उनसे दुर होने की कोशिश कर - आप तो बात मत करिये मुझसे , दीदी के लिए मुझे तनहा छोड दिया था हुउउह
वो मुस्कुरा के पीछे से उसके अपना खड़ा मुसल उसके चुतड़ मे चुभोते हुए - अकेले कहा मेरी जान, छोटे को भेजा था ना
कम्मो थोड़ी चुप हुई तो वो उसके रसिले मम्मे दबोचते हुए - और रात मे मैने तुम्हारी सिसकियाँ सुनी , कितनी जोश मे तुम उसके लन्ड की सवारी कर रही थी ।
कम्मो लाज के मारे मे झेप सी गयी , उसके तन बदन मे सिहरन पैदा होने लगी ये सोच कर कि कल रात वाली चोरी पकडी गयि - हा जब आप मेरा ख्याल नही रखोगे तो मुझे खुद का ख्याल रखना पडेगा ना , ले लूंगी मै भी किसी का लन्ड
कम्मो की ये बात सुनकर दोनो भाई के फौलादी मुसल फड़कने लगे , वो जोर से उसके चुचे मिजते हुए - आह्ह साली कितनी चुद्क्क्ड है रे तु ऊहह जी कर रहा है अभी चोद कर तेरे छातियो मे अपना रस भर दूँ
कम्मो - आह्ह मेरे राजा आराम से अम्मा बाऊजी बाहर ही है उह्ह्ह कोई आ जायेगा
तेरे फूफा कम्मो को पीछे से पकड़ कर मसल रहे थे और कामोत्तेजना मे उनकी जुबान फिसली - अह्ह्ह चिंता ना कर मेरी रान्ड, बाहर छोटे को खड़ा रखा है वो आंगन मे देख रहा है
कम्मो चौकी - क्या वो बाहर है ?
तेरे फुफा हसने लगे और रसोई के गेट के पास दिवाल से लग कर खड़े होकर पजामे के उपर से लन्ड मिजते हुए देवर जी की ओर इशारा किया ।
कम्मो और देवर जी की हवस भरी नजर मिली और कम्मो भीतर से हिल गयी उसकी चुत बुरी तरह बजबजा उठी , रात लिये हुए पति से वादे को इतनी जल्दी पूरी होने की उम्मीद नही थी और आने वाले रोमांच को लेके उस्का कलेजा धकधक हो रहा था ।