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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए
शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट

Ggco-M1o-Ww-AAevx-P

आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे


एक महत्वपूर्ण सूचना

इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।

फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।



मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद 🙏
 
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insotter

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UPDATE 211

निशा - रज्जो

" सच सच बताओ ना मौसी , ये चुतड़ सिर्फ मौसा जी ने अकेले नही चौडे किये होगे " , निशा रज्जो के कुल्हे सहलाती हुई बोली ।
रज्जो - तेरे भी जोबन खुब फूले हुए है , किस किस से मिजवाजा है पहले तु बता ?

निशा हसती हुई - अरे मौसी स्कूल मे , कालेज मे , होली मे मेले मे अब कहा कहा गिनाऊ हिहिही

रज्जो आन्खे बड़ी कर- तो क्या तु सबसे ?
निशा - अरे नही ना , इन जगहो मे अकसर मेरे तन को छू कर लड़के मेरे भीतर की आग भड़का जाते और मै रात अकेले कमरे मे हिहिही

रज्जो मुस्कुराती हुई - धत्त कामिनी
निशा - सच कह रही हु मौसी , देखती नही यहा कितना रोक टोक है।
रज्जो - अरे सोनल की तरह तेरा भी कोई यार दोस्त होगा ही , बता दे ना
निशा - एक यार तो आपके पति ही थे हिहिही , एक बार मे मुझे अपना दीवाना बना गये ।

रज्जो - अच्छा इतना मस्त लगा तुझे उनका लन्ड , तो चल ना कुछ रोज मेरे यहा रह कर फिर से ले लेना ।

निशा - अरे उस खुन्टे पर पहले ही दो दुधारू भैंस बांधी है मुझे कहा जगह मिलेगी ।

रज्जो अजीब भाव से - दो दो भैस मतल्ब
निशा हसती हुई -अरे एक आप और दूसरी रीना भाभी हिहिहिही

रज्जो सकपकाई - क्या बहू ? नही ये कैसे ? और तुझे इतना यकीन कैसे है ?
निशा शरारत भरी नजरो से खिलखिलाती हुई - शक तो आपको भी है ना मौसी , बोलो बोलो ? हिहिही

रज्जो - अह हा अब तेरे मौसा छुटा सांढ़ हुए है तो क्या करुँ उसपे से बहू कुछ ज्यादा ही सन्सकार लेके आयी है मायके से , इनसब मे सोचती हु कि कही रमन के साथ कुछ नाइन्साफी ना हो जाये बेचारा बहुत भोला है ।

रज्जो का परेशान चेहरा देख कर निशा - अरे वो भी बदला ले लेंगे और क्या ?
रज्जो - बदला कैसा इसमे ?
निशा हसने लगी ।
रज्जो - बोल ना
निशा अपनी हसी दबाती हुई - अरे जब उनके पापा उनकी बीवी रगड़ सकते है तो वो भी अपने पापा की बिवी रगड़ देंगे हिसाब बराबर क्यू ?

रज्जो को कुछ सेकंड लगे निशा की बात समझने मे और जब वो सम्झी तो सामने निशा खिलखिला रही थी और हस्ती हुई उसके चुतड़ को दबोचती हुई - साली कुतिया , कुछ भी बकती है अब क्या मै मेरे बेटे का लन्ड ले लू ,

निशा हस्ती हुई - आह्ह आउच्च मौसी सच कहू तो अगर मै रमन भैया की जगह होती तो आप पर मेरा ईमान डोल जाता हिहिहिही

रज्जो - तो रुकी क्यू है ,जा तेरे पापा का खुन्टा ले ले , अब कबतक किसी की राह निहारेगि

निशा जोर की अंगड़ाई लेती हुई - आह्ह सोच रही हूँ इसी बारे मे हीहिहिहिही वैसे पापा का मुसल है दमदार

रज्जो आंखे फ़ाड कर निशा की बातें सुन रही थी कि कैसी बेशरमी से वो बतिया रही है उससे - तो क्या तुने नाप लिया क्या तेरे पापा का मुसल

निशा - अरे नापा क्या मैने तो सपने मे लिया भी है हिहिही

रज्जो - धत्त कमिनी , तू बहुत दुष्ट है रे । छीईई
निशा - बोल तो ऐसे रही हो जैसे आपने कभी देखा नही होगा नाना का लन्ड । वो तो धोती मे होते है हिहिहिही

रज्जो - हा देखा है कई बार देखा है लेकिन तेरी तरह मेरी नियत नही आई कभी बाऊजी पर
निशा हस्ती हुई - मगर नाना को मैने जरुर देखा है आपके ये थिरकते मोटे कुल्हे निहारते हुए हिहिहिही

रज्जो अब चुप हो गयि उसकी जुबां अटक सी गयी - क्या बोल रही है तु

निशा आन्खे नचा कर - आहा , चोरी पकड़ी गयी हिहिहीही तो आपके इन बड़े बड़े गोलो को फुलाने वाले नाना ही है

रज्जो को यकीन नही हो रहा था कि निशा इतनी तेज निकलेगी , हर बात चित के साथ रज्जो के मन की बातें वो यू समझ जाती , रज्जो भीतर से डरने लगी ।
निशा हस कर - वैसे आप टेन्सन ना लो , मै बड़ी मा को नही बताउन्गी हिहिहिही

रज्जो ने एक गहरि आह भरी - उफ्फ्फ तुने तो डरा दिया मुझे भाइ आह्ह सच कहू तो ये बात सिर्फ मेरे और बाऊजी के बीच थी , मगर ना जाने कैसे तु समझ गयी ।

निशा - हिहिहिही मर्द की नजर और उसके चेहरे के भाव पढने मे मै कभी नही चुकती मौसी , अब तो ब्ता दो कब से ले रही हो वो मोटा बांस उम्म्ं

रज्जो - 30 साल हो गये , यूँ कह मेरे पहले यार वही थे ।
निशा - क्या सच मे ? शादी से पहले ही

रज्जो - हम्म्म , मा के गुजर जाने के बाद हम दोनो को एक दुसरे की जरुरत थी और हमने एक दुसरे को खुद को सौप दिया ।

निशा - उफ्फ्फ मौसी आपकी बातें सुन कर मेरी चुत गीली हो रही है , कैसा लगता है पापा से चुदवा के उम्म्ं

रज्जो - सच कहु तो आज भी वो पहली बार वाला ही नशा उमड आता है और बाऊजी भी वही जोश से पेलते है आज भी
निशा - उफ्फ्फ मौसी इधर आओ उम्म्ंम्ं

निशा ने रज्जो की कमर मे हाथ डाल कर उसको अपने करीब करती हुई उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिये और चुचिया मिजने लगी , रज्जो भी उसके चुतड़ फैलाते हुए किस्स करने लगी


राहुल - अरुण

" उफ्फ़ भाई , क्या मस्त मस्त गदराई आण्टियां है यार " , राहुल अपना लन्ड मसलते हुए अरुण के मोबाइल मे वीडियोज़ देख रहा था ।

अरुण - ये सब पैड पोर्नस्टार है , सेक्स साइट पर वीडियो बेचती है अपना , जैसे बोलोगे वैसे वीडियोज बना कर देंगी ।

राहुल - तो क्या इस आंटी को बोलू कि वो दो दो लन्ड से चुद कर दिखाये तो क्या वो मान जायेगी

अरुण - हा भाई , लेकिन पैसे बहुत लेती है सब उसमे तुम उनसे मनचाहा रोल प्ले भी करवा सकते हो ।

राहुल - रोल प्ले कैसा ?
अरुण - मतलब ये कि अगर तुम चाहते हो कि ये आंटी और इसके साथी से किसी फैमिली सेक्स के जैसे रोल प्ले करे तो वो करेंगे ।

राहुल - तो क्या भाई बहन , मा बेटा भी बन कर चुदाई करते है सब
अरुण - हा भाई जो कुछ तुम चाहो , तुम चाहो तो इस आंटी का नाम मामी के नाम पर रखवा कर भी वीडियो बना सकते हो , फिर तुम अपनी मा भी जिससे चाहो चुदवा लो हिहिहिही

राहुल का लन्ड ये सब गणित देख सोच कर बौखला गया - बहिनचोद कितना आगे निकल गये है लोग यार ,

अरुन - इसीलिए मुझे रिश्तों का फर्क नही पड़ता, चुत मिलना चाहिए

राहुल - तो क्या तुने किसी को चोदा है इसमे से
अरुण - नही यार ये सब प्राइवेट मिलने नही आती है और जहा जाती है वहा बहुत पैसा लेती है । लाख लाख रूपये मे बातें होती है भाई

राहुल - क्या , बहिनचोद इतना पैसा कहा से आयेगा । इससे अच्छा अपनी अम्मा ना चोद लू मै

अरुण - वही तो मै भी बोल रहा हु हिहिहिही

राहुल - वैसे सच कहू तो मम्मी को सोच कर हिलाने का मजा ही अलग है क्यू

अरुण - हा यार , और मामी है भी कितनी सेक्सी सोचता हु बिना पैंटी के उनकी बुर कैसी दिखती होगी ।

राहुल - जन्नत है भाई , मुझसे पूछ
अरुण - तुने देखी है क्या ?
राहुल बत्तिसी दिखाने लगा। अरुण - बता ना कैसी है , लम्बी फाके वाली है क्या

राहुल ने हा मे सर हिलाया तो अरुण - उफ्फ्फ मुझे लगा ही था कल

राहुल - तुमे कब देखा
अरुण हस कर - अरे वो नही देखा बस पीछे से देखा जब वो बाथरूम मे पेसाब कर रही थी तो उठते समय बस लकीरे दिखी थी थोड़ी सी


राहुल उसके गले मे हाथ का फंदा बना कर कसता हुआ - साले हरामी है तु तो रे

अरुन हसता हुआ - हिहिही अब नजर पड गयी थी तो क्या करता भाई ,

राहुल - साले मादरचोद , हट भोसडी के
अरुण खिखी दाँत दिखाता हुआ - भाई कुछ कर ना , मामी ने तो मुझे पागल कर रखा है और तुने बोला भी तो था कि यहा कुछ इंतजाम करेगा ।

राहुल - अबे मम्मी को पटाना हलवा थोड़ी है , मै तो कितने टाईम से लगा हु तु ट्राई कर देख क्या कहती है


अरुण कुछ सोच कर - ठिक है लेकिन मुझे तेरी मदद लगेगी और अगर मामी मान गयी तो तेरा भी फाय्दा होगा ही

राहुल - हा भाई क्यू नही
राहुल बहुत चतुराइ से अरुण का प्लान समझने लगा ।

इधर इनकी योजना चल रही थी कि वही शाम के 4 बजने को हो रहे थे ।
रात के खाने के लिए शालिनी ने बाजार से सब्जी राशन लाने की लिस्ट बनाई और राहुल को खोजते हुए उसके कमरे तक आई

शालिनी ने दरवाजा खटखटाया और भीतर दोनो सतर्क हुए और लन्ड को पैंट मे ऐंठते मोडते राहुल ने दरवाजा खोला - हा मम्मी

शालिनी - क्या कर रहे थे तुम दोनो दरवाजा बन्द करके

अरुण - कुछ नही मामी , बस मूवी देख रहे थे
शालिनी ने कमरे का जायजा लिया और बोली - अच्छा सुन झोला लेले और पापा से पैसे ले ले , मै तैयार होकर आती हु हमे बाजार जाना है ।

राहुल - ठिक है

राहुल उठ बाहर चला गया और शालिनी ने मुस्कुरा कर अरुण की ओर देखा ।
दोनो के जिस्म मे सरसराहट

सी फैल गयी और दोनो बाथरूम के वो पल याद कर भीतर से कामोत्तेजित हो उठे
शालिनी के निप्प्ल उसके नाइटी मे कड़क होकर उभर आये और अरुण की नजर उसपे अटक सी गयी ।
शालिनी ने इशारे से उसका
ध्यान अपनी ओर किया अपने पीछे चलने का इशारा करती हुई कमरे की ओर बढ़ गयी ।
अरुण का मुसल बगावत पर आ गया , शालिनी के इशारे ने उसको सपनो की नयी दुनिया मे ला खड़ा किया । उत्सुकता कामुकता और बेताबी भरे मन से वो उछलता हुआ शालिनी के कमरे मे चला गया ।



शिला के किस्से

कम्मो की नजरे देवर जी से टकराई और आंखे बडी हो गयी ये देख कर कि देवर जी उसको और अपने भैया को एक साथ देख कर अपना मुसल मसल रहे है ।

वो कम्मो की साडी सरका कर ब्लाउज के उपर से उसकी छातियां मिजने लगे जिससे कम्मो को एक अलग ही खुमारी छाने लगी - उफ्फ्फ आराम से उम्म्ं
वो लगातार देवर जी को अपनी नशीली कामुक नजरो से निहारे जा रही थी , देवर जी के आगे उनके भैया से अपनी चुचिया मिजवा कर उसे एक अलग ही जोश आ रहा था उसपे से देवर जी उसे देख कर अपना मुसल रगड़ रहे थे ।
पीछे से तेरे फूफा का खुन्टा उसके चुतड़ मे साडी के उपर से घुसा जा रहा था ,
रसोई के अंदर बाहर दोनो ओर कामोत्तेजना पीक पर थी , एक ओर देवर जी जहा कम्मो को छूने को बेताब हो रहे थे वही कम्मो तेरे फुफा को कपड़े उतारने से मना कर रही थी ।
वो - अब मना मत कर कम्मो देख हम दोनो भितर से तप रहे है और आग हमे जला रही है ।

कम्मो मुस्कुराइ और उनकी ओर घूम कर उनका मुसल पजामे के उपर से जकडती हुई - आह्ह मेरे राजा रुको मै बुझाती हु तुम्हारी आग
ये बोल कर कम्मो सरकति हुई तेरे फुफा के पैरो मे चली गयी और पैजामा खिंच कर उनका काला मोटा फुन्कार मारता नाग बाहर निकाला , दिन के भरपूर उजाले मे तेरे पापा का लन्ड अपने भाई के आगे अलग हो जोश मे फूला हुआ था , चमडी खिंच कर कम्मो के सुपाडा खोला और फिर एक नजर दरवाजे पर देवर जी को देखा ।
देवर जी की सासे उफनाने लगी , उनकी बीवी उनके सामने उनके भैया का लन्ड चूसेगी ये देख कर ही उनके लन्ड मे ऊर्जा दुगनी हो गयी ।

पजामे के उपर से अपना मुसल भींचते उन्होने एक नजर अपने अम्मा बाऊजी के कमरे की मारा और जब दुबारा रसोई मे देखा तो कम्मो आधा लन्ड मुह मे भर चुकी थी ,

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देवर जी रसोई के गेट का लक्ड़ा पकड कर एडिया ऊचका कर लन्ड के झटके से उड़ने लगे , जोर से उसे भींच कर भीतर कम्मो को भैया का लन्ड चुसते देखा ।

कम्मो बड़ी कामुक अदा से जीभ फिरा कर सुपाड़े की टिप चाट रही थी और नजरे तीरछी कर उसने देवर जी की ओर जो अपना मोटा लन्ड बाहर निकाल कर उसके सहला रहे थे

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कम्मो ने तेरे पापा का मुसल हाथ मे पक्ड कर सहलाते हुए दुसरे हाथ से देवर जी को भी भीतर आने का इशारा किया

देवर जी बेचैन हो उठे उंहे डर कि ऐसे खुले मे कही अम्मा बाऊजी ना आ जाये मगर तेरे फूफा ने आने का इशारा किया तो वो भी लपक कर उनके बगल मे खडे हो गये ।

कम्मो ने हाथ बढा कर देवर जी का मुसल पकडा और उनकी आंखो मे देखा , देवर जी भीतर से गिनगिना उठे , उनका शरीर मे कपकपी सी उठने लगी और फिर कम्मो की नजरे तेरे फूफा से टकराइ और उन्होने प्यार से कम्मो के बाल सहलाए
अगले ही पल कम्मो ने मुह खोल कर देवर जी का लन्ड भी भर लिया और चुबलाने लगी - आह्ह कम्मो उम्म्ंम उफ्फ्फ्फ अह्ह्ह क्या मस्त चुसती है तु उम्म्ंम

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वो - आह्ह सच कह रहे हो भाई , कम्मो का कोई जवाब नही ऊहह ऐसे ही उम्म्ं

कम्मो लन्ड बदल बदल कर चुसाई कर रही थी और दोनो भाई हवा मे उड़ने लगे ,
देवर जी -अह्ह्ह कम्मो मेरी जान य्ह्ह ऊहह आयेगाआ उह्ह्ह सीईई उम्म्ंम ओह्ह्ह खोल जल्दी उह्ह्ह

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कम्मो देवर जी का इशारा समझ गयी और ब्लाउज खोलकर ब्रा सरकाती हुई आगे की और देवर जी अपना लन्ड मुठियाते हुए उसके एक चुचि के निप्प्ल पर अपना माल छोड़ने लगे , जिसे देख कर तेरे फुफा चौके और जोश मे वो भी अपना मुसल हिलाने लगे - अह्ह्ह कम्मो तु सच मे लाजवाब है रे अह्ह्ह लेह्ह्ह खोल मेरा भी लेह्ह ऊहह ऊहह

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खुद तेरे फूफा ने दुसरी ओर की ब्रा के कप खिंच कर लन्ड को उसके चुची चुभो कर झाडने लगे

दोनो भाई कम्मो के चुचियो पर अपना रस निचोड रहे थे और कम्मो के निप्प्ल उनके गर्म लावे और भुने जा रहे थे ।
लन्ड झाड़ कर दोनो भाई खुद के कपड़े सेट करने लगे और वही कम्मो के ब्लाउज का बोझ अब और बढ गया , आधी आधी कटोरी भर के दोनो जोबनो दोनो भाइयो से रस से लिभ्डाये हुए थे जिन्हे कम्मो ने ब्रा मे कस कर ब्लाउज बन्द कर दिया ।

तेरे फुफा मारे जोश मे आगे झुक कर कम्मो के होठ चुस लिये और देवर जी मुस्कुराने लगे ।
जोश खतम हुआ तो तीनो को लाज आने लगी थी मगर तेरे फूफा ने आगे का प्रोग्राम सेट कर दिया ।

कुछ देर बाद कम्मो के ही कमरे मे ,

दोपहर के खाने के बाद घर-रसोई का काम निपटा कर कम्मो थक चुकी थी , मगर वो जानती थी उपर कमरे मे बैठे दो भूखे शेर उसे नोच खाने को बेताब थे ।
हुआ भी वही कम्मो के कमरे मे आते ही देवर जी के कड़ी लगा दी और तेरे फूफा ने अपनी लूंगी खोल कर अपना खड़ा लन्ड लेकर उसके सामने

कम्मो - आह्ह रहने देते है ना ,आज काम से थक गयी हु
तभी देवर जी ने उसको पीछे से दबोचा और उसकी चुचिया मिजते हुए - अह्ह्ह मेरी जान अभी तेरी थकावट हम दुर कर देते है

कम्मो देवर जी के बाहों मे कसमसाने लगी और तेरे फुफा आगे आकर उसके ब्लाउज का हुक चटकाने लगे तो देवर जी एक हाथ से निचे से कम्मो की साडी खोलने लगे

वो - अरे ये क्या , ब्रा निकाल दी तुमने
कम्मो उनके मजबूत पंजे अपने चुचो पर मह्सूस कर - अह्ह्ह वो ज्यादा गिला था आज और खुजली हो रही थी अह्ह्ह ऊहह

इधर देवर जी ने उसके पेतिकोट का नाड़ा खिन्च कर उसे नाइस गिरा दिया और पैंटी के उपर से चुत मलने लगे , कम्मो दोहरे हमले से पागल होने लगी

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तेरे फुफा ने उसके खुले ब्लाउज से झाकते नारियल जैसे चुचे हाथ मे गारते हुए मुह पर लगा कर चुसने लगे ।

कम्मो - आह्ह सीई ऊहह मेरे राज्ज्जाह्ह आह्ह
देवर जी उसकी पैंटी मे हाथ घुसा कर उसकी बजब्जाती बुर को टटोलती हुए - कौन है तुम्हारा राजा बोलो ना
कम्मो देवर जी के सवाल से मुस्कुराई तो देवर जी ने उसकी बुर मे उंगली घुसा कर अपना सवाल दुहराया - बोल ना मेरी जान कौन है तेरा राजाह्ह्ह उम्म्ंम्ं मै या भैया

कम्मो - आप मेरे राजह्ह्ह उह्ह्ह और ये मेरे जेठ जी अह्ह्ग अह्ह्ह ऊहह आराम से उह्ह्ह
तेरे फुफा कम्मो के मुह से जेठ जी सुन कर जोश ने आ गये - आह्ह कम्मो सच मे क्या बोला है तुने आह्ह मजा आ गया

देवर जी भी आगे से उसकी वुर मसलते हुए - तो कैसा लगा था सुहागरात पर अपने जेठ से सील तुड़वा कर मेरी रानी उम्म्ं बोल ना , देवर जी की बातें सुनकर कम्मो के साथ साथ तेरे फूफा भी भीतर से जोश से भर गये और
वो - आह्ह कम्मो दिखा दे ना कैसे उस रात चुसा था मेरा , कितनी जोशीली हो गयी थी तु मेरा लन्ड देख कर , लेह्ह चुस मेरी रान्ड उह्ह्ह

तेरे फुफा ने अपना मोटा तनमनाया गर्म आंच फेकता लन्ड उसके होठो पर परोस दिया और कम्मो बिना कुछ बोले उसको गपक गयी
फिर देवर जी ने अपने कपडे उतारे और लन्ड आगे किया
कम्मो दोनो का मुसल पक्ड कर बारि बारि से चुस रही थी

देवर - आह्ह भैया सच कहा क्म्मो भीतर से किसी रन्डी से कम नही , कितनी चुदासी हो गयि हौ

कम्मो दोनो के सुपाड़े अपने थूथ पर रगड़ने लगी और फिर से लन्ड घोंट लगी ।
वो - अह्ह्ह देख देख छोटे ऐसे ऊहह ऐसे ही ले रही थी बहिनचोद साली उह्ह्ह
इसपे देवर जी हस पडे ।

वो - क्या हुआ हस क्यूँ रहा है
देवर जी - हाहाहा भैया इसे गाली देने का मतल्ब , इसकी बहिन भी चोद चुके हो और आपकी साली तो ये पहले से है हाहाहा

कम्मो - आह्ह मेरे राजाआ मेरे हाथ दुख रहे है , अब और नही
देवर जी मुस्कुराये - क्यू चुत तो नही दुख रही तेरी उम्म्ं

कम्मो ने मुस्कुरा कर ना मे सर हिलाया और तेरे फू फा ने कम्मो को उठा कर टांग लिया और बिस्तर पर लिटा कर उसके उपर चढ कर उसकी रसिली चुचिया मिजते मसलते चुसते हुए निचे से अपना लन्ड उसकी बुर मे चुभोते हुए अपना पुरा बदन उसके जिस्म पर घिसने लगे और वही देवर अपना मुसल पकड़ कर मसलते हुए अपने भैया और बीवी की रासलीला देखने लगे ।

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कम्मो कसमसाती सिस्कती रही और देखते ही देखते तेरे फुफा ने देवर जी के सामने ही क्म्मो की बुर मे अपना लन्ड उतार दिया ।
क्म्मो - आह्ह जेठ जी ऊहह सीई पेलो मुझे उह्ह्ह
वो उसकी बुर मे लन्ड रगड़ते हुए - क्या बोली फिर बोल उम्म्ं क्या हु मै मेरा अह्ह्ह बोल ना
कम्मो मुस्कुरा कर - आह्ह आउउच्च ऊहह आप मेरे जेठ जीईई अह्ह्ह उम्म्ंम और चोदो मेरे राजा अह्ह्ह उम्म्ंम ऐसे ही उह्ह्ह

कम्मो की जोशीली और कमोतेजक बातें सुन कर देवर जी की हालत और खराब होने लगी वो अपना मुसल लेकर कम्मो के पास पहुचे और कम्मो ने हाथ बढा कर उसे लपक लिया और उनकी ओर देखती हुई - देखो मेरे राजा अपनी रान्ड बीवी को उह्ह्ह ऐसे ही चोद रहे थे उस रात मुझे अह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह उम्म्ंम और कस के उह्ह्ह

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देवर जी जोश ने उसके करीब गये और अपना मुसल उसके मुह मे ठूस दिया और हचर ह्चर उसके गले मे उतारने लगे - आह्ह ले मादरचोद आवारा साली उह्ह्ह ले चुस मेरा भी आज हम भाई तेरी फाड़ कर रख देंगे उह्ह्ह लेह्ह

कम्मो उनका लन्ड घोंटते हुए निचे से तेरे फुफा का मुसल निचोडने लगी
अदल बदली कर पोजीशन बदल बदल कर दोनो भाइयों ने अपने कामरस से कम्मो को खूब नहलाया और देर शाम को तेरे फूफा मेरे पास आये ।

मानो वो भाप गये कि मैने उनकी चोरी पकड ली हो और फिर उम्होने सारी बात बताई , जिसे सुनकर महवारी मे मेरी चुत सफेद पानी छोडने लगी ।
मगर मेरी हालत इतनी भी सही नही थी कि उनके साथ कुछ कर पाती , रात भर वो मेरे साथ रहे और अगले 2 रोज बाद कम्मो का महिना भी आ गया ।

दोनो भाइ सुपाडे मे माल भरे अगले 3 रोज की रात किसी । अगली सुबह मेरी छुट्टी खतम हुई थी समझो , मैने सोचा था कि आज भी दोनो को बहाने से तरसा ही दू मगर कमबख़्त देवर जी की नजर ना जाने कैसे मेरी पूजा की थाली पर पड़ गयी और मेरा राज खुल गया और वो तेरे फुफा से भी ब्ता दिये ।
उस दुपहर मै खाने पीने का देख कर खाली हुई कि तेरे फुफ़ा ने मुझे दबोच लिया और खिन्च कर मेरे कमरे मे ले गये और जल्दी जल्दी मेरी साडी उठाते हुए चुत पर मुह लगा दिया ।

20240716-200920

मै भी 5 रोज बाद उनकी गर्म लपलपाती जीभ का स्पर्श पाकर पागल सी हो गयि और वो लगातार मेरी बुर चाटे जा रहे थे मेरी तेज सिसकी सुनकर ना जाने कहा से देवर जी आ टपके दरवाजे पर कड़ी लगाते हुए - अरे भैया सारा रस अकेले चाट जाओ क्या , थोदा मेरे लिये छोड़ दो

वो - अरे छोटे तु आ , तेरी भाभी की चुत मस्त फूली और निखरि हुई है आ चख
देवर जी ने मुझे लिटा कर मेरी बुर पर टुट गये

उधर तेरे फुफा मेरी आंचल से मेरे जोबन उघाड़ कर उनपर झपट पड़े
दोनो भाइयो मेरे जिस्म को मसल कर ने मेरी कामाग्नी को कई गुना कर दिया था मै गाड़ पटक कर देवर जी के मुह पर झड रही थी और तेरे फुफा मेरे चुचियो को बारि बारि मसल मसल कर लाल किये जा रहे थे
मै भी बौखलाई और दोनो के मुसल पर टूट पड़ी
देवर- आह्ह भाभीईई उहह्ह ऐसे ही चुसो उम्म्ंम
मैने आन्के महिन कर उन्हे देखा तो तेरे फुफा हसते हुए बोले - अब देखा जाये तो तुम भाभी ही हो उसकी हिहिही अह्ह्ह सीई आराम से मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम ऐसे ही ओह्ह्ह्ह

देवर - आह्ह भैया भाभी के होठ मक्खन जैसे है उम्म्ंमौर चुत की मलाई के क्या ही कहने उम्म्ं
वो - आह्ह भाई सच कहा ये दोनो बहने मजेदार चीज है उह्ह्ह उह शिलू मेरी जान आह्ह ऐसे ही उम्म्ं और लेह्ह ऊहह तेरे चुसाई से मेरा मुसल इन 3 रोज मे मुरझा सा गया था अह्ह्ह

देवर जी - आह्ह सच कहा भैया उम्म्ं अगर ऐसे ही इन दोनो की महीने के 5 5 रोज छुट्टी होती रही तो हमारा क्या होगा

मै तुनक कर - तो जाके अपनी बहनिया से चुस्वा लेना हुह्व हमारी ती कोई फिकर ही नही
वो हसते हुए मुझे पिछे से दबोच कर मेरे चुचे मसलने लगे - आह्ह मेरी जान नाराज ना हो , हे छोटे माफी मांग

देवर जी - जी सॉरी ना भाभी
वो डांट कर - ऐसे नही
देवर जी अचरज से अपने भैया को निहारकर उनका इशारा समझने लगे ।
वो - अरे भाई निचे बैठ कर माफी मांग
देवर जी मुस्कुराये और एक बार फिर मेरी सुस्ताती बुर मे हड़कम्प मचा दिया ।
मेरे पाव कापने लगे और उसपे से तेरे फुफा का खुन्चा मेरी मोटी गाड़ की सकरी दरारे अलग भेद रहा था , निप्प्ल तो मानो उनकी हथेली मे छील से जायेंगे और देवर जी भी कम नही , जीभ घुसा कर मेरी बुर का जायदा लेने लगे

मै - आह्ह मेरे राजाह्ह ऊहह अब और नही आह्ह देदो ना इसे ऊहह डालो ना
फिर तेरे फुफा ने मुझे झुकाया और देवर जी ने आगे पहल कर घोडी बनाते हुए मेरी नंगी बड़ी गान्ड को सहलाते हुए अपना मुसल मेरी बुर मे लगाया और हचाक से उतार दिया
मै -आह्ह देवर जी आराम से ऊहह ऊहह आप्का ज्यादा मोटा है उह्ह्ह सीई

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वो आगे आकर मेरे मुह मे अपना मुसल परोस चुके थे
दोनो भाईयो ने पूरी रात मेरी चुत का बाजा बजाया और सुबह उठ कर देवर जी अपने कमरे मे गये ।



राज - अच्छा तो क्या फिर आप चारो एक साथ भी कभी किये थे
शिला - धत्त बदमाश कही का
राज - क्या बुआ बताओ ना सब बता के यहा तो मत रुको

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई राज की मा दरवाजे पर थी ।
शिला ने दरवाजा खोला - क्या खुसफुसाहट हो रही थी बुआ भतिजा में

शिला दरवाजा पुरा खोलकर रागिनी को कमरे मे आता देख एक नजर राज को देखा और बोली - बस वही बची कुची कहानी सुना रही थी अपने भतिजे को

रागिनी - हम्म्म तो यानी कि इसे भी पता चल ही गया आपके दो पतियों का राज हिहिहिही

राज - क्या मम्मी आपको पता था तो बताया नही मुझे
रागिनी हस्ती हुई - कुछ बातें समय आने पर ही खुलनी चाहिये क्यू दीदी

शिला - हा हा और क्या , अब देखो अगर अभी इसकी पैंट नही खोली हमने तो फाड़ कर बाहर आ जायेगा

शिला ने राज के तनमनाये मुसल की ओर इशारा किया

रागिनी आगे बढ़ कर राज के पैंट खोलती हुई - दिदी तुम कड़ी लगाओ , इसको मै बाहर निकालती हु

फिर राज की मा ने राज के पैंट खोल कर उसका मोटा मुसल बाहर निकाला , राज मे मिज रगड़ कर लाल कर रखा था ।

रागिनी - उफ्फ़ देखो कैसा लाल कर रखा है , कबसे रगड़ रहा था रे

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राज - आह्ह मम्मी , बुआ की कहानी ऐसी थी आह्ह उम्मममं अह्ह कितना ठंडा लग रहा ऊहह म्ममीईई शीईईई अह्ह्ह उम्म्ं

शिला - तु सुन ही ऐसे लाग से रहा था मुझे सुनाने मे मजा आया , लाओ भाभी मुझे भी दो ना उम्म्ंम्म्ं सीईईइरुउउऊपपपपप आह्ह क्या गर्म लन्ड आपके बेटे का भौजी उह्ह्ह

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रागिनी - आपके भैया का खुन है , दमदार तो होगा ही उम्म्ंम

राज - आह्ह मम्मी खोलो ना तुम दोनो आज दोनो की गाड़ एक साथ मारनी है मुझे

रागिनी - सच क्या लल्ला आजा ना
शिला भी मुस्कुरा कर राज के लन्ड को छोडते हुए खड़ी हुई और रागिनी ने अपनी साडी पेतिकोट कमर तक चढाई और घोदी बन कर बिस्तर पर
शिला ने भी अपनी लेगी पैंटी एक साथ उतार कर बिस्तर पर

दो बड़े बड़े मोटे मोटे चुतड़ राज के आगे हिल रहे थे , उनकी सकरी दरारो मे झांकती भूरि सुराख देख कर राज को रहा नही गया और उसने अपनी मा के दरारों मे मुह दे दिया । उसका दुसरा पन्जा शिला के मोटे भारी भरकम चुतड को मसल रहा था उन्हे नोच रहा था

रागिनी - आह्ह लल्ला नीद ने मुझे सुस्त कर रखा था आह्ह तेरे स्पर्श ने मुझमे ताजगी भर दी ऊहह लल्ला घुसा से आह्ह
राज अपनी मा के गाड़ से आ रही मादक कामुक गन्ध के हटकर धेर सारा थुक सुपाडे पर लगाता हुआ हाथ से रागिनी की बजबजाई बुर से लेकर उसके गाड़ पर मलने लगा

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रागिनी अपनी कमर अकड़ती ऐठती गाड़ फैला रही थी और राज ने उसके चुतड मे लन्ड सेट कर हचाक से पेल दिया

रगिनी - आह्ह लल्ला ऊहह भर दिया रे ह्ह अब रुक मत
रागिनी तेजी से अपनी बुर मसल रही थी और राज शिला की गाड़ मे उंगली से खोद रहा था
रागिनी का एक साथ से कुल्हा थामे वो हचर ह्चर उसकी गाड मे पेल रहा था - ऊहह माआ सीई कितना मजा आ रहा है उफ्फ्फ कितनी कसी हुई गाड है उह्ह्ह

शिला - आह्ह लल्ला मेरा भी ख्याल कर , बीती बाते याद दिला कर मुझे पागल कर दिया है तुने आह्ह घुसा ना
राज ने रागिनी को चोदते हुए मुह से थुक लेके शिला के गाड़ पर लगाने लगा

शिला -आह्ह लल्ला ऊहह अब मत तरसा आजा बेटा उह्ह्ह्ह

राज ने भी लन्ड बाहर निकालते हुए शिला के थुलथुले चुतड पर पन्जा मारा - आह्ह बुआ बताया नही तुमने

शिला सिस्क कर - आह्ह अब क्या नही ब्ताया
राज - वही कि तुम चारो कभी मिल कर किये हो
रागिनी - अरे पुछ इतने सालों मे किसी दिन नागा हुआ है हाहहजा

राज - है? सच मे फिर तो बुआ आपके मजे ही मजे है

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शिला ने अपनी गाड़ की कसी सुराखो मे राज का मोटा मुसल मह्सुस कर - आह्ह लल्ला उफ्फ्फ कितना तप रहा है रे उह्ह्ह
रागिनी - अरे जब दो दो साड का मुसल लेके नही बोली तो अब मेरे लाडके के खूँटे से क्यू गला फाड़ रही हो दिदी

राज - आह्ह बुआ आपकी कसी गाड़ का राज मेरी समझ के परे है , इतनी चुदी हो फिर भी अह्ह्ह जी कर रहा है फचर फचर पेल कर इसको भर दू अह्ह्ह सीईई

रागिनी - आज रात तेरी बुआ की खास खातिरदारी करना पापा के साथ , इनकी चुत और गाड़ ऐसी सुजा के भेज्वाउन्गी की अह्ह्ह उह्ह्ह लल्ला उम्म्ं

राज ने छेद बदल के मा के गाड़ मे घूसेड दिया और पेलते हुए -हा बोलो ना मम्मी अह्ह्ह

रागिनी - आह्ह लल्ल्ला तु आह्ह ऊहह आराम से उम्म्ंम
शिला - रुकना मत , आह्ह फाड़ दे साली के गाड़ उम्म्ं

राज - आह्ह बुआ और मुझसे रहा भी नही जायेगा आह्ह आह्ह ममीईई आ रहा है ओह्ह्ह येस्स्स उम्म्ंम निकल रहा है

राज भलभल कर रागिनी की गाड़ मे झड रहा था और रागिनी की बुर भी रस छोड़ रही थी ,

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आखिरी झटको के साथ राज पीछे हटा तो रागिनी के गाड से उसका गाढ़ा सफेद रस बाहर रिसरहा था , मौका पाकर शिला उसके गाड़ की मलाई चाटने लगी

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रगिनी - आह्ह दीदी उह्ह्ह आपकी जीभ से मेरी बुर फिर से कुलबुला रही है आह्ह

शिला - कहो तो तुम्हारे नंदोई को बुआ दू , छोटा वाला एक बार मे ही चुत की खाज मिटा देगा

रागिनी - अरे उस साढ़ कम नंदोई से तुम दोनो बहिनिया ही खुजली मिटाओ मेरा लल्ला काफी है मेरे लिये हिहिही

राज हाफता हुआ - फिर बुआ आज रात का क्या प्रोग्राम है , मै तो थक गया हु उफ्फ्फ

शिला - अरे तु थका है भैया थोड़ी वो तो आज रात भी हम तीनो को कहा छोड़ने वाले हिहिहिही

रागिनी - उम्म्ं वैसे कल रात मजा भी आया था , उफ्फ्फ
शिला - मजा तो आज भी आयेगा ही भाभी हिहिही

फिर थोड़ी देर बाद सब कमरे से निकल गये , इन सब के बीच राज की अपनी योजना थी , कल रात भले निशा ने अनुज के साथ अपनी कामाग्नि बुझा ली हो मगर सुबह सुबह ही उसने राज को कोसा था । राज ने सोचा क्यू ना उसे रात मे सरप्राईज दिया जाये ।



जारी रहेगी
Kya badiya update maza aa gaya bhai padke
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Update k akhri part ko padh kar lag Raha hai ugle update mein fir raj rangi ragini shila sab milkar Maje karenge raj sayad Nisha k sath bhi par bechareo anuj wo kabtak Apne maa se dur rahega aur ragini ko bhi apne chore bete ki chinta nahi ha
:approve:
 
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DREAMBOY40

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Maan chaha toh nahi par Kam se Kam update toh diya Tumne bola samay se sab Hoga par kab Hoga Mai kitne samay se bol Raha hu anuj k Liye rinpik Bhai karib 2.5 sal se Sonal k Liye bol Rahe hai par abhi tak Kuch nahi huya jaise Tum bhi har waqt story likh nahe pate waise hum log bhi har waqt padh nahi sakte aur jab din k thakawan se dur hokar padh ne ate hai aur jyada nahi par jab Kuch bhi man chaha na ho toh Bhai bura jajur lagta hai asha karti hu jaldi man chaha update doge 😔
Na nirash ho
Na karo man ko
 
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